अगली सुबह मेरी नींद जल्दी ही खुल गयी, पर मैंने देखा कि नीलू दीदी पहले से ही उठकर बाहर जा चुकी थी, नीलू दीदी के बारे में सोचते ही मुझे रात की बात याद आ गयी,
“हाय... कितनी सुंदर है ना दीदी” मेरे दिमाग में आवाज़ आई..... मैं मन ही मन मुस्कुराने लगा, थोड़ी देर बाद उठकर मैं जंगल पानी के लिए निकल गया, चूँकि उस जमाने में लेट्रिन वैगरह तो होते नही थे, इसलिए हगने के लिए जंगल में ही जाना पड़ता था, मैं और चमकू अक्सर साथ ही जाया करते थे, उस दिन भी हम लोग साथ साथ ही जा रहे थे, कि चमकू बोला
चमकू – क्यों बे, कल खेलने क्यों नही आया?
मैं – वो यार, माँ ने मुझे उनके साथ खेत में काम करने के लिए ही बोला है, इसलिए अब मैं खेलने नही आ पाउँगा
चमकू – तो तू मना कर देता चूतिये,
मैं – कैसे मना कर देता यार, अम्मा डांटती तो
चमकू – क्या फुद्दू है तू बहनचोद, अपनी अम्मा की डांट से डरता है,
मैं – क्यों, तू नही डरता क्या तेरी अम्मा से,
चमकू – अबे साले, मैं डरने वालो में से नही, और वैसे भी मेरी अम्मा मेरी कोई बात नही टालती?
मैं – ऐसा क्यूँ???
चमकू – ये तो मैं नही बता सकता, पर इतना जान ले कि मेरी अम्मा मेरी हर बात मानती है, जैसे की वो मेरी अम्मा नही मेरी बीवी हो??
मैं – क्यूँ फेंक रहा है साले, तेरी अम्मा, यानि झुमरी काकी, तेरी हर बात मानती है, ये तो हो ही नही सकता, पूरा गाँव जानता है कि झुमरी काकी कितनी सख्त औरत है, और साले कितनी बार ही मेरे सामने तेरी अम्मा ने तुझे जमकर पीटा है, भूल गया उस दिन जब हमे खेलते खेलते अँधेरा हो गया था, और जब मैं तेरे साथ तेरे घर की तरफ गया तो तेरी अम्मा ने कैसे तुझे उल्टा करके पीटा था, चार दिन तक हगने में भी दर्द होता था तुझे, याद है कि भूल गया
चमकू – सब याद है मुझे, पर वो सब पुरानी बाते है, अब तो मेरे लिए मेरी अम्मा एक नौकरानी की तरह है, जो मेरा हर हुक्म मानती है,
मैं – हा हा हा......... बस कर यार, इतनी फेंकेंगा तो हंस हंस कर मेरी निक्कर में ही टट्टी निकल जायेगी
चमकू (गुस्से से) – साले हरामी, मेरा मजाक उडाता है, आज तो मैं तुझे दिखाकर ही रहूँगा कि मेरी अम्मा मेरी गुलाम है,,,, तू देखता जा
मैंने चमकू की बात को ज्यादा तवज्जो नही दी, और बस ऐसे ही हलकी फुलकी बाते करते करते हम सुबह के अँधेरे में जंगल में पहुंच गये, वहां पर भी चमकू अपनी अम्मा के बारे में ही बके जा रहा था, पर मुझे उसकी बातो पर बिल्कुल भी भरोसा नही हो रहा था, क्यूंकि झुमरी काकी का तो पुरे गाँव में खोंफ था,
