Hindi Porn Kahani तड़पति जवानी - Page 3 - SexBaba
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Hindi Porn Kahani तड़पति जवानी

मैं- हेलो…. मिसेज़. मिश्रा

मिसेज़. मिश्रा - हेलो….. जी हां आप कॉन ?

मैं- मिसेज़. मिश्रा जी मैं निशा…. आप ने अभी रूपा से बोला था आप से बात करने के लिए ?

मिसेज़. मिश्रा – हां यार निशा मैने ही बोला था ऑर क्या कर रही हो ?

मैं- कुछ ख़ास नही कर रही थी. तुम बताओ कैसे याद किया ?

मिसेज़. मिश्रा- निशा यार अगर तुम फ्री हो तो क्या तुम मेरे साथ चल सकती हो ?

मैं- कोई ख़ास काम है ?

मिसेज़. मिश्रा- हां मुझे थोड़ा चेक-अप करवाना था. ऑर कलश के पास भी जाने के लिए टाइम नही है उन्होने बोला कि किसी ऑर के साथ चली जाओ. तुम तो जानती ही हो मेरी मेरे घर पर किसी से ज़्यादा बनती नही है इस लिए मैं उन मे से किसी को भी अपने साथ नही ले जाना चाहती हू. अगर तुम्हारे पास टाइम हो तो क्या तुम मेरे साथ चल सकती हो ?

मैने थोड़ी देर सोचा कि मेरे पास भी कोई काम नही है ऑर यहा पर बैठे बैठे मेरे दिमाग़ मे भी इस समय बेकार ऑर फालतू की बाते घूम रही थी. इस लिए मैने सोचा कि मिसेज़. मिश्रा के साथ थोड़ा घूम कर आउन्गि तो मन ठीक हो जाएगा ऑर ये सब बेकार की बाते मेरे दिमाग़ से निकल जाएगी.

मैं- ठीक है मैं थोड़ी देर मैं तैयार हो कर अभी तुम्हारे पास आती हू. कह कर मैने फ़ोन काट दिया.

थोड़ी ही देर मैं मिसेज़. मिश्रा के घर मे आ गयी थी वो तो जैसे एक दम तैयार हो कर मेरा ही इंतजार कर रही थी.

अरे निशा आओ…. कुछ लोगि ठंडा/गरम ? उसने मुझे देख कर अंदर बुलाते हुए कहा

नही कुछ नही….. मैने मना कर दिया

चलो ठीक है चलते है बस मैं ज़रा अपना पर्स ले लू.. कह कर वो अंदर से अपना पर्स लेने चली गयी ओर थोड़ी ही देर मे अपना पर्स ले कर वापस आ गयी.

कार मैं बैठ कर हम दोनो ही चले जा रहे थे. ऑर ड्राइवर गाड़ी चला रहा था.

ऑर सुनाए मिसेज़. मिश्रा जी क्या हाल चाल है ? कैसी चल रही है आप की लाइफ ? मैने ही गाड़ी मे बात की शुरूवात करते हुए कहा

क्या यार निशा मैं तुम्हे निशा करके बुला रही हू ऑर तुम मुझे मिसेज़. मिश्रा कह कर बुलाए जा रही है अरे यार मेरा नाम वन्या है मुझे वन्या कह कर बुला ना हम दोनो सेम एज के ही है. उसने मुझे टोकते हुए कहा.

ओके.. तो वन्या कैसी चल रही है तेरी लाइफ ? तेरे पति की जॉब कैसी चल रही है ? क्या मज़े चल रहे है तुम्हारे ? मैने भी अब एक दम यारी दोस्ती वाली लॅंग्वेज यूज़ कर के उस से बात कर रही थी.

मेरा तो सब बढ़िया है तुम सूनाओ क्या चल रहा है.?

मैं भी बढ़िया ही हू. वैसे डॉक्टर. के पास क्यू जा रही हो ? कोई दिक्कत वाली बात तो नही है ?

अरे नही ऐसे ही रुटीन चेक-अप के लिए जा रही हू. मन थोड़ा खराब रहता है.

रुटीन चेक-अप…. मैने चुटकी भरे अंदाज मे कहा. तो नये मेहमान के आने की तैयारी शुरू की जा रही है. ? हहहे……. वैसे कितने महीने हो गये है ?

अभी ऐसा कुछ नही है जैसा तुम सोच रही हो. उसने भी मुस्कुराते हुए जवाब दिया.

अरे जब ऐसा कुछ नही है तो फिर किस बात का रुटीन चेक-अप के लिए जा रही हो ?

बात करते हुए मैने उसके चेहरे पर एक उदासी सी छा गयी थी. पता नही क्या चल रहा था उसके दिमाग़ मे. जब मुझसे रहा नही गया तो मैने उस से पूछ ही लिया क्या बात है तुम बोहोत परेशान सी लग रही हो.? हम बोहोत धीमे धीमे बात कर रहे थे ताकि हमारी बाते ड्राइवर को ना सुनाई दे.

अब क्या बताऊ यार निशा तुझे तो पता ही है हमारी शादी को लगभग 8 महीने से उपर हो गये है. ऑर अब इनका इंटरेस्ट ना जाने क्यू मुझमे कम होता जा रहा है. शुरू शुरू मे तो हम दोनो के बीच मे बोहोत सेक्स होता था हमारी हर रात दीवाली होती थी हर रात हम दोनो के बीच मे सेक्स होता था पर कुछ महीनो से जब से इनका प्रमोशन हुआ है तब से इन्होने तो जैसे मेरी तरफ देखना ही बंद कर दिया है. हर रात होने वाला सेक्स अब वीक्ली हो गया है. ऑर उस मे भी ये सिर्फ़ फॉरमॅलिटी सी ही पूरी करते है.

बिस्तर पर आते है मेरे उपर चढ़ते है ओर अपना काम ख़तम करके सो जाते है बिना इस बात की परवाह किए कि मेरा क्या होता होगा.? मेरी प्यास बुझी कि नही बुझी इस बात से अब इन्हे कोई मतलब नही रह गया है. बिस्तर पर मेरे साथ एक दम ऐसा रिक्ट करते है जैसे किसी रंडी के पास जा कर उसके साथ करते है. इनकी हवस तो पूरी हो जाती है पर मैं एक दम प्यासी रह जाती हू. मुझे अपनी प्यास बुझाने के लिए अपने पति के होने के बाद भी अपनी उंगली का सहारा लेना पड़ता है.
क्रमशः................
 
तड़पति जवानी-पार्ट-8

गतान्क से आगे.........
अभी दोनो बात कर ही रहे थे कि वान्या के पर्स मे रखा फ़ोन. बजने लग जाता है. वान्या अपने पर्स से मोबाइल निकलती है ऑर बात करने लग जाती है. मैं उसके बगल मे ही बैठी थी इस लिए मुझे फ़ोन मे से आ रही आवाज़ भी साफ सुनाई दे रही थी.

वान्या- हेलो मानव हाउ आर यू ?

मानव- आइ एम फाइन. तो तुम आ रही हो ना ?

वान्या- हां घर से निकल गयी हू थोड़ी ही देर मे पहुँच जाउन्गि.

