Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही - Page 16 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही

सोनिया के कॉलेज आने से पहले तक मैं शोभा दीदी को 2 बार ऑर चोद चुका था ,,,,,सोनिया के 
आने से पहले हम ने घर की हालत ठीक करदी थी जो भी समान टूटा था डाइनिंग टेबल से गिरके 
ऑर जितना भी शोभा दीदी की चूत का पानी ओर मेरे लंड के स्पर्म गिरा था ज़मीन पर हम ने 
वो सब सॉफ कर दिया था सोनिया के आते ही दीदी किचन मे खाना बनाने चली गई ऑर सोफे पर 
बैठ कर टीवी देखने लगा,,सोनिया अपने रूम मे जाके फ्रेश होके नीचे आ गई ऑर
डाइनिंग टेबल पर बैठ गई,,,,,शोभा दीदी खाना लेके आ गई ,,,,,,,,,,

दीदी आज आप खाना बना रही हो माँ कहाँ है,,,,,,,,,,,सोनिया ने पूछा,,,,

माँ गाओं गयी है उनके चाचा जी की तबीयत बहुत खराब है,,,,अब शायद बचने की उम्मीद 
नही है ,,,,हॉस्पिटल वालो ने भी अब जवाब दे दिया है,, शोभा दीदी ने सोनिया को बताया

सोनिया की आँखें खाना कहते हुए नम होने लगी थी,,,,,,,,,,,वो थी ही ऐसी किसी का दर्द नही 
देख सकती थी,,ऑर अब तो माँ के चाचा जी की बात हो रही थी जिनके बचने के चान्स बहुत 
कम थे,,,,,,,,,

अरे पगली तू दिल छोटा मत कर ओर खाना खा आराम से,,,,भगवान ने चाहा तो सब ठीक होगा
,,,,वैसे भी उनकी उमर काफ़ी हो चुकी है ,,,,,,, शोभा दीदी ने सोनिया को समझाते हुए कहा 

सोनिया फिर भी नम आँखे किए मुँह मे जो रोटी का नीवाला था उसको हल्के हल्के चबाती रही
,,,,,,,,

माँ वापिस कब आएगी दीदी,,,,,,,,,सोनिया ने खाना चबाते हुए पूछा

पता नही सोनिया,,,,,,,,,,4-5 दिन का तो बोलके गई है बाकी फोन करके बताने को बोला था 
मामा जी ने,,,,,,,,,, शोभा ने जबाब दिया

शोभा ने इतनी बात की ऑर अपने रूम मे उपर की तरफ चली गई,,,,,

मेरा ध्यान उनकी बातों की तरफ था शोभा दीदी जब चली गई तो मैं उनको उपर जाते देख 
रहा था वो सीडियाँ चढ़ कर उपर चली गई ऑर मेरी नज़रे वापिस पलट कर डाइनिंग टेबल की 
तरफ गई तो सोनिया मेरी तरफ देख रही थी,,,,एक पल के लिए हम दोनो की नज़रे आपस मे मिली 
ऑर वो खाने खाने के लिए प्लेट की तरफ देखने लगी जबकि मैं वापिस टीवी देखने लगा,,,,,,,,

उसने भी दोबारा मेरी तरफ देखा या नही मुझे नही पता लेकिन मेरी हिम्मत नही हुई
दोबारा उसकी तरफ देखने की,,,,,,,,,,ये नही है कि मुझे उस से डर लगता था बल्कि जब भी उसकी 
तरफ देखता तो वो अजीब नज़रो से मुझे देखने लग जाती उसकी नज़रो मे गुस्सा नही होता था
लेकिन जो भी भावना होती थी उसके देखने के अंदाज़ मे मैं उसको समझ नही पा रहा 
था ऑर बेचैन हो जाता था ऑर यही बेचैनी मुझे डरने लग जाती थी,,,,,,,,,

सोनिया ने भी खाना खाया ऑर उपर रूम मे चली गई ऑर मैं टीवी देखने मे बिज़ी हो गया
,,,,,,,,,,,,,


रात को हम लोग उपर बुआ की किचन के बाहर डाइनिंग टेबल पर बैठ कर खाना खा रहे 
थे ,,,,माँ नही थी इसलिए सबका खाना उपर ही बनाया था बुआ ने,,,,,,,,,सब लोगो ने खाना 
ख्तम किया ऑर अपने अपने रूम मे चले गये,,,मैं भी अपने रूम मे आया ऑर कुछ देर
लॅपटॉप पर गेम खेलने लगा ,,,,तब तक सोनिया बाहर ही थी ,,,,कुछ देर बाद मैं शवर 
लेने के लिए बाथरूम मे चला गया ऑर जब बाहर आया तो बाहर का नजारा देख कर आँखें 
फटी की फटी रह गई,,,,बाहर सोनिया बर्म्यूडा पहन कर मिरर के सामने खड़ी थी उसने 
उपर सिर्फ़ ब्रा पहना हुआ था अभी वो ब्रा को बाँध ही रही थी ऑर तभी उसका ध्यान मिरर 
मे मेरी तरफ गया मैं बाथरूम मे डोर पर खड़ा उसको देख रहा था उसने जल्दी से 
वापिस पलट कर अपनी टी-शर्ट उठाई ऑर अपने सीने को ऐसे ही टी-शर्ट से ढक लिया ,,,,,,उसके 
हाथों मे टी-शर्ट थी ऑर उसने दोनो हाथों से टी-शर्ट पकड़ कर खुद को ढका हुआ था ,,,
वो मेरी तरफ देख रही थी ऑर मैं उसकी तरफ ना वो कुछ बोल रही थी ऑर ना ही मैं,,,,,,,,तभी 
अचानक मेरा फोन बजने लगा ऑर हम दोनो सपने से जाग गये ऑर मैं तेज़ी से अपने बेड
पर पड़े हुए फोन की तरफ बढ़ा ऑर फोन उठा कर जल्दी से रूम से बाहर चला गया ऑर 
जाते जाते सोनिया को सॉरी बोल गया लेकिन मैने पलट कर उसकी तरफ नही देखा था,,,,,,,,,,,

फोन करण का था उसको आज भी चूत लेने का मन हो रहा था लेकिन मैने मना कर दिया 
बोला कि आज बुआ है बुटीक पर आज मुश्किल है,,,,मैने ऐसा क्यूँ किया नही जानता,,,,,दिल तो
मेरा भी था आज चूत लेने को लेकिन फिर भी मैने करण को मना कर दिया था ना जाने 
क्यू,,,,शायद अभी जो कुछ मेरे रूम मे हुआ ऑर जिस हालत मे मैं सोनिया को देखा ऑर जिस 
तरह से चुप चाप वो मुझे देख रही थी शायद उसकी वजह से मैं बेचैन हो गया 
था,,,,,,,,,,फोन पर बात करने के बाद भी मेरा दिल नही कर रहा था रूम मे जाने को 
पता नही वो क्या सोच रही होगी ,,,मेरी हिम्मत नही हो रही थी उसका सामना करने की मैं 
बहुत डर गया था,,,,लेकिन रूम मे तो जाना ही था,,,,,,मैं डरते हुए अपने रूम मे गया ,,




मैने सोनिया की तरफ एक बार भी नही देखा ऑर सीधा अपने बेड पर जाके अपनी तरफ की लाइट 
ऑफ करके चद्दर लेके सोनिया की तरफ पीठ की ऑर लेट गया,,,,,,,,मुझे नींद तो नही आ रही
थी फिर भी मैं सोने की कोशिश करने लगा,,,,,,,,,काफ़ी टाइम तक मेरी आँख नही लगी अब 
तो सोनिया भी शायद सो चुकी होगी मैने हिम्मत करके उसकी तरफ फेस किया ऑर देखा तो होश 
उड़ गये फिर से वो बेड पर बैठी हुई थी ऑर मेरी तरफ देख रही थी उसी तरह अजीब नज़रो से ,,


मुझसे उसका इस तरह मुझे देखना मेरे से बर्दाश्त नही हो रहा था ,,,मैं बहुत ज़्यादा 
बेचैन हो गया था दिल तो किया एक बार पूछ लूँ उसको कि तुम ऐसे क्यूँ देख रही हो
मुझे लेकिन हिम्मत नही हो रही थी मैं वापिस फेस दूसरी तरफ करके लेट गया ऑर सोने 
की कोशिश करने लगा लेकिन नींद तो मेरी आँखों से आज कोसों दूर थी तभी ना जाने 
मुझे क्या हुआ मैने चद्दर उठाई ऑर अपना लॅपटॉप लिया ऑर रूम से जाने लगा तो देखा
कि रात के 1 बज रहे थे एक पल के लिए मैं हैरान हो गया कि 10 बजे डिन्नर किया था 
करीब 10:30 तक मैं शवर भी ले चुका था उसके बाद 2 मिनिट ही करण से फोन
पर बात हुई थी तबसे मैं ऐसे ही लेटा हुआ था ऑर क्या सोनिया भी तबसे मुझे ऐसे ही
देख रही थी एक पल मे इतना कुछ सोच कर मैं फिर बेचैन होने लगा अब ऑर ज़्यादा 
बेचैन होने से बचने के लिए मैं दरवाजा खोलके नीचे चला गया,,,,माँ के रूम मे 
तो डॅड थे इसलिए मैने सोचा कि मैं आज रात को मामा के रूम मे सो जाता हूँ रूम
से निकलते हुए भी मैने सोनिया की तरफ नही देखा था,,,,,,,,,,मामा के रूम मे अभी आ 
ही रहा था कि मैने देखा कि डॅड के रूम का दरवाजा खुला ऑर बुआ वहाँ से बाहर
निकल कर किचन की तरफ जाने लगी मैं जल्दी से पीछे हो गया ऑर छुप गया जब बुआ वापिस
डॅड के रूम मे चली गई तो मैं भी मामा के रूम मे चला गया,,,,,,,,,,,,,मामा के रूम 
मे जाके मैं बेड पर लेट गया ,,,,,,

बुआ अगर डॅड के रूम मे थी तो हो सकता था शोभा भी वहीं हो मेरा दिल किया क्यूँ ना आज 
डॅड के रूम मे चला जाए ऑर जैसे माँ ऑर मामा के साथ मज़ा किया वैसे डॅड बुआ ऑर 
शोभा के साथ भी ग्रूप सेक्स का मज़ा लिया जाए लेकिन मेरा दिल नही माना क्यूकी दिल आज कुछ
बेचैन था मेरा पता नही क्या हो गया था इतना ज़्यादा बेचैन हो गया कि इतनी सारी चूत 
मिल सकती थी रात को लेकिन मेरा दिल ही नही कर रहा था किसी भी चूत का मज़ा लेने के लिए,,
अब बेचैनी से बचने क लिए मैने लॅपटॉप ऑन किया ऑर गेम खेलने लगा ऑर कब गेम 
खेलते हुए मुझे नींद आ गई पता ही नही चला,,,,,सुबह उठा ऑर अपने रूम मे चला 
गया सोनिया अभी सो रही थी मैने लॅपटॉप को बेड पर रखा ऑर फ्रेश होके तैयार हो गया टाइम
देखा तो अभी काफ़ी टाइम था कॉलेज जाने को तो मैं नीचे जाके टीवी ऑन करके सोफे पर बैठ 
गया तभी डॅड के रूम का दरवाजा खुला ऑर बुआ बाहर आ गई ऑर जैसे ही बुआ की नज़र 
मेरे पर पड़ी वो डर गई मुझे वहाँ देख कर फिर आँखें मलती हुई खुद को संभालते 
हुए बोली,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम यहाँ क्या कर रहे हो सन्नी इतनी जल्दी कैसे उठ गये आज,,,,,,,,,,,,


मैने सोचा क्या बोलूं अब आपको बुआ कि कल रात मुझे नींद ही नही आई ठीक से,,,,कुछ
नही बुआ बस ऐसे ही आज सुबह जल्दी हो गई मेरी ,,,,,,,, मैने बुआ से कहा 

