hotaks444
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राहुल शरमाते हुए कसमसा रहा था लेकिन उसको यह स्पर्श आनंददायक भी लग रहा था। राहुल उत्तेजना से सराबोर हुए जा रहा था। इस गर्म स्पर्श से उसकी जाँघो के बीच का उठाव बढ़ने लगा था। जोकि विनीत की भाभी के नजरों से छुपा नहीं रह सका। वीनीत की भाभी की नजर जैसे ही राहुल के उठाव पर पड़ी उसके तन-बदन में खास करके उसकी जांघों के बीच गुदगुदी सी मचने लगी। राहुल का तो गला ही सूखने लगा था।
वैसे भी राहुल के पेंट में बने तंबू का उठाव कुछ ज्यादा ही था । इसलिए तो वीनीत की भाभी की आंखें फटी की फटी रह गई थी। नीलू की तरह उसके मन में भी यही सवाल उठ रहा था कि अगर इसका उठाव इतना बड़ा है तो जब यह बिल्कुल नंगा होता होगा तब ये कैसा दीखता होगा। यही सब सोचकर उसकी जाँघो के बीच नमकीन पानी का रिसाव होने लगा। राहुल की साँसे बड़ी भारी चल रही थी। राहुल की हालत को देखते हुए विनीत की भाभी बोली।)
अच्छा कोई बात नहीं अगर किसी कारणवश वह कल तुम्हें तुम्हारी नोटबुक नहीं लौटा सका तो मैं उससे ले कर रखूंगी और कल तुम इसी समय आकर अपनी नोट बुक ले जाना। ( इतना सुनने के साथ ही राहुल सोफेे पर से खड़ा होता हुआ बोला।)
ठठठ.....ठीक है भभभा....भी अगर ऐसा होगा तो मैं कल आकर नोटबुक ले लूंगा। ( इतना कहने के साथ ही राहुल एक दम से चौंक उठा क्योंकि उसे ज्ञात हो चुका था कि उसके पेंट में काफी लंबा तंबू बना हुआ है।वीनीत की भाभी मुस्कुराते हुए उस के तंबू को ही देखे जा रही थी। राहुल एकदम से शर्मिंदा हो गया और अपने स्कूल बैग को उठाकर झट से पर अपने पेंट के आगे कर लिया ताकि उसका तंबु छिप. सके। राहुल की इस हरकत पर उसकी हंसी छूट गई और राहुल उसे हंसता हुआ देखकर और ज्यादा शर्मिंदा हो गया और बोला।
अच्छा भाभी मैं चलता हूं। विनीत आए तो उसे कहना कि मैं आया था। ( इतना कहने के साथ वह दरवाजे की तरफ बढ़ चला ओर उसके पीछेउसे छोड़ने के लिए दरवाजे तक आई।
जैसे ही राहुल दरवाजा खोल के घर के बाहर कदम रखा वैसे ही विनीत की भाभी बोली।
अच्छा राहुल एक बात बताओ कल तुम खिड़की से चोरी चोरी क्या देख रहे थे?
