Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी - Page 17 - SexBaba
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Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी

ऊऊलला इनकी बनावट को देख शिल्पकार भी उस उपरवाले के सामने नतमस्तक हो जाए …सौंदर्या की अद्भुत प्रकाष्ठा ….जो अपने अंदर संपूर्ण संसार को समेटे हुए थे….इंतेज़ार कर रहे थे उस नन्हे मुन्ने का जो इनसे जीवन प्राप्त करेगा….उस दूध से ….जो तरस रहा था….बाहर निकालने को….उन होंठों में सामने को जो इन दोनो के प्रेम का सबूत होंगे…..ना जाने वो पल कब आएगा…..

सुनील के हाथ उनको सहलाने लगे और दोनो उरोज़ सिसकने लगे और अपनी सिसकियों का अहसास सुनील को सोनल के होंठों द्वारा देने लगे…..’अहह’ ओह सुनील …..मी लोवे…..फील मी डियर……क्रश मी…….सक मी…..ड्रिंक मे डार्लिंग…..’

सुनील के दोनो पंजे सोनल के उरोज़ को दबाते चले गये और उसके निपल कड़े होने लगे. सोनल के होंठों को छोड़ सुनील ने उसके निपल को मुँह में ले लिया…….उूउउइईइइम्म्म्माआअ

तपते हुए गरम होंठों का अहसास जब सोनल को अपने निपल पे हुआ….हज़ारों वॉल्ट का करेंट उसके जिस्म में दौड़ गया…..एक एक रोया खड़ा हो गया.

अहह सुन्न्ञन्निईीईईईल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल म्म्म्मbममाआआआ उूुुुुुुउउफफफफफफफफफफफ्फ़ प्प्प्प्प्प्पीईईईईईईईईईईईईईईईईल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लूऊऊऊऊओ

तड़प्ते हुए सोनल सुनील को अपने उरोज़ पे दबाने लगी……जिस्म में तरंगों का ज्वारभाटा भड़क गया और नागिन की तरहा लहराने लगी…….अब उस से और सहा नही जा रहा था….इस वक़्त बड़ी शिद्दत के साथ उसे सुनील का लंड अपनी दहक्ति हुई चूत में चाहिए था…..बोखला गयी थी वो….और सुनील मस्ती में उसके कभी एक निपल चूस्ता तो कभी दूसरा…खो गया था सुनील….सोनल के बदन की मीठास में.


‘जान अब नही रहा जा रहा……प्लीज़ अब छोड़ डालो मुंजे….डाल दो अपना लंड मेरी छूट में….भुजा दो मेरी आज्ञ……आओ ना….प्लीज़ ….’ तड़प्ते हुए सोनल बोल ही बैठी….अपने पति से क्या शरमाना……सोनल सुनील के बालों को पकड़ खिंकने लगी………..तभी सुनील ने उसके निपल को काट लिया……उूुुुुुउउइईईईईईईईईईईईईईईईईईईई कतो मत आआहह आओ ना सोनल अपने पैर पटाकने लगी………

सुनील उस से अलग हुआ और अपने कपड़े उतार डाले ….इस बीच सोनल ने भी अपनी पैंटी उतार फेंकी और तरसी हुई निगाहों से सुनील को देखने लगी.

सुनील उसकी टाँगों के बीच बैठ गया और अपना चेहरा उसकी चूत पे झुकाने लगा तो सोनल तड़प के उठ बैठी….नही…और नही …पहले मुझे चोदो….ये सब बाद में करना……….



‘इतनी जल्दी भी क्या है जाने मन……..प्यार का मज़ा तो आराम आराम से लिया जाता है’

‘आप नही समझोगे ….कितने दिन हो गये हैं…मुझ से नही रहा जा रहा …प्लीज़ एक बार कर लो ना फिर बाद में जो मर्ज़ी करना’

‘क्या करूँ’

‘फक मीईईई’ सोनल चिल्लाते हुए बोली और सुनील को अपने उपर खीच लिया…उसका लंड पकड़ अपनी चूत से सटा दिया.

अरे अरे आज फिर जंगल शेरनी बन रही हो…..’

‘हां….अब जल्दी चोदो नही तो खा जाउन्गि….’

सोनल ने इतना कहा ही था की सुनील ने तगड़ा झटका लगा दिया….उसका लंड सोनल की टाइट गीली चूत में घुसाता चला गया और सोनल की चीख निकल पड़ी

म्म्म्मामममाआआआआआआआआआआआ

सुनील अब रुका नही फिर एक झटका मारा और पूरा लंड अंदर घुसा दिया……

उूुुुुुउउइईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईइइम्म्म्मममममममममाआआआआ
 
सोनल की चीखें इतनी ज़ोर की निकली थी कि पड़ोसियों तक ने सुन ली होंगी.

सुनील ने अपने होंठ उसके होंठों से चिपका दिए.


सोनल की चूत ने सुनील के लंड को जाकड़ लिया और उसकी दोनो बाँहों ने सुनील को अपने साथ चिपका लिया …….सुनील रुका नही था धीरे धीरे अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था और सोनल दर्द के मारे अपनी टाँगें पटक रही थी.

सुनील धीरे धीरे स्पीड पकड़ ने लगा और सोनल के होंठ छोड़ उसके निपल को साथ साथ चूसने लगा…..सोनल को मज़ा आने लगा और वो भी अपनी गंद उछाल सुनील का साथ देने लगी कमरे में उसकी सिसकियाँ फैलने लगी…….जिस्म जिस्म से रगडे जा रहे थे…..सोनल चुद्ते हुए सुनील की पीठ सहलाने लगी……

मस्ती में दोनो डूबते जा रहे थे………अहह सुनिल्ल्ल्ल्ल मेरी जान…मेरा प्यार….टेक मी डार्लिंग…..तेज करो अब और तेज …हां ….हां ऐसे …चोदो मुझे….और ज़ोर से चोदो…

उफफफफफफफफफ्फ़ आआहह

सोनल मुँह में जो आया बड़बड़ाने लगी और सुनील को तेज तेज करने के लिए जोश दिलाने लगी….और वो पल भी जल्दी आ गया जब कमरे में तुफ्फान आ गया…..दोनो के जिस्म पागलों की तरहा एक दूसरे से टकरा रहे थे……सुनील का लंड पिस्टन की तराहा सोनल की चूत के अंदर बाहर हो रहा था…….

फॅक फॅक फॅक सोनल की चूत अपना रस छोड़ती हुई आवाज़ें निकालने लगी…उसकी चूड़ियों की खनक…पायल की ऋण झुँ…कमरे के महॉल को और भी कामुक बना रही थी….और सुनील ….उस कामुकता में डूबता हुआ मशीन बन चुका था….ढकधक ढकधक उसका लंड सोनल की चूत को ठोकता जा रहा था……

और तेज कककककाआअरर्र्र्र्र्रूऊऊऊऊ मेरा होने वाला हाईईईईईईईईईईईईईईई मेरे साथ झाड़ जाओ……..अहह प्लेअसस्स्स्स्स्स्स्सीईईईई

सुनील और तेज उसे चोदने लगा….दोनो के जिस्म पसीने से लथपथ हो चुके थे…………….

आआआहह

सोनल के सारे बाँध खुल गये उसने अपनी टाँगों को सुनील की कमर पे जाकड़ लिया…..दोनो हाथों के नाख़ून सुनील की पीठ में गढ़ गये और जोंक की तरहा चिपकती हुई झड़ने लगिइइइ.

सुनील भी ज़यादा दूर नही था दो-तीन धक्कों के बाद वो भी झाड़ता हुआ सोनल से चिपक गया…..

आनंद के सरोवर में दोनो गोते खाने लगी….दोनो की आँखें बंद हो चुकी थी…और दोनो बुरी तरहा हाँफ रहे थे.

इसी हालत में दोनो कब सोए पता ही ना चला.

सोनल सुबह जल्दी उठी और अपनी हालत देख उसे शर्म आने लगी ….दोनो नंगे एक दूसरे से चिपके पड़े थे …..उसने सुनील की बाँहों से आज़ाद होने की कोशिश करी तो सुनील ने उसे और भी कस के खुद से चिपका लिया…..सोनल समझ गयी उसे क्या करना है…अपने होंठ सुनील के होंठों से चिपका दिए और दोनो में गहरा स्मूच शुरू हो गया…..अरमान फिर मचलने लगे पर ये वक़्त नही था आगे बढ़ने का…मन मार कर सोनल सुनील से अलग हुई ‘गुड मॉर्निंग डार्लिंग…अब उठ जाइए मैं कॉफी ले कर आती हूँ………सोनल ने निघट्य पहनी …दरवाजा खोला और उसे भेड़ कर बाहर निकल सीधा किचन में चली गयी ….रूबी भी उठ गयी थी और वो भी लगभग उसी वक़्त किचन में घुसी.

‘भाभी आप फ्रेश हो जाओ…मैं बनाती हूँ ….’

‘अरे तू बैठ आराम से बस कुछ देर में कॉफी रेडी हो जाएगी….’

‘ना आज मैं बनाउन्गी आप जा के फ्रेश हो जाओ और भाई ने ये जो निशान छोड़े हैं..उन्हें ज़रा छुपा लो’

‘धत्त’

‘आपका चेहरा बता रहा है आपकी रात का अफ़साना’ आँखें नाचती हुई रूबी बोली…

‘मारूँगी तुझे…बहुत शैतान हो गयी है………’ एक हल्की चपत रूबी के गाल पे लगा वो अपने कमरे में भाग गयी और शीशे के सामने खुद को देखने लगी……उसकी गर्देन पे

सुनील के लव बाइट का निशान था……..शर्मा गयी और नज़रें ऐसी झुकाई मानो सामने सुनील खड़ा मुस्कुरा रहा हो…

‘धत्त्त ‘ मुस्कुराती हुई बाथरूम में भाग गयी…….सुनील भी बाथरूम में घुस चुका था….जब तक रूबी कॉफी तयार करती सुनील फ्रेश हो अपना नाइट सूट पहन चुका था और

सोनल का इंतेज़ार कर रहा था.

