Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही - Page 37 - SexBaba
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Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही

अंकल मैने आपसे पहले भी बोला था कि झगड़ा मैने शुरू नही किया था,,ये तो आपके बेटे मिलकर सुमित को
मार रहे थे मैं तो बस बचाने गया था सुमित को,,,,सुमित क्या अगर उसकी जगह कॉलेज का कोई भी
लकड़ा होता और अपने अमित और सुरेश की जगह भी कोई और उसको मारता तो मैं ऐसा ही करता,,,,,ना तो सुमित
मेरे मामा का लड़का है और ना ही मेरी कोई दुश्मनी है अमित और सुरेश के साथ,,,,,,

हां हां मैं जानता हूँ सन्नी बेटा,,,तुम अच्छे लड़के को ,,तुमने जो भी किया अच्छा किया,,,,मुझे
तुमसे कोई शिकायत नही है,,,,,,अमित के बाप बड़े प्यार से चापलूसी वाली बातें कर रहा था और मैं
समझ भी रहा था,,,,,

देखो बेटा तुमने कुछ नही किया मैं जानता हूँ और सुरेश ने भी यही बोला कि तुम नही थे उस दिन
जब कुछ लोगो ने उस पर हमला किया था वो लोग कोई और थे ,,वो सुमित के दोस्त थे,,,,अब सुमित ने सुरेश
को मारा है तो हमे एक बार तो सुमित से बात करनी ही होगी ना की आख़िर क्या वजह थी जो उसने सुरेश को
और उसके बाकी दोस्तो को इतनी बुरी तरह से मारा,,,,,आख़िर बात क्या है कुछ तो पता चले,,,,


तभी अमित मेरे लिए जूस लेके आया,,,,लेकिन वो बड़े घर का बेटा खुद नही लाया जूस मेरे लिए ,,,वो तो
एक नोकर को साथ लेके आया था,,,,,उसने नोकर को जूस मुझे देने को बोला और जैसे ही मैने जूस का
ग्लास पकड़ा उसने नोकर को वापिस रूम से बाहर जाने का इशारा किया,,,वो बाहर चला गया और जाते जाते
दरवाजा बंद कर गया.,,,,,,

मैने जूस का एक घूँट पिया और ग्लास को टेबल पर रख दिया,,,,,,,,,वजह कुछ नही थी अंकल जी,,,मुझे
कुछ भी नही पता,,,,कुछ दिन पहले तक तो सुमित आपके बेटे अमित और सुरेश का अच्छा दोस्त था फिर पता
नही इन लोगो ने उसको क्यूँ मारा,,,,और मुझे कुछ लेना देना नही इस बात से कि इन लोगो ने सुमित को क्यूँ
मारा ,,,,लेकिीन उस दिन सुमित का हाथ टूटा हुआ था ये लोग फिर भी उसको मार रहे थे,,,मेरे से देखा
नही गया तो मैं उसको बचाने के लिए आगे हो गया लेकिन इन लोगो ने मेरे से ही झगड़ा करना शुरू कर
दिया,,,,,,,,,,,,,,,शायद यही वजह होगी कि सुमित ने अपने दोस्तो से मिलकर सुरेश को मारा होगा और उस दिन
मैने सुमित की हेल्प की थी इसलिए वो मेरा दोस्त बन गया,,इस से ज़्यादा मुझे भी नही पता,,,,

हां हां मैं जानता हूँ बेटा,,,,वो पहला अमित और सुरेश का दोस्त ही था,,,,,लेकिन किसी बात पर इन लोगो
का झगड़ा हो गया था,,,,,

तभी अमित बीच मे बोल पड़ा,,,,नही डॅड वो मेरा दोस्त नही था साला मेरा चमचा था,,,पैसे लेता
था मेरे से नशा करने के लिए और एक दिन जब मैने पैसे देने से मना किया तो गाली देने लगा मुझे
इसलिए मैने उसको मारा था,,,,

तभी अमित का बाप गुस्से मे बोला,,,,,,,,तू अपनी बकवास बंद कर ,,जब मैं बोल रहा हूँ तो तुझे
बीच मे बोलने को किसने कहा,,,अमित अपने बाप की बात सुनकर थोड़ा डर गया और चुप हो गया,,,

देखा सन्नी बेटा,,ये बात थी,,,,,,सुमित मेरे बेटे से पैसे लेता था नशे के लिए लेकिन एक दिन इसने मना
किया तो वो गाली देने लगा ,,और भला आज कल के टाइम मे गाली कॉन सुनता है,,,,जवान खून था हो गया
झगड़ा,,,,,,अब तो हमे सब कुछ ठीक करना है इन लोगो के बीच मे ,,,,बस तू इतना बता दे मुझे कि
सुमित कहाँ है,,,,ताकि हम उस से मिलके सारी बात सॉल्व कर सके,,,,,मैं अमित के बाप की बात समझ
गया,,,,,साला कितनी मीठी छुरी चला रहा था,,,,,,,पॉलिटीशियन जो ठहरा,,,,,,

सॉरी अंकल जी मुझे कुछ नही पता कसम से,,,,,अगर पता होता तो बता देता,,,,,शायद कॉलेज मे किसी
को पता हो,,,,,,

अच्छा चलो तुमको नही पता,,,,लेकिन क्या तुमसे सुमित ने कोई बात की कभी सुरेश से झगड़ा करने के
बाद या उस से पहले कि वो क्या करने वाला है,,,क्या तुमको पता था वो सुरेश से झगड़ा करने वाला है
क्यूकी तुम्हारा तो अच्छा दोस्त बन गया था वो ,,,,तुम पर यकीन करने लगा था,,,,,शायद तुमको कुछ
बताया हो उसने ,,,,,,,,,,,,,

नही अंकल जी,,,,अगर मुझे पता होता कि झगड़ा होने वाला है तो मैं उसको ऐसा नही कारने देता,,,अमित
और सुरेश ने उसको मारा था तो मैं बीच बचाव मे आ गया था और अगर मुझे पता होता वो
सुरेश और अमित से झगड़ा करने वाला है तो भी मैं बीच बचाव मे ज़रूर आता,,,,,,,और उस दिन भी
मैं उन लोगो के पीछे भागा था जो लोग सुरेश को मार रहे थे ,,,मैं बस थोड़ा लेट हो गया और वो
लोग एक ब्लॅक कलर की कार मे बैठ कर वहाँ से चले गये,,,,,,,वो लोग कोई 8-10 लोग थे और वो किसी
पिक-अप ट्रक जैसी कार मे भाग गये थे ,,सुमित भी था उनके साथ मे,,,


अच्छा ,,और क्या देखा तूने,,,,और कुछ सुना क्या उनके बारे मे किसी से,,,,,

नही अंकल जी मैने कुछ नही सुना,,,,लेकिन हां उस दिन जब वो लोग भाग गये तो मैं वापिस सुरेश और
बाकी लोगो के पास वापिस आया तो मैने सुना कि कॉलेज के कुछ लोग सीडीज़ की बात कर रहे थे,,,मेरे
मुँह से सीडीज़ लफ़्ज सुनकर अमित का मुँह खुला का खुला रह गया,,,,साथ मे अमित के बाप और सुरेश के बाप
का भी,,,,,,,मतलब पक्का था कि वो लोग भी अमित और सुरेश की हरकतों से वाकिफ़ थे,,,,,,,,,

सीडीज़ कैसी सीडीज़ ,,,,,,,,,,,अमित के बाप ने बड़ी उत्सुकता से पूछा,,,,,,,,,,

मुझे नही पता अंकल जी,,,,एक बार मैने भी सुना था सुमित के मुँह से जब अमित और इसके दोस्तो ने उसको
मारा था,,,तब सुमित भी कोई सीडीज़ की बात कर रहा था,,,,,,,,,

अमित गुस्से से,,,,,,,,तुझे पता है वो सीडीज़ कहाँ है,,,,,अमित गुस्से से मेरी तरफ बढ़ा,,,,,

तभी अमित का बाप उठा और उसने मेरे सामने अमित को कस्के थप्पड़ मारा और अमित को वापिस बैठने को
बोलने लगा वो भी गुस्से से,,,,,,,,,,,,,

घर आए मेहमान से ऐसे बात करते है,,,,,तुझे इतनी भी अक़ल नही है क्या,,,,,,जा दफ़ा होज़ा यहाँ से,,,

सॉरी डॅड वो मैं,,,,,,,,,,,,अमित थोड़ा शर्मिंदा हो गया था...

अब अपनी बकवास बंद करके चुप चाप बैठ जा ,,,नही तो दफ़ा होज़ा रूम से,,,,,अमित का बाप पूरे
गुस्से मे बोला अमित को,,,,,,तभी सुरेश के बाप ने भी अमित को चुप रहने का इशारा किया,,,,

सन्नी बेटा इसकी तरफ से मैं माफी माँगता हूँ,,,,,जवान खून है ,,,,अमित का बाप बड़े प्यार से बोल
रहा था,.,,,,,,

इट्स ओके अंकल जी,,,,,मैं जानता हूँ ये सुरेश की वजह से परेशान है,,,और जवानी की गर्मी मे गर्म खून
को जोश आ ही जाता है,,,,ये बात भला मेरे से बेहतर कॉन समझ सकता है,,,,,,मैने भी अपनी बात से
सबको बता दिया कि मैं भी किसी से कम नही,,,,,,,,,,,

अच्छा बेटा छोड़ो ये बेकार की बातें ये बताओ कि सुमित ने तुमसे कभी सीडीज़ के बारे मे बात की,,और क्या
तुमको पता है वो सीडीज़ कहाँ है,,,,,

नही अंकल जी,,,ना तो मैने कभी पूछा सुमित से और ना ही उसने कभी बताया मुझे,,,हम दोनो मे बहुत
कम बात होती थी,,,,,,और ना ही मुझे पता है उन सीडीज़ मे क्या है,,,,,,,,,,,,,,वैसे अंकल जी उन सीडीज़ मे है
क्या जिसस वजह से आप इतना परेशान हो गये हो और ये अमित भी,,,,,
 
अमित का बाप थोड़ा संभलता हुआ बोला,,,,,,,,कुछ नही बेटा उस मे हमारे कुछ इंपॉर्टेंट डॉक्युमेंट्स
है जो ग़लती से सुमित के हाथ लग गये है,,,,,,हम लोगो के लिए वो बहुत ज़रूरी है,,,तभी तो हम तेरे से
पूछ रहे है कि अगर तुझे सुमित के बारे मे कुछ पता है तो बता दे हमे और हमे सुमित से मिलवा
दे ताकि हम उस से सीडीज़ की सारी बात सॉल्व कर सके,,,,वो सीडीज़ हमारे लिए बहुत ज़रूरी है,,उनके लिए अगर
सुमित को कुछ पैसे चाहिए तो वो भी हम दे सकते है उसको,,,,तू सुमित से बात करना अगर वो मिला
तुझे तो,,,,,,,,,,

अरे अंकल जी इसमे पैसे की बात कहाँ से आ गई,,,,,अगर वो सीडीज़ ज़रूरी है आपके लिए तो मैं लाके दे सकता
हूँ आपको वो सीडीज़ ,,,,,,

मेरी इतनी बात सुनके अमित ,अमित का बाप और सुरेश का बापा तीनो खुश हो गये,,,,अमित के बाप ने
जल्दी से मुझे बाहों मे जाकड़ लिया,,,,,,,अरे ये हुई ना बात,,,,,,,,,,,क्या तुम हमे वो सीडीज़ लाके दे सकते
हो बेटा,,,,,,,,,अमित का बाप बहुत खुश हो गया था,,,

हाँ अंकल जी ,,वो आपके ज़रूरी डॉक्युमेंट्स है ,,सुमित बिना वजह आपको ऐसे तंग नही कर सकता,,,,,मैं उस
से बात करूँगा और कोशिश करूँगा वो सीडीज़ आप तक पहुँचा सकूँ,,,,,

बेटा अगर तू ऐसा कर देगा तो जो माँगेगा वो मिलेगा तुझे,,,,,तू जो भी चाहे ,,जितना पैसा भी चाहे,,,

तभी मैं चुप हो गया,,,,,,,,,,पैसे की बात सुनके,,,,,,

क्या हुआ बेटा तू चुप क्यूँ हो गया,,,,,,बता ना कितने पैसे चाहिए तुझे,,अगर कुछ अड्वान्स भी चाहिए
तो अभी दे देता हूँ,,,,,

नही अंकल जी मुझे पैसे नही चाहिए,.,,,,,मैं तो आप लोगो की हेल्प कर रहा हूँ और सही इंसान का
साथ दे रहा हूँ,,,,,पहले सुमित सही था और अमित ग़लत तो मैने सुमित का साथ दिया,,,,,,,,,,लेकिन आज
सुमित ग़लत है तो मैं आपका साथ देने को तैयार हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन ,,,,,,

लेकिन क्या बेटा,,,,,,,,तुझे कितने पैसे चाहिए बता मुझे,,,,,,अगर पैसे नही चाहिए कुछ और चाहिए
कार ,,,बंगला या कुछ भी बता मुझे,,,,,,,,,

नही अंकल जी मुझे ये सब नही चाहिए,,,,,,,,,,,,,

तो क्या चाहिए बता ना बेटा,,,जो माँगेगा वही मिलेगा,,,,,,,,,,,

पक्का अंकल जी,,,,,,जो माँगूंगा मिलेगा क्या,,,,,,,,,,,

हाँ बेटा तू एक बार माँग कर तो देख,,,,जो भी कहेगा वो मिलेगा तुझे,,,,

तभी मैं उठा और अमित के बाप को बोला,,,,,,,,,,,,,क्या मैं आपसे अकेले मे बात कर सकता हूँ,,,

इतने मे अमित का बाप भी उठकर खड़ा हो गया,,,,,,,,,,,,,हाँ हाँ क्यू नही बेटा,,,,,इतना बोलकर वो एक
तरफ चलने लगा और मुझे भी अपने साथ चलने को बोलने लगा,,,,,मैं उनके साथ उस रूम से होते
हुए किसी और रूम मे चला गया,,,,,जो देखने मे उनका ऑफीस लग रहा था,,,,,,,,,,,,,,वो अंदर जाते ही
टेबल की दूसरी तरफ की चेयर पर बैठ गये और मुझे सामने पड़ी चेयर पर बैठने को बोलने लगे,,,,,


