hotaks444
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फिर इधर उधर की बात करके शेखर ने फ़ोन बन्द कर दिया।
राज सोचने लगा कि उसकी मासूम लड़की की गाँड़ मारने की कितनी जल्दी है शिवा और शेखर को? और शायद राजेश भी उसकी गाँड़ नहीं छोड़ेगा। ये सोच के वो मस्त होने लगा की उसकी बेटी की गाँड़ की कितनी क़ीमती है।
घर पहुँचकर उसने देखा की सरिता अभी भी गयी नहीं थी।वो सरिता को बोला: सुनो आज शाम को तुम ज़रा जल्दी आ जाना, आज शालू की गाँड़ खोलेंगे।
सरिता: अरे आज एक दिन ही में कैसे खोलेंगे आप, फट जाएगी उसकी।आज आप एक और बाद में दो ऊँगली की प्रैक्टिस कीजिए फिर लंड कल डालिएगा।वरना हमारी बच्ची को बहुत दुखेगा।और आप बग़ल के केमिस्ट से वो चिकनायी वाली ट्यूब भी ले आयियेगा।
राज: ठीक है मैं के आऊँगा। फिर वो उसको चूमते हुए अपनी बाहों में लेकर बोला: तुम्हारा पिरीयड कब ख़त्म होगा, चोदने का मूड कर रहा है।
सरिता: चलो छोड़ो अभी टाइम है । आज शालू की ही चूत और गाँड़ मार लो। ऐसा कहते हुए उसका लंड मसल देती है।
राज उसके चूतरों को मसलते हुए उसकी गाँड़ में सलवार के ऊपर से ऊँगली डाल देता है , वो आह कर उठती है।
राज: चलो तुम ही गाँड़ मरवा लो, मेरी भी प्रैक्टिस हो जाएगी।
सरिता: आप इतनी बार मार चुके हो कि आपको कोई ज़रूरत नहीं है प्रैक्टिस की।
फिर वो हँसते हुए शाम को जल्दी आने का बोलकर चली जाती है। राज भी अपने काम मेंलग जाता है।
शालू घर पहुँची तो पापा उसका खाने पर इंतज़ार कर रहे थे,वो आकर पापा को को किस की और कपड़े बदलने चली गयी।उसके पापा ने बोला: बेटी तुमको पता है ना कि मैं घर पर चड्डी नहीं पहनता और मैंने सरिता की भी चड्डी पहननी बन्द करवा दी है।अब तुमको भी घर मेंचड्डी नहीं पहननी चाहिए।वो हँसती हुई भाग गयी।थोड़ी देर में वो फ़्रेश होकर आयी।उसने टॉप और स्कर्ट पहना हुआ था,और बड़ी क्यूट लग रही थी।वो आकर राज की गोद में बैठ गयी और बोली: आज आप मुझे खाना खिलाओगे जैसे मैं जब बच्ची थी तो आप खिलाते थे।राज को भी उसपर बहुत प्यार आया और वो बोला: अरे तुम तो अभी भी बच्ची ही मेरे लिए, चलो आज मैं ही खिलाऊँगा अपने हाथ से।अब वो उसके गोद मेंबैठी थी और उसका स्कर्ट ऊपर खिसक गया था,और उसकी गोरी जाँघें राज को साफ़ ऊपर तक दिख रही थीं। उसको टॉप मेंकसी हुई उसकी छातियाँ भी अपने सामने से दिख रही थी, और बिना चड्डी के लोअर के अंदर उसका लंड खड़ा होने लगा।शालू को भी अपनी गाँड़ के नीचे लंड के कड़ेपन का अहसास हुआ और वो बोली: क्या पापा आप फिर खड़ा करके मुझे नीचे चुभाने लगे।क्या आपका ये थोड़ी देर भी शांत नहीं रह सकता?
राज:जिसकी गोद में इतनी हसीन लड़की बैठी हो उसका लंड तो खड़ा होगा ही ना?
शालू: आप बस लंड ही चुभाएँगे या खाना भी खिलाएँगे?
राज :दोनों काम करेंगे, कहते हुए वो उसको खाना खिलाने लगा और वो भी लाड़ में आकर उसको खिलाने लगी।राज बीच बीच में अपने गाल उसके चिकने गाल से रगड़ देता था, और वो बोलती थी, आपने शेव नहीं किया आपकी दाढ़ी गड़ती है ना।
फिर राज ने पूछा: चड्डी पहनी हो क्या?
