hotaks444
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दोनो के चिल्लाने की आवाज़ें बाहर बैठा सुनील सुन रहा था - पहले सोचा अंदर चला जाए --- फिर चुप रह गया - लेट दा टू सिस्टर्स सॉर्ट देम्सेल्व्ज़ ऑन देयर ओन.
- एक ठंडी साँस ले वहीं सोफे पे निढाल हो गया.
'क्या बताएगी --- स्क्रू ढीला हो गया है तेरा --- थू थू करेंगे सब '
'कमिनि बोले ही जा रही है - कहा आराम से बैठ सब बताती हूँ - समझ में नही आया क्या - कॉन सी भाषा समझती है तू'
' बड़ी है तू इसलिए चुप हूँ वरना अभी 2-3 धर देती ---- सॉफ कर ये सब ' सविता - सुमन की माँग से सिंदूर पोंछने के लिए अपना हाथ आगे बड़ा दिया.
'खबरदार ----- शादी करली है मैने' उसके हाथ को झटकते हुए सुमन चिल्लाई.
बॉम्ब फट गया---- सविता को अपने कानो पे यकीन ही ना हुआ - कि अभी उसने क्या सुना है.
आँखें फाडे वो सुमन को देखने लगी - मुँह खुला रह गया.
'अब आराम से बैठ और आवाज़ उँची मत करियो' चिल्लाने की वजह से सुमन की सांस तेज हो चुकी थी. वो अपनी सांस को संभालने के लिए बैठ गयी.
'श श शादी .......रातों रात कर ली शादी...... खुद पागल हो चुकी है अब मुझे भी करेगी'
'अरे बैठ ना मेरी जान सब बताती हूँ ' सुमन ने सविता को खींच अपने साथ बिठा लिया
सविता हैरानी से सुमन को देख रही थी --- उसे सुमन बिल्कुल पागल लग रही थी - उसने देखा था सागर के जाने के बाद कैसे टूट गयी थी - हर दम उदास रहती थी किसी काम में मन नही लगता था....... लगता है दिमाग़ पे बहुत ज़ोर पड़ गया है.... तभी ऐसी हरकत करी है...... सविता मन ही मन सोच रही थी.
'याद है तुझे सागर का वो एसएमएस जो उसने सुनील को भेजा था मरने से पहले'
सविता को रूबी वाली बात तो याद थी पर ये किस एसएमएस की बात हो रही है ------ 'क क कॉन सा ---- यही तो था सेव रूबी.....'
'साथ में उसने कुछ और भी लिखा था --- याद कर'
'इस सब का तेरी इस हरकत से क्या लेना देना'
'इसी का ही तो लेना देना है'
'सुनो - ज़रा अपना मोबाइल देना' सुमन ने सुनील को पुकारा और जिस तरहा पुकारा सविता को लगा ये तो बिल्कुल गयी - कैसे पुकार रही है अपने बेटे को.
सुनील अंदर आ गया और सुमन की तरफ अपना मोबाइल बढ़ा दिया, वो पहले ही समझ गया था कि सुमन मोबाइल क्यूँ माँग रही है - इसलिए उसने वो मेसेज ही खोल डाला था.
मोबाइल देते वक़्त 'अपनी वॉल्यूम कम रखो - यू आर शाउटिंग टू मच पड़ोसी तक आवाज़ चली जाएगी ......केर फॉर आ कॉफी आइ थिंक यू बोथ विल नीड इट'
'नेकी और पूछ पूछ - सर्टन्ली - थॅंक्स स्वीट हार्ट - अगर तुम्हें तकलीफ़ ना हो'
सविता देख रही थी दोनो कैसे बातें कर रहे हैं - कानो से धुआँ निकलना शुरू हो गया --- उसे लग रहा था ये तो गयी अब मेरी बारी है - ये हो क्या रहा है.
सुनील के जाते ही --- सुमन ने - सविता की तरफ देखा -- उसकी शकल पे पूरे 2.30 बजे हुए थे - हँसी निकल गयी सुमन की.
