Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए ) - Page 16 - SexBaba
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Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )

स्नेहा को तो जैसे कोई खिलौना मिल गया हो... और वो अपने हाथों से ज़ोर-ज़ोर से उसे उपर नीचे करने लगी... मनु अपना पूरा होश-हवास खो बैठा.... उसने स्नेहा के स्तन को दोनो हाथों से ज़ोर से दबाया. मनु बड़ी ही तेज़ी के साथ स्नेहा के उपर आ गया और नीचे हाथ ले जाकर स्नेहा के दोनो पाँव के बीच जगह बनाया.. और बेकाबू लिंग को.. जल रही योनि मे पूरे ज़ोर के साथ धक्का दिया....

स्नेहा ने मुत्ठियों मे चादर को भिंचे लंबी सिसकारी लेती अपनी छाती को उपर उठा ली, और अपने सिर दाएँ बाएँ घुमाती पूरे बालो को अपने चेहरे पर बिखेर ली ..... ऐसा मज़ा जो दोनो ने कभी पहले ना लिया हो...

हर धक्कों पर मज़ा बढ़ रहा था, सिसकारियाँ तेज और लंबी होती चली जा रही थी... मज़े से सिसकारी भरती स्नेहा ने अपने दोनो हाथों से मनु की पीठ को दबोच ली.....

मनु के धक्कों के उपर कोई कंट्रोल ना रहा ... वो तो बस ... "ओह्ह्ह्ह... ओह्ह्ह्ह" करता तेज-तेज धक्के लगा रहा था... स्नेहा का भी वही हाल था... उसकी कमर खुद व खुद तेज़ी से हिल रही थी... और वो भी बससस्स

"इस्शह..... आहह..... यसस्स्सस्स..... मानूनन्ञनननणणन्" करती मनु की पीठ को भींच रही थी....

दोनो अपने काम के चरम पर थे. स्नेहा का बदन तेज़ी से अकड़ गया... और उसकी मस्ती का उन्माद उसकी योनि से बहने लगा.... और जब ये हुआ... स्नेहा बिल्कुल निढाल पड़ गयी... उसके कुच्छ ही देर बाद ... मनु की भी एक तेज "आहह" निकली ... और उसकी भी चर्म सीमा पूरी हो गयी.... और अपने कम के निकलते ही पूरा हल्का होकर निढाल उसके उपर गिर गया.... दोनो एक दूसरे की बाहों मे एक प्यारी रात बिताए.... अगली सुबह प्यार भरी हसीन सुबह.....

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अगली सुबह.....

मनु बड़े प्यार से स्नेहा के बालों मे कंघी करते हुए उसकी चोटी बना रहा था. स्नेहा की हँसी रुक ही नही रही थी, और मनु लगा हुआ था....

स्नेहा.... हीहीहीए .... मनु तुम्हे ऑफीस नही जाना क्या जो यहाँ मेरे बाल बना रहे हो...

मनु..... काम कर तो रहा हूँ, अब एक काम ख़तम हो, तो ना दूसरे काम पर जाउ.

स्नेहा.... अच्छा बाबा समझ गयी. ये बताओ यहाँ चल क्या रहा है मनु, बहुत कुछ छिपाया जा रहा है मुझ से हां.... और तुम मानस भाई साब के साथ ऐसा कर कैसे सकते हो. उपर से जब मैं तुम से कई बार कह चुकी हूँ कि वंश सर बुरे नही हैं, फिर भी तुम ने उनके अगेन्स्ट आक्षन ले लिया... अब यहाँ चल क्या रहा है बताओगे....

मनु उसे सारी प्लॅनिंग समझाते हुए कहने लगा..... "बस एक आखरी खेल समझो, फिर हमे कोई परेशान करने वाला नही होगा"

स्नेहा.... मनु क्या ये खेल ज़रूरी है... छोड़ दो जाने दो. हम किस से लड़ रहे हैं, अपनो से ही. वो कुछ करे या हम उसका कुछ जबाव दे, इज़्ज़त तो हमारी ही उछलती है ना. क्या ये मसला प्यार से बात करते हुए हल नही हो सकता.
 
