Hindi Antarvasna - चुदासी - Page 18 - SexBaba
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Hindi Antarvasna - चुदासी

मेरे मुँह से मादक आवाजें निकलने लगीं, मेरे हाथ खुद-ब-खुद उसके बालों पर जाकर उसे सहलाने लगे, और मेरे पैर थोड़े ऊपर होकर पंजों से अब्दुल के लण्ड को छूने लगे। कुछ देर बाद अब्दुल ने मेरे मम्मों को छोड़कर नाभि पर किस किया, बाद में फिर से ऊपर आ गया। मैंने मेरी टांगों को चौड़ा करके उसे बीच में किया, मेरी चूत के अंदर पानी की नदियां बहने लगी थीं। वो सागर बनकर छलकने लगे, उसके पहले में चुदवा लेना चाहती थी। अब्दुल ने मेरी चूत को अपनी उंगली से कुरेदकर अपना लण्ड मेरी चूत के द्वार पर रख दिया।

मैंने मेरे होंठ सख्ती से भींच दिया क्योंकि उसके लण्ड की साइज से मैं जानती थी की दर्द तो होने वाला ही है। अब्दुल ने धीरे से एक धक्का दिया और उसका आधा लण्ड अंदर चला गया। थोड़ा सा दर्द हुवा, मैं थोड़ी निश्चिंत हो गई, तभी अब्दुल ने दूसरी बार धक्का दे दिया और उसका पूरा लण्ड मेरी चूत में समा गया।

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अब्दुल निशा की चुदाई पूरी करता है तभी खुशबू का फोन आता है निशा को- “मैं भाग चुकी हूँ..”

निशा अब्दुल को सब बता देती है की खुशबू और पप्पू भाग चुके हैं और बाद में वो इमरान की चुदाई वीडियो भी अब्दुल को बता देती है। अब्दुल निशा के फोन से खुशबू से बात करता है और वापस आने को कहता है। अब्दुल खुशबू और पप्पू का रिश्ता कबूल करता है।

दूसरे दिन निशा न्यूज पेपर में पढ़ती है की अब्दुल ने इमरान का खून कर दिया है।

बाद में निशा राजकोट चली जाती है। पंद्रह दिन बाद करण उसके सपनों में आता है। वो निशा को कम-नसीब कहता है। वो कहता है की तुम जिसकी जिंदगी में जाती हो वो बर्बाद हो जाता है। नीरव को घर छोड़ना पड़ा।

और जीजू को नुकसान हुवा, अंकल मर गये और रामू और अब्दुल के हाथों खून हो गया। निशा बहुत लड़ती है। करण से, फिर तो करण बार-बार उसके पास सपनों में आने लगा।

उसके बाद विजय रीता का बलात्कार करता है। निशा सुनकर अहमदाबाद जाती है। रीता सदमे से पागल हो गई थी और अमित भाई डर रहे होते हैं। निशा अब्दुल के साथ मिलकर विजय से बदला लेती है। निशा राजकोट वापस जाती है, तब उसके ससुर को हार्ट अटैक आया हुवा होता है। वो हास्पिटल जाती है तब उसे मालूम पड़ता है की उसके ससुर के और उसकी जेठानी के अवैध संबंध थे। उसके ससुर ने उनकी दौलत दोनों भाइयों के नाम आधी-आधी की हुई थी। निशा उसके जेठ जेठानी की बात सुनती है वो लोग उसके ससुर से सही (साइन) करवाके सारी दौलत हथिया लेने का प्लान बना रहे थे।

जेठ जेठानी लोग कुछ करें उसके पहले निशा विल पर साइन करवाकर उसके ससुर से सेक्स करती है। उसके ससुर को सेक्स करते हुये फिर से हार्ट अटैक आता है और वो मर जाते हैं।

उसके बाद निशा, नीरव और उसकी बहन और जीजू एक साथ घूमने जाते हैं। वहां वो जीजू को कहती है की नीरव सेक्स में कमजोर है। जीजू नीरव को कुछ ट्रिक देता है, जिससे नीरव अच्छे तरीके से सेक्स करता है। निशा खुश हो जाती है। उसकी जिंदगी उसे प्यारी लगने लगती है। वापस आते समय उनकी गाड़ी का एक्सीडेंट हो जाता है, जिसमें नीरव और मीना की मौत हो जाती है।

निशा फिर से वही हाल में आ जाती है जो पहले थी। लेकिन इस बार वो गलत रास्ते पर नहीं जाती। उसके पापा और मम्मी उसे जीजू से शादी कर लो ऐसा कहते हैं तो वो ना कहती है।

दो महीने बाद होली के दिन धुलेटी के अगले दिन निशा उसके जीजू से उसकी जिंदगी की सारी बात बताती है, जिसे सुनने के बाद जीजू कुछ बोले बगैर चले जाते हैं।

दूसरे दिन जीजू आकर निशु को मेरे साथ शादी करोगी ऐसा पूछते हैं। निशा ना कहती है लेकिन उसके पापा और मम्मी उससे हाँ कहलवाते हैं।

