Hindi Adult Kahani कामाग्नि - Page 6 - SexBaba
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Hindi Adult Kahani कामाग्नि

अब तक आपने पढ़ा कि कैसे पत्नी अपने भाई से चुदवाने के सपने देख रही थी इन सब से घर मे चुदाई का माहौल और भी गर्म हो गया था। ऐसे में एक दिन समीर ने सोनिया को कॉल किया।
अब आगे…

सोनिया ने फ़ोन उठाया देखा समीर का कॉल है- हेल्लो! तुझे आज मेरी याद कैसे आ गई?
समीर- कुछ नहीं नहाने जा रहा था तो तुम्हारी याद आ गई। हा हा हा!
सोनिया- हे हे… क्या बात है दो हफ्तों में तेरे तो पर ही निकल आये?

सोनिया के मन में यह सुन कर हल्की सी गुदगुदी तो ज़रूर हुई थी कि अब समीर भी थोड़ा खुलने लगा था, इशारों में ही सही। लेकिन वो वो फ़ोन पर इशारों से आगे ज़्यादा खुलना चाहती भी नहीं थी क्योंकि फ़ोन पर एक हद से आगे आप जा नहीं सकते और फिर मामला बीच में लटक जाता है।

समीर- काश पर निकल आते तो उड़ कर अभी वहां ही आ जाता।
सोनिया- क्या बात है! नेहा से मिलने की इतनी जल्दी हो रही है क्या?
समीर- नहीं, रहने दो आप नहीं समझोगी।


सोनिया ने जान बूझ कर बात को घुमा दिया था। वो जानती थी कि समीर उसी से मिलने के लिए इतना बेक़रार हो रहा था। इस बात से वो मन ही मन खुश भी थी- और सुना, मम्मी कैसी हैं?
समीर- मस्त हैं मक्खन मलाई के जैसी!
सोनिया मन में सोचने लगी ‘ये आज इसे क्या हो गया है पहले तो कभी मम्मी के बारे में ऐसे बात नहीं की इसने?’

सोनिया- क्यों आज मम्मी को इतना मस्का क्यों मार रहा है तू?
समीर- मस्का मार नहीं रहा हूँ यार मम्मी तो खुद ही मस्का हैं।
सोनिया- कहीं तू…?
फिर मन में सोचने लगी ‘मम्मी के साथ भी वही गेम तो नहीं खेल रहा?’

समीर- अच्छा दीदी मैं चलता हूँ.
बुदबुदाते हुए ‘मम्मी नहाने चली गईं।’
और समीर ने फ़ोन रख दिया।

सोनिया को अब यकीन हो गया था कि समीर बाथरूम के छेद से मम्मी को नंगी नहाते हुए देखने जा रहा था। शायद ये पहली बार नहीं था तभी तो मम्मी को मक्खन मलाई बोल रहा था। ये सब बातें सोच कर सोनिया चिंतित भी थी और उत्तेजित भी।

शाम को जब सब खाना खाने बैठे तो सोनिया ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में उसकी समीर से क्या क्या बातें हुई हैं और वो न केवल राखी पर आने को तैयार है बल्कि शायद वो इस बात को लेकर उत्तेजित भी है।

सोनिया- इशारों इशारों में मैंने छेड़ा कि अब वो मुझे बाथरूम में नहाते हुए नहीं देख पाता होगा। पहले तो वो थोड़ा झिझक गया था लेकिन आज तो उसने जो कहा उससे साफ़ समझ आता है कि न केवल वो मुझे फिर से नंगी देखना चाहता है बल्कि शायद उसने मम्मी को नहाते हुए देखना शुरू कर दिया है।
नेहा- भाभी, मेरे ख्याल से तो आप पक्का चुदने वाली हो इस बार राखी पर अपने भाई से।

राजन- लेकिन मेरे प्लान के हिसाब से तो सोनिया के पहले तुमको उससे चुदवाना पड़ेगा।
नेहा- क्यों शुरुआत मुझसे क्यों?
राजन- देखो तुम उस से चुदोगी तो वो तुमसे अपने दिल की बात खुल कर करने लगेगा और फिर तुम आसानी से ये पता कर पाओगी कि वो बहन चोद बनने के लिए कितना तैयार है और फिर उस हिसाब से हम आगे की प्लानिंग आसानी से कर पाएंगे।
नेहा- बात तो आप सही कह रहे हो।
सोनिया- हाँ वैसे भी मैंने उसको नेहा से दोस्ती कराने का लालच दे कर ही बुलाया है।
नेहा- भाऽऽभी! चुदवाना खुद को है और नाम मेरा लगा दिया।
सोनिया- अब यार अभी से ऐसे तो नहीं कह सकती थी न कि भाई मैं तेरे से चुदवाने के लिए बेक़रार हो रही हूँ, जल्दी आ जा।
इस बात पर सभी हंस दिए।

फिर सोनिया ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा- एक बात और है, जैसा मुझे पक्का लग रहा है कि समीर आजकल हमारी मम्मी को नंगी देख कर मुठ मारने लगा है तो आज दिन भर मैं सोच रही थी कि कहीं ऐसा न हो कि मुझे चोदने के बाद उसकी हिम्मत बढ़ जाए और उसका अगला टारगेट मम्मी बन जाए।
राजन- वो बाद की बात है यार, पहले तुम तो चुद लो उसके बाद देखेंगे कि उसके भेजे में क्या चल रहा है।

नेहा- लेकिन भैया, इस बात से मेरे दिमाग में एक खुराफात आई है।
राजन, सोनिया- क्या?
नेहा- हम तीनो बहुत दिनों से एक साथ सेक्स कर रहे हैं और सारे आसन और जुगाड़ ट्राई कर चुके हैं। बहुत दिन से कुछ अलग नहीं किया और हमारी चुदाई अब थोड़ी बोरिंग होने लगी है। समीर को आने में अभी एक महीना बाकी है। तब तक क्यों न हम कुछ नया करें?
सोनिया- क्या नया करने को बोल रही हो साफ़ साफ़ बताओ न यार?
नेहा- देखो जैसे अभी भाभी ने कहा कि उनको लग रहा है कहीं समीर उसकी मम्मी को चोदने की सोचने न लग जाए। तो क्यों न हम ऐसी ही कल्पनाओं को लेकर रोल प्ले करें।
सोनिया- तुम्हारा मतलब राजन समीर बने और तुम मेरी मम्मी और मैं तुम लोगों की चुदाई देख कर अपनी कल्पना साकार करूँ?
 