मानव- ब्लॅक ब्रा ऑर पनटी पहनी है ना ?

वान्या- हां बाबा वही पहना हुआ है.

मैने दोनो की बात सुन रही थी. वान्या को लग रहा था कि मुझे कुछ सुनाई नही दे रहा है क्यूकी मैं दूसरी तरफ अपना मुँह करे हुए थी. मेरे दिमाग़ मे यही बात चल रही थी कि ये किस से इस तरह से बात कर रही है. ये मानव कॉन है.

मानव- ब्लॅक ब्रा ऑर पनती की सोच कर ही मेरा खड़ा हो रहा है.

वान्या- आ तो रही हू उसे ठंडा करने के लिए. हहे

मानव- जल्दी आ जाओ अब इंतजार नही हो रहा है. तुम्हे ब्लॅक ब्रा ऑर पॅंटी मे नंगा देखने का बड़ा मन कर रहा है.

वान्या- सिर्फ़ देखना ही हैतो मैं नही आ रही..हुहन

मानव- देखूँगा नही जानेमन, सब कुछ करूगा,

वान्या- सब कुछ मे क्या क्या करोगे ?

मानव- अरे तुम्हे बिस्तर पर जम कर चोदुगा. हहे

वान्या- ऐसे नही शुरू से बताओ क्या क्या करोगे. इमॅजिन करो कि मैं तुम्हारे सामने ब्रा ओर पॅंटी मे खड़ी हुई हू.

मानव- तुम्हे अपने कमरे मे देख कर मैं बोहोत खुश हो गया, ओर जल्दी से कमरे का दरवाजा बंद कर लिया.

उन दोनो की फ़ोन पर हो रही बात सुन कर मुझे बड़ा अजीब सा लग रहा था मुझे विश्वास ही नही हो रहा था कि वान्या इस तरह की लड़की भी हो सकती है. ऑर उस से भी बड़ी बात उनकी गंदी गंदी बाते सुन कर मेरी खुद की योनि बेकाबू होने लग गयी थी ऑर उसने रिसना शुरू कर दिया था..

वान्या- और मैं आगे बढ़कर तुमसे लिपट गयी.

मानव - मुझसे इंतेज़ार नही हो रहा था इसलिए बिना कुच्छ कहे मैं अपने होंठ तुम्हारे होंठों पर रख दिए और एक हाथ से तुम्हारी छाती पकड़ ली ऑर उसे ज़ोर ज़ोर से मसलना शुरू कर दिया

वान्या- कौन सी वाली? राइट या लेफ्ट?

मानव- राइट वाली जानेमन

वान्या- तुम्हारे चुचि को पकड़ते ही मेरे मुँह से आवाज़े निकलना शुरू हो जाती है आआहह….अहह जान. ज़ोर से दबाओ. मज़ा आ रहा है.

मानव- मैने तुम्हारे होंठों को चूस्ते हुए तुम्हें दीवार के साथ लगा दिया ऑर अपने दोनो हाथों से अब तुम्हारी चुचियाँ दबा रहा हूँ. दोनो ही चुचियाँ तन कर एक दम सख़्त हो गयी है.

वान्या- अपने लंड को भी तो चूत पर रागडो ना, कब से बेचैन हो रही है देखो कितना पानी बहा चुकी.

मानव- हां जानेमन बिल्कुल.. मैं अब अपना लंड पॅंटी के उपेर से ही तुम्हारी चूत पर रगड़ रहा हूँ. मेरा लंड तुम्हारी चूत को महसूस करते ही ओर भी ज़्यादा टाइट हो गया है. ओर तुम्हारी चूत को ज़ोर ज़ोर से झटके ले कर सलामी दे रहा है.

वान्या- तुम्हारे लंड को अपनी चूत पर महसूस कर के मुझसे नही रहा जा रहा है ओर अब मैने अपने एक हाथ को नीचे ले जाकर तुम्हारे लंड को सहलाना शुरू कर दिया.

मानव- लंड को चूसोगी नही? सिर्फ़ सहलाती ही रहोगी ? हहे

वान्या- हां बाबा चुसुन्गि पर पहले तुम मुझे पूरी तरह नंगी तो करो.

मानव- अब मैं तुम्हें धीरे चूमता हुआ धीरे धीरे बिस्तर की तरफ ले जा रहा हूँ. बिस्तर के पास ले जाकर मैने तुम्हें बिस्तर पर धक्का देकर गिरा दिया.

वान्या- अब चढ़ भी जाओ मेरे उपेर. एक रंडी की तरह चोदो मुझे. देखो मेरी चूत कितनी देर से आँसू बहा रही है. कुछ तो दर्द समझो उसका.

मुझको वान्या के इस तरह से बात करने पर बोहोत अटपटा लग रहा था. मैं सोच रही थी कि वान्या इस तरह की भी हो सकती है…. कभी उसे देख कर लगा नही था, और ये मानव है कॉन जिस से ये इस तरह की बात कर रही है. पर इन सब के बीच, फ़ोन पर चल रही बाते सुन कर मेरी खुदकी पॅंटी बुरी तरह से गीली हो चुकी थी.

वान्या- “अच्छा अब मैं फ़ोन रखती हू. 2 मिनट के बाद मैं तुम्हारे क्लि
 
निक मे आजाउंगी.” कह कर उसने फ़ोन काट दिया. उसके चेहरे पर बोहोत ही खिली खिली मुस्कुराहट थी.

[size=large]मैने उस से उस बारे मे कोई भी सवाल जवाब करना सही नही समझा. फ़ोन पर सुनी बात से इतना तो पता चल गया था कि वो जिस डॉक्टर. के पास जा रही है शायद वही मानव है.
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थोड़ी ही देर मैं हम उस क्लिनिक पर आ गये. मेरी पॅंटी गीली हो जाने की वजह से बुरी तरह मेरी झांघो से चिप-चिपा रही थी. हम दोनो ही गाड़ी मे से उतरे ऑर क्लिनिक के अंदर की तरफ चल दिए.



मुझे क्लिनिक के अंदर जाते हुए थोड़ा डर और थोड़ा अजीब लग रहा था पर मैं उसके साथ अंदर क्लिनिक मे आ गयी... वो क्लिनिक बोहोत ही शानदार बना हुआ था. क्लिनिक के अंदर आते ही हम दोनो डॉक्टर. मानव के कॅबिन मे आ गये.



डॉक्टर. मानव कोई 27-28 साल के आस पास की उमर के हॅंडसम से नौजवान थे. खेर वान्या उनके सामने बैठी हुई थी. . मानव को देख कर लग ही नही रहा था कि वान्या अभी थोड़ी देर पहले इन्ही से बात कर रही थी. वो किसी गंभीर डॉक्टर. की तरह ही वान्या के साथ मे उस से उसके हाल चाल पूछ रहे थे और किसी ज़िम्मेदारी डॉक्टर. की ही तरह उसका नॉर्मल टेस्ट कर रहे थे.



थोड़ी देर वान्या को नॉर्मली तौर पर देखने के बाद उन्होने उस से कहा कि “मेडम आप रेग्युलर मेडिसिन से रही हो कि नही ?”



