hotaks444
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सेक्स की पुजारन पार्ट- 11
गतान्क से आगे.............
‘उंगली डाल अंदर’ उसने मुझे कहा. मैने गांद मसल्ते मसल्ते अपनी एक उंगली उसके गांद के छेद में डाल दी और अंदर बाहर करने लगी.
‘और एक उंगली डाल और ज़ोर से हिला’ मैने अब दो उंगली से मेडम की गांद को ज़ोर से चोदना शुरू कर दिया.
उसकी चूत से जो पानी छूट रहा था वो मेरे मूह में जा रहा था और मुझे उसे निगलने के सिवाई कोई चारा नही था. मेडम की चूत से ढेर सारा पानी बह रहा था.
मेडम को इतना मज़ा कभी नही मिला था. वो नीचे मुझे देख रही थी और खुशी से मुस्कुरा रही थी. उसे यकीन नही हो रहा था कि मुझ जैसी खूबसूरत और जवान लड़की उसकी चूत चाट रही थी. अब वो झरने के बहुर करीब थी. उसने अपनी चूत और नीचे कर दी और अपनी गांद हिला के मेरे मूह पे घीसने लगी. मैने अपने होंठ उसकी चूत पे लगाके रखे थे और चूस रही थी इसी मेरे मूह मे उसकी गीली चूत का पानी जा रहा था. मेरी जीब उसकी चूत में थी और उसके हिलने से उसकी चूत के अंदर बाहर हो रही थी.
अब उसका झरना शुरू हो गया था ‘आआआहह.. और ज़ोर से चाट साली रांड़ आआआआआहह….’ मैं अपनी जीब से और ज़ोर से चाटने लगी और अपनी उंगलियाँ भी उसकी गांद में ज़ोर से अंदर बाहर कर रही थी. मेडम तीन या चार मिनिट तक ऐसे ही ज़ोर से झरती रही. उसकी चूत से बहुत पानी निकला जो मुझे सब पी जाना पड़ा. आख़िर मेडम का झरना बंद हो गया.
मेडम खड़ी हो गयी ‘वाह डिज़िल्वा, मान गये क्या माल हैं’
‘जी थॅंक्स मेडम, अगर इजाज़त हो तो मैं भी थोड़ा ….’ डिज़िल्वा अपने खड़े लंड की तरफ इशारा करके बोला.
‘मुझसे पूछने की ज़रूरत नही डिज़िल्वा, तुम्हारा ही तो माल हैं’
में वहाँ ज़मीन पे लेटी हुई रो रही थी. डिज़िल्वा काफ़ी देर से अपना झरना रोके हुए था और अब वो अपने घुटनो को मेरे सर के दोनो बाजू मे रख के बैठ गया और अपना लंड ज़ोर के हिलाने लगा.
‘हाई मेरी जान, यह ले..’
मैं समझ गयी की डिज़िल्वा मेरे चेहरे पे वीर्य निकालने वाला था. मैने अपना मूह साइड में मोड़ दिया. डिज़िल्वा ने अपने एक हाथ से ज़बरदस्ती मेरा चेहरा सीधा कर दिया.
‘यह ले साली रांड़ आआहह…… आआआआहह…’ कह के डिज़िल्वा का झरना शुरू हो गया.
डिज़िल्वा एक हाथ से मेरे गले को पकड़ मेरे मूह को हिलने से रोके हुआ था और दूसरे हाथ से अपना मोटा लंड ज़ोर से हिला रहा था.
मेरे मूह के इतने नज़दीक उसका मोटा लंड और भी बड़ा लग रहा था. डिज़िल्वा ने झरना शुरू किया
‘यह ले साली रांड़ आआहह…… आआआआहह…’ कह के डिज़िल्वा का झरना शुरू हो गया.
मुझे उसके मोटे लंड का छेद दिख रहा था जिसमे से अब लगातार वीर्य निकलने लगा था.
डिज़िल्वा ‘आआआआहह…. आआआआआअहह’ करके चिल्ला रहा था और ढेर सारा वीर्य मेरे चेहरे पे निकाल रहा था. धीरे धीरे मेरे होंठ, नाक, माथे और गालो पे वीर्य फैल रहा था. वीर्य बह के मेरे गालों से मेरे कान पे और बालों मे चला गया था. डिज़िल्वा तीन चार मिनिट तक ऐसे ही झरता रहा और वीर्य निकालता रहा. उसका गाढ़ा वीर्य मेरे सारे चेहरे पे छा गया था.
आख़िर उसका झरना बंद हुआ. उसने फिर भी मेरा चेहरा पकड़ के रखा. उसने मुझे ऐसे ही खड़ा कर दिया और मेडम को कहा ‘मेडम ज़रा देखो इस रांड़ को’
‘वाह अब तो तू असली रांड़ लग रही हैं’ उसने अपना चेहरा मेरे चेहरे के नज़दीक लाकर मेरे मूह पे थूक दिया. दोनो को मुझे ऐसे ज़लील करके मज़ा आ रहा था. मैने अपना चेहरा नीचे कर दिया. पर मेडम ने मेरे बाल पकड़ मे मेरा चेहरा ज़बरदस्ती उपर कर दिया और ‘साली गटर की रांड़’ कह के फिर से दो बार मेरे चेहरे पर थूक दिया. ऐसा करने के बाद मेडम वाहा से चली गयी. में सारे वक़्त रोती रही. में ज़िंदगी में कभी इतनी ज़लील नही हुई थी.
डिज़िल्वा ने आख़िर मुझे छोड़ दिया. मैने धीरे धीरे अपने आप को साफ किया और कपड़े पहेन लिए. डिज़िल्वा ने फिर मुझे घर छोड़ दिया.
मैने फ़ैसला कर दिया कि में डिज़िल्वा से कभी नहीं मिलूँगी. मैने कुछ दिनो के लिए स्कूल जाना बंद कर दिया क्यूँ की मैं जानती थी के डिज़िल्वा स्कूल के बाहर मेरे लिए ज़रूर इंतेज़ार करेगा. मैं घर पे ही रही पर सेक्स के बिना मेरा दिल बैचाईन हो रहा था. मैं रोज़ तीन चार बार अपनी चूत से खेलती और झरती. पर अब मुझे अपनी उंगलियाँ से कुछ ज़्यादा मज़ा नहीं मिलता था. आख़िर मैने फ़ैसला कर लिया कि मैं स्कूल जाऊंगी और सिर्फ़ डिज़िल्वा से सेक्स करूँगी. अगर वो किसी और से सेक्स की बात करेगा, तो में इनकार कर दूँगी.
