Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार - Page 12 - SexBaba
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Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार

जीजू की जिव्हा मेरे गुदा द्वार के ऊपर प्यार भरी टकटकाहट देने लगी। जीजू की जीभ बेशर्मी से मेरे मलाशय के द्वार को खोलने के लिए उत्सुक थी। मेरी

गांड का तंग छिद्र हर मान गया और मेरी गांड का छेड़ धीरे धीरे जीजू की जीभ के स्वागत के लिए ढीला हो कर फ़ैल गया। जीजू की जीभ की नोक मेरी गांड

में प्रविष्ट हो गयी।

"हाय जीजू कितना अच्छा लग रहा है। ऐसे ही गांड चाटिये। जीजू और भी अंदर तक डालिये अपनी जीभ ," मैं अपनी गांड से उपजे वासना के आनंद मसे

डोलने लगी।

शानू ने अपनी जगह बदल कर मेरी चूत के ऊपर अपना मुंह जमा दिया। उसकी जीभ मेरी चूत से मेरी चुदाई की मलाई को चाटने लगी।

जीजू ने मेरे दोनों नितिम्बों को मसलते हुए मेरी गांड को अपनी जिव्हा से चोदने लगे। आखिर इसी गांड को वो थोड़ी अपने हाथी जैसे लंड से फाड़ने वाले थे।

मेरी सिस्कारियां स्वतः मेरे हलक से उबाल कर स्नानगृह में गूंजने लगीं। तभी जीजू ने अपनी जीभ मेरी गांड कर अपनी तर्जनी झटके से जोड़ तक मेरी

मलाशय की गुफा में ठूंस दिया। उन्होंने मेरे चुत्तडों को काटने के साथ साथ मेरी गांड को अपनी ऊँगली से चोदने लगे। शानू अब मेरे भगशिश्न को चूस और

चुभला रही थी। दोनों ओर से वासनामय प्रेम का आक्रमण मेरे शरीर में सम्भोग की लालसा की आग लगाने लगा।

जीजू ने बिना हिचक अपनी मंझली ऊँगली को तर्जनी की मादा के लिए मेरी गांड में भेज दिया।

मैं अब बेहिचक सिसकने लगी। " जीजू चोदिये मेरी गांड। ……उउउउग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग हाय शानू चूस ले , काट डाल मेरा क्लिट और ज़ोर से। .... उउउउन्न्न्न्न्न्न ……

आअरर्र्र्र्र्र्र ," मैं एक बार फिर से भरभरा के झड़ गयी।

आदिल भैया ने बेशक किसी लड़की की गांड भले ही ना मारी हो पर नसीम आपा की चुदाई तो हज़ारों बार की थी और उन्हें लड़कियों की चुदाई की बेसब्री

का पूरा इल्म था। उन्हें मॉल था की अब मेरी गांड उनके कुंवारे के लिए तैयार थी।

आदिल भैया ने मेरी फड़कती गांड को मेरे दोनों चूतड़ों फैला कर अपने लंड के आक्रमण के लिए तैयार पाया।

शानू जल्दी से उठ कर मेरे पीछे चली गयी अपने जीजू की मदद करले के लिए।


उसने मेरे गुदाज़ चूतड़ों को फैला कर जीजू के हाथ खाई कर दिए। जीजू ने अपना मोटा सेब जैसा सुपाड़ा मेरी गुदा के नन्हे तंग द्वार

के ऊपर टिका दिया। " जीजू बेहिचक अपना लंड डाल दीजिये। मेरी चीखों की परवाह कीजियेगा। बड़े मां ने जब मेरी गांड

कौमार्य भांग किया था तो मैं नहुत देर तक रोयी थी। पर बड़े मामा ने मेरी चीखों की मेरे रोने की बिलकुल उपेक्षा कर दी थी। "

मैंने आदिल भैया के रहे सहे संकोच का उन्मूलन करने का प्रयास किया।

आदिल भैया ने अपने वृहत लंड के खम्बे को थाम कर एक ज़ोर का झटका लगाया पर मेरी तंग गुदा द्वार नहीं खुला।

"जीजू क्या बात है ? क्या बड़े मां मदद के लिए बुलवाना पड़ेगा ?" मैंने जीजू के मर्दानगी को चुनौती दी।

आदिल भैया अब मर्दानगी के ऊपर आक्रमण से मचल उठे। उन्होंने अपना सुपाड़ा मेरी ऊपर जैम कर टिकाया और मुझे कस कर

पकड़ कर एक गांड-विध्वंसकारी धक्का लगाया।

" ओईईईई माआआआ आआअन्न्न्न्न्न ," मेरे हलक से चीख उबाल उठी। जीजू ने एक ही धक्के में अपना सेब जैसा मोटा सुपाड़ा मेरी

गांड के अंदर धकेल दिया। मेरी गुदा का नन्हा द्वार उनके विशाल सुपाड़े के ऊपर बेशर्मी से खुल कर फ़ैल गया।

आदिल भैया और गहरी सांस ली। मेरी कसी गांड के छेद ने उनके लंड को रेशमी ज़ंज़ीर में जकड़ लिया।

मेरी आँखों में दर्द के आंसू भर गए।

" साली साहिबा , अब बताइये मुझे किसी इमदाद या मदद की ज़रुरत है क्या ? " आदिल भैया ने मुझे चिढ़ाया।

"जीजू अभी तो बस लंड का सुपाड़ा अंदर गया है। अभी तो हाथ भर लम्बा लंड मेरी गांड के बाहर है। अभी से आप इतने क्यों इतरा

