Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी - Page 8 - SexBaba
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Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी

सुमन ने दुनिया देखी थी और उसे समझा था – जैसे ही सुनील ने सख्ती से ये बोला कि और जो बोलना है अभी बोल लो – उसे समझते देर ना लगी कि सुनील अब बहुत आगे निकल चुका है – उसे समझाना पड़ेगा कि हम ग़लती कर रहे हैं - आख़िर उसकी जिंदगी का सवाल है.

‘ अभी तुम्हारी जवानी पे पूरा निखार तक नही आया, और तुम मेरी जैसी अधेड़ औरत के साथ बँध जाओगे तो आगे क्या होगा – मेरा ये रूप जल्दी ढल जाएगा – मेरी उम्र मुझे तुम्हारा साथ ज़्यादा नही देने देगी – बीच रास्ते में तुम्हें छोड़ के चली जाउन्गि – तब क्या करोगे ---- तुम्हारी इच्छा होगी बाप बनने की – पर क्या मैं इस उम्र में बच्चे को जनम दे पाउन्गि ‘

‘बस या अभी और कुछ भी कहना है’

सुनील की आँखें बर्फ की तरहा सर्द हो चुकी थी. ये आँखें सुमन की आँखों में झाँक रही थी – उसके दिल के सही हाल को पढ़ने की कोशिश कर रही थी.

‘मेरी बात समझने की कोशिश करो – मत तबाह करो खुद को मुझे कुछ दिन खुशियाँ देने के लिए’
‘अब बीच में मत बोलना ………बहुत ही सर्द आवाज़ में सुनील बोला………… सुमन हिल के रह गयी सुनील का ये रूप वो पहली बार देख रही थी.
‘तुमने पहली बार अपनी माँग से सिंदूर कब पोन्छा था?’ ये सुनना था कि सुमन की रूह तक तड़प उठी – सुनील अब अपनी मौत का इशारा दे रहा था अगर अब उसने अपनी माँग का सिंदूर पोन्छा.

‘डॅड के जाने के बाद ना …. तो क्या तुम चाहती हो मैं भी वैसे……’ सुमन ने आगे उसे बोलने ना दिया फट से अपने हाथ उसके होंठों पे रख दिए – उसकी आँखों में इस वक़्त एक इल्तीज़ा थी – एक गुहार थी – प्लीज़ ऐसी बातें मत करो तुम्हें कुछ भी हुआ तो मैं भी साथ चलूंगी.

‘ तुम कहती हो उम्र का फ़र्क ---- बच्चे ….. फालना धिमकना…. जानती हो पहली बार मुझे जब अहसास हुआ था कि औरत क्या है उसका प्यार क्या होता है – वो अहसास तुमने दिलाया था …. वो पहला चुंबन – जो मेरे होंठों ने महसूस किया था उसका अहसास तुमने दिया था…. अगर उस वक़्त मर्यादा के बंधन में ना खुद को जकड़ा हुआ पता तो बहुत कुछ हो जाता.

सुमन उस पल को कोसने लगी जब समर की बात मान उसने सुनील को सेक्स लेसन देने शुरू किए थे.
मैं तो तुम्हें उसी वक़्त प्यार कर बैठा था – पर मैं मजबूर था – इज़हार नही कर सकता था – क्यूंकी डॅड का तुमपे हक़ था – अगर तब कुछ हो जाता – तो सारी जिंदगी में डॅड को मुँह दिखाने के लायक नही रहता और ना ही तुमको.

डॅड के जाने के बाद भी बहुत लड़ा हूँ अपने आप से --- बात सिर्फ़ डॅड के हुकुम की होती तो शायद मैं मुकुर जाता…. लेकिन तुम्हारा उदास चेहरा --- तुम्हारे जीवन में जो वीरना आ गया था – तुम्हारी जो तड़प थी – वो भी मुझ से बर्दाश्त नही हो रही थी. अभी तक मैं खुद से लड़ रहा था – इज़हार करते हुए डर रहा था - अब मैं वापस नही लॉट सकता. आइ लव यू.

रही बात बच्चों की – नही होते तो ना सही अडॉप्ट कर लेंगे.’

सुनील चुप हो गया … उसका दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था अब सुमन क्या बोलेगी – क्या वो समझ सकेगी उसके दिल की हालत किस तरहा मर्यादा से लड़ता हुआ वो यहाँ तक पहुँचा था.

सुमन के दिल और दिमाग़ में इस वक़्त आँधियाँ चल रही थी - प्यार तो वो भी सुनील से करने लगी थी - लेकिन उसका फ़र्ज़ आड़े आ गया था. ये क्या कर डाला मैने - क्यूँ समर की बातों में आ गयी - इस वक़्त अगर समर उसके सामने आ जाता तो यक़ीनन उसे मार डालती अंजाम चाहे कुछ भी होता.

सुमन को चुप देख सुनील फिर बोलने लगा ---

'जब प्यार हो जाता है तो वो उम्र,रंग, रूप,उँछ नीच कुछ नही देखता बस हो जाता है. अब भी तुम चाहती हो कि तुम्हारी माँग का सिंदूर पोन्छ दूं - तो तुम्हारे लिए ये भी सही - इतना कमजोर नही हूँ कि मर जाउन्गा --- लेकिन इसका मतलब होगा हम डाइवोर्स ले रहे हैं -- और डाइवोर्स के बाद एक छत के नीचे तो रह नही सकते - मैं अभी इसी वक़्त यहाँ से चला जाउन्गा और फिर कभी वापस नही आउन्गा - एक बात और -- मेरी जिंदगी में अब कोई और नही आ सकता. आज जो पल तुम्हारे साथ बिताएँ हैं वो काफ़ी रहेंगे मुझे सारी जिंदगी साथ देने के लिए. अब तुम अपना आखरी फ़ैसला बता दो'

सुनील ने सुमन के लिए सारे रास्ते बंद कर दिए थे.

'अब भी अगर तुम्हारा दिल इस रिश्ते को मानने को तयार नही है तो एक बार अच्छी तरहा सोच लो --- क्या तुम वाकई में नही चाहती थी कि ये पल हमारी जिंदगी में आए? क्या तुम वाकियी में नही चाहती थी कि मैं डॅड का आखरी हुकुम मानु?

कुछ पल जो हमने साथ बीते - क्या देखा था तुमने मेरी आँखों में - प्यार या वासना?


अब क्या करूँ प्यार कर बैठा...... लेकिन प्यार किसी को मजबूर नही करता -- मैं भी तुम्हें मजबूर नही करूँगा --- मैं जा रहा हूँ अपनी पॅकिंग करने --- आराम से सोच लो'

ये कह के सुनील कमरे से बाहर निकल गया ज़मीन पे पड़ी अपनी शर्ट और बनियान उठाते हुए.

रात सरक चुकी थी भोर होनेवाली थी ---- क्या संदेशा लाएगी ये भोर इनके लिए??

कमरे से जब सुनील बाहर निकला तो एक माँ भी रोई और एक औरत भी. दोनो की जान निकल गयी क्यूंकी दोनो उसके बिना नही जी सकती थी.

भावनाएँ और इच्छाएँ क्या से क्या करवा देती हैं.

सागर ने जब आखरी हुकुम दिया तो सुमन के बारे में सोचा - ये नही सोचा इसका असर क्या पड़ेगा सुनील पे --- वो बस अपने बाद अपने प्यार को खुश देखना चाहता था.

सुमन ने जब समर की बात मानी तो ये नही सोचा --- उसके इस अभियान का अंत क्या होगा ---- क्या गुज़रेगी सुनील पे

आज एक माँ फिर उभर के आ गयी तो वो औरत ये भूल गयी - क्या क्या नही सहा होगा सुनील ने इस राह पे आगे बढ़ने के लिए?

माँ और एक औरत आपस में आँख मिचोली खेलने लग गये . बिकुल सागर की परछाई है --- चुप करा के चला गया --- क्या करूँ? कॉन सा है वो आखरी रास्ता कि माँ भी खुश रहे और औरत भी - ये आखरी रास्ता सुमन को अब जल्द ढूंडना था --- अगर देर हो गयी तो कयि जीवन तबाह हो जाएँगे .

ये जंग थी प्यार की - एक माँ का प्यार और एक प्रेमिका का प्यार - दोनो में से कोई नही हारना चाहता था.
 
जब प्यार का मामला हो तो दिमाग़ को गोन कर देना चाहिए क्यूँ कि दिल को सोचना पड़ता है. और सुमन का दिल कभी माँ की तरफ होता कभी प्रेमिका की तरफ और रास्ता खोज रहा था कि दोनो का प्यार जीत जाए.

और उसने रास्ता खोज भी लिया - प्यार को सिर्फ़ प्यार से ही जीता जा सकता था --- भावना को सिर्फ़ भावना से. सुमन के कदम चल पड़े सुनील के कमरे की तरफ.

दरवाजा खुला था और सुनील दर्द से तड़प्ते हुए अपना समान पॅक कर रहा था. सुमन दरवाजे पे खड़ी हुई सब देख रही थी - दिल हाहाकार करने लगा - कितना दुख दिया सुनील को - अब उस दुख के साए को भी मिटाना है - उसे इतना प्यार देना है कि सारे दुख उसके स्वाहा हो जाएँ.

सुनील की नज़र सुमन पे पड़ गयी --- अरे अंदर आओ ना वहाँ क्यूँ खड़ी हो.

डगमगाते हुए कदमो से सुमन अंदर आ गयी और सुनील के सामने खड़ी हो गयी. दोनो की नज़रें एक दूसरे से टकराई - सुनील ने हाथ बड़ा उसकी माँग से सिंदूर पोंछना चाहा - उसके हाथ को दूर करते हुए उसके सीने से चिपक गयी और रोते हुए मुक्के बरसाने लगी.