मनु.... महाभारत मे भी सामने अपने ही थे ना. जब बात हद से ज़्यादा बिगड़ जाए तो अपनो के खिलाफ भी शस्त्र उठाने मे कोई बुराई नही है.

स्नेहा..... ह्म ! ओवरॉल मॅटर ये है कि अब तुम पीछे नही हटने वाले...

मनु.... एस्स, स्नेहा बिल्कुल सही समझी, मैं अब पिछे नही हट'ने वाला. और इश्स लड़ाई मे मुझे तुम्हारी मदद चाहिए....

स्नेहा.... मैं तो तुम्हारे हर काम की आधी भागीदार हूँ, मैं तुम्हारे साथ हूँ कि नही ये क्या पूछने वाली बात है... वैसे मैं कुछ बताऊ...

मनु.... हां ! तुम्हारे बुलाने का ही तो इंतज़ार था... बताओ ना आगे क्या करना है....

स्नेहा ने मनु के उसके पूरे प्लान मे कुछ तकनीकी बदलाव कर दिए, पहले जहाँ सुकन्या को फसाना मुस्किल लग रहा था, अब तो बिल्कुल आसान सा हो गया था.... वहीं इन लोगों के प्लान पर लगभग पानी फिरने वाला था क्योंकि हर्षवर्धन पवर ऑफ अटर्नी वितड्रॉ करने वाला था....

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ईव्निंग इन मूलचंदानी हाउस....

पहले जिस तरह से सुकन्या और मनु के साथ बैठ कर हर्षवर्धन और सुकन्या ने पवर ऑफ अटर्नी साइन किया था, ठीक वैसे ही आज विड्रोल से पहले उन दोनो को हर्षवर्धन ने अपने घर बुलाया....

हर्षवर्धन, सब के बीच अपनी बात रखते हुए कहने लगा..... "मुझे लगता है पवर ऑफ अटर्नी वितड्रॉ कर लेनी चाहिए, क्यों कि मनु के पास पहले से कंपनी का पूरा भार है उपर से अब वंश की कंपनी भी मनु के अंडर है, तो इन सब बातों को देखते हुए मेरा ये सुझाव है कि पवर ऑफ अटर्नी वितड्रॉ कर लेनी चाहिए"....

मनु.... ह्म ! ठीक है जैसा आप सही समझे. बताइए कहाँ सिग्नेचर करना है.

सुकन्या.... एक मिनट मनु, हर्ष यूँ अचानक से तुम्हारे मन मे ये ख्याल कहाँ से आ गया. मनु ने कुछ ग़लत किया जो तुम वितड्रॉ करने जा रहे हो.

हर्ष.... नही, मनु तो अच्छा कर रहा है. उसने जब से एमडी की पोस्ट संभाली है, टोटल ग्रूप का टर्नोवर और प्रॉफिट मार्केट के कंपॅरटिव्ली काफ़ी ग्रोत मे है.

मनु.... फिर क्या परेशानी है हर्ष, उसे अपना काम करने दो. मनु अच्छा कर रहा है. अभी तो उसे खुल कर काम करने की आज़ादी मिली है, उसे करने दो. और वित्ड्रॉयल के बारे मे सोचना भी मत.

काफ़ी देर बहस चलती रही, लेकिन हर्षवर्धन के हर लॉजिक को काट'ती हुई सुकन्या अपनी बात पर अड़ी रही. हर्षवर्धना की बात ना बनते देख कर अंत मे अमृता ने ही कह दिया.... "जैसा सुकन्या चाह रही है हम वैसा ही करेंगे, रहने दो, जो जैसा चल रहा है चलने दो".....

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रात के वक़्त... मूलचंदनी हाउस...

अमृता और हर्ष आज की हुई घटनाओ पर चर्चा कर रहे थे. हर्षवर्धन को बिल्कुल समझ मे नही आया की आख़िर सूकन्या का इतने स्ट्रॉंग अपोज़ करने का कारण क्या था....

अमृता.... छोड़ो उसे जाने दो, वो लड़की कितनी प्यारी थी ना....

हर्ष... अमृता मैं यहाँ सीरीयस इश्यू की बात कर रहा हूँ और तुम हो कि, किसी लड़की के बारे मे पूछ रही हो.

