Desi Sex Kahani निदा के कारनामे - Page 3 - SexBaba
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Desi Sex Kahani निदा के कारनामे

काफी देर तक मेरी चूत को अंदर तक चूसने के बाद उन्होंने मेरी चूत के लबों को दाँतों में लेकर काटना शुरू कर दिया और मेरे सिसकारियां और तेज हो गईं। अंकल ने 10-12 मिनट तक बहुत बुरी तरह से मेरी चूत को काटा

और मैं आखीरकार में झड़ गई। अब हम दोनों पूरी तरह सेक्स के लिए तैयार थे। अंकल ने मेरे ऊपर झुक कर अपने लण्ड की टोपी मेरी चूत के सुराख पर फिट करी और अंकल ने दो झटकों में पूरा का पूरा लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया।

और मैं मस्ती में आकर चिल्ला पड़ी- “आहह्ह... ऊऊओह... हहाअ...”

अंकल मुश्कुराये और बोले- “क्यों मजा आया सोबिया डार्लिंग... अब एक और लो..” ये कहकर उन्होंने पहले से भी ज्यादा जोरदार झटका मारा।

और मेरे हलाक से पहले से भी ज्यादा तेज सिसकारी निकली- “आहहह... आह्ह्ह..”

5 मिनट के झटकों के बाद अब अंकल जोर-जोर से मेरी चूत चोद रहे थे। वो अब अपना लण्ड मेरी चूत से निकालकर पूरा का पूरा मेरी चूत में एक ही झटके में डाल देते और मैं फिर चिल्ला उठती। मजीद दो मिनट बाद मैं झड़ गई मगर अंकल मुझे चोदते ही रहे और अब अंकल की रफ्तार भी बहुत तेज हो गई थी और 5-6 मिनट के बाद उन्होंने लण्ड निकाला और मेरी चूत के बाहर अपना माल छोड़ दिया, जो बहता हुआ मेरी चूचियां तक आ गया था।


अंकल की सांस बुरी तरह फूल रही थी और मेरी भी, 3-4 मिनट बाद अंकल एक बार फिर तैयार थे और इस दौरान मैं अपनी चूत में उंलगी करके एक बार फिर झड़ गई थी। तकरीबन 5 मिनट के बाद हमारी हालत नार्मल हो गई और हम दोनों फिर से चुदाई के लिए तैयार थे। फिर अंकल ने मुझे नीचे कार्पेट पर चारों हाथ पैरों पर डागी स्टाइल में खड़ा कर दिया। फिर वो मेरे पीछे आये और वो अपना लण्ड मेरी चूत पर रगड़ने लगे।

मैं तड़प कर बोली- “उफफ्फ़... अंकल क्यों तड़पा रहे हैं, जल्दी से अपना लण्ड मेरी चूत में डालें...”

इस पर वो हँसे और फिर उन्होंने अपना लण्ड मेरी चूत में घुसाया, हुदाप की तेज आवाज मेरी चूत से निकली और लज़्ज़त की शिद्दत से मैंने सिसकारी लेकर अपनी आँखें बंद कर लीं। मेरे ऊपर झुक कर उन्होंने मेरे दोनों मम्मों को पकड़ लिया। और उन्होंने फिर टाफानी रफ़्तार से झटके मारकर मुझे चोदना शुरू कर दिया। जब की मैं बुरी तरह से चीखने लगी- “चोद दो, फाड़ दो आह्ह्ह... उउइईई... मारो धक्केई जोर सेई अंकल्ल...”

अंकल के जोरदार झटके इस तरह 5-7 मिनट तक चलते रहे।
 
उसके बाद उन्होंने मुझे टेबल पर हाथ रखकर झुक जाने को बोला। मैं अपने दोनों हाथ टेबल पर रखकर घोड़ी की तरह झुक कर खड़ी हो गई। अंकल मेरे पीछे आ गये और अपना लण्ड पीछे से मेरी चूत में डाला और फिर झुक कर मेरे दोनों ममममों को पकड़ लिया और मेरे मम्मों को जोर-जोर से दबाते हुये जोर-जोर से मुझे चोदने लगे। मुझे इस स्टाइल में बहुत मजा आ रहा था और मैं लज़्ज़त के मारे बुरी तरह से सिसकने लगी। मचलने । लगी, तड़पने लगी।

अंकल को भी शायद इस स्टाइल में मुझे चोदकर बहुत मजा मिल रहा था। अंकल पहले दो बार फारिग हो चुकी थी इसलिए उनका स्टेमिना बढ़ चुका था, 5 मिनट तक अंकल मुझे इस तरह चोदते रहे। फिर उन्होंने मुझे नीचे कालीन पर लिटा दिया और फिर मेरी टांगें उठाकर मेरे ही तरफ कर दीं और मेरे ऊपर झुक कर अपना लण्ड । मेरी चूत में डाल दिया और पूरी ताकत से झटके मारकर मुझे चोदने लगे। थोड़ी देर के बाद मैं झड़ने वाली थी

और मैं अंकल से कहने लगी- “उफफ्फ़... आअह्ह... अंकल मैं झड़ रही हूँ... जान-जोर से चूत मारो मेरी और जोर से कम ओन अंकल्ल फकक मी...”