नेहा- नहीं! मेरा मतलब भैया समीर बने, मैं सोनिया, और आप समीर की मम्मी। उसके बाद हम कोशिश करेंगे कि आपको समीर से चुदवा दें।
राजन- क्या बात है… ये कुछ नया आईडिया है। सच में रोज़ रोज़ एक जैसी चुदाई थोड़ी बोरिंग हो गई थी। चलो आज यही रोल प्ले करते हैं।

नेहा- देखो! समीर (राजन) और सोनिया (नेहा) अंदर कमरे में चुदाई कर रहे होंगे तभी समीर की मम्मी (सोनिया) आकर देखेगी और उन पर गुस्सा होकर चिल्लाने लगेगी। और फिर जैसे तैसे दोनों भाई बहन शीतल को भी अपने खेल में शामिल कर लेंगे।

सोनिया- ठीक है! समीर (राजन), तुम बैडरूम में जा कर अपनी बहन चोदो। मैं कपडे पहन कर आती हूँ। तुम दोनों का तो नंगे रहने का ही रोल है। लेकिन शीतल को तो कपडे पहन कर आना पड़ेगा न।

समीर (राजन) और सोनिया (नेहा) अंदर कमरे बेड पर एक दूसरे से लिपट कर लेट गए और चूमा चाटी करने लगे। सोनिया, नेहा के कमरे में जा कर साड़ी पहन कर शीतल के रोल के लिए तैयार होने लगी।
15 मिनट बाद जब वो शीतल के रूप में बैडरूम में पहुंची तो समीर और सोनिया डॉगी स्टाइल में चुदाई कर रहे थे और दोनों के चेहरे दरवाज़े की और ही थे।

जैसे ही शीतल न दरवाज़ा खोला… गुस्से में चिल्लाते हुए- हे भगवान! ये हो क्या रहा है? तूझे ज़रा भी शर्म नहीं आई समीर, अपनी सगी बहन के साथ ये सब करते हुए। और सोनिया तू तो बड़ी है तूझे भी इसको रोकते नही बना?
सोनिया- अरे यार समीर, तू क्यों रुक गया? तू चालू रख मैं बात करती हूँ मम्मी से।

यह सुन कर शीतल तो सकते में आ गई। उसने सोचा भी नहीं था कि उसे ऐसा कुछ सुनने को मिलेगा। समीर ने सोनिया की बात मानते हुए वापस चोदना शुरू कर दिया। सोनिया ने आँखें बंद कीं और मम्मी को हाथ से एक मिनट रुकने का इशारा किया जैसे वो वापस अपने सुरूर में आने की कोशिश कर रही हो।
थोड़ी देर रुक कर उसने आँखें खोलीं और बोली- देखो मम्मी, पहली बात तो मैं अभी बहस करने के बिल्कुल मूड में नहीं हूँ लेकिन एक बात बता देती हूँ कि ये सब करने के लिए मैंने ही समीर को उकसाया था।

“समीर! और तेज़ चोद!”
समीर ने रफ़्तार बढ़ा दी। सोनिया की आँखें फिर बंद हो गईं और माथे पर बल पड़ गए जैसे उसे कोई तीव्र अनुभूति हो रही हो। उसी अवस्था में वो फिर बोली- आपकी जनरेशन की यही प्रॉब्लम है। आप लाइफ को एन्जॉय करना जानते ही नहीं हो। सोचो आप कभी ऐसे झड़े हो जैसे मैं झड़ रही हूँऽऽऽ अह… ओह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… फऽऽ… क…

राजन और नेहा भले ही रोल प्ले कर रहे हों लेकिन रोल में असली अनुभव डालने के लिए उन्होंने यह मान लिया था कि वे यह सब अपनी शीतल शर्मीला के सामने कर रहे हैं। ऐसा करने की वजह से वो इतने उत्तेजित हो गए थे कि दोनों सच में बहुत जल्दी और बहुत ज़ोर से झड़ गये थे।

सोनिया (नेहा) एक झटके से आगे झुकी जिससे समीर (राजन) का झड़ा हुआ लंड सटाक से उसकी चूत से बाहर आ गया। सोनिया उछल कर बेड से उतरी और अपनी शीतल शीतल के सामने खड़ी हो गई।
शीतल अभी तक जो हुआ, उसके सदमे से बाहर नहीं आ पाई थी। इस बात का फायदा उठाते हुए सोनिया ने शीतल को अपनी बॉहों में लिया और उसके होंठों को चूसने लगी।

शीतल ने ऐसी किसी बात की सपने में भी अपेक्षा नहीं की थी। इस से पहले कि वो कुछ कर पाती, उसने वो अनुभव किया जो उसके जीवन मे पहली बार हुआ था। उसके पति ने कभी उसके होंठों को ऐसे नहीं चूसा था। उसके अंदर की शीतल तो पूरी तरह जड़वत खड़ी थी क्योंकि सब कुछ न केवल उसकी अपेक्षा से बिल्कुल परे हो रहा था बल्कि इतना जल्दी हो रहा था कि उसे कुछ सोच कर प्रतिक्रिया करने का समय ही नहीं मिल पा रहा था।

दूसरी ओर उसके अंदर की औरत को ये स्वर्गिक अनुभूति पहली बार हो रही थी। वो किंकर्तव्यविमूढ़ सी इस वासना की धारा में बहने लगी।

सोनिया ने इसी बीच अपनी दो उंगलियां अपनी चूत में डाल रखीं थीं। उसने अपना चुम्बन तोड़ा और वो दो उंगलियां अपनी शीतल को चटा दीं।

सोनिया- टेस्ट द न्यू जेनरेशन सेक्स! ( नए ज़माने के कामरस का स्वाद चखो)

शीतल ने आंखें बंद कर लीं। उसके अंदर की संस्कारी औरत ये सब होते देख नहीं सकती थी और जो दूसरी औरत थी वो इस नए स्वाद का पूर्ण आनन्द लेना चाहती थी। यही समय था जब सोनिया और समीर ने मिलकर उसके सारे कपड़े निकाल दिये।

जब शीतल ने आँखें खोलीं तो उसके सामने उसके बेटे का वीर्य और चूत के रस में सना लंड था। ये वही रस था जिसका स्वाद वो अभी आँखें बंद करके ले रही थी। आखिर काम की प्यासी औरत की जीत हुई और उसने अपने बेटे का लंड अपने मुँह में भर लिया और उसे ताबड़तोड़ चूसने लगी। जल्दी ही लंड खड़ा भी हुआ और उसे अपनी शीतल की चूत का प्रसाद भी मिला।
वैसे तो ये सब रोलप्ले था लेकिन जब भी कोई रोलप्ले पूरी शिद्दत के साथ किया जाता है तो सारी कायनात उसे सच बनाने की कोशिश में लग जाती है।
राजन, नेहा और सोनिया के रोलप्ले ऐसे ही चलते रहे जब तक समीर के आने का दिन नहीं आ गया।

पर दोस्तो राजन और सोनिया को यह नही मालूम था कि समीर अपनी माँ शीतल को चोद चुका है और अब भी रोज चोद रहा है वह मादरचोद तो बन ही गया था अब उसे बहन चोद बनना बाकी था
और फिर…
 
अब तक आपने पढ़ा कि योजना के अनुसार सबसे पहले नेहा समीर से चुदवाने वाली थी। सोनिया और समीर फ़ोन पर इशारों इशारों में काफी सेक्सी बातें करने लगे थे और सोनिया को समझ आ गया था कि समीर अपनी मम्मी को नंगे नहाते हुए देख रहा था। इसी बात से प्रेरित होकर राजन, सोनिया और नेहा ने एक रोल प्ले किया था। समीर के आने तक ऐसे ही दिन काटते रहे।
अब आगे…

अगले दिन समीर आने वाला था और कम से कम कुछ दिनों के लिए घर का माहौल बदलने वाला था। अब न तो कोई सारा समय नंगे रह पाएगा और न ही जब मनचाहे ढंग से चुदाई हो पाएगी। राजन, नेहा और सोनिया ने आपस में सलाह करके पूरी योजना तैयार कर ली और फिर सारी रात जम के चुदाई की ताकि अगले आने वाले कुछ दिनों में खुद पर नियंत्रण रखना आसान हो जाए
खास तौर पर राजन ने सबसे ज़्यादा नेहा को चोदा क्योंकि सोनिया तो फिर भी मिल सकती थी लेकिन समीर के रहते नेहा की चूत मिलना थोड़ा मुश्किल होता।

