Free Sex Kahani जालिम है बेटा तेरा - Page 5 - SexBaba
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Free Sex Kahani जालिम है बेटा तेरा

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सोनू छत पर खाट पर लेट वैभवी की कही हुइ बाते सोच ही रहा था की तभी कस्तुरी वहा आ जती है.......।
कस्तुरी खाट पर बैठते हुए सोनू के गाल को चूम लेती है ........।


सोनू----- चाची तुम जाओ यहा से........मेरा मुड़ खराब है।
कस्तुरी---- तो मै ठीक कर देती हूँ तेरा मुड़ ।
सोनू----- चाची तू जा अभी नही......मुझे अकेला रहने दे कुछ समय ।

कस्तुरी---- क्या हुआ कुछ बतायेगा भी?
सोनू---- चाची......मै तेरे हाथ जोड़ता हूं .....अभी जा तू।
कस्तुरी वहां से निचे चली आती है...............।


_____________________________________________________

बचन खेत में से सीधा घर आता है.......... जहा सीमा अपने माँ के खाट के बगल वाली खाट पर लेटी थी।
सीमा जैसे ही अपने बापू को देखती है उठ कर खाट पर बैठ जाती है........।

बचन---- सीमा बिटिया माँ नही दीख रही है?
सीमा---- बापू दादी....... शीला काकी के घर गई है.......।

बेचन----- अपने लंड को धोती के उपर से सहलाते हुए बोला की तू नही गई ........।

सीमा ये नजारा देख शर्मा जाती है..........।
बेचन को इतना इशारा काफी था........... झुमरी तो मस्त रजाई ओढ़ कर सो रही थी उसे इतना भी नही पता था की उसकी बेटी और उसका मरद दोनो क्या गुल खिला रहे है..........।

बेचन धीरे से सीमा के नजदीक जा कर उसे अपने गोद में उठा लेता है......।
सीमा (धीरे से)----- बापू ये क्या कर रहे हो?
बेचन (सीमा के कान में)----- चल उपर छत पे बताता हू........।

और सीमा को अपनी गोद में लिये छत पर आ जाता है। छत के घर के अंदर बने कमरे में बेचन सीमा को खाट पर लिटा देता है......... ।
 
सीमा की सांसे बहुत तेज चल रही थी उसकी दोनो छतिया उपर निचे हो रही थी....... जिसे देख बेचन खुद को रोक नही पाता और सीमा के उपर लेट उसकी एक चुची अपने हाथ में ले कर जोर से मसल देता है.......।

सीमा----- आह .....बापू क्या करते हो, मुझे शरम आती है।
बेचन----- बेटी तू अपने बापू को गलत मत समझ.......लेकीन अगर तुझे पसंद नही तो रहने देता हू.........।

सीमा अपने बापू को दोनो हाथो से पकड़ लेती है..........।

सीमा----- बापू .......आप ना बड़े वो हो.......
बेचन सीमा की चुची को फीर से दबाकर----- क्या हूं बिटिया मै ।

सीमा---- आह .....बापू तू पहले आग लगाता है और फीर कहेता है की रहने दे अगर तूझे ठीक नही लगता तो........।

बेचन का लंड तो अंदर धोती में मस्त हो गया था ............।

बेचन----- बिटिया तेरी आग तो मै ऐसा ठंढा करूंगा की तू अपने बापू को भूल नही पायेगी ।

सीमा----- तो जल्दी कर ना बापू नही तो वो कमीनी दादी आ जायेगी ।

ये सुनते ही बेचन ने अपने कपड़े उतार फेंके उसका 6 इन्च का लंड तंतना कर खड़ा था ......जीसे देख सीमा पागल हो जाती है ......उसने पहेली बार लंड देखा था और वो भी अपने बापू का ।

सीमा---- हाय रे बापू ....... ये कितना बड़ा है।
बेचन सीमा के करीब अपना लंड ले कर जाता है.............।

बेचन------ जरा हाथ में ले कर देख तो सही मेरी लंगडी घोडी ।

सीमा बेचन का लंड हाथ में जैसे ही पकड़ती है उसका शरीर पुरा अंदर तक कांप जाता है ।

बेचन---- अब इसे हिला थोड़ा बेटी ।
सीमा बेचन के लंड को हिलाने लगती है ....... बेचन इतने जोश में था की उसने सीमा को नंगी कर दिया ।


सीमा के बड़े बड़े खर्बुजे जैसे चुचीया और उसकी मोटी गोरी गांड उसे पागल कर दीया ।


बेचन ने सीमा की चुचियो पर धावा बोल उसे आराम आराम से चूसने और दबाने लगता है ........... तभी एक अवाज उनके सारे जोश को ठंढा कर देती है......।


बेचन बेटा ........कहा है तू?
 
