hotaks444
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सुमन ने दुनिया देखी थी और उसे समझा था – जैसे ही सुनील ने सख्ती से ये बोला कि और जो बोलना है अभी बोल लो – उसे समझते देर ना लगी कि सुनील अब बहुत आगे निकल चुका है – उसे समझाना पड़ेगा कि हम ग़लती कर रहे हैं - आख़िर उसकी जिंदगी का सवाल है.
‘ अभी तुम्हारी जवानी पे पूरा निखार तक नही आया, और तुम मेरी जैसी अधेड़ औरत के साथ बँध जाओगे तो आगे क्या होगा – मेरा ये रूप जल्दी ढल जाएगा – मेरी उम्र मुझे तुम्हारा साथ ज़्यादा नही देने देगी – बीच रास्ते में तुम्हें छोड़ के चली जाउन्गि – तब क्या करोगे ---- तुम्हारी इच्छा होगी बाप बनने की – पर क्या मैं इस उम्र में बच्चे को जनम दे पाउन्गि ‘
‘बस या अभी और कुछ भी कहना है’
सुनील की आँखें बर्फ की तरहा सर्द हो चुकी थी. ये आँखें सुमन की आँखों में झाँक रही थी – उसके दिल के सही हाल को पढ़ने की कोशिश कर रही थी.
‘मेरी बात समझने की कोशिश करो – मत तबाह करो खुद को मुझे कुछ दिन खुशियाँ देने के लिए’
‘अब बीच में मत बोलना ………बहुत ही सर्द आवाज़ में सुनील बोला………… सुमन हिल के रह गयी सुनील का ये रूप वो पहली बार देख रही थी.
‘तुमने पहली बार अपनी माँग से सिंदूर कब पोन्छा था?’ ये सुनना था कि सुमन की रूह तक तड़प उठी – सुनील अब अपनी मौत का इशारा दे रहा था अगर अब उसने अपनी माँग का सिंदूर पोन्छा.
‘डॅड के जाने के बाद ना …. तो क्या तुम चाहती हो मैं भी वैसे……’ सुमन ने आगे उसे बोलने ना दिया फट से अपने हाथ उसके होंठों पे रख दिए – उसकी आँखों में इस वक़्त एक इल्तीज़ा थी – एक गुहार थी – प्लीज़ ऐसी बातें मत करो तुम्हें कुछ भी हुआ तो मैं भी साथ चलूंगी.
‘ तुम कहती हो उम्र का फ़र्क ---- बच्चे ….. फालना धिमकना…. जानती हो पहली बार मुझे जब अहसास हुआ था कि औरत क्या है उसका प्यार क्या होता है – वो अहसास तुमने दिलाया था …. वो पहला चुंबन – जो मेरे होंठों ने महसूस किया था उसका अहसास तुमने दिया था…. अगर उस वक़्त मर्यादा के बंधन में ना खुद को जकड़ा हुआ पता तो बहुत कुछ हो जाता.
सुमन उस पल को कोसने लगी जब समर की बात मान उसने सुनील को सेक्स लेसन देने शुरू किए थे.
मैं तो तुम्हें उसी वक़्त प्यार कर बैठा था – पर मैं मजबूर था – इज़हार नही कर सकता था – क्यूंकी डॅड का तुमपे हक़ था – अगर तब कुछ हो जाता – तो सारी जिंदगी में डॅड को मुँह दिखाने के लायक नही रहता और ना ही तुमको.
डॅड के जाने के बाद भी बहुत लड़ा हूँ अपने आप से --- बात सिर्फ़ डॅड के हुकुम की होती तो शायद मैं मुकुर जाता…. लेकिन तुम्हारा उदास चेहरा --- तुम्हारे जीवन में जो वीरना आ गया था – तुम्हारी जो तड़प थी – वो भी मुझ से बर्दाश्त नही हो रही थी. अभी तक मैं खुद से लड़ रहा था – इज़हार करते हुए डर रहा था - अब मैं वापस नही लॉट सकता. आइ लव यू.
रही बात बच्चों की – नही होते तो ना सही अडॉप्ट कर लेंगे.’