बुआ हँसने लगी,,,,,,,,,,,,,,,

आप यहाँ क्या कर रही थी बुआ डॅड के रूम मे,,,,,,,,,,,,,,,मैने बुआ से पूछा 

बुआ डरते हुए सहमी हुई आवाज़ मे बोली,,मैं तो तेरे डॅड को उठाने आई थी आज तेरी माँ नही है ना 
जो तेरे डॅड को उठा दे सो मैं उठाने चली आई इतना बोलकर बुआ जल्दी से कुछ ऑर बोले बिना सीडियाँ
चढ़ कर अपने रूम की तरफ उपर चली गई ,,,,,,

मैने सोचा की अगर बुआ यहाँ है तो शोभा भी यहीं होगी डॅड के 
रूम मे इसलिए मैं वहाँ से उठकर आगे गया ऑर डॅड के रूम से अंदर देखने लगा लेकिन 
वहाँ कोई नही था डॅड उठकर बाथरूम चले गये थे ऑर बाकी रूम खाली था शायद
शोभा नही आई होगी रात को बुआ के साथ डॅड के रूम मे ,,,,,,,मैं वापिस जाके टीवी देखने 
लगा,,,,,,,,,अभी कुछ देर ही हुई थी टीवी देखते तभी मेरे सर पे हल्का सा थप्पड़ लगा ,,,,,,,

कहाँ था रात को तू सन्नी ,,,,,,,,, शोभा दीदी ने मुझसे पूछा

,मैने पीछे मूड कर देखा तो शोभा दीदी थी नाइटी मे,,

,,,मैं तो यहीं था दीदी आप कहाँ थी,,,,,,,,,,,,,,, मैने शोभा से पूछा

मैं भी यहीं थी मुझे कहाँ जाना था ,, रात तेरे रूम मे गई थी मैं तब तो सोनिया अकेली थी 
रूम मे तुम तो नही थे वहाँ पर,..शोभा ने जबाब दिया

,क्यू दीदी आप मेरे रूम मे क्यू गई थी मैने हँसते हुए पूछा 

तभी दीदी ने हल्के से एक ऑर थप्पड़ मारा,,,,,,,,,,बस ऐसे ही गई थी तेरे रूम मे,,,,,,,,,,,,,,,,

सन्नी-दीदी मैं रात को नीचेसोया था मामा जी क रूम मे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

शोभा--मामा जी के रूम मे सोया था तो मुझे बता नही
सकता था मैं भी यहीं आ जाती तेरे पास पता है रात कितना मूड था मेरा,,तू मेरे को
बता नही सकता था सन्नी मैं यहाँ आ जाती या तेरे को अपने रूम मे ले जाती मैं भी 
अकेली बोर होती रही रात भर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

सन्नी-अकेली क्यू दीदी बुआ नही थी क्या साथ मे ,,,,,,,,,,,
 
तभी दीदी भी ज़रा सोचकर बोली,,,,,,,,,,,,,,,,बुआ थी लेकिन बुआ की तबीयत ठीक नही थी उनका
मूड नही था इसलिए मैं अकेली थी जो तेरे साथ मस्ती करती ऑर तू नीचे क्यू सोया था सोनिया से
फिर तेरा झगड़ा हुआ क्या,,,,,,,,,,,,,,,,

मैं कुछ नही बोला चुप रहा,,,,,,,,,

अच्छा तो भाई बेहन की फाइट अभी तक चल रही है दीदी हँसने लगी ऑर हँसते हुई वहाँ से वापिस उपर की तरफ चली
गई,,,,,,,,,,,


आज सुबह नाश्ता भी बुआ ने अपने किचन मे बनाया था ,,,,,,मैने नाश्ता किया ऑर कॉलेज
जाने के लिए बाहर निकला ऑर बिके स्टार्ट करने लगा तभी कविता भी बाहर आ गई थी अपनी अक्तिवा
लेके,,,,,,,,,,,,,

सन्नी--हाई कविता ,,,,,,,,,

कविता--हाई सन्नी,,,,,,एक उदास सी आवाज़ के साथ कविता ने मेरे को हाई बोला,,,,,,,

क्या हुआ तुम ठीक तो हो ना कविता,,,,,,,,,,मैने पूछा.....

कविता--हां सन्नी मैं ठीक हूँ,,,,,लेकिन अभी भी उसकी आवाज़ बहुत उदास लग रही थी,,,,,,,

सन्नी--फिर इतना उदासी के साथ क्यू जवाब दे रही हो मेरी बातों का,,,,,,

इस से पहले वो मेरे को कोई जवाब देती सोनिया बाहर आ गई ऑर आके कविता के पास खड़ी हो गई
कविता ने सोनिया को आते ही गले से लगा लिया ऑर हल्का सा रोने लगी तभी सोनिया ने उसके चेहरे
पर लगा हुआ चाशा निकाला ऑर मैं देखता ही रह गया उसकी आँखें ऐसी लाल हो चुकी थी
जैसे पता नही कितने टाइम से वो रोती जा रही हो ,,मेरा ध्यान उसकी तरफ था तभी उसने अपनी
नज़रे तिर्छि करके मेरी तरफ देखा ऑर सोनिया ने भी कविता की नज़रो का पीछा करते हुए मेरी
तरफ देखा ऑर जल्दी से कविता का चश्मा ठीक कर दिया ऑर कोई बात ना करते हुए कविता को सीट
पर पीछे होने के लिए बोला ऑर कविता पीछे होके बैठ गई ऑर सोनिया खुद आगे बैठ कर उसकी
अक्तिवा ड्राइव करने लगी ऑर वो दोनो वहाँ से चली गई तब तक मैं भी बाइक स्टार्ट कर चुका 
था ऑर मैं भी उनके पीछे पीछे चलने लगा ,,,,,,मैं अभी कुछ आगे ही गया था तभी मेरा
फोन बजने लगा फोन से ज़्यादा ज़रूरी था मेरे लिए वो वजह जानना जिस वजह से कविता रो
रही थी लेकिन फोन दोबारा से फिर बजने लगा तो मैने बाइक साइड पर रोक दी ऑर मेरे फोन 
उठाते उठाते ही सोनिया ऑर कविता मेरे से कहीं आगे निकल गई थी,,,,,,,,,,,,,

मैने फोन पर बात की ओर बाइक चलाना शुरू कर दिया,,,लेकिन कोई फ़ायदा नही हुआ अब तक तो
सोनिया ऑर कविता काफ़ी दूर निकल गई थी,,,,,,मैं बाइक चलाते हुए कॉलेज के बाहर पहुँचा
गया तभी फिर से फोन बजने लगा था,,

ये फोन था शिखा दीदी का,,,,,,,,,,,

शिखा--हेलो सन्नी,,,,,,,,,,

सन्नी--हेलो शिखा दीदी,,,,,,हाउ आर यू,,,,,,

शिखा--आइम फाइन सन्नी ,,यू टेल,,,,,,,,

सन्नी-मैं भी ठीक हूँ दीदी,,,,,आज कैसे याद किया दीदी ,,,,,,,,,,

शिखा-कुछ नही सन्नी बस दिल नही लग रहा था तेरे बिना तो सोचा एक फोन कर लेती हूँ ऑर अगर
फ्री हो तो मिल भी लेती हूँ,,,,,,,,,

वो बोल इतने मस्ती भरे अंदाज़ से रही थी कि मैं कविता के उदास चेहरे को भूल ही गया 
था ऑर शिखा की मस्ती भरी आवाज़ मे कहीं खो गया था ऑर लंड ने भी कुछ पलों मे ही
अपनी ओकात दिखानी शुरू करदी थी,,,,,

सन्नी-दीदी मैं तो फ्री ही हूँ कोई ख़ास काम नही है मेरे को,,,बस कॉलेज ही जा रहा था,,,,

तभी दीदी हँसने लगी,,,,,,,,,,,,

सन्नी--तो बोलो दीदी आ जाउ क्या मिलने के लिए घर पे,,,,,,,,,

शिखा--नही नही सन्नी घर पे नही,,,,,,,आज माँ है घर पे ,कहीं ऑर मिलते है,,,,,,,,,,

सन्नी-कहीं ऑर कहाँ दीदी,,,,,,,,,,,

शिखा--वो तुमको पता होगा सन्नी तुम कुछ करो प्लीज़ मेरा बहुत दिल कर रहा है आज तेरे से 
मिलने को,,,,,,

सन्नी-साला दिल तो मेरा भी करने लगा था अब लेकिन कहाँ मिल सकता हूँ,,,,,,,,ऐसी कोई जगह भी
तो नही है,,,,,,सुमित के घर लेके जाता लेकिन ये नही मानेगी वहाँ जाने को ऑर वैसे भी मेरा
भी इतना दिल नही करता इसको वहाँ लेके जाने को,,,,,,,,,,बुटीक पर ले जाता लेकिन वहाँ भी
पंगा था,,,घर पे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तभी मेरे दिमाग़ मे एक प्लान आया ,,,,,दीदी आप थोड़ी 
देर इंतजार करो मैं कोई जगह का जुगाड़ करके वापिस कॉल करता हूँ आपको,,,,,,,

शिखा--ठीक है सन्नी लेकिन जल्दी करना मेरे से इंतजार नही होगा ज़्यादा ,समझ रहे हो ना,,,,,,,,

सन्नी--हाँ दीदी समझ रहा हूँ इंतजार तो मेरे से भी नही होना अब ज़्यादा,,,,,,,,,

मैने फोन काट दिया ऑर बाइक को वापिस घर की तरफ मोड़ दिया,,,,,,,,घर पहुँचा तो 
देखा कि शोबा दीदी की अक्तिवा नही थी वहाँ मतलब वो जा चुकी थी लेकिन डॅड ऑर बुआ की
कार अभी घर पे ही थी वो अभी तक नही गये थे ऑर शायद आज उन लोगो को कहीं जाना भी 
नही था घर पे रहके मस्ती करने का इरादा था दोनो का,,लेकिन मैं उनके इरादे पर पानी 
फेरने आ गया था,,,,,,,,,,,,,मैने बेल बजाई लेकिन कोई जवाब नही आया,,,मैने फिर बेल
बजाई लेकिन फिर भी कोई जवाब नही आया,,,फिर कोई 5-7 मिनिट बाद बुआ ने दरवाजा 
उनके बाल बिखरे हुए थे ऑर गीले थे शायद वो नहा रही थी,,,,,

बुआ--अरे तुम आज इतनी जल्दी वापिस आ गये ,,,अभी तो गये थे कॉलेज,,,,,,,बुआ ज़रा हँस कर बोल रही
थी लेकिन उनकी हँसी के पीछे छुपे हुए गुस्से के तेवर मुझे सॉफ नज़र आ रहे थे वो मेरे
घर आने से बिल्कुल खुश नही थी क्यूकी मेरे आने से उनका ऑर दाद का काम जो खराब हो गया
था,,,,,,,,,,,,,,,,

सन्नी--बुआ मेरे सर मे हल्का सा दर्द होने लगा था सोचा कि इस से पहले दर्द ज़्यादा हो जाए क्यूँ 
ना घर जाके आराम किया जाए,,,,,,,,,,,,लेकिन आप अभी तक बुटीक क्यू नही गई बुआ,,,,,,,,,,,,,


बुआ कुछ सोचते हुए बोली,,,,,,,,,,,,,,,,,कुछ नही बेटा ज़रा घर का काम ख़तम कर रही थी
तेरी माँ तो यहाँ नही है सोचा आज मैं घर का काम कर लेती हूँ थोड़ा सा,,,अभी काम
ख़तम हुआ था ऑर बाथ लेके तैयार होने लगी थी तभी तुम आ गये,,,,,,,,,,

बुआ दरवाजे से साइड हो गई ऑर मैं अंदर आने लगा ऑर अंदर आके मैं सोफे की तरफ बढ़ने
लगा ऑर रास्ते मे मैने डॅड के रूम की तरफ नज़र मारी तो उनके रूम का दरवाजा पूरा ही
खुला हुआ था लेकिन रूम मे कोई नही था,,,,,मैं आके सोफे पर बैठ गया,,,,,,,,,,

बुआ--तुझे कुछ चाहिए तो नही बेटा,,,,,,,,,,,

सन्नी--नही बुआ मैं ठीक हूँ मुझे कुछ नही चाहिए,,,,,,,

बुआ--मेडिसिन दूं क्या बेटा,,,ख़ाके आराम कर लेना,,,,,,,,,,

सन्नी--नही बुआ मैं अभी आते टाइम मेडिसिन लेके आया हूँ शॉप से,,,,,,

बुआ--ठीक है बेटा तुम मेडिसिन खा लेना ऑर आराम कर लेना मैं अब तैयार होके बुटीक जा रही
हूँ,,,,,,,,,अभी बुआ उपर जाने क लिए पलटी ही थी कि डॅड भी अपने रूम से बाहर आ गये,,,,,

