Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी - Page 11 - SexBaba
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Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी

मेरा खड़ा बाबुराव इस कमीनी के हाथ में......और साली मुझे थर्ड डिग्री देकर मुझसे राज़ उगलवा रही है.


"क....क....कुछ भी नहीं......"


भाभी की अपनी आइब्रो टेडी की तो मैंने तुरंत बात संभाली.....


"अच्छा.......व्.....व्.....वो.......हाँ......म.....म.....मैं.....चाची को गुदगुदी कर रहा था........"


कोमल भाभी ने एक पल मुझे देखा और बाबुराव को अपनी मुठी में मसल दिया...


कसम असलम भाई की.....मेरी आवाज़ टेंटुए में ही रह गयी.....


कोमल भाभी बोली, " झूट मत बोलो.....मुझे पता है वह क्या हो रहा था......."


अब साला इधर शक्ति कपूर उधर गुलशन ग्रोवर....


बोलू तो फंसु न बोलू तो .....रामजाने ....का हो.


मैंने फिर बाद सँभालने की कोशिश की.,...


"न....न......न.....मैं......तो......मेरा...मतलब है की.....च...च...चाची की......आअह."


भाभी ने फिर से मेरे तोते की गर्दन दबा दी थी.


भाभी कड़क आवाज़ में बोली, " झूट पर झूट.......बेशरम कही के....बोलते क्यों नहीं की तुम नीलू चाची को चोद रहे थे"


क्या ......?


भाभी के मुंह से यह सुन कर मेरे तो तोते चिड़िया कबूतर बन्दर हिरन शेर सब उड़ गए.....


साला भाग भी नहीं सकता.....मेरा तो लंड भाभी के हाथ में.


मेरे मुंह से कुछ निकला ही नहीं.....
 
भाभी ने कातिल मुस्कान मारी और बोली, " बेशरम कहीं के.....अपनी चाची के साथ ही......बच्चा समझती थी तुम्हे मैं तो.......और तुम निकले .....एक नंबर के.......चोदु....."


अबे लंड.....कहाँ फंस गया रे......क्या बोलू क्या करू....


और भाभी इधर मस्त मेरी मुठ मरे जा रही थी.....मैंने भी सोचा अब जो होगा सो होगा.....


मैंने फिर से भाभी के गदराये मम्मो को पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया और भाभी ने उतनी ही तेज़ी से मेरा हाथ झटक दिया.....मैं कुछ समझता तबतक उन्होंने मेरे गोटों पर एक चिकोटी काट दी.


हाय.....अब यह क्या था ??


भाभी गुर्राई, "चुपचाप पड़ा रह......ख़बरदार जो इधर उधर हाथ भी डाला...."


अरे मादर चोद.....अब ये कोनसी फिलम है.


मैंने फिर से हाथ बढ़ाने का सोचा तो भाभी ने फिर से बाबुराव की गर्दन मोड़ दी. मैंने हाथ पीछे कर लिए.


माँ चुदाये....मुझे क्या.....भाभी मस्त मुठ मार ही रही है......चलने दो.


अचानक भाभी उठी उन्होंने अपनी साड़ी के अंदर दोनों हाथ डाले.... एक ही पल में उनकी पैंटी निचे.


भाभी ने अपनी पैंटी मेरे ऊपर फैंक दी और साड़ी को थोड़ा ऊपर किये मेरे ऊपर आकर बैठ गयी.


उन्होंने निचे हाथ डाल कर मेरे मुस्तैद खड़े सिपाही को पकड़ा और सीधे अपनी मुनिया के मुंह पर लगा दिया. मैं कुछ समझ पता तब तक उन्होंने अपने पूरा वजन मेरे लंड पर डाला और अपना पप्पू तुरंत सरसराता हुआ भाभी की मुनिया में घुस गया.


भाभी ने अपना सर पीछे की और फैंक कर एक मदमस्त आह भरी जो धीरे धीरे गले से आती गुर्राहट में बदल गयी.


मैं हक्काबक्का चूतिये जैसा अभी तक समझ ही नहीं पा रहा था की यह हुआ क्या...


भाभी ने अपने दोनों हाथ मेरे कन्धों पर रखे तो अपने गांड को गोल गोल घूमना शुरू कर दिया.


एक पल तो मुझे समझ नहीं आया फिर तो मेरे लंड से मस्ती का करंट सा बहने लगा.


भाभी अपनी गांड को पूरी तेज़ी से घुमा रही थी मैं तो सिर्फ अपना बाबुराव को उनकी मुनिया में डाले पड़ा था.


भाभी ही मुझे चोद रही थी.


मैंने अपने हाथ फिर से भाभी की कमर की और बढ़ाये...भाभी ने मेरे हाथों को फिर झटक दिया. और मैंने हाथों को दबा कर मुझ पर झुक गयी.....


इस सब क्रिया कलाप में मैं सोफे से थोड़ा निचे सरक आया था.....मेरी गांड हवा में झूल रही थी मेरी कमर ही सोफे पर टिकी थी.....मैंने अपनी कमर को निचे लेकर अपनी गांड को हिलाना शुरुर कर दिया..


भाभी ने फिर गले से मस्ती भरी गुर्राहट निकली और मेरे हाथों को और कस कर पकड़ लिया.....


अब तो मैंने फुल स्पीड खोल दी.....गाड़ी पांचवे गेयर में लेकर पूरा एक्सीलेटर दे दिया....


साड़ी में ढंके होने के बावजूद जब मेरी जांघें भाभी की जांघों से टकराती तो फ़ट फ़ट की आवाज़ से कमरा गूँज जाता.....भाभी अभी भी मेरे हाथों को सोफे पर पकडे चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थी


और मैं तो भेन्चोद पागल सांड बन गया था.....मेरी गांड इतनी तेज़ी से हिल रही थी की आप फोटो लेते तो पिक्चर पक्का ब्लर ( धुंधली ) आती.
 
भाभी ने मेरे बाल पकडे और अपनी गांड को हिलाना भी शुरू कर दिया.....साली चुदक्कड़ ने मेरी चुदाई की स्पीड से अपनी गांड की स्पीड मैच कर ली थी.


मैं इधर धक्का मरता और वो उधर से.....हम दोनों की जांघें इतनी ज़ोर से टकराती की पूरा बदन काँप जाता.


भाभी ने मेरे हाथ खुले छोड दिए थे....मैंने मौका देख कर हाथ उनकी साड़ी में सरकाए और उनके मस्त गोल गुन्दाज़ चूतड़ अपने हाथ में दबोच लिए....भाभी तो फुल मस्ती में अपनी गांड हिलाये जा रही थी....


