hotaks444
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होता है जो वो हो जाने दो
सोनू तु जल्दी से नास्ता कर ले । मुझे स्कुल जाने मे बहुत देर हो रही हे। (अपने छोटे भाई को चाय ओर नास्ता थमाते हुए बोला।) पता नही मम्मी आज मंदीर मे ईतनी देर क्यौ लगा दी।( राहुल बार बार दरवाजे की तरफ देख ले रहा था: उसे स्कुल जाना था ओर उसे देर हो रही थी।)
राहुल अभी हाई स्कुल मे था । गोरा रंग हट्टा कट्टा बदन देखने मे भी ठीक ठाक ही था:। उसकी बेचैनी बढ़ती ही जा रही थी ओर बढ़ती भी केसे नही आज स्कुल मे उसका मेथ्स का टेस्ट था। ओर समय से स्कुल पहुंचना बहुत जरुरी था। इसलिए हर पल उसकी बेचैनी बढ़ती जा रही थी।
( कलाई मे बंधी घड़ी की तरफ देखते हुए)
ये मम्मी भी ना ! क्या करु कुछ समझ मे नही आ रहा है। (अपने बड़े भाई को परेशान होता देखकर राहुल का छोटा भाई बोल पड़ा)
सोनु: क्या भैया तुम भी बेवजह परेशान हो रहे हो। आ जाएगी मम्मी। (नास्ता करतो हुए बोला) ओर अभी बहोत समय हे। तुम समय पर पहुंच जाओगे (इतना कहके वो फीर से चाय पीने लगा।
(राहुल बार बार घड़ी देखते हुए चहलकदमी करता हुवा दरवाजे पर ही नजर गड़ाए हुए था। कुछ ही समय बाद सामने से उसकी मम्मी आती हुइ दीखाई दी। राहुल कुछ बोलता उस्से पहले ही राहुल की मम्मी घर मे प़वेश करते हुए बोली।
मम्मी: सोरी सोरी सोरी सोरी बेटा । (हाथ मे ली हुई पुजा की थाली को पास मे पड़े टेबल पर रखकर अपने कान पकड़ते हुए)मुझसे गलती हो गई बेटा । क्या करु बेटा आरती हो रही थी । अब आरती को तो बीच मे छोड़कर नही आ सकती थी न भगवान नाराज हो जाते तो। (मै कुछ बोल नही रहा था बस मम्मी को देखे जा रहा था) अच्छा बाबा अब एसी गलती दुबारा नही होगी बस। अब तो माफ कर दे ।(मम्मी फीर से कान पकड़ के माफी मांगने लगी।ईस बार मुझे हंसी आ गई। क्योकी ये पहली बार नही था जब मम्मी ईस तरह से माफी मांग रही थी । एसा लगभग हमेशा ही होता था ।मम्मी हमेशा मंदीर जाती ओर वहा से लौटने मे देर हो जाती थी।
और मे मम्मी का मासुम चेहरा देखकर माफ कर देता था
सोनु भी मम्मी को कान पकड़े हुए देखकर हंस रहा था। मे भी हंसते हुए बोला)
राहुल: बस बस मम्मी रहने दो हॉ। तुम रोज लेट हो जाती हो।(अभी भी राहुल की मम्मी के दोनो हाथ कान पर ही थे)
मम्मी: अब लेट नही होऊंगी बेटा।
राहुल :अच्छा ठीक है मम्मी अब अपना कान छोड़ो। और मे अब स्कूल जा रहा हु मुझे लेट हो रहा है।
मम्मी: ठीक है बेटा। (टेबल पर पड़ा स्कुल बेग राहुल को थमाते हुए)ले बेटा संभाल कर जाना और अपना ख्याल रखना।
राहुल;(बेग को मम्मी के हाथ से थामते हुए) ठीक है मम्मी बाय। बाय सोनु।
उसकी मम्मी और सोनु दोनो राहुल को बाय बोले। और राहुल घर से बाहर निकल गया।