मैं इतनी मदहोश थी की मुँह से अल्फ़ाज सही से नहीं निकल रहे थे और अंकल भी जोर जोर से धक्के पर धक्का मारते हुये बोले- “ओह सोबिया... मैं भी छूट रहा हूँ..” ये कहके उन्होंने लण्ड चूत से निकाला और मेरी चूचियां पर ये कहते हुये- “आह्ह्ह... आश मेरीई जान्न ल्लो...” और हाँफते हुये मेरे बराबर में लेट गये। हम दोनों अब बुरी तरह थक गये थे।
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15-20 मिनट बाद मैं उठी और अंकल से कहा की मैं नहाकर आती हूँ, आप मेरी टी-शर्ट प्रेस कर दीजिएगा और एक कप चाय भी बना लीजिएगा इतनी देर में। और मैं नहाने चली गई। मैं अच्छी तरह नहा धोकर जीन्स पहनके और ऊपर शरीर में तौलिया लपेटके आ गई। क्योंकी टी-शर्ट तो बाहर ही थी। अंकल ने प्रेस करके रूम में रख दी थी। मैं बाहर आई तो अंकल ने कहा की चाय यहीं ले आऊँ।

मैंने कहा- “जैसे आपकी मर्जी..”

वो चाय लेकर आये, तब भी मैंने टी-शर्ट नहीं पहनी थी, तौलिया में ही थी। फिर हमने चाय पी और इस दौरान खामोश ही रहे। मैंने अंकल से कहा की “अंकल मुझे फ्रेन्ड की बर्थडे में जाना है आप छोड़ दीजिये...”

तो उन्होंने कहा- “क्यों नहीं?”

मैंने कहा- “बैंक्श अंकल..." और टी-शर्ट लेकर वाशरूम जाने लगी।

तो अंकल बोले- “कहाँ जा रही हो... यही चेंज कर ल्लो..."

मैं मुश्कुराई और बोली- “जैसे आप कहें...” और तौलिया उतार दिया। मेरे मम्मे देखके उनका लण्ड फिर खड़ा हो गया। मैंने टी-शर्ट पहनी और जाने के लिए तैयार हो गई।

अंकल ने कहा की मैं जरा वाशरूम से आ जाऊँ। मैं हसरत भरे अंदाज से मुश्कुराई और बोली की क्यों अंकल क्या झड़ने जा रहे हैं?

मेरे इस रिमार्क पर वो थोड़ा शर्मिंदा सा हो गये और वू... करने लगे।

मैंने कहा अंकल आप भी क्या याद करेंगे, मैं जाते-जाते आपको हैंड जाब भी दे जाती हैं और ये कहकर मैं उनके पास गई और उनकी पैंट से उनका लण्ड निकालकर हैंडजाब देनी लगी और अंकल आहें भरने लगे और दो मिनट में ही झड़ गये। 5 मिनट बाद मैं गाड़ी में बैठी अपनी फ्रेन्ड के घर जा रही थी।
 
पापा के आफिस के साथी

उफफ्फ़... राणा साहेब ये आगगज्ग मुझे टिकने नहीं देती...

जैसा की आप लोगों को पता है की मेरे अब्बू रेलवे में काम करते हैं जिसकी वजह से साल या 6 महीने में अब्बू का किसी दूसरे शहर में ट्रान्सफर हो जाता था। जब मैं खाला के घर से वापिस अब्बू के पास लाहोर आई तो चंद दिनों बाद ही अब्बू का मुल्तान में ट्रान्सफर हो गया, वजह ये थी की मुल्तान में मोजूद एक रेलवे आफिसर की मौत हो गई थी और उनके रीप्लेसमेंट के तौर पर अर्जेट्ली अब्बू का मुल्तान ट्रान्सफर कर दिया गया था। अब्बू को दूसरे दिन से ही मुल्तान में ड्यूटी जाय्न करनी थी। फौरी तौर पर अब्बू मुझे अपने साथ मुल्तान नहीं ले जा सकते थे इस लिए लाहोर में मेरी रिहाइस का मसला हुवा, क्योंकी जो घर अब्बू को मिला हुवा था वो भी खाली करना था।

अब्बू के दोस्त असगर साहिब भी अपनी बीवी बच्चों के साथ आउट आफ स्टेशन थे और लाहोर में अब्बू का और कोई दोस्त भी नहीं था। पहले अब्बू ने सोचा की मुझे वापिस खाला के घर भेज दें जिसपर मैं राजी भी हो गई पर बाद में अब्बू ने ये सोचकर अपना फैसला बदल दिया की मैं पहले ही इतने दिन वहां रहकर आई हूँ, इसलिए शायद खाला और खालू ऐतराज ना करें। मैंने अब्बू के फैसले पर कोई ऐतराज नहीं किया और चुप रही। बहुत सोचने के बाद अब्बू ने फैसला किया की मुझे अब्बू अपने आफिस के एक सीनियर आफिसर के घर छोड़ दें। अब्बू ने उनको फोन किया और अपना मसला बताया तो वो मुझे अपने घर ठहाने पर तैयार हो गये। अब्बू मुझे लेकर अपने आफिसर के घर पहुंचे।