सुनील चुप हो गया … उसका दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था अब सुमन क्या बोलेगी – क्या वो समझ सकेगी उसके दिल की हालत किस तरहा मर्यादा से लड़ता हुआ वो यहाँ तक पहुँचा था.
सुमन के दिल और दिमाग़ में इस वक़्त आँधियाँ चल रही थी - प्यार तो वो भी सुनील से करने लगी थी - लेकिन उसका फ़र्ज़ आड़े आ गया था. ये क्या कर डाला मैने - क्यूँ समर की बातों में आ गयी - इस वक़्त अगर समर उसके सामने आ जाता तो यक़ीनन उसे मार डालती अंजाम चाहे कुछ भी होता.
सुमन को चुप देख सुनील फिर बोलने लगा ---
'जब प्यार हो जाता है तो वो उम्र,रंग, रूप,उँछ नीच कुछ नही देखता बस हो जाता है. अब भी तुम चाहती हो कि तुम्हारी माँग का सिंदूर पोन्छ दूं - तो तुम्हारे लिए ये भी सही - इतना कमजोर नही हूँ कि मर जाउन्गा --- लेकिन इसका मतलब होगा हम डाइवोर्स ले रहे हैं -- और डाइवोर्स के बाद एक छत के नीचे तो रह नही सकते - मैं अभी इसी वक़्त यहाँ से चला जाउन्गा और फिर कभी वापस नही आउन्गा - एक बात और -- मेरी जिंदगी में अब कोई और नही आ सकता. आज जो पल तुम्हारे साथ बिताएँ हैं वो काफ़ी रहेंगे मुझे सारी जिंदगी साथ देने के लिए. अब तुम अपना आखरी फ़ैसला बता दो'
सुनील ने सुमन के लिए सारे रास्ते बंद कर दिए थे.
'अब भी अगर तुम्हारा दिल इस रिश्ते को मानने को तयार नही है तो एक बार अच्छी तरहा सोच लो --- क्या तुम वाकई में नही चाहती थी कि ये पल हमारी जिंदगी में आए? क्या तुम वाकियी में नही चाहती थी कि मैं डॅड का आखरी हुकुम मानु?
कुछ पल जो हमने साथ बीते - क्या देखा था तुमने मेरी आँखों में - प्यार या वासना?
अब क्या करूँ प्यार कर बैठा...... लेकिन प्यार किसी को मजबूर नही करता -- मैं भी तुम्हें मजबूर नही करूँगा --- मैं जा रहा हूँ अपनी पॅकिंग करने --- आराम से सोच लो'
ये कह के सुनील कमरे से बाहर निकल गया ज़मीन पे पड़ी अपनी शर्ट और बनियान उठाते हुए.
रात सरक चुकी थी भोर होनेवाली थी ---- क्या संदेशा लाएगी ये भोर इनके लिए??
कमरे से जब सुनील बाहर निकला तो एक माँ भी रोई और एक औरत भी. दोनो की जान निकल गयी क्यूंकी दोनो उसके बिना नही जी सकती थी.
भावनाएँ और इच्छाएँ क्या से क्या करवा देती हैं.
सागर ने जब आखरी हुकुम दिया तो सुमन के बारे में सोचा - ये नही सोचा इसका असर क्या पड़ेगा सुनील पे --- वो बस अपने बाद अपने प्यार को खुश देखना चाहता था.
सुमन ने जब समर की बात मानी तो ये नही सोचा --- उसके इस अभियान का अंत क्या होगा ---- क्या गुज़रेगी सुनील पे
आज एक माँ फिर उभर के आ गयी तो वो औरत ये भूल गयी - क्या क्या नही सहा होगा सुनील ने इस राह पे आगे बढ़ने के लिए?
माँ और एक औरत आपस में आँख मिचोली खेलने लग गये . बिकुल सागर की परछाई है --- चुप करा के चला गया --- क्या करूँ? कॉन सा है वो आखरी रास्ता कि माँ भी खुश रहे और औरत भी - ये आखरी रास्ता सुमन को अब जल्द ढूंडना था --- अगर देर हो गयी तो कयि जीवन तबाह हो जाएँगे .
