hotaks444
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सुमन अच्छी तरहा जानती थी कि इस वक़्त सुनील कितनी तकलीफ़ से गुजर रहा था….उसका दिल अंदर ही अंदर रो रहा था …..आख़िर सुनील उसका प्यार था…उसका सबकुछ था….विधाता ने उसे ही क्यूँ चुन के रखा है…हर कसौटी पे परखने के लिए…..सुनील का दर्द रिस रहा था सुमन के दिलो-दिमाग़ में…तड़प रही थी वो साथ साथ लेकिन कुछ भी नही कर पा रही थी…सिवाए अपना प्यार लुटाने के ….और कुछ नही कर पा रही थी….और इस वक़्त सुनील को सबसे ज़यादा उसकी ही ज़रूरत थी. सुमन को पता ही नही चला कब वो झुकती चली गयी और अपने होंठ उसके होंठों से सटा दिए…जैसे उसका सारा दर्द चूस लेना चाहती हो.
और इसी वक़्त सवी उनके दरवाजे के बाहर खड़ी ये सोच रही थी कि अंदर क्या हो रहा होगा…उसके दिल में एक हुक सी उठी …आँखों से आँसू के कतरे बह निकले…….अपने आँसू पोंछ उसने दरवाजा खटखटाया ….खाना रेडी है आ जाओ.
ये बोल वो रूबी के कमरे की तरफ बढ़ गयी.
सोनल रूबी को साथ ही डाइनिंग टेबल पे ले आई …. सुनील उसी जगह बैठा था जहाँ कभी सागर बैठ ता ..रूबी की नज़रें वहीं टिक गयी …शायद वो अपने प्यारे अंकल को खोज रही थी. उसकी आँखों के सामने सागर का मुस्कुराता हुआ चेहरा आ गया और पलों में वो चेहरा सुनील के चेहरे में बदलता चला गया. आज उसे समझ में आया कि सुनील को जिस कुर्सी पे उसने बिठा के रखा था वो कोई और नही उसके सागर अंकल की ….वो आदर वो दीवानापन जो उसके अंदर सुनील के लिए था….वो वो प्यार था जो वो अपने सागर अंकल से किया करती थी और आज वो जगह सुनील ले चुका था….उसकी आँखें टपक पड़ी ….. वो अपनी कुर्सी से उठी और सुनील के कदमो के पास जा के बैठ गयी ……उसकी जाँघो पे अपना सर रख रोते हुए बोली …..माफ़ कर दो भैया….मैं पहचान ही नही पाई मुझे मेरा प्यारा अंकल वापस मिल गया आपके रूप में’
सुमन और सोनल दोनो की आँखें डबडबा गयी …….सागर इस रूप में भी सामने आएगा …ये कोई नही सोच सकता था.
सुनील ने फट से उसे उठाया ….पगली रोते नही हैं …मैं हूँ ना…..और रूबी को लग रहा था सागर बोल रहा है …मैं हूँ ना…देख तुझे छोड़ के नही गया …मेरा ही दूसरा रूप तेरे पास है…मेरा सुनील तेरे पास है…
'भैया !!!!!' रूबी रोते हुए सुनील के गले लग गयी.
'बस गुड़िया ....बस.....'
सविता की भी आँखें डबडबा गयी भाई बहन के इस मिलन को देख......काश उसका रमण भी ऐसा निकलता ......रमण का ख़याल आते ही जैसे उसके दिल पे कोई छुरियों से वार करने लगा....और उसकी रुलाई निकल पड़ी.
सुमन ने सविता को चुप करवाया.
‘चल खाना खा फटा फट और आराम कर…कल कॉलेज भी जाना है …और हां अब तू मेरे साथ जाएगी और मेरे साथ ही वापस आएगी’
रूबी सोनल के पास जा बैठी और तब उसकी नज़र सोनल पे ध्यान से पड़ी ….माथे पे सिंदूर, गले में मन्गल्सुत्र ….बिल्कुल एक नयी नवेली दुल्हन …..