रहें हैं ? जब तक सारा लंड साली की गांड में ना समां जाये और फिर साली की गांड-चुदाई इतनी ज़ोरदार और इतनी लम्बी हो

की वोह झड़ झड़ कर बेहोश न हो जाय तब तक जीजू का काम पूरा नहीं होता। अब जब तक आप अपना मोटा लम्बा लंड अपनी

बड़ी साली की गांड में जड़ तक ना ठूंस दें और फिर और वो उसकी गांड की चुदाई से बिलबिला ना उठे तब तक आप को इतराने

का कोई हक़ नहीं है। "

मैं शायद मूर्खों की तरह आदिल भैया उर्फ़ जीजू को चुनौती दे कर अपनी गांड की शामत का न्यौता दे रही थी। आदिल भैया ने अपनी

साली की चुनौती को ख़ामोशी से स्वीकार कर लिया। जब मर्द के सौभाग्य में आदिल भैया जैसा लंड हो तो उसे अपनी मूर्ख साली

के वचनों के कंटक दंशों का जवाब शब्दों से देने की कोई ज़रुरत नहीं थी। जीजू का लंड मेरे शब्दों के कांटे को मेरे हलक में फंसा

देने के लिए पूरा काबिल था।

आदिल भैया ने बिना हिचक एक पूरी ताकत का धक्का लगाया और मेरी गांड चरमरा उठी। उनका मर्द की कलाई से भी मोटे लंड

की कुछ इंचे मेरी तंग गांड की गहरी रेशमी अंधकार में डूबी दाखिल हो गयीं।

मैं दर्द के मरे बिलबिला उठी। मेरी चीख ने शानू को भी हिला दिया। मेरी आँखों से गंगा जमुना बहने लगी। पर अब आदिल भैया के

ऊपर मेरी दयनीय हालत का कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला था।

आदिल भैया ने बिना रुके बिना किसी हिचक और चिंता से एक विध्वंसक धक्के के बाद दूसरे धक्के से अपने महालण्ड को और

भी मेरी गांड के भीतरजड़ तक ठूंसने लगे। मेरी सहमत तो मेरे निमंत्रण पर ही आई थी। मेरी दर्द भरी चीखे मेरी गांड से उपजे दर्द की

द्योतक थीं। ममेरे आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। जब मैं चीख नहीं रही ही थी तब मेरी सुबकिया मेरे दर्द का इज़हार कर रहीं

थी।

न जाने कितने धक्के लगाने पड़े आदिल भैया को। आखिर में उनके घुंघराले खुरदुरे झांटों के बाल मेरे चूतड़ों की कोमल त्वचा को

रगड़ रहे थे। आदिल भैया जीजू ने अपना विकराल लंड जड़ तक मेरी गांड में ठूंस दिया था।

" साली साहिबा , क्या मैं आपके चीखने रोने के रुकने का इन्तिज़ार करूँ या आपकी गांड शुरू कर दूँ ? जैसा आपको ठीक लगे

हमें बता दें। आखिर मैं आप हैं और छोटी बहिन भी। आपकी गांड और चूत तो हमें आगे और भी मारनी है। हर मानने में कोई शरम

नहीं है। " आदिल भैया ने अपने मर्दाने हाथी जैसे लंड की विजय पताका लहराने में कोई देर नहीं लगाई।

मैं अभी भी दर्द से बिलबिला रही थी पर सारे संसार की सालियों का सम्मान हांथों में था, " जीजू, अभी तो यह पहला वार है।

अभी तो आपको अपनी साली की गांड की लम्बी प्रचंड चुदाई है। जब तक तब तक वो बेहोश नहीं तो कम से कम निश्चेत जैसी

हालत में ना जाये। फिर आपको अपनी दूसरी साली की कुंवारी चूत ठीक उसी तरह मारनी है। अभी तो फ़तह के बिगुल बजने में

देरी है। "
 
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मैं सुबक रही थी फिर भी मैं हार नहीं मानने वाली थी। आखिर सालियों के सम्मान का सवाल भी तो था , उसके सामने मेरे दर्द की कुझे

फ़िक्र नहीं थी।

आदिल भैया ने भी सारी दुनिया के जिजाओं का पक्ष और सम्मान का बीड़ा उठा लिया।

आदिल भैया ने अपना लंड मेरी दुखती गांड से इंच इंच कर सुपाड़े तक बाहर निकल लिया और फिर ज़ोरदार धक्कों से जड़ तक मेरी गांड में ठूंस दिया। मेरी

चीखें उनके हर धक्के के प्रभाव की घंटी बन गयीं। । मेरी गांड में दर्द की लहरें उपज गयीं। मुझे लगा की मेरी गांड फट कर चिथड़े चिथड़े गयी थी और

उससे खून के धाराएं बह रहीं होगीं।

अब आदिल भैया बिना रहम से मेरी गांडमारने लगे। उनका लंड मेरी बिलबिलाती गांड से निकलता और फिर जड़ तक मेरे गहरे अँधेरे रेशमी मलाशय में

समां जाता।

मेरी चीखे सुबकियों में बदल गयीं। आदिल भैया का लंड, धीरे धीरे मेरी गांड में उनके महालण्ड के रगड़ाई से उपजे रस, से लिस कर कुछ आसानी से मेरी