( विनीत की भाभी की बात सुनकर वह एकदम से सकपका गया और बिना कुछ बोले वहाँ से निकल गया।
राहुल की हालत को देख कर विनीत के बाद भी हंसने लगी और हंसते हुए बोली।)
कल आना जरुर भूल मत जाना।
( इतना कहकर वह भी कमरे में आ गई और सोफे पर बैठकर राहुल के बारे में सोचने लगी। राहुल की मासूमियत का भोला चेहरा उसे भाने लगा था। और राहुल की हरकत से वह समझ गई थी कि यह लड़का पूरी तरह से कुंवारा है शायद ईसने अबतक जन्नत का मजा नहीं लूटा था। बार-बार उसे राहुल का तंबू ही नजर आ रहा था वह उस तंबू को देख कर बड़ी हैरान थी।
वह मन ही मन में सोच रही थी कि पेंट मे अगर इतना भयानक लग रहा है कि पूरी तरह से नंगा होकर टनटना के खड़ा होगा तब कितना विशालकाय लगेगा। यही सोच सोच कर कि पैंटी गीली हो चली थी।
अगर वह चाहती तो राहुल को नोटबुक दे सकती थी लेकिन वीनीत की भाभी बड़ी कामुक और चालबाज स्री थी । तभी तो वह अपने देवर को अपना दीवाना बना कर रखी थी और उसी से अपने बदन की प्यास बुझाती रहती थी। वह इतनी ज्यादा कामुक स्त्री थी की तीन चार दिनो से वह अपने देवर को स्कूल जाने नहीं दी थी और दिन रात उसको भोग रही थी। अब उसकी नजर विनीत के मित्र मतलब कि राहुल पर थी। विनीत की भाभी कामक्रीडा के हर पासाओ मैं इतनी ज्यादा माहिर और शातीर थी की अगर वह चाहती तो इसी वक्त राहुल के कुंवारेपन को नीचोड़ डालती लेकिन उसे डर था कि विनीत कभी भी घर पर आ सकता है इसलिए उसने अपने इस प्लान को कैंसल कर दी। और एक चाल के तहत उसे कल फिर आने का आमंत्रण भी दे दी।
क्योंकि वह जानती थी कि राहुल अगर विनीत से मिलेगा तो वह खुद ही उससे नोटबुक ले लेगा और ऐसे में उसके मन की अभिलाषा उसके मन मे ही दबकर रह जाएगी। इसलिए वह मन में ही सोच ली थी की वह विनीत को राहुल से मिलने ही नहीं देगी । कल विनीत फिर से स्कूल नहीं जाएगा और उसको जाएगा नहीं तो राहुल से मुलाकात भी नहीं होगी और मुलाकात नहीं होगी तो राहुल को नोटबुक भी नहीं मिलेगी। और फिर राहुल को नोटबुक लेने के लिए वीनीत के घर आना ही पड़ेगा। वीनीत की भाभी ने मन मे पूरा प्लान सोच कर रखी थी कि जब स्कूल छूटने के बाद राहुल घर पर आएगा तो उससे पहले ही विनीत को किसी काम के बहाने घर के बाहर दो चार घंटो के लिए भेज दूंगी और ऐसे में राहुल के कुंवारेपन को चखने का पर्याप्त समय भी मिल जाएगा।
सोफे पर बैठे बैठे ही विनीत की भाभी कल की पूर्व रेखा मन में ही तैयार कर रही थी। राहुल के बारे में सोच-सोच कर ही उसकी बुर रीसने लगी थी। इस हालत में उसे वीनीत के लंड की जरूरत पड़ रही थी।राहुल के ऊठाव के बारे में सोच-सोच कर उसकी बुर की खुजली बढ़तीे जा रहीे थी। उसे अपने बुर की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी वीनीत जब आता तब आता इससे पहले ही वह अपनी साड़ी को उठा कर कमर तक खींच ली और पैंटी को बिना निकाले हैं उसकी किनारी को खींचते हुए बुर के उठे हुए भाग के किनारे अटका दी जिससे बुर का पूरा उपसा हुआ भाग और बुर की गहरी घाटी के समान लकीर पूरी तरह से नंगी हो गई। विनीत की भाभी की साँसे बड़ी तेजी से चलने लगी थी। उसका बदन चुदासपन से भरा जा रहा था। विनीत की भाभी के लिए अब बर्दाश्त कर पाना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था
