Desi Sex Kahani चुदाई घर बार की - Page 4 - SexBaba
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Desi Sex Kahani चुदाई घर बार की

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी इतना बोल के खामोश हो गई और हुमारी तरफ देखने लगी और हुमारी स्वालिया नज़रओं को देख के बोली फरीदा मुझे डराने की कोशिश कर रही थी की वो सब को बता देगी तो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने भी उसे बोल दिया की ठीक है जाओ जिसे बताना है बता दे तो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरीदा मेरे पास से उठ के अम्मी के पास चली गई लेकिन अम्मी को कुछ बताया भी नहीं उस ने अभी तक अब देखते हैं क्या करती है अम्मी को बतती है या फिर हुमारे साथ शामिल होती है या फिर हमनें हुमारे हॉल पे छोटी है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी की बातें सुन के अबू ने सिरफ्र इतना ही कहा ठीक है देखते हैं क्या होता है और खामोशी से खाना खाया और उठ के चले गये तो बाजी ने कहा भाई तैयार हो ना फरीदा बरी आने वाली है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने बाजी की बात सुन के सोच मैं पड़ गया और बोला नहीं बाजी मुझे फरीदा के साथ कोई इंटरेस्ट नहीं है पता नहीं क्यों फरीदा मेरे दिल से उतार चुकी है और मेरा उस के साथ करने का कोई इरादा भी नहीं है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी हेरनी से मेरी तरफ देखते हो बोली क्या मतलब तो क्या मैं यूँ ही फरीदा को सेट करती फिर रही हूँ क्यों क तुम तो बोल रहे हो क तुम फरीदा के साथ कुछ करना ही नहीं चाहते[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं बाजी की बात सुन के हंस दिया और बोला बाजी ऐसी बात नहीं है की मैं फरीदा को चोदना नहीं चाहता किसे नई चुत अच्छी नहीं लगती लेकिन मेरा दिल चाहता है की जैसे उस ने हमनें बदनाम करने और मरवाने की कोशिश की थी और अबू को बता दिया था तो अब अबू ही उस की चुत का रास्ता भी खोआलाइन [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी बात सुन के बाजी भी सोच मैं पड़ गई और फिर हंसते हो बोली तो फिर लगता है के आज की रात मुझे अबू को अपने रूम मैं बुलाना पड़ेगा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]क्यों के जुब फरीदा को पता चले गा के अबू बही इस मैं शामिल हैं तो वो ज़ाहिर है के अम्मी या की तरफ भागेगी उन्हें ब्ताने के लिए या फिर मेरी तरफ भागेगी चुवाने के लिए जिस से हमनें फरीदा को अबू से आसानी से छुड़वा सकते हैं[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन अगर फरीदा फिर भी तैयार नहीं होई इस सब के लिए तो फिर क्या करो गी तो बाजी हंस दी और बोली यार फिर आख़िरी रास्ता ये होगा की [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसे तुम्हारी और अम्मी की चुदाई भी दिखा दी जाए क्यों क जुब वो देखेगी क घर मैं सब चुदाई का मज़ा ले रहे हैं तो खुद ही छुड़वाने को मान जाए गी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं अब बाजी की बात ख़तम होते ही बोला यार बाजी तुम ये सब कहाँ बैठ के सोचती रही हो तो बाजी हँसती होई बोली मेरी जान बस तुम्हारे दिल मैं बैठना चाहती हूँ जिन्दी भर के लियी और कहीं नहीं[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं भी हंस दिया और बोला बाजी वाइज़ तो आप मेरे दिल मैं अपनी जगा इतनी पकई कर चुकी हो क कुछ भी हो जाए आप की जगा कोई नहीं चीन सकता[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी मेरी बात सुन के कुछ देर तक मेरी आँखों मैं देखती रही और फिर एक आहह भरते हो बोली विक्की मेरे भाई ये तो वक़्त आने पे ही पता चलेगा की किस के लिए दिल मैं जगा बचती है और किस के लिए नहीं [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अभी इन बातों का कोई फाइयदा नहीं क्यों की अभी इन बातों का टाइम नहीं आया और इतना बोल के बाजी उठी और अबू की तरफ चल दी और अबू के साथ काम मैं लग गई[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी के जाने के बाद मैं भी उठा और चारपाई पे जा के लेट गया और सो गया जुब आँख खुली तो शाम हो रही थी तो मैं उठा और नहा के अबू और बाजी के साथ घर की तरफ चल दिया[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]घर आ के वो ही डेली की रूटीन थी कुछ देर गुपैयन हांकने के बाद खाना खाया और सब लोग सोने के लिए अपने अपने रूम की तरफ चल दिए तो मैं भी अपने रूम मैं आ के बिस्तेर पे लेट गया और सोने की कोशिश क्लारने लगा लेकिन नींद नहीं आ रही थी क्यों की शाम को तो मैं सो के उठा था [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]खैर मैं आखेँ बंद किए लेटा हुआ था क अचानक मुझे याद आया क आज तो बाजी ने अबू को अपने रूम मैं बुलाया हो गा क्यों ना जा के उन दोनो की चुदाई को चुप के देखा जाए और एंजाय किया जाए[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अभी मैं उठा ही था बाजी के रूम की तरफ जाने के लिए क मैने देखा की अम्मी मेरे रूम मैं आ गई उस वक़्त अम्मी ने गुलाबी रंग का एक सूट पहना हुआ था जिस मैं वो बड़ी प्यारी लग रही थी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी रूम मैं ऐइ और दरवाजे लॉक कर दिया और मेरी तरफ मूडी और बोली क्या बात है आज मेरे शेर को नींद नहीं अभी तक तो मैने कहा अम्मी वो आज शाम तक सोता रहा ना इस लिए[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी... हन बेटा अब रात रात भर अपनी बड़ी बेहन की खिदमत करोगे तो नींद दिन मैं ही आया करेगी ना और वेसे भी तुम्हें अपनी अम्मी का ख्याल तो आता ही नहीं है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं... अरे नहीं अम्मी आप मोका ही नहीं देती तो भला मैं कैसे आप की खिदमत कर सकता हूँ[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी... मेरे पास आ के बैठ गई और बोली क्यों बेटा अब भी क्या मुझे ही खिदमत का मोका देना पड़ेगा तुम खुद से अपनी अम्मी की खिदमत नहीं काए सकते[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं... अम्मी दिल तो मेरा भी बौहत करता है आप की खिदमत को लेकिन डर लगता है की कहीं आप बुरा ना मान जाय इस लिए दोबारा आप के पास नहीं आया[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी... अरे मेरे भोले राजा बेटा मैं भला क्यों नाराज़ होने लगी अब तो मैं हर तरह से तुम्हारी हूँ जिस तरह दिल चाहे मेरी खिदमत किया करो और अपनी खिदमत करवा लिया करो[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तेरे अम्मी तेरे मोटे लंबे लंड की दीवानी हो गई है बिलकुल तारे बड़ी बहन की तरह....... तुने ही तो मुझे मज़े दिए है मेरे बेटे ..नहीं तो तेरे अब्बू तो बस...चोद के छोड देते थे ...[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी की तरफ से इतनी क्लियर बात सुन के मेरा लूँद जो के खड़ा हो चुका था झटके खाने लगा तो मैने अम्मी को अपनी तरफ खींच लिया और अम्मी के लीपस पे अपने होन्ट रख दिए और किस करने लगा तो अम्मी ने भी मेरा सर पकड़ लिया और किस मैं मेरा साथ देने लगी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब हम दोनो मा बेटा बड़े प्यार से एक दोसरे को किस कर रहे थे की तभी मैने अपना एक हाथ अम्मी के बूबस पे रखा और हल्के से मसालने और दबाने लगा तो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी भी अपनी ज़ुबान को मेरे मुह मैं घुसा के किस करने लगी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]थोड़ी देर ये सब चलता रहा और उस के बाद हम दोनो एक दोसरे को छोड के एक दोसरे की आँखों मैं झाँकने लगे खामोशी से तो फिर[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने ही पहल की और अपना नडा खोल के लूँद को बाहर निकाला और अम्मी की तरफ देखा तो अम्मी भी मुस्कुरा दी और मेरी टाँगों को अपने हाथों से पूरा फैला दिया और दरमियाँ मैं लेट गई और मेरे लूँद को अपने मुह मैं ले लिया[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]थोड़ी देर तक अम्मी ऐसे ही मेरे लूँद को चुस्ती रही और मेरे लूँद की गोलियों को अपने हाथ से सहलाती रही जिस मैं मुझे बौहत मज़ा आ रहा था तो [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने अचानक अम्मी का सर अपने लूँ,द से हटा दिया जिस से मेरा लूँद अम्मी के मुह से निकल आया तो अम्मी ने सर उठा के मेरी तरफ देखा तो मैने कहा अम्मी ऐसे नहीं आप भी अपने कपड़े उतरो फिर ठीक से मज़ा आए गा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी बात सुन के अम्मी मुस्कुरा दी और बोली अच्छा जी जो हुकुम मेरी सरकार और खड़ी हो गई और अपनी क़मीज़ निकल दी तो [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी मेरे सामने सिर्फ़ पिंक ब्रा और पिंक सलवार मैं खड़ी रह गई और फिर अम्मी मेरी तरफ देखते हो अपनी सलवार भी निकालने लगी [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने देखा के अम्मी की पनटी भी पिंक ही थी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी ने अपनी सलवार भी निकल के साइड मैं फैंक दी और मेरी तरफ देखते हो अपनी ब्रा खोल के फैंक दी लेकिन साथ ही अपना हाथ अपने बूबस पे रख के उन्हें छुपाने की कोसिस की [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब मैने अपना लूँद हाथ मैं पकड़ लिया और सहलाने लगा और साथ ही अम्मी की तरफ भी देखने लगा और अम्मी भी मुझे ही देख रही थी और मुस्कुरा भी रही थी और फिर अम्मी थोडा झुकी और अपना एक हाथ बूबस को धंपे हो ही अपनी पनटी निकल क जल्दी से अपनी चुत पे भी हाथ रख के खड़ी हो गई[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी को इस तरह खड़ा देख के मैं जल्दी से बोला अम्मी क्यों तंग कर रही हो पल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब आ भी जाओ ना तो अम्मी मेरे पास बिस्तेर पे बैठ गई[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी को इस तरह बेता देख के मेरा सबर का दामन हाथ से निकल गया और मैने अम्मी को बिस्तेर पे गिरा के उन की टाँगों को उठा लिया और अपना मुह उसकी गुलाबी चुत पे रख के चूसने लगा .. ओह अम्मी कितनी प्यारी चुत है आपकी ...कितना बढिया पानी है ..बहुत मजेदार अम्मी... कह के अम्मी की चुत चाटने लगा..[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी अब पूरी तरह से गर्म हो रही थी.... उनकी चुत... मेरे अलावा किसी ने चाटी नहीं थी....[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ओह बेटा ...काक्क्क हाँ ..ऐसा ही.. चाटो....जोर से ....खा जा बेटा अपनी अम्मी की चुत को.....[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कितने दिनों की प्यासी है तेरे अम्मी.... ओह.. किसी ने इतना प्यार नहीं किया... मेरे बेटा..[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी अपनी गांड उठा उठा के अपनी चुत मेरे मुह पे रगद रही थी ....[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मुझे भी अम्मी की चुत सेनिकला नमकीन पानी पीने मै मज आ रहा था... अम्मी ने मुझे अपनी चुत का मलाई दार रस पिलाया ..और फारिग हो गई...[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मुझे किस किया ..बोली बेटा सच मै तू बहुत मज़े देता है.... [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब मेने अपनी अम्मी की बूबस पे अपना मुह रख दिया .. र उसकी चूची चूसने लगा ...[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी ..पिलाओ ना मुझे अपना दूध ..जैसे की बचपन पे पिलाती थी...[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ओह..हाँ बेटा हाँ..पी ले पी...अपनी अम्मी का दूध... अम्मी फिर से गरम होने लगी मेरा लंड अब पूरा कड़क हो चूका था.[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और अपना लूँद अम्मी की चुत पे रख के हल्का सा अंदर को दबा दिया [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लूँद की कॅप अम्मी की चुत मैं जाते ही अम्मी के मुह से मज़े और लज़ात की हल्की सी सिसकी निकल गई सस्स्सीईईई पूरी जान से घुसा दे बेटा आज अपनी अम्मी की चुत मैं अपना लूँद[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने अम्मी की बात सुन के अम्मी की टाँगों को पूरा खोल दिया और अपने लूँद को हाथ से पकड़ के सेट किया और फिर झतका मार के पूरा लूँद घुसा दिया अपनी अम्मी की चिकनी चुत मैं[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब मैने अपने दोनो हाथ अम्मी की दोनो रनो पे रख के अम्मी के कंधों की तरफ दबा लिया और अपना लूँद पूरा कॅप तक अम्मी की चुत से बाहर निकल के मैं अपनी पूरी जान और वज़न से अम्मी की चुत पे गिरा तो ताआप्प्प्प्प्प्प्प की आवाज़ के साथ मेरा लूँद अम्मी की चुत मैं जा घुसा तो अम्मी के मुह से [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आअहह विक्की बेटा ऐसे नहीं करो पल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ ऊऊहह की आवाज़ करते हो मुझे मना करने लगी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तो मैं नहीं रुका और ना ही अम्मी की कोई बात सुनी और उसी तरह अपना लूँद अपनी अम्मी की चुत मैं घुसा के चोदता रहा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरे इन वहशियाना झतकों से अम्मी के मुह से आअहह विक्की नैईईईईईईई बेटा पल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ आराम से करूऊऊऊऊओ ऊऊहह मैं मार गैिईईईईईईईईईईईईईईईईईई [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कामीने आराम से कार्रर्र्र्र्र्ररर मेरी चुत फाडनी है क्य्ाआआआअ उनम्म्मह साले बहुत मोटा और लंबा लंड है तेरा ...कुत्ते आराम से कर ..चोद अपनी अम्मी को ...हान्ंनननननननणणन् की आवाज़ कर रही थी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन मैं देख रहा था क अम्मी के फेस पे दर्द का निशान तक नहीं था तो मैं भी वेसे ही झटके मरता हुआ बोला साली गश्ती तुझे ही आग लगी होई थी ना जो अपने ख़सम को छोड के बेटे से छुड़वाने आईईईईईईईईई हाईईईईई . तुजे ही चुदना था ना मोटे लंड से .... तो ले बेटे का मोटा लंड.....[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तो अब रो क्यों रही हाईईईईईईईईईईईईईई[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी बातों के जवाब मैं अम्मी भी आअहह विक्की अब अच्छा लग रहा है बेटा उनम्म्मह और झटके से घुसा अपना लूँद मेरी चुत मैं फाड़ डॉल अपनी अम्मी की चुत को मेरे राजा बेटा तेरा बाप तो आज फरी की चुत मार रहा हाईईईईईईईई .. बेचारी फरी ....कसे अपनी आग बुझायेगी..तेरे अब्बू के उस छोटे पतले लंड से...[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]पर क्या करे ..तेरे लंड से चुदने के लिये उसने ..अपने अब्बू की पतले लंड से चुदना पड़ा[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी की बातों से ..मुझे फरी बाजी की याद आपने लगी उसकी कुर्बानी... उसका प्यार....[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी चिल्ला रही थी .....