बोलो क्या बात है बेटा,,,,,,,क्या चाहिए तुमको उन सीडीज़ को हमारे तक पहुँचाने के लिए,,,

देखिए अंकल जी,,,,,,मुझे पैसा प्रॉपर्टी कुछ नही चाहिए,,,,,मैं तो जो भी करता हूँ अपने दोस्तो
के लिए करता हूँ,,,,,,,,,,,,,,और सही वजह से करता हूँ,,,,,,,,,,अब अमित और सुरेश सही है और सुमित ग़लत
इसलिए मैं अमित और सुरेश का साथ दे रहा हूँ,,,,ना कि उस सुमित का,,,,,,,,लेकिन साथ ही साथ मैं अपने
एक और दोस्त का साथ भी देना चाहता हूँ,,,,,,,,,,,

किसकी बात कर रहे हो तुम,,,,,

अंकल जी मैं अपने दोस्त करण की बात कर रहा हूँ,,,,,मुझे कुछ नही चाहिए लेकिन अगर आप मुझे
कुछ देना ही चाहते हो तो आप अपने दोस्त की बेटी रितिका की शादी करवा दो करण के साथ,,,वो दोनो एक
दूसरे को बहुत प्यार करते है,,,,,,,,,,

मेरी बात सुनके अमित का बाप थोड़ा गुस्से मे ,,,,,,,,नही ये नही हो सकता,,किसी भी कीमत पर नही हो
सकता,,,,,,,,,,,कहाँ हम लोग और कहाँ वो 2 कोड़ी का करण,,,,,ये हरगिज़ नही हो सकता,,,तुम कुछ और
माँग लो बेटा,,,ये नही होगा,,,,,

तो ठीक है फिर रहने दीजिए अंकल जी,,,,,आप खुद ही वो सीडीज़ ले आओ सुमित से इस से पहले कि वो उन सीडीज़ को
इंस्पेक्टर ख़ान के हवाले कर्दे,,,,,,,,,,

ख़ान भाई का नाम सुनते ही अमित के बाप की गान्ड फॅट गई और मुँह खुला का खुला रह गया,,,,

तुझे कैसे पता वो सीडीज़ ख़ान को देने वाला है,,,,,,,,,,,अमित का बाप बड़ा हैरान और डर कर बोल रहा था

मैने एक दिन सुमित को किसी से बात करते सुना था कि वो अमित की कुछ सीडीज़ इंस्पेक्टर ख़ान को दे देगा जिस
से अमित के साथ साथ अमित का बाप और सुरेश का बाप भी लोगो का सामने नंगे हो जाएगे,,,,,,

मेरी बात सुनके वो चुप हो गया,,,,,,

सॉरी अंकल ऐसा मैं नही सुमित बोल रहा था,,,,,,अब पता नही उन सीडीज़ मे ऐसा क्या है जो सुमित उसको
ख़ान को देने की बात कर रह था,,,,लेकिन उसकी बातों से इतना तो पक्का हो गया था मुझे कि वो सीडीज़ अगर
ख़ान के पास चली गई तो आप लोगो का पोलिटिकल करियर बर्बाद हो जाना है और आप लोगो ने सड़क पर
आ जाना है,,,,,,,,,

अमित का बाप कुछ सोच मे पड़ गया,,,,,हाँ सही कहा तूने सन्नी बेटा,,,वो सीडीज़ हमारे लिए बहुत
ज़रूरी है,,हमे कैसे भी करके वो सीडीज़ हासिल करनी है,,,,,अगर तू हमारी हेल्प करेगा तो बड़ी
मेहरबानी होगी,,,,,

मैं तो हेल्प करने को तैयार हूँ अंकल जी लेकिन आप ही पीछे हट रहे हो अपनी बात से,,,,,

नही बेटा जो तू बोल रहा है वो नही हो सकता,,,,,,कहाँ हम लोग और कहाँ वो करण,,,,

तो ठीक है अंकल जी सुमित को वो सीडीज़ इंस्पेक्टर ख़ान के पास ही ले जाने दीजिए फिर अप लोगो का पोलिटिकल
करियर ख़तम और आप लोगो ने भी सड़क पर आ जाना है,,,फिर आप लोगे मे और करण मे कोई फ़र्क नही
रहेगा,,,,

अमित का बाप गहरी सोच मे डूब गया,,,,,

क्या सोच रहे हो अंकल जी,,,,वो आपकी बेटी नही है ,,,,फिर भला इतना क्या सोचना,,,,आप तो बस ये सोचो
कि अगर वो सीडीज़ ख़ान के पास पहुँच गई तो आप लोगो का क्या होगा,,,,आपकी बर्बादी तो पक्की है,,,इस से अच्छा
है कि आप अपने दोस्त को समझा कर मना लो और तैयार कर लो रितिका की शादी करण से करने के लिए,,,,,

तभी वो उठा अपनी चेयर से और मेरे पास आ गया,,,,,,,,,ठीक है बेटा ,,,,मैं कुछ करता हूँ ,,,,,और
समझाता हूँ सुरेश के बाप को,,,,,तब तक तू सीडीज़ हासिल करने की कोशिश कर और हम तक पहुँचा दे

सीडीज़ तो मैं हासिल कर लूँगा अंकल जी लेकिन सीडीज़ दूँगा आपको तब जब शादी करके रितिका करण के घर चली
जाएगी उसके बाद,,,,,,मैने इतनी बात ऐसे बोली जैसे कि मैं अपना फैंसला सुना रहा हूँ,,,,,अमित का बाप
भी समझ गया कि मैं भी कोई कच्चा खिलाड़ी नही हूँ,,,,

तो अब मैं चलता हूँ अंकल जी और अपनी कोशिश शुरू करता हूँ,,,पहले तो मुझे तलाश करना
होगा उस सुमित को,,,,,,और उसका पता वहीं से मिल सकता है जहाँ से वो नशा लेता है,,,

ठीक है बेटा तू अपनी कोशिश कर मैं भी अपनी कोशिश शुरू करता हूँ ,,रितिका के बाप को मनाने की
,,इतना बोलकर अमित के बाप ने मेरे शोल्डर पर हाथ रखा और मुझे लेके वापिस दूसरे रूम मे आ
गया जहाँ अमित और सुरेश का बाप बैठे हुए थे,,,,लेकिन उसने मुझे वहाँ बैठने नही दिया और
बातें करते हुए बाहर की तरफ आ गया,,,,,,,,और साथ साथ मेरे से थोड़ी बात चीत करते हुए मुझे गेट
तक छोड़ दिया,,,,,,
 
फिर मैने अपना बाइक लिया और वहाँ से चल पड़ा करण के घर की तरफ करण को ये बात बताने के लिए
लेकिन याद आया कि माँ उसके घर पर है और अगर मैं वहाँ गया तो मेरा बुरा हाल हो जाना है इसलिए
मैं वापिस अपने घर की तरफ चल पड़ा,,,,,,

घर पहुँचा तो थोड़ी टेन्षन मे था ,,एक तो अमित के बाप से जो बात करके आया था करण और रितिका की
शादी की उसकी टेन्षन थी ,,,क्यूकी पता है अमित का बाप बहुत बड़ा कमीना है वो इतनी जल्दी से सब कुछ नही
होने देगा कुछ ना कुछ पंगा ज़रूर करेगा टाइम आने पर,,और दूसरी टेन्षन थी घर आने पर कविता की
क्यूकी कविता के साथ जो हरकत की थी मैने उस से आज वो गुस्से मे थी और पता नही क्या करेगी मेरे साथ
,,अभी भी उसकी अक्तिवा घर पर थी मतलब वो यहीं थी,,,,

मैने बेल बजाई तो 2-3 मिंट बाद सोनिया ने आके दरवाजा खोला,,,उसने दरवाजा खोलके मुझे देखकर फिर
अनदेखा कर दिया और वापिस पलट का सोफे की तरफ चली गई जहाँ कविता भी बैठी हुई थी,,,वो वापिस सोफे
पर कविता के पास गई और अपनी बुक्स उठा ली,,,
 
चल अब मैं चली उपर ,,,ये आ गया है,,,,इतने बोलके उसने मेरी तरफ इशारा किया,,,,,अब हमे यहाँ
बैठने की ज़रूरत नही,,,,चल उपर चलते है,,,,,,सोनिया ने इतनी बात कविता को बोली तभी कविता भी मेरी
तरफ देखने लगी वो भी गुस्से से,,,,,

तुम चलो मैं अभी आती हूँ,,,कॉफी बन गई होगी,,,,,तुम जाओ और ये मेरी बुक्स भी ले चलो ,,मैं
कॉफी लेके आई कुछ देर मे,,,,,कविता ने अपनी बुक्स भी सोनिया को दी और सोनिया उपर चली गई और जाते हुए
मुझे नखरे से देख कर गई,,,,

मैं कविता के पास जाने लगा तभी कविता उठी और हल्के गुस्से से किचन के अंदर चली गई,,,मैं उस से
माफी माँगना चाहता था लेकिन मुझे डर लग रहा था,,,क्यूकी वो सच मे बहुत गुस्से मे लग रही थी,,,,

मैं हिम्मत करके किचन मे चला गया जहाँ कविता गॅस के पास खड़ी कॉफी बनने की वेट कर रही थी
उसने मुझे किचन के अंदर आते देखा तो मेरी तरफ पीठ करके खड़ी हो गई,,,,मैने उस से कोई बात
नही की और फ्रिज से पानी की बॉटल निकाल कर पानी पीने लगा,,,,,मैं उस से बात करने की कोशिश मे था
लेकिन डर भी लग रहा था मुझे लेकिन फिर भी बात करनी ज़रूरी थी क्यूकी मुझे उसको सौरी बोलना था,,,

मैने पानी की बॉटल हाथ मे पकड़ी और पानी पीता हुआ कविता के पास चला गया और बात करने का बहाना
तलाश करने लगा,,,,,

अरे लंच टाइम होने को आ गया ,,,माँ अभी तक आई नही क्या,,,,,मैने कविता से इतना पूछा लेकिन वो
चुप रही,,,,,

मैने फिर बोला,,,,,अगर कॉफी बना रही हो तो प्ल्ज़्ज़ मेरे लिए भी बना लेना,,,बहुत भूक लगी है अब
माँ तो नज़र नही आ रही जो मुझे खाना बना देती,,,,कॉफी से ही काम चला लूँगा मैं,,,,

वो फिर भी कुछ नही बोली,,,,,चुप चाप खड़ी रही,,,,,,,,मेरी तरफ एक बार भी नही देखा उसने,,,

लगता है भूखा ही रहना पड़ेगा ,,,,क्यूकी लगता नही कॉफी मिलेगी मुझे,,,,,या फिर माँ को आवाज़ देनी
पड़ेगी ताकि वो मुझे कुछ खाने को बना दे,,,,,,पता नही माँ घर पे है भी या नही,,,,,,,तभी मैं
थोड़ी ज़ोर से लेकिन इतना ज़ोर से भी नही कि उपर सोनिया को मेरी आवाज़ सुन जाए,,,,,,,,,,,मैं हल्के ज़ोर से माँ
को आवाज़ लगाने लगा,,,,,,

मैने 2-3 बार ही माँ को आवाज़ दी थी तभी कविता बोल पड़ी,,,,,,,,,आंटी जी घर पे नही है,,,,वो वापिस
नही आई करण के घर से,,,,,उसने मेरी तरफ फेस नही किया बस ऐसे ही पीठ करके बोलती रही,,,,

अच्छा अभी तक माँ नही आई वापिस,,,,लगता है मुझे भूखा ही रहना होगा,,,,,माँ घर पे नही और लगता
नही इस कॉफी मे से कुछ कॉफी मुझे मिलेगी,,,,मैने उदास होके कहा,,,,,

तभी वो मेरे पास से गुजर कर कपबोर्ड की तरफ गई और उपर की तरफ से 3 कॉफी कप निकाल लिए और वापिस
गॅस के पास जाके 3 कप मे कॉफी डाल दी,,,,,उसने 2 कॅप एक तरफ रख दिए और 1 कप को मेरी तरफ खिसका
दिया और कॉफी वाले बर्तन को धोने वाले बर्तनो के पास रखने के लिए मेरे पास से गुजर कर एक तरफ
चली गई और बर्तन रखके वापिस आके कप उठाने लगी ,,,,,,,तभी मैने उसको उसके हाथ से पकड़ लिया,,,,


उसने ज़ोर से अपना हाथ खींचा और मेरे से अपने हाथ छुड़वा लिया लेकिन तभी मैने आगे बढ़ कर उसको
कस्के उसके हाथ से पकड़ा और अपनी तरफ खींच लिया,,,,,इस से पहले वो कुछ बोलती,,,मैने उसकी लिप्स पर
हल्की किस करदी,,,,,उसने मेरी तरफ गुस्से से देखा,,,और मेरे से दूर होने की कोशिश करने लगी,,,मैने
उसको दूर नही होने दिया तो वो मछली की तरह झटपटाने लगी,,,,ज़िद करने लगी मेरे से दूर होने
के लिए,,,,,,,,,मैने जल्दी से उसको अपनी बाहों से आज़ाद कर दिया,,,,और खुद उस से दूर हट गया,,,


मैं उस से दूर हुआ तो वो सर झुका कर चुप चाप से खड़ी रही ,,,,मैने हल्के से उसके करीब गया और
बड़े प्यार से स्लो आवाज़ मे उसको सौरी बोला,,,,जैसे ही मैने उसको सौरी बोला उसने गुस्से से मुझे देखा

इतना सब कुछ करने के बाद सिर्फ़ सौरी,,,,,शरम आनी चाहिए तुझे सन्नी,,,,इतना हर्ट किया और बस सौरी,,,
वो गुस्से से बोल रही थी,,,,,

मैं उसके पास गया,,,और अपने हाथ आगे बढ़ा कर उसके दोनो हाथों को अपने हाथों मे पकड़ लिया बड़े
प्यार और नज़ाकत से,,,,,,,,,,सौरी नही तो क्या बोलूं,,मुझे तो पता ही नही चला वो सब कैसे हो गया कविता
अगर पता होता तो मैं इतनी बड़ी ग़लती नही करता कभी,,,,कभी तुझे हर्ट नही करता,,,मुझे तो लगा मैं
बेड पर लेट गया हूँ सो गया हूँ और सपना देख रहा हूँ,,,और उस सपने मे तुझे अपने करीब एक
ही बिस्तर पर अपनी बाहों मे महसूस कर रहा हूँ,,,वैसे भी तेरे जैसी खूबसूरत लड़की मेरे जैसे
ब्लॅकी के साथ एक ही बिस्तर पर उसकी बाहों मे ,,उसके आगोश मे आ जाए ये तो एक सपना ही हो सकता है
ना,,,,,आख़िर मेरी इतनी किस्मत कहाँ जो तेरे जैसी खूबसूरत लड़की हक़ीक़त मे मेरी बाहों मे आ जाए,,,