‘दीदी….ये ये आप…..की शादी….क क कब ‘
‘सॉरी तुझे तो बताना ही भूल गयी ….तेरी जो हालत थी …उसके बाद तो मैं भी भूल गयी थी कि मेरी शादी हो चुकी है ….मिलाउन्गी तुझे तेरे जीजा से वक़्त आने पर …अभी वो बाहर हैं….’
‘पर ये सब हुआ कब ….’
‘बस मालदीव में मिल गया था मेरे सपनो का राजकुमार और हो गयी शादी’
‘वाउ चट मँगनी पट शादी …..ऐसा तो फ़िल्मो में ही देखा है…..जीजा जी की फोटो तो दिखाओ…’
‘खाना खा सब दिखाउन्गी आराम से’
रूबी मशीन की तरहा खाने लगी.
सुनील :अरे आराम से खा.
रूबी : बस बहुत नाराज़ हूँ आप सब से ….चुप चाप दीदी की शादी कर दी ….ना बॅंड बाजा ना बारात …ना कोई नाच गाना…….ऐसे भी कोई शादी होती है…कितने अरमान थे दीदी की शादी के सब मिट्टी में मिला दिए.
सोनल :जब जीजा जी से मिलेगी ना तब खूब नाच लेना
रूबी : आप तो रहने ही दो…आज की रात आप मेरे पास ही रहोगी …बहुत सी बातें करनी है आपसे.
सोनल :अच्छा मेरी गुड्डो…पर आराम से खा ..मैं कहीं भागी नही जा रही.
रूबी के इस बच्पने ने महॉल हल्का कर दिया था.
कहने के बाद तो रूबी सोनल को खींचती हुई ले गयी…..सवी का चेहरा जो अभी कुछ देर खुशी से दमका था रूबी को चहकता हुआ देख फिर डूब सा गया…वो हसरत भरी नज़रों से सुनील को देखने लगी…जिसने उसकी कोई परवाह ना करी और सुमन के कमरे में चला गया.
सुनील कमरे में जा के ड्रिंक करने लग गया…जहाँ उसे इस बात की खुशी थी कि रूबी रास्ते पे आ गयी थी वहीं वो अपने घर की औरतों की हिफ़ाज़त के लिए परेशान था.
सुमन उसके पास आ के बैठ गयी…..ज़यादा मत लेना..कल कॉलेज भी जाना है .
अब रात को कोई कमरे में नही आनेवाला था…सुमन अपना रूप बदलने लगी….फिर से सुहागन के रूप में आने के लिए.
सुनील अपनी दिलरूबा को रति का रूप धारण करते हुए देखता रहा…….
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कॉलेज के स्टाफ क्वॉर्टर्स में एक फ्लॅट में डॉक्टर. रविकान्त जो माना हुआ सर्जन था….अभी तक उसने शादी नही करी थी. इस वक़्त सुमन की फोटो हाथ में पकड़े हुए आँसू बहा रहा था. वो कॉलेज के जमाने से सुमन से दिल ही दिल में प्यार करता था…पर कभी कह नही पाया…….हमेशा वो इस बात का ध्यान रखता था कि कभी सुमन को कोई तकलीफ़ ना हो. सागर के जाने के बाद तो उसने खास तौर पे सुमन पे नज़रें रखी हुई थी…इस लिए नही कि वो उसे पाना चाहता था…इसलिए कि वो खुश तो है उसे कोई तकलीफ़ तो नही…….रूबी की हालत का उसे पता चल गया था….वो कभी सामने नही गया…पर नर्स से सारी खबर मँगवाता रहा और खुद को तयार करता रहा कि कहीं कोई एमर्जेन्सी ऑपरेशन ना करना पड़े. सुनील को वो अपने बेटे की तरहा ही समझता था और हमेशा सुनील की कोई ना कोई मदद करता ही रहता था.