गांड के अंदर बाहर आने जाने लगा।

शानू की साँसे ऊँची और भारी हो गयीं थीं।

आदिल भैया मेरी गांड को बेरहमी से अपने महाकाय लंड से चोद नहीं बल्कि कूट रहे थे। अब उनके मेरी उसी बेरहमी से मसल रहे थे। मेरी सुबकियां

सिस्कारियों में रूपांतरित हो चलीं।

मेरी प्रचंड गांड चुदाई के मंथन से मंथन से सौंधी सुगंध सब तरफ फ़ैल गयी।

" जीजू अब मर लीजिये अपनी साली की गांड। हाय कितना मोटा लंड आपका। अब मारिये और ज़ोर से। "मैं काम-आनंद के अतिरेक में अंट्शंट बोलने

लगी। जो दर्द थोड़ी देर पहले मेरी जान निकाल रहा था अब मेरे शरीर में उसी दर्द ने वासना से भरे कामसुख की बाढ़ पैदा कर दी।

"साली जी और ज़ोर से मारूँ आपकी गांड। अब तो आप रो भी नहीं रहीं हैं ? " आदिल भैया ने एक और प्रचंड धक्के से मेरी गांड महाकाय लंड से भर

दिया।

"जीजू और ज़ोर से मारिये। मैं अब झड़ने वाली हूँ। ह्हाअन्न्न्न्न्न उउउन्न्न्न्न्न्न्ग्ग्ग्ग्ग्ग ऊऊऊओ माआआं मर्र्र्र्र गयीईई मैईईईईइं आआऐईईईन्न्न्न्न्न ," मेरी

सिस्कारियां मेरे कामोन्माद के प्रभाव से और भी ऊँची हो गयीं।

अब जीजू उर्फ़ आदिल भैया विजय-पथ पर बेलगाम दौड़ रहे थे। उनका वृहत लंड मेरी गांड की भयंकर शक्तिशाली और बेहद तेज़ धक्कों से दनादन

चुदाई कर रहा था।

फ़च -फ़च -फ़च -फ़च -फ़च की आवाज़ मेरी गांड के मंथन का संगीत थीं। मैं अब वासना के ज्वर से बिलबिला उठी। मैं अब लगभग लगातार झड़ रही

थी। आदिल भैया मेरे उरोज़ों को जितनी बेदर्दी से मड़ोड़ते मसलते उतना ही विचित्र आनंद मुझे एक नए चरम आनंद के द्वार पर ला पटकता।

आदिल भैया मेरे हर कामोन्माद को और भी परवान चढ़ाने के लिए दोनों चुचूकों को बेरहमी से खींच कर मड़ोड़ देते और मैं हलके से चीख उठती। मेरी चीखें

अब आनंद के आवेश से उपज रहीं थीं। मेरी गांड की चुदाई का दर्द बस मेरे आनंद को बढ़ावा दे रहा था दे रहा था। 



आदिल भैया हचक हचक कर चोद रहे थे। उनके धुआँदार धक्के मेरे अस्थिपंजर तक हिला देते। अब वो मेरी गांड की चुदाई वहशी

अंदाज़ और रफ़्तार से करने लगे। जब उनके हाथ मेरे उरोज़ों को मुक्त कर मेरी चूत और भाग-शिश्न से खेलते तो उनके धक्कों से मेरे

गुदाज़ मोटी चूचियाँ आगे पीछे भरी गेंदों की तरह डोलतीं। मैं वासना और भीषण चुदाई के अतिरेक से हांफने लगी। पर जीजू की चुदाई

की भीषणता और उत्तेजना में कोई धीमापन आने की गुंजाईश नहीं होती दीखती थी।

" जीईईइ ....... जूऊऊऊ ……… हाआआन ………….. उउउन्न्न्न्ह्ह्ह्ह्ह्ह मैं फिर …….. झड़ रही हूँ……. आआन्न्न्न्न्न्न्न

………….. मर ……………. गईईईईई …………….. आआअन्न्न्न्न्न्न ,"मेरे हलक से सिस्कारियों की बौछार से स्नानगृह गूँज उठा। गांड

महक मेरी कामोत्तेजना को और भी परवान चढ़ा रही थी।

जीजू ने दनादन धक्कों से मेरी गांड की तौबा बुला दी , "साली रानी क्या अब टैं बोली या नहीं ? मैं तुम्हारी गांड अपने लंड की

मलाई से भरने वाला हूँ। "
 
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मैं सुबक रही थी फिर भी मैं हार नहीं मानने वाली थी। आखिर सालियों के सम्मान का सवाल भी तो था , उसके सामने मेरे दर्द की कुझे

फ़िक्र नहीं थी।

आदिल भैया ने भी सारी दुनिया के जिजाओं का पक्ष और सम्मान का बीड़ा उठा लिया।

आदिल भैया ने अपना लंड मेरी दुखती गांड से इंच इंच कर सुपाड़े तक बाहर निकल लिया और फिर ज़ोरदार धक्कों से जड़ तक मेरी गांड में ठूंस दिया। मेरी

चीखें उनके हर धक्के के प्रभाव की घंटी बन गयीं। । मेरी गांड में दर्द की लहरें उपज गयीं। मुझे लगा की मेरी गांड फट कर चिथड़े चिथड़े गयी थी और

उससे खून के धाराएं बह रहीं होगीं।

अब आदिल भैया बिना रहम से मेरी गांडमारने लगे। उनका लंड मेरी बिलबिलाती गांड से निकलता और फिर जड़ तक मेरे गहरे अँधेरे रेशमी मलाशय में

