hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
राज भारी शरीर का आदमी था, दोनों लड़कियाँ उसकी गोद में समा गयीं।फिर उसने सरिता के भी होंठ चूसे।शालू बोली- दीदी आपने मुझे ये क्यों नहीं बताया की आपके पापा से सम्बंध हैं? सरिता बोली-तुमने अपने पापा को अपने और मेरे सम्बंध के बारे में बताया क्या? राज ने दोनों के कंधों से हाथ नीचे लाकर दोनों को एक एक चुचि हाथ मेंलेकर दबाते हुए पूछा- तुम दोनों का कैसा सम्बंध? अब शालू शर्माकर सरिता की तरफ़ देखी, पर सरिता ने मुस्कुराते हुए कहा- आपसे पहले मैं शालू के साथ सेक्स का मज़ा ले चुकी हूँ। अब राज हैरान हो कर बोला- ओह इसका मतलब तुम लोग बहुत चालू हो? बताओ तुम दोनों ने क्या क्या किया? अब राज उन दोनों की छातियाँ मस्ती से मसलने लगा था। सरिता बोली- हमने वैसे ही मज़ा लिया जैसे लंड के बिना लड़कियाँ लेती हैं। हमने एक दूसरे की चूचियाँ दबायीं और चूसीं और चूत चाटी , बस यही किया। राज का लंड अब खड़ा हो रहा था, वो बोला-तो तुम दोनों झड़ीं थीं क्या? ऐसा बोलते हुए उसने अपने हाथ को सरिता की सलवार के ऊपर से उसकी चूत पर रखा और मसलने लगा। शालू बोली- जी पापा हम दोनों झंडी थीं, दीदी तो इतना मस्त चूसी मेरी छातियाँ और चूत , मैं तो बहुत जल्दी ही झड़ गई थी।सरिता के मुँह से आह निकल गयी, क्योंकि राज ने उसकी चूत में कपड़े के ऊपर से २ उँगली डाल दी थी। शालू ने भी देखा की पापा क्या कर रहे है, तभी राज ने शालू की स्कर्ट ऊपर की और उसकी चूत को भी पैंटी के ऊपर से सहलाने लगा।राज का लंड सरिता के चूतरों में चुभ रहा था। फिर राज ने सरिता से पूछा- तुम नहाकर आयी हो? वो बोली- नहीं , मैं तो यहाँ ही नहाती हूँ, खाना बनाने के बाद। राज ने कहा - चलो आज हम नाश्ता करके तीनों एक साथ नहाएँगे , क्यों शालू ठीक हैं ना? शालू की चूत राज के हाथ लगने से मस्त हो रही थी, वो आह करके बोली- ठीक है पापा, जैसा आप बोलो। सरिता फिर उठी और बोली- मैं नाश्ता बनती हूँ आप लोग फ़्रेश हो जाओ। और वो चूतरों को मटकाते हुए किचन में चली गई। शालू भी पापा की गोद से उठकर खड़ी हुई, तो उसके पापा ने उसकी स्कर्ट उठाकर उसके गोल चूतरों पर अपने होंठ रख दिए और उन गोलायीयों को हल्के से काटने लगे। शालू पापा का हाथ हटाकर वहाँ से भाग गई ।थोड़ी देर बाद जब वो फ़्रेश होकर नाश्ते की टेबल पर बैठे तब शालू का फ़ोन बजा। शालू ने फ़ोन उठाया और बोली- हाँ निलू , बोलो, कैसी हो? फिर वो बोली- हाँ आज मैं कॉलेज नहीं आ पाऊँगी, मेरे पैर में दर्द है। ये सुनकर उसके पापा धीरे से पूछे , सच में पैर में दर्द है या कहीं और? शालू ने पापा को हाथ मारते हुए चुप रहने को बोला और बोली- अच्छा, आज तू भी नहीं जा रही , क्या हुआ? फिर बोली, अच्छा , वाह , कब है तुम्हारा जन्म दिन? ४ दिन बाद ? ओह , अच्छा मैं पापा से पूछूँगी अगर वो हाँ बोलेंगे तो आ जाऊँगी। फिर निलू उधर से कुछ बोली, तो शालू बोली- तेरे पापा मेरे पापा से बात करेंगे, अच्छा तो मैं फ़ोन पापा को देती हूँ।