[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तेरे जैसे लंड ली लिएबहुत तरस रही थी बेटा, तेरे अब्बू का लंड तो तेरे लंड से बहुत छोटा है... ओह राजा छोड अपनी अम्मी को अपनी मोटे लंड से... अह्ह्ह आआःह्ह्ह्ह[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब मैने अम्मी की चुत से अपना लूँद निकल लिया और अम्मी को कुटिया बना के खुद अम्मी के पीछे आ गया और खुद अपने दोनो हाथ अम्मी की गांड पे रख के लूँद को अम्मी की चुत पे सेट किया और अंदर घुसने लगा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जैसे ही अम्मी की चुत मैं लूँद घुसने लगा तो अम्मी ने कहा विक्की क्यों तरसा रहा है मेरी जान पूरा घुसा के चोद अपनी अम्मी की चुत को ऊओह तेज़ तेज़ झटके मार बेटा बौहत मज़ा आ रहा हाईईईईईईईईईईईईईईईईईई की आवाज़ करने लगी तो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने भी अब अपना लूँद पूरी ताक़त से अम्मी की चुत मैं इन आउट करना शरू कर दिया तो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी और भी ज़्यादा चिल्लाने लगी और आआहह विक्कीईईईईईईईईईईईईईई हान्ंननणणन् मेरी जान अब मज़ा आ रहा है [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ऊऊहह की तेज़ आवाज़ करने लगी और साथ ही अपनी गांड को भी मेरे लूँद की तरफ दबाने लगी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी की इस मस्ती को देख के मैं भी मज़े से पागल होने लगा और मैने अपने एक हाथ का अंगूठा अम्मी की गांड के होल पे घूमने लगा और [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर अचानक ही मैने अपना अंगूठा अम्मी की गांद मैं घुसा दिया और नीचे से अम्मी की चुत मैं अपना लूँद भी इन आउट करता रहा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी इस हरकत से अम्मी चिल्ला उठी और आऐईयईईईईईईईईईईईईईईईईईई विक्की नहीं बेटा निकालो [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाहर ऊऊहह विक्की उनम्म्मह बेटा दर्द भी हो रहा हाईईईईईईई [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन मैं अब अम्मी की कोई बात नहीं सुन रहा था और लगातार अम्मी की किसी कुटिया की तरह [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]छोड़े जा रहा था के[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी के मुह से आअहह विकी उनम्म्मह बेटा मैं गैिईईईईईईईईईईईईईई ऊओह की तेज़ आवाज़ के साथ अम्मी की चुत ने पानी छोड दिया जिस से मेरा लूँ,द अम्मी की चुत मैं और भी चिकना हो गया जिस से [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं भी मज़े से बहाल होने लगा और २ -३ मिनट बाद ही अम्मी की चुत मैं पानी छोड दिया और अम्मी की चुत से अपना लूँद निकल के साइड मैं लेट गया तो अम्मी भी सीधी हो के मेरे बराबर मैं लेट गई[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]थोड़ी देर तक ऐसे ही हम दोनो मा बेटा साथ साथ लेते रहे और थोड़ी देर गुज़र जाने के बाद अम्मी ने मेरी तरफ करवट ली और अपनी एक टांग उठा के मेरे ऊपर रख दी और [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरे सर के अपने हाथ से अपनी तरफ घुमा लिया और मेरी आँखों मैं झँकते हो बोली हन तो विक्की बेटा मज़ा आया की नहीं [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं अम्मी की तरफ देखते हो मुस्कुरा दिया और बोला अम्मी आप सच मैं बहुत अच्छी हो और अभी जितना मज़ा आया है मुझे पहले कभी नहीं आया और इतना बोलते ही अम्मी को एक किस भी कर दी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]किस करने के बाद मैने अभी अम्मी की तरफ देख ही रहा था क अम्मी ने मुझे बलों से पकड़ लिया और बोली कामीने ये तो बता ज़रा की तो मेरी गांड मैं अपनी फिंगर क्यों घुसा रहा था[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं हंसते हो बोला अम्मी मुझे आप की गांड अच्छी लगी तो मुझ से बर्दाश्त नहीं हुआ और मैने फिंगर घुसा दी अगर आप को बुरा लगा हो तो अम्मी आप पल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ मुझे मॅफ कर देना[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी बात सुन के अम्मी ने मेरे बॉल छोड दिए और मुझे देखते हो बोली नहीं बेटा इस मैं मफ्फी की क्या बात है अगर तुम्हें ये करना अच्छा लगता है तो मैं तुम्हें मना नहीं करू गी लेकिन एक बात ये तो बताओ क तुम ने ये शोक़् कब और कहाँ से पाल लिया है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]नहीं अम्मी अभी तक तो कोई ख़ास्स शोक़् नहीं है और ना ही कभी किया है लेकिन अब सोच रहा हूँ क आप की गांड मैं अपनी फिंगर की जगा अपना लूँद घुसा ही दूँगा सच्ची बड़ा दिल कर रहा है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी हंसते हो बोली अच्छा बेटा ठीक है जुब दिल चाहे कर लेना लेकिन अभी नहीं क्यों की हो सकता है तुम्हारे अबू फरी से फारिघ् हो के रूम मैं आ चुके हूँ इस लिए मुझे भी अब जाना चाहिए क्यों की फरीदा हो सकता है की अभी ही ना आ जाए रूम मैं मुझे ढूंडती होई[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने अम्मी की बात सुन के हाँ मैं सर हिला दिया तो अम्मी उठी और अपने कपड़े पहन के रूम से निकल गई और मैं अपने बिस्तेर पे लेटा अम्मी को जाता हुआ देखता रहा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी के जाने के कुछ ही देर के बाद बाजी मेरे रूम मैं आ गई और मुझे यौन नंगा लेटा देख के बोली भाई क्या बात है खैर तो है ना इस तरह क्यों लेते हो हो तो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने कहा यार अभी अम्मी गई ही हैं यहाँ से तो इसी लिए इस तरह लेटा हुआ हूँ अभी उठोंगा तो कपड़े भी पहन लूनगा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी मेरे पास ही बैठ गई और बोली लो भाई आज मैने अबू के साथ भी फरीदा के सामने ही चुदवा लिया लिया है .[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बस अब तुम जल्दी से एक बार चोद के मेरी चुत की आग बुझा दो... जो अब्बू ने लगायी है...[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं हंस के बोला ..अब्बू ने नहीं बुझाई क्या ....[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी मुह बनाते हहुए बोली...... कमीने तेरे लिये सब कर रही हूँ और तू.....मेने बाजी को किस किया और बोला.. लव यु ...... ,बाजी... और अपना लंड बाजी की चुत पे घुसा दिया...[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी अम्मी कह रही थी की अब्बू ..... ज्यादा चोद नहीं पाते ..तो फिर आपने अब्बू से क्यूं ...[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी हंसी ,,... , भोले भाई..बिना अब्बू की रजामंदी से ..ये सब कुछ नहीं होता ...तुम चिंता छोड़ा और छोड़ा जल्दी से ... चोदो मुझे.. और हाँ यहे बात कभी अब्बू को मत बताना की वो ...किसी को अच्छी तरह से चोद नहीं पाते है... यह राज ही रहना चाहिए...[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और एक बात ब्ताओं बाजी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने फरी की तरफ देखते हो हन मैं सर हिला दिया तो वो बोली भाई आज फरीदा हुमारी चुदाई देख के काफ़ी गरम हो गई थी और अपना हाथ अपनी सलवार मैं घुसा के चुत को भी सहलाती रही[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरी बाजी की बात सुन के मेरी उमीद बाँधने लगी के अब वो वक़्त दौर नहीं है जुब फरीदा भी अपनी चुत का मुह मेरे और अबू के लूँद के लिए खोल देगी इस बात को सोचते ही मेरा लूँद जोर जोर से बाजी की चुत के अन्दर बाहर होगे जकते कहने लगा ... एक आह के साथ बाजी और मैं दोनों फ़ारिग होगये [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेने बाजी की चुत से लंड बाहर निकल लिया जो की फरीदा की चुत का सोच के फिर से फिर से खड़ा होने लगा जिसे बाजी ने भी देख लिया और बोली क्यों भाई फरीदा की कुँवारी चुत का सोच के ही तुम्हारे इस का ये हॉल है तो जुब उस की चुत मिले गी तो क्या हो गा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने कहा नहीं बाजी ये तो पक्का है की फरीदा की सील अबू के लूँद से खुलेगी [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन इस वक़्त मैं फरजाना का सोच रहा था की क्यों ना अभी मैं उस के रूम मैं जाओं और हल्की फुल्की मस्ती ही कर लून उस के सोते हुए मैं [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी ने कहा हन भाई अब टाइम आ गया है की फरजाना के साथ भी हल्की फुल्की मस्ती शरू हो जाए क्यों के इस से फ्रज़ना को सेट करने मैं आसानी हो जाएगी तुम्हारे लिए [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी की इजाज़त मिलते ही मैं उठा और कपड़े पहन के बाजी के साथ फरजाना के रूम की तरफ चल दिया जिस का दरवाजे गर्मी की वजाह से खुला हुआ था क रूम मैं हवा हो जाए [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]हम दोनो रूम के दरवाजे पे पहुच और जुब अंदर झाँका तो फरजाना उस वक़्त करवट ले के सो रही थी और हेरनी की बात ये थी के उस ने एक पुरानी फ्रोक जो की उसे अब छोटी हो चुकी थी पहनी होई थी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी ने मेरी तरफ देखा और इशारा किया क जाओ अंदर मैं यहाँ ही रुकती हूँ तो मैने डरते और धड़कते हो दिल के साथ रूम मैं इन हो गया और [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरजाना के पास जाके के खड़ा हो गया और उसे आवाज देने लगा आहिस्ता आवाज़ मैं लेकिन उस की जानिब से कोई रिप्लाइ नहीं आया तो मैं अब आगे बढ़ा और हाथ से हल्का सा हिला दिया और साथ आवाज़ भी दी लेकिन फ्रज़ना गहरी नींद मैं सो रही थी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब मैने सर घुमा के बाजी की तरफ देखा तो बाजी ने हन मैं सर हिला दिया तो[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने धड़कते हो दिल के साथ फरजाना की फ्रोक को आहिस्ता से ऊपर को खिसकना शरू कर दिया और आहिस्ता आहिस्ता फ्रज़ना की फ्रोक को उस की गांड से भी थोडा ऊपर तक उठा दिया [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जिस से उस की पनटी नज़र आने लगी फरजाना की गांड पनटी मैं देखते ही मेरी और मेरे लूँद की हालत खराब होने लगी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तो मैने एक बार फिर मोड़ के बाजी की तरफ देखा तो बाजी ने मुझे सख्ती से इशारा किया की आगे बढ़ो[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने थोड़ी हिम्मत की और अपना लूँद नंगा कर के फरजाना के करीब हो गया और उस के मुह पे अपना लूँद घूमने लगा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]थोड़ी देर तक मैं ऐसे ही अपना लूँद फरजाना के लीपस पे घूमता रहा और फिर पीछे हट गया और फिर हिम्मत करते हुए फरजाना के पीछे आ के लेट गया और फरजाना की पनटी को भी आहिस्ता से नीचे खिसका दिया और उस की गांड को पूरा नंगा कर दिया और खुद उस के पीछे अपना लूँद फरजाना की गांड के साथ लगा के लेट गया[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब मैं अपने लूँद को आहिस्ता आहिस्ता फरजाना की गांड पे रगड़ने लगा और थोड़ी देर के बाद मैने अपने लूँद पे हल्का सा थूक लगा के फरजाना की गांड के क्रॅक मैं घिसने लगा तो [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मुझे इतना मज़ा आया की मेरा पानी इतनी जल्दी और स्पीड से निकला की मैं खुद को रोक ही नहीं पाया और सारा पानी फरजाना की गांड के ऊपर ही फैला दिया और उठ के बिस्तेर से नीचे उतार गया और बाजी की तरफ देखा तो बाजी ने हाथ के इशारे से मुझे बाहर बुला लिया [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं बाहर गया तो बाजी ने कहा अब तुम जाओ अपने रूम मैं और इसे इसी तरह ही रहने दो सुबह उठ के खुद को ऐसे देखे गी तो कुछ ना कुछ तो दिमाग की घंटी बजे गी ही ना[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं बाजी की बात मान के अपने रूम मैं चला गया और क्यों की ३ बार पानी निकल चुका था इस लिए थकवट भी हो गई थी इस लिए जल्दी ही सो गया क पता ही नहीं चला क कब आँख लगी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अगली सुबह मैं उठा तो 8 बाज चुके थे और बाहर बारिश हो रही थी जिस से मौसम सुहाना हो रहा था मैं उठा और सीधा बात रूम मैं जा घुसा और नहा के जुब बाहर निकला और रूम मैं जाने लगा तो मेरी नज़र फरजाना पे पड़ी जो क बड़ी अजीब नज़रों से मेरी तरफ देख रही थी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने एक नज़र फरजाना की तरफ देखा लेकिन नज़र चुरा के अपने रूम मैं चला गया [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तो कुछ ही देर के बाद फरीदा मेरे लिए नाश्ता ले आरी और मेरे सामने झुक के नाश्ता रख के वेसे ही खड़ी हो गई झुकी होई और मेरी आँखों मैं झँकते हो बोली भाई कुछ और भी चाहिए है क्या[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने सर उठा के फरीदा की तरफ देखना चाहा तो मेरी नज़र उस के खुले गले की क़मीज़ मैं चली गई तो मैने देखा के उस के कोमल और सॉफ्ट दूध की तरह सफ़ेद बूबस वो भी बिना ब्रा के मेरी आँखों के सामने लहराते हो नज़र आए तो मेरी नज़र वहीं टिकी रह गई[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी तरफ से कोई जवाब ना मिलने पे बाजी ने एक बार फिर से पूछा भाई कुछ और चाहिए है क्या तो मैं हडबडा सा गया और फरीदा बाजी के फेस की तरफ देख के बोला [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]नहीं कुछ नहीं बस बहुत है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरीदा बाजी अब भी ऐसे ही मेरे सामने झुकी रही और उन की आखेँ उस वक़्त हल्की हल्की लाल भी नज़र आ रही थी मुझे और ऐसे ही झुके हो बोली भाई दूध ला दूँ आप को[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने इनकार मैं सर हिला दिया और नाश्ता करने लगा तो बाजी खड़ी हो गई और बोली क्या बात है भाई आप बाजी का लाया हुआ दूध तो बड़े शोक़् से पीते हो लेकिन मुझे मना कर रहे हो[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब मैं समझ गया के फरीदा असल मैं क्या बोल रही है और किस तूने मैं बोल रही है [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तो मैं भी ज़रा रिलॅक्स हो के बोला अरे नहीं बाजी ऐसी कोई बात नहीं है मैं तो आप का दूध भी पीने को तैयार हूँ...ऊओ... मेरा मतलब है के आप का लाया हुआ दूध लेकिन अभी नहीं [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]क्यों भाई अभी क्यों नहीं क्या मेरे हाथ खराब हैं जो आप मेरा लाया हुआ दूध अभी नहीं पीना चाहते तो मैं हंस दिया और बोला नहीं बाजी ऐसा कुछ नहीं है बस अभी दिल नहीं चाह रहा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरीदा बाजी मायूस सी हो गई और वापसी के लिए मूड गई और फिर गर्दन घुमा के मेरी तरफ देख के बोली भाई रात को तो ले आऊँ ना आप के लिए दूध तो मैने कहा नहीं बाजी लाती हैं मेरे लिए तुम नहीं लाना[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरीदा बाजी खामोशी से चली गई तो मैने नाश्ता ख़तम किया और बर्तन साइड पे रख दिए और एक नॉवेल निकल के बैठ गया क्यों की आज बारिश हो रही थी इस लिए मैं खेतों की तरफ नहीं गया [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बर्तन उठाने के लिए अम्मी आई और बर्टन उठाते हो बोली विक्की क्या बात है तुम ने फरीदा को कुछ बोला है जो उस का फेस उतरा हुआ है तो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने अम्मी को सब कुछ बता दिया तो अम्मी मेरी बात सुन क बोली हूउऊन्न्ं तो लगता है के फरीदा ने अब खुद से ही फ़ैसला कर लिया है इस खेल मैं शामिल होने का तो फिर क्या इरादा है तुम्हारा क्या करना है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने अम्मी की बात सुन के कहा नहीं अम्मी मैं ये इरादा कर चुका हूँ की मैं फरीदा बाजी की सील अबू से ही तुद्वाऊंगा और अगर बाजी शामिल होना ही चाहती है तो उसे अबू से करवाना हो गा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी कुछ सोच के बोली नहीं बेटा ऐसा मुश्किल है तुम उस के भाई, तुम्हारे साथ वो फिर भी आपने आप को तैयार कर चुकी है लेकिन अबू के साथ वो शैयद हिम्मत ही ना कर सके[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]चलो अम्मी देखते हैं कुछ सोचते हैं लेकिन पहले वो आप के या बाजी के साथ ज़रा खुल के बात तो करे उस के बाद इस मसाला का हाल भी निकल ही आएगा आप परेशान नहीं लो किसी किस्म की[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी मेरी बात सुन के खामोशी से वापिस चली गई तो मैं फिर से नॉवेल पढ़ने मैं लग गया और टाइम कब गुज़रा पता ही नहीं चला और 11 बजे के करीब बिल्लो के आने पे सीधा हो के बैठ गया[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बिल्लो मेरे पास आ के बैठ गई और मेरी आँखों मैं झँकते हो आहिस्ता आवाज़ मैं बोली विक्की तुम ने रात क्या किया है फरजाना के साथ[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं... हेरनी से बिल्लो की तरफ देखते हो बोला क्या मतलब मैं समझा नहीं क्या कर दिया मैने[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बिल्लो.... विक्की ज़्यादा हरामी पन नहीं करो और सीधी बात बताओ क्यों की अभी कुछ देर पहले फरजाना ने मुझे सब बता दिया है [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं.. बिल्लो की बात सुन के मैं खामोश हो गया और थोड़ी देर तक बिल्लो की तरफ देखता रहा और बोला जुब मैने तुम से मदद के लिए बोला था तब तुम ही मेरी मदद कर देती तो मुझे ये नहीं करना पड़ता[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बिल्लो...... मेरी गालों पे किस करते हो बोली विक्की किया तो तुम ने हरामी पन ही था[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन सच पूछ तो सच ये है की मैं उसी दिन से फरजाना को इस बात के लिए आहिस्ता आहिस्ता तैयार कर रही थी और मैने उसे तुम्हारे फरी और अपने और तुम्हारे अबू के बारे मैं भी आहिस्ता आहिस्ता सब बता दिया था [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन जुब रात तुम ने फरजाना के साथ मस्ती की तो उस वक़्त वो जाग रही थी और तुम्हारे साथ मस्ती को पूरी तरहा एंजाय करती रही है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं बिल्लो की बात सुन के हका बका रह गया क्यों की मुझे ज़रा भी एहसास नहीं हुआ था की फरजाना उस वक़्त जाग रही थी और पूरा मज़ा ले रही थी मेरी शकल पे शैयद कुछ ऐसे तसूरत थे की जिन को बिल्लो ने भी महसोस कर लिया और बोली अब कोई गड़बाद नहीं करना [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]1 2 दिन मैं मैं खुद तुम्हें ब्ताओंगी की कब तुम्हारा काम हो सकता है उस के बाद एंजाय करना लेकिन फिर मेरे साथ किया हुआ वादा भी पूरा करना पड़े गा तुम्हें जो मेरे साथ किया था[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने खुशी के मारे बिल्लो को सीने से लगा लिया और एक किस भी कर डाली और बोला यार तुम जो बोलो गी करूगा बस एक बार मेरा ये काम कर दो जो तुम बोलोगी माँग लेना जो माँगना हो[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बिल्लो मेरी बात सुन के बोली चलो ठीक है मैं अभी चलती हूँ घर मैं भी थोडा काम है और निकल गई तो मैं फरजाना की चुत का सोच के ही लूँद खड़ा होने लगा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जिसे मैं हाथ मैं ले के मसालने लगा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाकी का दिन मैने घर पे ही नॉवेल पढ़ते और लूँद मसालते गुज़ारा और रात भी ऐसे ही गुज़र गई क्यों के अभी तक कुछ समझ नहीं आ रही थी की क्या कराईं क्यों की फरीदा की तरफ से अभी तक किसी किस्म का खुला इशारा भी नहीं मिल पा रहा था की वो क्या चाहती है [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और ये हमनें तब तक पता नहीं चल सकता था क वो जुब तक खुद बाजी या अम्मी से बात ना कर ले क्यों क मेरे साथ या अबू के साथ तो वो इतनी बड़ी बात कर नहीं सकती थी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तो हम लोग अब इंतज़ार मैं थे[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अगली सुबह मैं उठा और नहा के नाश्ते के लिए बेता इंतज़ार कर रहा था की फरीदा मेरे लिए नाश्ता ले के आ गई और मेरे सामने झुक के नाश्ता रख के और पानी रखते हो मेरी तरफ देखे बिना बोली भाई क्या आज भी दूध नहीं पियोगे आप[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने अब फरीदा की क़मीज़ मैं से निकालने की कोशिश करते बूबस को देख रहा था [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जिसे फरीदा भी नोट कर चुकी थी लेकिन ना तो वो कुछ बोली और ना ही सीधी होई उस वक़्त फरीदा एक वाइट सलवार क़मीज़ मैं थी जो की उसे काफ़ी टाइट भी था और झुकने से उस के काफ़ी बूबस भी बाहर को निकालने की कोसिस मैं थे[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब मैने भी फरीदा बाजी के बूबस से नज़र हताए बिना ही कहा नहीं बाजी अभी नहीं लेकिन पियोंगा ज़रूर लेकिन बाद मैं क्यों की मैं चाहता हूँ की आप मुझे बाद मैं पिलाओ [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब की बार बाजी ने मेरी तरफ सर घुमा के देखा और सीधी खड़ी हो गई और बोली क्या मतलब भाई मैं कुछ समझी नहीं आप की बात को ज़रा ठीक से समझा दो तो ठीक रहे गा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब मैने सर झतका और बाजी की तरफ देखे बिना नाश्ता अपनी तरफ खींचा और बोला [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी मेरा मतलब है की आज कल मेरा दूध पीने का मान नहीं हो रहा तो बाद मैं जुब मान हो गा तो आप को बता दूंगा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी अजीब सी नज़रों से मेरी तरफ देखती और अपने होन्ट कटी रूम से निकल गई तो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं नाश्ते मैं लग गया और नाश्ता ख़तम कर के बाजी फरीदा के बारे मैं सोचने लगा की [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आख़िर फरीदा एक लड़की हो के इतना एक्सपोज़ कर रही है मेरे सामने चाहे मेरी बड़ी बेहन ही सही लेकिन मैं समझ सकता था क ये फरीदा के लिए कितना मुश्किल था और ऊपर से मेरी तरफ से बार बार नज़र अंदाज़ किया जाना भी उसे यक़ीनन हार्ट करता हो गा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन मैं भी क्या करता मेरा दिल ही नहीं मान रहा था फरीदा को छोड़ने के लिए क्यों की मैं इरादा कर चुका था की बाजी फरीदा की चुत का रास्ता अबू के लंड से ही खुलेगा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उस के बाद चाहे बाजी फरीदा सारी ज़िंदगी मेरे इलावा किसी और से ना चुडवाए मुझे परवा नहीं थी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]खैर मैं उठा और खेतों पे जाने लगा तो देखा के बाजी घर पे ही थी तो मैने बाजी से पूछा के बाजी आप आज खेतों पे नहीं गई अबू के साथ तो इस से पहले की बाजी फरी कोई जवाब देती [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उस के पास ही बैठी फरीदा झट से बोल पड़ी की भाई आज से अम्मी जाया कराईं गी खेतों पे और बाजी अब घर पे ही रहा कराईं गी तो मैने हूउऊन्न्ं की आवाज़ निकली और घर से निकल के खेतों की तरफ चल दिया [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अभी मैं कुछ दौर ही गया था क मुझे सामने से अपना यार सलीम आता हुआ [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]नज़र आया जो क मुझे देख के खड़ा हो गया था और जुब मैं उस के पास पंहुचा तो वो बड़े घौर से मुझे देखते हो बोला यारा रुक जा ज़रा मुझे अच्छी तरह देख तो लेने दे क एईद का चाँद होता कैसा है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं सलीम की बात सुन के हंस दिया और बोला आबे छोड यार क्यों ड्रामा करता है मेरे साथ तो सलीम भी हंस दिया और बोला यार मैं ड्रामा नहीं कर रहा अब तो खुद ही देख और सोच ले क कितने दिन हो गये हैं हमनें गांव आए हो और हम बस एक बार ही मिले हैं और अब तो कोल्ग भी खुलने वेल हैं[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं सलीम की बात सुन के चौंक गया और बोला हन यार मुझे तो याद ही नहीं रहा क हुमारी छूतियाँ ख़तम होने वाली हैं और अब जल्द ही हमनें कोल्ग भी जाना है नहीं गये तो बस पकई छूटी ही मिले गी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सलीम मेरी बात सुन के बोला कहाँ रहते हो भाई जहाँ तुम्हें अपनी और कोल्ग और अपने दोस्तों मैं से किसी की भी खैर खबर नहीं है सब ठीक तो है ना क यहाँ कोई पारी मिल गई है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आबे नहीं यार अपनी ऐसी क़िस्मत कहाँ क कोई पारी हमनें भी घस्स डाले हम तो बस देख के अहीन ही भर सकते हैं बाकी सारा दिन अबू के पास खेतों मैं ही बेता रहता हूँ [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कुछ हाथ बता देता हूँ उन का ( अब असल बात तो मैं उसे नहीं बता सकता था क आज कल किन माज़ों मैं था मैं जिस की वजा से मुझे किसी चीज़ का या कोल्ग का ना तो होश था ना ही फिकेर)[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ऐसे ही हम दोनो दोस्त साइड मैं बैठ गये और गुपैयन मरते रहे फिर कोई 10 बजे के करीब सलीम ये बोलता हुआ चला गया क अच्छा यार शाम को मिलना तुझे आज फिर से थोडा मज़ा करवाता हूँ और निकल गया तो मैं भी अपने खेतों की तरफ चल दिया [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जहाँ अम्मी और अबू चारा काट रहे थे[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने वहाँ इधर उधर देखा तो मुझे कहीं चारपाई नज़र नहीं तो मुझे याद आया की कल सारा दिन बारिश होती रही है तो चारपाई रूम मैं रख दी हो गी अबू ने के खराब ही ना हो जाए[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ये सोच आते ही मैं रूम मैं जा घुसा लेकिन वहाँ जाते ही मेरी पहली नज़र जिस मंज़र पे पड़ी मैं वहीं का वहीं जैसे थम से गया क्यों क वहाँ कोई लड़की खड़ी होई थी और कुछ ऐसी हालत मैं थी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं अब ऐसी ही खड़ा देखता रहा और सोच मैं पड़ गया की ये कौन हो सकती है जो यहाँ अपने कपड़े पहन रही है क्यों क वो जो कोई भी थी ट्यूबवेल पे नहाने के बाद अब गीले कपड़े जो क यहाँ से ही पहने थे उतार के अपने पहन रही थी क अचानक [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]शैयद उस लड़की को भी एहसास हो गया क रूम मैं कोई और भी घुस आया है तो उस ने पीछे मूड के देखा तो मैने जाना क वो बिल्लो थी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बिल्लो की आँखों मैं मुझे देखते ही चमक से उभर ऐइ और वो मेरी तरफ पूरी तरफ घों गई और बोली अरे विक्की तुम कब आए तो मैने कहा अभी अभी आया हूँ और ये जान लेवा मंज़र देख के खोया ही था के तुम ने देख लिया[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बिल्लो मेरी बात सुन के मुस्कुराती आँखों से मेरी तरफ देखते हो बोली विक्की अब तो मैं भी तुम्हारी हूँ और ये जान भी जुब दिल चाहे खुद मुझ मैं खो जाओ या मुझे अपने आप मैं सामो लो मैं तुम्हें मना थोडा ही करूगी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब मैं आगे बढ़ा और बिल्लो के सामने जा खड़ा हुआ और बिल्लो का फेस बलों से पकड़ के थोडा ऊपर किया और उस के लीप,स के साथ अपने लीप,स को मिला के किस करने लगा जिस मैं बिल्लो भी पूरी तरह मेरा साथ देने लगी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]थोड़ी देर तक हम ऐसे ही किस करते रहे और फिर बिल्लो ने ही मुझे खुद से अलग किया और बोली चलो अब निकलो यहाँ से इस से पहले की तुम्हारी अम्मी यहाँ आ जाय तुम निकलो[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]यहाँ से मैं कपड़े बदल के आती हूँ बाहर फिर बताईं कराईं गे और आज कुछ ख़ास्स बात भी करनी है मैने[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं बिल्लो की बात सुन के खुश हो गया क्यों क मैं समझ रहा था क बिल्लो ने जो भी ख़ास्स बात करनी है वो ये ही हो सकती है की फरजाना तैयार है और इसी खुशी मैं [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने फिर से बिल्लो के साथ चिपकना चाहा तो उस ने मुझे ढाका दे के हटाया और बोली यार तुम निकलो बाहर [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं बिल्लो की तरफ देख के बोला यार तुम अम्मी की टेन्सन नहीं लो अम्मी ने अगर देख भी लिया तो कोई मसाला नहीं है वो कुछ नहीं बोलेंगी तुम्हें तो बिल्लो ने कहा हाँ मुझे पता है लेकिन मैं फिर भी अभी उन के सामने ऐसा कुछ नहीं कर पावंगी मुझे शरम आए गी उन से पल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ विक्की मान जाओ मेरी जान अभी जाओ यहाँ से और मुझे कपड़े पहन लेने दो[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं बिल्लो की बात मानते हो बोला ठीक है लेकिन एक शर्त पे जाओंगा की तुम ये गीली क़मीज़ भी उतार के एक बार मेरे सामने नंगी हो जाओ तो जाओंगा वरना जो भी हो मैं नहीं जाने वाला समझी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बिल्लो ने बेबसी से मेरी तरफ देखा और बोली विक्की वेसे तुम ना हो बड़े कामीने और इतना बोलते ही अपनी गीली शर्ट भी उतार डाली और मेरे सामने पूरी नंगी खड़ी हो गई और बोली अब खुश[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं बिल्लो को अच्छी तरह देखते हो बोला अब बस कहाँ जान-ए-मान अब तो और भी नियत खराब हो रही है तो बिल्लो ने मुझे ढके देते हो रूम से निकल दिया और दरवाजे को अंदर से बंद कर लिया और फिर कपड़े पहन के ही रूम से बाहर आई तो तब तक मैं टुबेवेल के किनारे पे बेता अम्मी और अबू को धान (राइस) की फसल मैं काम करते हो देखता रहा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बिल्लो बाहर आ के मेरे पास ही बैठ गई और मेरी तरफ देखते हो बोली हन तो विक्की अब बताओ क्या इरादा है तुम्हारा फरजाना तो तैयार है लेकिन वो शर्मा रही है बोलती है की उस मैं इतनी हिम्मत नहीं है वो तुम्हारे साथ कुछ कर सके[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बिल्लो की बात ख़तम होते ही मैं जल्दी से बोल पड़ा तो फिर अब क्या हो गा तो बिल्लो मेरी बेसब्री पे हंस पड़ी और आहिस्ता से बोली वेसे [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]विक्की हो तुम भी कोई पके बहनचोद कितनी जल्दी है तुम्हें अपनी ही बेहन को काली से फूल बनाने की [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने भी बिल्लो की बात पे हंस पड़ा और बोला हाँ यार वाएसे बात तो तुम्हारी भी कुछ ग़लत नहीं है लेकिन खैर छोडो इन बातों को ये बताओ क अब क्या करना पड़े गा क्या कहती है फरजाना[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बिल्लो ठंडी आअहह भरते हो बोली वो तैयार तो है लेकिन जो भी करना हो गा तुम्हें खुद ही करना हो गा क्यों की वो अपने आप मैं इतनी हिम्मत नहीं पति लेकिन वो तुम्हें किसी भी काम से मना नहीं करे गी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बिल्लो की बात सुन के मैं सोच मैं पड़ गया और बोला यार तो फिर तुम ये भी बता डालो क मैं आख़िर करू क्या तो बिल्लो ने कहा क तुम ने उस दिन जिस तरह रात फरजाना के साथ मस्ती की थी आज रात फिर से उस के रूम मैं चले जाना लेकिन आज का प्लान ये हो गा की [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तुम पूरी आज़ादी के साथ उसे जिस तरह मर्ज़ी छोड़ना वो तुम्हारा साथ देगी लेकिन खुद कुछ नहीं करेगी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं बिल्लो की बात सुन के चुप हो गया और फिर कुछ सोचते हो बोला ठीक है बिल्लो मैं फरी बाजी से बात करता हूँ फिर आज ये काम भी कर ही डालते हैं तुम फरजाना को बता देना क तैयार रहे आज [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बिल्लो के साथ कुछ देर तक और इस बारे मैं बात करने के बाद मैं उठा और घर को चल दिया बिल्लो के साथ ही और बिल्लो भी मेरे साथ ही हुमारे घर आ गई और फरजाना के पास चली गई तो मैं बाजी को इशारा करते हो अपने रूम मैं चला गया तो बाजी भी मेरे पीछे ही रूम मैं आ गई[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने बाजी को अपने पास बैठने के लिए बोला और फिर सारी बात जो बिल्लो के साथ होई थी बता दी तो बाजी कुछ देर तक सोचती रही और फिर खुद ही हंस दी और खड़ी हो के बोली [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं अभी आती हूँ और रूम से बाहर निकल क बिल्लो को आवाज़ दे के बुला लिया जो की बाहर फरजाना के साथ ही बैठी होई थी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बिल्लो के आने के बाद बाजी ने एक बार उस से सब कुछ पूछा और फिर बिल्लो की तरफ देखते हो बोली यार तुम ऐसा करो क एक बार इस बारे मैं मेरे सामने फरजाना से बात करो फिर मैं भी तुम्हारे साथ मिल के उसे संभाल लून गी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी की बात सुन के मैं बोला लेकिन बाजी करना क्या चाहती हो कुछ पता तो चले तो बाजी ने कहा देखो भाई फरजाना की शरम अपनी जगह ठीक है क्यों की [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तुम बाहर के कोई अंजन होते तो इतना मसाला नहीं था लेकिन तुम उस के बड़े और सगे भाई हो लेकिन मैं ना सिर्फ़ लड़की हूँ बलके उस की बड़ी बेहन भी हूँ मैं उसे समझा लूगी तुम ये मुझ पे छोड दो और मज़े करो[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं बाजी की बात सुन के खामोश हो गया तो बाजी बिल्लो का हाथ पकड़ के उठ खड़ी होई और बोली चलो ज़रा फरजाना के पास बैठते हैं और दोनो मेरे रूम से निकल गई तो मैं वापिस बिस्तेर पे लेट गया और सोचने लगा क कहीं बाजी सारा काम ही ना खराब कर डाले लेकिन मैं कुछ कर भी तो नहीं सकता था[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]खैर काफ़ी टाइम गुज़र गया और दुपेहर का खाना भी खा लिया जो की फरीदा ही लाई थी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरे लिए लेकिन मैने उस से भी कोई बात नहीं की और खाने के बाद कुछ देर नॉवेल मैं बिज़ी रहा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]3 बजे तक भी बाजी मेरे रूम मैं नहीं तो मैं बुक को साइड पे रख के सो गया और जुब आँख खुली तो 6 से ऊपर टाइम हो चुका था मैने उठ के हाथ मुह धोया और वापिस रूम मैं आ के बैठ गया और [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी को आवाज़ लिगाई की पानी पीला दूँ बाजी मेरे लिए पानी ले के आई तो मैने . से बाजी की तरफ देखा और पानी पकड़ लिया [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और बोला क्या बात होई फरजाना से आप की तो बाजी हंसते हो बोली यार मारे क्यों जा रहे हो कुछ ना कुछ हो ही जाए गा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी इतना बोल के फिर से निकल गई और मैं बेता बाजी को कोस्टा रहा क्यों क बाजी कुछ भी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]नहीं बता रही थी और मैं इसी टेन्सन और सोचों से परेशान था क आख़िर क्या बात होई हो गी और क्या फरजाना मान जाएगी क्या हो गा लेकिन मुझे कोई भी कुछ ब्ताने को तैयार नहीं था[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]खैर रात होई खाना खाया गया और मैं फिर से अपने रूम मैं जहाँ आज का सारा दिन ही निकल गया था मेरा रूम मैं मैं अकेला लेटा हुआ तंग आ चुका था और मेरा दिल चाह रहा था क मैं ऊपर छत पे चला जाओं तो मैं उठा और रूम से निकल के छत पे आ गया और वहाँ खुद ही बिस्तेर बिछा के लेट गया [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कोई 1 अवर गुज़रा हो गा क बाजी मुझे धौंदती होई ऊपर आई और मुझे देखते ही बोली क्या भाई पूरा घर छान मारा तुम्हें ढूँदने के लिए और तुम हो क यहाँ आराम से लेते हो हो[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]क्यों आप को क्या काम था मेरे साथ जो पागलों की तरह पोर घर मैं धौंदती फिर रही हो तो बाजी मेरा लहज़ा सुन के हंस दी और बोली भाई काम था नहीं तुम ज़रा चलो मेरे साथ फिर बतती हूँ[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मुझे नहीं जाना कहीं भी और ना ही मुझे आप के किसी काम से कोई मतलब है आप जाओ यहाँ से मुझे नींद आ रही है सोना है मुझे तो बाजी मेरे पास बैठ गई और बोली अलेलएलएलएलएलएले मेरा राजा भैया नाराज़ हो गया है अपनी बाजी से चलो मैं अपनी भाई को खुश करती हूँ[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने अब कोई जवाब नहीं दिया और मुह फूला के लेटा रहा तो बाजी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे चारपाई से उठा दिया और अपने साथ नीचे की तरफ ले चली और मेरे रूम की तरफ जाने की ब्ज़ाएे फरजाना के रूम की तरफ चल दी तो मेरे दिल की धड़कन तेज़ होने लगी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरजाना के रूम की तरफ बाजी के जाता देख के थोडा बोखला गया और बाजी को वहीं रोक दिया और बोला बाजी कुछ मुझे भी तो बताओ क आप की फरजाना के साथ क्या बात होई है और अब मुझे क्या करना है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी रुक गई और मेरी तरफ देखते हो बोली भाई उसे मैने अपने और तुम्हारे बारे मैं सब कुछ बता दिया है लेकिन अम्मी और अबू का अभी नहीं ब्टाया क्यों क मैं नहीं चाहती थी क फरजाना अम्मी अबू का सुन के घबरा जाए तो बाकी अब वो खुद भी तैयार है [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तुम से छुड़वाने के लिए क्यों क मैने उसे अच्छी तरह समझा दिया है क अगर वो मज़ा लेना चाहती है तो तुम्हारे साथ कर ले क्यों क इस से घर की बात घर मैं ही रह जाए गी और इज़ात दर भी बनी रहे गी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं बाजी की बात सुन के खुश हो गया और बोला वेसे बाजी आप हो बड़ी हरामी चीज़ ये कोई मैं आप के मुह पे तारीफ नहीं कर रहा बलके ये ही सच है और हंस दिया तो बाजी का मुह बन गया मेरी बात सुन के और वो अपना मुह फूलटे हो बोली अच्छा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बचु जी ये बात है तो फिर ठीक है मैं भी अभी जा के फरजाना को मना कर देती [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]हूँ फिर देखों गी मैं क तुम फरजाना के नज़दीक भी कैसे जाते हो अब तुम उस से बात भी ना कर सको गे[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अरे अरे बाजी मैं तो आप से मज़ाक कर रहा था आप तो सच मच की नाराज़ हो गई हैं तो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी भी हंस दी और बोली तो मैं कों सा सच मैं बोल रही थी मज़ाक ही कर रही थी अब यहाँ खड़े बताईं ही किए जाओ गे फरजाना के पास नहीं जाना है क्या और मुझे रूम की तरफ ढाका दे दिया[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं नहीं हिला अपनी जगा से और बाजी के हाथ पकड़ के बोला लेकिन बाजी मैं बोलोंगा क्या फरजाना से जा के क्या बात करूगा कुछ तो बता दो मुझे [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तो बाजी हल्की आवाज़ मैं हहेहेहहे कर क हँसी और बोली भाई मैने बता तो दिया है क मैने उस को सारी बात बता भी और समझा भी दी है अब वो तुम्हें कुछ नहीं कहेगी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं समझ सकती हूँ की तुम्हारी फॅट रही होगी [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]इस वक़्त लेकिन ऐसा करो क रूम मैं चले जाओ वो इंतजार कर रही है तुम्हारा अगर हिम्मत ना हो रही हो तो कुछ मत बोलना बस अपना काम कर लेना जिस के लिए जा रहे हो वो तुम्हें कुछ नहीं कहे गी और ना ही मना करेगी मेरे भोले राजा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं बाजी की बात सुन के फरजाना के रूम की तरफ चल दिया सच पौछ तो उस वक़्त मेरा दिल इस तरह धड़क रहा था क जैसे सीना चियर के बाहर निकल आए गा और पावं भी काँप रहे थे [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मुझे इस तरह क़दम बधता देख के बाजी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली कुछ नहीं होता भाई और मुझे फरजाना के रूम के दरवाजे तक ले गई और दरवाजे खोलते हो बोली दरवाजे अंदर से बंद कर लेना और मुझे अंदर धकील दिया[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी के ढके से मैं जैसे ही रूम मैं इन हुआ तो देखा के सामने मेरी छोटी बेहन फरजाना पूरी तैयारी से बेती होई थी और मुझे दरवाजे से अंदर आते हो ही देख रही थी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तो फरजाना को इस तरह सज़ा सँवरा देख के मैं वहीं जैसे जाम सा गया और अपनी बेहन पे सदके वारी जाने लगा[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जैसे ही हम दोनो की नज़रै आपस मैं मिल्ली तो फरजाना का फेस मैं शरम से लाल होता देखा और उस ने अपना सर भी झुका लिया और अपनी फिंगर मरौड़ने लगी तो [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने पीछे मूड के देखा तो वाहा अब कोई भी नहीं था तो मैने दरवाजे बंद किया और फरजाना की तरफ देखने लगा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरजाना को इस तरह बेता देख के मुझे ऐसा लग रहा था की जैसे आज मेरी और फरजाना की गैर रस्मी सी सुहागरात हो क्यों की फरजाना के बिस्तेर की साइड पे रखे टेबल पे मुझे दूध और कुछ फ्रूट भी रखा हुआ नज़र आ रहा था[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब मैं आगे बढ़ा और फरजाना के पास जा के बैठ गया तो मुझे कुछ समझ नहीं आ रही थी की आख़िर करू तो क्या और सही मीनिंग मैं मुझे अब पता चल रहा था क किसी कुँवारी लड़की के पास बैठ के उस से बताईं करना वो भी ऐसे मोका पर कितना मुश्किल होता है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब मुझे हल्का पसीना भी आ रहा था और अपनी इस हालत पे मुझे हेरनी भी हो रही थी क्यों की मैं आज कोई पहली बार किसी लड़की को छोड़ने नहीं जा रहा था मैं पहले भी चुदाई कर चुका था और वो भी अपनी सग़ी अम्मी और बेहन की बेहन की तो मैं सील भी तोड़ चुका था लेकिन तब मुझे याद आया क अम्मी और फरी बाजी ने खुद पेश क़दमी की थी लेकिन यहाँ मुआंला और था[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अभी मैं इन ख्याल मैं ही था की मेरे सामने एक ग्लास आ गया जिस मैं के दूध था मैने ग्लास की तरफ से नज़र हटा के फरजाना की तरफ देखा तो वो अब भी अपना सर झुका के बैठी थी लेकिन उस के एक हाथ मैं दूध का ग्लास था जो क उस ने मेरे सामने कर रखा था[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने दूध ले लिया और आधा ग्लास दूध खुद से पी लिया और बाकी फरजाना की तरफ बड़ा दिया तो उस ने ग्लास पकड़ लिया और सवालिया नज़रों से मेरी तरफ देखने लगी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तो मैने अब हिम्मत की और बोला ये बाकी दूध तुम पियो इस से हुमारा प्यार और भी बढ़ेगा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी बात सुन के फरजाना का रंग जो की शर्म से अब भी हल्का लाल था और भी लाल होने लगा तो उस ने नज़र झुका ली लेकिन कुछ देर बाद आहिस्ता आहिस्ता बाकी का दूध पी गई तो मैने अब अपनी पेश क़दमी शरू की क्यों क मैं समझ रहा था क चाहे सारी रात ऐसे ही गुज़र जाए फरजाना ना तो कुछ बोले गी और ना ही कोई हिम्मत करे गी जो भी करना है मुझे ही करना है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब मैं अपनी टांगे बिस्तेर के ऊपर रख के बैठ गया और फरजाना की थोड़ी(चीन) के नीचे अपना हाथ रखा और उसे ऊपर उठा दिया तो उस का फेस मेरे सामने आ गया लेकिन उस ने अब भी अपनी आखेँ नहीं उठाई [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं अब फरजाना का फेस उठाये बड़े ही प्यार से देखे जा रहा था की फरजाना शरमाते हो अपना फेस घुमा गई[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आ मैने फरजाना के दुपते को पकड़ा और खींच के हटा दिया लेकिन उस ने मेरा हाथ नहीं रोका तो मैं उठ के थोडा फरजाना के करीब हो गया और उस के कंधों पे अपना हाथ रखते हो थोडा अपनी तरफ खींच लिया तो फरजाना बे जान अंदाज़ मैं मेरे सीने से आ लगी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब मैने बिना बात किए फरजाना की तरफ देख तो उस के लीपस लराज़ रहे थे जिन्हाइन देखते ही मैं बेचैन हो गया[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने आगे को फरजाना के ऊपर झुकते हो अपने लीपस को फरजाना के लीपस पे रख दिया और अपनी ज़ुबान उस के मुह मैं घुसा के किस करने लगा जिस मैं फरजाना भी मेरा साथ तो दे रही थी लेकिन कुछ ख़ास्स नहीं[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]थोड़ी देर किस करने के बाद मैं फरजाना के बूबस पे हाथ मारा और हल्का सा दबा दिया तो फॉरन फरजाना का हाथ अपने बूबस पे रखे मेरे हाथ पे आया और मेरा हाथ पकड़ लिया लेकिन किस करती रही [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर फरजाना ने अपने हाथ से जिस से मेरा हाथ अपने बूबस पे रोक रखा था मेरे हाथ को हल्का सा दबा दिया तो मैं अपने हाथ को उस के नरम और सॉफ्ट कुंवारे बूबस जिन पे आज तक किसी मर्द के हाथ नहीं पौहनचे थे दबाने और हल्के हल्के मसालने लगा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरे इस तरह बूबस को दबाने से फरजाना थोडा बेचैन होती जा रही थी जिस का अंदाज़ा मुझे उस की किस से भी होता जा रहा था क्यों क अब वो बुरी तरह मेरे लीपस को चूस रही थी मेरे बलों मैं भी अपनी उंगलियाँ घुमा रही थी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब मैने अपना हाथ फरजाना की क़मीज़ के गले पे रखा और उस की क़मीज़ के बटनों झतका मार के तोड़ दिए( जो क़मीज़ फरजाना ने पहन रखी थी उस मैं सामने 3 4 बातों लगे हो थे) और फरजाना को अपने साथ नीचे को गिरते हो खुद उस के ऊपर गिर गया और किस करने लगा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने आगे को फरजाना के ऊपर झुकते हो अपने लीपस को फरजाना के लीपस पे रख दिया और अपनी ज़ुबान उस के मुह मैं घुसा के किस करने लगा जिस मैं फरजाना भी मेरा साथ तो दे रही थी लेकिन कुछ ख़ास्स नहीं[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]थोड़ी देर किस करने के बाद मैं फरजाना के बूबस पे हाथ मारा और हल्का सा दबा दिया तो फॉरन फरजाना का हाथ अपने बूबस पे रखे मेरे हाथ पे आया और मेरा हाथ पकड़ लिया लेकिन किस करती रही फिर फ्रज़ना ने अपने हाथ से जिस से मेरा हाथ अपने [/font]


[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं अब फिर से फरजाना के पास बैठ गया और फरजाना की आँखों मैं झँकते हो फरजाना की क़मीज़ मैं हाथ डालने लगा तो फरजाना ने मेरे हाथ अपने हाथों से पकड़ लिए और लरज़ती होई आवाज़ मैं बोली नहीं भाईईईईई पल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ ये बौहत बड़ा है आप का[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरजाना की बात सुनते ही मैं बोला नहीं मेरी जान ये बड़ा नहीं है लड़कों के तो इस से भी बड़े होते हैं और वेसे भी तुम्हें डरना नहीं चाहिए क्यों क मैं जो भी करूगा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तुम्हारी मर्ज़ी और खुशी से ही करूगा अगर तुम देखो क दर्द हो रहा है और बर्दाश्त नहीं कर सको गी तो बता देना हूँ नहीं कराईंगे[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरजाना मेरी बात सुन के कुछ सोच मैं पड़ गई लेकिन उस की नज़र अब भी मेरे तगड़े लंड पे ही टिकी होई थी और [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जुब मैने देखा क अब वो कुछ नहीं बोल रही है तो मैने उस की क़मीज़ को ऊपर करने की कोसिस की तो उस ने कोई रुकावट नहीं डाली क़मीज़ उतरने मैं क़मीज़ के बाद मैने उस की एलस्टिक वाली सलवार को पकड़ के नीचे खींच दिया और पैरों से निकल के साइड मैं फैंक दिया तो फरजाना मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा और पनटी मैं रह गई[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब मैने फरजाना को बिस्तेर पे सीधा लिटा दिया और खुद उस की पनटी के पास बैठ गया और अपनी फिंगर अपनी सब से छोटी और प्यारी सी बेहन की पनटी मैं फँसा दी और हल्का सा नीचे कर दिया तो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसकी सॉफ और चिकनी बिना बलों वाली चुत के उपरी हिस्से को देखते ही पागल होने लगा[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अभी मैं पूरी तरह फरजाना की पनटी उतार भी नहीं आया था क फरजाना ने अपनी टांगे खींच के साथ जौड़ लीं और उठ के अपना सर अपने घुटनों मैं घुसा के बैठ गई[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरजाना के इस तरह बैठ जाने से मैं अपनी जगा छोड के उठा और फरजाना के बलों मैं अपनी फिंगर घूमते हो बोला क्या हुआ मेरी जान क्या अच्छा नहीं लग रा था जो उठ के बैठ गई हो[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन फरजाना कुछ नहीं बोली और ऐसे ही अपना सर घुटनों मैं दिए बेती रही तो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने उसे एक बार फिर से लिटा दिया जिस मैं उस ने कोई मुज़हमत नहीं की लेकिन जुब मैं फिर से उस की पनटी उतरने लगा तो [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरजाना अब की बार साइड पे करवट ले गई लेकिन मैने अब की बार उस की पनटी ज़रा ज़ोर लगा क उतार ही दी पनटी उतरते ही जुब मेरी नज़र फरजाना की कोमल और कुँवारी चुत पे गई तो मेरा और मेरे लंड दोनो का हाल्ल बुरा होने लगा फ्रज़ना की चुत देख के[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब मैं और ब्रदाश्त नहीं कर पाया और फरजाना की टाँगों को पकड़ के खोल दिया और खुद दरमियाँ मैं लेट गया और अपनी ज़ुबान फरजाना की गीली और पिंक चुत पे रख के हल्का सा घुमा दिया [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ज़ुबान के चुत से टच होते ही फ्रज़ना का जिस्म एक बार अकड़ गया और फिर उस के मुह से उन्म्मह सस्स्सीईईईईई क्या कर रहे हो भाईईईईईईईईई पल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ ऐसा नहीं करो मुझे कुछ हो रहा हाईईईईईईईईईईईईईईईईईई आअहह की आवाज़ैईन निकालने लगी और साथ ही वो मचल भी रही थी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने अपनी ज़ुबान फरजाना की चुत से हटा ले और सर उठा के फरजाना की तरफ देखते हो बोला [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]क्या होमे जान मज़ा नहीं आ रहा क्या जो मना कर रही हो तो फरजाना ने अपनी आखेँ बंद कर लीं और आहिस्ता से बोली भाई पल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ ऐसा नहीं करो ये गंदी होती है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मुझे फरजाना की बात पे हँसी आ गई और मैं हंसते हो बोला मेरी भोली बहना इस से अच्छी और प्यारी तो कोई चीज़ हो नहीं सकती और सच ब्ताना क्या तुम्हें मज़ा नहीं आया [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]क्या तुम्हारा दिल नहीं चाह रहा क मैं अपनी प्यारी सी गुड़िया बेहन की चुत को अच्छे से चाटू.