राहुल की मम्मी का नाम अलका है। अभी सी्र्फ ३५साल की ही है। ईनके पति एक दीन कीसी से कुछ भी बताए बिना ही कीसी दूसरी औरत के साथ चले गए । कहा गए ये आज तक नही पता चला। और न ही अलका के पति ने अपने परीवार की कभी भी कोई खोज खबर ली।
लेकीन अलका ने आज तक अपने बच्चो को कभी भी उनकेे बाप की कमी महसूस होने नही दी।
वेसे अलका काफी खुबसुरत थी। गोरा बदन तीखे नैन नक्श भरा हुआ बदन बड़ी बड़ी चुचीया एकदम तनी हुई। मर्दो की नजर सबसे पहले उसकी चुचीयो पर ही जाती थी। हमेशा उसे खा जाने वाली नजर से ही देखते थे। और पतली सी कमर हमेशा लचकती रहती थी। उस कमर से नीचे का उभरा हुआ भाग उउउफफफफ क्या गजब की बनावट थी। एकदम गोल गोल बड़ी बड़ी गांड जीसे देखते ही मर्दो का लंड टनटना कर खड़ा हो जाता था। वेसे भी अलका की गांड कुछ ज्यादा ही उभार लीए हुए थी। ईस उम़् मे भी राहुल की मा ने अपने बदन को काफी फीट रखा है। अभी भी उसका अंग अंग काफी चुस्त और दुरुस्त था। अपने आप को काफी फीट रखे हुए थी।
एसा नही था की इसके पति के जाने के बाद कीसी ने इसके अकेले पन का फायदा उठाने की कोशीश न की हो। जीसको भी मौका मिला वो इसके अकेलेपन का और मजबुरी का फायदा उठाने कीबहोतो ने कोशीश की । लेकीन इसने आज तक अपने दामन मे दाग नही लगने दी। अपने आप को और अपने चरीञ को बहोत संभाले हुए थी। मेहनत मजदूरी करके अपने बच्चो का अच्छे ढंग से लालन पोषण करते आ रही थी। पढी लीखी थी इसलीए एक कम्पनी मे कम्पयूटर ओपरेटर की नोकरी भी मिल गइ थी। जीस्से घर का और दोनो बच्चो के पढाई का खर्चा अच्छे से चल रहा था।
राहुल के जाने के बाद उसकी मम्मी घर के काम
मे जुट गई ।रसोइघर मे जाते जाते सोनु को उसका होमवकॅ पूरा करने की हीदायत दोती गई। उसे अभी बहोत काम था । खाना बनाना था सोनु को तैयार करना था थोड़ी बहोत घर की साफ सफाई भी करनी थी और अपने जॉब पर जाने के लीए अभी उसे खुद भी तैयार होना था।
राहुल की मा जब तैयार हो जाती थी तो एकदम कयामत लगती थी।देखने वालो के होश उड़ जाते थे।
जब वो रास्ते पर चलती थी तो उसकी बड़ी बड़ी गांड मटकती थी और उसकी मटकती हुई गांड को देखकर अच्छे अच्छो का लंड पानी छोड़ देता था। बला की खूबसुरत थी राहुल की मा। वो रसोई घर मे जाकर खाना बनाने लगी।
वही दूसरी तरफ राहुल तेज कदमो के साथ सड़क पर चला जा रहा था। उसे जल्द से जल्द अगले चौराहे पर पहुंचना था । क्योकी अगले चौराहे पर उसका उसका सबसे अच्छा दोस्त वीनीत ईन्तजार कर रहा था।
वीनीत राहुल का सहपाठी था । उसके ही उमृ का था।
वीनीत बहोत ही ज्यादा ही हेन्डसम था। और बहोत ही फृेंक था। उसकी बातो मे जेसे कोइ जादू था। क्योकी जिस कीसी से भी वो दो मिनट भी बात कर लेता था वो उसका दीवाना हो जाता था। और खास करके लड़कीया उसकी दीवानी थी।
हर लड़की उसके साथ दोस्ती बढाने के लिए बेकरार रहती थी। कुछ लड़कीयो के साथ उसके संबंध नीजी भी थे जिसकी खबर राहुल को नही थी और न ही कभी वीनीत ने ईस बारे मे कभी कोई जिकृ कीया।
