hotaks444
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उसी रात सोनाली के पिताजी अपनी पसंदीदा कुर्सी पर बैठे थे.
किचन मे अंधेरा था और उनके होठों मे ड्रिंक का ग्लास था. उन्होने
अभी भी अपना सूट पहन रखा था.
"पिताजी आप अंधेरा मे क्या कर रहे हैं?" सोनाली ने किचन मे आते
हुए पूछा.
"कुछ ख़ास नही बस कुछ सोच रहा हूँ. पर रात के दो बजे तुम
यहाँ क्या कर रही हो?" सोनाली के पिताजी ने जवाब दिया.
सोनाली किचन मे आई और लाइट जलदी. उसने फ्रिज खोला, "मुझे
भूक लगी है." सोनाली ने कहा.
सोनाली जैसे ही फ्रिज मे से कुछ निकालने को झुकी तो उसके पिताजी
को उसकी सुडौल गान्ड सॉफ दिखाई दे रही थी. सोनाली ने सिर्फ़ टी-शर्ट
और उसके नीचे पैंटी पहन रखी थी. उसे उमीद नही थी कि इस वक्त
उसे कोई किचन मे मिल जाएगा.
"क्या सोच रहे हैं आप? मम्मी के बारे मे." सोनाली जानना चाहती थी.
उसने फ्रिड्ज से ब्रेड और चीज़े निकाला और ब्रेड पर लगाने लगी.
वो अपने पिताजी के पास आई और एक खाली कुर्सी पर बैठ गयी.
"हां में उसके बारे मे ही सोच रहा था. मुझे उसकी कमी महसूस हो
रही है. तुम तो जानती हो कि इतने साल साथ रहने के बाद अचानक
दूर रहना कितना मुश्किल होता है." सोनाली के पिताजी ने कहकर ग्लास
मे से एक बड़ा सीप लिया. उनकी सांसो से उठती महक से सोनाली समझ
गयी थी कि उनकी ये पहली ड्रिंक नही थी.
"में समझ सकती हूँ आप क्या कहना चाहते हैं. मुझे भी राज की
कमी महसूस हो रही है." सोनाली ने कहा.
"उसे वापस आने मे कितने दिन और लगेंगे?" उसके पिताजी ने उससे
पूछा. सोनाली के पिताजी ने अपना ग्लास ख़त्म किया और फिर से उसे
भरने लगे.
"करीब तीन साप्ताह बाकी है." सोनाली ने जवाब दिया.
"क्या तुम भी ड्रिंक लेना चाहोगी?" उसके पिताजी ने उसी पूछा. सोनाली
ने हां मे गर्दन हिला दी. उसके पिताजी दो ग्लास मे ड्रिंक बनाने
लगे. उसके पिताजी ने एक ग्लास सोनाली को पकड़ाया. सोनाली ग्लास लेकर
उसमे से सीप लेने लगी. पिताजी फिर अपनी कुर्सी पर बैठ गये और
अपनी टाइ ढीली कर दी.
बाप बेटी दोनो कुछ देर शांति से बैठे रहे और अपनी अपनी ड्रिंक
का का मज़ा लेते रहे. फिर उसके पिताजी ने उसकी ओर देखा, उसके
प्यारे शरीर को घूरते हुए उन्होने सोनाली से पूछा, "सोनाली जो उस
दिन तुमने देखा क्या तुम्हे मज़ा आया."
सोनाली तो चौंक गयी और अंजान बनने की कोशिश करने लगी, पर
उसके पिताजी कुछ सुनने को तय्यार नही थे, "मेने जानता हूँ उस दिन
खिड़की के पीछे से तुम ही देख रही थी. सच सच बताओ मुझे?' वो
जानना चाहते थे.
सोनाली ने शर्मा कर गर्दन हां मे हिला दी. उसके पिताजी मुस्कुराए
और बोले, "घबराओ मत बेटी, ज़्यादा मत सोचो, तुम पूछो इससे पहले
में ही बता देता हूँ कि ये सिलसिला कई दिन से चल रहा है."
सोनाली ने अपने ग्लास मे से एक घूँट भरी, "पिताजी आपको कहने की
ज़रूरत नही है."
"नही ज़रूरत है," पिताजी ने बीच मे टोकते हुए कहा, "में अपनी
बेटी से कुछ छुपाना नही चाहता. मेने सिर्फ़ अपना लंड चुस्वाया था
और कुछ नही. तुम तो जानती हो कि में और तुम्हारी माँ, सच कहूँ
तो आखरी बार उसने मुझे तब छुआ था जब मेरी पीठ मे बहोत दर्द
था और तुम्हारी माँ ने मेरी पीठ की मालिश की थी."
