hotaks444
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गाड़ी में रात की बातें याद करते हुए शंकर ने अपने ताऊ को छेड़ते हुए कहा – ताऊ जी..आज तो आप ऐसे बन-ठन के आए हो, जैसे अपनी खुद की ससुराल जा रहे हो..?
भोला – अरे शंकरा.., मेरे ऐसे नसीब कहाँ जो मेरी कोई ससुराल होती.., मेरे जैसे पागल का क्या है.., जिधर हाँकोगे तुम लोग उधर चल दूँगा…!
तेरी माँ ने ही कहा था.., नये कपड़े पहनने को..,
शंकर – क्या ताऊ आप भी.., अरे आप की ना सही आपके छोटे भाई की सही.., ससुराल तो है ही ना.., फिर क्या पता वहाँ कोई आपके मेल की मिल जाए..,
रंगीली ने हँसते हुए शंकर की जाँघ पर धौल मारते हुए कहा- निगोडे अपने ताऊ से मज़ाक करता है..? वैसे देखने में वो तेरे बाप से तो अच्छे ही लगते हैं..!
शंकर भी हँसते हुए बोला -अरे वो ही तो माँ, ताऊ आज किसी वरना से कम नही लग रहे.., देखना आपकी कोई गाओं वाली इन पर फिदा ना हो जाए..?
रंगीली – होने दे.., ये तो और अच्छी बात है.., ये भी परिवार वाले हो जायेंगे.., क्यों है ना जेठ जी…?
उन दोनो की मज़ाक का सरल मन भोला के पास भला क्या जबाब हो सकता था.., बस शरमा कर गर्दन झुकाए बैठा रहा…!
रंगीली ने शंकर के पॅंट में बने उभार को दबाते हुए फुसफुसा कर कहा – और छेड़ ना उनको.., देख कैसे शरमा रहे हैं…!
शंकर ने माँ की जाँघ सहलाते हुए कहा – वैसे ताऊ जी आपने कोई जबाब नही दिया.., अगर कोई फँस गयी तो क्या उसे अपने घर ले आओगे..?
भोला ने पीछे से अपना हाथ उठाते हुए कहा – तेरे एक धौल मारुन्गो खींच के.., अपने ताऊ को छेड़ते हुए लाज ना आई रही तोइ…?
शंकर – अरे तो इसमें मेने क्या ग़लत कहा है.., मानलो कोई मिल गयी आपके मनपसंद की.., तो इसमें हर्ज़ ही क्या है.., ले आना साथ…,
वैसे ताऊ जी एक बात पूछू आपको.., सही सही बोलना – वो लाजो आपको कैसी लगती थी…?
भोला शंकर की बात सुनकर झटका सा खा गया.., फिर भी झूठ बोलने की कोशिश करते हुए बोला – कोन्सि लाजो…?
शंकर – ओ तेरे की…इसका मतलब आप बहुत सारी लाजो को जानते हैं…?
भोला – बहुत मारुन्गो तोइ…, देख ले रामू की बहू.., मान ना रहो…!
रंगीली ने भोला की शिकायत पर ध्यान ना देते हुए कहा – तो आपने मुझे कोन्सि वाली लाजो के बारे में बताया था…?
भोला – समझ गयो.., तो तेने ही इसे भी बता दियो.., हां बेटा बहुत अच्छी थी लाजो.., पर ना जाने उस मदर्चोद सेठानी की चोदि को क्या खुजली हुई..,
बेचारी को घर से निकाल दियो.., अब ना जाने कहाँ..कहाँ भटक रही होगी..? किस हालत में होगी..?
शंकर – अच्छा ताऊ जी मानलो लाजो भाभी आपको कहीं मिल जाए तो क्या करोगे ?
भोला – तेरी माँ ने वचन तो दियो है मिलवाने को…, बस एक बार वो मोको मिल जाए.., फिर चाहें कछू है जाय.., मे वाइ फिर कहूँ नही जान दून्गो…!
शंकर – कैसे और कहाँ रखोगे उसे…?
