hotaks444
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सुनील भागता हुआ होटेल की रिसेप्षन पे पहुँचा अपनी टिकेट्स दी और हर कीमत पे सबसे पहली फ्लाइट देल्ही के लिए जो थी उसकी कन्फर्मेशन के लिए रिक्वेस्ट करी.
टिक टिक टिक एक एक सेकेंड सुमन और सुनील को भारी पड़ रहा था. रात थी के ख़तम होने का नाम ही नही ले रही थी.
दो घंटे बीत गये और एक एसएमएस आया सुनील के मोबाइल पे
मेसेज जिस तरहा लिखा गया था टूटा फूटा ये सॉफ बता रहा था कि लिखने वाले ने बड़ी मुश्किल से लिखा था.
वो मेसेज था सागर का सुनील के नाम
एक ज़िम्मेदारी दे के जा रहा हूँ - रीप्लेस मी ---- इन दा लाइफ ऑफ युवर मोम --- सेव रूबी ----- लव यू - मेरा ये आखरी हू....कू...म ....................
सागर को दो मेसेज आए थे -----
1. पहला रूबी से ---- सेव मी अंकल ------ रमण के साथ होने वाले हादसे के बाद वो बहुत ही टूट गयी थी और जब भी उसे एमोशनल सहारे की ज़रूरत पड़ती थी - वो सागर से ही बात करती थी - एक बेटी --- जिसे ये नही मालूम था कि वो अपने बाप का ही सहारा ले रही है --- उसका बाप ही उसे हर - मुश्किल से लड़ने में मदद करता है.
2. दूसरा मेसेज था रमण का जो ग़लती से सागर के पास आया था.
रमण के मोबाइल में रूबी के नंबर के एक दम बाद सागर का ही नंबर था.
समर और सविता घर वापस आ चुके थे - लेकिन रूबी अपनी सहेली के घर से वापस नही आई थी. रमण रूबी को खोना नही चाहता था ---- उसने ये मेसेज रूबी को भेजा --- जो सागर को मिला ...........
परवरिश का कितना फरक पड़ता है बच्चों पे – इसका उधारण ये कहानी दे रही है कहाँ एक तरफ एक भाई –रमण दो साल से अपनी बहन को भोग रहा था और कज़िन के बारे में सोचने लगा था और दूसरी तरफ सुनील अपनी तरफ बढ़ते हुए अपनी बहन और अपनी माँ के कदमो को रोकने की हर तरहा से कोशिश कर रहा था.
खैर आते हैं कहानी पे.
सागर को जब होश आया तो सोनल उसके पास ही थी आइसीयू रूम में एक डॉक्टर होने के नाते.
सागर जान गया था वो बच नही पाएगा और जब तक सुमन और सुनील आते कहीं देर ना हो जाए – उसे सुनील से कुछ कहना था – एक ज़िम्मेदारी देनी थी ---- वो जानता था सुमन उसके बाद टूट जाएगी और सुमन की जिस्मानी ज़रूरतें अधूरी रह जाएँगी – शायद अब वो समर से कोई रिश्ता नही रखना चाहता था और उसे सिर्फ़ एक ही शक्स पे भरोसा था जो सुमन को दिल से प्यार कर पाएगा – इसलिए उसने सुनील को ये मेसेज भेज दिया – रीप्लेस मी – इन युवर मोम’स लाइफ.
जब सागर मेसेज भेज चुका था सोनल ने उससे मोबाइल ले लिया पर वो ये नही देख पाई थी कि सागर ने क्या मेसेज भेजा और किसको भेजा.
सागर ने सोनल को धीमे स्वर में इतना कहा – कि उसका मोबाइल सुनील को दे दिया जाए. ये आखरी अल्फ़ाज़ थे सागर के. क्या बताना चाहता था सागर सुनील को--- शायद वो उसे उस मेसेज को दिखाना चाहता था – जो रमण रूबी को भेजना चाहता था पर ग़लती से सागर को भेज बैठा.
वो मेसेज ये था.
