hotaks444
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करण के घर से निकला तो हल्की हल्की बारिश शुरू हो गई लेकिन मैं ज़्यादा नही भीगा ऑर ठीक टाइम पर घर पहुँच गया,,,,,,,,,माँ ने दरवाजा खोला ऑर मैं अंदर चला गया,,,,,,,,
माँ-आज फिर भीग गया तू ऑर अकेला क्यूँ आया है सोनिया कहाँ है,,,,,,,,,,,,
सन्नी-माँ वो कविता क साथ आएगी सुबह भी उसके साथ गई थी,,,,,,,,
माँ--क्यू तुम लोगो का फिर से झगड़ा हुआ है क्या,,,,,,,,,,,,
मैने कोई जवाब नही दिया,,,,,,,,,,,,,,
माँ-पता नही तुम लोग कब बड़े होगे जब देखो बच्चो की तरह लड़ते रहते हो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं उपर की तरफ जाने लगा,,,,,,,,,,,,,,,
माँ-कहाँ जा रहे हो यही हाथ मुँह धो लो मैं खाना लगा देती हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सन्नी-नही मोम अभी नही अभी मुझे बारिश मे ऑरज़्यादा एंजाय करना है,,इस से पहले माँ कुछ ऑर बोलती मैं भाग कर उपर छत पर चला गया ऑर जाते टाइम अपना बॅग अपने रूम मे रख गया,,,,,,,,,,,जब उपर पहुँचा तो बारिश थोड़ी तेज हो गई थी ऑर बदल भी गरजने लगे थे कुछ ही पल मे बारिश पूरे जोरो पर शुरू हो गई थी,,,,,,,,मुझे बारिश मे भीगना बहुत अच्छा लगता है ऑर मैं कोई मोका हाथ से नही जाने देता बारिश मे भीगने का,,,,
,मैं बारिश मे एंजाय कर ही रहा था तभी मुझे बाहर से हॉर्न की आवाज़ सुनाई दी मैं जल्दी से छत की एक तरफ गया जहाँ से गेट नज़र आता था,,मैने नीचे देखा तो कविता ऑर सोनिया घर आ गई थी,,दोनो एक दम भीगी हुई थी ,,दोनो का भीगा बदन देख मुझे मस्ती चढ़ने लगी,,,,दोनो इतनी खूबसूरत लग रही थी कि तय करना मुश्किल हो रहा था कि कॉन ज़्यादा खूबसूरत है,कविता या सोनिया,,,,,,,,,,,मैं अभी उनके भीगे हुए बदन से अपनी आँखे सेक रहा था कि तभी सोनिया ने उपर मेरी तरफ देखा ऑर मैं जल्दी से पीछे हट गया,,,क्यूकी वो मुझे गुस्से से देख रही थी,,,,,,
मैं पीछे हो गया ऑर सोचने लगा कि अब शायद सोनिया भी उपर आएगी क्यूकी उसको भी बारिश मे भीगने का शॉंक है लेकिन वो उपर नही आई मैं काफ़ी देर तक बारिश का लुफ्त उठाता रहा लेकिन अकेले अकेले ही,,,,,,,,,,,,,,,,,,जब बारिश कुछ कम हो गई तो मैं नीचे चला गया,,,,,,,,,,,मेरे रूम मे कविता ऑर सोनिया बैठी हुई थी,,,दोनो ने कपड़े बदल लिए थे,,,कविता ने भी सोनिया की जीन्स ऑर टी-शर्ट पहन रखी थी,,,,मैं भी जल्दी से अपने कपड़े लेके बाथरूम मे चला गया ऑर अंदर जाके शवर लेके बर्म्यूडा ओर बनियान पहन कर बाहर आ गया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
कविता- हाई सन्नी
सन्नी-हाई कविता,,,,,,,,,,,,,,,
कविता-आज तुम कॉलेज से जल्दी आ गये थे क्या,,,,,,,,,,,,,,,
सन्नी-हाँ मुझे कुछ काम था कविता इसलिए थोड़ा जल्दी आ गया था,,,,,,,,,,,
कविता-अच्छा अब बारिश हो रही है या रुक गई,,,,,,,,,,,,,