[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरजाना अब की बार कुछ नहीं बोली और अपनी आखेँ बंद किए लेती रही तो मैं फिर से फरजाना की चुत पे झुक गया और अपनी ज़ुबान बाहर निकल के फरजाना की चुत पे ऊपर से नीचे तक घूमने लगा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब फरजाना मुझे मना नहीं कर रही थी बस अपनी चुत को मेरे मुह की तरफ हल्का हल्का दबा के मज़ा ले रही थी और साथ आअहह भाईईईईईईईईईईई उन्म्मह अच्छा लग रहा है पल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ भाई ऐसे ही चटूऊऊऊऊओ ऊऊहह भाईईईईईईईईईईईईईईई [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आप कितने आचे हूऊऊऊओ की आवाज़ निकल रही थी और पागल होती जा रही थी जैसे जैसे मैं अपनी ज़ुबान को तेज़ी से फरजाना की चुत पे घुमा के चाट रहा था और साथ ही केभी कभी हल्का सा काट भी देता था[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी इन हरकतों से मेरी छोटी बेहन और भी मचल उठती और आअहह भाईईईईईई पल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ काटूऊऊओ नैईईईईईईई ऊऊहह भाईईईईईईई मुझे कुछ हो रहा हाईईईईईईईईईईईई उनम्म्मममह भाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ऊऊहह की आवाज़ क साथ ही फरजाना की चुत मैं से पानी का सेलाब बह निकला जो के सारा मेरे मुह के ऊपर गिरा और कुछ मेरे मुह मैं चला गया जिसे मैं पी गया और बाकी चाट के सॉफ कर दिया[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरजाना अब निढाल सी पड़ी हांप रही जैसे कहीं बहुत दूर से भागती हुयो आयी हो और [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब मैं उठा और फरजाना के बूबस के पास जा बैठा और उस की साइड दिलवा के मैने ब्राका हुक भी खोल दिया और उस के बूबस को आज़ाद कर दिया और फरजाना को फिर से सीधा कर के फरजाना के बूबस पे झुक गया और उन्हें चूसने और दबाने लगा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]थोड़ी ही देर मैं फरजाना फिर से गरम होने लगी और मुझे अपने बूबस की तरफ सर को पकड़ के दबाने लगी तो मैने अपना सर हटा लिया और उठ के उस के मुह के पास जा बैठा [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अपना लंड अपनी प्यारी सी छोटी बेहन के मुह के पास कर दिया चुसवाने के लिए[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरजाना ने अपनी आखेँ उठा के मेरी तरफ देखा और फिर मेरे लंड की तरफ देखा और समझ गई की मैं क्या चाहता हूँ तो उस ने अपना सर साइड पे घुमा लिया और बोली नहीं [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]भाई पल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ मुझ से ये नहीं हो पाए गा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने भी ज़्यादा ज़ोर नहीं दिया और उठ के फ़रज़ाना के रूम मैं अलमारी से उसी का हेर आयिल निकल लाया और [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उस की रनो मैं जा बैठा और अपनी छोटी बेहन की टाँगों को फैला के आयिल उस की कुँवारी चुत पे लगा दिया और फिर अपने लंड पे भी अच्छा ख़ासा आयिल लगा के माल दिया और अपना लंड जैसे ही फरजाना की चुत पे रखा तो फरजाना ने मुझे रोक दिया [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और बोली भाई बिल्लो और बाजी बता रही थी की पहली बार काफ़ी दर्द होता ,मैने हाँ मैं सर हिला दिया तो फरजाना बोली भाई आप ऐसा करो की मेरे मुह मैं कोई कपड़ा रक्द दो और आप एक ही बार मैं पूरा घुसा देना जितनी भी दर्द होनी है एक बार ही हो जाए[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने फरजाना की बात मानते हो उसी का दुपटा उठा के उस की तरफ बडा दिया जिसे उस ने मुह मैं घुसा लिया और मेरी तरफ देखने लगी तो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने फरजाना की टाँगों को पूरी तरह उस के कंधों की तरफ फोल्ड कर दिया और खुद पूरा उस की टाँगों पे वज़न डालते हो अपना लंड फरजाना की चुत पे सेट कर के हल्का सा दबा दिया तो मेरा लूँद हल्का सा फरजाना की चुत मैं चला गया (मीन हाफ कॅप लंड की) [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने अपने दोनों हाथों को फरजाना के ऊपर झुकते हो उस की गर्दन के पीछे जमा लिए जिस से फरजाना बुरी तरह जकड़ी गई तो मैने पूरी जान और ताक़त लगा के लंड को ज़ोर दर झतका मारा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जिस से मेरा लंड फरजाना की चुत को पूरी तरह खोलता हुआ जड़ तक जा घुसा और फरजाना के मुह से घहूउऊउन्न्ञननननणणन् घहूओउउन्न्ञनननननननणणन् की आवाज़ निकालने लगी और आँखों मैं पानी भर आया और वो ज़ोर लगाने लगी मुझे अपने ऊपर से हटाने के लिए[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लंड के पूरा घुसते ही मैं वहीं रुक गया और कोई हरकत नहीं कर रहा था बस फरजाना को जकड़े हो उस के ऊपर पड़ा रहा लेकिन फरजाना मेरे नीचे बुरी तरह मचल रहा थी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तो मैने फरजाना की तरफ देखते हो कहा देखो फरजाना जितना ज़्यादा मचलो गी और ज़ोर लिगाओ गी दर्द उतना ही ज़्यादा हो गा आराम से पड़ी रहो गी तो दर्द अभी ख़तम हो जाए गा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी बात सुन के फरजाना ने मचलना तो बंद कर दिए लेकिन उस ने अपना सर को पटखना शरू कर दिया [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आँसू उस की आँखों से ऐसे निकल रहे थे क जैसे पानी गिर रहा हो किसी बर्तन से और दूसरी तरफ मुझे ऐसा लग रहा था की जैसे फरजाना की चुत मेरे लंड को जकड रही हो[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कोई 2 मिनट तक हम ऐसे ही पड़े रहे तो फरजाना का रोना और मचलना बंद हो गया तो मैने उसे थोडा ढीला छोड दिया और एक हाथ से उस के मुह से कपड़ा भी निकल दिया[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कपड़ा निकलते ही फरजाना सिसक उठी और रोते हो प्प्प्ल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ भाईईईईईईईईईई बाहर निकल लूऊऊऊऊओ बौहत दर्द हो रहा हाईईईईईईईईईई अभी निकल लो ईईईईईईईईईईईई बाद मैं कर लेना[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने फरजाना की तरफ देखते हो कहा मेरी जान अब तो हो गया जो दर्द होना था [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब तो बस मज़े ही मज़े होंगे और इतना बोलते ही अपने लंड को थोडा, बाहर निकाला और फिर से घुसा दिया तो फरजाना के मुह से आऐईयईईईईईईईईई मत करो भाई दर्द होता हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईई [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अभी नहीं हिलूऊऊऊ पल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं अब बिना कुछ बोले फरजाना के बूबस को दबाने और मसालने लगा और फिर एक बूब, को अपने मुह मैं भर के चूसने लगा तो फरजाना के मुह से आअहह की हल्की सी आवाज़ निकल गई जिसे सुनते ही मैने अपने लंड को आहिस्ता आहिस्ता इन आउट करना भी शरू कर दिया[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरा लंड फरजाना की चुत मैं काफ़ी टाइट था जिस की वजाह से मैं ज़्यादा तेज़ी से नहीं कर रहा था लेकिन फरजाना की टाइट चुत मैं लंड को आगे पीछे हिलने से जो मज़ा आ रहा था बता नहीं सकता[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कोई 2 मिनट तक फरजाना के बूबस को मसालने और चूसने के साथ हल्के हल्के फरजाना की चुत मैं अपना लंड भी चलता रहा तो उस के मुह से आअहह भाई अब अच्छा लग रहा हाईईईईईईईईईई उन्म्मह बस ऐसे ही करो भाई अब ज़ोर से नहीं करना ऊऊहह भाईईईईईईईईईईईईईईईई उन्म्मह की आवाज़ करने लगी और साथ ही अपनी गांड को भी हल्का सा मेरे लंड की तरफ दबाने लगी जिस की वजाह से मुझे ऐसा लगने लगा के मेरा अभी के अभी ही पानी छोड जाएगा तो मैने अपना लंड बाहर निकल लिया [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और जुब फरजाना की चुत पे मेरी नज़र पड़ी तो देखा की फ्रज़ना की चुत पे और मेरे लंड पे भी हल्का हल्का खून लगा हुआ था जो क मेरी अपनी छोटी बेहन की सील टूटने से निकला था[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लंड के बाहर निकलते ही फरजाना बोल पड़ी नहीं भाईईईईईहर नहीं निकालूऊऊऊओ पल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब ही तो मज़ा आ रहा था अंदर डल्ल्लूऊऊ भाईईईईईईईईईईईई पल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ फरजाना की बैचेनी [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]देख के [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने फिर से अपना लंड वापिस फरजाना की चुत मैं घुसा दिया जो के अब बड़े आराम से घुसा गया तो मैं इन आउट करने लगा तो फरजाना अपनी गांड को मेरे लंड पे दबाने लगी और आअहहभाईईईईई अब ठीक से मज़ा आ रहा हाईईईईईई ऊऊहह उंन्नमममह मुझे कुछ हो रहा हाईईईईईई भाईईईईई की आवाज़ करने लगी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तभी फरजाना की चुत ने पानी छोड दिया जो क मेरे लंड पे गिरा तो मुझ से कंट्रोल नहीं हुआ और मैं भी फ्रज़ना की चुत मैं ही फारिघ् हो गया और उस के ऊपर ही गिर गया[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]थोड़ी देर तक मैं फरजाना के ऊपर ही लेटा रहा और अपनी साँस बहाल करता रहा फिर मैं उठा और फरजाना के ऊपर से हट गया और उस का दुपटा उठा के फरजाना के चुत पे रख दिया की जिस से वो अपनी चुत को सॉफ कर सके जिस पे मेरे लंड के पानी के साथ फरजाना की चुत से निकला हुआ खून और लोवे जूसीए भी लगा हुआ था[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरजाना ने मेरी तरफ देखे बिना अपने दुपते से अपनी चुत को अच्छी तरह सॉफ किया [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन अपना फेस मेरी तरफ नहीं किया तो मैने फरजाना की तरफ करवट ली और उस के ऊपर अपना हाथ रख के फरजाना को अपनी तरफ खींच लिया और बोला फरजाना क्या बात है [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कुछ बात तो करो यार[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरजाना अब भी कुछ नहीं बोली लेकिन अब उस के फेस पे हल्की सी और दिलकश प्यारी सी मुसकन आ गई थी [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने उस की गालों पे हल्की किस की और बोला अच्छा ये तो बताओ कुछ मज़ा भी आया की नहीं या फिर दर्द ही होती रही मेरी जान को[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरजाना का फेस अब लाल हो गया और उस ने साइड से एक चादर खींची और अपने ऊपर कर ली और बोली पल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ भाई आप जाओ अभी मुझे कोई बात नहीं करनी है आप से आप भुत गंदे हो, और मेरे सीने से चिपक गयी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरजाना का जुमला सुन के मैं भी मुस्कुरा दिया. [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]थोड़ी देर की बाद एक किस करके और बिना कुछ बोले बिस्तेर से उठ खड़ा हुआ और अपने कपड़े उठा के पहनने लगा तो देखा के फरजाना एक टिक मेरे लंड की तरफ देखे जा रही थी तो मैं फरजाना की तरफ बढ़ते हो बोला [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लगता है मेरी जान का दिल नहीं चाह रहा की मैं यहाँ से जाओं, तो फिर चलो एक बारऔर हो जाए[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरजाना मेरी बात सुन के पुतले सी हो गई और झट से अपनी आखेँ इधर उधर घूमते हो कहा पल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ भाई अप जाओ ना यहाँ से मुझे अभी कपड़े भी पहन,ने हैं[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरजाना की बात सुन के मैं हंस दिया और अपने कपड़े पहन के बिना कोई बात किए फ्रज़ना के रूम से निकला और अपने रूम मैं जा के लेट गया जहाँ मुझे काफ़ी देर तक नींद ही नहीं आ सकी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]खैर सुबह फरी बाजी के उठाने से मेरी आँख खुली तो मैने बाजी की तरफ देखते हो कहा क्या यार बाजी सोने दो ना क्यों सुबह सुबह ही मेरे सर पे सवार हो रही हो सोने दो ना[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी... मुझे कान से पकड़ के मरोदते हो बोली कामीने तुम्हें ये सुबह नज़र आ रही है देखो तो सही 9 बज चुके हैं और तुम ही क अभी तक गधों की तरह सो रहे हो अभी तक[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं... अरे बाजी गधे बेचारे को इतनी देर तक सोना कहाँ नसीब होता है आप चलो मैं अभी आता हूँ[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी... नहीं मुझे पता है तुम नहीं उठोगे अगर मैं चली गई तो इस लिए अभी उठो और नहा के आऊ [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं तुम्हारा नाश्ता लाती हूँ बाकी बताईं नाश्ते के बाद कराईंगे हम लोग[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं उठा और कपड़े उठा के बात रूम की तरफ चल दिया और नहा के वापिस अपने रूम मैं आ गया और नाश्ते का इंतजार करने लगा. बाजी मुझे रूम मैं आती हुयी देखते ही ले आयी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं नाश्ता करने लगा तो बाजी मेरे सामने ही बैठ गई और मुझ नाश्ता करता हो देखती रही जैसे ही मैने नाश्ता ख़तम किया बाजी ने बर्तन उठा के साइड पे किए और मुस्कुराती होई बोली हाँ तो भाई अब बताओ रात कैसी गुज़री[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने बाजी की तरफ देखा और बोला यार बाजी आप को तो सब पता ही है और वेसे भी अब मैं आप को जितना समझ चुका हूँ आपने कौन सा अभी तक मेरे उठने का ही इंतज़ार कर रही होगी और फरजाना से कुछ पूछा ही नहीं होगा[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आप तो शैयद सारी रात सोई भी नहीं हो गी और जहाँ तक मेरा ख्याल है जैसे ही मैं फरजाना के रूम से निकल के अपने रूम मैं आया हूँ गा आप उसी वक़्त फरजाना के रूम मैं जा घुसी होगी और उस के कान खाने लगी होगी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी मेरी बात सुन के खड़ी हो गई और मेरे पास आ के खड़ी होई और अचानक मेरे बॉल पकड़ के मेरे सर को आगे पीछे हिलाते हो बोली विक्की कामीने इंसान बन जा समझा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब तो मुझे कुछ बताएगा भी या युही अपने मेरे बारे मैं खियालट ही सुनता रहेगा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने बाजी से अपने आप को छुडवा लिया और फिर रात की हर बात बाजी को बता दी रात की [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सारी बात सुन के बाजी बोली अच्छा तुम्हें पता है की रात फरीदा तुम्हारे रूम मैं आयी थी और तुम्हें ना देख के अबू के रूम मैं भी झँकति रही और वहाँ भी कुछ ना दिखने पे वापिस आ के लेट गई और काफ़ी देर तक जागती रही[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी की बात सुन के मैने बाजी की तरफ अपना फेस घुमाया और बाजी से बोला [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन वो रात को मुझे क्यों ढूंडती फिर रही थी तो बाजी ने हंसते हो कहा मैं ये बर्तन रख के आती हूँ फिर उस के बाद बात कराईंगे और उठ के बर्तन समेटे और रूम से बाहर निकल गई[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी के जाने के बाद मैं रूम मैं बैठा बाजी का ही इंतजार कर रहा था की बाजी थोड़ी ही देर मैं वापिस आ गई और आते ही बोली यार फरजाना तो अभी तक अपने रूम से ही नहीं निकली क्या किया है उस के साथ[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं...कुछ नहीं बाजी मैने क्या करना था उस के साथ वेसे ही तक गई होगी और आराम कर रही होगी अभी निकल आए गी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी... अच्छा तो अब बताओ खुश तो है ना मेरा भाई [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं... हाँ बाजी मैं तो खुश हूँ लेकिन आप ने बतया नहीं की रात फरीदा क्यों आयी थी मेरे रूम मैं[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी... यार मुझे भी नहीं पता था लेकिन जुब वो रूम मैं वापिस आयी तो उस ने मुझ से पूछा था की तुम अपने रूम मैं नहीं हो तो फिर कहाँ गये होगे क्यों की अम्मी के रूम मैं भी नहीं है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं... फिर क्या बताया आप ने उसे बाजी...,,,,,,,, हंसते हो भाई परेशान क्यों हो रहे हो सब ठीक है लेकिन रात वो अपने आप पे कंट्रोल नहीं कर पाई और तुम्हारे रूम मैं चली गई थी और अगर तुम रूम मैं होते तो रात जो तुम ने फरजाना के साथ किया है फरजाना की जगाह रात फरीदा की ठुकाई करते[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं... बाजी आप का मतलब् है की फरीदा रात यहाँ मेरे साथ मतलब् हुमारे साथ शामिल होने आयी थी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी... हाँ भाई क्यों क मैं देख रही हूँ की पिछले कुछ दिनों मैं उस ने जो कुछ देखा और सुना है उस पे यक़ीन ना होते हो भी अब वो भी अपनी जवानी का मज़ा पूरी तरह लेना चाहती है जिस की वजा से वो खुद ही तुम्हारी तरफ चल दी लेकिन बात फिर भी नहीं बन सकी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं... नहीं बाजी ये नहीं हो सकता क्यों की अगर फरीदा को हुमारे साथ मिलना ही है तो उसे सब से पहले अबू के साथ करना हो गा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी... लेकिन भाई आप ये भी तो सोचो क वो किस तरह अबू के साथ.......[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अभी बाजी ने यहाँ तक ही बात की थी की अचानक फरीदा रूम मैं आयी और बाजी को खामोश होने का बोलते हो मेरी आँखों मैं आखेँ डॉल के बोली भाई अब मैं और बर्दाश्त नहीं कर सकती पल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़ आप जो चाहते हो मैं करने को तैयार हूँ लेकिन अब और बर्दाश्त नहीं कर सकती अगर आप अबू के लिए बोलोगे तो भी मैं मना नहीं करूगी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन मैं अबू से कुछ नहीं ख सकोंगी बाकी आप जानो और आप का काम मुझे बस अपने जिस्म मैं लगी इस आग को ठंडा करना है जिस तरह भी हो सके मुझे कोई परवा नहीं इस बात की[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरीदा की बात सुन के और इस तरह अचानक रूम मैं आ के बिना झिझके बात करने से मैं सटपटा सा गया और इस से पहले क मैं कुछ बोल पता फरीदा झटके से मूडी और रूम से बाहर निकल गई[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरीदा के जाने के बाद मैं बाजी की तरफ देखा तो बाजी ने अपनी नज़र झुका लीं तो मैं उठा और बिस्तेर से उतार आया तो बाजी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली सॉरी भाई [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मुझे फरीदा को इस तरह छुप के बताईं नहीं सुनने देना चाहिए था तो मैने बाजी की तरफ देखा और बोला नहीं बाजी मैं आप से नाराज़ हो के नहीं जा रहा इसी मसले पे अबू और अम्मी से बात करने क लिए खेतों पे जा रहा हूँ[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी ने मेरा हाथ छोड दिया और बोली हाँ भाई ये ज़रूरी है क्यों की फरीदा मेरे साथ ही रूम मैं रहती है और मैं अच्छी तरह समझ रही हूँ की उस को कितनी अग लगी हुयी है चुत मैं कुछ करना होगा अगर कुछ ना किया जल्द ही तो कहीं ये कुछ और ही कर बैठे[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं बाजी को तसली दे के घर से निकल गया और खेतों पे जा पंहुचा जहाँ अबू किसी काम से साथ वाली ज़मीनो पे गये हो थे लेकिन अम्मी वहीं थी मुझे आता देख के[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी खुश हो गई और बोली आओ बेटा क्या बात है आज तो तुम्हें खुश होना चाहिए था लेकिन तुम्हारे फेस पे 12 बजे हो हैं सब ठीक तो है ना क्यों परेशान हो[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने अम्मी को भी फरीदा का सारा मसाला बता दिया तो अम्मी सोच मैं पड़ गई और [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वो तेरे अब्बू के साथ ...नहीं नहीं.... ..फिर बोली तुम क्या चाहते हो तो मैने अम्मी को बता दिया की मैं चाहता हूँ की आज ही रात अबू फरीदा को ठंडा करंगे वरना ये कहीं और मुह मारेगी जिस से हम ही बदनाम होंगे[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]पर तेरे अब्बू उसे ठंडा नहीं कर पाएंगे ...............बेटा ..बल्कि एक आग लगा देंगे...............अम्मी के मुह से हूउंन्ं की आवाज़ निकली और फिर किसी सोच मैं पड़ गई और फिर मेरी तरफ देख के बोली ठीक है विक्की अभी तुम्हारे अबू आते हैं तो बात करते हैं उन से [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर देखते हैं की तुम्हारे अबू क्या बोलते हैं[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अबू के आने पे जुब हम ने अबू से बात की तो उन के फेस पे अचानक चमक बढ़ गई और वो ज़रा एक्टिव हो गये और बोले [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन बेटा ये होगा कैसे तो मैने कहा अबू कुछ भी नहीं करना आप को बस रात को आप फरी बाजी वाले रूम मैं चले जाना वहाँ सिर्फ़ फरीदा ही होगी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी को मैं अपने पास बुला लूनगा उस के बाद आप फरीदा के साथ जो मर्ज़ी करना [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन बेटा फिर भी वो क्या सोचेगी आख़िर मैं बाप हूँ उस का तो अम्मी ने कहा आप उस का बाप हो उस की चुत के तो नहीं हो ना और वेसे भी फरी उसे अच्छी तरह समझा दे गी वो कुछ नहीं बोले गी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अबू ने हुमारी बात सुन के सर झुका लिया और बोले ठीक है लेकिन फरीदा से बात ज़रूर कर लेना मैं नहीं चाहता की कोई मसाला हो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अबू की बात सुन के मैं उठा और बोला ठीक है अबू मैं चलता हूँ आप फिर तैयार रहना रात को और घर की तरफ चल दिया घर आया तो बाजी को फ्रज़ना के पास बेते हो देखा जो मुझे देखते ही लाल हो गई और उठ के अपने रूम की तरफ भाग गई तो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने बाजी को अपने रूम मैं आने का इशारा किया[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी के आने के बाद मैने अम्मी और अबू से होने वाली हर बात बता दी और कहा क आप फरीदा से बात कर लो क वो क्या चाहती है अगर तैयार है तो आज तैयारी कर रखे रात को उसे भी जवानी का मज़ा दिला दिया जाए[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी हन मैं सर हिला के उठी और रूम से निकल गई[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी के जाने के बाद मैं लेट गया और कुछ देर तक नॉवेल पढ़ता और उस के बाद शाम तक पड़ा सोता रहा शाम को उठा और अभी हाथ मौंण ही धोया था क बाजी आ गई और बोली भाई फरीदा तुम्हारे साथ काफ़ी गुस्सा है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने हेरनी से बाजी की तरफ देखा और बोला क्यों बाजी वो भला मेरे साथ क्यों नाराज़ हो गई है तो बाजी मेरा कान मरोदते हो बोली विक्की वो अब भी तुम्हारे साथ ही करना चाहती है लेकिन तुम हो उसे नज़र अंदाज़ करते जा रहे अब बस करो इतना गुस्सा अच्छा नहीं होता[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अरे बाजी आप से किस ने बोल दिया है की मैं फरीदा से नाराज़ हूँ जिस तरह आप और फरजाना मेरी बेहनैन हो उसी तरह फरीदा भी मेरी बेहन है और मैं बाजी फरीदा से भी उतना ही प्यार करता हूँ जितना आप दोनो से लेकिन बस ये मेरे दिल की कुवाहिश है की फरीदा बाजी अपनी ज़िंदगी का पहला मज़ा अबू के साथ एंजाय कराईं और कोई बात नहीं है जो आप यहाँ मुझ से नाराज़गी की वजाह पौचने आई हो[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी हंसते हो उठी अच्छा तो ये बात है तो फिर ठीक है मैं अभी जा के समझती हूँ उसे के कोई परेशानी की बात नहीं है बस मज़े करे अबू के बाद तुम से जितना चाहे मज़ा लूट सकती है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी उठी और मेरे रूम से निकल गई तो बड़ी शिदत से मेरे दिल मैं कुवाहिश उठी , काश मैने अबू से फरीदा के लिए बात ना की होती तो मैं आज फरीदा की चुत को भी बड़े प्यार से खोलता लेकिन अब हो भी क्या सकता था क्यों क अगर मैं ऐसा कुछ करता [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तो अबू कुछ बोलते तो नहीं लेकिन उन के दिल मैं दरार पड़ जाती मेरी तरफ से और मैं ये नहीं चाहता था[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी अबू के आने के बाद हम सब ने मिल के खाना खाया तो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उस के बाद अम्मी ने बाजी को बोला की चलो फरी हम काम निबटा लेते हैं मिल के [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरीदा की तरफ देख के बोली तुम जाओ बेटी तुम आराम कर लो अब सारा दिन काम मैं लगी रही हो तक गई होगी तो फरीदा अम्मी की बात सुन के उठी और अपने रूम मैं चली गई तो मैने फरजाना की तरफ देखा और इशारा किया की मेरे रूम मैं आ जाओ और उठ क अपने रूम की तरफ चल दिया और [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरजाना का इंतजार करने लगा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरजाना थोड़ी देर के बाद ही मेरे पास रूम मैं आ गई दूध का ग्लास ले के और साइड पे पड़ी टेबल पे रख दिया और मेरे सामने बैठ गई और बोली [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जी भाई क्यों बुलाया रहे थे मुझे[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने फरजाना का हाथ पकड़ के अपनी तरफ खींच लिया जिस से वो मेरे ऊपर आ गिरी जिस से हम दोनो क सीने आपिस मैं मिल गये तो फरजाना के बूबस मेरे ऊपर गिरने से मेरे सीने पे दबने लगे तो मैने फरजाना के फेस पे किस कर दी और बोला [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जान-ए-मान रात की मुलाकात के बाद तुम मेरे पास ही नहीं आयी तो मैने सोचा के खुद ही बुला लूं तुम तो आओगी नहीं[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरजाना मेरे ऊपर से ज़ोर लगा के उठते हो बोली भाई क्या करते हो कोई आ जाएगा [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]दरवाजे भी खुला हुआ है तो मैने कहा यार क्यों परेशान हो रही हो कोई नहीं आए गा अगर आ भी गया तो कुछ नहीं कहे गा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]भाई बाजी का तो मुझे पता है के उन का कोई मसाला नहीं है लेकिन अम्मी या फरीदा भी तो आ सकती है [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]इस लिए मुझे छोडो अभी बाद मैं आ जाओंगी जुब सारे सो जायंगे [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने फरजाना को और भी अपने साथ दबाते हो बोला नहीं जान आज तुम कहीं नहीं जा रही हो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]क्या समझी बाजी का तो तुम जानती हो कोई मसाला नहीं है [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन फरीदा भी अब बाहर नहीं निकले गी अपने रूम से और अम्मी की भी टेन्सन नहीं लो तुम.[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरजाना मेरी बात सुन के हेरनी से मेरी तरफ देखते हो बोली क्या मतलब भाई मैं कुछ समझी नहीं आप कैसे बोल सकते हो की फरीदा बाजी रूम से अब बाहर नहीं निकलेगी और अम्मी भी नहीं आएगी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं फरजाना की बात सुन के हंस दिया और उसे छोड़ते हो बोला जाओ दरवाजे बंद कर दो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर तुम्हें सब कुछ बतता हूँ ठीक है [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तुम भी आज के बाद बिना किसी डर और झिझक के सेक्स एंजाय किया करो[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरजाना अजीब सी निगाहों से मेरी तरफ देखते हो उठी और दरवाजे को बंद कर दिया और दरवाजे को बंद कर के मेरी तरफ मूडी ही थी तो मैने कहा जान अपने कपड़े वहीं उतार के मेरे पास आऊ[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरजाना के फेस मेरी बात सुन के लाल हो गया ओए उस ने सर झुका लिया और बोली भाई पल्ल्लज़्ज़्ज़[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ये मुझ से नहीं हो पाएगा तो मैने कहा यार फरजाना पल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ यार ट्राइ तो करो कब तक शरमाती रहोगी ऐसे तो मज़ा नहीं आएगा ना[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरजाना ने मेरी बात सुन के भी सर तो नहीं उठाया लेकिन अपनी क़मीज़ को पकड़ के ऊपर उठाने लगी और आहिस्ता से क़मीज़ उतार दी और मेरी तरफ आने लगी तो मैने उसे वहीं रोक दिया और बोला नहीं ऐसे नहीं सलवार भी निकालो वहीं पे और फिर मेरी तरफ आना है तुम्हें[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी बात सुन के फरजाना ने शरमाते हो सर उठा के मेरी तरफ देखा और तनकते हो बोली पल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़ भाई मुझे शरम आ रही है मुझ से नहीं हो गा भाई ये सब पल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ भाई[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने इनकार मैं सर हिलाते हो कहा नहीं मेरी जान अगर तुम ने अभी मेरी बात नहीं मानी तो फिर ये बात याद रखना क मैं तुम्हें कुछ भी नहीं बताऊंगा तो[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरजाना ने अपना सर झुका के अपनी सलवार मैं हाथ डाला और अपनी सलवार उतार के साइड पे रखी और खड़ी हो के मेरी तरफ देखते हो बोली भाई अब ठीक है या और भी कुछ करना है मुझे[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने फरजाना को अब सिर्फ़ ब्रा और पनटी मैं देख के अपना लंड मसलता हुआ बोला नहीं अब आ जाओ [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरजाना अपनी गांड मटकती (जो की मुझे नज़र तो नहीं आ रही थी लेकिन मुझे लग रहा था क अगर इस तरह ये किसी के सामने भी चली गई तो बच नहीं पाए गी) होई मेरे पास बिस्तेर पे आ गई तो मैने अपनी क़मीज़ उतरी और अपनी सलवार का नडा खोल के अपना लंड बाहर निकल के अपनी सब से छोटी बेहन के हाथ मैं पकड़ा दिया जिसे उस ने पकड़ के दबा दिया[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरे लंड को हाथ मैं पकड़ के ज़ोर से दबाती होई फरजाना ने कहा हाँ भाई अब बताओ की आप कैसे बोल सकते हो की अम्मी या फरीदा बाजी मैं से यहाँ कोई भी नहीं आ सकता है [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तो मैने कहा यार अम्मी जानती हैं की तुम यहाँ इस वक़्त मेरे साथ क्या कर रही हो और रह गई फरीदा तो वो इस वक़्त अबू के साथ होगी और चुदाई के लिए तड़प