- रूबी मेरी जान, एक ग़लती की इतनी बड़ी सज़ा मत दो. लॉट आओ यार तड़प रहा हूँ तुम्हारे लिए – दो साल से हम साथ है एक दूसरे को अच्छी तरहा समझते हैं – माफ़ करदो प्लीज़. देखो पुरानी यादों को अब तक मैने संभाल के रखा है – ये एक सेल्फी थी जिसमे रमण और रूबी नंगे एक दूसरे से चिपके हुए थे.
इसके बाद रूबी का मेसेज – सेव मी अंकल
उसकी बेटी का शोषण दो साल से हो रहा था और वो अंजान रहा – ये बात वो सहन नही कर पाया – रूबी हमेशा उसके दिल में बसती थी – उसकी वो बेटी जिसे वो अपनी बाँहों में नही झूला सका – जिसे वो बाप का प्यार नही दे सका – उस बेटी का शोसन उसका ही भाई कर रहा था. ये बात सागर की जान ले बैठी – उसके पास अब एक ही सहारा था – एक ही रास्ता बच गया था – उसकी जान उसका बेटा – सुनील.
सुनील को जब सागर का मेसेज मिला उसे रूबी को सेव करने की बात तो समझ में आई कोई प्राब्लम हो गयी होगी – लेकिन रीप्लेस मी इन युवर मोम’स लाइफ – ये ये पढ़ के तो मोबाइल उसके हाथों से छूट गया –
सुमन ने मोबाइल उठा के वो मेसेज देखा – उस मेसेज के पीछे छुपे सागर के प्यार और उसके दर्द को सुमन समझ गयी – आँखें बरसने लगी दिल और भी ज़ोर से तड़पने लगा अपने प्यार अपने जीवन साथी के पास जल्द से जल्द पहुँचने के लिए.
सुमन ने सागर का नंबर मिलाने की कोशिश करी पर तब तक सोनल उसका मोबाइल ऑफ कर चुकी थी.
सुनील और सुमन बुत बने सुबह का इंतेज़ार कर रहे थे - दोनो की आँखों से आँसू टपक रहे थे.
पत्थर का बुत बनी सोनल अपने पिता के पार्थिव शरीर को देख रही थी – नितांत अकेली – आँखें पथरा गयी – पुकार रही थी – पापा मुझे छोड़ के ना जाओ – पर उसकी ये आवाज़ सुनने वाला जा चुका दूर बहुत दूर जहाँ से कोई कभी लॉट के वापस नही आ सकता था.
हॉस्पिटल के स्टाफ ने सोनल को डॉक्टर्स रूम में किसी तरहा बिठाया – उसके कॉलीग्स ने बहुत कोशिश करी के वो किसी तरहा रो पड़े – लेकिन सारे प्रयास विफल रहे. उसकी आँखें शुन्य को देख रही थी – इंतेज़ार कर रही थी किसी का.
रात किसी तरह बीती और सुबह सुमन और सुनील एरपोर्ट भागे – होटेल के स्टाफ ने किसी तरहा उनकी बुकिंग करवा दी थी.
दोपहर तक दोनो हॉस्पिटल पहुँच चुके थे जहाँ सागर का पार्थिव जिस्म उनका इंतेज़ार कर रहा था.
सागर को देख सुमन रो पड़ी – उसका प्यार उसे छोड़ के जा चुका था. सुनील तो पत्थर बन गया था – रो भी नही सकता था – अब उसे ज़िम्मेदारी उठानी थी अपनी बहन की अपनी माँ की. जैसे ही सुनील – सोनल के सामने गया – सोनल की आँखों की चमक लॉट आई – वो सुनील के सीने पे मुक्के मारते हुए रोने लगी और सुनील की बाँहों में बेहोश हो गयी.
सुनील ने सुमन को भी संभालने की कोशिश करी – पर क्या करता – एक औरत का सुहाग उसे छोड़ गया था हमेशा के लिए – एक औरत का प्यार उसे छिन गया था. एक पत्नी बेवा बन गयी थी. –
डॉक्टर्स ने सोनल की देखभाल की और वो कुछ देर बाद होश में आ गयी.
सुनील ने हिम्मत दिखाई और माँ बेटी को घर ले गया अपने पिता के पार्थिव जिस्म के साथ.