शादी के बाद फिर से निशा के सपनों में करण आता है तो जीजू उसे डाक्टर के पास ले जाते हैं। डाक्टर उसे ये भ्रम था ऐसा कहते हैं। लगे रहो मुन्नाभाई में जिस तरह संजय दत्त को महात्मा गाँधी दिखते थे, उसी तरह निशा को करण दिखता था। उसके बाद निशा की जिंदगी खुशहाल हो जाती है, और उसे पवन के रूप में बेटा भी मिल जाता है।
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मेरे हाथों ने अब्दुल की पीठ को जकड़कर आगोश में ले लिया, पैर भी खुद-ब-खुद ऊपर हुये और अब्दुल की कमर पर लटक गये। उसने धीरे-धीरे हिलाना शुरू किया। मेरी चूत ने अब्दुल के लण्ड पर पकड़ मजबूत कर ली थी। अब्दुल ने उसका एक हाथ मेरे सिर और तकिये के बीच रखा हुवा था और दूसरे हाथ से मेरी जांघ सहला रहा था। कुछ ही पलों में अब्दुल की सांसों और मेरी सिसकारियों से रूम गूंजने लगा। वो झुक कर मेरे होंठों को चूसने लगा। मैं भी उसके होंठों का रसास्वादन लेने लगी।

अब्दुल का लण्ड मेरी चूत में फूलने लगा जिससे मैं कामातुर होकर उसकी पीठ को नाखून मार बैठी, जिससे अब्दुल और उत्तेजित हो गया और उसने उसका हाथ मेरे सिर के नीचे रखा हुवा था, वो खींचा और उससे मेरी गर्दन को पकड़ लिया। वो अब मेरी गर्दन को पकड़कर हिलाने लगा था। थोड़ी देर धक्के मारने के बाद अब्दुल हाँफने लगा। मुझे पहले से ही ये होगा, ऐसा अनुमान था क्योंकि मेरा सारा बदन उस पर झूल रहा था और साथ में उसने हिलाने के लिए हाथों का सहारा नहीं रखा था।

मैं- “इस उमर में इससे ज्यादा नहीं होगा तुमसे, तुम नीचे आ जाओ मैं ऊपर आ जाती हूँ..”

मेरी बात सुनकर अब्दुल ने उसका लण्ड मेरी चूत में से निकाला और मेरे बाजू में लेटकर हाँफने लगा। मेरी चूत में से उसने लण्ड निकाला तब उसके साथ कुछ पानी की बूंदें भी निकल आई थीं। मैं खड़ी होकर अब्दुल की जांघ पर बैठी और उसके लण्ड को पकड़कर सहलाने लगी। फिर थोड़ी ऊपर उठकर लण्ड को मेरी चूत पर टिकाया। अब्दुल ने मेरी कमर को पकड़ रखा था, मैं धीरे-धीरे नीचे बैठती हुई उसका लण्ड खा गई। लण्ड को चूत के अंदर लेकर मैंने अब्दुल की तरफ देखा तो उसने मेरे मम्मों को पकड़ा और दबाने लगा।

मैंने मेरी कमर थोड़ी सी ऊपर उठाई और फिर मैं नीचे बैठ गई, तो अब्दुल के मुँह से सिसकारी निकल गई। मैंने मेरे दाहिने हाथ की उंगलियां उसके होंठों पे रगड़ी तो अब्दुल उंगलियों को मुँह में लेकर चूसने लगा। मैं अब ज्यादा ऊपर उठकर नीचे बैठने लगी। हम दोनों के मुँह से अस्पष्ट आवाजें सिसकारियों के रूप में निकलने लगीं। अब्दुल का लण्ड फिर से फूलने लगा। मैंने मस्ती में आकर अब्दुल के सीने पर मुक्के मारे, अब्दुल ने मेरे मम्मों को जोर से मसला और मैंने मेरे दोनों हाथ अब्दुल की गर्दन पर रख दिया और उसे पकड़कर उछलने लगी।

अब्दुल- “थोड़ी देर पहले मैंने तेरा गला ऐसे ही पकड़ा था, मेरी पकड़ मजबूत हो जाती तो तू मर जाती। तुम्हें डर नहीं लगा था तब?” बीच में कराहते हुये अब्दुल ने पूछा।

मैं- “उस वक़्त तुम तो क्या खुद यमदूत भी आते ना तो भी मुझे चुदवाती हुई देखने लगते और भूल जाते की क्यों आए हैं लेकिन......” मैंने उसके गले की पकड़ और मजबूत करते हुये मेरी अधूरी बात पूरी की- “मैं तुम्हें इस वक़्त मार दें तो?”

अब्दुल- “तुम मुझे क्यों मरोगी?” अब्दुल ने मेरे सवाल का जवाब सवाल से दिया।

मैं- “तुमने मेरी माँ को इस उमर में पैसे के लिए सेक्स करने पर मजबूर किया इसलिए..” मैंने मेरे हाथों की पकड़ को और मजबूत करते हुये कहा।

अब्दुल- “मैं इस वक़्त तुम्हें भी चोद रहा हूँ..” अब्दुल ने बेपरवाही से कहा।

मैं- “इसीलिए अब्दुल... इसीलिए मैं तुझे मार देना चाहती हूँ। मुझे भी तो तुमने जबरदस्ती यहां बुलाया है...” मैंने दांत पीसते हुये जोरों से कहा।
 
अब्दुल- “तुम मुझे मरोगी?” अब्दुल बात ऐसे कर रहा था जैसे वो मेरी बात को हवा में उड़ा रहा हो, लेकिन उसकी आवाज में थोड़ा डर साफ दिख रहा था।

मैं- “हाँ मैं तुम्हें मार देंगी...” कहते हुये मैंने अब्दुल की गर्दन को जोर से दबाया और मैंने मेरी कमर के ऊपर के भाग को पीछे किया, जिससे अब्दुल के हाथ से मेरा बदन छूट गया।