दूर बहुत दूर मुंबई के एक हॉस्पिटल में रमण किसी के पैरों पे सर झुका रो रहा था.
ये आदमी और कोई नही था…समर था…जो आक्सिडेंट के बाद से कोमा में था.
रमण के साथ एक लड़की भी थी…और उसे देख कोई भी कह सकता था कि हाल ही में उसकी शादी हुई है.
एक घंटा हो चुका था रमण को अपने डॅड के पैरों पे सर रख रोते हुए और ना जाने कितनी बार उसने माफी माँगी होगी.
जब वो मुंबई वापस आया था तो अकेला नही था…उसके साथ उसकी दुल्हन थी वो सीधा अपने घर गया जहाँ उसे पता चला कि समर तो उस दिन से गायब है……वो समर को ढूंढता रहा फिर पता चला के एक हॉस्पिटल में समर महीनो से कोमा में पड़ा हुआ है…क्यूंकी सारे डॉक्टर्स उसे जानते थे …इसलिए समर का इलाज़ चलता रहा.
रमण रोज उसे मिलने जाता घंटों उसके पास बैठ ता रोता बील्कखता बार बार माफी माँगता …पर समर कहीं और ही था किसी और दुनिया में शायद वो भी अपने करमो का पश्चाताप कर रहा था. उसका अवचेतन मश्तिश्क उसे होश में आने ही नही दे रहा था….शायद उसे किसी का इंतेज़ार था…..किसी से वो दिल से माफी माँगना चाहता था…पर लगता है बहुत देर हो चुकी थी.
‘सुनिए…कब तक ऐसे रोते रहेंगे….रोने से तो कुछ हासिल ना होगा….बस उपरवाले पे भरोसा रखिए …एक दिन पापा ज़रूर ठीक हो जाएँगे ….बहुत देर हो चुकी है…चलिए अब घर चलते हैं….ऐसे रो रो कर तो आप अपनी सेहत खराब कर लेंगे….फिर पापा को कॉन देखेगा’
रमण उसकी तरफ देखता है और उसके पेट से अपना चेहरा लगा उसे अपनी बाँहों में कस लेता है.
वो लड़की भी रमण के सर पे हाथ फेरते हुए कहती है ….’बस कीजिए अब…महीनो से देख रही हूँ…रोज यहाँ आते हैं और आप बस रोते ही रहते हो …ऐसा कब तक चलेगा.’
उसकी आवाज़ में कुछ था जो रमण का रोना रुक गया.
‘ डॅड देखो आपकी बहू मिनी रोज आपसे आशीर्वाद माँगने आती है ….होश में आओ डॅड’ एक बार समर के माथे को चूम रमण और मिनी घर के लिए निकल पड़े.
इधर सुमन तयार हो कर सुनील के साथ बैठ गयी ….जो अब भी ड्रिंक कर रहा था.
‘बस भी कीजिए …जानती हूँ बहुत परेशान हो …पर एक चिंता तो कुदरत ने ही दूर कर दी ….रूबी खुद रास्ते पे आ गयी ……बाकी भी सब ठीक हो जाएगा…मस्ती के लिए कभी पी लो चलता है…पर ये टेन्षन में पीना…नही …मैं और नही पीने दूँगी….और इसमे वो नशा कहाँ जो हुस्न में होता है….नशा ही करना है ….तो इधर आइए और पी जाइए इस हुस्न को’
सुमन ने सुनील के हाथ से ग्लास अलग रख दिया. और खुद उसकी गोद में सर रख लेट गयी ……….
‘सोनल को बुलाऊ क्या …..’ सुमन ने मोबाइल की तरफ हाथ बढ़ाया.
सुनील ने उसके हाथ से मोबाइल ले अलग रख दिया ….’तुम से कुछ बात करनी है….’