रही होगी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब समझ गई हो तो अपने भाई के इस बेचारे लंड पे भी कुछ तरस खाओ और इस का भी कुछ सोचो[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी बात ने फरजाना को जहाँ झटका किया था वहीं कुछ देर बाद उस के फेस पे एक मुतमान सी मुस्कान दौड़ गई और वो बोली भाई ये तो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं आप से अब बाद मैं पुचुंगी ये सब कैसे हुआ लेकिन अभी आप के इस बहनचोद लंड का मसाला हाल कर लून[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरजाना के इतना बोलते ही मेरे लंड को छोड के थोडा पीछे हटी और मेरी सलवार को निकल के साइड मैं फैंक दिया और मेरे लंड को अपने हाथ मैं पकड़ के मसालने लगी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कुछ देर लंड सहलाने के बाद फरजाना ने मेरी तरफ देखा और बोली भाई मज़ा आ रहा है [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अपनी बेहन के हाथों से लंड मसलवा के तो मैने उसे की तरफ देखते हो कहा नहीं यार इसे ज़रा अपने मुह मैं ले के प्यार करो तब भी कोई बात बने ऐसे तो मज़ा नहीं आएगा ना[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]नहीं भाई पल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़ ये काम मुझे कभी नहीं बोला मैं तो कभी इस गंदे को मुह मैं नहीं ले सकोंगी तो मैने हंसते हो कहा अच्छा जी इस गंदे को अपनी चुत मैं ले सकती हो लेकिन मुह मैं नहीं[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरजाना आखेँ मटकाते हो शरारत से बोली वो तो भाई बनी ही इस के लिए है तो फिर मैं भला क्यों ना लून तो [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने अपना लंड, फरजाना के हाथ से निकल लिया और फरजाना को बिस्तेर पे गिरा के लिटा दिया और उस की रनो को दोनो तरफ फैला दिया और खुद अपनी छोटी बेहन की चुत पे झुक गया और अपनी ज़ुबान को बाहर निकल के फ्रज़ना की गीली और गरम चुत पे रख दिया[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जैसे ही मेरी ज़ुबान फरजाना की चुत पे लगी फरजाना के पूरे जिस्म मैं लज़ात की लहर से दौड़ गई और उस के मुह से आअहह सस्स्सीईईईईई भाईईईईईईईईईईई ये क्या कर रहे हो की आवाज़ करने लगी और अपने लीपस को अपने ही दाँतों से काटने लगी और अपने बूबस भी मसालने लगी[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरजाना का जिस्म चुत चाटने से एक दम से जैसे काँपने लगा था की मैं थोडा घबरा गया और उठ के बैठ गया तो फरजाना ने अपनी आखेँ खोल के मेरी तरफ देखा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अपनी चुत पे फिंगर रखते हो बोली भाई हट क्यों गये चतो ना ... कितना मज़ा आ रहा था मुझे[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने इनकार मैं सर हिलाते हो कहा नहीं मेरी जान अब चाटूँगा नहीं अब मैं तुम्हारी चुत मैं अपना लंड घुसा के चोदुंगा और इतना बोलते ही मैं आगे हुआ [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अपना लंड फरजाना की चुत पे सेट कर के हल्का सा झतका दे के अपने लंड को 3 इंच....,, तक फरजाना की चुत मैं घुसता हुआ उस के ऊपर लेट गया तो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरजाना के मुह से सस्सिईईईईईईई की आवाज़ के बाद भाई पहले आराम से करना पल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ कल बहुत दर्द हुआ था तो [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने कहा आज कुछ नहीं होगा मेरी जान अब बस मज़े ही मज़े हैं और इतना बोलते ही [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अपने लंड को फरजाना की चुत पे दबाने लगा जिस से मेरा लंड आहिस्ता आहिस्ता फरजाना की चुत मैं पूरा जा घुसा और फरजाना के मुह से आअहह सस्स्सीईई भाई बस आहिस्ताआआ ऊओह हान्ंनणणन् बस अभी रुकूऊऊऊ उनम्म्मह की आवाज़ भी कर रही थी और हम मेरे सर को भी अपनी तरफ खींच के मुझे अपने ऊपर पूरी तरह लिटा लिया[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]थोड़ी देर तक मैं ऐसे ही फरजाना के ऊपर लेटा रहा और फिर मैं उठा और [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरजाना की टाँगों को पूरी तरह खोल के अपने लंड को भी फरजाना की चुत से कॅप तक निकाला और वापिस घुसा दिया तो फरजाना के मुह से आऐईयईईईईईईईईईईईईईई ऊऊहह भाईईईईईईईईईई पल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ आहिस्ता करूऊऊऊऊ ऊऊओह भाईईईईईईईईईईईईईईईईई आहिस्ता पल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ की आवाज़ै करने लगी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जैसे जैसे मैं अपना लंड फरजाना की टाइट चुत मैं इन आउट करता तो मुझे अपना आप कंट्रोल करना मुस्किल लगता जा रहा था क्यों की फरजाना की चुत मेरे लंड को अंदर से एक बार भींचती और फिर हल्का सा ढील छोड डेटी तो [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वहीं दोसरि तरफ फरजाना भी अपनी फरजाना को नीचे से मेरे लंड की तरफ दबा के मेरे झतकों का साथ देनी लगी और हाआंन्णाणन् भाइईईईईईईईई फाड़ डालो मेरिइईईईईई चुत को मुझे गश्ती की तरह छोड़ो भाई [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जान ऊऊहह मैं गैिईईईईईईईईई भाईईईईईईईईईईईईईईईई की आवाज़ैईन भी करती जा रही थी और फिर फरजाना का जिस्म एक बार आकड़ा और फिर ढीला पड़ गया क्यों की उस की चुत ने अपना सारा पानी निकल दिया था [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरजाना के फारिघ् होने के बाद मैं भी फरजाना के चुत मैं 5 6 तेज़ झतकों के साथ फारिघ् हो गया और अपना लंड बाहर निकल लिया और फरजाना की चुत की तरफ देखने लगा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जहाँ मेरे लंड से निकला पानी लगा हुआ था[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मुझे इस तरह अपनी चुत की तरफ देखता पा के फरजाना उठ के बैठ गई और हंसते हो बोली क्या देख रहो हो भाई तो मैने हंसते हो कहा कुछ नहीं मेरी जान बस हुस्सान का ख़ज़ाना देख रहा था[/font]


[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उस रात मैने 2 बार व् की चुत मारी और उस के बाद मैं फरजाना को अपने साथ ही लिपटा के सो गया तो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी आँख फरजाना के हिलने से खुली मैं उठा तो फरजाना ने कहा भाई कपड़े पहन लो मैं जा रही हूँ अभी सुबह होने वाली है तो मैने अपने ऊपर एक चादर खींच ली और फरजाना की तरफ देख के बोला ठीक है यार तुम जाओ और मुझे सोने दो नींद आ रही है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरजाना कब गई मुझे नहीं पता लेकिन जुब दोबारा मेरी आँख खुली तो उस वक़्त मुझे फरी बाजी ने उठाया था और जैसे ही मैं उठा तो बाजी ने मेरा कान पकड़ लिया और बोली [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]विक्की तुम कितने बड़े कामीने हो रात को खामोशी से फरजाना को अपने साथ रूम मैं ले के घुस गये और मेरा और अम्मी का कुछ भी ख्याल नहीं आया तुम्हें और ऊपर से तुम [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]किस बेशर्मी से नंगे सो रहे हो[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी के कान मरोड़ने की वजा से भी मेरी नींद उड़ चुकी थी तो मैने बाजी के हाथ से अपना कान छुदया और उन का हाथ पकड़ के उन्हें अपने पास बिता लिया और बोला [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]यार अब घर मैं किस से शरम करू क्या अब भी कुछ बाकी बचा है जिस से हमनें शरमाना चाहिए[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]नहीं भाई बात तुम्हारी ठीक है लेकिन मेरी एक बात हमेशा याद रखना और अबू अम्मी भी ये ही चाहते हैं की हम आपिस मैं जिस तरह मर्ज़ी से रहें जो चाहे कराईं लेकिन हुमारे बीच एक परदा भी रहना चाहिए ताकि हम बाहर के लोगों के सामने भी थोडा अपने आप को संभाल सकैं क्यों के अगर हम ने हर हद पर कर डाली तो हुमारी तबाही मैं कुछ भी बाकी नहीं बचेगा यहाँ जो लोग हुमारी इज़्ज़त करते हैं आज ये लोग ही हुमारी बोटियाँ काट खाईंगे[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी की बात सुन के मैं सोच मैं पड़ गया और थोड़ी देर के बाद बोला बाजी बात तो आप की ठीक है हमनें जो भी करना है उस मैं कुछ ना कुछ शरम हया [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]हमेशा रखनी होगी वरना सिर्फ़ तबाही ही हुमारे नसीब मैं होगी बाकी अगर हम अब यहाँ से सब कुछ छोड चार के ज़मीन बेच के किसी दौर के शहर मैं शिफ्ट हो जायं तो बहतेर है जहाँ कोई हमनें ना जनता हो[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी बात सुन के बाजी हंस दी और बोली तुम्हें अब ख्याल आया इस बात का लेकिन अबू अम्मी इस बात का फ़ैसला पहले ही कर चुके हैं अब हमनें यहाँ से जाना होगा जहाँ हमनें कोई ना जनता हो[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी की बात सुन के मैं उठा और सलवार पहन के बाजी से बोला ठीक है बाजी अब मैं ध्यान रखा करूगा लेकिन ये तो बताओ रात क्या हुआ फरीदा अबू के साथ मज़ा ले चुकी है या अभी नहीं[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी मेरी तरफ देख के मुस्कुरई और बोली भाई लगता है की अब तुम्हें ख्याल आ रहा है फरीदा के बारे मैं पूछने का वेसे तुम्हें ये बता दूँ की फरीदा रात अबू के साथ सुहाग रात मना चुकी है [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब तुम निकलो यहाँ से और जा के नहा लो मैं नाश्ता लाती हूँ[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं बाजी की बात सुन के रूम से निकल गया और नहा के रूम मैं वापिस आया तो बाजी मेरे लिए नाश्ता ला चुकी थी मैने बैठ के नाश्ता किया और उस के बाजी से फरीदा के बारे मैं पूछा तो बाजी ने कहा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अपने रूम मैं ही है अभी तक निकली नहीं[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं तो रात अम्मी के साथ उन के रूम मैं ही थी बाकी अभी तक अपने रूम मैं नहीं गई तुम खुद ही जा के देख लो क्या कर रही है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं उठा और बाजी के साथ फरीदा के रूम की तरफ चल दिए और जुब रूम मैं पहुँचा तो फरीदा बाजी को देखा अपने बिस्तेर पे लेती होई थी मूड के हुमारी तरफ देखनी लगी जो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उस वक़्त सिर्फ़ एक चादर अपने ऊपर लिए लेती होई थी जो की उस के बूबस से हटी होई थी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरीदा को इस तरह लेटा देख के और उस के नंगे बॉबस को देख के मेरा लूँद खड़ा होने लगा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]हम दोनो के एक साथ देख के फरीदा थोडा शर्मा गई और जल्दी से अपनी चादर अपने ऊपर ठीक कर ली तो बाजी मुस्कुराती होई आगे बढ़ी और फरीदा के साथ जा के बैठ गई [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बोली क्या हुआ फरीदा हमनें देख के अपने आप को छुपा क्यों रही हो शरम आ रही है क्या मेरी रानी को फरीदा जो के पहले ही शर्मा रही थी बाजी की बात से और भी लाल हो गई और चादर को अपने ऊपर कर के फेस भी चादर मैं घुसा लिया तो बाजी ने कहा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]भाई आप ऐसा करो जाओ यहाँ से जुब तक तुम यहाँ रहोगे फरीदा इसी तरह शरमाती रहेगी तुम जाओगे [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तो मैं इसे रूम से निकाल लुंगी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं दोनो की तरफ देखते हो बोला ठीक है बाजी अगर आप ये ही चाहती हो तो मुझे कोई मसाला नहीं है मैं चला जाता हूँ वेसे अब तो फरीदा को मुझ से नहीं शरमाना चाहिए और इतना बोल के फरीदा और बाजी वाले रूम से निकला और अम्मी के रूम की तरफ चल दिया[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अम्मी के रूम मैं आया तो देखा के अम्मी अपने रूम मैं नहीं थी तो तब मुझे याद आया की अगर बाजी घर पे ही हैं तो अम्मी अबू के साथ खेतों पे गई हूँ गी तो मैं वापिस अपने रूम मैं आ गया[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]रूम मैं आ के मैं अपने बिस्तेर पे लेट गया और अभी थोड़ी देर पहले देखे फरीदा के नंगे बूब,स को याद कर के अपने लंड को हाथ मैं ले के मसालने लगा और सोचने लगा की काश मैने इतनी ज़िद ना की होती तो गुज़री रात अबू की जगा मैने फरीदा की कुँवारी चुत का मज़ा लिया होता[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]दोपहर तक का वक़्त मैने फरी और फरजाना के साथ गुज़ारा जिस मैं के कोई ख़ास्स बात नहीं होई [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]यहाँ आप के साथ शेर करू इस लिए आगे चलते हैं तो दोपहर के खाने के बाद जो की मैने अपने ही रूम मैं खाया था और जुब बाजी बर्तन उठाने आयो तो मैने बाजी को रोक लिया और बोला यार बाजी क्या मैं थोडा टाइम अगर आप इजाज़त दें तो मैं कुछ देर फरीदा के रूम मैं चला जाओं[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी.... विक्की कामीने बड़ा दिल कर रहा तेरा फरीदा की चुत मरने को मैं भी तुम्हारी बड़ी बेहन हूँ मेरा कुछ ख्याल नहीं है तुम्हें.... कुत्ते...[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं... आप तो मेरी जान हो बाजी अगर आप का दिल कर रहा है तो मैं आप के साथ कर लेटा हूँ[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी... चल चल ज़्यादा माखन मत लगा मुझे और वेसे भी मैं कौन सा फरीदा की चुत पे अपना हाथ रख के बैठी होई हूँ जिस तरह वो मेरी बेहन है उसी तरह वो तुम्हारी भी बेहन है जाओ उस के रूम मैं देख लो क्या पता कुछ काम बन ही जाए तुम्हारा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं... नहीं बाजी फरीदा नहीं मानेगी मुझे पता है क्यों की मैने जिस तरह उस को अपनी ज़िद की वजाह से अबू की तरह धकेला था अब वो मुझे अपने पास भी नहीं फटकने देगी लिख लो मेरी बात को[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी ने बर्तन साइड पे किए और मेरा हाथ पकड़ के मुझे उठा दिया और बोली विक्की ऐसे ही अपने दिमाग के घोड़े मत दौड़ते रहा करो जाओ जा के फरीदा के पास जा के बैठो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तुम्हें पता चल जाएगा की वो क्या चाहती थी और अब क्या चाहती है चलो शाबाश और मुझे रूम से बाहर की तरफ ढाका भी दे दिया[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं बाजी की बात मान के रूम से निकला और फरीदा के रूम मैं चला गया तो फरीदा उस वक़्त सलवार क़मीज़ पहने अपने बिस्तेर पे लेती आराम कर रही थी और मुझे देखते ही बाजी जल्दी से उठ के बैठ गई तो मैं जा के फरीदा बाजी के पास बैठ गया तो फरीदा ने अपना सर झुका लिया [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने अब हिम्मत की और फरीदा के झुके हो सर की तरफ देखते हो बोला फरीदा क्या नाराज़ हो मेरे साथ तो फरीदा ने अपना सर ढेरे से उठाया और मेरी तरफ देख के अपना सर इनकार मैं हिला दिया लेकिन बोली कुछ नहीं तो मैने अपना हाथ आगे बढाया. [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और उस की रनो पे रखते हो उस के फेस की तरफ देखा तो फरीदा मेरी तरफ ही देख रही थी[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने अपना हाथ फरीदा की रनो पे रखते ही उस की रनो को सहलाने लगा और उस की आँखों मैं देखते हो पूछा फरीदा मेरा यहाँ आना तुम्हें बुरा तो नहीं लगा ना[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरीदा ने अब अपना सर झुका लिया और इनकार मैं सर हिला दिया और बस इतना ही बोली की भाई मैं आप को अपने पास आने से कभी मना नहीं कर सकती और रात भी जो हुआ और मैने जो किया आप ही की ख़ुसी के लिए किया है क्यों की आप मुझे सज़ा देना चाहते थे [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और अब तो मैने आप की दी होई सज़ा भी पूरी कर ली है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सॉरी बाजी मुझे आप की ख्वाइश का अहतरम करना चाहिए था इस तरह आप के साथ ज़ोर ज़बरदस्ती