'ले ये देख '
हां - सविता अपने ख़यालों से बाहर निकली और सागर का मसेज देखा - जिसमे लिखा था - रीप्लेस मी.
सविता को ये मेसेज याद नही था. उसे अपनी आँखों पे विश्वास नही हो रहा था. एक बाप अपने बेटे को!!!!!! नही...... ये नही हो सकता...... पागल हो जाउन्गि मैं.
मतलब---- सूमी और - सुनील !!!!!!!!! सूमी ने सुनील से शादी......ओह गॉड......हाउ कॅन दिस बी पासिबल.
बवंडर उठ रहे थे सविता के दिमाग़ में --- आज उसे अपने कानो और आँखों से भरोसा उठता हुआ लग रहा था. गुस्से की तेज लहर उसके जिस्म में दौड़ गयी.
'आख़िर गंदा खून गंदा ही निकला....'
सुनील कॉफी ले कर आ रहा था और उसने ये अल्फ़ाज़ सुन लिए - आग लग गयी उसके तन बदन में.
धाड़ लात मार के उसने दरवाजा खोला .
हाथ में ट्रे थी जिसमे कॉफी के दो मग थे--- लेकिन उसका चेहरा .....उसका वो भोलापन गायब हो चुका --- एक दम पत्थर बन चुका था वो -- उसके अंदर बसा हुआ शेर - जिसे वो बंद के रखता था बाहर निकल आया.
सविता की नज़र उसपे पड़ी तो उसे वही सुनील दिखा जब उसकी और समर की भिड़ंत हुई थी.
कांप गयी सविता. और सुमन.... वो तो ये रूप पहली बार देख रही थी --- पत्ते की तरहा काँपने लगी.
सुनील ने ट्रे उन दोनो के बीच रखी - सविता को घूरा और बाहर निकल गया. उसने कैसे अपने पे कंट्रोल रखा था - ये वो ही जानता था.
सुनील एक घायल शेर की तरहा हॉल में इधर से उधर चल रहा था – अपने गुस्से को कंट्रोल में रखने की कोशिश करते हुए उसने दीवार पे मुक्के बरसाने शुरू कर दिए ‘ गंदा खून’ ये अल्फ़ाज़ पिघले हुए शीशे की तरहा उसके कानो में उतरे थे.
जिस बात को वो भूलना चाहता था आज फिर वही बात सविता ने याद करवा दी – के उसके अंदर समर का खून है. तड़पने लगा वो .
कमरे में बैठी सुमन – जो सूखे पत्ते की तरहा काँपने लगी थी सुनील की दशा देख होश में आई और उसका हाथ उठ गया – सब कुछ बर्दाश्त कर सकती थी वो – पर कोई सुनील को ऐसी गाली दे – ये उसकी बर्दाश्त की सीमा से परे था.
क्या हालत हो रही होगी उसकी –इसका वो बखूबी अंदाज़ा लगा सकती थी.
‘गंदा खून ….. तेरी हिम्मत कैसे हुई …. सुनील के ये सब बोलने की – क्या जानती है तू उसके बारे में…. वो सिर्फ़ सागर का बेटा है --- सिर्फ़ सागर का’
सविता तो तब होश में आई जब उसके गाल पे सुमन का थप्पड़ पड़ा.
‘और क्या जैसा रमण निकला वैसा ये – वो रूबी के साथ लग गया – ये तेरे साथ’ तू ..
‘अच्छा – अगर इस्पे उस कुत्ते का असर है – तो आज तक तेरी रूबी बची कैसे हुई है – सब से पहले उसे ही पता चला था रमण और रूबी के बारे में --- क्या किया इसने रूबी के साथ – बराबर उम्र का होते हुए भी बड़े भाई की तरहा उसकी देखभाल कर रहा है --- क्यूँ नही ब्लॅकमेल किया इसने रूबी को और उसका फ़ायदा उठाया. वो वाहियात तस्वीर जो रमण ने भेजी थी – दिखा कर. रूबी की हालत किसने समझी और हमे समझने पे मजबूर किया.