आगे चोराहा नजर आ रहा था।और सड़क के कीनारे अपनी बाइक लेकर खड़े हुए वीनीत भी दिखाइ गे रहा था। जिसे देखते ही राहुल के चेहरे पर मुस्कान तैर गई ।
वीनीत भी राहुल को देखकर मुस्कुरा दिया। राहुल लगभग दौड़ते हुए वीनीत के पास पहुंचा और बोला।
राहुल: अच्छा हुआ यार तु बाईक ले आया वनॉ आज बहोत लेट हो जाता।
वीनीत; तु जल्दी से बेठ बाकी बाते रास्ते मे करना।
वैसे भी तेरा ईन्तजार कर करके मे तंग हो गया हुं। (इतना कहने के साथ ही वीनीत ने बाइक स्टाटॅ कर दी।
और राहुल अपना स्कूल बेग सम्भालते हुए बोला)
राहुल;क्या करु यार मम्मी की वजह से रोज लेट हो जाता हुं। ईसमे मेरी क्या गलती है।
वीनीत; अच्छा बच्चु अब अपनी गलती को तू आंटी के सिर पर मढ़ रहा है।अब ज्यादा बन मत मै सब जानता हुँ। देर रात तक पढ़ता होगा तो तेरी नींद कहा से खुलेगी। (बाईक सरसराट सड़क पर भागे जा रही थी।)
राहुल; नही यार सच कह रहा हुं। मम्मी सूबह मे नहाते ही सबसे पहले मन्दीर जाती है और जिस समय वहां पहुंचती है उसी समय आरती भी शुरु हो जाती है ।अब मम्मी आरती छोडृकर आती नही है कहता हे भगवान
नाराज हो जाएंगे। और उन्हे कौन समझाए की भगवान को मनाने मे मुझे स्कूल जाने मे लेट हो जाता है।
वीनीत; अच्छा तो ये बात है। कोई बात नही यार आंटी को भी कुछ उनके मन का करने देने का। बाकी सब मै संभाल लुगा। तू चिन्ता मत कर।
राहुल;यार तु हे तभी तो मुझे कोई टेंशन नही रहता ।
(सामने स्कूल का गेट दीखाई दे रहा था।वीनीत ने जल्दी से बाइक को पाकॅ कीया और हम दोनो क्लास मे चले गए । अभी मेथ्स का टेस्ट शुरु भी नही हुआ था। फीर भी राहुल ने बुक निकाल कर टेस्ट शुरु हो इस्से पहले जितना हो सकता था उतना देखकर समझ लेना चाहता था। ।
क्लास मे बेठी अधिकतर लड़कीया हम दोनो की तरफ ही ।हम दोनो कया वो लड़कीया वीनीत की तरफ ही देख रही थी। लेकीन वीनीत इस समय सीर्फ बुक मे ही ध्यान लगाए हुए था। १५ मिनट बाद ही सर क्लास मे पृवेश कीए और टेस्ट लेना शुरु कर दीए।
एक घंटे बाद टेस्ट पूरा हुआ। मै और वीनीत हम दोनो खुश थे। क्योकी हम दोनो ने मेथ्श के सारे सवालो का हल कर दीया था। ।।
हालांकी सारे सवाल मेने ही हल कीया था । वीनीत तो सा रै सवाल मेरी नोटबुक मेे से देखकर ही लीखा था।
दुसरी तरफ राहुल की मम्मी खाना बना चुकी थी । अब वो अपने आॉफीस जाने के लिए तैयार होने लगी।
अलका खाना बना के ऑफीस के लिए तैयार होने लगी।
अपने कमरे मे आकर वो आईने मे अपने आप को निहारने लगी। वो अपने आप को ही अपलक देखती रह गई। उसे ईस बात की अच्छे से खबर थी की वो बहुत खुबसुरत है ओर मदोॅ की नजरे हमेशा उसके अंगो के कटाव और उभार को नजरो से ही टटोलती रहती हैं।