भोला – बहुत दम है तेरे ताऊ के बाजुओं में.., कहीं भी मेहनत मज़दूरी करके वाको पेट पाल दून्गो.., बस एक बार रंगीली बहू मोकू मिलवायदे.., अपनी जान से ज़्यादा हिफ़ाज़त करुन्गो वाकी…!
भोला के दिल के उद्गार सुनकर एक बार को रंगीली भी गंभीर हो गयी.., उसे आज भोला के अंदर का मर्द दिखाई दे रहा था जो अपने साथी की इज़्ज़त और हिफ़ाज़त करना जानता हो…!
वो जिस मंसूबे से उसको अपने मायके ले जा रही थी.., उसमें उसे नाकामी की कोई गुंजाइश नज़र नही आ रही थी…!
उसने शंकर की जाँघ दबाकर इशारा किया.., जिसे समझते हुए वो बोला – जब माँ ने आपको मिलवाने का वचन दे दिया है.., तो समझो आपकी मनोकामना जल्दी पूरी होगी…!
भोला – सच..सच कर रहो तू बेटा.., अपनी माँ को बोल.., जिंदगी भर जाके पाँव धो-धो के पीबेगो जे पागल…!
भोला की इस आंतरिक खुशी को देख कर वो दोनो माँ बेटे भी बहुत खुश थे..,
बातों बातों में रास्ते का पता भी नही चला.., और वो लोग अपने गन्तव्य स्थान पर पहुँच गये…!
दरवाजे पर जीप के हॉर्न की आवाज़ सुनकर रंगीली की माँ ने लाजो को कहा – देखना बेटी कॉन्सा बड़ा आदमी आया है हंमरे यहाँ…?
लाजो अपनी बेटी को माँ की गोद में देकर दरवाजे पर पहुँची.., शंकर की जीप को तो वो अच्छे से पहचानती थी..,
उसके साथ उसकी माँ और तीसरे व्यक्ति को पीछे से उतरते हुए देखा.., फिर जैसे ही उसने उस व्यक्ति का चेहरा देखा…, उसकी साँसें राजधानी की गति से दौड़ने लगी…!
उल्टे पाँव घर के अंदर भागती हुई चली गयी.., अपनी बेटी को वहीं छोड़कर वो सीधी अपने कमरे में चली गयी.., और पलंग पर लेट कर लंबी-लंबी साँसें लेने लगी…!
भोला – अरे शंकरा.., मेरे ऐसे नसीब कहाँ जो मेरी कोई ससुराल होती.., मेरे जैसे पागल का क्या है.., जिधर हाँकोगे तुम लोग उधर चल दूँगा…!
तेरी माँ ने ही कहा था.., नये कपड़े पहनने को..,
शंकर – क्या ताऊ आप भी.., अरे आप की ना सही आपके छोटे भाई की सही.., ससुराल तो है ही ना.., फिर क्या पता वहाँ कोई आपके मेल की मिल जाए..,
रंगीली ने हँसते हुए शंकर की जाँघ पर धौल मारते हुए कहा- निगोडे अपने ताऊ से मज़ाक करता है..? वैसे देखने में वो तेरे बाप से तो अच्छे ही लगते हैं..!
शंकर भी हँसते हुए बोला -अरे वो ही तो माँ, ताऊ आज किसी वरना से कम नही लग रहे.., देखना आपकी कोई गाओं वाली इन पर फिदा ना हो जाए..?
रंगीली – होने दे.., ये तो और अच्छी बात है.., ये भी परिवार वाले हो जायेंगे.., क्यों है ना जेठ जी…?
उन दोनो की मज़ाक का सरल मन भोला के पास भला क्या जबाब हो सकता था.., बस शरमा कर गर्दन झुकाए बैठा रहा…!
रंगीली ने शंकर के पॅंट में बने उभार को दबाते हुए फुसफुसा कर कहा – और छेड़ ना उनको.., देख कैसे शरमा रहे हैं…!
शंकर ने माँ की जाँघ सहलाते हुए कहा – वैसे ताऊ जी आपने कोई जबाब नही दिया.., अगर कोई फँस गयी तो क्या उसे अपने घर ले आओगे..?
भोला ने पीछे से अपना हाथ उठाते हुए कहा – तेरे एक धौल मारुन्गो खींच के.., अपने ताऊ को छेड़ते हुए लाज ना आई रही तोइ…?