अगले दिन मैं स्कूल चली गयी. जैसे मैने सोचा था वैसे ही डिज़िल्वा स्कूल के बाहर खड़ा था. मैं चाहती थी कि वो मुझे कही ले जा के सेक्स करे, पर वो थोड़ा उदास लग रहा था. मैने उसको देख के कहा ‘क्या हुआ बहुत उदास लग रहे हो’
‘मुझे अभी अभी पता चला कि मेरे चाचाजी बहुत बीमार हैं, मुझे उनको मिलने जाना होगा, तुम चलॉगी प्लीज़’
मुझे बिचारे पे तरस आ गया और मैने सोचा शायद बादमें वो मेरे साथ सेक्स करेगा.
‘ठीक हैं’ मैने कहा और हम उसकी गाड़ी में चल पड़े. कुछ देर बाद हम एक बड़े से घर पे पहुच गये. हम घर के अंदर चले गये.
घर में हम अंदर के एक कमरे में चले गये. अंदर जाते ही डिज़िल्वा ने दरवाज़ा बंद कर दिया. कमरे में कोने मे एक कुत्ता बँधा हुआ था. इतना बड़ा कुत्ता मैने ज़िंदगी मे देखा नही था, पूरा काला था, उसका मूह खुला था और जीब बाहर लटक रही थी, उसके मूह से लार टपक रही थी. मुझे छोटे कुत्ते से भी डर लगता था, इस कुत्ते को देख तो में काँपने लगी.कुत्ता भौंक नही रहा था पर उसके मूह से गुर्राने की आवाज़ आ रही थी, जिसस से मेरा डर और बढ़ गया. कमरे में एक बड़ा बिस्तर था और उसपे एक बहुत ही बूढ़ा आदमी लगभग 80 साल का नंगा अपने पेट तले लेटा था. उसका चेहरा दूसरी तरफ था. उसके दोनो बाजू नर्स थी.दोनो जवान और काफ़ी सुंदर थी. एक नर्स आदमी के पीठ पे तेल से मालिश कर रही थी और दूसरी उसकी गांद पे मालिश कर रही थी. हमे कमरे आते देख नर्स ने आदमी की गांद को चादर से धक दिया.
‘नमस्ते सर जी’ डिज़िल्वा ने कहा. मैने सोचा कि यह तो डिज़िल्वा के चाचा नही. क्या उसने मुझे फिर से उल्लू बनाया ?
‘डिज़िल्वा, तू यहाँ क्यूँ आया हैं, मैने कहा था तुझे तेरे जैसे फालतू भदवे के माल से मेरा पेट नहीं भरेगा’ बूढ़े आदमी की आवाज़ भी ठीक से निकल नही रही थी. बहुत बूढ़ा था.
‘सर जी आप ज़रा मूड के देखिए तो यहाँ’. आदमी ने हमारी तरफ सर मोड़ लिया. उसने मुझे देखा और उसके मूह पे हँसी आ गयी. उसके मूह में एक दाँत नही था.
‘वाह देसील्वा ये तो बिल्कुल कटरीना कैफ़ जैसी दिखती हैं. नर्स ज़रा मुझे ठीक से बिठा दो’ दोनो नर्स ने मिलकर सर जी को पीठ के बल बिठा दिया. सर जी मुझे उपर से नीचे घूर रहा था. मुझे उसका नंगा शरीर दिख रहा था. उसका लंड बहुत बड़ा था पर पूरा बैठा हुआ था.
‘वाह देसील्वा मान गये, इधर आओ’ डिज़िल्वा सरजी के पास गया. सरजी ने उससे कुछ कहा जो मुझे सुनाई नही दिया. सर जी के कहने से डिज़िल्वा और दोनो नर्स के चेहरे पे आश्चर्या आ गया. मैं सोच रही थी कि ऐसा क्या कहा उसने.
‘सर जी ये क्या कह रहे हैं आप’ डिज़िल्वा ने कहा.
‘फिकर मत कर टॉमी को मैने ठीक से ट्रेन करके रखा हैं, वो काटे गा नहीं’
‘वो सब ठीक हैं पर माने गी नही’
‘हमे उससे क्या फरक पड़ता हैं’ सरजी ने हस्ते हस्ते कहा. अब सरजी, डिज़िल्वा और दोनो नर्स मुझे देख रहे थे, चारों मुझे ऐसे देख रहे थे जैसे वो मुझे खा जाने वाले हो. मुझे कुछ समझ में नही आ रहा था कि क्या बात हो रही हैं. डिज़िल्वा मेरे पास आ गया. उसने मुझे जाकड़ लिया और कहा
‘आज तो तेरी खैर नहीं’. ऐसा कह के डिज़िल्वा मेरी स्कर्ट निकालने लगा. में उसके चंगुल से निकलने की कोशिश कर रही थी.
‘मैं इस बूढ़े से सेक्स नही करूँगी’ मैने कहा.
‘उससे नही साली, सरजी का तो लंड खड़ा भी नही होता, तेरी तो चुदाई होगी उसके कुत्ते टॉमी से’ डिज़िल्वा की आखों में जंगलीपन था जिससे मुझे पता चला कि वो मज़ाक नही कर रहा था. मेरा दिल गुस्सा और डर से भर गया और मैं चिल्लाने लगी और पूरे ज़ोर से डिज़िल्वा के चंगुल से निकलने की कोशिश करने लगी. मेरी नज़र कुत्ते पे पड़ी. उसका लंड खड़ा था, तकरीबन 8 इंच लंबा, बहुत मोटा और पूरा गुलाबी था. डिज़िल्वा ने ज़बरदस्ती मेरे सारे कपड़े उतार दिए. अब में पूरी नंगी थी. डिज़िल्वा ने कही से रस्सी निकाल मेरे हाथ मेरे पीठ पीछे बाँध दिए.
‘बहुत खूब अब आएगा मज़ा’ ऐसा कह के सरजी ने दोनो नर्स के सर को अपने लंड की तरफ खीच लिया.
‘मेरा लंड चूस्सो’ दोनो नर्स सरजी के बैठे हुए लंड को एक साथ चाटने लगी.
मेरे हाथ बाँध, डिज़िल्वा ने मुझे छोड़ दिया और जा के कुत्ते की रस्सी खोल दी. मैं डर से काँप रही थी, मेरा चिल्लाना बंद हो गया. मैं घूम गयी और भागना चाहती थी पर डर के मारे मेरे पैर हिल नही रही थी. कुत्ते ने गुर्राते हुए मेरी तरफ लपक के मुझ पे छलाँग लगा दी. में ज़मीन पे गिर पड़ी. कुत्ता मेरे उपर था और अपना लंड मेरी गांद पे मार मार कर मुझे चोदने की कोशिश कर रहा था. उसके वजन से में दब गयी थी.