अब्दुल ने उसके हाथ से मेरे हाथ पकड़े और उसे खींचने लगा। वो मेरे हाथों से अपनी गर्दन छुड़ाने की कोशिश करने लगा। मैंने मेरी सारी ताकत लगा दी थी, लेकिन अब्दुल नीचे था इसलिए वो मुझसे अपनी गर्दन छुड़ा नहीं पाया।

अब्दुल अपनी कमर को ऊपर करके मुझे नीचे गिरा देने की चेष्टा करने लगा। लेकिन कुछ ही पल पहले वो थक के इतना हांफा था की वो ज्यादा ताकत नहीं लगा सका। उसने अब उसके हाथों से मेरी कमर को पकड़ा और। उसे पीछे धकेलने लगा। थोड़ी देर पहले जहां कामरस टपक रहा था, वहां अब वीर रस छा गया था। मुझे बड़ा । मजा आ रहा था अब्दुल को मेरी गाण्ड के नीचे दबाकर। शायद अब अब्दुल को मुझसे छूटने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा था, उसकी आँखों में मौत का खौफ साफ दिखाई देने लगा था।

अब्दुल- “निशा, मुझे माफ कर दो, मैं अब तुम्हें और तुम्हारी माँ को कभी नहीं सताऊँगा...” अब्दुल ने थक हार के उसका पैंतरा बदला, वो माफी मांगने लगा, वो शायद डर रहा था की मैंने थोड़ा और जोर से उसका गला दबाया तो फिर वो बोल भी नहीं पाएगा।

छे फूट के ऊपर का हट्टा-कट्टा आदमी, पाँच फुट पाँच इंच की कमसिन औरत से माफी माँग रहा था। मैंने मेरी कमर हिलाई तो मेरी चूत में उसके लण्ड का अहसास खतम हो चुका था। शायद अब उसका खड़ा लण्ड भी मुझ चुका था।

अब्दुल- “मुझसे गलती हो गई निशा, आज के बाद मैं तुम लोगों को नहीं सताऊँगा..” अब्दुल अब थक चुका था, वो अब छूटने की कोशिश भी नहीं कर रहा था।

मैं उसकी बात पर कोई प्रतिक्रिया दर्शाए बगैर मुश्कुराने लगी।

अब्दुल- “क्या कर रही हो, छोड़ यार?” मुझे हँसता हुआ देखकर अब्दुल ने उसके हाथ से मेरा हाथ पकड़कर कहा।

मैं- “मैं तो सिर्फ तुम्हें मौत का आभास करा रही थी, लेकिन तुम तो डर गये..” मैंने खिलखिलाकर हँसते हुये उसकी गर्दन पर से हाथ हटाते हुये कहा।

मुझे उसकी गर्दन छोड़कर हँसते हुये देखकर अब्दुल थोड़ा खिला और थोड़ी देर पहले ही मैंने उसे नाचने पर मजबूर किया था और बाद में ना बोलकर हँसी थी, वो वाकया याद करते हुये वो बोला- “मैं जानता था तुम नाटक कर रही हो, थोड़ी देर पहले भी तो किया था। मैं भी नाटक कर रहा था। मैं तुमसे क्या किसी से नहीं डरता...” वो झूठ बोल रहा था। डर गया था लेकिन मर्द होकर एक औरत से डर गया ये बात स्वीकार करना मुश्किल था उसके लिए।

मेरे लिए भी तो अच्छा था, मुझे उसे ज्यादा सफाई नहीं देनी पड़ेगी। क्योंकि मेरे मन के चोर के बारे में मैं ही जानती थी कि कुछ पल के लिए मेरे मन में अब्दुल को खतम कर देने का खयाल आ गया था। मैं अब्दुल के ऊपर से उठकर उसके बाजू में सो गई और उसके लण्ड की तरफ इशारा करके बोली- “तुम नहीं डरे, लेकिन ये डर गया था..."

मेरी बात सुनकर अब्दुल झूठ-मूठ का हँसा और मेरी तरफ होकर मेरे होंठों पर उसके होंठ रगड़ते हुये बोला- “छे बजकर दस मिनट हुई है, देरी तो नहीं हो रही ना तुझे?”

मैं- “ना..” मैंने एक हाथ उसके सिर के पीछे रखते हुये कहा।

अब्दुल- “निकलते हैं, मेरा मूड अब नहीं बनेगा...” अब्दुल ने मेरे गाल पर चिकोटी काटते हुये कहा।

पर मुझे तो अभी रोकना था उसे, एक घंटा ऊपर हो गया था खुशबू और पप्पू ने जो समय नक्की किया था उसके ऊपर, लेकिन वो लोग निकल सके की नहीं ये कहां पता था मुझे।

मैं- “क्या जल्दी है?” मैंने कहा।

अब्दुल- “मुझे कुछ काम है, निकलते हैं अब..” अब्दुल ने बेड पर बैठेते हुये कहा।
 
मैं- “क्या जल्दी है?” मैंने कहा।

अब्दुल- “मुझे कुछ काम है, निकलते हैं अब..” अब्दुल ने बेड पर बैठेते हुये कहा।

अब मुझे अब्दुल को रोकना मुश्किल लग रहा था। लेकिन मैं उसे कैसे जाने दूं? मुझे हर हाल में उसे रोकना ही था तो मैंने उसे उकसाने के लिए कहा- “क्यों डर लग रहा है मुझसे?”