इतना बोलकर मैं थोडा उदास सा हो गया और फिर उसको सौरी बोलने लगा,,,

बस तेरी यही बात तो अच्छी लगती है मुझे सन्नी,,,कितनी बड़ी ग़लती भी कर दे लेकिन फिर भी ग़लती को ग़लती
नही मानता तो ,,,कुछ ना कुछ बहाना बना ही लेता है अपनी चिकनी-चुपड़ी बातों से,,,एक नंबर का
कमीना है तू,,पक्का ठरकि,,,,,ये बात कविता ने हंस कर बोली थी,,,,,,,,,

मैं भी उसके फेस पर मुस्कान देख कर खुश हो गया,,,,,,,,,,,,कमीना तो ठीक है लेकिन प्ल्ज़्ज़ ठरकि मत
बोल मुझे,,,,

क्यू तू ठरकी नही है क्या,,,,जब देखो फ्लर्ट करता रहता है,,,,,

वो तो मज़ाक करता हूँ मैं कविता,,,,ठर्कि तो मैं तब होता जब कॉलेज मे लड़कियों के आगे पीछे
दूम हिलता फिरता,,,,क्या मैने कभी ऐसा कुछ किया है,,,,,

हाँ ये बात तो है,,,,तूने कभी किसी लड़की पर लाइन नही मारी,,लेकिन मेरे साथ इतना फ्लर्ट क्यूँ करता है
फिर,,,,वो हँसते और शरमाते हुए बोली,,,,,

बोला ना तेरे साथ भी फ्लर्ट नही करता,,,,बस मज़ाक करता हूँ,,,,फ्लर्ट तो उसके साथ करूँ जो मुझे लाइक
करता हो,,,

लाइक करने वाले बहुत है सन्नी,,,कभी नज़र घुमा कर देख लिया कर,,,,

अच्छा कॉन लाइक करता है मुझे,,,,,ज़रा मुझे भी तो पता चले इस ब्लॅकी को लाइक करने वाला है कॉन,,,,


बोला ना नज़र घुमा कर देख लिया कर कभी,,,,तेरे आस पास ही है वो जो तुझे लाइक करती है,,,उसने
ये बोला और उसका चेहरा शरम से लाल हो गया,,,,


तभी मैं उसके करीब गया और उसके झुके हुए शरमाते हुए फेस को उसकी चिन से पकड़ कर उपर उठा
दिया ,,,उसका फेस पर हल्की मुस्कान के साथ हल्की शरम भी थी,,,,उसने मुझे एक बार देखा और अपनी
आँखें बंद करली,,,मैने आगे बढ़ कर उसके लिप्स पर हल्की किस करदी,,,,और तभी मेरा हाथ उसके शोल्डर
पर चला गया और मैने हल्के हाथ से उसके शोल्डर से उसकी टी-शर्ट को खींच कर एक साइड कर दिया जिस
से उसका शोल्डर नंगा हो गया और मुझे मेरे दाँतों के निशान नज़र आए उसके शोल्डर पर जो हल्के
नीले रंग के हो गये थे,,,,,मुझे उस पर तरस आने लगा और खुद पर गुस्सा,,,,,मैं इतना बेरहम
कैसे बन गया उसके साथ जो इतनी ज़ोर से काट लिया उसको,,,

उसने भी अपनी गर्दन घुमा कर उस दाँतों के निशान की तरफ देखा और फिर मेरी तरफ देखने लगी,
मानो पूछ रही हो कि इतना दर्द क्यूँ दिया मुझे तूने सन्नी,,,,,,लेकिन उसकी घूरती हुई आँखों मे
छुपे हुए सवाल का कोई जवाब नही मिल रहा था मुझे,,,,,मैने बस हल्के से आगे बढ़ कर उसके शोल्डर
पर दाँतों के निशान के उपर अपने लिप्स को हल्के से रखा और 1 के बाद 1,,,8-10 किस करदी,,,उसके मुँह से
हल्की अहह निकल गई थी,,,जो सॉफ सॉफ बता रही थी कि वो अह्ह्ह्ह मस्ती की नही दर्द की थी,,,


उसने मेरे सर को अपने हाथों मे पकड़ा और मेरे लिप्स पर किस करदी,,,,,,मैने उसको सौरी बोला और उसको
फिर से किस करने लगा,,,,,,,,,,,,,,,


सौरी से काम नही चलेगा,,,,कान पकड़ कर सौरी बोल,,,,,

मैने एक कान पकड़ा और सौरी बोला,,,,,,,,,

एक नही दोनो कान पकड़ और सौरी बोल,,,,,

मैने दोनो कान पकड़े और सौरी बोला,,,,,,अब तो खुश है,,,,

नही ,,कान पकड़ कर नीचे बैठ जा ,.,,,,,,

मैं कान पकड़ कर नीचे बैठ गया,,,,,,अब खुश है ,,,,,,

नही ,,,,,,,,,अब खड़ा होज़ा,,,वो इतना बोलने लगी और हँसने लगी,,,,,,,,

मैं खड़ा हुआ और तभी उसने फिर से नीचे बैठने को बोला,,,,और हँसते हुए कम से कम 10-12 बार मेरे
से उठक-बैठक करवा दिया,,,,,,

बस करो मेरी मालकिन जी मैं थक गया हूँ और कॉफी भी ठंडी हो गई है,,,,,मैने कॉफी का नाम
लिया तो वो एक दम से हिल गई ,,,,,

ओह्ह शिट मैं तो कॉफी भूल ही गई थी,,,,अब तक तो ठंडी हो गई होगी,,,,सोनिया मेरी जान ले लेगी,,,इतना
बोलकर वो जल्दी से कॉफी कप की तरफ भागी,,,,,,,,ओह्ह नो ये तो ठंडी हो गई,,,,,,,,,,,,अब तो पक्का
वो सोनिया मुझे मार ही डालेगी,,,,कब्से बोल रही थी वो कॉफी के लिए अब बनी तो फिर से ठंडी हो गई,,,


मारने के लिए ही आई हूँ यहाँ,,,,इतना टाइम हो गया कॉफी लेके उपर क्यूँ नही आई तू,,,,,तभी मेरा और
कविता का ध्यान गया किचन से अंदर की तरफ आती हुई सोनिया पर,,,उसने कविता को गुस्से मे देखा और फिर
मेरी तरफ देख कर हँसने लगी,,,,,
 
मैने सोचा इसको क्या हो गया है,,,,अभी इतने गुस्से मे थी अभी मुझ देख कर हँसने क्यूँ लगी,,,तभी
मैने देखा कि सोनिया के साथ कविता भी हँसने लगी थी,,,,वो दोनो मुझ देख कर ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी
थी,,,,मुझे कुछ समझ नही आया लेकिन जैसे ही मेरा ध्यान खुद पर आया तो मैं ज़मीन पर कान पकड़
कर बैठा हुआ था,,,,मुझे बहुत अजीब लगा ,,वो दोनो मेरा मज़ाक बना कर हंस रही थी,,,मैं जल्दी से
खड़ा हो गया,,,,,

इस ब्लॅकी को ये सज़ा तूने दी क्या,,,,,,सोनिया ने हँसते हुए कविता से बोला,,,,,

ईयीई बंदरिया मुझे ब्लॅकी मत बोल,,मैने हल्के नखरे से बोला,,,,,

चुप कर मैं तेरे से बात नही कर रही इतना बोलकर वो वापिस कविता से बात करने लगी,,,इसको सज़ा तूने
दी थी क्या कविता ,,,,

कविता हँसने लगी और हां मे सर हिलाने लगी,,,,उसको भी इस सब मे मज़ा आ रहा था,,,,,,,,,

अच्छा ,,लेकिन क्यूँ,,,,सोनिया ने इतना सवाल किया तो कविता चुप हो गई,,,,और मेरी तरफ देखने लगी,,,,तभी
मैं खुश हो गया,,,,,और हँसते हुए कविता की तरफ देखने लगा,,,,,और इशारे से बोलने लगा कि कविता जी
अब दो इस हिट्लर को इसकी बात का जवाब,,,,,

बोल ना क्यूँ दी ये सज़ा इसको,,,,,सोनिया ने फिर से पूछा तो कविता घबरा गई,,,,


वो वो मैने रात भर इसकी इतनी हेल्प की स्टडी मे लेकिन इसको कुछ भी समझ मे नही आया,,रात वाली स्टडी
से इसको एक सवाल पूछ लिया था उसका जवाब नही दिया इसने इसलिए ये सज़ा दी मैने इसको,,,

मैं तो साला हैरान ,,कितनी जल्दी बात बदल दी थी कविता ने,,,,हो ना हो काफ़ी तेज है ये कविता,,,बहुत चालाक
भी है,,,,

अच्छा है तुझे बुला लिया मैने इसकी हेल्प करने के लिए,,ऐसे ही तैयारी करवाती रहना इसकी एग्ज़ॅम मे और ऐसे ही
सज़ा देती रहना,,,,फिर मुझे मेरी अक्तिवा और बाकी समान मिलने से कोई नही रोक सकता,,,,,सोनिया खुश हो
गई ,,,,,,

चल अब जल्दी से कॉफी गर्म कर और चल उपर बहुत काम पड़ा है बाकी,,,,,इतना बोलकर सोनिया खुद भी
उसकी हेल्प करने लगी कॉफी गर्म करने मे,,,,फिर सब लोग चुप हो गये मैं किचन से बाहर निकालकर
सोफे पर बैठ गया,,,,,वो दोनो अपनी कॉफी लेके उपर चली गई और जाते जाते कविता एक कप कॉफी मुझे सोफे
पर दे गई,,,,,,

कॉफी पीक उपर आ जाना अभी बहुत स्टडी करनी है तूने सन्नी,,,,कविता ने इतना बोला और कॉफी रखके
सोनिया के साथ उपर चली गई,,,

मैं कॉफी पीने लगा और तभी मुझे याद आया कि मुझे आज जो भी बात हुई है अमित के घर पे वो
सारी बात ख़ान भाई को बता देनी चाहिए और साथ ही करण को भी,,,,मैने पहले ख़ान भाई को फोन
किया और सारी बात बता दी,,,,,ख़ान भाई ने मुझे बोला कि मुझे जो भी करना है थोड़ा सम्भल कर करना
है क्यूकी वो लोग कुछ भी कर सकते है,,,वैसे ख़ान भाई मेरे साथ थे तो मुझे डर नही था,,,,और ख़ान
भाई ने ये भी बोला था कि हमे अगर करण और रितिका की शादी करवानी है तो बहुत जल्दी करवानी होगी
क्यूकी उसके बाद हमे आगे के प्लान पर भी काम करना है,,,,शादी लेट होगी तो आगे का प्लान भी लेट हो
जाएगा और अगर दूसरे प्लान पर पहले काम किया तो शादी कभी नही होगी,,,,,,,,,,वैसे भी हमे शादी के
बारे मे पहले सोचना होगा क्यूकी अगर रितिका की शादी करण से हो गई तो उसका बाप थोड़ा झुक जाएगा
हम लोगो के सामने और फिर बस अमित और उसके बाप के बारे मे सोचना होगा,,,,इसलिए शादी करवाना बहुत
ज़रूरी था करण और रितिका की वो भी जल्दी से जल्दी,,,,मैं ख़ान भाई की बात समझ गया था,,,,,

अब मुझे करण को फोन करना था,,,,,,मैने करण को फोन किया,,,,

सन्नी==== हेलो

करण=== हेलो सन्नी भाई ,,हाउ आर यू

सन्नी=== मैं ठीक हूँ भाई तुम सूनाओ,,,क्या हो रहा था,,,,

करण === कुछ नही भाई बस बैठा हुआ था,,तुम सूनाओ क्या हो रहा था,,

सन्नी=== अभी तक कुछ नही हो रहा था लेकिन अब आगे बहुत कुछ होगा,,

करण===क्या मतलब भाई मैं कुछ समझा नही,,,क्या होगा भाई

सन्नी=== अबे तेरी शादी होगी रितिका से वो भी बहुत जल्दी,, बस तू तैयारी करले और माँ और शिखा को भी
बता दे

करण खुशी से पागल होते हुए,तू सच बोल रहा है सन्नी भाई,,,,वो फोन पर पागलो की तरह खुश
होता हुआ चिल्ला चिल्ला कर बात करने लगा,,,,,

सन्नी === हाँ भाई सच बोल रहा हूँ,,,,,,,,,इतना बोलकर मैने वो सारी बात करण को भी बता दी जो
अभी कुछ देर पहले ख़ान भाई को बताई थी ,,जो कुछ भी अमित के घर मे हुआ और जो डील हुई थी मेरी
अमित के बाप से,,,,,,,,,,,,,,,,,

करण===लेकिन भाई तू वो सब करेगा कैसे,,,,,

सन्नी====कैसा करूँगा मतलब,,,वो सीडीज़ तो मेरे ही पास है मैं चाहूं तो अभी तेरी शादी करवा
सकता हूँ,,,आज ही,,,लेकिन मुझे अमित के बाप के फोन का इंतेज़ार है,,,,कब वो रितिका के बाप से
बात करेगा तेरे और रितिका की शादी एक बारे मे ,,,बस उसका . आ जाए तो तेरा काम हो जाना है,,,

करण थोड़ा उदास होके=== अगर उसका फोन नही आया तो,,,,

सन्नी=== अबे तू पागल हो गया है क्या,,,,,इतनी जल्दी तुझे नही होगी रितिका से शादी करने की जितनी जल्दी
उन लोगो को होगी सीडीज़ मिलने की,,,,बस उनकी तरफ से बात आगे . दे तभी तेरी बात आगे .,,,

करण===लेकिन भाई अगर वो मान भी गये तो क्या वो ये सब इतनी आसानी से होने देंगे ,,,अगर कोई पंगा
हो गया तो,,,,,