‘डिज़िल्वा, ज़रा टॉमी पे रहम करो बैचारे की मदद कर दो’. डिज़िल्वा ने पास से एक कुर्सी लाकर उसे उल्टा ज़मीन पे रख दिया. उसने फिर मुझे उठा कर कुर्सी पे ऐसा बैठा दिया कि मैं कुतिया की तरह हो गयी. डिज़िल्वा ने मुझे कुर्सी के साथ कस्के बाँध दिया. अब में बिकलूल लाचार हो गयी थी. टॉमी फिर से पीछे से मेरे उपर चढ़ गया और लगातार अपने लंड को धक्के मार के मेरी चूत में घुसाने की कोशिश करने लगा.
‘अब तू बनेगी टॉमी की कुतिया’ कहते हुए डिज़िल्वा ने मेरी चूत को टॉमी के लंड के रास्ते में रख दिया.
टॉमी का लंड मेरी चूत को चीरते हुए एक झटके में पूरा अंदर घुस गया. मेरी चूत को अपने लंड के उपर महसूस करके टॉमी के मूह से ज़ोर से गुर्राने की आवाज़ निकली. में ज़ोर से चिल्ला पड़ी ‘आाआऐययईईईईईईई…’ इतना बड़ा लंड मेरे अंदर एक झटके में जाने से मुझे बहुत दर्द हुआ.
‘बहुत खूब टॉमी, फाड़ दे साली की चूत’ सर जी इस नज़ारे का मज़ा ले रहे थे
लंड पूरा घुसेड कर टॉमी ने अब मुझे मशीन की तरह चोदना शुरू कर दिया. वो सटा सॅट अपना लंड मेरे चूत में अंदर बाहर करने लगा. मैं दर्द से चिल्ला रही थी.
दोनो नर्स सरजी का बैठा हुआ लंड चाटते चाटते मेरी चुदाई का नज़ारा लेते हुए अपनी उंगलियाँ से अपनी चूत को सहला रही थी. ऐसा नज़ारा देख दोनो को सेक्स चढ़ गया था.
पाँच छे मिनिट तक टॉमी की चुदाई ले कर मेरा दर्द धीरे धीरे कम होने लगा था. उसके लंड का एहसास किसी भी मर्द के लंड के एहसास से बिल्कुल अलग था, उसका लंड पूरा गीला था और एकदम गरम भी. मुझे अब चुदाई में मज़ा आने लगा था. टॉमी लगातार अपने तगड़े लंड को मेरे चूत में अंदर बाहर कर रहा था.
‘साली रांड़ ने चिल्लाना बंद कर दिया, लगता हैं उसे मज़ा आ रहा हैं’ सरजी ने कहा. अब उनका पूरा लंड नर्स ने अपने मूह में ले लिया था और चूस रही थी. दूसरी नर्स सरजी के बॉल चाट और चूस रही थी. दोनो नर्स का ध्यान सरजी के लंड पे नही मेरी चुदाई में था. मेरी चुदाई देख कर दोनो अपनी उंगलियाँ से अपनी चूत को सहलाकर मज़ा ले रही थी.
दस मिनिट तक लगातार टॉमी की चुदाई ले कर अब में झरने के करीब आ गयी थी. मुझे यकीन नही हो रहा था कि में कुत्ते के लंड से चुद कर झरने वाली थी. मेरा झारना शुरू हो गया. मैने अपना मूह बंद रखने की कोशिश की ताकि किसी को पता ना चले कि मैं कुत्ते से चुदवा कर झार रही हूँ. पर मेरे मूह से सिसकियारी निकल ही पड़ी ‘आआअहह… आआआहह… आआआआहह..’ मैं ज़ोर से झार रही थी. चार पाँच मिनिट तक मैं झरती रही. आख़िर मेरा झरना बंद हो गया लेकिन टॉमी की चुदाई में कोई फरक नही आया था वो अभी भी लगातार एक ही रफ़्तार से मेरी चूत में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था. इतनी ज़ोर के झार के मैं थक गयी थी और मेरा सारा बदन पसीने से गीला हो गया था. टॉमी रुकने का नाम ही नही ले रहा था. मेरे मूह से थकावट से ‘आआअहह.. आआआआअहह’ की आवाज़े निकल रही थी. दो मिनिट में ही मुझे अपने बदन मे फिर से गर्मी बढ़ती महसूस हुई. मैं फिर से झरने वाली थी. अब बिल्कुल बेशरम हो के मैं अपनी गांद को पीछे धकेल धकेल के टॉमी के लंड से चुदवा रही थी. में बेशरम हो कर आवाज़े निकाल रही थी और चुदाई का मज़ा ले रही थी. मेरे दिमाग़ ने अब काम करना बिल्कुल बंद कर दिया था. मैं सच में ही कुतिया बन गयी थी.
डिज़िल्वा ने मेरे बॉल पकड़ के खीच लिए ताकि सरजी मेरा चेहरा देख सके.
‘सरजी जी, ज़रा इसका चेहरा तो देखिए’
मेरी आँखें आधी खुली थी और मेरे होंठ भी आधे खुले थे. मेरे मूह से ‘आआहह… आआआआअहह….. आआअहह’ की आवाज़े निकल रही थी. टॉमी सट्टा सॅट तेज़ी से मेरी चूत में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था. मैं भी कुतिया की तरह अपनी गांद पीछे धकेल के उसके हरेक धक्के का जवाब दे रही थी.
यह नज़ारा देख सरजी पागल हो गये. मुझ जैसी खूबसूरत और जवान लड़की बिल्कुल सेक्स से बहाल और मेरे उपर उनका जंगली कुत्ता. सरजी का लंड अब भी बैठा था पर वो अब झरने वाले थे.
‘उसका सर पकड़ के रख डिज़िल्वा लगता हैं में झरने वाला हूँ’ ये बात सुन नर्स सरजी का लंड पूरे ज़ोर से चूसने लगी. में भी फिर से झरने लगी ‘आआहह… आआआआहह…’.