समां जाता।

मेरी चीखे सुबकियों में बदल गयीं। आदिल भैया का लंड, धीरे धीरे मेरी गांड में उनके महालण्ड के रगड़ाई से उपजे रस, से लिस कर कुछ आसानी से मेरी

गांड के अंदर बाहर आने जाने लगा।

शानू की साँसे ऊँची और भारी हो गयीं थीं।

आदिल भैया मेरी गांड को बेरहमी से अपने महाकाय लंड से चोद नहीं बल्कि कूट रहे थे। अब उनके मेरी उसी बेरहमी से मसल रहे थे। मेरी सुबकियां

सिस्कारियों में रूपांतरित हो चलीं।

मेरी प्रचंड गांड चुदाई के मंथन से मंथन से सौंधी सुगंध सब तरफ फ़ैल गयी।

" जीजू अब मर लीजिये अपनी साली की गांड। हाय कितना मोटा लंड आपका। अब मारिये और ज़ोर से। "मैं काम-आनंद के अतिरेक में अंट्शंट बोलने

लगी। जो दर्द थोड़ी देर पहले मेरी जान निकाल रहा था अब मेरे शरीर में उसी दर्द ने वासना से भरे कामसुख की बाढ़ पैदा कर दी।

"साली जी और ज़ोर से मारूँ आपकी गांड। अब तो आप रो भी नहीं रहीं हैं ? " आदिल भैया ने एक और प्रचंड धक्के से मेरी गांड महाकाय लंड से भर

दिया।

"जीजू और ज़ोर से मारिये। मैं अब झड़ने वाली हूँ। ह्हाअन्न्न्न्न्न उउउन्न्न्न्न्न्न्ग्ग्ग्ग्ग्ग ऊऊऊओ माआआं मर्र्र्र्र गयीईई मैईईईईइं आआऐईईईन्न्न्न्न्न ," मेरी

सिस्कारियां मेरे कामोन्माद के प्रभाव से और भी ऊँची हो गयीं।

अब जीजू उर्फ़ आदिल भैया विजय-पथ पर बेलगाम दौड़ रहे थे। उनका वृहत लंड मेरी गांड की भयंकर शक्तिशाली और बेहद तेज़ धक्कों से दनादन

चुदाई कर रहा था।

फ़च -फ़च -फ़च -फ़च -फ़च की आवाज़ मेरी गांड के मंथन का संगीत थीं। मैं अब वासना के ज्वर से बिलबिला उठी। मैं अब लगभग लगातार झड़ रही

थी। आदिल भैया मेरे उरोज़ों को जितनी बेदर्दी से मड़ोड़ते मसलते उतना ही विचित्र आनंद मुझे एक नए चरम आनंद के द्वार पर ला पटकता।

आदिल भैया मेरे हर कामोन्माद को और भी परवान चढ़ाने के लिए दोनों चुचूकों को बेरहमी से खींच कर मड़ोड़ देते और मैं हलके से चीख उठती। मेरी चीखें

अब आनंद के आवेश से उपज रहीं थीं। मेरी गांड की चुदाई का दर्द बस मेरे आनंद को बढ़ावा दे रहा था दे रहा था। 



आदिल भैया हचक हचक कर चोद रहे थे। उनके धुआँदार धक्के मेरे अस्थिपंजर तक हिला देते। अब वो मेरी गांड की चुदाई वहशी

अंदाज़ और रफ़्तार से करने लगे। जब उनके हाथ मेरे उरोज़ों को मुक्त कर मेरी चूत और भाग-शिश्न से खेलते तो उनके धक्कों से मेरे

गुदाज़ मोटी चूचियाँ आगे पीछे भरी गेंदों की तरह डोलतीं। मैं वासना और भीषण चुदाई के अतिरेक से हांफने लगी। पर जीजू की चुदाई

की भीषणता और उत्तेजना में कोई धीमापन आने की गुंजाईश नहीं होती दीखती थी।

" जीईईइ ....... जूऊऊऊ ……… हाआआन ………….. उउउन्न्न्न्ह्ह्ह्ह्ह्ह मैं फिर …….. झड़ रही हूँ……. आआन्न्न्न्न्न्न्न

………….. मर ……………. गईईईईई …………….. आआअन्न्न्न्न्न्न ,"मेरे हलक से सिस्कारियों की बौछार से स्नानगृह गूँज उठा। गांड

महक मेरी कामोत्तेजना को और भी परवान चढ़ा रही थी।

जीजू ने दनादन धक्कों से मेरी गांड की तौबा बुला दी , "साली रानी क्या अब टैं बोली या नहीं ? मैं तुम्हारी गांड अपने लंड की

मलाई से भरने वाला हूँ। "
 
जीजू के झड़ने की घोषणा से मेरी गांड चुदाई के आनंद चार चाँद लग गए, ," जीजू अपने मुझे झाड़-झाड़ कर मार ही डाला।

भर दीजिये अपनी छोटी बहन और साली की गांड अपने लंड की मलाई से। "

मैं वासना के अतिरेक में बेशर्मी से बुदबुदाई। आदिल भैया ने मेरे दोनों चूचियों को निर्ममता मड़ोड़ मसल कर मेरी गांड में बेरहमी से

अपना लंड और भी ताकत से ठोकने लगे। उनके हलक से गुरगुरहटों जैसी आवाज़ें निकलने लगीं। कोई नासमझ भीषण गांड चुदाई को