तभी लाइन में निलू के पापा आ गए, और बोले- हाय शालू बेटा, कैसी हो? तुम्हें निलू के जन्म दिन पर आना है ओके? हाँ अपने पापा को दो। राज ने फ़ोन पर कहा- हेलो, मैं राज बोल रहा हूँ। उधर से वो बोला- जी मैं शेखर बोल रहा हूँ, निलू का पापा। मैंने आपको इस लिए फ़ोन किया है कि, निलू का जन्मदिन ४ दिन बाद शुक्रवार को है, तो उसमें आपको और आपकी बेटी को आना होगा। निलू की सिर्फ़ दो हीख़ास सहेलियाँ हैं, आपकी बेटी और नेहा, वो राजेश जी की बेटी है। अब नेहा तो अपने पापा के साथ गोवा गयी है, वो तो यहाँ नहीं रहेंगे पर आपको आना पड़ेगा , इसी बहाने मैं भी आपसे और शालू से मिल लूँगा।राज ने भी बर्थ्डे के लिए हामी भर दी और रात के खाने का आमंत्रण भी स्वीकार कर लिया। फ़ोन रखने के बाद शालू बहुत ख़ुश हो गई और बोली- पापा थैंक्स, आपने निमंत्रण स्वीकार करके बहुत अच्छा किया। फिर वो सब नाश्ता करने लगे।सरिता ने शालू को पूछा की ये निलू वोहि लड़की है ना जो अपने पापा के साथ मस्ती करती है? शालू ने हाँ में सर हिलाया।तब राज ने पूछा- कैसी मस्ती? सरिता बोली- ये जो निलू है ना, ये भी अपने पापा से चूदवा रही है, बहुत समय से, और शालू का कहना है कि निलू और नेहा के पापा ने एक दूसरे की बेटियों भी चोदा है। राज का मुँह खुला का खुला रह गया । वो बोला- मैंने बीवियों की अदला बदली का सुना था, पर बेटियों की भी अदला बदली हो सकती है , ये मैंने नहीं सोचा था। फिर कुछ सोच कर बोला- कहीं ये हमें भी तो इसी लिए नहीं बुला रहा है? जन्मदिन के बहाने से? सरिता - हो सकता है, ऐसा ही हो, पर आप क्या ऐसा करेंगे? राज का लंड ये सुन कर खड़ा हो गया कि उसे एक और जवान लडकी चोदने को मिल सकती है, अगर वो शालू को भी शेखर से चूदवा दे??? उसने कोई जवाब नहीं दिया और बोला- ये सब शालू पर भी निर्भर है की वो क्या चाहती है , और अभी उसमें चार दिन हैं , हमारे पास सोचने को।ठीक है ना , शालू? वो थोड़ी सी परेशान होकर बोली- जी पापा इसकी बाद में सोचेंगे। सरिता बोली- मुझे तो लगता है कि दोनों बाप बेटी मरे जा रहे हैं, इस नए अनुभव के लिए। शालू उसे मारने दौड़ी और वो भाग गयी , किचन में।
थोड़ी देर बाद राज बोला- चलें सामूहिक स्नान किया जाए? और सब हँसने लगे और बाथरूम के लिए चल पड़े।
राज, सरिता और शालू राज के बेडरूम से जुड़े बाथरूम के सामने पहुँचे,वहाँ राज ने दोनों को बाहों में लेकर चूम लिया बारी बारी से।फ़ी वो बोला, चलो हम कपड़े उतारते हैं, और उसने अपनी शर्ट उतार दी, वो बनयान नहीं पहनता था, उसकी मस्कूलर छाती जो थोड़े बालों से भरी थी, सामने आयी,तभी सरिता ने भी अपना कुर्ता उतार दिया, और ब्रा में उसके बड़े दूध छलक उठे।शालू अभी भी शर्मा रही थी।तभी राज ने अपनी हाफ़ पैंट उतार दी, उसका गठा शरीर , पुष्ट बालों से भरी जाँघें और उसकी चड्डी में फँसा लंड आधा खड़ा दिख रहा था।