अपने मालिक की तराह टॉमी का भी अब झरना शुरू हो गया, उसके लंड से वीर्य निकलना शुरू हो गया. चूत के अंदर वीर्य के एहसास से मैं और ज़ोर से झरने लगी. टॉमी झरते वक़्त बहुत तेज़ी से अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था. सरजी के लंड से भी वीर्य छूटने लगा. नर्स लंड चूस्ते चूस्ते सरजी का वीर्य पीने की कोशिश कर रही थी पर वो सारा पी नही पा रही थी और काफ़ी वीर्य बह के सरजी के बॉल्स पे जा रहा था. दूसरी नर्स ये बाकी का वीर्य सरजी के बॉल से चाट चाट के सॉफ कर रही थी.
कुछ देर तक हम यूँ ही झरते रहे. टॉमी फिर झट से अपना लंड बाहर निकाल के कोने में जा के बैठ गया.
‘वाह डिज़िल्वा 5 साल के बाद झारा हूँ मैं, मान गये’ ये कह के सरजी बिस्तर पे तक के गिर पड़ा
‘मैं थक गया हूँ, हिसाब बाद में करलेंगे, अब जाओ यहाँ से’
‘ठीक हैं सरजी’ डिज़िल्वा बोल के मेरे पास आ गया. मेरी रस्सी खोल के उसने मुझे खड़े होने में मदद की. मैं थक के चूर हो गयी थी और खड़ा रहना भी मुश्किल हो रहा था. कैसे भी करके डिज़िल्वा की मदद से कपड़े पहेन के हम बाहर आ गये. मैं डिज़िल्वा की गाड़ी में पीछे की सीट पे जा के लेट गयी. डिज़िल्वा गाड़ी चलाने लगा.
कुछ देर बाद गाड़ी रुक गयी. मैने सोचा कि घर आ गया. मैं आँखें खोलके बैठ गयी तो देखा कि डिज़िल्वा ने गाड़ी किसी जंगल जैसी जगाह मे लाके पार्क करदी थी. मेरे कुछ पूछने से पहले ही डिज़िल्वा गाड़ी से उतार कर पीछे का दरवाज़ा खोल दिया.
मैने देखा कि उसने अपनी पॅंट उतार दी थी. उसका मोटा लंड पूरा खड़ा था.
‘आज तेरी चुदाई देख के में पागल हो गया हूँ, तुझे चोदे बिना में जाने कैसे दूँ ?’
‘प्लीज़ मैं बहुत थक गयी हूँ’
‘तुझे वैसे भी कुछ करना नही हैं मेरी जान. बस नीचे लेटी रह और मुझे तेरी गांद मारने दे’
गांद मारने की बात सुनकर मैं डर गयी.
‘ये क्या कह रहे हो तुम’
डिज़िल्वा दरवाज़े से गाड़ी के अंदर आने लगा. मुझे अभी भी याद था कि 8 इंच के लंड से गांद चुदवा कर कितना बुरा हाल होता हैं. डिज़िल्वा के 10 इंच का लंड तो मुझे मार ही डाले गा. मैं बहुत ही डर गयी और चिल्लाने लगी
‘चिल्लाके कुछ नही होगा मेर जान, इस जंगल में कोई सुनने वालाः नहीं, अब तो इस गोरी गांद की खैर नही’ उसने मेरा हाथ पकड़ के घुमा दिया और मुझे अपने पेट तले सीट पे लेटा कर मेरी जाँघो पे बैठ गया. उसने मेरी स्कर्ट निकाल दी और अपने दोनो हाथों से मेरी गांद मसल्ने लगा.
‘तेरी चिकनी गांद को आज अछी तरह से चोदुन्गा, कितने दिनो से तेरी छोटी सी गांद में अपना लंड डालने का जी कर रहा था, आज इस मौके को नहीं जाने दूँगा’
‘प्लीज़ मुझे जाने दो’
पर डिज़िल्वा को सिर्फ़ मेरी गांद दिख रही थी वो कुछ सुन नही रहा था. उसने कही से एक क्रीम की बॉटल निकाल ली और दोनो हाथों में क्रीम डाल के अपने लंड पे लगा लिया. फिर वो थोड़ी और क्रीम हाथों में ले कर मेरी गांद पे मसल्ने लगा. एक मिनिट में मेरी गांद क्रीम से चमकने लगी.
‘हाई क्या गांद हैं तेरी’
‘प्लीज़ मुझे जाने दो’ मैं अब डर के मारे रो रही थी पर डिज़िल्वा का ध्यान सिर्फ़ मेरी गांद पे था. वो मेरी चमकती गांद को दोनो हाथों से ज़ोर से दबा रहा था और अपना लंड मेरी गांद के बीच में रगड़ रहा था. उसके मूह से ‘आआअहह…. आआआआअहह…’ की आवाज़ आ रही थी.
कुछ देर ऐसे गांद मसल्ने के बाद उसने थोड़ी क्रीम अपनी दो उंगलियों में लेकर अचानक मेरी गांद में घुसेड दी.
अचानक उसकी मोटी उंगलियाँ गांद में जाने से में चीख पड़ी ‘आऐईयईई…’ ठंडा ठंडा क्रीम मेरी गांद में मुझे महसूस हो रहा था. डिज़िल्वा ने दो मिनिट तक ऐसे ही अपनी उंगलिया मेरी गांद में अंदर बाहर की. फिर उसने अपनी उंगलियाँ निकाल दी.
‘बहुत क्रीम हो गया. अब मेरे लंड की बारी’ ये कह के उसने अपना मोटा लॉडा मेरी गांद के छेद पे रख दिया…..
कुछ देर तक वो अपना लंड मेरी गांद पर रगड़ता रहा जब उसने देखा की मैं थोड़ा नॉर्मल हो गई हूँ डिसिल्वा ने एक करारा झटका लगाया उसका ४ इंच लंड मेरी गान्ड को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया मेरे मुँह से चीख निकल गई मररर्र्ररर गैईईइ हाइईईईईईईईईई मेरिइईईईईई फाद्द्दद्ड दीईईईई बचाऊऊऊओ डिसिल्वा ने फिर दूसरा झटका मारा अब ६ इंच लॅंड मेरी गांद के अंदर था दोस्तो ये तो सेक्स की पुजारन बन चुकी है अब इसकी गान्ड या चूत मे ८ इंच का लंड हो या १० इंच का क्या फरक पड़ता है डिसिल्वा बार बार धोका देता है एक ये है साली फिर भी उसके साथ चल देती है अब ये तो होना ही था
चूतिया चूत को बदनाम करते है
चूत वो चीज़ है जहाँ लंड आराम करते हैं
इसको इसके हाल पर छोड़ देते है फिर मिलेंगे तब तक के लिए विदा आपका दोस्त राज शर्मा
गतान्क से आगे.............