देखता तो इसे बलात्कार समझता।

मैं तो जीजू की निर्मम चुदाई से उन्गिनत बार झड़ कर बिलकुल शिथिल हो रही थी।

अचानक जीजू का लंड मेरी गांड में और भी मोटा लगने लगा। उनके लंड ने मेरी गांड में मानों अंगड़ाइयां लेनी शुरू कर दी। उनके लंड से

मेरी गांड में गरम गरम उर्वर वीर्य बौछार होने लगी। मैं उस गरमाहट के आनंद से तड़प उठी और हलके से चीख झड़ने लगी।

जीजू का लंड बिना रुके गांड की तड़पती कोमल दीवारों को अपनी मलाई की बारिश कर रहा था। लगा की जीजू का लंड

से वीर्य की फुहारें कभी भी नहीं रुकेंगी।

जीजू भी अब हांफने लगे चार्म-आनंद के प्रभाव से। उन्होंने मुझे ना थामा होता तो मैं फिसल कर फर्श पर ढेर हो जाती।

घंटे भर की भीषण चुदाई से मेरे शरीर का हर एक अंग मीठे दर्द से भर उठा था।

जीजू और मैं उसी अंदाज़ में एक चुपके रहे और कामोन्माद के शिखर आने का इंतज़ार रहे थे। हूँ दोनों बिलकुल भूल गए की बेचारी

शानू इस बलात्कारी चुदाई के उत्तेजना की वजह से हांफ रही थी।

काफी देर बाद जीजू और मैं अपने वातावरण से फिर से सलंग्न हो गए।

"हाय जीजू आप कितने बेदर्द हैं। मैं आप और बुआ से आपकी शिकायत लगाऊंगी। कितनी बेरहमी से मारी है अपने हमारी नेहा की

गांड। मैं तो दर लगी थी। " शानू ने उलहना तो दिया पर उसकी आँखे कुछ और ही कह रहीं थी।

"साली जी जब आपकी चूत की कुटाई भी इसी बेरहमी से कर दूँ तब शिकायत लगन अपनी अपप और अम्मी से। "जीजू का लंड बड़ी

ढीला हो चला था उस से मरे गांड को थोड़ी रहत राहत महसूस हुई। पर अभी भी मुझे जीजू का लंड अपनी गांड में रखने में आनंद आ

रहा था।

"अरे शानू जब तुम्हारी चूत को जीजू के लंड से फ़ड़वाएंगे तब तुम साडी शिकायतों को भूल जाएगी। और नसीम आपा क्या नहीं

जानती की आदिल भैया जैसे सांड जीजू के होते तेरी चूत कैसे कुंवारी रह सकती है। अब तक तो तेरी चूत ही नहीं गांड के दरवाज़े भी

पूरे खुल जाने चाहिए थे। " मैंने भी जीजू के स्वर से स्वर मिलाया।

" शानू साली साहिबा तुम भूल गयीं दो हफ्ते पहले की बात। अम्मी और नसीम दोनों ने कितना तुम्हें समझाया था की अपने जीजू को

अपनी चुदाई के लिए राज़ी कर लो। भाई हमने तो तय कर रखा था की जब तक तुम रज़ामंद नहीं होगी हम तुम्हे चुम्मा भी नहीं देंगे।"

जीजू की बातों से साफ़ साफ़ ज़ाहिर था कि शब्बो बुआ और नसीम आपा शानू के केस पर थीं। बस शानू ही नासमझी कर रही थी।

" चलो देर आयद दुरुस्त आयद। आज तो तेरी चूत के उद्घाटन की हर शर्त पूरी हो गयी। लेकिन मेरी बात सुन। जीजू का लंड जब भी

चुदाई खतम करे तो उसे चूस चुम कर शुक्रिया अदा ज़रूर करना। वरना लंड महाराज नाराज़ हो जाते हैं। जीजू शानू की शुरुआत कर

दीजिये। शानू आपके लंड को बेहिचक प्यार से मेरी गांड की चुदाई के लिए शुक्रिया अदा करेगी। " मुझे शानू को मेरी गांड के बेरहम

मंथन से लसे जीजू के लंड को चूसने के ख्याल से ही रोमांच हो गया। 


शानू के फटी फटी आँखें और भरी सांसों में वासना का बुखार साफ़ ज़ाहिर हो रहा था। अब वो जीजू चुदने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाती।

आदिल भैया ने धीरे धीरे अपना भरी से बाहर निकला। मैंने उन्हें मन ही मन धन्यवाद दिया। मेरी गांड की बेरहम चुदाई के दर्द की लहरें अभी भी पेंगें ले रहीं

थीं।

जीजू का लंड ममेरी गांड के माथे रस और उनके गाढ़े मलाई जैसे सफ़ेद वीर्य के मिश्रण से सजा था। शानू ने थोड़ा हिचकते हुए जीजू का लंड सुपाड़ा अपने

मुंह में ले लिया। बेचारी को अपना मुंह जितना खुल सकता था खोलने पड़ा। जीजू के लंड का सुपाड़ा बड़े मामा जैसे ही विशाल था। शानू ने पहले धीरे धीरे

फिर बेताबी से जीजू के लंड से मेरी गांड और उनके वीर्य की मलाई के मिश्रण को चूसने चाटने लगी।

मुझे बड़े मामा और सुरेश चाचू से गांड उनके लंड को साफ़ करने का आनंद फिर ताज़ा हो गया, "शानू जीजू के लंड की मलाई मेरी गांड में भरी हुई है। चल

