desiaks
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इधर धीरे-धीरे कर सब चले गए और अब घर में सिर्फ मैं और अनु ही रह गए थे| मैंने अनु को सहारा दे कर उठाया और अपने कमरे में लाया, अभी तक मैंने इस घटना की खबर किसी को नहीं दी थी| अनु को बिस्तर पर बिठाया और मैं उसी के साथ बैठ गया, "बेबी भूख लगी है? कुछ बनाऊँ?" अनु ने ना में गर्दन हिलाई और अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया| "बेबी अपने लिए नहीं तो हमारे बच्चे के लिए खा लो!" मैंने अनु को हमारे होने वाले बच्चे का वास्ता दिया तो वो मान गई| मैं उसे कमरे में छोड़ जाने लगा तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया; "बाहर से मंगा लो!" मैंने खाना बाहर से मंगाया और मैं खुद अनु के साथ बैठ गया| अनु मेरे कंधे पर सर रख बैठी रही और उसकी आँख लग गई, कुछ देर बाद जब बेल्ल बजी तो वो एकदम से डर गई; "बेबी खाना आ गया!" मैंने अनु को विश्वास दिलाया की उसे डरने की कोई जर्रूरत नहीं| खाना परोस कर मैं अनु के पास आया और उसे खुद अपने हाथ से खिलाया, अनु ने भी मुझे अपने हाथ से खिलाया| खाना खा कर मैंने अनु को लिटा दिया और मैं भी उसकी बगल में ले गया| अनु ने मेरा बायाँ हाथ उठा कर अपनी छाती पर रख लिया क्योंकि उसका डर अब भी खत्म नहीं हुआ था और मेरा हाथ उसकी छाती पर होने से उसे सुरक्षित महसूस हो रहा था| कुछ देर बाद अनु सो गई और सीधा शाम को उठी, मैं अब भी उसकी बगल में लेटा था और अपने बदले की प्लानिंग कर रहा था|
मैंने रात को अरुण को फ़ोन किया और उसे बताया की परसों सारा समान पहुंचेगा तो वो सब समान शिफ्ट करवा दे| मेरी गंभीर आवाज सुन वो भी सन्न था पर मैंने उसे कुछ नहीं बताया, बस ये कहा की अनु की तबियत ठीक नहीं है इसलिए थोड़ा परेशान हूँ! रात को जब मैं खाना बनाने लगा तो अनु मेरे सामने बैठ गई और मुझे गौर से देखने लगी, मैंने माहौल को हल्का करने के लिए उससे थोड़ा मज़ाक किया; "बेबी...ऐसे क्या देख रहे हो? मुझे शर्म आ रही है!" ये कहते हुए मैं ऐसे शरमाया जैसे मुझे सच में शर्म आ रही हो| अनु एकदम से हँस दी पर अगले ही पल उसे वो डरावना मंजर याद आया और उसकी आँखें फिर नम हो गईं| मैं रोती बनानाना छोड़ कर उसके पास आया और उसे अपने सीने से लगा लिया| "बस...बस! मेला बहादुर बेबी है ना?" मैं तुतलाते हुए कहा तो अनु ने अपने आँसूँ पोछे और फिर से मुझे गौर से देखने लगी| "Baby… I know its not easy for you to forget what happened today but please for the sake of our child try to forfet this horrific incident. Your seriousness, your fear is harmful for our kid!” मैंने अनु को एक बार फिर अपने होने वाले बच्चे का वास्ता दिया| अनु ने अपनी हिम्मत बटोरी और पूरी ताक़त लगा कर मुस्कुराई और बोली; "मुझे हलवा खाना है!" मैंने उसके मस्तक को चूमा और उसके लिए बढ़िया वाला हलवा बनाया| रात में हम दोनों ने एक दूसरे को खाना खिलाया और फिर दोनों लेट गए| अनु ने रात को मेरा हाथ फिर से अपनी छाती पर रख लिया, कुछ देर बाद उसने बायीं करवट ली जो मेरी तरफ थी और मेरा हाथ फिर से अपनी कमर पर रख लिया| मैंने अनु के मस्तक को चूमा तो वो धीरे से मुस्कुराई, उसकी मुस्कराहट देख मेरे दिल को सुकून मिला| सुबह जागते हुए ही निकली, मैंने अनु के लिए कॉफ़ी बनाई और उसे प्यार से उठाया| अनु ने आँखें तो खौल लीं पर वो फिर से कुछ सोचने लगी| मुझे उसे सोचने से रोकना था इसलिए मैंने झुक कर उसके गाल को चूम लिया, मेरे होठों के एहसास से अनु मुस्कुराई और फिर उठ कर बैठ गई| नाश्ता करने के बाद मैं अनु के पास ही बैठा था और उसका ध्यान अपनी इधर-उधर की बातों में लगा दिया| पर उसका दिमाग अब भी उन्हीं बातों को याद कर रहा था, कुछ सोचने के बाद वो बोली; "मेमसाब ...रितिका ही है ना?" अनु की बात सुन कर मैं एकदम से चुप हो गया| अनु ने फिर से अपनी बात दोहराई; "है ना?" मैंने ना में सर हिलाया तो उसने दूसरा सवाल पुछा; "तो फिर कौन है?"