वान्या- “जी डॉक्टर मैं रेग्युलर मेडिसिन ले रही हू. क्यू क्या हुआ कोई दिक्कत वाली बात ?” वान्या ने लगभग चोव्न्क ते हुए पूछा.



.मानव- “आप का BP काफ़ी बढ़ गया है. मेरे ख़याल से आप दवाई टाइम से नही ले रही है. आप को चक्कर आ रहे है वो शायद इसी वजह से आ रहे है. आप का थोड़ा चेक-अप कर लेता हू और आप को अभी एक इंजेक्षन लगा देता हू. जिस से आप को आराम मिलेगा. लेकिन आप अपने खाने पीने ओर टाइम से दवाई लेने पर ध्यान दीजिए.” उसने मुस्कुराते हुए कहा.



मुझे उसके हस्ने का तरीका कुछ ठीक नही लग रहा था. पर मैं वहाँ चुप चाप बैठी रही. वान्या वाहा से उठ कर खड़ी हुई और अपनी साड़ी सही करते हुए मेरी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोली…



वान्या- “निशा तुम यही थोड़ा वेट करो मैं अभी चेक-अप करवा कर वापस आती हू. और वाहा से उठ कर सामने की तरफ जहा उसने एक प्राइवेट कॅबिन बना रखा था उस तरफ जाने लगी. उसके चेहरे पर एक अजीब किस्म की ख़ुसी सॉफ देखी जा सकती थी.



डॉक्टर. मानव ने मेरी तरफ देखा और फिर वही अमित जैसी गंदी हँसी हंस कर उसी तरफ चल दिया जिस तरफ वान्या गयी थी. उनके जाने के बाद मुझे वान्या की फ़ोन वाली बात याद आ गयी. पता नही क्या हुआ मुझे कि मैं अपने आप को रोक नही पाई और उस तरफ चल दी जहा वो दोनो गये थे.



वाहा केवल पर्दे लगे हुए थे और उस तरफ एक दरवाजा लगा हुआ था जिसे देख कर साफ पता चलता था कि वो प्राइवेट रूम है. मेरी अंदर एक अजीब सी बेचैनी बढ़ती जा रही थी. मैं ये जानना चाहती थी कि वो क्या कर रहे है. “क्यू ?” पता नही पर मेरे दिल मे ये जानने की इच्छा बढ़ती ही जा रही थी. मैं वाहा खड़ी ही थी कि अंदर से मुझे वान्या की आवाज़ सुनाई देने लगी..



वान्या- “कितना तड़पाते हो”



. मानव- “ मैं तड़पाता हू या तुम मुझे तड़पाती हो”



उन दोनो की आती हुई आवाज़ सुन कर मुझे अपने अंदर एक अजीब किस्म की बेचैनी होने लग गयी. क्या करू क्या नही कुछ समझ मे नही आ रहा था. एक बार को तो ख़याल आया कि यहा से हट जाउ और वापस बाहर जा कर बैठ जाउ. पर पता नही क्या हुआ मुझे कि मैं वाहा से चाह कर भी नही हट पा रही..



वान्या- “तुम्हारी पसंद के ही कपड़े पहन कर आई हूँ.”



ड्र. मानव- “पर ये तुम्हारे साथ मस्त सा आइटम कॉन है ?”



अपने बारे मे आइटम वर्ड सुन कर मेरा खून खूल गया. “ये डॉक्टर. है छी कितनी गंदी सोच है इसकी” मैं अपने ही मन मे बड़बड़ाने लग गयी.



अंदर से वान्या के फिर से बोलने की आवाज़ आई… मैने अपने कान अब बिल्कुल दरवाजे से सटा दिए.



वान्या- “अरे यार तुम्हे तो पता है मेरे ससुराल वालो की आदत, हर बात पर सवाल करने लग जाते है इसलिए निशा को अपने साथ ले आई ये बोल कर कि उसको चेक-अप करवाना है और उसका पति है नही तो वो मुझे अपने साथ चलने को बोल रही है”



वान्या की बात सुन कर मैं बुरी तरह से चोव्न्क गयी. “क्या… मेरा नाम लेकर ये यहा पर ये सब करने आई है” मैं फिर से अपने मन मे बड़बड़ाई.



ड्र. मानव- “तुम्हारी दोस्त है एक दम मस्त आइटम कोई जुगाड़ लगाओ ना… हहहे”



वान्या- “लगा दुगी पर पहले मेरी चूत को शांत करो… कब से बहे जा रही है”


[size=large]वान्या की बात सुन कर मुझे फिर से एक झटका लगा. मेरी समझ मे नही आ रहा था कि यहा पर अब रुकना चाहिए या नही. वान्या जिस तरह से बात कर रही थी मैने कभी सपने मे भी नही सोचा था कि वो इस हद तक हो सकती है. मैं अभी अपनी सोच मे डूबी हुई थी कि तभी मेरी नज़र दरवाजे पर गयी जिसमे एक हल्की सी साँस थी जिस से अंदर का सीन आराम से देखा जा सकता था.[/size]
 
अंदर का जो नज़ारा मेरी आँखो ने देखा वो देख कर तो मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी. वान्या केवल ब्रा और पनती मे अपने दोनो हाथ मानव के गले मे डाले हुए मानव को किस कर रही थी, और मानव भी केवल अंडर वेर मे ही था. ये सीन देख कर तो मेरी हालत ही खराब हो गयी, और मैं वाहा से एक दम हट कर वापस बाहर की तरफ आ गयी. वो सब कुछ देख कर मेरी खुद की साँसे बोहोत ज़ोर ज़ोर से चलने लगी. समझ मे नही आ रहा था कि ये सब क्या है.

थोड़ी देर मैं वही बैठी रही, जब मेरी साँसे कुछ नॉर्मल हुई तो मैने अपने माथे पर आए पसीने को सॉफ किया. एक तो मेरी योनि पहले ही गीली थी उस पर ये सब देख कर तो मेरी हालत और भी ज़्यादा खराब होने लग गयी थी. मुझे समझ मे ही नही आ रहा था कि यहाँ पर रुकु या वापस अपने घर चली जाउ. फिर पता नही मुझे क्या हुआ मेरे कदम अपने आप वापस उसी तरफ चल दिए.

दरवाजे के पास आ कर मैने देखा तो दोनो ही वही अंदर पड़े हुए बेड पर लेटे हुए थे… मानव वान्या के उपर चढ़ा हुआ था ऑर वान्या उसके नीचे. दोनो अभी भी पूरी तरह से नंगे नही हुए थे. मानव वान्या को बुरी तरह से किस किए जा रहा था कभी उसके गाल पर कभी उसकी आँख पर कभी उसके माथे पर कभी गर्दन तो कभी उसके कंधे पर.. उस पर ये सब देख कर तो मेरी हालत और भी ज़्यादा खराब होने लग गयी थी. 

