hotaks444
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जीजू की जिव्हा मेरे गुदा द्वार के ऊपर प्यार भरी टकटकाहट देने लगी। जीजू की जीभ बेशर्मी से मेरे मलाशय के द्वार को खोलने के लिए उत्सुक थी। मेरी
गांड का तंग छिद्र हर मान गया और मेरी गांड का छेड़ धीरे धीरे जीजू की जीभ के स्वागत के लिए ढीला हो कर फ़ैल गया। जीजू की जीभ की नोक मेरी गांड
में प्रविष्ट हो गयी।
"हाय जीजू कितना अच्छा लग रहा है। ऐसे ही गांड चाटिये। जीजू और भी अंदर तक डालिये अपनी जीभ ," मैं अपनी गांड से उपजे वासना के आनंद मसे
डोलने लगी।
शानू ने अपनी जगह बदल कर मेरी चूत के ऊपर अपना मुंह जमा दिया। उसकी जीभ मेरी चूत से मेरी चुदाई की मलाई को चाटने लगी।
जीजू ने मेरे दोनों नितिम्बों को मसलते हुए मेरी गांड को अपनी जिव्हा से चोदने लगे। आखिर इसी गांड को वो थोड़ी अपने हाथी जैसे लंड से फाड़ने वाले थे।
मेरी सिस्कारियां स्वतः मेरे हलक से उबाल कर स्नानगृह में गूंजने लगीं। तभी जीजू ने अपनी जीभ मेरी गांड कर अपनी तर्जनी झटके से जोड़ तक मेरी
मलाशय की गुफा में ठूंस दिया। उन्होंने मेरे चुत्तडों को काटने के साथ साथ मेरी गांड को अपनी ऊँगली से चोदने लगे। शानू अब मेरे भगशिश्न को चूस और
चुभला रही थी। दोनों ओर से वासनामय प्रेम का आक्रमण मेरे शरीर में सम्भोग की लालसा की आग लगाने लगा।
जीजू ने बिना हिचक अपनी मंझली ऊँगली को तर्जनी की मादा के लिए मेरी गांड में भेज दिया।
मैं अब बेहिचक सिसकने लगी। " जीजू चोदिये मेरी गांड। ……उउउउग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग हाय शानू चूस ले , काट डाल मेरा क्लिट और ज़ोर से। .... उउउउन्न्न्न्न्न्न ……
आअरर्र्र्र्र्र्र ," मैं एक बार फिर से भरभरा के झड़ गयी।
आदिल भैया ने बेशक किसी लड़की की गांड भले ही ना मारी हो पर नसीम आपा की चुदाई तो हज़ारों बार की थी और उन्हें लड़कियों की चुदाई की बेसब्री
का पूरा इल्म था। उन्हें मॉल था की अब मेरी गांड उनके कुंवारे के लिए तैयार थी।
आदिल भैया ने मेरी फड़कती गांड को मेरे दोनों चूतड़ों फैला कर अपने लंड के आक्रमण के लिए तैयार पाया।
शानू जल्दी से उठ कर मेरे पीछे चली गयी अपने जीजू की मदद करले के लिए।
उसने मेरे गुदाज़ चूतड़ों को फैला कर जीजू के हाथ खाई कर दिए। जीजू ने अपना मोटा सेब जैसा सुपाड़ा मेरी गुदा के नन्हे तंग द्वार
के ऊपर टिका दिया। " जीजू बेहिचक अपना लंड डाल दीजिये। मेरी चीखों की परवाह कीजियेगा। बड़े मां ने जब मेरी गांड
कौमार्य भांग किया था तो मैं नहुत देर तक रोयी थी। पर बड़े मामा ने मेरी चीखों की मेरे रोने की बिलकुल उपेक्षा कर दी थी। "
मैंने आदिल भैया के रहे सहे संकोच का उन्मूलन करने का प्रयास किया।
आदिल भैया ने अपने वृहत लंड के खम्बे को थाम कर एक ज़ोर का झटका लगाया पर मेरी तंग गुदा द्वार नहीं खुला।
"जीजू क्या बात है ? क्या बड़े मां मदद के लिए बुलवाना पड़ेगा ?" मैंने जीजू के मर्दानगी को चुनौती दी।
आदिल भैया अब मर्दानगी के ऊपर आक्रमण से मचल उठे। उन्होंने अपना सुपाड़ा मेरी ऊपर जैम कर टिकाया और मुझे कस कर
पकड़ कर एक गांड-विध्वंसकारी धक्का लगाया।
" ओईईईई माआआआ आआअन्न्न्न्न्न ," मेरे हलक से चीख उबाल उठी। जीजू ने एक ही धक्के में अपना सेब जैसा मोटा सुपाड़ा मेरी