सोनल भी रेडी हो कर आ गयी उसने सलवार कुर्ता पहन लिया था और दुपट्टा गले में डाल लिया था…अहह हल्के गुलाबी रंग का …सिल्क जैसे महीन कपड़े का सूट …यूँ लग रहा था जैसे आग ने हल्की गुलाबी चद्दर ओढ़ रखी हो …..देखनेवालों की तो आँखें झुलस ही जाएँगी………माथे पे लाल सर्पिली बिंदिया होंठों पे ग्लूबि लिप ग्लॉस …कमान की तरहा तनी भवे…किसी भी लड़की को जलन के मारे सड़ने पे मजबूर कर दे.

सोनल जब सुनील के पास गयी तो उसका मुँह खुला रह गया….ये हाल रहा ..बेटा..तो पढ़ लिया तू…वो खुद से मन ही मान बोला… इतने में रूबी ने नॉक कर दिया…और सोनल ने उसे अंदर बुला लिया….रूबी कॉफी रख जाने को हुई तो सोनल ने उसे वहीं बिठा लिया….

तीनो ने आराम से कॉफी पी फिर सुनील रेडी होने चला गया और रूबी भी अपने कमरे में घुस गयी …..सोनल बैठी सोचने लगी…ये तुफ्फान कब शांत होगा…क्यूँ बार बार कभी सवी और कभी रूबी ….सुनील के पीछे पड़ जाती हैं.

सुनील तयार हो गया था हॉस्पिटल जाने के लिए की तभी सुमन का फोन आ गया…वो सवी को ले कर आ रही थी…

सुनील रुक गया और तीनो हाल में बैठे इंतेज़ार करने लगे…सुनील ने वक़्त पास करने के लिए अख़बार उठा लिया और पड़ने लगा.

आधे घंटे में सुमन आ गयी थी…रूबी सवी को कमरे में ले गयी…उसे बेड रेस्ट अड्वाइस किया गया था.

सुमन फ्रेश होने कमरे में चली गयी और सोनल ब्रेकफास्ट रेडी करने लगी.

सुमन तयार हो कर हाल में आ गयी..तभी सुनील ने उसे बताया कि उसे आज विक्रम से मिलने जाना है… ये दोनो बातें कर रहे थे और इस दौरान सोनल ने ब्रेकफास्ट टेबल पे लगा रूबी को भी बुला लिया था.

सवी हॉस्पिटल से ही खा के आई थी..उसने कुछ भी खाने से मना कर दिया था.
 
सुनील ब्रेकफास्ट टेबल पे ही सुमन से कॉलेज में हो रहे रेप के बारे में डिसकस कर रहा था..कि तभी डोर बेल बजी.

रूबी दरवाजा खोलने गयी और सामने रमण और मिनी खड़े थे…………न्न् टेननननणन्नाआआआअहहिईीईईईईईईईईईईईईईईईईईईई एक चीख के साथ रूबी लहराती हुई गिर पड़ी.

सबकी नज़रें दरवाजे पे गयी और ...जैसे बॉम्ब फट गया हो....सामने रमण किसी लड़की के साथ खड़ा था और उसे देख रूबी ....चीखती हुई गिर पड़ी थी.....

…सुनील लपका रूबी को उठाने के लिए…तब तक रमण ने उसे गोद में उठा लिया था और वहीं सोफे पे लिटा दिया……..रूबी का ऐसा रियेक्शन देख रमण अंदर ही अंदर हिल पड़ा था……मिनी भी भागती हुई रूबी के पास जा बैठी……

सुनील का पारा एक दम हाइ हो गया था…उसने रमण को कॉलर से पकड़ खींच लिया……

‘क्यूँ आया तू यहाँ’ सुनील की आवज़ में गुर्राहट थी जैसे कोई शेर झख्मि हो गया हो…सुमन भाग के रूबी के पास आई और उसके चेहरे पे पानी छिड़कने लगी.

सोनल की आँखों से नफ़रत के मिज़ाइल निकल रहे थे जैसे आँखों से ही रमण को जला के भस्म कर देगी….

वो नफ़रत से रमण पे थुक्ते हुए अंदर चली गयी.

इस से पहले सुनील का हाथ रमण पे उठता….मिनी बीच में आ गयी ….

‘रुक जाओ भैया …. ये नही आना चाहते थे…मैं ज़बरदस्ती इनको यहाँ ले कर आई हूँ’


सुनील ने अब तक मिनी पे तो ध्यान ही नही दिया था….उसका हाथ हवा में ही रुक गया….रमण तो बस अपराधी की तरहा सर झुकाए खड़ा था.

‘आ आ आप कॉन’

‘बदक़िस्मती कहो या खुशकिस्मती ….तुम्हारी भाभी हूँ …इनकी पत्नी…….’ मिनी के शब्दों में जैसे फूल छुपे हुए थे…..एक प्यार भरी और हसरत भरी नज़र से वो सुनील को देख रही थी………जैसे कोई भाभी अपने देवर को देखती है.

ना जाने क्या था उन आँखों में….सुनील पीछे हट गया और अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया….

इतने में रूबी को होश आ गया….और उसने रोना शुरू कर दिया ……’मैं नही जाउन्गि..कहीं नही जाउन्गि …….मर जाउन्गि..पर इस राक्छस के साथ कहीं नही जाउन्गि…….बोझ बन गयी हूँ तो मार डालो मुझे…..’

सुनील के दिल को गहरी चोट लगी तड़प के रूबी के पास गया….और उसे गले से लगा लिया…..’कॉन भेज रहा है तुझे पगली……तू मेरे दिल का टुकड़ा है..मेरी प्यार बहन है…बहन कभी भाई पे बोझ नही होती…फिर कभी ये बात अपनी ज़ुबान पे मत लाना’

मिनी ….रूबी के कदमों में जा के बैठ गयी …..’मैं तो बस अपने परिवार को मिलने आई थी…बहुत सुना है सबके बारे में इनसे…खास कर सुनील भैया के बारे में…रोक ना पाई खुद को…आख़िर मेरा भी तो कुछ हक़ है……इनके सब गुनाहों की मैं तुम से हाथ जोड़ के माफी मांगती हूँ….हालाँकि माफ़ करने लायक गुनाह तो इन्होंने नही किया..पर मेरी खातिर…अपनी इस भाभी की खातिर इन्हे माफ़ कर्दे’ कहते हुए मिनी रूबी की गोद में सर रख रो पड़ी.

रूबी अब तक थोड़ा संभाल चुकी थी…….’देखिए जिस इंसान के साथ आप आई हैं…उससे मेरा कोई रिश्ता नही …मैं इस गलिज़ इंसान की शकल भी कभी जिंदगी में नही देखना चाहती…….प्लीज़ बिना वजह आपको कोई माफी माँगने की ज़रूरत नही ….’ ये कह रूबी उठ के अंदर भाग गयी.

कमरे में अब सुनील, सुमन, रमण और मिनी ही रह गये थे……रूबी का इस तरहा ठुकराना मिनी समझ सकती थी…आख़िर वो भी तो एक औरत ही थी .

रूबी के जाने के बाद मिनी सुमन के कदमो में बैठ गयी…….’माँ ये बदल गये हैं…इसका सबूत ये है की मैने इन्हे अपना जीवन साथी चुन लिया……क्या एक बार मेरे लिए इन्हें माफ़ नही करेंगी…….इस घर की बहू होने का हक़ मुझे नही देंगी ……’

सुमन रमण की ग़लती की सज़ा मिनी को नही देना चाहती थी…आख़िर एक माँ जो थी ….उसने मिनी को उठा के गले लगा लिया …..और माँ के प्यार के आगे मिनी बिलख पड़ी…उसे सुमन में अपनी माँ नज़र आ रही थी.

‘रमण ने वो ग़लती करी है …जो कभी माफ़ नही की जा सकती……पर इसमे तेरा क्या कसूर ……तू तब हमारे परिवार का हिस्सा थी ही नही …..जब ये आदमी से राक्षस बन गया था…….इतनी बेहयाई तो आज तक मैने किसी में नही देखी जिस तरहा का लेटर इसने भेजा था……’

‘वो लेटर मैने भिजवाया था माँ ……जिस ग़लत रास्ते पे ये चले थे….उसे सुधारने का एक ही तरीका था….रूबी को आज़ाद करना….ताकि वो अपनी जिंदगी में आगे बढ़ सके….नफ़रत तो वो इनसे करने लगी थी…मैं उस नफ़रत को उसकी आखरी सीमा तक ले जाना चाहती थी….मैं जानती हूँ….रूबी को बहुत कष्ट हुआ होगा..पर और कोई रास्ता मुझे नज़र नही आया था….’ मिनी सर झुका के बैठ गयी….

‘एक औरत हो कर तूने ये कदम उठाया….जानती है इसका अंजाम…..आज शायद रूबी हमारे बीच में नही होती ….नींद की गोलियाँ खा ली थी उसने…मरने चली थी वो…अगर वक़्त रहते सोनल ने उसे देख ना लिया होता…क्यूंकी कुछ दिनो के लिए हम बाहर गये हुए थे …जिस आए उसी दिन रूबी ने नींद की गोलियाँ खा ली थी.’

मिनी हिल के रह गयी …उस लेटर का ये अंजाम तो उसने कभी ख्वाब में भी नही सोचा था. रमण घुटनों के बल बैठ गया और रोने लगा……उसकी वजह से उसकी बहन ने क्या क्या नही सहा.

रमण को यूँ रोता देख….सुनील का दिल भी पसिज गया और उसने रमण को उठा लिया…..
‘सुबह का भूला शाम को घर लॉट आए तो उसे भूला नही कहते…किया तो तुमने गुनाह है …पर अब कुछ समय तक रूबी के सामने मत आना….संभलने दो उसे …..एक बार वो दिल से तुम्हें माफ़ कर दे तब ही उसके सामने आना….ऐसे उसके घाव हरे करते रहोगे तो वो कभी सम्भल नही पाएगी’

मिनी ….. भैया जब आपको ठीक लगे…..तो एक बार रूबी और माँ को घर ज़रूर लाना…..डॅड भी कोमा में हैं.
 
सुनील समर के बारे में सुनते ही विफर गया……अच्छा मरा नही वो अब तक……उसके गुनाह ही ऐसे हैं कि मोत भी आसानी से नही आएगी…..