अब्बू के आफिसर का नाम राणा काशिफ था। उनकी उमर कोई 50 से 55 साल होगी। उनके दो बच्चे थे। बड़ी बेटी हमा जिसकी उमर 25 साल थी और उसकी शादी हो चुकी थी और छोटा बेटा फहद जो अभी सिर्फ 12 साल का था। फहद राणा साहिब की दूसरी बीवी से था। उनकी पहली बीवी का इंतकाल हो गया था। उनकी दूसरी बीवी काफी यंग थी। अब्बू मुझे वहां छोड़कर चले गये। राणा साहिब की वाइफ यानी आंटी ने मुझे फहद के बराबर वाला कमरा दिया।


राणा साहिब को भी गवर्नमेंट से घर मिला हुवा था। मगर ये काफी बड़ा घर था। जिसकी दो मंजिलें थी। राणा साहिब और आंटी की रिहाइश ऊपर वाले फ्लोर में थी जबकी फहद का कमरा नीचे वाले फ्लोर पर था। राणा साहिब को गवर्नमेंट की तरफ से तीन मुलाजिम भी मिले हुये थे। रात को मुलाजिमों ने खाना लगाया, खाना खाने के बाद थोड़ी बातें हुई फिर मैं अपने कमरे में आ गई।


सर्दियों के दिन थे इसलिए मैंने अपने सामान से एक सेक्सी नावेल निकाला और लिहाफ में घुसकर बैठ गई और नावेल पढ़ने लगी, थोड़ी देर बाद ही मैं पूरा गरम हो चुकी थी और मेरी चूत में खुजली होने लगी थी और मेरा गंदा जहन बार बार राणा साहिब की तरफ जा रहा था और मैं सोच रही थी की शायद कोई मोका लगे और मैं राणा साहिब से चुदवा सकें। मैंने लिहाफ के अंदर ही अपने कपड़े उतार दिए और लिहाफ को अपने गले तक खींच लिया और दो उंगलियां अपनी चूत में डालकर अपनी चूत की खुजली को कम करने लगी।


थोड़ी देर गुजरी थी की आंटी मुझे बुलाने के लिए आईं और कहने लगी- “गज़ल... सब टीवी पर फिल्म देख रहे हैं। और तुम कमरे में घुसी बैठी हो..”

मैं मुश्कुराई और बोली- “आंटी मेरा दिल नहीं चाह रहा है इसलिए मैं यहां आ गई..”
 
आंटी बोली- “अभी बताओ, दिल नहीं चाह रहा। चलो शराफत से वरना मैं जबरदस्ती ले जाऊँगी...”

मैं मुश्कुराकर बोली- “अच्छा आप चलें में कपड़े चेंज करके आती हूँ..” टीवी लाउंज निचले फ्लोर पर ही था। मैंने जल्दी जल्दी अपने कपड़े पहने और कमरे से बाहर आ गई।

मैं टीवी वाले कमरे में आई तो सब लिहाफ में घुसे बैठे थे। मैं अपने लिए बैठने की जगह देखने लगी। वो सब इस तरह बैठे थे की सिर्फ राणा साहिब के बराबर में जगह खाली थी। ये देखकर मेरा दिल खुशी से भर गया, मगर कमरे में आंटी और फहद भी थे। इसलिए मैं राणा साहिब के बराबर में बैठने से झिझक रही थी। राणा साहिब ने मेरी झिझक को महसूस कर लिया।

और वो कहने लगे- “बेटी यहां ही आ जाओ, सर्दी बहुत है शर्माओ नहीं। मैं तो तुम्हारे बाप से भी बड़ा हूँ..” ये कहकर वो हँसे।

तो मैं भी मुश्कुराकर उनके बराबर में बैठ गई। राणा साहिब ने लिहाफ मेरे ऊपर तक डाल दिया। कोई नई । इंडियन फिल्म लगी हुई थी। अभी थोड़ी देर ही गुजरी थी की राणा साहिब का हाथ मेरी रान से छूने लगा, मेरे जिश्म में एक करेंट सा दौड़ गया पर मैं खामोश रही, जैसे मुझे कुछ पता ही ना चला हो। उनका हाथ अभी तक मेरी रान पर था। मेरी तरफ से ऐतराज ना पाकर राणा साहिब ने अब मेरी रान को सहलाना शुरू कर दिया। मैंने राणा साहिब को देखा मगर कुछ ना बोली।

मेरी खामोशी से हिम्मत पाकर उन्होंने अब मेरी पूरी रान को ऊपर तक सहलाना शुरू कर दिया था। मेरे दिल में तो पहले से ही राणा साहिब से चुदवाने की ख्वाहिश थी इसलिए मैं खिसक कर कुछ और उनके नजदीक हो गई। मेरी ये हरकत देखकर राणा साहिब मुश्कुरा दिए और फिर उन्होंने अपना एक हाथ मेरे एक मम्मे पर रख दिया और उसे हल्के से दबा दिया।

