hotaks444
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गतान्क से आगे ......
कंचन भाग के अंडर बाथरूम में गयी और मूतने लगी. नीलम ने उसे बताया था और उसने भी देखा था कि पापा ने कैसे मम्मी की पेशाब की हुई चूत को चॅटा था. मूतने के बाद उसने पॅंटी ऊपेर चढ़ा ली. अपनी टाँगों के बीच में देखा तो मुस्कुरा दी. पॅंटी पे पेशाब का बड़ा सा दाग लग गया था और उस जगह से पॅंटी गीली हो गयी थी.
शर्मा जी बेसब्री से बेटी के आने का इंतज़ार करने लगे. बिटिया की चूत में फँसी पॅंटी अब भी उनकी आखों के सामने घूम रही थी. बिटिया की चूत में से इस वक़्त निकलती हुई पेशाब की धार की कल्पना मात्र से उनका लंड हरकत करने लगा. इतने में कंचन पेशाब करके लॉन में आ गयी,
“चलिए पापा, मैं तैयार हूँ. लेकिन मैं सामने से आपके कंधों पे बैठूँगी ताकि गिरने लगूँ तो आप संभाल लेना.”
“नहीं गिरगी बेटी. खैर जैसे चाहो बैठो.”
शर्मा जी नीचे बैठे और कंचन सामने उनके कंधों के दोनो ओर टाँगें डाल कर बैठ गयी. अब तो शर्मा जी का मुँह बेटी की चूत से सटा हुआ था लेकिन स्कर्ट के ऊपर से. वो खड़े हो गये. कंचन बोली,
“ पापू, थोड़ा ऊपर उठाइए ना.. हाथ नहीं पहुँच रहा.”
शर्मा जी को बेटी को ऊपर की ओर उठाने के लिए उसके चूतरो को पकड़ना पड़ा. जैसे ही उन्होने बिटिया के चूतरो पर हाथ रखा उन्हें महसूस हुआ कि उनका आधा हाथ बेटी की पॅंटी पर और आधा हाथ उसके नंगे चूतरो पर था. उन्हें कुच्छ दिख वैसे भी नहीं रहा था क्योंकि उनका मुँह तो बेटी की टाँगों के बीच में दबा हुआ था.
“और थोड़ा ऊपर उठाओ, पापा.” कंचन चिल्लाई. शर्मा जी ने बेटी के चूतेर पकड़ कर उसे और ऊपर उठा दिया. स्कर्ट तो छ्होटी सी थी ही. कंचन के और ऊपर होने से उसकी स्कर्ट शर्मा जी के सिर के ऊपर आ गयी.
अब तो शर्मा जी का सिर बेटी की स्कर्ट के अंडर छुप गया था और उनका मुँह ठीक बेटी की चूत पर आ गया. अचानक शर्मा जी की नाक में बेटी की चूत की तेज़ महक गयी. आज तो उसकी चूत की खुश्बू बहुत तेज़ थी. इसका एक कारण था. कंचन ने धूलि हुई पॅंटी पहनने के बजाए जान के कल वाली ही पॅंटी पहनी हुई थी. दो दिन से पहनी हुई पॅंटी में से चूत की ज़ोरदार गंध तो आनी ही थी. शर्मा जी तो बिटिया की कुँवारी चूत की ज़ोरदार गंध से मदहोश हो गये. शर्मा जी को अपने होंठों पे गीलापन महसूस हुआ और वो समझ गये कि ये तो बेटी की पेशाब का गीलापन है क्योंकि अभी अभी तो वो पेशाब करके आई थी. अब तो शर्मा जी अपना आपा खो बैठे. उन्होने बेटी को और ऊपर उठाने के बहाने उसके चूतेर पकड़ के अपना मुँह बेटी की चूत में ज़ोर से दबा दिया. शर्मा जी ने अपने होंठ थोड़े से खोल दिए और बिटिया की पॅंटी में कसी फूली हुई चूत उनके मुँह में आ गयी. बिटिया की चूत की तेज़ स्मेल उनकी नाक में जा रही थी और उनका लंड अंडरवेर फाड़ कर बाहर निकलने को हो रहा था. उधेर कंचन को भी अपनी चूत पर पापा की गरम गरम साँसे महसूस हो रही थी. वो भी बास्केट ठीक करने के बहाने अपनी चूत पापा के मुँह पर रगड़ रही थी. नीलम ने फिर से मूवी कॅमरा शर्मा जी के लंड के उभार पे फोकस कर दिया. शर्मा जी को तो पता ही नहीं था कि नीलम उनका वीडियो बना रही है क्योंकि उनका मुँह तो बिटिया की स्कर्ट के नीचे च्छूपा हुआ उसकी चूत का आनंद ले रहा था. अब तो कंचन की पॅंटी उसके चूत के रस से गीली होने लगी थी. उसे डर था कि कहीं पापा को पता ना लग जाए. आख़िरी बार ज़ोर से पापा के मुँह में चूत को रगड़ती हुई बोली,
“ पापा ठीक हो गया नीचे उतारिये.”