‘जिस दिन रूबी हॉस्पिटल में अड्मिट हुई थी …अगले दिन कमल आया था……………..’
सुनील सारी बात सुमन को बताता है …यहाँ तक के उसपे शक़ हुआ था फिर छोड़ दिया गया था.’
‘भूल जाओ उसे और रूबी को भी वॉर्न कर दो ….डिस्टेन्स रखे उस से’
‘क्या सोच के ये बोल रही हो …मुझे भी बुरा लगा था कि रूबी की ऐसी हालत में उसने प्रपोज़ किया वो भी जब अभी खुद उसका करियर सेट्ल नही और ना ही रूबी का’
‘सिंपल सी बात है…उसका माइंड स्टेबल नही है ….. जो लड़का लड़कियों से दूर रहता हो वो अचानक ओपन्ली प्रपोज़ कर दे ……जो लड़का ये जानता है कि लड़की मोत से लड़ रही है आ के हॉस्पिटल में घर वालों को शादी का प्रपोज़ल दे दे…….ही’सर्टन्ली कॅन’ट हॅव स्टेबल माइंड …..उसको कुछ तो साइकिक प्राब्लम है ….मैं रूबी की जिंदगी को दाव पे नही लगा सकती ……आपको इस बात का खास ख़याल रखना होगा ….कि वो रूबी के नज़दीक ना आने पाए’
‘ह्म्म्मो’ मैं भी कुछ ऐसा ही सोच रहा था…लव यू एक उलझन दूर कर दी
‘चलो अब छोड़ो इन बातों को सोते हैं …..कल आप को कॉलेज भी जाना है श्रीमान ’
‘जब तुम पास होती हो तो नींद किस गधे को आएगी’ सुनील ने झपट्टा मार सुमन को अपने नीचे ले लिया……’
उम्म्म ना ना प्लीज़ …..आपको सुबह जाना है …..ऊऊुउउच …उफफफफफफफ्फ़ ना जान समझा करो प्लीज़ ……उफफफफफ्फ़ ओह हो ….देखो मैं नाराज़ हो जाउन्गि…….
जैसे ही सुमन ने नाराज़ शब्द बोला सुनील ऐसे अलग हुआ …जैसे करेंट लग गया हो.
विस्की की बॉटल उठाई और कमरे से बाहर निकल गया अपने कमरे की ओर भाग पड़ा और ज़ोर से दरवाजा बंद कर लिया …..नीट ही पीने लग गया……..
और इसी वक़्त सवी उनके दरवाजे के बाहर खड़ी ये सोच रही थी कि अंदर क्या हो रहा होगा…उसके दिल में एक हुक सी उठी …आँखों से आँसू के कतरे बह निकले…….अपने आँसू पोंछ उसने दरवाजा खटखटाया ….खाना रेडी है आ जाओ.
ये बोल वो रूबी के कमरे की तरफ बढ़ गयी.
सोनल रूबी को साथ ही डाइनिंग टेबल पे ले आई …. सुनील उसी जगह बैठा था जहाँ कभी सागर बैठ ता ..रूबी की नज़रें वहीं टिक गयी …शायद वो अपने प्यारे अंकल को खोज रही थी. उसकी आँखों के सामने सागर का मुस्कुराता हुआ चेहरा आ गया और पलों में वो चेहरा सुनील के चेहरे में बदलता चला गया. आज उसे समझ में आया कि सुनील को जिस कुर्सी पे उसने बिठा के रखा था वो कोई और नही उसके सागर अंकल की ….वो आदर वो दीवानापन जो उसके अंदर सुनील के लिए था….वो वो प्यार था जो वो अपने सागर अंकल से किया करती थी और आज वो जगह सुनील ले चुका था….उसकी आँखें टपक पड़ी ….. वो अपनी कुर्सी से उठी और सुनील के कदमो के पास जा के बैठ गयी ……उसकी जाँघो पे अपना सर रख रोते हुए बोली …..माफ़ कर दो भैया….मैं पहचान ही नही पाई मुझे मेरा प्यारा अंकल वापस मिल गया आपके रूप में’
सुमन और सोनल दोनो की आँखें डबडबा गयी …….सागर इस रूप में भी सामने आएगा …ये कोई नही सोच सकता था.