"क्या आपकी पीठ मे अब भी दर्द रहता है," सोनाली ने विषय बदलने
की कोशिश की. लंड चूसाइ की बातें करते हुए वो अपने आपको बहोत
ही बेचैन महसूस कर रही थी. उसे डर था कि कहीं इन सब बातों
से उसकी चूत गीली ना हो जाए और पिताजी देख ले.
"सच कहूँ तो आज भी बहोत दर्द रहता है. क्या मेरी रानी बेटी कल
मेरी पीठ की मालिश कर देगी? वैसे तो उमा मेरी पीठ की मालिश कर
दिया करती है, पर कल वो काम पर आने वाली नही है इसलिए तुमसे
कह रहा हूँ." पिताजी ने सोनाली से कहा.
"हां पिताजी क्यों नही, जब आप घर आ जाए तो मुझे आवाज़ दे
देना." सोनाली ने अपनी गर्दन हिलाते हुए कहा.
"शुक्रिया बेटी, में अब सोने जा रहा हूँ." कहकर उसके पिताजी खड़े
हुए और अपना ग्लास किचन के सिंक मे रख दिया.
इसके पहले की उसके पिताजी दरवाज़े से बाहर निकलते सोनाली ने पीछे
से कहा, "हां पिताजी मुझे वो नज़ारा देखा कर काफ़ी मज़ा आया,
बहोत ही अच्छा था."
पिताजी ने मूड कर उसकी ओर देखा, "प्लीज़ ये बात हम दोनो के बीच
ही रखना, कहीं अपनी माँ से मत कह देना समझी."
सोनाली ने अपनी गर्दन हां मे हिलाई. उसके पिताजी अपने कमरे मे
चले गये और सोनाली वहीं बैठी रही.
दो मिनिट के बाद उसका भाई किचन मे आता है, "अरे बहना तुम अभी
तक जाग रही हो?"
सोनाली ने उसे हां कहा और फ्रिड्ज की ओर बढ़ गयी, "विजय तुम्हे
कुछ चाहिए?"
विजय कुछ जवाब दिए बिना उसकी ओर बढ़ा और उसे कमर से पकड़
लिया, "मुझे तुम्हारी ये प्यारी चूत चाहिए जिसे तुमने छुपा रखा
है." विजय ने अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ते हुए कहा.
"विजय रुक जाओ, पिताजी अभी सोने गये हैं यहाँ से." सोनाली ने अपने
आपको उससे छुड़ाते हुए कहा.
किचन मे अंधेरा था और उनके होठों मे ड्रिंक का ग्लास था. उन्होने
अभी भी अपना सूट पहन रखा था.
"पिताजी आप अंधेरा मे क्या कर रहे हैं?" सोनाली ने किचन मे आते
हुए पूछा.
"कुछ ख़ास नही बस कुछ सोच रहा हूँ. पर रात के दो बजे तुम
यहाँ क्या कर रही हो?" सोनाली के पिताजी ने जवाब दिया.
सोनाली किचन मे आई और लाइट जलदी. उसने फ्रिज खोला, "मुझे
भूक लगी है." सोनाली ने कहा.
सोनाली जैसे ही फ्रिज मे से कुछ निकालने को झुकी तो उसके पिताजी
को उसकी सुडौल गान्ड सॉफ दिखाई दे रही थी. सोनाली ने सिर्फ़ टी-शर्ट
और उसके नीचे पैंटी पहन रखी थी. उसे उमीद नही थी कि इस वक्त
उसे कोई किचन मे मिल जाएगा.
"क्या सोच रहे हैं आप? मम्मी के बारे मे." सोनाली जानना चाहती थी.
उसने फ्रिड्ज से ब्रेड और चीज़े निकाला और ब्रेड पर लगाने लगी.
वो अपने पिताजी के पास आई और एक खाली कुर्सी पर बैठ गयी.
"हां में उसके बारे मे ही सोच रहा था. मुझे उसकी कमी महसूस हो
रही है. तुम तो जानती हो कि इतने साल साथ रहने के बाद अचानक
दूर रहना कितना मुश्किल होता है." सोनाली के पिताजी ने कहकर ग्लास
मे से एक बड़ा सीप लिया. उनकी सांसो से उठती महक से सोनाली समझ
गयी थी कि उनकी ये पहली ड्रिंक नही थी.
"में समझ सकती हूँ आप क्या कहना चाहते हैं. मुझे भी राज की
कमी महसूस हो रही है." सोनाली ने कहा.
"उसे वापस आने मे कितने दिन और लगेंगे?" उसके पिताजी ने उससे
पूछा. सोनाली के पिताजी ने अपना ग्लास ख़त्म किया और फिर से उसे
भरने लगे.
"करीब तीन साप्ताह बाकी है." सोनाली ने जवाब दिया.
