hotaks444
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अब तक आपने पढ़ा कि कैसे पत्नी अपने भाई से चुदवाने के सपने देख रही थी इन सब से घर मे चुदाई का माहौल और भी गर्म हो गया था। ऐसे में एक दिन समीर ने सोनिया को कॉल किया।
अब आगे…
सोनिया ने फ़ोन उठाया देखा समीर का कॉल है- हेल्लो! तुझे आज मेरी याद कैसे आ गई?
समीर- कुछ नहीं नहाने जा रहा था तो तुम्हारी याद आ गई। हा हा हा!
सोनिया- हे हे… क्या बात है दो हफ्तों में तेरे तो पर ही निकल आये?
सोनिया के मन में यह सुन कर हल्की सी गुदगुदी तो ज़रूर हुई थी कि अब समीर भी थोड़ा खुलने लगा था, इशारों में ही सही। लेकिन वो वो फ़ोन पर इशारों से आगे ज़्यादा खुलना चाहती भी नहीं थी क्योंकि फ़ोन पर एक हद से आगे आप जा नहीं सकते और फिर मामला बीच में लटक जाता है।
समीर- काश पर निकल आते तो उड़ कर अभी वहां ही आ जाता।
सोनिया- क्या बात है! नेहा से मिलने की इतनी जल्दी हो रही है क्या?
समीर- नहीं, रहने दो आप नहीं समझोगी।
सोनिया ने जान बूझ कर बात को घुमा दिया था। वो जानती थी कि समीर उसी से मिलने के लिए इतना बेक़रार हो रहा था। इस बात से वो मन ही मन खुश भी थी- और सुना, मम्मी कैसी हैं?
समीर- मस्त हैं मक्खन मलाई के जैसी!
सोनिया मन में सोचने लगी ‘ये आज इसे क्या हो गया है पहले तो कभी मम्मी के बारे में ऐसे बात नहीं की इसने?’
सोनिया- क्यों आज मम्मी को इतना मस्का क्यों मार रहा है तू?
समीर- मस्का मार नहीं रहा हूँ यार मम्मी तो खुद ही मस्का हैं।
सोनिया- कहीं तू…?
फिर मन में सोचने लगी ‘मम्मी के साथ भी वही गेम तो नहीं खेल रहा?’
समीर- अच्छा दीदी मैं चलता हूँ.
बुदबुदाते हुए ‘मम्मी नहाने चली गईं।’
और समीर ने फ़ोन रख दिया।
सोनिया को अब यकीन हो गया था कि समीर बाथरूम के छेद से मम्मी को नंगी नहाते हुए देखने जा रहा था। शायद ये पहली बार नहीं था तभी तो मम्मी को मक्खन मलाई बोल रहा था। ये सब बातें सोच कर सोनिया चिंतित भी थी और उत्तेजित भी।
शाम को जब सब खाना खाने बैठे तो सोनिया ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में उसकी समीर से क्या क्या बातें हुई हैं और वो न केवल राखी पर आने को तैयार है बल्कि शायद वो इस बात को लेकर उत्तेजित भी है।
सोनिया- इशारों इशारों में मैंने छेड़ा कि अब वो मुझे बाथरूम में नहाते हुए नहीं देख पाता होगा। पहले तो वो थोड़ा झिझक गया था लेकिन आज तो उसने जो कहा उससे साफ़ समझ आता है कि न केवल वो मुझे फिर से नंगी देखना चाहता है बल्कि शायद उसने मम्मी को नहाते हुए देखना शुरू कर दिया है।
नेहा- भाभी, मेरे ख्याल से तो आप पक्का चुदने वाली हो इस बार राखी पर अपने भाई से।
राजन- लेकिन मेरे प्लान के हिसाब से तो सोनिया के पहले तुमको उससे चुदवाना पड़ेगा।
नेहा- क्यों शुरुआत मुझसे क्यों?