नीचे बैठ जा। तू भी क्या याद करेगी की मैं कितनी दरियादिल हूँ। वरना मैं खुद साडी मलाई चाट कर जाती। "

शानू ने चटकारे लेते हुए कहा , "नेहा, त्तेरी गांड और जीजू की मलाई तो बहुत स्वाद है। "

मैंने शानू खुले मुंह के ऊपर अपनी दुखती गांड के छेद को रख दिया जो अभी भी जीजू के महाकाय लंड से चुदने के बाद मुंह बाये हुए था। जीजू के लंड की

मलाई और मेरी गांड के रस की घुट्टी शानू के मुंह में धार की तरह बह चली।

मैंने शानू को अपनी गांड के रस से लिसे जीजू की मलाई सटकने के बाद उसको उनके मेरी गांड से निकले ताज़े लंड की ओर झुका दिया। शानू ने बिना

हिचक आदिल भैया के लंड को चूस चाट कर अपने थूक से चमका दिया। जीजू बोले, " मेरा लंड थोड़ी देर के लिए वापस कर दीजिये साली साहिबा मुझे बहुत

ज़ोर से मूतना है।”

मैं झट से शानू के पास घुटनों पर बैठ गयी, "वाह जीजू दो दो सालियों के होते कहाँ मूतने जायेंगे आप। कर दीजिये यहीं पर। आखिर में आपकी कुंवारी

साली को कभी तो अपने जीजू का नमकीन शरबत पीने का मौका मिलना ही है।"
 
आदिल भैया ने अपने मूत्र की बौछार हमारे चेहरों के ऊपर खोल दी। मैंने शानू के गाल दबा कर उसका मुंह खुलवा दिया दिया। जीजू के मूत्र स्नान साथ साथ

दोनों सालियों ने मूत्र पान भी कर लिया।

शानू अब बिना शर्म के जीजू का नमकीन मूट मुंह भर कर सतक रही थी। कुछ देर तो तो दोनों मानो होड़ लगा रहीं थी कि कौन जीजू के गरम गरम नमकीन

शरबत का बड़ा हिस्सा हिस्सा सतक लेगी लेगी।

उसके बाद हम तीनों अच्छे नहाये। जीजू के साथ छेड़-खानी से उनका लंड फिर से खम्बे की तरह प्रचंड हो गया। शानू भी चूचियाँ मसलवा कर और चूत

सहलवा कर उत्तेजित हो चली थी। 


हम तीनों ने सुखाने के बाद कोई कपडे पहनने का झंझट का ख्याल ही छोड़ दिया। मेरे हलके इशारे पर जीजू ने शानू अपनी बालिष्ठ

भुजाओं में जकड़ कर बिस्तर पर दिया। जब तक शानू कुछ कर पाती जीजू उसकी मांसल झांगों को खींच कर उसके चूतड़ों को बिस्तर के

किनारे तक खींच कर उसकी झांगों की पकड़ से स्थिर कर उंसकी कमसिन अल्पव्यस्क चूत ऊपर वहशियों की तरह टूट पड़े। जैसे ही

जीजू का मुंह शानू की चूत पर पहुंचा उसकी सिसकारी निकली तब सबको ज़ाहिर हो गया की आज शानू की कुंवारी चूत पर जीजू के लंड

की विजय का झंडा लहरा कर ही रहेगा।

जीजू ने मुश्किल से नवीं कक्षा में दाखिल हुई नाज़ुक अधपकी अपनी बहन और साली की चूत में तूफ़ान उठा दिया। जीजू ने अपनी जीभ

शानू -शिश्न को लपलपा कर चाटने के साथ साथ उसकी चूत के उनखुले द्वार में धकेल कर उसे वासना के आनंद से उद्वेलित कर दिया।

बेचारी कामवासना के खेल में पूरी अनाड़ी थी। जीजू की अनुभवी जीभ में उसकी कुंवारी चूत में आग लगा दी।

" हाय जीजू आप क्या कर रहे हो मेरे साथ। मेरी चूत जल रही है जीजू। मुझे झड़ दीजिये। " शानू की गुहार सुन कर जीजू ने उसकी चूत

को कस कर चाटने लगे। शानू भरभरा कर झड़ गयी। उसकी सिस्कारियां कमरे में गूँज उठीं।

जीजू ने उसके दोनों उरोज़ो को कास कर मसलते हुए उसकी चूत से लेकर गांड तक लम्बी जीभ निकल कर चूसने लगे। शानू अपने चूतड़

बिस्तर से उठा उठा कर अपनई चूत और गांड जीजू के मुंह में ठूंसने लगी।

मैंने उसके खुले हफ्ते मुंह को अपने होंठों से धक लिया और अपनी जीभ से उसके मीठे मुंह में मीठे तलाशने लगी।

उधर जीजू ने उसकी गुदा द्वार में अपनी जीभ की नोक घुसा कर उसे गोल गोल घूमने लगे। शानू बेचारी के ऊपर हर तरफ से वासनामयी

हमला हो रहा था। उसकी चूचियाँ जीजी मसल रहे थे। मैं उसके मीठे होंठों को चूस रही थी। जीजी उसकी गांड और चूत चूस चूस कर उसके

अल्पव्यस्क शरीर में कामाग्नि प्रज्जवलित कर रहे थे।

शानू अनेकों बार कपकपा के झड़ चुकी थी। जीजू ने एक बार फिर से उसकी चूत पर अपने मुंह और जीभ से मीठा हमला बोल दिया। जीजू