मेरी बात से वो एकदम से तिलमिला गया और बोला- “साली रंडी, मैं कब का तुमसे ठीक तरह से बात कर रहा हूँ और तुम मुझे डरपोक कह रही हो...”

मैं- “तो फिर घड़ी-घड़ी जाने की बात क्यों कर रहा है?”

अब्दुल ने मेरे बालों को पीछे से पकड़ा और उसकी तरफ खींचकर मेरे होंठों पर जोर से चूमकर बोला- “अब तो तू कहेगी ना तभी जाएंगे, अब तो तुझे रगड़-रगड़ के चोदूंगा, और तेरी नानी याद दिला दूंगा...”

मैं- “पहले इसका डर तो दूर करो...” मैंने अब्दुल के लण्ड की तरफ इशारा करके उपहास भरे लब्जों में कहा।

मेरी बात सुनकर अब्दुल और चिढ़ गया और बेड पर खड़ा हो गया। मैं बेड पर तकिये की तरफ पीठ टिकाकर बैठी थी। अब्दुल मेरे पास आकर खड़ा हो गया, मैं घुटनों पर बैठू तो उसका लण्ड आराम से मुँह में ले सकें इतना ऊपर था।

अब्दुल- “घुटनों पे हो जा...” अब्दुल ने कहा।

मैंने कहा- “मेरी मदद के बिना खड़ा करके दिखा...”

अब्दुल- “घुटनों पे होकर मुँह में ले कुतिया..” अब्दुल ने गुर्राते हुये कहा।

लेकिन मैं जैसे बैठी थी वैसे ही बैठी रही। अब्दुल झुक के दीवार के सहारे मेरे मुँह के नजदीक उसका लण्ड ले आया। किसी इंके का घंटा बजाते हैं, उस तरह मैंने अब्दुल के लण्ड पर हाथ के पंजे से चपत मारी तो उसका लण्ड आगे-पीछे होकर झूलने लगा। अब्दुल ने और झुक कर मेरे होंठों पर अपना लण्ड रगड़ा। मैंने कोई विरोध नहीं किया लेकिन साथ में मुँह भी नहीं खोला।।

अब्दुल- “निशा रानी चूसो ना...” अब्दुल ने कहा।

मैंने मेरा हाथ ऊपर किया और उसका लण्ड पकड़ा।

अब्दुल- “चूसो रानी..” अब्दुल ने दूसरी बार कहा।
 
मैंने मेरी जबान बाहर निकाली और अब्दुल के लण्ड के सुपाड़े पर फिराई और फिर छेद पर घुमाई। तुरंत असर हुवा अब्दुल के लण्ड पर, और वो झटके मारने लगा। फिर मैंने अब्दुल का पूरा लण्ड मुँह में ले लिया और चूसने लगी।

एकाध मिनट में अब्दुल का लण्ड फिर से फूल गया तो मैं उसे हाथों में पकड़कर चूसने लगी। अब्दुल ने मेरा चेहरा पकड़ लिया और वो अपनी गाण्ड को आगे-पीछे करके मेरा मुँह चोदने लगा। वो जब तक धीरे-धीरे करता रहा, तब तक मुझे भी मजा आता रहा।

लेकिन थोड़ी ही देर में अब्दुल जोर से मेरा मुँह चोदने लगा। वो उसका लण्ड मेरे गले में उतारने की कोशिश करने लगा तो मेरा गला दुखने लगा और आँखों में पानी आ गया। मैंने मेरे हाथों से अब्दुल को इशारों से समझाने की कोशिश की कि धीरे करो, पर वो इतना उत्तेजित हो गया था की मेरी बात उसे सुनाई नहीं दे रही थी। और फिर मैंने उसके लण्ड पर दांत गड़ाया और फिर मुँह खोल दिया, ज्यादा नहीं गड़ाया था फिर भी उसे थोड़ा दर्द का अहसास हो उतना तो जरूर गड़ाया था।

अब्दुल ने एक ही झटके में मेरे मुँह से लण्ड बाहर निकाला और बोला- “तुम बहुत खतरनाक चीज हो यार...”

मैं- “मैं खतरनाक चीज नहीं, खतरनाक औरत हूँ..” मैंने अब्दुल के लण्ड का चुम्मा लेते हुये कहा।

अब्दुल अब ठंडा पड़ चुका था, इस बार उसे गुस्सा नहीं आया था, कहा- “तुम कमाल की हो रानी.."

उसे क्या मालूम कि मैं नहीं हर औरत कमाल की होती है, प्यार से माँगो तो जान भी दे देती है लेकिन दुतकार के कहोगे तो मुँह पर थूकती भी नहीं। मैंने खड़े होकर अब्दुल के होंठों को चूमा- “मैं आती हैं बाथरूम में जाकर...”