मुझे बहुत मजा आया और मैंने मजे के आलम में अपनी आँखें बंद कर ली। फिर जब उन्होंने कुछ जोर से मेरे मम्मे को दबाया तो मैंने बड़ी मुश्किल से अपनी सिसकारी को रोका और आँखें खोलकर राणा साहिब को देखा। मेरे देखने पर राणा साहिब मुश्कुराने लगे तो मैं भी मुश्कुराने लगी। अब राणा साहिब का सारा डर खतम हो। गया था और उन्होंने जोर-जोर से मेरे मम्मे को दबाना शुरू कर दिया। फिर जब उन्होंने बहुत ही जोर से मेरे मम्मे को दबाया तो मैंने बड़ी मुश्किल से अपने मुँह से निकलने वाली चीख को रोका। मैंने गुस्से से राणा साहिब को देखा तो वो मुश्कुराने लगे। वो फिर से मेरे मम्मे को जोर-जोर से दबाने लगे।

मैं जरा सा राणा साहिब की तरफ झुकी और बहुत आहिस्ता से बोली- “राणा साहिब जरा आहिस्ता से दबायें मैं बहुत मुश्किल से अपनी चीखें रोक रही हूँ.."

वो भी आहिस्ता से बोले- “इतने बड़े-बड़े मम्मों को मैं आहिस्ता कैसे दबा सकता हूँ ये खुद मुझे कह रहे हैं की मैं और जोर-जोर से दबाऊँ..." और ये कहकर उन्होंने और जोर से मेरे मम्मे को दबा दिया।

मैं फिर बोली- “उफफ्फ़.. राणा साहिब समझने की कोशिश करें बाद में जितना दिल चाहे जोर से दबा लीजिएगा अभी आहिस्ता दबायें वरना मेरी आवाज फहद या आंटी सुन लेंगी.”
 
राणा साहिब बोले- “बाद की बात बाद में, अभी तो मैं ऐसे ही दबाऊँगा..." और वो फिर जोर-जोर से मेरे मम्मों को दबाने लगे।

अब मुझसे फिल्म नहीं देखी जा रही थी। जब की फहद और आंटी हम दोनों से बेखबर फिल्म देख रहे थे। एक हाथ से मेरे मम्मे को दबाते हुये राणा साहिब का दूसरा हाथ मेरी रानों के बीच की तरफ बढ़ने लगा। मैं जानती
थी की अब उनका हाथ मेरी चूत की तरफ बढ़ रहा है। राणा साहिब की आसानी के लिए मैंने खुद ही अपनी टांगों को खोल दिया ताकी उनका हाथ सही से मेरी चूत पर आ जाये।

मेरी इस हरकत पर राणा साहिब मुश्कुराये और बोले- “अब आई हो ना तुम लाइन पर...”

मैं मुश्कुराई और बोली- “राणा साहिब लाइन पर तो मैं हर वक़्त ही रहती हूँ बस अपनी लाइन पर किसी के आने का इंतेजार करती हूँ..."

राणा साहिब मुश्कुराकर बोले- “ये तो और अच्छी बात है, तुम्हारे साथ काफी मजा आयगा...” अब उनका हाथ मेरी चूत पर था और वो मेरी शलवार के ऊपर से ही मेरी चूत को मसलने लगे।


मैं उनकी तरफ झुकी और बोली- “राणा साहिब शलवार में एलास्टिक है आप हाथ अंदर डाल लें..”

राणा साहिब ने अपना हाथ मेरी शलवार में डालने के बजाय मुझे हल्का सा ऊपर उठने को बोला तो मैं जरा सा ऊपर हो गई। राणा साहिब ने शलवार खींचकर मेरे घुटनों तक उतार दी और मैंने आहिस्ता आशिस्ता अपने पैरों से पूरी शलवार उतार दी और अपनी टांगें चौड़ी कर दी। अब राणा साहिब का हाथ आसानी से मेरी चूत का सर्वे कर रहा था और मैं मजे से पागल हुई जा रही थी। फिर उन्होंने अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाली तो मेरे मुँह से सिसकारी निकलते निकलते बची। वो काफी देर तक मेरी चूत में उंगली करते रहे।

फिर वो कहने लगे- “अपनी कमीज उतारो, मैं अब तुम्हारी चूत की तरह तुम्हारे मम्मे दबाना चाहता हूँ..”

मैंने खुले गले की कमीज पहनी हुई थी जिसमें सामने की तरफ बटन लगे हुये थे। मैंने कमीज के सारे बटन खोल दिए और थोड़ा सा ऊपर की तरफ झुकी तो राणा साहिब ने मेरी कमीज उतार दी। फिर उन्होंने मेरी कमर पर बँधी ब्रार का हुक खोला तो मैंने खींचकर अपनी ब्रा उतार दिया। अब मैं बुल्कुल नंगी हो चुकी थी। अब राणा साहिब आजादी से मेरे मम्मों और चूत को दबा और सहला रहे थे।

मैंने शिकायती अंदाज में राणा साहिब से कहा- “राणा साहिब आपने तो मुझे पूरा नंगा कर दिया मगर खुद सारे कपड़े पहने हुये हैं, और आपने अभी तक अपने हथियार को भी आजाद नहीं किया...”