उसने झट से अपनी हथेली को अपनी गरम बुर पर रख दी ओर हथेली को बुर की गुलाबी पत्तियों पर रगड़ने लगी लेकिन उसकी यह क्रिया आग में घी डालने के बराबर साबित हो रही थी। वह जितना अपने आग को बुझाने की कोशिश करती उसके बदन की आग और ज्यादा भड़कने लग रही थी। वह सोफे पर हल्के से लेट गई और अपने एक हाथ से ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी नारंगी यों को दबाने लगी और दूसरे हाथ से अपने बुर को रगड़े जा रही थी। अपनी बुर को मसलते हुए बार-बार उसकी जेहन में राहुल के पेंट का उभार का ही ख्याल आ जा रहा था और जब जब उसका ख्याल आता है वीनीत की भाभी जल बिन मछली की तरह तड़प उठती ।
बदन में चुदाई की लहर बढ़ती जा रही थी उसने एक साथ अपनी बुर में दो ऊंगलियो की जगह बना दी। जहां तक हो सकती थी वहां तक वह अपनी उंगली को घुसा रही थी। इस समय वह उत्तेजना से सरो बोर हो रही थी।
बड़ी तेजी से उसकी ऊँगली बुर में अंदर बाहर हो रही थी। विनीत की भाभी अपनी आंखों को मुंदकर राहुल के लंड का ख्याल करके अपनी बुर मे बड़ी तेजी से ऊँगली को अंदर बाहर कर रही थी। पूरे कमरे में उसकी गर्म सिसकारी गूंज रही थी। वीनीत की भाभी सोफे पर अपनी गदराई गांड को घिसते हुए अपनी बुर में उंगली पेले जा रहीे थी। वीनीत की भाभी की बुर नमकीन पानी से लबालब भरी हुई थी। कुछ देर तक यूं ही यु हीं अपनी बुर मे उंगली करते करते वह चरम सीमा की ओर बढ़ने लगी उसके मुँह से लगातार चुदास से भरी गरम सीस्कारी छूट रही थी।
आआहहहहहहह..........ऊऊमममममममममम..........
ओहहहहहहहहहहहह...मेरे राहुल.....आआआहहहहहहह..... डाल. ओर डालललल......आआहहहहहहहहह (वीनीत की भाभी अपनी ऊँगली को ही राहुल का लंड समझकर अपनी बुर मे पेले जा रही थी।।)
आहहहहहहह......मे गई......मे गई।..........आहहहहहहहहहहहहह.....राहुल......
(ईतना कहने के साथ ही वीनीत की भाभी की बुर से भलभला के नमकीन पानी का फुहारा फुट पड़ा। जैसे-जैस उसकीे बुर से पानी का फुवारा छूट रहा था वैसे वैसे उस की गदराई गांड के साथ साथ पूरा बदन हिचकोले खा रहा था। आज अपने हाथ से बदन की प्यास बुझाने में उसे बहुत आनंद मिला था। वह सोफेे पर लेटे-लेटे हांफ रही थी। उसके मन का तुफान शाँत हो चुका था।
लेकिन उसका बदन एक नए औजार के लिए तड़प रहा था वह अपनी साड़ी को कमर से नीचे सरकाते हुए अपने कमरे की तरफ चल दी उसे इस समय विनीत का इंतजार था। वह मन में सोच रही थी कि अब तक तो विनीत आ जाता था लेकिन आज कहां रह गया। यही सब सोचते हुए वहां अपने बिस्तर पर लेट गई।
वहीं दूसरी तरफ विनीत दिनभर इधर उधर घूम कर अपना समय व्यतीत कर रहा था। यूं तो उसे घर समय पर ही जाना था लेकिन आज कुछ दोस्त मिल गए थे जिस वजह से वह अपने घर जा नहीं सका। शाम हो गई थी वह जानता था कि उसकी भाभी नाराज होगी क्योंकि वह समय पर घर पर नहीं गया था ।
वीनीत को मालूम था कि उसकी भाभी बड़ी बेशब्री से उसका इंतजार कर रही होगी इसलिए वह सोच रहा था कि घर पर कुछ ले जाया जाए ताकी भाभी का गुस्सा कम हो जाए । इसलिए वह वही खड़ा यही सोच रहा था कि क्या लेकर जाऊं की भाभी सारा गुस्सा भुला कर उस से प्यार करने लगे। तभी अचानक उसे याद आया कि भाभी को सफेद गुलाब जामुन बेहद पसंद है।