शालू: आपको खाने के बीच मेंमेरी चड्डी क्यों याद आ गयी?
राज: अरे मैंने तुमको कहा था ना कि चड्डी नहीं पहना करो घर पर, बस इसीलिए पूछा।
शालू हँसते हुए बोली :आप चेक कर लीजिए पहनी हुई की नहीं?
राज ने अपने एक हाथ को उसके जाँघों पर फेरा और उसको स्कर्ट के अंदर से सहलाते हुए ऊपर उसकी चूत तक ले गया और ख़ुश हो गया क्योंकि उसकी उँगलियाँ सीधी चूत तक पहुँच गयीं थीं, आऽऽहहह उसने चड्डी नहीं पहनी थी।फिर शालू हँसते हुए बोली: पापा,अब पता चल गया की पहनी है या नहीं?
राज: उसके गाल पर चुटकी काटके बोला: हाँ बेबी तुमने मेरा दिल ख़ुश कर दिया,बहुत प्यारी लड़की हो तुम।
फिर खाना खाके वो दोनों सोफ़े पर बैठके TV देखने लगे।शालू राज की गोद में अधलेटि पड़ी थी।उसका आधा शरीर उसकी गोद में था और उसकी पीठ में राज के खड़े लंड का अहसास हो रहा था।राज ने झुक कर उसके होंठ चूम लिए और उसकी छातियों को हल्के से दबाने लगा।शालू भी मज़े से उसकी गोद मेंपड़े हुए मस्त हो रही थी,तभी राज के हाथ नीचे को गए और उसका स्कर्ट ऊपर को किए।अब उसकी चूत उसकी आँखों के सामने थी,राज ने शालू को कहा: बेटी, ज़रा जाँघों को फैलाओ ना। शालू ने शर्मीली मुस्कराहट के साथ अपनी जाँघों को फैला दिया और उसकी चूत की फाँकें राज को उत्तेजित करने लगीं।राज बोला: क्या आराम करना है, या मज़ा लेना है? वैसे एक बात बोलनी थी, आज मैं और सरिता तुम्हारी गाँड़ मारने का प्लान बनाए हैं।ठीक है ना? दरअसल में सभी ग्रूप सेक्स मेंलड़कियों की गाँड़ भी मारी जाती है।अगर वहाँ किसी ने तुम्हारी गाँड़ मार दी तो तुमको बहुत दुखेगा।इसलिए हमने सोचा है कि आज हम तुम्हारी गाँड़ मारने की कोशिश करेंगे ताकि कम से कम दर्द में तुम्हारी गाँड़ खुल जाए।ऐसा बोलते हुए राज ने अपनी ऊँगली नीचे की ओर खिसका कर उसकी गाँड़ की छेद पर के गया और उसको सहलाने लगा।पहले चूत पर और अब गाँड़ पर उसके स्पर्श ने शालू को गरम कर दिया।
वो बोली: ठीक है पापा, आप जो करोगे वो ठीक ही होगा।पर सरिता दीदी तो देर से आएँगी ना?
राज: नहीं वो आती ही होगी, आज मैंने उसको जल्दी बुलाया है।मैं दुकान से एक ट्यूब भी लाया हूँ जो गाँड़ के छेद को ढीला करने में मदद करेगी।
शालू हँसते हुए बोली: तो आज बेटी की गाँड़ फाड़ने का पूरा इंतज़ाम कर लिया है आपने?
राज भी हँस कर बोला: मेरी नाज़ुक बेटी की गाँड़ भी बड़े धीरे से फाडूंगा ताकि तुमको ज़्यादा दर्द ना हो।
शालू को पापा की इस बात पर उनपर प्यार आ गया और वो उचकके उनके होंठ चूसने लगी।
तभी कॉल बेल बजी, शालू ने दरवाज़ा खोला और सरिता अंदर आयी।शालू सरिता से दीदी कहके लिपट गयी। सरिता अंदर आयी और उसकी निगाह राज के लोअर में बने तंबू पर पड़ी,वो पास आके लंड को दबाके बोली: लगता है बाप बेटी मज़ा कर रहे थे, तभी तो ये इतना अकड़ा हुआ है। राज और शालू हँसने लगे, शालू बोली: सही पकड़ा है! और सब हँसने लगे।
शालू सरिता से बोली: पापा बोल रहे थे कि उन्होंने तुम्हारी पैंटी पहनना बन्द करवा दिया है।सच में अब तुम पैंटी नहीं पहनती?