'बस इतना ही प्यार करते हो मुझ से'

'मैं तो तुम्हारी ही बात मान रहा था - अपनी तरफ से तो मैने कुछ नही कहा'

रोते हुए - बहुत प्यार करते हो ना मुझ से

अब भी तुम्हें शक़ है - चाहो तो कोई भी इम्तिहान ले लो.

एक वादा करना होगा

वादा के बारे में सुन सुनील डर गया - क्या वादा लेने चाहती है ये मुझ से.

'कैसा वादा?'

'जब प्यार करते हो तो पूछ क्यूँ रहे हो - जो मैं कहूँ मान लो बस - भरोसा नही मुझ पे'

'अपने से दूर होने को मत बोलना - बाकी जो कहोगी मान लूँगा'

अब सुनील फस गया था आख़िर प्यार है ही बड़ी कुत्ति चीज़, बिना सोचे समझे कि सुमन क्या वादा ले सकती है उसने हामी भर दी थी.

बेसब्री से वो इंतेज़ार कर रहा था - क्या वादा लेना चाहती है सुमन.

'जब तुम 28-30 साल के हो जाओगे तुम्हें एक अच्छी लड़की से शादी करनी पड़ेगी - उसके साथ प्रेमपूर्वक अपना परिवार बनाना पड़ेगा -- और जब तक मैं ना कहूँ - हमारी शादी गुप्त रहेगी -सही वक़्त आने पे दुनिया को बताएँगे - कमरे में हम पति पत्नी हैं और बाहर माँ बेटा - जब तक सही वक़्त नही आ जाता दुनिया को बताने का कि हमने शादी कर ली है ---- मेरी ये बात तुम्हें हर क़ीमत पे माननी होगी - अगर थोड़ा भी प्यार करते हो मुझ से'

माँ भी जीत गयी और प्रेमिका भी. सुनील बहुत तडपा पर आख़िर उसे सर झुकाना ही पड़ा.

सागर की आखरी इच्छा भी पूरी हो गयी, सुमन के अंदर बसी एक माँ की इच्छा भी पूरी करने का वचन दे दिया सुनील ने और सुमन जो अब एक नया रूप ले चुकी थी सुनील की पत्नी बनने का उसका भी सम्मान रह गया.

प्यार क्या क्या नही करवा देता.

दोनो मानसिक रूप से बहुत थक चुके थे - एक दूसरे की बाँहों में समाए दोनो कुछ देर के लिए सो गये.

करीब घंटे बाद सुमन उठी - आज उसे बहुत काम करना था - पहले जा के फ्रेश हुई. फिर अपने और सुनील के लिए कॉफी बनाई और उसे जगाने पहुँच गयी ---

सुमन ने कॉफी टेबल पे रखी और सुनील के चेहरे पे चुंबन करती हुई उसे उठाने का प्रयत्न करने लगी.

सुनील ने उसे खीच कर अपनी बाँहों में लपेट लिया और उसके होंठों पे अपने होंठ रख दिए.

ऊऊऊऊुुुुुुऊउक्कककचह

उम्म्म्मम छोड़ो सुबह सुबह शुरू हो गये ---- आज बहुत काम करना है ----- छोड़ो ना प्लीज़

सुमन की गुहार के बाद सुनील ने मुस्कुराते हुए उसे छोड़ दिया.

'उफ़फ्फ़ बड़े शैतान हो' चेहरे पे कातिलाना मुस्कान लिए हुए बोली.

'सब तुम्हारी करामात है --- प्रोडक्षन तो तुमने ही किया था' सुनील सुमन के पेट पे हाथ फेरते हुए बोला.

'धत्त बदमाश' सुमन उसका हाथ अपने पेट से हटाते हुए बोली --- सुनील खिलखिला पड़ा.

'उम्म कॉफी पियो और रेडी हो जाओ'

'उम्म ------ सो अब तुम मुझे उम्म कह के पुकारोगी'

'अरे हर बात को पकड़ने लग गये ---- सुनील जी कॉफी ठंडी हो रही है प्लीज़ पी लीजिए'

'सुनील जी !!!!!!'

'उफ्फ आप चाहते क्या हैं जनाब कैसे पुकारूँ आपको'

'बस प्यार से आँख मार दिया करो - मैं समझ जाउन्गा'

सुमन का चेहरा शर्म से लाल पड़ गया ' मुँह में ही बुदबुदाई 'बेशर्म'

लेकिन सुनील के कान तेज थे और उसने सुन लिया

'लो कर लो बात आज तो नये नये नाम मिल रहे हैं - शैतान, बदमाश, बेशर्म - कोई और बाकी रह गया है तो बता दो'

सुमन ने सुनील की छाती में सर छुपा लिया ' क्यूँ तंग कर रहे हो --- प्लीज़ कॉफी ठंडी हो जाएगी'

'अच्छा मीठी कर दो जल्दी से -- फटाफट फिर पियुंगा'

ये चुहलबाजी सुमन के दिल को गुदगुदा रही थी.

सुमन खुद भी समझ नही पा रही थी - क्या हो रहा था उसे - बिल्कुल एक नयी नवेली दुल्हन की तरहा शरमाने लगी थी.

इतना तो वो समझ गयी थी कि सुनील क्या चाहता है पर उसे बहुत शर्म आ रही थी.

'चलो आज ठंडी कॉफी वो भी बिना मिठास के पीनी पड़ेगी --- शादी करने का पहला लेसन मिल गया' सुनील ने चेहरा ऐसे लटकाया कि सुमन की हँसी निकल गयी.

'पहले पता होता तो कभी तुमसे शादी ना करती --- अब दिख रहा है --- बहुत तंग करनेवाले हो'

'ठीक है अगर तुम्हें लगता है मैं तंग करता हूँ तो कभी कुछ नही करूँगा बिल्कुल मोनव्रत धारण कर लूँगा - फिर बाद में शिकायत मत करना कि अभी तो शादी हुई है और बिल्कुल तंग नही करता'

' ऑश म्म्मााआआ आज तुम मेरे दिमाग़ की दही बना के छोड़ोगे'

सुनील कॉफी के कप की तरफ इशारा करता है.

शरमाती सकुचाती सुमन कॉफी का कप उठाती है और अपनी नशीली आँखों से सुनील को देखते हुए अपनी ज़ुबान कप पे फेरती है और एक छोटा सा सीप ले कर सुनील की तरफ बढ़ा देती है ' लो हो गयी तुम्हारी कॉफी मीठी' चेहरा ऐसा लाल पड़ गया था कि क्या कहने
 
सुनील कॉफी का एक सीप लेता है ' अहह मज़ा आ गया ---- आज पहली बार कॉफी इतनी अच्छी लगी ---- अब हर बार ऐसे ही चाहिए'

'धत्त!!!' बिना अपनी कॉफी पिए बाहर भाग गयी और दीवार से सट अपनी तेज होती हुई सांसो को संभालने लगी

'अरे सुनो तो कहाँ भाग रही हो - अकेले नही पियुंगा'

'बेशर्म - बदमाश आज तंग कर के ही रहेगा' बुदबुदाती है और मुस्काती हुई वापस कमरे में आ जाती है

'हाई कॉन ना मर जाए इनकी इस अदा पे कत्ल भी करते हैं और हाथ में तलवार भी नही'

सुमन को तो यूँ लगा जैसे शर्म के मारे ज़मीन में ही गढ़ जाए -- दोनो गाल --- लाल टमाटर से ज़यादा लाल हो गये, दिल की धड़कन बढ़ गयी .

इनकी इस चुहलबाजी में बेचारी कॉफी भाप छोड़ती छोड़ती ठंडी होती रही और तरसती रही कब उसे इनके प्यारे मुँह का स्वाद मिलेगा.

वक़्त थम गया था दोनो एक दूसरे को देख रहे थे. दिलों की धड़कन बढ़ गयी थी और अगर कोई नापता तो बराबर ही मिलती, साँसे अपने उफ्फान पे आने लगी - जिस्म लरजने लगे .

'सूमी!!!!!' सुनील ने पुकारा.

वो यादें वो लम्हें जो सागर के साथ गुज़ारे थे ताज़ा हो गये --- जब सुनील के मुँह से ये सुना - जो सागर और सिर्फ़ सागर ही इस्तेमाल करता था.

सुमन की आँखों में आँसू आ गये.

सुनील सब समझ रहा था - वो अपनी उम्र से काफ़ी आगे निकल गया था एक ही रात में.

'अब ये आँसू क्यूँ!!'

'नही समझोगे - खुशी के हैं'

'अच्छा इधर आओ' सुनील ने अपना अधिकार जताते हुए कहा.

सुमन खिचि चली गयी और उसके पास जा के धड़कते दिल से खड़ी हो गयी.

सुनील ने उसका हाथ थाम उसे अपनी गोद में बिठा लिया और उसके गेसुओं ( बालों ) को सूंघने लगा.

सुमन के अरमान सिसकने लगे - प्यार की ये अनुभूति उसे पहले कभी नसीब नही हुई थी --- कयि बार उसका रेप हुआ था ---- (हर वक़्त औरत सेक्स नही चाहती -- कुछ वक़्त चाहती है - अपने दिल में बसी भावनाओं को बताने का - कुछ मीठी मीठी बातें करने का---लेकिन मर्द कुछ सेकेंड बात करने के बाद जब सीधा औरत के उपर चढ़ जाता है - तो ये रेप नही तो क्या है --- शादी शुदा जिंदगी में भी काई बार एक पति अपनी पत्नी का रेप कर डालता है)

'ऐसे ही प्यार करोगे ना जिंदगी भर'

'तुम सिखाती रहना - मैं करता रहूँगा -- प्यार क्या होता है -- ये तुमने ही तो सीखाया है'

सुमन के मन का मयूर नाचने लगा - दिल करने लगा पाँवों में पायल बाँधे और थिरकने लगे. गगन की वादियों में उड़ के सारी दुनिया को बता दे --- आज उसे सच में प्यार मिल गया.

