hotaks444
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पाँचों लड़कियाँ एक तरफ हो गयीं और शर्मा जी कबड्डी कबड्डी कबड्डी बोलते हुए उनके पाले में जाने लगे. जैसा शर्मा जी ने बताया था वैसे ही दो लड़कियो ने शर्मा जी को घेर के उनकी टाँगों को पकड़ लिया. अब शर्मा जी तो लंबे तगड़े आदमी थे. उन्हें गिराना लड़कियो के बस का नहीं था, इसलिए वो खुद ही जान के ज़मीन पे लेट गये. दो लड़कियाँ कूद के उनके ऊपर चढ़ गयी. लेकिन इससे पहले कि उनके हाथ को कोई पकड़े शर्मा जी ने लाइन को हाथ लगा दिया. सब लड़कियाँ आउट हो गयी. शर्मा जी बोले,
“देखा तुम सब लोग आउट हो गयी. तुमको प्रॅक्टीस की बहुत ज़रूरत है. अब मैं चलता हूँ तुम लोग प्रॅक्टीस करो.”
“नहीं नहीं पापा, एक बार और. इस बार आपको नहीं बच के जाने देंगे.” कंचन बोली.
“चलो ठीक है. लेकिन ये आख़िरी बार है.”
कंचन अपनी सहेलिओं को एक साइड में ले गयी और उन सबने मिल के प्लान बनाया कि इस बार कैसे शर्मा जी को पकड़ेंगे. काफ़ी देर हकुसूर पुसुर करने के बाद लड़कियाँ फिर मैदान में आ गयी. एक बार फिर शर्मा जी कबड्डी कबड्डी…करते हुए उनके पाले में आगे बढ़े. फिर से दो लड़कियो ने शर्मा जी को घेर के पकड़ लिया. शर्मा जी एक बार फिर जान के ज़मीन पे गिर परे और पीठ के बल चित लेट गये. दो लड़कियाँ उनके पेट पे चढ़ बैठी. इस बार जैसे ही शर्मा जी ने लाइन टच करने के लिए हाथ आगे किया, कंचन ने उनका हाथ पकड़ लिया. शर्मा जी ने हाथ छुड़ाने की कोशिश की. इतने में उनके हाथ को ज़ोर से दबाने के लिए कंचन कूद के उनके ऊपर आ गयी और उनके सिर को अपनी टाँगों के बीच में दबा कर उनके हाथों को कस के पकड़ लिया. छ्चीना झपटी में अब शर्मा जी का सिर कंचन की टाँगों के बीच फँसा हुआ था और वो उनके मुँह पे बैठी हुई थी. कंचन की स्कर्ट के नीचे शर्मा जी का मुँह च्छूप गया था और कंचन की पॅंटी में कसी हुई चूत ठीक शर्मा जी के होंठों पे थी. शर्मा जी बुरी तरह हड़बड़ा गये. लड़कियाँ काफ़ी उत्तेजित थी कि इस बार उन्होने शर्मा जी को पकड़ लिया. कंचन की चूत का दबाव शर्मा जी के मुँह पे बढ़ता जा रहा था. ..शर्मा जी का दम घुटने लगा तो उन्हें साँस लेने के लिए मुँह खोलना पड़ा. मुँह खुलते ही बेटी की पॅंटी में कसी हुई चूत उनके खुले हुए मुँह में समा गयी. हालाँकि बिटिया की चूत पॅंटी में थी, फिर भी शर्मा जी उसकी चूत की दोनो फांकों का सॉफ एहसास हो रहा था. क्यूंकी शर्मा जी का साँस टूट चुक्का था इसलिए वो हार गये थे. लड़कियो ने उन्हें छोड़ दिया. सब लड़कियाँ बहुत खुश थी. कंचन भी खुशी से कूद रही थी,
“पापा हार गये, पापा हार गये.”
उधर शर्मा जी का बुरा हाल था. उन्हें तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उनकी 18 साल की बिटिया की चूत अभी अभी उनके मुँह में थी. वो बुरी तरह बोखला गये थे. लड़कियो ने उन्हें एक बार फिर प्रॅक्टीस के लिए कहा लेकिन उन्होने सॉफ इनकार कर दिया.
“अंकल एक प्रॅक्टीस और हो जाए. देखिए इस बार हमने आपको हरा दिया.” निशा बोली.
“नहीं बेटी अब तो तुम लोग सीख गये हो खुद प्रॅक्टीस कर लो.”
“अच्छा तो पापा अगर आपको खेलना नहीं है तो कम से कम यहाँ बैठ के हमारी प्रॅक्टीस तो देख लीजिए.”