इसलिए वह गुलाबजामुन खरीदने के लिए मिठाई की दुकान पर गया और जैसे ही वह मिठाई की दुकान के अंदर प्रवेश किया वैसे ही दुकान के अंदर उसे उस दिन वाली महिला मतलब की अलका मिठाई खरीदती नजर आ गई। अलका को देखते ही विनीत बहुत खुश हुआ खास करके उसकी जाँघों के बीच लटक रहे औजार में गुदगुदी होने लगी। विनीत की नजरें अलका के बदन को टटोलने लगी।
वैसे भी राहुल के पेंट में बने तंबू का उठाव कुछ ज्यादा ही था । इसलिए तो वीनीत की भाभी की आंखें फटी की फटी रह गई थी। नीलू की तरह उसके मन में भी यही सवाल उठ रहा था कि अगर इसका उठाव इतना बड़ा है तो जब यह बिल्कुल नंगा होता होगा तब ये कैसा दीखता होगा। यही सब सोचकर उसकी जाँघो के बीच नमकीन पानी का रिसाव होने लगा। राहुल की साँसे बड़ी भारी चल रही थी। राहुल की हालत को देखते हुए विनीत की भाभी बोली।)
अच्छा कोई बात नहीं अगर किसी कारणवश वह कल तुम्हें तुम्हारी नोटबुक नहीं लौटा सका तो मैं उससे ले कर रखूंगी और कल तुम इसी समय आकर अपनी नोट बुक ले जाना। ( इतना सुनने के साथ ही राहुल सोफेे पर से खड़ा होता हुआ बोला।)
ठठठ.....ठीक है भभभा....भी अगर ऐसा होगा तो मैं कल आकर नोटबुक ले लूंगा। ( इतना कहने के साथ ही राहुल एक दम से चौंक उठा क्योंकि उसे ज्ञात हो चुका था कि उसके पेंट में काफी लंबा तंबू बना हुआ है।वीनीत की भाभी मुस्कुराते हुए उस के तंबू को ही देखे जा रही थी। राहुल एकदम से शर्मिंदा हो गया और अपने स्कूल बैग को उठाकर झट से पर अपने पेंट के आगे कर लिया ताकि उसका तंबु छिप. सके। राहुल की इस हरकत पर उसकी हंसी छूट गई और राहुल उसे हंसता हुआ देखकर और ज्यादा शर्मिंदा हो गया और बोला।
अच्छा भाभी मैं चलता हूं। विनीत आए तो उसे कहना कि मैं आया था। ( इतना कहने के साथ वह दरवाजे की तरफ बढ़ चला ओर उसके पीछेउसे छोड़ने के लिए दरवाजे तक आई।
जैसे ही राहुल दरवाजा खोल के घर के बाहर कदम रखा वैसे ही विनीत की भाभी बोली।
अच्छा राहुल एक बात बताओ कल तुम खिड़की से चोरी चोरी क्या देख रहे थे?
( विनीत की भाभी की बात सुनकर वह एकदम से सकपका गया और बिना कुछ बोले वहाँ से निकल गया।
राहुल की हालत को देख कर विनीत के बाद भी हंसने लगी और हंसते हुए बोली।)
कल आना जरुर भूल मत जाना।
( इतना कहकर वह भी कमरे में आ गई और सोफे पर बैठकर राहुल के बारे में सोचने लगी। राहुल की मासूमियत का भोला चेहरा उसे भाने लगा था। और राहुल की हरकत से वह समझ गई थी कि यह लड़का पूरी तरह से कुंवारा है शायद ईसने अबतक जन्नत का मजा नहीं लूटा था। बार-बार उसे राहुल का तंबू ही नजर आ रहा था वह उस तंबू को देख कर बड़ी हैरान थी।
वह मन ही मन में सोच रही थी कि पेंट मे अगर इतना भयानक लग रहा है कि पूरी तरह से नंगा होकर टनटना के खड़ा होगा तब कितना विशालकाय लगेगा। यही सोच सोच कर कि पैंटी गीली हो चली थी।
अगर वह चाहती तो राहुल को नोटबुक दे सकती थी लेकिन वीनीत की भाभी बड़ी कामुक और चालबाज स्री थी । तभी तो वह अपने देवर को अपना दीवाना बना कर रखी थी और उसी से अपने बदन की प्यास बुझाती रहती थी। वह इतनी ज्यादा कामुक स्त्री थी की तीन चार दिनो से वह अपने देवर को स्कूल जाने नहीं दी थी और दिन रात उसको भोग रही थी। अब उसकी नजर विनीत के मित्र मतलब कि राहुल पर थी। विनीत की भाभी कामक्रीडा के हर पासाओ मैं इतनी ज्यादा माहिर और शातीर थी की अगर वह चाहती तो इसी वक्त राहुल के कुंवारेपन को नीचोड़ डालती लेकिन उसे डर था कि विनीत कभी भी घर पर आ सकता है इसलिए उसने अपने इस प्लान को कैंसल कर दी। और एक चाल के तहत उसे कल फिर आने का आमंत्रण भी दे दी।