तभी सरिता ने सलवार खोल दी, और उसको टांगों से निकालकर अलग किया, अब ब्रा पैंटी में वो मस्त मांसल जवानी से भरपूर गदरॉइ औरत दिख रही थी, उसकी पैंटी से उसकी फुली हुई चूत का उभार और बीच की दरार अलग se दिख रही थी।तभी दोनों ने देखा, शालू मुँह फाड़े इन दोनों के अर्ध नग्न बदन को देख रही थी, और उसने अभी कपड़े नहीं खोले थे।राज बोला- क्या हुआ शालू, कपड़े उतारो ना,शर्म आ रही है ? शालू ने शर्माते हुए अपनी टॉप उतार दी और उसका विकसित होता बदन बहुत ही मस्त लग था था, ब्रा में छिपी छातियाँ बड़े अनार सी सख़्त दिख रही थीं, जो आकर में सरिता से छोटी थीं।उसका निपल भी लम्बाई में सरिता से आधे आकर का था।तब तक राज ने अपनी चड्डी उतार दी थी, और उसका मोटा लम्बा लंड उत्तेजना ke कारण ऊपर नीचे होकर दोनों जवानियों को सलामी दे रहा था।सरिता ने भी अपनी ब्रा खोलके निकाल दी,अब उसके बड़े दूध नंगे होकर अपनी छटा बिखेर रहे थे।तभी शालू ने भी अपना स्कर्ट उतार दिया, और ब्रा पैंटी में वो अप्सरा या परी लग रही थी, उसका विकसित हो रहा शरीर बहुत मस्त लग रहा था। सरिता ने अपनी पैंटी खोल दी,उसकी बाल रहित चूत फ़ुली हुई मस्त दिख रही थी।तभी शालू ने भी अपनी ब्रा खोल दी,और उसके दूधिया अनार सामने आए,सरिता और राज दोनों की आँखों में चमक आ गई,ऐसी छातियों को देखकर।फिर wo पैंटी bhi उतार द और उसकी जाँघों की बीच थोड़े से बाल वाली चूत सामने थी, और राज अपने खड़े लंड को हाथ से सहलाने लगा।फिर राज उनको फ़ैशन शो की तरह कमरे में चल कर दिखाने को कहा।दोनों हसने लगी,पर राज के ज़ोर देने के बाद वो मान गयीं।सरिता ने हाथ बढ़ाकर शालू का हाथ पकड़ लिया और मुड़कर चल कर दिखाने लगी।राज का लंड अब उन दोनों का मस्त पिछवाड़ा देखकर झटके मारने लगा।सरिता के बड़े चूतरों की थिरकन और शालू के थोड़े छोटे गोल चूतरों की मादकता देखते ही बनती थी।जब वो दोनों पलटकर वापस आयीं तो उनके हिलते दूध और सपाट पेट गहरी नाभि, और रसिलि चूत देखके राज बहुत मस्ती से भर गया।उसका हाथ अपने लंड से हट ही नहीं पा रहा था, वो उसको हिलाए जा रहा था।सरिता और शालू जब उसके पास पहुँचे तो वो उन दोनों को अपनी बाहों मैं खींच लिया,और दोनों को बारी से चूमने लगा।और अपने हाथ को उनके नितम्बों पर दबा रहा था, सरिता के बड़े बड़े नरम और शालू के थोड़े छोटे सख़्त और चिकने नितम्ब और उसका लंड सरिता की पेट में घुसने की कोशिश कर रहा था।सरिता ने राज ka लंड अपनी मुट्ठी में लेकर सहलाना शुरू किया और शालू ने भी राज ke बॉल्ज़ पर अपनी हथेली रख दी और उनको प्यार se उनको अपनी हथेली में लेकर सहला रही थी।राज के एक एक नितम्ब दोनों लड़कियों ke हाथ में थे।अब राज बारी बारी से दोनों के होंठ चूस रहा था।थोड़ी देर बाद सरिता अपनी फूलती हुई साँसों पर क़ाबू पाकर बोली, नहाना नहीं है क्या? वो तीनों अलग हुए और हँसते हुए बाथरूम में घुस गए।