देर रात तक तरह तरह से चोदने के बाद आखिर सब थक गए।
राजन- अब नहीं होगा मुझसे, बहुत थक गया हूँ।
सोनिया- तीन बार अपनी बहन चोद चुके हो और दो बार मुझे। आदमी हो कोई खरगोश नहीं कि बस चुदाई ही करते रहो।
नेहा- हाँ, और ऐसा भी नहीं कि अब मैं कभी मिलने वाली नहीं हूँ। भाभी को तो रात में चोद ही सकते हो और मैं भी 4-6 दिन में मिल ही जाऊँगी। तब तो भाभी सारा टाइम अपने भाई से ही चुदवाने वाली हैं तो आपको मेरी ही चूत नसीब होगी।
सोनिया- तेरे मुँह में घी-शक्कर!
और इतना कह कर सोनिया ने ने नेहा को चूम लिया। इस बात पर सब हंसने लगे और फिर सब सो गए।

अगला दिन एक नया सवेरा ले कर आने वाला था।
सुबह उठने के बाद सबने फ्रेश होकर नाश्ता किया और फिर तीनों ने गोला बना कर एक साथ एक दूसरे को गले लगाया (जैसा फुटबॉल के खिलाड़ी अक्सर करते हैं)। उन्होंने वादा किया कि वो पूरी कोशिश करेंगे कि अगली बार जब वो इस तरह गले मिलें तो समीर भी उनके साथ हो।

उसके बाद राजन तैयार होकर क्लीनिक चला गया। नेहा ने आज कॉलेज से बंक मार दी क्योंकि वो अपनी भाभी के साथ समीर को लेने स्टेशन जाने वाली थी।


दोनों ने मिल कर घर सजाया, जो कुशन और गद्दे, सेक्स की सहूलियत के लिए इधर उधर बिखरे पड़े थे उनको अपनी जगह पर रखा गया। सहूलियत के लिए जो 1-2 कंडोम के डब्बे हर कमरे में पड़े हुए थे, उनको वापस छिपा कर रख दिया गया। टीवी के पास जो चुदाई के वीडियो की सीडी/डीवीडी का ढेर था, उसे भी छिपा कर उसकी जगह बॉलीवुड के सेक्सी गीतों और फिल्मों की डीवीडी रख दी गईं।

तब तक ट्रेन के आने का समय भी होने लगा था तो दोनों ननद-भौजाई जल्दी से तैयार होकर रेलवे स्टेशन की तरफ चल दीं। कार सोनिया चला रही थी और नेहा उसके मज़े ले रही थी।
नेहा- क्या भाभी, बड़ी जल्दी हो रही है अपने भाई से मिलने की। आपको देख कर तो ऐसा लग रहा है कि आपसे सब्र नहीं होना। मुझे तो लगता है वहीं स्टेशन पर ही कोई रूम बुक करवाना पड़ेगा आप दोनों के लिए।
सोनिया- रहने दे… रहने दे। खुद के मन में लड्डू फूट रहे हैं, मुझे बोल रही है।
नेहा- मेरे मन में क्यों लड्डू फूटेंगे?
सोनिया- पहले तो तू ही चुदवाने वाली है न उस से। नए लंड के बारे में सोच सोच के चूत में गुदगुदी हो रही होगी इसलिए मेरा नाम ले ले कर ये सब बोल रही है।
नेहा- भाभी आप भी न… बड़ी वो हो।

इतने में स्टेशन आ गया और गाड़ी पार्क कर के दोनों गेट की तरफ बढ़ गईं।

थोड़ी ही देर में समीर आता हुआ दिखाई दिया। उसने अपना हाथ लहरा के इशारा किया इधर सोनिया ने भी अपना हाथ हवा में हिला कर हेलो वाला इशारा किया। नेहा ने पहली बार उसे इस नज़र से देखा था, वो मंत्रमुग्ध सी देखती ही रह गई।
शादी में तो वो इतना व्यस्त था कि खुद कैसा दिख रहा है उसका होश ही नहीं था। बहन की शादी में भाई के पास कहाँ समय होता है सजने धजने का।

जैसे ही वो पास आया, सोनिया ने उसे गले से लगा लिया, शादी के पहले उसने कभी ऐसा नहीं किया था। एक तो शादी के पहले लड़कियां होती ही हैं थोड़ी रिज़र्व टाइप की और ऊपर से इनके बीच जिस तरह का आकर्षण था, उसके चलते सोनिया को लगता था कि अगर वो समीर के ज़्यादा पास गई तो कहीं कुछ कर न बैठे। लेकिन आज न उसे कोई झिझक थी न कोई डर, इसलिए वो दिल खोल कर अपने भाई से गले मिल रही थी।
 
समीर की तो हालत ख़राब हो गई थी, जिस बहन को वो छिप छिप कर नंगी देखा करता था, आज वो उसकी बांहों में थी। उसके वो कोमल उरोज जिनको वो हमेशा छूना चाहता था, वो आज उसकी छाती से चिपके हुए थे। उसने भी सोनिया को अपनी बाँहों में जकड़ लिया था। दिल तो किया कि हथेलियों को पीठ से नीचे सरका कर नितम्बों को सहला दे लेकिन उसके हाथ कमर से आगे न जा पाए। हिम्मत ही नहीं हुई बावजूद इसके कि फ़ोन पर दोनों बहुत खुल गए थे, असली में जब सामने आते हैं तो बात कुछ और हो जाती हैं।

इनको देख कर नेहा भी बड़ी उत्तेजित हो गई थी, उसे लगा अब उसकी बारी है तो जैसे ही समीर सोनिया से अलग हुआ और सोनिया ने कहा- ये मेरी ननद नेहा!
समीर ने हाथ मिलाने के लिए हाथ बढ़ाया और नेहा ने गले मिलने के लिए दोनों हाथ। फिर अचानक से समीर का हाथ देख कर उसे होश आया और उसने भी हाथ मिला लिया।
इस बात से सोनिया को बड़ी हंसी आई लेकिन उसने हंसी छिपा ली।
लेकिन सारे रास्ते जब भी उसकी नज़रें नेहा से मिलतीं वो मुस्कुरा देती और नेहा मन मसोस कर रह जाती।

रास्ते भर इधर उधर की बातें होती रहीं जैसे घर पर सब कैसे हैं वगैरा वगैरा।

घर पहुंच कर सोनिया ने समीर को कहा कि वो नहा ले फिर सब खाना खा लेंगे।
समीर- नहाने के लिए ही तो आया हूँ मैं यहाँ।
सोनिया ने एक बड़ी सी मुस्कराहट के साथ उसे बाथरूम का दरवाज़ा दिखाया और किचन में चली गई।

समीर ने देखा वो काफी बड़ा बाथरूम था। आम घरों में जितने बड़े साधारण कमरे होते हैं उतना बड़ा। दरवाज़ा उसके एक कोने में था। दरवाज़े के ठीक सामने वाले कोने में पर्दा लगा हुआ था जिसके पीछे एक बड़ा सा तिकोना बाथ टब था। उसके सामने के कोने में चमचमाता हुआ हाई-टेक कमोड था। इन दोनों के सामने और दरवाज़े से लगी हुई दीवार पर एक बड़ा पूरी दीवार के साइज का दर्पण था और एक बड़ा सिंक जो ग्रेनाइट के प्लेटफॉर्म में फिट था।