मिनी अपने ससुर के लिए और रमण अपने डॅड के लिए ये जहर भुजी बात सुन चोंक गये …..

सुनील सुमन को इशारा करता है ……..

सुमन ….आओ बहू अंदर चलें…इन दो भाइयों को बात करने दो ….

सुमन …वहीं से चिल्लाई……सोनल मेरे कमरे में आना

मिनी भोचक्की सी सुमन के पीछे चल पड़ी …उसकी नज़रें बार बार सुनील को देख रही थी…..क्यूंकी ये बात सुनील के मुँह से निकली थी…तो कोई ना कोई ऐसी बात ज़रूर थी जो वो इतनी नफ़रत करता था उसके ससुर से…जानना वो भी चाहती थी…पर इस वक़्त वो सुमन को ना नही कर सकती थी.

सोनल ….सुमन के कमरे में गयी तो मिनी को वहाँ देख चोंक गयी ……जहर उगलने लगा उसके मुँह से…

‘आपने अभी तक इन्हे बाहर का रास्ता नही दिखाया’

‘मैने तुम्हें ये शिक्षा तो नही दी थी कि बेकसूर का अपमान करो….ये तुम्हारी भाभी है…इसका क्या कसूर …..गले मिलो अपनी भाभी से और उसके लिए अच्छी सी कॉफी बना के ले आओ …आज पहली बार हमारे घर आई है…होना तो वैसे इसका पूरा आदर सत्कार चाहिए था…पर हालत ही कुछ ऐसे हुए की क्या करें’

सोनल कुछ पल सुमन की आँखों में देखती रही फिर उसे भी अपनी ग़लती का अहसास हुआ.

‘भाभी माफ़ करना वो..वो…’

‘नही रे ….इसमे तेरी क्या ग़लती…मैं जानती थी..कड़वाहट तो बाहर निकलेगी ही….और ये कड़वाहट जितनी जल्दी निकल जाए उतना अच्छा होता है…वरना दिलों में नासूर बन जाते हैं….रिश्ते बहुत दूर हो जाते हैं’

दोनो ननंद भाभी एक दूसरे के गले लग गयी …….

सुमन …..सोनल जा सुनील को ब्लॅक कोफ़ी दे दे और रमण के लिए भी ले जाना और हां मेरे और मिनी के लिए यहाँ ले आना.

सोनल जाने को हुई ……मिनी …मैं भी चलती हूँ

सोनल …..नही जी आप अपनी मासी सासू माँ के साथ बैठिए ………फिर कभी किचन में घुसना

यहाँ हाल में

‘बैठ रमण …बताता हूँ तुझे सब ….आख़िर तू मेरा सौतेला भाई है ….तुझे हक़ है सब जानने का’

बॉम्ब फट गया रमण के सामने सौतेला शब्द सुन……..वो आँखें फाडे सुनील को देखने लगा …

क…क….क्या…बोल….

सुनील …..चुप चाप सुन पहले….बाद में बोलना

(आज सुनील….रमण को पहले की तरहा भैया कह के नही बुला रहा था…..और रमण को भी कोई गिला नही था…..उसकी नज़रों में सुनील उस से बहुत बड़ा हो गया था)

इतने में सोनल ….सुनील के लिए ब्लॅक कॉफी और रमण के लिए नॉर्मल कॉफी लाती है ………..
सोनल की नज़रें जैसे ही रमण से मिली वो आग उगलने लग गयी ……..

‘सोनल….हो सके….तो इस भाई को माफ़ करदेना’

सोनल ने कोई जवाब नही दिया और कोफ़ी ले सुमन के कमरे में चली गयी.

सोनल के जाने के बाद रमण सर झुका के बैठ गया…….गुनाह ही ऐसे किए थे कि माफी इतनी जल्दी तो मिलनेवाली नही थी…..मिनी ठीक कहती थी …..मुँह छुपाओगे …कोई भी नही जान पाएगा…कि तुम बदल चुके हो….अब जब गुनाह किए हैं तो सज़ा भी भुग्तो और अपने चाहने वालों के दिल में फिर से जगह बनाने की कोशिश करो …….रमण अपने आप से बात कर रहा था…….

सोनल के जाने के बाद सुनील ने बोलना शुरू किया……..तेरा बाप…..बदक़िस्मती से मेरा भी बाप ….तेरी मासी के पीछे पड़ा हुआ था…….इसके बाद सुनील ने स्वापिंग कैसे हुई कैसे समर उसका बाप बना और कैसे सागर रूबी का….सब बताया…कैसे समर ने सुमन को सिड्यूस किया सुनील को सेक्स लेसन्स देने के लिए और उसका वो एमएमएस जो ग़लती से सागर के पास आया और फिर क्या हुआ….बस सागर का वो आख़िरी हुकुम जो उसके लिए था और उसके बाद क्या हुआ…वो सब नही बताया.
 
जैसे जैसे रमण सुन रहा था…उसे लग रहा था कि पिघला हुआ गरम सीसा उसके कानो में डाला जा रहा हो …हर पल वो समर से नफ़रत करने लगा और जब सुनील चुप हुआ तो रमण के लिए समर का वजूद ख़तम हो चुका था………

'मेरी वजह से सागर अंकल की मोत हुई .......' रमण फुट फुट के रोने लगा

सुनील ने उसे रोने दिया चुप करने की कोई कोशिश नही करी ....कुछ देर रमण रोता रहा फिर उठ के खड़ा हो गया .....'काश मैं सागर अंकल के साए तले पनपता ....तो ऐसे गुनाह नही होते मुझ से ....हो सके तो माफ़ कर देना भाई....पर मैं खुद को तो कभी माफ़ नही कर पाउन्गा .

रमण के रोने की आवाज़ सुन मिनी दौड़ती हुई चली आई ......लेकिन बीच में ना कुछ बोल पाई ..... रमण के आख़िरी अल्फ़ाज़ सुन मिनी का सर झुक गया.

सुमन भी वहाँ आ गयी …..रमण आगे बढ़ा और सुमन के पैरों को छू के बोला……’मासी माँ कुछ जख्म ऐसे होते हैं जो नासूर बन जाते हैं…ऐसा ही जख्म मैने रूबी को दे डाला ….मैं जानता हूँ …ये गुनाह माफी के लायक नही ….पर हो सके तो प्रायश्चित का एक मोका ज़रूर देना ………चलो मिनी ………’

भारी कदमो से मिनी …..रमण के पीछे चल पड़ी



मिनी के जाने के बाद ……विक्रम का फोन आ गया सुनील को …….

सेक्यूरिटी हटाई जा रही थी …..रेपिस्ट पकड़ा गया था ……….सुनील ने जब ज़ोर दे कर पूछा कॉन …..जवाब था….कमल

झटका खा गया …..सुनील…….कमल ही शादी का प्रपोज़ल ले के आया था……….उफफफ्फ़ कैसे लोग भरे हैं दुनिया में……

सुनील ने डीटेल पूछी तो विक्रम ने थाने आ कर बात करने को कहा….आज रमण की वजह से देर हो चुकी थी …इसलिए सुनील ने अगले दिन का प्रोमिस कर दिया मिलने का और दोपहर के बाद का ही टाइम रखा था ….क्यूंकी सुबह कॉलेज जाना था.

सोनल भी हाल में आ गयी थी………क्यूंकी उसे रमण के जाने का अहसास हो गया था……..

‘गया वो…..शुक्र है आपने उसे रोका नही ……जो भी है …..आप दोनो चाहे उसे माफ़ कर दो …मैं उसकी शक्ल दुबारा नही देखना चाहती ‘ सोनल की आवाज़ में आक्रोश था रमण के प्रति …..

‘यार मेरा तो सर फटने लग गया है ‘ सुनील अपने सर पे हाथ मारता हुआ बोला

‘ड्रिंक तो नही लोगे ना’ सोनल जान बूझ के ड्रिंक का बोली थी ….वो जानती थी ……सुनील ने अपने आप को कैसे कंट्रोल में रखा था……इस वक़्त उसे दिमाग़ को शांत करना था….एक आध वाइन का पेग ले लेगा तो दिमाग़ की नसे थोड़ी शांत हो जाएँगी……विस्की तो वो लेने ही नही देती.

‘पता नही …जो देना हो दे दो’

‘दीदी आप इन्हें कमरे में ले जाइए मैं वाइन ले कर आती हूँ’

सॉफ सॉफ बोल दिया वाइन मिल सकती है विस्की नही………सुनील मुस्कुरा दिया और सुमन के कमरे में चला गया.

उसके जाने के बाद ….’दीदी इन्हें विस्की ज़्यादा मत पीने दिया करो …….’ सुमन समझ गयी थी कि सोनल क्या कहना चाहती है……’धत्त …..कुछ भी बोलती है….विस्की कभी ज़यादा नही पीते ये’

‘हां हन ज़यादा नही पीते …पर जितनी भी पीते हैं उसके बाद जो करते हैं जानती हो ना….’ अंगड़ाई लेते हुए सोनल बोली

‘चल बेशर्म’ सुमन कमरे की तरफ चली गयी और सोनल वाइन ग्लास निकालने लगी

‘सुनो तो ‘ सोनल ऐसे ही बोली और वाइन ग्लास निकालते हुए उसे हनिमून के दिन याद आ गये ….जिस्म में खलबली मचने लग गयी ….लेकिन खुद पे काबू रख लिया किसी तरहा ….क्यूंकी सुमन उसे अपनी जान से ज़्यादा प्यारी थी …वो आज की रात सुमन के नाम रखना चाहती थी…क्यूंकी वो खुद अभी इतना परिपक्व नही हुई थी कि सुनील को आज संभाल ले ….ये काम सिर्फ़ सूमी ही कर सकती थी..उसने रूबी को संभालना बेहतर समझा.

ग्लासस और वाइन की बॉटल जिसे उसने पता नही कितनी बार चूमा होगा …ले के सुमन के कमरे में चली गयी …..सुमन एक तरफ बैठी थी और सुनील बिस्तर पे अढ़लेता आँखें बंद किए जाने क्या सोच रहा था.