सागर के सभी दोस्त पहुँच गये – जैसे ही समर और सविता पहुँचे – सुनील का पारा चढ़ गया.
टिक टिक टिक एक एक सेकेंड सुमन और सुनील को भारी पड़ रहा था. रात थी के ख़तम होने का नाम ही नही ले रही थी.
दो घंटे बीत गये और एक एसएमएस आया सुनील के मोबाइल पे
मेसेज जिस तरहा लिखा गया था टूटा फूटा ये सॉफ बता रहा था कि लिखने वाले ने बड़ी मुश्किल से लिखा था.
वो मेसेज था सागर का सुनील के नाम
एक ज़िम्मेदारी दे के जा रहा हूँ - रीप्लेस मी ---- इन दा लाइफ ऑफ युवर मोम --- सेव रूबी ----- लव यू - मेरा ये आखरी हू....कू...म ....................
सागर को दो मेसेज आए थे -----
1. पहला रूबी से ---- सेव मी अंकल ------ रमण के साथ होने वाले हादसे के बाद वो बहुत ही टूट गयी थी और जब भी उसे एमोशनल सहारे की ज़रूरत पड़ती थी - वो सागर से ही बात करती थी - एक बेटी --- जिसे ये नही मालूम था कि वो अपने बाप का ही सहारा ले रही है --- उसका बाप ही उसे हर - मुश्किल से लड़ने में मदद करता है.
2. दूसरा मेसेज था रमण का जो ग़लती से सागर के पास आया था.
रमण के मोबाइल में रूबी के नंबर के एक दम बाद सागर का ही नंबर था.
समर और सविता घर वापस आ चुके थे - लेकिन रूबी अपनी सहेली के घर से वापस नही आई थी. रमण रूबी को खोना नही चाहता था ---- उसने ये मेसेज रूबी को भेजा --- जो सागर को मिला ...........
परवरिश का कितना फरक पड़ता है बच्चों पे – इसका उधारण ये कहानी दे रही है कहाँ एक तरफ एक भाई –रमण दो साल से अपनी बहन को भोग रहा था और कज़िन के बारे में सोचने लगा था और दूसरी तरफ सुनील अपनी तरफ बढ़ते हुए अपनी बहन और अपनी माँ के कदमो को रोकने की हर तरहा से कोशिश कर रहा था.
खैर आते हैं कहानी पे.
सागर को जब होश आया तो सोनल उसके पास ही थी आइसीयू रूम में एक डॉक्टर होने के नाते.
सागर जान गया था वो बच नही पाएगा और जब तक सुमन और सुनील आते कहीं देर ना हो जाए – उसे सुनील से कुछ कहना था – एक ज़िम्मेदारी देनी थी ---- वो जानता था सुमन उसके बाद टूट जाएगी और सुमन की जिस्मानी ज़रूरतें अधूरी रह जाएँगी – शायद अब वो समर से कोई रिश्ता नही रखना चाहता था और उसे सिर्फ़ एक ही शक्स पे भरोसा था जो सुमन को दिल से प्यार कर पाएगा – इसलिए उसने सुनील को ये मेसेज भेज दिया – रीप्लेस मी – इन युवर मोम’स लाइफ.
जब सागर मेसेज भेज चुका था सोनल ने उससे मोबाइल ले लिया पर वो ये नही देख पाई थी कि सागर ने क्या मेसेज भेजा और किसको भेजा.
सागर ने सोनल को धीमे स्वर में इतना कहा – कि उसका मोबाइल सुनील को दे दिया जाए. ये आखरी अल्फ़ाज़ थे सागर के. क्या बताना चाहता था सागर सुनील को--- शायद वो उसे उस मेसेज को दिखाना चाहता था – जो रमण रूबी को भेजना चाहता था पर ग़लती से सागर को भेज बैठा.
वो मेसेज ये था.
- रूबी मेरी जान, एक ग़लती की इतनी बड़ी सज़ा मत दो. लॉट आओ यार तड़प रहा हूँ तुम्हारे लिए – दो साल से हम साथ है एक दूसरे को अच्छी तरहा समझते हैं – माफ़ करदो प्लीज़. देखो पुरानी यादों को अब तक मैने संभाल के रखा है – ये एक सेल्फी थी जिसमे रमण और रूबी नंगे एक दूसरे से चिपके हुए थे.