बेचन ने सीमा की चुचियो पर धावा बोल उसे आराम आराम से चूसने और दबाने लगता है ........... तभी एक अवाज उनके सारे जोश को ठंढा कर देती है......।


बेचन बेटा ........कहा है तू?

सीमा----- आ गई हरामजादि ,
बेचन और सीमा फटाफट अपने कपड़े पहनते है ........और बेचन छत से नीचे आ जाता है........।
सीमा भी बैठ कर घिसक घिसक कर सीढियों से आंगन में आ जाती है।

बेचन---- क्या हुआ अम्मा ।


सुगना --- अरे शीला को बिछुुुआ डंंक मार दीया है................।

बेचन---- ठीक है मै जाता हू झाड़ दूंगा ..........उसका लंड धोती में टेंट बनाये हुए था जीसे उसकी अम्मा ने देख लिया था ।

सुगना समझ गई की ये जरुर कुछ सीमा के साथ गड़बड़ कर रहा था । लेकीन तब तक बेचन जा चुका था ।




वैभवी अपने घर में बैठी आज यही सोच रही थी की मुझे ऐसा नही करना चाहिये था ........बेचारा सोनू क्या सोचता होगा मेरे बारे मे।

तभी उसकी माँ पारुल आ जाती है ......... ।

पारुल---- अरे मेरी प्यारी बेटी कीस खयाल मे डूबी है।
वैभवी ने पारुल को वो सारी बात बता दिया.............।

पारुल----- तुम्हे ऐसा नही करना चाहिये था बेटा । अब कभी मिलेगी तो सॉरी जरुर बोल देना ।

वैभवी---- अरे माँ मैने sorry बोला उसको, लेकीन वो फीर भी मुझसे नाराज है । बोलता है आज के बाद कभी बात नही करूंगा ........तो मत करे मुझें कौन सा फर्क गिरता है।

पारुल ( उसके करीब आते हुए)---- अगर फर्क नही गिरता ना तो मेरी बेटी अकेले में बैठ उसके बारे में सोचती नही ।

वैभवी----- अरे माँ मै तो ......वो इसलिये सोच रही थी की मैने गलती की है ।

पारुल----- ok बाबा चल अब शांत हो जा ।

वैभवी----- माँ .......मै सोच रही थी की एक बार जा कर फीर से sorry बोल दूँ ।

पारुल---- ये तो और अच्छी बात है।

वैभवी ठीक है मा तो मै जाती हूँ ..........
parul---- अरे रूक बाद मे चली जाना ।
 
वैभवी---- मै जा रही हू माँ .........और पारुल से कार की चाभी ले कर गाव की तरफ चल देती है ।
वैभवी जल्द ही गाँव के रास्ते अपनी कार चलते हुए एक दुकान पर रोकती है ......।

वैभवी----- काका ये सोनू का घर कहा पडेगा?
बस बेटी वो सफेद मकान उसी का है.......।

वैभवी--- thanks......काका ।

वैभवी की कार सोनू के घर के सामने रुकती है जिसे देख सुनीता कस्तुरी और अनीता खड़ी हो जाती है।

वैभवी घर में आते ही ..................

