Hindi Adult Kahani कामाग्नि - Page 7 - SexBaba
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Hindi Adult Kahani कामाग्नि

सोनिया ने पहले अपनी ननंद नेहा को अपने पति और उसके सगे भाई से चुदवाया और अब वह खुद अपने भाई से चुदवाने के लिये नेहा को अपने भाई के गले मे डालना चाहती थी वह नेहा की शादी समीर से करवाना चाहती थी ताकि आगे भी वह समीर से चुदवा पर नेहा जो एकदम कैरेक्टर लेस थी ना सिर्फ अपने भाई से बल्कि कॉलेज में कई लड़को से चुदवाती थी और यह सब सोनिया को पता था फिर भी वह अपने छोटे भाई की लाइफ बर्बाद करने जा रही थी क्यों कि नेहा के जीवन का एक ही फंडा था प्यार एक से करो चुदवाने के लिये दुनिया पड़ी है पर क्या समीर मासूम था नही जो अपनी माँ को चोद चूंका था अपनी बहन को चोदना चाहता हों वह हरगिज मासूम नही था पर शादी के लिये प्यार होना जरूरी था सेक्स के लिये प्यार की जरूरत नही होती वह नेहा को सिर्फ चोदना चाहता था प्यार वह अपनी गर्लफ्रेंड को करता था और शादी भी उसी से करना चाहता था पर वह सबसे ज्यादा प्यार अपनी माँ और बहन से करता था।
तभी राजन वापस आ गया और डिनर की तैयारी होने लगी। डिनर के बाद राजन ने कहा- आज तो ड्रिंक करने का मन कर रहा है, चलो समीर 1-1 पेग हो जाए।
समीर- नहीं मैं नहीं पीता।
राजन- अरे! तुम्हारी दीदी तो पीती है, तुम नहीं पीते?
समीर- दीदी! आपने कब से पीना शुरू कर दिया?
समीर ने सोनिया को पुकारते हुए कहा।

सोनिया- अरे नहीं, किसी खास मौके पर इनके साथ ही थोड़ी ले लेती हूँ।

दोनों जीजा साले बाहर बालकनी में कुर्सी लगा कर बैठ गए और राजन ने दो पेग बनाए। नेहा ने नमकीन काजू की एक प्लेट ला कर रख दी और कहा- मैं सोने जा रही हूँ। समीर, ज़्यादा नखरे करने की जरूरत नहीं है, सीधे मेरे कमरे में आकर सो जाना। भैया आप समझाओ न इसे।

इतना कह कर नेहा तो चली गई, राजन समीर से बोला- हाँ यार, देख अब तू बाहर न सोये इसलिए तेरी दीदी ने कल नेहा को अंदर सुला लिया था और उस चक्कर में फिर… अब यार मैं तेरी दीदी के बिना नहीं रह सकता। समझ रहा है न?
समीर- हाँ, नेहा ने मुझे बताया था।
राजन- तो भाई तू नेहा के रूम में ही सो जाना। देख तुझे मैंने पहले ही बोल दिया था हमारे यहाँ ये सब लिहाज़ वाली बातें नहीं मानते और फिर नेहा ने खुद तुझे कहा है न आने को।
समीर- हाँ लेकिन फिर भी वो आपकी बहन है, इसलिए मैं थोड़ा…

अब तक दोनों के पेग लगभग ख़त्म हो चुके थे और थोड़ा सुरूर भी चढ़ गया था।
राजन- ये बात तो सही है, वो मेरी बहन है। उसकी मर्ज़ी के खिलाफ किसी ने उसको हाथ भी लगाया तो कमीने का हाथ तोड़ दूंगा। पर तू ही बता, अभी मैं तेरी बहन के साथ बैडरूम में क्या करने वाला हूँ, तुझे पता है न। फिर भी तुझे तो बुरा नहीं लगेगा न? तो यार मेरी बहन की मर्ज़ी से कोई कुछ भी करे मैं बुरा क्यों मानूं।

समीर- तो मतलब आपकी बहन की मर्ज़ी से मैं अभी उसके साथ कुछ कर लूँ, तो आपको कोई फर्क नहीं पड़ेगा?
राजन- यार तू किसी भी लड़की की मर्ज़ी से उसके साथ कुछ भी कर। जब तक लड़की की मर्ज़ी से है, सब सही है। फिर वो मेरी बहन हो या तेरी।

इतना कह कर राजन ने बॉटम-अप किया और बैडरूम की तरफ चला गया। समीर वैसे ही नशे में था। आज उसने पहली बार पी थी। ऊपर से ये आखिरी में जीजाजी जो बोल गए थे वो उसके दिमाग में घूम रहा था और उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि इस बात का वो क्या मतलब निकाले ‘फिर वो मेरी बहन हो या तेरी!’
तो क्या अगर मैं सोनिया की मर्ज़ी से उसे चोद दूँ तो जीजाजी को इस बात से भी फर्क नहीं पड़ेगा?

यही सब सोचते सोचते वो नेहा के कमरे की ओर चल पड़ा। मन तो उसने पूरा बना लिया था कि आज की रात वो नेहा को चोद ही देगा लेकिन अब जब बात मर्ज़ी की भी है तो ये सोचना भी ज़रूरी है कि उसको चुदाई के लिए कैसे राज़ी करें। एक तो ये पीने का बाद दिमाग वैसे ही धीरे काम कर रहा है।
 
अब तक आपने पढ़ा कि नेहा ने समीर से अपनी नजदीकियां कुछ ज्यादा ही बढ़ा ली थीं। उधर सोनिया और राजन ने भी उसको पूरी छूट दे दी थी। समीर नेहा को अपने सारे राज़ बता चुका था और उसके साथ थोड़ी मस्ती भी हो गई थी। लेकिन अब वो सोने के लिए नेहा के कमरे में जा रहा था.
अब आगे…
आखिर समीर ने सब सोचना बंद करके सीधे बात करने की ठान ली। एक बात तो सच है कि शराब पीने के बाद दिमाग भले ही कम काम करे, लेकिन शायद इसी वजह से इंसान में हिम्मत बहुत आ जाती है क्योंकि दिमाग फिर बार-बार रोक-टोक नहीं करता।
समीर सीधे नेहा के रूम में गया और उसके बाजू में धड़ाम से जा कर लेट गया।

नेहा- क्या हुआ? एक ही पेग में चढ़ गई?
समीर- पता नहीं यार, पहली बार पी है तो समझना मुश्किल है कि चढ़ी या नहीं लेकिन इतना पक्का है कि तुम अभी तक दो तो दिखाई नहीं दे रही हो।
नेहा- हुम्म्म… मतलब ज़्यादा नहीं चढ़ी है।
समीर- अब यार कितनी चढ़ी है वो तो पता नहीं लेकिन अभी इतना दिमाग काम नहीं कर रहा कि तुमको सेक्स के लिए पटा पाऊं। सुबह से जो भी तुम इशारे कर रही हो उनसे ये तो समझ आ गया है कि करना तुम भी चाहती हो लेकिन फिर भी पता नहीं क्यों सही से मूड नहीं बन पा रहा।
नेहा- तुम्हारा मलतब जैसा मूड फिल्म देखते समय बना था वैसा?
समीर- हुम्म्म!