‘उंगली डाल अंदर’ उसने मुझे कहा. मैने गांद मसल्ते मसल्ते अपनी एक उंगली उसके गांद के छेद में डाल दी और अंदर बाहर करने लगी.
‘और एक उंगली डाल और ज़ोर से हिला’ मैने अब दो उंगली से मेडम की गांद को ज़ोर से चोदना शुरू कर दिया.
उसकी चूत से जो पानी छूट रहा था वो मेरे मूह में जा रहा था और मुझे उसे निगलने के सिवाई कोई चारा नही था. मेडम की चूत से ढेर सारा पानी बह रहा था.
मेडम को इतना मज़ा कभी नही मिला था. वो नीचे मुझे देख रही थी और खुशी से मुस्कुरा रही थी. उसे यकीन नही हो रहा था कि मुझ जैसी खूबसूरत और जवान लड़की उसकी चूत चाट रही थी. अब वो झरने के बहुर करीब थी. उसने अपनी चूत और नीचे कर दी और अपनी गांद हिला के मेरे मूह पे घीसने लगी. मैने अपने होंठ उसकी चूत पे लगाके रखे थे और चूस रही थी इसी मेरे मूह मे उसकी गीली चूत का पानी जा रहा था. मेरी जीब उसकी चूत में थी और उसके हिलने से उसकी चूत के अंदर बाहर हो रही थी.
अब उसका झरना शुरू हो गया था ‘आआआहह.. और ज़ोर से चाट साली रांड़ आआआआआहह….’ मैं अपनी जीब से और ज़ोर से चाटने लगी और अपनी उंगलियाँ भी उसकी गांद में ज़ोर से अंदर बाहर कर रही थी. मेडम तीन या चार मिनिट तक ऐसे ही ज़ोर से झरती रही. उसकी चूत से बहुत पानी निकला जो मुझे सब पी जाना पड़ा. आख़िर मेडम का झरना बंद हो गया.
मेडम खड़ी हो गयी ‘वाह डिज़िल्वा, मान गये क्या माल हैं’
‘जी थॅंक्स मेडम, अगर इजाज़त हो तो मैं भी थोड़ा ….’ डिज़िल्वा अपने खड़े लंड की तरफ इशारा करके बोला.
‘मुझसे पूछने की ज़रूरत नही डिज़िल्वा, तुम्हारा ही तो माल हैं’
में वहाँ ज़मीन पे लेटी हुई रो रही थी. डिज़िल्वा काफ़ी देर से अपना झरना रोके हुए था और अब वो अपने घुटनो को मेरे सर के दोनो बाजू मे रख के बैठ गया और अपना लंड ज़ोर के हिलाने लगा.
‘हाई मेरी जान, यह ले..’
मैं समझ गयी की डिज़िल्वा मेरे चेहरे पे वीर्य निकालने वाला था. मैने अपना मूह साइड में मोड़ दिया. डिज़िल्वा ने अपने एक हाथ से ज़बरदस्ती मेरा चेहरा सीधा कर दिया.
‘यह ले साली रांड़ आआहह…… आआआआहह…’ कह के डिज़िल्वा का झरना शुरू हो गया.
डिज़िल्वा एक हाथ से मेरे गले को पकड़ मेरे मूह को हिलने से रोके हुआ था और दूसरे हाथ से अपना मोटा लंड ज़ोर से हिला रहा था.
मेरे मूह के इतने नज़दीक उसका मोटा लंड और भी बड़ा लग रहा था. डिज़िल्वा ने झरना शुरू किया
‘यह ले साली रांड़ आआहह…… आआआआहह…’ कह के डिज़िल्वा का झरना शुरू हो गया.
मुझे उसके मोटे लंड का छेद दिख रहा था जिसमे से अब लगातार वीर्य निकलने लगा था.
डिज़िल्वा ‘आआआआहह…. आआआआआअहह’ करके चिल्ला रहा था और ढेर सारा वीर्य मेरे चेहरे पे निकाल रहा था. धीरे धीरे मेरे होंठ, नाक, माथे और गालो पे वीर्य फैल रहा था. वीर्य बह के मेरे गालों से मेरे कान पे और बालों मे चला गया था. डिज़िल्वा तीन चार मिनिट तक ऐसे ही झरता रहा और वीर्य निकालता रहा. उसका गाढ़ा वीर्य मेरे सारे चेहरे पे छा गया था.
आख़िर उसका झरना बंद हुआ. उसने फिर भी मेरा चेहरा पकड़ के रखा. उसने मुझे ऐसे ही खड़ा कर दिया और मेडम को कहा ‘मेडम ज़रा देखो इस रांड़ को’
‘वाह अब तो तू असली रांड़ लग रही हैं’ उसने अपना चेहरा मेरे चेहरे के नज़दीक लाकर मेरे मूह पे थूक दिया. दोनो को मुझे ऐसे ज़लील करके मज़ा आ रहा था. मैने अपना चेहरा नीचे कर दिया. पर मेडम ने मेरे बाल पकड़ मे मेरा चेहरा ज़बरदस्ती उपर कर दिया और ‘साली गटर की रांड़’ कह के फिर से दो बार मेरे चेहरे पर थूक दिया. ऐसा करने के बाद मेडम वाहा से चली गयी. में सारे वक़्त रोती रही. में ज़िंदगी में कभी इतनी ज़लील नही हुई थी.
डिज़िल्वा ने आख़िर मुझे छोड़ दिया. मैने धीरे धीरे अपने आप को साफ किया और कपड़े पहेन लिए. डिज़िल्वा ने फिर मुझे घर छोड़ दिया.
मैने फ़ैसला कर दिया कि में डिज़िल्वा से कभी नहीं मिलूँगी. मैने कुछ दिनो के लिए स्कूल जाना बंद कर दिया क्यूँ की मैं जानती थी के डिज़िल्वा स्कूल के बाहर मेरे लिए ज़रूर इंतेज़ार करेगा. मैं घर पे ही रही पर सेक्स के बिना मेरा दिल बैचाईन हो रहा था. मैं रोज़ तीन चार बार अपनी चूत से खेलती और झरती. पर अब मुझे अपनी उंगलियाँ से कुछ ज़्यादा मज़ा नहीं मिलता था. आख़िर मैने फ़ैसला कर लिया कि मैं स्कूल जाऊंगी और सिर्फ़ डिज़िल्वा से सेक्स करूँगी. अगर वो किसी और से सेक्स की बात करेगा, तो में इनकार कर दूँगी.