झुमरी काकी के पति फौज में नोकरी करते थे, गाँव के लोग उन्हें फोजी साहब कहते थे और हम लोग फोजी काका, उस वक्त बॉर्डर पर भारत और चीन के बिच काफी टेंसन का माहौल था, इसलिए फौजी काका पिछले 6 महीने से घर नही आये थे, और शायद एक आध साल और भी घर नही आते, पर एक बात थी जो फौजी काका के बारे में सबको पता थी, वो ये कि पीछले साल बॉर्डर पर उनकी ट्रक की दुर्घटना हो गयी थी, पर कुछ ही दिनों बाद उन्होंने फिर से ड्यूटी जॉइन कर ली थी, पुरे गाँव में उनकी इस बहादुरी के किस्से मशहूर थे, और जब वो वापस गाँव आये थे तब गाँव वालो ने बड़ी ही गरम जोशी से उनका स्वागत किया था, पर जल्द ही बॉर्डर की टेंसन के चलते उन्हें वापस बुला लिया गया था, फौजी काका बड़े ही अच्छे स्वाभाव के इन्सान थे
पर झुमरी काकी बड़ी ही सख्त किस्म की औरत थी, पुरे गाँव में ये बात मशहूर थी, झुमरी काकी अपने पति की फौजदारी का रौब भी अक्सर दुसरो पर झाडती थी, वैसे दिखने में तो वो काफी अच्छी थी, पर स्वाभाव की बहुत ही कठोर थी, और इसी वजह से मैं भी उनसे बाते करने में डरता था, कई बार मेरे सामने ही वो चमकू को पिट दिया करती थी, और मुझे भी डांटती, इसलिए मैं तो कई दिनों से उनके घर की तरफ भी नही गया,
अब ऐसे में चमकू कहे कि उसकी अम्मा उसकी गुलाम है तो मैं तो क्या कोई भी उसकी बात पर हँसता
खैर जंगल पानी करने के बाद हम दोनों वापस अपने घरो की तरफ लौट चले,
चमकू – चल आज तुझे दिखाता हूँ, मैं अपनी अम्मा से डरता हूँ या वो मेरी गुलाम हैं?
मैं – रहने दे यार, अब मजाक बंद कर, वैसे भी मेरे पास वक्त नही इन सब बातो का, मुझे आज भी माँ और दीदी के साथ खेत जाना है, वो मेरी राह तकती होंगी,
चमकू – चल ठीक है, पर आज शाम को तू इधर आ जाना, आज तो मैं तुझे दिखाकर ही रहूँगा कि मैं सच बोल रहा हूँ या झूट...
मैं – चल ठीक है, आ जाऊंगा शाम को, पर अभी जाने दे मुझे......
चमकू – चल ठीक है फिर, मिलते है शाम को
चमकू से अलविदा लेकर मैं अपने घर की तरफ चल पड़ा, अब भी अँधेरा पूरी तरह नही मिटा था, पर गाँव वाले तो अपनी अपनी बैल लेकर खेतो की तरफ चल पड़े थे, मैं अब तेज़ तेज़ कदमो से अपने घर की तरफ बढ़ने लगा,
घर पहुंच कर मैंने जल्दी से नहाना धोना किया, और फिर माँ और दीदी के साथ खेत में चला गया, मैंने कल की तरह आज भी महसूस किया कि नीलू दीदी बिच बिच में मुझे अजीब नजरो से देखती, पर फिर वापस नार्मल हो जाती,
पुरे दिन खेत पर काम करने के बाद हम लोग शाम को वापस अपने घर की तरफ चल पड़े, घर आकर मैंने दोबारा स्नान किया, स्नान करते ही मेरी दिन भर की थकान दूर हो गयी, स्नान करने के बाद मैं अभी थोडा आराम कर ही रहा था कि मुझे चमकू की बात याद आ गयी,
मैं जल्दी से खड़ा हुआ और बाहर की तरफ जाने लगा
बाहर बाड़े में नीलू दीदी कुछ काम कर रही थी, मुझे बाहर जाता देख वो बोली
नीलू दीदी – समीर, इस वक्त कहाँ जा रहा है?