‘जागो डार्लिंग प्यारे …..क्या लेना पसंद करेंगे ….स्माल…मीडियम…लार्ज ‘

सुनील ने आँखें खोली …इधर आ बताता हूँ

‘ना ना अपुन तो चली……दीदी को बताओ जो बताना है’ सोनल मटकती हुई कमरे से बाहर निकल गयी और सुमन ने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया फिर वाइन का ग्लास बना कर सुनील के पास जा के बैठ गयी.….लीजिए हजूर ……मैं अभी आई ……वाइन का भरा ग्लास सुनील को थमा सुमन उठ गयी ….सारे कपड़े उतार फेंके सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में रह गयी और वॉर्डरोब से एक पारदर्शक नाइटी निकाल बाथरूम में घुस गयी….

सुमन जब…बाथरूम से निकली तो फिर सुहागन के रूप में थी ….लगता है…बाथरूम में भी सारा सामान रख लिया था…..
पारदर्शक नाइटी में उसका हुस्न आग लगा रहा था. आज काफ़ी दिनो के बाद उसने पायल भी पहनी थी…जिसकी रुनझुन महॉल को मस्त बना रही थी.. धीरे धीरे चलती …पायल की झंकार मचती …वो सुनील की तरफ बड़ी और उसके पास बैठ गयी….’इतना गुस्सा क्यूँ आता है जनाब को….कंट्रोल रखा करो’

‘…..उस गधे को देख गुस्सा ना आता तो क्या आता….वो तो मिनी की वजह से चुप रह गया वरना दो-तीन तो लगा ही देता………देखा नही उसे देख रूबी की क्या हालत हो गयी थी…..और मुझे नही लगता उसने वाक़ई में मिनी के साथ शादी करी है……कुछ ना कुछ तो राज़ है इसमे…ऐसे आदमी को कॉन अपनी लड़की देगा…….’

‘नही ये तो ग़लत सोच रहे हो….अगर मिनी वाक़ई में तुम्हारी भाभी नही होती तो उसकी आवाज़ में वो दम और वो तड़प नही होती’

‘खैर छोड़ो…अब उसकी बात कर मेरा मूड ऑफ मत करो …पहले ही उसकी वजह से सर फटने लग गया है…’

‘तो हम किस मर्ज़ की दवा हैं जान मेरी अब सर दर्द को दूर भगा देते हैं’

सुमन सुनील के सर की मालिश करने लगी ….उसकी चूड़ियों की खन खन सुनील के कानो में मधुर संगीत के सुर घोलने लगी. सर दर्द कब गायब हुआ उसे पता ही ना चला और उसने सुमन को अपने आगे खींच लिया …ऊऊुऊउककचह

‘अरे अरे रूको तो मुझे कुछ बात करनी है…..उम्म्म्म उफफफफफफ्फ़ ओउुऊउक्ककचह’

सुनील ने उसके गाल पे काट लिया और अपने होंठ उसकी गर्दन पे रगड़ने लगा………’कल करेंगे जो भी बात करनी है…..’

‘सुनो तो……मैं सोच रही थी……..’ आगे वो बोल ही नही पाई क्यूंकी सुनील ने उसके होंठ अपने होंठों से बंद कर दिए……….

सुनील धीरे धीरे उसके होंठ चूसने लग गया और सुमन की आँखों में नशा उतरने लगा

तभी सुनील का मोबाइल बजने लगा…..इस वक़्त कॉल देख उसे गुस्सा चढ़ने लगा…कॉन हो सकता है इस वक़्त……..वो कॉल काटने वाला था कि सुमन ने कॉल लेने का इशारा किया…..सुनील ने कॉल ली तो दूसरी तरफ मिनी थी…….वो रो रही थी…रोते हुए उसने बताया कि रमण का आक्सिडेंट हो गया है……और ****** हॉस्पिटल में आइसीयू में है……

‘मैं आ रहा हूँ अभी…चिंता मत करो….’

सुनील ने सुमन को बताया…..फिर दोनो फटाफट तयार हुए…..सोनल को जगा के बताया कि हॉस्पिटल जा रहे हैं ….और दोनो निकल पड़े….
 
सुमन और सुनील….जब हॉस्पिटल पहुँचे तो आइसीयू के बाहर खड़ी दौड़ती हुई सुनील से चिपक के रोने लगी…’भैया इन्हे बचा लीजिए’

‘शांत हो जाओ…कुछ नही होगा उसे…….उपरवाले पे भरोसा रखो….’

सुमन डॉक्टर्स से बात करने लगी…….आक्सिडेंट सीरीयस हुआ था….रमण को कोई होश नही था…उसकी एक टाँग बुर्री तरह टूटी थी और दायां हाथ भी पास्टर में था….सारा जिस्म चोटों से भरा हुआ था. सर पे भी काफ़ी चोट आई थी.

सुनील : आक्सिडेंट हुआ कैसे …तुम लोग तो आज मुंबई नही जानेवाले थे क्या?

मिनी …….नही हमारी फ्लाइट कल की है…आज रात तो यही सोच के आए थे कि आपलोगो के साथ रुकेंगे…पर…….हमने होटेल कर लिया और ये बस रूम में पहुँच पीते रहे….बहुत मना किया इन्हें पर मेरी कोई बात नही सुनी….रोने लगते और पीते रहते……..रात को बोले टहलने बाहर जा रहे हैं…नशे में इतना थे कि मैं सड़क पे चले गये और आ ट्रक इन्हें कुचालता हुआ भाग गया रुका ही नही…वो तो होटेल के कुछ स्टाफ की नज़र इन्पे पड़ गयी….फटाफट होटेल वालों ने ही आंब्युलेन्स बुलवाई और यहाँ अड्मिट कर दिया गया…….कहते कहते मिनी फिर रो पड़ी…….

मिनी मानने को तयार नही होती पर सुनील उसे ज़बरदस्ती सुमन के साथ घर भेज देता है….और फोन पे सोनल और रूबी को समझा देता है…कोई बदतमीज़ी नही होगी मिनी के साथ.

4 दिन गुजर जाते हैं रमण को होश नही आता…डॉक्टर्स के हिसाब से उसे गहरा सदमा पहुँचा होता है….जीने की इच्छा ही ख़तम हो गयी थी.

तब सुनील को एक ही रास्ता नज़र आता है…वो रूबी को हॉस्पिटल बुलाता है और उसे समझाता है कि रमण बदल चुका है…और पश्चाताप में जल रहा है..उसे दिल से माफ़ कर दो…..जो भी था …आख़िर रमण था तो उसका पहला प्यार…चाहे रमण ने उस से प्यार ना किया हो..पर रूबी ने दिल से प्यार किया था……सुनील के समझाने पे वो टूट जाती है और आइसीयू में जा के रमण के हाथ को अपने हाथों में ले…..उसे माफ़ कर देती है….’भाई वापस आ जाओ…मैने तुम्हें माफ़ किया….दिल से बोल रही हूँ भाई……वापस आ जाओ…अपनी बहन को छोड़ के मत जाओ……तुम्हें मेरी कसम.’

रूबी रोज आती और घंटों रमण के हाथ को अपने हाथों में ले उस से बात करती …4 दिन और ऐसे ही चलता रहा …..फिर रमण को होश आ गया….उसकी आँखों में आँसू थे…उस वक़्त रूबी उसके पास थी और मिनी, सुनील बाहर बैठे थे.

रूबी ने रमण की आँखों को चूमा….’भाई भाभी के साथ हँसी खुशी रहो…..और भूल जाओ जो पहले हुआ था….मेरा भाई वापस आ गया और कुछ नही चाहिए…….भाभी का रो रो के बुरा हाल है…मैं उसे भेजती हूँ…..’ रूबी बाहर निकल आई और मिनी को ये खुशख़बरी दी कि रमण को होश आ गया है …..मिनी रोती हुई अंदर चली गयी और जा के रमण के चेहरे को चुंबनो से भर दिया.

एक हफ़्ता लग गया रमण को आइसीयू से बाहर निकलने में और फिर 15 दिन और लगे रूम में उसके बाद सुनील रमण को घर ले आया और अपना कमरा रमण और मिनी को दे दिया. अभी कम से कम 4 महीने लगने थे रमण को अपने पैरों पे खड़े होने में…..मिनी उसकी देखभाल में जुट गयी .

सुनील ने रूबी का ध्यान पढ़ाई में डाइवर्ट कर दिया. और खुद तो वो पढ़ाकू था ही. सोनल एमडी में अड्मिशन की तैयारी में बिज़ी हो गयी…..सवी ने अपने बेटे को माफ़ कर दिया….पर सख्ती से मना कर दिया कि भूल के भी अपने बाप का नाम नही लेगा….ठीक होने के बाद अगर अपने बाप के पास जाना चाहता है तो बेशक चला जाए.

मिनी ने मुंबई के पड़ोसी को फोन कर सारी डाक यहाँ देल्ही फॉर्वर्ड करने की रिक्वेस्ट दे दी और रमण ने फोन से बॅंक को इन्स्ट्रक्षन दे दी कि उस हॉस्पिटल में जहाँ समर अड्मिट था हर महीने एक रकम भेजते रहें ….कुछ भी हो ….बाप तो बाप ही होता है….अब चाहे माँ बाप अलग हो गये हों….रमण समर को ऐसे कैसे छोड़ देता.

अभी एक हफ़्ता भी नही हुआ था रमण को यहाँ सुनील के घर आए हुए …कि जिंदगी में एक और बॉम्ब फट गया……..एक औरत की चिट्ठी जो समर के नाम थी….वो मिली …….और जिंदगी में भुंचाल आ गया.

वो चिट्ठी कुछ इस प्रकार थी……

समर,

चाहती तो नही थी कि तुम्हें ये चिट्ठी लिखूं…पर हालत ने मजबूर कर दिया.
तुमने तो मुझे अपनी जिंदगी से बाहर निकाल दिया मेरे रूप रस को अच्छी तरहा पीने के बाद…..और जब मैं प्रेग्नेंट हुई तो सॉफ सॉफ मुकर गये.
खैर तुमपे भरोसा करनी की सज़ा भी मुझे कुदरत ने दे दी है.