किसको चाहिए मेडिसिन,,डॅड ने रूम से निकलते ही पूछा,,,,,,,,,,

मेरे बोलने से पहले ही बुआ बोल पड़ी,,,,,,,,,,,,,,,सन्नी को चाहिए भाई इसके सर मे दर्द है
तभी तो कॉलेज से जल्दी आ गया है ,,,मैने इसको बोल दिया अब मेडिसिन लेके आराम करे,,,,

मैने डॅड की तरफ देखा तो ऐसा लगा कि डॅड भी अभी अभी नहा कर ही निकले है बाथरूम 
से ,,,,,,,,,मेरा शक ग़लत नही तो दोनो भाई बेहन साथ मे बाथ ले रहे थे तभी तो बुआ
को टाइम लगा दरवाजा खोलने मे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

डॅड आज आप भी लेट जाने वाले है क्या ऑफीस,,,,,,,,,,मैने डॅड से पूछा,,,,,,,

डॅड बुआ की तरफ़ देखते हुए,,,,,,,,,,,,,,,,,हाँ बेटा आज मुझे भी थोड़ा लेट जाना था ऑफीस
लेकिन अब तुम आ गये हो तो मैं चलता हूँ तुम आराम करो ऑर मेडिसिन लेना मत भूलना
,,,,,

हाँ हाँ अब मेरे आते ही सबको जाने की जल्दी पड़ी है,,,,,,,,,,ऑर यही तो मैं चाहता हूँ कि 
मैं घर पर आउ ऑर मेरे आते ही आप लोग यहाँ से चले जाओ,,,,,,क्यूकी पहले भी ऐसा कई
बार हो चुका है जब भी माँ ऑर मामा जी गाओं जाते थे या भाई के पास जाते थे तब बुआ
ऑर डॅड घर पर रहते थे लेकिन मेरे आते ही सब अपने काम पर चले जाते थे क्यूकी अब
उनको मोका जो नही मिलना था घर पे मस्ती करने का,,,,ऑर आज भी वैसा ही हुआ मेरे आते ही
बुआ ऑर डॅड तैयार होके घर से चले गये ऑर मेरा प्लान कामयाब हो गया,,क्यूकी मैं भी 
यही चाहता था कि घर फ्री हो जाए ऑर मैं शिखा को यहाँ बुला सकूँ ऑर उसके साथ मस्ती
कर सकूँ,,,,,,,,,,
 
बुआ ऑर डॅड दोनो 10-15 मिनट बाद वहाँ से चले गये ऑर मैने पहले ही शिखा को कॉल
करके मेरे घर आने का बोल दिया था,,,,,बुआ ऑर डॅड के जाने के करीब 15 मिनट बाद बेल 
बजी ,,मैने दरवाजा खोला ऑर फिर वापिस आके सोफे पर बैठ गया,,,करीब 20 मिनट बाद 
फिर बेल बजी ऑर मैने दरवाजा खोला तो सामने शिखा दीदी खड़ी हुई थी,,,या अल्लाह क्या लग
रही थी वो ,,एक तो गोरा रंग उपर से काले रंग का तंग पयज़ामी ऑर कुरती वाला सूट जिसमे से 
एक एक अंग का नाप लेना आसान हो जाता है ऑर उपर से दीदी का भरा हुआ बदन मैं तो एक 
पल को बेहोश होने को था,,ऐसा नही था कि शिखा हो पहली बार देखा था लेकिन आज तो वो
कयामत ही लग रही थी,,,,,हो ना हो रास्ते मे आते टाइम जिस मर्द ने भी उसको एक नज़र देखा 
होगा दुआ मे उसी को माँगा होगा चाहे एक रात के लिए ही सही लेकिन माँगा ज़रूर होगा,,सच
मे आज तो जान निकाल कर रख दी थी शिखा ने ,,,,,,,,,मैने दरवाजा खोला तो वो अंदर आ गई
अभी मैने पलट कर दरवाजा बंद भी नही किया था कि शिखा जल्दी से मेरे से लिपट गई,,

शिखा--ऊहह सन्नी तुझे नही पता मैं कितना तड़प रही थी तेरे बिना मेरी चूत को कितनी आग लगी हुई
थी तेरा लंड लेने की,,इतना बोलते ही दीदी ने मेरे लिप्स को कस्के अपने लिप्स मे जकड लिया ऑर तभी
अपने हाथ को मेरे लंड पर रखके कस्के दबा दिया ,,इस से पहले मैं कुछ कहता या बोलता 
दीदी ने मुझे जबरदस्त तरीके से किस करना शुरू कर दिया,,,तभी मैने दीदी को पीछे
किया,,,,,,,,,,,

सन्नी--रूको दीदी पहले दरवाजा तो बंद करने दो ऑर ज़रा आराम से बोलो अगर किसी ने आपकी
आवाज़ सुन ली तो पंगा हो जाना है,,,,,,,,,,

शिखा--कॉन सुनेगा मेरी आवाज़ सन्नी घर पे कोई है क्या,,,,,,

मैं एक पल चुप रहा,,,,,,,,,,,,दीदी घर पे तो कोई नही है लेकिन फिर भी आप थोड़ा धीरे 
बोलो प्ल्ज़्ज़ ,,,,,,,,,,,

शिखा--ओके बाबा अब जल्दी कुछ करो मेरे से रहा नही जाता,,,,,,,,,,

मैने दरवाजा बंद किया ऑर दीदी को अपने साथ माँ के रूम मे ले गया अभी मैं बेड पर
बैठा ही था कि दीदी ने रूम मे आते ही जल्दी से कपड़े निकालना शुरू कर दिया ऑर मेरे देखते
ही देखते दीदी एक दम नंगी हो गई,,,,,,,

सन्नी-लगता है कुछ ज़्यादा ही आग लगी है दीदी आपकी चूत मे ,,,,,,,,,,,,,,,,

शिखा--हाँ सन्नी तू नही जानता कितनी आग लगी हुई है मेरी चूत मे,,कब्से तड़प रही है मेरी 
चूत तेरे लंड का पानी पीने के लिए ,,,,एक बार इसको अपने लंड का पानी पीला दे फिर इसकी आग
भुज जाएगी,,,,,,,,,,,,,इतना बोलते हुए दीदी खुद अपनी चूत मे उंगली करती हुई ऑर एक हाथ से
अपने बूब्स को मसल्ति हुई मेरे करीब आ गई,,,,

दीदी ने मेरे करीब आते ही अपनी चूत के पानी से सराबोर उंगलिया चूत से निकाली ऑर मेरे
लिप्स पर रख दी ,,,उंगलियों पर चूत का पानी लगा हुआ था उंगलियाँ मेरे लिप्स पर लगते ही 
उसकी नमकीन ऑर मदहोश करने वाली खुसबू से ना जाने कब मेरे लिप्स खुल गये ऑर दीदी की
उंगलियाँ मेरे मुँह मे चली गई ऑर मुँह मे जाते ही मैने उग्लियों को चूसना शुरू कर दिया


तभी दीदी ने जल्दी से अपनी उंगलिया वापिस खींच ली ऑर फिर से थूक से सराबोर उंगलिया 
अपनी चूत मे घुसा दी ऑर वापिस चूत के पानी से भिगो कर उंगलियों को मेरे मुँह मे डाल
दिया,,,मैने जल्दी से दीदी को कमर से पकड़ा ऑर बेड पर अपनी तरफ खेंच लिया ऑर पलट कर
दीदी को बेड पर लेटा दिया ऑर खुद बेड से खड़ा हो गया ,,,अब दीदी बेड पर नंगी पीठ के
बल लेटी हुई थी ऑर मुझे देखते हुए अपनी चूत मे उंगलिया करते हुए अपने बूब्स को मसल
रही थी उसके चेहरे पर वासना ऑर सेक्स की तड़प सॉफ नज़र आ रही थी,,,मैं भी अब पूरी 
मस्ती मे आ गया था ऑर अपने कपड़े निकालने मे लगा हुआ था,,,,कुछ पल मे ही मैं भी 
नंगा हो गया मेरे नंगा होते ही दीदी जल्दी से उठी ऑर मेरे आधे खड़े लंड को जल्दी से
मुँह मे भर लिया ऑर खुद बेड पर झुक कर घुटने मोड़ कर कुतिया बन गई ऑर तेज़ी से मेरे
लंड को मुँह मे लेके अपने सर के साथ-साथ अपनी कमर ऑर बाकी जिस्म को भी तेज़ी से आगे पीछे
करने लगी,,,मेरा लंड जो अभी आधा ही खड़ा हुआ था दीदी के गम ऑर सॉफ्ट लिप्स ऑर थूक से 
भीगी हुई ज़ुबान के संपर्क मे आके पूरी ओकात मे आ चुका था मेरे को कुछ ही पल मे
इतनी ज़्यादा मस्ती चढ़ने लगी थी कि ज़मीन पर खड़े हुए मेरी कमर भी आगे पीछे हिलने
लगी थी ऑर मैं भी अपनी कमर को हिला कर अपने लंड को दीदी के मुँह मे घुसाने मे लगा
हुआ था,,,अब तक दीदी काफ़ी ऐकसपर्ट हो चुकी थी मेरा लंड चूसने मे पहले पहले तो मेरा 
मूसल आधा भी नही ले पाती थी लेकिन अब तो पूरा गले के अंदर तक लेके जाती थी फिर भी ऑर
ज़्यादा अंदर करने को बोलती थी,,,,दीदी घुटने मोड़ कर अपने हाथों को बेड पर टिका कर
कुतिया की तरह झुकी हुई थी मैं मैं ज़मीन पर खड़ा हुआ अपने लंड को दीदी के मुँह 
मे तेज़ी से अंदर बाहर करते हुए उनकी कमर को कस्के पकड़ कर लंड से दीदी के मुँह की 
चुदाई कर रहा था मेरा लंड पूरा दीदी के मुँह मे जा रहा था फिर भी वो अपनी ज़ुबान को
बाहर निकाल कर मेरे लंड के घुसने के लिए ऑर जगह बन रही थी अपने मुँह मे ,,,,मेरा 
लंड दीदी के गले से नीचे उतर रहा था ऑर मुझे किसी टाइट गान्ड की चुदाई का मज़ा आ 
रहा था,,,,मैं करीब 10 मिनट तक ऐसे ही दीदी के मुँह को चोदता रहा फिर दीदी के मुँह
मे ही झड गया जब तक मेरे लंड ने पानी की आखरी बूँद तक दीदी के मुँह मे नही निकाल 
दी थी तब तक दीदी ने मेरे लंड को बाहर नही निकालने दिया अपने मुँह से ऑर जब लंड ने सारा
पानी निकाल दिया तो दीदी ने लंड को अच्छी तरह चाट कर सॉफ कर दिया ऑर अपने मुँह से निकाल
दिया ,,जो थोड़ा बहुत पानी दीदी के मुँह से निकल कर उनकी चिन पर आ गया था दीदी ने उसको भी
अपने हाथ से सॉफ किया फिर हाथ से भी मेरे पानी को ज़ुबान की मदद से चाट लिया ऑर फिर
खुद पलट कर चूत मेरे सामने करके लेट गई मैने भी दीदी का इशारा समझा ऑर जल्दी से
ज़मीन पर घुटने के बल बैठ गया ऑर अपने सर को दीदी की चूत की तरफ बढ़ा दिया फिर दोनो
हाथों से दीदी को टाँगों को पकड़ा ऑर अपनी तरफ खींच लिया ऑर जल्दी से मुँहको दीदी की 
चूत पर लगा कर तेज़ी से चूत के लिप्स को मुँह मे भर लिया ऑर चूसने लगा,,,
 