वैभवी------ नमस्ते aunty......।
सुनीता----- नमस्ते ।

वैभवी----- सोनू है घर में, मेरा नाम वैभवी है और मै आपके गाँव के डॉक्टर पारुल की बेटी हूँ ।

सुनीता----- अरे तुम पारुल जी की बेटी हो ....... बैठो ना बेटी खड़ी क्यूँ हो।

वैभवी खाट पर बैठ जाती है..........।
सुनीता----- कस्तूरी तू सोनू को बुला जरा ।

अनन्या पानी ले के आती है...... और वैभवी को देती है ।
वैभवी पानी का गिलास ले कर पानी पीती है ।


सुनीता----- और बताओ बेटी कैसे आना हुआ ।
वैभवी----- अरे आंटी वो मुझे ना थोड़ा पहाड़ी घुमना था ......और मैं यहा किसी को जानती नही सिर्फ सोनू को छोड़ कर तो सोचा वही मुझे घुमा देगा ।


सुनीता---- हा बेटी जरूर ।

तभी सोनू आ जाता है...... वो वैभवी को देख कर खुश हो जाता है लेकीन वो अपनी खुशी जाहिर नही करता ।


सोनू----- आप यहाँ हमारे घर पर ।
वैभवी---- क्यूँ मै नही आ सकती क्या aunty..... ?

सुनीता--- अरे कभी भी बेटी । सोनू बेटा इनको पहाड़ी घुमना है जा जरा घुमा दे .......।

सोनू----- ठीक है माँ ।
और फिर सोनू वैभवी के साथ घर से निकल देता है।

वैभवी की कार एक सुनसान जगह जो गांव के पहाड़ी के तरफ़ था वहां रुकती है ।
 
दोनो कार से नीचे उतरते है और वही एक पुल पर बैठ जाते है।

वैभवी--- सोनू मैने आज जो कीया उसके लिए I am really sorry.....

सोनू---- अरे मैडम आप भी क्या ये बात दील पर ले कर बैठ गई ।
वैभवी--- वो क्या है ना सोनू मुझें थोड़ा भी अच्छा नही लगता जब कोई अन्दर से दुखी होता है।

सोनू---- अच्छा ठीक है, वैसे एक बात कहूँ ।
वैभवी--- हा कहो ।
सोनू--- आज आप बहुत खूब्सुरत लग रही हू।

वैभवी---- सोनू ........ तुम फीर शुरु हो गये.....और थोड़ा मुस्कुरा देती है।

सोनू--- पता नही क्यूँ आप को देखता हूँ तो।

वैभवी---- देखते हो तो क्या?

सोनू---- सब कुछ भूल जाता हू......। कुछ समझ नही आता मन करता है की बस आपके साथ पुरी जिन्दगी गुजार दूं ।

वैभवी----पुरी जिन्दगी गुज़रना साथ में बहुत मुश्क़िल है सोनू । मैं तुमसे एक बात बताना चाहती हू।

सोनू--- हां बोलिए।
वैभवी--- मैं मुंबई में जीस कॉलेज में पढ़ती हूं । उसी कॉलेज में एक लड़का पढ़ता है। तो.......मैं और वो एक दुसरे से प्यार करते है.....। मुझें पता हैं की तुम मुझें चाहते हो .......लेकिन।

सोनू---- लेकीन आप किसी और की हो....... कोई बात नही मैं तो बस ऐसे ही.....जो मन में आता है बोल देता हू। और वैसे भी आप5भी डॉक्टर वो भी डॉक्टर दोनो की जोड़ी भी अच्छी है ।
मेरे साथ भला क्या जोड़ी बनेगी आप की.......।

वैभवी----- सोनू ........लेकीन हम दोस्त हमेशा रहेंगे ।

सोनू---- वो क्या है ना मैडम ...... अगर आप के साथ5ज्यादा वक़्त बिताउंगा तो बहुत गजब वाला प्यार हो जायेगा । तो हमारा दूर रहेना ही ठीक होगा ।

वैभवी कुछ बोल नही पाती ........कुछ देर दोनो शांत रहते है फीर सोनू बोला ।

सोनू-- अन्धेरा होने वाला है ......हमे अब घर चलना चाहिये।
सोनू का दील अन्दर ही अन्दर रह रह कर रो रहा था ।

वैभवी सोनू को घर छोड़ती है और फीर अपने घर चली जाती है ।


सोनू घर में बैठा अकेला वैभवी के बारे में सोच सोच कर रो रहा था ......

सोनू(मन मे)---- अरे यार कहा से मुझें प्यार व्यार हो गया ......आज के बाद कभी किसी से प्यार ही नही करूंगा ......... ।
 
कल्लू अरे वो कल्लू किधर है तू ..................

कल्लू--- हां मां क्या हुआ कल्लू अन्दर से आवाज़ लगाता है?