हमारी बेटी कविता …फोटो भेज रही हूँ……*** कॉलेज में एमबीबीएस कर रही है……..मुझे कॅन्सर हो गया है और बस चन्द दिनो की मेहमान हूँ…मेरे बाद कविता की देखभाल करने वाला कोई नही है…..उम्मीद करती हूँ ….अब अपनी बेटी को लावारिस नही छोड़ोगे …और एक बाप का फ़र्ज़ निभाओगे….

जब तक तुम्हें ये चिट्ठी मिलेगी…मैं जा चुकी हूँगी…क्यूंकी तुम्हारी शक्ल कभी नही देखना चाहती….अगर बेटा होता…तो कभी नही लिखती …पर बेटी को इस दरिंदे समाज में बिना सहारे कैसे छोड़ दूं…इसलिए मजबूर हो गयी तुम्हें ये खत लिखने को……..

अलविदा
समीरा

ये चिट्ठी पढ़ रमण और मिनी को समझ ही नही आया कि क्या करें…….सवी को बताएँ या नही…….आज रमण बस एक इंसान पे भरोसा करता था…और वो था सुनील.
रमण ने वो चिट्ठी सुनील को दी और उसे पढ़ जहाँ वो समर के लिए खुंदक से भर गया ….वहीं अपनी उस अनदेखी बहन के बारे में सोच तड़प उठा…जो सारी जिंदगी बाप के प्यार को तरसती रही…

सुनील वो चिट्ठी ले कर सुमन के पास गया और पूछा क्या करना चाहिए.

सुनील चिट्ठी ले के चला गया और रमण अपना सर पीटने लगा बिस्तर की पुष्ट से…….

‘अरे क्या कर रहे हैं…..अभी मुस्किल से जख्म भरे हैं आपके सर के’ मिनी ने फट से अपनी बाँह रमण के सर के नीचे रख दी.

‘क्या करूँ मैं…..क्या करूँ…घिंन आने लगी है अपने जनम पे……कॉन से पाप किए थे पिछले जनम में जो ऐसा बाप मिला …..’ रमण रो पड़ा.

‘बस कीजिए…ये सब होनी का खेल है……उस उपरवाले ने आपको एक बहन और देनी थी…ज़रिया चाहे कोई भी हो….’

‘क्या मतलब तुम्हारा …’

‘वो आपकी बहन है….चाहे सौतेली ही सही……है तो बहन…उसे क्या दर दर भटकने देंगे….अब जब उसकी माँ का साया भी सर से उठ गया’

‘कल ऐसी कोई और चिट्ठी आ गयी तो…और फिर एक और….और फिर एक और……डर लगने लग गया है अपने ही वजूद से……..’

‘भाई गया है ना मासी माँ से बात करने…वो जो फ़ैसला करेंगी …वो ठीक ही होगा….’

सुनील ने जब वो चिट्ठी सुमन को दिखाई उसकी आँखें फटी रह गयी….वो तो ये सोचती थी कि समर ने जाल बुना था उसे पाने के लिए…पर समर का ये रूप उसकी रूह तक को कड़वाहट से भर गया …जिसका अहसास सुनील को उसी वक़्त हो गया और सुनील ने उसे अपनी बाँहों में भरते हुए कहा ….’उस कुत्ते के बारे में मत सोचो…ये सोचो इस लड़की का क्या करें….देखा जाए तो मेरी नाजायज़ सौतेली बहन है……पता नही ऐसे और कितने किस्से सामने आएँगे वक़्त के साथ’……..इस वक़्त अगर समर सुमन के सामने पड़ जाता तो शर्तिया उसके खून की नदियाँ बहा डालती…..

‘ मुझ से क्यूँ पूछ रहे हो…इस घर के सर्वेसर्वा अब आप हो….आप ही डिसाइड करो …..’

‘ये मेरे अकेले का फ़ैसला नही हो सकता ….मैं बाकी सब को भी बुला लेता हूँ….’

‘रूबी को मत बुलाना …..बड़ी मुस्किल से संभली है …मैं नही चाहती कि फिर एक तूफान उसे लप्पेट ले ….उसे अपने करियर पे ही ध्यान देने दो…’

‘हां मैने ही ठेका ले रखा है…हर तूफान को झेलने का….’ एक कड़वी मुस्कान के साथ सुनील ….सोनल और सविता को बुलाने चला गया.

सोनल और ….सविता दोनो आ जाती हैं और सुमन वो लेटर उनके सामने रख देती है….सोनल कोई प्रतिक्रिया नही करती पर सविता ज़मीन पे ऐसे थुक्ति है जैसे समर के मुँह पे थूक रही हो.

‘ये वक़्त रंजिश जताने का नही….एक लड़की की जिंदगी का सवाल है ……इस लिए इस बात को सीरियस्ली लो …..अगर कोई लड़का होता तो जैसा लेटर में लिखा है समीरा खुद उसे उसके हाल पे छोड़ देती….हमे पता भी नही चलता….और शायद कभी पता नही चलता अगर समर कुछ करने की हालत में होता….सवाल एक लड़की का है ..उसकी जिंदगी का है….इसलिए रिश्ते भूल जाओ…और एक औरत की तरहा सोचो….’

‘आप फ़ैसला ले चुके हो ना….’ सोनल बोली

‘मेरे फ़ैसला लेने या ना लेने से क्या होगा …जब तक ये परिवार एक फ़ैसला नही लेता.’

‘भाड़ में जाए वो और समर साथ में….हम क्यूँ सर दरदी मोल लें’ सविता बोली.

‘ये तस्वीर देखो…..’ वो कविता की तस्वीर सवी के सामने रखता है …..’अब अपनी आँखें बंद करो …….एक लंबी साँस छोड़ो ….गुड…फिर एक बार छोड़ो….गुड…अब अपने दिमाग़ को बिल्कुल खाली कर दो…..भूल जाओ …सब कुछ….अब अपने कानो पे ध्यान दो……क्या कविता की आवाज़ सुनाई दे रही है…..माँ ….कहाँ हो तुम…. वो माँ को पुकार रही है या बाप को...'

सविता की बंद आँखों में आँसू आ जाते हैं.....वो अपनी आँखें खोल देती है......

‘दुनिया के दर्द की परवाह है ….और अपनो के दर्द की तरफ ध्यान ही नही देते’ एक रोश था सवी की ज़ुबान पे .

‘है ना अपने सभी के दर्द की परवाह….पर क्या आपने कभी सोचा …कि आपका ये भांजा कितना अकेला पड़ गया है …..आपने भी रिश्ता बदल लिया ….और नयी कामनाएँ जगा ली…ये भूल गयी …इस भानजे को माँ की भी ज़रूरत है……मासी भी तो माँ ही होती है…..तभी तो माँ की बहन को मासी कहते हैं…मतलब माँ जैसी …..आप तो रिश्ते बदलते ही साली बनने पे उतारू हो गयी थी…..एक बार ये नही सोचा …..आपका ये बेटा…क्या क्या भुगत रहा है…….कितनी बार आपको समझाने की कोशिश करी ……एक साथ कड़वा निकला तो क्या…आगे बढ़ो जिंदगी में ….एक नया सहारा अपनाओ…पर आप तो मेरे ही पीछे पड़ गयी …..साली का जो नया रिश्ता बन गया था……अगर इस घर में मैं अच्छा निकल आया तो इसका मतलब ये तो नही कि इस घर की हर औरत के साथ मेरे जिस्मानी संबंध बने …फिर हममे और जानवर में क्या फरक रह जाएगा……क्या आदमी …इतनी तरक्की के बाद भी …वही जानवर का जानवर ही है ….जो पहले हुआ करता था….जब कोई रिश्ता नही होता था…..बस जिसपे दिल आया उसके नीचे बिछ गये या उसको ठोक दिया ….क्या उसी दुनिया में वापस जाना चाहती हो….या इस भान्जे के सर पे प्यार भरा हाथ रख उसे लड़ने की ताक़त दोगि ‘

सविता बिलख बिलख के रोने लगी

उसे समझ नही आ रहा था …इस जलेबी में कॉन सा किरदार निभाए…मासी का या साली का जो अपने जीजा को हसरातों भरी नज़रों से देखती है.

कमरे में सन्नाटा छा गया था …सिवाए सवी की रोती हुई हिचक़ियों के.

सुमन ने सवी को अपने गले लगा लिया……….
 
सुनील ने टॉपिक वापस उसी बात पे रख डाला ……..’ये पर्सनल सेंटिमेंट्स बाद में डिसकस करना…..अभी ये बताओ …कविता का क्या करें’

सोनल आगे बड़ी और सुनील के गले में अपनी बाँहें डालते हुए बोली ……..’वही जो आप चाहते हो…एक बहन की ज़िम्मेदारी और उठाने को तयार हो जाओ ‘

सुनील : सूमी बोलो ना ….क्या करें

सूमी : मुझ से पूछने की ज़रूरत रह गयी क्या ……आपने फ़ैसला ले तो लिया है……फिर ये कैसे सोच लिया कि आपका साथ नही दूँगी……

सुनील : आज एक बात कहूँ तो मानो गी …..

सूमी : कहिए

सुनील : सोनल और मेरे बीच बस 2 साल का फरक है….वो आप बोले अपने दिल की खातिर चलेगा….पर आप मुझे कभी आप नही बोलेंगी….और ना मैं आप को तुम कह के पुकारूँगा….मुझे अजीब भी लगता है और ऐसा लगता है कि हर बार आपका अपमान कर रहा हूँ.

सूमी …मुस्कुरा उठी ….’मैने कभी आपको आप इसलिए नही बोला …कि आप मेरे पति बन गये हो…और रूढ़िवादी पत्नी के नाते …मुझे आपको आप कह के संबोधित करना चाहिए ….मैं आपको आप इसलिए कहती हूँ …क्यूंकी आप मेरी सोच से आगे का सोचते हैं….आप हैं तो ये घर है…आप हैं तो रिश्तों की डोर अभी तक बँधी हुई है …माना कुछ बदल गये…..आप अपनी उम्र से बहुत आगे निकल चुके हैं ….और मुझे ये कहने में कोई गुरेज़ नही …कि आपने सागर को भी मात दे दी.’

सुनील आँखें फाडे सूमी को देखता रहा .