सन्नी=== हाँ भाई पंगा तो हो सकता है ख़ान भाई ने मुझे सावधान रहने को बोला है,,वैसे ख़ान
भाई हम लोगो के साथ है तो हमे डर नही होना चाहिए किसी बात का,,,,और वैसे भी जब तक सीडीज़ उनके
हाथ नही लगती वो कुछ नही कर सकते और जब तक तेरी शादी नही होती रितिका से मैं उनको सीडीज़ नही दूँगा
और एक बार तेरी शादी हो गई तो कुछ नही हो सकता,,,,,,बस फिर बाकी के प्लान पर काम करना होगा,,
अब तू ये बात अलका आंटी को मत . बस शिखा दीदी को बता देना,,बाकी मैं ख़ान भाई से बात करके
फिर तुझसे बात करूँगा,,,,देखते है क्या करना है आगे,,,,

तभी करण बीच मे बोल पड़ा== क्या ये बात तूने रितिका को भी बता दी है क्या,,,,

सन्नी== अबे नही तो,,,आज ही तो सुबह बात करके आया मैं अमित के बाप से ,,,,और अब तक ख़ान भाई और
तेरे साथ ही बात हुई है इस बारे मे,,,तुझे किसने कहाँ की मैने रितिका को बता दिया है ये सब,,,

करण===पता नही भाई लेकिन कुछ 5-10 मिनट पहले मुझे रितिका का मसेज आया था,,,,बोल रही थी कोई
गुड न्यूज़ है,,,मुझे लगा तूने उसको भी बता दिया होगा,,,,खैर कोई और बात होगी फिर,,,मैं बात
कर लेता हूँ उसके साथ,,,,,ओके बाइ भाई,,,

इतना बोलकर उसने फोन कट कर दिया और मुझे टेन्षन हो गई,,,,उसके पास क्या गुड न्यूज़ है,,मैने तो
उसको नही बताया इस बारे मे,,,,कहीं अमित या उसके बाप ने तो बात नही की रितिका के बाप के साथ मिलकर
जिसको रितिका ने सुन लिया हो,,,,,या रितिका के बाप ने तो नही बता दिया रितिका को कि उसकी शादी करण से होगी,,
नही नही,,,ऐसा होता तो अमित का बाप पहले मुझे फोन करता ,,,,तो फिर क्या बात हो सकती है,,,मैं
अभी टेन्षन फ्री हुआ था कि फिर से टेन्षन मे पड़ गया था,,,,
करण से बात करके मैं थोड़ा टेन्षन मे आ गया था ,,लेकिन अभी और टेन्षन मिलने वाली थी मुझे अब
क्यूकी मुझे उपर रूम मे जाके सोनिया और कविता के साथ स्टडी जो करनी थी,,
 
मैं उपर गया तो सोनिया और कविता दोनो रूम मे नही थी मैने साथ वाले रूम मे देखा तो वो वहाँ
भी नही थी फिर मैं उपर भुआ के ड्रॉयिंग रूम मे गया तो वो दोनो घर के फ्रंट गार्डन की तरफ
वाली खिड़की के पास ज़मीन पर मॅट्रेस लगा कर स्टडी कर रही थी,,,मैं रूम मे एंटर हुआ तो सोनिया
ने नखरे से मुझे देखा और वापिस बुक की तरफ देखने लगी,,,लेकिन कविता ने मुझे हंस कर और शर्माके
देखा ,,,,,

जैसे ही मैं आगे बढ़ा सोनिया एक दम से बोली,,,,,,तू यहाँ क्या करने आया है ब्लॅकी,,,

तुझे कितनी बार बोला ब्लॅकी मत बोला कर,,,,और मैं यहाँ स्टडी करने आया हूँ ,,,,तुझे कोई प्रोबलम
है क्या,,,,मैने भी थोड़ा चिढ़ते हुए बोला,,,

नही मुझे नही है लेकिन तुझे होगी,,,,क्यूकी बिना बुक्स के स्टडी करने मे अक्सर प्रोबलम होती है
सोनिया ने इतनी बात मेरे खाली हाथ देख कर बोली और फिर दोनो हँसने लगी,,,,

मैं तो बुक इसलिए नही लेके आया कि कविता के साथ बैठकर एक ही बुक मे स्टडी कर लूँगा,,,मैने इतना
बोला और कविता की तरफ बढ़ गया और कविता मुझे हंस कर देखने लगी जबकि सोनिया थोड़ा चिड गई,,

मैं कविता के पास जाके बैठ गया ,,कविता ने भी खुद को अड्जस्ट किया और मेरे लिए जगह बना कर बुक
को थोड़ा मेरी तरफ खिसका दिया,,,,मैं भी उसके साथ बैठकर स्टडी करने लगा,,,लेकिन मेरा ध्यान स्टडी
मे कम ही था ,,मैं तो उसके पास बैठ कर उसके बदन से आने वाली मस्त ख़ूसबू को अपने सांसो मे
महसूस करने लगा था,,वो भी जानती थी कि मेरा ध्यान बुक पर नही है तभी उसने सोनिया की तरफ देखा
और फिर मेरे को इशारा किया बुक की तरफ और नज़रो ही नज़रो मे मुझे पढ़ने के लिए बोलने लगी,,,मैने
भी उसकी बात मान ली और अपना ध्यान बुक की तरफ कर लिया ,,,मेरी इस हरकत से वो बहुत ज़्यादा खुश हो
गई क्यूकी मैने एक ही बार मे उसकी बात मान ली थी,,,,,

हम लोग करीब 7 बजे शाम तक स्टडी करते रहे,,,माँ अभी तक नही आई थी और डिन्नर का टाइम भी करीब
ही था,,,,

लगता है माँ लेट हो जाएगी,,,,,चल कविता हम दोनो चलके डिन्नर की तैयारी कर देते है,,,माँ आएगी और
डिन्नर बना देगी,,,,सोनिया ने इतना बोला और अपनी बुक रखी और साथ मे कविता को भी बुक रखने को बोला
फिर दोनो नीचे चली गई,,,,कविता का दिल नही था नीचे जाने को ,,वो बड़ी धीरे धीरे उठी थी अपनी
जगह से,,,,हम लोग करीब बैठ कर स्टडी कर रहे थे इतने टाइम से जिस से हम दोनो को बहुत अच्छा लग
रहा था,,,टाइम भी जल्दी से बीट गया था,,,वो रूम से बाहर जाते हुए भी मुझे उदास होके देख रही थी

मैने भी जल्दी से बुक रखी और उन दोनो के पीछे पीछे नीचे चला आया,,,,

तू क्यूँ नीचे आ गया,,,तू उपर जाके स्टडी कर ले सन्नी,,,,ये बात कविता ने हँसते हुए मज़ाक मे मुझे बोली
और सोनिया के साथ नीचे सीडियाँ उतरने लगी,,,,,कविता की बात से सोनिया ने पीछे मूड कर मुझे गुस्से से देखा


लगता है तुम दोनो को मेरा नीचे आना अच्छा नही लग रहा,,,ठीक है फिर तुम दोनो जाओ मैं चला वापिस
स्टडी करने,,,,मैने इतना बोला तो सोनिया हँसने लगी लेकिन कविता फिर से उदास हो गई,,,,वो मुझे उपर जाने
के लिए मज़ाक मे बोल रही थी ,,,लेकिन मैं सच मे उपर की तरफ मुड़ने लगा तो वो उदास हो गई,,,

मैं 2 कदम उपर गया और फिर से वापिस पलटकर नीचे आने लगा,,,,सोनिया और कविता दोनो ने मुझे देखा
और दोनो ही हँसने लगी,,,,कविता समझ गई कि मैने भी उपर जाने का मज़ाक ही किया था,,,

वो दोनो हल्के से हँसते हुए किचन मे चली गई जबकि मैं डाइनिंग टेबल पर बैठ गया,,,,,तभी मुझे
किचन से आवाज़ आई,,ये आवाज़ थी कविता की,,,

सन्नी एक मिंट अंदर आना ,तेरी हेल्प चाहिए हमे,,,,मैं कविता की आवाज़ सुनके किचन की तरफ चलने लगा

तभी किचन से सोनिया की आवाज़ भी आने लगी,,,रहने दे उसको बाहर ही मुझे नही चाहिए उसकी हेल्प,,,वो
थोड़ा नखरे से बोल रही थी,,,,

इतनी देर मे मैं किचन मे पहुँच गया,,,,,,,,,,मैने किचन मे अंदर घुसते हुए देखा कि कविता एक
छोटे टेबल को पकड़ कर खड़ी हुई थी और सोनिया उस टेबल पर खड़ी होके उपर वाली शेल्फ से कोई डिब्बा
उतारने की कोशिश कर रही थी,,,तभी उपर से एक डिब्बा उसके हाथ लगने से नीचे गिरा और गिरते टाइम उसका
ढक्कन भी निकल गया और वो डिब्बा उल्टा होके सोनिया के उपर गिर गया,,,उस डिब्बे मे बैसन था जो सारा सोनिया
के उपर गिर गया,,,,मैं ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा सोनिया की तरफ देख कर और मुझे हँसता देख कविता भी हँसने
लगी,,,,,वैसे कविता नही हँसती क्यूकी वो डरती थी सोनिया से,,,,लेकिन मुझे हँसता देख कविता भी हँसने लगी,,,,

सोनिया का पूरा सर और चेहरा बैसन से कवर हो गया था,,,,,वो जल्दी से टेबल से नीचे उतरी और अपने बालों
को झटक कर अपने सर से बैसन को उड़ाने लगी साथ ही अपने हाथों से भी अपने सर को झटकने लगी,,,उसके
सर से बैसन उड़ता हुआ किचन के फ्लोर पर गिरने लगा,,,,,,जब उसका फेस थोड़ा सॉफ हुआ उसने घूर कर
कविता की तरफ देखा तो कविता जल्दी से चुप हो गई ,,कविता के चुप होते ही उसने मेरी तरफ भी गुस्से से
देखा लेकिन मैं चुप नही हुआ बल्कि और ज़्यादा ज़ोर से हँसने लगा,,,,मैं जानता था मेरी इस हरकत से उसको
और भी ज़्यादा गुस्सा आएगा और ऐसा ही हुआ,,,,वो जल्दी से गुस्से से मुझे घूरती हुई किचन से बाहर चली
गई,,,,

वो मेरे करीब से जल्दी से गुजर कर किचन से बाहर गई और उपर की तरफ भाग गई,,,,उसके जाने के बाद
मैं फिर से हँसने लगा,,लेकिन तभी कविता मेरे पास आ गई,,,,,,,,

क्यूँ हंस रहा है अब,,,,अब तो वो चली गई,,,,कविता ने मुझे डाँट-ते हुए बोला

मैं तो बस ऐसे ही हंस रहा था और अगर वो होती तो भी मैं हँसता,,,,मुझे उसका डर नही ,,जैसे तुझे
है डर उसका,,,,

झूठ मत बोल,,,,मुझे पता है तू भी उस से डरता है,,,मेरे से भी कहीं ज़्यादा डरता है तू उस से,,,ये
झूठ किसी और को बोलना कि तू नही डरता सोनिया से,,,,

नही डरता मैं उस से,,,तूने देखा नही जब वो मुझे घूर कर देख रही थी तब भी मैं हंस रहा था
तेरी तरह एक पल मे ही चुप नही हो गया था,,,,

जानती हूँ,,,तू हँसता रहा और चुप नही हुआ,,,,और ऐसा तूने इसलिए नही किया क्यूकी तू उस से डरता नही ,,
बल्कि ऐसा तूने इसलिए किया ताकि वो और ज़्यादा गुस्सा हो जाए,,,,

हाँ मैने ऐसा इसलिए किया ताकि वो गुस्सा हो जाए,,,,और वो गुस्सा हो भी गई है,,,

तभी वो मेरी बात के बीच मे ही बोल पड़ी,,,,मैं तेरे को अच्छी तरह से जानती हूँ सन्नी,,,जबसे तेरा
उस से झगड़ा हुआ है तबसे ना जाने क्यूँ तू क्यूँ उसको छोटी छोटी बात पर तंग करता रहता है,,,मैने
कयि बार नोटीस भी किया है,,,,,तू जान भूज कर उसको तंग करता है,,,जान भूज कर उसको गुस्सा दिलाता
है,,,,,,,,,क्यूँ करता है तू ऐसा,,,,क्या तुझे मज़ा आता है ये सब करके,,,

हाँ बहुत मज़ा आता है,,,,जब भी उसको गुस्सा करता हूँ मुझे मज़ा आता है,,,,अब खुश ,,यही सुनना था
तूने मेरे से,,,,मैं थोड़ा गुस्से मे बोला कविता को तो वो मेरे करीब आ गई,,,,

तुझे पहले भी बोला है मैने की मेरे सामने तू झूठ मत बोला कर सन्नी,,,मैं जानती हूँ तुझे उसको
गुस्सा करके मज़ा नही आता ,,,अभी भी तुझे मज़ा नही आया बल्कि तुझे खुद पर गुस्सा आया कि तूने अपनी
ही बेहन का मज़ाक उड़ाया है और अपने उस गुस्से को कम करने के लिए तू अब मुझपर गुस्सा कर रहा है

मैं कविता की बात से एक दम चुप हो गया,,,कोई जवाब नही सूझा मुझे,,,,बड़ा अजीब लगा कि ये इतना
सब कैसे जानती है,,,,,ये सच तो सिर्फ़ मैं जानता हूँ,,,,हालाकी मैं सोनिया के सामने मस्ती करता हूँ
और उसको गुस्सा दिलवाता हूँ ताकि वो मेरे से दूर रहे यही गुस्सा उसको मेरे से दूर रखता है लेकिन
जब भी मैं उसको गुस्सा दिलवाता हूँ मुझे खुद पर भी गुस्सा आता है,,,,

मैं चुप छाप ख़ड़ा रहा ,,,कविता के सामने कुछ नही बोल सका
 
देख सन्नी मुझे नही पता कि तेरा क्या झगरा चल रहा है सोनिया के साथ ,,और मैं जान-ना भी नही
चाहती ,,,मैं तो बस इतना चाहती हूँ कि तुम दोनो भाई बेहन पहले की तरफ मिलकर रहने लगो,,क्यूकी
मैं तुम दोनो की दोस्त हूँ और तुम दोनो को अच्छी तरह जानती हूँ,,,,आज तुम दोनो एक दूसरे से दूर
हो लेकिन ना तुम इस बात से खुश हो और ना वो इस बात से खुश है,,,,तुम दोनो को अपनी प्रोब्लम्स को
सॉल्व करना चाहिए,,,तुम दोनो को सब कुछ पहले जैसा करना चाहिए,,,,