क्योंकि वह जानती थी कि राहुल अगर विनीत से मिलेगा तो वह खुद ही उससे नोटबुक ले लेगा और ऐसे में उसके मन की अभिलाषा उसके मन मे ही दबकर रह जाएगी। इसलिए वह मन में ही सोच ली थी की वह विनीत को राहुल से मिलने ही नहीं देगी । कल विनीत फिर से स्कूल नहीं जाएगा और उसको जाएगा नहीं तो राहुल से मुलाकात भी नहीं होगी और मुलाकात नहीं होगी तो राहुल को नोटबुक भी नहीं मिलेगी। और फिर राहुल को नोटबुक लेने के लिए वीनीत के घर आना ही पड़ेगा। वीनीत की भाभी ने मन मे पूरा प्लान सोच कर रखी थी कि जब स्कूल छूटने के बाद राहुल घर पर आएगा तो उससे पहले ही विनीत को किसी काम के बहाने घर के बाहर दो चार घंटो के लिए भेज दूंगी और ऐसे में राहुल के कुंवारेपन को चखने का पर्याप्त समय भी मिल जाएगा।
सोफे पर बैठे बैठे ही विनीत की भाभी कल की पूर्व रेखा मन में ही तैयार कर रही थी। राहुल के बारे में सोच-सोच कर ही उसकी बुर रीसने लगी थी। इस हालत में उसे वीनीत के लंड की जरूरत पड़ रही थी।राहुल के ऊठाव के बारे में सोच-सोच कर उसकी बुर की खुजली बढ़तीे जा रहीे थी। उसे अपने बुर की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी वीनीत जब आता तब आता इससे पहले ही वह अपनी साड़ी को उठा कर कमर तक खींच ली और पैंटी को बिना निकाले हैं उसकी किनारी को खींचते हुए बुर के उठे हुए भाग के किनारे अटका दी जिससे बुर का पूरा उपसा हुआ भाग और बुर की गहरी घाटी के समान लकीर पूरी तरह से नंगी हो गई। विनीत की भाभी की साँसे बड़ी तेजी से चलने लगी थी। उसका बदन चुदासपन से भरा जा रहा था। विनीत की भाभी के लिए अब बर्दाश्त कर पाना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था
उसने झट से अपनी हथेली को अपनी गरम बुर पर रख दी ओर हथेली को बुर की गुलाबी पत्तियों पर रगड़ने लगी लेकिन उसकी यह क्रिया आग में घी डालने के बराबर साबित हो रही थी। वह जितना अपने आग को बुझाने की कोशिश करती उसके बदन की आग और ज्यादा भड़कने लग रही थी। वह सोफे पर हल्के से लेट गई और अपने एक हाथ से ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी नारंगी यों को दबाने लगी और दूसरे हाथ से अपने बुर को रगड़े जा रही थी। अपनी बुर को मसलते हुए बार-बार उसकी जेहन में राहुल के पेंट का उभार का ही ख्याल आ जा रहा था और जब जब उसका ख्याल आता है वीनीत की भाभी जल बिन मछली की तरह तड़प उठती ।
बदन में चुदाई की लहर बढ़ती जा रही थी उसने एक साथ अपनी बुर में दो ऊंगलियो की जगह बना दी। जहां तक हो सकती थी वहां तक वह अपनी उंगली को घुसा रही थी। इस समय वह उत्तेजना से सरो बोर हो रही थी।
बड़ी तेजी से उसकी ऊँगली बुर में अंदर बाहर हो रही थी। विनीत की भाभी अपनी आंखों को मुंदकर राहुल के लंड का ख्याल करके अपनी बुर मे बड़ी तेजी से ऊँगली को अंदर बाहर कर रही थी। पूरे कमरे में उसकी गर्म सिसकारी गूंज रही थी। वीनीत की भाभी सोफे पर अपनी गदराई गांड को घिसते हुए अपनी बुर में उंगली पेले जा रहीे थी। वीनीत की भाभी की बुर नमकीन पानी से लबालब भरी हुई थी। कुछ देर तक यूं ही यु हीं अपनी बुर मे उंगली करते करते वह चरम सीमा की ओर बढ़ने लगी उसके मुँह से लगातार चुदास से भरी गरम सीस्कारी छूट रही थी।
आआहहहहहहह..........ऊऊमममममममममम..........