कभी कभी तो उसने अपनी बड़ी बड़ी गांड पर हथेली को महसूस की है बस मे बस स्टोप पे मारकेट मे जहां मोका मिलता मदोॅ ने मौको का फायदा उठाने की पुरी कोशीश कीए । लेकीन अलका आज तक उन लोगो के मनसुबे को कभी भी पूरा नही होने दी। यहां तक की ऑफीस मे भी उसे ये सब झेलना पड़ता था। लेकीन अब वो ये सब की आदी हो चुकी थी।उसे ये सब अच्छा तो नही लगता था लेकीन कर भी क्या सकती थी। दो बच्चो का पालन पोषण और उनकी पढाइ का खचाॅ भी तो देखना था। वो जानती थी की घर मे बैठने से कुछ होने वाला नही था। घर के बाहर तो नितलना ही था। ईसलिए अब वो खुद ईन सब बातो पर ध्यान नही देती थी।
एक तरफ सिर को कंधे पर थोड़ा सा झुकाकर बालो मे कंघी करते समय राहुल की मा की बड़ी बड़ी चुचीया ब्लाउज मे हील रही थी । राहुल की मां की बड़ी बड़ी चूचीया जब हीलती तो एसा लगरहा था की मानो अभी ये दोनो चूचीया ब्लाउज के बटन तोड़कर बाहर आ जाएेगें। वैसे भी कमरे कोई था नही राहुल स्कुल गया था और सोनु दूसरे कमरे मे बैठकर होमवकॅ कर रहा था। ईसलिए राहुल की मां बेफीकर होकर कमरे मे घुसते ही अपने बदन से साड़ी को खोलकर बिस्तर पर फेंक दी थी। ब्लाउज के ऊपर के दो बटन खुले हुए थे जिस्से उसकी आधे से ज्यादा चूचीया ब्लाऊज से बाहर झॉंक रही थी। बदन पे सीफॅ अधखुला ब्लाऊज और पेटीकोट ही था। चीकना सपाट पेट चरबी का नामो निशान नही। दो बच्चो की मां होने के बावजुद भी उसका कसा और गठीला बदन देखकर कोई ये नही कह सकता था की ये दो बच्चो की मां होगी।
सोनू तु जल्दी से नास्ता कर ले । मुझे स्कुल जाने मे बहुत देर हो रही हे। (अपने छोटे भाई को चाय ओर नास्ता थमाते हुए बोला।) पता नही मम्मी आज मंदीर मे ईतनी देर क्यौ लगा दी।( राहुल बार बार दरवाजे की तरफ देख ले रहा था: उसे स्कुल जाना था ओर उसे देर हो रही थी।)
राहुल अभी हाई स्कुल मे था । गोरा रंग हट्टा कट्टा बदन देखने मे भी ठीक ठाक ही था:। उसकी बेचैनी बढ़ती ही जा रही थी ओर बढ़ती भी केसे नही आज स्कुल मे उसका मेथ्स का टेस्ट था। ओर समय से स्कुल पहुंचना बहुत जरुरी था। इसलिए हर पल उसकी बेचैनी बढ़ती जा रही थी।
( कलाई मे बंधी घड़ी की तरफ देखते हुए)
ये मम्मी भी ना ! क्या करु कुछ समझ मे नही आ रहा है। (अपने बड़े भाई को परेशान होता देखकर राहुल का छोटा भाई बोल पड़ा)
सोनु: क्या भैया तुम भी बेवजह परेशान हो रहे हो। आ जाएगी मम्मी। (नास्ता करतो हुए बोला) ओर अभी बहोत समय हे। तुम समय पर पहुंच जाओगे (इतना कहके वो फीर से चाय पीने लगा।
(राहुल बार बार घड़ी देखते हुए चहलकदमी करता हुवा दरवाजे पर ही नजर गड़ाए हुए था। कुछ ही समय बाद सामने से उसकी मम्मी आती हुइ दीखाई दी। राहुल कुछ बोलता उस्से पहले ही राहुल की मम्मी घर मे प़वेश करते हुए बोली।
