hotaks444
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हाथ में गरम चीज आते ही रत्ना की साँसें और ज़ोर से चलने लगती है।वो जान जाती है की उसके हाथ में क्या है।
रत्ना;ये दर्द कर रहा है क्या देवा।
देवा; हाँ माँ बहुत दर्द कर रहा है।
रत्ना;देवा की आँखों में देखते हुए नीचे बैठ जाती है और
हल्के से देवा के लंड को चुम लेती है।
देवा;आहह माँ।
रत्ना;गलप्प गलप्प गलप्प्प।
इसे आराम करने दिया कर ना। बहुत थका थका सा लग रहा है गलप्प गलप्प गलप्प्प गलप्प।
देवा;की धडकन तेज़ हो जाती है।
तेरी चूत में आराम मिलेगा इसे रत्ना। एक बार दे दे मुझे आज।
रत्ना;इतराते हुए अपनी गाण्ड हिलाते हुए देवा के लंड को चूसती चली जाती है । लंड चूसने का रत्ना का अंदाज़ देवा को पागल बना देता है। जो मज़ा देवा को किसी औरत की चूत मार कर मिलता था उतना मज़ा तो रत्ना के लंड चुसने से ही देवा को मिल रहा था।देवा अपनी माँ रत्ना के गरम मुँह को ही चूत समझकर चोदने लगता है।रत्ना देवा के लंड को पूरा अपनी थूक से गीला कर कर के देवा का लंड चूस रही है और चूसते चूसते कुछ ही देर में उसकी मलाई पूरी की पूरी खा जाती है।
रत्नाअपने होठो पर लगे देवा की मलाई को अपनी ज़ुबान से चाटते हुए वो देवा के पास से अपने रूम में चलि जाती है।
देवा;हैरान परेशान से रत्ना को जाता देखता रह जाता है। उससे बिलकुल भी रत्ना का ये रूप समझ नहीं आता।
मगर रत्न एक मँझी हुए खिलाडी थी।
वो जानती थी।
मर्द को जितना तडपाया जाए चूत के लिए । वो उतनी मोहब्बत और ताकत से चोदता है।
और वो देवा का लंड लेने के बाद उसे किसी के साथ बाँटना नहीं चाहती थी...
बस ये चाहती थी की देवा का लंड उसकी चूत में आराम करे चाहे दिन हो या रात और अपने मक़सद को पूरा करने के लिए वो देवा को दिन रात तड़पा रही थी।
रत्ना;ये दर्द कर रहा है क्या देवा।
देवा; हाँ माँ बहुत दर्द कर रहा है।
रत्ना;देवा की आँखों में देखते हुए नीचे बैठ जाती है और
हल्के से देवा के लंड को चुम लेती है।
देवा;आहह माँ।
रत्ना;गलप्प गलप्प गलप्प्प।
इसे आराम करने दिया कर ना। बहुत थका थका सा लग रहा है गलप्प गलप्प गलप्प्प गलप्प।
देवा;की धडकन तेज़ हो जाती है।
तेरी चूत में आराम मिलेगा इसे रत्ना। एक बार दे दे मुझे आज।
रत्ना;इतराते हुए अपनी गाण्ड हिलाते हुए देवा के लंड को चूसती चली जाती है । लंड चूसने का रत्ना का अंदाज़ देवा को पागल बना देता है। जो मज़ा देवा को किसी औरत की चूत मार कर मिलता था उतना मज़ा तो रत्ना के लंड चुसने से ही देवा को मिल रहा था।देवा अपनी माँ रत्ना के गरम मुँह को ही चूत समझकर चोदने लगता है।रत्ना देवा के लंड को पूरा अपनी थूक से गीला कर कर के देवा का लंड चूस रही है और चूसते चूसते कुछ ही देर में उसकी मलाई पूरी की पूरी खा जाती है।
रत्नाअपने होठो पर लगे देवा की मलाई को अपनी ज़ुबान से चाटते हुए वो देवा के पास से अपने रूम में चलि जाती है।
देवा;हैरान परेशान से रत्ना को जाता देखता रह जाता है। उससे बिलकुल भी रत्ना का ये रूप समझ नहीं आता।
मगर रत्न एक मँझी हुए खिलाडी थी।
वो जानती थी।
मर्द को जितना तडपाया जाए चूत के लिए । वो उतनी मोहब्बत और ताकत से चोदता है।
और वो देवा का लंड लेने के बाद उसे किसी के साथ बाँटना नहीं चाहती थी...
बस ये चाहती थी की देवा का लंड उसकी चूत में आराम करे चाहे दिन हो या रात और अपने मक़सद को पूरा करने के लिए वो देवा को दिन रात तड़पा रही थी।