इतना कह कर नेहा समीर के पास आ गई और उस से चिपक कर लेट गई। दरअसल समीर को नशे की वजह से इतनी हिम्मत तो मिल गई थी कि उसने सबकुछ साफ़ साफ़ बेझिझक कह दिया लेकिन उसी नशे की वजह से उसका सारा शरीर ही धीमा हो चुका था और वो कोई उत्तेजना महसूस नहीं कर पा रहा था। नेहा को चोदना चाहता तो था, और नेहा ने मना भी नहीं किया था लेकिन चोदने के लिए लंड भी तो खड़ा होना ज़रूरी था।

वैसे तो लंड को भी हिला के रगड़ के खड़ा किया जा सकता था। जैसे अलाउद्दीन के चिराग को रगड़ने से जिन्न निकल आता है वैसे ही लंड भी खड़ा किया जा सकता है, लेकिन फिर जिन्न को काम क्या दोगे? खम्बे पर चढ़ने और उतरने का? चुदाई की सबसे बड़ी समस्या जो लोग अक्सर नज़रअंदाज़ कर जाते हैं, वो यही है। लंड को उत्तेजित करना कोई बड़ी बात नहीं है, उस से ज़्यादा ज़रूरी है दिमाग़ को उत्तेजित करना।


कामशास्त्र का इतना ज्ञान समीर को तो नहीं था, लेकिन फिर भी उसकी सोच यही थी और वो समझ नहीं पा रहा था कि कमी किस बात की है? खुशकिस्मती से नेहा को इतना अनुभव हो गया था की वो समझ गई। उसने मामले को सही लाइन पर लाने के लिए विषय बदला।

नेहा- अच्छा ये बताओ कि दोपहर को जो तुम अपनी दीदी और अपनी कहानी सुना रहे थे वो आगे क्यों नहीं बढ़ी। तब भी ऐसा ही कुछ हुआ था क्या? सही मूड नहीं बन पाया?
समीर- नहीं यार, तब तो सारा टाइम मूड बना रहता था लेकिन हिम्मत नहीं हुई?
नेहा- किस बात के डर से हिम्मत नहीं हुई? कहीं दीदी मम्मी को न बता दे?
समीर- वो तो बाद की बात है। पहली बात तो यही है न की अगर दीदी को बुरा लग जाता, तो जो हमारा लुका-छिपी में खेल चल रहा था वो भी खत्म हो जाता। असली डर तो ये था।

नेहा- अच्छा मान लो अगर तुमको भरोसा हो जाए कि दीदी को बुरा नहीं लगेगा तो क्या तुम उनको चोद दोगे?
समीर- क्या बात है यार, तुम तो एकदम सीधे सीधे बोल देती हो।
नेहा- यार, सीधे बोलने से ही तो मूड बनता है न।

इतना कह कर नेहा ने समीर का लंड पकड़ कर हल्का सा दबा दिया। वो केवल ये देखना चाहती थी कि समीर कितना उत्तेजित हुआ है। अभी तक समीर का लंड थोड़ा बड़ा तो हो ही गया था लेकिन नेहा के छूने से थोड़ा कड़क भी हो गया।

नेहा- बताओ न?
समीर- अब यार… अब तो उनकी शादी हो गई है न और वो भी तुम्हारे भाई से तो अब मैं क्या बोलूं?
नेहा- अरे यार मुझसे क्या शर्माना, मैं कौन सी दूध की धुली हूँ?
समीर- अरे हाँ! दोपहर को तुमने बताया था। मुझसे तो सारी कहानी पूछ ली थी लेकिन खुद की कहानी नहीं बताई थी। अब तो पहले तुम बताओ।

नेहा- क्या बताऊँ यार, बता तो दिया था कि मैं भैया को नहाते हुए देखती थी। लेकिन तुम्हारे जैसा कुछ नहीं हुआ था हमारे बीच। मुझे कभी नहीं लगा कि उन्होंने कभी मुझे देखा हो।
समीर- हाँ लेकिन तुम्हारा कभी मन नहीं हुआ आगे कुछ करने का?
नेहा- होता तो था… भैया के लंड के बारे में सोच सोच के अपनी चूत में उंगली कर लिया करती थी।

नेहा के मुँह से ऐसी बात सुन कर समीर की आँखों में थोड़ी चमक आई और उसके लंड ने भी अंगड़ाई ली। उसने नेहा को अपनी बाँहों में ले कर कहा।

समीर- मतलब अगर तुमको मौका मिलता तो तुम अपने भाई से चुदवा लेतीं?
नेहा- मौका मिले, तो मैं तो अब भी चुदवा सकती हूँ। और तुम?
समीर- अब तक तो कभी हिम्मत नहीं हुई थी लेकिन अब अगर मौका मिला तो चोद दूंगा।
 
नेहा-समीर एक बात पुछू?
समीर-हा कुछ भी पूछ सकती हो.
नेहा-क्या तुम्हारी गर्ल फ्रेंड है?
समीर-हा है।
नेहा-कौन है? और क्या तुमने सेक्स किया है?
समीर-मेरे कॉलेज में पढ़ती है दो साल से हम साथ है। मैं उससे सच्चा प्यार करता हु,और मैंने कभी भी सेक्स नही किया है
नेहा-क्या तुम सेक्स करना चाहते हो?
समीर-हा मैं सेक्स करना चाहता हु पर मेरी वाली मानती ही नही।हमने अब तक किस भी नही किया है वह बहुत धार्मिक खयालो वाली है वह अपना कौमार्य शादी के बाद सुहागरात को अपने पति को सौपना चाहती है और मैं उसकी भावनाओं का सन्मान करता हु
नेहा-क्या मेरे साथ सेक्स कर सकते हो?
समीर- अगर तुम्हें कोई प्रॉब्लम नही है तो मुझे क्या प्रॉब्लम है
इतना कह कर समीर पूरी तरह उत्तेजित हो गया और उसने अपने होंठ नेहा के होंठों से लगा दिए। समीर का ये पहला मुख-चुम्बन (फ्रेंच किस) था। मन से तो वो पहले ही उत्तेजित हो चुका था लेकिन नेहा के होंठों का स्पर्श जितना कोमल था उतना ही कठोर अब उसका लिंग हो गया था। नेहा अनुभवी थी, उसने धीरे से अपनी जीभ समीर के होंठों के बीच सरका दी। समीर को एक बिजली का झटका सा लगा और उसने नेहा का एक स्तन अपने हाथों से पकड़ लिया।

एक और दोनों की जीभें एक दूसरे से लिपटने को बेचैन हो रहीं थीं तो दूसरी और दोनों शरीर भी एक दूसरे के और करीब आ जाना चाहते थे। दोनों के बीच से वस्त्र जैसे अपने आप ही सरक कर अलग होते चले गए। समीर का एक हाथ नेहा के एक नग्न स्तन को मसल रहा था तो दूसरा उसे आलिंगन में लिए उसके नितम्बों पर फिसल रहा था। नेहा ने दोनों हाथों से समीर को अपने बाहुपाश में जकड़ा हुआ था।

नेहा एक हाथ से समीर के सर को पीछे से सहारा दे कर चुम्बन में व्यस्त थी। दूसरा हाथ समीर के नितम्बों के साथ खेल रहा था। कभी कभी उन्हें दबा कर नेहा अपनी नर्म जाँघों को समीर के कठोर लिंग से गुदगुदा भी रही थी।