मैं चुप रहा और उसकी बात सुनता रहा,,,,,,कुछ नही बोला मैं,,क्यूकी वो जो कुछ भी बोल रही थी सब
सच था,,,,मैं सोनिया को खुद से दूर रखकर खुश था लेकिन खुद उस से दूर रहके खुश नही था


जा उपर जाके उस से माफी माँग ले ,,जो अभी तूने उसका मज़ाक उड़ाया है इसके लिए,,जो झगड़ा तुम लोगो का
पहले से चल रहा है उसको भूल जा ,,,वो फिर कभी सॉल्व कर लेना,,,,लेकिन जो पंगा तूने आज किया है
उसके लिए सौरी बोल्डे उसको उपर जाके,,,,,

मैने ना मे सर हिला दिया,,,और सोचा कि कविता तुझे क्या पता कि हम लोगो का झगड़ा क्यूँ चल रहा है
,,और मैं इस झगड़े को ख़तम करना नही चाहता क्यूकी जब तक ये झगड़ा है हम दोनो के बीच तब तक
सोनिया बची हुई है मेरे से,,,और मैं खुद भी नही चाहता कि ये झगड़ा सॉल्व हो जाए क्यूकी अगर ऐसा
हो गया तो आज नही तो कल मैं फिर से बुरा बर्ताव शुरू कर दूँगा सोनिया के साथ और अगर दोबारा से ऐसा
कुछ हो गया तो मैं खुद को माफ़ नही कर पाउन्गा,,,,


कविता ने फिर बोला मुझे लेकिन मैने ना मे सर हिला दिया,,,,,तभी वो मेरे पास आई और मुझे बाहों
मे भरके हल्की किस करदी मेरे लिप्स पर,,,,प्ल्ज़्ज़ सन्नी मेरी खातिर माफी माँग लो सोनिया से,,,प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़

उसने इतने प्यार से बोला कि मैं मना नही कर पाया,,,,,ओके ठीक है माँग लेता हूँ माफी लेकिन सिर्फ़ आज के
मज़ाक के लिए,,,जो पहले से फाइट चल रही है हम लोगो मे वो चलती रहेगी,,,,,,,

ओके ठीक है बाबा ,,आज के लिए तो माफी माँग ले,,,,बाद की बाद मे देखते है,,,उसने मुझे उपर जाने के
लिए किचन से बाहर हल्का सा धक्का दिया,,,,जा अब माफी माँग उस से,,,

मैं किचन से निकला और उपर की तरफ जाने लगा,,,मेरा दिल तो नही था सोनिया से सौरी बोलने का लेकिन मैं
कविता की वजह से ऐसा करने को तैयार हो गया,,,मुझे पता था सौरी बोलने से भी सोनिया मुझे माफ़ नही
करेगी क्यूकी मेरी ग़लती ही ऐसी थी,,,लेकिन कविता को क्या पता मेरी ग़लती के बारे मे,,और वैसे भी उसने
मुझे आज की बात के लिए सौरी बोलने को कहा था ना कि जो ग़लतियाँ मैने पहले की थी जिनके बारे मे उस
कविता को कुछ पता ही नही था,,,,

मैं ना चाहते हुए भी सौरी बोलने के लिए उसके रूम मे चला गया,,,मैने रूम मे अंदर जाके देखा
तो वो वहाँ नही थी ,,मैं समझ गया कि बैसन उपर गिरने की वजह से वो गंदी हो गई थी इसलिए शायद अब
वॉशरूम मे खुद को सॉफ कर रही होगी,,,,इसलिए मैं वहाँ से निकल कर नीचे जाने लगा लेकिन इतनी जल्दी
नीचे चला जाता तो कविता मेरे से सवाल करती,,,,,कि इतनी जल्दी मैं माफी माँग कर नीचे भी आ गया इसलिए
उसके सवालो से बचने के लिए मैं शोबा के रूम मे चला गया ताकि कुछ देर यहाँ बैठ जाउन्गा और
जैसे ही मैं शोबा के रूम मे घुसा और अंदर गया तभी मैने देखा की सोनिया शोबा दीदी के रूम मे
बने बातरूम से बाहर निकल रही थी,,,,,वो सिर्फ़ टवल मे थी,,उसका गौरा बदन एक दम चमक रहा
था उसके गीले बालों से पानी की बूँदें टपक कर नीचे बिछे हुए कार्पेट पर गिर रही थी ,उसका टवल भी
काफ़ी हद तक गीला हो चुका था,,,,,वो टवल उसके बूब्स से थोड़ा उपर बढ़ा हुआ था और उसकी टाँगों
पर घुटनो से थोड़ा सा उपर था,,,,,उसकी आधी नंगी मखमली गौरी टाँगें पानी से भीगी हुई किसी काँच
की तरह चमक रही थी,,,,मैने उसको एक पल के लिए ही देखा था लेकिन इतनी देर मे ही मैने उसको उपर
से नीचे तक देख लिया था,,,मैने तो शायद उसको इतनी गौर से देखा था कि उसके बालों से गिरने वाली पानी
की बूँदो को भी काउंट कर लिया था,,,

वो एक दम से मुझे देख कर चीख उठी,,लेकिन चीखते टाइम उसने अपने दोनो हाथ अपने मुँह पर रख
लिए ताकि उसकी आवाज़ नीचे तक नही पहुँच जाए लेकिन मुँह पर हाथ होने के बावजूद वो काफ़ी तेज आवाज़
मे चीखी थी,,,,रूम मे उसकी चीख गूँज उठी थी,,,रूम का दरवाजा बंद नही होता तो मुँह पर हाथ
रखने के बावजूद उसकी चीख नीचे कविता को सुनाई दे जाती,,,,

मैं एक दम से डर गया उसकी चीख से और जल्दी से उसकी तरफ पीठ करके पलट गया,,,,,

कुछ देर तक रूम मे सन्नाटा रहा,,,,बस हम दोनो के दिल की धड़कन और तेज साँसों की आवाज़ गूँजती रही
रूम मे,,,,,हम दोनो डर गये थे,,,,वो मेरे से डर रही थी और मैं अपने अंदर के जानवर से जो सोनिया
को इस हालत मे देख कर कुछ भी करने को तैयार था,,

तुम य्यहहानं क्क्या कार राहही हूँ,,,उसने डरते और घबराते हुए मेरे से बोला,,,तुउम तूऊओ
ननीहक्सी त्तहेी ना,,,उसकी आवाज़ से डर और घबराहट सॉफ सॉफ झलक रही थी,,,

सूउररयी मैं उूओ ,,मैं बस तुमसे मैं वो,,,मैं भी थोड़ा डर गया था,,मैं उसकी तरफ पीठ करके
खड़ा हुआ था लेकिन डर की वजह से मैं इधर उधर देख रहा था,,तभी मेरी नज़र पड़ी मेरी लेफ्ट साइड
पड़े हुए मिरर पर ,,मैने मिरर मे देखा कि सोनिया बाथरूम से बाहर निकल कर दीवार के साथ
लग्के खड़ी हुई थी,,,,उसने अपने जिस्म पर लिपटे हुए टवल को कस कर पकड़ा हुआ था,,वो बड़ी बुरी तरह से
डरी हुई थी ,,,उसका बदन बुरी तरह से काँप रहा था,,डर और घबराहट का सॉफ सॉफ पता चल रहा था क्यूकी
उसके भीगे हुए फोरहेड पर पसीना सॉफ सॉफ नज़र आ रहा था जो घबराहट की निशानी था,,,वो नहा कर
बाहर आई थी और उसके फोरहेड पर पानी भी था लेकिन उस पानी मे घबराहट की वजह से आया पसीना कुछ
अलग ही तरीके से चमक रहा था,,,मुझे अभी खुद पर गुस्सा आ रहा था,,,,,

बोलो कय्या कारर राहहे हहू तुउंम यहहानं ,,उसने फिर डरते हुए पूछा,,,

मैं बस तुमसे कुछ बात करने आया था,,,मेरी हालत भी बहुत खराब थी डर की वजह से,,,,

क्या बात कररननी हाीइ,,,वो डरी जा रही थी ,उसके काँपते होंठों से लफ़्ज बड़ी मुश्किल से निकल रहे थे,,
मुझसे उसका ऐसे डर कर बात करना बर्दाश्त नही हो रहा था,,,,
 
कुछ बात करनी थी लेकिन तुम जाओ और पहले कुछ कपड़े पहन लो,,,,मैने इतना बोल दिया लेकिन फिर भी वो
अपनी जगह से नही हिली ,,,बस उसी जगह खड़ी होके काँपति रही,,,मैं समझ गया कि ये मेरे करीब से होके
किसी भी हालत मे रूम से बाहर नही जाने वाली इसलिए मैं जल्दी से रूम से बाहर चला गया,,,और जाके
हॉल मे खड़ा हो गया,,,,सोनिया और शोबा के रूम की तरफ पीठ करके,,,,तभी कुछ देर बाद हल्के कदमो
से सोनिया शोबा के रूम से बाहर निकली और अपने रूम मे चली गई,,,मुझे उसके रूम का दरवाजा बंद
होने की आवाज़ सुनाई दी और मैं पलट कर खड़ा हो गया,,,,

मैं नीचे नही गया और ना ही शोबा के रूम मे वापिस गया,,,मैं वहीं खड़ा हुआ पता नही किस सोच मे
डूब गया,,,,मुझे सोनिया को ऐसी हालत मे देखना था ,,,किसी टवल मे ,,किसी सेक्सी ड्रेस मे,,,पैंटी और ब्रा
मे या सिर्फ़ टवल मे,,,,जिस से मेरे दिल को खुशी होती,,,लेकिन आज उसको ऐसी हालत मे देख कर मुझे खुशी
नही हुई,,,क्यूकी ऐसी हालत मे वो मेरे सामने खड़ी होके डरी हुई थी,,घबराई हुई थी,,,वो इतनी बुरी तरह
से डर गई थी जैसे कोई औरत खुद को 4-6 मर्दो के बीच नंगी पाके दार जाती है,,,उसका काँपता हुआ जिस्म
थरथराते हुए होंठ जिनसे बोलना भी मुश्किल हो रहा था उस से ,,वो सब मेरी आँखों के सामने से गुजर
रहा थे और मुझे आज खुद पर गुस्सा आ रहा था,,,,मेरी बेहन आज मेरे से ऐसे डर रही थी जैसे मैं
कोई गुंडा हूँ कोई रेपिस्ट हूँ,,,क्या सच मे मैं इतना बुरा बन गया हूँ सेक्स और वासना की वजह से कि
मेरी बेहन मेरे पास होने से थर-थर काँपने लगी थी,.,क्या सेक्स और वासना ने मुझे इतना बदल दिया था
कि जिस बेहन के साथ मैं अक्सर हँसता खेलता था एक ही रूम मे सोता था,,वो आज मेरे साथ एक ही रूम
मे खड़ी होने से भी डर रही थी,,,,

मैं इन्ही सोचो मे डूबा हुआ था तभी सोनिया अपने रूम से निकल कर बाहर आ गई,,,उसने एक पयज़ामा और
साथ मे माचिंग टी-शर्ट पहनी हुई थी,,,,लेकिन अभी भी वो बुरी तरह से डरी हुई थी,,,,वो अपनी टी-शर्ट के
कलर को इतना कस्के पकड़े हुए खड़ी हुई थी जैसे अभी भी वो मेरे सामने टवल मे थी,,,और उसने अपने
टवल को कस के पकड़ा हुआ था,,,


क्या बात करनी है तुमने मेरे से सन्नी,,,वो दूर खड़ी हुई डरते हुए बोल रही थी,,,

मैं वो मैं बस,,,,,,मैं बस तुमसे सौरी बोलने आया था,,,,वो जो कुछ नीचे किचन मे हुआ उसके लिए
मैने जो तेरा मज़ाक बनाया उसके लिए,,,सौरी प्ल्ज़्ज़ मुझे माफ़ कर्दे,,,

तभी उसका मुँह खुला का खुला रह गया,,,,,क्या तू सन्नी है ,,,,,या कोई और,,,उसने बड़ी हैरत से मेरे
से पूछा,,,

क्या मतलब है तेरा,,,,,,मैं कुछ समझा नही,,,

मैने पूछा क्या तू सन्नी है या कोई और,,,,,,,,,क्यूकी सन्नी ग़लती करके मुझसे माफी माँग लेता
था लेकिन जो सन्नी का नया रूप है वो मुझसे सौरी नही बोलता कभी,,,बस ग़लती पर ग़लती ही करता रहता है
,,,, उस सन्नी को मैं नही जानती और जान-ना भी नही चाहती,,,,,इसलिए पूछा कि तू सन्नी है या कोई और,,,

मुझे उसकी बात से थोड़ी मायूसी हुई और खुद पर बहुत ज़्यादा गुस्सा आया,,,मेरी आँखें भी थोड़ी नम हो
गई,,,मैने सर झुका लिया लेकिन उसने मेरी आँखों मे आने वाले आँसू देख लिए,,,,,,,,,मैं वहीं सन्नी
हूँ इसलिए तो माफी माँग रहा हूँ,,,,,

तभी वो मेरे करीब आ गई,,,अब उसका डर ख़तम हो गया था,,वो मेरे करीब आई और दोनो हाथों से
मेरे सर को उपर उठा दिया और फिर एक हाथ से मेरे आँसू पोंछने लगी,,,,

लेकिन तभी मैने उसके हाथ पकड़े और उसको खुद से दूर कर दिया,,,,नही प्लज़्ज़्ज़ मेरे करीब मत आ तू,
मैं सन्नी हूँ तेरा भाई और मैं तेरा भाई ही रहना चाहता हूँ,,,लेकिन अगर तू मेरे करीब आएगी तो
मैं सन्नी नही रहूँगा,,,,एक जानवर बन जाउन्गा,,,प्लज़्ज़्ज़ तू मेरे से दूर रह ,,मैं तुझे हर्ट नही करना
चाहता ,,और ना ही तेरे से दूर रहना चाहता हूँ,,,,