शर्मा जी ने भी आख़िरी बार बेटी की पूरी चूत को मुँह में ले कर चूमा और बेटी को नीचे उतार दिया. शर्मा जी का चेहरा लाल हो रहा था और बिटिया के पेशाब से उनके होंठ नमकीन हो रहे थे. उनकी पॅंट तो ऐसे फूल गयी थी जैसे अंडरवेर पहना ही ना हो. शर्मा जी जल्दी से दूसरी ओर घूम गये और अंडर जाते हुए बोले,
“ चलो बच्चो खाना खा लो. कंचन बेटी नीलम को भी ले आओ.”
“जी पापू.” दोनो लड़कियाँ भी अंडर चली गयी. लेकिन शर्मा जी का ध्यान खाने में कहाँ. उनके मुँह में तो बिटिया की चूत का स्वाद था. खाना खा के वो उस स्वाद को खराब नहीं करना चाहते थे. जैसे ही शर्मा जी ऑफीस गये, दोनो सहेलियाँ वीडियो देखने लगी जिसमे शर्मा जी के लंड का उभार सॉफ नज़र आ रहा था. कंचन ये सोच कर बहुत खुश थी कि उसके पापा का लंड उसकी वजह से खड़ा हो गया था.
कंचन भाग के अंडर बाथरूम में गयी और मूतने लगी. नीलम ने उसे बताया था और उसने भी देखा था कि पापा ने कैसे मम्मी की पेशाब की हुई चूत को चॅटा था. मूतने के बाद उसने पॅंटी ऊपेर चढ़ा ली. अपनी टाँगों के बीच में देखा तो मुस्कुरा दी. पॅंटी पे पेशाब का बड़ा सा दाग लग गया था और उस जगह से पॅंटी गीली हो गयी थी.
शर्मा जी बेसब्री से बेटी के आने का इंतज़ार करने लगे. बिटिया की चूत में फँसी पॅंटी अब भी उनकी आखों के सामने घूम रही थी. बिटिया की चूत में से इस वक़्त निकलती हुई पेशाब की धार की कल्पना मात्र से उनका लंड हरकत करने लगा. इतने में कंचन पेशाब करके लॉन में आ गयी,
“चलिए पापा, मैं तैयार हूँ. लेकिन मैं सामने से आपके कंधों पे बैठूँगी ताकि गिरने लगूँ तो आप संभाल लेना.”
“नहीं गिरगी बेटी. खैर जैसे चाहो बैठो.”
शर्मा जी नीचे बैठे और कंचन सामने उनके कंधों के दोनो ओर टाँगें डाल कर बैठ गयी. अब तो शर्मा जी का मुँह बेटी की चूत से सटा हुआ था लेकिन स्कर्ट के ऊपर से. वो खड़े हो गये. कंचन बोली,
“ पापू, थोड़ा ऊपर उठाइए ना.. हाथ नहीं पहुँच रहा.”
शर्मा जी को बेटी को ऊपर की ओर उठाने के लिए उसके चूतरो को पकड़ना पड़ा. जैसे ही उन्होने बिटिया के चूतरो पर हाथ रखा उन्हें महसूस हुआ कि उनका आधा हाथ बेटी की पॅंटी पर और आधा हाथ उसके नंगे चूतरो पर था. उन्हें कुच्छ दिख वैसे भी नहीं रहा था क्योंकि उनका मुँह तो बेटी की टाँगों के बीच में दबा हुआ था.