गांड के अंदर धकेल दिया। मेरी गुदा का नन्हा द्वार उनके विशाल सुपाड़े के ऊपर बेशर्मी से खुल कर फ़ैल गया।
आदिल भैया और गहरी सांस ली। मेरी कसी गांड के छेद ने उनके लंड को रेशमी ज़ंज़ीर में जकड़ लिया।
मेरी आँखों में दर्द के आंसू भर गए।
" साली साहिबा , अब बताइये मुझे किसी इमदाद या मदद की ज़रुरत है क्या ? " आदिल भैया ने मुझे चिढ़ाया।
"जीजू अभी तो बस लंड का सुपाड़ा अंदर गया है। अभी तो हाथ भर लम्बा लंड मेरी गांड के बाहर है। अभी से आप इतने क्यों इतरा
रहें हैं ? जब तक सारा लंड साली की गांड में ना समां जाये और फिर साली की गांड-चुदाई इतनी ज़ोरदार और इतनी लम्बी हो
की वोह झड़ झड़ कर बेहोश न हो जाय तब तक जीजू का काम पूरा नहीं होता। अब जब तक आप अपना मोटा लम्बा लंड अपनी
बड़ी साली की गांड में जड़ तक ना ठूंस दें और फिर और वो उसकी गांड की चुदाई से बिलबिला ना उठे तब तक आप को इतराने
का कोई हक़ नहीं है। "
मैं शायद मूर्खों की तरह आदिल भैया उर्फ़ जीजू को चुनौती दे कर अपनी गांड की शामत का न्यौता दे रही थी। आदिल भैया ने अपनी
साली की चुनौती को ख़ामोशी से स्वीकार कर लिया। जब मर्द के सौभाग्य में आदिल भैया जैसा लंड हो तो उसे अपनी मूर्ख साली
के वचनों के कंटक दंशों का जवाब शब्दों से देने की कोई ज़रुरत नहीं थी। जीजू का लंड मेरे शब्दों के कांटे को मेरे हलक में फंसा
देने के लिए पूरा काबिल था।
आदिल भैया ने बिना हिचक एक पूरी ताकत का धक्का लगाया और मेरी गांड चरमरा उठी। उनका मर्द की कलाई से भी मोटे लंड
की कुछ इंचे मेरी तंग गांड की गहरी रेशमी अंधकार में डूबी दाखिल हो गयीं।
मैं दर्द के मरे बिलबिला उठी। मेरी चीख ने शानू को भी हिला दिया। मेरी आँखों से गंगा जमुना बहने लगी। पर अब आदिल भैया के
ऊपर मेरी दयनीय हालत का कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला था।
आदिल भैया ने बिना रुके बिना किसी हिचक और चिंता से एक विध्वंसक धक्के के बाद दूसरे धक्के से अपने महालण्ड को और
भी मेरी गांड के भीतरजड़ तक ठूंसने लगे। मेरी सहमत तो मेरे निमंत्रण पर ही आई थी। मेरी दर्द भरी चीखे मेरी गांड से उपजे दर्द की
द्योतक थीं। ममेरे आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। जब मैं चीख नहीं रही ही थी तब मेरी सुबकिया मेरे दर्द का इज़हार कर रहीं
थी।
न जाने कितने धक्के लगाने पड़े आदिल भैया को। आखिर में उनके घुंघराले खुरदुरे झांटों के बाल मेरे चूतड़ों की कोमल त्वचा को
रगड़ रहे थे। आदिल भैया जीजू ने अपना विकराल लंड जड़ तक मेरी गांड में ठूंस दिया था।
" साली साहिबा , क्या मैं आपके चीखने रोने के रुकने का इन्तिज़ार करूँ या आपकी गांड शुरू कर दूँ ? जैसा आपको ठीक लगे
हमें बता दें। आखिर मैं आप हैं और छोटी बहिन भी। आपकी गांड और चूत तो हमें आगे और भी मारनी है। हर मानने में कोई शरम
नहीं है। " आदिल भैया ने अपने मर्दाने हाथी जैसे लंड की विजय पताका लहराने में कोई देर नहीं लगाई।
मैं अभी भी दर्द से बिलबिला रही थी पर सारे संसार की सालियों का सम्मान हांथों में था, " जीजू, अभी तो यह पहला वार है।
अभी तो आपको अपनी साली की गांड की लम्बी प्रचंड चुदाई है। जब तक तब तक वो बेहोश नहीं तो कम से कम निश्चेत जैसी
