Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही - Page 42 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही

ख़ान भाई के जाने के बाद मैं घर के अंदर आ गया ऑर सबसे पहले अपनी चोट पर मेडिसिन लगा कर पट्टी करली
फिर लॅपटॉप पर टाइम पास करने लगा,,,,टाइम पास करते हुए बार बार मेरा ध्यान मेरे हाथ की तरफ जा रहा था जहाँ
चोट लगी हुई थी,,चोट देखकर मुझे सोनिया की याद आ गयी ऑर आज जो कुछ भी हुआ वो सब मेरे दिमाग़ मे घूमने
लगा,,,मुझे कुछ समझ नही आ रहा था लेकिन तभी मुझे सोनिया की बात याद आ गयी ,,,वो जाते हुए मुझे स्टडी करने
को बोलकर गयी थी,,,,

मैने जल्दी से लॅपटॉप बंद किया ऑर बुक लेके उपर भुआ के ड्रॉयिंग रूम मे चला गया,,,,मैने एक सोफे को उसी जगह
रखा ऑर उसपे बैठकर स्टडी करने लगा जहाँ सोनिया बैठ कर स्टडी करती थी अक्सर,,,,मैं भी वहाँ बैठ गया ऑर
ध्यान बुक की तरफ कर लिया,,,मेरी नज़रे तो बुक पर थी लेकिन मेरा ध्यान कहीं ओर था,,,,मैं सोनिया के बारे मे 
सोच रहा था ,,उसके खूबसूरत हंसता हुआ चेहरा मेरी आँखों के सामने आने लगा था,,,

पंजाबी मे एक सॉंग है,,,,,,,,,,मेरा दिल नि पढ़ाई विच लगदा नि अखरा च तू दिस्दी,,,,,मेरा भी कुछ यही
हाल हो गया था आज,,,,बुक मेरी गोद मे पड़ी हुई थी ऑर नज़रे बुक की तरफ थी लेकिन ध्यान था उस पगली सोनिया
की तरफ,,,

छोटा सा मासूम चेहरा,,बड़ी बड़ी मोतियों जैसी आँखें,,,छोटे छोटे गुलाब की पंखुड़ियों जैसे लिप्स,,,ऑर एक
पतला सी नाक ,,जिस पर हमेशा गुस्सा ही रहता था,,,,,,,,,,,,,लेकिन आज तो वो गुस्से मे नही थी,,आज तो मैने थप्पड़
भी लगा दिया था उसके गाल पर वो भी ज़िंदगी मे पहली बार ऑर पहली बार मेरे पर गुस्सा करने की जगह वो हँसने 
लगी थी,,,,

आज सब कुछ अजीब लगने लगा था,,,आज सोनिया मुझे वो पहले वाली सोनिया नही लग रही थी,,,,आज वो बदली बदली लगने
लगी थी मुझे,,,आज मेरे से थप्पड़ ख़ाके भी उसको गुस्सा नही आया मुझपे,,,आज वो रोते हुए भी हंस रही थी ऑर मेरे
से इतने प्यार से पेश आ रही थी,,,थप्पड़ की वजह से होंठों से खून निकल रहा था लेकिन उन्ही होंठों पर एक
मीठी मुस्कान भी थी,,आँखों मे दर्द की वजह से आँसू आ गये थे लेकिन उन्ही आँखों मे एक अजीब चमक भी
थी,,,,चहरे पर उदासी थी लेकिन उसी उदासी के बीच कहीं एक हल्की खुशी का एहसास भी हो रहा था मुझे,,,,ऑर जाते
टाइम जो कुछ वो बोलकर गयी थी जो हरकत वो करके गयी थी उस से तो मेरी सिट्टी पिटी गुल हो गयी थी,,,वो मुझे गाल पर
किस करके गयी थी,,,

ओह माइ गुडड्ड क्या ये सच था,,,,वो मुझे किस करके गयी थी,,,,नही नही ये मेरी गलतफहमी होगी,,,वो
कहाँ मुझे किस करने लगी,,,,,,,नही सच मे वो मुझे किस करके गयी थी,,,,लेकिन क्यूँ,,,,,,मैने तो उसको मारा था ऑर
बदले मे मेरा सर फोड़ने की जगह वो मुझे किस करके गयी थी,,,तभी मुझे वो पल याद आया जब उसके लिप्स मेरे गाल
को टच कर रहे थे,,,,उस वक़्त तो मुझे कुछ अजीब नही लगा लेकिन अब उस पल के बारे मे सोचकर ही जिस्म मे एक
लहर दौड़ गयी,,,,,रोम रोम अंगड़ाई लेने लगा ऑर मस्ती से एक अजीब खुशी होने लगी दिल को,,,,कहीं मुझे सोनिया से लव
तो नही हो गया था,,,, नही नही,,,,लव ऑर सोनिया से,,,,,,,,,,,,,,नेवेर ,,कभी नही,,,,,,,लव तो मुझे कविता से हुआ है
ऑर वो भी मुझे लव करती है,,,,कितनी मासूम है कविता भी,,,बिल्कुल सोनिया जैसी,,,,मासूम ऑर चुलबुली,,,कुछ फ़र्क
नही सोनिया ऑर कविता मे,,,,

लेकिन एक फ़र्क है,सोनिया मेरी बेहन है,,कविता नही,,,,,,,,,,,,,कविता तो मेरी गर्लफ्रेंड है,,,,,,,,

अगर मैं कविता से लव कर सकता हूँ तो सोनिया से क्यूँ नही,,,,,,मैं सोनिया को भी लव कर सकता हूँ,,,,क्यूकी
अगर मैं अपनी ही माँ सरिता ,,,अपनी भुआ गीता ,,,,अपनी बड़ी बेहन शोभा से सेक्स कर सकता हूँ ऑर अब शायद सोनिया
से भी सेक्स करना चाहता हूँ तो भला मैं सोनिया से लव क्यूँ नही कर सकता,,,क्या लव सिर्फ़ सेक्स तक ही सीमित होता है
,,,,,,,,,,नही लव सेक्स तक सीमित नही रहता,,,,,,जैसे सेक्स ऑर वासना किसी रिश्ते किसी बंधन के मोहताज़ नही वैसे ही
प्यार भी किसी हद का किसी रिश्ते का किसी बंधन का मोहताज़ नही,,,,,,,सेक्स ऑर वासना मे अँधा इंसान जब माँ ,,बेहन
और किसी दूसरी औरत मे कोई फ़र्क नही कर सकता तो प्यार ऑर मुहब्बत भी किसी रिश्ते को नही मानता,,,,ना ही किसी रिश्ते
मे फ़र्क करना जानता है,,,,