राणा साहिब हँसे और बोले- “ये काम तो तुमने खुद करना होगा। तुम अपपने काम की चीज खुद ही ढूँढो...”

राणा साहिब की बात सुनकर मैंने अपना हाथ उनकी रानों की तरफ बढ़ाया तो मुझे पता चला की उन्होंने तो धोती बाँधी हुई है। और उनकी रानों में उनका लण्ड पूरा अकड़ा हवा खड़ा था। मैंने फौरन उनका लण्ड पकड़ लिया। मैंने अंदाजा लगाया की उनका लण्ड तकरीबन 9 इंच लंबा और तीन इंच मोटा है। मैं राणा साहिब की तरफ झुक कर बोली- “राणा साहिब आपका लण्ड 9 इंच लंबा और तीन इंच मोटा है ना...”

राणा साहिब मुश्कुराकर बोले- “बहुत सही अंदाजा लगाया है। अब तक कितनों के लण्ड पकड़ चुकी हो जो इतना सही अंदाजा लगाया है...”

मैं मुश्कुराई और बोली- “बहुत से लण्ड मेरे हाथों में आ चुके हैं और ये काम मेरे लिए नया नहीं है...”

अभी हमारी बातें जारी थी की आंटी को नींद आने लगी तो उन्होंने फहद को भी अपने कमरे में जाने को बोला।
फहद कहने लगा- “अभी मैंने फिल्म देखनी है...”

मगर आंटी ने उसे डाँट दिया और वो उसे अपने साथ ले गई। आंटी और फहद के कमरे से जाते ही राणा साहिब ने मुझे लिपटा लिया और बेतहाशा मुझे चूमने लगे। मैं हँसकर बोली- “अरे अरे... राणा साहिब थोड़ा सबर करें, मैं कहीं भागी नहीं जा रही, अभी आंटी और फहद सोए नहीं होंगे। अगर उन दोनों में से कोई कमरे में आ गया तो मसला हो जायेगा...”

राणा साहिब ने मुझे जोर से भींचा और बोले- “अब मुझसे सबर नहीं हो रहा है...” ये कहकर उन्होंने लिहाफ उतारकर फेंक दिया और मुझे सोफे पर लिटा दिया और खुद मेरे ऊपर लेट गये और पागलों की तरह मेरे होंठों को चूमने लगे।
 
बहुत दिनों के बाद मेरे जिश्म को किसी मर्द ने छुआ था इसलिए मैं भी पूरे मजे में थी और मेरी आँखें बंद थी। काफी देर तक राणा साहिब मेरे होंठों को चूमते रहे फिर वो मेरे बड़े-बड़े मम्मों पर टूट पड़े। वो बुरी तरह से मेरे दोनों मम्मों को दबाते हुये मेरे मम्मों को चूम और चाट रहे थे।

जबकी मैं मजे में अपनी आँखें बंद करके लज़्ज़त भरी सिसकारियां ले रही थी और उनका सर अपने मम्मों पर दबा रही थी। जब-जब राणा साहिब मेरे मम्मों के निप्पेल्स को दाँतों में लेकर काट लेते तो मैं लज़्ज़त से तड़पतड़प जाती। राणा साहिब बहुत वहशियाना तरीके से मेरे मम्मों पर काट रहे थे, जिससे मुझे बहुत ही लज़्ज़त । महसूस हो रही थी। जब राणा साहिब ने मेरे मम्मों से सर उठाया तो मेरे दोनों मम्मों पर उनके दाँतों के निशान बन गये थे।

मैं सिसकारी लेकर बोली- “उफफ्फ़... राणा साहिब आप बहुत अच्छे हैं अब आप मेरी चूत को भी इसी तरह चूसें और काटें, आज आपने मुझे बहुत लज़्ज़त दी है."

राणा साहिब मुश्कुराये और वो फिर मेरी चूत पर झुक गये। सबसे पहले राणा साहिब ने मेरी नाभि से लेकर मेरी चूत के नीचे तक बेतहाशा बोसे दिए फिर वो मेरी चूत पर अपनी जबान फेरने लगे। उसके बाद उन्होंने बारी-बारी मेरी चूत के दोनों लबों को मुँह में लेकर चूसा और उसके बाद उन्होंने अपने दोनों हाथों की उंगलियों से मेरी चूत को चीरा और अपनी जबान मेरी चूत के अंदर तक डालकर अपनी जबान से मेरी चूत को चोदने लगे। मैं लज़्ज़त के आसमान पर उड़ रही थी और मेरे हलाक से काफी तेज सिसकारियां निकल रही थीं। और मैं उनका सर अपनी चूत पर दबा रही थी।

काफी देर तक मेरी चूत को अंदर तक चूसने के बाद उन्होंने मेरी चूत के लबों को दाँतों में लेकर काटना शुरू कर दिया और मेरी सिसकारियां तेज हो गई। राणा साहिब ने 15 मिनट तक बहुत बुरी तरह से मेरी चूत को काटा और मैं दो मर्तबा उनके मुँह में झड़ी।

फिर राणा साहिब सोफे पर बैठते हुये बोले- “गज़ल डार्लिंग अब तुम मेरा लण्ड चूसो...”

