hotaks444
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अब तो गाण्ड का दर्द भी जा चुका था... ऐसा लग रहा था जैसी दुनिया भर का समंदर मेरी दो टांगों के बीच समा गया है।
सभी मंत्रिगण मेरे हाल देख कर मुठ मार रहे थे...
महामंत्री मेरे चूचे और जोर से मसल मसल के दाँतों से काटने लगे...
मैं कराह रही थी.. आःह्ह्ह आआह्ह्ह्ह से दरबार गूँज रहा था...
मेरी आहें.. राजा और पहलवान को लुभा रही थी कि तभी राजा अपने हाथ से मेरी चूत का दाना छेड़ने लगा..
मैं तड़प उठी...
मैंने अपने हाथ से एक लण्ड छोड़ राजा के हाथ पर हाथ रख दिया और जोर-जोर से भींचने लगी.. राजा के हाथ को अपने दाने पर दबाने लगी..
तभी मंत्री जी ने अपना काम रस मेरे चूचों पर छोड़ दिया... और जिस्म से हट गए..
उन्होंने हटते ही मेरे होंठों पे ज़ोरदार चुम्मा दिया और बोले-. तू कमाल की है... अगर राजा का चूचे काटने का फरमान नहीं होता तो शायद में तेरे चूचे चूसने, दबाने के लिए तुझे हमेशा के लिए अपने पास रख लेता...
तभी साहूकार पिनियाते हुए आया और बोला- इसके होंठ मेरे हैं... तू क्यों चूम रहा है..?
महामंत्री बोला- अरे सबसे पहले तो तूने ही मुँह मारा है इस पर.. तू हट गया तो मैंने भी मार लिया अपना मुँह ! अब कुआँ चाहे किसी का भी हो, कुआँ पानी तो हर किसी को पिलाता है ना...?
दोनों व्यापारियों की भी पिचकारी छूटने लगी थी, दोनों ने मेरे चेहरे पर पिचकारी दे मारी.. और बोले- चाट इसको... नहीं तो फिर से मुठ मारेगी तू हमारी...
मेरी हालत.. सचमुच की रांडों जैसी हो गई थी कि तभी पहलवान छूटने लगा और दोनों हाथों से मेरे चूचों पर जो माल गिरा था उसे मेरे चूचों पर मसलने लगा...
महामंत्री खड़े खड़े तमाशा देख रहा था.. कि कराहट से मेरा मुँह खुल गया है...
तभी राजा मेरे ऊपर आया और मेरे होंठो को उसने अपने मुँह में भर लिया, काटने-खसोटने लगा...
तभी पहलवान झड़ने लगा और उसने सारा रास मेरी गाण्ड में ही छोड़ दिया...
उसका लण्ड छोटा होकर मेरी गाण्ड से बाहर आ गया..
अब राजा को मौका मिल गया.. वो तो पहले से ही मुझ पर सवार था..
अब मेरे जिस्म पर वो हक़ ज़माने लगा, कभी मेरे चूचे मसलता, कभी मेरे मुँह में हाथ डाल देता..
वो मेरी जवानी लूट रहा था और मैं कुछ नहीं कर पा रही थी..
इतने में उसने पहलवान को मेरे नीचे से हटने का मौका दिया..
अब मैं कालीन पर और राजा मेरी चूत में घुसा बैठा था...
वो अब मेरी गाण्ड में दो ऊँगलियाँ घुसाने लगा.. और मैं मदमस्त हुई अपनी जवानी का रस लुटा रही थी..
कि तभी अचानक राजा ने लण्ड निकाल कर मेरी गाण्ड में पेल दिया...
राजा अब झड़ने वाला था... राजा ने एक झटके से अपना लण्ड फिर मेरी चूत में पेला और झड़ने लगा...
आगे बढ़ कर मेरे होंठ चूसने लगा... उसने मेरी चूचक मसले ... और मेरे अन्दर ही झड़ गया... उसके बाद वो मुझ पर से हट गया ..
उसने सिपाहियो को मुझे खड़ा करने को बोला..