मानव के यूँ उसको लगातार चूमने से वो बिस्तर पर बुरी तरह से मचलने लग गयी. वो अपना चेहरा कभी इधर तो कभी उधर करे जा रही थी. उसने अपनी दोनो आँखे बंद कर ली थी. मेरी तो जैसे आँखे वही पर जम गयी थी. मैने देखा की वान्या के हाथ मानव की पीठ पर चले जा रहे थे. फिर उसने अपने एक हाथ को उसकी पीठ से हटा लिया ऑर मानव के अंडरवेर के उपर से ही उसके लिंग को पकड़ कर सहलाने लग गयी.

थोड़ी देर यूँ ही वान्या को चूमने के बाद मानव उसके उपर से थोड़ा नीचे की तरफ हुआ और वान्या की ब्रा के उपर से ही उसके उरोजो को किस करने लग गया.वान्या ने भी अब अपना हाथ उसके अंडरवेर के उपर से फिराने की जगह उसके अंदर डाल कर उसके लिंग को बाहर निकाल लिया.

मानव का लिंग कोई ज़्यादा बड़ा नही था लग-भाग मनीष के बराबर ही था पर उसका लिंग मनीष के लिंग से थोड़ा मोटा ज़रूर था. वान्या उसके लिंग को अपने हाथो मे लेकर सहलाने लग गयी. वो उसके लिंग की खाल को लिंग की जड़ तक ले जाती और फिर वैसे ही वापस उपर की तरफ ले आती. जिस से उसके लिंग का सूपड़ा, जो एक दम गुलाबी कलर का था दिखने लग गया

मानव ने वान्या की ब्रा को उसको कमर से थोड़ा सा उपर उठा कर उसकी छाती से अलग कर दिया. अब वान्या उपर से पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी. उसकी ब्रा को हटते ही मानव किसी भूके बच्चे की तरह उसके उरोजो को अपने मुँह मे लेकर चूसने लग गया. और दूसरे हाथ से उसकी दूसरी उरोज को ज़ोर ज़ोर से मसल ने लग गया. वान्या ने अपनी आँखे बंद कर ली थी उसके चेहरे पर आ रहे हाव भाव को देख कर सॉफ पता चल रहा था कि उसको बोहोत मज़ा आ रहा है.

अब मानव उसकी दूसरी वाली उरोज को मुँह मे लेकर चूस रहा था ऑर पहली वाली को मसल रहा था. वान्या का हाथ अपने आप उसके सर पर आ गया ओर उसके बाल को पकड़ कर अपनी छाती पर ज़ोर डाल कर मानव का मुँह अपनी उरोज पर दबा रही थी. ऑर दूसरा हाथ बराबर मानव के लिंग को उपर नीचे सहला रहा था. मानव बराबर वान्या की कभी एक उरोज चूस रहा था तो कभी दूसरी..

थोड़ी देर यूँ ही उरोज चूसने के बाद मानव हटा और वान्या के होंठों को एक बार फिर से किस करने लग गया. वान्या ने अपनी आँखे खोल कर मानव की तरफ देखा जो वान्या के एक दम नज़दीक चेहरा किए उसे ही देखे जा रहा था. वान्या धीरे से मुस्कुराइ और मानव को अपने उपर से हटा कर बेड पर अपने दोनो घुटनो पर बैठ गयी.

मानव ने उसको घुटनो पर बैठा हुआ देख कर उसके पीछे आ गया और उसके नितंबो को अपने दोनो हाथो मे कस कर पकड़ कर दबा दिया. ऑर उसकी पॅंटी उसके शरीर से अलग करने लग गया. थोड़ी ही देर मे वान्या की पॅंटी उसके घुटनो के नीचे जा चुकी थी. मानव ने भी अपना अंडरवेर उतार कर अपने घुटनो से नीचे सरका दिया और वान्या के पीछे आ कर उसके नितंबो से सॅट गया. थोड़ी देर यूँ ही अपने लिंग को उसके नितंबो की दरार मे रगड़ने के बाद उसने वान्या को घुमा कर उसके चेहरे के सामने कर दिया. वान्या ने एक नज़र मानव की तरफ देखा और मुस्कुराते हुए अपना मुँह खोल कर पूरा का पूरा लिंग मुँह मे ले गयी.

लिंग के मुँह मे जाते ही ना जाने मुझे क्या हुआ मेरे मुँह से अपने आप ही आह सी निकल गयी. मेरी साँसे बोहोत तेज हो चली थी, और दिल भी बोहोत ज़ोर-ज़ोर से धड़के जा रहा था. झुक कर देखने की वजह से मेरे दोनो घुटनो मे दर्द होने लग गया था और मेरी योनि ना जाने कब से बहे जा रही थी जिसके बारे मैने ध्यान ही नही दिया. मुझे ये सब देख कर एक अजीब सी फीलिंग हो रही थी, मन ही नही कर रहा था वहाँ से हटने का. या यूँ कहु कि मुझे खुद को ये सब देख कर बोहोत मज़ा आ रहा था.

CFळ ट्यूब लाइट की रोशनी मे वान्या का जिस्म एक दम दूध के जैसा गोरा दिखाई दे रहा था. वान्या ने अब मानव का लिंग अपने मुँह से निकाल दिया था ऑर वान्या वापस बेड पर लेट गयी. मानव ने उसके पैरो से उसकी पॅंटी निकाल दी और उसकी दोनो टांगे चौड़ी करके उनके बीच मे अपना सर घुसा कर वान्या की योनि पर मुँह लगा दिया. मानव का मुँह अपनी योनि पर लगते ही वान्या जो बोहोत हल्के हल्के सिसकारिया और आहे भर रही थी वो धीरे-धीरे करके तेज होती चली गयी. वान्या अपने नितंब उठा उठा कर अपनी योनि को मानव के मुँह पर रगड़ने लग गयी.

मैं उन दोनो को देख कर एक दम हैरान रह गयी. वो किसी पॉर्न स्टार की तरह सब कुछ एक दम सही तरीके से कर रहे थे और एक दूसरे को भरपूर मज़ा दे रहे थे. वान्या जब मानव का लिंग अपने मुँह मे लेकर चूस रही थी तो ऐसी लग रही थी कि उसे देख कर पॉर्न स्टार भी शर्मा जाए. और अब मानव भी बिल्कुल उसी तरह से वान्या की योनि सक कर रहा था.
क्रमशः................
 
गतान्क से आगे.........
मानव अब भी वान्या की योनि सक कर रहा था, उसने अपने दोनो हाथ नीचे वान्या के नितंबो पर लगा कर उन्हे उँचा कर दिया था जिस से वान्या की योनि पूरी तरह से खुल कर मानव के सामने आ गयी थी. योनि सक करते करते मानव ने अपनी एक उंगली वान्या के नितंब छेद मे डाल दी. जिस से वन्या की एक दर्द भरी सिसकारी निकल गयी.

थोड़ी देर यूँ ही चलता रहा फिर मानव ने वान्या को उसके घुटनो पर कर दिया और खुद उसके पीछे आ गया. मानव के पीछे आते ही वान्या अपना एक हाथ पीछे करके मानव के लिंग को पकड़ कर अपनी दोनो टाँगो के बीच अपनी योनि पर लगाने लगी.