राज ने शोवर चालू किया और तीनों उसके नीचे खड़े हो गए,राज और शालू आमने सामने थे और सरिता राज के पीछे खड़ी थी।राज ने शालू को अपने सीने से सटा लिया और उसके बालों पर हाथ फेरने लगा, सरिता भी राज के नितम्बों से सटकर उसके पीठ को सहलाने लगी।फिर राज ने झुक के शालू को कहा, मज़ा आ रहा है, पापा के साथ नहाने में, आख़री बार जब नहायी होगी मेरे साथ तो ४/५ साल की रही होगी। और उस समय भी हम दोनों चड्डी पहने थे। आज तो पूरा नंगा नहाने का मज़ा ही कुछ और ही है।शालू हँसती हुई अपने पापा के लंड से खेलने लगी, और बॉल्ज़ पर भी हाथ फेरने लगी।तभी सरिता बोली- जान , मैं आपकी पीठ में साबुन लगाती हूँ, शालू तू सामने लगा दे। राज- वाह मेरे तो मज़े हो गए, दो दो सेवा करनी वाली मिल गयीं।फिर सरिता ने साबुन राज की गर्दन पर लगाया और फिर पीठ से होती हुई उसके नितम्बों पर लगाया और नीचे पैरों तक पहुँच गईं।उधर शालू ने भी उसकी छाती से लेकर पेट और नाभि में साबुन लगाया, फिर नीचे आयी और जाँघों से लेकर पैरों तक साबुन लगाया।सरिता ने अब नितम्बों की दरार में साबुनवाला हाथ डाला और बोली- अरे यहाँ तो आपके बहुत बाल उग आए है, आप साफ़ नहीं करते। राज- अरे वहाँ मेरा हाथ ही नहीं जाता, कैसे सफ़ाई करूँ। सरिता- मैं कर दूँ? राज- हाँ कर दो ना, देखी सामने मेरा सब साफ़ हैं, लंड और बॉल्ज़ के आसपास, वहीं बाल छूट गए हैं।उधर शालू ने उसके लंड पर साबुन लगाया और उसके सुपारे को भी अछेसे साफ़ कर रही थी।फिर उसके बॉल्ज़ को भी साफ़ करने लगी, अब लंड पूरा खड़ा था, शालू के मुँह के पास।इधर सरिता ने शेल्फ़ से एक शेवर निकला और शालू को पिच्छे बुलाया और राज को दीवाल पड़कर आगे को झुकने को बोली।राज आगे को झुका दीवाल का सहारा लेके और अपने चूतरों को ऊपर उठा दिया। फिर उसने शालू को कहा की वो राज के नितम्बों को फैलाये। शालू ने वैसा ही किया, अब शालू और सरिता को राज का भूरा गाँड़ का छेद दिख रहा था, जो बालों से भरा था। सरिता ने अब शेवर से उसकी गाँड़ के आसपास के बाल निकालने शुरू किया। शालू उसके दोनों नितम्बों को फैलाकर खड़ी थी।सरिता बड़ी सावधानी से सफ़ाई कर रही थी। थोड़ी देर में पूरे बाल साफ़ हो गए और सरिता ने हाथ डाल के राज की गाँड़ के आसपास ऊँगली फिरायी और शालू को बोली- देख कैसी चिकनी हो गई है तेरे पापा की गाँड़ । शालू ने भी ऊँगली फिरायी और बोली- हाय पापा आप की गाँड़ तो मक्खन सी चिकनी हो गयी है।सरिता बोली- ठहर मुझे इसकी सफ़ाई कर लेने दे, कहते हुए उसने साबुन और पानी से उसके नितम्बों की दरार और गाँड़ के छेद को अच्छी तरह से साफ़ किया,फिर उसको चूमकर बोली - आह बड़ी स्वाद है जान,और फिर उसने अपनी जीभ पूरी दरार में घुमाना शुरू किया और जीभ से उसके छेद को सहलाने लगी।