बाथ टब का बाहरी हिस्सा गोल था (पिज़्ज़ा के बड़े टुकड़े जैसा)। उसके अंदर ३ कोनों पर बैठने की जगह दी हुई थी लेकिन जितना बड़ा वो था उसमें 4-5 लोग आराम से बैठ सकते थे। अंदर तरह तरह की लाइट्स और शॉवर्स लगे हुए थे जिनकी सेटिंग के लिए एक पैनल भी था। इसके चारों ओर फाइबर का पारदर्शी गोल कवर था जो आधा स्लाइड हो कर दरवाज़े का काम करता था और इसके चारों ओर एक सुन्दर पर्दा लगा हुआ था ताकि अगर कोई टॉयलेट या सिंक का प्रयोग करना चाहे तो नहाने वाले को न देख सके।

ये सब देख कर समीर के मुँह से अपने आप ‘वाओ’ निकल गया। वो नहाते नहाते सोचने लगा कि दीदी की तो ऐश है। लेकिन एक बात उसे दुखी कर रही थी कि यहाँ अगर वो बाथरूम के दरवाज़े में छेद कर भी ले तो पता नहीं सोनिया को नहाते हुए देख पाएगा या नहीं क्योंकि अंदर एक पर्दा और भी था।

आखिर उसने उन सब नए नए उपकरणों के साथ छेड़खानी करते हुए सारी सेटिंग्स आज़मा कर देखीं और बहुत देर तक नहाने के बाद जब वो बाथरूम से बहार निकला तो नेहा वहीं सामने खड़ी थी।
नेहा गुस्से में- क्या यार नहाने के लिए दरवाज़ा बंद करने की क्या जरूरत थी।
इतना कह के वो अंदर चली गई और दरवाज़ा बंद कर लिया।

समीर कुछ समझ नहीं पाया कि हुआ क्या था। वो किचन में सोनिया के पास गया और जब उसने पूछा कि ये सब क्या था तब सोनिया ने उसे समझाया।
सोनिया- देखो, बाथ टब के चारों तरफ तो परदा है न… तो नहाने के लिए दरवाज़ा बंद नहीं करते ताकि किसी को टॉयलेट या सिंक यूज़ करना को तो कर सके। बेचारी नेहा को कब से पेशाब आ रही थी लेकिन तुम्हारे चक्कर में रोक कर खड़ी थी। इसलिए गुस्सा हो रही थी। अब समझे?
समीर- और किसी ने पर्दा हटा दिया तो?
इतना कह कर समीर ने धीरे से आंख मार दी।
सोनिया- तो पर्दा हटाने वाला भी तो दिखाई देगा न।
सोनिया ने एक शैतानी सी मुस्कराहट बिखेरते हुए कहा।

खाना तैयार था सब जा कर खाने के टेबल पर बैठ गए और खाना खाने लगे।
 
समीर- माफ़ करना नेहा, मेरे कारण तुमको तकलीफ उठानी पड़ी। मुझे पता नहीं था कि यहाँ का क्या सिस्टम है।
नेहा- कोई बात नहीं यार, वो तो उस समय मुझे ज़ोर की लगी थी इसलिए गुस्से में बोल दिया था लेकिन तुम दिल पर मत लेना। ठीक है?
समीर मन में ‘दिल पर लेना ही होगा तो तेरे इन दोनों चाँद के टुकड़ों को लूँगा न जानेमन।’

खाना खाने के बाद तीनों मिल कर गप्पें लड़ने लगे। चुटकुले-कहानियां चल रहे थे कि तभी बातों बातों में नेहा ने कहा- पता है भाभी, कल मेरे कॉलेज में हॉस्टल की लड़कियों ने एक जोक सुनाया। एक हॉस्टल में सुबह 6 से 7 का समय जिम का था और अक्सर लड़कियां उस टाइम में साइकिल चलाती थीं।
एक दिन 7 बजे एक लड़की हांफती हुई जिम वाली मैडम के पास आई और बोली- मैडम दस मिनट और साइकिल चला लूँ?
मैडम बोली- ठीक है, लेकिन आगे से ध्यान रखना सात बजे के बाद नहीं।
लेकिन कोई न कोई लड़की रोज़ ऐसा पूछती थी।
एक दिन गुस्से में मैडम चिल्लाई- आज के बाद किसी से एक मिनट भी ज़्यादा समय लगा तो सबकी साइकिल में सीट लगवा दूँगी.

इतना सुनते ही सोनिया ज़ोर से हंसी और नेहा के हाथ से हाथ टकरा कर हाय किया। दोनों पेट पकड़ कर हंस रहीं थीं और समीर के कुछ पल्ले नहीं पड़ रहा था।
आखिर उस से रहा नहीं गया और उसने पूछ लिया कि इसका क्या मतलब हुआ?
सोनिया- अरे मेरे लल्लू… साइकिल में सीट नहीं होगी तो क्या होगा? डंडा ! अब समझ आया?
समीर- ओह्ह तो ये बात थी। अब यार मुझे यह उम्मीद नहीं थी कि नेहा ऐसा जोक सुना सकती है। और लल्लू किसको बोला? आप इतने ही चालू हो तो ये सवाल का जवाब दो?
तीन लड़कियां कुल्फी खा रहीं हैं। एक पिघला के खा रही है एक चूस के खा रही है और एक काट के खा रही है तो तीनों में से कौन शादीशुदा है?
बताओ?
सोनिया- सिंपल है यार जो चूस के (आँख मारते हुए) खा रही है वो शादीशुदा है।
नेहा- वैसे तो भाभी, चूस के खाने वाली भी कोई ज़रूरी नहीं है कि शादीशुदा ही हो. लेकिन क्या है न कि अपने समीर को उससे ऐसी ‘उम्मीद’ नहीं होगी। हा हा हा…

दोनों फिर पेट पाकर कर ज़ोर ज़ोर से हंसने लगीं। समीर का तो पोपट हो गया था लेकिन वो न केवल अब उन दोनों से साथ ज़्यादा खुल गया था सोनिया से तो उसे कोई खास उम्मीद नहीं थी क्योंकि वो दीदी थी लेकिन अब उसका मन होने लगा था कि अगर मौका मिले तो वो नेहा को चोद दे। लेकिन अब तक की बातों से तो कोई भी समझ सकता है कि दुनिया समीर की ‘उम्मीदों’ से कहीं आगे जा चुकी है। ओर समीर भी समझ चुका था कि नेहा पहले ही खाई खेली है उसकी बातों से यह जाहिर हो चुका था उसे लगा उसका काम जल्द बनेगा वह अपनी माँ शीतल को बहुत मिस कर रहा था देखते है आगे क्या होगा।

दोस्तो, आपको यह भाई-बहन और उसकी ननद की मस्ती भरी कहानी कैसी लगी आप मुझे ज़रूर बताइयेगा।
 
अब तक आपने पढ़ा कि राजन, सोनिया और नेहा ने समीर को अपनी पारिवारिक चुदाई के खेल में शामिल करने की पूरी योजना बना ली थी। तैयारी भी पूरी थी और समीर आते ही सबके साथ घुल मिल भी गया था।
अब आगे…

यूँ ही चुहलबाज़ी करते हुए दिन कब बीत गया पता ही नहीं चला। शाम को जब राजन वापस आया तो तीनों सोफे पर बैठे सनी लिओनी की जिस्म-2 देख रहे थे। समीर बीच में बैठा था और उसने अपनी दोनों बाँहें सोनिया और नेहा के गले में डाल रखीं थीं। अपनी उंगलियों से वो उनके कंधे सहला रहा था। राजन को ये देख कर ख़ुशी हुई कि समीर जल्दी ही इतना घुल मिल गया था। उसने सोचा, चलो अच्छा है, अब आगे ज़्यादा दिक्कत नहीं होगी। लेकिन समीर ने जैसे ही देखा कि जीजाजी आ गए हैं उसने अपने दोनों हाथ झट से हटा लिए।