अमृता.... हां हर्ष, मानो उसने पहली मुलाकात मे ही दिल मे जगह बना ली हो. हम भी रजत के लिए ठीक वैसी ही बहू ढूंढ़ेंगे.

हर्ष.... किस लड़की की तुम बात कर रही हो...

अमृता.... वही जो मानस के ऑफीस मे मिली थी. मानस की गर्लफ्रेंड...

हर्ष.... अमृता, ये अचानक से तुम मानस के लिए इतना कब से सोचने लगी...

अमृता.... मैं तो सौतेली हूँ, तुम तो पिता हो उन दोनो के फिर तुम ही क्यों नही सोच लेते.... एक बात कहूँ हर्ष मुझे ना आज कल खुद मे बहुत गिल्टी फील हो रहा है... काव्या के किए का बदला हम ने उन मासूम बच्चो से लिया, जब कि बदले मे आज तक उन लोगों ने पलट कर जबाव तक नही दिया. जानते हो आज शर्मिंदगी कब महसूस हुई....

हर्ष... क्यों अमृता...

अमृता.... जब तुम ने विथ्ड्रोल की बात की, और मनु ने बिना कोई आश्चर्य और बिना किसी शिकन के सीधे कह दिया कहाँ साइन करना है. यू नो हर्ष, मैं अक्सर सोचती थी कि हम जो कर रहे हैं उसका असर मनु और मानस पर पड़ता होगा. शायद उन्हे ये फील भी होता हो पर आज तक कभी हमारे किसी बात पर रिक्ट नही किया. आइ आम शुवर, जितना हमने उनके साथ किया उसका 5% भी यदि हम रजत के साथ करे तो हमे उल्टा सुन'ने को मिलेगा...

हर्ष.... ह्म ! शायद हम अंधे हो चुके हैं, जो हमे अच्छे और बुरे का फ़र्क पता नही चल रहा. या फिर हम किसी का किया इतना भुगत चुके हैं कि उनके बच्चो से भी हमे आज तक नफ़रत है...

अमृता.... हां दोनो की ही बात है मनु. हम अंधे भी हैं, और काव्या का किया हम भुला नही पा रहे इसलिए उसका बदला हम आज तक उसके बच्चो से ले रहे है....

हर्ष.... ह्म ! तुमने मुझे भी अभी फील करवा दिया... चलो चल कर अपने घर के बच्चो को वापस लाया जाए. पूरा परिवार एक छत के नीचे रहेगा...

अमृता.... ठहर जाओ अभी. पहले मनु और मानस की मिसांडरस्टॅंडिंग दूर करते हैं, वरना दोनो भाई कभी एक साथ नही रहेंगे.....

हर्ष.... ह्म ! ये भी सही सोची हो अमृता..... क्यों ना काया को बोले, काया ज़रूर दोनो भाई की दूरियाँ ख़तम कर देगी....

अमृता.... हां कहीं ना कहीं तो हम भी ज़िम्मेदार है इनके इस हालात का... करते हैं एक कोसिस और भूल जाते हैं हम काव्या को.... भूल जाओ अब उन पुरानी बातों को, जिन के लिए हम ने उन बच्चो को सज़ा देते आए हैं....
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अगले दिन शाम को.....

ड्रस्टी और मानस एक साथ बैठे शाम के सर्द हवाओं का आनंद उठा रहे थे. दोनो के हाथ बेंच पर टिके थे जो एक दूसरे के बिल्कुल आस-पास थे. दोनो सामने देखते बस खामोश से बैठे एक दूसरे की खामोशी को सुन रहे थे.

मानस ने धड़कते दिल के साथ थोड़ी हिम्मत दिखाई, और अपनी उंगलियाँ खिसका कर ड्रस्टी के हाथ के उपर रख दिया, पर देख अब भी सामने ही रहे थे. ड्रस्टी ने चोर नज़र से एक बार नीचे हाथ को देखा और मुस्कुराने लगी....

ड्रस्टी..... मानस, तुम्हारे हाथ...

मानस को लगा जैसे ड्रस्टी ने उसकी चोरी पकड़ ली हो, झट से अपना हाथ खींचते..... "वो मैने ध्यान नही दिया".