शर्मा जी मना ना कर सके और लॉन में चेर पे बैठ कर लड़कियो को प्रॅक्टीस करते हुए देखने लगे. शर्मा जी को अब अजीब सा लग रहा था. पहली बार शर्मा जी का ध्यान लड़कियो की स्कर्ट के नीचे उनकी नंगी टाँगों पर गया. शर्मा जी सोचने लगे कितनी गोरी गोरी मांसल टाँगें हैं इन लड़कियो की. और अभी तो इनकी उम्र इरफ़ 18 साल ही है. काश आज उनके मुँह पे उनकी बेटी की जगह उसकी किसी सहेली की चूत होती तो उन्हें इतना बुरा नहीं महसूस होता. दूसरे ही पल शर्मा जी अपने आप को कोसने लगे. ये लड़कियाँ उनकी बेटी की सहेलियाँ हैं. उनकी बेटी जैसी ही हैं. ये कैसे विचार आ रहे हैं दिमाग़ में? उधर लड़कियो ने फिर प्रॅक्टीस शुरू कर दी. एक लड़की को गिरा के बाकी चारों लड़कियाँ शर्मा जी के बताए हुए तरीके से उस पे चढ़ बैठी. ........अभी शर्मा जी अपने आप को कोस ही रहे थे कि उन्होने देखा, निशा जिस को बाकी लड़कियो ने दबोच रखा था अपनी टाँगें छुड़ाने के लिए छटपटा रही थी. उसकी स्कर्ट के नीचे से उसकी सफेद रंग की पॅंटी नज़र आ रही थी. शर्मा जी निशा की टाँगों के बीच से नज़र नहीं हटा पाए. इतने में छीना झपटी और तेज़ हो गयी. इस बार का नज़ारा देख कर शर्मा जी का दिल धक धक करने लगा. कंचन की स्कर्ट उसकी कमर के ऊपर चढ़ गयी थी. सफेद पॅंटी में कसे हुए बेटी के चूतेर शर्मा जी की ओर थे. खेल की छ्चीना झपटी के कारण एक तरफ से पॅंटी उसके चूतरो के बीच सिमट गयी थी और दाहिना चूतेर नंगा हो गया था. पॅंटी भी मिट्टी लगने के कारण थोड़ी मैली हो गयी थी. शर्मा जी की आँखें फटी की फटी रह गयीं. अब तो शर्मा जी के लंड में भी हरकत होने लगी. उन्हें पहली बार महसूस हुआ कि उनकी गुड़िया अब बच्ची नहीं रही. बिटिया के चूतेर कितने भारी और फैल गये थे.
क्रमशः.........
“देखा तुम सब लोग आउट हो गयी. तुमको प्रॅक्टीस की बहुत ज़रूरत है. अब मैं चलता हूँ तुम लोग प्रॅक्टीस करो.”
“नहीं नहीं पापा, एक बार और. इस बार आपको नहीं बच के जाने देंगे.” कंचन बोली.
“चलो ठीक है. लेकिन ये आख़िरी बार है.”
कंचन अपनी सहेलिओं को एक साइड में ले गयी और उन सबने मिल के प्लान बनाया कि इस बार कैसे शर्मा जी को पकड़ेंगे. काफ़ी देर हकुसूर पुसुर करने के बाद लड़कियाँ फिर मैदान में आ गयी. एक बार फिर शर्मा जी कबड्डी कबड्डी…करते हुए उनके पाले में आगे बढ़े. फिर से दो लड़कियो ने शर्मा जी को घेर के पकड़ लिया. शर्मा जी एक बार फिर जान के ज़मीन पे गिर परे और पीठ के बल चित लेट गये. दो लड़कियाँ उनके पेट पे चढ़ बैठी. इस बार जैसे ही शर्मा जी ने लाइन टच करने के लिए हाथ आगे किया, कंचन ने उनका हाथ पकड़ लिया. शर्मा जी ने हाथ छुड़ाने की कोशिश की. इतने में उनके हाथ को ज़ोर से दबाने के लिए कंचन कूद के उनके ऊपर आ गयी और उनके सिर को अपनी टाँगों के बीच में दबा कर उनके हाथों को कस के पकड़ लिया. छ्चीना झपटी में अब शर्मा जी का सिर कंचन की टाँगों के बीच फँसा हुआ था और वो उनके मुँह पे बैठी हुई थी. कंचन की स्कर्ट के नीचे शर्मा जी का मुँह च्छूप गया था और कंचन की पॅंटी में कसी हुई चूत ठीक शर्मा जी के होंठों पे थी. शर्मा जी बुरी तरह हड़बड़ा गये. लड़कियाँ काफ़ी उत्तेजित थी कि इस बार उन्होने शर्मा जी को पकड़ लिया. कंचन की चूत का दबाव शर्मा जी के मुँह पे बढ़ता जा रहा था. ..शर्मा जी का दम घुटने लगा तो उन्हें साँस लेने के लिए मुँह खोलना पड़ा. मुँह खुलते ही बेटी की पॅंटी में कसी हुई चूत उनके खुले हुए मुँह में समा गयी. हालाँकि बिटिया की चूत पॅंटी में थी, फिर भी शर्मा जी उसकी चूत की दोनो फांकों का सॉफ एहसास हो रहा था. क्यूंकी शर्मा जी का साँस टूट चुक्का था इसलिए वो हार गये थे. लड़कियो ने उन्हें छोड़ दिया. सब लड़कियाँ बहुत खुश थी. कंचन भी खुशी से कूद रही थी,
“पापा हार गये, पापा हार गये.”