ओहहहहहहहहहहहह...मेरे राहुल.....आआआहहहहहहह..... डाल. ओर डालललल......आआहहहहहहहहह (वीनीत की भाभी अपनी ऊँगली को ही राहुल का लंड समझकर अपनी बुर मे पेले जा रही थी।।)
आहहहहहहह......मे गई......मे गई।..........आहहहहहहहहहहहहह.....राहुल......
(ईतना कहने के साथ ही वीनीत की भाभी की बुर से भलभला के नमकीन पानी का फुहारा फुट पड़ा। जैसे-जैस उसकीे बुर से पानी का फुवारा छूट रहा था वैसे वैसे उस की गदराई गांड के साथ साथ पूरा बदन हिचकोले खा रहा था। आज अपने हाथ से बदन की प्यास बुझाने में उसे बहुत आनंद मिला था। वह सोफेे पर लेटे-लेटे हांफ रही थी। उसके मन का तुफान शाँत हो चुका था।
लेकिन उसका बदन एक नए औजार के लिए तड़प रहा था वह अपनी साड़ी को कमर से नीचे सरकाते हुए अपने कमरे की तरफ चल दी उसे इस समय विनीत का इंतजार था। वह मन में सोच रही थी कि अब तक तो विनीत आ जाता था लेकिन आज कहां रह गया। यही सब सोचते हुए वहां अपने बिस्तर पर लेट गई।
वहीं दूसरी तरफ विनीत दिनभर इधर उधर घूम कर अपना समय व्यतीत कर रहा था। यूं तो उसे घर समय पर ही जाना था लेकिन आज कुछ दोस्त मिल गए थे जिस वजह से वह अपने घर जा नहीं सका। शाम हो गई थी वह जानता था कि उसकी भाभी नाराज होगी क्योंकि वह समय पर घर पर नहीं गया था ।
वीनीत को मालूम था कि उसकी भाभी बड़ी बेशब्री से उसका इंतजार कर रही होगी इसलिए वह सोच रहा था कि घर पर कुछ ले जाया जाए ताकी भाभी का गुस्सा कम हो जाए । इसलिए वह वही खड़ा यही सोच रहा था कि क्या लेकर जाऊं की भाभी सारा गुस्सा भुला कर उस से प्यार करने लगे। तभी अचानक उसे याद आया कि भाभी को सफेद गुलाब जामुन बेहद पसंद है।
इसलिए वह गुलाबजामुन खरीदने के लिए मिठाई की दुकान पर गया और जैसे ही वह मिठाई की दुकान के अंदर प्रवेश किया वैसे ही दुकान के अंदर उसे उस दिन वाली महिला मतलब की अलका मिठाई खरीदती नजर आ गई। अलका को देखते ही विनीत बहुत खुश हुआ खास करके उसकी जाँघों के बीच लटक रहे औजार में गुदगुदी होने लगी। विनीत की नजरें अलका के बदन को टटोलने लगी।