राज:अरे सलवार में हाथ डालके चेक कर लो ना,कहते हुए उसकी कुर्ती उठा दिए और सलवार के ऊपर से उसकी चूत कोमुट्ठी में भर के बोले: देखो, कहाँ है पैंटी? शालू ने भी देखा की उसकी पतली सलवार मेंपैंटी का कोई नामोनिशान नहीं था और पापा उसकी चूत को मसल रहे थे।
सरिता बोली: आऽऽहहहह क्या कर रहे हैं? छोड़िए ना, सीधा यहीं पर हमला कर दिया। और वो पीछे होकर उसकी पकड़ से अपनी चूत को छुड़ा लेती है।
फिर राज उन दोनों को अपनी गोद मेंखिंच लेता है और उनकी एक एक चुचि दबाते हुए उन दोनों को चूमता है।फिर तीनों गरम होने लगते हैं,अब शालू हाथ को नीचे ले जाके राज के लंड को मुट्ठी में लेकर दबाने लगती है।
उसी समय सरिता का हाथ भी वहीं पहुँचता है, और शालू के साथ वो भी उसके बॉल्ज़ को सहलाने लगती है।फिर राज बोलता है कि चलो बेडरूम में चलते हैं।फिर वो सब बेडरूम मे जाके राज के कहने पर कपड़े खोलने लगते हैं।
जब तीनो नंगे हो जाते है,तो राज उन दोनों को बाहों मेंभरके चूमने लगता है और उनकी चूचियाँ दबाते हुए उनको बारी बारी से चूसने लगता है। सबके बदन गरम हो जाते है, और लड़कियाँ उसके लंड को दबाके मज़ा लेती है।अब राज शालू को बिस्तर पर लिटा देता है, और उसके ऊपर आके उसके होंठ चूसते हुए उसकी छातियाँ दबाता है और फिर नीचे आके उसकी कमर के नीचे एक तकिया रख देता है।फिर उसकी ऊपर उठ आयी चूत पर अपने होंठ रखके चूमने और चाटने लगता है।वो सरिता को उसकी छातियों को मसलने और चूसने का इशारा करता है।अब शालू की चूत पूरी तरह से इस डबल हमले से पनिया जाती है। और वो कमर उठाके उसके मुँह पर अपनी चूत रगड़ती है।अब राज ने देखा कि शालू मस्त हो गयी है तो उसने उसको चौपाया बनने को बोला: वो घूम के अपने घुटनो के बल आगयी और अपने चूतरों को ऊपर उठा दिया। सरिता उसके लटके हुए अनारों को दबा रही थी,और राज ने पीछे से उसकी चूत को चाटा और फिर उसके मस्त चूतरों को दबाते हुए उसकी गाँड़ की चुम्मी ले ली।शालू आह्ह्ह्ह्ह्ह कर रही थी, फिर उसने झीभ की नोक से उसके गाँड़ के छेद को खोदना चालू किया।सरिता उसके निपल्ज़ को उमेठ रही थी और वो अलौकिक आनंद के सागर में डूबे जा रही थ।फिर राज ने उसकी गाँड़ में ट्यूब से लूब डाला और अपनी एक ऊँगली मेंभी लूब लगाके उसकी गाँड़ में एक ऊँगली डालने लगा। जैसे ही उसने ऊँगली अंदर की उसकी गाँड़ का छल्ला उसकी ऊँगली को रोकने लगा तब राज बोला: बेटी, अपने गाँड़ के छेद को अंदर की ओर मत खिंचो ऐसे करो जैसे टट्टी करते समय ज़ोर लगाती हो बाहर की ओर।शालू ने ऐसा ही किया और अब उसकी छेद फैल गयी,और उसकी ऊँगली अंदर चली गयी।अब वो उसको अंदर बाहर करने लगा।
शालू: आह्ह्ह्ह्ह्ह पापा जलन हो रही है।सरिता: अरे शालू बस थोड़ी देर फिर मज़ा आएगा।कहते हुए उसने शालू का मुँह अपनी छातियों पर रख कर उसके मुँह मेंअपनी छाती ठूँस दी।शालू उसकी छाती चूस रही थी और उसका पापा उसकी गाँड़ में ऊँगली अंदर बाहर कर रहा था।