राज आह आह कर रहा था, उसे बड़ी मस्ती चढ़ रही थी। फिर सरिता को हटाकर शालू ने अपना मुँह अपने पापा की गाँड़ में डाल दिया और उसके पूरे चूतरों के अंदरूनी भाग को जीभ से चाटने लगी। राज इस नए आक्रमण का मज़ा ले रहा था, तभी सरिता ने उसकी छाती के मर्दाने निपल्ज़ पर अपने होंठ रख दिए और उनको दाँतों से काटने लगी और बाद में उसके लंड को चूसने लगी।राज को लगा की वो झड़ जाएगा, आगे से सरिता लंड को चूस रही थी और पीछे से शालू उसकी गाँड़ चाट रही थी। वो मस्ती के सागर में गोते लगा रहा था।फिर जब वो झड़ने के क़रीब आ गया तो उसने दोनों को हटा दिया, और अपने आप को क़ाबू में किया। फिर वो बोला- चलो अब मैं तुम दोनों को साबुन लगाता हूँ।अब वो सरिता के सामने से साबुन लगाने लगा तो शालू ने पिच्छे जाकर सरिता की पीठ पर साबुन लगाने लगी।राज के हाथ सरिता के चूचियों को साबुन लगाने के साथ मसल भी रहे थे।उधर शालू अब पीठ से नीचे आती हुई सरिता की चूतरों को साबुन लगा रही थी, और मसल भी रही थी।शालू ने भी सरिता की गाँड़ की दरार में उँगलियाँ डाल दी और उसके गाँड़ को भी साफ़ करने के बहाने ऊँगली से छेद रगड़ने लगी।उधर राज अब पेट और नाभि को मसल रहा था और फिर बैठकर सरिता की चूत में साबुन की घिसाई करने लगा।
थोड़ी देर बाद राज बोला- चलें सामूहिक स्नान किया जाए? और सब हँसने लगे और बाथरूम के लिए चल पड़े।
राज, सरिता और शालू राज के बेडरूम से जुड़े बाथरूम के सामने पहुँचे,वहाँ राज ने दोनों को बाहों में लेकर चूम लिया बारी बारी से।फ़ी वो बोला, चलो हम कपड़े उतारते हैं, और उसने अपनी शर्ट उतार दी, वो बनयान नहीं पहनता था, उसकी मस्कूलर छाती जो थोड़े बालों से भरी थी, सामने आयी,तभी सरिता ने भी अपना कुर्ता उतार दिया, और ब्रा में उसके बड़े दूध छलक उठे।शालू अभी भी शर्मा रही थी।तभी राज ने अपनी हाफ़ पैंट उतार दी, उसका गठा शरीर , पुष्ट बालों से भरी जाँघें और उसकी चड्डी में फँसा लंड आधा खड़ा दिख रहा था।तभी सरिता ने सलवार खोल दी, और उसको टांगों से निकालकर अलग किया, अब ब्रा पैंटी में वो मस्त मांसल जवानी से भरपूर गदरॉइ औरत दिख रही थी, उसकी पैंटी से उसकी फुली हुई चूत का उभार और बीच की दरार अलग se दिख रही थी।तभी दोनों ने देखा, शालू मुँह फाड़े इन दोनों के अर्ध नग्न बदन को देख रही थी, और उसने अभी कपड़े नहीं खोले थे।राज बोला- क्या हुआ शालू, कपड़े उतारो ना,शर्म आ रही है ? शालू ने शर्माते हुए अपनी टॉप उतार दी और उसका विकसित होता बदन बहुत ही मस्त लग था था, ब्रा में छिपी छातियाँ बड़े अनार सी सख़्त दिख रही थीं, जो आकर में सरिता से छोटी थीं।उसका निपल भी लम्बाई में सरिता से आधे आकर का था।तब तक राज ने अपनी चड्डी उतार दी थी, और उसका मोटा लम्बा लंड उत्तेजना ke कारण ऊपर नीचे होकर दोनों जवानियों को सलामी दे रहा था।सरिता ने भी अपनी ब्रा खोलके निकाल दी,अब उसके बड़े दूध नंगे होकर अपनी छटा बिखेर रहे थे।तभी शालू ने भी अपना स्कर्ट उतार दिया, और ब्रा पैंटी में वो अप्सरा या परी लग रही थी, उसका विकसित हो रहा शरीर बहुत मस्त लग रहा था। सरिता ने अपनी पैंटी खोल दी,उसकी बाल रहित चूत फ़ुली हुई मस्त दिख रही थी।