Desi Sex Kahani वेवफा थी वो - Page 5 - SexBaba
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Desi Sex Kahani वेवफा थी वो

#36

1 घंटे बाद हम दोनो डाइनिंग टेबल पर बैठे हुए नाश्ता कर रहे थे ……बिल्कुल चुप-चाप ………एक खामोशी हम दोनो के बीच पसरी हुई थी , जिसको मैने ही तोड़ा…….

“ तो आज क्या प्रोग्राम है आपका, नेहा जी …….??“

“ मेरा प्रोग्राम तो आप के ऊपर डिपेंड करता है ……जैसा आप कहें ?” उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया….

“ चलिए ………आज आपको अपने कुछ पुराने दोस्तो से मिलवा कर लाता हूँ “ मैने उसकी तरफ देख कर कहा………

“ आपके पुराने दोस्त ?............... यहाँ , दिल्ली मैं ?” उसने बड़ी हैरानी से पूछा ….

“ हां ………मेरे बचपन के साथी ……….चलेंगी मिलने ? “ मैने उसकी आँखों में देखते हुए पूछा……..

“ बिल्कुल ………..अगर आप ले चलेंगे तो “ वो फिर मुस्कुराइ ……….

“ तो ठीक है ……...आप तय्यार हो जाइए ………फिर हम निकलते हैं “ मैने कहा और जल्दी जल्दी नाश्ता ख़तम करने लगा ……………..

1 घंटे बाद हमारी गाड़ी , तेज़ी से दिल्ली की सड़को पर दौड़ रही थी ………..मैं ड्राइव कर रहा था और नेहा मेरे बगल वाली सीट पर बैठी हुई थी ………आज उसने एक ब्लॅक साड़ी पहनी हुई थी ………हमेशा की तरह ही बेहद खूबसूरत लग रही थी वो ……………वो खिड़की से बाहर देख रही थी और में बार बार उसकी तरफ……..

कुछ ही देर में हमारी गाड़ी कॅरोल बाग पहुँच गयी ……….मैं पुणे जाने से पहले आख़िरी बार यहाँ आया था, तब से अब तक काफ़ी साल बीत चुके थे……और इस जगह का नक्शा भी बदल चुका था ………सब कुछ मेरे लिए बिल्कुल नया सा था…….. पुरानी दुकाने अब दिखाई नही
पड़ रही थी और उनकी जगह बड़े बड़े शोरूम्स ले चुके थे ………..

मैने एक-दो लोगो से पूछा और फिर ढूंढता हुआ वहाँ पहुँच गया जो हमारी मंज़िल थी ………..सरदार जी का ढाबा , उस ही जगह पर था …….पर पहले से काफ़ी बड़ा और शानदार हो गया था ………मैं नेहा को साथ लेकर वहाँ पहुँचा और थोड़ी दूर खड़ा होकर देखने लगा………….

शेर-ए-पंजाब रेस्टोरेंट ….यह नाम था अब उस ढाबे का…… अंदर कुछ टेबल्स पड़ी हुई थी और कुछ बाहर , ढाबे के सामने ………..सरदार जी को ढूँढते हुए मेरी निगाह ढाबे के अंदर पहुँची तो मैने देखा कि वो अंदर एक छोटे से काउंटर के पीछे बैठे हुए एक न्यूज़ पेपर पढ़ रहे थे ………एक मुस्कुराहट मेरे होंठो पर आ गयी और साथ ही कुछ पुरानी यादें भी ………………

मैं नेहा को साथ लेकर सामने लगी हुई एक टेबल पर बैठ गया …..एक छोटा सा लड़का हमारे पास आया और टेबल को सॉफ करने लगा ………. फिर बोला “ क्या लेंगे साहब .? “

“ दो चाय और परान्ठे ले आ ……..” मैने उस से कहा और वो चला गया…….मैने नेहा की तरफ देखा ……..वो सवालिया निगाह से मेरी तरफ ही देख रही थी ……….

5 मिनिट के अंदर ही चाय और परान्ठे हमारी टेबल पर आ गये ……..मैने चाय का गिलास हाथ में उठा कर देखा और फिर उस लड़के से बोला …..” अर्रे ….यह क्या है , इतना गंदा गिलास ……? “

उसने गिलास को हाथ में उठा कर देखा और फिर दोनो गिलास वापस उठा कर ले गया ……और थोड़ी ही देर में दो नये गिलास में चाय ले कर आ गया ………..

मैने उन दोनो गिलासो को भी उठा कर देखा और फिर बोला “ यार ………..तुम लोग कभी कोई काम सही नही कर सकते क्या………फिर
से गंदे गिलास लेकर आ गये …….” इस बार मेरी आवाज़ कुछ ऊँची थी …….जो निश्चित रूप से अंदर भी पहुँच रही होगी …………..

उस बेचारे ने फिर से गिलास उठा कर देखे और बोला …..” यह तो सॉफ हैं साहब ……..”

“ अच्छा !!…………मुझ से बहस करता है ?” मैं और तेज़ आवाज़ में बोला…….लगभग चीखते हुए …………नेहा , चुपचाप बैठी मेरी सूरत देखे जा रही थी ………..
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जो मैं चाहता था , वही हुआ ……..मेरी आवाज़ अंदर बैठे सरदार जी तक पहुँच गयी ….और वो उठ कर बाहर आ गये ……..फिर धीरे धीरे
हमारे पास आ गये …….मैं अभी भी उस लड़के को डाँट रहा था …….वो आकर मेरे से बोले ……

“ ओ……..की गल हो गयी बादशाहो …….?” …वही पहले जैसी ……..रौबदार आवाज़……

“ आपने यह सारे लड़के बिल्कुल बेकार रखे हुए हैं सरदार जी ……..किसी भी काम के नही हैं ? “ मैने उनकी तरफ देखते हुए
कहा……….वो 5 सेकेंड मेरी तरफ देखते रहे और फिर अपने उस लड़के से सारी बात पूछि ……….फिर मेरे से बोले ….

“ तुस्सी फिकर ना करो बाउजी ………..अब मैं दूसरे लड़के को भेज देता हूँ ……..आपको सॉफ बर्तन में खाना मिलेगा ……..”

“ क्या मालूम वो दूसरा लड़का भी ऐसा ही हो ………” मैं उनकी तरफ देखते हुए कहा ……….

“ बाउजी ……बहुत पुराने पुराने लड़के हैं यह सारे …….यहाँ रोज़ाना बहुत सारे ग्राहक आते हैं ………उन सब को यही लोग खाना खिलाते हैं …….आप फिकर ना करो ………”

“ माना यह सब पुराने हैं दार जी ………पर इन से पुराना एक और भी तो था ….जिसको आप भूल गये हो “ मैने कहा और फिर सर नीचे कर के चाय पीने लगा…….सरदार जी वापस जाने के लिए मूड गये थे , पर मेरी बात सुन कर रुक गये और बड़े गौर से मुझे देखने लगे
……….फिर आँखें सिकोड कर बोले “ किसकी बात कर रहे हो तुस्सी बाउजी ………”

मैने कुछ नही कहा , बस सीधा खड़ा होकर उनकी तरफ देखने लगा ……..वो मेरे चेहरे को बड़े गौर से देखते रहे और फिर अचानक बोले “ ओयएए ………राजू !......मेरे पुत्तर ……….यह तू है ? “
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#37

मैने हां में सर हिलाया और उनके पास आ गया ……….उन्होने अपनी बाहें खोल दी , मुझे अपने आप से लिपटा लेने के लिए …..और मैं भी
उनके सीने से लग गया ……….

नेहा भी अपनी कुर्सी से खड़ी हो गयी थी ………… वो हैरानी से यह सब कुछ देख रही थी ……………

सरदार जी ने मुझे अपने सीने से लगाया हुआ था और चारो तरफ ज़ोर ज़ोर से चिल्ला कर आवाज़ें लगा रहे थे ….” ओये हॅपी ……….ओये कक्के ………….ओये देख मेरा पुत्तर राजू आया है ……….ओये करतार , ओये देख तो कौन आया है……..” उनकी आँखे भीग चुकी थी , और साथ में मेरी भी ………….