सन्नी-क्यू पूच्छ रही हो,,,,,,,,,,,,,,,,,,
कविता-लगता है रुक ही गई है तभी तुम नीचे आ गये हो कविता के बोलने से पहले ही सोनिया बोल पड़ी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,नही
रुकी तो नही है हल्की हल्की हो रही है अभी भी,,,कुछ देर तक रुक जाएगी शायद,,,,,,,,,,,,,,,,,
कविता-जल्दी रुक जाए मुझे घर जाना है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सन्नी-,तो यहाँ कॉन्सा तुम किसी धर्मशाला मे बैठी हो ये भी तो घर ही है,मैने मज़ाक किया कविता तो खुश हो गई लेकिन सोनिया गुस्से मे लग रही थी,,,,,,,,,,,,,मैं समझ गया कि बाहर मौसम रंगीन है लेकिन यहाँ का मौसम थोड़ा गरम है इसलिए मैने ऑर कोई बात नही की ऑर वहाँ से सीधा नीचे चला आया,,,,,,,,,,,वहाँ माँ सोफे पर बैठी टीवी देख रही थी मैं अभी सोफे पर मां के पास बैठा ही था कि माँ गुस्से होने लगी,,,,,,,,,,,,,,,,,
माँ--बच्चों की तरह बारिश मे भीगते रहना खाने पीने का भी कोई होश नही तेरे को कब से आया है कॉलेज से लेकिन खाना नही खा रहा तू,,,चल अब जल्दी से चल डाइनिंग टेबल पर मैं खाना लेके आती हूँ,,,,,,,,,,
मोम उठी ऑर किचन मे चली गई ऑर मैं भी चुप चाप डाइनिंग टेबल पर बैठ गया,,,माँ ने मुझे खाना दिया ऑर मैं आराम से बैठ कर खाना खाने लगा तभी कविता ऑर सोनिया भी नीचे आ गई,,,,,, सोनिया ने बाहर वाला दरवाजा खोलके देखा तो बाहर अभी भी बारिश हो रही थी,,,,,,,,,,,
माँ--बेटी तुमको घर जाने की जल्दी है क्या ,,,,,,,,,,,,,,,,,
कविता--जी आंटी जी लेकिन बारिश है कि रुकने का नाम ही नही ले रही ,,,,
अब तक मैं खाना खा चुका था ,,,,,,,,,,,,,,कुछ देर यही रुक जाओ बेटी जब बारिश थम जाए तो चली जाना,,,,,,,,,
कविता--,नही आंटी जी मेरा अभी घर जाना ज़रूरी है,,,,,,,,,,,,
इस से पहले माँ कुछ ओर बोलती सोनिया ने माँ को इशारा करके चुप रहने को बोला ऑर मा भी चुप हो गई तभी बाहर बेल बजी गेट खोला तो देखा डॅड आ गये थे,,,,,,,,
कविता--नमस्ते अंकल
डॅड--,नमस्ते बेटी,,कब आई तुम,,,,,,,,,,,,
कविता-जी कॉलेज से सीधा यहीं आई थी सोनिया को छोड़ने लेकिन अब वापिस जाना है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
डॅड--अभी रुक जाओ बेटी बारिश हो रही है भीग जाओगी तुम,,,,,,,,,,
कविता--नही अंकल अभी जाना ज़रूरी है वरना घर वाले गुस्सा होंगे,,,,,,,,,,,,,,,
डॅड-बेटी घर पे फोन करदो कि बारिश रुकने के बाद आ जाओगी,,,,,,,,,,,,,,,
सोनिया ने डॅड को भी चुप रहने को इशारा किया,,,,,,,,,,,डॅड चुप हो गये ऑर अपने रूम मे जाने लगे,तभी मैने
डॅड को आवाज़ दी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सन्नी--डॅड कार की चाबी मुझे दो मैं कविता को उसके घर छोड़ आता हूँ,,,,डॅड ने मुझे चाबी दी ऑर अपने रूम मे चले गये,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