पता नही ये इकरार से पहले इतना क्यों धड़कता है दिल. हाथ हटा कर मानस, ड्रस्टी को देखता रहा... ड्रस्टी अपनी भवें उपर सरकती इशारों मे पूछने लगी.... "क्या"..... और मानस लचरते आवाज़ मे कहा.... "तो ड्रस्टी"

ड्रस्टी.... तो क्या मनु...

मानस.... कुछ नही, तुम अचानक यहाँ आ जाओगी मुझे उम्मीद नही थी,..

"उफफफ्फ़ ये लड़के भी" .. ड्रस्टी.... तो किस के आने की उम्मीद थी मानस....

मानस.... किसी की नही बाबा. वो थोड़ा नर्वस हूँ तो समझ मे नही आ रहा क्या बोलना था और क्या बोल रहा हूँ....

"प्ल्ज़, प्ल्ज़, प्ल्ज़... अब कह भी दो, ऊऊओ... कितनी क्यूट लग रही हो"...

ड्रस्टी..... ह्म ! सेम हियर मानस... वैसे क्या बोलने वाले थे तुम...

मानस.... छोड़ो जाने दो... ये बताओ तुम घर पर क्या कह कर आई हो.....

ड्रस्टी.... हुहह !!!! कुछ भी कह कर आई हूँ.... तुम्हे अभी ये सब बात करनी है...

मानस....... नही, वो तो कुछ सूझा नही तो बस यूँ ही पूछ लिया....

ड्रस्टी.... हद है मानस, तुम ऐसे ही बैठे रहो मैं जा रही हूँ....
 


मानस.... सुनो तो, ड्रस्टी... यूँ गुस्से मे तो ना जाओ.... सुनी भी नही चली गयी....

ड्रस्टी के जाते ही मानस ने नताली को कॉल लगाया.....

नताली.... जी एमडी सर कहिए, कैसे याद किया...

मानस.... नताली, ड्रस्टी गुस्से मे भाग गयी...

नताली.... ज़रूर तुम कुछ उल्टे-सीधे हरकत किए होगे, इसलिए भाग गयी होगी...

मानस.... हद है, बिना जाने ही मुझ पर इल्ज़ाम लगा दो. ये सभी लोग लड़कियों को ही क्यों सपोर्ट करते हैं. आररीए नही बाबा मैने कुछ नही किया, सुनो बात क्या हुई....

फिर मानस ने पूरी बात बताई... नताली उन दोनो की हालत सुन कर ही हंस-हंस कर पागल हो गयी... फिर मानस को दिलासा देती हुई कहने लगी.... "कोई ना मानस अभी कच्चे हो पक्के हो जाओगे. अब आज रहने दो, कल आराम से मिलना और हां, बी अ मॅन, अपनी दिल की बात दम से कह देना. वैसे भी कौन सा वो मना करेगी, हिम्मत दिखाओ और दिल की बात कह दो. वरना कहीं ऐसा ना हो कि तुम्हारे कुछ ना कहने के कारण वो तुम्हे छोड़ कर भाग जाए."

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मीटिंग इन मानस ऑफीस....

सुबह के 11 बजे हे रौनक और तनु दोनो पहुँच चुके थे मानस के ओफीस मे. सब के मन मे लड्डू फुट रहे थे, कई हज़ार करोड़, वो भी बैठे बिठाए.....

मानस और नताली दोनो ऑफीस मे बैठे हुए थे, और उनके ठीक सामने तनु और रौनक...

मानस.... इतने बड़े करोरेपति हम जैसे भिखारियों के दरवाजे, आख़िर बात क्या है...

नताली.... जाने दो मानस, ये वो आस्तीन के साँप हैं जो अपना किया दूसरों पर थोप कर उसकी बर्बादी का तमाशा देखते हैं.

रौनक.... कुछ भी कहने से पहले ज़रा बातों की गहराई को सोच लिया करो....

तनु.... हां नताली, कुछ भी बोलने से पहले ज़रा सोच लिया करो. यदि उस वक़्त हम ने भी कबूल किया होता तो हम भी वंश की तरह रोड पर होते और मनु अपने मंसूबों मे कामयाब हो जाता. जबकि तुम्हे पता था ये मामला आराम से रफ़ा-दफ़ा हो सकता था....