मैंने भाभी की गांड को निचोड़ ही दिया......भाभी ने अपनी ऑंखें खोली और मेरी आँखों में देखा.

उनका मुंह मारे ठरक के खुला हुआ था......वो मेरी आँखों में देखते हुए अपनी गांड को गपागप मेरे लंड पर मारे जा रही थी. मैंने उनकी गांड को फिर से मसल दिया.....भाभी ने मेरे हाथों को फिर से खिंच कर अलग कर दिया.....और मेरे गलों पर एक थप्पड़ जड़ दिया.


इसकी माँ की चूत.


मैंने भाभी के पैरों के निचे हाथ डाला और उनको गोदी में लेकर सीधा खड़ा हो गया. मेरे हाथों पर उनकी टाँगें टिकी थी और उनका पूरा बदन हवा में.


लंड मेरा उनकी रिसती हुयी चूत में अंदर तक गड़ा हुआ.


मैंने भाभी की पीठ को देवर पर टिकाया और खड़े खड़े हो जो धक्के मारना शुरू किये की भाभी की आहें चीख में बदल गयी.....मस्ती भरी चीख.


कोमल भाभी ने अपने हाथ मेरी गर्दन पर लपेट रखे थे और वो एकटक मेरी आँखों में देख कर अपनी चूत कर भुर्ता बनवाए जा रही थी.


मैं तो उनका थप्पड़ खाने के बाद जैसे हब्शी लंड हो गया था. मैं इतनी ज़ोर ज़ोर से धक्के मार रहा था मानो आज उनको चूत ही फाड़ दूंगा. भाभी मेरे होटों को चूसने के लिए आगे झुकी.


अब नखरे चोदने की बरी मेरी थी.


मैंने अपने मुंह पीछे कर लिया.....भाभी नहीं मानी


उन्होंने मेरे बाल पकडे और मेरा सर आगे करते हुए मेरे होंटों को अपने मुंह में ले लिया.


मैं कुछ समझता इसके पहले मेरी जीभ और उनकी जीभ आपस में लड़ रही थी.


मैंने अपने धक्के और तेज़ कर दिए.....और भाभी का निचला होंट अपने दांतों में पकड़ा.


भाभी अचानक अपने गले से हलकी गुर्राहट वाली आवाज़ निकलने लगी और उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया.......और अचानक ही उनका बदन मेरे आगोश में ही थरथराने लगा......मैंने कुछ समझता इसके पहले वो एकदम लुल्ल पड़ गयी..उनका पूरा बदन एक दम से पसीने में भीग गया.


उन्होंने अपनी बाँहों को मेरे कन्धों पर लपेट लिया और मेरे कंधे पर अपना सर रख कर आँहें भरने लगी...


मैं रुक गया था......जाने इस ठरकी कुतिया को क्या हो गया ?


भाभी ने अपने सर पीछे किया और मुस्कुराते हुए कहाँ....


"थ.....थे......थैंक......यु...."


मैं कुछ समझ पता इस के पहले ही उनके हाव भाव फिर से बदल गए और उन्होंने अपनी गांड को फिर से ऊपर निचे करने शुरू कर दिया.....मैंने यह सिग्नल तो पकड़ लिया......अपने हाथों को उनकी गांड के गोलों पर जमाया और गाड़ी फोर लेन पर दौड़ा दी.


भाभी मेरे हर धक्के का पूरा जवाब दे रही थी....और हुज़ूर अपनी तो हालत ही ख़राब थी...


ऐसा मज़ा पुरे बदन में सनसना रहा था की क्या बताऊ....


भाभी का पसीने से भीगा बदन एक अलग ही महक दे रहा था. उनकी नशीली आँखें मुझ पर ही टिकी थी. अब मेरे लंड से भी कुछ इमरजेंसी सिग्नल आ रहे थे.....मेरे हाव भाव देख कर वो समझ गयी की अब मेरा प्लेन क्रैश करेगा...


उसने तुरंत हाथ नीच लेजाकर मेरे गोटों पर अपने नाख़ून रगड़ना शुरू कर दिया, वो सनसनाहट जो मेरे गोटों से उठ रही थी वो धीरे धीरे मेरे पूरा बदन पर च गयी...


अब मेरी स्पीड के साथ ही मेरी आहें भी बढ़ गयी थी....


भाभी ने अपने हाथ से मेरे गोटों पर एक चिकोटी काटी और मेरी आँहें गुर्राहट में बदल गयी.


मैं भाभी को हवा में लिए लिए ही पलटा और उनके बदन को सोफे पर पटक दिया....लंड मेरा अभी भी उनकी मुनिये की जकड में ही था.


मैंने लंड पूरा बहार निकाल निकाल कर उनकी चुदाई शुरू कर दी.


भाभी का मुंह खुला का खुला ही रह गया....और मैं तो भेन्चोद पागल दरिंदा बन गया था. इतनी ज़ोर ज़ोर से धक्के मार रहा था की आवाज़े पुरे कमरे में गूँज रही थी.


भाभी का बदन फिर से कड़क होने लगा.......उन्होंने गुर्राती हुयी आवाज़ में कहाँ...


"हाँ.....हाँ......हाँ......ज़ोर.....से......आ.अ......ह......हाँ......यस......अभी......निकालोओओ ओ ओ ओ ओ"


मेरा पूरा बदन कड़क हो गया भाभी ने अपना हाथ बड़ा कर फिर से मेरे गोटों को पकड़ लिया और पूरा निचोड़ दिया.....मेरे अंदर भरा तूफ़ान मेरे लंड से पिचकारी जैसा निकल पड़ा...


जाने कितनी देर तक और कितना.....मगर मुझे तो लंड परवाह नहीं थी...


मैंने कोमल भाभी को जो चोद लिया था.


फटफटी के इंजन का आयल पानी हो गया था



अचानक बारिश होने लगी......मेरे मुंह पर पानी की ठंडी ठंडी बूंदें गिर रही थी.....


पर.....भेन्चोद मैं तो कोमल भाभी के घर पर था....अंदर पानी कहाँ से.....


तभी कोमल भाभी की आवाज़ मेरे कानों में पड़ी...


"अरे लल्ला भैया.....हाय राम......अरे उठो............"


कोमल भाभी ने मुझे ज़ोर से हिलाया.


मैंने ऑंखें खोल दी....मैं सोफे पर पड़ा था. भाभी मेरे सामने झुकी हुयी मेरे ऊपर पानी छिड़क रही थी. मैंने उनको देखा और उन्होंने मेरी आँखों में ही पानी छिड़क दिया...


"आउ.....च......", मैं कराहा


कोमल भाभी बोली, " ऊओह.....थैंक गॉड.....तुमको होश आ गया......मेरी तो जान ही निकल गयी थी....