कविता--लेकिन मेरी अक्तिवा,,,,,,,,,,,,
सन्नी-अरे आक्टिव यही रहने दो कल सुबह सोनिया जब कॉलेज जाएगी तब तुमके लेती जाएगी अपने साथ तभी अक्तिवा भी ले लेना अपनी,,,,,,,,,,,
माँ--हाँ बेटी यही ठीक रहेगा अक्तिवा यही छोड़ दो ऑर सन्नी के साथ घर चली जाओ,,,,,,,,,,,,,,,,कविता ने हाँ मे सर हिला
दिया ऑर मेरे साथ जाने को रेडी हो गई,,,,,,,,,,,मैं भी उपर अपने रूम मे गया ऑर टी-शर्ट पहन कर वापिस आ
गया,,,,,,सोनिया थोड़ी गुस्से मे लग रही थी क्यूकी मैं कविता को उसके घर छोड़ने जाने वाला था शायद वो इस
बात से खुश नही थी क्यूकी उसको लगता था मैं उसकी फ्रेंड से फ्लर्ट करता हूँ,,,,,,,,,,,,,खैर हम लोग घर से
बाहर निकले लेकिन तभी बारिश रुक गई,,,,,,माँ ऑर सोनिया भी हमारे साथ बाहर तक आई थी,,,,,मैने देखा कि
बारिश रुकने से सोनिया बड़ी खुश लग रही थी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सोनिया--,चलो बारिश रुक गई अब तुम अक्तिवा लेके जाओ अपने घर,,,,,,,,,,,,,,,कविता भी कुछ नही बोली ऑर सबको बाइ बोलके अक्तिवा लेके चली गई,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैने सोनिया को देखा तो वो कुछ ज़्यादा ही खुश थी लेकिन फिर मेरी तरफ देख कर गुस्सा करते हुए वो घर के अंदर चली गई ऑर उसके पीछे माँ भी अंदर चली गई,,,,,,,,,,,,,,,साला ये सोनिया का मसला क्या है,,एक पल मे खुश ऑर एक पल मे इतना गुस्सा,,,,,,,कुछ समझ नही आता कब क्या कर जाए,,,,,,,,,,खैर मैं भी घर के अंदर चला गया ऑर टीवी देखने लगा,,,,,,,,,,,
माँ-आज फिर भीग गया तू ऑर अकेला क्यूँ आया है सोनिया कहाँ है,,,,,,,,,,,,
सन्नी-माँ वो कविता क साथ आएगी सुबह भी उसके साथ गई थी,,,,,,,,
माँ--क्यू तुम लोगो का फिर से झगड़ा हुआ है क्या,,,,,,,,,,,,
मैने कोई जवाब नही दिया,,,,,,,,,,,,,,
माँ-पता नही तुम लोग कब बड़े होगे जब देखो बच्चो की तरह लड़ते रहते हो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं उपर की तरफ जाने लगा,,,,,,,,,,,,,,,
माँ-कहाँ जा रहे हो यही हाथ मुँह धो लो मैं खाना लगा देती हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सन्नी-नही मोम अभी नही अभी मुझे बारिश मे ऑरज़्यादा एंजाय करना है,,इस से पहले माँ कुछ ऑर बोलती मैं भाग कर उपर छत पर चला गया ऑर जाते टाइम अपना बॅग अपने रूम मे रख गया,,,,,,,,,,,जब उपर पहुँचा तो बारिश थोड़ी तेज हो गई थी ऑर बदल भी गरजने लगे थे कुछ ही पल मे बारिश पूरे जोरो पर शुरू हो गई थी,,,,,,,,मुझे बारिश मे भीगना बहुत अच्छा लगता है ऑर मैं कोई मोका हाथ से नही जाने देता बारिश मे भीगने का,,,,
