hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
हॉस्पिटल पहुच के देखा के रमण की हालत बहुत खराब है – एक लावारिस की तरहा --- रमण सच बोल नही सकता था के बाप ने ही मारा है – इसलिए सब बर्दाश्त कर रहा था – जो भी उसके साथ हो रहा था—
जैसे ही रमण ने सुनील को देखा उसकी मुरझाई आँखों में चमक आ गयी एक ज़रिया मिल गया था उसे रूबी तक पहुँचने का…. लेकिन सुनील की पथरीली आँखों से डर भी गया था.
क्या बात हुई होगी दोनो के बीच ?????
जब इंसान के पास सब कुछ होता है, वो ग़लतियों पे ग़लतियाँ करता चला जाता है. आज हॉस्पिटल में एक लावारिस की तरहा पड़े हुए – जिसके पास उसका कोई अपना नही था – सामने खड़े सुनील की जहर भुजी आँखों को देख – रमण को अहसास होने लगा – रिश्ते क्या होते हैं – उन रिश्तों को कैसे निभाया जाता है – रूबी की ही उम्र का – उसका छोटा – भाई – कैसे ज़िम्मेदारियाँ उठा रहा था – और खुद उसने क्या किया – ये अहसास मौत से कम नही था – रमण के लिए …. सीखा ---- पर बहुत देर बाद सीखा---- आगे क्या होगा – कॉन सा – रास्ता उसे चुनना है – ये उन आँखों की चकाचोंध--- के आगे वो सोच नही पा रहा था --- बस एक अहसास बाकी रह गया था --- दिल से रूबी का साथ देने का…… वो बड़ा था… आज महसूस कर रहा था …. सच्चे दिल से …. उसने क्या गुनाह किया था….छोटी बहन को प्यार के सपने दिखाए…. और उन सपनो में खुद ही आग लगा दी …. ये गुनाह ऐसा था… जिसकी सज़ा मोत भी कम थी …. एक ऐसी मोत…जो दूसरों को सबक दे….
रमण की आँखें कुछ कह रही थी --- उन आँखों में गुनाह का अहसास था --- एक ऐसा अहसास जिसे खुद सुनील पहली बार देख रहा था --- अभी सुनील ने जिंदगी के रंग देखे ही कहाँ थे ---- वो तो बस --- सागर की छाँव – में पनपता रहा --- आज दुनिया उसे वो रंग दिखा रही थी – जिनसे वो अंजान था --- एक भाई उसके सामने --- अपने आप से लड़ता हुआ दिख रहा था --- एक भाई जिसने अपनी ही बहन का दिल तोड़ा था --- आज उस गुनाह के बोझ तले दबा हुआ…..अपनी डूबती आँखों से … माफी माँगता हुआ दिख रहा था…. कोई और पल होता तो शायद सुनील उसके मुँह पे थूक के चला जाता…..लेकिन सागर ने उसे कुछ और ही सीखाया था….उसे उस टूटी हुई बहन की आस फिर से बनती हुई नज़र आ रही थी …. हालाँकि ये उसे पसंद नही था… पर उसने रूबी की आँखों में बसे दर्द को देखा था… उसे बिना कुछ कहे समझा था…. प्यूबर्टी --- दा ज़ोन ऑफ एरर्स…. ये उसे सागर ने समझाया था….इसीलिए तो वो सोनल का प्यार कबूल नही कर पा रहा था --- इसीलिए तो सुमन उसे सिड्यूस नही कर पाई थी (जब वो समर के नशे में थी--- जब वो समर को सही समझती थी)
तुम दिल की धड़कन में रहते हो, तुम रहते हो
तुम दिल की धड़कन में रहते हो, रहते हो -
मेरी इन साँसों से कहते हो, कहते हो
बाहों में आजाओ, सपनों में खोजाओ
तुम दिल की धड़कन में रहते हो, रहते हो
ह्म ह्म ह्म..
दीवानो सा हाल हुआ, हम को उनसे प्यार हुआ
दीवानो सा हाल हुआ, हम को तो उनसे प्यार हुआ
धीरे से वो पास आए, चुपके से इज़हार हुआ
अब ना किसीसे डरना है, संग जीना मरना है
बाहों में आजाओ, सपनों में खोजाओ
तुम दिल की धड़कन में रहते हो, रहते हो
ये अहसास रमण को रूबी को खोने के बाद हुआ...... और अब उस अहसास के तले उसकी जान निकल रही थी.