मालती कल्लू के कमरे में आती है .............

मालती----- तूने आज फीर से मेरी चाद्ढी में छेद कीया, तुझे4शर्म नही आती.......।

कल्लू--- मां वो मै ........ वो।

मालती----- कल्लू के करीब आती है--- क्या वो मै वो लगा रखा है ।
कल्लू---- मां तू ना चड्ढी मत पहना कर ।
मालती---- वो हो ......तो क्या नंगी घुमू तेरे सामने ।

कल्लू--- घूम ना मां ......कसम से कितनी मस्त लगेगी तू नंगी ।

मालती--- बेशर्म ......अपनी मा को नंगा करके तुझे शर्म नही आयेगी?

कल्लू--- नही मा ......एक बार हो जा ना नंगी ।
मालती---- तू बहुत बदमाश हो गया है ........ तुझे शर्म नही आती लेकीन मुझें तो आती है।
भला मै तेरे सामने नंगी कैसे ................

कल्लू मालती की सारी का पल्लू पकड़ कर खीचने लगता है....... और फिर मालती के बदन पर लिपटी हुई सारी धीरे धीरे खुलने लगती है ।

मालती----- बेटा ये क्या कर रहा है तू ......ये गलत है मै तेरी मां हू।
हालाकि मालती भी यही चाहती थी ........लेकीन4उसे थोड़ी शर्म भी आ रही थी की जब वो एक दम से नंगी हो जायेगी तो उसका बेटा क्या क्या करेगा उसके साथ ..........................।


.नही बेटा ये गलत है....देख मैं तेरी मां हू।
और मां के साथ ऐसा नही करते बेटा ।

कल्लू अब तक मालती की साडी उसके बदन से अलग कर चुका था ।
मालती अब सिर्फ पेटीकोट और ब्लाऊज़ में खड़ी थी ...... ।

कल्लू--- मां पिछले 1 साल से तेरा गदराया बदन देख देख कर मूठ मार रहा हू.....लेकीन तुझे तो अपने बेटे की कुछ पड़ी ही नही है।

मालती---- मैं समझ रही हूं बेटा, की अब तू जवान हो गया हैं, लेकीन ये सब मां के साथ नही करते बेटा ।

कल्लू मालती के करीब आ कर मालती की कमर में हाथ डालकर जोर से उसे अपनी तरफ़ खींच लेता है।

मालती-- आह ......तू नही मानेगा ना।
कल्लू-- मैं तो मनता हूं, लेकीन ये नही मनता ना मां, क्या करू?

मालती--- कौन नही मनता?

कल्लू मालती का हाथ पकड़ कर अपने टाइट हो गये लंड पर उसका हाथ रख देती है.....।

मालती(चौकते हुए)---- हाय ......राम ये तो एक दम कड़क हो गया हैं ।
कल्लू---- हां ना मां .......यहीं तो बात है।

मालती -- ठीक हैं मै इसे शांत कर देती हूं, लेकीन तू मेरे साथ कुछ ऐसा वैसा नही करेगा ।

कल्लू--- कैसे शांत करेगी मां तू इसे
मालती--- जो तू अपने हाथो से करता है ......वो मैं कर दूंगी ।

कल्लू---- मां ........मजा नही आयेगा।
मालती---- ओ ....हो, तो मेरा बेटा पुरा मज़ा चहता है।

कल्लू अपनी मां की एक चुची को अपने हथेली में भर लेता हैं और वैसे ही रुक जाता हैं ।

मालती---- ये क्या हैं? तूने मेरी चुची क्यूँ पकड़ रखी हैं ।
कल्लू---- इतनी मस्त चुचियो को भला मसले कौन रह सकता हैं .....मां और फीर कल्लू मालती की चुचियो को जोर जोर से दबाने लगता है ।


मालती---- आह ......नही बेटा ....धीरे....आह धीरे कर...दर्द हो रहा हैं ।
मालती खड़ी खड़ी कल्लू के बाहों में अपनी चुचियो को अपने ही बेटे से मसलवा कर मस्त होती जा रही थी ....।

मालती कल्लू के बाहों में कभी ईधर छटपटाती तो कभी उधर .।

कल्लू--- मां कसम तेरी चुचियो को देख कर मन कर रहा है की खा जाऊँ ।

मालती---- आह ......इतनी जोर जोर से दबा रहा है ......इ, अभी खाने का मन कर रहा हैं ।