सुनील उसके गेसुओं में ऐसा खोया कि अपनी सुध बुध भी भूल गया और सुमन अपनी आँखें बंद किए इन पलों को अपने अंदर समेटने की कोशिश करने लगी.

काश वक़्त भी इनके प्यार को देख यहीं थम जाता - पर उसे तो चलना था - आगे बढ़ना था -- टिक टिक टिक सेकेंड की सुई आगे बढ़ रही थी --- लेकिन ये दोनो - इस पल को जीने की कोशिश कर रहे थे. ये नही चाहते थे कि वक़्त आगे बढ़े - रोक के रखना चाहते थे उसे --- पर ये मुमकिन कहाँ था---- टन- टन- टन दीवार पे लगी घड़ी ने बता दिया एक घंटा गुजर चुका है.

सुमन होश में आई -- मन ही मान मुस्काती हुई खुद से बोली - हाई राम दीवाना कर दिया है.

सुनील तो अब भी खोया हुआ था सुमन के बालों में अपने चेहरे को घुसाए हुए.

सुमन ने उठने की कोशिश करी तो सुनील ने उसे फिर रोक दिया.

'छोड़ो ना प्लीज़ --- बहुत काम करना है --- और रेडी हो जाओ - मैं नाश्ता तयार करती हूँ'

मजबूरन सुनील को सुमन को छोड़ना ही पड़ा --- कैसे होते हैं ये पल --- जब दिल कुछ चाहता है - पर करना कुछ और पड़ता है.

अब जिंदगी के प्राइम मिनिस्टर का ऑर्डर मिल गया तो सुनील बाथरूम में घुस गया.

और सुमन गुनगुनाती हुई नाश्ता तयार कर रही थी अपने साजन के लिए---
मिल गये मिल गये आज मेरे सनम
मिल गये मिल गये आज मेरे सनम
आज मेरे जमी पर नही हैं कदम
आज मेरे जमी पर नही हैं कदम

नाश्ते के बाद सुमन ने सुनील को एक लिस्ट दी कुछ समान लाने के लिए और खुद ब्यूटी पार्लर चली गयी - आज उसे फिर से सजना था सवरना था - अपने साजन के लिए.

सुनील सामान ले के घर पहुँच गया - सुमन अभी तक नही आई थी - करीब घंटे बाद सुमन आई तो ..... उसे देख सुनील के होश उड़ गये .....बेमिसाल हुस्न....

'छू लेने दो नाज़ुक होंठों को...
कुछ और नही है जाम हैं ये'

दिल पुकारने लगा - और सुमन घबराने लगी - कहीं सुनील अभी ही ना टूट पड़े उसपे.

सुनील के माथे पे किस कर के बोली - आज लंच और डिन्नर बाहर से मंगवा लेना --- और जब तक मैं मिस कॉल ना दूं - तुम ना मुझे देखोगे ना ही मेरे करीब आने की कोशिश करोगे .

अभी जा के पढ़ने बैठ जाओ - शाम को ये ड्रेस पहन लेना' एक माँ का हुकुम और एक पत्नी की कामना दोनो ही शामिल थे. सर झटकता हुआ सुनील अपने कमरे में चला गया. एक एक पल उसके लिए गुज़रना मुश्किल हो रहा --- कब होगी शाम.... कब ...कब.
 
दिन में एक बार ब्यूटी पार्लर से दो लड़कियाँ आई जिनके बारे में सुनील को पता नही चला - अपनी किताबों में खो गया था वो -- था ही ऐसा एक बार किताबें उठा ली तो सारी दुनिया भूल जाता था.

सुमन ने लंच और डिन्नर अकेले ही किया और सुनील के सामने बिल्कुल ना आई . शाम करीबन 6 बजे एक फ्लोरिस्ट आया जो सुमन के कमरे को सज़ा के चला गया. रात के 9 बज गये जाने सुमन क्या कर रही थी कमरे में बंद रह कर और सुनील थक के सो गया था.

सवा 9 के करीब सुनील को मिस कॉल आई पर उसे होश कहाँ था - कुछ देर बाद रिंग बजने लगी सुमन घबरा गयी कि सुनील मिस कॉल पे क्यूँ नही आया.

जब रिंग बजी तो सुनील उठा - नज़र घड़ी की तरफ गयी --- उफ़फ्फ़ इतना टाइम हो गया --- मोबाइल की तरफ देखा तो सुमन कॉल कर रही थी--- उसने कॉल रिसीव नही करी और बाथ रूम में घुस्स गया ..... सारा दिन बहुत तडपाया... अब थोड़ा खुद भी तड़पो... अपने आप से बोलता हुआ फ्रेश हुआ..... मोबाइल बार बार बजता रहा.

सुनील रेडी हो चुका था उसने कॉल पिक कर ली.

'ह्म्म बोलो'

'कहाँ हो .... आए क्यूँ नही... मिस कॉल भी दी थी .... और कब से फोन कर रही हूँ ... जवाब क्यूँ नही दे रहे थे....' आवाज़ में दर्द था.

'यार पड़ते पड़ते सो गया था..... तुम्हारी कॉल ने ही उठाया.... सोचा सारा दिन तुमने तडपाया है अब थोड़ा तो तुम्हें भी तड़पना चाहिए इस लिए कॉल नही ली थी ... आ रहा हूँ...'

'अब आने की ज़रूरत नही.... वहीं सो जाओ... मैं भी सोने जा रही हूँ' आवाज़ रुआंसी हो गयी थी.

'सॉरी ... सॉरी ' बोलता बोलता सुनील भागा कहीं सच में दरवाजा बंद कर वो सो ना जाए.

कमरे में घुसते ही सुनील के मुँह से सीटियाँ निकलने लगी. पूरा कमरा फूलों से सज़ा था - कॅंडल लाइट की रोशनी में बिस्तर पे बैठी सुबक्ती सुमन गजब ढा रही थी. हाथों पैरों में मेंहदी - गुलाबी रंग की सितारों वाली चोली और लहंगा - - घुँगट करे सर अपने घुटनों में छुपाए - गुलाब की पत्तियों से सजे बिस्तर के बीचों बीच बैठी सुमन बिल्कुल नयी नवेली दुल्हन लग रही थी.

अकेले उसने कितनी मेहनत करी होगी - इस रात का आगमन करने के लिए सब दिख रहा था.

सुनील उसके सामने जा के बैठ गया ' सॉरी यार मज़ाक कर रहा था'

सुमन कुछ ना बोली - बस सिसकती रही.

बहुत बुरा लगा था उसे - जब सुनील ने तड़पने वाली बात करी - क्या वो खुद नही तड़प रही थी सुबह से - कैसे उसने खुद पे काबू रखा था - ये वो ही जानती थी.

'अपने रुख़ पर निगाह पड़ने दो -
खूबसूरत गुनाह करने दो
रुख़ से परदा हटाओ जानेहाया
आज दिल को तबाह करने दो'

इन लफ़्ज़ों ने सुमन को मजबूर कर दिया अपना सर उठाने को ----- काँपते हाथों से सुनील ने घुँगट हटाया और सुमन के चमकते सुंदर चेहरे की छटा में खो गया.

माथे पे लाल बिंदिया जो सिर्प का रूप लिए हुए थी, झील से भी गहरी आँखें जो काजल से सजी हुई थी, लाल सुर्ख काँपते हुए होंठ जो लाल लिपस्टिक से लदे अपनी शोभा और बढ़ा रहे थे, दमकता हुआ सिंदूर जो टीके के पीछे से भी अपनी रोशनाई का अहसास दे रहा था, कानो में लटकते सुंदर काँटे सुमन को किसी चमकते सितारे से भी ज़यादा चमक दे रहे थे.

मेहंदी भरे हाथों से अपना चेहरा ढक लिया सुमन ने ---- सुनील के इस तरहा देखने से उसे बहुत शर्म आई - खनकती हुई चूड़ियों ने कमरे में संगीत की लहर का समा बाँध दिया.

एक खुसबु कमरे में फैली हुई थी और दूसरी सुमन के बदन से आ रही थी - दोनो के संगम ने सुनील को मदहोश कर डाला.


चूड़ियों की खनकती आवाज़ और सुमन का अपने चेहरे को ढकना सुनील को वापस यथार्थ में ले आया – उसके चेहरे पे मुस्कुराहट आ गयी ‘ हाई मार सुट्या कुड़ी ने – क्यूँ बरसाया ये कहर हम पे - जी लेने देते थोड़ी देर अपने चेहरे पे बसे हुस्न की छटा के साए तले’

हाथों में छुपा सुमन का चेहरा शर्म से लाल पड़ता गया – सुनील का ये रूप – उसके जिस्म में खलबली मचा गया.

सुनील ने अपनी जेब से एक सफेद मोतियों का हार निकाला जिसमे पाँच लाडियाँ थी और एक मन्गल्सुत्र निकाला – पता नही कब खरीदा था उसने ये .

‘लो जानेमन अपनी मुँह दिखाई’ सुमन के हाथों को हटाते हुए सुनील बोला ---- सुमन ने अपनी आँखें बंद कर रखी थी. होंठों पे हल्की सी मुस्कान तैर रही थी.

