Hindi Porn Kahani बजाज का सफरनामा - Page 7 - SexBaba
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Hindi Porn Kahani बजाज का सफरनामा

वो मुझ से जुड़ गई और उसकी ज़बान मेरे होंठ खोल रही थी धीरे-धीरे और फिर अंदर घुस गई तो मैं उसकी ज़बान की गर्मी से पागल हो उठी और उससे लिपट गई।

शालू ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे दोनों दूध दबाते हुए मेरे होंठ चूसने लगी। ऊफ़ उसकी ज़बान इतनी चिकनी, गर्म और इतनी लम्बी थी कि मेरे पूरे मुँह में मचल रही थी और मेरे गले तक जा रही थी।हम दोनों के चेहरे पूरे लाल हो रहे थे और थूक से भीग चुके थे। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, 

मैं भी उसका साथ दे रही थी और उसका प्यारा सा गुलाबी चेहरा हाथों में लेकर उसके होंठ और ज़बान चूसरही थी, सिसकार रही थी- 

आह अह शालू अह अह हां अह !

आइना मेरी जान !

ऊफ़ शालू ! 

कितनी मज़ेदार ज़बान है तेरी !

इतनी लम्बी !

ऊफ़ !

सच्ची कपिल को मज़ा आ गया होगा !

आअह धीरे आइना ! 

अह आअह सच्ची आइना ! 

बहुत मज़ा आया था क्या बताऊँ तुझे ! 
आह धीरे से मेरे होंठ ! 
आह आइना !

उठो न प्लीज अब 

!हम दोनों उठे तो फिर से मुझे लिपटा कर मेरे होंठ चूसने लगी और मेरे कुरते की ज़िप खोली और मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और मेरे मुँह में सिसकी- 

उतारो न आइना प्लीज !

और मेरे हाथ ऊपर करके मेरा कुरता अलग कर दिया।

आअह शालू ! 

ये आह !

तो मेरे होंठ चूम कर सिसकी- कुछ न बोलो आइना ! 

सच्ची बहुत मज़ा आ रहा है !

मैं उसके सामने टॉपलेस बैठी थी, शर्म से मेरी बुरी हालत थी। मैंने अपने दोनों हाथों से अपने भरे-भरे दूध छुपा लिये और देखा तो शालू ने भी अपना कुरता और ब्रा अलग अपने बद्न से हटा दिए थे और मैं उसे देखती रह गई-

उफ़ ! कितने प्यारे दूध हैं शालू के ! 

खूब बड़े बड़े बिल्कुल गुलाबी रंग, तनी हुई लम्बे चुचूक ! जिनके आस पास लाल रंग का गोल घेरा !उसने मुझे अपनी तरफ़ देखते हुए पाया तो मेरी आँखें चूम लीं,

मेरे दोनों हाथ मेरे दूधों पर से हटाये और अपने दूधों पर रख लिर और होंठ चबा कर सिसकी-

ऊई मां आह आह !और फिर उसने मेरे दूध पकड़े तो मेरी जान निकल गई- आऐ आ आऐ र अह्ह अह आअह ऊओह ऊऊम आआअह नहीं शा…लू !और मैंने भी उसके दूध ज़ोर से दबाये तो शालू भी मुझसे लिपट कर सिसक उठी-

आईए ऊउइ उ अह अह अह धीरे आह आइना ! 

धीरे आह मेरे दूधु !