मुझे भी कोई और इंसान नही वो पहले वाला सन्नी ही चाहिए जो मेरी क़दर करे,,मुझे अपनी बेहन समझे
ना कि कोई लज़ीज़ इस्तेमाल करने लाएक कोई चीज़ या खिलोना,,तू बुरा नही है भाई,,,लेकिन तू जानभूज कर
मेरे सामने बुरा बनता है,,बुरा बन-ने का नाटक करता है,,मैं जानती हूँ तू जानभूज कर मुझे
तंग करता है,,,बारिश मे बच्चों की तारह खेलते टाइम भी तू मुझे तंग ही कर रहा था,,,मुझे सब
पता है भाई,,,,,मुझे तंग करके तू मस्ती करने के नाटक करता है लेकिन मुझे तंग करके तू मस्ती नही
कर सकता तू खुद भी उतना ही तंग होता है,,,,,,प्लज़्ज़्ज़ ऐसी हरकते मत कर भाई,,,मुझे मेरा भाई सन्नी
वापिस चाहिए भाई,,,

वो रोते हुए मेरे गले लग गई ,,,,लेकिन मैं जल्दी से उस से दूर हो गया,,,

बोला ना मेरे करीब मत आ तू,,,,मैं तेरा भाई हूँ और भाई ही रहूँगा,,,लेकिन दूर दूर से,,करीब
आएगी तो पछताएगी,,,तू मेरे करीब आती है तो मेरे अंदर का जानवर जागने लगता है और ये जानवर ये नही
जानता कि तू मेरी क्या लगती है,,,मेरे जानवर को मत जगा तू प्लज़्ज़्ज़ दूर रह मेरे से,,,,

उसने मेरी बात सुनी और रोते हुए पहले मुझे गुस्से से देखा फिर आँखों मे नमी लिए हुए हँसने लगी
मुस्कुराने लगी और मेरे गाल पर एक हल्के से थप्पड़ मारा,,,,,,

समझ गई,,,अब हम भाई बेहन है,,दोस्त है,,,लेकन दूर दूर से,,,करीब नही आउन्गि तेरे और अगर तू आया
तो तेरा सर फोड़ दूँगी याद रखना,,,,उसने ये सब हँसते हुए बोला लेकिन आखों मे नमी थी उसके,,

चल अब नीचे चलते है और कविता की हेल्प करते है,,,,वो मेरा हाथ पकड़ कर मुझे नीचे लेके चली
लेकिन जैसे ही मैने उसकी तरफ देखा उसने मेरा हाथ छोड़ दिया और दूर हट गई,,,,,,,,,,,सौरी बाबा ग़लती
हो गई,,,,अब नीचे चले क्या,,,,,वो मुस्कुराते हुए बोल रही थी,,मैं भी उसको मुस्कुराता देख कर खुश
हो गया,,,,क्यूकी काफ़ी लंबे टाइम बाद वो मेरे साथ रहके खुश थी,,,वर्ना तो हर बार बस गुस्सा ही होती
'रहती थी,,,,,,,

फिर वो नीचे की तरफ चलने लगी और मैं भी उसको साथ नीचे की तरफ चलने लगा लेकिन हम दोनो 2
सीडियों के फंसले से चल रहे थे लेकिन हँसते और मज़ाक करते हुए,,,,,,

मैं और सोनिया हँसते हुए बातें करते हुए नीचे की तरफ गये तभी डाइनिंग टेबल पर बैठ कर कविता सब्जी
काट रही थी साथ मे माँ भी आके बैठ गई थी,,,,,वो दोनो भी बातें करते हुए सब्जी काट रही थी लेकिन
जैसे ही मैं और सोनिया बातें करते हुए नीचे गये तो माँ और कविता की बातें बंद हो गई और वो दोनो
बड़ी खुशी से हम दोनो की तरफ देखने लगी,,,,,


शूकर है तुम दोनो की फाइट ख़तम हुई,,,माँ ने इतना हँसते हुए बोला तो साथ मे कविता भी हँसने लगी
,,,,,,,,,लेकिन ये चमत्कार हुआ कैसे ?,,,,मुझे भी तो पता चले,,,,

तभी डॅड अपने रूम से बाहर निकलते हुए,,,,,,,,,क्या चमत्कार हो गया भाई हमे भी तो पता चले
डॅड ने बड़ी उत्सुकता से पूछा माँ से,,,,

खुद ही देख लो,,,,माँ ने डॅड से इतना बोला और हम दोनो की तरफ इशारा कर दिया,,,,

अरे वाह,,,,भाई बेहन दोनो एक साथ,,,,,ये तो अच्छी बात है,,,,वैसे ये चमत्कार हुआ कैसे,,,


ये चमत्कार मुझे लगता है कविता की वजह से हुआ होगा,,,,माँ ने हंस कर कविता के सर पर हाथ फेरते
हुए बोला,,,,,

इस से पहले कविता कुछ बोलती मैं बोल पड़ा,,,,,,,,,,,इसमे चमत्कार कैसा,,,,हम दोनो मे कॉन्सा कोई
फाइट थी,,,बस हल्का मन-मुटाव था जो अब ख़तम हो गया,,,,आंड इस सब मे इस नौकरानी का कोई हाथ नही
है ना कोई चमत्कार किया है इसने,,,,,,,,,,,,मैने इतना बोला तो कविता गुस्से से,,,,,,,,

अच्छा बच्चू अब सब ठीक हो गया तो मैं नोकारानी बन गई फिर से,,,,,याद रखना रात मे खाना मैं ही
बना रही हूँ आंटी के साथ मिलकर,,,इतनी हरी मिर्ची डाल दूँगी तेरी दाल मे कि याद रखेगा,,,,


अरे बेटी इसकी दाल मे ही डालना कहीं ग़लती से हम लोगो की दाल मे मत डाल देना,,,,डॅड ने हँसते हुए बोला
तो कविता शरमा गई,,,,वैसे जो आज तूने किया है ये बहुत अच्छा काम था तुम्हारा कविता बेटी,,इस से सबका
फ़ायदा होगा,,,,,,,,,,

वो कैसे अंकल जी,,,,,,कविता ने बड़ी उत्सुकता से पूछा,,,,,


तेरे को तेरे दोनो दोस्त मिल जाने है,,,,जैसे अक्सर थे दोनो ,,,पहले तो दोनो की फाइट की वाजहह से एक टाइम पर
एक दोस्त ही तेरे साथ होता था,,,,,,,और अब जब ये दोनो साथ मिल गये है तो सन्नी का भी एग्ज़ॅम मे पास होना
तय हो गया है,,,,,,अब सन्नी को न्यू कार मिलेगी और सोनिया को अपना समान,,,अक्तिवा मोबाइल एट्सेटरा..

सब लोग इसी बात पर खुश हो गये,,,,,उसके बाद ऐसे ही हँसी मज़ाक चलता रहा और ऐसे ही बातें करते
हुए डिन्नर भी हो गया और डिन्नर के बाद हम लोग वापिस उपर रूम मे स्टडी करने के लिए बैठ गये,,,
 
हम लोग अभी बैठे ही थे कि मेरा फोन बजने लगा,,,,मैने देखा तो ये फोन अमित के बाप का
था,,,मुझे पता था ये फोन ज़रूर करेगा और बहुत जल्दी ही करेगा,,,और ऐसा ही हुआ,,क्यूकी करण और
रितिका की शादी से ज़्यादा जल्दी थी उसको उन सीडीज़ को अपने हाथ मे लेने की,,,

मैं कविता और सोनिया के सामने बात नही कर सकता था इसलिए मैं शोबा के रूम मे चला गया,,,सोनिया
और कविता ने मुझे बड़े शक की नज़र से देखा जब मैं फोन आते ही रूम से बाहर चला गया था,,

हेलो ,,सन्नी बेटा,,,कैसे हो

हेलो अंकल जी,,मैं ठीक हूँ आप बताओ इतनी रात को फोन कैसे किया,,,कोई काम था क्या,,

अरे बेटा काम था तभी फोन किया,,,,तूने बोला था ना कि तू सुमित से वो सीडीज़ लाके हमे दे सकता है ,,

हाँ अंकल जी बोला था,,,,और बदले मे कुछ माँगा भी था आपसे,,,

हां हां याद है बेटा ,,,,करण और रितिका की शादी ना,,,,,हो जाएगी उन दोनो की शादी मैने रितिका के बाप
से बात करली है वो तैयार है उन दोनो की शादी के लिए,,,

ये तो अच्छा बात है अंकल जी,,,तो बोलो कब करनी है शादी,,,

जब तुम सीडीज़ हमे लाके दोगे सन्नी बेटा,,,,

वो तो मैं ले आउन्गा अंकल जी ,,,लेकिन आप बोलो कि कब चाहिए सीडीज़ ,,,,

मुझे तो अभी लाके देदे बेटा वो सीडीज़ अगर ला सकता है ,,,,तुझे नही पता वो सीडीज़ कितनी ज़रूरी है हम लोगो
के लिए,,,,

जानता हूँ अंकल जी तभी तो आप लोग रितिका की शादी करन से करने के लिए राज़ी हुए हो,,,

हाँ बेटा,,,तभी तो तैयार हुआ है रितिका का बाप उसकी शादी के लिए,,,,तू जितनी जल्दी हो सके हम लोगो को वो सीडीज़
'लाके देदे और हम रितिका की शादी करण से करवा देंगे,,,,हो सके तो कल ही लाके देदे वो सीडीज़,,,

इस से पहले मैं कुछ बोलता मैने फोन के पीछे से सुना कि कोई और भी था वहाँ अमित के बाप के पास और
शायद वो कोई और नही पायल भाभी थी,,,और साथ मे रितिका का बाप भी था,,,मुझे उनकी आवाज़ तो सुन गई थी
लेकिन ये नही सुन सका मैं कि वो लोग बात क्या कर रहे थे,,,,

ठीक है अंकल जी मैं कोशिश करूँगा क्यूकी जितनी जल्दी आप लोगो को है उस से कहीं ज़्यादा जल्दी मुझे है
रितिका और करण की शादी की,,,

तो ठीक है बेटा हमे वो सीडीज़ कल लाके देदे हम कल ही शादी करवा देते है इन लोगो की,,,,अंकल ने इतना
बोला और फोन कट कर दिया,,,,

मैं थोड़ा टेन्षन मे आ गया,,,,साला रितिका का बाप इतनी जल्दी कैसे मान गया,,,,और पायल क्या कर रही है
उन लोगो के पास,.,,,,,क्या वो कोई गेम खेल रही है हम लोगो के साथ,,,क्या वो उन लोगो से मिली हुई है,,नही
ये नही हो सकता क्यूकी रितिका को पूरा यकीन था पायल भाभी पर,,,,लेकिन जो आवाज़ मैने सुनी थी वो भी
पायल भाभी की थी ये मुझे यकीन था,,,

खैर मैं बात करके वापिस सोनिया और कविता के पास चला गया,,,,मैं वहाँ पहुँचा तो सोनिया और कविता
दोनो बड़ी खुश थी,,,दोनो बुक्स को मुँह पर रखकर ज़ोर ज़ोर से हंस रही थी,,,जैसे ही मैं रूम मे एंटर
हुआ उन दोनो ने मुझे शक की नज़र से देखा और चुप कर गई,,,

अरे ये क्या बात हुई अभी तुम दोनो इतना खुश थी और अभी एक दम से चुप हो गई,,,भला मुझे भी तो पता
चले कि इतनी खुशी का राज़ क्या है,,,,

कुछ नही भाई कविता ने एक बड़ा अच्छा जोक सुनाया था उसी पर हंस रही थी हम दोनो,,,

अच्छा मुझे भी सूनाओ ,,पता तो चले ऐसा कॉन्सा जोक था जो तुम दोनो इतनी ज़ोर से हंस रही थी,,

फिर कविता ने जोक सुनाया तो मैं भी हँसने लगा साथ मे कविता और सोनिया भी,,,,कुछ देर बाद सब चुप
हुए तो मैने एक जोक सुना दिया और फिर से सब पागलो की तरह हँसने लगे,,,,हम लोग इतना खुश थे कि मुझे
अपने पुराने दिन याद आ गये जब हम लोग अक्सर ऐसे ही हँसते खेलते थे,,,,पता नही किसकी नज़र लग गई थी
हम लोगो को,,,

उसके बाद काफ़ी टाइम तक हम लोग जोक्स ही सुनाते रहे एक दूसरे को और हँसते खेलते रहे,,,,,हम लोगो को काफ़ी
रात हो गई थी मस्ती करते जोक सुनाते हुए,,,,फिर सोनिया ने बोला कि उसको नींद आ गई है वो सोने लगी है तो
इस बात पर भी कविता ने उसका मज़ाक बना दिया,,,,,

हां हां सो जाओ महारानी जी,,,,,अभी स्टडी कर रही होती तो नींद नही आती तुझे और जोक्स पर हंस कर इतना थक
गई कि इतनी जल्दी नींद भी आने लगी,,,,,,सोनिया उसकी बात पर हँसने लगी लेकिन वो उठी नही बल्कि कॅंबल लेके
लेट गई,,,,,फिर मैं और कविता बातें करने लगे ,,कविता ने भी बुक साइड पर रख दी ,,,,,हम दोनो बात
भी करने लगे और साथ साथ जोक्स भी चलते रहे लेकिन हम लोगो को सोनिया के उठने का डर था,,,हम लोग
जोक्स पर इतना ज़ोर से हंस रहे थे कि डर था कहीं सोनिया जाग नही जाए क्यूकी वो सो चुकी थी,,,तभी कविता
ने मुझे इशारा किया धीरे हँसने का लेकिन मैने मुँह पर हाथ रखके हँसी को दबा लिया और ऐसे ही कविता
को इशारा कर दिया कि हम लोग साथ वाले रूम चलते है,,,,,उसने भी हाँ मे सर हिला दिया,,,

हम लोग उठे और रूम की लाइट ऑफ करके हल्के कदमो से चलके शोबा के रूम मे चले गये,,,और शोबा
के रूम मे जाके कविता थोड़ा टेन्षन मे आ गई क्यूकी वहाँ एक ही बेड था,,,,कविता ने जब बेड की तरफ
देखा तो वो थोड़ा सहम गई इस बात का मुझे पता चल गया,,,,तभी मैने आगे बढ़ कर आधे बेड से एक
मॅट्रेस खींच लिया और उसको नीचे ज़मीन पर लगा लिया और कविता को बेड पर जाने को बोला और खुद ज़मीन
पर लगे मॅट्रेस पर बैठ गया,,,,कविता ने मेरी तरफ हंस कर देखा और बेड पर उपर चली गई,,,जबकि मैं
बेड के नीचे लगे मॅट्रेस पर बैठ गया,,,