सुनील ने फट से उसे उठाया ….पगली रोते नही हैं …मैं हूँ ना…..और रूबी को लग रहा था सागर बोल रहा है …मैं हूँ ना…देख तुझे छोड़ के नही गया …मेरा ही दूसरा रूप तेरे पास है…मेरा सुनील तेरे पास है…
'भैया !!!!!' रूबी रोते हुए सुनील के गले लग गयी.
'बस गुड़िया ....बस.....'
सविता की भी आँखें डबडबा गयी भाई बहन के इस मिलन को देख......काश उसका रमण भी ऐसा निकलता ......रमण का ख़याल आते ही जैसे उसके दिल पे कोई छुरियों से वार करने लगा....और उसकी रुलाई निकल पड़ी.
सुमन ने सविता को चुप करवाया.
‘चल खाना खा फटा फट और आराम कर…कल कॉलेज भी जाना है …और हां अब तू मेरे साथ जाएगी और मेरे साथ ही वापस आएगी’
रूबी सोनल के पास जा बैठी और तब उसकी नज़र सोनल पे ध्यान से पड़ी ….माथे पे सिंदूर, गले में मन्गल्सुत्र ….बिल्कुल एक नयी नवेली दुल्हन …..
‘दीदी….ये ये आप…..की शादी….क क कब ‘
‘सॉरी तुझे तो बताना ही भूल गयी ….तेरी जो हालत थी …उसके बाद तो मैं भी भूल गयी थी कि मेरी शादी हो चुकी है ….मिलाउन्गी तुझे तेरे जीजा से वक़्त आने पर …अभी वो बाहर हैं….’
‘पर ये सब हुआ कब ….’
‘बस मालदीव में मिल गया था मेरे सपनो का राजकुमार और हो गयी शादी’
‘वाउ चट मँगनी पट शादी …..ऐसा तो फ़िल्मो में ही देखा है…..जीजा जी की फोटो तो दिखाओ…’
‘खाना खा सब दिखाउन्गी आराम से’
रूबी मशीन की तरहा खाने लगी.
सुनील :अरे आराम से खा.
रूबी : बस बहुत नाराज़ हूँ आप सब से ….चुप चाप दीदी की शादी कर दी ….ना बॅंड बाजा ना बारात …ना कोई नाच गाना…….ऐसे भी कोई शादी होती है…कितने अरमान थे दीदी की शादी के सब मिट्टी में मिला दिए.
सोनल :जब जीजा जी से मिलेगी ना तब खूब नाच लेना
रूबी : आप तो रहने ही दो…आज की रात आप मेरे पास ही रहोगी …बहुत सी बातें करनी है आपसे.
सोनल :अच्छा मेरी गुड्डो…पर आराम से खा ..मैं कहीं भागी नही जा रही.
रूबी के इस बच्पने ने महॉल हल्का कर दिया था.
कहने के बाद तो रूबी सोनल को खींचती हुई ले गयी…..सवी का चेहरा जो अभी कुछ देर खुशी से दमका था रूबी को चहकता हुआ देख फिर डूब सा गया…वो हसरत भरी नज़रों से सुनील को देखने लगी…जिसने उसकी कोई परवाह ना करी और सुमन के कमरे में चला गया.
सुनील कमरे में जा के ड्रिंक करने लग गया…जहाँ उसे इस बात की खुशी थी कि रूबी रास्ते पे आ गयी थी वहीं वो अपने घर की औरतों की हिफ़ाज़त के लिए परेशान था.