अरे....जब बिजली का काम नहीं आता तो हाँ क्यों कहा ??? कुछ हो जाता तो.....? बेहोश हो गए थे.....पता है........सच्ची कितना डर गयी थी मैं.....चलो उठो......अब कैसा लग रहा है .....?


इसकी माँ का भोसड़ा........यह क्या चुतियाई है यार..


अरे अभी तो मैंने भाभी की पुंगी बजाई थी और.......


shit ये सपना था....??


भाभी बोली, " चलो जी.....अब तो ठीक लग रहे हो.....उठो.....मुझे खाना बनाना है.....यह टूर से आने वाले है.....इतनो दिनों के बाद ..."


मैं उठा.....इधर उधर देखा.....और जल्दी आउट हुए रोहित शर्मा के जैसे मुंह लटका कर अपने घर आ गया.


घर पहुंचा तो पापा से सामने हो गया...


"आओ राजकुमार......कहाँ से आ रहे हो......? तुमसे कहा था की बी.कॉम एक ही शर्त पर करने दूंगा की दुकान पर आकर बैठोगे......एक दिन भी दुकान आये हो साल भर में.......भगवन जाने बल्लू को गाँव से नहीं बुलाता तो दुकान का क्या होता......अरे तेरा चाचा दिन भर लगा रहता है दुकान में......और तू कहाँ लगा रहता है.....?? "



चाची में.......


मैं हड़बड़ाया, " जी.....म....म.....मैं ......तो.....क.....क.....कॉलेज......."


पापा तो भड़क गए, " अरे चुप रह बद्तमीज़.......जबान चलाता है.....ये ही सिखाया हमने...."


जैसा की हमेशा होता है....माताजी का आगमन हो गया....


"अरे क्या हुआ.......लल्ला.....बाबू........आ गया.......चल खाना खा ले.....फिर मुझे मंदिर जाना है....क्या जी आप भी......पता है लल्ला आजकल सरदार प्रताप सिंह की बेटी को पढ़ाता है......"


पापा के माथे पर साल आये, " कौन प्रताप सिंह....? अरे....वो....ठेकेदार......"


माँ गर्व से बोली, " हाँ नहीं तो.......मेरा बेटा उनके घर जा कर पढ़ाता है उनकी बेटी को......"


मेरा बाप ठहरा पक्का बनिया.....तुरंत पलटी मार ली


"हाँ....हाँ.....ये तो अच्छी बात है......देख भाई लल्ला......सरदार साहब से भी दोस्ती कर लियो...समझा....बड़े लोग है...इनसे दोस्ती और सम्बन्ध बहुत काम आते है......"


मैं सोचा......सम्बन्ध ही तो बनाना चाह रह हूँ बापू....मगर....


पिया......फ़ोन पर हुए काण्ड के बाद अब तो क्या लण्ड कुछ होगा.....कही उसने अपने सांड भाई को बोल दिया तो वो तो मेरी गांड में बेसबॉल का बैट ही घुसा देगा....अब तो जाने क्या हो.....पिया तो शायद मुझसे कभी बात न करे......


तभी फ़ोन की घंटी बजी...मैं सवा सात फुट उछल गया..


पिया का फ़ोन था.
 
35


गांड की फटफटी ऐसी चल रही थी की क्या बताये.....

फ़ोन हाथ में बजे जा रहा था और मैं स्क्रीन पर आये पिया के नाम को देखे जा रहा था.

पापा चिल्लाये, " अरे भाई फ़ोन उठाओ......की फ़ोन करने वाला फ़ोन में बहार आ जायेगा फिर बात करोगे..?"

मैंने ग्रीन बटन दबा ही दिया....

"ह..ह...हेलो......"

? ? ? ? 

"ह....ह....ह....हेलो......हेल्लो.........."

? ? ? ?

मुझे फ़ोन पर सिर्फ साँसें लेने की आवाज़ आ रही थी.....मैं बहार निकल आया...

मैंने फिर कहा, " ह...ह...हेल्लो.....प.....प.....पिया....?? "

"मुझे.....तुमसे......बात.......नहीं.......करनी.....", पिया फ़ोन पर फुफ्फुसाई.

अब बताओ......बात नहीं करनी तो फ़ोन क्यों लगाया.....सब सही कहते है लड़कियों के दिमाग का कोई ठिकाना नहीं.....अरे जब फ़ोन लगाया खुद ही है तो बात करने के लिए ही लगाया होगा.....मैं यहाँ चूतिये जैसे हेलो हेलो करे जा रहा हूँ......वैसे ही अपनी ग...ग....ग....गाड़ी......झटके ले ले कर चलती है....पर चलो ठीक है.........मैंने अपनी आवाज़ को थोड़ा सॉफ्ट बना कर कहा...

"प...प....पिया.....आ.....आई ..एम ....सॉरी....."

इतने में तो फ़ोन में चैन रिएक्शन शुरू हो गई , " हाह.........सॉरी......वाह वाह..पहले कुछ भी कर दो और फिर सॉरी बोल दो....ये बढ़िया है.....और तुम तो दूध के धुले हो.....मैं तुम्हे सीधा और अच्छा लड़का समझती थी पर तुम तो .....माय गॉड......आई स्टिल कांट बिलीव......आई मीन.......जाने दो....तुम्हे क्या फर्क पढता है....तुम क्यों परवाह करने लगे......ये सही है......पहले स्टुपिड सी बात की और उसके बाद........नो सॉरी.....नो नथिंग.......अरे.....यु नेवर कॉल्ड मी........मैं ही पागल हूँ.........जो कॉल किया.....अगर तुम सॉरी फील करते तो कॉल करते न.......नो....यु आर नोट सॉरी......आई ऍम सॉरी."

भेन्चोद......यह बुलेट ट्रैन कब रुकेगी......? ऐसा लग रहा है की दिल्ली से आगरा का सफर इसको 10 मिनट में पूरा करना है......मैंने हिम्मत जुटाई..

"प....प.....पिया.......प ....प.....प्लीज़ मेरी बात सुनो"

"क्या सुनु शील....? जो तुमने कल कहा था वो ? माय गॉड....मैं तो तुम्हे इतना सीधा समझती थी.....यु नो....आई थॉट की....यु नो.......छोड़ो यार..."

भेन्चोद.....क्या बोलू अब......मैं भी चुप होके रह गया...

"हैल्लो.....अरे.....आर यु देयर....?", पिया फिर भड़की....

"हाँ.....अब...म.म..मैं क्या कहु....पिया.....आय ऍम रियली सॉरी....प...प....प्लीज़.....नवजोत से मत कहना..", मैं टर्राया.