"मुझे नहीं पता? शायद जैस्मिन (कुमार की गर्लफ्रेंड) हो?" मैंने बात बनाते हुए कहा|
"उसे हमारे घर का एड्रेस कैसे पता?" अनु ने तीसरा सवाल पुछा| "हमारे घर अक एड्रेस मैंने सिर्फ भाभी को बताया था और हो न हो रितिका ने सुन लिया होगा!" अनु बोली| ये सुनने के बाद मेरा गुस्सा बाहर आ ही गया;
"हाँ वो ज़लील औरत रितिका ही है और मैं उसे नहीं छोड़ूँगा!" मैंने गुस्से से कहा और अनु को सारा सच बता दिया जो मैंने उस आदमी से उगलवाया था|
"नहीं...आप ऐसा कुछ नहीं करोगे?" अनु ने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा|
"तो हाथ पर हाथ रखा बैठा रहूँ? या फिर इंतजार करूँ की कब वो अगलीबार हमें नुक्सान पहुँचाने में कामयाब हो? ना तो मैं इस डर के साये में जी सकता हूँ ना ही अपने बच्चे को इस डर के साये में जीने दूँगा!" मैंने खड़े होते हुए कहा|
"आप ने ऐसा कुछ भी किया तो आप जानते हो उसका क्या नतीज़ा होगा? आपको जेल हो जाएगी, फिर मेरा क्या होगा और हमारे बच्चे का क्या होगा? आप पुलिस में कंप्लेंट कर दो वो अपने आप देख लेगी!" अनु बोली|
"आपको लगता है की पुलिस कंप्लेंट करने से सब सुलझ जायेगा? जो अपने गुंडे यहाँ भेज सकती है क्या वो खुद को बचाने के लिए पुलिस और कानून का इस्तेमाल नहीं कर सकती? इस समस्या का बस एक ही अंत है और वो है उसकी मौत!" मैंने कहा|
"फिर नेहा का क्या होगा? कम से कम उसका तो सोचो?" अनु बोली|
"उसे कुछ नहीं होगा, उल्टा रितिका के मरने के बाद हम उसे आसानी से गोद ले सकते हैं| हमें हमारी बेटी वापस मिल जाएगी!" मैंने कहा|
"और जब उसे पता लगेगा की उसकी माँ का खून आपने किया है तब?" अनु के ये आखरी सवाल ऐसा था जो मुझे बहुत चुभा था|
"जब वो सही और गलत समझने लायक बड़ी हो जाएगी तो मैं खुद उसे ये सब बता दूँगा और वो जो भी फैसला करेगी मैं वो सर झुका कर मान लूँगा|" मैंने बड़े इत्मीनान से जवाब दिया|
"ये पाप है...आप क्यों अपने हाथ उसके गंदे खून से रंगना चाहते हो! प्लीज मत करो ऐसा कुछ!....सब कुछ खत्म हो जायेगा!" अनु गिड़गिड़ाते हुए बोली| मैंने अनु को संभाला और उसकी आँखों में देखते हुए कहा;
"जब किसी इंसान के घर में कोई जंगली जानवर घुस जाता है तो वो ये नहीं देखता की वो जीव हत्या कर रहा है, उसका फ़र्ज़ सिर्फ अपने परिवार की रक्षा करना होता है| रितिका वो जानवर है और अगर मैंने उसे नहीं रोका तो कल को इससे भी बड़ा कदम उठाएगी और शायद वो अपने गंदे इरादों में कामयाब भी हो जाए| मैं तुम्हें नहीं खो सकता वरना मेरे पास जीने को रहेगा ही क्या? प्लीज मुझे मत रोको....मैं कुछ भी जोश में नहीं कर रहा ....सब कुछ planned है!" मैंने कहा और फिर अनु को सारा प्लान सुना दिया| Plan foolproof था, पर अनु का दिल अब भी इसकी गवाही नहीं दे रहा था| "अच्छा ठीक है...