hotaks444
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झड़ने के बाद हमने एक दूसरे के वीर्य का पान चाची के छेदों में से किया. मैंने उनकी चूत चूसी और चाचाजी ने गांड . फ़िर हमने चोदने के लिये छेद बदल लिये. इस बार मेरा लंड चाची की चूत में था और चाचाजी का लंड उसकी गांड में था. यह चुदाई आधी रात के बाद तक चलती रही और तभी खतम हुई जब आखिर चाची चुद चुद कर बेहोश हो गयी. मैं और चाचाजी झड़े नहीं थे और एक दूसरे के लंड के प्यासे थे. कस के खड़े लंड हमने खींच कर बाहर निकाले तो बेहोशी में चाची कराह दीं. वे तो अब निश्चल होकर लुढ़क गयीं.
"बेटे मेरी गांड मार दे प्लीज़." कहकर चाचाजी पट सो गये. उनपर चढ़ कर मैंने उनके चूतड़ों के बीच अपना लौड़ा उतार दिया और उन्हें भोगने लगा. मैंने चाचाजी की गांड आधे घंटे मारी और झड़ने के पहले ही लंड बाहर खींच लिया. फ़िर हमने सिक्सटी नाइन किया और एक दूसरे के शिश्न का रस पीकर ही हमारी वासना शांत हुई. हम भी अब थक चुके थे और सो गये.
…………………………
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दो दिन बाद चाचाजी भी ब्रम्हचारी हो गये और दो दिन मेरी तरह आराम किया. हम अलग अलग सोते. लगता है। चाची ने भी मुट्ठ मारना तक छोड़ दिया. हमेशा उनकी आंखें वासना से गुलाबी रहतीं. मैंने और चाचाजी ने उनसे कहा कि उन्हें तड़पने की कोई जरूरत नहीं है, वे चाहे जितना हस्तमैथुन कर सकती हैं. पर उन्होंने मना कर दिया. बोलीं कि अपना रस व्यर्थ नहीं करना चाहतीं. मेरी और चाचाजी की सुहागरात खतम होने पर सुबह हमें अपनी चूत का कटोरी भर शहद पिलाना चाहती थीं.
आखिर वह शाम आयी जब चाची अपना मदभरा गुड्डे गुड़िया का खेल खेलने वाली थीं. शाम को उन्होंने मुझे अपने कमरे में बुलाया. कहा कि नहा कर आऊं. चाचाजी भी नहाधोकर फ्रेश होने को चले गये. चाची ने उनके लिये रेशम का कुरता पाजामा निकाल कर रखा था. "आखिर आज रात वे तेरे दूल्हे हैं, दूल्हे जैसे कपड़े पहनना जरूरी है."
जब मैं नहा कर चाचीके कमरे में पहुंचा तो धड़कते दिल से. उनकी यह बात याद थी कि वे मुझे दुल्हन जैसे सजाएंगी. पलंग पर पूरे कपड़े तैयार थे. देखकर मैं शरमा गया. अंदर ही अंदर एक मीठी वासना भी जगने लगी.
पलंग पर एक सफ़ेद ब्रेसियर, पैंटी, गुलाबी पेटीकोट, गुलाबी साड़ी और ब्लाउज़ रखे थे. पलंग के नीचे ही चाची के ऊँची ऐड़ी के सैंडल रखे थे. आइने के सामने मेकप का पूरा सामान था. गहने भी थे. और एक रेशमी काले बालों का विग था!
चाची ने मुझे नंगा किया. मेरे गोरे बदन को देखा और सहलाया और मुझे प्यार से चूमा. मुझे झुक कर खड़ा होने को कहा. पीछे से उन्होंने मेरे गुदा पर लिपस्टिक से दो होंठ बना दिये. "तेरे छेद को और मोहक बना रही हूं, देखते ही ये पागल हो जायेंगे." फ़िर लंड को हाथ में लेकर बोलीं. "इसका कुछ करना पड़ेगा." वह अभी से खड़ा होना शुरू हो गया था.
"बेटे मेरी गांड मार दे प्लीज़." कहकर चाचाजी पट सो गये. उनपर चढ़ कर मैंने उनके चूतड़ों के बीच अपना लौड़ा उतार दिया और उन्हें भोगने लगा. मैंने चाचाजी की गांड आधे घंटे मारी और झड़ने के पहले ही लंड बाहर खींच लिया. फ़िर हमने सिक्सटी नाइन किया और एक दूसरे के शिश्न का रस पीकर ही हमारी वासना शांत हुई. हम भी अब थक चुके थे और सो गये.
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दो दिन बाद चाचाजी भी ब्रम्हचारी हो गये और दो दिन मेरी तरह आराम किया. हम अलग अलग सोते. लगता है। चाची ने भी मुट्ठ मारना तक छोड़ दिया. हमेशा उनकी आंखें वासना से गुलाबी रहतीं. मैंने और चाचाजी ने उनसे कहा कि उन्हें तड़पने की कोई जरूरत नहीं है, वे चाहे जितना हस्तमैथुन कर सकती हैं. पर उन्होंने मना कर दिया. बोलीं कि अपना रस व्यर्थ नहीं करना चाहतीं. मेरी और चाचाजी की सुहागरात खतम होने पर सुबह हमें अपनी चूत का कटोरी भर शहद पिलाना चाहती थीं.
आखिर वह शाम आयी जब चाची अपना मदभरा गुड्डे गुड़िया का खेल खेलने वाली थीं. शाम को उन्होंने मुझे अपने कमरे में बुलाया. कहा कि नहा कर आऊं. चाचाजी भी नहाधोकर फ्रेश होने को चले गये. चाची ने उनके लिये रेशम का कुरता पाजामा निकाल कर रखा था. "आखिर आज रात वे तेरे दूल्हे हैं, दूल्हे जैसे कपड़े पहनना जरूरी है."
जब मैं नहा कर चाचीके कमरे में पहुंचा तो धड़कते दिल से. उनकी यह बात याद थी कि वे मुझे दुल्हन जैसे सजाएंगी. पलंग पर पूरे कपड़े तैयार थे. देखकर मैं शरमा गया. अंदर ही अंदर एक मीठी वासना भी जगने लगी.
पलंग पर एक सफ़ेद ब्रेसियर, पैंटी, गुलाबी पेटीकोट, गुलाबी साड़ी और ब्लाउज़ रखे थे. पलंग के नीचे ही चाची के ऊँची ऐड़ी के सैंडल रखे थे. आइने के सामने मेकप का पूरा सामान था. गहने भी थे. और एक रेशमी काले बालों का विग था!
चाची ने मुझे नंगा किया. मेरे गोरे बदन को देखा और सहलाया और मुझे प्यार से चूमा. मुझे झुक कर खड़ा होने को कहा. पीछे से उन्होंने मेरे गुदा पर लिपस्टिक से दो होंठ बना दिये. "तेरे छेद को और मोहक बना रही हूं, देखते ही ये पागल हो जायेंगे." फ़िर लंड को हाथ में लेकर बोलीं. "इसका कुछ करना पड़ेगा." वह अभी से खड़ा होना शुरू हो गया था.