राजन- देखो तुम उस से चुदोगी तो वो तुमसे अपने दिल की बात खुल कर करने लगेगा और फिर तुम आसानी से ये पता कर पाओगी कि वो बहन चोद बनने के लिए कितना तैयार है और फिर उस हिसाब से हम आगे की प्लानिंग आसानी से कर पाएंगे।
नेहा- बात तो आप सही कह रहे हो।
सोनिया- हाँ वैसे भी मैंने उसको नेहा से दोस्ती कराने का लालच दे कर ही बुलाया है।
नेहा- भाऽऽभी! चुदवाना खुद को है और नाम मेरा लगा दिया।
सोनिया- अब यार अभी से ऐसे तो नहीं कह सकती थी न कि भाई मैं तेरे से चुदवाने के लिए बेक़रार हो रही हूँ, जल्दी आ जा।
इस बात पर सभी हंस दिए।
फिर सोनिया ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा- एक बात और है, जैसा मुझे पक्का लग रहा है कि समीर आजकल हमारी मम्मी को नंगी देख कर मुठ मारने लगा है तो आज दिन भर मैं सोच रही थी कि कहीं ऐसा न हो कि मुझे चोदने के बाद उसकी हिम्मत बढ़ जाए और उसका अगला टारगेट मम्मी बन जाए।
राजन- वो बाद की बात है यार, पहले तुम तो चुद लो उसके बाद देखेंगे कि उसके भेजे में क्या चल रहा है।
नेहा- लेकिन भैया, इस बात से मेरे दिमाग में एक खुराफात आई है।
राजन, सोनिया- क्या?
नेहा- हम तीनो बहुत दिनों से एक साथ सेक्स कर रहे हैं और सारे आसन और जुगाड़ ट्राई कर चुके हैं। बहुत दिन से कुछ अलग नहीं किया और हमारी चुदाई अब थोड़ी बोरिंग होने लगी है। समीर को आने में अभी एक महीना बाकी है। तब तक क्यों न हम कुछ नया करें?
सोनिया- क्या नया करने को बोल रही हो साफ़ साफ़ बताओ न यार?
नेहा- देखो जैसे अभी भाभी ने कहा कि उनको लग रहा है कहीं समीर उसकी मम्मी को चोदने की सोचने न लग जाए। तो क्यों न हम ऐसी ही कल्पनाओं को लेकर रोल प्ले करें।
सोनिया- तुम्हारा मतलब राजन समीर बने और तुम मेरी मम्मी और मैं तुम लोगों की चुदाई देख कर अपनी कल्पना साकार करूँ?
अब आगे…
सोनिया ने फ़ोन उठाया देखा समीर का कॉल है- हेल्लो! तुझे आज मेरी याद कैसे आ गई?
समीर- कुछ नहीं नहाने जा रहा था तो तुम्हारी याद आ गई। हा हा हा!
सोनिया- हे हे… क्या बात है दो हफ्तों में तेरे तो पर ही निकल आये?
सोनिया के मन में यह सुन कर हल्की सी गुदगुदी तो ज़रूर हुई थी कि अब समीर भी थोड़ा खुलने लगा था, इशारों में ही सही। लेकिन वो वो फ़ोन पर इशारों से आगे ज़्यादा खुलना चाहती भी नहीं थी क्योंकि फ़ोन पर एक हद से आगे आप जा नहीं सकते और फिर मामला बीच में लटक जाता है।
समीर- काश पर निकल आते तो उड़ कर अभी वहां ही आ जाता।
सोनिया- क्या बात है! नेहा से मिलने की इतनी जल्दी हो रही है क्या?
समीर- नहीं, रहने दो आप नहीं समझोगी।
सोनिया ने जान बूझ कर बात को घुमा दिया था। वो जानती थी कि समीर उसी से मिलने के लिए इतना बेक़रार हो रहा था। इस बात से वो मन ही मन खुश भी थी- और सुना, मम्मी कैसी हैं?
समीर- मस्त हैं मक्खन मलाई के जैसी!
सोनिया मन में सोचने लगी ‘ये आज इसे क्या हो गया है पहले तो कभी मम्मी के बारे में ऐसे बात नहीं की इसने?’
सोनिया- क्यों आज मम्मी को इतना मस्का क्यों मार रहा है तू?
समीर- मस्का मार नहीं रहा हूँ यार मम्मी तो खुद ही मस्का हैं।
सोनिया- कहीं तू…?
फिर मन में सोचने लगी ‘मम्मी के साथ भी वही गेम तो नहीं खेल रहा?’