मैं कामरस में भीगी हुई थी, मेरे से खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था..
जैसे तैसे मैं सिपाहियो के सहारे खड़ी हुई।
हवा में कामरस की खुशबू मुझे और चुदने को मजबूर कर रही थी...
सभी मर्द मुझ पर हंस रहे थे, मेरी बेबसी का मजाक बना रहे थे, राजा ठहाके लगा रहा था...
कि तभी मुझ पर जोर से पानी फेंका गया..
मेरी आधी बेहोशी चूर चूर हो गई, मेरे जिस्म से काम रस हट गया..
मेरा गोरा जिस्म सबकी निगाहों में चमकने लगा..
मेरे गीले बाल मेरी चूचियों को ढकने की नाकाम कोशिश कर रहे थे..
मेरे थरथराते होंठ पानी से भीग कर कई लण्डों को आमंत्रित कर रहे थे...
मेरी चमकती गाण्ड चुद कर और चौड़ी हो गई थी...
मेरी हालत देखने लायक थी...
सभी सभासद मेरा आँखों से बलात्कार कर रहे थे..
मैंने अपने हाथों से अपने लाल चूचों और बहती चूत को छिपाने की कोशिश की..
कि तभी दो सिपाही आए और मेरे जिस्म से मेरे हाथों को अलग कर अलग अलग दिशा में थाम लिया।
मैं नंगी खड़ी जमीन में गड़े जा रही थी..!!
सब मंत्री खड़े होकर मुझ पर थूकने लगे.. और ठहाके लगा कर हंसने लगे...
एक सिपाही दो लट्ठ लेकर आया, मोटे-मोटे लट्ठ, जो लंड से कई गुना बड़े और मोटे थे।
एक मेरी चूत में और दूसरा मेरी गाण्ड में घुसा दिया गया..
दर्द के मारे मैं चिल्लाने लगी...
तभी एक कसाई को बुलवाया गया.. ताकि वो मेरे चूचे और ज़बान काट सके..
कसाई अपने औज़ारों की धार तेज कर रहा था..
वो मेरे करीब आया और काटने के लिए उसने अपनी कटार उठाई..
कि तभी पीछे से आवाज़ आई..
राजा : रुको ...!!!
सभी सभासद बातें बनाने लगे..- यह क्या हो गया .. चिकने बदन पर राजा फिसल गया...!!!
राजा : इस लड़की ने जितना दर्द सहना था, सह चुकी... और ऐसा नहीं कि इसने सिर्फ दर्द सहा... इसने सिपाहियों के हाथों से मसले जाने पर आहें भी भरी.. और अपनी चूत की मादक सुगंध सूंघ कर यह भी चुदने को बेताब हुई.. इससे यह साबित होता है कि लड़की में जिस्म का गुरूर जरूर है.. पर यदि इसे ठीक ढंग से गर्म किया जाये तो यह 8-10 लड़कियों का मज़ा एक ही बार में दे सकती है... इसलिए मैं इसकी चूत, गाण्ड सिलने का आदेश वापिस लेता हूँ और लड़की पर छोड़ता हूँ कि वो मेरी सबसे प्यारी रखैल बनना चाहती है या गली मोहल्ले में नंगी घूमने वाली रंडी? या फिर किसी टुच्चे की रखैल बन कर अपनी जवानी बर्बाद करना चाहती है और नौकरानी बने रहना चाहती है सारी ज़िन्दगी..!!!
मैं राजा के हाथ लुट चुकी थी और कई मर्द मुझे अब भोग चुके थे... राजा की बाकी दासियों की तरह मैं भी उसके लण्ड की दीवानी हो चुकी थी..
इसलिए मैंने उसकी रखैल बन कर रहना मंज़ूर किया।
अब राजा हर रात मेरे साथ गुज़ारता, मैं हर वक़्त नंगी रहती...मेरी अन्तर्वासना हर समय जागृत रहती...
राजा जब आता, तब मुझे चोदता...
मेरे जीवन में अब वासना.. काम .. चुदाई.. लंड के सिवा कुछ नहीं रह गया था...