कल्लू--- मां जरा अपनी चुचिया तो दिखा ।
मालती (मन में)--- अरे ये चुतिया कैसा मर्द हैं हर चीज पुछ पुछ कर करेगा तो क्या चोदेगा मुझें ।

मालती---- नही बेटा, मुझें शर्म आती हैं । तू खुद देख ले ना ।
कल्लू इतना सुनते ही उसके ब्लऊज को भी निकाल फेंकता है .....।
मालती की दोनो चुचिया सोनू के सामने एकदम से उंची उठी सलामी दे रही थी ।
 
कल्लू से रहा नही जा रहा था ......वो खड़े खड़े ही मालती की चुचियो को मुह में भर कर चूसने लगता हैं ......।

मालती---- हाय रे .......बेटा, बचपन में ऐसे क्यूँ नही चुसता था ।
कल्लू--- बचपन में मेरा खड़ा नही होता था ना मां ।

और फीर दोनो हंसने लगते हैं ........करीब 5 मिनट तक कल्लू ने मालती की चुचियो को चुस चुस कर उसकी चुचियो को फूला देता है ।

मालती--- अरे जालिम देख तूने क्या कीया ......मेरी चुचियो को और बड़ा कर दीया ।
कल्लू----- तेरी चुचिया है ही जबरदस्त ।

कल्लू अपना पैंट उतार कर नंगा हो जाता है ......उसका खड़ा हुआ लंड देख कर मालती सोचने लगती है ......वाह बेटा तेरा लंड सोनू के जितना भले ही बड़ा क्यूँ ना हो लेकीन है दमदार की औरतो की बुर की धज्जियां उड़ा दे ।

मालती---- इतना ......बड़ा कैसे हो गया रे बेटा ।
कल्लू---- तेरा ही दूध पी पी के हुआ है मां ।
मालती--- धत बदमाश, चल अच्छा खाट पर लेट जा मैं इसे शांत कर देती हूं ।

कल्लू खाट पर लेट जाता है ........उसका लंड भी 7.5 इंच का खड़ा सलामी दे रहा था ।

मालती कल्लू के लंड को हाथ में लिए उपर नीचे करने लगती है ।
कल्लू--- आह मां .....कसम से अपनी मां के हाथो लंड हिलवाने का मज़ा ही कुछ और है.....।

मालती---- चुप बदमाश .........एक तो मुझे शर्म आ रही है ....और उपर से तू इतनी गंदी गंदी बाते कर रहा है ।
कल्लू--- अरे मां, मै तूझे बता नही सकता कितना मज़ा आ रहा है ।

मालती---- अच्छा एक बात पूछू बेटा?
कल्लू--- ऐसे ही हिलाती रह फ़िर पूंछ जो पूंछना है।

मालती---- तू और सोनू तो इतने चट्टे-बट्टे थे की एक दुसरे के बिना दीन नही गुजरता था फीर दोनो में दुश्मनी कैसे हो गायी ।

कल्लू--- तू जानना ही चाहती है तो बताता हूं .......। वो अपने सरपंच की बेटी है ना ।
मालती--- कौन किरन ।

कल्लू--- हां किरन । उसके पीछे मैं लगा था ......और बाद में जब मुझें पता चला की सोनू भी पीछे लगा है तो मेरा मुड़ खराब हो गया । मैं सीधा सोनू के पास गया और पुछा की तू उसके पीछे क्यूँ लगा हैं । जबकी मैं उससे प्यार करता हूं ।

मालती---- तो फीर सोनू ने क्या कहा?
कल्लू---- वो बोलने लगा की मुझे पता ही नही था की तु किरन को पसंद करता हैं नही तो तू तो मेरा यार है तेरे लिए तो ऐसी हज़ारो लडकीया कुरबान ।
लेकीन मेरा मुड़ खराब था तो मैने उस दीन से उस से बात ही करना छोड़ दीया ।


मालती---- तू भी ना एकदम पागल है, भला ऐसी छोटी बात पर कोई बचपन की दोस्ती तोड़ता है क्या ।