नहीं करनी चाहिए थी और इतना बोल के मैं खामोश हो गया और अपना हाथ जो क बाजी की रनो पे था और उस से मैं बाजी की रनो को सहला रहा था थोडा तेज को किया और बाजी की आपस मैं जुड़ी होई रनो को अपने हाथ से थोडा खोल दिया और अपना हाथ बाजी की चुत तक पंहुचा दिया[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जैसे ही मेरा हाथ बाजी की चुत से टच हुआ बाजी के मुह से सस्स्सीई की हल्की सी सिसकी निकल गई और बाजी ने अपनी रनो को भींच लिया जिस से मेरा हाथ बाजी की दोनो रनो के दरमियाँ मैं ही फँसा रह गया [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी की चुत उस वक़्त अपने ही पानी से भीगी होई थी जिस से सलवार भी काफ़ी गीली हो रही थी तो मैने अपना हाथ बाजी की रनो मैं से खींचा और बाजी की क़मीज़ को पकड़ के उठाने लगा तो बाजी ने मुझे रोकने की बिल्कुल कोशिश नहीं की बल्कि क़मीज़ उतरने मैं मेरा साथ देने लगी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी की क़मीज़ उतार के मैने साइड पे रख दी और बाजी को बिस्तेर पे लिटा दिया और साथ ही उन के ब्रा भी उन के बूबस से थोड़ी ऊपर कर दी जिस से उन के बूबस मेरे सामने नंगे हो गये[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरीदा बाजी के बूबस को नंगा करने के बाद मैं खड़ा हो गया और अपने कपड़े उतार दिए और नंगा होके [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी के पास बिस्तेर पे बैठ गया उन के पैरों की तरफ और फरीदा बाजी की रनो को सहलता हुआ उन के बूबस की तरफ आया और उन के ऊपर पूरी तरह झुक के बाजी के बूबस को अपने एक हाथ मैं पकड़ के दबा लिया और झुक के बाजी के बूबस को मुह मैं भर लिया[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]थोड़ी देर तक मैं ऐसे ही बाजी के बूबस को चूस्ता रहा और सहलाता रहा जिस से बाजी काफ़ी गरम हो गई और उन के मुह से आअहह विक्कीईईईईईई मेरे भाईईईईईईईईई उन्म्मह हान्ंनननणणन् भाईईईईईईईई चूसो इन्हाइन मज़ा आ रहा हाईईईईईईईईईईईई भाईईईईईईईईईईईईई की आवाज़ै करने लगी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उस के बाद मैने बाजी के बूबस को छोड़ा और बाजी को उन की जगाह से उठा दिया और खुद उन की जगाह पे लेट गया तो [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी स्वालिया नज़रों से मेरी तरफ देखने लगी तो मैने कहा बाजी क्या अपने भाई के लंड को प्यार नहीं करोगी तो बाजी हल्का सा मुस्कुरा दी [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अपने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ लिया और खुद मेरे लंड की तरफ झुक के मेरी रनो और पेट पे किस करने लगी[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी के इधर उधर चूमने से भी काफ़ी मज़ा आ रहा था लेकिन मुझे बेचानी भी हो रही थी की बाजी ये क्या कर रही है [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लंड को क्यों नहीं चूस रही अपने मुह मैं भर के तो मैने बाजी के सर को पकड़ के अपने लंड की तरफ घुमा दिया और बोला बाजी लंड को चूसो ना पल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ तो बाजी ने मेरी तरफ देखा और हल्का सा मुस्कुरा के मेरे लंड की कॅप को अपने मुह मैं लेने लगी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब बाजी मेरे लंड की कॅप को अपने मुह मैं ले के चूस रही थी और कभी कभार मेरे लंड को छोड के मेरे लंड की गोलियों को भी चूसने लगती [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जिस से मेरे मुह से लज़ात सिसकियाँ भी निकल जाती[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]थोड़ी देर तक बाजी इसी तरह मेरे लंड को चुस्ती और चूमती रही और फिर उठ गई और बोली बस भाई [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]इस से ज़्यादा मुझ से नहीं होगा तो मैं भी उठ बैठा और फरीदा बाजी की पनटी और ब्रा को उतार दिया और बाजी फरीदा को बिस्तेर पे लेटने को बोला तो बाजी लेटते हो बड़ी अदा से मेरी तरफ देखने लगी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी को इस तरह अपनी तरफ देखते हो पा के मैने बाजी की टाँगों को पकड़ के अपनी तरफ खींचा तो बाजी बिस्तेर पे गिर गई तो मैने बाजी की रनो को पूरी तरह खोल दिया [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी की छोटी सी और टाइट चुत को अपने दोनो हाथों से पूरी तरह खोल के देखने लगा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरीदा बाजी की एक बार की छोटे लंड से चुदी होई चिकनी चुत को देख के मेरे मुह मैं पानी आने लगा तो मैं झट से बाजी की चुत की तरफ झुका और अपनी ज़ुबान निकल के बाजी की चुत के ऊपर रख के चाटने लगा और अपनी ज़ुबान को गोल कर के फरीदा बाजी की चुत मैं भी घुसने की कोशिश करने लगा[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरे इस तरह चुत को चाटने से फरीदा के जिस्म मचल उठा और उस के दोनो हाथ मेरे सर पे गये और उस के मुह से आअहह भाईईईईईईईईईईईईईईईईईई ये क्या कर रहे हो उनम्म्मह मेरी नंननननननननणणन् ऊओह भाईईईईईईईईईईई हन चतो भाई खा जाओ अपनी बेहन की चुत कूऊऊऊओ आअहह भाईईईईईईईईईईईई बौहत अच्छा लग रहा हाईईईईईईईईईईईईई पल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ भाई मुझे सारी ज़िंदगी इसीईईई तरह प्यार करना ऊओह भाईईईईईईईईईईईईई की आवाज़ मैं सिसकने लगी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]थोड़ी देर तक मैं ऐसे ही बाजी फरीदा की चुत को चाटता रहा और चूस्ता रहा बाजी जल्दी ही मेरे मुह पे फ़ारिग हो गई उनकी चुत से निकला पूरा रस मै पी गया[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उस के बाद मैं उठा [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अपना लंड बाजी की चुत पे सेट किया और आहिस्ता आहिस्ता से दबाने लगा. मेरा लंड बाजी की तिघत चुत मैं नहीं घुस रहा था . मेने धीरे से बाजी को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और एक तेज के झटके के साथ अपना पूरा लंड बाजी की चुत पे चाप दिया .[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी मेरे मोटे लंड का दर्द बर्दास्त करने लगी.. उन्होंने अपने दोंतों को आपस में कीट लिया था.. और दर्द के कारण उनका मुह लाल हो गया ..लेकिन बाजी.. कुछ नहीं बोली उनकी आखों से आसू निकलने लगी...[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी के मुह से सस्सिईईईईईईईईईईई आआहह आहिस्ता भाई आराम से डालो आप का थोडा ज़्यादा मोटा है ऊऊहह भाईईईईईईईईईईई की आवाज़ के साथ मेरा लंड अपनी चुत मैं लेती रही[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आहिस्ता आहिस्ता मेरा पूरा लंड फरीदा बाजी की चुत मैं घुस गया तो मैं वहीं रुक गया और बाजी के ऊपर लेट के बाजी के बूबस को दबाने लगा और बोला[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी क्या अबू के साथ भी इतना ही मज़ा आया था आप को तो बाजी ने अपनी टाँगों को मेरी कमर पे पीछे की तरफ जाकड़ बनाते हो कहा भाई सच्ची पूछो तो....नहीं.. पर आपका हुकुम था .. आपने जो सजा दी थी मुझे......[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन ये नहीं के आप का लंड उन से ज़्यादा तगड़ा है बस आप ये सोचो के उस वक़्त जुब अबू का लंड मेरी चुत मैं जा चुका था तो सिर्फ़ ये सोच कर ही क जिस के लंड के पानी की वजाह से मैं इस दुनिया मैं ऐइ थी आज उसी का लंड मेरी चुत मैं घुसा मुझे चोद रहा है तो यक़ीन मानो मेरी चुत ने उसी वक़्त पानी छोड दिया था बाकी तो पूछो मत.....ही मत[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब मेरा लंड बड़े आराम आराम से बाजी की चुत मैं घुसने लगा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने अपने लंड को फरीदा बाजी की चुत मैं आहिस्ता से इन आउट शरू कर दिया तो बाजी ने कहा आअहह विक्की लेकिन एक बात सच ये भीईीईईईई हाईईईईईईईईईई की तुम्हारा लंड अबू के लंड से ज़्यादा मोटा और तगड़ा हाईईईईईईईईईईईईई याक़ीम मानो भाई इस वक़्त मैं मज़े से हवाओं मैं उड़ रही हून्ंनणणन्[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी के मुह से निकालने वाले अल्फ़ाज़ को सुन के मुझे अब जोश आने लगा और मैने अपनी स्पीड बडा दी बाजी की चुदाई की और बाजी के बूबस को भी जानवरों की तरह दबाने लगा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तो बाजी के मुह से आऐईयईईईईईईईईईईईईईई व्क्कि मेरिइईईईईईईईई जान नैईईईईईईईईईईईईईईई ल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ ऐसा मत करूऊओ भाईईईईईईईईईईई दर्द होता हाईईईईईईईईई आराम आराम से धीरे धीरे बही..बजुत मोटा लंड है... ओह बहुत मज़ा आ रहा है भाई मेरे बूबस को ऊओह की आवाज़ करने लगी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी की बात सुन के मैने बाजी के बूबस को दबाना और मसलना बंद कर दिया और बाजी की रनो को पूरी तरह उठा के अपना लंड पूरा बाहर निकल के झटके से बाजी की चुत मैं घुसने लगा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी के मुह से आअहह भाईईईईईईईईईईईईईईईईईई ज़्यादा ज़ोर मत लगाओ बस..ऐसे ही... ओह भैईईई ऊऊहह भाईईईईईईईईईईईई कितने आचे हूऊऊओ आप आअहह उंन्नमममह की आवाज़ै करने लगी[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]थोड़ी देर तक ऐसे ही छोड़ने के बाद मैने अपना लंड बाहर निकल लिया और बाजी को कुटिया बनने को बोला [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी के कुटिया बनते ही मैने फरीदा बाजी के पीछे अपनी पोज़िशन सेट की और अपना लंड फरीदा बाजी की चुत पे सेट किया और आहिस्ता से बाजी की चुत मैं घुसने लगा लंड के घुसते ही बाजी अपना सर घुमा के मेरी तरफ देखने लगी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैने मुस्कुराते हो कहा क्या हुआ बाजी इस तरह अच्छा नहीं लग रहा है क्या तो बाजी मेरी बात सुन के मुस्कुरा दी और बोली अभी करोगे तो पता चले गाना की कैसा लगता है [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी की बात सुनते ही मैने बाजी की गांड पकड़ लिया और पूरी जान का झतका दिया तो बाजी के मुह से आऐईयईईईईईईईईईई भाई आराम से करो पल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ अभी हल्का हल्का दर्द होता ईईईईईईईईई [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ऊऊहह की आवाज़ करने लगी लेकिन मैं अब कोई बात सुन,ने के मूड मैं नहीं था और बाजी की गांद को जकड़े हो झटके लिगता चला गया तो बाजी भी आअहह भाईईईई पल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ आहिस्ता ऊऊहह उंन्नमममह भाईईईईईईईईईई आअहह भाईईईईईईईईईईईईईईईई मैं गैिईईईईईईईईईईईईईईई आहिस्ता पल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ आहिस्ता करूऊऊऊओ की आवाज़ करने लगी [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन मैं नहीं रुका और लगा रहा झटके मरने और साथ ही आअहह फ्रीद्ाआाअ ईईईईईईईईईईईईईई मैं जाने वाला हूँ ऊऊहह बाजिीइईईईईईईईईईईईईई मेरा निकालने वाला हाईईईईईईईईईईईईईईईई की आवाज़ के साथ और 3-4 तेज़ झतकों के साथ ही मैं और फरीदा बाजी एक साथ मैं ही फारिघ् हो गए[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरीदा बाजी की चुत मैं फारिघ् होने के बाद मैं बाजी के ऊपर से हटा और उन के साथ ही साइड पे बाजी की तरफ करवट ले के लेट गया और[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फरीदा बाजी की तरफ देखने लगा तो बाजी का फेस मेरे इस तरह उन की तरफ देखने से हल्का गुलाबी हो गया शरम से तो फरीदा बाजी ने अपनी निगाहें नीची कर लीं और धीमी आवाज़ मैं बोली पल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ भाई ऐसे मत देखो ना मेरी तरफ[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं......... क्यों बाजी क्या आप को मेरा इस तरह देखना अच्छा नहीं लग रहा जो आप मुझे अपनी तरफ देखने से भी मना कर रही हो क्या मैं आप की नज़र मैं इतना ही बुरा हूँ [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी के मेरे देखने से भी आप को तकलीफ़ हो रही है( जान बुझ के फरीदा बाजी को सताने के लिए बोल रहा था)[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी... मेरी बात सुन के अपनी आँखों को उठाया और मेरी तरफ देख के हल्का सा मुस्कुरई और फिर मेरी तरफ करवट बदल के बोली भाई [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अगर मुझे आप के देखने या चुने से इतनी ही तकलीफ़ होती तो मैं रात अबू के साथ आप ही की ख्वाइश पूरी करने के लिए ना सोती और अभी भी अगर आप मेरी रनो के बीच मैं देखो तो आप को अपना ही लंड जूस जो के मेरे लोवे जूस के साथ मिक्स हो के फैला हुआ होगा नज़र आ जाए गा [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर भी अगर आप ये समझ रहे हो के मुझे आप से कोई तकलीफ़ है तो आप ग़लत सोच रहे हो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं... फरीदा बाजी को अपनी तरफ खींच के किस करते हो बोला बाजी मैं जनता हूँ की आप कितनी अच्छी हो और मेरा कितना ख्याल करती हो वो तो मैं बस ऐसे ही आप की तंग कर रहा था (हंसते हो)[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी... विक्की तुम बहुत बुरे हो ( इतना बोलते ही फरीदा बाजी ने अपना सरमेरे सीने मैं छुपा लिया )[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बाजी फरीदा के इस बे सखता से अंदाज़ ने यक़ीन मानिए के मेरा दिल ही लूट लिया था और उस वक़्त मुझे अपनी इस बेहन पे हद से ज़्यादा प्यार आया और इस से पहले के मैं कुछ और करता या बोलता के दरवाजे पे नॉक होने लगी जो की पहले ही खुला हुआ था बस एक परदा था जो दरवाजे पे गिरा हुआ था[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कुछ देर तक मैं अपनी आखेँ बंद किए लेटा रहा और अपनी साँस बहाल करता रहा और फिर अपनी आखेँ खोल के देखा तो अबू भी अम्मी और फरजान को छोड़ने के बाद आराम कर रहे थे[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कुछ देर हम सब ने आराम किया और उस के बाद अम्मी फरजान को ले के मेरी तरफ आ गई और बाजी फरीदा को अबू की तरफ ले गई और उस के बाद फिर से एक दौर चुदाई का लगा और [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर हम सब नंगे ही रूम मैं सो गये एक साथ जुब हम उठे और नहा के नाश्ता कर लिया तो अबू ने मुझे कहा क तुम शहर चले जाओ (जिस का अबू ने नाम भी बताया) और वहाँ किसी मकान का इंतज़ाम करो [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं शहर आ गया अबू से पैसे ले के और अब हम सब लोग यहाँ मकान ले चुके थे और ज़मीन बेच के यहाँ शिफ्ट भी हो चुके हैं . [/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]इस बात को अब ६ साल हो गए थे मेने इंजीनियरिंग करके एक कम्पनी मै अच्छी नौकरी ज्वाइन कर ली.. [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसकी बाद मुझे विदेश मैं एक अच्छी जॉब मिल गयी तो मै सब को लेके यहाँ आ गया ..३ साल पहले अब्बू का दिल की बीमारी से इंतकाल हो गया पर अब्बू ने मेरी और फरी बाजी का निकाह करवा दिया था[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर मेने २ साल पहले फरीदा बाजी का और १ साल पहले फरजान को निकाह .अच्छे लड़कों से करवा दिया........वो अपने घर मै खुश है. [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मै ..अम्मी और मेरी प्यारी बेगम, मेरी फरी बाजी जो आज भी मेरे लिये कुछ भी करने को तैयार रहती है[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]हम तीनों एक ही घर पे रह के ..अपनी जिंदगी का मज़ा ले रही हैं ...[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जो भी हमारे बीच हुआ ...किसी को पता नहीं है.... फरीदा और फरजाना के शोहर फरी को मेरी बेगम के रूप मै जानते हैं...[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कभी कभी हम सब भाई बहन और अम्मी ..जब भी अकेले मोका मिलता है... पुराने दिन याद करते है .. हमें..अब्बू की कमी बहुत खलती है... पर क्या करे...[/font]


[font=Arial, Helvetica, sans-serif]समाप्त[/font]
 
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