,मैं बारिश मे एंजाय कर ही रहा था तभी मुझे बाहर से हॉर्न की आवाज़ सुनाई दी मैं जल्दी से छत की एक तरफ गया जहाँ से गेट नज़र आता था,,मैने नीचे देखा तो कविता ऑर सोनिया घर आ गई थी,,दोनो एक दम भीगी हुई थी ,,दोनो का भीगा बदन देख मुझे मस्ती चढ़ने लगी,,,,दोनो इतनी खूबसूरत लग रही थी कि तय करना मुश्किल हो रहा था कि कॉन ज़्यादा खूबसूरत है,कविता या सोनिया,,,,,,,,,,,मैं अभी उनके भीगे हुए बदन से अपनी आँखे सेक रहा था कि तभी सोनिया ने उपर मेरी तरफ देखा ऑर मैं जल्दी से पीछे हट गया,,,क्यूकी वो मुझे गुस्से से देख रही थी,,,,,,
मैं पीछे हो गया ऑर सोचने लगा कि अब शायद सोनिया भी उपर आएगी क्यूकी उसको भी बारिश मे भीगने का शॉंक है लेकिन वो उपर नही आई मैं काफ़ी देर तक बारिश का लुफ्त उठाता रहा लेकिन अकेले अकेले ही,,,,,,,,,,,,,,,,,,जब बारिश कुछ कम हो गई तो मैं नीचे चला गया,,,,,,,,,,,मेरे रूम मे कविता ऑर सोनिया बैठी हुई थी,,,दोनो ने कपड़े बदल लिए थे,,,कविता ने भी सोनिया की जीन्स ऑर टी-शर्ट पहन रखी थी,,,,मैं भी जल्दी से अपने कपड़े लेके बाथरूम मे चला गया ऑर अंदर जाके शवर लेके बर्म्यूडा ओर बनियान पहन कर बाहर आ गया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
कविता- हाई सन्नी
सन्नी-हाई कविता,,,,,,,,,,,,,,,
कविता-आज तुम कॉलेज से जल्दी आ गये थे क्या,,,,,,,,,,,,,,,
सन्नी-हाँ मुझे कुछ काम था कविता इसलिए थोड़ा जल्दी आ गया था,,,,,,,,,,,
कविता-अच्छा अब बारिश हो रही है या रुक गई,,,,,,,,,,,,,
सन्नी-क्यू पूच्छ रही हो,,,,,,,,,,,,,,,,,,
कविता-लगता है रुक ही गई है तभी तुम नीचे आ गये हो कविता के बोलने से पहले ही सोनिया बोल पड़ी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,नही
रुकी तो नही है हल्की हल्की हो रही है अभी भी,,,कुछ देर तक रुक जाएगी शायद,,,,,,,,,,,,,,,,,
कविता-जल्दी रुक जाए मुझे घर जाना है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सन्नी-,तो यहाँ कॉन्सा तुम किसी धर्मशाला मे बैठी हो ये भी तो घर ही है,मैने मज़ाक किया कविता तो खुश हो गई लेकिन सोनिया गुस्से मे लग रही थी,,,,,,,,,,,,,मैं समझ गया कि बाहर मौसम रंगीन है लेकिन यहाँ का मौसम थोड़ा गरम है इसलिए मैने ऑर कोई बात नही की ऑर वहाँ से सीधा नीचे चला आया,,,,,,,,,,,वहाँ माँ सोफे पर बैठी टीवी देख रही थी मैं अभी सोफे पर मां के पास बैठा ही था कि माँ गुस्से होने लगी,,,,,,,,,,,,,,,,,
माँ--बच्चों की तरह बारिश मे भीगते रहना खाने पीने का भी कोई होश नही तेरे को कब से आया है कॉलेज से लेकिन खाना नही खा रहा तू,,,चल अब जल्दी से चल डाइनिंग टेबल पर मैं खाना लेके आती हूँ,,,,,,,,,,
मोम उठी ऑर किचन मे चली गई ऑर मैं भी चुप चाप डाइनिंग टेबल पर बैठ गया,,,माँ ने मुझे खाना दिया ऑर मैं आराम से बैठ कर खाना खाने लगा तभी कविता ऑर सोनिया भी नीचे आ गई,,,,,, सोनिया ने बाहर वाला दरवाजा खोलके देखा तो बाहर अभी भी बारिश हो रही थी,,,,,,,,,,,
माँ--बेटी तुमको घर जाने की जल्दी है क्या ,,,,,,,,,,,,,,,,,