"क्या....ओह.....हा..हा...हा...हा...हा", 

पिया की खनखनाती हंसी से मेरे सूखे मन में बहार आ गयी. अब जान में जान आई....उसकी हंसी सुनकर जाने क्यों दिल में गिटार बज गयी.....और अपुन फॉर्म में आ गए.

"हाँ....यार....तुम्हारे भाई से मुझे बहुत डर लगता है....."

पिया फिर हंसी, " हा हा हा.....अरे तुम तो बहुत ही डरपोक हो यार.....ही इस कूल...."

मैं थोड़ा फ़ैल गया, " अरे क्या कूल यार.....कॉलेज में सब को कितना डरा रखा है....तुम्हे तो पता है मेरी कैसी क्लास ली थी उसने......"

"हाँ तो...? उसमे क्या हुआ....तुमसे गाना गाने को ही तो कहा था.....और हल्लो मेरा भाई किसी को डरता वराता नहीं है ...ओके ?"

मैं पूरा फ़ैल गया, "अरे क्या नहीं डराता ?.....सब डरते है उस से .....एक तो सीनियर.....उस पर से सांड जैसा तो दीखता है...."

"शीेे ई ई ई ल .......क्या तुमने अभी मेरे भाई को सांड कहा ?", पिया भड़की.

फट फट फट .....हाँ दोस्तों यह मेरी फटफटी ही है.....शुरू हो गयी.

"आ...आए.....एम....स.स..स....सॉरी.....पिया.....म...म...मेरा म...म...मतलब है न.न.नहीं था....."

पिया की हंसी से मानो फ़ोन झनझना गया.....वो हँसे ही जा रही थी.....और मुझे लंड नहीं समझ आ रहा था की इस गेलचोदी को हुआ क्या है .....??

"ओओओओह्ह्ह्ह.....माय.....गॉड........हाहाहाहा.......शील .......यु आर सो क्यूट......"

भेन्चोद साली मज़ाक उड़ा रही है.....इसकी तो मैं.

"आय ऍम सॉरी शील.....हेहेहे......तुम बहुत क्यूट हो.......ओह....गॉड.....सही है.....मेरा भाई तो सांड ही है.....हाहाहाहा......."

अबे....लंड ये चल क्या रहा है.

उसने मानो बड़ी मुश्किल से अपनी हंसी पर ब्रेक मारा, "अच्छा.....सुनो.....अरे मेरे अकॉउंट की टूशन का क्या हुआ यार.....मुझे तो कुछ भी नहीं आ रहा है....वो जो चैप्टर तुमने बताया था वो तो बहुत ही टफ है यार...."

मैंने कहा, " अरे....टफ....काहे का टफ.....वो तो एकाउंट्स का इंट्रोडक्शन है यार....."

पिया थोड़ा झेंप गयी, " हा....वही....थोड़ा....कंफ्यूज थी यार.....तुम आ सकते हो क्या अभी पढ़ाने ? "

मैं फिर टर्राया, " अभी...? यार आठ बज रहे है....अब इतनी लेट शाम को क्या आऊंगा...."

पिया बोली, " अरे तुम आ जाओ यार.....मेरे यहाँ तो सब लेट तक जागते है....."

"हाँ पर....अब....माँ मना करेगी....इतनी रात को...."

पिया ने मुझे धमकाया, "अरे तुम आ रहे हो या मैं बोलू भाई से....की तुमने उन्हें....क्या बोले थे तुम अभी मेरे भाई को....?"

अरे.....मादरचोद......ई ब्यबस्था ??

"म...म...मैंने क्या कहा...? क...क....कुछ भी न..न....नहीं...."

"बोला था.....तुमने अभी मेरे भाई को क्या कहा था.....हाँ याद आया....सांड......बोलू भाई को....की शील ने तुम्हे सांड बुलाया....?"

फट फट फट....फटफटी चल पड़ी......

"अरे...म....म...मैं....आ रहा हूँ....... 10 मिनट्स मे"

पिया मानो फोन पर ही मुस्कुरा दी...." आ ही जाना.....नहीं तो.....ओके बाय "

मैंने फ़ोन रखा....और सोचने लगा की कपडे चेंज करू या नहीं....इतने में 

अनीता चाची की आवाज़ आई, "अरे....लल्ला......लल्ला.....रे......कहा ........ओओ.....लल्ला......"

"हाँ चाची......"

चाची किचेन में से बाहर निकली, साड़ी से अपने हाथ पोछती......पसीने में भीगी....आकर फैन के निचे खड़ी हो गयी और अपने आँचल से अपने चेहरा और अपने गला पोंछने लगी.....

आँचल......ब्लाउस से तो हट गया था....मेरी नज़र सीधे तीर जैसे चाची की ब्लाउस पर अटक गयी....
 
बेचारे ब्लाउस की पूरी मर्यादा 3 हुको के दम पर टिकी थी....चाची के मम्मे गरम दूध की तरह उफने जा रहे थे....घंटा ब्रा और ब्लाउस मिल कर चाची के मम्मो को रोक नहीं पा रहे थे..

दोनों मम्मो की बीच की घाटी में पसीने की नहर सी थी....

मेरी सांसें तेज़ हो गयी...

मेरी नज़र जाकर चाची के मम्मो पर ऐसी चिपकी जैसे गुड पर मक्खी.

इस दौरान चाची का बोलना जारी था मगर अपने को क्या ?

अँधा क्या चाहे दो आँखे 

ठरकी क्या चाहे....दो मम्मे....

चाची ज़ोर से चिल्लाई, " अरे भांग वांग खाया है क्या ?.....हाय राम देखो तो इसको.....अरे मैं क्या बोल रही हूँ ???.....ध्यान कहा है ?"

आपके मम्मो पर....

मैं हड़बड़ाया, "हैं.....नहीं.....क्या....?"

चाची ने माथा ठोका, " सत्यानाश.......अरे....मैं बोल रही हूँ की जल्दी आ जाना.....घर पर कोई नहीं है....भाभीजी कही जगराते में जायेंगे और तेरे पापा और चाचा फिर दुकान जायेंगे.....कोई ट्रक लगेगा रात में....." 

घर पर कोई नहीं है. यह सुन कर मेरी धड़कने ढिंचक ढिंचक करने लगी.....मगर क्या करू ?

पिया के पास नहीं गया तो....भी लोचा....और चाची को अकेला कैसे छोड़ू....क्या पता कोई चांस...लग जाये.

चाची बोली, " जल्दी आ जाना......अभी तो मैं भी सामने शर्मा जी के यहाँ जा रही हूँ.....कोई पंडित जी आये है......राम जाने....कृपा हो जाये....."