कल्लू--- सही कहा मां, मन तो मेरा भी नही लगता बिना अपने यार के ।
मालती -- तो फीर जा कर बात क्यूँ नही करता ।
कल्लू--- नही मा हिम्मत नही होती ।

मालती--- देख दोस्ती तूने तोडी थी, तो बनाना भी तुझे ही पड़ेगा ।
कल्लू---- ठीक हैं मेरी प्यारी माँ ।

मालती---- वैसे तुम दोनो हो बड़े बदमाश......।
।कल्लू---- वो कैसे मां

मालती---- एक यहा अपनी मां के साथ बदमाशी कर रहा है और दूसरा ........।

कल्लू---- दूसरा कहा कर रहा हैं ।

मालती--- छोड़ जाने दे ।
कल्लू --- मां बता ना मुझे जानना है .....।

मालती---- दूसरा सोहन की गांड मार मार कर चौड़ी कर रहा है और क्या ।

कल्लू-- क्या ...............? तूने देखा
मालती---- हां गलती से । जब वो सोहन की बजा रहा था तो मै कपडे ले कर घर आ रही थी अचानक से बारिश होने लगा तो मै सोहन के घर में घुस गई तो वहा देखा तो सोहन की गांड में सोनू का लंड घुसा था .....और वो किसी गधे की तरह चिल्ला रहा था ।
 
कल्लू---- अरे मां ......मेरे यार का लंड है ही शानदार किसी का भी जान आफत में डाल दे ।

मालती---- सच में कितना बड़ा हैं ......उसका ।
कल्लू--- वो मां ......मेरा भी कुछ कम नही हैं ......।

मालती ये सुन कर हंसने लगती है .......... ।

मालती---- अरे हां .......मेरे बेटे का भी किसी किसी औरत की जान आफत में डाल सकता हैं ।

कल्लू-- हा लेकीन जब एक बार मेरे यार का लंड घुस जाये तो उस बुर में ये लंड सिर्फ आने जाने लायक हो जायेगा ।

ये सुन मालती हंसने लगती है .........और बोली अरे तेरा निकल क्यूं नही रहा हैं ।

कल्लू--- उसे तेरी रसदार बुर चाहिये मां फीर निकलेगा मां ।
मालती--- चुप बदमाश ।

कल्लू--- चल कुतीया बन ना मां तूझे चोदने का बड़ा मन कर रहा है ।
मालती---- नही मुझे नही चुदाना ।

कल्लू-- इतना तो हो गया मां अब मेरा लंड लेने में क्या तकलीफ हैं ।

मालती---- तकलीफ है बेटा अगर कोई जान लेगा तो क्या सोचेगा?
कल्लू - यही सोचेगा की एक बेटा अपनी माँ से कितना प्यार करता है ।

मालती--- हा बेटा इतना प्यार की अपनी मां को चोद डाला ।
कल्लू ने अपनी मां को खींच कर अपने उपर लिटा लिया और उसके गर्म मुह में अपना मुह डाल कर उसके होटो को चूसने लगा ........।

मालती भी कल्लू की बाहों में पड़ी उसका साथ देने लगी.......।
कल्लू मालती के होठो को चुसते चुसते अपना एक हाथ नीचे ले जा कर उसका पेटी कोट उपर तक चढा दीया और मालती के गांड को अपनी हथेलियो मे कस मसलने लगता है ।

मालती को और मस्ती छाने लगती है ......उसने कल्लू के होठो से अपना होठ अलग कर ।

मालती---- ये क्या कर रहा है ....?
कल्लू--- तेरी गांड मसल रहा हूं ।
मालती--- तो सिर्फ मसलेगा ही या कुछ करेगा भी ।

कल्लू ---- सच मां ।
मालती हां में सर हिला देती है .........।
कल्लू खाट पर से उठ सीधा मालती को घोड़ी बना देता है ।

कल्लू जीस गांड को 1 साल से देख देख कर4मूठ मार रहा था ......आज वही गांड उसके सामने थी । और उसे जैसे ये कह रही हो आजा घुस जा मेरी गांड में ।

कल्लू अपनी मां की गांड को चूमने चाटने लगता है ...... जिससे मालती का बदन पुरा का पुरा गरम हो जाता है ।

मालती----- आह .......बेटा कर ले आज जो करना है अपनी मां के साथ ......आह तुझे मेरी गांड बहुत पसंद है ना ....आज से ये तेरी ही है बेटा ।