मैं – दीदी, वो मैं चमकू से मिलने जा रहा हूँ, जल्दी वापस आ जाऊंगा
नीलू दीदी – पर माँ ने बोला था ना, कि उस लडके से दूर रहा कर, वो सही लड़का नही है,
मैं – पर दीदी मैं पक्का जल्दी से घर आ जाऊंगा, और वैसे भी माँ तो अभी सरला ताई के घर गई है, और शायद लेट ही आएगी, तब तक तो मैं वापस आ जाऊंगा
नीलू दीदी – चल ठीक है, पर खाने के टेम से पहले घर आ जाना,समझा
मैं – ठीक है दीदी....
नीलू दीदी से इज़ाज़त लेकर मैं चमकू के घर की तरफ बढ़ गया, जल्दी ही मैं चमकू के घर के सामने था, हमारे घर की तरह उनका भी एक छोटा सा कच्चा मकान था, मैंने जाकर दरवाजे पर दस्तक दी, थोड़ी ही देर में चमकू ने आकर दरवाज़ा खोला,
चमकू – ओह, तो तू आ गया, मुझे तो लगा था कि तू आएगा ही नही,
मैं – कैसे नही आता यार, तूने बुलाया और हम चले आये....... हाहाहा....
चमकू – चल अंदर चलकर बाते करते है..
मैं – झुमरी काकी कहाँ गयी, दिखाई नही दे रही...
चमकू – अम्मा तो अभी बाहर अपनी सहेली के घर गयी है, आने में वक्त लगेगा..... तब तक हम बाते करते है आजा
मैं चमकू के साथ आकर खाट पर बैठ गया
मैं – अच्छा तो अब बता चमकू, तू सुबह सुबह आज क्या बरगला रहा था, कहीं कोइ नशा वशा तो नही कर लिया था सुबह सुबह....
चमकू – साले हरामी, तुझे अब भी मेरी बाते मजाक लगती है, मैं कह रहा हूँ ना कि अब मेरी अम्मा मेरी गुलाम है, तू मानता क्यों नही
मैं – कैसे मान लूँ यार, जिस झुमरी काकी से गाँव का बच्चा बच्चा डरता है, जो तुझे उल्टा लटका कर मार मार कर तेरी गांड सुजा दिया करती थी, तू बोलता है कि वो तेरी गुलाम है, भला मैं कैसे भरोषा कर लूँ
चमकू – लगता है तू ऐसे नही मानेगा, तुझे सच्चाई बतानी ही पड़ेगी....
मैं – सच्चाई, कैसी सच्चाई?
चमकू - पता नहीं तेरे को बताना चाहिए कि नहीं? तू अपने पेट में रख पाएगा या नहीं! सबको बोल दिया तो मैं गया काम से ,
मैं - यार वादा करता हूँ, किसि को नहीं बताऊँगा,
चमकू - तो सुन पिछले ६ महीने से मैं अपनी अम्मा को चोद रहा हूँ,
चमकू की बात सुनते ही जैसे मेरी तो आँखे फटी की फटी रह गयी,
मैं बोला- ये क्या बोल रहा है तू, भांग वांग तो नही खा ली, अपनी अम्मा को ही?
चमकू – हाँ अपनी अम्मा को ही, पर इसमें भी एक और खास बात है
मैं – क्या खास बात
चमकू – यही कि ये सब मेरे बापू ने शुरू करवाया था,
मैं हैरान होकर बोला- क्या फौजी काका ने कहा तुझसे कि काकी को चोदो
चमकू – हाँ यार
मैं – पर बता ना ये सब हुआ कैसे
चमकू - ये तो शायद तुझे पता ही होगा कि करीब 6-7 महीने पहले मेरे बापू का एक हादसा हुआ था, याद है ना
मैं – हाँ याद है ना, एक्सीडेंट के बाद भी तेरे बापू ने होंसला नही हारा और कैसे देश के लिए दोबारा हिम्मत से नोकरी शुरू कर दी, कैसे भूल सकता हूँ मैं
चमकू – ये बात सही है कि मेरे बापू ने होसला नही हारा पर और बहुत कुछ हार गये जो सिर्फ हमे पता है
मैं – मतलब ,,,,, मैं कुछ समझा नही...