अगर सोनिया की केर करना,,,,उसकी आँखों मे आँसू नही देख सकना,,,उसको दुखी नही देख सकना,,उसको हर्ट नही कर
सकना ,,,ज़रूरत से भी ज़्यादा उसकी केर करना ,,,,,अगर ये सब प्यार है तो प्यार ही सही,,,,,,,,,,हां मुझे सोनिया से
प्यार है,,,,,हां मुझे सोनिया से प्यार है ,,,,हां मुझे सोनिया से प्यार है,,,,,,,,,,,

ये बात मैं बुक की तरफ देखता हुआ ज़ोर ज़ोर से अपने दिल मे बोलने लगा लेकिन तभी मुझे एक शोर सुनाई दिया,,,,ये
बात मैं दिल मे नही रूम मे ज़ोर ज़ोर से बोल रहा था,,ऑर मेरी उसी बात का शोर घूंज रहा था उस रूम मे,,
मुझे एक दम से बहुत ज़्यादा खुशी का एहसास हुआ,,,मैं सोनिया को प्यार करने लगा था,,,,उसके बारे मे बहुत ज़्यादा
सोचने लगा था,,,उसका वो चेहरा जिस पर मेरे थप्पड़ की वजह से खून निकल आया था लेकिन फिर भी वो मुस्कुरा रही
थी ऑर उसकी मुस्कुराहट ने उसके मूह से निकलने वाले खून से मेरा ध्यान ही हटा दिया था,,,सच मे कितनी मासूम ऑर
कितनी चुलबुली है मेरी बेहन सोनिया,,,लेकिन मैं क्यूँ उसको हर्ट करता रहता हूँ क्यूँ दर्द देता हूँ हर बात पर
उसको,,,क्यूँ तंग करता हूँ,,,,क्यूँ बार बार उसकी मर्ज़ी के बिना उसके करीब जाता हूँ,,,क्यूँ उसको रुसवा करता हूँ,,

जैसे चकोर चाँद को देखकर उसकी तरफ उड़ता है लेकिन बीच रास्ते मे ही उसके पंख दर्द करने लगते है वो थक
जाता है ऑर वापिस ज़मीन की तरफ पलट कर आता है उसी तरह से आज मुझे सोनिया वो चाँद लग रही थी ऑर मैं वो
चकोर जो सोनिया के पास तो जाना चाहता था लेकिन डरता था,,,थक जाता था,,,ऑर अगर नही थकता ऑर नही डरता फिर उसके
करीब जाके उसको हर्ट करता,,,,,,ऑर उसको हर्ट करके भी मैं खुद ही हर्ट होता,,,,,

नही मुझे आज के बाद उसको हर्ट नही करना,,अगर मैं उस से प्यार करता हूँ तो आज के बाद मैं उस से दूर ही
रहूँगा क्यूकी प्यार का असली मतलब सेक्स ही नही होता,,,आप जिसको प्यार करते हो उसकी केर करते हो उसको हर्ट नही करते
'हो,,,,आज के बाद मैं भी उसको हर्ट नही करूँगा उसको दर्द नही दूँगा उसको रुसवा नही करूँगा,,,कुछ भी हो
जाए आज के बाद मेरी वजह से उसकी आँखों मे एक भी आँसू नही आएगा,,,,,

मैं अपनी माँ को भुआ को बड़ी बेहन को चोदता हूँ लेकिन इस सब मे उनकी भी रज़ामंदी थी लेकिन सोनिया की रज़ामंदी
नही थी,,,,ऑर उसकी रज़ामंदी के बिना मैं उसके करीब नही जाउन्गा कभी भी,,,,,

उसके जिस्म की वजह से मैं उसके दिल को हर्ट नही कर सकता कभी,,,,,,

बस यही सोच ऑर यही ख्याल रहे पूरा दिन मेरे दिमाग़ मे ,,,रात को भी मैं सो नही पाया ठीक से बस जितना हो 
सका ध्यान बुक की तरफ रखा ऑर स्टडी करने की कोशिश करता रहा,,डिन्नर भी नही किया था ,,,बस परेशान ही रहा
ऑर परेशानी मे नींद भी नही आई,,,बुक लेके बैठा रहा ऑर जब थक गया तब सो गया,,,,


अगले दिन सुबह उठा तो दिल नही किया कुछ करने का ,,,,रात नींद भी बड़ी मुश्किल से आई थी,,,,बस 
अजीब अजीब ख्याल आते रहे दिमाग़ मे,,,कभी रितिका के बारे मे सोचता जिसकी ग़लती से मैं शायद 
करण की नज़रो मे गिर गया था,,फिर उन लोगो पर गुस्सा आने लगता जो पार्क के बाहर खड़े हुए थे 
लेकिन अब तो ख़ान भाई उन लोगो को उठाकर ले गये थे,,

फिर कभी कविता का ख्याल आता जो मुझे बहुत प्यार करती है वो भी बचपन से,,,मैं भी उस से 
प्यार करता हूँ लेकिन उसकी वजह से मुझे कामिनी जैसी खूबसूरत भाभी से दूर होना पड़ा है
,,,,फिर दिमाग़ मे सोनिया के ख्याल आने लगे मैं उस से प्यार करने लगा था ,,,,लेकिन उसकी वजह 
से मैं कविता से दूर नही हो सकता था,,,मैं कविता से भी बहुत प्यार करता था,,,उतना ही प्यार 
करता था जितना मैं सोनिया से करता था,,,लेकिन जहाँ मैं कविता को मन के साथ साथ तन से भी 
हाँसिल कर चुका हूँ उस तरह मैं सोनिया को हाँसिल नही कर सका था ऑर अब करना भी नही चाहता
था क्यूकी जब कविता को हाँसिल किया था उसके जिस्म के ज़रिए तो उसकी भी रज़्ज़मंदी थी लेकिन सोनिया की 
रज़ामंदी नही थी ऑर बिना रज़ामंदी के प्यार मोहब्बत करने मे मज़ा नही आता,,,,सेक्स तो बहुत 
दूर की बात है,,,,
 
ना कुछ खाने को दिल कर रहा था ना कुछ पीने को,,,,नाश्ता भी नही किया था मैने ,,टेन्षन 
से दिमाग़ फटा जा रहा था इसलिए ध्यान को दूसरी तरफ करने के लिए बुक लेके उपर भुआ के 
ड्रॉयिंग रूम मे चला गया ऑर सोफे पर बैठकर स्टडी करने लगा क्यूकी कल एग्ज़ॅम था वो भी 
लास्ट एग्ज़ॅम उसके बाद कुछ दिन की छुट्टियाँ थी,,,,वाउ हॉलिडेज़,,

