desiaks
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नीरव ने भी उसका नया बिजनेस अच्छी तरह से सेट कर लिया था और उसने जीजू को साथ में ले लिया था। जिस वजह से जीजू के फाइनेंसियल प्राब्लम कम हो गये थे। नीरव ने मेरे मम्मी-पापा को हमारे साथ रहने को कह दिया था, लेकिन वो अभी तक आए नहीं थे।
इन सबके बीच फिर से वही हुवा जो हर रोज होता है। उस दिन मम्मी-पापा ने हमें खाने पे बुलाया था तो मैं दोपहर से वहां चली गई। लेकिन मेरे पहुँचने के बाद मम्मी-पापा को चाचा के घर जाने को हुवा। मम्मी-पापा के
जाने के दो ही मिनट बाद घर की डोरबेल बजी तो मैंने दरवाजा खोला तो सामने अब्दुल को पाया।
मैं कुछ सोचूं या बोलूं उसके पहले अब्दुल ने अंदर आकर दरवाजा बंद कर दिया और मुझे बाहों में जकड़ लिया“अरे बुलबुल तू जब से अहमदाबाद में आ गई है, तब से तो मुझे मिलती ही नहीं...”
मैंने अब्दुल की बाहों में से अपने आपको मुक्त करके थोड़ा आगे जाकर कहा- “मुझे छोड़ो, मैं पानी लाती हूँ, तुम्हारे लिए...”
लेकिन उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और उसकी तरफ खींचते हुये कहा- “प्यास तो लगी है, लेकिन उसके लिए पानी की नहीं तुम्हारी जरूरत है."
मैं- “प्लीज़... अब्दुल अभी नहीं...” मैंने अपना हाथ छुड़ाते हुये कहा। और कोई होता तो मैं उसे मार देती लेकिन अब्दुल ने कुछ ही दिनों पहले मेरी मदद जो की थी वो मैं कैसे भूल जाती।
अब्दुल- “अभी क्या प्राब्लम है?” अब्दुल ने मुझे पीछे से पकड़ लिया और मेरे बालों को सूंघते हुये मेरी गर्दन को चूमने लगा।
मैं- “मेरे मम्मी-पापा आ जाएंगे...” मैंने उसे पीछे धकेलने की नाकाम कोशिश करते हुये कहा।
अब्दुल हँसते हुये मेरी गर्दन को पागलों की तरह चूमने लगा- “तुम्हारे मम्मी-पापा मुझे नीचे मिले, बुलबुल... वो तो तीन घंटे बाद वापस आने वाले हैं...”
इन सबके बीच फिर से वही हुवा जो हर रोज होता है। उस दिन मम्मी-पापा ने हमें खाने पे बुलाया था तो मैं दोपहर से वहां चली गई। लेकिन मेरे पहुँचने के बाद मम्मी-पापा को चाचा के घर जाने को हुवा। मम्मी-पापा के
जाने के दो ही मिनट बाद घर की डोरबेल बजी तो मैंने दरवाजा खोला तो सामने अब्दुल को पाया।
मैं कुछ सोचूं या बोलूं उसके पहले अब्दुल ने अंदर आकर दरवाजा बंद कर दिया और मुझे बाहों में जकड़ लिया“अरे बुलबुल तू जब से अहमदाबाद में आ गई है, तब से तो मुझे मिलती ही नहीं...”
मैंने अब्दुल की बाहों में से अपने आपको मुक्त करके थोड़ा आगे जाकर कहा- “मुझे छोड़ो, मैं पानी लाती हूँ, तुम्हारे लिए...”
लेकिन उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और उसकी तरफ खींचते हुये कहा- “प्यास तो लगी है, लेकिन उसके लिए पानी की नहीं तुम्हारी जरूरत है."
मैं- “प्लीज़... अब्दुल अभी नहीं...” मैंने अपना हाथ छुड़ाते हुये कहा। और कोई होता तो मैं उसे मार देती लेकिन अब्दुल ने कुछ ही दिनों पहले मेरी मदद जो की थी वो मैं कैसे भूल जाती।
अब्दुल- “अभी क्या प्राब्लम है?” अब्दुल ने मुझे पीछे से पकड़ लिया और मेरे बालों को सूंघते हुये मेरी गर्दन को चूमने लगा।
मैं- “मेरे मम्मी-पापा आ जाएंगे...” मैंने उसे पीछे धकेलने की नाकाम कोशिश करते हुये कहा।
अब्दुल हँसते हुये मेरी गर्दन को पागलों की तरह चूमने लगा- “तुम्हारे मम्मी-पापा मुझे नीचे मिले, बुलबुल... वो तो तीन घंटे बाद वापस आने वाले हैं...”