मैं बाथरूम में से जैसे ही बाहर निकली अब्दुल ने मुझे पकड़कर दीवार पे सटा दिया और मेरी गर्दन को चाटने लगा। मैं मेरी आँखें बंद करके उस चुसाई का आनंद लेने लगी। फिर अब्दुल ने मेरे होंठ चूसने शुरू कर दिए, मैं भी उसके होंठों को चूसने लगी, और अब्दुल ने अपनी जबान निकाली जिसे मैं मेरे होंठों से चूसने लगी।
 
मैं बाथरूम में से जैसे ही बाहर निकली अब्दुल ने मुझे पकड़कर दीवार पे सटा दिया और मेरी गर्दन को चाटने लगा। मैं मेरी आँखें बंद करके उस चुसाई का आनंद लेने लगी। फिर अब्दुल ने मेरे होंठ चूसने शुरू कर दिए, मैं भी उसके होंठों को चूसने लगी, और अब्दुल ने अपनी जबान निकाली जिसे मैं मेरे होंठों से चूसने लगी।

फिर मैंने भी मेरी जीभ बाहर निकाली जिसे अब्दुल अपनी जबान से सहलाने लगा। ये सब करते हुये अब्दुल के हाथ मेरे बदन पर घूम रहे थे और मेरे हाथ उसकी पीठ सहला रहे थे। अब्दुल ने उसकी जबान मेरे मुँह में डाल दी और घूमकर पूरे मुँह का जायजा लिया।

फिर अब्दुल ने झुक के मेरे मम्मों को चूसा और फिर वो मेरे सामने घुटनों पर बैठ गया और फिर मेरी चूत पर चुम्मा लेकर मुझे पीछे घूमने को कहा। मैं पीछे घूमी तो उसने झुकने को कहा। मैं दीवार से हटकर बेड की तरफ गई और बेड पकड़कर झुक गई। अब्दुल मेरे पीछे आकर बैठ गया और मेरी गाण्ड के छेद के ऊपर के हिस्से को चूमा और फिर चाटने लगा।

कुछ ही पल में मेरे मुँह से मादक सिसकारियां निकलने लगीं, मेरे बदन में खून लावा बनकर दौड़ने लगा, मेरी चूत में से पानी निकलकर मेरी जांघों पर बहने लगा। थोड़ी ही देर में मुझे लगने लगा की मैं झड़ जाऊँगी तो मैंने अब्दुल को रुकने को कहा।

अब्दुल ने जैसे ही मेरी गाण्ड चाटना बंद किया तो मैं बेड पर उल्टी लेटकर हाँफने लगी।

अब्दुल मेरी पीठ पर लेट गया और पूछा- “तूने पीछे करवाया है, कभी...”

मैं- “ना..."

अब्दुल- “तो मैं आज करूँगा...”

मैं- “नहीं...”

अब्दुल- “क्यों?”

मैं- “ज्यादा दर्द होता है...”

अब्दुल- “वो तो होता ही है, तू पहली बार चुदी होगी तब भी हुवा होगा ना?”

मैं- “पर इसमें मुझे मजा नहीं आएगा...”

अब्दुल- “तुझे भी आएगा मेरी रानी...” कहकर अब्दुल ने मेरी पीठ पर सोए-सोए ही मेरे होंठ की तरफ उसकी जबान की। मैंने भी मेरी जबान बाहर निकाली, हम दोनों की आधी जबान एक दूसरे से टकराई जिससे हम दोनों एक दूसरे की जबान को सहलाने लगे।
 
अब्दुल ने मेरी पीठ पर खड़े होकर मुझे रूम के एक कोने पर पड़े टेबल को पकड़कर झुकने को कहा। मैं वहां । जाकर उसके कहे मुताबिक झुक कर खड़ी हो गई। अब्दुल ने मेरे पीछे आकर मेरी गाण्ड में पहले तो एक उंगली डाली, फिर दूसरी, और फिर तीसरी। मैं मेरे होंठों को दबाकर खड़ी थी क्योंकि मैं जानती थी कि अब्दुल मुझे। आगे दर्द कम हो उसके लिए ये सब कर रहा है। फिर अब्दुल ने उसकी उंगलियां अंदर ही अंदर थोड़ी देर तक गोल-गोल घुमाई तो मेरे मुँह से दर्द भरी सिसकी निकल गई।

फिर उसने अपनी उंगली बाहर निकाली और पीछे जाकर खड़ा हो गया और मेरी गाण्ड पे उसका लण्ड टिकाकर बोला- “थोड़ा दर्द होगा रानी, सह लेना.." और मैं कुछ बोलँ उसके पहले ही धक्का दे दिया।

अब्दुल का धक्का जोर का झटका था, मेरे मुँह से चीख निकल गई।

अब्दुल- “अभी तो आधा ही गया है...” कहकर अब्दुल ने और एक धक्का दे दिया।

मैं दूसरी बार चीख पड़ी।

अब्दुल मेरी पीठ पर झुक के मेरा मुँह पीछे की तरफ खींचकर जबान से जबान लड़ाने लगा, उसके हाथ मेरे मम्मों को सहला रहे थे। मैं थोड़ी नार्मल हुई तो अब्दुल मेरी पीठ पर से ऊपर होकर खड़ा हो गया और धीरे-धीरे करके उसने लण्ड पीछे लिया और फिर आगे किया। दो-तीन बार धीरे-धीरे आगे-पीछे करके वो जल्दी से करने लगा, उसका एक हाथ मेरी चूत पर था और वो उंगली से मेरी चूत को सहला रहा था। खड़े-खड़े इस तरह से पीछे से चुदवाना मुझे बहुत मुश्किल लग रहा था, पर अब क्या एक बार 'हाँ' बोलकर फिर से 'ना' कहना ठीक नहीं लग रहा था मुझे। वैसे भी मैंने आज अब्दुल को खूब सताया था।