छुट्टियों के बारे मे सोच कर दिल थोड़ा खुश हो गया था ,,क्यूकी वैसे भी मेरे जैसे नालयक
लड़के को कॉलेज जाने का दिल ही नही करता कभी,,,,मैं छुट्टियों के बारे मे सोच कर खुश हो
गया ऑर स्टडी करने लगा,,,मैने रात टेन्षन मे ही सही लेकिन काफ़ी ध्यान दिया था स्टडी पर ऑर
अब भी स्टडी पर ही ध्यान दे रहा था क्यूकी सोनिया बोलकर गयी थी मुझे स्टडी करने के लिए,,,,

तभी बाहर बेल बजी ,,,अब कॉन आ गया,,,,यही सोचकर मैं नीचे चला गया ,,,घर का मेन डोर 
भी लॉक किया हुआ था मैने ऑर बाहर का गेट भी लॉक था,,,मैने डोर को खोला ऑर बाहर गेट
पर चला गया,,,,,

जैसे ही गेट खोला तो सामने सोनिया खड़ी हुई थी,,,मैने उसको देखकर गेट फिर से थोड़ा सा बंद
कर दिया ताकि वो अंदर नही आए,,,,,वो मेरी इस हरकत से हँसने लगी,,,,

हेलो सन्नी,,,,,,,उसने हेलो बोला वो भी हंसते हुए,,,,,

तू यहाँ क्या कर रही है,,,मैने थोड़ा हैरान होते हुए बोला,,,,,तुझे बोला था ना कविता के 
घर रहने को ,,,,,,,,जब तक मोम डॅड नही आते तुमको वहीं रहना है,,,,

अरे ना हाई ना हेलो ,,सीधा फाइट शुरू करदी तूने,,,पहले गेट तो खोल फिर बताती हों मैं क्या 
कर रही हूँ यहाँ,,,,

नही मुझे गेट नही खोलना ऑर ना तुझे अंदर आने देना है,,,,,

वो फिर से हँसने लगी,,,,डर मत मुझसे सन्नी मैं अंदर नही आउन्गी,,,,,,,

मैने दिल ही दिल मे सोचा कि डर ऑर मुझे वो भी तेरे से,,,,पागल लड़की डरना तो तुझे चाहिए वो'
भी मेरे से,,,,,


मैं अंदर नही आउन्गी लेकिन इसको तो आने दे सन्नी,,,,सोनिया ने थोड़ा पीछे हट-ते हुए बोला,,,,

तभी सोनिया के पीछे से चलते हुए कविता आगे आ गयी,,,,,

हेलो सन्नी,,,,,कविता ने शरमाते हुए हेलो बोला,,,,

हेलो कविता ,,,,तुम यहाँ क्यूँ आई हो इसके साथ,,,,


अरे वाह मुझे ना हाई ना हेलो ऑर उसको एक ही बार मे हेलो का जवाब भी दे दिया,,,चलो कोई बात
नही,,,,चल अब साइड हो इसको तो अंदर आने दे,,सोनिया ने फिर से हंसते हुए बोला तो कविता भी हँसने
लगी,,,

मैने गेट खोला तो कविता अंदर की तरफ आ गयी,,,लेकिन जैसे ही सोनिया ने एक कदम आगे की तरफ 
बढ़ाया तो मैं गेट के सामने खड़ा हो गया,,,,

मेरी इस हरकत से सोनिया फिर से हँसने लगी,,,,,ऑर मुझे उसपे हैरत होने लगी,,,,

मुझे अंदर नही आना सन्नी मैं तो बस कविता को यहाँ छोड़ने आई हूँ,,,कल हम लोगो का
लास्ट एग्ज़ॅम है ऑर मैं कोई रिस्क नही लेना चाहती ,,,,कहीं तू सारा दिन गेम खेलता रहा ऑर स्टडी 
नही की तो मुझे नुकसान हो जाएगा ,,,मेरे हाथों मेरी अक्तिवा निकल जाएगी,,,इसलिए नुकसान से 
बचने के लिए ऑर तेरी एग्ज़ॅम मे हेल्प करने के लिए मैं कविता को यहाँ छोड़ कर जा रही हूँ,,
क्यूकी मेरे से तो तूने हेल्प लेनी नही है,,,अब कविता की हेल्प लेना ऑर आराम से ध्यान लगा कर
स्टडी करना,,,,ओके अब मैं चली हूँ कविता,,,,,

इतना बोलकर सोनिया ने मुझे बाइ बोला,,,,

ओके बयी सन्नी,,,ओके बाइ कविता,,,,मैं तुझे शाम को लेने आउन्गी,,,,अच्छी तरह से हेल्प करवा देना
इसकी,,,,अगर नही माने तो 1-2 लगा भी देना ,,,इतना बोलकर सोनिया हँसने लगी ऑर साथ मे कविता भी
फिर सोनिया ने अक्तिवा स्टार्ट की ऑर वहाँ से चली गयी ऑर जाते टाइम एक दम से रुक गयी ऑर मुझे हँसके
देखने लगी ऑर बोली,,,,,,,,,,,,,,,,,,,कविता याद से मुझे कॉल कर देना अगर काम बन गया तो,,,

ओके कर दूँगी,,,,कविता ने भी उसकी बात का जवाब दिया,,,,

मैने सोचा ये कोन्से काम की बात कर रही है,,,,मुझे कुछ समझ नही आया उसकी बात का,,


सोनिया के जाने के बाद मैने गेट बंद किया तो तब तक कविता घर के अंदर चली गयी थी,,,मैने 
दिल ही दिल मे सोचा कि सोनिया को कितनी टेन्षन है मेरे एग्ज़ॅम को लेके या फिर अपनी आक्टिव को लेके
इसलिए कविता को मेरी हेल्प करने के लिए यहाँ छोड़ गयी,,

लेकिन एक पंगा भी हो गया था,,,सोनिया जिस तरह से मुझे देख कर गयी थी ऑर खुश हो रही थी उस से
मुझे अजीब बेचैनी होने लगी थी,,,कविता ऑर सोनिया जब गेट पे थी तो मुझे समझ नही आ रहा
था मैं किसकी तरफ देखु ऑर किसकी तरफ नही देखु,,,,दोनो की दोनो बहुत खूबसूरत ऑर मासूम
चेहरे वाली थी,,,,

खैर,,,,मैं गेट बंद करके घर के अंदर आया ऑर अंदर आके मेन डोर को भी बंद कर दिया ऑर
कविता को देखने लगा ,,,लेकिन वो नज़र नही आ रही थी,,,तभी मुझे किचन से बर्तनो की आवाज़
आई ऑर मैं किचन मे चला गया,,,,