इसके बाद रूबी का मेसेज – सेव मी अंकल
उसकी बेटी का शोषण दो साल से हो रहा था और वो अंजान रहा – ये बात वो सहन नही कर पाया – रूबी हमेशा उसके दिल में बसती थी – उसकी वो बेटी जिसे वो अपनी बाँहों में नही झूला सका – जिसे वो बाप का प्यार नही दे सका – उस बेटी का शोसन उसका ही भाई कर रहा था. ये बात सागर की जान ले बैठी – उसके पास अब एक ही सहारा था – एक ही रास्ता बच गया था – उसकी जान उसका बेटा – सुनील.
सुनील को जब सागर का मेसेज मिला उसे रूबी को सेव करने की बात तो समझ में आई कोई प्राब्लम हो गयी होगी – लेकिन रीप्लेस मी इन युवर मोम’स लाइफ – ये ये पढ़ के तो मोबाइल उसके हाथों से छूट गया –
सुमन ने मोबाइल उठा के वो मेसेज देखा – उस मेसेज के पीछे छुपे सागर के प्यार और उसके दर्द को सुमन समझ गयी – आँखें बरसने लगी दिल और भी ज़ोर से तड़पने लगा अपने प्यार अपने जीवन साथी के पास जल्द से जल्द पहुँचने के लिए.
सुमन ने सागर का नंबर मिलाने की कोशिश करी पर तब तक सोनल उसका मोबाइल ऑफ कर चुकी थी.
सुनील और सुमन बुत बने सुबह का इंतेज़ार कर रहे थे - दोनो की आँखों से आँसू टपक रहे थे.
पत्थर का बुत बनी सोनल अपने पिता के पार्थिव शरीर को देख रही थी – नितांत अकेली – आँखें पथरा गयी – पुकार रही थी – पापा मुझे छोड़ के ना जाओ – पर उसकी ये आवाज़ सुनने वाला जा चुका दूर बहुत दूर जहाँ से कोई कभी लॉट के वापस नही आ सकता था.
हॉस्पिटल के स्टाफ ने सोनल को डॉक्टर्स रूम में किसी तरहा बिठाया – उसके कॉलीग्स ने बहुत कोशिश करी के वो किसी तरहा रो पड़े – लेकिन सारे प्रयास विफल रहे. उसकी आँखें शुन्य को देख रही थी – इंतेज़ार कर रही थी किसी का.
रात किसी तरह बीती और सुबह सुमन और सुनील एरपोर्ट भागे – होटेल के स्टाफ ने किसी तरहा उनकी बुकिंग करवा दी थी.
दोपहर तक दोनो हॉस्पिटल पहुँच चुके थे जहाँ सागर का पार्थिव जिस्म उनका इंतेज़ार कर रहा था.
सागर को देख सुमन रो पड़ी – उसका प्यार उसे छोड़ के जा चुका था. सुनील तो पत्थर बन गया था – रो भी नही सकता था – अब उसे ज़िम्मेदारी उठानी थी अपनी बहन की अपनी माँ की. जैसे ही सुनील – सोनल के सामने गया – सोनल की आँखों की चमक लॉट आई – वो सुनील के सीने पे मुक्के मारते हुए रोने लगी और सुनील की बाँहों में बेहोश हो गयी.
सुनील ने सुमन को भी संभालने की कोशिश करी – पर क्या करता – एक औरत का सुहाग उसे छोड़ गया था हमेशा के लिए – एक औरत का प्यार उसे छिन गया था. एक पत्नी बेवा बन गयी थी. –
डॉक्टर्स ने सोनल की देखभाल की और वो कुछ देर बाद होश में आ गयी.
सुनील ने हिम्मत दिखाई और माँ बेटी को घर ले गया अपने पिता के पार्थिव जिस्म के साथ.
सागर के सभी दोस्त पहुँच गये – जैसे ही समर और सविता पहुँचे – सुनील का पारा चढ़ गया.