मैं उनकी टाँगों के बीच में घुटनों के बल बैठ गई। मैंने उनका लंबा तना हुवा लण्ड पकड़ा और उनके लण्ड की टोपी पर अपने होंठ रख दिए। मैंने एक तवील किस उनके लण्ड की टोपी पर किया। जब मैंने अपने होंठ टोपी पर से हटाये तो टोपी के सुराख से मनी का सफ़्फाक कतरा निकल आया। मैंने जबान से मनी के कतरे को पूरी टोपी पर फैलाया और टोपी को मुँह में लेकर चूसने लगी।

उसके बाद मैंने उनके लण्ड की टोपी मुँह से निकाली और उनके लण्ड को ऊपर से नीचे तक चारों तरफ से अपनी जबान निकालकर चाटने लगी। काफी देर तक उनका लण्ड चाटा।
 
फिर मैंने बारी-बारी उनके दोनों टट्टों को मुँह में लेकर चूसा। राणा साहिब मेरे चोप्पे से बहाल हो गये थे और वो भी बुरी तरह से सिसकारियां ले रहे थे। फिर मैंने उनका पूरा लण्ड मुँह में ले लिया और लण्ड को कुलफी की। तरह मजे से चूसने लगी। मेरे चूसने से राणा साहिब को बहुत मजा आ रहा था और उन्होंने अपने लण्ड को मेरे मुँह में आगे पीछे करना शुरू कर दिया। जब राणा साहिब अपना पूरा लण्ड मेरे मुँह में घुसा देते तो उनका लण्ड मेरे हलाक से भी नीचे चला जाता।

काफी देर तक अपना लण्ड मेरे मुँह में आगे पीछे करने के बाद उनकी रफ़्तार एकदम से तेज हो गई और वो जोर-जोर से अपना लण्ड मेरे मुँह में अंदर बाहर करने लगे। 5 मिनट बाद बाद उनके लण्ड ने एक जोरदार झटका खाया और उनके लण्ड से निकलने वाली मनी का फौवारा जोरदार झटके से मेरे हलाक से टकराया और मेरा पूरा मुँह राणा साहिब के लण्ड से निकलने वाली मनी से भर गया।

राणा साहिब कहने लगे- “सारी मनी पी जाओ एक कतरा भी नीचे गिरने नहीं देना...”

राणा साहिब के कहने के मुताबिक मैंने उनके लण्ड की सारी मनी पी ली। सारी मनी पी लेने के बाद मैंने उनका लण्ड निकाला तो वो मनी से बुरी तरह लिथड़ा हुवा था। मैंने चाट-चाटकर उनका लण्ड अच्छी तरह साफ किया और फिर दोबारा उसे मुँह में लेकर चूसने लगी। थोड़ी देर बाद ही राणा साहिब का लण्ड लोहे की तरह सख़्त हो गया तो मैंने उनका लण्ड मुँह से निकल लिया।

अब राणा साहिब का लण्ड मेरी चूत को फाड़ने के लिए बिल्कुल तैयार थे। राणा साहिब ने मुझे सोफे पर ही लिटा दिया। उन्होंने मेरी एक टांग सोफे के नीचे लटका दी और दूसरी टांग उठाकर सोफे के बैक साइड वाली। हत्थे पर रख दी। इस पोजिशन में मेरी चूत के लब खुल गये और चूत का सुराख अंदर तक साफ दिखाई देने लगा। फिर राणा साहिब ने मेरे ऊपर झुक कर अपने लण्ड की टोपी मेरी चूत के सुराख पर फिट करी और बोलेसंभलना... मैं एक ही झटके में अपना पूरा लण्ड तुम्हारी चूत में डाल दूंगा...”

मैं मुश्कुराई और बोली- “आप बेफिकर रहें राणा साहिब मैं तैयार हूँ...”

फिर राणा साहिब ने अपनी पूरी ताकत लगाकर एक बहुत ही जोरदार झटका मारा। राणा साहिब का झटका इतना जोरदार था की पूरा सोफा हिल गया। तकलीफ में मारे मेरे हलाक से एक जोरदार चीख निकल गई आह्ह्ह... मेरी आँखों के सामने अंधेरा छा गया।

राणा साहिब का लण्ड जड़ तक मेरी चूत में घुस चुका था। राणा साहिब मुश्कुराये और बोले- “क्यों मजा आया डार्लिंग। अब एक और लो..” ये कहकर उन्होंने पहले से भी ज्यादा जोरदार झटका मारा।

और मेरे हलाक से पहले से भी ज्यादा तेज चीख निकली- “आहह्ह.. हहाआ... आआह्ह...” मेरी आँखों से आँसू निकल आये।
 
मेरे आँसू देखकर राणा साहिब हँसे और बोले- “अभी से चे बोल गई अभी तो मैं शुरू हुवा हूँ..” ये कहकर उन्होंने जोर-जोर से झटके मारने शुरू कर दिए।