और मेरे होंठों पर होंठ रखे तो एक साथ हम दोनों की ज़बाने मुँह के अंदर घुस पड़ी।उसकी लम्बी चिकनी और गर्म ज़बान ने मुझे पागल कर दिया और फिर मुझे लिटा कर वो भी मेरे ऊपर लेट गई। हमारे दूध आपस में जैसे ही टकराये तो दोनों की चीखें निकल पड़ी और हम दोनों झूम गईं और मेरी चूत रस से भर गई।मैंने उसे अपने बदन से लिपटा लिया और उसकी चिकनी पीठ और नर्म-नर्म चूतड़ सहलाने लगी।इस पर वो मेरे जिस्म पर मचलने लगी। 

मैंने उसका गुलाबी चेहरा उठाया तो उसकी आँखें नहीं खुल पा रही थी, बहुत हसीन लग रही थी शालू !मैं उसके गाल और होंठ चूसने लगी, उसके गोल नर्म नर्म दूध मेरे सांसों से टकराते तो जैसे आग लग जाती।मैंने उसको थोड़ा ऊपर किया तो उसके खूबसूरत चिकने गुलाबी दूध मेरे सामने थे मैं अपने आप को रोक न सकी और उसकी लाल चूची पर ज़बान फेरी तो वो मस्ती में चिल्ला पड़ी- 

आईई माँ ! मर जाऊँगी मैं! आह अह ओह ऊओफ़ अह आइना !

आह अह्ह हाँ ! ये ये ये भी किया था अश… अह कपिल ने ! 

शालू बोली।और मैंने उसका पूरा का पूरा दूध अपने मुँह में ले लिया तो मज़ा आ गया। और शालू ने मेरा चेहरा थाम कर अपने दूधों में घुसा लियाऔर सिर झटक कर मचलने लगी- 

आ आ इए आइना ! धीरे प्लीज ऊफ़ ऐई री ! माँ ! धीरे से ! न आअह ! बहुत अच्छा लग रहा है ! 

आह ! 
पूरा !

पूरा चूसो न ! 

ऊफ़ मेरा दूध आह ! 
आइना सची ऐईए ऐसे नहीं ! 
न काटो मत प्लीज ! 
उफ़ तुम तो अह कपिल से अच्छा चूसती हो ! 
आअह आराम से मेरीजान !
और वो मेरे दूध दबाने लगी- सच्ची कितनी नरम दूध हैं तेरे आइना !मुझे दो न प्लीज आइना !तो मैंने होंठ अलग किये उसके दूध से और देखा तो उसका दूध मेरे चूसने से लाल और थूक से चिकने हो रहे थे।
 
मैंने जैसे ही दूसरा दूध मुँह में लेना चाहा वो सिसक उठी- 

आह आइना ! प्लीज मुझे दो न अपनी ये प्यारी प्यारी चूचियाँ ! कितनी मुलायम हैं !उइ सच्ची ?

मैं उसकी चूचियाँ मसलने लगी तो मैंने उसके गीले लाल होंठ चूम लिये। शालू मेरी चूचियाँ चूसने लगी !

और मेरे मुँह से आवाजें निकलने लगी- 

अह आअह शालू ! आराम से मेरीजान ! आह ! और ! 
और क्या किया था कपिल ने बताओ न !

तो मेरे दूध पर से अपने चिकने गुलाबी होंठ हटाते हुए मुस्कुराकर बोली- और कुछ नहीं करने दिया मैंने !तो मैंने पूछा- क्यों शालू ! दिल नहीं चाहा तुम्हारा।

वो मेरे ऊपर से उतर कर अपने पैर फैला कर बैठी और मुझे भी अपने से चिपका कर बिठा लिया और मेरे दूधों से खेलते हुए बोली- 

आइना, सच दिल तो बहुत चाहा लेकिन मैंने अपने को बड़ी मुश्किल से रोका क्योंकि डर लग रहा था।और मेरे दूधों पर ज़बान फेरने लगी तो मेरी आंखें बंद हो गई मज़े में !मेरा हाथ उसके चिकने मुलायम पेट पर आया और मैं उसकी गोल नाभि में उंगली घुमाने लगी- 

आह शालू ! सच्ची कितनी लम्बी ज़बान है तुम्हारी ! मैं क्या करूं ! आह मेरे दूध आऐ ए माँ ! अह्ह ! धीरे ! ना ! इतनी ज़ोर से मत नोचो मेरे दूध ! 