राज सोचने लगा कि उसकी मासूम लड़की की गाँड़ मारने की कितनी जल्दी है शिवा और शेखर को? और शायद राजेश भी उसकी गाँड़ नहीं छोड़ेगा। ये सोच के वो मस्त होने लगा की उसकी बेटी की गाँड़ की कितनी क़ीमती है।
घर पहुँचकर उसने देखा की सरिता अभी भी गयी नहीं थी।वो सरिता को बोला: सुनो आज शाम को तुम ज़रा जल्दी आ जाना, आज शालू की गाँड़ खोलेंगे।
सरिता: अरे आज एक दिन ही में कैसे खोलेंगे आप, फट जाएगी उसकी।आज आप एक और बाद में दो ऊँगली की प्रैक्टिस कीजिए फिर लंड कल डालिएगा।वरना हमारी बच्ची को बहुत दुखेगा।और आप बग़ल के केमिस्ट से वो चिकनायी वाली ट्यूब भी ले आयियेगा।
राज: ठीक है मैं के आऊँगा। फिर वो उसको चूमते हुए अपनी बाहों में लेकर बोला: तुम्हारा पिरीयड कब ख़त्म होगा, चोदने का मूड कर रहा है।
सरिता: चलो छोड़ो अभी टाइम है । आज शालू की ही चूत और गाँड़ मार लो। ऐसा कहते हुए उसका लंड मसल देती है।
राज उसके चूतरों को मसलते हुए उसकी गाँड़ में सलवार के ऊपर से ऊँगली डाल देता है , वो आह कर उठती है।
राज: चलो तुम ही गाँड़ मरवा लो, मेरी भी प्रैक्टिस हो जाएगी।
सरिता: आप इतनी बार मार चुके हो कि आपको कोई ज़रूरत नहीं है प्रैक्टिस की।
फिर वो हँसते हुए शाम को जल्दी आने का बोलकर चली जाती है। राज भी अपने काम मेंलग जाता है।
शालू घर पहुँची तो पापा उसका खाने पर इंतज़ार कर रहे थे,वो आकर पापा को को किस की और कपड़े बदलने चली गयी।उसके पापा ने बोला: बेटी तुमको पता है ना कि मैं घर पर चड्डी नहीं पहनता और मैंने सरिता की भी चड्डी पहननी बन्द करवा दी है।अब तुमको भी घर मेंचड्डी नहीं पहननी चाहिए।वो हँसती हुई भाग गयी।थोड़ी देर में वो फ़्रेश होकर आयी।उसने टॉप और स्कर्ट पहना हुआ था,और बड़ी क्यूट लग रही थी।वो आकर राज की गोद में बैठ गयी और बोली: आज आप मुझे खाना खिलाओगे जैसे मैं जब बच्ची थी तो आप खिलाते थे।राज को भी उसपर बहुत प्यार आया और वो बोला: अरे तुम तो अभी भी बच्ची ही मेरे लिए, चलो आज मैं ही खिलाऊँगा अपने हाथ से।अब वो उसके गोद मेंबैठी थी और उसका स्कर्ट ऊपर खिसक गया था,और उसकी गोरी जाँघें राज को साफ़ ऊपर तक दिख रही थीं। उसको टॉप मेंकसी हुई उसकी छातियाँ भी अपने सामने से दिख रही थी, और बिना चड्डी के लोअर के अंदर उसका लंड खड़ा होने लगा।शालू को भी अपनी गाँड़ के नीचे लंड के कड़ेपन का अहसास हुआ और वो बोली: क्या पापा आप फिर खड़ा करके मुझे नीचे चुभाने लगे।क्या आपका ये थोड़ी देर भी शांत नहीं रह सकता?
राज:जिसकी गोद में इतनी हसीन लड़की बैठी हो उसका लंड तो खड़ा होगा ही ना?
शालू: आप बस लंड ही चुभाएँगे या खाना भी खिलाएँगे?
राज :दोनों काम करेंगे, कहते हुए वो उसको खाना खिलाने लगा और वो भी लाड़ में आकर उसको खिलाने लगी।राज बीच बीच में अपने गाल उसके चिकने गाल से रगड़ देता था, और वो बोलती थी, आपने शेव नहीं किया आपकी दाढ़ी गड़ती है ना।
फिर राज ने पूछा: चड्डी पहनी हो क्या?