और सुन… कामिनी… याद है इसे मैं खजुराहो ले गयी – सेक्स लेसन्स देने के लिए …. क्या किया इसने मेरे साथ ….. कुछ नही - मैं ही पीछे पड़ी रही … पर ये आगे नही बढ़ा.
और जानती है – सागर का ये हुकुम मानने को ये बिल्कुल तयार नही था….. मैं बिखर चुकी थी …. मेरे लिए … मेरी खुशी के लिए ये आगे बढ़ा … लेकिन फिर पीछे हट गया…. तब मैने इसे मजबूर किया मेरी माँग भरने के लिए’ ये कह सुमन रोने लगी.
'सागर मेरे लिए सही चाय्स कर के गया था. मुझे सागर पे गर्व है और उससे ज़यादा सुनील पे.' वो सुबक्ते हुए बोली.
धमाके पे धमाका हो रहा था सविता के अंदर . जिंदगी के कुछ ग़लत फ़ैसले – जिंदगा को कहाँ से कहाँ ले जाते हैं. इन्सेस्ट इस घर की जड़ों में आके बैठ गया.
सुनील के कॅरक्टर को सविता अब समझने लगी – वो खुद भी तो बिना अपने पति के इतने महीनो से रह रही है – सुनील ने एक बार भी उसे सिड्यूस करने की कोशिश नही करी.
सविता की आँखों से आँसू टपकने लगे वो सुमन के गले लग बिलखने लगी.
थोड़ी देर बाद दोनो संभली .
सविता के मन से अंधेरा दूर हो चुका था.
‘चल जीजू के पास चलते हैं – माफी माँगनी है मैने’ ( लेकिन अब भी उसके दिल में ये सवाल था - क्या ये ठीक हुआ ? -- माँ और बेटे का संगम???)
क्या वाक़ई में सविता कन्विन्स हो गयी थी - या ये तुफ्फान आने से पहली की शांति हो गयी थी.
दोनो हाल में गयी तो जो नज़ारा देखा वो सुमन की रूह तक को घायल कर गया.
- एक ठंडी साँस ले वहीं सोफे पे निढाल हो गया.
'क्या बताएगी --- स्क्रू ढीला हो गया है तेरा --- थू थू करेंगे सब '
'कमिनि बोले ही जा रही है - कहा आराम से बैठ सब बताती हूँ - समझ में नही आया क्या - कॉन सी भाषा समझती है तू'
' बड़ी है तू इसलिए चुप हूँ वरना अभी 2-3 धर देती ---- सॉफ कर ये सब ' सविता - सुमन की माँग से सिंदूर पोंछने के लिए अपना हाथ आगे बड़ा दिया.
'खबरदार ----- शादी करली है मैने' उसके हाथ को झटकते हुए सुमन चिल्लाई.
बॉम्ब फट गया---- सविता को अपने कानो पे यकीन ही ना हुआ - कि अभी उसने क्या सुना है.
आँखें फाडे वो सुमन को देखने लगी - मुँह खुला रह गया.
'अब आराम से बैठ और आवाज़ उँची मत करियो' चिल्लाने की वजह से सुमन की सांस तेज हो चुकी थी. वो अपनी सांस को संभालने के लिए बैठ गयी.
'श श शादी .......रातों रात कर ली शादी...... खुद पागल हो चुकी है अब मुझे भी करेगी'
'अरे बैठ ना मेरी जान सब बताती हूँ ' सुमन ने सविता को खींच अपने साथ बिठा लिया
सविता हैरानी से सुमन को देख रही थी --- उसे सुमन बिल्कुल पागल लग रही थी - उसने देखा था सागर के जाने के बाद कैसे टूट गयी थी - हर दम उदास रहती थी किसी काम में मन नही लगता था....... लगता है दिमाग़ पे बहुत ज़ोर पड़ गया है.... तभी ऐसी हरकत करी है...... सविता मन ही मन सोच रही थी.