आह आह ओह ऊ ओफ़ शालू प्लीज नहीं ! आअह हन हां अन बस ऐसे ही चूसे जाओ बहुत मज़ा आ रहा है !आइना ! 

मेरी जान, सच्ची कहां छुपा रखे थे ये प्यारे-प्यारे दूधु तूने ! तो मैं शरम से लाल हो गई उसकी बात सुनकर और उसकी एक चूची ज़ोर से दबाई तो वो चिल्ला कर हँस पड़ी- ऊऊउइ माँ आइना। 

तो मैंने उसके होंठ चूम लिये।शालू !हूम्म !तुमने बताया नहीं कपिल और क्या कर रहा था या करना चाह रहा था?तो वो शरमा कर मुस्कुराई- 

आइना ! वो तो !

हाँ बोलो ना शालू प्लीज !

तो शालू ने मेरा हाथ अपनी सलवार के नाड़े पर रखा और धीरे से बोली-

वो तो इसे खोलने के मूड में था।फिर शालू?मैंने रोक दिया उसे !

क्यों शालू ? क्यों रोक दिया ? बेचारा कपिल !शालू मेरे गाल पर ज़ोर से काट कर हंस दी-
बड़ी आई कपिल वाली !मैं भी ज़ोर से चिल्ला कर हंस दी-

ऐ शालू बताओ ना क्यों रोक दिया?

तो वो मुसकराई, मैंने कह दिया- ये सब अभी नहीं !
और वो फिर मेरे दूध चूसने लगी ज़ोर ज़ोर से तो मैं पागल हो उठी- आह शालू !

आराम से मेरी जान !

और मैंने उसकी सलवार खोल दी तो वो चौंक गई और मेरा हाथ पकड़ कर बोली- ये ! ये क्या कर रही हो आइना?

तो मैंने उसके गीले रस भरे होंठ चूम लिये- मेरी शालू जान ! 

कपिलको नहीं तो मुझे तो दिखा दो !

वो मुझसे लिपट कर मेरे पूरे चेहरे पर प्यार करने लगी- हाय मेरीआइना ! 

कब से सोच रही थी मैं !

आह मेरी जान !और एकदम से उसने मेरी सलवार भी खोल दी 

और उसका हाथ मेरी चिकनी जांघों पर था।

मैं मज़े में चिल्ला पड़ी- ऊऊउइ शा..आ..लू !! ना..आ.. हाय !!

वो मेरे होंठ चूस रही थी और मेरी जांघें सहला रही थी,

मैं मचल रही थी- नहीं शालू ! प्लीज मत करो ! आ..इ..ए ऊ..ऊ..ओ..फ़ ना..आ..ही ना! ओह मैं क्या करूँ !

और उसने एकदम से मेरी जलती हुई चूत पर हाथ रखा तो मैं उछल पड़ी- हाय रे ! आह ! ये क्या कर दिया शालू !मुझे कुछ होश नहीं था,

उसका एक हाथ अब मेरी चूत सहला रहा था जो बुरी तरह गरम हो रही थी, दूसरे हाथ से वो मेरा दूध दबा रही थी और उसकी लम्बी गरम ज़बान मेरे मुँह में हलचल मचा रही थी।मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरी चूत झड़ने वाली है। 

मैंने उसे लिपटा कर उसके चूतड़ों पर हाथ फेरा तो वो मचल उठी और मैं भी मस्त हो गई।उसकी सलवार भी उतर चुकी थी, 

अब हम दोनों बिल्कुल नंगी थी और बिस्तर पर मचल रही थी- आह आइना ऊ..ओफ़ सच्ची, बहुत गरम चूत है ! उफ़कितनी चिकनी है छोटी सी चूत ! 

सच्ची बहुत तरसी हूँ इस प्यारी चूत के लिये मैं ! दे दो न प्लीज आइना ये हसीन छोटी सी चूत मुझे!

हाय शालू ! मैं जल रही हूँ ! 