सुमन उसके पास आ के बैठ गयी…..ज़यादा मत लेना..कल कॉलेज भी जाना है .
अब रात को कोई कमरे में नही आनेवाला था…सुमन अपना रूप बदलने लगी….फिर से सुहागन के रूप में आने के लिए.
सुनील अपनी दिलरूबा को रति का रूप धारण करते हुए देखता रहा…….
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कॉलेज के स्टाफ क्वॉर्टर्स में एक फ्लॅट में डॉक्टर. रविकान्त जो माना हुआ सर्जन था….अभी तक उसने शादी नही करी थी. इस वक़्त सुमन की फोटो हाथ में पकड़े हुए आँसू बहा रहा था. वो कॉलेज के जमाने से सुमन से दिल ही दिल में प्यार करता था…पर कभी कह नही पाया…….हमेशा वो इस बात का ध्यान रखता था कि कभी सुमन को कोई तकलीफ़ ना हो. सागर के जाने के बाद तो उसने खास तौर पे सुमन पे नज़रें रखी हुई थी…इस लिए नही कि वो उसे पाना चाहता था…इसलिए कि वो खुश तो है उसे कोई तकलीफ़ तो नही…….रूबी की हालत का उसे पता चल गया था….वो कभी सामने नही गया…पर नर्स से सारी खबर मँगवाता रहा और खुद को तयार करता रहा कि कहीं कोई एमर्जेन्सी ऑपरेशन ना करना पड़े. सुनील को वो अपने बेटे की तरहा ही समझता था और हमेशा सुनील की कोई ना कोई मदद करता ही रहता था.
दूर बहुत दूर मुंबई के एक हॉस्पिटल में रमण किसी के पैरों पे सर झुका रो रहा था.
ये आदमी और कोई नही था…समर था…जो आक्सिडेंट के बाद से कोमा में था.
रमण के साथ एक लड़की भी थी…और उसे देख कोई भी कह सकता था कि हाल ही में उसकी शादी हुई है.
एक घंटा हो चुका था रमण को अपने डॅड के पैरों पे सर रख रोते हुए और ना जाने कितनी बार उसने माफी माँगी होगी.
जब वो मुंबई वापस आया था तो अकेला नही था…उसके साथ उसकी दुल्हन थी वो सीधा अपने घर गया जहाँ उसे पता चला कि समर तो उस दिन से गायब है……वो समर को ढूंढता रहा फिर पता चला के एक हॉस्पिटल में समर महीनो से कोमा में पड़ा हुआ है…क्यूंकी सारे डॉक्टर्स उसे जानते थे …इसलिए समर का इलाज़ चलता रहा.
रमण रोज उसे मिलने जाता घंटों उसके पास बैठ ता रोता बील्कखता बार बार माफी माँगता …पर समर कहीं और ही था किसी और दुनिया में शायद वो भी अपने करमो का पश्चाताप कर रहा था. उसका अवचेतन मश्तिश्क उसे होश में आने ही नही दे रहा था….शायद उसे किसी का इंतेज़ार था…..किसी से वो दिल से माफी माँगना चाहता था…पर लगता है बहुत देर हो चुकी थी.
‘सुनिए…कब तक ऐसे रोते रहेंगे….रोने से तो कुछ हासिल ना होगा….बस उपरवाले पे भरोसा रखिए …एक दिन पापा ज़रूर ठीक हो जाएँगे ….बहुत देर हो चुकी है…चलिए अब घर चलते हैं….ऐसे रो रो कर तो आप अपनी सेहत खराब कर लेंगे….फिर पापा को कॉन देखेगा’
रमण उसकी तरफ देखता है और उसके पेट से अपना चेहरा लगा उसे अपनी बाँहों में कस लेता है.
वो लड़की भी रमण के सर पे हाथ फेरते हुए कहती है ….’बस कीजिए अब…महीनो से देख रही हूँ…रोज यहाँ आते हैं और आप बस रोते ही रहते हो …ऐसा कब तक चलेगा.’