सूमी की इस बात ने सवी पे गहरा असर डाला …..’सुनील बेटा ….मेरी बेटी को घर ले आ’

जैसे ही सविता के मुँह से ये शब्द निकले सुनील उसकी गोद में सर रख फुट फुट के रोने लगा …उसे उसकी माँ मिल गयी थी.

‘मा ….’

‘मुझे माफ़ कर दे बेटा …बहक गयी थी मैं’

‘नही माँ ऐसे मत बोलो …माना मेरा रिश्ता बदल गया …पर मैने तो हमेशा आप में अपनी मासी माँ को ही देखने की कोशिश करी थी’ सोनल बोल पड़ी…..आज उसे भी माँ मिल गयी थी ……

सुमन ने फिर सवी को गले लगा लिया ‘आइ’म प्राउड ऑफ यू सवी….वेरी प्राउड ऑफ यू’

‘दीदी…..’

‘ना रे अब तो मैं तेरी बहू बन गयी’

चारों का ये मिलाप अगर वो बनाने वाला देख लेता …तो खुद पे फक्र करने लगता

सवी……बस बस रोते रहोगे और मुझे भी रुलाते रहोगे …..सुनील कब जा रहा है तू कविता को लाने .

….ये खेल था होनी का…कब कॉन सा खेल खेल जाए …कोई नही जानता


सुनील के सामने अब सबसे बड़ी समस्या ये थी कि छुट्टी कॉलेज से कैसे ले ….एमबीबीएस कोई मज़ाक तो है नही……उपर से कविता का ट्रान्स्फर करवाना भी कोई मज़ाक नही था……वो परेशान हो गया …कैसे करेगा ….ये सब….

उसे बहुत सकुन मिला था कि सवी के दिल से उसका भूत उतर गया था और वो सच में वही पुरानी प्यारी मासी बन गयी थी.

सुनील ने कॉलेज के प्रिन्सिपल से अकेले में बात करी और वो लेटर तक दिखाया…..बात कॉलेज की गवर्निंग कमिटी तक पहुँची तब जा कर कविता के माइग्रेशन के लिए तयार हुए और सुनील को दो दिन की छुट्टी दी गयी .

अगले दिन ही सुनील…सोनल को साथ ले मुंबई चला गया…..और एरपोर्ट से सीधा कविता के कॉलेज पहुँचा…..दोनो का दिल धड़क रहा था..कैसे कविता से बात करेंगे…….कोई बड़ी उम्र का होता तो बात अलग थी…पर ये दोनो तो कविता की उम्र के करीब ही थे.

जिस लड़की ने कभी अपने बाप को ना देखा हो….अचानक उसका भाई और भाभी टपक पड़ें…..तो क्या होगा…कैसे बर्ताव करेगी वो…..

सुनील ने कॉलेज की रिसेप्षन पे कविता को बुलवाया….थोड़ी देर बाद कविता आ गयी….फोटो में जितनी खूबसूरत दिखती थी…असल में उससे ज़्यादा ही खूबसूरत थी….

‘आप मुझ से मिलना चाहते हैं….’ कविता ने पूछा.

‘हां आए तो तुम से मिलने हैं….पर क्या कहीं और बैठ के बात कर सकते हैं….’ सुनील बोला.

‘कविता हैरानी से दोनो को देख रही थी……कुछ पल बाद बोली…चलिए कॅंटीन में बैठते हैं…

सोनल : हां ये ठीक रहेगा …कुछ चाइ कॉफी भी हो जाएगी साथ में.

तीनो कॅंटीन चले गये….कविता कॉफी नही पीती थी…उसके लिए चाइ मंगवा ली सुनील ने और अपने और सोनल के लिए कॉफी.

‘जी कहिए क्या बात करनी थी आपको….’ कविता ने सवालिया नज़रों से दोनो की तरफ देखते हुए पूछा.

सुनील को समझ नही आ रहा था कैसे बात शुरू करे.

सोनल …..सुना है आंटी काफ़ी बीमार रहती हैं…अब कैसी तबीयत है उनकी.

कविता के आँसू निकल आए….’मोम तो पिछले हफ्ते ही छोड़ के चली गयी…’

सोनल उसके पास जा के बैठ गयी ….’सॉरी…हमे बहुत देर से पता चला’

कविता ….माँ को कॅन्सर था…छुपाती रही..लास्ट स्टेज पे ही पता चला जब कुछ नही हो सकता था.

सुनील ….अच्छा घर में और कॉन कॉन हैं……

कविता …कोई भी नही अब में अकेली रह गयी हूँ…..लेकिन आप लोग मेरे बारे में इतना क्यूँ पूछ रहे हो……..

सुनील…….अगर तुम्हें तुम्हारा भाई मिल जाए तो……

कविता …..भाई…..अगर मेरा कोई भाई होता तो मोम बताती मुझे उसके बारे में…बचपन से मैने किसी भाई या बहन का जिक्र नही सुना मोम से ना कभी किसी को देखा.

सुनील….हां कभी कभी उपरवाला बड़े बड़े खेल खेल जाता है……मैं हूँ तुम्हारा वो बदनसीब भाई जिसे हाल ही मे तुम्हारे बारे में पता चला….और ये तुम्हारी भाभी है.

कविता उन्हें ऐसे देखने लगी जैसे कोई अजूबे हों…..या पागल.

कविता …मुझे कुछ समझ नही आ रहा…कल तक मेरा कोई नही था….आज कोई आ के कहता है कि मैं तुम्हारा भाई हूँ…ये तुम्हारी भाभी है….क्या है ये सब…

सुनील ….यही कड़वा सच है …हम तुम्हें लेने आए हैं…..तुम्हारी एक माँ और भी है…जो तुम्हारा इंतेज़ार कर रही है. एक भाई और एक बहन और भी हैं.

सोनल ….लो ये चिट्ठी पढ़ो जो आंटी ने लिखी थी…सब समझ जाओगी…..

कविता ने वो चिट्ठी पढ़ी और उसका चेहरा तमतमाने लगा……

कविता ….ओह….तो मेरे नाजायज़ बाप को मेरी फिकर होने लगी अब…..आप लोग चले जाइए और मुझे मेरे हाल पे छोड़ दीजिए….मुझे कोई भाई वाई नही चाहिए….

सुनील …कविता मैं जानता हूँ तुम्हें अपने डॅड से कितनी नफ़रत होगी ..जिसने कभी मूड के भी नही देखा कि तुम लोगो का हाल क्या है….और सच मानो तो शायद उसे उसके किएकी सज़ा मिल रही है…कोमा में है वो…जितनी तुम उस से नफ़रत करती हो उतना मैं भी करता हूँ…

कविता हैरानी से सुनील को देखने लगी……

सुनील ……ये चिट्ठी मुझे कल ही मिली है और आज मैं भागा हुआ यहाँ आ गया. काश मुझे पहले से पता होता तुम लोगो के बारे में तो आंटी का पूरा इलाज़ करवाता …पर होनी को कोई नही टाल सकता. मैं तुम्हें लेने आया हूँ ….तुम्हारे माइग्रेशन का भी मैने इंतेज़ाम कर दिया है…..अब से तुम मेरी ज़िम्मेदारी हो. इस भाई को ना मत बोलना.

कविता …..प्लीज़ आप लोग चले जाइए और मुझे मेरे हाल पे छोड़ दीजिए…मुझे नही कोई रिश्ते विश्ते बनाने.

सुनील …….ठीक है….जैसी तुम्हारी मर्ज़ी…पर मैं यहाँ से तब ही जाउन्गा …जब तुम साथ चलोगि…

कविता ….चाहे जिंदगी भर यहीं पड़े रहो…पर मुझ से दुबारा मिलने की कोशिश मत करना.

सुनील ……मैं अकेला होता तो यहीं कॉलेज के गेट पे खड़ा रहता…पर तेरी भाभी को ये तकलीफ़ नही दे सकता…मैं यहीं होटेल में रुक रहा हूँ…..और हां ये मेरा मोबाइल नंबर है ….कोई भी ज़रूरत हो मुझे बेझीजक फोन कर देना.

ये कह कर सुनील ….सोनल को ले कर बाहर निकल गया…पर कॉलेज से नही गया….थोड़ा छुप के देखना चाहता था कि कविता अब क्या करती है….
 
कविता कॅंटीन से बाहर निकली तो एक लड़के ने उसका रास्ता रोक दिया…..

कविता ने बच के निकलना चाहा पर वो लड़का उसे निकलने नही दे रहा था और उसने कविता का हाथ पकड़ उसे अपनी तरफ खींचने की कोशिश करी……..अरे चल ना यार …क्यूँ इतना नखरा करती है……….तू जानती है मैं तुझ से कितना प्यार करता हूँ.

‘अह्ह्ह्ह छोड़ो मुझे ‘ कविता अपनी कलाई छुड़ाने की कोशिश करती है.

इतना काफ़ी था सुनील के लिए…वो अपनी जगह से बाहर निकल आया और उस लड़के के पीछे जा के उसके कंधे पे हाथ रखा.

‘कॉन है बे’ वो लड़का मूड के बोला …..और सुनील को देखते ही …कॉन है तू यहाँ क्या कर रहा है…फुट ले यहाँ से.

‘अच्छा’ सुनील मुड़ने का नाटक करता है और घूम के एक घूँसा उसके जबड़े पे जड़ देता है.

एक चीख के साथ वो लड़का पीछे हटता है …कविता का हाथ उसके हाथ से छूट जाता है…फिर तो सुनील उसपे पिल पड़ता और लातों घूँसो की बरसात शुरू कर देता है…वो लड़का संभलने की और लड़ने की कोशिश करता है पर सुनील उसपे बहुत भारी पड़ता है.

कविता काँपती हुई सोनल से चिपक जाती है और सुनील का ये रूप देख थर थर काँपने लगती है.


भीड़ इकट्ठी हो जाती है कुछ लड़के सुनील को अलग करते हैं उस लड़के से …सुनील सब को झटक देता है….’सालों मेरी बहन पे गंदी नज़र डाली तो चीर के रख दूँगा’

फिर सुनील ….कविता की तरफ मुड़ता है…….अब मैं तुम्हारी कुछ नही सुनूँगा…..जाओ अपना समान पॅक करो ….सोनल साथ में जाओ मैं कॉलेज अथॉरिटीज़ से बात करता हूँ माइग्रेशन की.