फिर वो मुझे अपने साथ अंदर ले गये ………कुछ ही देर में अंदर और बाहर काफ़ी सारे लोग इकट्ठे हो गये थे …………. कुछ को मैं जानता था, और बहुत सारे ऐसे थे …जो मेरे लिए बिल्कुल नये थे ………..हॅपी भी वहाँ आ गया था……..पहले से कुछ मोटा हो गया था, और चश्मा लगाने लगा था…….वो भी बहुत खुश था, मुझे देख कर …………

फिर अगले ½ घंटे तक हम लोग बातें करते रहे …….मैं उन सबको अपने बारें में बताता रहा ……..मेरी तरक्की के बारे में जानकर सब बहुत खुश थे , खास तौर पर सरदार जी

…………….फिर उन्होने नेहा की तरफ देख कर पूछा ……..” ओये …यह कौन है ………तेरी वॉटी ………?”

नेहा उनका मतलब समझ कर शरमा गयी , और मैं भी झेन्पता हुआ बोला “ अर्रे …नही दार जी ………यह नेहा है…….मेरे साथ ही काम करती है ......मैने तो अभी शादी ही नही की है “

" ओये ....तो कर ले ना , देख ना मेरे से भी लंबा हो गया है तू......"

फिर हॅपी हम लोगो को अपने साथ अपनी दुकान पर ले गया………उसने भी अपनी दुकान काफ़ी बड़ी कर ली थी …….एलेकट्रनिक्स रिपेर का काम तो उसका पहले से ही था…..उसके अलावा मोबाइल सेल & सर्विस , सिम कार्ड्स का काम भी करने लगा था..उसके अलावा
पासपोर्ट्स, रॅशन कार्ड्स, पॅन कार्ड्स, वोटर ईद कार्स एट्सेटरा एट्सेटरा , जाने कितने ही काम वो करने लगा था……………..

हॅपी ने हम सब के कुछ ग्रूप फोटोग्रॅफ्स भी खींचे ……..और कुछ सिर्फ़ मेरे और नेहा के ……………..

फिर हम लोग वापस सरदार जी के रेस्टोरेंट में आ गये ……….हम सब ने मिलकर साथ में खाना खाया…….और पता नही कितनी सारी बातें करते रहे ……………3-4 घंटे कैसे यूँ ही बीत गये , मालूम ही नही चला ………..फिर मैने उन सब से इज़ाज़त ली ………इस वायदे के साथ की जल्दी ही वापस आऊंगा उन सब से मिलने …………

उन सब से विदा लेकर हम दोनो अपनी गाड़ी में आ गये ………..सरदार जी , हॅपी और बहुत सारे लोग हमें गाड़ी तक छोड़ने के लिए आए थे ……..उनमें से काफ़ी लोगो की आँखें अभी भी गीली थी और उनके साथ मेरी आँखें भी नम हो गयी थी ………हम दोनो गाड़ी में बैठे और
फिर मैने गाड़ी आगे बढ़ा दी …………

थोड़ी देर तक हम दोनो बिल्कुल चुप चाप रहे फिर नेहा ने बात शुरू की …

“राजीव ………..इस सब के बारे में तुमने मुझे कभी कुछ नही बताया “ वो मेरे चेहरे को बड़े गौर से देख रही थी ……..मैं उसकी तरफ देख कर मुस्कुराया और बोला

“ ह्म…..कभी मौका ही नही आया यह सब कुछ बताने का …..चलो आज ही बता देता हूँ “ फिर मैं उसको अपनी पूरी कहानी बताने लगा
……..अपने बचपन की बातें , मिस्टर.चौधरी से मेरी मुलाकात , और वो सब कुछ जिस की वजह से मैं आज राजू से राजीव बन चुका था …………वो बड़े गौर से मेरी बातें सुनती रही …..और फिर बोली

“काफ़ी इंट्रेस्टिंग कहानी है तुम्हारी राजीव ……..और इन्स्पिरेशनल भी ………”

मैने उसकी तरफ देखा और मुस्कुरा दिया……..फिर बातें करते करते हम वापस फार्म हाउस पहुँच गये ………..
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#38

शाम हो गयी थी …….और वैसे भी सर्दियों में दिन जल्दी छिप जाता है …….हम दोनो अपने अपने कमरे में चले गये और मैं बिस्तर पर लेट कर आराम करने लगा……….आज मैं बहुत खुश था….शायद अपनो से हुई मुलाकात की वजह से ……..मैं फिर से वही सब बातें याद
करने लगा और मन ही मन में खुश होता रहा………..फिर मैने टीवी ऑन कर लिया और उसमें बिज़ी हो गया …..

कृष्णा ने आकर मेरे रूम पर नॉक किया तो मुझे मालूम पड़ा कि रात हो गयी है और खाना खाने का टाइम हो गया है ……मैं नीचे आया ......... नेहा वहाँ पहले से ही मौजूद थी ………..मैं डाइनिंग टेबल पर बैठ गया और फिर खाना खाने लगा …….हम दोनो कल का प्रोग्राम डिसकस करते रहे ……क्यों की कल यहाँ हमारा लास्ट दिन था और हमें सारे पेंडिंग काम निपटाने थे ……….

खाना खाने के बाद मैं वापस ऊपर आने लगा ……..तब नेहा ने कहा कि वो थोड़ी देर वॉक करने के लिए गार्डन में जा रही है …….. उसके
जाने के बाद मैं भी उसके पीछे पीछे ही गार्डन की तरफ चल दिया……….

बाहर कोहरा पसर चुका था……….गार्डन के चारो तरफ जो लाइट्स लगी हुई थी , सिर्फ़ उनकी हल्की हल्की रोशिनी थी …….बाकी पूरा अंधेरा छाया हुआ था……मैं तेज़ तेज़ चलता हुआ उसके नज़दीक पहुँच गया……… उसने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर सर नीचे झुका कर चलती रही ……मैने भी , उस से कुछ डिस्टेन्स पर , उसके साथ साथ चलता रहा ………फिर मैने बात शुरू की …..

“ तुमने देखा था …….सब लोग मुझे और तुम्हे क्या समझ रहे थे ……….?” मैने कहा और मुस्कुराने लगा ……..उसने एक बार मेरी तरफ सवालिया निगाहों से देखा और फिर जैसे उसे कुछ समझ में आ गया हो , वो धीरे से हँसने लगी और बोली ……..

“ अच्छा !! वो बात …………कोई बात नही , ऐसी ग़लत फहमी तो अक्सर लोगो को हो ही जाती है ………”

“ पर अगर यह ग़लत फहमी , सच हो जाए तो ? “ मैने सीरीयस लहज़े में कहा …..उसकी तरफ देखते हुए ………..

उसने फिर से मेरी तरफ देखा और बोली “ आप फिर से मज़ाक करने लगे राजीव “

“ आपको लग रहा है कि मैं मज़ाक कर रहा हूँ ? “ मैने कहा और फिर उसके सामने आ गया…………और आगे बढ़कर उसका एक हाथ अपने हाथ में पकड़ लिया………

वो कुछ सेकेंड्स मेरी आँखों में देखती रही फिर नज़रें नीचे झुका ली और बोली “ मालूम नही ………मैं आपको समझ नही पा रही हूँ “

“ समझ नही पा रही हो , या समझना नही चाहती हो …….? आप एक बार मेरी आँखों में गौर से देखो , आपको सब कुछ समझ में आ जाएगा …….” कहते हुए मैं उसके और नज़दीक आ गया और उसका दूसरा हाथ भी पकड़ लिया ……….इतना नज़दीक की उसकी तेज़ हो गयी साँसे , मुझे अपनी गर्दन पर महसूस हो रही थी ……….