बेचारी को बच्चा नहीं हो रहा था....डॉक्टर ने चाचा का स्पर्म काउंट कम बताया था और अपने बैल चाचा मानता ही नहीं था की उसमे कोई कमी है. इसीलिए इलाज़ नहीं कराता था. बहरहाल चाची ने मेरी प्रॉब्लम सोल्वे कर दी. मैं तुरंत पिया के घर की और निकल लिया.

रास्ते भर खोपड़ी घुमाता रहा की कैसे बात सम्भालूंगा......सॉरी कैसे बोलूंगा.....भेन्चोद साली सनक गयी और उस सांड की औलाद नवजोत को बोल दिया तो.....???? ........ अपनी गांड फटफटी.

पिया के घर पहुंचा और जैसे ही बाहर का गेट खोला उसका कुत्ता साला मादरचोद इतनी ज़ोर से भोंका की मेरी तो आत्मा ही शरीर से बाहर निकल गई. भोसड़ी का.....कुत्ता कहीं का.

अंदर से आवाज़ आई......"व्हिस्की...........ओय चुप कर........कौन है......?"

कुत्ता का नाम......" व्हिस्की "

कुत्ता तुरंत चुप.

दरवाजा खुला और .....

पम्मी आंटी ने झाँका...."कौन है......हाय......ओ.....तू है.......आजा...आजा....."

अगर चाची देसी दारू थी तो पम्मी आंटी मेक्डॉवेल नम्बर वन.

एकदम कसा हुआ वाइट कुरता ....पटियाला सलवार.....और झीने कुर्ते में से दिखती ब्लैक ब्रा.

भेन्चोद....इस औरतों को होश नहीं रहता क्या ?? इतने पतले पतले कपडे के ब्लाउस और कुर्ते पहन लेती है......और तो और वाइट के अंदर ब्लैक ब्रा.

खैर....माँ चुदाये......हमें तो फ्री का शो दिख रहा है. देखो शान से.

मैंने तुरंत नमस्ते की. 

पम्मी आंटी ने सोफे की तरफ इशारा किया और बैठने को कहा.

फिर बोली, " और भई......तू तो आया ही नहीं फैर......यार ये छोकरी भी ना....इसका ना...... दिमाग नहीं है पढ़ने में......जब देखो.....कभी टीवी.....कभी कपडे.....कभी यह....कभी वो......तू ना...इसको समझा जरा....इसके पापा जी तो बोलते है की क्या करेगी पढ़ के......मैंने भी कह दिया.....जी यह तो पढ़ेगी.....अब मुझे ही देख ले....मैंने एम. ए. किया है पंजाब यूनिवर्सिटी से....."

जी आंटी आप ही को देख रहा हूँ...
 
पम्मी आंटी......असली पंजाबन दिखती है........बिलकुल खाया पिया कड़क और हट्टा कट्टा शरीर....और गांड तक आते लम्बे लम्बे बाल....बड़ी बड़ी ऑंखें......गोरा रंग......और कमाल के चुत्तड़.

वो जब सोफे पर बैठी थी तो उनके बैठने से उनकी गांड पूरी फ़ैल गयी थी. मैं सोच में पढ़ गया.....की आंटी की इतनी मोटी गांड है......कोई पीछे से डाले तो लंड आंटी की मुनिया तक पहुँच भी पाये या नहीं.

आंटी बोली, " ओ.....किधर ध्यान है भई.......?"

shit .....मैं आंटी की मोटी गांड का नाप ले रहा था और आंटी ने मेरी नज़रें पकड़ ली मैं सकपका कर इधर उधर देखने लगा फिर चोरी से आंटी के चेहरे पर नज़र डाली. पम्मी आंटी मानो सोच में पड़ी थी.

लो....चुद गयी.....पुरे शहर के सबसे खतरनाक आदमी की बीवी ही मिली थी भेन्चोद घूरने के लिए...

घंटा बाबा जी.....मेरे इतने टुकड़े करेंगे सरदार जी की गिनती के लिए कैलकुलेटर लगेगा.

कसम से भई....ठंडा पसीना आ गया. 

पम्मी आंटी ने पूछा, " ओये....तुझे बड़ा पसीना आ रहा है.....AC चल तो रहा है ना ?"

मैंने कुछ बुदबुदा कर जवाब दिया. तो वह फिर बोली 

"पानी पियेगा.....ठहर मैं लाती हूँ.....आज हरामखोर नौकर आया ही नहीं...."

पम्मी आंटी उठ कर गयी और लाख कोशिश करने के बाद भी मेरी निगाहे उनकी ठुनकती गांड पर जा कर चिपक गयी.....कॉमेडी नाइट विथ कपिल की गुत्थी की कसम.......ऐसी कातिल गांड मैंने आज तक नहीं देखि थी. मेरे दिमाग मैं एहि चल रहा था की पम्मी आंटी को घोड़ी बना कर ठुकाई की जा सकती है या नहीं.

पम्मी आंटी को मानो उनकी गांड पर फिसलती नज़रों का अहसास हो गया, वो किचन के दरवाजे पर एक दम से घूम गयी और बोली " ठंडा लेगा या गरम ...."

मेरे तो तोते उड़ गए..

"हैं....? जी....क...क....क....क्या......? "

पम्मी आंटी धीरे से मुस्कुराई और फिर से बोली, " पानी......ठंडा लेगा या गरम...."

भई मैं पुरे एक सौ एक की शर्त मारने को तैयार हूँ की पम्मी आंटी समझ गयी थी की मैं उनकी गदराई गांड का नाप ले रहा हूँ.

"जी...क...क....क.....कोई सा भी चलेगा....."

पम्मी आंटी मुस्कुराते हुए पानी ले आई, उनकी चाल में एक अलग ही तरह की लोच आ गयी थी. वो पानी की ट्रे लिए मेरे सामने आ गयी. जैसे ही झुकी और......

उनकी चुन्नी सररररर से सरक गयी.....मुश्किल से १ फ़ीट दूर कुदरत का हसीं नज़ारा मेरे सामने था 

लस्सी मक्खन मलाई और जाने क्या क्या शानदार चीज़े लगी थी इन पहाड़ जैसे मम्मो को बनाने में.....काली ब्रा में कैद दोनों मस्ती से झूल रहे थे.....पम्मी आंटी के कुरते का गला इतना बड़ा था की मैं अपनी मुंडी अंदर डाल कर उनको चूस सकता था.....यह जानते हुए की पम्मी आंटी मुझे ही देख रही है मैं अपनी नजरे उनके बोबों से हटा ही नहीं पा रहा था. 

पम्मी आंटी ने कहा, " ले.....पी....ले....."

अपुन को तो ऐसा ही लगा की वो पानी नहीं अपने मम्मे पीने को बोल रही हैं.