चमकू – मैं तुझे सब बताता हूँ, पर तू किसी और को ना बताना
मैं – कैसी बात करता है यार , मैं सच में किसी को ये बात नही बताने वाला
अब चमकू मुझे अपनी कहानी सुनाने लगा जो मैं उसके शब्दों में ही आपको सुना रहा हूँ
चमकू – तो सुन, क़रीब 7 महीने पहले जब मेरे बापू का एक बड़ा ऐक्सिडेंट हुआ और वो बाल बाल बचे, तो उनको करीब करीब 15 दिन अस्पताल में रहना पड़ा था, कुछ दिन बाद वो यहाँ गाँव आये तो मैंने महसूस किया कि अब मेरे बापू और अम्मा किसी बात को लेकर बहुत ही परेशान रहा करते थे,
मैं उन दोनों को दुखी देखता पर मुझे कारण का पता नही था, ऐसे ही कुछ दिन चलते रहे, फ़ीर एक दिन दोनों में बहुत झगड़ा हुआ और मैं घबरा कर वहाँ पहुँचा तो देखा कि अम्मा बिस्तर पर बैठ कर रो रही थी और बापू अपना सर पकड़कर बैठे थे,
मैंने अम्मा को चुप कराया और अपने बापू से बोला- आप लोग क्यों लड़ रहे हो? आपने अम्मा को क्यों रुलाया?
अम्मा आँसू पोंछतीं हुई बोली- बेटा तू जा यहाँ से, तेरा कोई काम नहीं है यहाँ,
बापू- नहीं तू कहीं नहीं जाएगा , हमारी लड़ाई तुमको लेकर ही है,
अम्मा - आप इसको क्यों इसमें उलझा रहे हो , बच्चा है अभी, बेचारा,
बापू- वह अब बच्चा नहीं रहा पूरा जवान है ,
अम्मा - आपको मेरी क़सम इसे यहाँ से जाने दो,
बापू- नहीं आज बात साफ़ होकर रहेगी,
अम्मा फिर से रोने लगी,
मैं हैरान था कि ये हो क्या रहा है?
बापू- देखो अब तुम बच्चे नहीं रहे, पूरे जवान आदमी हो 16-17 साल के, तुमने पता है ना कि मेरा एक्सीडेंट हुआ था, दरअसल इस ऐक्सिडेंट में मेरी मर्दानगि चली गयी है , अब मैं तुम्हारी अम्मा को शारीरिक संतोष नहीं दे सकता, अब अस्पताल वालों ने भी कह दिया है कि कोई उपाय नहीं है मेरे ठीक होने का,
मैं हैरान होकर बोला- तो ?
बापू- मैंने तुम्हारी अम्मा को कहा कि वो चाहे तो मुझे छोडकर जा सकती है, क्योंकि वो कब तक एक नामर्द के साथ रहेगी, पर वो इसके लिए तय्यार नहीं है,
अम्मा बिच में ही बोल पड़ी - अब इस उम्र में एक जवान लड़के की माँ होकर मैं कहाँ जाउंगी ? आप पागल हो गए हो, मैं ऐसे ही जी लूँगी, बस भगवान आपको सलामत रखे,
बापू- पर मैं नहीं चाहता कि तुम अपना मन मार के जियो, मैं तो चाहता हूँ कि तुम जी भर के अपनी ज़िंदगी जियो,
अम्मा - क्या ज़िन्दगी में शारीरिक सुख ही सब कुछ होता है? प्यार का कोई मतलब नहीं है?
बापू- प्यार तो बहुत ज़रूरी है पर शारीरिक सुख का भी बहुत महत्व है, मैं नहीं चाहता कि तुम बाक़ी ज़िन्दगी इसके बिना जीयो,
अम्मा फिर से रोने लगी,
बापू- मैंने एक दूसरा रास्ता भी तो बताया था तुझे ,
ये सुनके अम्मा रोते हुए वहाँ से बाहर निकल गई,
मैं - बापू दूसरा रास्ता क्या हो सकता है?