नताली.... कैसे ज़रा बताना...

रौनक.... क्योंकि इस पूरे मामले मे मनु का परिवार ही मुख्य आरोपी था. सारा चक्र्वियुह सुकन्या और हर्षवर्धन का रचा हुआ था. अब चुकी उनकी पवर ऑफ अटर्नी तो मनु के पास ही थी, इसलिए उसने साइड पार्ट्नर्स पर अटॅक किया...

मानस.... ह्म ! तो हम से क्या चाहते हो....

तनु.... मनु को बर्बाद करना....

नताली.... और वो कैसे होगा....

रौनक.... हम तुम्हारे प्रॉजेक्ट मे इनवेस्ट करेंगे और उसके प्रॉफिट से मनु के बिज़्नेस यूनिट के शेयर ख़रीदेंगे.

नताली.... तुम दोनो ही डफर हो, सिंपल सी बात है तुम यहाँ खुद से नही आए हो ज़रूर तुम्हे मनु ने भेजा है.... सोचते रहो तुम दोनो मनु के शेर्स को हासिल करना. जब तक तुम सोचोगे मनु के शेयर हासिल करना है, उतने मे तो वो तुम दोनो के बिज़्नेस यूनिट का ओनर बन चुका होगा....

तनु और रौनक दोनो एक साथ शॉकिंग एक्सप्रेशन देते हुए कहने लगे.... "तुम्हे कैसे पता कि मनु ने हमे यहाँ भेजा है, और वो हमे बर्बाद कैसे करेगा".

नताली...... तुम जैसे विस्वाशघातियों को मैं कुछ भी बता कर क्या करूँगी. कल को फिर मुझे फसा कर मेरा ये बिज़्नेस भी हथिया लोगे.

रौनक..... कितनी बार हम बताए, वहाँ ऑफीस मे यदि हम कुछ बोलते तो हमारा भी सब कुछ चला जाता.

नताली...... ह्म ! समझ सकती हूँ तुम लोगों का दर्द, पर हो तो तुम सब सेल्फिश ही ना. अभी भी मनु के ही कहने पर यहाँ आए. अर्रे बेवकुफों इतना भी नही समझते कि यदि तुम ने अपना सारा पैसा उसकी कंपनी से लोन ले कर यहाँ मेरे प्रॉजेक्ट पर इनवेस्ट कर दिया तो वो उधर तब तक तुम दोनो की कंपनी के शेयर खरीद चुका होगा. तुम मेरे प्रॉजेक्ट से पैसा बना कर जब तक उसके शेयर खरीदोगे तब तक तो तुम दोनो का शेयर जा चुका होगा....

रौनक.... नही ऐसा नही हो सकता. मनु को शेयर खरीदने के लिए पैसे शो करने होंगे. अब वो कंपनी का पैसे से थोड़े ना हमारा शेयर खरीद सकता है.

नताली.... जैसु तुम्हारी मर्ज़ी, मत मानो मेरी बात. माइ डोर ईज़ ऑल्वेज़ ओपन फॉर यू. जब मान करे तब इनवेस्टमेंट कर देना. लेकिन सीधी बात हम तुम्हे अपना पार्ट्नर नही बनाएँगे, बस तुम हमारे इन्वेस्टर्स रहोगे. हमारे प्रॉफिट या लॉस मे तुम्हारे इनवेस्टमेंट के बराबर शेयर रहेगा...

तनु..... नताली, मानस तुम दोनो का मोटिव क्या है पहले मुझे ये क्लियर करो....

मानस..... एस.एस ग्रूप को बर्बाद करना. उसके सारे शेयर्स खरीद कर मालिकाना हक़ लेना...

रौनक.... और वो तुम कैसे करने वाले हो.

मानस..... उपर वाला हमारे साथ है, हमे इतना बड़ा कांट्रॅक्ट मिलने वाला है कि हम 25% के बराबर होंगे पूरे एस.एस ग्रूप के.

तनु..... तो हमे भी अपने मोटिव के साथ जोड़ लो. मनु की इतनी प्लॅनिंग होगी ये हम सोच नही सकते थे. हां ये सच है हम उसी के कहने पर तुम सब से पार्ट्नरशिप करने आए थे. हां लेकिन सोच यही थी कि उसके प्रॉफिट के पैसों से मनु के शेर्स ही ख़रीदेंगे पर यहाँ तो प्लॅनिंग ही कुछ और चल रही थी.