शालू: आपको खाने के बीच मेंमेरी चड्डी क्यों याद आ गयी?
राज: अरे मैंने तुमको कहा था ना कि चड्डी नहीं पहना करो घर पर, बस इसीलिए पूछा।
शालू हँसते हुए बोली :आप चेक कर लीजिए पहनी हुई की नहीं?
राज ने अपने एक हाथ को उसके जाँघों पर फेरा और उसको स्कर्ट के अंदर से सहलाते हुए ऊपर उसकी चूत तक ले गया और ख़ुश हो गया क्योंकि उसकी उँगलियाँ सीधी चूत तक पहुँच गयीं थीं, आऽऽहहह उसने चड्डी नहीं पहनी थी।फिर शालू हँसते हुए बोली: पापा,अब पता चल गया की पहनी है या नहीं?
राज: उसके गाल पर चुटकी काटके बोला: हाँ बेबी तुमने मेरा दिल ख़ुश कर दिया,बहुत प्यारी लड़की हो तुम।
फिर खाना खाके वो दोनों सोफ़े पर बैठके TV देखने लगे।शालू राज की गोद में अधलेटि पड़ी थी।उसका आधा शरीर उसकी गोद में था और उसकी पीठ में राज के खड़े लंड का अहसास हो रहा था।राज ने झुक कर उसके होंठ चूम लिए और उसकी छातियों को हल्के से दबाने लगा।शालू भी मज़े से उसकी गोद मेंपड़े हुए मस्त हो रही थी,तभी राज के हाथ नीचे को गए और उसका स्कर्ट ऊपर को किए।अब उसकी चूत उसकी आँखों के सामने थी,राज ने शालू को कहा: बेटी, ज़रा जाँघों को फैलाओ ना। शालू ने शर्मीली मुस्कराहट के साथ अपनी जाँघों को फैला दिया और उसकी चूत की फाँकें राज को उत्तेजित करने लगीं।राज बोला: क्या आराम करना है, या मज़ा लेना है? वैसे एक बात बोलनी थी, आज मैं और सरिता तुम्हारी गाँड़ मारने का प्लान बनाए हैं।ठीक है ना? दरअसल में सभी ग्रूप सेक्स मेंलड़कियों की गाँड़ भी मारी जाती है।अगर वहाँ किसी ने तुम्हारी गाँड़ मार दी तो तुमको बहुत दुखेगा।इसलिए हमने सोचा है कि आज हम तुम्हारी गाँड़ मारने की कोशिश करेंगे ताकि कम से कम दर्द में तुम्हारी गाँड़ खुल जाए।ऐसा बोलते हुए राज ने अपनी ऊँगली नीचे की ओर खिसका कर उसकी गाँड़ की छेद पर के गया और उसको सहलाने लगा।पहले चूत पर और अब गाँड़ पर उसके स्पर्श ने शालू को गरम कर दिया।
वो बोली: ठीक है पापा, आप जो करोगे वो ठीक ही होगा।पर सरिता दीदी तो देर से आएँगी ना?
राज: नहीं वो आती ही होगी, आज मैंने उसको जल्दी बुलाया है।मैं दुकान से एक ट्यूब भी लाया हूँ जो गाँड़ के छेद को ढीला करने में मदद करेगी।
शालू हँसते हुए बोली: तो आज बेटी की गाँड़ फाड़ने का पूरा इंतज़ाम कर लिया है आपने?
राज भी हँस कर बोला: मेरी नाज़ुक बेटी की गाँड़ भी बड़े धीरे से फाडूंगा ताकि तुमको ज़्यादा दर्द ना हो।
शालू को पापा की इस बात पर उनपर प्यार आ गया और वो उचकके उनके होंठ चूसने लगी।
तभी कॉल बेल बजी, शालू ने दरवाज़ा खोला और सरिता अंदर आयी।शालू सरिता से दीदी कहके लिपट गयी। सरिता अंदर आयी और उसकी निगाह राज के लोअर में बने तंबू पर पड़ी,वो पास आके लंड को दबाके बोली: लगता है बाप बेटी मज़ा कर रहे थे, तभी तो ये इतना अकड़ा हुआ है। राज और शालू हँसने लगे, शालू बोली: सही पकड़ा है! और सब हँसने लगे।
शालू सरिता से बोली: पापा बोल रहे थे कि उन्होंने तुम्हारी पैंटी पहनना बन्द करवा दिया है।सच में अब तुम पैंटी नहीं पहनती?