'याद है तुझे सागर का वो एसएमएस जो उसने सुनील को भेजा था मरने से पहले'
सविता को रूबी वाली बात तो याद थी पर ये किस एसएमएस की बात हो रही है ------ 'क क कॉन सा ---- यही तो था सेव रूबी.....'
'साथ में उसने कुछ और भी लिखा था --- याद कर'
'इस सब का तेरी इस हरकत से क्या लेना देना'
'इसी का ही तो लेना देना है'
'सुनो - ज़रा अपना मोबाइल देना' सुमन ने सुनील को पुकारा और जिस तरहा पुकारा सविता को लगा ये तो बिल्कुल गयी - कैसे पुकार रही है अपने बेटे को.
सुनील अंदर आ गया और सुमन की तरफ अपना मोबाइल बढ़ा दिया, वो पहले ही समझ गया था कि सुमन मोबाइल क्यूँ माँग रही है - इसलिए उसने वो मेसेज ही खोल डाला था.
मोबाइल देते वक़्त 'अपनी वॉल्यूम कम रखो - यू आर शाउटिंग टू मच पड़ोसी तक आवाज़ चली जाएगी ......केर फॉर आ कॉफी आइ थिंक यू बोथ विल नीड इट'
'नेकी और पूछ पूछ - सर्टन्ली - थॅंक्स स्वीट हार्ट - अगर तुम्हें तकलीफ़ ना हो'
सविता देख रही थी दोनो कैसे बातें कर रहे हैं - कानो से धुआँ निकलना शुरू हो गया --- उसे लग रहा था ये तो गयी अब मेरी बारी है - ये हो क्या रहा है.
सुनील के जाते ही --- सुमन ने - सविता की तरफ देखा -- उसकी शकल पे पूरे 2.30 बजे हुए थे - हँसी निकल गयी सुमन की.
'ले ये देख '
हां - सविता अपने ख़यालों से बाहर निकली और सागर का मसेज देखा - जिसमे लिखा था - रीप्लेस मी.
सविता को ये मेसेज याद नही था. उसे अपनी आँखों पे विश्वास नही हो रहा था. एक बाप अपने बेटे को!!!!!! नही...... ये नही हो सकता...... पागल हो जाउन्गि मैं.
मतलब---- सूमी और - सुनील !!!!!!!!! सूमी ने सुनील से शादी......ओह गॉड......हाउ कॅन दिस बी पासिबल.
बवंडर उठ रहे थे सविता के दिमाग़ में --- आज उसे अपने कानो और आँखों से भरोसा उठता हुआ लग रहा था. गुस्से की तेज लहर उसके जिस्म में दौड़ गयी.
'आख़िर गंदा खून गंदा ही निकला....'
सुनील कॉफी ले कर आ रहा था और उसने ये अल्फ़ाज़ सुन लिए - आग लग गयी उसके तन बदन में.
धाड़ लात मार के उसने दरवाजा खोला .
हाथ में ट्रे थी जिसमे कॉफी के दो मग थे--- लेकिन उसका चेहरा .....उसका वो भोलापन गायब हो चुका --- एक दम पत्थर बन चुका था वो -- उसके अंदर बसा हुआ शेर - जिसे वो बंद के रखता था बाहर निकल आया.
सविता की नज़र उसपे पड़ी तो उसे वही सुनील दिखा जब उसकी और समर की भिड़ंत हुई थी.
कांप गयी सविता. और सुमन.... वो तो ये रूप पहली बार देख रही थी --- पत्ते की तरहा काँपने लगी.
सुनील ने ट्रे उन दोनो के बीच रखी - सविता को घूरा और बाहर निकल गया. उसने कैसे अपने पे कंट्रोल रखा था - ये वो ही जानता था.
सुनील एक घायल शेर की तरहा हॉल में इधर से उधर चल रहा था – अपने गुस्से को कंट्रोल में रखने की कोशिश करते हुए उसने दीवार पे मुक्के बरसाने शुरू कर दिए ‘ गंदा खून’ ये अल्फ़ाज़ पिघले हुए शीशे की तरहा उसके कानो में उतरे थे.