"जी.....हाँ.....थैंक्स.,."

मैंने एक सांस में ही गिलास खत्म कर दिया.

पम्मी आंटी ने ट्रे की और ऑंखें नचाई और कहा, " और पीले.....बड़ा प्यासा है तू.......हांय...?"

मैंने दूसरा गिलास भी पम्मी आंटी के मम्मो का नाप लेते लेते ही ख़त्म किया.

भेन्चोद समझे समझ नही आ रहा था की यह चुतियाई क्या है ....

यह आंटी का wi -fi तो बिना पासवर्ड के फुल सिग्नल दे रहा था , और गांड की फटफटी बोल रही थी की सरदार जी की बीवी है, मेरी तो ठीक है पुरे खानदान की गांड मार लेंगे... यह सोच कर मुझे हंसी आ गयी.

पम्मी आंटी अचरज से बोली, " ओये.....क्या हो गया.....बड़ा मुस्कुरा रहा है तू........? "

मैंने अपनी हंसी पर ब्रेक मर कर बोला, " जी...न...न...नहीं....क..क..कुछ नहीं.....कुछ याद आ गया था…

पम्मी आंटी आँखें गोल करके बोली, “हाय हाय मैं भी तो सुनू क्या याद आ गया…?”

लॅंड बताऊ आंटी को….

आंटी के तेवर देख के तो लग रहा था की लंड बता ही दूं..

मैने बात पलटी, “जी…पिया नही दिख रही है….”

पम्मी आंटी की शकल एक दम चेंज हो गयी, “हैं….अरे वो तो गयी है ना उसकी वो सहेली है….क्या नाम है उसका……अरे…….डॉली…..डॉली के यहाँ गयी है कोई ड्रेस वग़ैरह लेने….आ जाएगी तू बैठ…..और कुछ लेगा….?”

जी आंटी आपकी ले लूँगा…
 
“न..न…नही…जी”

“हाय…हाय….नही नहीं क्या करता है….तू ना…बड़ा कमज़ोर टाइप दिखता है…..खाना वाना नही ख़ाता क्या ?”

अब….बताओ….क्या बोलू इसको….अपुन मे तो बहोट ज़ोर है….डेमो कैसे दूं पर…..

पम्मी आंटी थी की बोले ही जा रही थी….

“टीवी लगा दूं…..?”

मैने हार कर कहा, “ जी…..”

आंटी ने टीवी ओं किया और रिमोट की मा चोदने लगी…

“हाय…हाय….ये मरा डब्बा भी…..चलता ही नही…एक बार मे….”

भेन्चोद ..हाथी की गांड जितना बड़ा टीवी…..और यह उसको डब्बा बोल रही है…

एक दो मिनिट तक आंटी रिमोट से जंग लड़ती रही फिर बोली, “अरे….तुझे आता है क्या….कोई चॅनेल लगा दे…..अच्छा वो लगाना…..वो सीरियल हैं ना……बड़े अच्छे लगते है….मुझे बहुत पसंद है….”

सबको बड़े ही अच्छे लगते है आंटी…….लौंडों को बड़े मम्मे और औरतों को बड़े लौड़े …

यह सोच कर मेरे होंटों पर फिर से एक चोर मुस्कान खेल गयी….

आंटी ने तिरछी नज़र से देखा और कहा, “हो ना हो….कोई बात तो है….बड़ा मुस्कुरा रहा है….हैं…?”

मेरी गांड फटी, “ जी….? न…न….नही….क…क..क….कुछ भी तो नही…..”

आंटी बोली, “अरे…बता…ना….हाय हाय कहीं मेरी ब्रा तो नही दिख रही……?”

आंटी ने अपनीी चुननी हटाई और गर्दन नीचे करके अपने दोनों कंधों पर चेक किया…

माँ की आँख…..

अगर पिया CFL थी तो अनिता चाची ट्यूब लाइट मगर ये पम्मी आंटी तो पूरा हेलोज़ेन थी भाई…

मेरे मोबाइल मे फुल नेटवर्क आ गया…

लाख संभालते संभालते भी मेरी नज़रों ने तुरंत पम्मी आंटी के मम्मो का वजन नाप लिया…

मैं झांट के एक एक बाल की शर्त लगाने को तैय्यर था की पम्मी आंटी ने यह सब जान बूझकर किया था मगर …..

वो ही तो मगर….

मैं कर क्या सकता था….सिवाय घूरने के….

और घूरने मे तो अपन देसी लौंडों की मास्टरी है…लंड नज़रों से रास्ते भर लोंड़िया चोदते चलते है. 
 
36



मेरी गांड भी फट रही थी और बाबुराओ उकसा भी रहा था की नज़ारे का आनंद पूरा ले लूँ….

पम्मी आंटी ने अपना दुपट्टा फिर से अपने कंधे पर डाल लिया मगर इस तरह से की उनके विशाल मम्मो के बीच की खाई अभी भी दर्शन के लिए उपलब्ध थी….

उन्होने दुपट्टा ठीक करके इस अदा से मेरी और देखा मानो पूछ रही की शो पसंद आया की नही….

मेरी गांड की फटफटी तो यूँही गियर मे रहती ही है….मैने तुरंत हड़बड़ते हुए रिमोट उठा लिया और आंटी के सीरियल लगाने लगा…..तो और क्या करता भी….बाबूराव खड़ा हो गया था….किधर चुपाता….

टीवी भले ही बड़ा था मगर कुछ गड़बड़ थी लाख कोशिश के बाद भी नही सेट हो पा रहा था…

मैं उठा, “लगता है कोई तार निकल गया है…..मैं देखता हूँ….”

पम्मी आंटी भी तेज़ी से उठी और मेरे साथ टीवी के सामने आकेर खड़ी हो गयी…

पम्मी आंटी ठीक मेरे पीछे खड़ी थी और मैं झुक कर टीवी की गांड मे लगे 1760 तरह के वायर देखने लगा. आंटी भी मेरे पीछे खड़ी खड़ी झुक गयी

तभी मेरी नाक पर एक मदमस्त करने वाली खुश्बू टकराई….

दोस्तों, कहते है महक का मूड से बड़ा रिश्ता है….

खाने का मज़ा उसकी खुश्बू से बढ़ जाता है वैसे ही मेरे भूखे प्यासे बाबूराव पर पम्मी आंटी के बदन से आती परफ्यूम और पसीने के मिलीजुली महक ने जादू सा कर दिया….भाई ऐसा भभक के खड़ा हुआ की क्या बताऊ ..........

आंटी ने कुछ कहा….मेरा लंड सुने….यहाँ इतनी सारी चुतियाइ चल रही थी…

मैने पूछा “ज…ज….जी… क्या ..?”