राज:अरे सलवार में हाथ डालके चेक कर लो ना,कहते हुए उसकी कुर्ती उठा दिए और सलवार के ऊपर से उसकी चूत कोमुट्ठी में भर के बोले: देखो, कहाँ है पैंटी? शालू ने भी देखा की उसकी पतली सलवार मेंपैंटी का कोई नामोनिशान नहीं था और पापा उसकी चूत को मसल रहे थे।
सरिता बोली: आऽऽहहहह क्या कर रहे हैं? छोड़िए ना, सीधा यहीं पर हमला कर दिया। और वो पीछे होकर उसकी पकड़ से अपनी चूत को छुड़ा लेती है।
फिर राज उन दोनों को अपनी गोद मेंखिंच लेता है और उनकी एक एक चुचि दबाते हुए उन दोनों को चूमता है।फिर तीनों गरम होने लगते हैं,अब शालू हाथ को नीचे ले जाके राज के लंड को मुट्ठी में लेकर दबाने लगती है।
उसी समय सरिता का हाथ भी वहीं पहुँचता है, और शालू के साथ वो भी उसके बॉल्ज़ को सहलाने लगती है।फिर राज बोलता है कि चलो बेडरूम में चलते हैं।फिर वो सब बेडरूम मे जाके राज के कहने पर कपड़े खोलने लगते हैं।
जब तीनो नंगे हो जाते है,तो राज उन दोनों को बाहों मेंभरके चूमने लगता है और उनकी चूचियाँ दबाते हुए उनको बारी बारी से चूसने लगता है। सबके बदन गरम हो जाते है, और लड़कियाँ उसके लंड को दबाके मज़ा लेती है।अब राज शालू को बिस्तर पर लिटा देता है, और उसके ऊपर आके उसके होंठ चूसते हुए उसकी छातियाँ दबाता है और फिर नीचे आके उसकी कमर के नीचे एक तकिया रख देता है।फिर उसकी ऊपर उठ आयी चूत पर अपने होंठ रखके चूमने और चाटने लगता है।वो सरिता को उसकी छातियों को मसलने और चूसने का इशारा करता है।अब शालू की चूत पूरी तरह से इस डबल हमले से पनिया जाती है। और वो कमर उठाके उसके मुँह पर अपनी चूत रगड़ती है।अब राज ने देखा कि शालू मस्त हो गयी है तो उसने उसको चौपाया बनने को बोला: वो घूम के अपने घुटनो के बल आगयी और अपने चूतरों को ऊपर उठा दिया। सरिता उसके लटके हुए अनारों को दबा रही थी,और राज ने पीछे से उसकी चूत को चाटा और फिर उसके मस्त चूतरों को दबाते हुए उसकी गाँड़ की चुम्मी ले ली।शालू आह्ह्ह्ह्ह्ह कर रही थी, फिर उसने झीभ की नोक से उसके गाँड़ के छेद को खोदना चालू किया।सरिता उसके निपल्ज़ को उमेठ रही थी और वो अलौकिक आनंद के सागर में डूबे जा रही थ।फिर राज ने उसकी गाँड़ में ट्यूब से लूब डाला और अपनी एक ऊँगली मेंभी लूब लगाके उसकी गाँड़ में एक ऊँगली डालने लगा। जैसे ही उसने ऊँगली अंदर की उसकी गाँड़ का छल्ला उसकी ऊँगली को रोकने लगा तब राज बोला: बेटी, अपने गाँड़ के छेद को अंदर की ओर मत खिंचो ऐसे करो जैसे टट्टी करते समय ज़ोर लगाती हो बाहर की ओर।शालू ने ऐसा ही किया और अब उसकी छेद फैल गयी,और उसकी ऊँगली अंदर चली गयी।अब वो उसको अंदर बाहर करने लगा।
शालू: आह्ह्ह्ह्ह्ह पापा जलन हो रही है।सरिता: अरे शालू बस थोड़ी देर फिर मज़ा आएगा।कहते हुए उसने शालू का मुँह अपनी छातियों पर रख कर उसके मुँह मेंअपनी छाती ठूँस दी।शालू उसकी छाती चूस रही थी और उसका पापा उसकी गाँड़ में ऊँगली अंदर बाहर कर रहा था।