वो मुझसे निगाह नही मिला रही थी और नीचे की तरफ ही देख रही थी ……..फिर उसने सर उठा कर मेरी आँखों में देखा और बोली ……” मैं तुम्हारे दिल की बात समझ सकती हूँ राजीव ………और तुम्हारी आँखों में दिख रहा सवाल भी ………पर शायद मैं अभी तुम्हे इस का
कोई जवाब नही दे पाऊँगी ……..जब तक मैं अपने अतीत से बाहर नही आ जाती , मैं नयी जंदगी शुरू नही कर सकती ……” उसने कहा
और अपने हाथ मेरे हाथों से छुड़ा लिए …………..

“ कोई बात नही नेहा……….तुम जितना चाहो, टाइम ले सकती हो …….मैं तुम्हारे जवाब का इंतेज़ार करूँगा…………जितना तुम चाहो उतना ……….. “ कहते हुए मैं उसके सामने से हट गया ……..उसने फिर से एक बार मेरी तरफ देखा और धीरे धीरे गेस्ट हाउस की तरफ
चल दी , मैं भी उसके साथ साथ ही जा रहा था ……….हमेशा की तरह , थोड़ी सी दूरी बना कर चलते हुए …………
 
#39

मंडे , 27थ डिसेंबर
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आज का पूरा दिन बहुत बिज़ी रहा………लास्ट वीक मैं मिस्टर.चौधरी के साथ रहा, इसलिए काफ़ी काम पेंडिंग हो गये थे ……..जिसको निपटाने में ही हमको रात हो गयी ………सुबह से शाम तक मीटिंग्स ही होती रही और फिर देर रात हमारी फ्लाइट थी , देहरादून के लिए ………….
ट्यूसडे , 28थ डिसेंबर
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सुबह 3 बजे हम लोग देहरादून पहुँच गये थे और फिर सीधे अपने लिए बुक होटेल में चले गये……….होटेल में आकर हम लोग अपने अपने रूम में जाकर सो गये , और फिर सुबह करीब 9.00 बजे की आस-पास मेरी आँख खुली ……

मैं नेहा को रिंग किया, वो भी उठ चुकी थी ……..हम दोनो ने अपना प्रोग्राम डिसकस किया और फिर हम दोनो तय्यार होने लगे ……..10.30
बजे के करीब हम दोनो ने होटेल में ही ब्रेक फास्ट किया और फिर अपनी मीटिंग्स के लिए चले गये …….

सुबह 12 बजे शुरू हुआ मीटिंग का दौर शाम को 4 बजे तक चला ………. फिर शाम को 4 बजे हम दोनो गाड़ी में बैठ कर वापस होटेल की
तरफ चल दिए ……हमारी मीटिंग्स बहुत अच्छि रही थी , और हम दोनो ही बहुत खुश थे ….फिर मैने नेहा से पूछा ………..

“ यहाँ , मसूरी भी तो नज़दीक ही पड़ता है ……….अगर तुम कहो तो रात हम वहीं स्टे कर लेते हैं ?”

उसने मेरी तरफ देखा और फिर मुस्कुराते हुए कहा …” जैसा आप कहें ……पर उस से पहले मेरी एक रिक्वेस्ट है आपसे “

“ हां ………..कहिए ?” मैने पूछा

“मैं कुछ देर के लिए अपने घर जाना चाहती हूँ ……..अगर आपकी पर्मिशन हो तो ? “ उसने मेरी तरफ देखते हुए कहा

“ ओह्ह हां !!……..मैं तो भूल ही गया था कि यहाँ देहरादून में आपका घर है …….श्योर , चलिए मैं आपको छोड़ देता हूँ “ मैने
कहा

“ अर्रे नही …….मैं चली जाऊंगी …..आप परेशान ना हो …….” उसने कहा , पर मैने उसको मना कर दिया और फिर ड्राइवर को नेहा के बताए अड्रेस पर चलने के लिए बोल दिया ………..

गाड़ी देहरादून की सड़को से होती हुई , और फिर कुछ पतली पतली गलियों से होते हुए , एक ऐसी जगह पर जाकर रुक गयी …..जहाँ से
आगे गाड़ी को ले जाना पासिबल ही नही था ………

“ बस …इस से आगे मुझे पैदल ही जाना पड़ेगा …” नेहा ने कहा और गाड़ी से उतर गयी ………मैने गाड़ी की विंडो से सर बाहर निकाला
और उस से बोला “ क्या मुझे अपने घर नही लेकर चलेंगी ?”

उसने सर झुका लिया और फिर एक फीकी सी मुस्कुराहट के साथ मेरी तरफ देख कर बोली “सॉरी राजीव ………आज नही ………..पता नही पापा आपसे मिलकर क्या सोचेंगे ……….नेक्स्ट टाइम ज़रूर लेकर चालूंगी “

“ ओक …….लेट्स सी……..नेक्स्ट टाइम कब आता है “ मैने कहा और फिर ड्राइवर से वापस होटल चलने के लिए कह दिया …………….. नेहा ने 2 घंटे बाद वापस आने के लिए कहा था…….और इतना टाइम मुझे अकेले रहकर ही काटना था…………..

मैं वापस होटेल आ गया और फिर थोड़ी देर आराम करने के बाद में मसूरी में अपने लिए होटेल रूम्स बुक कर दिए ………..अब मुझे इंतेज़ार था, नेहा के वापस आने का…………..

2 घंटे बीत चुके थे …पर नेहा का कोई फोन नही आया…….फिर मैने ही उसको फोन करने की सोची ……मैने उसका नंबर लगाया , पर बेल जाती रही और फिर नो आन्सर हो गया ……….मैने लगातार 5 बार उसके नंबर पर ट्राइ किया पर कोई रेस्पॉन्स नही मिला …………..
टाइम बीत-ता जा रहा था और साथ ही साथ मेरी बै-चैनि भी बढ़ती जा रही थी ……….
 

#40

मैं परेशान हो गया था….उस से कॉंटॅक्ट करने का बस एक ही साधन मेरे पास था, उसका मोबाइल फोन…….और वो भी काम नही आ रहा था …….मैं कमरे के अंदर चक्कर लगाने लगा और बार बार बाल्कनी पर जाकर भी देखता रहा……..और तभी मेरे फोन की घंटी बजी ……मैने भाग कर फोन उठाया…..किसी अननोन नंबर से कॉल थी ………मैने कॉल रिसीव की और उधर से नेहा की अव्वाज़ सुनाई पड़ी ……………

“ हेलो …! राजीव …….” उसकी आवाज़ बहुत ही हल्की थी ……..जैसे किसी से छुप के फोन कर रही हो ………

“नेहा !!………कहाँ हो तुम ? मैं कब से तुम्हारा फोन ट्राइ कर रहा हूँ ? और तुम यह किस नंबर से फोन कर रही हो …….? “ मैने एक ही साँस में सारे सवाल पूच्छ डाले ………….

“ मैं तुम्हे सब बता दूँगी राजीव……..तुम मुझे अभी आकर मिलो…” उसकी आवाज़ बहुत ही धीरे से आ रही थी , और ….फिर उसने जल्दी जल्दी मुझे एक अड्रेस बताया …….जो किसी शॉपिंग माल का था……और फिर फोन डिसकनेक्ट हो गया………

मैं जल्दी से रूम से निकल कर नीचे आया और ड्राइवर को बुलाकर नेहा के बताए अड्रेस पर चलने के लिए कहा…………15 मिनिट बाद ही मैं वहाँ पहुँच गया था, जहाँ पर उसने मुझे बुलाया था………मेरे दिमाग़ में बहुत सारे सवाल घूम रहे थे , नेहा किस से डर रही है ? वो
मोबाइल पर कॉल रिसीव क्यों नही कर रही है ? और वो सीधे होटेल ना आकर , मुझे यहाँ क्यों बुला रही है ? …………पर इन सब सवालो का जवाब सिर्फ़ नेहा का पास ही था…….