राजन- अरे इतना टेंशन न ले यार, इस घर में हम शर्म लिहाज़ नाम का जीव पालते ही नहीं हैं। हा हा हा…
नेहा- हाँ भैया, यही बात हम इसको दिन भर से सिखा रहे हैं लेकिन ये पता नहीं कहाँ कहाँ की तहजीब और अपेक्षाएं पाल कर बैठा है।
समीर- अच्छा बाबा गलती हो गई। अब यार, हमारे घर में हमारे माँ-बाप ने जैसा माहौल बना कर रखा था वैसा ही सीख गए।

राजन- यार, माहौल तो हमारे घर भी वही था लेकिन अब हम माँ-बाप से दूर यहाँ अकेले रह रहे हैं, तो अब तो खुल कर रह ही सकते हैं न। इसीलिए यहाँ तो सब खुलेआम होता है। तुमको कोई समस्या हो तो बता देना, हम वैसा एडजस्ट कर लेंगे।
समीर- अरे नहीं नहीं, मुझे तो अच्छा लग रहा है। ज़्यादा सोचने की ज़रुरत नहीं पड़ रही। जैसे नदी की धारा में बहते चले जा रहा हूँ।
नेहा- क्या बात है, समीर तो एक ही दिन में कवि बन गया।

ऐसे ही बातों बातों में समय कब निकल गया पता ही नहीं चला। सबने खाना भी खा लिया और नेहा ने घोषणा भी कर दी कि वो सोने जा रही है।


सोनिया- तू हमारे कमरे में ही सो जा, समीर और राजन तेरे कमरे में सो जाएंगे।
समीर- अरे दीदी, रहने दो मैं यहीं सोफे पर सो जाऊंगा।
नेहा- भाभी! भैया को क्यों वनवास दे रही हो। मुझे कोई दिक्कत नहीं है समीर चाहे तो मेरे कमरे में ही सो सकता है।
सोनिया- समीर, तुम नेहा के कमरे में जाओ। राजन को जहाँ सोना होगा वो अपने हिसाब से देख लेगा। दोनों ही बेड काफी बड़े हैं।

सोनिया ने हाथ पकड़ कर नेहा को अपने साथ ले जाते हुए धीरे से कहा- समीर अभी इतना बोल्ड भी नहीं हुआ है। वो तुम्हारे साथ सोने को तैयार नहीं होगा और यहीं सो जाएगा फिर हमको प्लान आगे बढ़ाना और मुश्किल होगा।
नेहा- हम्म… ठीक है अभी आपके साथ ही चलती हूँ, फिर बाद में देखेंगे।

सोनिया और नेहा बैडरूम में चले गए। उधर राजन बाथरूम से हाथ-मुँह धो कर वापस आया तो समीर नेहा के रूम में जा रहा था।

राजन- अच्छा तुम नेहा के रूम में सोने जा रहे हो?
समीर- हाँ, नेहा दीदी के साथ सोने गई है।
राजन- ओह्ह तो मुझे तुम्हारे साथ सोना है।
समीर- अरे नहीं आप चाहो तो नेहा को वापस भेज दो, मैंने तो कहा था मैं सोफे पर सो जाऊंगा।
राजन- अरे नहीं नहीं… ऐसा कैसे? तुम आराम से बेड पर ही सोओ मैं देख लूँगा जो भी होगा।

राजन के ज़ोर देने पर समीर नेहा के बेड पर ही सो गया। ये डबल-बेड ज़रूर था लेकिन उतना बड़ा भी नहीं जितना बैडरूम वाला बेड था। राजन भी दूसरा कोना पकड़ कर लेट गया। कुछ देर तक दोनों ने इधर उधर की बातें कीं और फिर सो गए। समीर को तो अभी नींद नहीं आ रही थी। एक तो वो अपने घर से बाहर कम ही जाता था तो किसी नई जगह पर नींद मुश्किल से ही आती थी, उस पर आज दिन भर में जो कुछ भी हुआ था वो सब उसके दिमाग में घूम रहा था.
अधिकतर वो नेहा के बारे में ही सोच रहा था ‘नेहा कितनी चालू लड़की है न, दीदी भी इतनी बोल्ड होतीं तो पता नहीं शायद हमारे बीच कुछ हो गया होता। जीजाजी बोल रहे थे कि वो कोई लिहाज़ नहीं मानते, कहीं सच में उनका कोई चक्कर तो नहीं हो नेहा के साथ? जैसे मैं अपनी माँ को चोदता हु कही राजन भी अपनी बहन कोतो नहीं चोदता जिस तरह नेहा का शरीर भरा है उससे तो लगता है बहुत खेली खाई होगी अगर ऐसा हो तो मुझे भी नई चुत मिलेगी दिदी का तो पता नही लेकिन नेहा का मेरे साथ तो चक्कर चल ही सकता है। इसमें तो कोई बुराई नहीं है।’

समीर इसी सब सोच में डूबा हुआ था कि उसने देखा की राजन धीरे से उठा और कमरे से बहार चला गया। पहले तो उसे लगा कि शायद पेशाब करने गए होंगे लेकिन जब कुछ देर तक कोई हलचल नहीं हुई तो वो समझ गया कि जीजाजी बैडरूम में चले गए हैं। समीर फिर सोच में पड़ गया कि कहीं उसका शक सही तो नहीं था। कहीं जीजाजी और नेहा… अरे नहीं, वो तो दीदी के लिए गए होंगे। लेकिन नेहा भी तो वहीं है, तो क्या जीजाजी अपनी बहन के सामने ही दीदी के साथ वो सब करने लग जाएंगे?
 
समीर की उधेड़बुन अभी ख़त्म भी नहीं हुई थी कि उसने किसी को कमरे में आते देखा। लेकिन ये तो साफ़ था की वो उसके जीजाजी नहीं थे। समीर की उलझन तुरंत दूर हो गई जैसे ही नेहा बेड पर आ कर बैठी। उसने एक लम्बा टी-शर्ट पहना हुआ था जिसके नीचे कुछ भी नहीं था। शायद पैंटी होगी लेकिन वो दिख नहीं रही थी क्योंकि वो टी-शर्ट इतना लम्बा था कि घुटनो से थोड़ा ही ऊपर तक आ रहा था।

समीर- क्या हुआ नेहा तुम यहाँ?
नेहा लेटते हुए- हाँ यार मुझे तो पहले ही पता था कि भैया, भाभी की बिना नहीं रह पाएंगे।
समीर- तो मैं बाहर चला जाता हूँ सोफे पर!
नेहा- मैं क्या तुमको ड्रैक्युला जैसी दिखती हूँ?
समीर- नहीं तो!
नेहा- तो फिर सोए रहो न यार, वैसे भी मुझे तुम्हारे जैसे संस्कारी लड़के से कैसा डर?