बापू- बेटा यहीं तो वो मान नहीं रही,
मैं - बापू आप मुझे बताओ मैं उनको मनाने की कोशिश करूँगा,
बापू- ये तुमसे ही सम्बंधित है,
मैं - मेरे से मतलब?
बापू- देखो बेटा, जब औरत प्यासी होती है ना तो वो किसी से भी चुदवा लेती है,
मैं तो उनके मुँह से ये शब्द सुनके हाक्का बक्का तह गया,
बापू- अब तुम्हारी अम्मा अगर किसी से भी चुदवा ली तो हमारी बदनामी हो जाएगी, बोलो होगी कि नहीं?
मैंने हाँ में सर हिलाया,
बापू- इसलिए मैंने उसको ये बोला है कि अब तुम भी जवान हो गए हो तो वो तुमसे ही चुदवा ले, इस तरह घर की बात घर में ही रहेगी,
मेरा तो मुँह खुला का खुला हो रह गया ,
मैं - ये कैसे हो सकता है बापू? वो मेरी अम्मा हैं,
बापू- वो तेरी अम्मा हैं, पर उससे पहले वो एक औरत है, वो अभी सिर्फ़ 38 साल की है, इस उम्र में तो औरत की चुदाई की चाहत बहुत बढ़ जाती है, और तेरी अम्मा तो वैसे भी शुरू से ही बहुत चुदासी रही है
मैं - पर बापू मुझे सोचकर भी अजीब लग रहा है, अम्मा कभी नहीं मानेगी ,
बापू- तू मान जा तो मैं उसे भी मना लूँगा,
मैं - पर बापू.......
बापू- पर वर कुछ नहीं, ज़रा मर्द की नज़र से देख उसे, क्या मस्त चूचियाँ हैं मस्त गुदाज बदन है, बड़े बड़े चूतर हैं, नाज़ुक सी बुर है उसकी, बहुत मज़े से चुदाती है,
अब मैं भी आखिर इन्सान हूँ, कब तक खुद पर लगाम रखता, और अब मेरा लंड खड़ा होने लगा , मैं वासना से भरने लगा,
बापू- वो लंड भी बहुत अच्छा चूसती है, तूने कभी किसी को चोदा है?
मैंने ना में सर हिलाया,
बापू- ओह तब तो तुझे सिखाना भी पड़ेगा, पहले ये बता कि अम्मा को चोदने को तय्यार है ना,
मेरा लौड़ा पैंट में एक तरफ़ से खड़ा होकर तंबू बन गया था, मुझे शर्म आयी और मैं किसी तरह अपने लंड को अजस्ट करने लगा,
ये बापू ने देख लिया और हँसते हुए बोले- चल तू हाँ बोले या ना बोले , तेरे लौड़े ने तो सर उठा कर हाँ बोल ही दिया है, क्यों...हा हा हा.....
मैंने शर्म से सर झुका लिया,
बापू मेरे पास आकर मेरे लौड़े को पकड़ लिए और उसकी लम्बाई और मोटाई को महसूस करने लगे,
और ख़ुश होकर बोले- वाह तेरा लौड़ा तो मेरे से भी बड़ा है और मोटा है, तू तो मुझसे ज़्यादा ही मज़ा देगा अपनी अम्मा को, अब तो मेरा खड़ा ही नहीं होता, पर जब खड़ा होता था तब भी तेरी अम्मा कभी कभी बोलती थी कि मेरा थोड़ा और मोटा होता तो उसको ज्यादा मज़ा आता, अब उसकी बड़े और मोटे लौड़े से चुदवाने की इच्छा भी पूरी हो जाएगी,
फिर बापू मेरे लौड़े से हाथ हटाकर बोले- बेटा मैं तुम्हें सिखा दूँगा कि अम्मा को कैसे चोदना है, पर पहले चलो अम्मा को मनाते हैं और तुम दोनों की चुदायी कराते हैं, आज वो इसीलिए रो रही थी कि उसे तुमसे नहीं चुदवाना है, कहती है कि अपने बेटे से कैसे चुदवा सकती हूँ,
मेरा लौड़ा अब झटके मार रहा था और मैं बापू के पीछे पीछे अम्मा के कमरे में जाने लगा, कमरे में अम्मा उलटी लेटी हुई थीं और उनका पिछवाड़ा सलवार में बहुत ही उभरा हुआ और मादक दिख रहा था, बापू ने मुझे इशारे से उनके चूतरों को दिखाते हुए फुसफुसाते हुए कहा- देख क्या गाँड़ है साली की, अभी देखना तुझसे कैसे कमर उछाल उछाल कर चुदवायेगी?