हालत में ना जाये। फिर आपको अपनी दूसरी साली की कुंवारी चूत ठीक उसी तरह मारनी है। अभी तो फ़तह के बिगुल बजने में
देरी है। "
गांड का तंग छिद्र हर मान गया और मेरी गांड का छेड़ धीरे धीरे जीजू की जीभ के स्वागत के लिए ढीला हो कर फ़ैल गया। जीजू की जीभ की नोक मेरी गांड
में प्रविष्ट हो गयी।
"हाय जीजू कितना अच्छा लग रहा है। ऐसे ही गांड चाटिये। जीजू और भी अंदर तक डालिये अपनी जीभ ," मैं अपनी गांड से उपजे वासना के आनंद मसे
डोलने लगी।
शानू ने अपनी जगह बदल कर मेरी चूत के ऊपर अपना मुंह जमा दिया। उसकी जीभ मेरी चूत से मेरी चुदाई की मलाई को चाटने लगी।
जीजू ने मेरे दोनों नितिम्बों को मसलते हुए मेरी गांड को अपनी जिव्हा से चोदने लगे। आखिर इसी गांड को वो थोड़ी अपने हाथी जैसे लंड से फाड़ने वाले थे।
मेरी सिस्कारियां स्वतः मेरे हलक से उबाल कर स्नानगृह में गूंजने लगीं। तभी जीजू ने अपनी जीभ मेरी गांड कर अपनी तर्जनी झटके से जोड़ तक मेरी
मलाशय की गुफा में ठूंस दिया। उन्होंने मेरे चुत्तडों को काटने के साथ साथ मेरी गांड को अपनी ऊँगली से चोदने लगे। शानू अब मेरे भगशिश्न को चूस और
चुभला रही थी। दोनों ओर से वासनामय प्रेम का आक्रमण मेरे शरीर में सम्भोग की लालसा की आग लगाने लगा।
जीजू ने बिना हिचक अपनी मंझली ऊँगली को तर्जनी की मादा के लिए मेरी गांड में भेज दिया।
मैं अब बेहिचक सिसकने लगी। " जीजू चोदिये मेरी गांड। ……उउउउग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग हाय शानू चूस ले , काट डाल मेरा क्लिट और ज़ोर से। .... उउउउन्न्न्न्न्न्न ……
आअरर्र्र्र्र्र्र ," मैं एक बार फिर से भरभरा के झड़ गयी।
आदिल भैया ने बेशक किसी लड़की की गांड भले ही ना मारी हो पर नसीम आपा की चुदाई तो हज़ारों बार की थी और उन्हें लड़कियों की चुदाई की बेसब्री
का पूरा इल्म था। उन्हें मॉल था की अब मेरी गांड उनके कुंवारे के लिए तैयार थी।
आदिल भैया ने मेरी फड़कती गांड को मेरे दोनों चूतड़ों फैला कर अपने लंड के आक्रमण के लिए तैयार पाया।
शानू जल्दी से उठ कर मेरे पीछे चली गयी अपने जीजू की मदद करले के लिए।
उसने मेरे गुदाज़ चूतड़ों को फैला कर जीजू के हाथ खाई कर दिए। जीजू ने अपना मोटा सेब जैसा सुपाड़ा मेरी गुदा के नन्हे तंग द्वार
के ऊपर टिका दिया। " जीजू बेहिचक अपना लंड डाल दीजिये। मेरी चीखों की परवाह कीजियेगा। बड़े मां ने जब मेरी गांड
कौमार्य भांग किया था तो मैं नहुत देर तक रोयी थी। पर बड़े मामा ने मेरी चीखों की मेरे रोने की बिलकुल उपेक्षा कर दी थी। "
मैंने आदिल भैया के रहे सहे संकोच का उन्मूलन करने का प्रयास किया।
आदिल भैया ने अपने वृहत लंड के खम्बे को थाम कर एक ज़ोर का झटका लगाया पर मेरी तंग गुदा द्वार नहीं खुला।
"जीजू क्या बात है ? क्या बड़े मां मदद के लिए बुलवाना पड़ेगा ?" मैंने जीजू के मर्दानगी को चुनौती दी।
आदिल भैया अब मर्दानगी के ऊपर आक्रमण से मचल उठे। उन्होंने अपना सुपाड़ा मेरी ऊपर जैम कर टिकाया और मुझे कस कर
पकड़ कर एक गांड-विध्वंसकारी धक्का लगाया।
" ओईईईई माआआआ आआअन्न्न्न्न्न ," मेरे हलक से चीख उबाल उठी। जीजू ने एक ही धक्के में अपना सेब जैसा मोटा सुपाड़ा मेरी
गांड के अंदर धकेल दिया। मेरी गुदा का नन्हा द्वार उनके विशाल सुपाड़े के ऊपर बेशर्मी से खुल कर फ़ैल गया।
