desiaks
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आप जानते ही है, विजय एक घुटा हुआ शख्स है.
उसने उस शब्द का इस्तेमाल किया ही उसे चौंकाने के लिए था बल्कि यदि ये कहा जाए तो ज़्यादा मुनासिब होगा कि उसे खोलने के लिए किया था क्योंकि जानता था, ऐसे समय पर लोग काम के सवालो का जवाब कम देते है, रोने-धोने मे ज़्यादा टाइम लगाते है, उसकी टेक्नीक से मिसेज़. बिजलानी तुरंत ही लाइन पर आती नज़र आ रही थी.
विजय बात को घूमता हुआ बोला," भले ही अपने शरीर पर गोली मिस्टर. बिजलानी ने खुद चलाई हो लेकिन मुझे लगता है कि इसके लिए उन्हे किसी ने मजबूर किया था "
" क...किसने " वो रोना भूलकर उत्सुक नज़र आने लगी थी.
" यही तो पता लगाना है "
वो चुप रही.
" और इस काम मे आप हमारी मदद कर सकती है "
" म...मैं "
" क्या मैं आपका नाम जान सकता हू "
" अंजलि "
" क्या हाल-फिलहाल मे आपके और मिस्टर. बिजलानी के बीच मे कोई झगड़ा हुआ था "
" नही तो "
" अच्छी तरह याद करके बताइए, हो सकता है कि इसी सवाल के जवाब मे उनकी उस हरकत का राज़ छुपा हो जो उन्होने की "
अब...अंजलि ने सीधे-सीधे विजय की तरफ देखा.
उसकी बड़ी-बड़ी आँखो मे तीखापन था.
लहजे मे हल्की सी तल्खी," क्या आप ये सोच रहे है कि उन्होने ग्रह-कलह की वजह से... "
" क्या ऐसा नही है "
" हरगिज़ नही, हाल-फिलहाल की तो बात ही दूर, मेरे और उनके बीच कभी भी ऐसा झगड़ा नही हुआ जो एक रात क्रॉस कर सका हो, अगर किसी मुद्दे पर मतभेद के कारण झड़प हो भी जाती थी तो बेडरूम मे जाते ही ख़तम हो जाती थी "
" बहुत अच्छी बात है, पति-पत्नी के बीच का रिश्ता होना भी ऐसा ही चाहिए " विजय का अंदाज शालीनता भरा था," अच्छा ये बताइए, रिप्पी से तो झगड़ा नही हुआ था उनका "
" रिप्पी से तो वे प्यार ही इतना करते थे कि.... "
" झगड़ा उन्ही मे होता है जिनमे प्यार हो "
" जी "
" और अक्सर, झगड़े की वजह भी प्यार ही होता है, आदमी अंजान से, सड़क चलते से झगड़ने नही जाता "
" हो सकता है की आप ठीक कह रहे हो " अंजलि कहती चली गयी," मगर रिप्पी से झगड़े की तो बात ही दूर, उन्होने कभी उसे डांटा तक नही, प्लीज़, उनके इस कदम को ग्रह-कलह से जोड़कर ना देखिए, हमारे घर मे ऐसा कुछ नही था "
" फिर किससे जोड़कर देखु "
अंजलि उसके सवाल का जवाब ना दे सकी.
बस देखती रही उसकी तरफ.
अंदाज ऐसा था जैसे कहने के लिए कुछ सूझ ना रहा हो.
