desiaks
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पप्पू ने मेरी चूत पे चुंबन किया तो मेरे सारे बदन में करेंट दौड़ गया।
मैं लेटी हुई थी इसलिए पप्पू को मेरी चूत चाटते हुये देख नहीं सकती थी, जो मैं देखना चाहती थी। मैंने मेरा सिर उठाया और नीचे दो तकिये रख दिये जिससे मेरा सिर ऊंचा हो गया और मैं पप्पू के चेहरे को साफ-साफ । देखने लगी। मैं ऐसे क्यूट से लड़के को मेरी चूत चाटते हुये देखना चाहती थी। आज तक मैं जब भी जिससे भी चुदी थी, हर बार मैंने पूरा मजा लिया था, फिर भी सभी ने मुझे उनकी मनमानी से चोदा था। आज मैं पप्पू से मेरे तरीकों से चुदवाना चाहती थी, मैं पप्पू को मेरा स्लट बनाना चाहती थी।
मैं- “जीभ निकालकर चाटो पप्पू..."
मेरे इतना कहते ही पप्पू ने अपनी जबान निकाली और चूत के बाहरी भाग को चाटा।
मैंने उसका सिर पकड़कर मेरी चूत पर थोड़ी देर दबाया और फिर छोड़ दिया और कहा- “क्यों तड़पा रहे हो पप्पू?”
मेरे छोड़ते ही पप्पू ने एक लंबी सांस ली और चूत को उंगलियों से अलग-अलग दिशा में खींचकर जबान अंदर । डालकर चाटने लगा। शायद उसका मुँह चूत पर दबाने से उसकी झिझक कम हो गई थी। आज मुझे दोगुना मजा मिल रहा था, देखने का और चटवाने का। पप्पू ने पूरी मस्ती से थोड़ी देर मेरी चूत चाटी, उसके बाद मैंने उसे । मेरे ऊपर आने को कहा। पहले तो मैं पप्पू का लण्ड चूसना चाहती थी, लेकिन अब डर रही थी की कहीं वो झड़ न जाय।
मैंने सोचा था की मुझे पप्पू का लण्ड पकड़कर मेरी चूत में डलवाना पड़ेगा। नीरव और अंकल से चुदवाते वक़्त मुझे उनका लण्ड मेरी चूत के द्वार पर रखना पड़ता है। इसके पहले मैंने पप्पू से चुदवाया था तो, तब उसका लण्ड भी मैंने पकड़कर ही इलवाया था।
“आहह.." पप्पू का लण्ड मेरी चूत में घुसते ही मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई।
जल्दी सिख गया था वो, मुझे उसका लण्ड पकड़कर डलवाने की जरूरत नहीं पड़ी। कुछ पल रुककर पप्पू हिलाने लगा, पहले धीरे-धीरे और फिर बहुत तेजी से। मैं उसकी पीठ सहलाने लगी। उबलती जवानी के करण पप्पू बहुत ही जोरों से चोद रहा था, उसके जितनी तेजी से मैं मेरी गाण्ड उठा नहीं पा रही थी।
चुदवाते हुये मैं सिसकारी के साथ- “चोदो... चोदो... जोर से चोदो पप्पू...” ऐसा कब बोलने लगी, वो मुझे पता ही नहीं चला। मैं पप्पू को किस करते हुये उसके होंठ चूसने लगी।
मैंने मेरी जबान बाहर निकाली जिसे पप्पू उसके दोनों होंठों बीच दबाकर चूसने लगा, बाद में उसने उसकी जबान निकाली और उससे मेरी जबान को सहलाने लगा। हमारी गरम सांसों से रूम का तापमान बढ़ गया था। मैंने पप्पू को कंधे से कसकर पकड़ा और मेरी दोनों टांगों को अलग-अलग दिशा में खींचकर जोर लगाकर मेरी गाण्ड को उछालने लगी। पप्पू की स्पीड से लग रहा था की वो भी बहुत उत्तेजित हो गया है। थोड़ी देर ऐसे ही हमारी चदाई का दौर चलता रहा और बाद में हम दोनों एक साथ झई।
झड़ते वक़्त मैंने पप्पू को कसकर पकड़ रखा था, मैं चाहती थी कि उसका सारा वीर्य मेरी चूत में जाय, एक बूंद भी बाहर ना निकले। क्या मालूम कौन सी बूंद से गर्भ ठहर जाय, क्योंकि मुझे पप्पू जैसा क्यूट बच्चा चाहिए।
मैं लेटी हुई थी इसलिए पप्पू को मेरी चूत चाटते हुये देख नहीं सकती थी, जो मैं देखना चाहती थी। मैंने मेरा सिर उठाया और नीचे दो तकिये रख दिये जिससे मेरा सिर ऊंचा हो गया और मैं पप्पू के चेहरे को साफ-साफ । देखने लगी। मैं ऐसे क्यूट से लड़के को मेरी चूत चाटते हुये देखना चाहती थी। आज तक मैं जब भी जिससे भी चुदी थी, हर बार मैंने पूरा मजा लिया था, फिर भी सभी ने मुझे उनकी मनमानी से चोदा था। आज मैं पप्पू से मेरे तरीकों से चुदवाना चाहती थी, मैं पप्पू को मेरा स्लट बनाना चाहती थी।
मैं- “जीभ निकालकर चाटो पप्पू..."
