desiaks
Administrator
- Joined
- Aug 28, 2015
- Messages
- 24,893
इतने मे अमृता फिर बोल पड़ी.... अर्रे, अब क्या वहीं खड़ा रहेगा, आ ना अंदर. लो जी आप का बेटा आज अंदर नही आएगा, आप ही बुलाओ
तो ही आएगा....
हर्ष.... मानस, आओ बेटा, बाहर खड़ा क्या सोच रहा है....
पता नही क्यों पर आज एक अजीब सा अपनापन मानस को महसूस हो रहा था. कुछ जो आज से पहले कभी महसूस नही हुआ हो. मानस
धीमे अपने कदम बढ़ाता अंदर तक आया....
अमृता..... मानस क्या हुआ बेटा, कोई परेशानी है क्या. इतनी सोच मे क्यों डूबे हो...
मानस.... आमम्म्म ... कुछ नही मोम... आप दोनो बताओ कैसे हो....
हर्ष..... मैं तो ठीक हूँ, पर तेरी माँ ज़िद पकड़े है कि अब उसे अपने पोते का मुँह देखना है...
मानस.... क्या ????
अमृता..... हां सच ही कहा हर्ष ने. अच्छा सुन ना, वो बच्ची कहाँ है जो उस दिन तेरे ऑफीस मे मिली थी... मुझे बहुत ही प्यारी लगी...
मानस.... कौन मोम...
अमृता.... अर्रे वही जिसे तुम ने नीचे गिरा दिया था....
मानस, तो बिल्कुल भूल ही चुका था कि वो क्या बात करने यहाँ आया था. अमृता की बात का जबाव देते हुए मानस कहने लगा..... "अच्छा वो, आप ड्रस्टी की बात कर रही हैं. वो तो नताली के घर पर है".
अमृता..... चल ना अभी, मुझे उस से मिलना है...
अमृता की बात मे छोटे बच्चों जैसी ज़िद थी, जिसका समर्थन हर्ष भी कर रहा था...
मानस..... क्या ????
अमृता.... तू हर बात पर ऐसे चौंक क्यों रहा है, कहा ना हमे अभी उस से मिलना. चल ले चल चुप चाप.
मानस को ना चाहते हुए भी उन दोनो को अपने साथ ड्रस्टी से मिलवाने ले जाना पड़ा. रास्ते मे जब वो चल रहा था, बहुत ही गहरी सोच मे
डूब गया..... "आख़िर इनके हृदय परिवार्तन हुए कैसे"......
मानस को ना चाहते हुए भी उन दोनो को अपने साथ ड्रस्टी से मिलवाने ले जाना पड़ा. रास्ते मे जब वो चल रहा था, बहुत ही गहरी सोच मे
डूब गया..... "आख़िर इनके हृदय परिवार्तन हुए कैसे"......
तो ही आएगा....
हर्ष.... मानस, आओ बेटा, बाहर खड़ा क्या सोच रहा है....
पता नही क्यों पर आज एक अजीब सा अपनापन मानस को महसूस हो रहा था. कुछ जो आज से पहले कभी महसूस नही हुआ हो. मानस
धीमे अपने कदम बढ़ाता अंदर तक आया....
अमृता..... मानस क्या हुआ बेटा, कोई परेशानी है क्या. इतनी सोच मे क्यों डूबे हो...
मानस.... आमम्म्म ... कुछ नही मोम... आप दोनो बताओ कैसे हो....
हर्ष..... मैं तो ठीक हूँ, पर तेरी माँ ज़िद पकड़े है कि अब उसे अपने पोते का मुँह देखना है...
मानस.... क्या ????
अमृता..... हां सच ही कहा हर्ष ने. अच्छा सुन ना, वो बच्ची कहाँ है जो उस दिन तेरे ऑफीस मे मिली थी... मुझे बहुत ही प्यारी लगी...
मानस.... कौन मोम...
अमृता.... अर्रे वही जिसे तुम ने नीचे गिरा दिया था....
मानस, तो बिल्कुल भूल ही चुका था कि वो क्या बात करने यहाँ आया था. अमृता की बात का जबाव देते हुए मानस कहने लगा..... "अच्छा वो, आप ड्रस्टी की बात कर रही हैं. वो तो नताली के घर पर है".
अमृता..... चल ना अभी, मुझे उस से मिलना है...
अमृता की बात मे छोटे बच्चों जैसी ज़िद थी, जिसका समर्थन हर्ष भी कर रहा था...
मानस..... क्या ????
अमृता.... तू हर बात पर ऐसे चौंक क्यों रहा है, कहा ना हमे अभी उस से मिलना. चल ले चल चुप चाप.
मानस को ना चाहते हुए भी उन दोनो को अपने साथ ड्रस्टी से मिलवाने ले जाना पड़ा. रास्ते मे जब वो चल रहा था, बहुत ही गहरी सोच मे
डूब गया..... "आख़िर इनके हृदय परिवार्तन हुए कैसे"......
मानस को ना चाहते हुए भी उन दोनो को अपने साथ ड्रस्टी से मिलवाने ले जाना पड़ा. रास्ते मे जब वो चल रहा था, बहुत ही गहरी सोच मे
डूब गया..... "आख़िर इनके हृदय परिवार्तन हुए कैसे"......