मैं माल में पहुँच गया…………यह एक 5 मंज़िला माल था…… इस समय यहाँ काफ़ी भीड़ थी और नेहा मुझे कहाँ मिलेगी , यह मुझे भी मालूम नही था …….मैं एक एक कर के सारे फ्लोर्स पर चक्कर लगाने लगा……..एक एक शॉप में झाँक कर देखा पर वो मुझे कहीं पर भी नही नज़र आई ………..मैं अब परेशान होने लगा था ………और साथ ही साथ मेरे गुस्सा भी बढ़ता जा रहा था………मैं फिर से उस माल के सेकेंड फ्लोर पर आ गया…..और एक ऐसे जगह पर जाकर खड़ा हो गया जहाँ से मैं ऊपर और नीचे , दोनो तरफ देख सकूँ ……….

अभी मुझे यहाँ खड़े हुए 10 मिनिट ही हुए थे कि मेरी निगाह ऊपर 3र्ड फ्लोर की तरफ गयी ……नेहा , एक दीवार के सहारे खड़ी हुई थी और बड़ी घबराई हुई सी इधर-उधर देख रही थी ………..जाहिर था की उसकी निगाहें मुझे ही ढूँढ रही थी ………..

मैने तेज़ी से 3र्ड फ्लोर की तरफ झपटा……..एलिवेटर इस समय बिल्कुल फुल था, इसलिए मैं सीडीयों के रास्ते ही भागता हुआ ऊपर पहुँच गया………..जिस जगह नेहा खड़ी थी , वो सीडीयों से थोड़ी दूर थी …….ऊपर पहुँचते ही मेरी निगाह उस पास पड़ी और मैं अपनी जगह पर ही रुक गया ……..वो अकेली नही थी ……..एक आदमी उसके बिकुल पीछे खड़ा हुआ था , और उस से कुछ कह रहा था ………नेहा बार
बार अपना सर हिला रही थी , जैसे इनकार कर रही हो ………..उस आदमी ने अब ज़ोर ज़ोर से कुछ कहना शुरू कर दिया था ……..

मैने देखा, वो एक लंबा सा आदमी था , लगभग मेरे ही बराबर ………..गोरा रंग ………शेव बढ़ी हुई थी और बाल बिखरे हुए से थे …….अचानक उसने नेहा की एक बाँह पकड़ ली और उसको अपनी तरफ घुमा लिया…….. नेहा अपना हाथ उस से छुड़ाने की कोशिश कर रही थी …….फिर उसने नेहा का मुँह अपने हाथ से पकड़ लिया और अपनी तरफ घुमा कर कुछ कहने लगा ………

अब यह सब मेरे बर्दास्त से बाहर था ……….जाहिर था कि वो नेहा को परेशान कर रहा था …….मैं तेज़ी के साथ , लगभग भागता हुआ उनके पास पहुँचा और ज़ोर से बोला ……….

“ हेययय………क्या कर रहे हो !! छोड़ो उसको ……….” मेरी आँखें इस समय गुस्से से लाल हो रही थी , और शरीर काँप रहा था ………..

उसने मेरी तरफ देखा ……..फिर एक बार सर झुकाए खड़ी नेहा की तरफ , और फिर मेरी तरफ देखते हुए बोला…………” क्यों ?................ क्या तकलीफ़ है आपको ? “

मैं उसके पास गया और उसका हाथ पकड़ कर नेहा के हाथ से अलग कर दिया …….और बोला “ तकलीफ़ तो तुझे होने वाली है
…………क्यों इस को परेशान कर रहा है ? “

“ यह हमारा आपस का मामला है ………..तुझ से किसने कहा बीच में बोलने को “ कह कर वो फिर से नेहा की तरफ घूम गया और उसकी बाँह फिर से पकड़ ली ……………नेहा ने कसमसाते हुए , एक बार मेरी तरफ देखा………फिर उस से बोली “ क्या कर रहे हो ……मुझे दर्द हो रहा है……..छोड़ दो “ और फिर उसकी आँखों में आँसू आ गये……..

यह सब कुछ अब लिमिट से ऊपर हो चुका था……मैने उस आदमी के कंधे को पकड़ कर उसको अपनी तरफ घुमाया और सीधे हाथ का
एक घूँसा उसके जबड़े पर जमा दिया………उसके हाथ से नेहा का हाथ छूट गया और वो चीखता हुआ पीछे को गिर पड़ा ……………..
नेहा भाग कर मेरी तरफ आ गयी और मेरे पीछे को खड़ी हो गयी , मेरी एक बाँह पकड़ कर ………..अब वहाँ काफ़ी भीड़ इकट्ठा हो गयी थी ……….वो आदमी फिर से उठा और मुझे गाली देता हुआ मेरे ऊपर झपटा………..” तेरी माँ की …….साले तूने मेरे ऊपर हाथ उठाया…….” कहते हुए मेरे ऊपर घूँसा चलाया , पर मैं खुद को बचा गया और फिर एक घूँसा उसके पेट में जमा दिया ………..वो अपना पेट पकड़ कर
नीचे बैठता चला गया ……..मैने उस से कहा

“ तू हाथ उठाने की बात कर रहा है ……… मैं तुझे जान से मार दूँगा …….” कहते हुआ मैं फिर से उस पर झपटा …तब तक माल के
सेक्यूरिटी गार्ड्स और पोलीस के कुछ जवान वहाँ आ चुके थे …………उनमें से 3-4 ने मुझे पकड़ लिया और 3-4 ने उसे

……….

वो गुस्से से मुझे घूरता हुआ बोला ….” साले ……..तू होता कौन है मादर*** हम मियाँ-बीवी के बीच में बोलने वाला…..? “

मैं ने अचरज से एक बार उसकी तरफ देखा और फिर अपने पीछे को खड़ी नेहा की तरफ………नेहा ने अपना सर नीचे को झुका लिया………..वो आदमी , जो मुझे अब मालूम पड़ा कि नेहा का पति था …..अब ज़ोर ज़ोर से चीखने लगा था और लगातार मुझे और नेहा को गालियाँ दे रहा था ……….

तब तक पोलीस का एक एस.आइ वहाँ आ गया.......और फिर हम तीनो को साथ ले कर पोलीस स्टेशन आ गया ...........
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#41

“ हमें यहाँ अभी और कब तक बैठना पड़ेगा ? “ मैं अपने सामने बैठे एसआइ से बोला………

हमें यहाँ , पोलीस स्टेशन में आए हुए 1 घंटा हो चुका था…… जैसा की आम-टूर पर पोलीस स्टेशन मैं होता है…..हमें यहाँ लाकर बैठा दिया
गया था और इंतेज़ार करने को कहा गया………1 घंटा बीत चुका था और मेरे सब्र का प्याला अब भरने लगा था ………..

एसआइ ने मेरी तरफ घूर कर देखा और बोला…. “ आप लोग यहाँ दावत खाने के लिए नही आए हो ……..कहा ना , अभी साहब बुलाएँगे आप लोगो को “

तभी एक सिपाही उसके पास आया और धीरे से कुछ बोला …….एसआइ अपनी सीट से उठा और हमें भी साथ चलने का इशारा किया
…….हम दोनो और थोड़ी दूर बैठा हुआ नेहा का पति …….उसके पीछे पीछे चल दिए और अंदर वाले कमरे में आ गये ……….

अंदर वाला कमरा उनके “साहब” का था …………वो एक 32-33 साल का आदमी था , आवरेज हाइट का और गोरा रंग ………सामने टेबल पर नेम प्लेट लगी हुई थी ……विक्रम सिंग नेगी ………उसके स्टार्स बता रहे थे कि वो एसीपी रंक का ऑफीसर है ……….हम चारो उसके
सामने बैठ गये ………

उसने एक एक करके हम सबको देखा और फिर नेहा की तरफ देखते हुए बोला ………

“आपका नाम …?”