‘अरे आँखें तो खोलो’

सुमन ने ना में गर्देन हिला दी.

‘यार ये तो ज़ुल्म हो रहा है --- ओ उपरवाले मेरी बीवी को थोड़ी अकल दे – इतनी भी हया किस काम की --- जो मियाँ की जान ही लेले’

सुमन की आँखें खुल गयी ऐसे जैसे शराब की बॉटल का ढक्कन धीरे धीरे खोला गया हो – उन आँखों में नशा ही नशा था लाल लाल डोरे तैरने लगे थे जो उसकी हालत बयान कर रहे थे.

सुनील के हाथों में हार और मन्गल्सुत्र देख उसकी खुशी का ठिकाना ना रहा – उसे बिल्कुल भी उम्मीद नही थी कि सुनील उसे मुँह दिखाई देगा – कब खरीदा उसने ये सब – मन ही मन वो हैरान भी हो रही थी.

सुनील ने उसके दोनो हाथ पकड़े हुए थे और दोनो चीज़ें सुमन की गोद में रखी हुई थी. मखमली हाथों की चुअन सुनील के अरमान भड़का रही थी – वो धीरे धीरे सुमन के हाथों को मसल रहा था.
 
सुमन अपना माजी भूल चुकी थी – आज उसकी नयी जिंदगी शुरू होनेवाली थी – उसकी प्यासी नज़रें भी सुनील को निहारने लगी.

सुनील ने सुमन के हाथ छोड़े और मन्गल्सुत्र उठा जब अपने हाथ आगे बढ़ाए तो सुमन ने अपनी गर्देन थोड़ी झुका ली – जब सुनील ने उसे मंगल सुत्र पहना दिया तो उसने अपनी आँखे बंद कर ली – वो सुनील के चेहरे को अपनी आँखों में इस तरहा बसा लेना चाहती थी कि हमेशा उसे नज़र आता रहे.

‘कैसा लगा मेरा ये तुच्छ तोहफा’

‘बहुत बढ़िया – बहुत खूबसूरत बिल्कुल तुम्हारी तरहा – और ये तुच्छ नही दुनिया की सबसे कीमती चीज़ें हैं – इनमे तुम्हारा प्यार बसा हुआ है’ लरज़ते हुए होंठों से सुमन बोली.

दोनो बस एक दूसरे को देखते रहे अपनी आँखों में एक दूसरे को बसाते रहे.

सुनील की नज़रों की तब सुमन ज़यादा देर ना सह सकी उसे कुछ होने लगा था – उसकी नज़रें झुक गयी – दिल कर रहा था सुनील से लिपट जाए पर शर्म ने उसे रोक के रखा हुआ था.

सुमन तो भूल ही गयी थी कि वो सुनील के लिए भी कुछ लाई थी – साइड में पड़ी डिबिया उसने उठाई और उसमे से हीरे की एक अंगूठी निकाली – हीरा क्या सॉलिटेर था – और सुनील को अपना हाथ आगे करने का इशारा किया. सुमन ने अंगूठी उसे पहना दी – जो इस बात का सबूत थी कि सुनील की शादी हो गयी है.

सुनील उसकी गोद में सर रख के लेटने लगा तो सुमन ने रोक दिया सवालियाँ नज़रों से सुमन को देखने लगा.

सुमन बिस्तर से उठी चलती हुई कमरे में एक कोने पे रखी टेबल तक गयी और एक चाँदी का ग्लास जो वहाँ ढका हुआ पड़ा था उसे उठा लिया – उसमे केसर मिला दूध था. सुमन के चलने से उसकी पायल की झंकार सुनील के दिल की धड़कानों को बढ़ा रही थी.

ठुमकती हुई वो सुनील के पास आई और ग्लास उसे दिया और पीने का इशारा किया. सुनील ने ग्लास पकड़ लिया और सुमन को खींच अपनी गोद में बिठा लिया और ग्लास उसके होंठों की तरफ बढ़ाने लगा.

‘ना ना पहले तुम’

आधा ग्लास खाली करने के बाद सुनील ने सुमन के होंठों से लगा दिया सुमन भी पी गयी

सुनील ने ग्लास साइड में रख दिया --- और अपनी गोद में बैठी सुमन को निहारने लगा – लाज के मारे सुमन दोहरी होने लगी और उसने अपने कोमल हाथ से सुनील की आँखें ढक ली.

‘मत देखो ऐसे शर्म आती है’

सुनील ने उसका हाथ हटा चूम लिया और सुमन के चेहरे को अपने हाथों में थाम लिया. आने वाले पल की सोच सुमन की आँखें बंद हो गयी और सुनील ने अपने तपते हुए होंठ सुमन की होंठों से मिला दिए.

अहह सिसक पड़ी सुमन.

सुनील अपने होंठ उसके होंठों से रगड़ने लगा और सुमन धीमे धीमे सिसकती रही.

सुमन बेसब्री से इंतेज़ार कर रही थी कि कब सुनील उसके होंठों को चूमना शुरू करेगा और उसे आनंद की वादियों में ले जाएगा.
लेकिन सुनील तो मस्ती में उसके होंठों से अपने होंठ और गॉल रगड़ रहा था. सुनील के चेहरे पे अच्छी ख़ासी चित्रकारी होने लगी – सुमन की लिपस्टिक यहाँ वहाँ उसके चेहरे पे लगने लगी. थोड़ी देर बाद सुनील अलग हो गया. तड़प के सुमन ने आँखें खोली और सामने जो नज़ारा देखा – वो अपनी हँसी रोक ना पाई.

‘हँसने की क्या बात हुई’

‘अपना चेहरा देखो आईने में’ सुनील ने गर्देन टेडी कर साइड में रखे ड्रेसिंग टेबल पे अपना अक्स देखा तो उसकी भी हसी छूट गयी.

सुमन उठी और बाथरूम से गीला टवल ला कर सुनील का चेहरा सॉफ करने लगी . कुछ लिपस्टिक सुमन के चेहरे पे भी फैल गयी थी जिसे सुनील ने सॉफ किया. सुमन के हाथ जब हिलते तो उसकी चूड़ियाँ खनकती – मस्त महॉल हो जाता कमरे का. सुनील ने टवल वहीं ज़मीन पे फेंक दिया और सुमन को खींच कर अपने उपर लिटा लिया.

‘ क्यूँ मेरी जान शुरू किया जाए आज का प्रोग्राम’

‘धत्त’ सुमन ने सुनील की छाती पे अपना मुँह छुपा लिया और मुस्कुराने लगी.

सुनील ने उसके चेहरे को उठाया और फिर शुरू हुआ एक गहरा स्मूच जो दोनो के अंदर कामोत्तेजना की तरंगे फैलाने लगा
 
सुमन अपने गहनो से परेशान होने लगी ….. सुनील को ये समझते देर ना लगी उसने चुंबन तोड़ा और सुमन को बिठा धीरे धीरे उसके गहने उतारने लगा. बस हाथों की चूड़ीयाँ और पैरों की पायल रहने दिया.

सुमन देख रही थी कितने प्यार से और आराम से गहने उतार रहा था – कोई जल्दी नही थी उसे – कोई उतावलापन नही था.

रात धीरे धीरे सरक रही थी- दिलों की धड़कन बढ़ चुकी थी – जिस्म मिलने को आतुर थे – रूह – रूह के अंदर समाना चाहती थी – पर ये दो तो हर पल को जी रहे थे – हर लम्हे को अपनी यादों में सॅंजो रहे थे.

बादलों से अठखेलियाँ करता चाँद भी खिड़की से किरने फेन्क ता हुआ छुप छुप के इन्हे देख रहा था और खुद को भाग्यशाली समझ रहा था इस अबूतपूर्व मिलन का एक साक्षी बनने का.

गहने उतार सुनील सुमन की गोद में सर रख लेट गया.

‘आज तुम्हें तुम्हारा सागर पूरा का पूरा वापस मिल गया – सुनील अब अपना वजूद मिटा देगा बस तुम्हारा सागर बन के रहेगा’
सुमन ने फट से सुनील के लफ़्ज़ों को रोका.

‘ना…..ना….. वो कल की बात थी आज मैं अपना अतीत भुला चुकी हूँ ….. मुझे बस सुनील चाहिए – मेरा सुनील…. और कोई नही’

सुनील उसकी आँखों में झाँकने लगा जहाँ उसे अपने लिए प्यार और सिर्फ़ प्यार नज़र आया.

सुनील ने अपनी बाँहें सुमन की गर्देन में डाल दी और उसको अपनी तरफ झुकने लगा.

सुनील के होंठ कुछ कह रहे थे मगर निशब्द …… और कितना तर्साओगि…… सुमन के होंठ सुनील के होंठ से जा मिले और दोनो के बीच गुफ़्तुगू शुरू हो गयी.

बड़े प्यार से दोनो एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे – थोड़ी देर बाद सुमन की गर्देन में झुके रहने की वजह से दर्द होने लगा – जिसकी एक झलक उसकी आँखों में उभरी पर उसने उफ्फ तक ना की.

उसकी आँखों में झाँकता हुआ सुनील उस झलक को समझ गया और उसने अपने हाथ सुमन की गर्देन से हटा चुंबन तोड़ दिया.

आहह सुमन सीधी हो अपनी गर्देन इधर उधर हिलाने लगी. और सुनील उठ के उसकी गर्देन का मसाज करने लग गया कुछ ही पलों में सुमन की गर्देन का दर्द गायब हो गया.

दोनो लेट गये और एक दूसरे को देखने लगे.