समीर को लगा जैसे किसी ने उसकी शराफत को चुनौती दे दी हो। वैसे उसको पता था कि वो कोई शरीफ नहीं है। जो लड़का अपनी बहन को नंगी नहाते हुए देख कर मुठ मारता रहा हो और अपनी माँ को चोदता हो वो शरीफ कैसे हो सकता है लेकिन फिर भी जो शराफत की उसकी छवि सब लोगों के मन में बनी हुई थी वो उसको बने रहने देना चाहता था। एक सोनिया ही थी जिसके सामने वो सच में नंगा था क्योकि उसके आलावा बाकी सब उसे शरीफ ही समझते थे।
ऐसा शरीफ जो अपनी माँ को रोज चोदता है और बहन को चोदने की इच्छा है
आखिर अपनी शराफत की चादर ओढ़ कर समीर सो गया। नींद में जैसे उसने कोई सपना देखा हो और उसे लगा कि कोई बिल्ली अचानक उछल कर उसकी कमर पर बैठ गई है। इसी हड़बड़ी में उसकी नींद खुली और उसने देखा कि नेहा करवट बदलते बदलते उसके बिल्कुल पास आ चुकी थी और उसने अपना एक पैर मोड़ कर समीर की कमर पर रख दिया था।

पैर के मुड़ने से उसका लम्बा टी-शर्ट काफी ऊपर तक सरक गया था और उसकी जांघें यहाँ तक कि उसके कूल्हों का निचला भाग तक नंगा हो गया था। लेकिन यहाँ तक भी पैंटी का कोई नामोनिशान नहीं था।
समीर का ईमान डगमगा गया और उसने उसकी जाँघों पर अपना हाथ रख दिया। कुछ देर तक जब कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई तो समीर ने नेहा की नंगी जाँघों को सहलाना शुरू कर दिया। इतनी चिकनी और मुलायम त्वचा का अनुभव उसे मस्त कर गया

इस अनुभव ने उसकी हिम्मत को और बढ़ा दिया और उसने हाथ आगे बढ़ा कर नेहा के नितम्बों तक ले गया। भरे मुलायम गोल नितम्बों को हलके से मसलते हुए जब उसने हाथ टी-शर्ट के अंदर तक डाला तो उसे लगा कि वहां कोई पैंटी नहीं थी। इस बात की पुष्टि जैसे ही हुई उसकी धड़कन और तेज़ हो गई और लंड ने एक और अंगड़ाई झटके के साथ ली। कुछ देर तक वो दोनों नितम्बों को अपने हाथ से सहलाता रहा लेकिन फिर जब हिम्मत करके उसने अपन हाथ दोनों के बीच की घाटी में डाला तब समझ आया कि उसने जी-स्ट्रिंग पहनी हुई थी जिसमे केवल योनि के ऊपर एक तिकोना कपड़ा होता है, जिसके तीनों छोर पर डोरियां लगी होती हैं।

उसने जी-स्ट्रिंग के बाजू से दो उँगलियाँ अंदर सरका कर नेहा के भग-प्रदेश को छुआ ही था कि अचानक नेहा ने करवट बदल ली और अपना टी-शर्ट नीचे करके चादर ओढ़ कर सो गई। समीर की धड़कन अभी भी रेलगाड़ी की तरह तेज़ दौड़ रही थी। उसकी उँगलियों ने जिस अहसास को अभी अभी अनुभव किया था वो अभी भी ताज़ा था। पूरी रात वो करवटें बदलता रहा लेकिन नींद नहीं आई।

आखिर भोर के पहले पहर ने उसे सुला ही दिया।
 
अगली सुबह वो काफी देर से उठा तब तक राजन जा चुका था और सोनिया व नेहा फ्रेश हो कर चाय-नाश्ता भी कर चुकी थीं। जाने कहाँ से नेहा को पता चल गया और वो उसके लिए कॉफ़ी लेकर आ गई। उसके व्यवहार से ये बिल्कुल नहीं लग रहा था कि उसे रात के बारे में कुछ भी याद है।
समीर को इस बात से सुकून मिला कि नेहा को कुछ याद नहीं था, वरना वो तो इसी बात से चिंतित था कि कहीं उसे कुछ याद रह गया तो ये जो उनके रिश्ते में थोड़ी नज़दीकियां बनी हैं ये भी कहीं हाथ से निकल न जाएं।

कॉफी पीकर समीर बाहर आया तो सोनिया ने कहा- समीर, नाश्ता लगा दिया है, लेकिन थोड़ा कम ही लेना क्योंकि इतना देर से उठे हो कि खाने का समय भी बस हो ही गया है। नाश्ता करके नहा लेना, फिर सब साथ में खाना खाएंगे।
समीर- जी दीदी!

नाश्ता करके समीर घर में इधर उधर टहलने लगा। नेहा ने अब एक दूसरी ड्रेस पहन ली थी जो उस रात वाले टी-शर्ट से कोई बहुत अलग नहीं थी। फर्क इतना था कि ये थोड़ी कसी हुई थी और इस पर ऊपर से नीचे तक काली और सफ़ेद पट्टियां थीं।

एक बात और, ये घुटनों से काफी ऊपर भी थी और इसकी बाँहें कलाइयों तक पूरी ढकी हुई थीं। नेहा बहुत सेक्सी लग रही थी इसमें। समीर ने तो ऐसी ड्रेस पहने केवल 1-2 लड़कियों को ही देखा था वो भी कॉलेज की पार्टी में।
खाना लगभग तैयार था इसलिए सोनिया ने समीर को जल्दी से जा कर नहाने के लिए कहा तो वो नहाने चला गया।
अभी ठीक से नहाना शुरू भी नहीं किया था कि उसे किसी के आने की आहट सुनाई दी।

नेहा- बड़ी जल्दी सारा सिस्टम समझ गए समीर! मैं तो डर गई थी कि कहीं आज भी घंटा भर रोक के न रखना पड़े।

समीर को कमोड का ढक्कन खोलने की आवाज़ आई और साथ में ये ख्याल भी कि पर्दा तो शावर में लगा है कमोड तो खुले में है। तब तक नेहा के पेशाब करने की आवाज़ भी आने लगी थी। शस्स्स्सऽऽऽ…
उसने हिम्मत करके स्लाइडिंग दरवाज़े को थोड़ा खोला और परदे के किनारे से आँख लगा कर बाहर देखा। ठीक सामने नेहा कमोड पर बैठ कर पेशाब करती हुई दिखाई दी। उसकी ड्रेस नाभि से ऊपर तक उठी हुई थी, ज़ाहिर है कोई पैंटी नहीं थी और चूत बिल्कुल चिकनी… समीर के मन में रात वाली कोमल अनुभूति ताज़ा हो गई। लेकिन छूने और देखने दोनों की अपनी अलग अनुभूति होती है।

वो डबलरोटी के बन की तरह फूले और आपस में चिपके दो चिकने भगोष्ठ, उनके बीच से बाहर झांकती छोटी सी भगनासा (क्लिट)। उसके नीचे से निकलती पानी की धार… हाँ वो पीली बिल्कुल नहीं थी। बिल्कुल पानी की तरह साफ पेशाब की धार जो सीधा कमोड में गिर रही थी।

समीर ने सोचा था कि पैंटी शायद नीचे पैरों में फंसी होगी लेकिन वो वहां भी नहीं थी। मतलब आज नेहा ने कोई पैंटी पहनी ही नहीं थी?