मैने किचन मे जाके देखा कि कविता गॅस के पास खड़ी हुई थी,,,,मुझे किचन मे आते देखकर 
वो शरमा रही थी,,,,वैसे मैं भी थोड़ा शरमा तो रहा था क्यूकी हम दोनो घर पर अकेले
थे इसलिए हम दोनो को ही थोड़ा सा डर लग रहा था ऑर शरम भी आ रही थी एक दूसरे के पास
जाने मे,,,,,

तुम किचन मे क्या कर रही हो,,,,,मैने कविता के पास जाते हुआ पूछा,,,

स्टडी करने से पहले नाश्ता नही करना क्या,,,,मुझे पता है तूने अभी तक नाश्ता नही किया होगा
इसलिए घर से सॅंडविच बना कर लेके आई हूँ तेरे लिए,,,,ऑर अब कॉफी बना रही हूँ,,,कविता
ने सारी बात शरमाते हुए बोली,,,,उसका सर नीचे की तरफ झुका हुआ था लेकिन एक साइड से भी मुझे 
उसका हंसता हुआ शरमाता हुआ चेहरा नज़र आ रहा था,,,,

तुझे कैसे पता मैने अभी तक नाश्ता नही किया होगा,,,,,मैने कविता के बिल्कुल पास जाके अपने
दोनो हाथ उसके दोनो तरफ के शोल्डर पर रखते हुए ये बात बोली,,,,

वो एक दम से सिहर गयी मेरी इस हरकत से,,,उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा,,,,लेकिन फिर भी उसने 
खुद को संभालते हुए मेरी तरफ देखा,,,,उसकी आँखों मे मेरे लिए प्यार था ऑर उसके लिप्स पर
हल्की मुस्कुराहट ऑर फेस पर हल्की शरम थी,,,,उसके गाल शरम से लाल हो गये थे,,,

मुझे तो ये भी पता है सन्नी कि तूने रात को डिन्नर भी नही किया ,,,उसने थोड़ी चिंता से ये
बात बोली जैसे मेरे डिन्नर नही करने से उसको मेरी चिंता हो गयी थी,,,बोल नही किया था ना रात
को डिन्नर तूने,,,,
 
मैं उसकी बात से थोड़ा हैरान हो गया,,,,,,,,तुझे कैसे पता मैने रात को डिन्नर भी नही किया 
था,,,,तू मेरे पर नज़र रख रही थी क्या,,,मैने हंसते हुए बोला,,,,


नज़र रखने की ज़रूरत नही मुझे तेरे पर सन्नी,,मैं जानती हूँ तू कैसा है,,,,,उसने फिर से
शरमाते हुए बोला,,,,

अच्छा फिर तुझे कैसे पता मैने डिन्नर नही किया ऑर अभी तक नाश्ता भी नही किया होगा,,,,मेरे
हाथ अभी भी उसके शोल्डर पर थे ओर मैने उसको ये बात बोलते हुए अपने करीब कर लिया था,


हम दोनो अब एक दूसरे से चिपक कर खड़े हो गये थे,,हम दोनो मे से हवा भी क्रॉस नही
कर सकती थी,,,,,उसके छोटे-2 बूब्स मेरी छाती से दबने लगे ,,उसकी दिल की धड़कन भी तेज हो गयी
थी ऑर साँसे भी भारी हो गयी थी,,,मेरे हाथ तो उसके शोल्डर पर थे लेकिन उसके हाथ अभी भी
नीचे की तरफ लटक रहे थे ,,,

लेकिन तभी उसने अपने हाथ उपर उठाकर मेरी चेस्ट पर रख दिए ऑर अपना चेहरा उपर उठा लिया
ऑर मेरी आँखों मे आँखें डालके बोली,,,,,,,,,सोनिया ने बोला था मुझे,,,कि तूने रात ओर डिन्नर भी
नही किया होगा ऑर अभी तक नाश्ता भी नही किया होगा,,,,

उसने सोनिया का नाम लिया तो मेरे हाथों की पकड़ उसके शोल्डर पेर कमजोर हो गयी ओर उसी टाइम
उसने भी मेरी छाती पर अपने हाथों से मुझे अपने से दूर कर दिया,,

सोनिया ने बोला था मुझे कि कल तूने उसको गुस्से मे घर से निकाल तो दिया लेकिन हर्ट तू खुद भी
हुआ होगा,,,,जैसे वो घर से जाके उदास हुई थी वैसे तू भी उदास हुआ होगा,,,,तूने डिन्नर भी
नही किया होगा भूखा ही सो गया होगा,,,,ऑर शायद तुझे नींद भी नही आई होगी,,,सोने मे दिक्कत
भी हुई होगी,,,

मैं थोड़ा हैरान रह गया,,,

हैरान मत हो सन्नी,,,,मुझे भी पता था तू उदास था जब सोनिया कल घर से जा रही थी ऑर तेरे
हाथ की चोट देखकर मुझे यकीन हो गया था कि तुझे अच्छा नही लगा सोनिया को घर से निकाल
कर ओर मुझे ये भी पता था तू डिन्नर नही करेगा,,,,ऑर अभी तक नाश्ता भी नही किया होगा इसलिए
नाश्ता लेके आई हूँ मैं घर से,,,


मैं उसकी बातों से थोड़ा उदास हो गया,,,बेचारी सोनिया कितनी अच्छी तरह से समझती थी मुझे कितनी
अच्छी तरह से जानती थी मेरे बारे मे,,,ऑर वैसे ही ये कविता भी,,,,उतनी ही अच्छी तरह से जानती थी 
मुझे जितनी अच्छी तरह से सोनिया,,,मैं तो दोनो के बारे मे सोच सोच कर पता नही किन ख़यालो
मे खो गया,,,,

तभी कविता बोली,,,,कहाँ खो गया सन्नी,,,,,नाश्ता नही करना क्या,,,,

मैं अपने ख्यालों से बाहर निकला तो देखा कविता हाथ मे कॉफी कप लेके खड़ी हुई थी,,चल
वो सॅंडविच उठा ऑर बाहर आजा,,,,

कविता कप लेके बाहर चली गयी ओर मैने वो सॅंडविच उठाए ओर बाहर डाइनिंग टेबल पर आ गया,,

वहाँ आके मैने कविता की तरफ देखा ऑर उसके पास ही आके बैठ गया,,,उसने एक कप कॉफी मेरी 
तरफ बढ़ा दी ऑर हम लोग नाश्ता करने लगे,,,,,जैसे ही मैने सॅंडविच की एक बाइट ली कविता ने अपना
फोन लिया ऑर किसी को फोन करने लगी,,,,