पम्मी आंटी थोड़ा और झुकी और उनके विशाल माममे मेरी पीठ से जा लगे….

यहाँ पहली ही मामला बिगड़ा हुआ था….अब स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गयी….

मैं पलटा तो उनके चेहरे को अपने से कुछ इंच के फ़ासले पर पाया….

वो बड़ी बड़ी आँखे किए मुझे ही देख रही थी….

“जे……क…क…क्या…?”

पम्मी आंटी बोली, “ अरे…..कुछ दिखा क्या……”

अब क्या बताता आंटी को की क्या क्या दिख रहा था….

मैने ना मे सर हिलाया तो आंटी बोली, “ परे हट…..मेनू वेख लें दे……वो नवजोत करता है यहाँ कुछ….

नवजोत का नाम सुनते ही मेरा खड़ा बाबूराव स्टॅंड्बाइ मोड मे आ गया…

मैं तुरंत हटा और आंटी मेरी जगह आ कर खड़ी हो गयी…

टीवी रूम के कोने मे था……उसके पीछे उंगली करने की जगह बहुत ही कम थी पम्मी आंटी को झुकना पड़ा

और गुरु…..

झुकते ही उनकी मस्त गांड मेरे सामने पूरी शान के साथ आ गयी…

औरत की चौड़ी गांड हमेशा से मर्द को आकर्षित करती है…..यहाँ तो चौड़ी नही विशाल महाकाय गांड थी…ऐसा लग रहा था मानो 1500 स्क्वेर फीट का पूरा प्लॉट है…..

पम्मी आंटी बिल्कुल झुक चुकी थी…….

अगर मैं उनकी ठुकाई घोड़ी बनाकर करता तो उनकी यही पोज़िशन होती…

बाबूराव ने सारे बंधन तोड़ दिए थे और उस कुत्ते की तरह मचल रहा था जिसे गरमी मे आई कुतिया की चूत की खुश्बू मिल गयी हो..

मैं पम्मी आंटी के पीछे खड़ा खड़ा इस नज़ारे का आनंद ही ले रहा था की आंटी झुके झुके ही चिल्लाई …

“ओये….शील….कहाँ मर गया….ओये…..एथ्थे आ….”

मैं जैसे नींद से जगा, “ह…ह….हांजी…..”

“ओ इधर देख तो ज़रा यह क्या है….”

मैं थोड़ा सा झुका…..लॅंड कुछ नही दिख रहा था…..

“ओये जल्दी देख…..ए…की….है….”
 
मैं थोड़ा आगे बड़ा ….भेन्चोद दिक्कत ये थी की अगर थोड़ा और आगे बढ़ता तो अपने खड़ा बाबूराव सीधा पम्मी आंटी की गदराई गांड से टकरा जाता और आंटी समझ जाती की अपनी बोफोर्स तोप तैयार है…

मैं थोड़ी सी गर्दन आगे की और फिर देखा….घंटा कुछ नही दिख रहा था…

“ओये…देख ….यह कोनसी तार है……”, पम्मी आंटी चिल्लाई …

मैं थोड़ा और आगे बड़ा तभी अचानक पम्मी आंटी पीछे सरक गयी और बाबूराव उनकी गांड से जा चिपका…

“ओये मैं बोल रही थी की...…………….हाय…..”

पम्मी आंटी तो अपनी गांड पर आ सटे इस नागराज का एहसास हो गया था.

मैं घबरा कर थोड़ा पीछे हुआ तो पम्मी आंटी ने भी अपनी गांड पीछे लेकर फिर से खड़े मूसल पर चिपका दी…

कसम उड़ान छल्ले की….अगर हम दोनो के बदन पर कपड़े नही होते तो……..

पम्मी आंटी के सुर थोड़े बदल गये थे….

“अरे….तू खड़ा क्या है….कुछ करता क्यू नही…….?”

क्या ?? क्या करू…?? 

अरे मादरचोद ….गांड भी फट रही और मज़ा भी आ रहा…

“ओये….यह देख…….”

देख ही तो रहा हूँ….

पम्मी आंटी ने धीरे से अपनी गांड को मेरे बाबूराव पर दबाया………मेरी तो गांड फट रही थी मैने कुछ भी नही किया……

आंटी ने फिर से अपनी गांड से मेरे बाबूराव पर हल्का दबाव बनाया.


जैसा की आप सब खिलाड़ी जानते है की ऐसे मौके पर दिमाग़ का सारा खून आपके लौड़े मे भर जाता है इसीलिए आप के दिमाग़ की सोचने समझने की शक्ति ख़तम हो जाती है….इसी लिए मैने भी अपनी बार गांड की फटफती बंद करके….अपना लंड तुरंत पम्मी आंटी की गांड पर दबा दिया..

आंटी ने धीरे से एक झटका और दिया…..मैने भी बदले मे झटका दे दिया…

दोनो तरफ की लाइट ग्रीन थी….

पम्मी आंटी धीरे धीरे अपनी गांड आगे पीछे करने लगी…..और अब तो अपुन भी शेर…

मैं चुदाई की तरह ही अपनी कमर धीरे धीरे हिलाकर उनकी गांड पर अपना लंड घिसने लगा….

अब मैने सारी परवाह छोड़ दी थी…..

मा चुदाये सरदार जी…..मा चुदाये नवजोत……अरे पर उसकी मा ही चोद रहा था मैं…..

तभी डोर बेल बजी... …

साला मुझे लगता है की मैने पूरे हिन्दुस्तान की KLPD का ठेका लिया हुआ है.

जब भी टॉवर मे सिग्नल आने लगते हैं किस्मत की बॅटरी डिसचार्ज हो जाती है.

पम्मी आंटी मुझसे छिटक कर दूर हो गयी और अपने दुपट्टे को संभालते हुए दरवाजे की और बड़ी. मेरी भूखी नज़रे अभी भी पम्मी आंटी की गदराई गांद से ही चिपकी थी पर अब ललचाए होत क्या.
आंटी ने दरवाजा खोला और गरजती हुई आवाज़ आई,

“ ओये कर्मा वालिए, बड़ी देर लगा दी…..”

सरदार प्रताप सिंग जी का आगमन हो चुका था.
सरदार जी घर मे दाखिल हुए, भेन चोद आदमी था की पहाड़. कम से कम 6 फीट की हाईट, और रोबीला चेहरा, मोटा इतना की उपर से लेकर नीचे एक जैसा दिख रहा था. मगर इतना मोटा होने के बाद भी उसकी चल मे एक छपलता थी, फुर्ती सी….


सरदार जी ने घर मे घुसते ही मुझे ताड़ लिया और तिरछी नज़र से मुझे देखते हुए अपनी बीवी से पूछा…

” ओ कोण हे ये……?”

