hotaks444
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सोनिया ने पहले अपनी ननंद नेहा को अपने पति और उसके सगे भाई से चुदवाया और अब वह खुद अपने भाई से चुदवाने के लिये नेहा को अपने भाई के गले मे डालना चाहती थी वह नेहा की शादी समीर से करवाना चाहती थी ताकि आगे भी वह समीर से चुदवा पर नेहा जो एकदम कैरेक्टर लेस थी ना सिर्फ अपने भाई से बल्कि कॉलेज में कई लड़को से चुदवाती थी और यह सब सोनिया को पता था फिर भी वह अपने छोटे भाई की लाइफ बर्बाद करने जा रही थी क्यों कि नेहा के जीवन का एक ही फंडा था प्यार एक से करो चुदवाने के लिये दुनिया पड़ी है पर क्या समीर मासूम था नही जो अपनी माँ को चोद चूंका था अपनी बहन को चोदना चाहता हों वह हरगिज मासूम नही था पर शादी के लिये प्यार होना जरूरी था सेक्स के लिये प्यार की जरूरत नही होती वह नेहा को सिर्फ चोदना चाहता था प्यार वह अपनी गर्लफ्रेंड को करता था और शादी भी उसी से करना चाहता था पर वह सबसे ज्यादा प्यार अपनी माँ और बहन से करता था।
तभी राजन वापस आ गया और डिनर की तैयारी होने लगी। डिनर के बाद राजन ने कहा- आज तो ड्रिंक करने का मन कर रहा है, चलो समीर 1-1 पेग हो जाए।
समीर- नहीं मैं नहीं पीता।
राजन- अरे! तुम्हारी दीदी तो पीती है, तुम नहीं पीते?
समीर- दीदी! आपने कब से पीना शुरू कर दिया?
समीर ने सोनिया को पुकारते हुए कहा।
सोनिया- अरे नहीं, किसी खास मौके पर इनके साथ ही थोड़ी ले लेती हूँ।
दोनों जीजा साले बाहर बालकनी में कुर्सी लगा कर बैठ गए और राजन ने दो पेग बनाए। नेहा ने नमकीन काजू की एक प्लेट ला कर रख दी और कहा- मैं सोने जा रही हूँ। समीर, ज़्यादा नखरे करने की जरूरत नहीं है, सीधे मेरे कमरे में आकर सो जाना। भैया आप समझाओ न इसे।
इतना कह कर नेहा तो चली गई, राजन समीर से बोला- हाँ यार, देख अब तू बाहर न सोये इसलिए तेरी दीदी ने कल नेहा को अंदर सुला लिया था और उस चक्कर में फिर… अब यार मैं तेरी दीदी के बिना नहीं रह सकता। समझ रहा है न?
समीर- हाँ, नेहा ने मुझे बताया था।
राजन- तो भाई तू नेहा के रूम में ही सो जाना। देख तुझे मैंने पहले ही बोल दिया था हमारे यहाँ ये सब लिहाज़ वाली बातें नहीं मानते और फिर नेहा ने खुद तुझे कहा है न आने को।
समीर- हाँ लेकिन फिर भी वो आपकी बहन है, इसलिए मैं थोड़ा…
अब तक दोनों के पेग लगभग ख़त्म हो चुके थे और थोड़ा सुरूर भी चढ़ गया था।
राजन- ये बात तो सही है, वो मेरी बहन है। उसकी मर्ज़ी के खिलाफ किसी ने उसको हाथ भी लगाया तो कमीने का हाथ तोड़ दूंगा। पर तू ही बता, अभी मैं तेरी बहन के साथ बैडरूम में क्या करने वाला हूँ, तुझे पता है न। फिर भी तुझे तो बुरा नहीं लगेगा न? तो यार मेरी बहन की मर्ज़ी से कोई कुछ भी करे मैं बुरा क्यों मानूं।
समीर- तो मतलब आपकी बहन की मर्ज़ी से मैं अभी उसके साथ कुछ कर लूँ, तो आपको कोई फर्क नहीं पड़ेगा?
राजन- यार तू किसी भी लड़की की मर्ज़ी से उसके साथ कुछ भी कर। जब तक लड़की की मर्ज़ी से है, सब सही है। फिर वो मेरी बहन हो या तेरी।
इतना कह कर राजन ने बॉटम-अप किया और बैडरूम की तरफ चला गया। समीर वैसे ही नशे में था। आज उसने पहली बार पी थी। ऊपर से ये आखिरी में जीजाजी जो बोल गए थे वो उसके दिमाग में घूम रहा था और उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि इस बात का वो क्या मतलब निकाले ‘फिर वो मेरी बहन हो या तेरी!’