हेलो सोनिया,,,,काम हो गया है,,,अब तुम भी कुछ खा लो,,,,,कविता ने इतनी बात खुश होके 
हंसते हुए बोली ऑर बाइ बोलके फोन कट कर दिया,,,,,


कॉन्सा काम हो गया कविता ,,ऑर तुम सोनिया से क्या बात कर रही थी,,,क्या काम बोला था उसने जाते
टाइम तुमसे,,,,

कविता हँसने लगी,,,,,तू बुद्धू का बुद्धू रहना सन्नी,,,,,जिस बेहन को पता है कि उसके भाई ने
रात डिन्नर भी नही किया ऑर अब तक नाश्ता भी नही किया होगा भला उसको भूख लग सकती है
क्या,,,,,,

मैं कुछ समझा नही क्या बोली तुम कविता,,,,

तुम हो ही नासमझ कहीं के,,,,,दिमाग़ तो चलता ही नही तेरा,,,,लेकिन दिल से तो काम ले सकता है
ना तू सन्नी,,,,,,,,

अरे बाबा ठीक से बोलो ना मुझे कुछ समझ नही आ रहा,,,तुझे जब पता है मैं नासमझ हूँ
तो अच्छी तरह से समझा दो ना मुझे,,,

सोनिया को पता था तूने कुछ नही खाया होगा उसके जाने के बाद,,,इसलिए उसने भी अभी तक कुछ
नही खाया है सन्नी,,,,ना तो उसने रात डिन्नर किया ऑर ना ही अभी तक नाश्ता किया है,,,बोली मुझे
कि पहले जाके सन्नी को कुछ खिला दो बाद मे वो खाएगी,,,,इसलिए तो जाते टाइम बोलकर गयी थी काम
हो जाए तो कॉल कर देना मुझे,,,,,,तू क्या समझता है मैं तेरी हेल्प करने आई हूँ 

कविता की इस बात से मेरे मूह मे सॅंडविच इधर उधर घूमने लगा ,,उसको हलक से नीचे उतारने
को दिल ही नही किया मेरा,,,,आँखें नम होने लगी लेकिन कविता के सामने रोने से डर लग रहा था,,
वैसे भी एक लड़का लड़की के सामने रोने से डरता है,,,क्यूकी ऐसा करने से लड़की उसको कमजोर 
समझ लेती है लेकिन सच तो ये है कि अगर लड़का लड़की के सामने रोता है तो उस से बड़ा हिम्मतवाला
कोई नही होता,,,,,लेकिन शायद मैं वो हिम्मत वाला नही था इसलिए कविता के सामने रोने से डर 
रहा था,,,,

मैं वो हिम्मत वाला तो नही था जो कविता के आगे रो सकता लेकिन मेरी आँखों की नमी कविता से
छुपी नही रह सकी,,,उसने मेरी आँखों की नमी देख ली थी,,,,,,

उसने मेरा हाथ पकड़ लिया ऑर बोली,,,,,,,,,अब रो क्यूँ रहा है,,,,जब अपनी बेहन को हर्ट किया था 
उसको थप्पड़ मारा था तब ये नही सोचा था कि उसके थप्पड़ का दर्द तुझे भी सहना होगा,,,ऑर
तुझे क्या लगता है कि मैं तुझे यहाँ एग्ज़ॅम मे हेल्प करने आई हूँ,,,,मुझे तो सोनिया ने इसलिए
भेजा था ताकि मैं तुझे कुछ खिला दूं,,,,तू अभी तक भूखा होगा,,,जब तक तू कुछ नही 
खाएगा तब तक उसने भी कुछ ना खाने की सोच ली थी,,,,,

मेरी आँखों मे आँसू छलक गये कविता की बात सुनके ऑर सोनिया के दिल मे मेरे लिए इतना प्यार
देखकर,,,,वो पगली मेरे से दर्द लेती है फिर भी शिकायत नही करती,,,,उल्टा मेरी केर करती है,,

जब अपनी बेहन का दर्द नही देख सकता तो क्यूँ दर्द देता है तू उसको,,,,मुझे नही पता सन्नी तेरी
फाइट क्यूँ हुई उसके साथ,,,ना तूने मुझे बताया ऑर ना ही उसने,,,,लेकिन मुझे पता है ग़लती तेरी होगी
ऑर अगर ग़लती सुधारनी है तो एग्ज़ॅम मे पास हो जाना सोनिया शायद तुझे माफ़ कर्दे,,,,,बाकी एग्ज़ॅम का
तो पता नही कैसे हुए तेरे लेकिन कल का एग्ज़ॅम अच्छा करना तू,,,इतना बोलकर कविता ने मेरी आँखों
से बहने वाले आँसू सॉफ किए अपने हाथों से,,,,


लेकिन तभी मेरे आँसुओं का बाँध टूट गया ऑर मैं फुट फुट कर रोने लगा,,,मुझे सोनिया की एक
दम से इतनी याद आने लगी कि उसकी याद ने आँसुओं के बाँध को तोड़ दिया,,,,,

तभी कविता अपनी चेर से उठकर खड़ी हो गयी ,,उसने मेरे सर को पकड़ा ऑर अपने पेट पेर नाभि
के पास रख लिया ऑर रोते हुए मुझे चुप करवाने लगी,,,,,,,


सन्नी ,,,,,,क्यूँ रो रहा है ऐसे बच्चे की तरह,,चल चुप कर,,,,,वो मुझे चुप करवा रही थी
ऑर मेरे सर पेर हाथ फिरा रही थी,,लेकिन मैं रोता ही जा रहा था,,,,मेरे से आँसू संभालने
मुश्किल हो गये थे अपनी बेहन के दिल मे अपने लिए प्यार देखकर,,,,,,,,

तभी मैं रोते हुए बोला,,,,,,पता नही वो क्या सोच रही होगी मेरे बारे मे,,,मैं उसका भाई
हूँ ऑर उसको इतना हर्ट करता हूँ लेकिन फिर भी वो मेरी कितनी केर करती है,,,,कल थप्पड़ की
वजह से उसके मूह से खून निकल आया था तब भी वो मेरे पर गुस्सा नही हुई,,,ऑर अब मेरी वजह
से उसने खाना भी नही खाया,,,कितनी शरम की बात है मेरे लिए,,,,मेरे जैसे भाई को डूबकर
मर जाना चाहिए जो अपनी प्यारी बेहन सोनिया के साथ ऐसा बर्ताव करता है,,,,

