desiaks
Administrator
- Joined
- Aug 28, 2015
- Messages
- 24,893
मैंने टिफिन जमीन पे रखा तो वो टिफिन लेकर लिफ्ट की राह देखे बगैर सीढ़ियों से ही उतर गया। घड़ी में 1:30 बज चुके थे पर रामू अभी तक नहीं आया था। कल मैंने कान्ता की बात सुनकर निश्चय कर लिया था की मैं किसी भी तरह रामू को समझाकर उसके साथ भेज देंगी। पर उसके पहले मैं अंतिम बार रामू से सेक्स करना। चाहती थी। 10-15 मिनट और हो गई, रामू नहीं आया। तभी मुझे खयाल आया की घर का सारा काम तो बाकी है, रामू के आने बाद काम में ही और आधा घंटा लेट हो जाएगा। तब मैं किचन में गई और बर्तन धोने लगी, सारे बर्तन धोकर बाहर आई पर रामू अभी तक नहीं आया था। मैं झाडू लगाकर पोंछा करके पानी बाथरूम में डाल ही रही थी तभी रामू आ गया।
मैं- “कहां थे इतनी देर?” मैंने पूछा।
रामू- “महेश साहब आज भी आने को बोल रहे थे, मैंने ना बोल दिया...” रामू ने कहा।
मैं- “अच्छा किया, वो दरवाजा बंद करके अंदर आ जाओ..." कहकर मैं बेडरूम में चली गई और एसी ओन कर दिया तब तक रामू आ गया।
रामू- “मेमसाब आज की पगार काट लेना...” रामू ने हँसते हुये कहा।
मैं- “काटूगी नहीं, अभी वसूल कर लूंगी..” कहते हुये मैं मुश्कुराई।
रामू ने मुझे दीवार से सटाकर खड़ा कर दिया और मेरी गर्दन पे चुंबन करने लगा। बीच-बीच में मेरे होंठों को। उसके होंठों से छू लेता था।
थोड़ी देर बाद मैंने रामू के होंठों पे मेरे होंठ रगड़ते हुये कहा- “मेरी जगह तुम आ जाओ..."
अब रामू दीवार से सटकर खड़ा था और उसकी जगह मैं। मैंने उसकी बनियान को पकड़ा और अलग-अलग दिशा में खींचकर बनियान को फाड़ दिया। अब मेरी निगाहों के सामने रामू का काला सीना था। मैंने उसके दोनों काले
निप्पलों का बारी-बारी चुंबन किया, और फिर झुकती हुई जमीन पर बैठ गई।
मैंने उसकी चड्डी में उंगलियां हँसाई और एक ही झटके में रामू को जनमजात नंगा कर दिया। मैं पहली बार इतनी नजदीक से रामू के लण्ड को देख रही थी।
सच कहूँ तो अब तक जितनी बार भी देखा है उतनी बार अलाप-जलाप ही देखा है। पर आज मैं इतनी नजदीक थी की उसका रंग, गंध और साइज महसूस भी कर सकती थी और ध्यान से देख भी सकती थी। रामू जितना काला था उससे भी उसके लण्ड का रंग ज्यादा काला था, और गंध तो हर मर्द के लण्ड से आती ही है, पेशाब और पसीने की बदबू, किसी में कम तो किसी में ज्यादा। रामू के लण्ड की साइज देखकर मेरे मुँह से निकल गया- “महाराजा...” जो रामू ने सुन लिया।
रामू- “मेमसाब, अपुन के लण्ड को महाराजा क्यों बोली आप?” रामू ने पूछा।
मैं- “पहले के जमाने में सबसे बड़े राजा को महाराजा बोलते थे इसलिए..” मैंने कहा।
रामू- “मतलब की मेमसाब, अपुन का लण्ड सबसे बड़ा है, आपने कितने लण्ड देखे हैं आज तक?” रामू ने पूछा।
मैं- “चुप...” इतना कहकर मैंने अपनी जीभ निकाली। जीभ निकालकर फिर मुँह के अंदर ले ली और ऊपर रामू की तरफ देखा।
रामू- “क्यों तड़पा रही हो मेमसाब?” रामू ने बेसब्री से कहा।
मैं- “कहां थे इतनी देर?” मैंने पूछा।
रामू- “महेश साहब आज भी आने को बोल रहे थे, मैंने ना बोल दिया...” रामू ने कहा।
मैं- “अच्छा किया, वो दरवाजा बंद करके अंदर आ जाओ..." कहकर मैं बेडरूम में चली गई और एसी ओन कर दिया तब तक रामू आ गया।
रामू- “मेमसाब आज की पगार काट लेना...” रामू ने हँसते हुये कहा।
मैं- “काटूगी नहीं, अभी वसूल कर लूंगी..” कहते हुये मैं मुश्कुराई।
रामू ने मुझे दीवार से सटाकर खड़ा कर दिया और मेरी गर्दन पे चुंबन करने लगा। बीच-बीच में मेरे होंठों को। उसके होंठों से छू लेता था।
थोड़ी देर बाद मैंने रामू के होंठों पे मेरे होंठ रगड़ते हुये कहा- “मेरी जगह तुम आ जाओ..."
अब रामू दीवार से सटकर खड़ा था और उसकी जगह मैं। मैंने उसकी बनियान को पकड़ा और अलग-अलग दिशा में खींचकर बनियान को फाड़ दिया। अब मेरी निगाहों के सामने रामू का काला सीना था। मैंने उसके दोनों काले
निप्पलों का बारी-बारी चुंबन किया, और फिर झुकती हुई जमीन पर बैठ गई।
मैंने उसकी चड्डी में उंगलियां हँसाई और एक ही झटके में रामू को जनमजात नंगा कर दिया। मैं पहली बार इतनी नजदीक से रामू के लण्ड को देख रही थी।
सच कहूँ तो अब तक जितनी बार भी देखा है उतनी बार अलाप-जलाप ही देखा है। पर आज मैं इतनी नजदीक थी की उसका रंग, गंध और साइज महसूस भी कर सकती थी और ध्यान से देख भी सकती थी। रामू जितना काला था उससे भी उसके लण्ड का रंग ज्यादा काला था, और गंध तो हर मर्द के लण्ड से आती ही है, पेशाब और पसीने की बदबू, किसी में कम तो किसी में ज्यादा। रामू के लण्ड की साइज देखकर मेरे मुँह से निकल गया- “महाराजा...” जो रामू ने सुन लिया।
रामू- “मेमसाब, अपुन के लण्ड को महाराजा क्यों बोली आप?” रामू ने पूछा।
मैं- “पहले के जमाने में सबसे बड़े राजा को महाराजा बोलते थे इसलिए..” मैंने कहा।
रामू- “मतलब की मेमसाब, अपुन का लण्ड सबसे बड़ा है, आपने कितने लण्ड देखे हैं आज तक?” रामू ने पूछा।
मैं- “चुप...” इतना कहकर मैंने अपनी जीभ निकाली। जीभ निकालकर फिर मुँह के अंदर ले ली और ऊपर रामू की तरफ देखा।
रामू- “क्यों तड़पा रही हो मेमसाब?” रामू ने बेसब्री से कहा।