इसका जवाब भी जल्दी ही मिल गया। नेहा ने बाजू से एक टिश्यू लेकर अपनी चूत को साफ़ किया और खड़ी हो गई। कमोड को बंद करके वो सिंक के पास गई और वहां से अपनी पैंटी (जी-स्ट्रिंग) उठाई। वो उसे पहनने के लिए झुकी लेकिन फिर रुक गई, वापस खड़े हो कर उसने उसे सूंघा और फिर वहीं प्लेटफॉर्म पर रख दिया और खुद को आइने में निहारने लगी।
उसकी वो ड्रेस जो अब तक उसकी नाभि के ऊपर तक चढ़ी हुई थी, उसे नीचे करने की बजाए उसने उसे अब बाहों तक ऊपर चढ़ा लिया। उसके ऐसा करते ही उसके दोनों कबूतर आज़ाद पंछी की तरह फड़फड़ा कर बाहर आ गए।

नेहा ने अपने स्तनों को दोनों हाथों में भर कर सहलाया, थोड़ा दबाया और खेल खेल में उनके चुचूक उमेठ कर खींचे भी। इसी बीच वो अपनी कमर भी हल्के से लहराने लगी जैसे किसी हल्की सी धुन पर नाच रही हो और इससे समीर का ध्यान अपने आप ही उसके नितम्बों की ओर चला गया, ऐसे लग रहे थे जैसे रेगिस्तान में तूफ़ान के बाद रेत के स्तूप बन गए हों, एकदम सुडौल और बेदाग।

अचानक उसकी कमर पेंडुलम की तरह दाएं-बाएं हिलते हिलते, एक ओर रुक गई और जब समीर की नज़र ऊपर गई तो उसे लगा जैसे नेहा दर्पण में से उसी की तरफ देख रही थी। नेहा ने एक आँख मारी और मुस्कुरा दी।
समीर घबरा कर जल्दी से पर्दा छोड़ दिया और स्लाइडर बंद कर लिया।

इस घटना से समीर बहुत उत्तेजित हो गया था और रात वाली बात उसकी उत्तेजना को और बढ़ा रही थी। आखिर उससे रहा नहीं गया और उसने नेहा की कल्पना करते हुआ मुठ मारना शुरू कर दिया। उसे पक्का यकीन नहीं था कि नेहा ने वो आँख उसे देख कर ही मारी थी या वो दर्पण में खुद को देख कर ऐसा कर रही थी लेकिन फिर भी उसका दिल यही चाहता था कि काश वो इशारा उस ही के लिए हो। आज बहुत दिनों के बाद मुठ मारने में उसे इतना मजा आया था।
 
अब तक आपने पढ़ा कि समीर को हालातों के चलते नेहा के साथ सोना पड़ा था और रात को नींद में जब नेहा उसके काफी नज़दीक आ गई तो उसने उसे छू लिया था। अगले दिन सुबह नहाते वक़्त नेहा पेशाब करने आई तो समीर ने उसे नंगी देखा और उसे लगा कि शायद नेहा ने उसे आँख भी मारी थी। इस सब से वो बहुत उत्तेजित हो गया था और उसने नहाने से पहले मुठ मार ली।
अब आगे…

मुठ मारने के बाद नहा-धो कर जब समीर टब से बाहर आया तो उसने देखा कि नेहा की पैंटी अभी भी सिंक वाले प्लेटफॉर्म पर ही पड़ी थी। उसने उठा कर उसे सूंघा… वाह! क्या खुशबू थी जवानी की। उसने उसे अपनी चड्डी में डाल लिया ताकि बाद में भी उसकी खुशबू ले सके। बाथरूम से बाहर आया तो सोनिया ने कहा कि जल्दी से तैयार हो जाओ और खाना खा लो।

समीर अपने (नेहा के) कमरे में गया और वो नेहा की पैंटी उसने अपने सूटकेस में छिपा कर रख दी। फिर टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहन कर वो बाहर आ गया। नेहा पहले ही डाइनिंग टेबल पर बैठी थी और सोनिया खाना लगा रही थी। तभी सोनिया के हाथों से कुछ चम्मचें नीचे गिर गईं।
सोनिया उठाने के लिए झुक ही रही थी कि समीर ने कहा- रहने दो दीदी आप खाना लगाओ मैं उठा देता हूँ।

जैसे ही वो टेबल के नीचे गया नेहा ने अपने पैर चौड़े कर दिए और उनको एड़ी ऊपर नीचे करके हिलने लगी जिससे अनायास ही समीर का ध्यान उसकी तरफ चला गया। जो उसने देखा उससे एक बार फिर उसकी धड़कनों ने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और लंड वापस नींद से जाग गया। वही एकदम चिकनी चूत… उसके आँखों के सामने थी जो उसने थोड़ी देर पहले दूर से देखी थी, वो फूली हुई चूत ठीक उसके सामने थी।

समीर मन भर कर उसे देखना चाहता था लेकिन तभी नेहा ने कहा- क्या हुआ समीर, चम्मच नहीं मिल रहे क्या?
बाहर निकलते हुए समीर- नहीं चम्मच तो मिल गए थे, लेकिन कुछ और भी मिल गया था, वही देख रहा था।
इतना कह कर समीर ने भी धीरे से आँख मार दी।


सोनिया ने कहा कि वो उनके लिए गरमा-गर्म फुल्के बना कर ला रही है इसलिए वो बाद में खाना खा लेगी। समीर और नेहा ने खाना शुरू किया और मौका देख कर समीर ने धीमी आवाज़ में बात आगे बढ़ने की कोशिश की- तुम रात को कमरे में वापस क्यों आ गईं थीं? क्या हुआ था बैडरूम में?
नेहा- बताया तो था कि भैया से रहा नहीं गया तो वो और भाभी लगे हुए थे। मेरी नींद डिस्टर्ब हो रही थी तो मैं अपने रूम में आ गई।

समीर- लगे हुए थे मतलब?
उसने आश्चर्य से पूछा.
नेहा- अब यार हस्बैंड-वाइफ बैडरूम में और किस काम में लगे हो सकते हैं? सेक्स कर रहे थे और क्या?
समीर- क्या बात कर रही हो यार! तुम्हारे भैया तुम्हारे सामने ही?
नेहा- अरे बताया था न, यहाँ हम ज़्यादा लिहाज़ नहीं पालते।

समीर- हाँ लेकिन फिर भी… कुछ पहना था या नहीं?
नेहा- कोई कपड़े पहन कर सेक्स करता है क्या?
समीर- मतलब तुमने दीदी-जीजाजी को नंगे सेक्स करते हुए देखा है?
नेहा- हाँ यार, तभी तो मैं अपने रूम में आ गई थी न।

समीर- लेकिन तुम्हारे आने से तो उनको पता चल गया होगा न कि तुमने उन्हें देख लिया है?
नेहा- हाँ तो… मैं तो उनको बोल कर आई कि आप लोग एन्जॉय करो, मैं अपने रूम में जा रही हूँ।
समीर- सही है यार! तुम्हारी फॅमिली तो कुछ ज़्यादा ही ओपन है।
नेहा- अब यार सब तुम्हारी वजह से हुआ। कल तुम मेरे रूम में सोने से इतना न शर्माते तो ये सब होता ही नहीं न।

तभी सोनिया रोटियां देने आ गई और कुछ देर तक चुप्पी रही फिर जब सोनिया वापस किचन में गई तो नेहा ने थोड़े शैतानी अंदाज़ में धीरे से कहा- वैसे ये पहली बार नहीं था, जब मैंने भैया को नंगा देखा था। पहले भी कई बार मैं उनको नहाते हुए देख चुकी हूँ।
नेहा ने आँख मारते हुए कहा।
समीर- क्या बात कर रही हो! कैसे?
नेहा- एक पर्दा ही है यार। थोड़ा सा सरका कर चुपके चुपके देख लेती थी।

समीर- लेकिन फिर तो उनको भी दिख जाता होगा न की तुम देख रही हो?
नेहा- पता नहीं, मुझे ऐसा कभी लगा तो नहीं की उनको पता चला हो क्योकि मैं नीचे के कोने से देखती थी जहाँ नज़र काम ही जाती है, लेकिन क्या पता देख भी लिया हो इसीलिए शायद अब उनको मेरे सामने शर्म नहीं आती।