समाप्त !!!!
कैसा लगा मेरा स्वप्न.
सभी मंत्रिगण मेरे हाल देख कर मुठ मार रहे थे...
महामंत्री मेरे चूचे और जोर से मसल मसल के दाँतों से काटने लगे...
मैं कराह रही थी.. आःह्ह्ह आआह्ह्ह्ह से दरबार गूँज रहा था...
मेरी आहें.. राजा और पहलवान को लुभा रही थी कि तभी राजा अपने हाथ से मेरी चूत का दाना छेड़ने लगा..
मैं तड़प उठी...
मैंने अपने हाथ से एक लण्ड छोड़ राजा के हाथ पर हाथ रख दिया और जोर-जोर से भींचने लगी.. राजा के हाथ को अपने दाने पर दबाने लगी..
तभी मंत्री जी ने अपना काम रस मेरे चूचों पर छोड़ दिया... और जिस्म से हट गए..
उन्होंने हटते ही मेरे होंठों पे ज़ोरदार चुम्मा दिया और बोले-. तू कमाल की है... अगर राजा का चूचे काटने का फरमान नहीं होता तो शायद में तेरे चूचे चूसने, दबाने के लिए तुझे हमेशा के लिए अपने पास रख लेता...
तभी साहूकार पिनियाते हुए आया और बोला- इसके होंठ मेरे हैं... तू क्यों चूम रहा है..?
महामंत्री बोला- अरे सबसे पहले तो तूने ही मुँह मारा है इस पर.. तू हट गया तो मैंने भी मार लिया अपना मुँह ! अब कुआँ चाहे किसी का भी हो, कुआँ पानी तो हर किसी को पिलाता है ना...?
दोनों व्यापारियों की भी पिचकारी छूटने लगी थी, दोनों ने मेरे चेहरे पर पिचकारी दे मारी.. और बोले- चाट इसको... नहीं तो फिर से मुठ मारेगी तू हमारी...
मेरी हालत.. सचमुच की रांडों जैसी हो गई थी कि तभी पहलवान छूटने लगा और दोनों हाथों से मेरे चूचों पर जो माल गिरा था उसे मेरे चूचों पर मसलने लगा...
महामंत्री खड़े खड़े तमाशा देख रहा था.. कि कराहट से मेरा मुँह खुल गया है...
तभी राजा मेरे ऊपर आया और मेरे होंठो को उसने अपने मुँह में भर लिया, काटने-खसोटने लगा...
तभी पहलवान झड़ने लगा और उसने सारा रास मेरी गाण्ड में ही छोड़ दिया...
उसका लण्ड छोटा होकर मेरी गाण्ड से बाहर आ गया..
अब राजा को मौका मिल गया.. वो तो पहले से ही मुझ पर सवार था..
अब मेरे जिस्म पर वो हक़ ज़माने लगा, कभी मेरे चूचे मसलता, कभी मेरे मुँह में हाथ डाल देता..
वो मेरी जवानी लूट रहा था और मैं कुछ नहीं कर पा रही थी..
इतने में उसने पहलवान को मेरे नीचे से हटने का मौका दिया..
अब मैं कालीन पर और राजा मेरी चूत में घुसा बैठा था...
वो अब मेरी गाण्ड में दो ऊँगलियाँ घुसाने लगा.. और मैं मदमस्त हुई अपनी जवानी का रस लुटा रही थी..
कि तभी अचानक राजा ने लण्ड निकाल कर मेरी गाण्ड में पेल दिया...
राजा अब झड़ने वाला था... राजा ने एक झटके से अपना लण्ड फिर मेरी चूत में पेला और झड़ने लगा...
आगे बढ़ कर मेरे होंठ चूसने लगा... उसने मेरी चूचक मसले ... और मेरे अन्दर ही झड़ गया... उसके बाद वो मुझ पर से हट गया ..
उसने सिपाहियो को मुझे खड़ा करने को बोला..
मैं कामरस में भीगी हुई थी, मेरे से खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था..