‘थॅंक्स’ सुमन बोली क्यूंकी पलों में ही उसकी गर्दन में उभर रहे दर्द को सुनील ने दूर कर दिया था.

‘अब मैं कहूँगा – ये मेरा फ़र्ज़ था – धत्त….. छोड़ो इन दकयानूसी बातों को --- दो प्यार करनेवाले सिर्फ़ प्यार करते हैं – ये थॅंक्स वंक्स के चक्कर में नही लगे रहते…… इन बातों से ईगो जनम लेने लगती है जो आगे जा कर बहुत परेशान करती है … मुझे ये सब हमारी जिंदगी में नही चाहिए. कल कभी किसी बात पे थॅंक्स बोलना भूल गये तो मन में ग़लत भावनाएँ आने लगती है….. सो स्टॉप दिस नोन-सेन्स’

सुमन हैरानी से उसे देखने लगी. क्या ये वही सुनील था… अपनी उम्र से कितना आगे निकल गया था. आज उसे सागर पे गर्व होने लगा कितनी अच्छी चाय्स थी उसकी --- उसकी जिंदगी में फिर से बाहर लाने के लिए सही आदमी चुना था उसने.

इतनी मेचुरिटी तो सागर में भी नही थी.

सुनील थोड़ा उठा और सुमन पे झुक गया उसकी गर्देन को चाटने लगा – अहह सुमन सिसक पड़ी, और फिर से उन वादियों में घूमने की तैयारी करने लगी जिसका रास्ता सिर्फ़ सुनील जानता था.

उसकी गर्देन को चूमते हुए जब सुनील का हाथ सरकता हुआ उसके उरोज़ तक पहुँचा – तड़प उठी सुमन और उसके हाथ पे अपना हाथ रख दिया.

सुनील धीरे धीरे सुमन की गर्देन को चाट्ता हुआ नीचे की तरफ आने लगा और अपनी ज़ुबान उसके क्लीवेज पे फेरने लगा. मचलने लगी सुमन ….. एक एक कर वो सुमन के जिस्म में छुपे संगीत को जगा रहा था… एक एक सुर अपना राग अलापने लगा था….इस लज़्ज़त को अपने अंदर समेटने के लिए सुमन की आँखें अपने आप बंद हो गयी और वो प्यार से सुनील के बालों में हाथ फेरने लगी.


काफ़ी देर तक सुनील सुमन के क्लीवेज को चूमता रहा वहाँ अपनी ज़ुबान फेरता रहा – सुमन को समझ नही आ रहा था कि आज हो क्या रहा है उसके साथ – फोर प्ले तो पहले भी हुआ था उसके साथ पर इतनी धीरे धीरे जैसे फूल की एक एक पत्ती को सूँघा जा रहा हो – कभी नही हुआ था ऐसा उसके साथ.

ये लज़्ज़त – ये आनंद- उसके लिए बिल्कुल एक नया अहसास था.

सुमन मचलने लगी नागिन की तरहा बल खाने लगी और उसकी पायल छनकने लगी.

सुनील ने सुमन को थोड़ा उपर उठाया और उसकी चोली की डोरी खोल दी. सुमन के जिस्म से उसकी चोली अलग हो गयी और नेट वाली ब्रा में छुपे उसके उन्नत उरोज़ और कड़े निपल सुनील को अपनी तरफ खींचने लगे पर सुनील तो उनकी सुंदरता में खो गया.

पर्वत की तरहा उसके सख़्त हुए निपल ब्रा से बाहर निकलने का प्रयास कर रहे थे सुनील ब्रा के उपर ही अपने चेहरे को उसके उरोज़ पे रगड़ने लगा और उसके हाथ सुमन के पेट को सहलाने लगे.

आह म्म्म्मीमाआ सुमन की सिसकियाँ बुलंद होने लगी- उसकी तड़प बढ़ने लगी दिल कर रहा था कपड़ों के बंधन से मुक्त हो जाए पर हाई री लज्जा कुछ करने नही देती थी और बदन में आनंद की लहरें उफ्फान लेने लगी थी . सुमन ने सुनील के सर को अपने उरोज़ पे दबा डाला ‘ ओह्ह्ह म्माआआ’ अपनी सिसकी से सुनील को कहने की कोशिश कर रही थी कि बस कर दो आज़ाद मुझे कपड़ों के बंधन से.


सुनील --सुमन के दोनो उरोज़ पे कभी चुंबन बरसाता और कभी उसकी क्लीवेज में चेहरा घुसा उसके जिस्म की सुगंध का आनंद लेने लगता.

सुमन को अपना लेनहगा अब बोझ लगने लगा था उसकी मंशा को समझते हुए सुनील ने उसके लेन्ह्गे के बँध खोल दिए और उठ के उसे उसके जिस्म से अलग कर दिया अब सुमन का कामुक बदन सिर्फ़ पैंटी और ब्रा में था – सुनील जिस तरहा उसे देख रहा था सुमन को शर्म आने लगी और अपने चेहरे को को अपने हाथों से ढक लिया.
 
सुमन की ये हरकत देख वो मुस्कुरा उठा और अपनी शेरवानी और बनियान उतार डाली – हाथों के बीच की झिरियों से सुमन – सुनील को देख रही थी और अपने होंठ काटती हुई मुस्कुरा रही थी.

सुनील फिर बिस्तर पे चढ़ गया और सुमन की नाभि में अपनी नाक घुसा दी.

आाऐययईईईईईईईईईईईईईईईईई सुमन तो चीख ही पड़ी.

चाँद जो छुप छुप के इन्हें देख रहा था मजबूर हो गया अपनी चाँदनी को रिझाने के लिए – दुनिया उसकी ये हरक़त ना देख ले – इसलिए खुद को बादलों के पीछे छुपा लिया.
कमरे में जलती मोमबतियों को भी शर्म आने लगी – बाती और मोमबत्ति अपने ताप से नही कमरे में फैले इनके जिस्मो के ताप को सहन ना कर पाई और जलते हुए अपने अंत की तरफ तेज रफ़्तार से बढ़ने लगी ----- अचानक एक दम अंधेरा हो गया कमरे में.

‘अरे ये क्या हुआ…. एक दम अंधेरा…. ओह मोमबतियों को शर्म आने लगी हुस्न की देवी को देख….. अब तो लाइट जलानी ही पड़ेगी’

‘प्लीज़ नही …. मुझे बहुत शर्म आ रही है… मत जलाओ ना…. प्लीज़….’

‘एक दिन तुम्हारी शर्म का ऐसा गला घोन्टुन्गा…. कि मेरे लिए आफ़त खड़ी हो जाएगी’

सुमन खिलखिला पड़ी….’ तो क्यूँ अपनी आफ़त बुला रहे हो’

‘उस आफ़त के बिना जीने का मज़ा अधूरा रह जाएगा’

अभी सुनील उठ नही पाया था क्यूंकी सुमन ने उसे पकड़ रखा था.

‘बेशर्म’ बहुत ही धीरे से सुमन बोली थी.

‘यार तुम पहली प्रोड्यूसर हो जो अपनी प्रोडक्षन की कमियाँ निकाल रही है’

अब सुमन से हँसी ना रोकी गयी….. पूरा कमरा उसकी खिलखिलाहट से गूँज उठा.

सुमन का बुरा हाल हो गया था हँस हँस के अपना पेट पकड़ हँसने लगी… उसकी पकड़ ढीली पड़ गयी सुनील पे और इसका फ़ायदा उठाते हुए सुनील फट से उठा और लाइट जला दी.

लाइट जलते ही सुमन चीखी और पलट के लेट गयी पेट के बल और अपना चेहरा छुपाने लगी – शर्म इतनी कि लज्जा की लाली चेहरे से उतर पूरे जिस्म पे फैल गयी और पूरा जिस्म लाल पड़ने लगा …

शायद ये इशारा था सुनील को ब्रा खोलने के लिए.

अपना चेहरा छुपाए अपनी जिस्म की थिरकन को ज़बरदस्ती रोकते हुए - सुमन सोचने लगी - इसको क्या सेक्स लेसन्स की ज़रूरत है --- ये तो आज मुझे सीखा रहा है. सेक्स नही प्यार के लेसन्स - सेक्स जिसका एक छोटा सा हिस्सा है.

सेक्स तो वन नाइट स्टॅंड में भी हो जाता है - भावनाओं से रहित - लेकिन प्यार .... ओस की बूँद की तरहा.... एक सुखद अहसास देता है

मात दे दी अपने बाप को ही.

ना चाहते हुए भी सुमन मजबूर हो गयी सागर और सुनील का कंपॅरिज़न करने के लिए


सुनील तो पागल हो उठा था ना जाने किस तरहा अपने जज़्बात को रोकते हुए बस सुमन का ही ध्यान रख रहा था --- शायद इसे ही प्यार कहते हैं ---- उसे कोई जल्दी नही थी – बस सुमन को वो अहसास देना चाहता था ---- जो एक पति को अपनी पत्नी को हमेशा देना चाहिए.

ये प्यार ये अहसास ये अग्नि – बस पहली रात के लिए नही होते…… ये हर रात ….. के लिए होते हैं जिसे बहुत कम लोग समझ पाते हैं और स्वापिंग… कुक्क….. वगेरा वगेरा करने लग जाते हैं (जस्ट आ स्टोरी डॉन’ट टेक इट सीरियस्ली ऐज साइकोलॉजिकल रीज़न्स टू गेट इन्वॉल्व्ड इन सच आक्षन्स --- आइ आम नोट कंप्लेनिंग जस्ट गिविंग माइ पॉइंट ऑफ व्यू )

सुनील तो बस सुमन को अपने प्यार से इतना समझाना चाहता था --- प्यार की कोई परिभाषा नही होती – ये एक अद्बूत अहसास होता है – जो ना उम्र- ना रंग- ना धर्म के आधीन होता है --- प्यार बस प्यार होता है.