दीदी की चूत
अब तक काफ़ी सारा नमकीन पानी निकाल चुकी थी जिसका स्वाद मुझे बहुत अच्छा लग रहा था 
मैं चूत के लिप्स को चाटता हुआ बीच बीच मे ज़ुबान को अच्छी तरह दीदी की चूत पर
फेरने लगता तभी दीदी तेज़ी से सिसकियाँ लेने लगी तो मैं जल्दी से उठा ऑर दीदी के मुँह पर 
हाथ रख दिया,,,,,,,दीदी की आवाज़ तो बंद हो गई लेकिन दीदी अपनी नज़रो से मुझे सवाल करने
लगी कि मुझे चुप क्यूँ करवा दिया तो मैने भी अपनी उंगली को अपने लिप्स पर रखा ऑर दीदी 
को चुप रहने का इशारा किया तो दीदी ने भी हां मे सर हिला कर हामी भर दी ऑर मैं
वापिस दीदी की चूत की तरफ बढ़ गया ऑर फिर से चूत को प्यार से चाटने ऑर चूसने लगा मैं
इतनी तेज़ी से लेकिन प्यार से मस्ती भरे अंदाज़ मे दीदी की चूत को चूसने ऑर चाटने मे लगा
हुआ था कि दीदी का सिसकियों पर क़ाबू पाना मुश्किल हो रहा था तभी दीदी ने पास ही पड़े 
एक पिल्लो को उठा कर अपने मुँह पे रख लिया ऑर आवाज़ को दबाने की कोशिश करने लगी जो 
कोशिश काफ़ी हद तक कामयाब भी रही,,,,,मैने भी दीदी की चूत को इतने प्यार से चाटा
कि कुछ 5-8 मिनट मे ही दीदी की चूत ने पानी निकाल दिया था जिसको मैं सारा का सारा
पी गया था ,,चूत का पानी पीक मैने चूत को अच्छी तरह चाट कर सॉफ भी कर दिया था
,,

अब मैं ऑर दीदी बेड पर लेट गये ऑर दीदी ने अपने फेस से पिल्लो हटा कर साइड रख दिया ऑर
जल्दी से मेरे को किस करने लगी,,,मैने भी किस का रेस्पॉन्स देते हुए दीदी को पकड़ कर अपने
उपर खींच लिया ऑर जबरदस्त तरीके से दीदी के लिप्स को चूमने लगा दीदी के बड़े बड़े
बूब्स मेरी छाती पर दबने लगे थे ऑर नीचे मेरा लंड जो फिर से ओकात मे आ चुका था
उसकी टोपी की रगड़ दीदी की चूत पर होने लगी थी दीदी ने भी चूत पर लंड की रगड़ को
महसूस करते ही अपनी टाँगो को ऑर ज़्यादा खोल दिया मैने भी दीदी की पीठ को सहलाते
हुए अपने हाथों को दीदी की गान्ड पे रखा ऑर गान्ड को कस्के पकड़कर दीदी को हल्का सा 
उपर खींचा जिस से लंड की टोपी एक दम सही जगह पर आ गई ऑर जब मैने दीदी को नीचे
किया तो लंड दीदी की चूत मे समा गया ऑर जल्दी से मैने दीदी को गान्ड को पकड़ कर उपर
नीचे करना शुरू कर दिया दीदी ने भी मस्ती मे आके मेरा पूरा साथ देते हुए अपने 
हाथों से मेरे सर को पकड़ा ऑर तेज़ी से खुद को उपर नीचे करने लगी तभी मेरे हाथों ने
एक चाल ऑर चली ऑर मैने अपने हाथों से दीदी की गान्ड को खोला ऑर अपने हाथ की एक उंगली को 
दीदी की गान्ड मे घुसा दिया दीदी की गान्ड खुद-ब-खुद मस्ती मे खुलने ऑर बंद होने
लगी थी इस बात का फ़ायदा उठाते हुए मैने दीदी की गान्ड मे दोनो हाथों की 2-2 उंगलिया
डाल दी तभी एक दम से दीदी ने अपने लिप्स को मेरे लिप्स से हटा लिया ऑर मेरी तरफ देखने लगी
क्यूई दीदडिई म्माज्जाअ आ र्राहहा हहाइी नाअ,,,,,,,,,,,,हान्न्न ससुउन्नययी ब्भ्ह्हुउउत्त
म्ंूमाज़्जाअ आ र्राहहा हहाऐ,,,ईएसससा ल्लाग्ग र्राहहा हहाइईइ जाइईसीए 2 ल्लुउन्न्ड़डड़
ईएकककक हिी त्तीम्मी पपीए र्र म्मीरीइ कच्छुद्डाइ क्कार्र र्रहही हहाऐ,,,,,,,,,,,,,दीदी
आपपकाअ ड्डाइयील क्काररत्त्ताअ हहाइी क्क्य्याअ 2 ल्लुउन्न्ड्ड़ सससी ईककक हहिि ब्बीद्द्ड प्पीर
च्छुउूऊद्ड़ञनी ककूऊ ,,,,,,,दीदी इतनी ज़्यादा मस्ती मे थी कि कुछ सोचे समझे बिना ही
दीदी ने हां मे सर हिला दिया ऑर मैने भी मोका देखते ही बेड की मॅट्रेस के नीचे से एक
नकली लंड निकाला जो मैने बुआ के बॅग से निकाला था उसको जल्दी से दीदी की गान्ड मे घुसा
दिया दीदी एक दम से चिल्लाने ही लगी थी कि मैने एक हाथ से दीदी के सर को पकड़ा ऑर अपने 
सर के करीब करके लिप्स को लिप्स मे जकड कर किस करते हुए दीदी की चीख को दबा दिया ,,



मैने नकली लंड को तेज़ी से गान्ड मे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया ऑर अपने लंड से
तेज़ी से दीदी की चूत को चोदने लगा कुछ देर बाद दीदी फिर से सर को उपर करके मेरी तरफ 
देखने लगी मानो पूछ रही हो कि सन्नी ये गान्ड मे क्या घुसा दिया है तुमने,,,,,लेकिन
दीदी के पूछने से पहले ही मैने नकली लंड को बाहर निकाला ऑर दीदी के सामने कर दिया दीदी
की आँखें चमक गई नकली लंड देख कर ,,,,ऑर दीदी ने मुझे वापिस इशारा किया कि जल्दी से
इसको मेरी गान्ड मे वापिस घुसा दो लेकिन मैने ऐसा नही किया ,,,,,,,,,,,,दिदीइ ईईसस न्नाककल्ली
ल्लुउन्न्ड्ड़ ससी ंमाज़्जा आ र्राहहा हहाइी न्ना,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

हहानं ससुउन्नययी भ्हुत
म्माज्जा आ र्राहहा हहाइी यययय त्तूओ स्साक्च्छ म्मईए एआईसीए ल्लाग्ग र्राहहाअ 
हहाआऐययइ ज्ज्जासस्ससी स्साआकच म्मईए कककू द्दुऊऊसररा म्मार्र्द्द्द म्मूुझहही
छ्छूओद्दड़ रर्राहहा हहाऐ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

द्दीइद्दीइ यईीई ट्टू अब्भिईिइ कच्छूत्ताअ ल्ल्लुउन्न्ड्ड़ हहााईइ म्मीररी पास्ससस्स ईक
ऊओररर ईइसस्स ससी बभहीइ ब्बाद्दा ल्लुउन्न्ड्ड़ हहाइईइ उऊस्क्की स्साटतह ज्जय्याद्दा ंमाज़्जा
आयईगगा ब्बूओल्लू त्तूओ ल्ल्लीक्क्की आत्ता हहूऊंन्न,,,,,,,,,,,,,दीदी कुछ नही बोली ऑर
मेरे उपर से जल्दी से हट गई,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

शिखा--,जल्दी जाओ सन्नी ऑर लेके आओ उस मोटे लंड को आज
मुझे 2 लंड का मज़ा लेना है प्लीज़ जल्दी जाओ,,,,,,,,,,,,,,

सन्नी--,ऐसी नही दीदी वो लंड एक सर्प्राइज़ है आपके लिए आप एक काम करो अपने मुँह
को चद्दर से ढक लो जब तक वो लंड अपनी चूत मे नही जाता तब तक आपको उसको नही दिखाना है,,,,,,,,,,,

शिखा--ठीक है सन्नी मुझे सब मंजूर है लेकिन जल्दी जाओ उस बड़े लंड को लेके आओ मेरे से ऑर बर्दाश्त नही हो रहा,,,,,,,,,,
 
मैं जल्दी से उस रूम मे से निकला ऑर अपने मामा के रूम मे चला गया,,,,,,,जहाँ करण
मेरा इंतजार कर रहा था,,,,,,,सोनिया ऑर कविता के पीछे जाते मुझे पहले करण का ही फोन 
आया था ऑर घर पे जब पहली बेल बजी थी तब करण ही आया था जिसको मैने ये कहके
यहाँ बुलाया था कि मेरी एक गर्लफ्रेंड है जिसको मैं करण से चुदवा सकता हूँ लेकिन एक शर्त
है कि वो करण को अपना फेस नही दिखाएगी करण भी चूत के लिए किसी की शर्त को 
मानने को तैयार हो गया था जैसे अभी शिखा तैयार हुई है बड़े लंड के लिए मेरी कोई भी बात
मानने को,,,,,,,,,,,,,,,,


करण बेड से उठा,,,,,,,,,क्या हुआ सन्नी वो आ गई,,,,,,,,,,,,,,

सन्नी--हाँ वो आ गई ओर तैयार भी है चुदने को लेकिन उसको ये नही पता कि तुम उसको चोदोगे वो
तो यही समझेगी कि मैं उसको चोद रहा हूँ,,,,,,,,,,,,,,उसका चेहरा ढका हुआ है मैने
तुम जब भी उसको चोदो तो प्लज़्ज़्ज़्ज़ कोई बात मत करना कुछ मत बोलना उसको यही लगना 
चाहिए कि मैं ही उसको चोद रहा हूँ,,,,,,,,,,

करण--क्या मतलब सन्नी,,,,,,,,,,,,,क्या तूने उसको नही बताया कि मैं उसको चोदने वाला हूँ ,,लेकिन
तूने फोन पर तो बोला था कि वो भी तैयार है मेरे से चुदने को,,,,,,,,,,,,,

सन्नी--देख वो तैयार नही है लेकिन जब तेरा लंड उसकी चूत मे जाएगा तो वो तैयार हो जाएगी,,अब तू
ज्याद बात मत कर बोल चूत चाहिए या नही,,,,,,,,,,,,

करण कुछ नही बोला ओर मेरे साथ चलने लगा,,,,,,,,,,,,,,,,,

सन्नी--अबे साले पहले कपड़े निकाल ऑर चल मेरे साथ जल्दी से,,,,,,,,,,

मैं करण को लेके माँ के रूम मे आ गया जहाँ शिखा नंगी लेटी हुई थी लेकिन मुँह पर
एक चद्दर थी उसके जिस से उसका फेस कवर था ऑर ना तो वो करण को देख सकती थी ना करण
उसके फेस को,,,,,,,,,,,करण पहले से नंगा था ऑर रूम मे आके एक नंगे ऑर गोरे बदन को
ऐसी हालत मे, बेड पर देख कर उसका लंड भी ओकात मे आने लगा था,,तब तक मैं शिखा
के पास बेड पर चला गया ऑर इस से पहले वो कुछ बोलती मैने नकली लंड को चद्दर के 
अंदर कर दिया ऑर शिखा ने भी जल्दी से उस नकली लंड को मुँह मे भर लिया इतने मे करण
का लंड तैयार हो गया ऑर मैने उसको इशारा किया ऑर वो जल्दी से बेड पर आ गया जब करण बेड
पर चढ़ने लगा तो मैने जानभूज कर खुद को भी ज़रा ज़ोर से हिला दिया ताकि मेरे हिलने से
बेड भी हिलने लगे ऑर शिखा को करण के बेड पर चढ़ने का पता ना चल सके,,,बेड पर आते ही
वो शिखा के उपर चढ़ गया ऑर लंड को शिखा की चूत मे घुसा कर जल्दी से तेज तेज झटके
मारना शुरू कर दिया उधर मैने भी नकली लंड को शिखा के मुँह मे अंदर बाहर करना 
शुरू कर दिया ताकि वो कोई आवाज़ ना कर सके ऑर करण उसकी आवाज़ से उसको पहचान ना ले करण
तो पहले से ही चुप चाप चुदाई करने मे लगा हुआ था करण तेज़ी से चुदाई करता हुआ 
शिखा के बूब्स को चूसने लगा ऑर अपने एक हाथ से पकड़ने लगा तभी मैने उसको मना
कर दिया क्यूकी शिखा को शक हो जाता ,,,करण ने वापिस अपने दोनो हाथों को बेड से लगाकर
खुद को शिखा के बदन से उपर उठा लिया ऑर फिर तेज़ी से शिखा की चूत को चोदते हुए 
अपने सर को नीचे करके शिखा के बूब्स को चूसने लगा