प्लीज ! 

आह ! मैं क्या करूँ !मेरा पूरा जिस्म सुलग रहा था 

और मैंने शालू के नरम-गरम चूतड़ खूब दबाए और जब एकदम से उसकी चूत पर हाथ रखा तो 

वो तड़प उठी- ऊ..ऊ..उइ नी..ईइ..ना कर !
 
और मैं तो जैसे निहाल हो गई, उसकी चूत बिल्कुल रेशम की तरह मुलायम और चिकनी थी, खूब फूली हुई !मैं एकदम से उठी और उसकी चूत पर नज़र पड़ी तो देखती रह गई, बिल्कुल चिकनी चूत जिस पर एक बाल भी नहीं था,

शालू की चूत लाल हो रही थी।

क्या देख रही हो आइना ऐसे?
तो मैं अपने होंठों न पर ज़बान फेर कर सिसकी- शालू !!

और एकदम से मैंने उसकी चूत पर प्यार किया तो वो उछल कर बैठ गई।हम दोनों एक दूसरे की चूत सहला रहे थे।

शालू !

हू म्म !

कपिल को नहीं दी यह प्यारी सी चीज़ ?

तो वो शरमा कर मुस्कुराई- ऊँ..हूँह !

क्यों?

तो वो शरारत से मुस्कुरा कर बोली- तुम्हारे लिये जो बचा कर रखीहै।

तो मैं हंस दी- हट !

बदतमीज़ !

सच्ची आइना !

वो मेरी चूत धीरे से दबा कर सिसकी- हमेशा सोचती थी कि तुम्हारीयह कैसी होगी?तो मैं शरमा कर मुसकुराई- मेरे बारे मैं क्यों सोचती थी तुम?पता नहीं बस ! तुम मुझ बहुत अच्छी लगती हो ! दिल चाहता है कि तुम्हें प्यार करूँ !मैंने मुस्कुरा कर उसके होंठ चूम लिये- तो फिर आज से पहले क्यों नहीं किया यह सब?तो मेरे दूधों पर चेहरा रख कर बोली- डर लगता था कि तुमको खो न दूँ कहीं !मैंने उसे अपने नंगे बदन से लिपटा कर उसके होंठ चूस लिये, आहिस्ता से उसे लिटा दिया और झुक कर चूत के उभार पर प्यार कियातो वो मचल उठी- आअह्ह..आआह.. आइना ! मुझे दे दो न अपनी हसीन सी चूत !ले मेरी जान ! मेरे प्यार ! और मैंने घूम कर अपनी चूत उसकी तरफ़ की तो शालू ने मेरे नरम चूतड़ पकड़ कर नीचे किये और मेरी चूत पर होंठ रखे तो मैं कांप गई- आह.. आह.. आह.. ऊऊ..औइ शालू !और जैसे ही उसकी ज़बान मेरी चूत पर आई, मैं नशे में उसकी चूत पर गिर पड़ी और उसकी चूत पर प्यार करने लगी और चूसने लगी।हम दोनों की चीखें निकल पड़ी, दोनों के चूतड़ उछल रहे थे।शालू मेरे चूतड़ दबा रही थी और अचानक उसकी ज़बान मेरी चूत के छेदमें घुस पड़ी तो ऐसा लगा जैसे गरम पिघलता हुआ लोहा मेरी चूत मेंघुस गया हो, मैं चिल्ला पड़ी उसकी चूत से झूम कर- आ..ऐ..ई..ए.. मा..अ मर जा..ऊँ..गी.. ना.. आ..अ..हि शलु अर्रर्रर्ररे.. आह.. ऊ..ओम ऊमफ ऊऊओह्ह ओह ओह ह्हह्है ह्हअ आआइ मैं निकल रही हूँ.. ओ शालू !मेरे चूतड़ उछलने लगे और शालू के चूतड़ भी मचले और वो भी मेरी चूत में चिल्लाने लगी- आइना ! चूसो अ आआइउ अयययो मा अर्रर्रर्रे रीईईए आआआअह ऊफ़्फ़ आआह्ह ह्हाआआआ आआअह्हह्ह ह्हाआआअ !और मुझे ऐसा लगा जैसे चूत से झरना बह निकला हो !रोकते-रोकते भी मेरे गले से नीचे उतर गया !यही हाल शालू का भी था।हम दोनों के चेहरे लाल हो रहे थे, सांसें तेज़ तेज़ चल रही थीं औरहम दोनों एक दूसरे से लिपट कर पता नहीं कब सो गये।मज़ा आया पढ़ कर?
 