समीर- अच्छा दीदी मैं चलता हूँ.
बुदबुदाते हुए ‘मम्मी नहाने चली गईं।’
और समीर ने फ़ोन रख दिया।
सोनिया को अब यकीन हो गया था कि समीर बाथरूम के छेद से मम्मी को नंगी नहाते हुए देखने जा रहा था। शायद ये पहली बार नहीं था तभी तो मम्मी को मक्खन मलाई बोल रहा था। ये सब बातें सोच कर सोनिया चिंतित भी थी और उत्तेजित भी।
शाम को जब सब खाना खाने बैठे तो सोनिया ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में उसकी समीर से क्या क्या बातें हुई हैं और वो न केवल राखी पर आने को तैयार है बल्कि शायद वो इस बात को लेकर उत्तेजित भी है।
सोनिया- इशारों इशारों में मैंने छेड़ा कि अब वो मुझे बाथरूम में नहाते हुए नहीं देख पाता होगा। पहले तो वो थोड़ा झिझक गया था लेकिन आज तो उसने जो कहा उससे साफ़ समझ आता है कि न केवल वो मुझे फिर से नंगी देखना चाहता है बल्कि शायद उसने मम्मी को नहाते हुए देखना शुरू कर दिया है।
नेहा- भाभी, मेरे ख्याल से तो आप पक्का चुदने वाली हो इस बार राखी पर अपने भाई से।
राजन- लेकिन मेरे प्लान के हिसाब से तो सोनिया के पहले तुमको उससे चुदवाना पड़ेगा।
नेहा- क्यों शुरुआत मुझसे क्यों?
राजन- देखो तुम उस से चुदोगी तो वो तुमसे अपने दिल की बात खुल कर करने लगेगा और फिर तुम आसानी से ये पता कर पाओगी कि वो बहन चोद बनने के लिए कितना तैयार है और फिर उस हिसाब से हम आगे की प्लानिंग आसानी से कर पाएंगे।
नेहा- बात तो आप सही कह रहे हो।
सोनिया- हाँ वैसे भी मैंने उसको नेहा से दोस्ती कराने का लालच दे कर ही बुलाया है।
नेहा- भाऽऽभी! चुदवाना खुद को है और नाम मेरा लगा दिया।
सोनिया- अब यार अभी से ऐसे तो नहीं कह सकती थी न कि भाई मैं तेरे से चुदवाने के लिए बेक़रार हो रही हूँ, जल्दी आ जा।
इस बात पर सभी हंस दिए।
फिर सोनिया ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा- एक बात और है, जैसा मुझे पक्का लग रहा है कि समीर आजकल हमारी मम्मी को नंगी देख कर मुठ मारने लगा है तो आज दिन भर मैं सोच रही थी कि कहीं ऐसा न हो कि मुझे चोदने के बाद उसकी हिम्मत बढ़ जाए और उसका अगला टारगेट मम्मी बन जाए।
राजन- वो बाद की बात है यार, पहले तुम तो चुद लो उसके बाद देखेंगे कि उसके भेजे में क्या चल रहा है।
नेहा- लेकिन भैया, इस बात से मेरे दिमाग में एक खुराफात आई है।
राजन, सोनिया- क्या?
नेहा- हम तीनो बहुत दिनों से एक साथ सेक्स कर रहे हैं और सारे आसन और जुगाड़ ट्राई कर चुके हैं। बहुत दिन से कुछ अलग नहीं किया और हमारी चुदाई अब थोड़ी बोरिंग होने लगी है। समीर को आने में अभी एक महीना बाकी है। तब तक क्यों न हम कुछ नया करें?
सोनिया- क्या नया करने को बोल रही हो साफ़ साफ़ बताओ न यार?
नेहा- देखो जैसे अभी भाभी ने कहा कि उनको लग रहा है कहीं समीर उसकी मम्मी को चोदने की सोचने न लग जाए। तो क्यों न हम ऐसी ही कल्पनाओं को लेकर रोल प्ले करें।
सोनिया- तुम्हारा मतलब राजन समीर बने और तुम मेरी मम्मी और मैं तुम लोगों की चुदाई देख कर अपनी कल्पना साकार करूँ?