कविता बेड की बॅक से पीठ लगा कर बैठ गई जबकि मैं ज़मीन पर लगे मॅट्रेस पर बैठ गया ,,मेरे दोनो
हाथ बेड पर थे और मेरा सर उन दोनो हाथों के उपर था,,,मैं दोनो हाथों को बेड पर रखके अपने
सर को दोनो हाथों पर टिका कर कविता से बातें करने लगा,,,वो बेड की बॅक से पीठ लगा कर अपनी टाँगे
फैला कर बैठी हुई थी,,,,उसके दोनो पैर मेरे करीब थे,,,,रूम मे बहुत हल्की रोशनी थी क्यूकी मैने
छोटी लाइट ऑन की हुई थी,,,,,हम लोग फिर से बातें करने लगे और जोक्स सुनाने लगे,,,,

वो मेरे से कहीं ज़्यादा तेज थी जोक्स सुनाने मे ,,,,मेरे 3-4 जोक्स पर हम लोगो को इतनी हँसी नही आती थी
जितनी हँसी मुझे उसके एक जोक पर आती थी,,,,मैं हँसते हुए अपने पेट को पकड़ लेता था कभी कभी,,,फिर
उसने इतना मस्त जोक सुनाया कि मैं हँसते हुए ज़मीन पर लॉट-पोट होने लगा और मेरी आँखों से पानी निकलने
लगा मारे खुशी के,,,,,वो मुझे हँसता देख कर बहुत खुश थी,,,मुझे भी उसकी मुस्कान से पता चल रहा
था कि वो अपने जोक पर नही बल्कि मुझे हँसता देख कर खुश हो रही थी,,,उस टाइम उसके भोले भाले फेस
पर वो मुस्कान सीधा मेरे दिल मे उतर रही थी,,,वो मुस्कुराती हुई इतनी प्यारी लग रही थी कि मैं बता नही
सकता,,,,,

इस से पहले कि मैं खुद पर क़ाबू करता उसने एक और जोक शुरू कर दिया और उस जोक पर तो मैं इतना ज़ोर से
हँसने लगा कि मेरे पेट मे दर्द होने लगा,,,,,,,,,,,,,मैं हँसते हुए बेड पर अपने सर को झुका कर बैठ
गया और अपने मुँह को बेड पर दबाने लगा ताकि मेरी हँसी की आवाज़ रूम से बाहर नही जाए,,,,,तभी हँसते हुए
मैने कविता से बोला,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,बस कर कविता इतना मत हंसा मुझे कहीं हँसते हुए मेरी जान ही
ना निकल जाए,,,,,,,,,

मैने इतना बोला था कि उसने जल्दी से आगे बढ़ कर मेरे मुँह पर हाथ रख दिया,,,खबरदार अगर ऐसी बात
बोली तूने,,,,,मरे तेरे दुश्मन,,,,,इतना बोलते टाइम कविता की आँखें नम हो गई,,,,

मैने उसकी तरफ देखा तो वो कुछ अलग लगने लगी थी मुझे,,,कुछ अपनी लगने लगी थी,,,तभी मैने उसके
हाथ को जो मेरे मुँह पर था उसको अपने हाथ से अपने मुँह से हटा दिया,,,,,अरे पगली मैं तो मज़ाक कर
रहा था,,,,

नही सन्नी प्ल्ज़्ज़ ऐसी बात तू कभी मज़ाक मे भी नही बोलना दोबारा कभी,,,,,इतना बोलकर वो बेड से आगे की
तरफ झुकी और मेरे लिप्स पर हल्की किस करदी,,,,,तूने अगर ऐसी बात फिर कभी अपने मुँह पर लेके आई तो मैं
खुद तेरी जान ले लूँगी,,,,इतना बोलते ही उसने मेरे लिप्स को अपने लिप्स मे भर लिया,.,,मेरा कुछ ऐसा इरादा न्ही
था मैं तो जस्ट हँसी मज़ाक करने के लिए इस रूम मे आया था लेकिन उसकी एक किस ने ,,उसकी एक बात ने जिस से
सॉफ पता चल रहा था वो मेरी कितनी केर करती है,,,उस एक बात ने मुझे बहुत खुश कर दिया और उसके सॉफ्ट'
लिप्स के एहसास ने मुझे मस्त करने मे कोई ज़्यादा देर नही की,,,,
 
मैं बेड से नीचे मॅट्रेस पर बैठ हुआ था और कविता बेड पर बैठी हुई थी,,,,वो बेड से आगे और नीचे की
तरफ झुकी हुई थी ,,उसके दोनो हाथ अब तक मेरे सर पर पहुँच गये थे और उसने अपने हाथों की उंगलियों
से मेरे सर के बालों को प्यार से सहलाना शुरू कर दिया था,,,मैं मस्त तो हो गया था लेकिन ये सब एक दम
से हुआ तो मैं थोड़ा परेशान हो गया था,,,,मुझे उसके सॉफ्ट लिप्स का एहसास अपने लिप्स पर हो रहा था लेकिन
फिर भी मैं उसको किस का रेस्पॉन्स नही दे रहा था,,,,लेकिन उसकी उंगलियों ने मेरे सर पर इतने प्यार से अपना
कमाल दिखाना शुरू किया कि मुझे अपनी सुध-बुध खोने मे ज़्यादा टाइम नही लगा,,,,,अब मस्ती मे मैने
भी उसके सॉफ्ट लिप्स को अपने लिप्स मे जकड़कर उसके होंठों से सोमरस को पीना शुरू कर दिया और अब तक मेरे
हाथ भी उसके सर पर चले गये थे और मैने भी उसके बल्लों को अपनी उंगलियों से सहलाना शुरू कर दिया
था,,,,लेकिन मैं इस से आगे नही बढ़ा क्यूकी वो मुझे मना कर देती थी हर बार और आज मैं उसकी मर्ज़ी के
बिना आगे नही बढ़ना चाहता था,,,,

हम लोग करीब 8-10 मिनट ऐसे ही एक दूसरे के बालों को सहलाते हुए एक दूसरे के होंठों को चूमते और
चूस्ते रहे फिर उसने हल्के से मेरे होंठों को अपने होठों से अलग कर दिया और बड़े धीरे से मेरे से
दूर हो गई,,,उसने अपने हाथ भी मेरे सर से उठा लिया और उसके ऐसा करते ही मैं भी उस से दूर हो गया
और अपने हाथों को भी उसके सर से उठा लिया,,,,मेरा दिल तो नही कर रहा था लेकिन उसने खुद को मेरे से दूर
किया था इसका मतलब वो मुझे रुकने को बोल रही थी इसलिए मैं भी रुक गया और उस से दूर हो गया,,,

मैं थोड़ा पीछे हटा तो देखा कि उसकी साँसे बहुत तेज़ी से चल रही थी ,,हार्टबीट भी इतनी तेज थी कि उसके
दिल की धड़कन का एक हल्का सा शौर होने लगा था रूम मे,,वो खुद पर क़ाबू करने की कोशिश कर रही थी
लेकिन जैसे ही मैने उसकी तरफ देखा और हम दोनो की नज़रे मिली तो उसने शरमा कर अपने चेहरे को झुका
लिया लेकिन एक ही पल मे अपने चेहरे को दोबारा से उपर किया और मेरी तरफ हंस कर देखने लगी और मुझे देख
कर उसने अपने नज़रे दरवाजे की तरफ करली और कुछ देर बाद वापिस मुझे देखने लगी,,,

मैं उसकी बात समझा नही लेकिन मुझे लगा कहीं ये मुझको दरवाजा बंद करने को तो नही बोल रही इसलिए
मैं उठा और दरवाजे की तरफ बढ़ने लगा,,,मैने दरवाजे के पास जाके पलट कर उसकी तरफ देखा तो उसने
मेरी तरफ एक बार देखा और बेड पर लेट गई और मुझे देख कर शरमाने लगी,,,,मैने उसकी तरफ हंस कर देखा
और दरवाजे को अंदर से कुण्डी लगा दी,,,,शायद वो भी मुझे ऐसा करने को ही बोल रही थी,,,मैने दरवाजे
को कुण्डी लगाई और पलट कर उसकी तरफ चला गया,,,,मैं बेड के पास जाके खड़ा हो गया और उसकी तरफ देखने
लगा,,,वो बेड पर लेटी हुई शरमा कर मुझे देख रही थी,,,मुझे उसका खूबसूरत जिस्म बेड पर लेटा हुआ
ऐसे लग रहा था जैसे उसने खुद को किसी पकवान की तरह थाली मे परोस कर मेरे हवाले कर दिया था


,,,,ये पकवान ऐसा था कि जिसको एक ही बार मे पूरा निगल जाने को दिल कर रहा था मेरा लेकिन मैं कुछ
जल्दबाज़ी नही करना चाहता था,,,,मैं बस ऐसे ही खड़ा खड़ा उसके जिस्म को देख रहा था उसने भी मुझे
अपने जिस्म की तरफ घूरते हुए देखा और शरमा कर चेहरे को दूसरी तरफ घुमा लिया,,,,,और तभी उसने बेड से
अपना हाथ उठा कर मेरा हाथ पकड़ा और मुझे बेड पर अपने करीब कर लिया,,,,मैं उसकी इस हरकत से थोड़ा
खुश हो गया था और बड़े आराम से बेड की लास्ट मे उसके पास बैठ गया,,,उसका चेहरे अभी भी दूसरी तरफ था
,,मैने अपने हाथ से उसकी चिन को पकड़ा और उसके चेहरे को अपनी तरफ घुमा लिया ,,उसकी आँखें बंद थी
लेकिन चेहरे पर हल्की मुस्कान के साथ हल्की शरम भी थी,,,

मैने उसके चेहरे को कुछ देर तक ऐसे ही देखा और फिर हल्के से आगे बढ़ कर उसके लिप्स पर किस करने लगा,,
उसने भी एक ही पल मे मुझे किस का रेस्पॉन्स देना शुरू कर दिया,,मैं बेड पर टाँगें ज़मीन पर
लटकाकर उसके करीब बैठा हुआ उसके जिस्म पर झुक कर उसको किस कर रहा था,,उसका लेफ्ट हाथ मेरे राइट हाथ
मे पकड़ा हुआ मेरी टाँगों के उपर था और उसका राइट हॅंड मेरे सर पर पहुँच गया था,,,,उसने अपने
हाथ से मेरे सर को सहलाना शुरू कर दिया था,,उसी प्यार भरे अंदाज़ से जिस से मुझे एक अजीब सी मस्ती
चढ़ने लगती थी,,,मैने भी अपने हाथ को उसकी कमर पर पेट के पास टी-शर्ट के उपर रख दिया और जैसे ही
मेरा हाथ उसके पेट पर लगा उसकी कमर ने हल्के से झटका मारा और उसकी कमर पेट के साथ-साथ उसका पूरा
जिस्म रुक रुक कर हल्के झटके मारने लगा और उन्ही झटको की वजह से मेरा हाथ उसकी कमर से होता हुआ पेट
पर और पेट से होता हुआ कमर पर थिरकने लगा,,,मैने उसकी कमर और पेट को अपने हाथ से सहलाना शुरू
कर दिया,,,तभी उसका हाथ जो मेरे सर पर था उसने वो हाथ मेरे सर से उठा लिया और अपने हाथ से अपनी
टी-शर्ट को थोड़ा उपर उठा दिया मुझे तो तब पता चला जब एक दम से मेरा हाथ उसकी नंगी कमर पर लगा


,,,,जैसे ही मेरा हाथ उसके नंगे पेट पर लगा मुझे पागलपन के दौरे पढ़ने शुरू हो गये ,,मैं मस्ती
मे पागल होने लगा और मुझे मेरे पागलपन का पता तब चला जब मेरा हाथ उसके पेट से होता हुआ उसके
बूब्स तक पहुँच गया ,,,उसने ब्रा नही पहनी हुई थी और मेरा हाथ उसके एक बूब के उपर था,,,,मुझे खुद
पर भरोसा नही हो रहा था कि इतनी जल्दी कैसे मेरा हाथ उसके बूब्स तक पहुँच गया था,,,लेकिन उसके बूब्स
के मखमली एहसास ने एक ऐसी मस्ती भर दी थी मेरे पूरे जिस्म मे की मुझसे अब बर्दाश्त नही हो रहा था
और शायद यही हाल उसका भी था....