कविता--जी आंटी जी लेकिन बारिश है कि रुकने का नाम ही नही ले रही ,,,,
अब तक मैं खाना खा चुका था ,,,,,,,,,,,,,,कुछ देर यही रुक जाओ बेटी जब बारिश थम जाए तो चली जाना,,,,,,,,,
कविता--,नही आंटी जी मेरा अभी घर जाना ज़रूरी है,,,,,,,,,,,,
इस से पहले माँ कुछ ओर बोलती सोनिया ने माँ को इशारा करके चुप रहने को बोला ऑर मा भी चुप हो गई तभी बाहर बेल बजी गेट खोला तो देखा डॅड आ गये थे,,,,,,,,
कविता--नमस्ते अंकल
डॅड--,नमस्ते बेटी,,कब आई तुम,,,,,,,,,,,,
कविता-जी कॉलेज से सीधा यहीं आई थी सोनिया को छोड़ने लेकिन अब वापिस जाना है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
डॅड--अभी रुक जाओ बेटी बारिश हो रही है भीग जाओगी तुम,,,,,,,,,,
कविता--नही अंकल अभी जाना ज़रूरी है वरना घर वाले गुस्सा होंगे,,,,,,,,,,,,,,,
डॅड-बेटी घर पे फोन करदो कि बारिश रुकने के बाद आ जाओगी,,,,,,,,,,,,,,,
सोनिया ने डॅड को भी चुप रहने को इशारा किया,,,,,,,,,,,डॅड चुप हो गये ऑर अपने रूम मे जाने लगे,तभी मैने
डॅड को आवाज़ दी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सन्नी--डॅड कार की चाबी मुझे दो मैं कविता को उसके घर छोड़ आता हूँ,,,,डॅड ने मुझे चाबी दी ऑर अपने रूम मे चले गये,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
कविता--लेकिन मेरी अक्तिवा,,,,,,,,,,,,
सन्नी-अरे आक्टिव यही रहने दो कल सुबह सोनिया जब कॉलेज जाएगी तब तुमके लेती जाएगी अपने साथ तभी अक्तिवा भी ले लेना अपनी,,,,,,,,,,,
माँ--हाँ बेटी यही ठीक रहेगा अक्तिवा यही छोड़ दो ऑर सन्नी के साथ घर चली जाओ,,,,,,,,,,,,,,,,कविता ने हाँ मे सर हिला
दिया ऑर मेरे साथ जाने को रेडी हो गई,,,,,,,,,,,मैं भी उपर अपने रूम मे गया ऑर टी-शर्ट पहन कर वापिस आ
गया,,,,,,सोनिया थोड़ी गुस्से मे लग रही थी क्यूकी मैं कविता को उसके घर छोड़ने जाने वाला था शायद वो इस
बात से खुश नही थी क्यूकी उसको लगता था मैं उसकी फ्रेंड से फ्लर्ट करता हूँ,,,,,,,,,,,,,खैर हम लोग घर से
बाहर निकले लेकिन तभी बारिश रुक गई,,,,,,माँ ऑर सोनिया भी हमारे साथ बाहर तक आई थी,,,,,मैने देखा कि
बारिश रुकने से सोनिया बड़ी खुश लग रही थी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सोनिया--,चलो बारिश रुक गई अब तुम अक्तिवा लेके जाओ अपने घर,,,,,,,,,,,,,,,कविता भी कुछ नही बोली ऑर सबको बाइ बोलके अक्तिवा लेके चली गई,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैने सोनिया को देखा तो वो कुछ ज़्यादा ही खुश थी लेकिन फिर मेरी तरफ देख कर गुस्सा करते हुए वो घर के अंदर चली गई ऑर उसके पीछे माँ भी अंदर चली गई,,,,,,,,,,,,,,,साला ये सोनिया का मसला क्या है,,एक पल मे खुश ऑर एक पल मे इतना गुस्सा,,,,,,,कुछ समझ नही आता कब क्या कर जाए,,,,,,,,,,खैर मैं भी घर के अंदर चला गया ऑर टीवी देखने लगा,,,,,,,,,,,