सोनल कविता को ले उसके हॉस्टिल की तरफ चली जाती है और सुनील प्रिन्सिपल को अपने अपने कॉलेज से आक्सेप्टेन्स लेटर दिखाता है और कविता का माइग्रेशन सर्टिफिकेट ले लेता है.

रात को ये लोग वहीं मुंबई के एक होटेल में रुक जाते हैं और सुनील अगले दिन सुबह की फ्लाइट की टिकेट्स ले लेता है तीनो की.

कविता को तो कुछ समझ ही नही आ रहा था कि हो क्या रहा है उसके साथ. अगर सोनल साथ में ना होती तो कविता किसी भी कीमत पे सुनील के साथ अकेली नही जाती. यही सोच कर सुनील सोनल को साथ लाया था.

सुनील ने दो कमरे बुक किए थे होटेल में…एक उसका और सोनल का और एक कविता का.

शाम को तीनो ने एक साथ कॉफी और स्नॅक्स लिए.

सुनील : कविता मैं सारा इंतेज़ाम कर के आया था…तुम मेरे ही कॉलेज में अपनी एमबीबीएस कंटिन्यू रखोगी……और मैं भी एमबीबीएस कर रहा हूँ…तुम्हारे साथ तुम्हारी बहन रूबी भी होगी जो उसी कॉलेज से एमबीबीएस कर रही है.

अच्छा मैं थोड़ी देर में आता हूँ…तुम दोनो बातें करो.

सुनील के जाने के बाद.

सोनल : कविता ….अपने भाई को तो भाई बोलना पर मुझे भाभी नही …नाम से ही बुलाना…अब इतनी बड़ी भी नही हूँ…हम दोनो दो सहेलियों की तरहा रहेंगे…क्यूँ ठीक है ना.

कविता……भाभी मुझे तो कुछ समझ नही आ रहा….कल तक मेरा कोई नही था माँ के सिवाय और आज अचानक इतने रिश्ते पैदा हो गये.

सोनल…फिर भाभी….ये नही चलेगा …..अगर नाम नही लेना चाहती तो दीदी बोल सकती हो…पर नो भाभी बिज़्नेस …ऑक्वर्ड लगता है यार.

कविता …..अच्छा दीदी बुलाउन्गी …

सोनल……मुँह बनाते हुए ….क्या यार मैं तो एक सहेली ढूँढ रही थी…तुमने फिर रिश्ता चिपका दिया.

कविता…क्यूँ दीदी भी तो सहेली हो सकती है.

सोनल….चलो ठीक है…चलेगा…..तुम मुझे दीदी ही बुलाना.
घर में तुम्हारी एक और भाभी है…मिनी…उसे भाभी ही बुलाना…क्यूंकी वो तुम्हारे बड़े भाई रमण की वाइफ है.

कविता के चेहरे पे उदासी ही थी….

सोनल….आए मेरी गुड़िया….ये उदासी क्यूँ ….बता क्या बात है……

कविता ………..माँ की बहुत याद आती है……

सोनल….जो चले जाते हैं वो याद तो हमेशा आते हैं…….पर रो कर उन्हें याद नही करना चाहिए..वरना उनकी आत्मा को तकलीफ़ होगी.हम उनकी जगह तो नही ले सकते पर इतना ज़रूर है तुझे माँ ,भाई और बहन का भरपूर प्यार मिलेगा…कोशिश करेंगे जो इतने सालों में तूने खोया है उसकी भरपाई कर सकें.

‘दीदी’ कविता सोनल से लिपट रोने लगी…..

‘रोती क्यूँ है पगली…अब तो हँसने के दिन आए हैं..बहुत रो लिया तूने’

‘इतना प्यार मत दो दीदी सह नही पाउन्गि’

तभी सुनील अंदर आता है.

‘अरे मेरी बहन को रुला क्यूँ दिया …बहुत ग़लत बात है ये सोनल.

‘नही भाई दीदी ने नही रुलाया…बस इनका प्यार महसूस कर अपने आप ही रोना निकल गया.’

‘पगली…..चल अब मुस्कुरा ….और ये ले तेरे भाई और भाभी की तरफ से पहला तोहफा’

सुनील उसे एक नया एनड्रॉड फोन देता है.

कविता हैरानी से उसे देखती है.

सोनल ….ले ले भाई प्यार से दे रहा है…ना नही करते भाई की गिफ्ट्स को.

कविता …फोन लेलेति है.

सुनील ….खाने का क्या प्रोग्राम है…रूम में खाएँ या फिर रेस्टोरेंट में चलें…

सोनल…रेस्टोरेंट में ही चलते हैं.
 
खाने के बाद सुनील को होटेल में एक अच्छा बुटीक दिखा वो दोनो को वहाँ ले गया. कविता के बार बार मना करने पर भी उसने कविता के लिए 6 साड़ी और 6 सूट खरीद डाले, कुछ सोनल और सुमन के लिए लिए फिर सवी, मिनी और रूबी के लिए भी ले लिए.

अगले दिन की फ्लाइट से ये देल्ही पहुँच गये.


घर पहुँचे तो सुमन और सवी ने कविता की आरती उतारी फिर घर में ले गयी.

सवी ने उसे अपने गले से लगा लिया……मैं तेरी माँ की जगह तो नही ले सकती…पर अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूँगी तुझे माँ की कमी महसूस ना हो.

‘माँ’ कविता रो पड़ी.

‘बस मेरी बच्ची बहुत रो लिया….अब नही…एक आँसू भी नही ‘

‘रूबी जा अपनी बहन को अंदर ले जा….आज से ये तेरे साथ ही रहेगी.

रात को सब एक साथ खाना खाते हैं….रूबी और कविता दोनो हम उम्र थी …उनके बीच जल्दी ही दोस्ती हो गयी. सुनील रमण से भी मिला उसका हाल चाल पूछा रात को सवी कविता और रूबी के पास ही रही …..दोनो बेटियाँ और माँ जाने कितनी देर तक बातें करती रही.

मिनी कमरे से बहुत कम बाहर निकलती थी…क्यूंकी रमण को कब क्या ज़रूरत पड़ जाए इसलिए वो 24 घंटे वहीं रमण के पास रहती थी. बाहर निकलती बस तब जब किचन से कुछ लेना होता था.

रात को सूमी, सोनल और सुनील एक ही कमरे में थे….सोनल ने दरवाजा और खिड़की अच्छी तरहा बंद कर लिया था.

सुनील …..सुमन की गोद में सर रख लेट गया….

‘यार मैं सोच रहा था कि सवी को समझाया जाए जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए…..वो अपना प्रोफ़ेसर. रविकान्त अच्छा बंदा है…पता नही क्यूँ अभी तक बॅचलर ही रहा……क्या कहती हो.’

‘वो नही मानेगी ….’

‘समझा तो सकते हैं ना ….मैं नही चाहता फिर उसके अंदर दबी हुई मेरे लिए जो भावनाएँ थी ज़ोर पकड़ लें….आख़िर उसकी भी ज़रूरत है….बात सिर्फ़ सेक्स की नही एक जीवन साथी की है ….जिसकी उसे बहुत ज़रूरत है…..’

‘देखते हैं कोशिश करेंगे …उठो ज़रा….’

सुनील उसकी गोद से उठ गया और सोनल की गोद में सर रख लेट गया सोनल उसके बालों में हाथ फेरने लगी.

सुमन ने अपने कपड़े उतारे और वहीं एक बहुत छोटी लिंगेरी पहन ली ……फिर ड्रेसिंग टेबल की ड्रायर से अपना समान निकाल सुहागन का मेक अप करने लगी…….

सोनल को ये देख बहुत दुख हुआ…उसकी आँखें डबडबा गयी …कितनी पीड़ा होती होगी…दिन में विधवा का रूप लेने पर….ये सिफ वही समझ सकता है…जो इसे झेल रहा हो….लेकिन

सोनल को सूमी के दिल से निकलती हुई दर्द भरी आँहें सुनाई दे रही थी…और यही हाल सुनील का भी था.

जब सुमन तयार हो गयी तो कयामत लग रही थी……..सुनील तो बस उसे देखता ही रह गया.

‘दीदी में अपना वॉर्डरोब यहीं शिफ्ट कर लूँ …..अपना कमरा में सवी को देदेति हूँ ……वो तीन एक कमरे में कैसे रहेंगी ……’

सुनील……नही उनका बेड बदल के बड़ा कर देते हैं…मैं नही चाहता कि सवी रात को अकेली रहे….और तुम्हारा कमरा अभी अलग ही होना चाहिए……हां अपनी कुछ ड्रेस यहाँ शिफ्ट कर लो.

‘ओके…..आज तो दीदी की ही ड्रेस पहननि पड़ेगी…निकाल दो ना दीदी कुछ…..’

‘सब तेरा है…जो दिल करे पहन ले’

सुनील उसकी गोद से उठ जाता है और बिस्तर पे सीधा लेट जाता है…..

सोनल…उठ के वॉर्डरोब छानने लगती है और बिल्कुल वैसे ही लाइनाये निकाल बाथरूम में घुस जाती है.

सूमी …..तुम भी तो कपड़े बदल लो…….

सुनील …उसे आने दो…नहा के ही बदलूँगा. निकाल दो कोई भी नाइट सूट.

सूमी उठ के सुनील के लिए नाइट सूट निकाल के रख देती है.

सोनल जब बाथरूम से निकली तो सुनील के मुँह से आह निकल गयी…आज ये दोनो शायद सुनील की अच्छी तरहा वाट लगने वाली थी.

सुनील बाथ रूम में घुस्स गया …..

जब सुनील बाथरूम से बाहर निकला तो तीन वाइन ग्लास तयार पड़े थे और सूमी और सोनल दोनो एक दूसरे से चिपकी एक दूसरे के जिस्म को सहला रही थी…..दोनो ने अपने होंठ….सुनील के लिए बचा रखे थे और आज दोनो ने एक ही फ्लेवर का लीप ग्लॉस लगाया था. दोनो को चिपका देख सुनील का लंड छलांगे मारने लगा

सुनील बिस्तर पे बैठ अपनी दोनो बीवियों का प्यार देखने लगा ….दोनो एक दूसरे के जिस्म को सहला रही थी…टाँगें आपस में रगड़ रही थी और एक दूसरे के मम्मे दबाते हुए सिसकियाँ भर रही थी. इंतेज़ार था दोनो को सुनील का……उसके कड़क हाथों का….उसके तपते हुए होंठों का और उसके कड़क लंड का.