मैं अभी कुछ नहीं कर रहा... okay?" मैंने फिलहाल के लिए हार मानी पर अनु को संतुष्टि नहीं मिली थी; "Promise me, बिना मेरे पूछे आप कुछ नहीं करोगे?" अब मेरे पास सिवाय उसकी बात मानने के और कोई रास्ता नहीं था| इसलिए मैंने अनु से वादा कर दिया की बिना उसकी इज्जाजत के मैं कुछ नहीं करूँगा| मेरे लिए अभी अनु की ख़ुशी ज्यादा जर्रूरी थी, मेरी बात सुन अनु को अब पूर्ण विश्वास हो गया की मैं कुछ नहीं करूँगा| 20 जनवरी को हम ने बैंगलोर का घर खाली कर दिया और हम लखनऊ के लिए निकल गए| पहले अनु ने नया घर देखा और फिर नया ऑफिस, अनु बहुत खुश हुई, फिर हम गाँव लौट आये| यहाँ सब की मौजूदगी में अनु ज्यादा खुश रहने लगी| अनु ने मुझे साफ़ मना कर दिया की मैं उस घटना के बारे में किसी से कोई जिक्र न करूँ, इसलिए मैं चुप रहा|
मैंने रात को अरुण को फ़ोन किया और उसे बताया की परसों सारा समान पहुंचेगा तो वो सब समान शिफ्ट करवा दे| मेरी गंभीर आवाज सुन वो भी सन्न था पर मैंने उसे कुछ नहीं बताया, बस ये कहा की अनु की तबियत ठीक नहीं है इसलिए थोड़ा परेशान हूँ! रात को जब मैं खाना बनाने लगा तो अनु मेरे सामने बैठ गई और मुझे गौर से देखने लगी, मैंने माहौल को हल्का करने के लिए उससे थोड़ा मज़ाक किया; "बेबी...ऐसे क्या देख रहे हो? मुझे शर्म आ रही है!" ये कहते हुए मैं ऐसे शरमाया जैसे मुझे सच में शर्म आ रही हो| अनु एकदम से हँस दी पर अगले ही पल उसे वो डरावना मंजर याद आया और उसकी आँखें फिर नम हो गईं| मैं रोती बनानाना छोड़ कर उसके पास आया और उसे अपने सीने से लगा लिया| "बस...बस! मेला बहादुर बेबी है ना?" मैं तुतलाते हुए कहा तो अनु ने अपने आँसूँ पोछे और फिर से मुझे गौर से देखने लगी| "Baby… I know its not easy for you to forget what happened today but please for the sake of our child try to forfet this horrific incident. Your seriousness, your fear is harmful for our kid!” मैंने अनु को एक बार फिर अपने होने वाले बच्चे का वास्ता दिया| अनु ने अपनी हिम्मत बटोरी और पूरी ताक़त लगा कर मुस्कुराई और बोली; "मुझे हलवा खाना है!" मैंने उसके मस्तक को चूमा और उसके लिए बढ़िया वाला हलवा बनाया| रात में हम दोनों ने एक दूसरे को खाना खिलाया और फिर दोनों लेट गए| अनु ने रात को मेरा हाथ फिर से अपनी छाती पर रख लिया, कुछ देर बाद उसने बायीं करवट ली जो मेरी तरफ थी और मेरा हाथ फिर से अपनी कमर पर रख लिया| मैंने अनु के मस्तक को चूमा तो वो धीरे से मुस्कुराई, उसकी मुस्कराहट देख मेरे दिल को सुकून मिला| सुबह जागते हुए ही निकली, मैंने अनु के लिए कॉफ़ी बनाई और उसे प्यार से उठाया| अनु ने आँखें तो खौल लीं पर वो फिर से कुछ सोचने लगी| मुझे उसे सोचने से रोकना था इसलिए मैंने झुक कर उसके गाल को चूम लिया, मेरे होठों के एहसास से अनु मुस्कुराई और फिर उठ कर बैठ गई| नाश्ता करने के बाद मैं अनु के पास ही बैठा था और उसका ध्यान अपनी इधर-उधर की बातों में लगा दिया| पर उसका दिमाग अब भी उन्हीं बातों को याद कर रहा था, कुछ सोचने के बाद वो बोली; "मेमसाब ...रितिका ही है ना?" अनु की बात सुन कर मैं एकदम से चुप हो गया| अनु ने फिर से अपनी बात दोहराई; "है ना?" मैंने ना में सर हिलाया तो उसने दूसरा सवाल पुछा; "तो फिर कौन है?"