उसकी आवाज़ में कुछ था जो रमण का रोना रुक गया.
‘ डॅड देखो आपकी बहू मिनी रोज आपसे आशीर्वाद माँगने आती है ….होश में आओ डॅड’ एक बार समर के माथे को चूम रमण और मिनी घर के लिए निकल पड़े.
इधर सुमन तयार हो कर सुनील के साथ बैठ गयी ….जो अब भी ड्रिंक कर रहा था.
‘बस भी कीजिए …जानती हूँ बहुत परेशान हो …पर एक चिंता तो कुदरत ने ही दूर कर दी ….रूबी खुद रास्ते पे आ गयी ……बाकी भी सब ठीक हो जाएगा…मस्ती के लिए कभी पी लो चलता है…पर ये टेन्षन में पीना…नही …मैं और नही पीने दूँगी….और इसमे वो नशा कहाँ जो हुस्न में होता है….नशा ही करना है ….तो इधर आइए और पी जाइए इस हुस्न को’
सुमन ने सुनील के हाथ से ग्लास अलग रख दिया. और खुद उसकी गोद में सर रख लेट गयी ……….
‘सोनल को बुलाऊ क्या …..’ सुमन ने मोबाइल की तरफ हाथ बढ़ाया.
सुनील ने उसके हाथ से मोबाइल ले अलग रख दिया ….’तुम से कुछ बात करनी है….’
‘जिस दिन रूबी हॉस्पिटल में अड्मिट हुई थी …अगले दिन कमल आया था……………..’
सुनील सारी बात सुमन को बताता है …यहाँ तक के उसपे शक़ हुआ था फिर छोड़ दिया गया था.’
‘भूल जाओ उसे और रूबी को भी वॉर्न कर दो ….डिस्टेन्स रखे उस से’
‘क्या सोच के ये बोल रही हो …मुझे भी बुरा लगा था कि रूबी की ऐसी हालत में उसने प्रपोज़ किया वो भी जब अभी खुद उसका करियर सेट्ल नही और ना ही रूबी का’
‘सिंपल सी बात है…उसका माइंड स्टेबल नही है ….. जो लड़का लड़कियों से दूर रहता हो वो अचानक ओपन्ली प्रपोज़ कर दे ……जो लड़का ये जानता है कि लड़की मोत से लड़ रही है आ के हॉस्पिटल में घर वालों को शादी का प्रपोज़ल दे दे…….ही’सर्टन्ली कॅन’ट हॅव स्टेबल माइंड …..उसको कुछ तो साइकिक प्राब्लम है ….मैं रूबी की जिंदगी को दाव पे नही लगा सकती ……आपको इस बात का खास ख़याल रखना होगा ….कि वो रूबी के नज़दीक ना आने पाए’
‘ह्म्म्मो’ मैं भी कुछ ऐसा ही सोच रहा था…लव यू एक उलझन दूर कर दी
‘चलो अब छोड़ो इन बातों को सोते हैं …..कल आप को कॉलेज भी जाना है श्रीमान ’
‘जब तुम पास होती हो तो नींद किस गधे को आएगी’ सुनील ने झपट्टा मार सुमन को अपने नीचे ले लिया……’
उम्म्म ना ना प्लीज़ …..आपको सुबह जाना है …..ऊऊुउउच …उफफफफफफफ्फ़ ना जान समझा करो प्लीज़ ……उफफफफफ्फ़ ओह हो ….देखो मैं नाराज़ हो जाउन्गि…….
जैसे ही सुमन ने नाराज़ शब्द बोला सुनील ऐसे अलग हुआ …जैसे करेंट लग गया हो.
विस्की की बॉटल उठाई और कमरे से बाहर निकल गया अपने कमरे की ओर भाग पड़ा और ज़ोर से दरवाजा बंद कर लिया …..नीट ही पीने लग गया……..