चुम्बन इतना चुम्बकीय था कि दोनों को कुछ समय से ठीक से सांस लेने का मौका भी नहीं मिल पाया था। एक क्षण के लिए जब दोनों सांस लेने के लिए अलग हुए तो दोनों ने अपने सीने के ऊपरी हिस्से में सिमटे टी-शर्ट निकाल फेंके। अब दो पूर्णतः नग्न शरीर एक दूसरे में समा जाने के लिए फिर से मचलने लगे। कभी समीर ऊपर तो कभी नेहा। इस बार जब नेहा ऊपर आई तो उसने समीर के लिंग को अपनी उंगलियों से अपनी योनि का रास्ता दिखा दिया।समीर ने कसकर शॉट मारा उसका आधा लंड अंदर घुस गया नेहा के मुँह से हल्की चीख निकली क्यों कि समीर का लंड राजन से लंबा और मोटा था काफी कसा हुआ अंदर जा रहा था समीर ने पूरी ताकत से शॉट मारा और पूरा लंड अंदर डाल दिया नेहा की चीख निकल गयी पर चुत गीली होने से ज्यादा तकलीफ नही हुई और रोज की चुदाई की वजह से उसे लंड लेने में ज्यादा आसानी हो गई
समीर तो जैसे स्वर्ग की सैर पर निकल गया हो। उसका लिंग आज नेहा की कोमल और चिकनी, रसीली योनि में फिसल रहा था। जल्दी ही वो इस नयी चुत के अहसास की अनुभूति में डूब कर नेहा की चूत में हिचकोले खाने लगा। कभी वो नेहा के दोनों स्तनों को अपने हाथों में भर कर सहलाता तो कभी एक हाथ की उंगलियाँ उसके नितम्बों को सहलातीं और दूसरे से वो नेहा का एक स्तन पकड़ कर उसका रास पीता।

न तो नंगे जिस्मों की मस्ती रुकी और न चुदाई का इंजिन रुका। आज दिन में ही हस्तमैथुन कर लेने के कारण और शायद नशे की खुमारी की वजह से भी वो काफी देर तक नेहा को चोदता रहा और फिर उसकी चूत में ही झड़ गया। नेहा भी झड़ गई थी लेकिन एक बार से उसका क्या होना था। उसने तुरंत पोजीशन बदली और अब समीर के चुम्बन के लिए नेहा के दूसरे होंठ उसके सामने थे।
दोनों अब भी एक दूसरे से वैसे ही नंगे लिपटे थे बस फर्क ये था कि अब वो दोनों एक दूसरे के होठों को नहीं बल्कि एक दूसरे के गुप्तांगों को चूम रहे थे। समीर ने आज न केवल नेहा की चूत को चूमा था बल्कि पहली बार उसने अपने ही वीर्य का स्वाद भी चखा था। इन सब के साथ नेहा ने इस निपुणता से समीर के लंड को चूसा दो मिनट में वो वापस फौलाद का लंड बन गया और एक बार फिर समीर के इंजिन का पिस्टन फुल स्पीड पर चल पड़ा।

अभी तक तो नेहा बस एक बार ही झड़ी थी लेकिन इस बाद तो उसके झड़ने की कोई गिनती ही नहीं थी। समीर उसे चोदता रहा और वो झड़ती रही। एक के बाद एक जैसे झड़ने की झड़ी लगी हो। इतना मज़ा तो उसे उसके भाई के साथ भी कभी नहीं आया था। आखिर जब समीर झड़ा तो उसने अपनी कमर उत्तेजना में ऊपर उठा दी और नेहा उसके ऊपर निढाल पड़ी रही। समीर का लंड उसकी चूत में फव्वारे पर फव्वारे छोड़ रहा था और नेहा की चूत उसके लंड को ऐसे चूस रही थी जैसे कोई स्ट्रॉ से जूस चूसता है।

इन सब में कब सारी रात निकल गई थी पता ही नहीं चला। लेकिन जब दोनों की सांस में सांस आई तो समीर ने कहा।
समीर-तुम तो बहुत मस्त सेक्स करती हो मजा आया तुम्हे तो काफी एक्सपीरियंस होगा सेक्स का.
नेहा-अपने भैया भाभी का करते हुये देखकर सिख गयी कभी कभी उंगली कर लेती हूं.
(समीर मन मे साली मुझे चुतिया समझती है साली खूब खेली खाई है चुत का भोसड़ा हुआ पड़ा है पर मुझे क्या चुतिया बनने में भी अपना मजा है चाहे किससे भी चुदती फिरे मुझे क्या मेरा तो काम बन गया मैं पहले ही अपनी गर्ल फ्रेंड को बहुत बार चोद चुका हूं और माँ को भी जब चाहे चोदता हु फिर भी फ्री में चोदने को कोई भी चलेगी)
प्रकट में “ओह यह बात है”

और दोनों वैसे ही नींद के आगोश में खो गए।
 
सुबह जब समीर की आँख खुली तो उसने पाया कि नेहा अब भी उसके ऊपर ही थी और उसका लंड अब भी उसकी चूत के मुँह से चिपका पड़ा था। समीर के हिलने से नेहा की नींद भी खुल गई।

नेहा ने कहा- मुझसे शादी करोगे?
समीर- नही,मैंने अपनी गर्लफ्रेंड को वादा किया है शादी सिर्फ उससे ही करूँगा और मैं वादा करता हूँ फिर कभी दीदी के बारे में ऐसा वैसा नहीं सोचूंगा।
नेहा- हुम्म्म! तुमने ऐसा क्यों कहा?
समीर- अब अगर हम शादी नही करेंगे तो तुमको शायद अच्छा न लगे कि मैं दिदी के बारे में ये सब सोचूं, इसलिए।

नेहा- हाँ, लेकिन याद करो कि ये हमारी रात भर की धमाकेदार चुदाई शुरू कैसे हुई थी? जब हम दोनों ने एक दूसरे से ये कहा था कि हम अपने भाई-बहन के साथ चुदाई करने के लिए तैयार हैं। और सच कहूँ तो इसी चुदाई ने हमें इतना करीब ला दिया कि रात को हमको प्यार हुआ इन सब की जड़ में जो है तुम उसे ही हटा दोगे तो हमे क्या मजा आयेगा?

समीर- हम्म, बात तो तुम बिलकुल सही कह रही हो। बल्कि सच कहूं तो तुम्हारी इसी समझदारी की वजह से मेरा मन और भी करता है कि तुम्हारे साथ दोस्ती करलू
नेहा- समझा तो तुमने भी था न मुझे। वरना कोई लड़की किसी और लड़के से चुदाने की बात करे उतने से ही लड़के उसे रंडी समझने लगते हैं। तुमने तो मुझे तब गले लगाया जब मैंने अपने भाई से चुदवाने की बात की थी।

समीर- सच कहूं तो उस बात ने मुझे बहुत उत्तेजित कर दिया था। देखो मेरा तो फिर खड़ा हो गया।(मन मे साली मैं तुझे रंडी ही समझता हूं एक रंडी ही इस तरह किसीसे भी चुद सकती है)
नेहा- अभी तो मेरी चूत का रस सब सूख कर जम गया है। अभी और तो कुछ नहीं कर सकती… लाओ तुमको चूस कर मलाई खा लूँ। मेरा नाश्ता भी हो जाएगा।

इतना कह कर नेहा समीर का लंड चूसने लगी। समीर कहने लगा- मतलब ये हुआ कि अगर हमको इसी तरह से रहना है तो हमको एक दूसरे को अपनी इच्छाएँ पूरी करने में मदद करनी चाहिए। तो क्या तुम ये चाहती हो कि तुम सच में अपने भाई से चुदवाओ और मैं तुम्हारी इसमें मदद करूँ। और ऐसे ही तुम भी मेरी मदद करोगी मुझे दीदी को चोदने में?