उसके छोटे छोटे बूब्स जो छाती से बाहर निकल कर अपनी उमर के हिसाब से कुछ आकार ले चुके थे वो
दोनो बूब्स मेरी मुट्ठी मे भरने लगे थे,,,मैं रुक रुक कर हल्के हल्के से उसके दोनो बूब्स को बारी-2
से दबाने लगा था,,,उसकी छोटी छोटी डुंड़िया जो मस्ती की वजह से थोड़ा हार्ड हो गई थी मैं उन डुंदियो
को अपनी उंगलियों मे पकड़ कर दबा दिया और जब मैने ऐसा किया तो उसने मेरे लिप्स पर हल्के से काट दिया और
मेरे सर को अपने लिप्स पर दबा लिया,,,फिर मैने अपने लिप्स को उसके लिप्स से आज़ाद किया और अपने सर को भी
थोड़ा उपर उठा लिया और उसकी तरफ देखने लगा,,,,उसकी आँखें बंद थी,,,मैने मोका देखा और अपने सर को
उसके पेट की तरफ ले गया और कुछ ही पल मे मेरा सर उसके पेट पर था और मेरे लिप्स उसके पेट पर टच हो
गये थे,,,,जैसे ही मेरे लिप्स उसके पेट पर टच हुए उसने अपने दोनो हाथों से मेरे सर को अपने पेट पर
दबा दिया और तभी उसके मुँह से हल्की अह्ह्ह्ह भी निकल गई,,,,मैं समझ गया कि अब ये शायद पूरी तरह से
मेरे क़ाबू मे आ गई है इसलिए मैने थोड़ी जल्दी करदी और अपने हाथ से उसकी शौर्ट्स को नीचे कर दिया
,,,मुझे लगा था शायद वो मुझे रोक देगी लेकिन उसने ऐसा नही किया तो मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैने दोनो
तरफ से उसकी शौर्ट्स को नीचे खिसका दिया,,,उसकी शौर्ट्स नीचे हुई तो मुझे एहसास हुआ कि उसने नीचे पैंटी नही
पहनी हुई थी,,,क्यूकी उसकी शौर्ट्स उसकी कमर से लगभग 3-4 इंच नीचे हो गई थी लेकिन अभी तक मेरा हाथ '
उसकी पेंटी पर टच नही हुआ था,,,,मैने तो उसके पेट पर किस करते हुआ मस्ती मे दोनो हाथ से उसकी शौर्ट्स
को नीचे कर रहा था ,,,उसने मुझे एक बार भी नही रोका था,,,मुझे लगा कि शायद आज मैं इसको चोद
ही लूँगा लेकिन मैं ग़लत था,,,,,,मैने अपने सर को उसके पेट से थोड़ा उपर उठाया कि देखु तो सही कि
उसके फेस पर मस्ती के भाव कैसे नज़र आते है लेकिन जैसे ही मैने उसकी तरफ देखा तो वो रो रही थी,,,


मैं एक दम से दंग रह गया कि इसको क्या हुआ,,,ये रोने क्यूँ लगी,,,मुझे लगा शायद से खुशी की आँसू है
इसलिए मैने उपर उठकर अपने दोनो हाथों से उसकी शौर्ट्स को थोड़ा और नीचे किया लेकिन तभी उसने मेरे हाथ
पकड़ लिए और अब उसका रोना भी कुछ ज़्यादा ही अलग हो गया था,,,,ये रोना खुशी का नही था,,,वो उदास हो
गई थी शायद हर्ट भी हो गई थी,,,क्यूकी वो नही चाहती थी कि मैं उसकी शौर्ट्स को नीचे करूँ,,लेकिन मस्ती
मे पागल हो चुका मैं उसकी शौर्ट्स को नीचे करता जा रहा था लेकिन तब उसने मुझे रोका भी तो नही था ,,

लेकिन अब वो मुझे रोक भी रही थी और बहुत ज़्यादा रोने भी लगी थी,,,जैसे जैसे उसकी शौर्ट्स नीचे उतरती जा रही
थी और रोती जा रही थी,,,,मैने एक दम से अपने हाथ उसकी शॉर्ट से उठा लिए और जल्दी से उठकर खड़ा हो गया
तभी उसने मेरी तरफ रोते हुए देखा और मुझे हाथ जोड़कर पीछे हटने को बोलने लगी,,,,ना मे अपना सर
हिला कर मुझे ऐसा नही कारने को बोलने लगी,,,,,,मैं उसकी इस हरकत से थोड़ा गुस्से मे भी आ गया था और
शायद मैं थोड़ा हर्ट भी हो गया था,,,लेकन उसका उदास और रोता हुआ चेहरा देख कर उसकी आँखों मे आने
वाले आँसू देख कर मुझे उस पर तरस आने लगा,,,,,लेकिन मैं थोड़ा हैरान भी था कि ये खुद तो मुझे
पकड़ कर अपने करीब कर रही थी और जब मैं करीब आ गया तो अब दूर क्यू करने लगी,,मुझे कुछ समझ
नही आया,,,,मैने उसके आँसू पोछने के लिए नीचे झुकने की और उसके आँसू पोछने की कोशिश की लेकिन
उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे दूर कर दिया,,,,और जल्दी से उठी और आँसू पोंछ कर अपने कपड़े
ठीक किए और वहाँ से दरवाजे की तरफ गई,,,उसने जाके दरवाजा खोला और खोलकर वापिस पलटकर मुझे देखा,,

मुझे कुछ समझ नही आ रहा था,,,लेकिन तभी उसने मुझे रोते हुए सौरी बोला और वहाँ से चली गई,,,

मेरी समझ मे कुछ नही आ रहा था,,,ये खुद मुझे करीब कर रही थी और खुद ही अब दूर भाग
गई थी और जाते जाते मुझे सौरी क्यूँ बोलके गई थी,,,,मैं साला पहले कम परेशान था जो इसने और ज़्यादा
परेशान कर दिया था मुझे,,,,लेकिन उसकी रोती हुई उदास शकल जब मेरे सामने आई तो मैं सब भूल गया
और सोचने लगा कि उसकी कोई मजबूरी होगी,,,,लेकिन क्या,,,,,क्या मजबूरी थी उसकी जो उसने एक पल मे मुझे
दूर कर दिया था और रोने लग गई थी,,,,

नेक्स्ट डे जब मैं उठा तो काफ़ी टाइम हो गया था,,,जल्दी जल्दी फ्रेश होके कपड़े पहने ताकि कॉलेज के लिए लेट
नही हो जाउ,,,,तैयार होके नीचे गया तो डाइनिंग टेबल पर सोनिया और मोम नाश्ता कर रही थी,,,डॅड ऑफीस चले
गये थे,,,,,कविता भी नही थी,,,,

मैं भी जाके नाश्ता करने के लिए बैठ गया,,,,तभी सोनिया बोल पड़ी,,,

कितना टाइम हो गया अब तक वापिस नही आई वो,,,सोनिया ने जल्दी जल्दी नाश्ता करते हुए बोला,,,

अरे नही आई तो क्या हुआ तुम सन्नी के साथ चली जाना,,,,मोम ने सोनिया की बात का जवाब दिया,,,,

वैसे कविता इतनी जल्दी जल्दी क्यूँ चली गई,,,,मोम ने सोनिया से पूछा,,,,

कितने बजे गई मोम,,,,मुझे तो पता ही नही कब गई वो मैं तो सो रही थी,,जब उठी तो वो रूम मे न्ही
थी,,,,


बेटी वो तो सुबह 6 बजे ही चली गई थी,,,मैने पूछा कि इतनी जल्दी क्यूँ जा रही हो तो उसने बोला कि चेंज
करने के लिए कपड़े नही है उसके पास और इस से पहले मैं कुछ बोलती वो दरवाजे से बाहर चली गई,,,
मैने सोचा कि उसको बोलती हूँ वो कॉलेज जाने के लिए तुम्हारे कपड़े पहन लेगी लेकिन जब तक मैं बाहर
गई वो अपनी अक्तिवा लेके वहाँ से चली गई थी,,,


मुझे लगा शायद वो मेरी वजह से जल्दी चली गई होगी,,सोनिया के उठने से पहले ही,,,शायद वो मेरे से गुस्सा
हो गई होगी,,,,लेकिन क्यूँ,,,,,मैने क्या किया,,,,,वो भी तो मेरा साथ दे रही थी फिर एक दम से उसको क्या हो
गया जो रोने लगी थी वो,,,,मैं अपनी ही सोच मे डूबा हुआ था तभी मोम बोली,,,,

तू ले जाएगा ना इसको अपने साथ सन्नी ,,,माँ ने मेरे से पूछा

मैने और सोनिया ने एक दूसरे की तरफ देखा और फिर मैने माँ की तरफ देखा,,,,

हाँ हाँ क्यू नही मोम,,,,मैं ले जाउन्गा इसको कॉलेज ,,,,

नाश्ता करके मैं और सोनिया उठे और घर से बाहर आ गये मैने बाइक स्टार्ट किया और सोनिया डरते हुए मेरे
बाइक पर बैठ गई,,,मैने बोला था उसको मुझसे दूर रहने को लेकिन माँ की वजह से हम दोनो को साथ
जाना पड़ रहा था,,,,वो मेरे साथ बैठ गई और सहारे के लिए उसने बाइक सीट को पकड़ लिया तभी मैने देखा
माँ दरवाजे से बाहर आ गई थी गेट बंद करने के लिए,,,,मैने सोनिया को माँ की तरफ इशारा किया तो उसने
अपना हाथ बाइक सीट से उठाकर मेरे शोल्डर पर रख दिया ,,,,,मैने बाइक आगे बढ़ा दी और पीछे देखा
तो माँ गेट बंद करके अंदर चली गई थी,,,,,सोनिया ने भी पीछे मूड के देखा तो मोम के जाते ही उसने
अपना हाथ मेरे शोल्डर से उठा लिया और वापिस बाइक सीट को पकड़ लिया,,,,,मैं ऐसे ही बाइक चलाता हुआ आगे
बढ़ने लगा थोड़ी दूर जाके ऑटो-रिक्शा स्टॅंड आया तो मैने बाइक स्लो कर दिया ताकि सोनिया को ऑटो मे बिठा
दूं लेकिन जैसे ही मैने बाइक स्लो किया तो मेरा ध्यान मिरर मे गया मैने देखा कि बाइक स्लो होने पर
सोनिया समझ गई थी मैं उसको ऑटो मे बिठाने वाला हूँ इसलिए वो थोड़ा उदास भी हो गई थी,,,मैने उसकी
उदासी को दूर कर दिया और बाइक को वहाँ नही रोका और कॉलेज की तरफ चलने लगा,,,,उसका ध्यान मिरर की
तरफ गया उसने मिरर मे मुझे उसकी तरफ देखते हुए देख लिया फिर उसने हंस कर मुझे देखा जैसे मुझे
थॅंक्स्क्स्क्स बोल रही हो बाइक नही रोकने के लिए और उसको अपने साथ कॉलेज तक लेके जाने के लिए,,,

कुछ टाइम बाद हम लोग कॉलेज पहुँच गये,,,,मैने बाइक स्टॅंड पर लगाया ,,सोनिया उतर कर अपनी क्लास की
तरफ चली गई और मैं अपनी,,,,

एग्ज़ॅम के बाद मैं कॅंटीन मे गया क्यूकी एग्ज़ॅम करते टाइम करण ने मुझे इशारा किया था एग्ज़ॅम के बाद
कॅंटीन मे मिलने के लिए,,,,,मैं कॅंटीन मे जाके बैठ गया और कुछ देर बाद सोनिया वहाँ आ गई,,,

वो मेरे पास आई और बोली,,,,भाई मैं कविता के साथ जा रही हूँ घर,,मैने कॅंटीन के बाहर की तरफ
देखा तो कविता बाहर खड़ी हुई थी वो अंदर नही आई,,,,मैने उसकी तरफ देखा तो उसने उदास चेहरे से
दूर से ही मुझे ही बोल दिया,,,,


ठीक है तुम जाओ कविता के साथ मैं कुछ देर बाद आता हूँ,,,मैने सोनिया को इतना बोला और वो वहाँ से
चली गई साथ मे कविता भी,,,,कविता जाते टाइम भी मुझे उदास चेहरे के साथ बाइ बोलकर गई,,,

उन लोगो के जाने के बाद करण वहाँ आ गया,,,वो थोड़ा परेशान लग रहा था,,,वो मेरे पास आके बैठ गया


क्या हुआ भाई इतना परेशान क्यूँ है,,,एग्ज़ॅम अच्छा नही हुआ क्या,,,,मैने मज़ाक मे करण से पूछा,,,

ऐसी बात नही है सन्नी भाई मैं तो रितिका की वजह से परेशान हूँ,,,,,करण ने उदास होके बोला,,

रितिका की वजह से,,,,क्यूँ,,,,,अब तो तेरी शादी होने वाली है उसके साथ फिर उसकी वजह से परेशान क्यूँ,,,अब
वो तुझे अच्छी नही लगती क्या,,,,मैने फिर मज़ाक मे बोला,,,

अरे भाई हर बात पर मज़ाक मत किया करो,,,,पता है जब तूने मुझे बताया था कि मेरी शादी रितिका से
हो जाएगी तो उस से थोड़ी देर पहले मुझे रितिका का मेसेज भी आया था,,,,कि उसके पास कोई गुड न्यूज़ है ,,,लेकिन
तुमने बोला था कि तुमने रितिका से कोई बात नही की इस बारे मे इसलिए तुमसे बात करने के बाद मैने सोचा
कि रितिका को कॉल करके पूछता हूँ कि गुड न्यूज़ क्या है लेकिन उसका फोन ही नही लगा,,,,और अब तक उसका
फोन स्विचऑफ आ रहा है,,,,मैने कई बार ट्राइ किया,,,,

अबे बेटरी लो हो गई होगी,,,,तू इतनी छोटी बात पर परेशान क्यूँ हो रहा है,,,

भाई बेटरी लो होती तो अब तक चार्ज करके उसने फोन कर लेना था लेकिन अब तक उसका फोन बंद
आ रहा है,,,,मुझे बहुत टेन्षन हो रही है,,,


तभी मुझे याद आया कल रात जब मैं अमित के बाप से बात कर रहा था तभी पीछे से पायल भाभी की
आवाज़ भी आ रही थी,,,,

अच्छा तूने पायल भाभी को फोन किया था क्या,,,,मैने करण से पूछा

हाँ भाई किया था उनका फोन भी बंद है तबसे,,,,मैने कई बार ट्राइ किया,,,मुझे बहुत डर लग रहा है
भाई,,कहीं रितिका के बाप ने उसका फोन तो नही छीन लिया उस से,,,,तू कुछ कर सन्नी भाई मुझे डर
लग रहा है,,,

तू टेन्षन मत ले मैं कुछ करता हूँ,,,,तू आराम से घर जा,,,,मैं ख़ान भाई से मिलके आता हूँ,,,

हम लोग कॅंटीन से निकले ,,,करण अपने घर की तरफ चल पड़ा और मैं ख़ान भाई से मिलने,,अभी मैं
रास्ते मे ही था कि मेरा फोन बजने लगा ,,

ये फोन घर से ही था,,,,माँ ने मुझे फोन किया था,,


कहाँ है तू सन्नी बेटा अभी तक घर क्यूँ नही आया,,,,,एग्ज़ॅम तो कबका ख़तम हो गया है,,,

माँ मैं बस घर आने ही वाला था कुछ काम पड़ गया इसलिए लेट हो गया,,,

बाकी कम बाद मे कर लेना पहले मेरा काम कर्दे आके बेटा,,,देख मेरी चूत और गान्ड कितनी बेचैन
हो गई है तेरे लंड के लिए,,,जल्दी आके घुसा दे अपना मूसल मेरी गान्ड मे ,,,

लेकिन माँ अभी तो सोनिया आ गई होगी घर पे,,,अब कुछ कैसे हो सकता है,,,,

नही बेटा वो कविता के घर पर ही रुक गई है तभी तो तुझे फोन किया है,,,वो अब शाम से पहले नही
आने वाली घर,,,,अब तू जल्दी आजा मेरे से और इंतजार नही होता,,,,
 
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