विजय ने ही कहा," कोई भी व्यक्ति इतना बड़ा कदम किसी छोटे-मोटे कारण से नही उठाता, उसके जीवन मे कोई बहुत ही बड़ी घटना घटी होती है, क्या आप किसी ऐसी घटना के बारे मे बता सकती है जो उनके विषाद का कारण बनी हो "
" मैं हैरान हू कि उन्होने ऐसा क्यू किया "
" मतलब उन्होने आपसे अपनी कोई टेन्षन शेअर नही की "
" नही "
" आपने उन्हे किसी टेन्षन मे महसूस किया "
" बिल्कुल नही, करती....तो पूछती "
" बंद कमरे मे वे क्या कर रहे थे "
" मेरी जानकारी के मुताबिक कमरा बंद नही था, तब भी नही जब मैं चाय देने गयी, ये उनका रुटीन था, डेढ़ बजे चाय पीने आते थे, चाय के साथ न्यूज़ देखने का शौक था उन्हे, मेरी जानकारी मे वही सब हो रहा था, मैं नीचे थी, गोली की आवाज़ सुनकर दौड़ती हुई उपर पहुचि.... "
" क्यो " विजय ने टोका," गोली की आवाज़ सुनते ही आप सीधे उपर की तरफ ही क्यो दौड़ी "
" आवाज़ वही से आई थी "
" ये बात आप आवाज़ सुनते ही समझ गयी "
" हां " कहते वक़्त अंजलि की पलके सिकुड गयी," मुझे ऐसा क्यो लग रहा है कि आप मुझ पर शक कर रहे है "
" नही-नही, ऐसी कोई बात नही है " विजय ने जल्दी से बात संभाली," उपर जाकर आपने क्या देखा "
" वही, जो आपने भी देखा, कमरा अंदर से बंद था और.... "
" अंकिता के बारे मे आपका क्या ख़याल है "
" अंकिता " वो बुरी तरह से चौंक्ति नज़र आई," उसके बारे मे क्यो पूछ रहे है आप "
" सवाल करना छोड़िए, जवाब दीजिए " विजय का लहज़ा अब भी सपाट था," अंकिता कैसी लड़की है "
" अच्छी है "
" कैसे कह सकती है "
" मैं उसे बचपन से जानती हू, तब से इस घर मे आ रही है जबसे वो और रिप्पी फ्रॉक पहनती थी "
" ओके, महत्त्वपूर्ण जानकारी देने के लिए शुक्रिया, आप जा सकती है और कृपया बिजलानी साहब के जूनियर को भेज दे "
" उत्सव को या दीपाली को "
" उत्सव, मतलब लड़का, दीपाली, मतलब लड़की "
" दोनो ही उनके जूनियर है, किसे भेजना है "
" पहले उत्सव ही मना लेते है "
अंजलि दरवाजे की तरफ बढ़ गयी.
फिर ठितकी.
पलटी और विजय की तरफ देखती हुई बोली," मेरे ख़याल से तो मैंने आपको ऐसी कोई जानकारी नही दी जो आपकी मदद कर सके क्योंकि ऐसी कोई जानकारी मेरे पास थी ही नही, फिर आपने ये क्यो कहा कि महत्त्वपूर्ण जानकारी देने के लिए शुक्रिया "
" होता है मोहतार्मा, हमारे साथ अक्सर ऐसा होता है कि लोग हमे महत्त्वपूर्ण जानकारिया दे जाते है और उन्हे खुद पता नही लगता की उन्होने कितनी अनमोल जानकारी दे दी है "
अंजलि के चेहरे पर ऐसे भाव उभरे थे जैसे ये सोचने के लिए दिमाग़ पर ज़ोर डाल रही हो कि उसने आख़िर विजय को ऐसी क्या जानकारी दे दी जिसे महत्त्वपूर्ण कहा जा सके.
मगर फिर बगैर कोई सवाल किए चली गयी.
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" ये तो मैं भी जानना चाहूँगा गुरु "
" क्या "
" कि अंजलि क्या महत्त्वपूर्ण जानकारी दे गयी "
" ये क्या कम महत्त्वपूर्ण जानकारी दी कि उसे अपने पति और अंकिता के रिश्तो की कोई भनक नही है "
" फिर वही बात " रघुनाथ झल्ला-सा गया," मैं ये पूछ रहा हू कि इस बात को तुम बार-बार किस आधार पर कह रहे हो "
" आधार-कार्ड की कहानी हम तुम्हे सुना चुके है प्यारे "
रघुनाथ फिर कुछ कहना चाहता था लेकिन उससे पहले सफेद पॅंट-शर्ट और काला कोट पहने वो लड़का दरवाजे पर नज़र आया जिसका नाम उत्सव बताया गया था.