चाहे सुमन ने उससे वादा लिया था – जो अभी तक उसे कचोट रहा था ---- उसके बावजूद --- वो सुमन को बस ऐसा आनंद ऐसा प्यार देना चाहता था कि सुमन के अंदर बसे सागर को खोने का दर्द ख़तम हो जाए ….. इतने महीनो से हर रोज जब भी उसने सुमन को देखा था तो बस एक जिंदा लाश की तरहा …….अपनी हर हरक़त से वो बस आनंद के समुन्द्र में सुमन को गोते लगाते हुए देखना चाहता था.
 
सुमन को पलट उसने उसकी नाभि में अपनी नाक घुसा डाली. और सुमन फिर एक बार लज़्ज़त से भरी चीख मार बैठी

सुमन की नाभि तो जैसे उसकी नाक को निगल गयी ना वो छोड़ने को तयार थी ना वो निकालने को तयार था- सांस घुटने लगी पर सुमन के बदन की खुसबु ……तोबा…. सुनील कैसे उस खुश्बू से दूर रहता और सुमन उसका भी बुरा हाल था …… जानू प्लीज़ मत करो…… मान जाओ ना …. अहह उम्म्म्ममममम मत करो ना ……..आग से बढ़ कर कोई हो तो मैं बता पाउ के इस वक़्त सुमन का हाल क्या था……बर्दाश्त से बाहर हो गया तो टाँगे पटाकने लगी…पायल के छानकने की गूँज फ़िज़ा में फैल गयी. .. एक एक फुट उपर उसकी टाँगे उछालने लगी …. और वो बस यही गुहार लगाए जा रही थी ……..प्लीज़ मत करो ऐसा ……….और सुनील का बस चलता तो अपनी नाक से ही छेड़ कर उस गर्भाषय तक पहुँच जाता जहाँ उसका असल में पालन पोषण हुआ था.

सुमन की तड़प उसकी गुहार सब बेकार हो रही थी क्यूंकी सुनील तो बस अपनी ही दुनिया में था…...वो सुमन के बदन की खुसबु से खुद को एक पल के लिए भी दूर नही करना चाहता था.

आख़िर सुमन को ही कदम उठाना पड़ा और बालों से खींचते हुए सुनील को अपने चेहरे तक ले आई – इस वक़्त वो बुरी तरहा हाँफ रही थी जैसे मीलों किसी ओलिंपिक रेस की दौड़ लगा के आई हो.

हाँफते हुए बोली … ‘जान से मारना चाहते हो क्या मुझे…..कहाँ से सीखे हो ……’

‘कहा था ना सीख लूँगा जब वक़्त आएगा…..कुदरत सीखा देती है’

तो इस कुदरत ने सागर को क्यूँ नही सिखाया……फिर मजबूर हो गयी कंपॅरिज़न करने

‘फक मी नाउ – आइ कॅन’ट बेर इट एनी मोर’ तड़प रही थी वो--- एक लंड चाहिए था इस वक़्त उसे अपनी चूत में.

‘आइ कॅन’ट फक यू…..आइ कॅन ओन्ली लव यू’

जवाब दे उसने सुमन को उठा लिया अपने सीने से लगा लिया – और सुमन ने तड़प्ते हुए उसकी पीठ पे मुक्कों की बरसात शुरू कर दी.

औरत का बदन भी औरत की तरहा एक रहस्य होता है और इस रहस्य से सुनील आज पहली बार मिल रहा था. सुमन के बदन की खुश्बू उसकी मोहकता, उसके बदन से निकलती कामुक तरंगे - ये सब सुनील के लिए एक दम नया था .

सुमन की नाभि को चूमते हुए जब वो थोड़ा सा नीचे हुआ तो सुमन से बर्दाश्त ना हुआ और सारी लाज और शर्म त्याग कर उसने सुनील को खींच लिया और अपने होंठ उसके होंठों से चिपका दिए.

उम्म्म्मम दोनो ही सिसक पड़े.

सुमन के होंठों का रास्पान करते हुए सुनील उसके मम्मो को मसल्ने लगा और सुमन की सिसकियाँ उसके मुँह में घुलने लगी --- एक हाथ पीछे ले जा कर ब्रा का हुक खोल दिया और अपने दूसरे हाथ को ब्रा के अंदर डाल जब सुमन के नग्न उरोज़ का अहसास उसे प्राप्त हुआ उसके जिस्म में हलचल मचने लगी और उसकी पकड़ सुमन के उरोज़ पे सख़्त हो गयी. दर्द की लहर सुमन के जिस्म में दौड़ गयी - एक चीख निकली सुमन के मुँह से जिससे सुनील ने अपने होंठों से दबा दिया ----

अब सुनील अपने पागल पन को ना रोक सका और सुमन के होंठों को आज़ाद कर उसके ब्रा को उपर सरका उसके निपल को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा और दूसरे को अपनी उंगलियों में मसल्ने लगा.

अहह उफफफफ्फ़ हाऐईयईई आराम से .... धीरे माआअ सुमन बड़बड़ाने लगी.

रात काफ़ी आगे बढ़ चुकी थी और सुनील की उत्तेजना भी उसके हाथ नीचे की तरफ बढ़े और सुमन की पैंटी को उसके जिस्म से अलग करने लगे जिसमे सुमन ने खुद उसकी मदद करी और सुनील के पाजामे को खींचने लगी - सुनील थोड़ा हटा और अपना पाजामा और अंडर वेअर उतार दिया इतनी देर में सुमन भी अपनी ब्रा से मुक्त हो गयी. सुनील के खड़े लंड को देख सुमन थोड़ा घबरा गयी - सागर और समर दोनो से ही बड़ा था और कुछ ज़यादा मोटा भी ----- ये तो मेरी हालत खराब कर देगा --- उसने मन ही मन सोचा --- पर अपने आप को रोक ना पाई उसे अपने हाथों में थामने के लिए उसे महसूस करने के लिए.

अह्ह्ह्ह सुनील सिसक पड़ा जब सुमन की उंगलियों ने उसके लंड को अपने क़ब्ज़े में ले लिया.

सुमन सुनील को खींच रही थी उसे अपने उपर लेना चाहती थी लेकिन सुनील तो अभी सुमन के पूरे बदन से खेलना चाहता था.....उसके जिस्म के हर हिस्से में अपनी छाप लगाना चाहता था - अपने आप को मजबूत कर उसने खुद को सुमन से छुड़ाया और उसकी जाँघो के बीच बैठ उसकी टाँगें फैला दी - सुमन सोच रही थी कि आ गया अब वक़्त जब दोनो का संगम होगा ... पर अभी इसमे देर थी. सुनील तो बस सुमन की चूत देख रहा था जिसके लब उत्तेजना के कारण खुल रहे थे और बंद हो रहे थे.... उसकी चूत का रस धीरे धीरे टपक रहा था. सुमन की चूत के चारों तरफ मेहन्दी लगी हुई थी और बहुत ही अच्छे डिज़ाइन के एक कोने में सुनील का नाम भी लिख हुआ था. बालों से रहित सुमन की चूत सुनील को बुला रही थी -- उसे अपने अंदर लेना चाहती थी - जहाँ से वो निकला था आज उसे वहीं वापस जाना था.
 
सुनील धीरे धीरे झुकने लगा और अपना चेहरा सुमन की चूत से सटा दिया और उसके बदन की खुसबू का आनंद लेने लगा - मेहन्दी और सुमन की चूत से टपकते रस की खुश्बू का कॉकटेल उसे मदहोश करने लगा और उसकी ज़ुबान अपने आप बाहर निकल आई उसे चाटने के लिए..... जैसे ही उसकी ज़ुबान ने सुमन की चूत के लबों को छुआ

अहह आजा अब ...... नही रहा ... जाता..... और देर मत कर.....

सुमन सिसक सिसक के बोलने लगी.

सुनील को सुमन की चूत का रस इतना अच्छा लगा कि उसकी ज़ुबान तेज़ी से चलने लगी और सुमन अपनी टाँगे पटाकने लगी ...... बुरा हाल हो रहा था सुमन का.

प्यासे को जब प्यास लगती है कुआँ ढूँडने लगता है - यहाँ तो रस से भरा कुआँ सुनील की ज़ुबान के नीचे था ......जो सरसराती हुई चूत के अंदर घुस गयी.........ओमम्म्ममाआआअ सुमन चीखी और सुनील के सर को अपनी चूत पे दबा डाला...........उसका बस चलता तो सुनील का पूरा सर अपनी चूत में घुसा लेती इतनी ज़ोर से दबा रही थी. सुनील की ज़ुबान ने उसकी चूत में अपना नाटक शुरू कर दिया और सुमन तड़प के सुनील के बाल खींचने लगी.

अह्ह्ह्ह बासस्स्सस्स अहह ओउउउर्र्र्र्र्ररर न्न्न्ना हियीईईईईईई आआआआआआआआआआआ

उत्तेजना और कामुकता का बारोमीटर टूट गया और सुमन ने सुनील को अपने रस की बाढ़ से नहलाने की पूरी कोशिश करी. मचलती उछलती वो झड़ने लगी और सुनील लपलप उसके बहते रस को पीने लगा. इतना रस पीने के बाद भी उसकी प्यास नही भुजी थी उल्टा और भड़क गयी थी.