“ जी …नेहा वेर्मा “

“ कहाँ रहती हैं आप ?” उसने आगे पूछा…

“ जी ….राज नगर में “ उसने जवाब दिया…….

“ इन साहब को जानती हैं “ उसने मेरी तरफ इशारा करके पूछा…

“ जी हां ……….राजीव चौधरी ……..मेरे कोलीग हैं …….”

“ और यह साहब ? इनको जानती हैं आप ? “ उसने नेहा के हज़्बेंड की तरफ इशारा करते हुए कहा ……..

“ जी हां ………यह मेरे हज़्बेंड हैं ……..नीरज वर्मा “ कुछ हिच-किचाते हुए उसने जवाब दिया …………

“ इन्होने बताया है कि यह यहीं देहरादून में रहते हैं ………इसका मतलब आप इनके साथ नही रहती ….. क्यों ?” उसने आगे पूछा……..

“ जी हम लोग साथ साथ नही रहते हैं ……” नेहा ने धीरे से जवाब दिया…….

“ वजह ? “ उसने मुस्कुराते हुए अगला सवाल किया……

नेहा चुप हो गयी ……और मेरी तरफ देखने लगी ……..मैं तुरंत उस ऑफीसर से बोला “ देखिए …….यह इनका पर्सनल इश्यू है …..इस को पूच्छने का क्या मतलब “

उस ने एक बार मेरी तरफ घूर कर देखा और फिर नेहा से अगला सवाल किया …..” कल आप को यह कहाँ मिले थे ? “

“ जी…मेरे पापा के घर के पास “ नेहा ने जवाब दिया…….

“ आपके पापा के घर का अड्रेस ? “ उसने आगे पूछा…….नेहा ने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर चुप हो गयी ……….

“ यह तो कोई पर्सनल सवाल नही है मेडम ? अड्रेस बताइए “ उसने कहा …….

नेहा कुछ सेकेंड्स सोचती रही और फिर एक अड्रेस उसको बताया…….जिसको हमारे साथ बैठे एसआइ ने नोट कर लिया……….

“ अब आप लोग कहाँ ठहरे हुए हैं ? “ उसने नेहा की तरफ देखते हुए पूछा…….

जवाब मैने दिया …..उसको देहरादून और मसूरी ….दोनो के होटेल्स के नाम बता दिए ………

सुन कर वो मुस्कुराया……….और फिर बोला “ अच्च्छा तो आप अपने हज़्बेंड और पापा का घर छोड़ कर , अपने कोलीग के साथ ठहरी
हैं…………क्या बात है ?” आख़िरी लाइन बोलते समय उसके चेहरे पर एक तिरछी स्माइल आ गयी थी …………मैं तुरंत उस से बोला

“ इस बात से आपको कोई मतलब नही होना चाहिए ऑफीसर…….”

“ मैने तुमसे कहा क्या बीच में बोलने को ? “………वो मेरी तरफ देख कर गुस्से में बोला………

“ लेकिन आपके क्वेस्चन्स पर्सनल होते जा रहे हैं …..” मैं भी थोड़ा गुस्से में बोला………..” आप ऐसे ट्रीट कर रहे हैं , जैसे हम लोग कोई क्रिमिनल्स हो “

“ अच्छा……….अब तू मुझे सिखाएगा कि मुझे कैसे बात करनी है …………” कहता हुआ वो अपनी चेयर से खड़ा हो गया…….. “ इन दोनो मिया बीवी के बीच में तू इंटरफेर कर रहा है …………इसके पति को सरे बेज़ार तूने मारा ………पचासो लोगो के बीच तू इसको जान से
मारने की धमकी दे रहा था ………और मुझसे कह रहा है कि मैं तेरे साथ सही से पेश आऊँ “

“ बिल्कुल सही कह रहा हूँ मैं ….आप काम की बात ना पूछ कर , फज़ूल की बात में टाइम खराब कर रहे हैं ……………” मैं भी अपनी जगह से उठ कर खड़ा हो गया और उसको घूर कर देखता हुआ बोला “ मैने आपके एसआइ को बताया था कि इन दोनो के बीच डिस्प्यूट चल रहा है ………डाइवोर्स पेपर्स फाइल किए हुए हैं , यह साहब सरे बेज़ार नेहा को परेशान कर रहे थे ……….मैने इनको पहले समझाया ,
और ना मान-ने पर इनको मारा………….इतनी बात पर आप मेरे को क्रिमिनल मान रहे हैं ……….और यह आदमी अपनी बीवी को सरे
बाज़ार परेशान कर रहा था , क्या यह क्राइम की केटेगरी में नही आता ……………..? “

वो मुझे घूरता रहा ……..और फिर अपनी सीट पर बैठ गया …….. और अपने एसआइ से बोला “ इन लोगो को बाहर ले जाकर , इनके स्टेट्मेंट्स लिख लो “
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#42

फिर हम सब बाहर आ गये………उसने हम तीनो के स्टेट्मेंट्स नोट किए और हमारा नाम & अड्रेस…….मैने उसको अपना पूरा परिचय दिया और अपना विज़िटिंग कार्ड दिया………..उसको देख कर एक बार उसकी आँखों में अजीब से चमक आई और वो फिर से अंदर चला गया…….एक मिनिट बाद ही वापस आया और मुझ से बोला ……” आप को साहब अंदर बुला रहे हैं …” मैं उठा और फिर एक बार अंदर ऑफीस में आ गया…….

एसीपी ने इस बार मेरा जोरदार स्वागत किया” आइए चौधरी साब…………प्लीज़ बैठिए…….” उसकी आवाज़ में अब नर्मी थी ……

मैं उसके सामने बैठ गया और वो फिर बोला “ आपने बताया नही था कि आप कौन हैं?”

“ क्यों ? मैने आपको अपना परिचय नही दिया था …?” मैने उन दोनो की तरफ देखते हुए कहा …………..

“ मेरा मतलब है , पूरा परिचय ……आपने यह नही बताया था कि आप लक्ष्मी बॅंक के वाइस चेर्मन हैं “ वो मुस्कुराते हुए बोला ……..

“ क्यों नेगी साहब ……..इस से कोई फ़र्क पड़ता है क्या ? “ मैने उसके चेहरे को घूरते हुए कहा ……

“ जी हां ……….फ़र्क तो पड़ता ही है …अब आप जैसा बड़ा और इज़्ज़तदार आदमी तो कोई गैर-क़ानूनी काम नही कर सकता ……….इसका मतलब ग़लती उस दूसरे आदमी की ही है ….. जो कुछ भी अभी हुआ , उसके लिए मुझे खेद है ” फिर वो अपने एसआइ की
तरफ देख कर बोला …… “ संजय , इन दोनो को जाने दो …..और उस दूसरे आदमी को सुबह तक अंदर ही रखो …

एसआइ बाहर निकल गया और मैं भी उठ गया……फिर मैने अपना वॉलेट निकाला और उसमें से 1000 के 10 नोट्स निकाल कर उसकी तरफ बढ़ा दिए …..और बोला “ यह रख लीजिए नेगी साहब ……..”

“ अर्रे !! नही , नही …..चौधरी साब, मैं यह आपसे कैसे ले सकता हूँ …….. “ वो दाँत निकाल कर हंसता हुआ बोला ……….” मैं आपको इस
के लिए नही छोड़ रहा हूँ …”

“ मुझे मालूम है नेगी साब ……….यह तो किसी और काम के लिए हैं कि …….वो जो साहब बाहर बैठे हुए हैं ……उनकी ऐसी खातिर कीजिएगा , कि वो आइन्दा कभी नेहा के आस-पास भी नज़र ना आयें ………” मैं मुस्कुराते हुए बोला और उसने भी हंसते हुए वो नोट्स मेरे हाथ से ले कर जेब में रख लिए ……...