राणा साहिब का हर झटका पहले से जोरदार आ रहा था और मेरे हलाक से तेज से तेज चीख निकल रही थी। मैंने पहले भी 9 इंच लंबे लण्ड वाले आदमियों से चुदवाया था मगर राणा साहिब का लण्ड बहुत मजबूत और ठोस था जैसे उनका लण्ड पत्थर का बना हुवा हो, और आज तक मैंने जिस जिससे भी चुदवाया था किसी का
भी लण्ड इतना मजबूत और ठोस नहीं था जितना राणा साहिब का था। और यही वजह थी की राणा साहिब का लण्ड मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। मुझे बहुत तकलीफ हो रही थी और मेरी चूत फटी जा रही थी।

आंटी ऊपर वाले पोरशन में थी और फहद का कमरा यहां से काफी दूर था इसलिए मेरी चीखों की आवाज उन दोनों तक नहीं जा सकती थी।

राणा साहिब को भी अंदाजा था की मेरी चीखें उन दोनों तक नहीं जा सकती इसलिए वो बगैर किसी आसरे के कुत्तों की तरह मेरी चुदाई कर रहे थे। राणा साहिब कुत्तों की तरह धपा-धप, धपा-धप झटकों पर झटके मारते ही चले जा रहे थे और मैं तकलीफ की वजह से चीखे जा रही थी। राणा साहिब के 5 झटकों बाद ही मैं झड़ गई

और मेरी चूत से पानी निकल गया। किसी से भी चुदवाते हुये मैं इतनी जल्दी कभी नहीं झड़ी थी।

राणा साहिब मेरे झड़ने पर हँसने लगे, और बोले- “बस... बर्दाश्त नहीं कर सकी तुम्हारी चूत मेरा लण्ड और छूट गई..” वो बुरी तरह हँसने लगे, जबकी मैं शर्मिंदा हो गई।

वो फिर झटके मारने लगे। उनके 7 झटकों बाद मैं फिर झड़ने वाली थी। मैंने बहुत कोशिश करी की मैं ना झडू मगर राणा साहिब ने आठवां झटका इतना जोरदार मारा की मैं ना चाहते हुये भी झड़ गई। राणा साहिब फिर हँसे और हँसते हुये बोले- “तुम तो बहुत कम हिम्मत वाली हो, तुम्हारी चूत तो मेरे 10 झटके भी बर्दाश्त नहीं कर सकी...” ये कहने के बाद उन्होंने अपना लण्ड मेरी चूत से निकालकर मुझे नीचे कार्पेट पर चारों हाथ पैरों पर दोगी स्टाइल में खड़ा कर दिया। फिर वो मेरे पीछे आये और मेरे पीछे बैठकर उन्होंने अपना लण्ड मेरी चूत में। घुसाया और मेरे ऊपर झुक कर उन्होंने मेरे दोनों मम्मों को पकड़ लिया और उन्होंने फिर तूफानी रफ़्तार से ।
झटके मारकर मुझे चोदना शुरू कर दिया।


जबकी मैं बुरी तरह से चीखने लगी- “आह्ह्ह... उफफ्फ़... ऊऊईई... आह्ह्ह... उफफ्फ़... आआआऐयईग... आआआ... उफफ्फ़.. म्म्म्म ममा... आआआ... ऊऊऊईई...” मैं बुरी तरह से चीख रही थी।
 
राणा साहिब इतनी रफ़्तार से झटके मारकर मुझे चोद रहे थे की आज तक मुझे किसी ने इतनी रफ़्तार से नहीं चोदा था। उनके अंदर ऐसा वहशीपन था, जो वहशीपन जानवरों में भी नहीं होता है और इसीलिए मुझसे उनका लण्ड बर्दाश्त नहीं हो रहा था। अब तक राणा साहिब को झटके मारते हुये 25 मिनट हो चुके थे और मैं इन 25 मिनटों में 4 मर्तबा झड़ चुकी थी। मेरी चूत झड़-झड़ कर बिल्कुल सूख चुकी थी और अब मेरी चूत में बेतहाशा दर्द हो रहा था। मैं बुरी तरह से रो रही थी।

और मैं रोते रोते कहने लगी- “आह्ह्ह.. ऊऊऊईई.. मैं मार जाऊँगीईई उफफ्फ़.. राणा साहीब... अब मेरे हाल पर रहम्म करें... उफफ्फ़... आह्ह्ह... मुझसे आपका लण्ड बर्दाश्त नहीं हो रहा है... आह्ह्ह... प्लीज़ मुझे माफ्फ़ कर दें.. अहह.. आहहह... उफफ्फ़... उफफ्फ़... अहह... प्लीज मेरे हाल पर रहम करेंनन्...”

राणा साहिब मेरी फरियाद सुनकर हँसे और बोले- “क्यों तुमसे बर्दाश्त नहीं हो रहा डार्लिंग, साली रंडी की औलाद तू ही तो कह रही थी की ये खेल तेरे लिए नया नहीं है। अब तुझे मेरा लण्ड बर्दाश्त करना ही है। मैं लड़कियों को ऐसे ही चोदता हूँ कोई रहम नहीं करता। चुपचाप पड़ी रह और चुदवाती रह वरना सारी रात बगैर रुके तुझे ऐसे ही चोदूंगा...” ये कहकर वो और जोर से झटके मारने लगे।

जबकी मैं फिर से चीखने लगी- “आह्ह्ह... अहह... आह्ह्ह... उफफ्फ़... उफफ्फ़... उफफ्फ़...”