नताली..... तो मिलाओ हाथ और लग जाओ उस मनु को धूल चटाने मे. यहाँ के प्रॉफिट से मैं मनु के और उनके फॅमिली ग्रूप के शेर्स खरिदुन्गि. तुम दोनो वहाँ से पैसे निकाल कर सीधा ही मनु के शेर्स खरीदना शुरू कर दो. इसके बदले मैं तुम दोनो को 25% पार्ट्नरशिप दूँगी वो भी बिना किसी इनवेस्टमेंट के.

ऐसा ऑफर भी कोई ठुकराता है क्या. पल मे ही प्लान बना तनु और रौनक का कि... "सीधा मनु की कंपनी के शेर्स ख़रीदो, और 25% का प्रॉफिट इन के टेंडर से लो. पासे बिच्छ चुके थे और दोनो उन पासों पर अपना पूरा दौ खेल चुके थे. अब बस बचे थे तो हर्षवर्धन और सुकन्या.
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इधर तनु और रौनक के जाते ही नताली और मानस...

नताली..... मानस हमने दाँव तो खेल दिया है, पर कहीं पासा उल्टा पड़ा तो मनु की सारी प्रॉपर्टी चली जाएगी.

मानस..... ये रिस्क तो हमे उठाना ही था. अब तो इस पार या उस पर. लेकिन हमारे मदद करने के चक्कर मे तुम ने अपनी सारी प्रॉपर्टी भी दाँव पर लगा दिया.

नताली.... नोट एग्ज़ॅक्ट्ली. मेरे पास तो मेरा सब कुछ है. मेरी फॅमिली, मेरा लव फिर मैं इन पैसों की चिंता क्यों करूँ.

मानस..... ह्म्‍म्म्म ! और ये मैं अपनी उसी फॅमिली के लिए कर रहा हूँ, जिसे इन लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए हम से अलग कर दिया.

नताली..... एसस्स मानस इट'स ऑल अबाउट फॅमिली. वैसे फॅमिली से याद आया, तुम डंप के डंप ही रहोगे.... नाराज़ कर दिया ना बेचारी को....

मानस.... मैने क्या किया नताली. हद होती है किसी भी चीज़ की. क्या अकेले मुझे ही प्यार है ड्रस्टी से जो मैं ही हर बात की पहल करूँ.... हुहह

नताली..... डफर... तुम ज़रा सा आगे तो बढ़ो वो अपना दिल तुम्हारे कदमों मे रख देगी. तुम बाय्स इतने रूड क्यों होते हो. क्या थोड़ा सा एमोशनल हो कर एक लड़की की फीलिंग नही समझ सकते. बेचारी तुम्हारे लिए इतनी दूर तक आई और तुम हो कि....

मानस.... हां ठीक है लेक्चर ना दो मुझे. जाता हूँ मैं भी. यार वो सब समझती है, कि मैं नर्वस हो जाता हूँ, फिर भी वो मुझे जान बुझ कर परेशान करती है.

नताली.... हुहह ! हॅंडल वित केयर.... ठीक है तुम नर्वस ही होते रहो, अभी यदि तुम ने उसे पर्पस नही किया तो मैं उसे वापस भेज दूँगी.

मानस.... धमकी तो ना दो, ठीक है जाता हूँ....

मानस भी ऑफीस से तुरंत निकला. उस के जाते ही नताली ने तुरंत कॉल लगा दिया ड्रस्टी को...

ड्रस्टी.... कैसी हैं नताली जी...

नताली.... तुम्हारी आवाज़ इतनी भारी क्यों है....

ड्रस्टी.... क्या करूँ, इतनी दूर मैं उनके लिए आई हूँ और वो हैं कि मुझे समझ ही नही रहे. जानती हूँ कि उन्हे मुझ से बेहद प्यार है, पर क्या आगे बढ़ कर वो दो शब्द बोल नही सकते. लगता है हार कर मुझे ही बोलना पड़ेगा, तब उन मे हिम्मत आएगी....