मैं उस से हाथ मिलाकर बाहर आया और नेहा को साथ लेकर , पोलीस स्टेशन से निकल कर अपनी गाड़ी में आकर बैठ गया…………

रात के 12 बज चुके थे …….हमारी गाड़ी अब मसूरी की तरफ जा रही थी …………..

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#43

हम लोग अभी मसूरी से करीब 5 किलीमीटर पहले ही थे कि अचानक हमारी गाड़ी रुक गयी ………मैने विंडो ग्लास को नीचे किया तो पता चला कि बाहर हल्की हल्की बारिश शुरू हो चुकी है ……….ड्राइवर गाड़ी से बाहर निकला और कुछ ही देर में वापस आकर बताया कि
आगे रास्ते में कोई चट्टान गिर गयी है ……..रास्ता बंद है और खुलने ही वाला है ……….वो फिर गाड़ी से बाहर निकल गया और हम दोनो अकेले रह गये ……….

मैने नेहा की तरफ देखा ………….वो खामोश बैठी बाहर देख रही थी ………बाहर देखने की लिए कुछ भी नही था, सिवाए बारिश की बूँदो और आती –जाती गाड़ियों के ………सॉफ जाहिर था की उसकी निगाहें , और दिमाग़ साथ साथ नही हैं ……….

मैं थोड़ा सा उसके पास सरका और बोला “ आप मुझे बताना चाहेंगी कि वो सब क्या हुआ था ….? “

उसने मेरी तरफ देखा ………..उसकी आँखें इस समय लाल हो रही थी ……जैसे काफ़ी देर से रो रही हो …………..कुछ सेकेंड्स मेरे
चेहरे को देखने के बाद , उसने सर नीचे झुका लिया और फिर पूछा “ क्या जान-ना चाहते हैं आप ?”

“वही जो माल में हुआ था……..आपके हज़्बेंड वहाँ कैसे पहुँच गये थे ? “

कुछ सेकेंड्स चुप रहने के बाद उसने बोलना शुरू किया “ मैं जब पापा के घर से बाहर निकली , तभी मैने उनको थोड़ी दूर पर देखा था ……..वो तब मेरी तरफ नही देख रहे थे , पर मुझे ऐसा लगा कि वो मेरा पीछा कर रहे हैं ………फिर जब मैं थोड़ा आगे बढ़ी तो वो मेरे पीछे पीछे ही आने लगे …….और मेरे पीछे ही वो माल तक पहुँच गये थे ……”

“ पर तुम मेरा फोन क्यों नही उठा रही थी …………मुझे कम से कम बताया तो होता कि कोई तुम्हारा पीछा कर रहा है ? “ मैं नाराजगी
दिखाता हुआ बोला ……..

“ मैं बहुत डर गयी थी राजीव………समझ नही पा रही थी कि क्या करूँ ? “ उसने कहा ………….

“ और वो तुमसे क्या चाहता था ? माल में वो तुमसे कुछ कह रहा था ? “ मैने फिर पूछा ………

“वो सब बातें बहुत पहले से चली आ रही हैं ........... पहली बात तो वो यह चाहते हैं कि मैने जो केस फाइल किया हुआ है , वो मैं वापस ले लूँ , यानी उनको डाइवोर्स ना दूं ………… हर बार , जब भी मैं यहाँ आती हूँ …….वो यही सब बातें करने आ जाते हैं ………इस ही लिए इस
बार मैं छुप कर अपने पापा के घर गयी थी …….पर मालूम नही उनको कैसे पता चल गया…………………..मेरे पीछे पीछे आ गये और वही सारी बातें दोहराने लगे ………….वैसे इसके अलावा भी कुछ और डिमॅंड्स हैं उनकी ……..” उसने मेरी तरफ देखते हुए कहा………..

“और क्या डिमॅंड्स हैं ? “ मैने पूछा

वो कुछ देर खामोश बैठी नीचे की तरफ देखती रही ………….फिर मुझे देखते हुए बोली “ पहली डिमॅंड तो पैसो की है ……….वो कहते हैं कि अगर मुझे उनसे डाइवोर्स चाहिए तो , मैं उनको 20 लाख रुपये दे दूँ ……….. अगर मैने उनको पैसे दे दिए तो वो भी डाइवोर्स पेपर्स
साइन कर देंगे .......नही तो मुझे केस लड़ना पड़ेगा ..............और इसके अलावा वो यह भी चाहते हैं की मैं एक बार उनके साथ ………..”
आगे की बात उसने अधूरी छोड़ दी …….पर मैं समझ चुका था ……….

कुछ देर चुप रहने के बाद मैने उसके हाथ पर अपना हाथ रख दिया और बोला “ तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो नेहा …………….अब मैं इस आदमी से अपने आप निपट लूँगा……….उसको जो भी कुछ चाहिए , मैं उसको दूँगा…….. आज के बाद तुम उस की टेन्षन को अपने दिमाग़ से बिल्कुल बाहर निकाल दो ……………“

उसने मेरी तरफ देखा……और फिर बोली “ नही राजीव ………..मैने तय कर लिया है कि मैं 20 लाख का इंतज़ाम कर के उनको दे दूँगी ……..मैं भी अब इस सब से तंग आ चुकी हूँ ………” कहकर वो चुप हो गयी ………..उसके होंठ खामोश थे , पर आँखें बता रही थी कि वो अभी तक डरी हुई है ……..उसने अपना हाथ , मेरे हाथ के नीचे से निकाला और फिर बाहर की तरफ देखने लगी ………

मैं जानता था कि इस समय इस बारे में और बात करूँगा तो उसका मूड और ज़्यादा खराब हो जाएगा ........अब मुझे उसका मूड सही करने की कोई तरकीब सोचनी थी ...............

मैं फिर उसको बहलाने के इरादे से बोला “ आपको मालूम है , यह रास्ता क्यों बंद हो गया है ? “

उसने मेरी तरफ सवालिया निगाहो से देखा …….

“ क्यों कि आपके चेहरे की मुस्कुराहट गायब हो चुकी है ……….मेरा यकीन मानिए , अगर आप एक बार हंस दे तो यह रास्ता अपने आप
खुल जाएगा ……..” मैने उसको समझाते हुए बोला ……………..

उसने फिर मेरी तरफ देखा……….और फिर खिड़की से बाहर देखने लगी ……

“ आपको मेरी बात पर यकीन नही आ रहा हैं ना ? …………आप सिर्फ़ एक बार मुस्कुरा कर तो देखिए ……….प्लीज़ नेहा, सिर्फ़ एक बार “ मैं फिर से बच्चो को तरह ज़िद्द सी करता हुआ बोला ………

उसने फिर से मेरी तरफ देखा और इस बार मुस्कुरा दी ……..फीकी सी मुस्कुराहट…..

“ ऐसे नही !!......यह तो ज़बरदस्ती वाली बात हो गयी ………….ज़रा अच्छि तरह से मुस्कुराए …………सारे दाँत दिखने चाहिए ” मैने फिर से कोशिश की ……..

इस बार वो थोड़ा सा खुल कर मुस्कुरा दी ………शायद मेरी बात को सुनकर ……

और तभी जैसे चमत्कार हो गया ………. ड्राइवर ने गाड़ी का दरवाज़ा खोला और ड्राइविंग सीट पर बैठ कर , गाड़ी स्टार्ट कर दी …….और
गाड़ी को आगे बढ़ाता हुआ बोला …..” रास्ता खुल गया है सर ……..अब थोड़ी ही देर में हम लोग होटेल पहुँच जाएँगे ……”
उसकी बात सुन कर मुझे हँसी आ गयी…………नेहा भी मेरी सूरत देखती रही और फिर उसके मुँह से भी हँसी फुट गयी ……….हम दोनो बहुत देर तक एक दूसरे की सूरत देख कर हंसते रहे ……………..