विजय ने उसे भी उसी कुर्सी पर बैठाने के बाद कहा," तो तुम्हारा नाम उत्सव है "
" जी "
" तुम्हारी पार्ट्नर का नाम दीपाली "
" अभी वो पार्ट्नर नही है "
" अभी नही से क्या मतलब "
" बहुत जल्द बन जाएगी, लाइफ पार्ट्नर " वो बहुत ही जीवंत अंदाज मे मुस्कुराया था," हम ने फ़ैसला कर लिया है "
" ये तो होना ही चाहिए था "
" जी " वो चौंका," क्या मतलब "
विजय ने कहा," मतलब से क्या मतलब "
" आपने ऐसा क्यो कहा कि ऐसा ही होना चाहिए था "
" बात बहुत सॉफ है मिया, बहरहाल, दोनो नाम एक-दूसरे के पूरक है, उत्सव के बगैर दीपाली नही और वो दीपाली ही क्या हुई जिसमे उत्सव ना हो, दोनो को एक तो होना ही चाहिए था "
" थॅंक यू " वो फिर मुस्कुराया.
" बड़े मुस्कुरा रहे हो यार, कुछ ही देर पहले तुम्हारे बॉस का राम नाम सत्य हुआ है और तुम मुस्कुराए ही जा रहे हो, चेहरे पर गम की शिकन तक नही, तुम जैसा बेमुर्रबात कर्मचारी हम ने पहले कभी नही देखा, क्या तुम्हे बिजलानी के मरने का ज़रा भी दुख नही है "
" द...दुख क्यो नही है " वो सकपकाया था.
" तो फिर इस तरह मुस्कुरा क्यो रहे थे जैसे घर भैया हुआ हो "
" स...सॉरी सर, आपने बात ही कुछ ऐसी छेड़ दी थी "
" दीपाली की बात "
" जी "
" तुम्हारे दिल के तार झंझणा उठे थे "
चेहरे पर फिर सुर्खी दौड़ गयी, बोला," इसका मतलब ये नही है कि जो हुआ उसका मुझे दुख नही है, दुख भी है क्योंकि वे मेरे पिता समान थे लेकिन दुख से ज़्यादा हैरानी है "
" वो क्यो "
" कि उन्होने ऐसा क्यो किया "
" कैसा किया "
" जी "
" हम ने पूछा, तुम्हारे ख़याल से उन्होने क्या किया "
" स्यूयिसाइड "
" तुम्हे ऐसा क्यो लगता है कि उन्होने स्यूयिसाइड की है, कमरे मे तो हम ने तुम्हे घुसने नही दिया, ठीक से तुमने लाश भी नही देखी "
" ये तो देखा था कि कमरा अंदर से बंद था "
" हां, ये तो देखा था, खैर, तुमने इंटरकम पर बिजलानी से कहा था कि राजन अंकल आ गये है, मतलब तुम्हे पहले से मालूम था कि वो आने वाले है "
" बिल्कुल मालूम था "
" कैसे "
" सर ने इंटरकम पर बताया था "
" उन्हे कैसे मालूम था "
" मुझे क्या मालूम "
" कितने बजे की बात है ये "
" करीब सवा दो बजे की " उत्सव ने बताया," वे रोज ठीक 2 बजे अपने रूम मे चाय पीने जाते थे "
" जब तुमने उन्हे इंटरकम पर हमारे आने की सूचना दी थी, उस वक़्त कैसा महसूस किया था "
" कैसा महसूस किया से क्या मतलब "
" वे किसी टेन्षन मे तो नही लग रहे थे "
" नही "
" क्या बाते हुई थी "
" आपके सामने ही तो हुई थी "
" हम ने केवल तुम्हे सुना था, उन्हे नही, ये बताओ, जब तुमने ये कहा कि राजन अंकल आ गये है सर, तो उन्होने क्या कहा "