“और थोड़ा ऊपर उठाओ, पापा.” कंचन चिल्लाई. शर्मा जी ने बेटी के चूतेर पकड़ कर उसे और ऊपर उठा दिया. स्कर्ट तो छ्होटी सी थी ही. कंचन के और ऊपर होने से उसकी स्कर्ट शर्मा जी के सिर के ऊपर आ गयी.
अब तो शर्मा जी का सिर बेटी की स्कर्ट के अंडर छुप गया था और उनका मुँह ठीक बेटी की चूत पर आ गया. अचानक शर्मा जी की नाक में बेटी की चूत की तेज़ महक गयी. आज तो उसकी चूत की खुश्बू बहुत तेज़ थी. इसका एक कारण था. कंचन ने धूलि हुई पॅंटी पहनने के बजाए जान के कल वाली ही पॅंटी पहनी हुई थी. दो दिन से पहनी हुई पॅंटी में से चूत की ज़ोरदार गंध तो आनी ही थी. शर्मा जी तो बिटिया की कुँवारी चूत की ज़ोरदार गंध से मदहोश हो गये. शर्मा जी को अपने होंठों पे गीलापन महसूस हुआ और वो समझ गये कि ये तो बेटी की पेशाब का गीलापन है क्योंकि अभी अभी तो वो पेशाब करके आई थी. अब तो शर्मा जी अपना आपा खो बैठे. उन्होने बेटी को और ऊपर उठाने के बहाने उसके चूतेर पकड़ के अपना मुँह बेटी की चूत में ज़ोर से दबा दिया. शर्मा जी ने अपने होंठ थोड़े से खोल दिए और बिटिया की पॅंटी में कसी फूली हुई चूत उनके मुँह में आ गयी. बिटिया की चूत की तेज़ स्मेल उनकी नाक में जा रही थी और उनका लंड अंडरवेर फाड़ कर बाहर निकलने को हो रहा था. उधेर कंचन को भी अपनी चूत पर पापा की गरम गरम साँसे महसूस हो रही थी. वो भी बास्केट ठीक करने के बहाने अपनी चूत पापा के मुँह पर रगड़ रही थी. नीलम ने फिर से मूवी कॅमरा शर्मा जी के लंड के उभार पे फोकस कर दिया. शर्मा जी को तो पता ही नहीं था कि नीलम उनका वीडियो बना रही है क्योंकि उनका मुँह तो बिटिया की स्कर्ट के नीचे च्छूपा हुआ उसकी चूत का आनंद ले रहा था. अब तो कंचन की पॅंटी उसके चूत के रस से गीली होने लगी थी. उसे डर था कि कहीं पापा को पता ना लग जाए. आख़िरी बार ज़ोर से पापा के मुँह में चूत को रगड़ती हुई बोली,
“ पापा ठीक हो गया नीचे उतारिये.”
शर्मा जी ने भी आख़िरी बार बेटी की पूरी चूत को मुँह में ले कर चूमा और बेटी को नीचे उतार दिया. शर्मा जी का चेहरा लाल हो रहा था और बिटिया के पेशाब से उनके होंठ नमकीन हो रहे थे. उनकी पॅंट तो ऐसे फूल गयी थी जैसे अंडरवेर पहना ही ना हो. शर्मा जी जल्दी से दूसरी ओर घूम गये और अंडर जाते हुए बोले,
“ चलो बच्चो खाना खा लो. कंचन बेटी नीलम को भी ले आओ.”
“जी पापू.” दोनो लड़कियाँ भी अंडर चली गयी. लेकिन शर्मा जी का ध्यान खाने में कहाँ. उनके मुँह में तो बिटिया की चूत का स्वाद था. खाना खा के वो उस स्वाद को खराब नहीं करना चाहते थे. जैसे ही शर्मा जी ऑफीस गये, दोनो सहेलियाँ वीडियो देखने लगी जिसमे शर्मा जी के लंड का उभार सॉफ नज़र आ रहा था. कंचन ये सोच कर बहुत खुश थी कि उसके पापा का लंड उसकी वजह से खड़ा हो गया था.