"मुझे नहीं पता? शायद जैस्मिन (कुमार की गर्लफ्रेंड) हो?" मैंने बात बनाते हुए कहा|
"उसे हमारे घर का एड्रेस कैसे पता?" अनु ने तीसरा सवाल पुछा| "हमारे घर अक एड्रेस मैंने सिर्फ भाभी को बताया था और हो न हो रितिका ने सुन लिया होगा!" अनु बोली| ये सुनने के बाद मेरा गुस्सा बाहर आ ही गया;
"हाँ वो ज़लील औरत रितिका ही है और मैं उसे नहीं छोड़ूँगा!" मैंने गुस्से से कहा और अनु को सारा सच बता दिया जो मैंने उस आदमी से उगलवाया था|
"नहीं...आप ऐसा कुछ नहीं करोगे?" अनु ने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा|
"तो हाथ पर हाथ रखा बैठा रहूँ? या फिर इंतजार करूँ की कब वो अगलीबार हमें नुक्सान पहुँचाने में कामयाब हो? ना तो मैं इस डर के साये में जी सकता हूँ ना ही अपने बच्चे को इस डर के साये में जीने दूँगा!" मैंने खड़े होते हुए कहा|
"आप ने ऐसा कुछ भी किया तो आप जानते हो उसका क्या नतीज़ा होगा? आपको जेल हो जाएगी, फिर मेरा क्या होगा और हमारे बच्चे का क्या होगा? आप पुलिस में कंप्लेंट कर दो वो अपने आप देख लेगी!" अनु बोली|
"आपको लगता है की पुलिस कंप्लेंट करने से सब सुलझ जायेगा? जो अपने गुंडे यहाँ भेज सकती है क्या वो खुद को बचाने के लिए पुलिस और कानून का इस्तेमाल नहीं कर सकती? इस समस्या का बस एक ही अंत है और वो है उसकी मौत!" मैंने कहा|
"फिर नेहा का क्या होगा? कम से कम उसका तो सोचो?" अनु बोली|
"उसे कुछ नहीं होगा, उल्टा रितिका के मरने के बाद हम उसे आसानी से गोद ले सकते हैं| हमें हमारी बेटी वापस मिल जाएगी!" मैंने कहा|
"और जब उसे पता लगेगा की उसकी माँ का खून आपने किया है तब?" अनु के ये आखरी सवाल ऐसा था जो मुझे बहुत चुभा था|
"जब वो सही और गलत समझने लायक बड़ी हो जाएगी तो मैं खुद उसे ये सब बता दूँगा और वो जो भी फैसला करेगी मैं वो सर झुका कर मान लूँगा|" मैंने बड़े इत्मीनान से जवाब दिया|
"ये पाप है...आप क्यों अपने हाथ उसके गंदे खून से रंगना चाहते हो! प्लीज मत करो ऐसा कुछ!....सब कुछ खत्म हो जायेगा!" अनु गिड़गिड़ाते हुए बोली| मैंने अनु को संभाला और उसकी आँखों में देखते हुए कहा;
"जब किसी इंसान के घर में कोई जंगली जानवर घुस जाता है तो वो ये नहीं देखता की वो जीव हत्या कर रहा है, उसका फ़र्ज़ सिर्फ अपने परिवार की रक्षा करना होता है| रितिका वो जानवर है और अगर मैंने उसे नहीं रोका तो कल को इससे भी बड़ा कदम उठाएगी और शायद वो अपने गंदे इरादों में कामयाब भी हो जाए| मैं तुम्हें नहीं खो सकता वरना मेरे पास जीने को रहेगा ही क्या? प्लीज मुझे मत रोको....मैं कुछ भी जोश में नहीं कर रहा ....सब कुछ planned है!" मैंने कहा और फिर अनु को सारा प्लान सुना दिया| Plan foolproof था, पर अनु का दिल अब भी इसकी गवाही नहीं दे रहा था| "अच्छा ठीक है...मैं अभी कुछ नहीं कर रहा... okay?" मैंने फिलहाल के लिए हार मानी पर अनु को संतुष्टि नहीं मिली थी; "Promise me, बिना मेरे पूछे आप कुछ नहीं करोगे?" अब मेरे पास सिवाय उसकी बात मानने के और कोई रास्ता नहीं था| इसलिए मैंने अनु से वादा कर दिया की बिना उसकी इज्जाजत के मैं कुछ नहीं करूँगा| मेरे लिए अभी अनु की ख़ुशी ज्यादा जर्रूरी थी, मेरी बात सुन अनु को अब पूर्ण विश्वास हो गया की मैं कुछ नहीं करूँगा| 20 जनवरी को हम ने बैंगलोर का घर खाली कर दिया और हम लखनऊ के लिए निकल गए| पहले अनु ने नया घर देखा और फिर नया ऑफिस, अनु बहुत खुश हुई, फिर हम गाँव लौट आये| यहाँ सब की मौजूदगी में अनु ज्यादा खुश रहने लगी| अनु ने मुझे साफ़ मना कर दिया की मैं उस घटना के बारे में किसी से कोई जिक्र न करूँ, इसलिए मैं चुप रहा|