मानव ने वान्या की कमर को पकड़ा और एक ज़ोर दार धक्के के साथ ही अपना पूरा लिंग एक ही बार मे वान्या की योनि मे घुसा दिया. वान्या के मुँह से अचानक निकली आह सुन कर मैं समझ गयी कि मानव ने अपना पूरा लिंग अंदर कर दिया है और वान्या को बोहोत मज़ा आ रहा है.

वान्या ने अपना हाथ लिंग से हटा कर सामने बेड पर टिका दिया. वान्या ने अपने नितंबो को थोड़ा और उपर की तरफ कर दिया ताकि मानव का लिंग आसानी से अंदर बाहर हो सके. मानव भी अब पीछे से अपनी स्पीड बढ़ा चुका था और तेज़ी के साथ अपने लिंग को योनि के अंदर बाहर कर रहा था. मानव की एक उंगली अब भी वान्या के नितंब छेद मे चल रही थी, जिसे देख कर मुझे ये ख़याल आया कि शायद अब ये वान्या के साथ अनल सेक्स भी करेगा.

अनल सेक्स का ख़याल आते ही मुझे अमित का वो एहसास याद आ गया जब उसने मेरे दोनो नितंबो को पकड़ कर बुरी तरह से मसल कर रख दिया था. अमित ने भी मुझे पीछे से पकड़ कर अपना लिंग मेरे नितंबो के बीच दबा दिया था, और मुझे पूरी तरह से झुका दिया था. जिस से उसके लिंग का एहसास मैं अपने नितंब छेद पर सॉफ महसूस कर पा रही थी. उसने काफ़ी देर तक मेरे नितंबो के बीच अपने लिंग को रगड़ा रहा. मेरे भरे हुए नितंब उसको बोहोत मज़ा दे रहे थे और मुझे भी धीरे धीरे उसके लिंग को अपने नितंबो के बीच रगड़ने से मज़ा आने लगा.

मैने अब अंदर की तरफ देखा तो मानव अब भी वान्या के पीछे से लगातार उसकी योनि पर धक्के लगाए जा रहा था. मानव के दोनो हाथ अब वान्या के पूरे जिस्म पर चल रहे थे और वान्या भी खूब मज़े से उसका भरपूर साथ दे रही थी. मानव जब भी उसको आगे की तरफ धक्का मारता वान्या अपने नितंब पीछे को कर लेती जिस वजह से पूरा लिंग आसानी से अंदर तक जा रहा था. ये सब देख कर मैं भी काफ़ी जोश मे आ गयी थी और कब मेरा हाथ मेरी साड़ी के अंदर घुस गया पता ही नही चला. मैने पॅंटी के अंदर से ही अपनी एक उंगली अपनी योनि मे डाल कर उसको अंदर बाहर करने लग गयी. मेरी खुद की साँसे बोहोत तेज़ी से चल रही थी और मुँह से हल्की हल्की सिसकारिया निकलने लग गयी. मेरा दूसरा हाथ मेरे उरोज पर आ गया और उसे हल्के हल्के दबाने लग गया.

मैं अभी अपने आप ही मज़े लेना शुरू किया था कि मुझे दरवाजे पर किसी के नॉक करने के आवाज़ सुनाई दी. आवाज़ को सुन कर मेरी तो जैसे जान ही निकल गयी मैं वहाँ से जल्दी से निकल कर वापस उसी जगह आ गयी और चुप चाप बैठ गयी. मैं अपना मन मसोस कर रह गयी पता नही कहाँ से कॉन चला आया था. तभी अंदर की तरफ एक कॉमपाउंडर आया उसके हाथ मे तीन कप चाइ और नाश्ता था. उसने वो नाश्ता वहाँ रखा और वापस चला गया. मेरी अब हिम्मत ही नही हो रही थी कि मैं वापस जा कर वो सब देखु. वहाँ से हटते हुए जब मैने एक नज़र डाली थी तो मानव ने वान्या को बिस्तर पर सीधा लेटा दिया था और उसके दोनो पैर अपने कंधे पर रख लिए थे, और मानव वान्या को बराबर धक्के लगाए जा रहा था. वो सब सोच कर मैने एक लंबी आह भरी और चुप चाप वही बैठ गयी.

मेरा हाल इस समय बिन पानी मछली जैसा हो गया था एक तरफ तो मेरी खुद की हालत खराब होती जा रही थी जिसे मैं बड़ी मुश्किल से कंट्रोल कर पा रही थी. दूसरा मेरा मन अब भी अंदर उस कमरे की तरफ ही लगा हुआ था जहा इस समय मानव और वान्या थे… मेरा एक मन कह रहा था कि मैं वापस अंदर जा कर देखु पर डर लग रहा था कि कही फिर से कोई आ गया तो.. यही सोच कर मैं बैठी हुई थी कि तभी थोड़ी ही देर मे मानव और वान्या भी आ गये.

वान्या अपनी साड़ी सही करते हुए आ रही थी और मानव अपने हाथ मे से दस्ताने निकालते हुए. मानव आ कर सीधे अपनी कुर्सी पर बैठ गया. वान्या भी मेरे बगल मे ही आकर बैठ गयी. मानव ने जब टेबल पर चाइ देखी फिर एक बार मेरी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए कहा “ आप ने चाइ नही ली…. लीजिए चाइ लीजिए” और एक कप चाइ उठा कर मेरी तरफ बढ़ा दी. मैने उसके हाथ से चाइ ले कर अपने सामने रख ली. मानव ने एक कप चाइ वान्या की तरफ भी बढ़ा दी.
 
अभी हमने चाइ पी कर ख़तम ही की थी कि वो कॉमपाउंडर फिर से आ गया. कॉमपाउंडर ने टेबल से चाइ के कप और प्लेट हटा ली. मेरे को बड़ी बैचैनि सी हो रही थी वहाँ पर इस लिए मैने वान्या से कहा “वान्या जी हमे अब चलना चाहिए यहाँ से, मनीष का भी टाइम हो गया है आने का” मैने वान्या से बोहोत धीमी आवाज़ मे कहा.

वान्या ने मेरी बात सुनी और कहा “हाँ चलो चल ही रहे है बस दवाई लिखवा लू डॉक्टर. साहब से” वान्या ने भी धीमी सी आवाज़ मे ही जवाब दिया.

मानव से दवाई लिखवाने के बाद हम दोनो वहाँ से अपनी गाड़ी मे बैठ कर अपने घर की तरफ चल दिए. वान्या का चेहरा इस समय बोहोत खिला खिला था उसके चेहरे पर मुस्कुराहट बनी हुई थी. मैं वान्या से इस सब के बारे मे पूछना चाहती थी पर मेरी हिम्मत नही हो रही थी कि कैसे पुच्छू ? “अगर कही उसने मुझे ग़लत समझ लिया तो..” यही सोच कर मैने उस से कुछ भी नही पूछा और चुप-चाप गाड़ी मे बैठ कर घर वापस आ गयी.