उसकी आँखें सुनील से भी माफी माँग रही थी.
सुनील ने विक्की को अकेला छोड़ने को कहा.
'कुछ कहना है ....' सुनील बस इतना ही बोला.
एक ठंडी सांस भरते हुए रमण बस इतना बोला ' उससे कहना मेरी एक ग़लती माफ़ कर दे'
'बहुत प्यार करते हो रूबी से?????'
'जान से ज़यादा.....'
'क्या करोगे उसके लिए' सुनील खुद नही जानता था वो क्या बोल रहा है - उसका क्या मतलब है - इस वक़्त बस उस बहन की आँखों में बसे दर्द को दूर करना चाहता था'
'जो तुम कहो'
'जब तक उसकी डिग्री पूरी नही हो जाती --- तुम उससे दूर रहो गे ---- उस के बाद --- उस के बाद अगर उसके दिल में तुम्हारे लिए कुछ भी हुआ..... तो मैं खुद उसे ले के तुम्हारे पास आउन्गा' सुनील ये कैसे बोल गया ---- कैसे उसने इन्सेस्ट कबूल कर लिया....... ये शायद वो बाद में सोचेगा.... पर अभी उसके दिमाग़ में रूबी और उसका दर्द था.
रमण को यूँ लगा उसे फिर से जिंदगी मिल गयी..... वो बिलख बिलख के रोने लगा.
सुनील जो अब तक उस से दूर खड़ा था.... उसके पास जा के बैठ गया.
'क्यूँ किया था ऐसा....... कोई और लड़की नही मिली थी ....... मैं इतना बड़ा नही.... ये सब समझ सकूँ...... पर मैने उसकी आँखों में दर्द देखा है.... एक ऐसा दर्द.... जिसे देख मैं सो नही पाता हूँ....... मैं नही जानता.....तुमने क्या ग़लती करी.... लेकिन जो भी किया... उसकी सज़ा मौत से कम नही होनी चाहिए.... पर तुम मर गये .... तो वो भी मर जाएगी... वो रोज पल पल मर रही है.....'
रमण उसे कोई जवाब नही दे पाया.
जैसे ही रमण ने सुनील को देखा उसकी मुरझाई आँखों में चमक आ गयी एक ज़रिया मिल गया था उसे रूबी तक पहुँचने का…. लेकिन सुनील की पथरीली आँखों से डर भी गया था.
क्या बात हुई होगी दोनो के बीच ?????
जब इंसान के पास सब कुछ होता है, वो ग़लतियों पे ग़लतियाँ करता चला जाता है. आज हॉस्पिटल में एक लावारिस की तरहा पड़े हुए – जिसके पास उसका कोई अपना नही था – सामने खड़े सुनील की जहर भुजी आँखों को देख – रमण को अहसास होने लगा – रिश्ते क्या होते हैं – उन रिश्तों को कैसे निभाया जाता है – रूबी की ही उम्र का – उसका छोटा – भाई – कैसे ज़िम्मेदारियाँ उठा रहा था – और खुद उसने क्या किया – ये अहसास मौत से कम नही था – रमण के लिए …. सीखा ---- पर बहुत देर बाद सीखा---- आगे क्या होगा – कॉन सा – रास्ता उसे चुनना है – ये उन आँखों की चकाचोंध--- के आगे वो सोच नही पा रहा था --- बस एक अहसास बाकी रह गया था --- दिल से रूबी का साथ देने का…… वो बड़ा था… आज महसूस कर रहा था …. सच्चे दिल से …. उसने क्या गुनाह किया था….छोटी बहन को प्यार के सपने दिखाए…. और उन सपनो में खुद ही आग लगा दी …. ये गुनाह ऐसा था… जिसकी सज़ा मोत भी कम थी …. एक ऐसी मोत…जो दूसरों को सबक दे….
