hotaks444
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ये वो कैफियत थी जिसके लिए मैं अपना सब कुछ कुरबान करने के लिए तैयार थी। दर्द और मजे की ये केफियत आज मुझे पहली बार महसूस हुई थी इसलिए मैं अपने आपके सातवें आसमान पर महसूस कर रही थी। मैं बाबाजी की पूरी गुलाम बन चुकी थी और अब अगर ये मुझे खुदकुशी करने को भी बोलते तो मैं खुदकुशी करने के लिए भी तैयार हो जाती। फिर बाबाजी ने अपना लण्ड मेरी गाण्ड से निकाला और उठकर खड़े हो गये। मैंने शिकायती नजरों से पलटकर बाबाजी को देखा।
तो वो मेरा मतलब समझकर मुश्कुराये और बोले- “तू फिकर ना कर मेरी रानी, अभी मैंने तुझे चोदना बंद नहीं किया है, मेरा अमल अभी खतम नहीं हुवा है। अभी तो मैंने तुझे खूब मजा देना है...”
बाबाजी की बात से मेरे होंठों पर मुश्कुराहट आ गई, फिर बाबाजी ने मुझे भी उठाया और फिर उन्होंने मुझे। अपनी गोद में उठाकर अपने सीने से लगा लिया। मैंने अपनी बाहें बाबाजी के गले में डाल दी। बाबाजी ने एक हाथ से अपना लण्ड मेरी चूत में फिट किया और मुझे कमर से पकड़कर अपने लण्ड पर ऊपर नीचे करने लगे। इस तरह बाबाजी का लण्ड मेरी चूत को अंदर से चारों तरफ से रगड़ता हुवा अंदर बाहर होने लगा। बाबाजी काफी तेजी में मुझे अपने लण्ड पर इस तरह से ऊपर नीचे कर रहे थे जैसे मेरा कोई वजन ही ना हो। बाबाजी का लण्ड बहुत बुरी तरह से मेरी चूत को छील रहा था और रगड़ रहा था जिससे मैं लज़्ज़त के मारे पागल हुई जा रही थी और मैं अपनी चुदाई का पूरा पूरा मजा ले रही थी। थोड़ी देर बाद बाबाजी ने अपना लण्ड मेरी चूत से निकालकर मेरी गाण्ड में डाला।
तो मैं मुश्कुराकर अपनी फूली हुई सांसो के बीच बोली- “बाबाजी बड़ी ताकत है आप में, इतनी देर से आप झड़ ही नहीं रहे हैं.”
मेरी बात पर बाबाजी मुश्कुराकर बोले- “अभी मेरे झड़ने में काफी वक़्त है...”
बाबाजी की बात पर मैंने कुछ कहने के लिए मुँह खोला ही था की बाबाजी ने अपना लण्ड मेरी गाण्ड में पूरा का पूरा घुसा दिया। लण्ड गाण्ड में एकदम से घुसा तो मेरे मुँह से अल्फ़ाज के बजाय तेज सिसकारी निकली और । फिर सिसकारियां निकलती ही रही क्योंकी बाबाजी खूब तेजी के साथ मुझे अपने लण्ड पर ऊपर नीचे कर रहे थे। 15 मिनट तक और बाबाजी ने मुझे इस पोजिशन में चोदा। फिर उन्होंने मुझे अपनी गोद से उतारा और मुझे वो दीवार के पास ले आये। फिर उन्होंने मुझे पूरा सटाकर दीवार से लगा करके खड़ा कर दिया। बाबाजी ने मुझे इस तरह से दीवार से लगाया था की मेरे चूचियां दीवार से लग कर पूरी तरह से दब गई थीं।
तो वो मेरा मतलब समझकर मुश्कुराये और बोले- “तू फिकर ना कर मेरी रानी, अभी मैंने तुझे चोदना बंद नहीं किया है, मेरा अमल अभी खतम नहीं हुवा है। अभी तो मैंने तुझे खूब मजा देना है...”
बाबाजी की बात से मेरे होंठों पर मुश्कुराहट आ गई, फिर बाबाजी ने मुझे भी उठाया और फिर उन्होंने मुझे। अपनी गोद में उठाकर अपने सीने से लगा लिया। मैंने अपनी बाहें बाबाजी के गले में डाल दी। बाबाजी ने एक हाथ से अपना लण्ड मेरी चूत में फिट किया और मुझे कमर से पकड़कर अपने लण्ड पर ऊपर नीचे करने लगे। इस तरह बाबाजी का लण्ड मेरी चूत को अंदर से चारों तरफ से रगड़ता हुवा अंदर बाहर होने लगा। बाबाजी काफी तेजी में मुझे अपने लण्ड पर इस तरह से ऊपर नीचे कर रहे थे जैसे मेरा कोई वजन ही ना हो। बाबाजी का लण्ड बहुत बुरी तरह से मेरी चूत को छील रहा था और रगड़ रहा था जिससे मैं लज़्ज़त के मारे पागल हुई जा रही थी और मैं अपनी चुदाई का पूरा पूरा मजा ले रही थी। थोड़ी देर बाद बाबाजी ने अपना लण्ड मेरी चूत से निकालकर मेरी गाण्ड में डाला।
तो मैं मुश्कुराकर अपनी फूली हुई सांसो के बीच बोली- “बाबाजी बड़ी ताकत है आप में, इतनी देर से आप झड़ ही नहीं रहे हैं.”
मेरी बात पर बाबाजी मुश्कुराकर बोले- “अभी मेरे झड़ने में काफी वक़्त है...”
बाबाजी की बात पर मैंने कुछ कहने के लिए मुँह खोला ही था की बाबाजी ने अपना लण्ड मेरी गाण्ड में पूरा का पूरा घुसा दिया। लण्ड गाण्ड में एकदम से घुसा तो मेरे मुँह से अल्फ़ाज के बजाय तेज सिसकारी निकली और । फिर सिसकारियां निकलती ही रही क्योंकी बाबाजी खूब तेजी के साथ मुझे अपने लण्ड पर ऊपर नीचे कर रहे थे। 15 मिनट तक और बाबाजी ने मुझे इस पोजिशन में चोदा। फिर उन्होंने मुझे अपनी गोद से उतारा और मुझे वो दीवार के पास ले आये। फिर उन्होंने मुझे पूरा सटाकर दीवार से लगा करके खड़ा कर दिया। बाबाजी ने मुझे इस तरह से दीवार से लगाया था की मेरे चूचियां दीवार से लग कर पूरी तरह से दब गई थीं।