थोड़ी ही देर बाद मैं अपने घर पर आ गयी और घर पर आते ही सब से पहले मैं बाथरूम मे घुस गयी… जहाँ जा कर मैने अपने आप को शांत किया जिसे मैं कब से शांत करना चाहती थी. अपने आप को शांत करने के बाद मैने थोड़ा रिलॅक्स महसूस किया. पर वो एहसास जो एक आदमी के साथ करने से मिलता है उसकी कमी मुझे सॉफ महसूस हो रही थी.

मैं अभी अपने कमरे मे आई ही थी दरवाजे पर डोर बेल बज गयी. मैं जल्दी से वापस पलट कर दरवाजे की तरफ चल दी. दरवाजा खोल कर देखा तो मनीष खड़े हुए थे. उनके हाथ मे काफ़ी सारा सामान था. ऐसा लग रहा था कि वो खूब सारी शॉपिंग कर के आए है. उनके अंदर आते ही मैने दरवाजा बंद कर लिया और आधा सामान पकड़ कर अंदर आ गयी. अपने बेडरूम मे आकर मैने मनीष से पूछा कि “आज तो आप खूब सारी शॉपिंग कर लाए है… किस के लिए इतनी सारी शॉपिंग कर लाए है ?” मैने उन सारे सामान को अलमारी मे रखते हुए कहा.

अभी मैं सारे सामान को रख कर वापस बेड पर बैठी ही थी कि मनीष ने मुझे कस कर अपनी बाहो की क़ैद कर लिया. और कभी मेरे गाल तो कभी आँखे तो कभी मेरे माथे तो कभी गले और फिर लास्ट मे अपने होंठो को मेरे होंठो पर लगा कर उनको किस करने लगे

मैं जो सुबह से जिस आग मे तड़प रही थी अब वो बुझने का टाइम आ गया था. इसलिए मैने भी मनीष का साथ देते हुए उनके होंठो को किस करना शुरू कर दिया. हम दोनो के बीच करीब 15 मिनट तक इसी तरह से किस चलता रहा. हमने एक दूसरे को को जी भर कर खूब किस किया. मैं बेड पर नीचे लेटी हुई थी और मनीष मेरे उपर से मुझे किस कर रहे थे.

15 मिनट लगातार किस करने के बाद हम दोनो की ही साँसे बोहोत ज़ोर से चल रही थी. दोनो का ही साँस लेना थोड़ा मुश्किल होता जा रहा था. अभी मैं खुद की साँसे थोड़ा संभाल पाती मनीष ने मेरी साड़ी खोलना शुरू कर दिया. अपनी साड़ी खोलने मे मैने मनीष की मदद की और कुछ ही पॅलो मे मेरे सरीर से मेरी साड़ी निकल कर बेड के एक कोने मे जा गिरी.

मनीष तो आते के साथ ही शुरू हो गये थे. और मैं भी काफ़ी उत्तेजित हो गयी थी. पर फिर भी मैने खुद पर काबू रखते हुए मनीष से कहा कि “मनीष पहले आप फ्रेश हो कर कुछ खा पी तो लो इस के लिए तो पूरी रात पड़ी है.”
 
मनीष एक पल के रुके और फिर मेरे से कहा “खाना तो मैने बाहर ही खा लिया पर चलो आज साथ मिलकर ही नहाते है ? वैसे भी बोहोत दिन हो गये एक साथ नहाए हुए.” ये कहने के साथ ही मनीष मुस्कुरा दिए. और मुझे अपनी बाहो मे कस कर जाकड़ लिया और फिर एक लंबी किस मेरे होंठो की लेने के बाद उन्होने मुझे अपनी गोद मे उठा लिया पता नही चला वो मुझे अपनी गोद मे ही उठाए हुए बाथरूम तक ले आए.

बाथरूम मे आने के बाद उन्होने मुझे अपनी गोद से उतार दिया और मैं वहाँ खड़ी हो गयी. बाथरूम मे आने के बाद उन्होने मेरे शरीर के एक-एक हिस्से को किस करते हुए मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए. उनके इस तरह से किस करने से मैं भी मदहोश होती चली जा रही थी. मेरी साँसे इस तरह से किस करने से उखड़ती जा रही थी और मेरी योनि जोरो से रिसाव करे जा रही थी. मैने भी मनीष को किस करना शुरू कर दिया और उनके भी कपड़े उतारने शुरू कर दिए. अब हम दोनो बिल्कुल नंगे हो गये थे. मनीष ने अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर शवर ओपन कर दिया. और अब हम दोनो पानी के नीचे खड़े हुए थे. पानी की ठंडी ठंडी फुहारे जैसे जैसे मेरे शरीर पर पड़ रही थी मेरी मदहोशी हद से ज़्यादा बढ़ रही थी.

मनीष ने शवर के नीचे खड़े हुए ही अपना मुँह मेरे स्तन पर लगा दिया उत्तेजना के कारण मेरे हाथ मनीष के बालो को सहलाने लग गये. मनीष ने अब ज़ोर ज़ोर से मेरे उरोज को मुँह मे लेकर सक करना शुरू कर दिया. मेरे मुँह से सिसकारिया निकलने लग गयी. मैने उत्तेजना के कारण अपने मनीष का सर अपने सीने पर दबा लिया और मज़े से और भी तेज़ी के साथ आवाज़े निकालने लग गयी. पूरे बाथरूम मे पानी के गिरने की आवाज़ के साथ-साथ मेरी सिसकारियो की आवाज़े गूँज रही थी. उत्तेजना के कारण मेरे दिमाग़ मे अभी थोड़ी देर पहले जैसे वान्या ने अपना हाथ बढ़ा कर लिंग को सहलाना शुरू कर दिया था वैसे ही ना जाने मुझे क्या हुआ वो सब याद करते ही उस एहसास को महसूस करते ही मेरे खुद के हाथ कब मनीष के लिंग पर पहुँच गया और कब उसे पकड़ कर हिलाना शुरू कर दिया पता ही नही चला. मेरा हाथ अपने लिंग पर इस तरह सहलाने से मनीष के मुँह से भी सिसकारिया निकलने लग गयी.

थोड़ी देर यूँ ही मनीष का लिंग अपने हाथ से सहलाने के बाद मैने पास मे ही रखे साबुन को हाथ मे लेकर मनीष के पूरे सरीर पर लगाना शुरू कर दिया. सब से पहले मैने मनीष के सीने पर साबुन लगाया और फिर उनको घुमा कर उनकी पीठ पर ओर फिर उनके सर पर साबुन लगा कर उनके चेहरे पर भी साबुन लगा दिया. अब केवल मनीष के पैर बचे थे साबुन लगाने के लिए इसलिए मैने अपने घुटनो पर बैठ गयी और मनीष के पैरो पर साबुन लगाने के लिए जैसे ही उनके पैर को पकड़ा उनका तना हुआ लिंग मेरे मुँह के सामने आ गया.