अगले दिन मैं स्कूल चली गयी. जैसे मैने सोचा था वैसे ही डिज़िल्वा स्कूल के बाहर खड़ा था. मैं चाहती थी कि वो मुझे कही ले जा के सेक्स करे, पर वो थोड़ा उदास लग रहा था. मैने उसको देख के कहा ‘क्या हुआ बहुत उदास लग रहे हो’
‘मुझे अभी अभी पता चला कि मेरे चाचाजी बहुत बीमार हैं, मुझे उनको मिलने जाना होगा, तुम चलॉगी प्लीज़’
मुझे बिचारे पे तरस आ गया और मैने सोचा शायद बादमें वो मेरे साथ सेक्स करेगा.
‘ठीक हैं’ मैने कहा और हम उसकी गाड़ी में चल पड़े. कुछ देर बाद हम एक बड़े से घर पे पहुच गये. हम घर के अंदर चले गये.
घर में हम अंदर के एक कमरे में चले गये. अंदर जाते ही डिज़िल्वा ने दरवाज़ा बंद कर दिया. कमरे में कोने मे एक कुत्ता बँधा हुआ था. इतना बड़ा कुत्ता मैने ज़िंदगी मे देखा नही था, पूरा काला था, उसका मूह खुला था और जीब बाहर लटक रही थी, उसके मूह से लार टपक रही थी. मुझे छोटे कुत्ते से भी डर लगता था, इस कुत्ते को देख तो में काँपने लगी.कुत्ता भौंक नही रहा था पर उसके मूह से गुर्राने की आवाज़ आ रही थी, जिसस से मेरा डर और बढ़ गया. कमरे में एक बड़ा बिस्तर था और उसपे एक बहुत ही बूढ़ा आदमी लगभग 80 साल का नंगा अपने पेट तले लेटा था. उसका चेहरा दूसरी तरफ था. उसके दोनो बाजू नर्स थी.दोनो जवान और काफ़ी सुंदर थी. एक नर्स आदमी के पीठ पे तेल से मालिश कर रही थी और दूसरी उसकी गांद पे मालिश कर रही थी. हमे कमरे आते देख नर्स ने आदमी की गांद को चादर से धक दिया.
‘नमस्ते सर जी’ डिज़िल्वा ने कहा. मैने सोचा कि यह तो डिज़िल्वा के चाचा नही. क्या उसने मुझे फिर से उल्लू बनाया ?
‘डिज़िल्वा, तू यहाँ क्यूँ आया हैं, मैने कहा था तुझे तेरे जैसे फालतू भदवे के माल से मेरा पेट नहीं भरेगा’ बूढ़े आदमी की आवाज़ भी ठीक से निकल नही रही थी. बहुत बूढ़ा था.
‘सर जी आप ज़रा मूड के देखिए तो यहाँ’. आदमी ने हमारी तरफ सर मोड़ लिया. उसने मुझे देखा और उसके मूह पे हँसी आ गयी. उसके मूह में एक दाँत नही था.
‘वाह देसील्वा ये तो बिल्कुल कटरीना कैफ़ जैसी दिखती हैं. नर्स ज़रा मुझे ठीक से बिठा दो’ दोनो नर्स ने मिलकर सर जी को पीठ के बल बिठा दिया. सर जी मुझे उपर से नीचे घूर रहा था. मुझे उसका नंगा शरीर दिख रहा था. उसका लंड बहुत बड़ा था पर पूरा बैठा हुआ था.
‘वाह देसील्वा मान गये, इधर आओ’ डिज़िल्वा सरजी के पास गया. सरजी ने उससे कुछ कहा जो मुझे सुनाई नही दिया. सर जी के कहने से डिज़िल्वा और दोनो नर्स के चेहरे पे आश्चर्या आ गया. मैं सोच रही थी कि ऐसा क्या कहा उसने.
‘सर जी ये क्या कह रहे हैं आप’ डिज़िल्वा ने कहा.
‘फिकर मत कर टॉमी को मैने ठीक से ट्रेन करके रखा हैं, वो काटे गा नहीं’
‘वो सब ठीक हैं पर माने गी नही’
‘हमे उससे क्या फरक पड़ता हैं’ सरजी ने हस्ते हस्ते कहा. अब सरजी, डिज़िल्वा और दोनो नर्स मुझे देख रहे थे, चारों मुझे ऐसे देख रहे थे जैसे वो मुझे खा जाने वाले हो. मुझे कुछ समझ में नही आ रहा था कि क्या बात हो रही हैं. डिज़िल्वा मेरे पास आ गया. उसने मुझे जाकड़ लिया और कहा
‘आज तो तेरी खैर नहीं’. ऐसा कह के डिज़िल्वा मेरी स्कर्ट निकालने लगा. में उसके चंगुल से निकलने की कोशिश कर रही थी.
‘मैं इस बूढ़े से सेक्स नही करूँगी’ मैने कहा.
‘उससे नही साली, सरजी का तो लंड खड़ा भी नही होता, तेरी तो चुदाई होगी उसके कुत्ते टॉमी से’ डिज़िल्वा की आखों में जंगलीपन था जिससे मुझे पता चला कि वो मज़ाक नही कर रहा था. मेरा दिल गुस्सा और डर से भर गया और मैं चिल्लाने लगी और पूरे ज़ोर से डिज़िल्वा के चंगुल से निकलने की कोशिश करने लगी. मेरी नज़र कुत्ते पे पड़ी. उसका लंड खड़ा था, तकरीबन 8 इंच लंबा, बहुत मोटा और पूरा गुलाबी था. डिज़िल्वा ने ज़बरदस्ती मेरे सारे कपड़े उतार दिए. अब में पूरी नंगी थी. डिज़िल्वा ने कही से रस्सी निकाल मेरे हाथ मेरे पीठ पीछे बाँध दिए.
‘बहुत खूब अब आएगा मज़ा’ ऐसा कह के सरजी ने दोनो नर्स के सर को अपने लंड की तरफ खीच लिया.
‘मेरा लंड चूस्सो’ दोनो नर्स सरजी के बैठे हुए लंड को एक साथ चाटने लगी.
मेरे हाथ बाँध, डिज़िल्वा ने मुझे छोड़ दिया और जा के कुत्ते की रस्सी खोल दी. मैं डर से काँप रही थी, मेरा चिल्लाना बंद हो गया. मैं घूम गयी और भागना चाहती थी पर डर के मारे मेरे पैर हिल नही रही थी. कुत्ते ने गुर्राते हुए मेरी तरफ लपक के मुझ पे छलाँग लगा दी. में ज़मीन पे गिर पड़ी. कुत्ता मेरे उपर था और अपना लंड मेरी गांद पे मार मार कर मुझे चोदने की कोशिश कर रहा था. उसके वजन से में दब गयी थी.