नताली.... नही बाबा, तुम्हारे बुद्धू को सब समझा दिया है. और ये भी कह दिया, यदि आज उसने प्रपोज नही किया तो तुम्हे वापस जाने का बोल दूँगी. भागा-भागा गया है तुम्हारे पास. बी रेडी और हां लड़कियों की इज़्ज़त बचा के. खूब नखरे करना और उसे ही बोलने देना...

ड्रस्टी चहक्ती हुई.... "हां ऐसा ही करूँगी".....

ड्रस्टी से बात करने के बाद नताली के दिमाग़ मे शैतानी आइडिया आए और उसने तुरंत कॉल मनु को लगा कर सारी बात बता दी. सब मानस की नर्वस सी हालत का मज़ा लेने के लिए निकले....

मानस ऑफीस से निकल कर सीधा ड्रस्टी के पास पहुँचा..... ड्रस्टी ने जैसे ही मानस को अपने सामने देखा उसकी धडकने बढ़ गयी. अंदर से जैसे वो "वॉवववव, यअहह, वूहूओ" करती चहक रही हो. पर अपने अरमान काबू रखते थोड़ा रूड होती पूछने लगी..... "हां कहिए क्यों आए हैं"

ड्रस्टी जब इतना कह रही थी तभी पिछे-पिछे नताली, मनु और स्नेहा भी वहाँ पहुँच गये थे. ड्रस्टी और मानस बाहर दरवाजे पर खड़े थे और फूलों के फेन्सिंग के पिछे से ये तीनो छिप कर देख रहे थे.

ड्रस्टी जैसे ही अपनी बड़ी आखें करती मानस के आने का कारण पूछी वैसे ही मानस की सारी हिम्मत हवा हो गयी. ड्रस्टी खड़ी मानस को घूर रही थी, और अंदर से हंस रही थी वहीं खड़े-खड़े मानस सोच मे पड़ गया की अब कैसे कहे...

मानस.... मैं .. वू.. मैं इधर से गुजर रहा था तो सोचा तुम से मिलता चलूं...

ड्रस्टी.... ह्म ! बस इतना ही सोच कर आए थे....

"अब क्या कहूँ क्या-क्या सोच कर आया यहाँ... लेकिन ये भी ना कि यहाँ आया तो प्यार से मुस्कुरा कर अंदर आने को कहे. उल्टा ऐसे रिक्ट करी कि अब जो भी कहने आया था उसे कहने की हिम्मत नही बची.... ड्रस्टी तुम समझती क्यों नही, कितना लव है तुम्हारे लिए इस दिल मे"...

 
ड्रस्टी से नही रहा गया, वो थोड़ी नरम होती पूछने लगी.... "क्या हुआ मानस क्या सोचने लगे, कुछ कहना है क्या"

मानस.... हां मैं वो कहना चाह रहा था.... मैं वो...

ड्रस्टी मुस्कुराती हुई अपनी गर्दन हिलाती..... "हां, हां क्या ... क्या कहने वाले हो मानस"...

मानस थोड़ी हिम्मत जुटा कर अपने घुटनो पर बैठ गया.... ड्रस्टी के हाथों को हाथ मे लिया...... उसे देखते हुए.... "ड्रस्टी... ड्रस्टी"....

ड्रस्टी अपनी नज़रें झुकाती.... "हां मानस अब कह भी दो"

मानस हाथ थामे, अपने धड़कते अरमान के साथ..... "ड्रस्टी वो मैं तुम से.. वो मैं ये कह रहा था"...

ड्रस्टी.... "हां मानस, हां... कहो भी आगे"

मानस.... ड्रस्टी, तुम आज बहुत खूबसूरत लग रही हो. मेरी धड़कनें तेज हो रही हैं... हाथ कांप रहे हैं बस तुम समझ जाओ, अब अल्फ़ाज़ नही निकल पाएँगे....

ड्रस्टी अंदर से मुस्कुराइ..... "मैं उन अल्फाज़ों को समझती हूँ मानस, पर तुम भी तो मेरे अरमान समझो. बस अब तुम भी हिम्मत कर के आइ लव यू कह दो. और कह कर यूँ गले लगो कि सीने की तड़प मिट जाए".... मुस्कुराती हुए ड्रस्टी बस सोचती रही, और मानस घुटनो पर बैठे उसके हाथों को अपने हाथ मे थामे, देखे जा रहा था.