आदिल भैया और गहरी सांस ली। मेरी कसी गांड के छेद ने उनके लंड को रेशमी ज़ंज़ीर में जकड़ लिया।
मेरी आँखों में दर्द के आंसू भर गए।
" साली साहिबा , अब बताइये मुझे किसी इमदाद या मदद की ज़रुरत है क्या ? " आदिल भैया ने मुझे चिढ़ाया।
"जीजू अभी तो बस लंड का सुपाड़ा अंदर गया है। अभी तो हाथ भर लम्बा लंड मेरी गांड के बाहर है। अभी से आप इतने क्यों इतरा
रहें हैं ? जब तक सारा लंड साली की गांड में ना समां जाये और फिर साली की गांड-चुदाई इतनी ज़ोरदार और इतनी लम्बी हो
की वोह झड़ झड़ कर बेहोश न हो जाय तब तक जीजू का काम पूरा नहीं होता। अब जब तक आप अपना मोटा लम्बा लंड अपनी
बड़ी साली की गांड में जड़ तक ना ठूंस दें और फिर और वो उसकी गांड की चुदाई से बिलबिला ना उठे तब तक आप को इतराने
का कोई हक़ नहीं है। "
मैं शायद मूर्खों की तरह आदिल भैया उर्फ़ जीजू को चुनौती दे कर अपनी गांड की शामत का न्यौता दे रही थी। आदिल भैया ने अपनी
साली की चुनौती को ख़ामोशी से स्वीकार कर लिया। जब मर्द के सौभाग्य में आदिल भैया जैसा लंड हो तो उसे अपनी मूर्ख साली
के वचनों के कंटक दंशों का जवाब शब्दों से देने की कोई ज़रुरत नहीं थी। जीजू का लंड मेरे शब्दों के कांटे को मेरे हलक में फंसा
देने के लिए पूरा काबिल था।
आदिल भैया ने बिना हिचक एक पूरी ताकत का धक्का लगाया और मेरी गांड चरमरा उठी। उनका मर्द की कलाई से भी मोटे लंड
की कुछ इंचे मेरी तंग गांड की गहरी रेशमी अंधकार में डूबी दाखिल हो गयीं।
मैं दर्द के मरे बिलबिला उठी। मेरी चीख ने शानू को भी हिला दिया। मेरी आँखों से गंगा जमुना बहने लगी। पर अब आदिल भैया के
ऊपर मेरी दयनीय हालत का कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला था।
आदिल भैया ने बिना रुके बिना किसी हिचक और चिंता से एक विध्वंसक धक्के के बाद दूसरे धक्के से अपने महालण्ड को और
भी मेरी गांड के भीतरजड़ तक ठूंसने लगे। मेरी सहमत तो मेरे निमंत्रण पर ही आई थी। मेरी दर्द भरी चीखे मेरी गांड से उपजे दर्द की
द्योतक थीं। ममेरे आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। जब मैं चीख नहीं रही ही थी तब मेरी सुबकिया मेरे दर्द का इज़हार कर रहीं
थी।
न जाने कितने धक्के लगाने पड़े आदिल भैया को। आखिर में उनके घुंघराले खुरदुरे झांटों के बाल मेरे चूतड़ों की कोमल त्वचा को
रगड़ रहे थे। आदिल भैया जीजू ने अपना विकराल लंड जड़ तक मेरी गांड में ठूंस दिया था।
" साली साहिबा , क्या मैं आपके चीखने रोने के रुकने का इन्तिज़ार करूँ या आपकी गांड शुरू कर दूँ ? जैसा आपको ठीक लगे
हमें बता दें। आखिर मैं आप हैं और छोटी बहिन भी। आपकी गांड और चूत तो हमें आगे और भी मारनी है। हर मानने में कोई शरम
नहीं है। " आदिल भैया ने अपने मर्दाने हाथी जैसे लंड की विजय पताका लहराने में कोई देर नहीं लगाई।
मैं अभी भी दर्द से बिलबिला रही थी पर सारे संसार की सालियों का सम्मान हांथों में था, " जीजू, अभी तो यह पहला वार है।
अभी तो आपको अपनी साली की गांड की लम्बी प्रचंड चुदाई है। जब तक तब तक वो बेहोश नहीं तो कम से कम निश्चेत जैसी
हालत में ना जाये। फिर आपको अपनी दूसरी साली की कुंवारी चूत ठीक उसी तरह मारनी है। अभी तो फ़तह के बिगुल बजने में
देरी है। "