कल्लू अपनी मा की बुर में एक उंगली डाल देता है ......जिससे मालती की मस्ती और बढ़ जाती है ।
कल्लू अपनी मां की बुर में घपा घप उंगली पेले जा रहा था .......।

मालती----- आह बेटा, बहुत मज़ा आ रहा है .....तेरी उंगलिया इतनी कमाल कर रही है तो तेरा लंड कितना कमाल करेगा ....हाय रे दईया ।

कल्लू---- मेरा लंड लेने के लिए अभी तक नाटक कर रही थी साली तू,
मालती---- अब डाल भी दे मेरा ....... aaaaaaaah.....प्यारा बेटा । uuuuuuiiii.......मां अब सहा नही जाता ।

कल्लू---- एक थप्पड़ मालती के गांड पर जड़ देता है---- कमाल की बुर है तेरी मां । चल अब तैयार हो जा अपने बेटे का लंड लेने के लिए ।
 
मालती---- आह .......मां, अब बस डाल कर फाड़ दे अपनी मां की बुर बेटा । बहुत तडपया हैं ना इस बुर ने तुझे आज ले ले बदला ...आ ..aaaaaaaaaa...aaaaa....aaa....फ़ाड ..........दी ..........या रे ।

अब तक कल्लू ने अपनी मा की बुर मे अपना लंड आखरी छोर तक पेल दीया था .......मालती की चिल्लहट इस बात का सबूत था की उसकी बहुत दिनो से अनछुदी बुर आज अपने बुर के आखरी छोर तक अपने बेटे का लंड लिए दर्द से चीख रही थी ।

कल्लू अपनी मस्ती में खोया अपना लंड खपा खप पेले जा रहा था ,
करीब 5 मिनट मालती को चोदने के बाद ।

कल्लू--- मां मेरा गिरने वाला है .......।
मालती---- आह ........नही बेटा aaaaaaaaa.... मज़ा आ रहा है । इतना जल्दी मत गिरा .......आह...मु झे......अधूरा मत छोड़ बेटा .....मैं तेरे पैर .......पड़ती हूं । बस थोड़ी देर और ।

कल्लू----- म....मैं .......गया मां ................और फीर कल्लू अपनी मां को अधूरा छोड़ अपना पुरा पानी मालती के बुर में छोड़ने लगता है ।

कल्लू अपनी मां के उपर ही गीर जाता है ........।

कल्लू----- मां माफ़ कर दे, वो थोड़ा अपनी मां को चोदने के जोश में जल्दी झड़ गया ।

मालती---- कोई बात नही बेटा ......पहली बार होता हैं । लेकीन कसम से बता रही हूं इतना मज़ा आ रहा था और तू जो बीच में ही हार मान गया .....दुसरी औरत होती तो तुझे कब का लात मार कर चली गई होती ।

कल्लू--- आगे से तेरा ध्यान रखुगा मां ।
मालती--- आगे से नही बेटा, अभी फीर से तैयार हो जा और मुझे संतुष्ट कर।

और फीर मालती कल्लू का लंड मुह में ले कर चूसने लगती है .....बहुत जल्द ही कल्लू का लंड एकबार फीर से खड़ा हो जाता है .....।

मालती खाट पर लेट कर अपनी टाँगे हवा में फैला कर अपने हाथो से पकड़ लेती है ...... .।


मालती---- चल बेटा आजा, और अगर इस बार बीच में झरा तू । तो कभी ये बुर नही मिलेगी तुझे ।

कल्लू को अब डर सताने लगा था की कही मै जल्दी ना झर जाऊँ।
कल्लू अपना बड़ा लंड मालती के बुर पर रख गुस्से में इतनी जोर का धक्का मरता हैं की ......मालती का मुह खुला का खुला रह जाता हैं ....वो चिल्लाने लगती है ।

कल्लू--- चुप साली, लंड लेने का बहुत शौक है ना तुझे ले फिर, और फीर एक जोर दार धक्का जड़ देता है ।