करण आज नई चूत मिलने से कुछ
ज़्यादा ही एग्ज़ाइट हो गया था ऑर तेज़ी से पूरी स्पीड से शिखा को चोदने मे लगा हुआ था उसको
तो ये भी नही पता था कि जिसको वो इतने मज़े से ऑर इतनी तेज़ी से चोद रहा है वो उसकी अपनी
बेहन है,,,,,उधर शिखा भी इतनी तेज़ी से हो रही अपनी चूत की चुदाई मे पागल होने लगी
ऑर तेज़ी से सिसकियाँ लेने लगी ये तो अच्छा था कि मैने नकली लंड को उसके मुँह मे घुसा रखा
था वर्ना उसकी आवाज़ से करण को उसकी पहचान हो जाती ऑर पंगा हो जाता...तभी फिर से करण
ने अपने जिस्म को शिखा के जिस्म पर रख दिया मुझे डर था कही शिखा ऑर कोई एहसास ना
हो जाए कि मेरे अलावा कोई ओर भी है रूम मे इसलिए करण के नीचे होते ही मैने करण के 
हाथ मे वो नकली लंड पकड़ा दिया जो अभी तक मेरे हाथ मे था ऑर खुद जल्दी से उठकर
साइड मे हट गया करण इतनी तेज़ी से चोद रहा था ऑर काफ़ी लंबे टाइम तक चोदता रहा अपनी सिस
को ऑर करीब 15-20 मिनट की तेज चुदाई के दोरान शिखा एक बार ऑर पानी निकाल चुकी थी 


लेकिन करण अभी भी डटा हुआ था ऑर तभी 2 मिनट बाद ही करण ने अभी पानी छोड़ना
शुरू कर दिया ऑर उसके अपनी बेहन की चूत को पानी से भर दिया ऑर जल्दी से उतरकर शिखा की
राइट साइड मे लेट गया ऑर हाँफने लगा उधर मैं शिखा की लेफ्ट साइड मे लेटा हुआ था कुछ
देर बाद खुद पर क़ाबू पाके शिखा ने अपने चेहरे से चद्दर निकाल दी उसका फेस मेरी
तरफ था उसने अपने पास पड़े नकली लंड को उठाया ऑर मेरी तरफ करते हुए इशारे मे ही
पूछने लगी कि ये तो वही नकली लंड है तो फिर बड़ा वाला लंड कहाँ है जो तुम लेने गये
था तभी मैने उसको उसकी दूसरी तरफ इशारा करते हुए करण की तरफ इशारा कर दिया उसने
जैसे ही पलट कर करण की तरफ देखा एक दम से डर गई ऑर जल्दी से अपनी चद्दर उठाकर
खुद के नंगे जिस्म को ढक लिया तब तक करण भी गुम्सुम हो चुका था अपनी बेहन को 
ऐसी नंगी हालत मे अपने दोस्त के साथ एक ही बेड पर देख कर,,,,,,,,,,,करण ने भी पास ही
पड़े एक पिल्लो को उठा लिया ऑर जितना ज़रूरी था उतना बदन ढक लिया,,,,,,,,,,,
 
कुछ टाइम रूम मे सन्नाटा रहा,,,,,,,,वो दोनो डरे हुए थे ,,,,शायद मैं भी क्यूकी पता
नही था अब आगे क्या होगा,,,मैने एक प्लान तो बनाया था ऑर प्लान कामयाब भी हुआ लेकिन अब
आगे क्या होना था ये नही पता था किसी को भी,,,,मुझे भी नही ,,,,,,,,,,,क्या वो दोनो गुस्सा 
करते मेरे पे,,,,,,,,,,,या करण मेरे से फाइट करता,,,,,,,या शिखा मेरे पे गुस्सा करती,,,,

तभी वो दोनो एक साथ गुस्से मे बोल पड़े..........

शिखा--सन्नी ये क्या किया तुमने ,,,,,शरम नही आती तुमको एक भाई बेहन के साथ ऐसा करते हुए
वो भी इतनी चालाकी से,,,,,,,,ज़रा तो सोचा होता ,,,,,,,,,

करण--सन्नी तुमको शरम नही आई मेरे से ही मेरी बेहन के साथ चुदाई करवाते हुए,,,,,क्या सोच
कर ऐसी घटिया हरकत की तूने,,,,,,,,मैं तेरी जान ले लूँगा,,,,,,,

इस से पहले करण कुछ ऑर बोलता शिखा बोलने लगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,सन्नी ये तूने अच्छा नही किया
हम भाई बेहन है ,,,ऑर तूने हमारे बीच ये सब करवा दिया,,,ज़रा भी नही सोचा तुमने
हमारे रिश्ते के बारे मे,,,,,,, 

सन्नी--अच्छा अब भाई बेहन का रिश्ता याद आ गया,,अभी कुछ देर पहले तो बड़ी मस्ती मे चुदाई
का मज़ा ले रहे थे दोनो,,,ऑर अब रिश्ते की बात कर रहे हो,,,,,,,,,

करण--सन्नी वो तो तुमने धोखे से मुझे,,,,,,,,,

सन्नी--धोखा नही करण इसको वासना बोलते है,,,,,,,,,,जब तेरा लंड तेरी बेहन की चूत मे था अगर
उसी टाइम मैं तेरी बेहन के फेस से चद्दर हटा देता तब भी तू नही रुकता ऑर वैसे ही
अपनी बेहन की चुदाई करता रहता,,,ऑर ना शिखा दीदी आप इसको रोकती ,,,क्यूकी जब एक लंड ओर
चूत का मेल होता है तो ये कोई नही सोचता कि लंड अपने भाई का है या बाप का,,,,ऑर ना ही
ये सोचता है कि सामने नंगी लेटी हुई औरत उसकी बेहन है या माँ,,,,किसी को कोई फ़र्क नही
पड़ता ,,,,,,,,,,,,,सबको बस मज़ा चाहिए,,,,,,,,,,,,,आप लोग बोलो क्या आप लोगो को मज़ा नही आया
एक दूसरे से चुदाई करके,,,,,,,,क्या तुझे ऐसा लगा करण कि जिस चूत मे तेरा लंड है वो
तेरी अपनी बेहन की है,,,,,,,,,,,,,,ऑर क्या शिखा दीदी आपको एक पल के लिए भी ऐसा लगा कि वो लंड 
मेरा नही जो आपकी चूत मे चुदाई कर रहा है बल्कि आपके भाई करण का है,,,,,,,,दोनो
चुप चाप बैठे मेरी बात सुन रहे थे कोई कुछ नही बोला ,,,,,,,,,,करीब 5 मिनट तक
ऐसे ही रूम मे खामोशी का आलम रहा फिर मैं उठा ऑर ऐसे ही नंगा बाहर आ गया
ताकि उन दोनो को कुछ टाइम मिल सके ऑर वो दोनो खुद को ऐसी हालत मे करीब से देख सके
ऑर उनका डर कुछ हद तक दूर हो जाए,,,,,

मैं वहाँ से उठा ऑर किचन मे आके पानी पीने लगा क्यूकी मैं भी बहुत घबरा गया था
मैने कुछ ऐसा कर दिया था जिस से करण ऑर शिखा या तो मेरे से उमर भर के लिए नाराज़ 
हो जाते या अभी वापिस जाके मैं ऑर करण मिलकर एक ही बेड पर शिखा दीदी को 2 असली लंड का
मज़ा देते,,,,,,,,,,,,,,मैं किचन से अभी बाहर निकला ही था कि कुछ ऐसा हो गया जो मैने 
सोचा भी नही था,,,,,,,,,,,,,
 
किचन से बाहर निकलते ही मेरी नज़र पड़ी माँ के रूम के दरवाजे के एक साइड खड़ी हुई
शोभा दीदी पे,,,,,,,,,मैं एक दम से डर गया लेकिन एक ही पल मे मेरा डर ख़तम हो गया जब
मैने अच्छी तरह से शोभा दीदी की हालत को देखा,,,,,,,,,,,उनकी कमीज़ उतरी हुई थी ब्रा के हुक
शायद खुले हुए थे क्यूकी ब्रा भी बूब्स से हल्की नीचे तक लटक रही थी सलवार उतर कर
पैरो मे गिरी हुई थी ऑर वो दीवार एक साथ पीठ लगा कर खड़ी हुई थी उनकी टाँगों से 
अभी भी पानी रिस्ता हुआ नीचे ज़मीन पर गिर रहा था उनकी सलवार उनके पैरो मे थी जो 
चूत से निकलने वाले पानी से पूरी तरह गीली हो चुकी थी उनका एक हाथ उनके बूब्स पर था
ऑर एक हाथ अभी भी चूत पर था जिसकी शायद 2 उंगलिया अभी भी चूत के अंदर थी ऑर हाथ
भी धीरे धीरे हिल रहा था चूत से निकलने वाला पानी इतना ज़्यादा था कि ऐसा लग रहा
था जैसे उन्होने मस्ती मे वही खड़े खड़े पेशाब कर दिया था,,मैं समझ गया कि दीदी
ने सब कुछ देख लिया है तभी तो मस्ती मे उनका ये हाल हो गया था,,दीदी का ध्यान भी 
मेरी तरफ था लेकिन उनपे कोई असर नही था बल्कि वो तो मुझे देख कर हल्के से मस्ती ऑर
शरारत भरे अंदाज मे मुस्कुरा रही थी उनके चेहरे की मुस्कान देख कर मेरे भी दिल 
मे खुशी ऑर चेहरे पर हल्की मुस्कान खिल उठी थी ,,,क्यूकी अब मुझे करण ऑर शिखा दीदी
की सभी बातों का जवाब मिल गया था,,मैं चलके शोभा दीदी के पास गया ऑर मेरे पास 
आते ही दीदी ने मुझे कस्के बाहों मे जकड लिया ऑर हम लोगो मे एक ज़बरदस्त किस शुरू
हो गई थी मैं तो नंगा ही था जबकि दीदी के जिस्म पर एक ब्रा थी जो बस उतरने ही वाली थी 
मैने दीदी को कस्के बाहों मे पकड़ा ऑर किस करते हुए अपनी गोद मे उठा लिया जिस से दीदी
की सलवार भी नीचे गिर गई थी ,,,,मैं दीदी को ऐसे ही किस करते हुए बाहों मे उठाकर 
माँ के रूम मे ले गया जहाँ अभी तक शिखा दीदी चेहरा झुका कर बैठी हुई थी ऑर करण
भी ऐसे ही पिल्लो को टाँगों के बीच फसा कर अपने लंड को शिखा से छुपा कर 
बैठा हुआ था,,,,