‘डिज़िल्वा, ज़रा टॉमी पे रहम करो बैचारे की मदद कर दो’. डिज़िल्वा ने पास से एक कुर्सी लाकर उसे उल्टा ज़मीन पे रख दिया. उसने फिर मुझे उठा कर कुर्सी पे ऐसा बैठा दिया कि मैं कुतिया की तरह हो गयी. डिज़िल्वा ने मुझे कुर्सी के साथ कस्के बाँध दिया. अब में बिकलूल लाचार हो गयी थी. टॉमी फिर से पीछे से मेरे उपर चढ़ गया और लगातार अपने लंड को धक्के मार के मेरी चूत में घुसाने की कोशिश करने लगा.
‘अब तू बनेगी टॉमी की कुतिया’ कहते हुए डिज़िल्वा ने मेरी चूत को टॉमी के लंड के रास्ते में रख दिया.
टॉमी का लंड मेरी चूत को चीरते हुए एक झटके में पूरा अंदर घुस गया. मेरी चूत को अपने लंड के उपर महसूस करके टॉमी के मूह से ज़ोर से गुर्राने की आवाज़ निकली. में ज़ोर से चिल्ला पड़ी ‘आाआऐययईईईईईईई…’ इतना बड़ा लंड मेरे अंदर एक झटके में जाने से मुझे बहुत दर्द हुआ.
‘बहुत खूब टॉमी, फाड़ दे साली की चूत’ सर जी इस नज़ारे का मज़ा ले रहे थे
लंड पूरा घुसेड कर टॉमी ने अब मुझे मशीन की तरह चोदना शुरू कर दिया. वो सटा सॅट अपना लंड मेरे चूत में अंदर बाहर करने लगा. मैं दर्द से चिल्ला रही थी.
दोनो नर्स सरजी का बैठा हुआ लंड चाटते चाटते मेरी चुदाई का नज़ारा लेते हुए अपनी उंगलियाँ से अपनी चूत को सहला रही थी. ऐसा नज़ारा देख दोनो को सेक्स चढ़ गया था.
पाँच छे मिनिट तक टॉमी की चुदाई ले कर मेरा दर्द धीरे धीरे कम होने लगा था. उसके लंड का एहसास किसी भी मर्द के लंड के एहसास से बिल्कुल अलग था, उसका लंड पूरा गीला था और एकदम गरम भी. मुझे अब चुदाई में मज़ा आने लगा था. टॉमी लगातार अपने तगड़े लंड को मेरे चूत में अंदर बाहर कर रहा था.
‘साली रांड़ ने चिल्लाना बंद कर दिया, लगता हैं उसे मज़ा आ रहा हैं’ सरजी ने कहा. अब उनका पूरा लंड नर्स ने अपने मूह में ले लिया था और चूस रही थी. दूसरी नर्स सरजी के बॉल चाट और चूस रही थी. दोनो नर्स का ध्यान सरजी के लंड पे नही मेरी चुदाई में था. मेरी चुदाई देख कर दोनो अपनी उंगलियाँ से अपनी चूत को सहलाकर मज़ा ले रही थी.
दस मिनिट तक लगातार टॉमी की चुदाई ले कर अब में झरने के करीब आ गयी थी. मुझे यकीन नही हो रहा था कि में कुत्ते के लंड से चुद कर झरने वाली थी. मेरा झारना शुरू हो गया. मैने अपना मूह बंद रखने की कोशिश की ताकि किसी को पता ना चले कि मैं कुत्ते से चुदवा कर झार रही हूँ. पर मेरे मूह से सिसकियारी निकल ही पड़ी ‘आआअहह… आआआहह… आआआआहह..’ मैं ज़ोर से झार रही थी. चार पाँच मिनिट तक मैं झरती रही. आख़िर मेरा झरना बंद हो गया लेकिन टॉमी की चुदाई में कोई फरक नही आया था वो अभी भी लगातार एक ही रफ़्तार से मेरी चूत में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था. इतनी ज़ोर के झार के मैं थक गयी थी और मेरा सारा बदन पसीने से गीला हो गया था. टॉमी रुकने का नाम ही नही ले रहा था. मेरे मूह से थकावट से ‘आआअहह.. आआआआअहह’ की आवाज़े निकल रही थी. दो मिनिट में ही मुझे अपने बदन मे फिर से गर्मी बढ़ती महसूस हुई. मैं फिर से झरने वाली थी. अब बिल्कुल बेशरम हो के मैं अपनी गांद को पीछे धकेल धकेल के टॉमी के लंड से चुदवा रही थी. में बेशरम हो कर आवाज़े निकाल रही थी और चुदाई का मज़ा ले रही थी. मेरे दिमाग़ ने अब काम करना बिल्कुल बंद कर दिया था. मैं सच में ही कुतिया बन गयी थी.
डिज़िल्वा ने मेरे बॉल पकड़ के खीच लिए ताकि सरजी मेरा चेहरा देख सके.
‘सरजी जी, ज़रा इसका चेहरा तो देखिए’
मेरी आँखें आधी खुली थी और मेरे होंठ भी आधे खुले थे. मेरे मूह से ‘आआहह… आआआआअहह….. आआअहह’ की आवाज़े निकल रही थी. टॉमी सट्टा सॅट तेज़ी से मेरी चूत में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था. मैं भी कुतिया की तरह अपनी गांद पीछे धकेल के उसके हरेक धक्के का जवाब दे रही थी.
यह नज़ारा देख सरजी पागल हो गये. मुझ जैसी खूबसूरत और जवान लड़की बिल्कुल सेक्स से बहाल और मेरे उपर उनका जंगली कुत्ता. सरजी का लंड अब भी बैठा था पर वो अब झरने वाले थे.
‘उसका सर पकड़ के रख डिज़िल्वा लगता हैं में झरने वाला हूँ’ ये बात सुन नर्स सरजी का लंड पूरे ज़ोर से चूसने लगी. में भी फिर से झरने लगी ‘आआहह… आआआआहह…’.