यह कहानी आज से 9 साल पहले की है, तब मेरी उमर करीब 21 साल की
थी, तब मैं थोड़ा पतला था।
मैं कुछ नहीं करता था क्योंकि मैं डिप्लोमा की परीक्षा में फ़ेल हो गया था
और परीक्षा को अभी बहुत समय था तो पिताजी ने मुझे अपने एक दोस्त के यहाँ
नौकरी पर लगा दिया। वहाँ पर लगभग हर रोज ही एक महिला आती थी। उनका नाम
मंजरी (नाम बदला हुआ) था। जब भी वो आती अंकल मुझे खाना खाने के या कुछ भी
बहाना करके वहाँ से भेज देते। वैसे तो उनका भतीजा भी मेरे साथ वहीं पर
काम करता था और मेरी और उसकी अच्छी पटती थी, तो एक दिन मैंने उससे पूछ ही
लीया। तब मुझे पता चला कि मंजरी का पति उनको मारता था, शराबी और जुआरी भी
था तो वो अंकल से मदद लेने आती थी। और उसने मुझे यह भी बताया कि उसने
उसके साथ मजे भी किये हैं। तो मैंने पिताजी के दोस्त के भतीजे को मेरे
लिए कुछ करने के लिए कहा। उसने शायद मेरे लिए बात भी की मगर शायद वो कुछ
डर रही थी इसलिए मना कर दिया।
अरे हाँ ! मंजरी भाभी के चूचे बड़े नहीं पर हाँ कसे हुए थे। जब भी मैं
उन्हें देखता था मेरा लण्ड तो मेरे अन्डरवीयर से निकल कर मेरी नाभि तक आ
जाता था। उनका कद करीब 5' 2", कमर पतली और एकदम सफ़ेद जैसे दूध से धुली
हो। मेरे मन में बस उन्हें पाने की इच्छा जाग गई थी।
तो आखिर वो दिन आ ही गया। अन्कल किसी काम से बाहर गये हुए थे, और वो आ
गई, मुझ से कुछ सामान लेकर बात करनी शुरु की, मैं तो बस उनके चेहरे को ही
सामने से देखता रहा, जैसे ही उनको पता चला, वो कुछ शरमाने लगी और हंस कर
बोली- मेरे चेहरे पे मोर लगे हैं क्या?
मुझे लगा अगर हंसी तो फ़ंसी।
और अचानक ही मैंने उनसे अपने मन की बात कह दी। पहले तो वो कुछ बोली नहीं,
पर कुछ देर बाद मुझसे वादा लेते हुए कि किसी और से यह बात नहीं कहने का
मुझे अपना फ़ोन नंबर देकर हंसते हुए चली गई।
दो दिन बाद जब मैंने उनके नम्बर पर फ़ोन किया, तो फोन पर वही थी, हमने
थोड़ी देर इधर उधर की बात की, फिर बात करते हुए मुझे लगा कि उनके घर पर
कोई नहीं है, तो मैंने उनको मिलने की इच्छा जताई। थोड़ी ना-नुकर के बाद वो
10 मिनट के लिए मान गई।
उतने में अन्कल आ गये और मैं उनसे बहाना करके तुरन्त मंजरी घर पहुँच गया।
उन्होंने मुझे घर के अन्दर बुलाया के और मेरे सामने कुर्सी रखकर मुझसे
बातें करने लगी। मेरा ध्यान तो बस उनके बदन पर ही था। मुझे लगा आज मौका
नहीं मिलेगा क्योंकि घर के सामने के मैदान में सोसायटी के बच्चे खेल रहे