सुमन का मचलता बदन शांत हो गया थोड़ी देर में और वो तेज तेज साँसे लेने लगी.

सुनील की प्यास इतनी भड़क चुकी थी कि उसने सुमन की चूत को छोड़ा ही नही और उसकी चूत के एक एक लब को चूसने लगा -- कभी अपना दाँत गढ़ा देता तो सुमन चिल्ला पड़ती थोड़ी देर तो सुमन ने बर्दाश्त किया पर सुनील उसके जिस्म के तारों को फिर से बजाने लगा ....धीमा धीमा संगीत फिर शुरू हो गया सुमन के अंदर जिसके सुरों के साथ वो मचलने लगी.


सुमन की उत्तेजना बढ़ने लगी - बदन फिर से गरम होने लगा... अब तो हद हो गयी थी उसके सब्र की उसने सुनील को बालों से पकड़ खींचा और अपने उपर ले लिया .

उसके चेहरे पे फैले अपने रस को चाटने लगी - सुनीला का लंड सुमन की कट पे दस्तक दे रहा था. जैसे कह रहा बस थोड़ा इंतेज़ार और अभी समा जाउन्गा तुम्हारे अंदर.

सुनील उसके दोनो उरोज़ सहलाने और दबाने लगा ----- उफफफफफफ्फ़ और कितना सताओगे .......

मैं तो बस प्यार कर रहा हूँ मेरी जान --- मैं कहाँ तुम्हें सता रहा हूँ.....

इसे सताना नही तो और क्या कहते हैं..... आग भड़का दी है तुमने अब जल्दी भुजाओ नही तो जल के मर जाउन्गि.

सुमन ने सुनील के लंड को पकड़ अपनी चूत का रास्ता दिखा दिया.

कुदरत सब सीखा देती है ... सुनील ने एक झटका लगाया और मुश्किल से उसके लंड का सुपाडा सुमन की चूत में घुस्स पाया..... सुनील हैरान था कि ये कैसे हुआ..... सुमन तो कितनी बार........सुनील को ये नही मालूम था कि सुमन उसे सील तोड़ने का मज़ा चाहे ना दे सकती थी .... अपनी चूत को उसने ऐसा कर लिया था .... जैसे कुँवारी की चूत होती है.

सुनील का लंड जब थोड़ा अंदर घुसा तो सुमन की चीख निकल पड़ी........ आाआआईयईईईईई

सुनील थम गया और सुमन के होंठों पे अपनी ज़ुबान फेरने लगा.

'मेरे दर्द की परवाह मत करो - जो होना है होने दो - कम इनसाइड मे फुल्ली...' अटक अटक के सुमन बोली..... उसे यूँ लग रहा था जैसे कोई उसे चीर रहा हो और सुनील को यूँ लगा जैसे ग़लती से किसी छोटी गरम पाइप में अपना लंड घुसा बैठा हो. दर्द तो सुनील को भी हुआ था ..... फर्स्ट टाइम जो था उसका पर वो अपना दर्द दबा गया था.

सुमन ने अपनी चीख दबाने के लिए तकिये को अपने दाँतों से कस लिया ----- वरना पड़ोसियों को पता चल जाता.

सुमन की चूत बहुत गीली थी इसलिए ल्यूब्रिकेशन की ज़रूरत नही थी पर सांकरी इतनी थी कि ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने बाँस घुसा दिया हो उसकी चूत में.

सुनील ने दो तीन धक्के लगातार लगा दिए और अपना आधा लंड उसकी चूत में घुसा रुक गया.... सुनील को भी काफ़ी दर्द हुआ और सुमन ने तकिये को मजबूती से अपने दाँतों से काटा ताकि उसकी चीख ना निकल पाए पर दर्द की अधिकता से उसके आँसू बहने लगे थे.

सुमन के आँसू , उसका दर्द से विकृत होता हुआ चेहरा सुनील को सब बता रहे थे कि कितनी तकलीफ़ हो रही थी सुमन को. वो आगे बढ़ने से रुक गया और सुमन को आराम दिलाने के लिए उसके निपल को चूसने लग गया. थोड़ी देर बाद जब सुमन का दर्द कम हुआ तो तकिया उसके मुँह से निकल गया ....

अहह म्म्म्मदमममाआआआआअ सुमन दर्द से सिसकने लगी, पर उसकी आवाज़ अब कमरे से बाहर नही जा रही थी. सुनील ने उसके निपल को छोड़ उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया. अभी सुमन को नही पता था कि सुनील अभी आधा बाहर ही है. जब सुमन मस्त होने लगी तो उसने अपनी कमर हिला के सुनील को इशारा किया शुरू करने के लिए.

सुनील आगे नही बढ़ा पर धीरे धीरे अपना लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया.

उफफफ्फ़ उम्म्म्म ह

सुमन की मस्ती भरी सिसकियाँ शुरू हो गयी. उसकी चूत ने रस बहाना शुरू कर दिया और सुनील का लंड आराम से अंदर बाहर होने लगा . सुमन उसकी पीठ सहलाने लगी .

सुनील आज पहली बार नारी को भोग रहा था - वो ज़यादा देर तक टिकने नही वाला था - ऐसा सब के साथ होता है पहली बार - उत्तेजना संभाली नही जाती है.

वो अपनी तरफ से पूरी कोशिश करने लगा कि पहले सुमन का ओर्गसम हो जाए . उसके धक्के तेज हो गये और सुमन भी सिसकती हुई उसका साथ दे रही थी अपनी गान्ड उछाल उछाल कर.

सुनील पूरा सुमन के अंदर समा जाना चाहता था - पर इतना वक़्त नही था उसके पास.

फ़चफच फॅक की आवज़ें कमरे में गूँज रही थी सुमन की चूत सुनील के लंड के हिसाब से फैल चुकी थी

सुमन जब अपने ऑर्गॅज़म के नज़दीक पहुँचने लगी तो उसने सुनील को उकसाना शुरू कर दिया

तेज और तेज हाँ हाँ और और यस यस डू इट

उफफफफफफफफफफ्फ़ अहह

सुनील पसीने से लथपथ हो चुका था, दोनो ही हाँफ रहे थे पर रुकने का नाम नही ले रहे थे.

ओमम्म्माआआआआ एक जबरदस्त चीख के साथ सुमन झड़ने लगी उसके नाख़ून सुनील की पीठ में घुस्स गये ....... अब सुनील भी नही रुक सकता था उसे एक तेज धक्का मारा पूरा लंड सुमन के अंदर घुस्सा दिया और अहह करता हुआ झड़ने लगा.

अपने ऑर्गॅज़म में डूबी सुमन चीख पड़ी ........... ये क्या हुआ..... क्या वो अभी तक पूरा अंदर नही गया था.

सुनील हांफता हुआ सुमन पे गिर पड़ा और सुमन उसे समझ ही ना आया ये इतने तेज ऑर्गॅज़म के बीच उसे भीषण दर्द क्यूँ हुआ.

दोनो हाँफ रहे थे.


जिंदगी अपना रास्ता बदल चुकी थी - रिश्ते बदल गये थे, पर इस बात का दोनो को कोई गम नही था .......प्यार...कहाँ से ...कहाँ ले जाता है.

सुनील की साँस जब संबली तो वो सुमन के उपर से हट उसकी बगल में लेट गया.....पक की आवाज़ हुई जैसे बॉटल का ढक्कन खोला गया हो जब उसका थोड़ा मुरझाया हुआ लंड सुमन की चूत से बाहर निकला.

सुमन की कमर में तेज दर्द उठ गया था सुनील के आखरी झटके की वजह से.

पर सुमन को इस बात की खुशी थी कि पहली बार सुनील कामयाब रहा.... वरना कयि तो पहली बार चूत में घुस्स ही नही पाता और उत्तेजना के कारण पहले ही झड जाते हैं.

सुमन की चूत बुरी तरहा सूज गयी थी और सुनील को मज़ा देने के कारण उसने अपनी चूत टाइट करने का जो कारनामा किया था एक आयंटमेंट लगा कर उसका ख़ामियाजा तो भुगतना ही था - दर्द तो दर्द ---- वो तो होना ही था---- उसकी चूत ने खून भी बहुत बहाया था.

सुनील बाथरूम जाने के लिए उठा तो उसकी नज़र सुमन पे पड़ी ---- उसकी टाँगों के बीच खून का सैलाब देख घबरा गया --- फटाफट बाथरूम में घुसा इन्स्टेंट गीज़र ऑन किया और तोलिया गरम पानी में भिगो के ले आया और आराम आराम से सुमन की चूत सॉफ करने लगा .

फिर फर्स्ट एड बॉक्स से पेन किल्लर निकाल कर सुमन को दिया - जो आँखें बंद कर अपने दर्द को सहने की कोशिश कर रही थी.
 
पेन किल्लर देने के बाद वो बाथरूम गया फ्रेश हुआ और साथ ही टब गरम पानी से भर दिया.

फिर कमरे में आकर सुमन की टाँगों के बीच बैठ गया और अपने मुँह की भाप की गर्मी से सुमन की चूत की सिकाई करने लगा.

'क्या कर रहे हो - छोड़ो - ' सुमन को शर्म आ रही थी और बहुत प्यार आ रहा था सुनील पे.

'कुछ नही तुम बस लेटी रहो'

थोड़ी देर ऐसे ही सुमन की सिकाई करता रहा और फिर सुमन को गोद में उठा कर बाथरूम ले गया और धीरे से बाथ टब में लिटा दिया.

गरम पानी सुमन के दुख़्ते जिस्म को सकुन पहुँचाने लगा.