समीर का लंड चूसते हुए ही नेहा ने ‘हुम्म्म’ कह कर हामी भरी। उसके ‘हुम्म्म’ कहने से जो कम्पन्न हुआ और उसकी बात का जो मतलब निकला उसकी कल्पना मात्र से समीर का छूट गया और नेहा उसे पी गई। फिर नेहा अपना टी-शर्ट पहन कर बाहर चली गई और समीर भविष्य के सपनों में खो गया।
 
परिवार में चुदाई की इस कहानी में अब तक आपने पढ़ा कि समीर ने नेहा को न केवल चोदा बल्कि ऐसा चोदा कि इतनी अनुभवी नेहा भी उससे प्यार करने लगी
अब आगे:

सुबह के 11 बजे थे, राजन क्लिनिक के लिए बहुत पहले निकल गया था; समीर अपनी कल्पना में कुछ ऐसे खोया था कि उसे याद ही नहीं रहा कि वो नंगा ही लेटा था और उसने चादर तक नहीं ओढ़ी थी। यूँ तो वो रात भर से ऐसा ही था, लेकिन अभी अभी नेहा के जाने के बाद से, दरवाज़ा बंद नहीं किया गया था। यह बात उसके कल्पनाओं की दुनिया में घूम रहे दिमाग से अभी परे थी। लेकिन हर सपना कभी न कभी तो टूटता ही है।

सोनिया- ये ले मेरे कुम्भकर्ण भाई, गरमा-गरम चाय… उईई… सॉरी…!!!


सोनिया जब समीर को चाय देने आई तो उसने नहीं सोचा था कि समीर उसे पूरी तरह नग्न अवस्था में मिलेगा। वैसे तो सोनिया समीर को छिप कर हज़ार बार नंगा देख चुकी थी लेकिन ये पहली बार था जब ऐसा आमने-सामने हुआ था इसलिए वो थोड़ा हड़बड़ा गई और जल्दी से बेडसाइड-टेबल पर चाय रख कर जाने लगी।

सोनिया- ये यहाँ रखी है, पी लेना…
समीर- ओह्ह! सॉरी दीदी…
इतना कहते हुए समीर ने जल्दी से चादर ओढ़ ली। तब तक सोनिया की हड़बड़ाहट भी जा चुकी थी इसलिए वो जाते जाते दरवाज़े पर रुकी और पीछे मुड़ कर शरारती अंदाज़ में बोली- मुबारक हो! लगता है तेरे सांप को बिल मिल ही गया आख़िर! ही ही ही…

खिलखिला कर हँसते हुए सोनिया तो चली गई लेकिन समीर की नींद तो बिना चाय पिए ही उड़ गई थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसे इस बात से चिंतित होना चाहिए या खुश? आखिर उसने भी अपने कपड़े पहने और चाय का कप लेकर बाहर आ गया।
बाहर डाइनिंग टेबल पर नेहा अपनी चाय लगभग खत्म कर चुकी थी।

जब समीर अपने चाय का कप लेकर वहां बैठा तो नेहा अपनी चाय की आखिरी चुस्की लेते हुए उठ खड़ी हुई।
नेहा धीरे से- मैं नहाने जा रही हूँ चाहो तो आ जाना!

समीर को आँख मारते हुए नेहा चली गई। समीर की बड़ी तमन्ना थी किसी लड़की के साथ नंगे नहाने की। उसने जल्दी जल्दी अपनी चाय ख़त्म की और बाथरूम में चला गया। शॉवर का पर्दा पहले से बंद था समीर ने बाथरूम का दरवाज़ा लगभग बंद सा कर दिया ताकि आते जाते कहीं दीदी की नज़र न पड़ जाए और फिर अपने कपड़े निकल कर नंगा हो गया।

समीर ने शॉवर के दरवाज़े को सरकाया और देखा वो पूरी नंगी अपने अभी अभी निकाले हुए कपड़ों को रख रही थी। तुरंत अंदर जा कर समीर ने उसे पीछे से पकड़ लिया। एक हाथ से उसके स्तनों को जकड़ा और दूसरे से उसके पैरों के बीच उस चिकनी मुनिया को टटोलने लगा। उसके लिंग ने भी नितम्बों के बीच की दरार में अपना स्थान बनाना शुरू कर दिया।

लेकिन ये क्या?
आईईईऽऽऽ…
घबरा कर चीखते हुए सोनिया पलटी और सोनिया को देख कर समीर भी सकते में आ गया।
समीर- ओह्ह नो! मुझे लगा नेहा…

तभी नेहा अपना बाथरोब लिए शावर के दरवाज़े पर आ गई। सोनिया ने तुरंत अपने स्तन एक हाथ से छिपा लिए और दूसरे से अपनी चूत।
नेहा- समीर…! भाभी…!
समीर- मुझे लगा तुम हो…
समीर ने बड़ा ही असमंजस भरी शकल बनाते हुए कहा।

सोनिया की शकल देखने लायक थी जैसे उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि हो क्या रहा है।
सोनिया- यार, ये क्या है? मेरे तो कुछ समझ नहीं आ रहा। अब मुझे नहीं नहाना… मैं जा रही हूँ। तुमको जो करना है करो।

इतना कह कर सोनिया नंगी ही वहां से चली गई। नेहा अब तक सब समझ गई थी और उसकी तो हंसी ही नहीं रुक रही थी।
नेहा- क्या बात है समीर! आखिर दीदी को फेस-टू-फेस नंगा देख ही लिया।
समीर- वैसे तो उन्होंने मुझे देखा था सुबह बैडरूम में, अभी तो कुछ ज़्यादा ही हो गया।
नेहा- ऐसा क्या हो गया, मुझे भी तो पता चले?