मम्मी: सोरी सोरी सोरी सोरी बेटा । (हाथ मे ली हुई पुजा की थाली को पास मे पड़े टेबल पर रखकर अपने कान पकड़ते हुए)मुझसे गलती हो गई बेटा । क्या करु बेटा आरती हो रही थी । अब आरती को तो बीच मे छोड़कर नही आ सकती थी न भगवान नाराज हो जाते तो। (मै कुछ बोल नही रहा था बस मम्मी को देखे जा रहा था) अच्छा बाबा अब एसी गलती दुबारा नही होगी बस। अब तो माफ कर दे ।(मम्मी फीर से कान पकड़ के माफी मांगने लगी।ईस बार मुझे हंसी आ गई। क्योकी ये पहली बार नही था जब मम्मी ईस तरह से माफी मांग रही थी । एसा लगभग हमेशा ही होता था ।मम्मी हमेशा मंदीर जाती ओर वहा से लौटने मे देर हो जाती थी।
और मे मम्मी का मासुम चेहरा देखकर माफ कर देता था
सोनु भी मम्मी को कान पकड़े हुए देखकर हंस रहा था। मे भी हंसते हुए बोला)
राहुल: बस बस मम्मी रहने दो हॉ। तुम रोज लेट हो जाती हो।(अभी भी राहुल की मम्मी के दोनो हाथ कान पर ही थे)
मम्मी: अब लेट नही होऊंगी बेटा।
राहुल :अच्छा ठीक है मम्मी अब अपना कान छोड़ो। और मे अब स्कूल जा रहा हु मुझे लेट हो रहा है।
मम्मी: ठीक है बेटा। (टेबल पर पड़ा स्कुल बेग राहुल को थमाते हुए)ले बेटा संभाल कर जाना और अपना ख्याल रखना।
राहुल;(बेग को मम्मी के हाथ से थामते हुए) ठीक है मम्मी बाय। बाय सोनु।
उसकी मम्मी और सोनु दोनो राहुल को बाय बोले। और राहुल घर से बाहर निकल गया।
राहुल की मम्मी का नाम अलका है। अभी सी्र्फ ३५साल की ही है। ईनके पति एक दीन कीसी से कुछ भी बताए बिना ही कीसी दूसरी औरत के साथ चले गए । कहा गए ये आज तक नही पता चला। और न ही अलका के पति ने अपने परीवार की कभी भी कोई खोज खबर ली।
लेकीन अलका ने आज तक अपने बच्चो को कभी भी उनकेे बाप की कमी महसूस होने नही दी।
वेसे अलका काफी खुबसुरत थी। गोरा बदन तीखे नैन नक्श भरा हुआ बदन बड़ी बड़ी चुचीया एकदम तनी हुई। मर्दो की नजर सबसे पहले उसकी चुचीयो पर ही जाती थी। हमेशा उसे खा जाने वाली नजर से ही देखते थे। और पतली सी कमर हमेशा लचकती रहती थी। उस कमर से नीचे का उभरा हुआ भाग उउउफफफफ क्या गजब की बनावट थी। एकदम गोल गोल बड़ी बड़ी गांड जीसे देखते ही मर्दो का लंड टनटना कर खड़ा हो जाता था। वेसे भी अलका की गांड कुछ ज्यादा ही उभार लीए हुए थी। ईस उम़् मे भी राहुल की मा ने अपने बदन को काफी फीट रखा है। अभी भी उसका अंग अंग काफी चुस्त और दुरुस्त था। अपने आप को काफी फीट रखे हुए थी।
एसा नही था की इसके पति के जाने के बाद कीसी ने इसके अकेले पन का फायदा उठाने की कोशीश न की हो। जीसको भी मौका मिला वो इसके अकेलेपन का और मजबुरी का फायदा उठाने कीबहोतो ने कोशीश की । लेकीन इसने आज तक अपने दामन मे दाग नही लगने दी। अपने आप को और अपने चरीञ को बहोत संभाले हुए थी। मेहनत मजदूरी करके अपने बच्चो का अच्छे ढंग से लालन पोषण करते आ रही थी। पढी लीखी थी इसलीए एक कम्पनी मे कम्पयूटर ओपरेटर की नोकरी भी मिल गइ थी। जीस्से घर का और दोनो बच्चो के पढाई का खर्चा अच्छे से चल रहा था।