श्ह्ह्ह्ह्ह्ह रोना बंद करो सन्नी,,,,मुझे नही पता तुम दोनो मे फाइट क्यूँ हुई सन्नी,,,ना तो
तूने मुझे कुछ बताया ओर ना ही उसने,,,लेकिन वो तुम्हारे बारे मे कुछ ग़लत नही सोचती,,,उसने तो
बोला कि कल तूने उसको जो थप्पड़ मारा था उसकी भलाई के लिए मारा था,,,,वो तेरे थप्पड़ से उदास
नही थी बहुत खुश थी,,,वो तेरे बारे मे कभी बुरा सोच ही नही सकती,,,इतना बोलते हुए कविता ने
मेरे सर को उपर अपनी तरफ उठा लिया ऑर मेरे आँसू सॉफ करने लगी,,,,,,,,,,चल अब रोना बंद कर
ऑर ये मत सोचना कभी कि सोनिया तेरे बारे मे कुछ ग़लत सोचती है,,,या तुझे बुरा इंसान समझती 
है,,,,वो तो तुझे अपना बहुत प्यारा भाई मानती है,,,,बहुत केर करती है,,,,कविता बोलती जा रही थी
ऑर मेरे आँसू सॉफ करती जा रही थी,,,, 

मेरे आँसू तो थम गये थे लेकिन दिल अभी भी दर्द कर रहा था,,,,दुखी था,,,सोनिया एक बारे मे 
सोच सोच कर,,,,,

चल अब रोना बंद कर सन्नी ऑर खाना खा ले,,,,देख तू नही खाएगा तो मैं भी नही खाउन्गि
कविता ने इतना बोला ऑर मायूस चेहरे बना लिया,,,मुझे बहुत भूख लगी है सन्नी,,

क्यूँ तूने भी रात से कुछ नही कहा क्या,,,,मैने ये बात नम आँखों से मायूस चेहरे पर
हल्की खुशी लेक बोली,,,


क्यूँ मैं क्यूँ भूखी रहूंगी तुम भाई बेहन की फाइट की वजह से,,,,मैने तो रात पेट भरके डिन्नर
किया था अब तो भूख इसलिए लग रही है क्यूकी मैने सॅंडविच बहुत अच्छे बनाए है ना,,,मेरे
मूह मे पानी आ रहा है सॅंडविच देख देख कर,,,,,चल अब जल्दी खा ना ऑर मुझे भी खाने
दे ,,,,,,,,,इतना बोलकर कविता ने एक बार फिर से मेरी आँखो की नमी को सॉफ किया ऑर वापिस चेयर
पर बैठ गयी,,,,,
 
उसके कहने पर मैं नाश्ता करने लगा,,,,लेकिन सॅंडविच को मूह मे लेके चबाने मे ऑर हलक
से नीचे उतारने मे मुझे मुश्किल हो रही थी,,,मुझे बार बार सोनिया के चेहरा नज़र आ रहा था
जब मैने उसको थप्पड़ मारा था ऑर उसके होंठों से खून निकल आया था लेकिन तब भी वो मुस्कुरा
रही थी,,,,,,,,,


जैसे तैसे नम आँखें लेके मैं चेयर पर बैठ हुआ नाश्ता कर रहा था ऑर कविता भी नाश्ता कर
रही थी,,,,वो मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा रही थी,,,,,,

नाश्ता ख़तम होते ही कविता उठी ऑर बर्तन उठकर किचन मे जाने लगी,,,मैने उसका हाथ पकड़
लिया,,,,,

क्या हुआ सन्नी,,,,वो थोड़ा घबराते हुए शरमाते हुए बोली,,,,,,


कुछ नही,,,,,ये बर्तन मैं रख देता हूँ किचन मे तुम सोनिया को फोन करके पूछो उसने
नाश्ता कर लिया क्या,,,,,

कविता ने हंसते हुए मेरी तरफ देखा ऑर बर्तन मुझे पकड़ा दिया,,,,,,,अच्छा अभी पूछती हूँ,,

उसने अपने फोन लिया ऑर सोनिया को कॉल करदी,,,,

हेलो सोनिया,,,,नाश्ता कर लिया क्या,,,हम लोगो ने तो कर लिया है अब स्टडी करने लगे है,,,वो बात
करने लगी ऑर मैं खुश होके किचन मे चला गया बर्तन रखने के लिए,,,,,

जब मैं बर्तन रखके वापिस आया तो कविता की बात हो चुकी थी सोनिया से,,,

सोनिया ने भी नाश्ता कर लिया है सन्नी,,,,अब वो स्टडी करने लगी थी,,,चलो हम भी चलते है
बाहर गर्दन मे ऑर स्टडी करते है,,,,,सर्दी है ना इसलिए बाहर बोला वरना रूम मे बैठ जाते


उसके शायद डर था कहीं मैं कुछ गड़बड़ नही करूँ ,,,,शायद उसकी तबीयत अभी तक ठीक नही
हुई थी लेकिन अब मेरी भी हालत ठीक नही थी,,,मेरा दिल नही कर रहा था मस्ती करने को ,,मैं तो
बस सोनिया के बारे मे सोचता जा रहा था ऑर उदास भी था,,,


इट्स ओके कविता,,,तुम बाहर गार्डन मे चलो ऑर मैं बुक्स लेके आता हूँ,,

कहाँ बैठना है फ्रंट गार्डन मे या बॅक साइड ,,,,,कविता ने शरमाते हुए बोला,,,,

जहाँ भी तुम्हारा दिल करे,,,,,स्टडी ही करनी है जहाँ मर्ज़ी चलो,,,मुझे कोई परेशानी नही,,,,

ठीक है फिर पीछे वाले गार्डन मे आ जाना,,,इतना बोलते हुए शरमाते हुए वो पीछे वाले गार्डन की
तरफ चली गयी ऑर मैं बुक्स लेने उपर की तरफ चला गया,,,,,

बुक लेके मैं नीचे आया ओर पीछे वाले गार्डन मे चला गया,,,कविता वहाँ धूप मे घास पर
जाके बैठ गयी थी,,,उसने अपनी बुक को अपनी गोद मे रखा हुआ था ऑर स्टडी करने लगी थी,,

मैं भी उसके पास जाके बैठ गया लेकिन ज़्यादा पास नही,,मैं उस से कुछ दूरी पर बैठा था,,
ऑर अपनी बुक को अपनी गोद मे रखकर ध्यान बुक की तरफ कर लिया,,,,,,,