उधर शर्मा जी का बुरा हाल था. उन्हें तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उनकी 18 साल की बिटिया की चूत अभी अभी उनके मुँह में थी. वो बुरी तरह बोखला गये थे. लड़कियो ने उन्हें एक बार फिर प्रॅक्टीस के लिए कहा लेकिन उन्होने सॉफ इनकार कर दिया.
“अंकल एक प्रॅक्टीस और हो जाए. देखिए इस बार हमने आपको हरा दिया.” निशा बोली.
“नहीं बेटी अब तो तुम लोग सीख गये हो खुद प्रॅक्टीस कर लो.”
“अच्छा तो पापा अगर आपको खेलना नहीं है तो कम से कम यहाँ बैठ के हमारी प्रॅक्टीस तो देख लीजिए.”
शर्मा जी मना ना कर सके और लॉन में चेर पे बैठ कर लड़कियो को प्रॅक्टीस करते हुए देखने लगे. शर्मा जी को अब अजीब सा लग रहा था. पहली बार शर्मा जी का ध्यान लड़कियो की स्कर्ट के नीचे उनकी नंगी टाँगों पर गया. शर्मा जी सोचने लगे कितनी गोरी गोरी मांसल टाँगें हैं इन लड़कियो की. और अभी तो इनकी उम्र इरफ़ 18 साल ही है. काश आज उनके मुँह पे उनकी बेटी की जगह उसकी किसी सहेली की चूत होती तो उन्हें इतना बुरा नहीं महसूस होता. दूसरे ही पल शर्मा जी अपने आप को कोसने लगे. ये लड़कियाँ उनकी बेटी की सहेलियाँ हैं. उनकी बेटी जैसी ही हैं. ये कैसे विचार आ रहे हैं दिमाग़ में? उधर लड़कियो ने फिर प्रॅक्टीस शुरू कर दी. एक लड़की को गिरा के बाकी चारों लड़कियाँ शर्मा जी के बताए हुए तरीके से उस पे चढ़ बैठी. ........अभी शर्मा जी अपने आप को कोस ही रहे थे कि उन्होने देखा, निशा जिस को बाकी लड़कियो ने दबोच रखा था अपनी टाँगें छुड़ाने के लिए छटपटा रही थी. उसकी स्कर्ट के नीचे से उसकी सफेद रंग की पॅंटी नज़र आ रही थी. शर्मा जी निशा की टाँगों के बीच से नज़र नहीं हटा पाए. इतने में छीना झपटी और तेज़ हो गयी. इस बार का नज़ारा देख कर शर्मा जी का दिल धक धक करने लगा. कंचन की स्कर्ट उसकी कमर के ऊपर चढ़ गयी थी. सफेद पॅंटी में कसे हुए बेटी के चूतेर शर्मा जी की ओर थे. खेल की छ्चीना झपटी के कारण एक तरफ से पॅंटी उसके चूतरो के बीच सिमट गयी थी और दाहिना चूतेर नंगा हो गया था. पॅंटी भी मिट्टी लगने के कारण थोड़ी मैली हो गयी थी. शर्मा जी की आँखें फटी की फटी रह गयीं. अब तो शर्मा जी के लंड में भी हरकत होने लगी. उन्हें पहली बार महसूस हुआ कि उनकी गुड़िया अब बच्ची नहीं रही. बिटिया के चूतेर कितने भारी और फैल गये थे.
क्रमशः.........