रूम मे जाते ही मैने दीदी को किस करना बंद किया ऑर हम दोनो ने बेड
पर बैठे हुए करण ऑर शिखा दीदी की तरफ देखा ,,,,दीदी मेरी तरफ देख कर हँसने लगी ऑर
मैं भी उसी शरारती अंदाज़ मे दीदी की तरफ स्माइल करके देखने लगा,,,,करण ऑर शिखा का
ध्यान जब हमारी तरफ आया तो वो दोनो हमें ऐसी हालत मे देख कर दंग रह गये,,दोनो
का मुँह खुला का खुला ही रह गया,,,,,,तभी मैने दीदी को गोद से नीचे उतारा ऑर दीदी के पीछे
जाके उनकी ब्रा को भी सही से नीचे उतार दिया अब दीदी ऑर मैं बिल्कुल नंगे थे करण ऑर 
शिखा दीदी की तरह,,,,,,,,शोभा दीदी मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बेड की तरफ ले गई जहाँ 
शिखा चद्दर लेके मुँह खोले हमें देख रही थी शोभा ने जल्दी से आगे बढ़ कर शिखा के
सर को अपने दोनो हाथों से पकड़ा ऑर इस से पहले कि शिखा कुछ समझती या बोलती शोभा ने
शिखा के लिप्स को अपने लिप्स मे जकड लिया ऑर किस करना शुरू कर दिया ,,,,शिखा का ये पहला 
अनुभव था शायद किसी लड़की के साथ किस करने का इसलिए वो कुछ ज़्यादा ही उछलने लगी थी
लेकिन शोभा ने उसको अच्छी तरह से क़ाबू कर लिया था ऑर प्यार से उसको किस कर रही थी,,जो शिखा 
अभी कुछ देर पहले मेरे पे गुस्सा कर रही थी अभी एक ही पल मे शोभा दीदी के साथ किस करने 
मे ही उसने हथियार डाल दिए थे,,,,एक तो शायद शिखा का पहला तजुर्बा था किसी लड़की के साथ किस
करने का ऑर उपर से शोभा का किस करने का अंदाज़ ही इतना मस्त था कि शिखा एक ही पल मे 
पागल होने लगी थी,,,,,,,,,,,



जहाँ शिखा ने सेक्स की दहलीज़ पर कुछ ही सीडियाँ उपर चढ़ि 
थी वहीं शोभा तो सेक्स की लिफ्ट मे सवार होके लास्ट फ्लोर तक पहुँच चुकी थी,,,उधर करण
का भी एक पल मे बुरा हाल हो गया था शोभा दीदी को अपने पास ऐसी नंगी हालत मे देख 
कर ऑर उपर से शोभा का शिखा को ऐसे किस करना देख कर तो करण की हालत खराब होने 
लगी थी तभी शोभा ने शिखा के जिस्म पर पड़ी चद्दर को हटा दिया ऑर एक ही पल मे शोभा
ने शिखा को बेड पर लेटा दिया ऑर शिखा को बड़े प्यार से किस करने लगी शिखा को कुछ भी
समझ नही आ रहा था लेकिन उसको ये सब अच्छा लग रह था क्यूकी नीचे लेटते ही अपने उपर 
लेटी हुई शोभा की पीठ पर शिखा के हाथ चलने लगे थे,,,,,तभी शोबा दीदी ने अपने 
हाथ शिखा के बूब पर रखे ओर उसको मसलना शुरू कर दिया शिखा की तो कुछ ही पल मे 
हालत खराब होने लगी ऑर उसके हाथ तेज़ी से शोबा की पीठ पर चलने लगे शोभा ने भी
मोका देख कर अपने एक हाथ को शिखा की चूत पर रख दिया ,,,ऑर जल्दी से एक उंगली शिखा
की चूत मे घुसा दी इस से पहले शिखा कुछ समझ पाती शोभा ने जल्दी से उसकी चूत मे 
उंगली पेलना शुरू कर दिया चूत मे उंगली जाते ही शिखा के हाथ भी तेज़ी से शोभा की पीठ'
पर चलने लगे ,,,,,,,,,

उधर करण ये सब देख कर हेरान रह गया वो शोभा ऑर शिखा की तरफ़ देख रहा था ऑर उसका
मुँह खुला हुआ था तभी उसने मेरी तरफ देखा मैं तो आराम से लेट कर अपने लंड को हाथ
मे लेके मसल रहा था क्यूकी अब शोभा आ गई थी अब मुझे कोई टेन्षन नही थी वैसे 
भी शोभा ने आते ही सब कुछ बखूबी संभाल लिया था ,,,ना तो करण कुछ बोल सका ऑर
शिखा के बोलने से पहले कि शोभा ने उसको अपने बस मे कर लिया था,,,,,,,,मुझे लंड हिलाता
देख करण ने भी डरते हुए अपनी टाँगों से पिल्लो निकाल कर साइड किया मेरी नज़र जब 
करण के लंड पर पड़ी तो उसका लंड भी ओकात मे आ चुका था,,उसने एक पल को मेरी तरफ 
देखा ऑर मैने उसको सर हिलाकर इशारा कर दिया तो करण ने भी इशारा समझ कर हल्का सा
डरते हुए लंड को अपने हाथ मे पकड़ा ऑर शोभा ऑर शिखा की हर्कतो को देख कर लंड को
प्यार से सहलाने लगा,,,,,,,,,,,,
 
अब तक शोभा दीदी पूरी तरह क़ाबू पा चुकी थी शिखा पर
तभी मैं भी उनकी हेल्प करने के लिए अपने सर को शिखा की चूत पर ले गया ऑर शोभा दीदी
के हाथ को वहाँ से हटा कर शिखा की चूत को मुँह मे भर लिया इतने मे ही शिखा एक दम
से उछल पड़ी शोभा दीदी ने जल्दी से शिखा के लिप्स को आज़ाद किया ऑर अपने सर को शिखा के '
बूब्स की तरफ मोड़ दिया शिखा के लिप्स शोभा से आज़ाद होते ही एक दम से शिखा की तेज-तेज
सिसकियाँ निकलना शुरू हो गई ,,,,,शोभा का फेस अब शिखा के बूब्स पर था ऑर शोभा ने
जल्दी से शिखा के एक बूब को मुँह मे भर लिया ऑर हाथों से दबाते हुए उसको ज़ोर ज़ोर से
चूसने लगी ऑर दूसरे वाले को भी ज़ोर ज़ोर से अपने हाथों मे लेके दबाने लगी शिखा की
सिसकियाँ काफ़ी तेज थी शोभा बारी बारी एक उसके बूब्स मसल ऑर चूस रही थी ऑर मैं भी अपने
मुँह मे शिखा की पूरी चूत को भरके चूस रहा था,,,,कभी उसकी चूत के लिप्स को अपने
मुँह मे भर लेता तो कभी उसकी चूत मे ज़ुबान डालके तेज़ी से चोदने लग जाता ऑर कभी
चूत के लिप्स को हल्के से काटने लग जाता शिखा भी मस्ती मे शोभा के सर को अपने बूब्स
पर दबा देती तो कभी शोभा के सर मे हाथ घूमने लग जाती,,,,उधर करण अपने लंड
को हाथ मे लेके सहला रहा था,,तभी शोभा ने शिखा के बूब्स को मुँह से निकाला ऑर पलट
कर करण की तरफ हो गई ऑर करण के हाथों से उसके लंड को आज़ाद करके अपने मुँह मे क़ैद
कर लिया इस से पहले करण कुछ समझ पाता उसका लंड शोभा के मुँह मे पूरा अंदर तक
घुस चुका था ऑर शोभा ने जल्दी से करण के लंड को पूरा मुँह मे लेके तेज़ी से सर को उपर
नीचे करना शुरू कर दिया था करण ने भी एक ही पल मे शोभा के सामने हथियार डाल 
दिए थे ऑर आराम से सर पीछे करके बेड पर लेट गया था उधर शोभा तेज़ी से करण के लंड
को पूरा मुँह मे लेके चूसने लगी हुई थी इधर मैं शिखा की चूत को पूरा मुँह मे 
भरके चूस रहा था ,,,,,,,,ना तो करण कुछ बोल रहा था ओर ना ही शिखा वो दोनो बस
बेड पर लेटे हुए मस्ती मे सिसकियाँ ले रहे थे,,..

तभी कुछ देर करण का लंड चूसने के बाद शोभा उठी ऑर उसने करण को भी हाथ पकड़ 
कर उठा दिया करण भी चुप चाप उठ गया ,,,,,,शोभा ने करण को शिखा के सर के पास
बिठा दिया ऑर उसके लंड को अपने हाथों मे पकड़ कर शिखा मे मुँह मे पास कर दिया 
पहले तो करण ने पीछे हटने की कोशिश की लेकिन शोभा ने उसको पकड़े रखा ऑर शिखा ने 
भी अपने फेस को दूसरी तरफ टर्न कर लिया लेकिन मैने शिखा के फेस को पकड़ कर वापिस 
करण के लंड की तरफ घुमा दिया ऑर खुद जल्दी से एक हाथ से शिखा की चूत मे तेज़ी से
उंगली करने लगा शोभा का हाथ भी तेज़ी से करण के लंड पर आगे पीछे होते हुए मूठ 
मारने मे लगा हुआ था ताकि मज़ा कम होते ही करण पीछे नही हट जाए हम दोनो भाई
बेहन की करामात काम आई ऑर जहाँ शिखा ने अपने मुँह को खोल दिया था अपने ही भाई
के लंड को चूसने के लिए वहीं करण ने भी थोड़ा आगे होके अपने लंड को शिखा के मुँह
के करीब कर दिया था ऑर एक ही पल मे शिखा ने सर उठाया ऑर कारण ने लंड को नीचे करके
शिखा मे मुँह मे डाल दिया ऑर शिखा ने बड़े प्यार से अपने भाई के लंड को चूसना शुरू
कर दिया उधर शिखा के उपर से होते हुए शोभा ने मेरे लंड को अपने मुँह मे भर लिया ऑर
चूसने लगी ,,,,,करण ऑर शिखा का ध्यान हम भाई बेहन की तरफ आया तो उन लोगो ने शरम 
को बिल्कुल उतार फेंका ऑर मस्ती मे एंजाय करने लगे,,,,,शिखा बेड पर पीठ के बल लेटी हुई थी 
ऑर करण उस्की लेफ्ट साइड पर सर के पास घुटनो के बल बैठा हुआ था ऑर अपने लंड को शिखा के
मुँह मे डालके हल्के से उसको लंड चुस्वा रहा था उधर मैं शिखा की राइट साइड पर 
अपने घुटनो के बल बैठा हुआ था ऑर शिखा की चूत मे उंगली कर रहा था ऑर शोभा शिखा 
की लेफ्ट साइड से उसके पेट से उपर से होते हुए मेरे लंड को मुँह मे लेके चूस रही थी अब तक
मेरी तरह करण का हाथ भी शोबा की चूत पर पहुँच गया था जैसे मैने शोभा को लंड
चुसवाते हुए शोभा की चूत मे उंगली कर रहा था वैसे ही करण शिखा को अपना लंड
चुस्वाता हुआ शिखा की चूत मे उंगली कर रहा था,,,,,


कुछ देर बाद शोभा उठी ऑर एक साइड होके मेरे पास आ गई ऑर मुझे बेड पर लेटा दिया फिर
खुद टाँगें खोलकर मेरे उपर आ गई हम लोग 69 के पोज़ मे आ गये ,,,उसने मेरे लंड को
मुँह मे भर लिया ऑर मैने अपने हाथों से उसकी गान्ड को अपने फेस से दबा लिया ऑर उसकी
चूत को जबरदस्त तरीके से मुँह मे भरके चूसने लगा वो भी उसी अंदाज़ मे मेरे 
लंड को चूसने मे लगी हुई थी तभी मुझे बेड पर हल्की से हरकत महसूस हुई मैने जब
साइड होके देखा तो करण भी अपनी बेहन के उपर झुक गया था ऑर अपने सर को शिखा की
चूत पर रख दिया था,,फिर खुद की कमर को उपर नीचे करते हुए लंड को शिखा के मुँह
मे अंदर बाहर करते हुए खुद उसकी चूत को चूसने ऑर चाटने मे लग गया था,,,,,,,पूजा
ने करण को अब तक काफ़ी कुछ सिखा दिया था कुछ ही दिनो मे उसी का ये असर था कि आज करण
अपनी बेहन को खुश करने के लिए जी जान से मेहनत करने मे लगा हुआ था ,,,करण का लंड
मेरे लंड जितना लंबा था लेकिन मेरे लंड से बहुत पतला था शिखा करण के पूरे लंड को
अपने मुँह मे ले रही थी करण भी खुद अपनी कमर को उपर नीचे करते हुए अपने ज़्यादा से
ज्याद लंड जो शिखा के मुँह मे घुसा रहा था उधर शिखा भी पूरे लंड को मुँह मे
लेती हुई करण की गान्ड को दोनो हाथों से पकड़ कर अपने सर पे नीचे की तरफ दबा रही
थी ऑर करण के पूरे लंड को गले से नीचे लेने की कोशिश कर रही थी हालांकि करण का सारा
लंड शिखा के मुँह के अंदर था फिर भी शिखा ऑर ज़्यादा लंड लेने को तैयार थी,,इधर 
मेरा ऑर शोभा का भी यही हाल था शोभा खुद अपने सर को मेरे लंड पर दबा कर मेरे
पूरे लंड को मुँह मे ले रही थी साथ ही अपनी गान्ड को मेरे मुँह पे दबा कर अपनी पूरी 
चूत को मेरे मुँह मे भरने की कोशिश कर रही थी,,,,मैं भी मस्ती मे अपनी कमर
को उछाल उछाल कर अपने लंड को उपर करके शोभा के मुँह को चोदने मे लगा हुआ था 
ऑर साथ ही शोभा की गान्ड को अपने हठों मे पकड़ कर अपने मुँह पे दबा कर उसकी पूरी
चूत को मुँह मे भरके चूसने मे लगा हुआ था,,,,,,,,,,
 