ड्रस्टी.... मानस, प्लीज़ अब कह भी दो. सब कुछ कह दीजिए बस अब वो अल्फ़ाज़ भी कह दो जिसे सुन'ने के लिए मैं बेकरार हूँ....

मानस, को सीधे इशारे... अब तो कहना ही था... मानस कहने की फिर से कॉसिश करने लगा..... "ड्रस्टी, तुम्हे जब से देखा हूँ होश ही नही
रहता. हर वक़्त तुम्हारा ही ख्याल रहता है. तुम्हे ना देखूं तो चैन नही आता"....

ड्रस्टी.... हां मानस.... वो तो पहले भी कह चुके. मुझे भी तुम्हे देखे बिना चैन नही आता... कुछ अधूरा सा लगता है तुम बिन... आयेज...

मानस.... हां आगे....

इतना कह कर मानस ने फिर एक पॉज़ लिया और टुकूर-टुकूर ड्रस्टी को देखने लगा.... इतना पॉज़, मनु इरिटेट होते हुए फॅन्सिंग के आगे आ गया और चिल्ला कर कहने लगा..... "ड्रस्टी उस लल्लू को छोड़ दो उस से कुछ नही हो पाएगा, मैं तुम्हे कहता हूँ.... आइ लव यू आक्सेप्ट माइ
प्रपोज़ल".

 
तभी पीछे से स्नेहा और नताली भी आगे निकल कर आ गयी..... स्नेहा, मनु को घुरती हुई कहने लगी..... "ये सब क्या था... आज तक मुझे तो
कभी प्रपोज किए नही और यहाँ लव यू-लव लव-यू कहा जा रहा है... हुन्न्ञन्"

नताली.... सच मे स्नेहा इस ने आज तक तुम से आइ लव यू नही कहा....

स्नेहा.... नही कहे थे. ऐसा नही था नही कहे, पर दबे कुचले से शब्दों मे फोन पर कहा था वो भी मेरे लव यू के जबाब मे.

नताली.... हुहह ! तुम्हे तो खुद से कहना ही नही चाहिए था.

मनु, स्नेहा और नताली का वहीं पर ग्रूप डिसक्यूसषन शुरू हो गया. इधर सब को देख कर ड्रस्टी हाथ छुड़ा कर अंदर भागना चाहती थी, पर
मानस उस के हाथ को और ज़ोर से पकड़े उसे जाने ही नही दे रहा था.

तीनो की चपर-चपर सुन कर मानस चिल्ला दिया..... "कबख्तों शांत हो जाओ, मुझे मेरी गृहस्थी बसा लेने दो"....

मानस की आवाज़ सुन कर तीनो शांत हो गये. वहीं मानस का इतना कॉन्फिडेन्स देख कर ड्रस्टी के दिल से एक ही आवाज़ निकली..... "हाए
अल्लाह, अब क्या ये सब के सामने प्रपोज करेंगे"

इधर मानस सब को चुप करा कर ड्रस्टी के हाथो को होटो से लगा लिया.... ड्रस्टी की धड़कने मानो सीने से बाहर निकल कर धड़कने लगेगी. बदन मे हल्की कंप-कपि.... और मानस उसके हाथ को चूमते हुए उसकी आखों मे देखा... और देख कर कहने लगा..... "आइ लव यू ड्रस्टी. तुम नही तो मैं नही"

तभी पिछे से नताली चिल्ला दी.... "वूऊओ ऊऊओ ऊऊऊ, बाहों मे ले कर अब होंठों को चूमते हुए अपने प्यार का इज़हार करो".

ड्रस्टी, नताली की बातें सुन कर शर्म से पानी-पानी हो गयी. उस से अब वहाँ रुक पाना संभव नही था इसलिए वो हाथ छुड़ा कर तेज़ी से अंदर भाग गयी. ड्रस्टी के अंदर जाते ही स्नेहा भी सब को चलने के लिए कहने लगी.... "चलो, अब इन को भी हमे कुछ प्राइव्सी देना चाहिए, चलो सब यहाँ से"....

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