मैं मोका तलाश करता हूँ अक्सर ऐसी खूबसूरत लड़की के साथ अकेले होने का ताकि खूब मस्ती
कर सकूँ लेकिन आज कविता मेरे साथ थी घर पर ,,,हम दोनो के सिवा कोई नही था,,लेकिन फिर भी
मेरा दिल नही था मस्ती करने का,,,आज दिल कुछ उदास हो गया था मेरा,,इसलिए इतनी खूबसूरत लड़की
के पास होने पर भी मेरा ध्यान बुक की तरफ था,,,


मैं स्टडी पर ध्यान लगा रहा था लेकिन दिल उदास था ऑर उदासी की वजह से ध्यान बार बार सोनिया
की तरफ जा रहा था,,,,उस मासूम को कितनी टेन्षन थी मेरी ,,कितनी केर थी मेरी,,,,मैं रात को
भूखा सोया था तो उसने भी कविता के घर पर डिन्नर नही किया था,,,,ऑर आज जब मैने नाश्ता कर
लिया तो उसने भी नाश्ता कर लिया,,,ऑर कविता को भी खांस कर मेरे नाश्ते के साथ भेजा था,,ना कि स्टडी
करने के लिए,,,,,,यही सोचता हुआ मैं उदासी के समुंदर मे डूबता जा रहा था ,,

तभी कविता पास आ गयी,,,उसने दोनो हाथों से मेरे फेस को पकड़ा ऑर उपर उठा दिया,,ऑर मेरे
उदास चेहरे को देखने लगी,,,,,,,,,,,अभी तक उदास है तू सन्नी,,अब तो दिल हल्का मत कर ना तू प्ल्ज़्ज़
देख तू उदास होगा तो मैं भी उदास हो जाउन्गी,,,,चल प्ल्ज़्ज़ ना मूड ठीक कर अब तो सोनिया ने भी
नाश्ता कर लिया है,,,

वो मुझे समझने लगी थी लेकिन मेरे चेहरा अभी भी उदास था ऑर आँखें नम,,,

अच्छा तो तू मेरी बात नही मानेगा,,कविता ने हंसते हुए बोला,,,लेकिन मुझे पता है तेरी उदासी कैसे 
दूर करनी है,,,,इतना बोलकर उसने शरमाते हुए अपनी आँखें बंद की ऑर अपने लिप्स को मेरे लिप्स की
तरफ आगे बढ़ने लगी ऑर कुछ ही पल मे उसके लिप्स मेरे लिप्स पर टिक गये,,,उसने हल्के से मुझे किस 
की ऑर पीछे हट गयी,,,क्यूकी मैने उसको किस का रेस्पॉन्स देने क लिए अपने लिप्स को नही खोले थे,

उसने पीछे हटके मुझे देखा ऑर बोली,,,,सन्नी इतना उदास मत हो ना प्ल्ज़्ज़,,अब तो खुश हो जाओ 

मैं फिर भी उदास ही रहा,,,,

अब तो सब ठीक हो गया है ना,,,,तूने भी नाश्ता कर लिया ऑर सोनिया ने भी,,,अब तो खुश होज़ा ना ,,
देख तू खुश नही हुआ तो मैं उदास हो जाउन्गि ऑर बता भला मेरे जैसी खूबसूरत लड़की उदास
अच्छी लगेगी तुझे,,,,उसने अपनी आँखे मटकाते हुए मासूम चेहरे पर हल्की शरारती मुस्कान के साथ
ये बात बोली,,,,

उसकी इस हरकत से मैं थोड़ा खुश हो गया ,,,मेरे चेहरे पर खुशी देखकर उसने फिर से मुझे 
हल्की किस करदी लिप्स पर,,,,हां ये हुई ना बात,,,,जैसे तुझे मैं उदास अच्छी नही लगूंगी वैसे तू भी
उदास अच्छा नही लगता मुझे,,,ऐसे ही हंसता खेलता रह तू मेरे सन्नी,,हमेशा खुश रह,,,कभी 
उदास मत होना ,,तुझे उदास देखकर मेरा भी दिल उदास हो जाता है,,,,,वो हल्के हल्के ऐसे बोल रही
थी ऑर मुझे हल्की हल्की किस भी कर रही थी,,,,

तभी वो पीछे हटके बैठ गयी,,,अब तो मूड ठीक है ना जनाब का,,,,उसने हँसके शरमाते हुए बोला


हां मूड तो वैसे भी ठीक था मेरा कविता जी,,,मैने भी शरारती अंदाज मे उसकी बात का जवाब 
दिया तो वो खुश हो गयी,,,,

एक बात पुछु क्या तेरे से कविता,,,,

मेरे से कुछ पूछने क लिए तुझे मेरी इजाज़त की ज़रूरत नही सन्नी,,,,तू मेरे से कभी भी कुछ
भी पूछ सकता है,,,,


देख कविता,,,तू सोनिया की अच्छी दोस्त है,,,ऑर मेरी भी,,,लेकिन तूने मुझे कभी इस बात का एहसास तक
नही होने दिया कि तू मेरे ऑर कामिनी भाभी के बारे मे जानती है,,जो कुछ भी कामिनी भाभी ऑर
मेरे बीच मे हुआ उसके बारे मे जानती है,,,,तूने कभी मुझे भनक भी नही लगने दी किसी बात
की ,,,लेकिन तुमने सोनिया को सब बता दिया था जो भी तुम्हारे डॅड ने तुम्हारे साथ किया या फिर कामिनी
भाभी के साथ किया,,,,तो क्या उसी तारह तुमने मेरे ऑर कामिनी भाभी के बारे मे सोनिया से कुछ कहा
तो नही,,,,,ऑर क्या तुमने उसको हम लोगो के बारे मे कुछ बताया तो नही,,,,


मेरे सवाल से कविता थोड़ी उदास हो गयी,,,,नही सन्नी,,,मैने सोनिया को कुछ नही बताया कभी तेरे
ऑर मेरे बारे मे,,,,ऑर ना ही वो तेरे ऑर कामिनी भाभी के बारे मे कुछ जानती है,,डॅड ऑर अपने बारे
मे तो मैने इसलिए बताया था क्यूकी मेरे दिल मे एक दर्द था जिसको मैं किसी के साथ बाँटना चाहती
थी ऑर मेरा दर्द बाँटने के लिए मेरे पास सोनिया के सिवा कोई नही था,,,मैं उसी को बता सकती थी,,,
मैं एक लड़की हूँ सन्नी ये बात मैं तुझे नही बता सकती थी,,ऑर कामिनी भाभी ऑर तेरे बारे मे
मैं तेरे से इसलिए बात नही करना चाहती थी क्यूकी मुझे गुस्सा आता था जब भी तुम्हारे ऑर भाभी
के बारे मे सोचती थी,,,,,ये तो भाभी को प्राब्लम थी जो उनको लड़का नही हो रहा था ऑर उसी वजह
से मेरा कमीना बाप मेरी दोस्त जैसी भाभी के जिस्म से खेलता रहता था,,,अगर एसी कोई मजबूरी नही
होती तो मैं कभी तुझे भाभी के पास भी नही जाने देती,,,तेरी जान ले लेती मैं,,,,क्यूकी कभी सपने
मे भी तुझे भाभी के साथ एक ही बेड पर देखती तो गुस्सा आने लगता मुझे ऑर मैं सपने से जाग
जाती थी,,,,ऑर जब भी मुझे सपने मे मेरा बाप मुझे अपने बेड पर नज़र आता तो मैं उठकर रोने
लगती थी,,,,,,,,,इतना बोलकर वो सच मे रोने लगी,,,,