राहुल के जाने के बाद उसकी मम्मी घर के काम
मे जुट गई ।रसोइघर मे जाते जाते सोनु को उसका होमवकॅ पूरा करने की हीदायत दोती गई। उसे अभी बहोत काम था । खाना बनाना था सोनु को तैयार करना था थोड़ी बहोत घर की साफ सफाई भी करनी थी और अपने जॉब पर जाने के लीए अभी उसे खुद भी तैयार होना था।
राहुल की मा जब तैयार हो जाती थी तो एकदम कयामत लगती थी।देखने वालो के होश उड़ जाते थे।
जब वो रास्ते पर चलती थी तो उसकी बड़ी बड़ी गांड मटकती थी और उसकी मटकती हुई गांड को देखकर अच्छे अच्छो का लंड पानी छोड़ देता था। बला की खूबसुरत थी राहुल की मा। वो रसोई घर मे जाकर खाना बनाने लगी।
वही दूसरी तरफ राहुल तेज कदमो के साथ सड़क पर चला जा रहा था। उसे जल्द से जल्द अगले चौराहे पर पहुंचना था । क्योकी अगले चौराहे पर उसका उसका सबसे अच्छा दोस्त वीनीत ईन्तजार कर रहा था।
वीनीत राहुल का सहपाठी था । उसके ही उमृ का था।
वीनीत बहोत ही ज्यादा ही हेन्डसम था। और बहोत ही फृेंक था। उसकी बातो मे जेसे कोइ जादू था। क्योकी जिस कीसी से भी वो दो मिनट भी बात कर लेता था वो उसका दीवाना हो जाता था। और खास करके लड़कीया उसकी दीवानी थी।
हर लड़की उसके साथ दोस्ती बढाने के लिए बेकरार रहती थी। कुछ लड़कीयो के साथ उसके संबंध नीजी भी थे जिसकी खबर राहुल को नही थी और न ही कभी वीनीत ने ईस बारे मे कभी कोई जिकृ कीया।
आगे चोराहा नजर आ रहा था।और सड़क के कीनारे अपनी बाइक लेकर खड़े हुए वीनीत भी दिखाइ गे रहा था। जिसे देखते ही राहुल के चेहरे पर मुस्कान तैर गई ।
वीनीत भी राहुल को देखकर मुस्कुरा दिया। राहुल लगभग दौड़ते हुए वीनीत के पास पहुंचा और बोला।
राहुल: अच्छा हुआ यार तु बाईक ले आया वनॉ आज बहोत लेट हो जाता।
वीनीत; तु जल्दी से बेठ बाकी बाते रास्ते मे करना।
वैसे भी तेरा ईन्तजार कर करके मे तंग हो गया हुं। (इतना कहने के साथ ही वीनीत ने बाइक स्टाटॅ कर दी।
और राहुल अपना स्कूल बेग सम्भालते हुए बोला)
राहुल;क्या करु यार मम्मी की वजह से रोज लेट हो जाता हुं। ईसमे मेरी क्या गलती है।
वीनीत; अच्छा बच्चु अब अपनी गलती को तू आंटी के सिर पर मढ़ रहा है।अब ज्यादा बन मत मै सब जानता हुँ। देर रात तक पढ़ता होगा तो तेरी नींद कहा से खुलेगी। (बाईक सरसराट सड़क पर भागे जा रही थी।)
राहुल; नही यार सच कह रहा हुं। मम्मी सूबह मे नहाते ही सबसे पहले मन्दीर जाती है और जिस समय वहां पहुंचती है उसी समय आरती भी शुरु हो जाती है ।अब मम्मी आरती छोडृकर आती नही है कहता हे भगवान
नाराज हो जाएंगे। और उन्हे कौन समझाए की भगवान को मनाने मे मुझे स्कूल जाने मे लेट हो जाता है।
वीनीत; अच्छा तो ये बात है। कोई बात नही यार आंटी को भी कुछ उनके मन का करने देने का। बाकी सब मै संभाल लुगा। तू चिन्ता मत कर।