'अब तुम बाहर जाओ'

'क्यूँ'

'जाओ ना शर्म आ रही है'

'तुम यार शरमाती बहुत हो'

'नही जाओ बस मेरी कसम'

मूँह बनाता हुआ सुनील बाहर निकल गया और सुमन अपना दर्द भूल खिलखिला पड़ी उसके चेहरे की रंगत देख.

'पक्का बेशर्म है' आपने आप से बोली उसके बाहर निकलने के बाद.

सूरज को जब पता चला कि चाँद छुप छुप के इनकी प्रेम लीला देख रहा था तो उसने चाँद को साइड कर दिया और खुद आगे आ गया. चिड़ियाँ चेह्चहा कर इनके जीवन की नयी शुरुवत की बधाइयाँ देने लगी.

सुनील अपने कमरे में जा कर बाथरूम में घुस्स गया और नहाने लगा. नहाते नहाते सुनील सोचने लगा - सुमन दुनिया से सब छुपाएगी कैसे - ये मेहन्दी भरे हाथ और पैर - माँग में सिंदूर, गले में मन्गल्सूत्र---- ये कैसे छुपेंगे... उसे सुमन की टेन्षन होने लगी - किसी भी कीमत पे वो नही चाहता था कि कोई भी उस पर उंगली उठा सके.

इसका हल उसे आज ही निकालना था.

नहाने के बाद वो तयार हुआ और किचन में घुस गया कॉफी बनाने के लिए. इस वक़्त वो बस यही सोच रहा था कि क्या करे.

सुनील एक कप कॉफी पी चुका था और सुमन का इंतेज़ार कर रहा था जिसे करीब घंटा हो गया था बाथरूम में.

‘यार कितना टाइम लोगि’ उसने बाथरूम के डोर पे नॉक करते हुए पूछा.

‘बस 5 मिनट और’

. उसने फिर दो कप कॉफी बनाई और सुमन का इंतेज़ार करने लगा. सुमन बाथरूम से बाथरोब पहन के बाहर निकली और देखा कि गरमागरम कॉफी उसका वेट कर रही थी.

‘अपनी तो किस्मेत चमक गयी – सुबह सुबह मिया जी के हाथ की बनी कॉफी मिल रही है’ सुमन – सुनील के साथ चिपक के बैठ गयी और कॉफी का कप उठा लिया.

सुनील ने कोई रिक्षन नही दिया बस सुमन को देखने लगा – बालों से टपकती पानी की बूंदे जब उसके गालों पे गिरती तो शरमाते हुए नीचे फिसल जाती. सुमन को देख के ही लग रहा था कि कितनी खुश है --- उसका चेहरा दमकने लगा था.

सुनील को सीरीयस देख उसने पूछ ही लिया – ‘क्या हुआ ये चेहरे पे 12 क्यूँ बजे हुए हैं.

‘ये जो तुमने इतनी नक्काशी करी हुई है वो दुनिया से कैसे छुपाओगी – गले में मन्गल्सुत्र, माँग में सिंदूर – अँधा भी समझ जाएगा – शादी कर चुकी हो – दस सवाल खड़े होंगे --- तुम कह रही थी अभी ये बात किसी को नही बताएँगे ---- तो फिर कैसे --- क्या सोच रखा है तुमने’

‘जान ये बातें बाद में करेंगे – अभी मूड बहुत अच्छा है खराब मत करो’

‘आइ’म डॅम सीरीयस बेबी – डॉन’ट वान्ट एनी वन टू लिफ्ट फिंगर अट यू --- आइ कॅन’ट बेअर युवर इन्सल्ट.’ सुनील कुछ ज़ोर से बोला.

सुमन उसका गुस्सा देख सीरीयस हो गयी.

‘किसी को कुछ नही पता चलेगा – 10 दिन की छुट्टी ले रखी है – तब तक ये मेहन्दी गायब हो जाएगी – घर से निकलूंगी तब कोई देखेगा ना – रही बात सविता की तो मुझे उससे कोई डर नही वो मेरी बात समझ जाएगी ---- मंगल सुत्र को मॉडिफाइ करवालूँगी कमरबंध में जो किसी को नज़र नही आएगा- लिपस्टिक और नाइल पोलिश नॅचुरल यूज़ करूँगी – कपड़े वही पुराने पहनुँगी ताकि विधवा लगूँ ---- सिर्फ़ रात को तुम्हारे सामने रंगीन कपड़े पहनुँगी – जी भर के अपने अरमान पूरे करूँगी – खूब सजुन्गि सांवारूँगी – रही बात सिंदूर की तो लगाउन्गी ज़रूर पर माँग में नही कहीं और--- अब खुश – हो गयी तुम्हारी प्राब्लम सॉल्व – जब तक तुम्हारी डिग्री पूरी नही हो जाती मुझे ये करना पड़ेगा – दुनिया के सामने मुहे विधवा के रूप में ही रहना पड़ेगा – जब मेरा प्यार मुझ से इम्तिहान माँग रहा है तो देना तो पड़ेगा ही’ सुमन की आँखों में आँसू आ गये थे.

प्यार क्या क्या करवाता है !!!!

एक सधवा विवश हो गयी विधवा का रूप ले कर जीने के लिए. ये दर्द सहना कोई आसान काम नही था.

सुनील ने उसे अपनी गोद में खींच लिया – पछता रहा था – गुस्सा क्यूँ – किया --- सुमन का दर्द समझ रहा था ----अपने पे गुस्सा आने लगा उसे – क्यूकी कोई और रास्ता पासिबल नही था और अभी ओपन्ली डिक्लेर नही कर सकते थे.

सुनील – सुमन के आँसू चाटने लगा -----‘बस अब रोओ मत - मेरी वजह से तुम्हें क्या क्या नही करना और सहना पड़ रहा ‘

‘छोड़ो मुझे जाओ तुम से बात नही करती मैं – सुबह सुबह मूड खराब कर दिया’

‘ लो अभी ठीक कर देता हूँ’ कह कर उसने सुमन के होंठों से अपने होंठ चिपका दिए पर सुमन बिदक गयी – उसकी गोद से खड़ी हो कॉफी का कप ले कर हॉल में चली गयी.

सुनील उसे जाता हुआ देखता रहा कुछ देर ---- - और लपका उसके पीछे ----आज मनाना इतना आसान नही था.

सुनील अभी हाल में घुसा ही था कि डोर बेल बजने लगी.

सुमन अंदर भागी ये बोलते हुए - कोई भी हो कह देना 10 दिन के लिए बाहर गयी हूँ.

कॉन हो सकता है – ये सोच के सुनील भी परेशान हो गया. एक पल को लगा कि कहीं मैड तो नही आ गयी – उसे मना भी नही कर पाएगा काम करने से और उसने सुमन को देख लिया तो.????

धड़कते दिल से उसने दरवाजा खोला तो सामने सविता और उसके साथ एक और लेडी थी.
रूबी साथ में नही दिख रही थी.

‘अरे सुनील कैसा है – तेरे से तो मुलाकात बहुत ही कम होती है अब’ सविता ने अंदर आते हुए कहा – सुनील ने चरण स्पर्श किए और दूसरी लेडी को नमस्ते की.

इससे पहले की सविता और कुछ बोलती – सुनील बोल पड़ा --- मासी मोम – 10 दिन के लिए बाहर गयी है.

‘ओह नो….. आज कितने सालों बाद मिलने का मोका मिला तो मेडम घर ही नही हैं’ वो दूसरी लेडी बोली.

सविता ; कामया बैठ मैं अभी आती हूँ – चाइ लेगी या कॉफी.

कामया : नही यार कुछ नही मैं चलती हूँ --- मूड ऑफ हो गया सुमन मिल जाती तो मज़ा आ जाता – अब तो घर देख लिया है – आती रहूंगी.

सविता : अरे बैठ ना … अभी कहाँ चल दी.

कामया : नही यार और भी बहुत दोस्तो से मिलना है – फिर आउन्गि

ये कह कर वो चल दी – सुनील ने दरवाजा बंद किया और चैन की सांस ली.

हाल से आती हुई आवाज़ों से सुमन समझ चुकी थी कि सविता वापस आ गयी है – उसे डर था कि कहीं वो उसके बेडरूम में ना आ धमके कामया को लेकर. जब कामया चली गयी तो उसे चैन मिला.

अब घड़ी आ गयी थी सविता को सच बताने की.

सुनील चुप चाप सोफे पे बैठ गया और सोचने लगा क्या रियेक्शन होगा - सविता का जब वो सुमन से मिलेगी.

सविता : कहाँ गयी - कुछ बताया भी नही .

तभी अंदर से सुमन की आवाज़ आई - सवी अंदर आ जा

सविता : ये ये... तो सूमी की आवाज़ है - सुनील अब तू झूठ भी बोलने लगा --- मुझे तुझ से ये उम्मीद नही थी. (उसकी आवाज़ में गुस्सा था)

सुनील चुप रहा कोई जवाब नही दिया. गुस्से से सुनील को देखती हुई वो अंदर चली गयी. सुमन अभी भी बाथरूम में थी.

सविता की नज़र जैसे ही सुमन पे पड़ी उसका मुँह खुला रह गया.

'तू पागल हो गयी है क्या ---- ये सब --- मेहन्दी - सिंदूर ..... दिमाग़ खराब हो गया है तेरा - कोई देखेगा तो क्या कहेगा - कमिनि विधवा है तू' सविता बहुत ज़ोर से चिल्लाई .
विधवा शब्द सुनते ही सुमन का पारा चाड गया उतनी ही ज़ोर से चिल्लाई. ' चुप चिल्ला मत --- बैठ आराम से सब बताती हूँ'
 
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