फिर कुछ देर बाद शोभा मेरे उपर से उतर गई उसने करण को भी शिखा के उपर से हटा
दिया ऑर जल्दी से शिखा को भी पकड़ कर उठा दिया ऑर शिखा के लिप्स को फिर से अपने लिप्स मे
जकड कर किस करने लगी कुछ देर बाद उसने शिखा की टाँगो को खोला ओर उसको मेरे उपर
कर दिया जिस से शिखा की चूत मेरे फेस के उपर आ गई ओर मैने जल्दी से उसकी चूत को मुँह
मे भर लिया ओर शोभा खुद मेरे उपर चढ़ कर मेरे लंड को अपनी चूत मे लेके आगे की 
तरफ झुक गई ऑर करण के हाथ को पकड़ कर उसको अपनी गान्ड की तरफ पीछे कर दिया करण
भी पीछे हो गया शोभा ने करण के लंड को पकड़ा ऑर अपनी गान्ड के होल पर रख दिया



करण ने भी आगे होके लंड को शोभा की गान्ड मे घुसा दिया नीचे मेरा लंड शोभा की
चूत मे था ऑर मैं शिखा की चूत को चूस रहा था शोभा ने अपने सर को शिखा के
बूब्स पर रख दिया ऑर उसके बूब्स चूसने लगी जबकि पीछे से करण उसकी गान्ड ओर नीचे से
मैं उसकी चूत को चोदने लगे,,,,,,,,करण का ध्यान सामने उसकी बेहन शिखा की तरफ
था ऑर शिखा भी बड़े प्यार से मस्ती भरे अंदाज मे अपने भाई को देख रही थी इसी मस्ती
मे शिखा शोभा के सर को अपने बूब्स पर दबा रही थी ऑर अपनी चूत को मेरे मुँह से 
दबा रही थी मैं भी नीचे से शिखा की चूत को चूस्ता हुआ शोभा की चूत को चोदने मे
लगा हुआ था जबकि करण भी शिखा की मस्ती भरी आँखों को देख कर शोभा की गान्ड को
तेज़ी से चोदने मे लगा हुआ था,,,,,,,शिखा के लिए ये एक नया अनुभव था जबकि करण तो
ये सब देख कर ही पागल हो चुका था,,,,,,हम लोग करीब 5-7 मिनट ऐसे ही चुदाई करते
रहे,,,फिर शोभा मेरे उपर से उतर गई ऑर करण ने भी अपने लंड को शोभा की गान्ड मे से
निकाल लिया फिर शोभा ने जल्दी से शिखा को भी मेरे फेस के उपर से उतारा ऑर उसको वैसे
ही मेरे उपर ऐसे झुका दिया जैसे कुछ देर पहले वो झुकी हुई थी अब शिखा की चूत मेरे
लंड के पास थी ऑर मैने भी कोई देर किए बिना अपने लंड को शिखा की चूत मे पेल दिया
ऑर शोभा ने पीछे जाके करण के लंड को मुँह मे भर लिया ऑर उसको थूक से चिकना करके
उसकी बेहन शिखा की गान्ड पर लगा दिया करण ने भी कोई देर नही की ऑर जल्दी से लंड को
शिखा की गान्ड मे घुसा दिया लंड अंदर जाते ही शिखा एक दम से उछल गई क्यूकी उसने
इतना मज़ा ज़िंदगी मे कभी नही किया था जितना मज़ा वो आज कर रही थी करण ने भी कभी
मेरे साथ मिलके पूजा को नही चोदा था क्यूकी जब भी हम एक साथ होते तो वो अकेला पूजा
को ऑर मैं अकेला मनीषा को चोदता था,,,,कभी हम दोनो ने एक साथ पूजा या मनीषा
को नही चोदा था .......उसके लिए भी ये सब नया था ऑर उसको भी इस नये मज़े से कुछ ज़्यादा
ही मस्ती चढ़ने लगी थी वही हाल शिखा का था एक साथ 2 लंड से चुदाई ज़्यादा देर तक
बर्दाश्त नही हुई शिखा से ऑर जल्दी से उसने पानी छोड़ दिया उसके पानी निकलते ही वो जल्दी
से साइड मे हो गई लेकिन मैं ऐसे ही लेटा रहा ऑर उसके नीचे उतरते ही शोभा वापिस मेरे उपर
आ गई जैसे पहले थी लेकिन इस बार उसकी पीठ थी मेरी तरफ ऑर उसके हाथ बेड पर थे ऑर
वो पीठ झुका कर अपनी गान्ड को मेरे लंड के करीब करके अपने हाथों का सहारा बेड
पर लेके झुकी हुई थी जबकि उसका उपरी हिस्सा करण के सामने था,,,जैसे उसके बूब फेस ऑर
चूत भी,,,


सॉफ जाहिर हो रहा था कि वो गान्ड मे मेरा मोटा मूसल लेना चाहती थी 
जबकि चूत मे करण का लंबा ऑर पतला लंड,,,,मैने लंड को हाथ से पकड़ा ऑर उसकी गान्ड
पर लगा दिया उसने खुद नीचे होके लंड को गान्ड मे ले लिया ऑर उपर से करण ने अपने 
लंड को उसकी चूत मे घुसा दिया ऑर चुदाई करते टाइम शोभा के उपर झुककर शोभा के
बूब्स को चूसने लगा,,साइड मे लेटी हुई शिखा अभी तक हाँफ रही थी ऑर हान्फते हुए वो हम
लोगो की चुदाई देख रही थी,,,,,,मैं नीचे से तेज़ी से शोभा की गान्ड मार रहा था जबकि
उपर से करण शोभा के उपर झुक कर उसकी चूत मारता हुआ उसके बूब्स को चूस रहा था,,


शोभा कुछ बोल नही रही थी बस तेज़ी से सिसकियाँ लेती हुई चिल्ला रही थी क्यूकी आज उसका भी 
पहला दिन था 2 असली लंड से चुदाई करने का ,,,,,,,पहले तो वो अक्सर एक असली ऑर एक नकली लंड
से चुदाई करवाती थी लेकिन आज 2-2 असली लंड उसकी चुदाई कर रहे थे उसके लिए भी ये नया
तजुर्बा था लेकिन मेरे लिए अब कुछ नया नही था,,,मेरे लिए सब खेल पुराना हो गया था 
लेकिन हर बार खेलने के दौरान मज़ा नया ही आता था,,,,,हर बार एक अलग मस्ती चढ़ती थी
मुझे जैसे आज शिखा ऑर करण के साथ चुदाई कारने की मस्ती चढ़ि हुई थी,,जहाँ शिखा
2 लंड को ज़्यादा देर तक नही झेल सकी थी वहीं शोभा काफ़ी देर से डटी हुई थी 2 लंड लेने
मे लेकिन ज़्यादा देर तक वो भी नही टिक सकी थी उसने भी जल्दी ही पानी छोड़ दिया था लेकिन
अभी तक मेरा पानी नही निकला था ऑर करण पहले एक बार पानी निकल चुका था अपनी बेहन 
की चूत मे इसलिए अभी तक टिका हुआ था वो भी,,,शोभा की चूत ने पानी छोड़ा था लेकिन 
शोभा ने हमारा साथ नही छोड़ा था वो अभी भी पानी निकलने के बाद चुदाई मे साथ दे
रही थी हमारा ये बात देख कर शिखा कुछ हेरान लग रही थी तभी मैने शिखा की 
तरफ देखा तो वो मुस्कुराने लगी उसकी मुस्कुराहट मे एक अजीब सी खुशी ऑर एक संतुष्टि थी
जैसे कि आज उसकी चूत की सारी प्यास भुज गई थी लेकिन साथ ही एक वासना भी थी उसके चेहरे पर
जिसका मतलब था कि वो एक बार ऑर चुदने को तैयार हो चुकी थी,,,,,शोभा भी अब तक दो बार
पानी निकलवा चुकी थी अपनी चूत का एक तो यहाँ बेड पर ऑर एक बार रूम मे बाहर जब
वो हम लोगो को देख रही थी बाहर खड़ी होके,,,


शिखा अपनी जगह से उठी ऑर उसने शोबा को किस करने शुरू कर दिया शोभा भी उसकी बात को
समझ गई उसको पता लग गया था कि शिखा अब फिर से तैयार हो गई है इसलिए वो मेरे उपर 
से हट गई ऑर मैं भी जल्दी से खड़ा हो गया ऑर शिखा को पकड़ कर शोभा से अलग करके 
अपनी गोद मे उठा लिया शिखा ने भी अपनी बाहों को मेरे गले से जकड कर खुद को मेरे
से चिपका लिया ओर मैने उसको टाँगों से पकड़ कर उसकी टाँगों को खोला ऑर लंड को उसकी
चूत मे घुसा दिया इतने मे शोभा ने करण को पकड़ा ऑर शिखा के पीछे खड़ा कर दिया
करण ने भी अपने लंड को शिखा की गान्ड मे घुसा दिया ऑर शिखा की कमर को पकड़
कर तेज़ी से शिखा की गान्ड को चोदने लगा,,शिखा मेरी गर्दन मे बाहें डालके लटकी हुई
थी ऑर मैं उसकी गान्ड को हाथों से पकड़ कर तेज़ी से उसको उपर नीचे करते हुए लंड को उसकी
चूत मे डालके चोद रहा था जबकि करण उसके पीछे खड़ा होके उसकी कमर को हाथों 
से पकड़ कर लंड को उसकी गान्ड मे डालके तेज़ी से उसकी गान्ड को चोदने मे लगा हुआ था 



आज अब तक की चुदाई मे किसी ने एक भी लफ़्ज नही बोला था क्यूकी माहौल ही ऐसा बना हुआ था 
सब लोग चुपचाप मस्ती कर रहे थे लेकिन फिर भी शिखा ऑर कारण की हल्की हल्की सिसकियाँ तो 
माहौल मे गूँज ही रही थी जिस से ऑर ज़्यादा मस्ती चढ़ने लग जाती थी शोभा हमारे पास
खड़ी हो गई ऑर उसने शिखा के सर को पकड़ कर अपनी तरफ मोड़ लिया ऑर जल्दी से उन्दोनो ने 
फिर से किस शुरू करदी मैं तो पागलो की तरह आज शिखा की चुदाई कर रहा था ऑर कुछ हद
तक पागलपन करण की चुदाई मे भी झलक रहा था वो भी आज मस्ती मे पूरी तेज़ी से ऑर काफ़ी
लंबे टाइम से मैदान मे डटा हुआ था आख़िर उसकी अपनी बेहन से पहली चुदाई थी एक अलग
ही मज़ा था उसके लिए इसी एग्ज़ाइट्मेंट मे ही तो काफ़ी लंबी चुदाई कर रहा था वो लेकिन मेरा
अब होने ही वाला था क्यूकी मैं भी काफ़ी टाइम से चुदाई करने मे लगा हुआ था इस से पहले
कि मेरा होता मैने शिखा को गोद से उतार दिया ऑर उसके उतरते ही मैने उसको बेड पर लेटा
दिया ऑर करण को जल्दी से उसके उपर चढ़ा दिया करण ने भी जल्दी से अपने लंड को शिखा की
चूत मे घुसा दिया ऑर फिर से चुदाई शुरू करदी लेकिन दोनो का ध्यान मेरी तरफ था क्यूकी
मैं बेड पर खड़ा हुआ था ऑर शोबा मेरे पास घुटनो के बल बैठी हुई थी ऑर मैं अपने
हाथ को तेज़ी से लंड पर आगे पीछे कर रहा था जबकि शोभा मुँह को खोल कर मेरे पानी को
पीने के लिए तैयार बैठी थी कुछ ही पलों मे लंड ने पिचकारी मारना शुरू कर दिया ऑर मैने
सारा पानी शोभा मे मुँह मे निकाल दिया ऑर शोभा ने भी सारा पानी पी लिया,,ये देख कर 
करण ऑर शिखा कुछ ज़्यादा ही मस्त हो गये करण ने अपनी स्पीड तेज करदी जबकि शिखा ने 
अपने भाई को सर से पकड़ कर नीचे कर लिया ऑर फिर दोनो की लिप्स किस शुरू हो गई अब तो उन
लोगो को कोई टेंशन नही थी कि वो लोग भाई बेहन है अब तो वो पति पत्नी या गर्लफ्रेंड-बाय्फ्रेंड की तरह
मस्ती करने मे लगे हुए थे,,,,,,करीब 5-7 मिनट की एसी चुदाई के बाद करण ऑर शिखा
ने एक ही साथ पानी छोड़ा ऑर बेड पर लेट कर हाँफने लगे उधर मैं ऑर शोभा दीदी भी 
नंगी होके बाहों मे बाहें डालके लेटे हुए थे इधर करण ने भी अपनी दीदी की अपनी
बाहों मे भर लिया था ,,,,,
 