सुबह 3 बजे के करीब हम लोग अपने होटेल पहुँच गये ………..हम दोनो के लिए यहाँ एक सूयीट बुक था…………इस सूयीट में 2 बेडरूम्स थे और एक लॉबी ………..दोनो बेडरूम्स के डोर लॉबी में खुलते थे …..एक कामन बाल्कनी थी , दोनो रूम्स के पीछे की साइड में एक एक
दरवाज़ा था जो इस बाल्कनी में खुलता था

……………..हमारा सूयीट 3र्ड फ्लोर पर था …………बाल्कनी में खड़े होकर देखने पर , मसूरी की माल रोड और नीचे की तरफ गहरी
घाटियाँ दिखाई पड़ती थी ……….

होटेल पहुँच कर , हम दोनो अपने अपने रूम में आ गये ………मैने कपड़े चेंज किए और बिस्तर में घुस गया ………… आज दिन भर होने वाली सारी घटनायें मेरी आँखो के सामने दौड़ रही थी ………कल तक नेहा और मैं धीरे धीरे करीब आ रहे थे ……. पर आज की इस घटना के बाद , वो सॉफ तौर पर डरी हुई और निराश दिखाई पड़ रही थी …………मैने तय कर लिया था कि मैं उस को इस निराशा के अंधेरे से बाहर ले कर आऊंगा ……….और वापस राज नगर लौटने के बाद , उसके डाइवोर्स केस को भी सही तरीके से देखूँगा ……….सोचते सोचते कब मुझे नींद आ गयी , मुझे खुद भी नही मालूम पड़ा……………..
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वेडनेसडे 29थ डिसेंबर
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सुबह मैं काफ़ी देर से सो कर उठा …… कुछ तो कल रात की थकान का असर था और कुछ मौसम का तक़ाज़ा………मैं बहुत देर तक बिस्तर में ही घुसा रहा और फिर आख़िर में बिस्तर छोड़ कर बाहर निकल गया ……….मैने बाल्कनी वाला दरवाज़ा खोला और बाहर आ गया ……………बाहर आते ही ठंडी हवा का एक तेज़ झोंका मुझे अंदर तक सिहरा गया …………ठंड की एक लहर पुर शरीर में दौड़ गयी ……

फिर मेरा ध्यान बाल्कनी के दूसरे साइड में खड़ी हुई नेहा के ऊपर गया…….वो बाल्कनी की दीवार पर दोनो हाथो को टिकाए हुए खड़ी थी और सामने , नीचे कहीं देख रही थी ……….उसकी पीठ मेरी तरफ थी , इसलिए उसको मालूम नही था कि मैं उसके पीछे खड़ा हूँ …………उसने एक शॉल लपेटा हुआ था और नीचे शायद नाइट सूट पहना हुआ था ………

मैं धीरे धीरे चलता हुआ उसके पास पहुँचा और बोला “ गुड मॉर्निंग नेहा “
उसने पीछे को मूड कर देखा ……मुझे देख कर एक मुस्कुराहट उसके चेहरे पर आ गयी और उसने जवाब दिया “ मॉर्निंग राजीव ………….कैसे हैं आप ? “

“ आइ एम फाइन ………., और यह सवाल तो मुझे आपसे पूच्छना चाहिए , कैसी हैं आप ? “

“ फीलिंग मच बेटर ……….आंड थॅंक्स टू यू राजीव “

“ किस बात के लिए थॅंक्स ? “

“ आप जानते हैं किस बात के लिए थॅंक्स बोल रही हूँ मैं आपको …………….आप मेरे साथ ना होते तो मालूम नही क्या हो जाता ……..” उसने मेरी आँखों में देखते हुए कहा………….अगले कुछ सेकेंड्स हम दोनो यूँ ही खड़े एक दूसरे को देखते रहे और फिर उसने अपनी नज़रें झुका ली …………

“ आज का क्या प्रोग्राम है ? “ फिर थोड़ी देर के बाद उसने पूछा………अब वो फिर से बाल्कनी की दीवार से लग कर खड़ी हुई थी और बाहर देख रही थी ……….

“ आज कोई अफीशियल काम तो नही है ……….सिर्फ़ एंजाय करने का दिन है ……..आप जहाँ जहाँ कहेंगी , मैं आपके साथ चलने के लिए तय्यार हूँ “ मैने मुस्कुराते हुए कहा ……

..और जवाब में वो हंसते हुए बोली “ ठीक है फिर ……….आज मैं आपको पूरा मसूरी घुमाउन्गी ………”

फिर हम दोनो अपने अपने कमरे में आ गये ……..और डेली रुटीन के काम निपटा कर तय्यार होने लगे …….सुबह के 10.30 बजे होंगे जब हम दोनो ब्रेकफास्ट करने के बाद अपने होटेल से बाहर आ गये ……………..

रात में कहीं आस-पास बर्फ बारी हुई थी , जिसका असर सॉफ दिखाई पड़ रहा था………..सर्द हवा चल रही थी ……हम दोनों ने ही जीन्स और जॅकेट पहनी हुई थी , पर सर्दी हम दोनो को थी काँपने पर मजबूर कर रही थी ………

उसके बाद नेहा मेरी गाइड बन गयी …………..मसूरी के सारे फेमस स्पॉट्स और आस पास के कुछ इलाक़े उसने मुझे घुमा दिए ………सुबह के 11 बजे शुरू हुआ हमारा सफ़र रात के 8 बजे तक चलता रहा…………केंप्टी फॉल्स का शानदार झरना , गन हिल्स की ऊँचाई पर ठंडी हवा का मज़ा और धनोलती की बर्फ से धकि हुई पहाड़ियाँ ……….यह सब एक अजब ही एहसास करवा रही थी …….और इन सबसे
बड़ी बात यह कि इस पूरे सफ़र पर मेरे साथ नेहा थी ………..उसका साथ मेरे अंदर एक अजीब सा रोमांच पैदा कर रहा था……….कल रात उसके चहरे पर जो बैचानी और डर दिखाई दे रहा था, वो अब गायब हो चुका था …….उसकी जगह फिर से उसकी सदा बहार स्माइल आ गयी थी ……..………

रात को वापस माल रोड पर आकर हम लोगो ने एक रेस्टोरेंट में डिन्नर किया ……और फिर बाहर आ गये ……..मैने ड्राइवर से बोल दिया की वो गाड़ी को वापस होटेल ले जाए ………..और हम दोनो धीरे धीरे टहलते हुए माल रोड पर चलने लगे ………….

शायद सर्दी का ही असर था कि माल रोड पर आज भीड़ कम थी ………….कुछ ही लोग दिखाई पड़ रहे थे , उनमें से भी ज़्यादातर जोड़े ( कपल्स) थे जो शायद हनिमून मनाने आए हुए थे ………….

नेहा मेरे लेफ्ट साइड में थी और चुप चाप चल रही थी ……..मैने बात शुरू करते हुए कहा …….. “थॅंक्स नेहा ………….आपने आज मुझे
पूरा मसूरी घुमा दिया…….”

“ अर्रे नही …………. थॅंक्स की कोई बात नही है ………दोस्त होने के नाते यह तो मेरा फ़र्ज़ बनता है “ उसने मेरी तरफ देखते हुए कहा …………..

हम दोनो चलते हुए रोड के एक साइड में बनी हुई रेलिंग्स के पास आ गये ………..और वहाँ से नीचे का नज़ारा देखने लगे …………दूर
दूर तक पहाड़ो पर जलती हुई लाइट्स , ऐसा लग रहा था जैसे आसमान पर रंग बिरंगे सितारे चमक रहे हो

…………….कुछ सेकेंड्स हम दोनो चुप चाप यूँ ही नज़ारा देखते रहे , फिर उसने धीरे धीरे रोड पर आगे को बढ़ना शुरू कर दिया ……..मैं उसके साथ साथ ही चलता रहा ………..हम दोनो बिल्कुल साथ साथ चल रहे थे …….चलते समय हमारे कंधे और हाथ एक दूसरे से टकरा
रहे थे ……….उंगलियाँ कभी कभी आपस में टकराने लगती हैं ……….मेरा दिल कर रहा था उसका हाथ थामने का …….पर मैं अभी
शुरुआत नही कर पा रहा था …….फिर अचानक चलते चलते उसने कहा …….