तब तक नेहा ने भी अपने कपड़े निकाल लिए थे। समीर ने उसे ठीक वैसा करके दिखाया जैसा उसने सोनिया को नेहा समझ कर किया था। नेहा ने समीर को उस ही पोजीशन में खड़े रहने को कहा और फिर शॉवर चालू करके बोली।

नेहा- अब मुझे नेहा नहीं बल्कि अपनी दीदी ही समझो और ऐसे ही चोदो।
समीर- वाओ! नेहा,मजा आयेगा।
और समीर वैसे ही खड़े-खड़े नहाते हुए नेहा को चोदने लगा। अभी उसके मन में अपनी दीदी के नंगे जिस्म के स्पर्श की अनुभूति एकदम ताज़ा थी इसलिए उसके लिए ये कल्पना कर पाना मुश्किल नहीं था कि वो सोनिया को चोद रहा था। इस कल्पना ने दोनों को इतना उत्तेजित कर दिया कि दोनों जल्दी ही झड़ गए। फिर दोनों ने एक दूसरे को साबुन लगाया और अंग से अंग लगा कर खूब मस्ती करते हुए नहाए।

फिर जब दोनों कपड़े पहन रहे थे…
समीर- तुम्हारे साथ तो मेरी मस्त गुज़रेगी यार। तुम तो मुझे, मुझ से भी बेहतर समझती हो। मुझसे ज़्यादा ये तुमको पता होता है कि मुझे क्या उत्तेजित करेगा।
नेहा- तुम इतने उत्साहित हो तो मुझे लगता है कि मुझे तुमको एक बात बता देना चाहिए।
समीर- क्या?
 
नेहा- मैं कुंवारी नहीं हूँ, मतलब तुम पहले नहीं हो जिसके साथ मैंने सेक्स किया है। लेकिन रात को जो मैंने तुम्हारे साथ महसूस किया वो पहली बार ही था। और मुझे नहीं लगता कि मैं वैसा किसी और के साथ फील कर पाउँगी।
समीर- हम्म, कौन था वो?(मैं पहले से जानता था कोई भी तुम्हारी चुत देख कर समझ जायेगा कि कितनी चुदी है साली रंडी मुझे चुतिया समझती है समझती रहे अपनी बला से)
नेहा- वो मैं तुम्हें वक़्त आने पर बता दूँगी। तुम अभी बस ये बताओ कि तुम्हें इस बात से कोई गिला-शिक़वा तो नहीं है न?
समीर- मुझे क्यों बुरा लगेगा तुम्हारी अपनी लाइफ है जैसे चाहे जिओ तुमने जब मुझे सच कहा है तो मैं भी तुम्हे सच बताता हूं यह मेरा भी पहली बार नही था मैं अपनी गर्ल फ्रेंड को कई बार चोद चुंका हु उसकी सील भी मैंने ही तोड़ी थी तो तुम ज्यादा परेशान मत हों(साली कही मुझे अपनी जवानी के जाल में फंसाकर मुझसे शादी तो नही करना चाहती आगे देखते है क्या होता है अपना तो एक उसूल है चुदाई किसकी भी करो पर शादी तो अपनी पसंद की लड़की से करो जो सिर्फ तुम्हारी हो ना कि तुम्हारे पीछे किसी से भी चुदती फिरे शादी के बाद मैं सिर्फ अपनी बीवी का वफादार बनकर रहूंगा)
इस तरह बातें करते करते दोनों बाहर आ चुके थे। सोनिया वहीं कुछ काम में लगी थी। उसने एक झीना सा गाउन पहना हुआ था जिसको ध्यान से देखो तो साफ समझ आता था कि वो अंदर नंगी ही थी। इन लोगों की बातें सुनकर उस से भी रहा नहीं गया।

सोनिया- क्या बातें चल रहीं हैं तोता-मैना की? एक रात में ज़िन्दगी भर की बातें करने लगे? नेहा भाभी के साथ किचन में चली गयी
नेहा- अब भाभी, आपसे क्या छिपाना… मैं सोच रही थी कि जब भी कभी शादी की बात चलेगी तो मैं समीर से ही करूंगी
सोनिया- इतनी जल्दी इतना बड़ा फैसला कैसे कर लिया?
नेहा- आपको याद है आपने एक बार कहा था ‘शायद इसी को प्यार करना कहते हैं।’ मुझे वो फीलिंग समीर के साथ महसूस हुई है।

नेहा की बात सुन कर सोनिया कुछ उदास सी हो गई। उसे लगा शायद अब वो समीर से दूर हो जाएगी। नेहा को ये बात समझते देर न लगी। नेहा ने शैतानी मुस्कराहट के साथ समझाया।
नेहा- चिंता मत करो भाभी, प्यार एक से करो लेकिन चुदाई के लिए तो पूरी दुनिया पड़ी है। आपके भाई पर कब्ज़ा नहीं करुँगी। (आँख मारते हुए) जितना मर्ज़ी चुदवा लेना।
सोनिया-क्या समीर शादी को मान गया है?
नेहा-नही पर मैं उसे जरूर मना लुंगी
इतना सुनते ही सोनिया के मन में ख़ुशी की लहार दौड़ गई और दोनों ननद-भौजाई हँसते खिलखिलाते हुए किचन से खाना ले कर बाहर आईं। दोनों ने जल्दी से खाना टेबल पर लगा दिया और फिर सब खाना खाने बैठ गए।

नेहा- भाभी! मेरा तो अब ध्यान गया… आपके गाउन को ध्यान से देखो तो साफ़ समझ आता है कि आपने अंदर कुछ नहीं पहना। मुझे नहीं पता था कि आप समीर के सामने भी इतना बोल्ड हो सकते हो।
सोनिया- अब यार अभी थोड़ी देर पहले ही तो तुम दोनों ने मुझे नंगी देखा है; इसलिए मैंने भी ज़्यादा परवाह नहीं की, जो सामने मिला, पहन लिया।
समीर- जो भी हो, आप सुन्दर लग रही हो इस गाउन में!
सोनिया- ऐसा है तो अब से ऐसे ही गाउन पहन लिया करुँगी। मेरे पास तो अधिकतर ऐसे ही हैं सब। सोनिया ने समीर को खाना खाने को बुलाया
समीर को ऐसा लगने लगा था कि उसके और सोनिया के बीच जो एक पर्दा था वो गिर चुका था। अंदर ही अंदर वो दोनों जानते थे कि वो एक दूसरे को नंगे नहाते हुए देखते थे और यहाँ तक कि एक दूसरे को अपनी कामुक अदाएं भी दिखाते थे लेकिन फिर भी जब आमने सामने होते तो ऐसा व्यव्हार करते थे कि जैसे उन्हें कुछ पता ही नहीं हो। लेकिन अब समीर को लग रहा था जैसे सोनिया ने वो पर्दा गिरा दिया है और वो अब दोहरी ज़िंदगी नहीं जियेगी।समीर भी यहा सोनिया के लिये आया था नेहा तो बोनस में मिल गयी समीर सिर्फ अपनी बहन और माँ का दीवाना था घर मे इतनी खूबसूरत सेक्सी माँ हो तो वह इधर उधर क्यों जाये

सोनिया ने पहला कदम आगे बढ़ा दिया था और अब समीर भी एक कदम आगे बढ़ाना चाहता था। उसके जीजा जी ने उसे जो बातें कहीं थीं वो उसे और हिम्मत दे रहीं थीं। क्योकि उसे पता था कि वो ऐसा कोई काम करने नहीं जा रहा था जिसमें सोनिया की मर्ज़ी न हो। जब तक आप किसी की मर्ज़ी से कुछ करते हो तब तक वो सही होता है इस बात ने उसे एक नई हिम्मत दी थी। रात को जो नेहा के साथ हुआ उसने इस बात को साबित भी कर दिया था।