जिस बात को वो भूलना चाहता था आज फिर वही बात सविता ने याद करवा दी – के उसके अंदर समर का खून है. तड़पने लगा वो .
कमरे में बैठी सुमन – जो सूखे पत्ते की तरहा काँपने लगी थी सुनील की दशा देख होश में आई और उसका हाथ उठ गया – सब कुछ बर्दाश्त कर सकती थी वो – पर कोई सुनील को ऐसी गाली दे – ये उसकी बर्दाश्त की सीमा से परे था.
क्या हालत हो रही होगी उसकी –इसका वो बखूबी अंदाज़ा लगा सकती थी.
‘गंदा खून ….. तेरी हिम्मत कैसे हुई …. सुनील के ये सब बोलने की – क्या जानती है तू उसके बारे में…. वो सिर्फ़ सागर का बेटा है --- सिर्फ़ सागर का’
सविता तो तब होश में आई जब उसके गाल पे सुमन का थप्पड़ पड़ा.
‘और क्या जैसा रमण निकला वैसा ये – वो रूबी के साथ लग गया – ये तेरे साथ’ तू ..
‘अच्छा – अगर इस्पे उस कुत्ते का असर है – तो आज तक तेरी रूबी बची कैसे हुई है – सब से पहले उसे ही पता चला था रमण और रूबी के बारे में --- क्या किया इसने रूबी के साथ – बराबर उम्र का होते हुए भी बड़े भाई की तरहा उसकी देखभाल कर रहा है --- क्यूँ नही ब्लॅकमेल किया इसने रूबी को और उसका फ़ायदा उठाया. वो वाहियात तस्वीर जो रमण ने भेजी थी – दिखा कर. रूबी की हालत किसने समझी और हमे समझने पे मजबूर किया.
और सुन… कामिनी… याद है इसे मैं खजुराहो ले गयी – सेक्स लेसन्स देने के लिए …. क्या किया इसने मेरे साथ ….. कुछ नही - मैं ही पीछे पड़ी रही … पर ये आगे नही बढ़ा.
और जानती है – सागर का ये हुकुम मानने को ये बिल्कुल तयार नही था….. मैं बिखर चुकी थी …. मेरे लिए … मेरी खुशी के लिए ये आगे बढ़ा … लेकिन फिर पीछे हट गया…. तब मैने इसे मजबूर किया मेरी माँग भरने के लिए’ ये कह सुमन रोने लगी.
'सागर मेरे लिए सही चाय्स कर के गया था. मुझे सागर पे गर्व है और उससे ज़यादा सुनील पे.' वो सुबक्ते हुए बोली.
धमाके पे धमाका हो रहा था सविता के अंदर . जिंदगी के कुछ ग़लत फ़ैसले – जिंदगा को कहाँ से कहाँ ले जाते हैं. इन्सेस्ट इस घर की जड़ों में आके बैठ गया.
सुनील के कॅरक्टर को सविता अब समझने लगी – वो खुद भी तो बिना अपने पति के इतने महीनो से रह रही है – सुनील ने एक बार भी उसे सिड्यूस करने की कोशिश नही करी.
सविता की आँखों से आँसू टपकने लगे वो सुमन के गले लग बिलखने लगी.
थोड़ी देर बाद दोनो संभली .
सविता के मन से अंधेरा दूर हो चुका था.
‘चल जीजू के पास चलते हैं – माफी माँगनी है मैने’ ( लेकिन अब भी उसके दिल में ये सवाल था - क्या ये ठीक हुआ ? -- माँ और बेटे का संगम???)
क्या वाक़ई में सविता कन्विन्स हो गयी थी - या ये तुफ्फान आने से पहली की शांति हो गयी थी.
दोनो हाल में गयी तो जो नज़ारा देखा वो सुमन की रूह तक को घायल कर गया.