रमण की आँखें कुछ कह रही थी --- उन आँखों में गुनाह का अहसास था --- एक ऐसा अहसास जिसे खुद सुनील पहली बार देख रहा था --- अभी सुनील ने जिंदगी के रंग देखे ही कहाँ थे ---- वो तो बस --- सागर की छाँव – में पनपता रहा --- आज दुनिया उसे वो रंग दिखा रही थी – जिनसे वो अंजान था --- एक भाई उसके सामने --- अपने आप से लड़ता हुआ दिख रहा था --- एक भाई जिसने अपनी ही बहन का दिल तोड़ा था --- आज उस गुनाह के बोझ तले दबा हुआ…..अपनी डूबती आँखों से … माफी माँगता हुआ दिख रहा था…. कोई और पल होता तो शायद सुनील उसके मुँह पे थूक के चला जाता…..लेकिन सागर ने उसे कुछ और ही सीखाया था….उसे उस टूटी हुई बहन की आस फिर से बनती हुई नज़र आ रही थी …. हालाँकि ये उसे पसंद नही था… पर उसने रूबी की आँखों में बसे दर्द को देखा था… उसे बिना कुछ कहे समझा था…. प्यूबर्टी --- दा ज़ोन ऑफ एरर्स…. ये उसे सागर ने समझाया था….इसीलिए तो वो सोनल का प्यार कबूल नही कर पा रहा था --- इसीलिए तो सुमन उसे सिड्यूस नही कर पाई थी (जब वो समर के नशे में थी--- जब वो समर को सही समझती थी)
तुम दिल की धड़कन में रहते हो, तुम रहते हो
तुम दिल की धड़कन में रहते हो, रहते हो -
मेरी इन साँसों से कहते हो, कहते हो
बाहों में आजाओ, सपनों में खोजाओ
तुम दिल की धड़कन में रहते हो, रहते हो
ह्म ह्म ह्म..
दीवानो सा हाल हुआ, हम को उनसे प्यार हुआ
दीवानो सा हाल हुआ, हम को तो उनसे प्यार हुआ
धीरे से वो पास आए, चुपके से इज़हार हुआ
अब ना किसीसे डरना है, संग जीना मरना है
बाहों में आजाओ, सपनों में खोजाओ
तुम दिल की धड़कन में रहते हो, रहते हो
ये अहसास रमण को रूबी को खोने के बाद हुआ...... और अब उस अहसास के तले उसकी जान निकल रही थी.
उसकी आँखें सुनील से भी माफी माँग रही थी.
सुनील ने विक्की को अकेला छोड़ने को कहा.
'कुछ कहना है ....' सुनील बस इतना ही बोला.
एक ठंडी सांस भरते हुए रमण बस इतना बोला ' उससे कहना मेरी एक ग़लती माफ़ कर दे'
'बहुत प्यार करते हो रूबी से?????'
'जान से ज़यादा.....'
'क्या करोगे उसके लिए' सुनील खुद नही जानता था वो क्या बोल रहा है - उसका क्या मतलब है - इस वक़्त बस उस बहन की आँखों में बसे दर्द को दूर करना चाहता था'
'जो तुम कहो'
'जब तक उसकी डिग्री पूरी नही हो जाती --- तुम उससे दूर रहो गे ---- उस के बाद --- उस के बाद अगर उसके दिल में तुम्हारे लिए कुछ भी हुआ..... तो मैं खुद उसे ले के तुम्हारे पास आउन्गा' सुनील ये कैसे बोल गया ---- कैसे उसने इन्सेस्ट कबूल कर लिया....... ये शायद वो बाद में सोचेगा.... पर अभी उसके दिमाग़ में रूबी और उसका दर्द था.
रमण को यूँ लगा उसे फिर से जिंदगी मिल गयी..... वो बिलख बिलख के रोने लगा.
सुनील जो अब तक उस से दूर खड़ा था.... उसके पास जा के बैठ गया.
'क्यूँ किया था ऐसा....... कोई और लड़की नही मिली थी ....... मैं इतना बड़ा नही.... ये सब समझ सकूँ...... पर मैने उसकी आँखों में दर्द देखा है.... एक ऐसा दर्द.... जिसे देख मैं सो नही पाता हूँ....... मैं नही जानता.....तुमने क्या ग़लती करी.... लेकिन जो भी किया... उसकी सज़ा मौत से कम नही होनी चाहिए.... पर तुम मर गये .... तो वो भी मर जाएगी... वो रोज पल पल मर रही है.....'
रमण उसे कोई जवाब नही दे पाया.