अब तक जो भी समाज ने नियम क़ानून समीर को रोकते आये थे वो सब बेमानी हो गए थे। सोनिया की बातों ने उसका ये डर भी मिटा दिया था कि वो ऐसी किसी बात का बुरा मान सकती है। लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। इसी सोच में डूबे हुए उसने खाना खत्म किया और सोफे पर जा कर बैठ गया।

 
अब तक आपने पढ़ा कि कैसे समीर ने सोनिया को गलती से नंगी दबोच लिया था लेकिन उसके बाद जिस तरह से सोनिया ने इस बात पर प्रतिक्रिया दी उसे देख कर समीर को लगा कि कहीं ये खुला आमंत्रण तो नहीं?
अब आगे…

समीर ज़्यादा देर तक सोच में डूबा न रह सका, नेहा और सोनिया भी खाना खा कर उठ चुकीं थीं।
नेहा- फिर आज क्या प्लान है कोई फिल्म देखना है या यूँ ही टीवी? या फिर गप्पें लड़ाना है?
सोनिया- नहीं यार, मैं तो नहाने जा रही हूँ, उसके बाद थोड़ी देर सोने का मूड है।
नेहा- क्यों भैया ने रात को सोने नहीं दिया क्या?
सोनिया- सोई तो बेटा तू भी नहीं है और मज़े मेरे ले रही है?
नेहा- हाँ यार! मैं भी सो ही लेती हूँ थोड़ी देर! समीर तुम?
समीर- मैं भी आ गया साथ में तो हो गई तुम्हारी नींद… हे हे हे…
नेहा- ठीक है तो फिर तुम टीवी देख लो।

नेहा सोने के लिए अपने रूम में चली गई। सोनिया भी नहाने चली गई और समीर टीवी देखने के नाम पर फिर अपनी सोच में डूब गया। दीदी चाहती तो अपने गाउन के अंदर कुछ ब्रा-पैंटी पहन सकती थी। कम से कम नेहा के ये कहने पर कि तेज़ रोशनी में अंदर सब दिख रहा है, वो इसे अपनी गलती मान कर गाउन बदल भी सकती थी। लेकिन उसने जो कहा उसका तो सीधा मतलब यही है कि उसे अब फर्क नहीं पड़ता या शायद ये कि सुबह जो हुआ उसके बाद उसकी शर्म ख़त्म हो चुकी है।

ये सब सोच कर समीर को इतना तो समझ आ गया कि अब डरने की ज़रूरत नहीं है। अब उसे कोई दबंग कदम उठा ही लेना चाहिए। वो उठा और उसने निश्चय किया कि अब सोचने का नहीं करने का समय है। पहले समीर नेहा के कमरे की तरफ गया और देखा कि दरवाज़ा बंद था। उसने धीरे से खोलकर देखा तो वो अंदर सो रही थी। दरवाज़े को वापस धीरे से बंद करके समीर बाथरूम की तरफ चला गया।

उसने बाथरूम का दरवाज़ा अंदर से बंद करके लॉक कर दिया ताकि नेहा अगर आये तो उसे लगे कि वो टॉयलेट गया था। फिर उसने आराम से अपने सारे कपड़े निकाले और सुबह की ही तरह शावर की तरफ गया। लेकिन अब उसे न तो कोई जल्दी थी और न कोई ग़लतफ़हमी। उसे साफ पता था कि उस परदे के पीछे कौन है। उसने एक लम्बी सांस ली और धीरे से पर्दे को पूरा खोल दिया।
क्योंकि पर्दा धीरे से खोला गया था, सोनिया को कोई झटका नहीं लगा और शायद उसे ऐसा कुछ होने की अपेक्षा भी थी। उसके एक हाथ में शावर था और दूसरा उसके स्तनों के बीच से होकर दूसरे कंधे को छू रहा था। कुछ देर वो ऐसे ही खड़ी रही। दोनों एक दूसरे की आँखों में आँखें डाले देखते रहे, मानो आँखों ही आँखों में कह रहे हों कि एक न एक दिन तो ये होना ही था।

फिर सोनिया को जाने क्या सूझा कि वो मुड़ी और पीछे लगे सेटिंग वाले पैनल पर कुछ करने लगी। थोड़ी ही देर में उसने शावर को स्टैंड पर लगा दिया और सेटिंग पैनल पर एक बटन दबा कर वापिस समीर की ओर मुड़ गई।
म्यूजिक शुरू हो गया था और साथ ही सोनिया की कमर भी धीरे से लहराने लगी थी। संगीत की धुन से ही समीर समझ गया था कि ये मोहरा फिल्म का गाना था… टिप टिप बरसा पानी… पानी ने आग लगाई…

समीर कमोड के बंद ढक्कन के ऊपर जा कर बैठ गया और अपनी बहन का नंगा नाच देखते हुए धीरे धीरे अपना लंड सहलाने लगा। यूँ तो पहले भी बाथरूम के छेद से पहले भी उसने सोनिया को नंगी नाचते हुए देखा था लेकिन आज ये न केवल आमने सामने था बल्कि साथ में म्यूज़िक था, लाइट्स थी और तरह तरह के शॉवर थे जो म्यूजिक की धुन पर सोनिया पर मस्ती की बारिश कर रहे थे।

नाचते हुए सोनिया अपनी चूची और चूत बराबर रगड़ रही थी। ये नाच दिखाने में उसे और भी ज़्यादा मज़ा आ रहा था। वैसे भी अभी कुछ दिनों से उसे पहले की तरह दिन रात की लगातार चुदाई नहीं मिली थी।
गाना ख़त्म होते होते उससे रहा नहीं गया और वो नीचे बैठ कर ज़ोर ज़ोर से अपनी चूत रगड़ने लगी और दूसरे हाथ से उंगली भी करने लगी। जब तक गाने की धुन बंद हुई, सोनिया झड़ चुकी थी।

जब सोनिया को होश आया तो सामने उसे समीर दिखाई दिया। उसके हाथ में अब भी उसका खड़ा हुआ लंड था जिसको हिलना अब वो बंद कर चुका था। सोनिया खड़ी हुए और शावर का पारदर्शी दरवाज़ा स्लाइड करके मुस्कुराते हुए बाहर आई। फिर धीरे धीरे स्टाइल से चलते हुआ समीर के पास पहुंची। समीर तब तक खड़ा हो चुका था। उसने वैसे ही मुस्कुराते हुए समीर का लंड पकड़ा और उसे खींच कर बाहर की ओर चल दी।
 
सोनिया, समीर को उसके लंड से पकड़ कर अपने बैडरूम तक ले गई, फिर उसने समीर को बेड के पास खड़ा किया और जैसे फुटबाल के खिलाड़ी अक्सर करते हैं वैसे अपनी छाती से समीर की छाती को धक्का मार कर उसे बिस्तर पर गिरा दिया। अपनी बहन के स्तनों को अपनी छाती पर टकराते हुए अनुभव कर समीर का लंड और भी कड़क को गया।

सोनिया, समीर की आँखों में आँखें डाल कर देखते हुए घुटनो के बल नीचे झुकी और समीर का लंड अपने हाथों में पकड़ कर जीभ से चाटने लगी। बीच बीच में कभी वो आँखें बंद करके उसे चूसने लगती तो कभी अपनी क़ातिलाना निगाहों से समीर को देखने हुए लंड को जड़ से सर तक चाटने लगती। कुछ ही देर में पूरा लंड उसके थूक से गीला हो चुका था।
अब सोनिया उठी और बिस्तर पर उसके सर के बाजू में बैठ गई।