तभी शालू ने भी अपनी ब्रा खोल दी,और उसके दूधिया अनार सामने आए,सरिता और राज दोनों की आँखों में चमक आ गई,ऐसी छातियों को देखकर।फिर wo पैंटी bhi उतार द और उसकी जाँघों की बीच थोड़े से बाल वाली चूत सामने थी, और राज अपने खड़े लंड को हाथ से सहलाने लगा।फिर राज उनको फ़ैशन शो की तरह कमरे में चल कर दिखाने को कहा।दोनों हसने लगी,पर राज के ज़ोर देने के बाद वो मान गयीं।सरिता ने हाथ बढ़ाकर शालू का हाथ पकड़ लिया और मुड़कर चल कर दिखाने लगी।राज का लंड अब उन दोनों का मस्त पिछवाड़ा देखकर झटके मारने लगा।सरिता के बड़े चूतरों की थिरकन और शालू के थोड़े छोटे गोल चूतरों की मादकता देखते ही बनती थी।जब वो दोनों पलटकर वापस आयीं तो उनके हिलते दूध और सपाट पेट गहरी नाभि, और रसिलि चूत देखके राज बहुत मस्ती से भर गया।उसका हाथ अपने लंड से हट ही नहीं पा रहा था, वो उसको हिलाए जा रहा था।सरिता और शालू जब उसके पास पहुँचे तो वो उन दोनों को अपनी बाहों मैं खींच लिया,और दोनों को बारी से चूमने लगा।और अपने हाथ को उनके नितम्बों पर दबा रहा था, सरिता के बड़े बड़े नरम और शालू के थोड़े छोटे सख़्त और चिकने नितम्ब और उसका लंड सरिता की पेट में घुसने की कोशिश कर रहा था।सरिता ने राज ka लंड अपनी मुट्ठी में लेकर सहलाना शुरू किया और शालू ने भी राज ke बॉल्ज़ पर अपनी हथेली रख दी और उनको प्यार se उनको अपनी हथेली में लेकर सहला रही थी।राज के एक एक नितम्ब दोनों लड़कियों ke हाथ में थे।अब राज बारी बारी से दोनों के होंठ चूस रहा था।थोड़ी देर बाद सरिता अपनी फूलती हुई साँसों पर क़ाबू पाकर बोली, नहाना नहीं है क्या? वो तीनों अलग हुए और हँसते हुए बाथरूम में घुस गए।
राज ने शोवर चालू किया और तीनों उसके नीचे खड़े हो गए,राज और शालू आमने सामने थे और सरिता राज के पीछे खड़ी थी।राज ने शालू को अपने सीने से सटा लिया और उसके बालों पर हाथ फेरने लगा, सरिता भी राज के नितम्बों से सटकर उसके पीठ को सहलाने लगी।फिर राज ने झुक के शालू को कहा, मज़ा आ रहा है, पापा के साथ नहाने में, आख़री बार जब नहायी होगी मेरे साथ तो ४/५ साल की रही होगी। और उस समय भी हम दोनों चड्डी पहने थे। आज तो पूरा नंगा नहाने का मज़ा ही कुछ और ही है।शालू हँसती हुई अपने पापा के लंड से खेलने लगी, और बॉल्ज़ पर भी हाथ फेरने लगी।तभी सरिता बोली- जान , मैं आपकी पीठ में साबुन लगाती हूँ, शालू तू सामने लगा दे। राज- वाह मेरे तो मज़े हो गए, दो दो सेवा करनी वाली मिल गयीं।फिर सरिता ने साबुन राज की गर्दन पर लगाया और फिर पीठ से होती हुई उसके नितम्बों पर लगाया और नीचे पैरों तक पहुँच गईं।उधर शालू ने भी उसकी छाती से लेकर पेट और नाभि में साबुन लगाया, फिर नीचे आयी और जाँघों से लेकर पैरों तक साबुन लगाया।