कुछ समय तक मालती दर्द से जूझने के बाद मस्ती की गहराइयों में पहुंच जाती हैं ।

मालती अब अपनी गांड उठा उठा कर मजे ले रही थी ।
मालती ----- आ.............ह, बेटा झड़ना मत। बहुत मज़ा आ रहा है.....चोद मुझे अगर ......आह तूने मेरा ......आह पानी निकाल दीया तो .....उईईईई...मां । तेरी रखैल बन कर आह रहूंगी।

ये सुनते ही कल्लू के अन्दर जोश के गुब्बारे फटने लगते हैं ।
वो मालती को किसी रंडी की तरह जोर जोर से चोदने लगता है .....।

कल्लू----- ले साली, मदर्चोद तू मेरी रखैल नही .....रंड़ी बनकर रहेगी । बोल मैं तेरी रंड़ी हूं ।
 
मालती अपने बुर में इतनी जोर जोर से लग रहे धक्के की वजह से उसका पानी निकलने के कगार पर आ जाता है .....उसे वो मज़ा मील रहा था जिसे वो पहले अपने मरद से भी नही पाई थी ।


मालती----- हा आआआआ......मै .....teri रंडी हू......चोद, साले मैं गई ...... आह ......निक्लालाआआआआ.......mera panini.....।
और फीर मालती की बुर कल्लू के बुर को जाकाड़ने लगती है......aurमालती कल्लू से एकदम से चिपक जाती हैं और अपना पानी छोड़ने लगती है.......।

कल्लू भी 2, 4 धक्के जम कर लगाता है और पानी पुरा मालती के बुर में भरने लगता हैं ।


तहवस का तुफान शांत हो गया था मां बेटा दोनो मदर्जात नंगे एक दुसरे से चिपक अपनी-अपनी सांसे काबू में कर रहे थे ।

कल्लू अपना मुह उठा कर मालती की तरफ़ देखता हैं .....।
मालती भी उसे बड़े प्यार से देख उसका बाल सहलाने लगती हैं ....और कल्लू के होठो को चूम लेती हैं ।

कल्लू---- मां तूने क्या कहा था?
मालती (कल्लू का बाल सहलाते हुए)----- मैने क्या कहा था?

कल्लू---- यही की अगर मै तेरा पानी निकाल दीया तो तू मेरी रंड़ी ।

मालती--- हाय रे दईया ........मतलब तू अपनी मां को अब रंडी बनाकर रखेगा ।

कल्लू (अपनी मां के होठो को चूम्ते हुए)---- नही मा अपनी पत्नी बनाकर ।

ये सुन मालती शर्मा जाती है और शर्माते हुए बोली----- तो बना तो लिया तूने मुझे अपनी पत्नी ।

कल्लू मालती को बड़े प्यार से चूमने चाटने लगता है........।

मालती---- वैसे तेरा दोस्त, मुझें चोदने के फिराक़ में हैं । तो सोच रही थी एक बार उसके साथ भी सो के देख लूँ ( मालती मज़ाक करते हुए)

कल्लू--- नही नही ..... अगर एक बार सोनू ने चोदा तो, तू तो मुझे भूल ही जायेगी । ऐसा मत करना पगली नही तो मै तो जीते जीते मर जाऊंगा ।

ये सुन मालती कल्लू के मुह पर हाथ रख देती है .......।

मालती---- दुबारा मरने वर्ने की बात मत करना, मरे तेरे दुश्मन । क्या चुदाइ तुझसे बढ़ कर है.....मेरे लिए तो तू ही सब कुछ है .... मेरा बेटा ., मेरा पति .....सब कुछ। और वैसे भी मेरा बेटा, अपनी मां की बुरी तरह से बजा लेता है ।

कल्लू ने मालती की आंखो में देखा जो अब तक भीग चुकी थी ...... usne मालती की पलको को चूम लिया ।

और फीर दोनो के होठ एक हो जाते है .................... ।

अनन्या सुनहरी की बड़ी बेटी घर के आंगन में बने मुसल खाने में नहा रही थी .......तभी वहा कस्तूरी आ जाती हैं ।

कस्तूरी---- अरे अनन्या कितना देर से नहा रही है, थोड़ा जल्दी नहा मुझे भी नहाना हैं ।

अनन्या--- बस हो गया चाची नहा चुकी हूं ।
कस्तूरी की नजर अनन्या के बढ़े हुए चुचियो पर पड़ती हैं ।
 
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