ने उसके भग-शिश्न को चुभलाते, चूसते ,और हलके से अपने होंठो में भीचते हुए जैसे ही शानू एक बार फिर से झड़ी तो उसकी गांड में

अपनी तर्जनी दाल दी. शानू थोड़ी से चहकी पर उसके चरमानंद ने जीजू की ऊँगली से पैदा अपनी गांड के दर्द को भुला दिया।

" आअन्न्न्न्न्न्न जईईई जूऊऊऊ मैं फिर से झड़ रहीं हुँ। हाय अम्मी मुझे बचाओ। कितनी बार झड़ दिया है आपने मुझे। अब बस कीजिये।

मेरी चूत अब और नहीं सह सकती। " शानू कमसिन नासमझी में बड़बड़ाई।

बेचारी को अब पता चलेगा की कितनी सौभगयशाली थी जीजू उसकी चूत का लंड से मंथन करले से पहले उसे भाग-चूषण का परम आनंद

दे रहे थे।

जीजू ने उसे बिस्तर पर दबा कर उसकी चूत को चूस कर उसकी गांड को उंगली से मारते हुए फिर से झड़ दिया। अब बेचारी की सहनशक्ति

जवाब दे गयी। शनय मचल कर पलट कर पेट के बल हो गयी। उसके पैर कालीन पर जमे थे।

जीजू ने इस मौके का पूरा िसयतेमल कियस। मैं समझ गयी जीजू अपने छोटी साली की कुंवारी चूत पीछे से मारने की सोच रहे थे। नन्ही

कुंवारी लड़की के लिए पीठ पर लेट के पूरी चौड़ा करने के बाद भी जीजू के भीमकाय लंड से चुदवाने में हालत ख़राब हो जाती। पर शानू

जिसने मुश्किल से किशोरावस्था के दो साल पूरे किये थे उसकी तो चूत फटने का पुअर इंतिज़ाम था। मैं तो ऐसे कह रहीं हूँ जैसेमैं बहुत

सालों से चुदाई के खेल की खिलाडन हुँ। शानू मुझसे सिर्फ एक साल छोटी थी। मैं भी कुछ हफ़्तों पहले शानू की तरह नासमझ कुंवारी

थी।

मैंने शानू का मुंह अपनी चूत के ऊपर दबा लिया। जीजू ने अपने दानवीय लंड के मोटे सेब जैसे सुपाड़े को शानू की कुंवारी चूत टिका कर

आंसू निकालने वाला धक्का मारा।

जैसा जीजू ने मुझसे वायदा किया था वो अपनी साली के कौमार्य भंग की घोषणा उसकी चीखों से करने का पूरा प्रयास करने वाले थे। शानू

दर्द से बिलबिला उठी। जीजू का अत्यंत मोटा सुपाड़ा उसकी चूत में प्रविष्ट हो गया। उसके कौमार्य के अल्पजीवन की कहानी बदलने वाली

थी।

जीजू ने उसकी कमल बिस्तर पे दबा कर एक और दर्दीला ढाका मारा। शानू की चीख ने मेरी चूत के ऊपर बंसरी बजा दी। 


""नहीईईईए जीजूऊऊऊ मर गयी मैं हाय रब्बा आअन्न्न्न्न्ह्ह्ह्ह्ह ," शानू चीख कर कसमसाई पर जीजू ने उसे अपने नीचे नन्ही हिरणी

की तरह जकड़ रखा था। अब उसके पास बस एक रास्ता था। जीजू के महाकाय लंड से चुदवाना।

" जीजू, यह क्या? इसको कोई चीख निकलवाना कहतें है? जब बड़े मामा ने मेरी कुंवारी चूत मारी थी तो मैंने तो घर की छत उड़ा दी

थी अपनी र्दद भरी चीखों से," मैंने जीजू को और बढ़ावा दिया।

जीजू ने दांत भींच कर एक और भयंकर धक्का लगाया और उनका लंड की काम से काम तीन इंचे शानू की चरमराती चूत में घूंस गयी।

शानू बिलबिला कर रोई और चीखी पर जीजू ने बिना तरस खाए एक के बाद एक तूफानी धक्कों से अपना लंड जड़ तक शानू की चूत

में ठूंस दिया।

मेरी चूत सौभाग्यशाली बेचारी शानू के आंसुओं से भीग गयी। जीजू ने अपना लंड जब बाहर खींचा तो शानू के कौमार्यभंग के घोषणा

करता उसका लाल खून बिस्तर पर फ़ैल गया। जीजू का लंड मानों विजय के तिलक से शोभित हो गया था।

जीजू ने इस बार सिर्फ तीन धक्कों से अपना पूरा वृहत लंड फिर से शानू की चूत में जड़ तक डाल दिया।

अब जीजू के लंड के ऊपर शानू के कुंवारी चूत के विध्वंस की लाल निशानी की चिकनाहट थी। जीजू ने बिना रहम किये दनादन शानू

की चूत में अपना लंड अंदर बाहर करने लगे।

ना जाने कितनी देर तक शानू बिलबिलाई, चीखी चिल्लायी। उसके चीखों और सुबकने के स्पंदन से मेरी चूत भरभरा कर झड़ गयी।

जीजू ने शानू की चूत के द्वार पूरे खोल दिए थे और उनका लंड विजय की पताका फहराता हुआ उसकी चूत का लतमर्दन करने लगा।