ये जंग थी प्यार की - एक माँ का प्यार और एक प्रेमिका का प्यार - दोनो में से कोई नही हारना चाहता था.
‘ अभी तुम्हारी जवानी पे पूरा निखार तक नही आया, और तुम मेरी जैसी अधेड़ औरत के साथ बँध जाओगे तो आगे क्या होगा – मेरा ये रूप जल्दी ढल जाएगा – मेरी उम्र मुझे तुम्हारा साथ ज़्यादा नही देने देगी – बीच रास्ते में तुम्हें छोड़ के चली जाउन्गि – तब क्या करोगे ---- तुम्हारी इच्छा होगी बाप बनने की – पर क्या मैं इस उम्र में बच्चे को जनम दे पाउन्गि ‘
‘बस या अभी और कुछ भी कहना है’
सुनील की आँखें बर्फ की तरहा सर्द हो चुकी थी. ये आँखें सुमन की आँखों में झाँक रही थी – उसके दिल के सही हाल को पढ़ने की कोशिश कर रही थी.
‘मेरी बात समझने की कोशिश करो – मत तबाह करो खुद को मुझे कुछ दिन खुशियाँ देने के लिए’
‘अब बीच में मत बोलना ………बहुत ही सर्द आवाज़ में सुनील बोला………… सुमन हिल के रह गयी सुनील का ये रूप वो पहली बार देख रही थी.
‘तुमने पहली बार अपनी माँग से सिंदूर कब पोन्छा था?’ ये सुनना था कि सुमन की रूह तक तड़प उठी – सुनील अब अपनी मौत का इशारा दे रहा था अगर अब उसने अपनी माँग का सिंदूर पोन्छा.
‘डॅड के जाने के बाद ना …. तो क्या तुम चाहती हो मैं भी वैसे……’ सुमन ने आगे उसे बोलने ना दिया फट से अपने हाथ उसके होंठों पे रख दिए – उसकी आँखों में इस वक़्त एक इल्तीज़ा थी – एक गुहार थी – प्लीज़ ऐसी बातें मत करो तुम्हें कुछ भी हुआ तो मैं भी साथ चलूंगी.
‘ तुम कहती हो उम्र का फ़र्क ---- बच्चे ….. फालना धिमकना…. जानती हो पहली बार मुझे जब अहसास हुआ था कि औरत क्या है उसका प्यार क्या होता है – वो अहसास तुमने दिलाया था …. वो पहला चुंबन – जो मेरे होंठों ने महसूस किया था उसका अहसास तुमने दिया था…. अगर उस वक़्त मर्यादा के बंधन में ना खुद को जकड़ा हुआ पता तो बहुत कुछ हो जाता.
सुमन उस पल को कोसने लगी जब समर की बात मान उसने सुनील को सेक्स लेसन देने शुरू किए थे.
मैं तो तुम्हें उसी वक़्त प्यार कर बैठा था – पर मैं मजबूर था – इज़हार नही कर सकता था – क्यूंकी डॅड का तुमपे हक़ था – अगर तब कुछ हो जाता – तो सारी जिंदगी में डॅड को मुँह दिखाने के लायक नही रहता और ना ही तुमको.
डॅड के जाने के बाद भी बहुत लड़ा हूँ अपने आप से --- बात सिर्फ़ डॅड के हुकुम की होती तो शायद मैं मुकुर जाता…. लेकिन तुम्हारा उदास चेहरा --- तुम्हारे जीवन में जो वीरना आ गया था – तुम्हारी जो तड़प थी – वो भी मुझ से बर्दाश्त नही हो रही थी. अभी तक मैं खुद से लड़ रहा था – इज़हार करते हुए डर रहा था - अब मैं वापस नही लॉट सकता. आइ लव यू.
रही बात बच्चों की – नही होते तो ना सही अडॉप्ट कर लेंगे.’
सुनील चुप हो गया … उसका दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था अब सुमन क्या बोलेगी – क्या वो समझ सकेगी उसके दिल की हालत किस तरहा मर्यादा से लड़ता हुआ वो यहाँ तक पहुँचा था.