समीर उसके कूल्हों पर अपने हाथ फेरने लगा। सोनिया ने अब समीर के लंड को अपने मुँह में ले लिया था और वो उसे ऐसे चूस रही थीं जैसे सारा रस अपने चूसने की ताक़त से ही निकाल लेगी। समीर के हाथों को खेलने के लिए बहुत कुछ मिल गया था, वो उसके स्तनों को सहलाता तो कभी पीठ से होता हुआ कमर तक सोनिया की चिकनी त्वचा को महसूस करता। फिर कभी उसके नितम्बों को मसल देता।

तभी उसे अहसास हुआ कि सोनिया ने उसका लंड काफी ज़्यादा अपने मुँह में ले लिया है और उसका लंड अब सोनिया के गले के करीब पहुँच गया है। करीब 2-3 उंगल ही सोनिया के मुँह के बाहर था बाकी सब अंदर! ऐसे में सोनिया ने 2-4 बार अपना सर ऊपर नीचे किया और हर बार समीर के लंड ने सोनिया के गले पर दस्तक दी। फिर उसने पूरा लंड बाहर निकाल कर उस पर थूका और हाथ से फैला कर पूरा लंड फिर गीला कर दिया।

कुछ समय तक सोनिया ऐसे ही तेज़ी से अपना सर हिला हिला के समीर को अपने मुँह से चोदती रही। फिर वो उठी और उसने 2-3 बार गहरी सांस ली और वापस झुक कर समीर का लंड गप्प कर गई।
इस बार जब समीर का लंड सोनिया के गले तक पहुंचा तो उसने सर हिला कर उसे चोदने की बजाए, उसे निगलना शुरू कर दिया। उसके गले में ऐसी हलचल हो रही थी जैसे वो पानी पी रही हो। समीर का लंड धीरे धीरे सोनिया के गले में समाने लगा।

जल्दी ही सोनिया के होंठ समीर के अंडकोषों को चूम रहे थे और अब लंड के और अंदर जाने की कोई गुंजाईश नहीं थी। लेकिन सोनिया अब भी उसे किसी ड्रिंक की तरह गटक रही थी। इससे समीर को ऐसा लग रहा था जैसे लगातार उसके लंड की मालिश हो रही हो।
उसने ऐसा पहली बार अनुभव किया था और वो आँखें बंद किये चुपचाप इसका पूरा आनन्द उठाने की कोशिश कर रहा था। उसे लग रहा था कि अब वो ज़्यादा देर रुक नहीं पाएगा और झड़ जाएगा.

तभी सोनिया के फ़ोन की घंटी बजने लगी।

लंड सोनिया के गले में इतना अंदर था कि उसे अचानक से नहीं निकला जा सकता था। सोनिया ने उसे धीरे से निकालने की कोशिश की लेकिन वो अचानक लंड की मालिश बंद होने के डर से और कुछ निकालने की कोशिश में बढ़ी हुई हलचल से, समीर रोक नहीं पाया और झड़ने लगा। जो वीर्य सोनिया के गले में ही निकल गया वो तो सोनिया पी ही गई लेकिन बाकी का उसके मुँह में निकला और तब तक सोनिया ने फ़ोन उठा लिया था।

राजन ने कॉल किया था।
सोनिया- है…वो!
राजन- क्या हुआ? ऐसे क्यों बोल रही हो?
सोनिया- रबड़ी ख़ा रही थी?
कहते कहते सोनिया ने समीर का सारा वीर्य पी लिया और बाकी बात करते करते उसके लंड से चटख़ारे ले कर चाटने लगी जैसे खाने के बाद अपनी उंगलियाँ चाट रही हो।

राजन- हाँ यार, इसी के लिए कॉल किया था। आज काम जल्दी निपट गया है तो सोचा वापस आते वक़्त बाज़ार से कुछ मिठाई वगैरा ले आऊं। परसों राखी है तो तुमको भी कोई सामान मंगाना हो तो बता दो।
सोनिया- हाँ यार! पूजा का कुछ सामान है, मैं लिस्ट बता देती हूँ, तुम ले आना।

अब तक सोनिया ने समीर का लंड चूस कर और चाट कर पूरी तरह से साफ़ कर दिया था। वो उठ कर नंगी ही फ़ोन पर बात करते हुए बाहर चली गई। समीर कुछ देर ऐसे ही पड़ा रहा फिर उठ कर बाथरूम गया और फ्रेश हो कर कपड़े पहन कर ड्राइंग रूम में जाकर टीवी देखने लगा।
 
सोनिया किचन में थी, उसने एक दूसरा सेक्सी सा गाउन पहन लिया था और वो शायद रात के खाने की तैयारी कर रही थी।

तभी नेहा अपने रूम से बाहर आई और फ्रेश होने के लिए बाथरूम में चली गई, वहां से आकर नेहा समीर के पास चिपक कर बैठ गई।
नेहा- पता है मैंने एक मस्त सपना देखा।
समीर- क्या देखा?
नेहा- सपने में हम दोनों चुदाई कर रहे थे, और तभी भाभी वहां आ गईं, और मैंने उनको पकड़ के तुम से चुदवा दिया। फिर हम तीनों ने मिल कर बहुत तरीकों से चुदाई की।
समीर- वाओ ! काश, तुम्हारा सपना सच हो जाए।

नेहा- तो एक काम करो न! तुम मुझे अभी यहीं चोदने लगो। भाभी आवाज़ सुन कर आएंगी तो उनको पकड़ कर चोद देना।
समीर- अरे नहीं! ऐसे जबरन नहीं करना चाहिए। सही मूड बनना ज़रूरी है। और वैसे भी आज जीजा जी जल्दी आने वाले हैं। अभी उनका फ़ोन आया था। अगर दीदी से पहले उन्होंने देख लिया तो।
नेहा- तुम कौन सा मेरा जबरन चोदन कर रहे हो। उनको भी पता है कि मैं दूध की धुली नहीं हूँ।

समीर- क्या बात कर रही हो? उनको किसने बताया कि तुम चुदवा चुकी हो?
नेहा- अरे बाबा ! वक़्त आने पर सब बता दूँगी। अभी चुदाई नहीं तो किस तो कर ही सकते हो न यार?