मेरे इतना कहते ही पप्पू ने अपनी जबान निकाली और चूत के बाहरी भाग को चाटा।
मैंने उसका सिर पकड़कर मेरी चूत पर थोड़ी देर दबाया और फिर छोड़ दिया और कहा- “क्यों तड़पा रहे हो पप्पू?”
मेरे छोड़ते ही पप्पू ने एक लंबी सांस ली और चूत को उंगलियों से अलग-अलग दिशा में खींचकर जबान अंदर । डालकर चाटने लगा। शायद उसका मुँह चूत पर दबाने से उसकी झिझक कम हो गई थी। आज मुझे दोगुना मजा मिल रहा था, देखने का और चटवाने का। पप्पू ने पूरी मस्ती से थोड़ी देर मेरी चूत चाटी, उसके बाद मैंने उसे । मेरे ऊपर आने को कहा। पहले तो मैं पप्पू का लण्ड चूसना चाहती थी, लेकिन अब डर रही थी की कहीं वो झड़ न जाय।
मैंने सोचा था की मुझे पप्पू का लण्ड पकड़कर मेरी चूत में डलवाना पड़ेगा। नीरव और अंकल से चुदवाते वक़्त मुझे उनका लण्ड मेरी चूत के द्वार पर रखना पड़ता है। इसके पहले मैंने पप्पू से चुदवाया था तो, तब उसका लण्ड भी मैंने पकड़कर ही इलवाया था।
“आहह.." पप्पू का लण्ड मेरी चूत में घुसते ही मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई।
जल्दी सिख गया था वो, मुझे उसका लण्ड पकड़कर डलवाने की जरूरत नहीं पड़ी। कुछ पल रुककर पप्पू हिलाने लगा, पहले धीरे-धीरे और फिर बहुत तेजी से। मैं उसकी पीठ सहलाने लगी। उबलती जवानी के करण पप्पू बहुत ही जोरों से चोद रहा था, उसके जितनी तेजी से मैं मेरी गाण्ड उठा नहीं पा रही थी।
चुदवाते हुये मैं सिसकारी के साथ- “चोदो... चोदो... जोर से चोदो पप्पू...” ऐसा कब बोलने लगी, वो मुझे पता ही नहीं चला। मैं पप्पू को किस करते हुये उसके होंठ चूसने लगी।
मैंने मेरी जबान बाहर निकाली जिसे पप्पू उसके दोनों होंठों बीच दबाकर चूसने लगा, बाद में उसने उसकी जबान निकाली और उससे मेरी जबान को सहलाने लगा। हमारी गरम सांसों से रूम का तापमान बढ़ गया था। मैंने पप्पू को कंधे से कसकर पकड़ा और मेरी दोनों टांगों को अलग-अलग दिशा में खींचकर जोर लगाकर मेरी गाण्ड को उछालने लगी। पप्पू की स्पीड से लग रहा था की वो भी बहुत उत्तेजित हो गया है। थोड़ी देर ऐसे ही हमारी चदाई का दौर चलता रहा और बाद में हम दोनों एक साथ झई।
झड़ते वक़्त मैंने पप्पू को कसकर पकड़ रखा था, मैं चाहती थी कि उसका सारा वीर्य मेरी चूत में जाय, एक बूंद भी बाहर ना निकले। क्या मालूम कौन सी बूंद से गर्भ ठहर जाय, क्योंकि मुझे पप्पू जैसा क्यूट बच्चा चाहिए।