राहुल;यार तु हे तभी तो मुझे कोई टेंशन नही रहता ।
(सामने स्कूल का गेट दीखाई दे रहा था।वीनीत ने जल्दी से बाइक को पाकॅ कीया और हम दोनो क्लास मे चले गए । अभी मेथ्स का टेस्ट शुरु भी नही हुआ था। फीर भी राहुल ने बुक निकाल कर टेस्ट शुरु हो इस्से पहले जितना हो सकता था उतना देखकर समझ लेना चाहता था। ।
क्लास मे बेठी अधिकतर लड़कीया हम दोनो की तरफ ही ।हम दोनो कया वो लड़कीया वीनीत की तरफ ही देख रही थी। लेकीन वीनीत इस समय सीर्फ बुक मे ही ध्यान लगाए हुए था। १५ मिनट बाद ही सर क्लास मे पृवेश कीए और टेस्ट लेना शुरु कर दीए।
एक घंटे बाद टेस्ट पूरा हुआ। मै और वीनीत हम दोनो खुश थे। क्योकी हम दोनो ने मेथ्श के सारे सवालो का हल कर दीया था। ।।
हालांकी सारे सवाल मेने ही हल कीया था । वीनीत तो सा रै सवाल मेरी नोटबुक मेे से देखकर ही लीखा था।
दुसरी तरफ राहुल की मम्मी खाना बना चुकी थी । अब वो अपने आॉफीस जाने के लिए तैयार होने लगी।
अलका खाना बना के ऑफीस के लिए तैयार होने लगी।
अपने कमरे मे आकर वो आईने मे अपने आप को निहारने लगी। वो अपने आप को ही अपलक देखती रह गई। उसे ईस बात की अच्छे से खबर थी की वो बहुत खुबसुरत है ओर मदोॅ की नजरे हमेशा उसके अंगो के कटाव और उभार को नजरो से ही टटोलती रहती हैं।
कभी कभी तो उसने अपनी बड़ी बड़ी गांड पर हथेली को महसूस की है बस मे बस स्टोप पे मारकेट मे जहां मोका मिलता मदोॅ ने मौको का फायदा उठाने की पुरी कोशीश कीए । लेकीन अलका आज तक उन लोगो के मनसुबे को कभी भी पूरा नही होने दी। यहां तक की ऑफीस मे भी उसे ये सब झेलना पड़ता था। लेकीन अब वो ये सब की आदी हो चुकी थी।उसे ये सब अच्छा तो नही लगता था लेकीन कर भी क्या सकती थी। दो बच्चो का पालन पोषण और उनकी पढाइ का खचाॅ भी तो देखना था। वो जानती थी की घर मे बैठने से कुछ होने वाला नही था। घर के बाहर तो नितलना ही था। ईसलिए अब वो खुद ईन सब बातो पर ध्यान नही देती थी।
एक तरफ सिर को कंधे पर थोड़ा सा झुकाकर बालो मे कंघी करते समय राहुल की मा की बड़ी बड़ी चुचीया ब्लाउज मे हील रही थी । राहुल की मां की बड़ी बड़ी चूचीया जब हीलती तो एसा लगरहा था की मानो अभी ये दोनो चूचीया ब्लाउज के बटन तोड़कर बाहर आ जाएेगें। वैसे भी कमरे कोई था नही राहुल स्कुल गया था और सोनु दूसरे कमरे मे बैठकर होमवकॅ कर रहा था। ईसलिए राहुल की मां बेफीकर होकर कमरे मे घुसते ही अपने बदन से साड़ी को खोलकर बिस्तर पर फेंक दी थी। ब्लाउज के ऊपर के दो बटन खुले हुए थे जिस्से उसकी आधे से ज्यादा चूचीया ब्लाऊज से बाहर झॉंक रही थी। बदन पे सीफॅ अधखुला ब्लाऊज और पेटीकोट ही था। चीकना सपाट पेट चरबी का नामो निशान नही। दो बच्चो की मां होने के बावजुद भी उसका कसा और गठीला बदन देखकर कोई ये नही कह सकता था की ये दो बच्चो की मां होगी।