राणा साहेब ने पूरे दस मिनट और मुझे ऐसे ही चोदा और फिर मेरी चूत में ही अपना पानी छोड़ दिया। मैं ऐसी चुदाई से निणड़ाल हो गई थी पर आज इसमें अपना ही मजा आया था। मैंने अपना हाल ठीक किया और अपने रूम में चली गई।

मैंने राणा साहिब से कहा- “राणा साहिब आप तो मुझे छोड़ने नहीं जायेंगे तो मेरी ट्रेन में बुकिंग किसी ऐसे कम्पार्टमेंट में करवाइएगा जिसमें सिर्फ़ आदमी हों..."
राणा साहिब हँसे और बोले- “क्यों किया इरादे हैं?”


मैं हँसी और बोली- “मैं अपना सफर यादगार बनाना चाहती हूँ...”

राणा साहिब ने मेरी ख्वाहिश के मुताबिक एक वी.आई.पी. कम्पार्टमेंट में बुकिंग करवाई जिसमें 4 मर्दो की । बुकिंग पहले से ही हुई हुई थी। फिर राणा साहिब मुझे छोड़ने स्टेशन आये। मेरी बुकिंग जिस कम्पार्टमेंट में थी अभी वहां कोई नहीं था। राणा साहिब ने तन्हाई देखी तो उन्होंने मुझे लिपटा लिया और मेरे मम्मे दबाते हुये मुझे किस करने लगे, साथ साथ वो मेरी चूत को भी मसल रहे थे। मैं तो हूँ ही सेक्स की दीवानी, मैं एकदम से बहुत गरम हो गई। अभी राणा साहिब मुझे किस कर ही रहे थे की एक आदमी कम्पार्टमेंट में आ गया। राणा । साहिब घबरा कर मुझसे अलग हो गये। वो आदमी भी शर्मिंदा हुवा। राणा साहिब जल्दी से मुझे बाइ कहकर कम्पार्टमेंट से उतर गये।
 
मैं अपनी सीट पर बैठ गई जबकी वो आदमी मुझे घूर-चूर कर देखने लगा। मैंने देखा की वो एक 40 साल का सेहतमंद आदमी था। मैंने सोचा की अगर ये रास्ते भर मुझे चोदे तो सफर अच्छा कट जायेगा।

अभी ट्रेन चली नहीं थी। उस आदमी ने मुझसे पूछा- “क्या आप अकेली हैं?”

मैं मुश्कुराई और बोली- “जी मैं तन्हा हूँ..”

मेरे अकेले होने का सुनकर वो आदमी खुश हुवा और बोला- “मेरा नाम कादिर है, मैं एक बिजनेसमैन हूँ, एक काम के सिलसले में लाहोर आया हुवा था और अब मैं अपने बिजनेस के सिलसले में ही मुल्तान जा रहा हूँ। क्या आप भी मुल्तान जा रही हैं..."

जवाब में मैं भी मुश्कुराई और बोली- “बहुत खुशी हुई आपसे मिलकर और मैं भी मुल्तान ही जा रही हूँ..”

वो आदमी जिसका नाम कादिर था थोड़ा झिझका और बोला- “गज़ल आप बुरा ना मानें तो आपसे एक बात पूछू...”

मैं मुश्कुराई और बोली- “जी पूछिये...”

वो बोला- “अभी जो एक साहिब यहां मोजूद थे वो कौन थे?”

मैं हँसी और बोली- “वो मेरे अब्बू के दोस्त थे और मुझे छोड़ने आए थे.."

अब वो भी मुश्कुराया और बोला- “मगर छोड़कर काफी जल्दी चले गये...”

मैं फिर मुश्कुराई और बोली- “अगर आप ना आते तो वो अभी और मेरे साथ रुकते...”

मुझे अब बेचेनी हो रही थी क्योंकी राणा साहिब ने मेरे मम्मे दबाकर और मेरी चूत सहलाकर मेरे बदन में आग लगा दी थी। मैं कहने लगी- “इस कम्पार्टमेंट में काफी गर्मी है। मुझसे तो बर्दाश्त ही नहीं हो रही है आपका क्या खयाल है...”

वो मुश्कुराया और कहने लगा- “कह तो आप ठीक रही हैं...”

मैं बोली- “आप मर्द लोगों को बड़ी आसानी है जब गर्मी लगी तो कमीज उतार दी और कोई मसला ही नहीं। हमारे साथ तो बड़े मसले होते हैं...”

वो मुश्कुराया और बोला- "आपके साथ क्या मसला है, अगर आपको गर्मी लग रही है तो कमीज उतार दें। यहां कोई नहीं है और मैं तो वैसे भी आपको बहुत अच्छी हालत में पहले ही देख चुका हूँ, तो मुझसे क्या शर्माना?”
 
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