थे। तो मैंने भी उनसे पानी का बहाना किया।
जैसे ही वो पानी लेने के लिए रसोई में गई, मैं उठकर अन्दर के कमरे में
जाकर बिस्तर पर बैठ गया। उन्होंने मुझे देख लिया था तो वो भी पानी लेकर
अन्दर कमरे में आ गई। मैंने भी पानी पीकर ग्लास उन्हें दिया, जैसे ही
उन्होंने ग्लास लेने के लिये हाथ आगे किया मैंने उनका हाथ पकड़ कर अपने
पास बिठाकर उन्हें चूमना शुरु कर दिया।
तभी वो अपने को छुड़ा कर एकदम उठी, पर तब तक वो गर्म हो चुकी थी, क्योंकि
उनकी आँखें सब बता रही थी। अचानक वो बाहर चली गई और मुझे लगा आज भी मुझे
खाली हाथ जाना पड़ेगा। पर उतने में वो घर के सारे दरवाजे बन्द करके मेरे
पास आकर बैठ गई और मेरा हाथ पकड़ लिया।
बस फिर क्या था मैंने भी उनको पकड़ कर होंठों पर चुम्बन करना चालू कर
दिया, फिर उन्हें बिस्तर पर लिटाकर जबरदस्त चूमा-चाटी शुरु कर दी।
धीरे-धीरे मैंने उनके मम्मे दबाने शुरु कर दिये, अब वो भी मेरी जीभ चूस
रही थी और मैं उनकी। फिर मैंने उनके ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए,
उन्होंने नीचे काली ब्रा पहन रखी थी, मैंने ब्रा का हूक खोलकर उनके दूध
को चूसने का कार्यक्रम शुरू किया।
धीरे-धीरे मैंने उनकी साड़ी को पेटीकोट के साथ जैसे ही ऊँचा किया, तो
मैंने देखा कि उन्होंने पेन्टी तो पहनी ही नहीं थी। मैंने हल्के से एक
उंगली उनकी चूत में जैसे ही डाली, वो एकदम से सिहर गई, धीरे-धीरे मैंने
दूसरी, फिर तीसरी उंगली डाली। उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया और मुझे अपने
होंठों के पास लाकर मेरे होंठों को कस कर चूसने लगी।
तुरंत ही मेरी उंगली में कुछ गीलापन महसूस हुआ। तब मुझे लगा कि शायद
उन्हें पेशाब आ गई क्योंकि वह मेरा पहला अनुभव था, मुझे तो बाद में पता
लगा कि औरतें भी झड़ती हैं।
फिर उन्होंने मेरी पैंट में हाथ डाला और मेरे लण्ड को पकड़कर हिलाने लगी,
मुझे तो अब और भी मज़ा आने लगा। फिर उन्होंने मुझे पैंट निकालने को कहा।
तो मैं पूरे कपड़े निकालने ही जा रहा था कि उन्होंने मुझे रोका और कहा- आज
इतना वक्त नहीं है, तुम सिर्फ़ पैंट को नीचे कर लो।
जैसे ही मैंने पैंट को नीचे किया और उन्होंने मेरे लण्ड को जैसे ही देखा,
वो तो बस मेरे लण्ड को एक बारगी तकती ही रह गई, और फिर अचानक फटाक से मेर
लण्ड पकड़ कर मुँह में ले लिया और मेरी गोलियों से मजे से खेलने लगी,
 