सुमन के दिल और दिमाग़ में इस वक़्त आँधियाँ चल रही थी - प्यार तो वो भी सुनील से करने लगी थी - लेकिन उसका फ़र्ज़ आड़े आ गया था. ये क्या कर डाला मैने - क्यूँ समर की बातों में आ गयी - इस वक़्त अगर समर उसके सामने आ जाता तो यक़ीनन उसे मार डालती अंजाम चाहे कुछ भी होता.
सुमन को चुप देख सुनील फिर बोलने लगा ---
'जब प्यार हो जाता है तो वो उम्र,रंग, रूप,उँछ नीच कुछ नही देखता बस हो जाता है. अब भी तुम चाहती हो कि तुम्हारी माँग का सिंदूर पोन्छ दूं - तो तुम्हारे लिए ये भी सही - इतना कमजोर नही हूँ कि मर जाउन्गा --- लेकिन इसका मतलब होगा हम डाइवोर्स ले रहे हैं -- और डाइवोर्स के बाद एक छत के नीचे तो रह नही सकते - मैं अभी इसी वक़्त यहाँ से चला जाउन्गा और फिर कभी वापस नही आउन्गा - एक बात और -- मेरी जिंदगी में अब कोई और नही आ सकता. आज जो पल तुम्हारे साथ बिताएँ हैं वो काफ़ी रहेंगे मुझे सारी जिंदगी साथ देने के लिए. अब तुम अपना आखरी फ़ैसला बता दो'
सुनील ने सुमन के लिए सारे रास्ते बंद कर दिए थे.
'अब भी अगर तुम्हारा दिल इस रिश्ते को मानने को तयार नही है तो एक बार अच्छी तरहा सोच लो --- क्या तुम वाकई में नही चाहती थी कि ये पल हमारी जिंदगी में आए? क्या तुम वाकियी में नही चाहती थी कि मैं डॅड का आखरी हुकुम मानु?
कुछ पल जो हमने साथ बीते - क्या देखा था तुमने मेरी आँखों में - प्यार या वासना?
अब क्या करूँ प्यार कर बैठा...... लेकिन प्यार किसी को मजबूर नही करता -- मैं भी तुम्हें मजबूर नही करूँगा --- मैं जा रहा हूँ अपनी पॅकिंग करने --- आराम से सोच लो'
ये कह के सुनील कमरे से बाहर निकल गया ज़मीन पे पड़ी अपनी शर्ट और बनियान उठाते हुए.
रात सरक चुकी थी भोर होनेवाली थी ---- क्या संदेशा लाएगी ये भोर इनके लिए??
कमरे से जब सुनील बाहर निकला तो एक माँ भी रोई और एक औरत भी. दोनो की जान निकल गयी क्यूंकी दोनो उसके बिना नही जी सकती थी.
भावनाएँ और इच्छाएँ क्या से क्या करवा देती हैं.
सागर ने जब आखरी हुकुम दिया तो सुमन के बारे में सोचा - ये नही सोचा इसका असर क्या पड़ेगा सुनील पे --- वो बस अपने बाद अपने प्यार को खुश देखना चाहता था.
सुमन ने जब समर की बात मानी तो ये नही सोचा --- उसके इस अभियान का अंत क्या होगा ---- क्या गुज़रेगी सुनील पे
आज एक माँ फिर उभर के आ गयी तो वो औरत ये भूल गयी - क्या क्या नही सहा होगा सुनील ने इस राह पे आगे बढ़ने के लिए?
माँ और एक औरत आपस में आँख मिचोली खेलने लग गये . बिकुल सागर की परछाई है --- चुप करा के चला गया --- क्या करूँ? कॉन सा है वो आखरी रास्ता कि माँ भी खुश रहे और औरत भी - ये आखरी रास्ता सुमन को अब जल्द ढूंडना था --- अगर देर हो गयी तो कयि जीवन तबाह हो जाएँगे .
ये जंग थी प्यार की - एक माँ का प्यार और एक प्रेमिका का प्यार - दोनो में से कोई नही हारना चाहता था.