सरिता ने अब नितम्बों की दरार में साबुनवाला हाथ डाला और बोली- अरे यहाँ तो आपके बहुत बाल उग आए है, आप साफ़ नहीं करते। राज- अरे वहाँ मेरा हाथ ही नहीं जाता, कैसे सफ़ाई करूँ। सरिता- मैं कर दूँ? राज- हाँ कर दो ना, देखी सामने मेरा सब साफ़ हैं, लंड और बॉल्ज़ के आसपास, वहीं बाल छूट गए हैं।उधर शालू ने उसके लंड पर साबुन लगाया और उसके सुपारे को भी अछेसे साफ़ कर रही थी।फिर उसके बॉल्ज़ को भी साफ़ करने लगी, अब लंड पूरा खड़ा था, शालू के मुँह के पास।इधर सरिता ने शेल्फ़ से एक शेवर निकला और शालू को पिच्छे बुलाया और राज को दीवाल पड़कर आगे को झुकने को बोली।राज आगे को झुका दीवाल का सहारा लेके और अपने चूतरों को ऊपर उठा दिया। फिर उसने शालू को कहा की वो राज के नितम्बों को फैलाये। शालू ने वैसा ही किया, अब शालू और सरिता को राज का भूरा गाँड़ का छेद दिख रहा था, जो बालों से भरा था। सरिता ने अब शेवर से उसकी गाँड़ के आसपास के बाल निकालने शुरू किया। शालू उसके दोनों नितम्बों को फैलाकर खड़ी थी।सरिता बड़ी सावधानी से सफ़ाई कर रही थी। थोड़ी देर में पूरे बाल साफ़ हो गए और सरिता ने हाथ डाल के राज की गाँड़ के आसपास ऊँगली फिरायी और शालू को बोली- देख कैसी चिकनी हो गई है तेरे पापा की गाँड़ । शालू ने भी ऊँगली फिरायी और बोली- हाय पापा आप की गाँड़ तो मक्खन सी चिकनी हो गयी है।सरिता बोली- ठहर मुझे इसकी सफ़ाई कर लेने दे, कहते हुए उसने साबुन और पानी से उसके नितम्बों की दरार और गाँड़ के छेद को अच्छी तरह से साफ़ किया,फिर उसको चूमकर बोली - आह बड़ी स्वाद है जान,और फिर उसने अपनी जीभ पूरी दरार में घुमाना शुरू किया और जीभ से उसके छेद को सहलाने लगी।राज आह आह कर रहा था, उसे बड़ी मस्ती चढ़ रही थी। फिर सरिता को हटाकर शालू ने अपना मुँह अपने पापा की गाँड़ में डाल दिया और उसके पूरे चूतरों के अंदरूनी भाग को जीभ से चाटने लगी। राज इस नए आक्रमण का मज़ा ले रहा था, तभी सरिता ने उसकी छाती के मर्दाने निपल्ज़ पर अपने होंठ रख दिए और उनको दाँतों से काटने लगी और बाद में उसके लंड को चूसने लगी।राज को लगा की वो झड़ जाएगा, आगे से सरिता लंड को चूस रही थी और पीछे से शालू उसकी गाँड़ चाट रही थी। वो मस्ती के सागर में गोते लगा रहा था।फिर जब वो झड़ने के क़रीब आ गया तो उसने दोनों को हटा दिया, और अपने आप को क़ाबू में किया। फिर वो बोला- चलो अब मैं तुम दोनों को साबुन लगाता हूँ।अब वो सरिता के सामने से साबुन लगाने लगा तो शालू ने पिच्छे जाकर सरिता की पीठ पर साबुन लगाने लगी।राज के हाथ सरिता के चूचियों को साबुन लगाने के साथ मसल भी रहे थे।उधर शालू अब पीठ से नीचे आती हुई सरिता की चूतरों को साबुन लगा रही थी, और मसल भी रही थी।शालू ने भी सरिता की गाँड़ की दरार में उँगलियाँ डाल दी और उसके गाँड़ को भी साफ़ करने के बहाने ऊँगली से छेद रगड़ने लगी।उधर राज अब पेट और नाभि को मसल रहा था और फिर बैठकर सरिता की चूत में साबुन की घिसाई करने लगा।