जैसे तैसे मैं सिपाहियो के सहारे खड़ी हुई।
हवा में कामरस की खुशबू मुझे और चुदने को मजबूर कर रही थी...
सभी मर्द मुझ पर हंस रहे थे, मेरी बेबसी का मजाक बना रहे थे, राजा ठहाके लगा रहा था...
कि तभी मुझ पर जोर से पानी फेंका गया..
मेरी आधी बेहोशी चूर चूर हो गई, मेरे जिस्म से काम रस हट गया..
मेरा गोरा जिस्म सबकी निगाहों में चमकने लगा..
मेरे गीले बाल मेरी चूचियों को ढकने की नाकाम कोशिश कर रहे थे..
मेरे थरथराते होंठ पानी से भीग कर कई लण्डों को आमंत्रित कर रहे थे...
मेरी चमकती गाण्ड चुद कर और चौड़ी हो गई थी...
मेरी हालत देखने लायक थी...
सभी सभासद मेरा आँखों से बलात्कार कर रहे थे..
मैंने अपने हाथों से अपने लाल चूचों और बहती चूत को छिपाने की कोशिश की..
कि तभी दो सिपाही आए और मेरे जिस्म से मेरे हाथों को अलग कर अलग अलग दिशा में थाम लिया।
मैं नंगी खड़ी जमीन में गड़े जा रही थी..!!
सब मंत्री खड़े होकर मुझ पर थूकने लगे.. और ठहाके लगा कर हंसने लगे...
एक सिपाही दो लट्ठ लेकर आया, मोटे-मोटे लट्ठ, जो लंड से कई गुना बड़े और मोटे थे।
एक मेरी चूत में और दूसरा मेरी गाण्ड में घुसा दिया गया..
दर्द के मारे मैं चिल्लाने लगी...
तभी एक कसाई को बुलवाया गया.. ताकि वो मेरे चूचे और ज़बान काट सके..
कसाई अपने औज़ारों की धार तेज कर रहा था..
वो मेरे करीब आया और काटने के लिए उसने अपनी कटार उठाई..
कि तभी पीछे से आवाज़ आई..
राजा : रुको ...!!!
सभी सभासद बातें बनाने लगे..- यह क्या हो गया .. चिकने बदन पर राजा फिसल गया...!!!
राजा : इस लड़की ने जितना दर्द सहना था, सह चुकी... और ऐसा नहीं कि इसने सिर्फ दर्द सहा... इसने सिपाहियों के हाथों से मसले जाने पर आहें भी भरी.. और अपनी चूत की मादक सुगंध सूंघ कर यह भी चुदने को बेताब हुई.. इससे यह साबित होता है कि लड़की में जिस्म का गुरूर जरूर है.. पर यदि इसे ठीक ढंग से गर्म किया जाये तो यह 8-10 लड़कियों का मज़ा एक ही बार में दे सकती है... इसलिए मैं इसकी चूत, गाण्ड सिलने का आदेश वापिस लेता हूँ और लड़की पर छोड़ता हूँ कि वो मेरी सबसे प्यारी रखैल बनना चाहती है या गली मोहल्ले में नंगी घूमने वाली रंडी? या फिर किसी टुच्चे की रखैल बन कर अपनी जवानी बर्बाद करना चाहती है और नौकरानी बने रहना चाहती है सारी ज़िन्दगी..!!!
मैं राजा के हाथ लुट चुकी थी और कई मर्द मुझे अब भोग चुके थे... राजा की बाकी दासियों की तरह मैं भी उसके लण्ड की दीवानी हो चुकी थी..
इसलिए मैंने उसकी रखैल बन कर रहना मंज़ूर किया।
अब राजा हर रात मेरे साथ गुज़ारता, मैं हर वक़्त नंगी रहती...मेरी अन्तर्वासना हर समय जागृत रहती...
राजा जब आता, तब मुझे चोदता...
मेरे जीवन में अब वासना.. काम .. चुदाई.. लंड के सिवा कुछ नहीं रह गया था...
समाप्त !!!!
कैसा लगा मेरा स्वप्न.