अब्दुल मेरी दोनों तरफ से चुदाई कर रहा था, आगे की तरफ उंगली से और पीछे की तरफ लण्ड से। वो गाण्ड में लण्ड पेलता था तब मेरी कमर थोड़ी आगे सरकती थी और चूत में उंगली ज्यादा अंदर तक जाती थी। फिर वो लण्ड को पीछे लेता था तब वो आगे से उंगली भी थोड़ी पीछे सरकाता था। कुछ पलों में मुझे भी मजा आने लगा, मेरे मुँह से आनंद की सिसकारियां निकलने लगीं।

अब्दुल उसके हाथों से मेरे उरोजों को भी जोरों से मसल रहा था, जो मुझे और भी मस्त बना रहा था। लेकिन अब्दुल के धक्कों की रफ़्तार इतनी बढ़ गई थी की मैं दो बार ज्यादा झुक गई और गिरते-गिरते रह गई। बहुत दिन बाद मैं आज फिर से सेक्स करते वक़्त पसीने से तरबतर हो गई थी और शायद अब्दुल भी, जिससे हम दोनों के बदन चिपक रहे थे। अब्दुल के मुँह से निकलने वाली सिसकियों की आवाज धीरे-धीरे बढ़ने लगी, वो। अंजाने में बढ़ रही थी या वो जानबूझकर ऐसे निकाल रहा था ये समझ में नहीं आ रहा था।

मैं अब थक चुकी थी, मैं थोड़ी और झुक चुकी थी, चुदाई का नशा न होता तो मैं कब की बैठ गई होती। मेरे मुँह से भी लयबद्ध सिसकारियां निकल रही थीं, मेरे बदन से कोई खून का कतरा-कतरा खींचकर निकाल रहा हो ऐसा मुझे लग रहा था। मेरी सांसें भारी होने लगी थी। मैंने मेरा हाथ नीचे किया और अब्दुल का हाथ पकड़कर उसकी उंगली जोरों से अंदर-बाहर करवाने लगी तो मेरा बदन किसी धनुष की तरह खिंचने लगा और मैं झड़ने लगी। झड़ते ही मैं जोरों से हाँफने लगी और मैंने अब्दुल का हाथ खींचकर मेरी चूत में से उसकी उंगली के साथ निकाल दिया।

अब्दुल- “छूट गई क्या रानी?” अब्दुल ने पूछा।

मैंने सिर हिलाकर 'हाँ' कहा।

अब्दुल ने उसकी जो उंगली मेरी चूत में थी वो मेरे होंठों पर रगड़ी और उसे चूसने को कहा। मैं अब्दुल की उंगली होंठों से दबाते हुये जोरों से चूसने लगी और वो जोरों से मेरी गाण्ड मारने लगा। कुछ ही पल में वो भी झड़ने लगा। उसके लण्ड में से जब तक वीर्य निकलता रहा तब तक उसने उसका लण्ड मेरी गाण्ड में से नहीं। निकाला और जैसे ही निकाला तो मेरी दोनों टांगों पर से उसका वीर्य नीचे उतरने लगा। मैं झुक के टेबल की धार पकड़कर मेरे हाथ पर मेरा सिर टिकाकर घुटनों पे बैठी हुई थी। इस वक्त मुझमें मेरे पैर पर खड़े होने की भी हिम्मत नहीं थी
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अब्दुल मेरे पास आया और बाजू में बैठकर मेरे बालों को सहलाने लगा, पूछा- “मम्मी की याद आई ना रानी?”

मैंने कोई जवाब नहीं दिया।

तब उसने उसका सवाल बहुत ही प्यार से दोहराया- “नानी की याद आई ना?” वो जो मुझे प्यार जता रहा था ना उसमें प्यार नहीं उसकी मर्दानगी का अभिमान था।

लेकिन मेरे पास उसकी बात मानने के सिवा कोई चारा नहीं था। मैंने सिर हिलाया- “हाँ..."

अब्दुल बहुत खुश हो गया, इस उमर में उसमें इतना दम वो भी बिन वियाग्रा के। ये सब सोचकर शायद वो खुश हो रहा था। अब्दुल ने मुझे उठाकर बेड पर लेटाया और मेरे ऊपर आ गया। वो मेरे होंठों को चूसने लगा और मेरे मुँह में अपनी जबान डालकर मेरी जबान को सहलाने लगा।

कुछ पल बाद मैंने उसे रोका- “बहुत हो गया अब्दुल, अब छोड़ो...”

अब्दुल- “क्यों थक गई?”

मैं- “हाँ...”

अब्दुल- “थोड़ी देर पहले मैं भी ना बोल रहा था तो तू मानी थी?”

मैं- “तो ये बात है?”

अब्दुल- “हाँ..."

मैं- “चल एक काम कर, उस वक़्त मैंने जो किया था पहले वो कर..."

अब्दुल- “तूने... तूने क्या किया था?”

मैं- “मैंने तुम्हारा लण्ड खड़ा किया था, मैंने तुम्हें गरम किया था। तू मुझे गरम करके दिखा?” मैंने कहा।

मेरी बात सुनकर अब्दुल मेरे सामने देखता रहा और फिर बोला- “चलो ये भी करते हैं...

वैसे मैं अब यहां से निकलना चाहती थी, लेकिन जब तक खुशबू का फोन ना आए तब तक निकलना नहीं चाहती थी।
 
मैं- “मैंने तुम्हारा लण्ड खड़ा किया था, मैंने तुम्हें गरम किया था। तू मुझे गरम करके दिखा?” मैंने कहा।

मेरी बात सुनकर अब्दुल मेरे सामने देखता रहा और फिर बोला- “चलो ये भी करते हैं...

