desiaks
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इतने में वो दोनों घर पहुँच जाती हैं, घर में कामवाली बाईं के सिवा और कोई नहीं था। वो दोनों अंदर जाती हैं, और देखती की मीता और बिटू दोनों सामने खड़े हैं। ये देखकर चरणजीत हैरान जो जाती है, लेकिन सुखजीत को पता होता है, की उन दोनों ने आना ही है। क्योंकी वो आपने आप ही जानबूझ कर हरपाल को कहने के बहाने उन दोनों को इन्वाइट करके आई थी।
चरणजीत मीता को देखकर बोली- “भाईजी आप यहाँ क्या कर रहे हो?"
मीता मूंछच को ताव देकर बोला- “बहनजी बस आपको मिलने के लिए आया हूँ, क्या बात है आजकल आप बात नहीं करते...” कहकर मीता चरणजीत के पास हो जाता है।
उधर बिटू भी सुखजीत के पास हो जाता है और सुखजीत धीरे से कहती है- “भाईजी आप मेरे घर वाले को क्या कहकर आए हो?"
त को कमर से पकड़कर उसे अपनी तरफ खींचकर बोला- "मैंने उसको कहा की आज भाभी बड़ी सेक्सी लग रही है, मैं जरा उसपर अपना हाथ साफ करके आया..”
सुखजीत के मुँह से ये सुनते ही- “आह्ह... आह्ह...” निकलती है, और वो बिटू को अपनी बाहों में भर लेती है।
इधर मीते ने भी चरणजीत को खींचकर अपनी बाहों में भर लिया था और वो बोला- "भाभी आज कमाल की लग रही है..” कहकर वो चरणजीत के चूतरों पर हाथ रखा देता है।
दोनों जट्टियां और उन दोनों के यार एक रूम में मुलाकात कर रहे होते हैं। सुखजीत बिटू को अपनी बाहों में भरकर उसके सीने पर हाथ फेरते हुए बोली- "आप और क्या-क्या कहकर आए हो मेरे पति को?"
बिटू अपना हाथ सुखजीत के चूतरों पर लेकर आता और जोर से मसलकर बोला- “और कहकर आया हूँ, की तेरी घरवाली बहुत मस्त होकर मुझे अपनी चूत देती है.."
सुखजीत आँख बंद करके बोली- “अच्छा और क्या कहा?"
बिटू सुखजीत की कमीज का पल्ला उठाकर पीछे से उसकी गाण्ड में उंगली डालकर बोला- “और मैं ये कहकर आया हूँ, की तेरी घर वाली के चूतरों के बीच उंगलियां डालने में बहुत मजा आता है...”
सुखजीत ये सुनते ही बहुत खुश और गरम हो जाती है। और फिर सुखजीत अपने लाल होंठ बिटू के होंठों में डालकर उसके होंठों को चूसने लगती है। बिटू भी एक हाथ सुखजीत की गाण्ड पर रखता है और दूसरा हाथ उसकी चचियों पर रखकर दोनों को एक साथ मसल देता है।
दूसरी तरफ मीता चरणजीत को चूस रहा था और चरणजीत बोलती है- "ना भाईजी ऐसा ना करो... मुझे जाना भी है, बलविंदर ने मुझे जल्दी आने को कहा था..."
मीता- “ओह्ह... तू छोड़ उस बलविंदर को, जब मैं तेरे साथ हूँ। वैसे बस में तो तू बहुत अपनी चूतर हिला रही थी। अब हिला ना अब मैं तेरे साथ हूँ..” मीता चरणजीत के दोनों चूतर पकड़कर कसकर मसल देता है।
इससे चरणजीत बहुत गरम हो जाती है, और मीते के होंठों को अपने आप चूसने लगती है।
होंठों को चुसवाते हुए सुखजीत चरणजीत को देखकर आँख मारती है।
इतने में चरणजीत के फोन पर बलविंदर का फोन आ जाता है। ये देखकर चरणजीत एकदम घबरा जाती है, और मीता से अलग होकर फोन उठाकर बोली- “हेलो..."
बलविंदर- ओ यार तू कहाँ रह गई, सब यहाँ तेरा इंतेजार कर रहे हैं।
चरणजीत- हाँ बस अभी आई 5 मिनट में।
सुखजीत और बिटू अभी भी लिपटे हुए थे।
चरणजीत उन्हें देखकर बोली- “बहनजी चलो अब फोन आ गया है."
सुखजीत उदास सा मुँह बनाकर बिटू को देखती है और उसके होंठों को चूसकर बोली- "मुझे अब जाना पड़ेगा भाईजी...”
बिटू सुखजीत के चूतर मसलकर फिर से होंठ चूसकर बोला- "आज रात तुझे मैंने मोटर पर ठोंकना है..."
सुखजीत शर्मा जाती है, और आँखें नीचे करके लण्ड को पकड़कर आँख मारकर वहां से चली जाती है। दोनों घर से निकल जाती हैं, और शगुन वाली वहां जगह पहुँच जाती हैं। कार से निकलने से पहले चरणजीत सुखजीत की तरफ देखकर बोली।
चरणजीत- “बहनजी आपकी लिपस्टिक खराब हो रखी है.."