तना हुआ लिंग अपने चेहरे के सामने देख कर एक पल के लिए मैने शर्म से अपनी निगाह नीचे कर ली और चुप-चाप साबुन लगाने लग गयी. लेकिन निगाह नीचे कर लेने के बाद भी मेरा ध्यान लिंग पर ही अटका हुआ था और शायद इसी लिए ना चाहते हुए भी मेरी निगाह बार-बार उस लिंग पर जा कर अटक जा रही थी. पैरो पर साबुन लगाने के बाद अब केवल मनीष का लिंग ही रह गया था जिस पर साबुन लगा कर सॉफ करना था. मैने साबुन लेकर मनीष के लिंग पर लगाया और साबुन लगाने से मनीष का लिंग एक दम चिकना हो गया था. जिस वजह से जैसे ही मैने मनीष के लिंग को साबुन लगा कर उसको ज़रा सा सहलाया मनीष की खाल एक दम पीछे हो गयी और उनके लिंग का सूपड़ा सामने की तरफ आ गया जो एक दम गुलाबी रखा हुआ था. लिंग तना
 
लिंग को झटका ख़ाता हुआ देख कर शर्म के कारण मेरे चेहरे पर एक मुस्कान सी फैल गयी. पूरे शरीर पर साबुन लगाने के बाद मैने मनीष को शवर के नीचे खड़ा कर दिया जिस से उनके शरीर पर लगा साबुन धुल कर सॉफ हो गया. साबुन के सॉफ होते ही मनीष ने मुस्कुराते हुए अपनी आँख खोली और मुझे भी अपने सीने से चिपका लिया. और मेरे लबो पर अपने लब रख दिए. थोड़ी देर किस करने के बाद मनीष ने मुझे शवर के नीचे खड़ा कर दिया और मेरे हाथ से साबुन ले लिया.

साबुन को अपने हाथ मे लेकर मनीष ने साबुन को सबसे पहले मेरे मोटे-मोटे बड़े-बड़े उरोजो पर हल्के हाथ से लगाने लग गये जिस कारण मुझे मेरे शरीर मे गुदगुदी का एहसास होने लग गया मेरी हालत एक दम खराब से भी ज़्यादा खराब रही थी. जैसे जैसे मनीष के हाथ मेरे स्तनो पर चल रहे थे मैं मज़े की एक अलग दुनिया मे पहुँचती जा रही थी. ऊरोजो पर साबुन लगाने के बाद मनीष ने मेरे पूरे पेट पर गोल-गोल हाथ घुमा कर पूरे पेट पर साबुन लगा दिया मैने मज़े के कारण अपनी दोनो आँखे बंद कर ली. फिर मनीष ने मेरे बालो मे शॅमपू लगाया और मेरे चेहरे पर साबुन लगा दिया जिस कारण मेरी आँखे पूरी तरह बंद हो गयी थी. मनीष ने अब मुझे घुमा दिया और मेरी पीठ पर साबुन लगाने लगे. पीठ पर साबुन लगाने के बाद उन्होने अपने दोनो हाथ से मेरे नितंब को कस कर दबाया और मुझे थोड़ा सा आगे की तरफ बढ़ा कर मेरे दोनो हाथ को पकड़ कर मुझको दीवार से लगा दिया जिस कारण मनीष का लिंग मेरे नितंबो के बीच मे रगड़ खा रहा था.

थोड़ी देर यूँ ही अपना लिंग नितंबो के बीच रगड़ने के बाद मनीष वहाँ से हट गये और साबुन को मेरे नितंब पर उन्हे दबाते हुए लगाने लग गये.

“निशा कसम से तुम्हारे चूतर एक दम मस्त है मन कर रहा है कि अभी के अभी अपना लंड इन चूतर मे अंदर डाल दू.” मनीष ने अपने दोनो हाथो से मेरे नितंब को कस कर दबाते हुए कहा. जिस कारण मेरे मुँह से एक सिसकारी निकल गयी. मेरे नितंब को दबाने के बाद उन्होने अपने एक हाथ को मेरे नितंब के बीच मे घुसा दिया और उपर नीचे रगड़ते रहे. यूँ ही रगड़ते रगड़ते कब उन्होने अपनी एक उंगली अंदर घुसा दी पता ही नही चली साबुन लगा होने की वजह से पूरी उंगली एक ही बार मे अंदर तक घुसती चली गयी.

मेरे मुँह से हल्की सी दर्द भारी एक चीख निकल गयी……. आआआहह मनीष…… कहते हुए मैं तोड़ा और आयेज दीवार से एक दम सात कर खड़ी हो गयी.

मेरे मुँह से हल्की सी दर्द भारी एक चीख निकल गयी……. आआआहह मनीष…… कहते हुए मैं थोड़ा और आगे दीवार से एक दम सॅट कर खड़ी हो गयी. मनीष की उंगली बराबर मेरे नितंबो मे अंदर बाहर चल रही थी. मनीष की उंगली मोटी होने के कारण मुझे दर्द हो रहा था पर इस दर्द मे भी मुझे मज़ा आ रहा था. आज पहली बार मनीष ने मेरे नितंब के अंदर उंगली करी हो. कहते तो हमेशा थे पर कभी मैने करने नही दिया पर वान्या के सीन को याद करके मैने भी मनीष को नही टोका क्यूकी मैं भी वो एहसास को महसूस करना चाहती थी कि मनीष मुझे वो मज़ा दे सकते हैं या नही. अमित ने तो डाइरेक्ट ही अपना लिंग मेरे अंदर डाल दिया था जिस कारण मुझे इतना दर्द हुआ था कि एक पल के लिए तो मुझे लगा कि मेरी जान निकल गयी मैं मर जाउन्गि. पर उसके बाद जो मज़ा आया था वो तो बस उसे को याद करते ही मेरा पूरा शरीर अकड़ने लग गया और मैने अपने नितंब को मनीष के हाथ पर दबाते हुए अपनी योनि से पानी बहा दिया. कुछ देर झटके खाते हुए मेरी योनि पानी गिराती रही फिर मेरा शरीर ढीला पड़ गया. और मैं वापस वैसे ही खड़ी हो गयी. मनीष की उंगली अब भी बराबर मेरे नितंब मे चल रही थी.

“क्या कर रहे हो मनीष अब बस भी करो बोहोत हो गया” मैने हाँफती हुई आवाज़ मे कहा.
 
मनीष ने अपनी उंगली बाहर निकाल ली और साबुन को लेकर मेरे नितंब के अंदर छेद पर रगड़ कर लगा दिया. और मुझे फिर घुमा कर खड़ा कर दिया और मेरी योनि पर जो हल्के हल्के बॉल उगे हुए थे उन पर हाथ फिरते हुए “निशा डार्लिंग बाल सॉफ नही किए तुमने ?” मैं मनीष के जवाब से शर्मा गयी “नही कर पाई” मैने अपनी उखड़ती हुई सांसो को संभालते हुए कह दिया. “कोई बात नही, बालो मे भी बोहोत खूबसूरत है” कहते हुए मनीष ने अपना एक हाथ मेरी योनि पर फेरा ओर मेरी योनि के अंदर अपनी उंगली डाल कर उसके अंदर घुमाने लगे.