" हाआंन्नणणन् जेजूऊऊऊ ऊओईईए अब दर्द नहीं हो रहा। जीजूऊऊ चोदिये अब। ऊन्न्न्न्न्न कितना लम्बा मोटा लंड है आपका। अल्लाह

मेरी चूत फैट गयी पर मुझे चोदिये और," शानू अब और चुदने की गुहार लगा रही थी।

उसके प्यारे जीजू ने अपने लंड के शॉट्स और भी ताकत से लगाने लगे। उनके मोटे लम्बे लंड के प्रहार से शानू हिल उठती पर उसकी

सिस्कारियां ऊंची ऊंची उड़न भर रहीं थीं।

" अम्मीई झड़ गयी मैं फिर से, " शानू सुबक उठे इस बार कामोन्माद के।

शानू की चूत उसके रति रस से भर गयी। जीजू का लंड अब तूफ़ान मेल जैसी रफ़्तार से शानू की चुदाई करने लगा।

उसकी चूत से 'पचक पचक पचक' के संगीत की लहरें गूंजने लगीं।

मेरी चूत फिर से भरभरा कर झड़ गयी। जीजू ने बिना धीरे और होल हुए शानू की चूत उसी बेरहमी से कर रहे थे। पर अब वो

अल्पव्यस्क कमसिन कुंवारी उनके लंड की पुजारिन बन गए और गुहार लगाने लगी, " जीजू और चोदिये मुझे। पहले क्यों नहीं चोदा

आपने मुझे। आपका लंड अमिन अब अपनी चूत से कभी भी नहीं निकलने दूंगीं। चोदिये जीजू आअन्न्न्न्न … …… आर्र्र्र्र्र

ऊओन्नन्नह्हह्हह मर गयी राबाआआआ," शानू के वासना भरी गुहारें मीठे संगीत के स्वरों की तरह कमरे में फ़ैल गयीं।

जीजू के लंड की रफ़्तार तेज़ और भी तेज़ होती जा रही थी। घंटे भर की चुदाई में शानू ना जाने कितनी बार झड़ गयी थी।

अचानक जीजू ने गुर्रा कर धक्का मारा , " साली साहिबा मैं अब आपकी चूत में झड़ने वाला हूँ। "

शानू की कच्ची चूत में जीजू के लंड ने जननक्षम वीर्य की बारिश शुरू की तो रुकने का नाम ही नहीं लिया। शानू जीजू के ग्र्रम वीर्य

की बौछार से फिर से झड़ कर लगभग निश्चेत सी हो गयी। 


मैंने जीजू के माथे से पसीने की बुँदे अपने होंठों से उठा ली, " जीजू मान गए आपको। शानू की चुदाई वाकई मेरी चुदाई के मुकाबले के

थी। "

" बड़ी साली साहिबा तो आपकी गांड मरने की कीमत चूका दी हमने?"जीजू ने मेरे मीठे होंठों को चूसा।

"जीजू बिलकुल। अब मेरी लिए हमेश खुली है। अब शानू की चूत का दूसरा दौरा हो जाये। आखिर उसकी चूत पूरे खुलनी चाहिए। " मैंने

जीजू की जीभ से अपनी जीभ भिड़ा कर उत्साहित किया।

जीजू ने अपना वीर्य, शानू के रतिरस और कुंवारी चूत के खून से लेस लंड को उसकी चूत से निकल कर मेरे मुंह में ठूंस दिया। मैंने भी

भिन्न भिन्न रसों के मिश्रण को चूस चाट कर उनके लंड को चकाचक साफ़ कर दिया. जीजू का लंड फिर से तनतना उठा।

" जीजू यह क्या ! हाय रब्बा आपका मूसल तो फिर से खड़ा हो गया !," शानू अब पलट कर पीठ पर लेती हुई थी।

जीजू ने उसके पसीने से भीगे कमसिन शरीर के ऊपर लेट कर अपने लंड को फिर उसकी ताज़ी ताज़ी चुदी कुंवारी चूत के द्वार पे टिक्का

दिया, " साली जी एक बार की चुदाई से थोड़े ही तस्सली होने वाले है हमें। "

कहते कहते जीजू ने शानू की चूत में लंड को तीन चार धक्कों से जड़ तक ठूंस दिया। इस बार भी शानू चीख उठी पर इस बार की चीख

में कामना भरे दर्द की मिठास थी।

इस बार फिर से शानू की चुदाई शुरू हुई तो जीजू ने रुकने का नाम ही नहीं लिया. मैंने जीजू के हिलते चितादों को चूमा और उनकी गांड

में अपनी उंगली डाल दी। जीजू के नितिम्बों ने जुम्बिश ई और उन्होंने हचक हचक कर शानू की चूत का मर्दन करना शुरू कर दिया।

" जीजूऊऊ …………. चोदिये ………..ज़ोर से ……… आअन्नन्नन्नन्नन्न ………. ऊओन्नन्नन्नन ,"शानू लगातार झड़ रही थी।

जीजू ने शानू को कई बार झाड़ कर उसकी चूत को अपने उर्वर वीर्य से सींच दिया। 
 
Dear author,
This story is mine and has been posted in parts on Xossip and Literotica
I will greatly appreciate if admin would put it under right name "NEHA KA PARIWAR" (by SeemaDS) and attribute it to the right person.
Seema
 
SEEMA said:
Dear author,
This story is mine and has been posted in parts on Xossip and Literotica
I will greatly appreciate if admin would put it under right name "NEHA KA PARIWAR" (by SeemaDS) and attribute it to the right person.
Seema

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