तो क्या अगर मैं सोनिया की मर्ज़ी से उसे चोद दूँ तो जीजाजी को इस बात से भी फर्क नहीं पड़ेगा?
यही सब सोचते सोचते वो नेहा के कमरे की ओर चल पड़ा। मन तो उसने पूरा बना लिया था कि आज की रात वो नेहा को चोद ही देगा लेकिन अब जब बात मर्ज़ी की भी है तो ये सोचना भी ज़रूरी है कि उसको चुदाई के लिए कैसे राज़ी करें। एक तो ये पीने का बाद दिमाग वैसे ही धीरे काम कर रहा है।
तभी राजन वापस आ गया और डिनर की तैयारी होने लगी। डिनर के बाद राजन ने कहा- आज तो ड्रिंक करने का मन कर रहा है, चलो समीर 1-1 पेग हो जाए।
समीर- नहीं मैं नहीं पीता।
राजन- अरे! तुम्हारी दीदी तो पीती है, तुम नहीं पीते?
समीर- दीदी! आपने कब से पीना शुरू कर दिया?
समीर ने सोनिया को पुकारते हुए कहा।
सोनिया- अरे नहीं, किसी खास मौके पर इनके साथ ही थोड़ी ले लेती हूँ।
दोनों जीजा साले बाहर बालकनी में कुर्सी लगा कर बैठ गए और राजन ने दो पेग बनाए। नेहा ने नमकीन काजू की एक प्लेट ला कर रख दी और कहा- मैं सोने जा रही हूँ। समीर, ज़्यादा नखरे करने की जरूरत नहीं है, सीधे मेरे कमरे में आकर सो जाना। भैया आप समझाओ न इसे।
इतना कह कर नेहा तो चली गई, राजन समीर से बोला- हाँ यार, देख अब तू बाहर न सोये इसलिए तेरी दीदी ने कल नेहा को अंदर सुला लिया था और उस चक्कर में फिर… अब यार मैं तेरी दीदी के बिना नहीं रह सकता। समझ रहा है न?
समीर- हाँ, नेहा ने मुझे बताया था।
राजन- तो भाई तू नेहा के रूम में ही सो जाना। देख तुझे मैंने पहले ही बोल दिया था हमारे यहाँ ये सब लिहाज़ वाली बातें नहीं मानते और फिर नेहा ने खुद तुझे कहा है न आने को।
समीर- हाँ लेकिन फिर भी वो आपकी बहन है, इसलिए मैं थोड़ा…
अब तक दोनों के पेग लगभग ख़त्म हो चुके थे और थोड़ा सुरूर भी चढ़ गया था।
राजन- ये बात तो सही है, वो मेरी बहन है। उसकी मर्ज़ी के खिलाफ किसी ने उसको हाथ भी लगाया तो कमीने का हाथ तोड़ दूंगा। पर तू ही बता, अभी मैं तेरी बहन के साथ बैडरूम में क्या करने वाला हूँ, तुझे पता है न। फिर भी तुझे तो बुरा नहीं लगेगा न? तो यार मेरी बहन की मर्ज़ी से कोई कुछ भी करे मैं बुरा क्यों मानूं।
समीर- तो मतलब आपकी बहन की मर्ज़ी से मैं अभी उसके साथ कुछ कर लूँ, तो आपको कोई फर्क नहीं पड़ेगा?
राजन- यार तू किसी भी लड़की की मर्ज़ी से उसके साथ कुछ भी कर। जब तक लड़की की मर्ज़ी से है, सब सही है। फिर वो मेरी बहन हो या तेरी।
इतना कह कर राजन ने बॉटम-अप किया और बैडरूम की तरफ चला गया। समीर वैसे ही नशे में था। आज उसने पहली बार पी थी। ऊपर से ये आखिरी में जीजाजी जो बोल गए थे वो उसके दिमाग में घूम रहा था और उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि इस बात का वो क्या मतलब निकाले ‘फिर वो मेरी बहन हो या तेरी!’
तो क्या अगर मैं सोनिया की मर्ज़ी से उसे चोद दूँ तो जीजाजी को इस बात से भी फर्क नहीं पड़ेगा?
यही सब सोचते सोचते वो नेहा के कमरे की ओर चल पड़ा। मन तो उसने पूरा बना लिया था कि आज की रात वो नेहा को चोद ही देगा लेकिन अब जब बात मर्ज़ी की भी है तो ये सोचना भी ज़रूरी है कि उसको चुदाई के लिए कैसे राज़ी करें। एक तो ये पीने का बाद दिमाग वैसे ही धीरे काम कर रहा है।