वैसे मैं अब यहां से निकलना चाहती थी, लेकिन जब तक खुशबू का फोन ना आए तब तक निकलना नहीं चाहती थी।

अब्दुल मेरे पैरों के पास जाकर झुक गया और दोनों पैरों की एक-एक उंगलियों को बारी-बारी चूसने लगा। फिर दूसरी, तीसरी, चौथी और बाद में अंगूठे को भी चूसा, फिर पैरों के पंजों को और फिर उंगली से धीरे-धीरे करके घुटने तक जबान से चाटता हुवा ऊपर आया और फिर दूसरे पैर पर भी वही किया। थोड़ी देर पहले मुझे कुतिया कहने वाला इस वक़्त कुत्ता बनकर मेरे तलवे चाट रहा था।

फिर अब्दुल मेरी जांघों को चाटने लगा और एक ठंडी सी आह निकली मेरे मुँह से, और जब अब्दुल चूत तक पहुँचा तब तक वो ठंडी आह्ह मादक सिसकारियां बन गई। तभी मेरा मोबाइल बजा, मेरा पर्स मेरे पास में ही पड़ा था तो मैंने पर्स खोलकर मोबाइल निकाला। खुशबू का ही फोन था।

मैं- “हेलो...”

खुशबू- “दीदी, मैं खुशबू..”

खुशबू की आवाज सुनते ही मेरा दिल धड़कने लगा की कहीं अब्दुल को मालूम पड़ जाए की मैं किससे बात कर रही हूँ तो वो मुझे मार ही डाले। मैंने उसके ऊपर नजर डाली तो वो मेरी चूत चाटने में मसगूल था।

मैं- “जल्दी बोल, क्या हुवा?”

खुशबू- “मैं नाडियाद पहुँच गई दीदी, एक घंटे पहले निकली...”

मैं- “ओके, मैं बाद में फोन करती हूँ...” कहकर मैंने मोबाइल पर्स में डालते हुये उसमें समय देखा तो छ बजकर पचास मिनट हुई थी।

अब्दुल- “किसका फोन था? तेरी माँ का?” अब्दुल ने ऊपर देखे बिना ही पूछा। वो मेरी चूत को ध्यान से देख रहा था।

मैं- “मेरी नहीं, तेरी माँ का फोन था...” मैंने कहा जो बिल्कुल भी झूठ नहीं था, क्योंकि बेटियां बड़ी होने के बाद बाप का खयाल माँ की तरह ही रखती हैं।

अब्दुल- “गुस्सा बहुत जल्दी आता है रानी को, बहुत ही कड़क चीज है तू..."

अब्दुल ने मेरे ज़ी-स्पाट को ढूँढ़। निकाला था, उसे छेड़ते हुये कहा।

मैं- “कड़क चीज नहीं, कड़क औरत...” मैंने उसके बालों को खींचते हुये कहा।

मेरा मकसद पूरा हो चुका था, खुशबू और पप्पू निकल चुके थे और साथ में मेरे बदन की गर्मी भी ठंडी पड़ चुकी थी। लेकिन मैंने अभी-अभी ही अब्दुल को मुझे गरम करने को कहा था, उसे अब कैसे रोकें वो मुझे समझ में नहीं आ रहा था। खुशबू का फोन आया उसके बाद मैं खुश होने की बजाय टेन्शन में आ गई थी। अब्दुल को । मालूम पड़ेगा की खुशबू को भागने (मोबाइल की डीटेल से पता चल सकता है) में मेरा हाथ है तो वो जो हंगामा करेगा उसके बारे सोचकर मुझे डर लग रहा था।

तभी मेरे दिमाग में एक बात आई की मैं खुद ही अब्दुल को ये सब अभी बता देती हूँ, फिर जो होगा वो देखा जाएगा। मैंने अब्दुल की तरफ देखा तो मैंने महसूस किया की वो मेरा ज़ी-स्पाट चूस रहा है। कोई और वक़्त । होता तो मैं कब की पिघल गई होती। लेकिन टेन्शन और दो बार झड़ने की वजह से मैं अभी तक गरम भी नहीं हुई थी।

मैं- “अब्दुल...”

अब्दुल- “हाँ...”

मैं- “एक बात कहनी थी तुम्हें...”

अब्दुल- “कह देना, पहले तुम मुझे एक बात का जवाब दे?” अब्दुल ने मेरे ज़ी-स्पाट को उसके दोनों होंठों के बीच दबाकर चूसा।

तब मेरे मुँह से आह निकल गई- “उंहह... पूछ?”
 
अब्दुल- “तुम मुझे अब्दुल कहकर क्यों बुलाती हो? मेरी उमर के हिसाब से तो तुम्हें मुझे अंकल कहना चाहिए."

क्या जवाब दूं मैं अब्दुल को की मुझे तुमसे नफरत थी इसलिए नहीं कह सकती ये मैं उसे, तभी मुझे करण याद आ गया वो मुझे ‘तुम कुँवारी हो' ये कहकर बेवफूक बना गया था। मैंने अब्दुल को करण जैसा ही जवाब दिया- “मैंने तुम्हें अंकल क्यों नहीं कहा? क्योंकि तुम अंकल जैसे दिखते ही नहीं, तुम बहुत ही खूबसूरत दिखते हो...”

