hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
देवा;अपने दोनों हाथों में रत्ना की बडी बडी चुचियों को थाम लेता है और उन्हें मसलने लगता है।
माँ मुझे दे दे ना।
रत्ना;आहह नही दूंगीः कभी भी आहह नही।
देवा;अपने पयजामे का नाडा खोल देता है और अपने लंड को बाहर निकाल लेता है।
गराम लंड जैसे ही रत्ना की कमर से टकराता है वो मचल उठती है।
रत्ना;अपने हाथों में उसे पकड़ना चाहती थी मगर देवा उसे ऐसा करने नहीं देता बल्कि रत्ना को खडा करके एक झटके में उसकी साडी ब्लाउज निकाल देता है।
रत्ना उस वक़्त बिना पेंटी की थी।
अपने बेटे के सामने नंगी खड़ी रत्ना अपनी चूत पर हाथ रख कर बैठने लगती है मगर उससे पहले देवा उसे लिटा देता है और अपने लंड को उसके मुँह के पास लाकर अपने होठो को रत्ना की चूत से लगा देता है।
रत्ना;रात भी गरम थी।
अपने देवा के जवान लंड की खुशबु मजबूर कर देती है उसे अपना मुँह खोलने पर और एक माँ अपने बेटे के लंड को मुँह में ले लेती है।
देवा;अपनी माँ की मख़मली चूत पर अपने होंठ रख देता है।
दोनो प्यासे थे। मगर मजबूर थे।
एक दूसरे से इतने क़रीब थे मगर फिर भी दूर थे।
वो चाहते तो एक दूसरे में समां सकते थे मगर रत्न का वादा बार बार उन्हें अलग कर रहा था।
आपनी माँ की गुलाबी चूत की पंखडियाँ अपने मुँह में भर कर चुसते हुए देवा को बस एक बात सता रही थी काश मुझे अपने बाप के बारे में पता होता तो आज मेरी माँ मेरे लंड से पिस रही होती।
और रत्ना के मन में एक उलझन थी की देवा उस पर ज़ोर ज़बर्दस्ती क्यों नहीं करता।
दोनो किसी भूखे इंसान की तरह अपने मुँह सटाये अपनी सबसे प्यारे चीज़ चाटने में लगे हुए थे।
रत्ना;गलप्प गलप्प उन्हह आजा मेरे मुँह में बेटा गलप्प गलप्प गलप्प्प।
देवा;रात भर दो औरतों को चोद कर आया था।
वो अपनी माँ के होठो की गर्मी का इतना आदि नहीं हुआ था ऊपर से वो इतना ज़्यादा उतेजित हो चूका था की रहा भी नहीं जा रहा था।देवा अपनी माँ रत्ना का गरम मुँह चोदने लगता है लेकिन ख्वाब में वो अपनी माँ की चूत में लंड पेल रहा है।रत्ना भी अपने बेटे के लंड को पूरा मुँह में भरके चूस रही है।दोनों की रफ़्तार तेज होने लगती है।
माँ मुझे दे दे ना।
रत्ना;आहह नही दूंगीः कभी भी आहह नही।
देवा;अपने पयजामे का नाडा खोल देता है और अपने लंड को बाहर निकाल लेता है।
गराम लंड जैसे ही रत्ना की कमर से टकराता है वो मचल उठती है।
रत्ना;अपने हाथों में उसे पकड़ना चाहती थी मगर देवा उसे ऐसा करने नहीं देता बल्कि रत्ना को खडा करके एक झटके में उसकी साडी ब्लाउज निकाल देता है।
रत्ना उस वक़्त बिना पेंटी की थी।
अपने बेटे के सामने नंगी खड़ी रत्ना अपनी चूत पर हाथ रख कर बैठने लगती है मगर उससे पहले देवा उसे लिटा देता है और अपने लंड को उसके मुँह के पास लाकर अपने होठो को रत्ना की चूत से लगा देता है।
रत्ना;रात भी गरम थी।
अपने देवा के जवान लंड की खुशबु मजबूर कर देती है उसे अपना मुँह खोलने पर और एक माँ अपने बेटे के लंड को मुँह में ले लेती है।
देवा;अपनी माँ की मख़मली चूत पर अपने होंठ रख देता है।
दोनो प्यासे थे। मगर मजबूर थे।
एक दूसरे से इतने क़रीब थे मगर फिर भी दूर थे।
वो चाहते तो एक दूसरे में समां सकते थे मगर रत्न का वादा बार बार उन्हें अलग कर रहा था।
आपनी माँ की गुलाबी चूत की पंखडियाँ अपने मुँह में भर कर चुसते हुए देवा को बस एक बात सता रही थी काश मुझे अपने बाप के बारे में पता होता तो आज मेरी माँ मेरे लंड से पिस रही होती।
और रत्ना के मन में एक उलझन थी की देवा उस पर ज़ोर ज़बर्दस्ती क्यों नहीं करता।
दोनो किसी भूखे इंसान की तरह अपने मुँह सटाये अपनी सबसे प्यारे चीज़ चाटने में लगे हुए थे।
रत्ना;गलप्प गलप्प उन्हह आजा मेरे मुँह में बेटा गलप्प गलप्प गलप्प्प।
देवा;रात भर दो औरतों को चोद कर आया था।
वो अपनी माँ के होठो की गर्मी का इतना आदि नहीं हुआ था ऊपर से वो इतना ज़्यादा उतेजित हो चूका था की रहा भी नहीं जा रहा था।देवा अपनी माँ रत्ना का गरम मुँह चोदने लगता है लेकिन ख्वाब में वो अपनी माँ की चूत में लंड पेल रहा है।रत्ना भी अपने बेटे के लंड को पूरा मुँह में भरके चूस रही है।दोनों की रफ़्तार तेज होने लगती है।