सुखजीत ये सुनकर मिरर में अपनी लिपस्टिक को ठीक करती है, और दोनों अपनी-अपनी चूचियां सेट करके पहली जैसी बनकर अंदर चली जाती हैं।
* * * * * * * * * *
चरणजीत मीता को देखकर बोली- “भाईजी आप यहाँ क्या कर रहे हो?"
मीता मूंछच को ताव देकर बोला- “बहनजी बस आपको मिलने के लिए आया हूँ, क्या बात है आजकल आप बात नहीं करते...” कहकर मीता चरणजीत के पास हो जाता है।
उधर बिटू भी सुखजीत के पास हो जाता है और सुखजीत धीरे से कहती है- “भाईजी आप मेरे घर वाले को क्या कहकर आए हो?"
त को कमर से पकड़कर उसे अपनी तरफ खींचकर बोला- "मैंने उसको कहा की आज भाभी बड़ी सेक्सी लग रही है, मैं जरा उसपर अपना हाथ साफ करके आया..”
सुखजीत के मुँह से ये सुनते ही- “आह्ह... आह्ह...” निकलती है, और वो बिटू को अपनी बाहों में भर लेती है।
इधर मीते ने भी चरणजीत को खींचकर अपनी बाहों में भर लिया था और वो बोला- "भाभी आज कमाल की लग रही है..” कहकर वो चरणजीत के चूतरों पर हाथ रखा देता है।
दोनों जट्टियां और उन दोनों के यार एक रूम में मुलाकात कर रहे होते हैं। सुखजीत बिटू को अपनी बाहों में भरकर उसके सीने पर हाथ फेरते हुए बोली- "आप और क्या-क्या कहकर आए हो मेरे पति को?"
बिटू अपना हाथ सुखजीत के चूतरों पर लेकर आता और जोर से मसलकर बोला- “और कहकर आया हूँ, की तेरी घरवाली बहुत मस्त होकर मुझे अपनी चूत देती है.."
सुखजीत आँख बंद करके बोली- “अच्छा और क्या कहा?"
बिटू सुखजीत की कमीज का पल्ला उठाकर पीछे से उसकी गाण्ड में उंगली डालकर बोला- “और मैं ये कहकर आया हूँ, की तेरी घर वाली के चूतरों के बीच उंगलियां डालने में बहुत मजा आता है...”
सुखजीत ये सुनते ही बहुत खुश और गरम हो जाती है। और फिर सुखजीत अपने लाल होंठ बिटू के होंठों में डालकर उसके होंठों को चूसने लगती है। बिटू भी एक हाथ सुखजीत की गाण्ड पर रखता है और दूसरा हाथ उसकी चचियों पर रखकर दोनों को एक साथ मसल देता है।
दूसरी तरफ मीता चरणजीत को चूस रहा था और चरणजीत बोलती है- "ना भाईजी ऐसा ना करो... मुझे जाना भी है, बलविंदर ने मुझे जल्दी आने को कहा था..."
मीता- “ओह्ह... तू छोड़ उस बलविंदर को, जब मैं तेरे साथ हूँ। वैसे बस में तो तू बहुत अपनी चूतर हिला रही थी। अब हिला ना अब मैं तेरे साथ हूँ..” मीता चरणजीत के दोनों चूतर पकड़कर कसकर मसल देता है।
इससे चरणजीत बहुत गरम हो जाती है, और मीते के होंठों को अपने आप चूसने लगती है।
होंठों को चुसवाते हुए सुखजीत चरणजीत को देखकर आँख मारती है।
इतने में चरणजीत के फोन पर बलविंदर का फोन आ जाता है। ये देखकर चरणजीत एकदम घबरा जाती है, और मीता से अलग होकर फोन उठाकर बोली- “हेलो..."
बलविंदर- ओ यार तू कहाँ रह गई, सब यहाँ तेरा इंतेजार कर रहे हैं।
चरणजीत- हाँ बस अभी आई 5 मिनट में।
सुखजीत और बिटू अभी भी लिपटे हुए थे।
चरणजीत उन्हें देखकर बोली- “बहनजी चलो अब फोन आ गया है."
सुखजीत उदास सा मुँह बनाकर बिटू को देखती है और उसके होंठों को चूसकर बोली- "मुझे अब जाना पड़ेगा भाईजी...”
बिटू सुखजीत के चूतर मसलकर फिर से होंठ चूसकर बोला- "आज रात तुझे मैंने मोटर पर ठोंकना है..."
सुखजीत शर्मा जाती है, और आँखें नीचे करके लण्ड को पकड़कर आँख मारकर वहां से चली जाती है। दोनों घर से निकल जाती हैं, और शगुन वाली वहां जगह पहुँच जाती हैं। कार से निकलने से पहले चरणजीत सुखजीत की तरफ देखकर बोली।
चरणजीत- “बहनजी आपकी लिपस्टिक खराब हो रखी है.."
सुखजीत ये सुनकर मिरर में अपनी लिपस्टिक को ठीक करती है, और दोनों अपनी-अपनी चूचियां सेट करके पहली जैसी बनकर अंदर चली जाती हैं।
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