दोनो की नज़र सुनील पे पड़ी जो उन्हें देख मुस्कुरा रहा था और एक दम उसपे झपटी और बीच में खींच लिया ….शायद दोनो ने ही आपस में तय कर रखा था कि कॉन क्या करेगी…सूमी के होंठ सुनील के होंठों से चिपक गये और सोनल ने उसके पाजामा को ढीला कर उसके खड़े लंड को अपने हाथ में ले लिया और सहलाने लगी.

सुनील सूमी के होंठों के स्वाद में खो गया और जब सोनल ने उसके लंड को सहलाना शुरू किया तो झटका लगा उसे ….दोनो एक साथ उसे प्यार कर रही थी…….कुछ देर बाद सुमन हट गयी और उसकी जगह सोनल ने अपने होंठ सुनील के होंठों से चिपका दिए…..सूमी ने अपनी लिंगेरी उतार फेंकी और पीछे जा कर सोनल की भी लाइनाये उतार डाली…अब दोनो ब्रा और पैंटी में थी.
 
सुनील ने अपना पोज़ बदला और दोनो को एक साथ चिपका पीठ के बल लिटा दिया और दोनो के ऊपर आ गया अब सुनील का आधा बदन सूमी के उपर था और आधा सोनल के उपर. एक साथ दोनो के उरोज़ मसल्ने लग गया और कभी सूमी के होंठ चूस्ता तो कभी सोनल के. दोनो ही सुनील की पीठ को सहला रही थी.

होंठों की मदिरा अच्छी तरहा पीने के बाद सुनील दोनो के जिस्म पे एक साथ नीचे की तरफ बड़ा और उनकी गर्दन चाटते हुए एक एक कर दोनो की ब्रा खोल डाली ….दोनो की ब्रा में आगे हुक लगा था इस लिए फट से दोनो के उरोज़ नग्न हो गये और एक हल्का भूरा निपल और दूसरा गुलाबी सुनील की ज़ुबान को अपनी तरफ खींचने लगे….सुनील ने सख्ती से दोनो के उरोज़ को एक साथ जोड़ कर भींच दिया और दोनो के एक निपल एक साथ मुँह में डाल दोनो को ही चूसने और काटने लग गया….दोनो ने अपनी बाजू पीछे की तरफ कर डाली ताकि जिस्म और करीब हो जाएँ और दोनो के उरोज़ आपस में साइड से सट गये.

उफफफफफफ्फ़ उम्म्म्मम

चूस लो…अहह

दोनो ही सिसकने लगी और दोनो के हाथ सुनील को अपने उरोज़ पे दबाने लगे.

‘ओह दीदी देखो हम दोनो को एक साथ चूस रहे हैं….उूुउउम्म्म्ममम है बहुत मज़ा आ रहा है…’

‘हां री बहुत मज़ा आ रहा है……’

दोनो अपना चेहरा एक दूसरे की तरफ कर लेती हैं और दोनो के होंठ जैसे एक दूसरे को बुलाने लगे …चेहरे और नज़दीक होते चले गये और दोनो के होंठ एक उसरे से चिपक गये….दोनो एक दूसरे के होंठ चूसने लग गयी …..और सुनील दोनो के निपल एक साथ चूस ने में मस्त था.

जिस्मो की आग काफ़ी बढ़ चुकी थी…सुनील दोनो से अलग हुआ और अपने कपड़े उतार दिए और फिर दोनो की पैंटी खींच कर उतार डाली….दो कुलबुलाती हुई चूत उसे अपने तरफ बुला रही थी….तभी वो हुआ जो सुनील ने सोचा नही था कि दोनो इतना आगे बढ़ जाएँगी और इनके बीच की सारी शर्म स्वाहा हो चुकी होगी.

दोनो ने सुनील को बिस्तर पे लिटा दिया और एक साथ उसके लंड पे टूट पड़ी…एक तरफ से सूमी चाटने लगी और दूसरी तरफ से सोनल.

फिर दोनो ने होंठ उसके लंड पे इस तरहा चिपक गये कि बीच में उसका लंड था और दोनो के होंठ आपस में जुड़ गये ….दोनो की ज़ुबान साथ साथ उसे चाट रही थी और उसके लंड को चाटते हुए दोनो एक दूसरे को चूम भी रही थी….अब इसी तरहा दोनो के होंठ उसके सुपाडे को चूमते और फिर पुर लंड को इसी तरहा चूस्ते हुए जड़ तक जाते…दोनो के होंठों की गर्मी और दो दो ज़ुबानो का अहसास सुनील को पागल करता जा रहा था.

सुनील का लंड और भी सख़्त होता चला गया और उसकी सिसकियाँ निकलने लगी. दोनो जैसे तुली हुई थी उसके लंड को पिघलाने के लिए ….तभी सूमी थोड़ा उपर हुई और सुनील के लंड को मुँह में लेती चली गयी और सोनल ने उसके आंड को मुँह में भर चूसना शुरू कर दिया….तड़प के रह गया सुनील….सूमी के गले में फिसलता हुआ उसका लंड उसे यूँ लग रहा था जैसे किसी टाइट चूत में घुस्स गया हो.

सोनल अलग हो गयी और सूमी से बोली…दीदी मुझे भी तो चूसने दो ना….सूमी ने सुनील का लंड मुँह से निकाल दिया और सोनल ऐसे लपकी जैसे उसका मनपसंद लॉलीपोप मिल गया हो …..सुनील ने सूमी को उपर खींच लिया और उसके होंठ चूसने लग गया और सोनल सुनील के लंड को धीरे धीरे गले तक ले गयी ……..उफफफफफ्फ़ सुनील की तो जान ही निकल गयी …..जो अहसास उसे सोनल के गले तक पहुँचा के मिला था वो बिल्कुल अद्भुत था और सोनल ने आज पहली बार उसके लंड को इतना अंदर तक मुँह में लिया था…सोनल की आँखें उबल पड़ी सांस घुटने लगी पर उसने हिम्मत ना हारी और बार बार लंड को बाहर निकालती फिर चूस्ते हुए गले तक ले जाती.

सुनील को बहुत मज़ा आ रहा था एक तरफ वो सूमी के होंठ चूस्ते हुए उसके उरोज़ मसल रहा था दूसरी तरफ सोनल उसके लंड को चूस्ति जा रही थी इतनी शिद्दत के साथ के सारा माल अभी बाहर निकल पिजाएगी.

दोनो की चूत में खलबली मच चुकी थी….और दोनो ही जानती थी कि एक साथ नही चुद सकती…लंड तो एक ही चूत में जाएगा पहले…….लेकिन सुनील का मूड आज कुछ और था…..वो दोनो को एक साथ मज़े देना चाहता था.

सोनल ने सुनील का लंड मुँह से निकाल दिया और हसरत भरी नज़र से उसे देखने लगी जैसे कह रही हो…अब नही रहा जा रहा….चोद डालो अब…

सुनील ने सूमी को छोड़ दिया और सोनल को सूमी के उपर आने का इशारा किया….सोनल सूमी के उपर आ अपने निपल उसके निपल से रगड़ने लगी और दोनो के होंठ आपस में मिल गये…..कामुकता का तुफ्फान इतना तेज था कि दोनो अपनी चुते एक दूसरे से रगड़ने लगी….सुनील दोनो की टाँगों के बीच आ गया और दोनो की चूत के बीच अपना लंड डाल दिया अब सोनल की चूत और सुमन की चूत के बीच सुनील का लंड था जो दोनो कि रस से भीग रहा था.

दोनो कस के एक दूसरे से सिपक गयी और तेज़ी से एक दूसरे के होंठ चूसने लगी…सुनील के लंड की रगड़ उन्हें पागल किए जा रही थी…और दोनो ही चाहती थी…कि अब लंड अंदर घुस जाए.

तभी सुनील ने अपना लंड बाहर निकाला …सोनल को थोड़ा उपर किया और फॅक से एक ही बार में सूमी की चूत में लंड घुस्सा दिया….बिलबिला उठी सुमन और दर्द के मारे सोनल के होंठ काट बैठी….दोनो की ही चीखे एक दूसरे के होंठों में दब के रह गयी .सोनल थोड़ा और उपर हुई इस तरहा कि सुनील को आसानी हो उसकी चूत में पीछे से लंड डालने को….और यही हुआ….तीन चार बस सूमी की चूत में लंड पूरा बाहर निकाल फिर एक झटके में अंदर डाल सुनील ने सूमी को हिला डाला था….तभी सुनील ने सोनल की चूत से अपने लंड को सेट किया और उसकी कमर पकड़ एक तेज झटका मारा….आआआआआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई सोनल बहुत ज़ोर से चीखी क्यूंकी उसने अपने होंठ सुमन से छुड़ा लिए थे जब

सुमन ने उसके होंठ काट लिए थे.

सुनील ने तेज़ी से तीन चार घस्से मारे…

म्म्म्म्मममममममाआआआआआ उूुुुउउइईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई

सोनल ज़ोर ज़ोर से चीखी……अभी उसकी चीख की आवाज़ कम नही हुई थी कि सूमी की चीख गूँज गयी क्यूंकी सुनील ने सूमी की चूत में खट से लंड घुस्सा डाला था.

फिर तो ताबड़तोड़ सुनील सूमी की चूत में लंड घुसाता और बाहर निकालता…जैसे पागल हो चुका था वो….अहह धीरे धीरे ….उफफफफफफफफ्फ़ उूुुुुुउउइईईईईईईईईईई सूमी की चीखें बुलंद होती जा रही थी…………तभी सोनल ने सूमी के होंठ अपने होंठों से बंद कर दिए और सूमी की चीखें उसके मुँह में ही घुलने लगी 5 मिनट की जबरदस्त चुदाई में सूमी की सारी कसर निकल गयी और वो भरभरा के झड़ने लगी ….उसके नाख़ून सोनल की पीठ में धस गये…….
 
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