तब तक दोनों का खाना हो चुके थे और सोनिया भी किचन के काम से फुर्सत हो गई थी।
सोनिया- बहुत गर्मी है यार। तुम लोग टीवी देखो मैं तो नहा कर आती हूँ, उसके बाद ही खाना खाऊँगी।
नेहा और समीर टीवी पर कोई कॉमेडी प्रोग्राम देखने लगे और सोनिया नहाने चली गई। थोड़ी देर बाद समीर के दिमाग में कुछ ख्याल आया और उसने पेशाब जाने का बहाना बनाया और बाथरूम में आ गया। जैसा कि नेहा ने बताया था, उसने भी नीचे के कोने से परदे को थोड़ा सा हटाकर अंदर देखा तो बहुत दिनों के बाद अपनी बहन का वही हसीन नंगा बदन देख कर सिहर उठा। वो वहीं बैठ कर देखने लगा और उसने अपना लंड भी बाहर निकाल लिया।

उसने अपने लंड को सहलाना शुरू किया ही था कि नेहा की आवाज़ आई- समीर क्या हुआ! ज़िप में फंस गई क्या? हा हा हा…
 
समीर को होश आया कि उसने पेशाब का बहाना बनाया था तो वो ज़्यादा देर नहीं रुक सकता था, उसने जल्दी से अपने शॉर्ट्स ऊपर किये और बाहर आ गया।

नेहा- क्या कर रहे थे?
समीर- पेशाब करने गया था यार बहुत समय से नहीं की थी इसलिए इतना टाइम लग गया।
नेहा- तुम्हारा ये तो कुछ और ही कह रहा है।
नेहा ने समीर के शॉर्ट्स में बने तम्बू की तरफ इशारा करते हुए कहा।
समीर ने तुरंत अपने खड़े लंड को दोनों हाथों से छुपाया और सकपका कर वहीं बैठ गया।

नेहा- टेंशन मत ले यार, ये काम हमने भी किये हैं। अभी ही तो बताया था न तुझे…
नेहा ने माहौल को हल्का करने की कोशिश करते हुए कहा।
समीर धीरे से- इसीलिए तो सोचा, मैं भी आज़मा के देख लूँ।
और फिर दोनों हंसने लगे।

तब तक सोनिया भी वापस आ गई थी। वो डाइनिंग टेबल पर अपने खाने की तैयारी में लग गई और इधर सोफे पर नेहा और समीर की खुसुर-फुसुर शुरू हो गई।
नेहा- वैसे जितना तम्बू अभी देखने को मिला उस हिसाब से तुम्हारा हथियार भैया से कम तो नहीं होगा।
समीर- मुझे क्या पता उनका तो तुमने ही देखा है।
नेहा- तुमने भाभी को आज आज पहली बार देखा है या… इतना कह कर नेहा ने एक शैतानी मुस्कराहट के साथ अपनी भवें उछालते हुए सवाल किया।
समीर शरमाते हुए- पहले भी देखता था घर पर।
नेहा- क्या बात है दोस्त फिर तो हम एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हुए। और बताओ न कुछ… कैसे देखते थे? उनको कभी पता चला या नहीं? बताओ बताओ…

नेहा ने ये सारा खेल समीर से ये सारी बातें उगलवाने के लिए ही रचा था। वो ये सब पहले से जानती थी लेकिन प्लान के हिसाब से उसे ये सब समीर से ही उगलवाना था। समीर ने अपनी पूरी कहानी बता डाली की कैसे शुरुवात सोनिया ने ही की थी लेकिन बाद में उन दोनों को पता चल गया था कि वो एक दूसरे को नहाते हुए देखते हैं। फिर वो एक दूसरे के लिए नहाते वक़्त सेक्सी हरकतें भी करने लगे थे और मुठ भी मारते थे, लेकिन उससे आगे बढ़ने की कभी हिम्मत नहीं हुई।

इससे पहले की बात आगे बढ़ती, सोनिया अपना खाना ख़त्म करके आ गई और समीर के दूसरे बाजू में बैठ गई।
सोनिया- चलो तो आज फिर कौन सी फिल्म देखनी है?
नेहा- रंगरसिया कैसी रहेगी?
सोनिया- ओये होये! किसके रंग की रसिया हो रही हो आज? चलो ठीक है, मैंने भी नहीं देखी है, मुझे भी देखनी थी वो।

और ठीक कल की तरह समीर बीच में बैठा था और नेहा-सोनिया उसके दोनों तरफ। सब कल की ही तरह फिल्म देख रहे थे, लेकिन आज नेहा का हाथ समीर की जांघ पर रखा था और समीर भी कन्धों से नीचे नेहा की बाँहें अपनी उंगलियों से सहला रहा था। उधर जैसे वो उसकी बांह सहलाता वैसे ही नेहा की उंगलियाँ समीर की जांघ पर थिरकती थीं। थोड़ी हिम्मत करके समीर 1-2 उंगलियों से नेहा के स्तन के बाजू में छूने और कुरेदने लगा। नेहा ने भी अपना हाथ थोड़ा ऊपर कर लिया और वो अब उसके लंड के काफी करीब थी।

तभी फिल्म में वो सीन आया जिसमे हीरो-हीरोइन नंगे एक दूसरे से लिपटे हुए एक दूसरे को रंगों से सरोबार कर रहे थे और नंगे ही काफी तरह की मस्तियाँ कर रहे थे। समीर का लंड खड़ा तो पहले से ही था लेकिन ये देख कर और कड़क हो गया और उसने नेहा के स्तन को पूरी तरह से पकड़ का भींच दिया और उसे मसलने लगा। नेहा भी उस सीन से काफी उत्तेजित हो चुकी थी, उस पर समीर की हरकत ने उसे हरी झंडी दिखा दी और उसने भी समीर का लंड पकड़ कर उसे ज़ोर से दबा दिया।पर लंड पकड़ते ही वह चौंक गयी समीर का लंड उसके भाई के लंड से बहुत मोटा और लंबा था उसकी चुत में सुरसुराहट होने लगी

आम तौर पर लंड को इतनी ज़ोर से दबाने पर किसी भी लड़के की दर्द से चीख निकल सकती थी लेकिन वो इतना कड़क हो चुका था कि समीर को ज़्यादा फर्क नहीं पड़ा। जब सीन ख़त्म हुआ और समीर को थोड़ा होश आया तो उसने देखा कि सोनिया फिल्म को नहीं बल्कि इन दोनों को ही देख रही थी और मुस्कुरा रही थी।
समीर थोड़ा झिझक गया और उठ कर पानी पीने चला गया।
फिल्म ख़त्म होते होते राजन भी वापस आ चुका था। राजन बाथरूम में फ्रेश होने गया और नेहा अपने रूम में किसी काम से गई तो सोनिया ने समीर को पास बुला कर कहा- मैंने सोचा था नेहा के साथ रह कर तुम लड़कियों से बात करना सीख जाओगे लेकिन तुम तो…
समीर- सॉरी दीदी, अब बस हो गया और वो भी तो साथ दे रही थी ना।
सोनिया- अरे मेरा वो मतलब नहीं था, मेरी तरफ से तो पूरी छूट है, जो करना है कर। अगर तू कहेगा तो मैं तो इससे तेरी शादी तक करवा सकती हूँ। जिस काम से तुझे ख़ुशी मिले उससे तो मैं खुश ही होऊँगी ना।
 
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