"क्या तुम भी ड्रिंक लेना चाहोगी?" उसके पिताजी ने उसी पूछा. सोनाली
ने हां मे गर्दन हिला दी. उसके पिताजी दो ग्लास मे ड्रिंक बनाने
लगे. उसके पिताजी ने एक ग्लास सोनाली को पकड़ाया. सोनाली ग्लास लेकर
उसमे से सीप लेने लगी. पिताजी फिर अपनी कुर्सी पर बैठ गये और
अपनी टाइ ढीली कर दी.
बाप बेटी दोनो कुछ देर शांति से बैठे रहे और अपनी अपनी ड्रिंक
का का मज़ा लेते रहे. फिर उसके पिताजी ने उसकी ओर देखा, उसके
प्यारे शरीर को घूरते हुए उन्होने सोनाली से पूछा, "सोनाली जो उस
दिन तुमने देखा क्या तुम्हे मज़ा आया."
सोनाली तो चौंक गयी और अंजान बनने की कोशिश करने लगी, पर
उसके पिताजी कुछ सुनने को तय्यार नही थे, "मेने जानता हूँ उस दिन
खिड़की के पीछे से तुम ही देख रही थी. सच सच बताओ मुझे?' वो
जानना चाहते थे.
सोनाली ने शर्मा कर गर्दन हां मे हिला दी. उसके पिताजी मुस्कुराए
और बोले, "घबराओ मत बेटी, ज़्यादा मत सोचो, तुम पूछो इससे पहले
में ही बता देता हूँ कि ये सिलसिला कई दिन से चल रहा है."
सोनाली ने अपने ग्लास मे से एक घूँट भरी, "पिताजी आपको कहने की
ज़रूरत नही है."
"नही ज़रूरत है," पिताजी ने बीच मे टोकते हुए कहा, "में अपनी
बेटी से कुछ छुपाना नही चाहता. मेने सिर्फ़ अपना लंड चुस्वाया था
और कुछ नही. तुम तो जानती हो कि में और तुम्हारी माँ, सच कहूँ
तो आखरी बार उसने मुझे तब छुआ था जब मेरी पीठ मे बहोत दर्द
था और तुम्हारी माँ ने मेरी पीठ की मालिश की थी."
"क्या आपकी पीठ मे अब भी दर्द रहता है," सोनाली ने विषय बदलने
की कोशिश की. लंड चूसाइ की बातें करते हुए वो अपने आपको बहोत
ही बेचैन महसूस कर रही थी. उसे डर था कि कहीं इन सब बातों
से उसकी चूत गीली ना हो जाए और पिताजी देख ले.
"सच कहूँ तो आज भी बहोत दर्द रहता है. क्या मेरी रानी बेटी कल
मेरी पीठ की मालिश कर देगी? वैसे तो उमा मेरी पीठ की मालिश कर
दिया करती है, पर कल वो काम पर आने वाली नही है इसलिए तुमसे
कह रहा हूँ." पिताजी ने सोनाली से कहा.
"हां पिताजी क्यों नही, जब आप घर आ जाए तो मुझे आवाज़ दे
देना." सोनाली ने अपनी गर्दन हिलाते हुए कहा.
"शुक्रिया बेटी, में अब सोने जा रहा हूँ." कहकर उसके पिताजी खड़े
हुए और अपना ग्लास किचन के सिंक मे रख दिया.
इसके पहले की उसके पिताजी दरवाज़े से बाहर निकलते सोनाली ने पीछे
से कहा, "हां पिताजी मुझे वो नज़ारा देखा कर काफ़ी मज़ा आया,
बहोत ही अच्छा था."
पिताजी ने मूड कर उसकी ओर देखा, "प्लीज़ ये बात हम दोनो के बीच
ही रखना, कहीं अपनी माँ से मत कह देना समझी."
सोनाली ने अपनी गर्दन हां मे हिलाई. उसके पिताजी अपने कमरे मे
चले गये और सोनाली वहीं बैठी रही.
दो मिनिट के बाद उसका भाई किचन मे आता है, "अरे बहना तुम अभी
तक जाग रही हो?"
सोनाली ने उसे हां कहा और फ्रिड्ज की ओर बढ़ गयी, "विजय तुम्हे
कुछ चाहिए?"
विजय कुछ जवाब दिए बिना उसकी ओर बढ़ा और उसे कमर से पकड़
लिया, "मुझे तुम्हारी ये प्यारी चूत चाहिए जिसे तुमने छुपा रखा
है." विजय ने अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ते हुए कहा.
"विजय रुक जाओ, पिताजी अभी सोने गये हैं यहाँ से." सोनाली ने अपने
आपको उससे छुड़ाते हुए कहा.