मैं अपने बापू के मुँह से गंदी बातें सुनकर हैरान हो गया, आजतक मैंने बापू का ये रूप नहीं देखा था, पर मैं तो अम्मा की मोटी गाँड़ देखकर उत्तेजित तो बहुत था,
तभी अम्मा को लगा कि वह कमरे में अकेली नहीं है, तो उसने मुँह घुमाकर देखा और एकदम से उठकर बैठ गयी,
अब बापू उसको देखकर हँसते हुए बोले- क्या जानु , क्यों सीधी हो गयी, चमकू तो तुम्हारी गाँड़ का उभार देखकर मस्त हो रहा था,
फिर बापू ने वो किया जो मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था, उन्होंने मुझे धक्का देकर अम्मा के सामने खड़ा किया और मेरे लौड़े को पकड़कर अम्मा को दिखाते हुए बोले- देख मैं ना कहता था कि कोई भी मर्द तेरा बदन देखकर पागल हो जाएगा, देख तेरा अपना बेटा ही तेरी मस्त गाँड़ देखकर कैसे लौड़ा खड़ा कर के खड़ा है,
अम्मा की तो आँखें जैसे बाहर को ही आ गयीं, वो हैरानी से बापू के हाथ में मेरा खड़ा लौड़ा देखे जा रही थी,
बापू ने मेरा लौड़ा अब मूठ मारने वाले अंदाज़ा में हिलाना चालू किया, और अम्मा की आँखें जैसे वहाँ से हट ही नहीं पा रही थी,
बापू- देख जानु क्या मोटा और लंबा लौड़ा है इसका, तेरी बड़े लौड़े से चुदवाने की इच्छा भी पूरी हो जाएगी,
अब बापू ने उनकी छातियाँ दबानी शुरू की और अम्मा आह कर उठी और बोली- छी क्या कर रहे हो, बेटे के सामने और ये क्यों पकड़ रखा है आपने?
बापू ने जैसे उनकी बात ही ना सुनी हो, वो मुझे बोले- लो बेटा अपनी अम्मा के दूध का मज़ा लो,
जब मैं हिचकिचाया तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और अम्मा की छाती पर रख दिया,
अब मैं भी कहाँ रुकने वाला था, मैंने मज़े से छाती दबायी और अम्मा की चीख़ निकल गयी - आह जानवर है क्या? कोई इतनी ज़ोर से दबाता है क्या?
मैं डर गया और बोला- माफ़ करना अम्मा , पहली बार दबा रहा हूँ ना, मुझे अभी आता नहीं,
बापू हँसते हुए बोले- हाँ जल्द सब सिख जाएगा और अपनी अम्मा को बहुत मज़ा देगा , क्यों जानु है ना?
अम्मा कुछ नहीं बोली पर अब मैं थोड़ा धीरे से एक चुचि दबा रहा था और एक बापू दबा रहे थे, जल्द ही अम्मा की आँखें लाल होने लगी और वो वासना की आँधी में बह गयी,
अब बापू ने मुझे कहा- चलो अब उसके दोनों दूध तुम ही दबाओ, और मैं अब मज़े से उनके दूध दबाने लगा,