कभी उनको भी मुँह में भर कर चूसने और चाटने लगती।
चूंकि मेरा यह पहला अनुभव था मैं तो जैसे सातवें आसमान पर था, मुझे तो
इतना मज़ा आ रहा थी कि बस पूछो मत। मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी।
मैं भी अब जोश में आने लगा था, मैं उनका सिर पकड़कर आगे-पीछे करने लगा, एक
बार तो उनका सर पकड़ कर लण्ड पर ही पूरा दबा दिया। पर जैसे ही मैंने उनको
देखा, उनकी आँखों से पानी निकलने लगा, तो मैंने अपनी पकड़ ढीली कर दी और
उन्हें ऊपर लाकर उनके होंठों पे, गालों पे, कान के नीचे चेहरे पे हर जगह
चूमना चालू कर दिया।
उन्होंने मुझे मेरे कान में कहा- आज तक मैंने किसी का मुँह में नहीं
लिया, पर पता नहीं तुम्हारे उस में क्या खास बात थी जो मैंने उसे मुंह
में भर लिया, सच में तुम्हारा बहुत मस्त है।
वो अभी भी शायद कुछ शरमा रही थी, इसीलिये लण्ड शब्द का प्रयोग नहीं कर रही थी।
इतना बोल कर वो तो जैसे पागल होने लगी थी और मेरे लण्ड को अपनी चूत पर
जोर जोर से रगड़ने लगी। अब मेरा भी अपने पर काबू करना मुश्किल हो रहा था,
तो मैंने उन्हें धक्का मार कर बिस्तर पर लिटा दिया और लण्ड को चूत पर रख
कर धक्का मारना शुरु किया, पर मेरा लण्ड फिसल कर इधर उधर जाने लगा तो
उन्होंने मेरा लण्ड पकड़ कर चूत के छेद पर टिका कर मेरे नितम्ब पकड़कर
उन्होंने ही धक्का मार कर लण्ड चूत में ले लिया।
फिर तो मैंने आव देखा ना ताव और एक जोरदार धक्का मारकर पूरा लण्ड जड़ तक
अन्दर डाल दिया। मेरे होंठ उनके होंठों पर ही थे इसलिये मुझे लगा कि वो
जैसे चिल्ला रही हैं, पर होंठों के चिपके होने के कारण चीख दब गई।
तब मेरा ध्यान उनकी आँखों पर गया तो मैंने देखा कि वो रो रही है, तो
मैंने भी थोड़ी देर उनके ऊपर पड़े रहना ही उचित समझा और धीरे-धीरे उनके
मम्मों को चूसता और दबाता उनकी छाती पर लेटा रहा।
वो धीरे-धीरे सामन्य हो रही थी और धीरे-धीरे अपने चूतड़ उठा कर धक्के देने
लगी। फिर मैंने भी अपने धक्के चालू कर दिए। करीब 10-12 मिनट के बाद
उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया और जोर से मेरी जीभ को चूसने लगी। मेरा तो
अब साँस लेना भी मुश्किल हो रहा था। तभी अचानक मुझे मेरे लण्ड पर कुछ
पानी जैसा महसूस हुआ, मैं भी अब जोश में धक्के पर धक्के लगा रहा था, पर
करीब 20-25 धक्कों के बाद मेरे लण्ड में भी हरकत शुरु हुई और मैंने भी
उनको कस कर पकड़ लिया और उनकी जीभ चूसने लगा और फिर मैंने भी अपना सारा
लावा उनकी चूत में उडेल दिया, और पस्त होकर उनके नंगे बदन पर लेट गया।
कुछ देर तक हम यों ही पड़े रहे, फिर जैसे ही मैं कपड़े पहनकर जाने लगा,
उन्होंने मुझे रोक कर एक लम्बी चुम्मी मेरे होंठों पर दी और मुस्कराते
हुए बोली- अब जब भी मन करे, मुझे फोन कर देना, तुम जहाँ बुलाओगे, मैं आ
जाऊँगी, मैं आज से तुम्हारी हुई, आज मेरी जिन्दगी का सबसे अच्छा दिन है।
और मैंने भी उनको चूमते हुए उनसे विदाई ली।
 
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