अपने मालिक की तराह टॉमी का भी अब झरना शुरू हो गया, उसके लंड से वीर्य निकलना शुरू हो गया. चूत के अंदर वीर्य के एहसास से मैं और ज़ोर से झरने लगी. टॉमी झरते वक़्त बहुत तेज़ी से अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था. सरजी के लंड से भी वीर्य छूटने लगा. नर्स लंड चूस्ते चूस्ते सरजी का वीर्य पीने की कोशिश कर रही थी पर वो सारा पी नही पा रही थी और काफ़ी वीर्य बह के सरजी के बॉल्स पे जा रहा था. दूसरी नर्स ये बाकी का वीर्य सरजी के बॉल से चाट चाट के सॉफ कर रही थी.
कुछ देर तक हम यूँ ही झरते रहे. टॉमी फिर झट से अपना लंड बाहर निकाल के कोने में जा के बैठ गया.
‘वाह डिज़िल्वा 5 साल के बाद झारा हूँ मैं, मान गये’ ये कह के सरजी बिस्तर पे तक के गिर पड़ा
‘मैं थक गया हूँ, हिसाब बाद में करलेंगे, अब जाओ यहाँ से’
‘ठीक हैं सरजी’ डिज़िल्वा बोल के मेरे पास आ गया. मेरी रस्सी खोल के उसने मुझे खड़े होने में मदद की. मैं थक के चूर हो गयी थी और खड़ा रहना भी मुश्किल हो रहा था. कैसे भी करके डिज़िल्वा की मदद से कपड़े पहेन के हम बाहर आ गये. मैं डिज़िल्वा की गाड़ी में पीछे की सीट पे जा के लेट गयी. डिज़िल्वा गाड़ी चलाने लगा.
कुछ देर बाद गाड़ी रुक गयी. मैने सोचा कि घर आ गया. मैं आँखें खोलके बैठ गयी तो देखा कि डिज़िल्वा ने गाड़ी किसी जंगल जैसी जगाह मे लाके पार्क करदी थी. मेरे कुछ पूछने से पहले ही डिज़िल्वा गाड़ी से उतार कर पीछे का दरवाज़ा खोल दिया.
मैने देखा कि उसने अपनी पॅंट उतार दी थी. उसका मोटा लंड पूरा खड़ा था.
‘आज तेरी चुदाई देख के में पागल हो गया हूँ, तुझे चोदे बिना में जाने कैसे दूँ ?’
‘प्लीज़ मैं बहुत थक गयी हूँ’
‘तुझे वैसे भी कुछ करना नही हैं मेरी जान. बस नीचे लेटी रह और मुझे तेरी गांद मारने दे’
गांद मारने की बात सुनकर मैं डर गयी.
‘ये क्या कह रहे हो तुम’
डिज़िल्वा दरवाज़े से गाड़ी के अंदर आने लगा. मुझे अभी भी याद था कि 8 इंच के लंड से गांद चुदवा कर कितना बुरा हाल होता हैं. डिज़िल्वा के 10 इंच का लंड तो मुझे मार ही डाले गा. मैं बहुत ही डर गयी और चिल्लाने लगी
‘चिल्लाके कुछ नही होगा मेर जान, इस जंगल में कोई सुनने वालाः नहीं, अब तो इस गोरी गांद की खैर नही’ उसने मेरा हाथ पकड़ के घुमा दिया और मुझे अपने पेट तले सीट पे लेटा कर मेरी जाँघो पे बैठ गया. उसने मेरी स्कर्ट निकाल दी और अपने दोनो हाथों से मेरी गांद मसल्ने लगा.
‘तेरी चिकनी गांद को आज अछी तरह से चोदुन्गा, कितने दिनो से तेरी छोटी सी गांद में अपना लंड डालने का जी कर रहा था, आज इस मौके को नहीं जाने दूँगा’
‘प्लीज़ मुझे जाने दो’
पर डिज़िल्वा को सिर्फ़ मेरी गांद दिख रही थी वो कुछ सुन नही रहा था. उसने कही से एक क्रीम की बॉटल निकाल ली और दोनो हाथों में क्रीम डाल के अपने लंड पे लगा लिया. फिर वो थोड़ी और क्रीम हाथों में ले कर मेरी गांद पे मसल्ने लगा. एक मिनिट में मेरी गांद क्रीम से चमकने लगी.
‘हाई क्या गांद हैं तेरी’
‘प्लीज़ मुझे जाने दो’ मैं अब डर के मारे रो रही थी पर डिज़िल्वा का ध्यान सिर्फ़ मेरी गांद पे था. वो मेरी चमकती गांद को दोनो हाथों से ज़ोर से दबा रहा था और अपना लंड मेरी गांद के बीच में रगड़ रहा था. उसके मूह से ‘आआअहह…. आआआआअहह…’ की आवाज़ आ रही थी.
कुछ देर ऐसे गांद मसल्ने के बाद उसने थोड़ी क्रीम अपनी दो उंगलियों में लेकर अचानक मेरी गांद में घुसेड दी.
अचानक उसकी मोटी उंगलियाँ गांद में जाने से में चीख पड़ी ‘आऐईयईई…’ ठंडा ठंडा क्रीम मेरी गांद में मुझे महसूस हो रहा था. डिज़िल्वा ने दो मिनिट तक ऐसे ही अपनी उंगलिया मेरी गांद में अंदर बाहर की. फिर उसने अपनी उंगलियाँ निकाल दी.
‘बहुत क्रीम हो गया. अब मेरे लंड की बारी’ ये कह के उसने अपना मोटा लॉडा मेरी गांद के छेद पे रख दिया…..
कुछ देर तक वो अपना लंड मेरी गांद पर रगड़ता रहा जब उसने देखा की मैं थोड़ा नॉर्मल हो गई हूँ डिसिल्वा ने एक करारा झटका लगाया उसका ४ इंच लंड मेरी गान्ड को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया मेरे मुँह से चीख निकल गई मररर्र्ररर गैईईइ हाइईईईईईईईईई मेरिइईईईईई फाद्द्दद्ड दीईईईई बचाऊऊऊओ डिसिल्वा ने फिर दूसरा झटका मारा अब ६ इंच लॅंड मेरी गांद के अंदर था दोस्तो ये तो सेक्स की पुजारन बन चुकी है अब इसकी गान्ड या चूत मे ८ इंच का लंड हो या १० इंच का क्या फरक पड़ता है डिसिल्वा बार बार धोका देता है एक ये है साली फिर भी उसके साथ चल देती है अब ये तो होना ही था
चूतिया चूत को बदनाम करते है
चूत वो चीज़ है जहाँ लंड आराम करते हैं
इसको इसके हाल पर छोड़ देते है फिर मिलेंगे तब तक के लिए विदा आपका दोस्त राज शर्मा