योनि मे मनीष की उंगली जाते ही मेरे मुँह से फिर एक सिसकारी सी निकल गयी. थोड़ी देर यूँ ही अपनी उंगली को मेरी योनि से खेलने के बाद मनीष ने मेरे पैरो मे भी साबुन लगाया ओर मुझे शवर के नीचे खड़ा कर दिया ओर मेरे बूब्स मसल मसल कर सॉफ करने लगे. मनीष का हाथ कभी मेरे उरोज पर होता तो कभी मेरे नितंब पर तो कभी मेरी योनि पर जब पूरी तरह से हम दोनो के शरीर से साबुन सॉफ हो गया तो मनीष ने मुझे फिर से मुझे अपनी गोद मे उठा लिया. मैं शरमाते हुए मनीष के सीने से चिपक गयी ओर मनीष के चेस्ट को किस करने लगी….
क्रमशः................
 
तड़पति जवानी-पार्ट-10

गतान्क से आगे.........
बाथरूम से निकल कर मनीष मुझे बेड रूम मे ले आए…. हम दोनो के ही बदन गीले थे बेड रूम मे आ कर मनीष ने मुझे अपनी गोद से उतार दिया. मनीष की गोद से उतर कर मैने अलमारी से टवल निकाल लिया और टवल ले कर मनीष के बालो को सुखाने लगी बॉल पोंच्छने के बाद मैने मनीष के हाथ पैर सब पोंछ कर सॉफ कर दिए. मनीष का शरीर को जैसे ही पोंछ कर मैं उस से दूर होने लगी मनीष ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे खींच कर अपने सीने से चिपका लिया. हम दोनो का चेहरा एक दूसरे के आमने सामने था. मनीष की आँखे मेरे चेहरे को देखे जा रही थी उनकी आँखो मे मेरे लिए बे-पनाह प्यार था. मनीष की आँखो मे अपने लिए इतना प्यार देख कर मेरी अंतर आत्मा ने मुझे धिक्कार दिया.

मुझे वो धोका याद आने लगा जो मैने मैने मनीष के पीठ पीछे उसे दिया था. वो प्यार देख कर आत्म-ग्लानि से मेरी आँखे नम हो गयी और मेरी आँखो मे आँसू आ गये. मेरी आँखो मे आँसू देख कर मनीष एक दम बेचैन हो गये. “क्या हुआ मेरी जान को उसकी आँखो मे ये आँसू” कह कर मनीष ने मेरी आँखो से आँसू को सॉफ किया. मैं कुछ नही बोल पाई और मनीष के सीने से चिपक गयी.

मनीष ने मेरी आँखो से बहते हुए आँसू को सॉफ किया और मेरी आँखो को किस करने लग गये. मैं भी अब शांत हो गयी थी. और मैं भी उनके चेहरे को चूमने लग गयी. धीरे धीरे हमारे एक दूसरे को किस करने का सिलसिला और भी तेज़ी के साथ चलने लग गया. मनीष ने अपने होंठो के मेरे होंठो पर रख कर उसे चूमने लग गये और उनका एक हाथ मेरे कमर से होता हुआ मेरे नितंब पर आ गया. मनीष मेरे नितंब को दबा-दबा कर उसके साथ खेलने लग गये. थोड़ी देर यूँ ही खेलने के बाद उन्होने अपना हाथ आगे की तरफ ला कर मेरी योनि पर लगा दिया और उस पर गोल-गोल फिराते हुए मेरी योनि की मालिश करना शुरू कर दिया.

थोड़ी देर यूँ ही मालिश करने के बाद मनीष अपनी उंगली मेरी योनि के मुँह तक ले गये और मेरी योनि के दोनो फान्खो को अलग कर के उसके अंदर कर दिया. मनीष ने अपनी उंगली को जैसे ही मेरी योनि मे अंदर किया मैने अपने पैर थोड़े चौड़े कर लिए ताकि वो मेरी योनि मे अच्छे तरीके से उंगली कर सके. थोड़ी ही देर मे मेरे पैर चौड़े करते ही मनीष ने अपनी उंगली योनि के बीच मे उपर नीचे घुमानी शुरू कर दी. मनीष की उंगली जैसे ही मेरे भज्नासे से टकराती मेरे पूरे शरीर मे एक सनसनी सी फैल जाती. मैने भी अपना हाथ नीचे की तरफ ले जा कर मनीष के लिंग को अपने हाथ मे ले कर उसको सहलाना शुरू कर दिया. मेरे हाथ लगाने से मनीष का लिंग लोहे की रोड के जैसे एक दम गरम और सख़्त हो गया.

आआआअहह………………. आआआआआआआअहह….. माआनीइिशह तेजज़्ज़्ज्ज और तेज…. मेरे मुँह से आवाज़े निकालने लग गयी.

मनीष ने अपनी उंगली की रफ़्तार मेरी योनि मे और भी तेज कर दी. मनीष की उंगली जैसे जैसे मेरे योनि के भज्नासे से टकराती मैं उत्तेजना के मारे एक नयी दुनिया मे खोने लग गयी. मैने भी मज़े मे होने के कारण अपने नितंब को आगे पीछे करना शुरू कर दिया ताकि मनीष की उंगली आसानी से अंदर बाहर हो सके. मनीष ने तेज़ी से उंगली घुमानी शुरू कर दी जिस वजह से कुछ ही देर मे मेरा पूरा शरीर अकड़ने लग गया और मेरे घुटने कंप-कपाने लग गये मैने मनीष के लिंग को कस कर पकड़ कर उसकी खाल को पूरा का पूरा पीछे कर दिया. और दूसरे हाथ को मनीष के गले मे डाल कर अपना चेहरा उसके सीने मे च्छूपा लिया. मनीष का पूरा हाथ मेरी योनि से निकले रस के कारण पूरा का पूरा भीग गया.

अब मनीष बोहोत धीरे-धीरे अपनी उंगली को मेरी योनि मे घुमा रहे थे. मुझे बोहोत मज़ा आ रहा था. मैने भी अब मनीष के लिंग को ज़ोर ज़ोर से आगे-पीछे करना शुरू कर दिया. मैं भी मनीष के लिंग का पानी निकाल कर उनको भी मज़ा देना चाहती थी पर अब मैने महसूस किया किया की मनीष ने अपनी उंगली को मेरी योनि मे घुमाना बंद कर दिया. मनीष ने अपनी आँखे बंद कर ली और धीरे धीरे उनके भी मुँह से सिसकारिया निकलना शुरू हो गयी थी. मेरा हाथ अब मनीष के लिंग पर तेज़ी के साथ आगे-पीछे चल रहा था की अचानक मनीष का शरीर भी अकड़ने लग गया और उनके लिंग ने हलचल करते हुए झटके लेना शुरू कर दिया. मनीष के लिंग से निकला हुआ वीर्य मेरे पैर और मेरी जाँघो पर गिरने लग गया. मैने मनीष के लिंग को जब तक आगे पीछे किया जब तक की उनके लिंग से पानी की एक-एक बूँद ना निकल गयी.

मनीष के लिंग से पानी निकलते ही मनीष ने कस कर मुझे अपने सीने से चिपका लिया और मेरे लिप्स पर किस करना शुरू कर दिया. थोड़ी देर तक यूँ ही किस करने के बाद मनीष ने मुझे अपने आप से अलग किया और बेड पर पड़े हुए टवल से ही अपने लिंग और मेरी योनि को अच्छे से सॉफ किया.
 
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