तभी राजन आ गया। वो अक्सर अपनी चाभी से दरवाज़ा खोल कर सीधे अंदर आ जाता है ताकि किसी को अपना काम छोड़ कर दरवाज़ा खोलने न आना पड़े। उसके आने से समीर चौंक गया और अपना चुम्बन तोड़ कर अलग होने की कोशिश की लेकिन नेहा ने उसे नहीं छोड़ा। और तो और वो दोनों तरफ पैर करके समीर के ऊपर चढ़ गई और उसे किस करने लगी।

इस बात पर राजन ज़ोर से हंसने लगा।
राजन- क्या है समीर? मेरी बहन तुम्हारा जबर चोदन तो नहीं कर रही ना? देखो इस घर में सब खुले आम हो सकता है लेकिन जबरदस्ती कुछ नहीं। कोई प्रॉब्लम हो तो बता देना मैं आ आऊँगा मदद के लिए।
ऐसा कह कर हँसते हुए राजन सामान रखने के लिए किचन की ओर चला गया।

जब तक वो फ्रेश हो कर कपडे बदल कर आया तब तक नेहा का किस ख़त्म हो चुका था। राजन वहीं सोफे पर नेहा के बाजू में बैठ गया।
राजन- देखो, मैं बहुत खुले विचारों वाला हूँ तो अगर तुमको एक दूसरे के साथ अच्छा लगता है तो साथ रहो, जितनी मस्ती करनी है करो।
ऐसी ही बातों और गप्पों में ये शाम भी गुज़र गई।
एक ज़रूरी बात दोस्तो, सोनिया ने जो समीर के लंड को गटका था वो हर किसी के लिए संभव नहीं है। केवल कुछ खास गले की बनावट वाली लड़कियां ऐसा कर सकती हैं वो भी कुछ ही तरह के लंडों के साथ। इन सब के बाद भी ऐसा करने के लिए काफी अभ्यास की ज़रूरत होती है, इसलिए अपनी सेक्स की साथी को ऐसा करने के लिए ज़ोर न दें। धीरज से काम लें, और अगर वो न कर पाए तो उसे मजबूर न करें।

दोस्तो, आपको यह भाई-बहन की उत्तेजक नाच और लंड चुसाई की वाली कहानी कैसी लगी आप मुझे ज़रूर बताइयेगा।
 
अब तक आपने पढ़ा कि कैसे समीर आखिर हिम्मत करके नंगा अपनी बहन सोनिया के सामने जा खड़ा हुआ जबकि वो भी नंगी नहा रही थी। फिर शर्म का पर्दा गिर गया है बहन ने भाई को न केवल नंगा नाच दिखाया बल्कि उसके लंड को चूस कर रस भी पिया। बाद में नेहा ने खुले आम समीर को किस किया जिसके लिए राजन ने सहमति भी दिखाई।
अब आगे…

अभी डिनर में थोड़ी देर थी और सब टीवी देख रहे थे कि तभी नेहा ने समीर को अपने पीछे पीछे बाहर आने का इशारा किया और बाहर टेरेस पर चली गई, समीर भी पीछे पीछे चला गया।
वहां ताज़ा हवा में दोनों कुछ देर तक यूँ ही खड़े रहे।

नेहा- मेरे दिमाग में एक और आईडिया आया है।
समीर- क्या? दीदी को पटाने का?
नेहा- हम्म! देखो, खाने के बाद मैं बेडरूम में दीदी से बातें करने बैठ जाऊँगी। फिर तुम मुझे बुलाने आ जाना और वहीं सो जाना। जब तक सोने का टाइम होगा तो मैं कह दूँगी कि अब इसकी नींद डिस्टर्ब नहीं करते यहीं सो जाने दो।

समीर- मतलब उस दिन जो तुम्हारे साथ हुआ वही तुम चाहती हो कि मेरे साथ भी हो?
नेहा- हाँ! सही पकड़े हैं!
नेहा ने टी वी वाली अंगूरी भाबी जी की स्टाइल में कहा।
समीर- ठीक है, तुम इतना सोचा है तो कोशिश करना तो बनता है।

तभी सोनिया ने सबको खाने के लिए बुला लिया। जैसा नेहा ने समीर को कहा था वो खाने के बाद अपनी भाभी के साथ किचन में हाथ बटाने चली गई। उसने वहां सबसे पहले तो सोनिया को अपनी अभी की योजना के बारे में बताया फिर आगे और सलाह देने लगी।


नेहा- आप चाहो तो अपनी चूत की खुशबू उसको सुंघा सकती हो, ताकि वो और उतेजित हो जाए और कुछ करने लगे।
सोनिया- लेकिन योजना तो कल की थी न फिर ये आज ही क्यों?
नेहा- कल तो पूरी चुदाई की योजना है। मैंने सोचा, क्यों न आज ही इतना हो जाए कि थोड़ी आँख की शर्म मर जाए ताकि कल सब कुछ और भी आसानी से हो सके।
सोनिया- ठीक है, मैं कोशिश करुँगी।

सोनिया ने ये बात नेहा को नहीं बताई कि समीर आज ही अपनी वासना का इज़हार कर चुका है और उसके जवाब में वो पहले ही समीर का लंड चूस के उसका रस भी चूस चुकी है। कल तो सबके सामने वो समीर से चुदने वाली थी ही लेकिन तब तक छुप छुप कर मस्ती करने में जो मज़ा है, वो उसे भी खोना नहीं चाहती थी। यहाँ तक कि अगर मौका मिला तो वो नेहा और राजन से छिप कर समीर से चुदवाने के लिए भी आतुर थी।
लेकिन उसके लिए अब समय काफी कम बचा था।

बहरहाल, नेहा ने योजना के हिसाब से सोनिया के बैडरूम में अड्डा जमा लिया और समीर उसको बुलाने के बहाने वहां आकर वहीं सो गया। जब राजन सोने के लिए आया तो नेहा तो अपने रूम में चली गई लेकिन समीर वहीं सोने का बहाना करके पड़ा रहा।

राजन- क्या बात है? आज समीर यहीं सो गया? तुमने लोरी सुना दी थी क्या छोटे भाई को? हा हा हा…
सोनिया- नहीं यार, कल रात भर नेहा की चुदाई की इसने और आज दिन में सोया भी नहीं। नेहा को बुलाने आया था और यहीं सो गया तो मैंने सोचा कि सो लेने दो यहीं।
राजन- वो तो ठीक है लेकिन मैं अपनी चुदाई कुर्बान नहीं करने वाला।
सोनिया- कोई बात नहीं, ये तो घोड़े बेच कर सोता है। अगर उठ भी गया तो क्या… उस दिन नेहा ने भी तो सब देखा था।

राजन ने अपने कपड़े निकले और सोनिया ने अपने, दोनों समीर के बाजू में ही लेट कर रतिक्रिया में लिप्त हो गए। सोनिया बीच में थी और उसके एक ओर समीर सो रहा था और दूसरी तरफ राजन चिपका हुआ था।
कुछ देर ऐसे ही नंगे चूमा-चाटी और लिपटा-चिपटी करने के बाद दोनों उत्तेजित हो गए।

सोनिया- तुम ज़रा नीचे आ के मेरी चूत चाट दो न।
राजन- 69 कर लें?
सोनिया- नहीं पहले एक बार अच्छे से एक एक करके एक दूसरे की चटाई-चुसाई कर लें फिर 69 करेंगे, और उसके बाद चुदाई।

राजन नीचे जा कर सोनिया की चूत चाटने लगा और सोनिया ने उसके सर को अपने दोनों पैरों के बीच ऐसे दबोचा कि वो हिल भी न सके। इसी के साथ सोनिया ने एक हाथ समीर के शॉर्ट्स में डाल कर उसका लंड पकड़ लिया। समीर जो सच में सो गया था, अचानक से सतर्क हो गया और उसने जैसे ही सर घुमा के देखा चार उंगल की दूरी पर नंगी लेटी उसकी बहन मुस्कुरा रही थी। जैसे ही उसने देखा राजन सोनिया की जाँघों में दबा पड़ा है, वो सोनिया पर टूट पड़ा।
 
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