मेरी बात सुनकर अब्दुल का चेहरा ऐसे खिला जैसे वो आसमान में उड़ रहा हो। वो बेड पर चढ़कर उल्टा हो गया और मेरे चेहरे के सामने उसका लण्ड ले आ गया, वो अब 69 करना चाहता था।

मैं- “अब मैं जो कहना चाहती हूँ, वो कहूँ?” मैंने उसके लण्ड को मुँह में लेते हुये कहा।

अब्दुल- “हाँ, हाँ कहो...” अब्दुल मुँह से मेरी चूत चाटते हुये बोला।

मैं- “मेरी एक फ्रेंड है, उसे तुम्हारी मदद की जरूरत है, तुम करोगे?” मैंने कहा।

अब्दुल- “जरूर, क्यों नहीं करेंगे, बताओ क्या बात है?"

मैं- “वो एक मुस्लिम लड़के से प्यार करती है, उसी से शादी करना चाहती है...” मुझे खुशबू की बात सीधी ही उसे बताने की बजाय इस तरह बताना लाजमी लग रहा था।

अब्दुल- “प्राब्लम क्या है?”

मैं- “लड़की के घर से ना कह रहे हैं..."

अब्दुल- “क्यों?”

मैं- “लड़की हिंदू है, और लड़का मुस्लिम है इसलिए..”

अब्दुल- “पागल हैं उसके घर वाले, लड़का अच्छा हो तो हिंदू हो या मुस्लिम क्या फर्क पड़ता है?"

मैं- “फर्क तो पड़ेगा ही ना, लड़की को उसका धरम बदलना पड़ेगा वो उसके घरवालों को मंजूर नहीं है...”

अब्दुल- “ऊपर अल्लाह और राम एक ही हैं, हम यहां नीचे ये सब सोचते हैं...”

मैं- “वो तो तुम लड़का मुस्लिम है इसलिए ये सब कह रहे हो। अगर लड़की मुस्लिम होती तो मानते उह्ह... ये क्या कर रहे हो?” अब्दुल ने मेरी जांघ पर काट लिया था।

अब्दुल- “छोड़ तेरी फ्रेंड को, तू कहेगी तो उसे जो मदद चाहिए वो दे दूंगा। पहले मेरा लण्ड देख तीसरी बार खड़ा हो गया, पहले चोदने के बाद में बात करते हैं...” अब्दुल मेरी दो टांगों के बीच में आकर मेरी चूत में उसका लण्ड दाखिल करके हिला रहा था।
 
अब्दुल- “छोड़ तेरी फ्रेंड को, तू कहेगी तो उसे जो मदद चाहिए वो दे दूंगा। पहले मेरा लण्ड देख तीसरी बार खड़ा हो गया, पहले चोदने के बाद में बात करते हैं...” अब्दुल मेरी दो टांगों के बीच में आकर मेरी चूत में उसका लण्ड दाखिल करके हिला रहा था।

मैं भी मेरी टांगों को चौड़ी करके, मेरी गाण्ड उठाकर चुदवा रही थी। अब्दुल की जबान ने मेरी चूत पर कुछ ऐसा असर किया था की थोड़ी ही देर में मैं थकान भूलकर चुदवाने को राजी हो गई। अब्दुल कभी उसका सिर । झुकाकर मेरा निप्पल मुँह में लेता था तो कभी मेरी गर्दन चाट लेता था, जिससे मैं और गरम होकर उसे बाहों में दबोच लेती थी।

अब्दुल का लण्ड मेरी चूत में उसका आकर और विस्तार बढ़ाता ही जा रहा था। अब्दुल ने मेरे गालों पर चुंबन अंकित किया और फिर मेरे कान की लौ को मुँह में लेकर चूसा।

मैं उसकी इस हरकत से इतनी उत्तेजित हो गई की उसकी टांगों से मेरी टाँगें जकड़कर खींचने लगी। मैंने अब्दुल के चेहरे को मेरी तरफ किया और उसके होंठों को मेरे होंठों के बीच लेकर चूसने लगी। अब्दुल लगातार उसकी स्पीड बढ़ाता हुवा मेरी चुदाई कर रहा था और मैं भी उसे पूरा सहयोग दे रही थी।

अब्दुल ने उसकी जबान मेरे मुँह में डाली और मेरे मुँह में घूमने लगा। उसकी जबान के साथ उसका थूक भी मेरे मुँह में आ रहा था, जो मेरे गले से मेरे पेट में जा रहा था।

मैंने अब मेरी टाँगें उसकी कमर में डाल दी थी जिससे मेरी चूत थोड़ी ऊपर हो गई थी और मुझे मेरी गाण्ड ऊपर-नीचे करने में आसानी हो रही थी। हम दोनों की गरम सांसें एक दूसरे से टकरा रही थीं, मुँह में से निकलने वाली सिसकारियां भी एक दूसरे के मुँह में जाकर विलीन हो रही थीं। धीरे-धीरे हम दोनों एक दूसरे में समाने की
कोशिश करने लगे।

अब्दुल अपना लण्ड जितना अंदर जा सके उतना घुसेड़ने की कोशिश कर रहा था। मैं भी मेरी गाण्ड ऊपर करके उसे पूरा खा जाने की कोशिश कर रही थी। मैंने मेरे हाथ नीचे करके अब्दुल के टेटूओं को सहलाकर छोड़ दिया। मेरी इस हरकत ने अब्दुल के बदन में 440 वोल्ट का झटका दे दिया। उसके लण्ड में एक जबरदस्त तनाव आ गया और वो ज्यादा फूल गया जिससे मेरी चूत में मजा दोगुना हो गया और मेरी सिसकारियां भी बढ़ गईं।
 
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