पम्मी आंटी ने बेपरवाही से कहा, 

“अजी ये पिया नू पढ़ाने दे वास्ते आंदा है…..टीचर हे जी उसका”

सरदार ही गुर्राए, “ हु….क्या करेगी पढ़ लिख कर…..करना तो उसने चूल्हा चौका ही है….”

पम्मी आंटी के चेहरे पर तो कोई चेंज नही आया मगर उनके नाक की कोने थोड़े से फूल गये….सरदारनी को गुस्सा आ गया था.

“अजी तुस्सी फेर ओ ही गल करने लगे..”

सरदार जी ने कंधे उचकाय और कहा, “मेनू की…..करो अपने मन दी…..”

मैं मन ही मन हंसा…..सरदार जी जैसे डॉन की भी अपनी बीवी से फटती है….सरदार ही खाने की मेज़ पर जा बैठे और बोले, “ला भाई……खाना लगा दे….”

आंटी बोली, “ अभी लाई……” और किचन मे चली गयी..

यह सरदार जी तो नॉर्मल इंसान निकला, लोग बिना बात ही इतना डरते है इनसे….

तभी सरदार जी ने मुँह बनाया और अपनी गांड टेडी की, मानो उनको कुछ चुभ रहा हो, उन्होने अपने शर्ट को उपर किया और अंदर हाथ डाल कर………..


पिस्टल निकाल ली…
 
ओ भेनचोद ….गांड का बुलडोज़र ही हो गया…भक भक भक.

सरदार जी ने बड़े आराम से गन डाइनिंग टेबल पर रख दी….

मा की चूत........ बहुते ही ख़तरनाक आदमी है ये तो.

पम्मी आंटी खाना ले आई और सरदार जी के सामने रख दिया, तभी सरदार जी ने मुझे देखा और कहा, 

“ओ पुत्तर….आजा भाई….खाना शाना खा ले…..”

फटती गांड मे मुँह से आवाज़ नही निकला करती…

मैं गूंगे जैसा चुप चाप खड़ा खड़ा देख रहा था.

वो फिर बोले, “ आजा भाई आजा….बैठ …..”

मैने थोड़ी हिम्मत जुटाई और कहा, “ज….ज….ज……जी ..म….म….मैं चलता हूँ…..”

सरदार जी माथे पर सल आ गये, “ क्यू भई …..?”

मैं फिर बोला, “न…न…नही जी…..बस…..मुझे जाना है…”

सरदार जी बिल्कुल सर्द आवाज़ मे बोले, 

“ बैठ जाओ बेटे जी……बैठ जाओ”

लो भाई…..लग गये काम ….और रगड़ो अपने लोड्*ा आंटी की गांड पर…मेरी तो लाश भी नही मिलनी अब मेरे परिवार को.

एक किलोमीटर लंबी डाइनिंग टेबल थी…..एक कोने पर सरदार जी बैठे थे….दूसरे पर मैं अपनी फटफती गांड को लेकर टिक गया.

“पम्मी…..इसका खाना लगा…”

आंटी ने मेरे सामने प्लेट रख दी….मैं खाना तो खाकर आया था मगर मेरी गांड मे ज़ोर नही था की मैं मना कर सकु…मैने चम्मच उठाया और चावल खाने लगा. 

सरदार जी ने पूछा, “नाम क्या है तेरा पुत्तर…….”

“जी….शील….” मैं टर्राया 

“हैं….शील…..ओये ये क्या नाम हुआ…..”, सरदार जी ने पूछा.

“जी……?”, 

मेरी गांड ऐसी फट रही थी की क्या बताऊ. मेरी नज़रे बार बार सामने पड़ी गन पर जाती और फटफती फिर से चल पढ़ती.

मैं चुपचाप सर झुका कर राजमा चावल खाने लगा….

तभी सरदार जी पूछा, “तू गुप्ता जी का बेटा है ना……? बड़े बज़ार मे जिनकी किराने की दुकान है ?”

मेरे हाथ से चम्मच छूट गया. इस गंडमरे को तो मेरी पूरी हिस्टरी पता है.

मैं चम्मच उठाने के लिए उठने लगा तो पम्मी आंटी बोली, 

“कोई बात नही दूसरा चम्मच ले ले”

मैने दूसरा चम्मच लिया और सरदार जी से कहा, “ज…ज….ज….जी…..”

सरदार जी बोले,

” बहुत बड़िया आदमी है यार गुप्ता जी……तुम्हारी एक दुकान मैने किराए से ली थी कुछ साल पहले, इतने सज्जन है गुप्ता जी आजकल किराया ही लेने नही आए…..”

ये बोल कर सरदार जी हँसने लगे…..मैने सोचा भेन्चोद मेरे बाप की तो क्या पूरे शहर में किसी की गांड मे इतना ज़ोर नही है की वो सरदार जी से किराया माँग ले.


पम्मी आंटी मेरे पास आके खड़ी हो गयी और बोली, “ कहाँ गिरा वो चम्मच…..ला भाई उठा लूँ…नौकर तो जा मरा है गाँव मे….”

आंटी घुटनो के बल झुक कर चम्मच ढूँढने लगी और लाख कंट्रोल करने के बाद भी मेरी नज़ारे जाकर आंटी की उभरी हुई गांड पर जा चिपकी….

कसम उड़ान छल्ले की….आंटी की तो लेनी ही पड़ेगी….

आंटी डाइनिंग के नीचे ही घुसी इधर उधर देख रही थी….

तभी सरदार जी बोले, “ तो बेटे जी आप बिट्टो को पढ़ाते है…..?”

मैने जवाब देने के लिए मुँह खोला ही था की टेबल के नीचे घुसी पम्मी आंटी ने मेरी जाँघ पर चिकोटी काट दी….

और मेरे मुँह से निकला…” जी….ओ....आह…..”

मा की चूत ….भईये गया मैं तो .

सरदार जी ने आँखें सिकोडी और बोले, “ क्या हुआ ओये…..?”

मैने बड़ी मुश्किल से स्थिति नियंत्रण मे की और कहा,

“जी….व.... .व.....वो…….बोलते बोलते जीभ कट गयी….”

मैं चेहरे पर चुतिया एक्सप्रेशन लिए सरदार जी को देख रहा था और वो अज़ीब से एक्सप्रेशन लिए मुझे देख रहे थे…..

तभी पम्मी आंटी ने एक चिकोटी और काट दी…..जहाँ पहले काटी थी उस से उपर की और…

आंटी की मंज़िल बाबूराव था और मेरी गांड की फटफती की मंज़िल....बहुत दूर ….
 
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