उस दिन सोनिया के आने से पहले हम लोगो ने एक बार ओर चुदाई की थी ,करण ओर शिखा दोनो ही
बहुत खुश थे,,,,,,

शोभा तुम ऑर सन्नी कब्से,मेरा मतलब,,,,,,,,,शिखा ने अभी बोलना शुरू ही किया था कि
शोभा ने उसकी बात को बीच मे ही काट दिया 

शोभा--हमे काफ़ी टाइम हो गया है शिखा ,,,कितना टाइम हो गया है ये तो याद नही,,,लेकिन इतना पता 
है कि जब भी हमको मोका मिलता है हम उस मोके का पूरा फ़ायदा उठाते है,,कोई भी मोका
हाथ से नही जाने देते,,,,,,,,,,ऑर आज से तुम दोनो भाई बेहन भी इस खेल का पूरा लुफ्त उठा सकते
हो ऑर वो भी बिना किसी डर के अपने ही घर मे,,,,ना बदनाम होने का डर ना कोई टेन्षन,,,,

शोभा क्या तुमको नही लगता ये ग़लत है,,,,,,हम लोग भाई बेहन है,,,,,,,शिखा ने बोला???

नही शिखा ये ग़लत नही है,आख़िर हम लोग भाई बेहन है लेकिन उस से पहले हम लोग लड़का
ऑर लड़की है,,,ऑर किसी लड़के का किसी लड़की से ऐसा करना आम बात है ऑर वैसे भी हम बाहर 
भी तो किसी लड़के से ये सब कर सकती है तो फिर घर मे क्यूँ नही,,,बाहर जाके ये सब करने
मे कितना डर लगता है कितना जोखिम होता है कल को कोई भी आपको बदनाम कर सकता है 
लेकिन घर मे ये सब करने से ऑर वो भी अपने भाई के साथ,,,,इससे ना तो कोई परेशानी है ऑर
ना ही कोई टेन्षन,,एक डर ज़रूर होता है कि घर मे किसी को ना पता चल जाए इसलिए हम लोग
ऐसा तभी करते है जब घर पे कोई नही होता,,,,,,,जैसे कि आज,,,,,,,,,,

शोभा दीदी ने उसको सिर्फ़ मेरे ऑर उनके बारे मे बताया ना कि बुआ या किसी ऑर के बारे मे,,,,,,,,,

शिखा--हाँ ये बात तो ठीक है शोभा कि बाहर करने मे बहुत जोखिम होता है कल को कोई भी आपको 
बदनाम कर सकता है,,,,,मैं भी तो बदनाम होने लगी थी लेकिन सही टाइम पर सन्नी ने
मुझे बचा लिया बदनाम होने से ,,,,,,फिर शिखा ने अमित ऑर वीडियो वाली बात भी बता दी 
लेकिन इतना नही बताया कि मैने उसको ब्लॅकमेल किया बल्कि उसने तो ये बताया कि मैने सन्नी 
को अपनी चूत का तोहफा दिया था खुद को बचाने क लिए,,,,,,,,,,

क्या दीदी,,,,,,,,,,अमित ने ऐसी हरकत की आपके साथ,,,,,,,,,,करण गुस्से मे बोला,,,,,,,,आपने मुझे
बताया क्यूँ नही मैं उस साले को जान से मार दूँगा,,,,,,,,,,,,,,

सन्नी--करण तुम शांत रहो प्ल्ज़्ज़ जल्दबाजी मे कुछ भी करना ग़लत है,,,,,हम लोग कोई तरीका
निकाल लेंगे अमित को सज़ा देने के लिए,,,,तुम बस देखते जाओ मैं क्या करता हूँ,,,,,,,

शिखा ऑर शोभा भी करण को समझाने मे लगी हुई थी तभी शिखा ने करण को किस किया ऑर
पल भर मे करण का गुस्सा शांत हो गया,,,,,,,,,,,,,

देखा भाई ने कितने आराम से गुस्सा कंट्रोल कर लिया बेहन के साथ किस करके,,,,,,,,मैं ऑर 
शोभा दीदी हँसने लगे,,,,,,,,,,,

चलो अब बहुत हो गया जल्दी से कपड़े पहन लो सोनिया आने वाली है,,,, शोभा ने कहा

करण-लेकिन मेरा तो अभी ऑर दिल करता है शिखा दीदी के साथ मस्ती करने को,,,,,,,,,,,,


शिखा--हाँ मेरे भाई मेरा भी बहुत दिल करता है,,,,,,,,,,,,

जितनी मस्ती करनी है अब घर जाके करना वरना कोई पंगा हो जाना है यहाँ पर,,,,,ऑर वैसे 
भी तुम लोगो का अब जब भी दिल करे अपने घर मे मस्ती कर सकते हो जब भी आंटी बाहर 
जाए कहीं,,,,,अंकल तो वैसे भी बाहर चले गये है ,,,अब क्या टेन्षन जब दिल करे तब मस्ती
करना,,,,,,,,,भाई बेहन मस्ती करो खुश रहो ऑर चुदाई करके सुखी रहो ना कोई टेन्षन 
ना कोई डर,,,,,,,,,,,,,इसी को कहते है परिवार मे चुदाई के सुख से बड़ा कोई सुख नही है शोभा ने कहा

सब लोग हँसने लगे ऑर अपने अपने कपड़े पहन कर तैयार हो गये करण ऑर शिखा बाइ बोलके 
चले गये लेकिन अभी तक दोनो का दिल नही भरा था चुदाई करके ,,,पक्की बात थी अगर उनकी
माँ घर पे नही हुई तो वो लोग जाते ही चुदाई शुरू कर देंगे,,,वैसे मेरा भी दिल कर रहा
था शोभा की चुदाई करने को लेकिन क्या करू हिट्लर जो आने वाली थी,,,,अब कुछ नही हो सकता 
था,,,,,,,,,,,,शोभा दीदी खाना तैयार करके किचन मे चली गई ऑर मैं भी दीदी के पीछे पीछे
चला गया,,,,,

सन्नी--चलो दीदी मेरा वादा तो पूरा हुआ,,,आपको एक मूसल दिला ही दिया मैने,,,वो भी अपने दोस्त करण
का ,,,,अब आप की बारी है मेरे लिए किसी चूत का इंतज़ाम करने की,,,,,

अच्छा तो तूने मुझे दिलवाया करण का मूसल,,,,मैं बाहर खड़ी सब सुन रही थी ऑर अगर मैं 
नही होती तो तू गया था सन्नी,,,,दीदी हँसने लगी,,,

सन्नी--चलो जो भी हुआ दीदी लेकिन मेरी वजह से आपको एक मूसल तो मिला ना,,,,क्यूँ मज़ा आया ना करण के 
मूसल के साथ चुदाई करने मे ,,,,,,,

शोभा--हाँ सन्नी बहुत मज़ा आया,,ऑर थॅंक्स तेरी वजह से मुझे एक बड़ा मूसल मिल गया ,,लेकिन उसका
मूसल बहुत पतला है फिर भी मज़ा बहुत देता है,,,,,,

सन्नी--हाँ दीदी लेकिन मज़ा तो देता है ऑर फिर अपने उस छोटे लंड से तो बेहतर ही है ना,,,,मैने दीदी
को इतना बोला तो दीदी घुरके देखने लगी मुझे,,,,,

कॉनसा छोटा लंड सन्नी,,,,,दीदी सवालिया नज़रो से देखने लगी मुझे,,,,,

अरे वही बुआ का नकली छोटा लंड दीदी,,,,,,मैने बात को टालते हुए बोला,,,,

अच्छा उसकी बात कर रहा है तू मैं तो कुछ ऑर ही समझी थी,,,,,दीदी ने चैन की साँस ली,,,,

आप क्या समझी थी दीदी,,,,,,मैने शरारती अंदाज़ मे पूछा,,,,

शोभा--कुछ नही,,,,तू अब जा यहाँ से मुझे काम करने दे सोनिया बस आती ही होगी,,,,,

सन्नी--लेकिन दीदी मेरी उस चूत का क्या,,,जो आपने वादा किया था,,,,

शोभा--ठीक है मैं देखती हूँ कुछ ऑर इंतेज़ाम करती हूँ तेरे लिए एक चूत का,,,तू बस जा अब यहाँ से
सोनिया किसी भी टाइम आने ही वाली होगी,,,,,

मैं किचन से बाहर निकला ऑर अपने रूम मे फ्रेश होने चला गया,,,

कुछ देर मे कविता ऑर सोनिया दोनो आ गई ,,,,,,कविता की आँखें अभी भी लाल थी सुबह टाइम तो
उसने आँखों पे चश्मा लगाया हुआ था लेकिन अभी घर के अंदर चश्मा नही था उसकी
आँखों पर ,,,,,मैं उसकी तरफ देख रहा था तो कविता मेरे से नज़रे चुरा रही थी तभी
सोनिया ने मेरी तरफ देखा ऑर गुस्से से मुझे नज़रे दूसरी तरफ करने का इशारा किया उसने 
ऐसा इसलिए किया था ताकि दुखी ऑर रोती हुई कविता को ये एहसास ना हो जाए कि मुझे भी पता
चल गया है उसका चेहरा देख कर कि वो उदास है इस से उसको ऑर ज़्यादा हर्ट होता,,,,

सोनिया--चलो कविता तुम बाथरूम मे जाके फ्रेश हो जाओ मैं खाना लगा देती हूँ,,,,कविता नीचे
माँ के रूम मे चली गई फ्रेश होने ऑर सोनिया ने हॉल मे किचन की साइड मे लगे बेशन 
पर ही मुँह हाथ धो लिया ऑर किचन मे चली गई जहाँ शोभा खाना बना रही थी फिर 
सोनिया बर्तन लेके डाइनिंग टेबल पर रखके वापिस किचन मे चली गई ऑर खाना सर्व करने
मे शोबा दीदी भी उसकी हेल्प करने लगे इतने मे मैं भी हाथ धू कर वहाँ आ गई ऑर
एक चेयर पर बैठ गया,,,,,,,मेरे सामने वाली चेयर पर सोनिया बैठ गई जबकि साथ वाली चेयर पर
शोभा दीदी बैठ गई,,,शोभा दीदी मुझे खाना लगाके देने लगी जबकि सोनिया कविता के लिए 
प्लेट तैयार करने लगी इतने मे कविता भी माँ के रूम से बाहर आ गई ऑर सोनिया के साथ बैठ
गई,,,,वो चाहे फ्रेश होके आई थी लेकिन फिर भी उसके मासूस चेहरे पर ये उदासी पढ़ने
के लिए किसी को एक पल भी नही लगता,,,,भोली भाले चेहरे पर उदासी दूर से ही झलक जाती है
,,,,,,कविता बैठ गई ऑर सोनिया ने खाने की प्लेट उसकी तरफ करते हमे उसको खाना खाने को
बोला,,,,,,,,,
 
Back
Top