" उन्होने पूछा, क्या उसके साथ और भी कोई है, जवाब मे मैंने जो कहा, वो आपने सुना ही था "
" उसे सुनकर वे क्या बोले "
" केवल इतना कि, ठीक है "
" ये नही कहा कि वे ऑफीस मे आ रहे है या नही "
" नही, ये नही कहा, बस 'ठीक है' कहकर रिसीवर रख दिया और मेरे ख़याल से उन्हे ऐसा कहने कि ज़रूरत भी नही थी, ये बात अंडरस्टुड थी कि राजन अंकल आए है तो वे आएँगे ही "
" ऐसा अंडरस्टुड क्यो था "
" क्योंकि हमेशा ऐसा ही होता था, ऐसा कभी नही हुआ कि राजन अंकल आए हो और सर उनसे ना मिले हो "
" ओके " विजय ने कहा," जो वार्तालाप तुमने बताया, उससे जाहिर है कि बिजलानी साहब को ये जानकारी तो पक्की थी कि राजन सरकार आने वाला है और ये शंका भी थी कि उनके साथ कोई आ सकता है, गौर करो प्यारे, इस बात की सिर्फ़ शंका थी, पक्के तौर पर नही पता था कि उनके साथ कोई आएगा ही आएगा, पक्के तौर पर पता होता तो पूछते नही कि राजन के साथ कोई और भी है या नही और पूछने से जाहिर है कि उन्हे शंका थी "
उत्सव ने कहा," इस किस्म की बातों को इतनी गहराई से तो आप जैसा जासूस ही सोच सकता है, हम जैसे साधारण लोगो के दिमाग़ो मे ऐसी बाते कहाँ आती है "
" तुम्हे किसने बताया कि हम जासूस है "
" राजन अंकल ने "
" कब बताया और उन्हे क्या ज़रूरत पड़ी "
" सर की बॉडी मिलने के बाद जब आपने हम सबको एक दूसरे कमरे मे बंद कर दिया था तो अंजलि आंटी और रिप्पी ये सोचकर घबराई हुई थी कि आप लोग कौन है जिन्होने ऐसा किया, तब मैंने उन्हे बताया कि तुम लोग राजन अंकल के साथ आए थे, ये सुनकर उन्होने राजन अंकल से पूछा कि अजनबी लोग हमे इस तरह कमरे मे बंद कैसे कर सकते है, तब राजन अंकल ने बताया की आपका नाम विजय है और आप राजनगर के ही नही इंडिया के सबसे बड़े जासूस है और अब उन्होने कान्हा मर्डर केस की जाँच आपको सौंपी है, आप उसी सिलसिले मे बिजलानी सर से वार्ता करने आए थे, उन्होने ये भी बताया की विकास आपका शिष्या है "
विजय का अगला सवाल," क्या तुम्हे कोई ऐसी वजह मालूम है जिसने इन दिनो बिजलानी साहब को परेशान कर रखा हो "
" नही "
" खुश थे वो "
" हमेशा खुश रहते थे, आज भी वैसे ही थे, बिल्कुल नॉर्मल "
" हमेशा खुश रहने से क्या मतलब "
" हर आदमी का मिज़ाज होता है, ख़ासतौर पर काम के टाइम मे, कुछ लोग हमेशा मुँह चढ़ाए रहते है, कुछ बात-बात पर झल्लते रहते है और कुछ खुशमिजाजी के साथ काम करते और करवाते है, वे वैसे ही थे, चाहे जितनी टेन्षन हो, चाहे जिससे, जितनी भी बड़ी मिस्टेक हो जाए, वे गुस्सा नही होते थे, हंसते रहते थे, बेटा-बेटा कहकर समझाया करते थे कि इस काम को ऐसे नही, ऐसे करो "