शंकर – अरे तो इसमें मेने क्या ग़लत कहा है.., मानलो कोई मिल गयी आपके मनपसंद की.., तो इसमें हर्ज़ ही क्या है.., ले आना साथ…,
वैसे ताऊ जी एक बात पूछू आपको.., सही सही बोलना – वो लाजो आपको कैसी लगती थी…?
भोला शंकर की बात सुनकर झटका सा खा गया.., फिर भी झूठ बोलने की कोशिश करते हुए बोला – कोन्सि लाजो…?
शंकर – ओ तेरे की…इसका मतलब आप बहुत सारी लाजो को जानते हैं…?
भोला – बहुत मारुन्गो तोइ…, देख ले रामू की बहू.., मान ना रहो…!
रंगीली ने भोला की शिकायत पर ध्यान ना देते हुए कहा – तो आपने मुझे कोन्सि वाली लाजो के बारे में बताया था…?
भोला – समझ गयो.., तो तेने ही इसे भी बता दियो.., हां बेटा बहुत अच्छी थी लाजो.., पर ना जाने उस मदर्चोद सेठानी की चोदि को क्या खुजली हुई..,
बेचारी को घर से निकाल दियो.., अब ना जाने कहाँ..कहाँ भटक रही होगी..? किस हालत में होगी..?
शंकर – अच्छा ताऊ जी मानलो लाजो भाभी आपको कहीं मिल जाए तो क्या करोगे ?
भोला – तेरी माँ ने वचन तो दियो है मिलवाने को…, बस एक बार वो मोको मिल जाए.., फिर चाहें कछू है जाय.., मे वाइ फिर कहूँ नही जान दून्गो…!
शंकर – कैसे और कहाँ रखोगे उसे…?
भोला – बहुत दम है तेरे ताऊ के बाजुओं में.., कहीं भी मेहनत मज़दूरी करके वाको पेट पाल दून्गो.., बस एक बार रंगीली बहू मोकू मिलवायदे.., अपनी जान से ज़्यादा हिफ़ाज़त करुन्गो वाकी…!
भोला के दिल के उद्गार सुनकर एक बार को रंगीली भी गंभीर हो गयी.., उसे आज भोला के अंदर का मर्द दिखाई दे रहा था जो अपने साथी की इज़्ज़त और हिफ़ाज़त करना जानता हो…!
वो जिस मंसूबे से उसको अपने मायके ले जा रही थी.., उसमें उसे नाकामी की कोई गुंजाइश नज़र नही आ रही थी…!
उसने शंकर की जाँघ दबाकर इशारा किया.., जिसे समझते हुए वो बोला – जब माँ ने आपको मिलवाने का वचन दे दिया है.., तो समझो आपकी मनोकामना जल्दी पूरी होगी…!
भोला – सच..सच कर रहो तू बेटा.., अपनी माँ को बोल.., जिंदगी भर जाके पाँव धो-धो के पीबेगो जे पागल…!
भोला की इस आंतरिक खुशी को देख कर वो दोनो माँ बेटे भी बहुत खुश थे..,
बातों बातों में रास्ते का पता भी नही चला.., और वो लोग अपने गन्तव्य स्थान पर पहुँच गये…!
दरवाजे पर जीप के हॉर्न की आवाज़ सुनकर रंगीली की माँ ने लाजो को कहा – देखना बेटी कॉन्सा बड़ा आदमी आया है हंमरे यहाँ…?
लाजो अपनी बेटी को माँ की गोद में देकर दरवाजे पर पहुँची.., शंकर की जीप को तो वो अच्छे से पहचानती थी..,
उसके साथ उसकी माँ और तीसरे व्यक्ति को पीछे से उतरते हुए देखा.., फिर जैसे ही उसने उस व्यक्ति का चेहरा देखा…, उसकी साँसें राजधानी की गति से दौड़ने लगी…!
उल्टे पाँव घर के अंदर भागती हुई चली गयी.., अपनी बेटी को वहीं छोड़कर वो सीधी अपने कमरे में चली गयी.., और पलंग पर लेट कर लंबी-लंबी साँसें लेने लगी…!