“ तुम्हे मालूम है राजीव …………..तुम एक बहुत अच्छे दोस्त ही नही हो ………..एक अच्छे इंसान भी हो “ कह कर उसने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर सामने देखने लगी ………

“ अच्च्छा !! वो कैसे ? “ मैं हंसते हुए बोला……….

“ कैसे का तो मालूम नही ………पर जहाँ तक मैने तुम्हे समझा है , तुम वाकयि एक अच्छे इंसान हो …….”

“क्या पता ….मेरा एक दूसरा रूप भी हो , जो आपको दिखाई ना पड़ा हो “ मैने फिर से कहा ..

“ एक आदमी अपना कोई भी रूप………..किसी औरत से नही छुप सकता ……वो भी तब , जब वो दोनो सारा समय एक साथ रहते हो ……और अगर कोई बुराई आपके अंदर है भी तो , आपकी अच्छाइयाँ उस पर भारी पड़ जाती हैं “ उसने मेरी तरफ देखते हुए कहा और फिर से नीचे को देखने लगी ………

हम बात करते करते चल रहे थे ……..हमारा होटेल भी अब नज़दीक आता जा रहा था …..मैने एक बार उसकी तरफ देखा और फिर धीरे से अपनी उंगलियाँ , उसकी उंगलियों में पिरो दी………. उसने मेरी तरफ निगाह डाली , और फिर मुस्कुराते हुए सर झुका लिया ……….फिर उसने अपनी हथेली को बंद करते हुए , मेरे हाथ को कस कर पकड़ लिया ……………..बहुत छोटी सी बात थी , पर उसकी इस हरकत से
मेरे पूरे शरीर में एक लहर सी दौड़ गयी थी …….मैने भी उसके हाथ को कस कर पकड़ लिया और फिर हम दोनो यूँ ही एक दूसरे का हाथ पकड़े हुए अपने होटेल की तरफ चल दिए ………..
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#45

होटेल में दाखिल होते समय ……..और फिर लिफ्ट में जाते समय....…..हम दोनो ने एक दूसरे के हाथ को पकड़ा हुआ था ………….लिफ्ट 3र्ड फ्लोर पर जाकर रुकी , हम दोनो बाहर आए ……..एक दूसरे का हाथ थामे हुए ……….फिर अपने सूयीट की तरफ चल दिए …. अपने
सूयीट में आकर हम दोनो लॉबी में रुक गये……..मैने अभी भी उसका हाथ पकड़ा हुआ था………उसने मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखा और
फिर हाथ की तरफ इशारा करते हुए बोली …………” क्यों ? आज हाथ छोड़ने का इरादा नही है क्या ?”

“ नही !! “ मैने सर हिलाकर कहा….” तुम कहो तो मैं हमेशा इस को ऐसे ही थामे रह सकता हूँ “

“ अच्छा जी …………….देखते हैं कब तक यूँ ही पकड़े रखते हो “ कह कर उसने अपने रूम का दरवाज़ा खोला और अंदर आ गयी
…….मैं भी उसके पीछे पीछे , उसका हाथ थामे हुए अंदर आ गया ……….

“ प्लीज़ राजीव !! अब तो मेरा हाथ छोड़ दो ……” उसने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा ………..

“ क्यों ? अभी तो आप मुझे चॅलेंज कर रही थी ….अब क्या हो गया “ मैने कहा और उसके हाथ को एक झटका दिया और उसको अपनी तरफ खींच लिया ……….वो सीधी मेरे से आकर टकराई ………उसके हाथ मेरे सीने पर आगये और मेरे हाथ उसकी कमर पर ………..मैने दोनो हाथ से उसकी कमर को पकड़ा और उसको अपने और नज़दीक खींच लिया ……………..
उसने मेरी आँखों में देखा और बोली “ मुझे मालूम है कि मैं तुम्हे चॅलेंज नही कर सकती …………”

मैने अपने सीधे हाथ की एक उंगली को उसके माथे पर रखा और फिर एक लकीर सी बनाता हुआ उसके गाल तक ले आया ……….फिर मैं उसके गाल को सहलाते हुए , अपना हाथ उसकी गर्दन के पीछे ले गया और उसके चेहरे को अपने और नज़दीक खींच लिया …………..…………

हमारे होंठो के बीच अब सिर्फ़ कुछ इंचस का ही फासला था ………..वो मेरी आँखों में देख रही थी और मेरी नज़रें कभी उसकी नज़रों से टकराती और कभी उसके काँपते होंठो को देखती ………..मैने अपने हाथ का दवाब बढ़ाया और उसके होंठों को अपने और नज़दीक ले आया….इतना पास कि उसकी तेज़ साँसे अब मुझे अपने चेहरे पर महसूस होने लगी थी ………उसकी सांसो के साथ उसका सीना ऊपर
नीचे हो रहा था …….फिर इस से पहले कि हमारे होंठ आपस में मिलते , उसने अपनी एक उंगली मेरे होंठो पर रख दी ……और गर्दन हिला कर ना का इशारा किया …………..

मैने अपना चेहरा थोड़ा सा पीछे हटाया और बोला “ क्यों ? क्या हो गया ? क्या मैं तुम्हे पसंद नही …? “

उसने मेरी आँखों में देखते हुए कहा “ तुम मुझे बहुत पसंद हो राजीव ……कोई बेवकूफ़ लड़की ही होगी जो तुम्हे पसंद ना करे , और शायद
मैं भी तुमसे प्यार करने लगी हूँ …..पर प्लीज़ , मुझे थोड़ा सा समय और दे दो ……….”

मैने अपना हाथ उसके गाल पर फेरते हुए कहा “ कोई बात नही नेहा ……..जितना टाइम चाहो ले लो , मैं तुम्हारा वेट करूँगा ..” कह कर मैं
पीछे हटा और फिर मूड कर धीरे धीरे उसके कमरे से बाहर जाने लगा …

मैने अभी दरवाज़ा खोला ही था कि उसने फिर से मुझे पीछे से आवाज़ लगाई …..मैं रुक गया और उसकी तरफ पलटा …….वो मेरे नज़दीक आ गयी थी ………..उसने 2 सेकेंड्स मेरी आँखों में झाँका और फिर आगे बढ़ कर मेरे गाल पर एक किस कर दिया …….फिर वो मेरे गले से लिपट गयी और मेरे कान में बोली “ आइ लव यू टू राजीव “

मेरी तो खुशी का मानो ठिकाना ही नही था …….मैने उसको अपने साथ और कस के लिपटा लिया ………………..कुछ मिनिट्स हम दोनो यूँ ही लिपटे हुए खड़े रहे …… एक दूसरे की दिल की धड़कनो को गिनते रहे ……..मेरे हाथ उसकी पीठ पर बँधे हुए थे और उसके मेरी गर्दन में ……….

फिर उसने मेरे सीने पर हाथ रख कर खुद को मुझे से अलग किया और मेरी बाहों से बाहर निकली और दो कदम पीछे को हट गयी ……उसने मेरी आँखों में देखा और फिर अपनी नज़रें नीचे को झुका ली ….. शायद मेरे अगले कदम की प्रतीक्षा में ………..

मैं समझ रहा था कि वो अभी तक असमंजस की स्तिथि में है ………और मैं उसकी इस हालत का फ़ायदा उठाने के फेवर में नही था……..मैने एक बार उसकी तरफ देखा और फिर कमरे से बाहर निकल गया …बाहर निकलते हुए मैं फिर से पलटा और उसको गुड नाइट विश किया ………. उसने मुस्कुराते हुए गुड नाइट बोला और फिर धीरे से कमरे का दरवाज़ा बंद कर लिया ……………
 
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