अरे पगली रोने क्यूँ लगी अब तू,,,चल चुप कर,,,मैने तेरे को रुलाने के लिए ये सब नही पूछा था
मैं उसको चुप करवाने लगा,,,,,

वो रोते हुए बोलने लगी,,,,प्लज़्ज़्ज़ सन्नी फिर कभी अपने ऑर कामिनी भाभी के बारे मे बात नही करना
ऑर ना ही मेरे ओर मेरे कमिने बाप के बारे मे,,,,क्यूकी वो सब बुरे सपने है बुरी यादें है मैं
जिनको भूल जाना चाहती हूँ,,,,कभी नही याद करना चाहती उन यादों को जिनमे मेरा प्यार मेरी
ही भाभी के साथ हमबिस्तर होता है ओर ना ही कभी याद करना चाहती हूँ उन यादों को जब मेरा
कमीना बाप शराब के नशे मे मेरी साथ वो घटिया हरकते करता है,,,,मैं उन सब यादों को
भूल जाना चाहती हूँ लेकिन फिर भी ना जाने क्यूँ वो बुरी यादें मेरा पीछा नही छोड़ती,,,वो
फिर से रोती जा रही थी,,,,


मैने उसके आँसू पोन्छ दिए,,,,चुप कर पगली,,,,मैं तुझे रुलाना थोड़ी चाहता था,,,,ऑर आगे से
कभी मैं तुझे वो सब याद नही कराउन्गा ऑर ना ही तुझे याद करने दूँगा वो सब,,,क्यूकी अब
तू मेरे साथ है ऑर मैं तुझे बहुत प्यार करता हूँ,,ऑर मैं तुझे इतना प्यार करूँगा कि तुम सब
पुरानी बातों को भूल जाओगी,,,वैसे भी कहते है ना कि पुरानी यादों को भूलने के लिए नयी
यादें बनानी पड़ती है,,,वैसे ही मैं भी प्यार से तेरे साथ मिकलर नयी यादें बनाउन्गा ऑर तुझे
तेरी सारी पुरानी यादें भुला दूँगा,,,हम दोनो प्यार की ज़मीन पेर पुरानी यादों को दफ़न करके 
उसी ज़मीन पर नयी यादों का एक फूल खिला देंगे,,,बोल क्या तू मेरा साथ देगी नयी यादें बनाने
मे ,,,,मैने इतना बोलते हुए उसके आँसू सॉफ किए तो उसने भी हल्की स्माइल से मुझे हां मे सर हिला
कर बता दिया कि वो भी मेरा साथ देगी,,,,
 
मैने उसकी आँखें सॉफ की ऑर उसके करीब होके उसके लिप्स पर हल्की किस करदी ,,फिर एक के बाद एक
मैने 15-20 किस करदी उसके लिप्स पर,,,किस की बरसात से वो भी गर्म हो गयी ऑर मैं भी,,,मैने हाथ
आगे बढ़ा कर उसको उसकी कमर से पकड़ा ऑर उपर उठा कर अपनी गोद मे बिठा लिया,,,,,उसने भी अपनी दोनो
टाँगो को खोला ऑर अपनी टाँगो को मेरी कमर की दोनो तरफ से करते हुए मेरी टाँगो पर
मेरी गोद मे आके बैठ गयी,,, 


मैं घास पर बैठा हुआ था ऑर कविता मेरी गोद मे आके बैठ चुकी थी,,,मेरे दोनो हाथ उसकी
कमर पर थे ,,उसने अपनी दोनो टाँगो को खोलकर मेरी कमर के दोनो तरफ करके मुझे अपनी
टाँगो से मेरी कमर से पकड़ लिया था ऑर तभी उसने मेरे सर को अपने हाथों से पकड़ा ऑर मेरे
चहरे को देखने लगी,,,,,उसकी आँखें भी नम थी ऑर मैं भी काफ़ी उदास था पहले ऑर अब हम दोनो
एक दूसरे की उदासी को दूर करने की कोशिश करने वाले थे ऑर शायद कामयाब भी होने वाले थे
क्यूकी उसकी आँखों से आँसू रुक गये थे ओर आँखों मे अजीब चमक उतर आई थी ऑर चेहरे से उदासी
कहीं दूर उड़ गयी थी ऑर हल्की शरम के साथ एक मीठी मुस्कान आ गयी थी उसके चहरे पर,,,उसने
बड़े प्यार से मुझे देखा ऑर मेरे लिप्स पर अपने लिप्स रख दिए ,,मैने भी एक ही पल मे उसके लिप्स
को अपने लिप्स से पकड़ लिया ऑर फिर शुरू हुआ हम दोनो का प्रेम मिलन एक प्यार भरा डीप किस
उसने मेरे लिप्स को अपने लिप्स मे भरना शुरू कर दिया ऑर मैने भी उसके लिप्स को अपने लिप्स मे पकड़
कर चूसना शुरू कर दिया,,,

उसने मेरे लोवर लिप्स को अपने मूह मे भर लिया ऑर इसी दौरान उसका उपर वाला लिप्स मेरे लिप्स मे 
पकड़ा हुआ था ऑर मैं भी उसके उपर वाले लिप्स को चूस रहा था,,कभी वो अपनी ज़ुबान को मेरे
मूह मे डालके मेरे पूरे मूह मे घुमाने लगती तो कभी अपने दाँतों से मेरी ज़ुबान को पकड़
कर अपने मूह मे भर लेती ऑर चूसने लगी,.,..अब तक उसके हाथ जो मेरे चहरे पर थे वो हाथ 
मेरे सर पर पहुँच गये थे ऑर उसने अपने हाथों की उंगलियों से मेरे सर को सहलाना शुरू कर
दिया था,,,मेरे हाथ भी उसकी कमर से होते हुए उसकी पीठ पर चले गये थे,,,उसने जीन टॉप 
पहना हुआ था,,,,,,,मेरे हाथ जैसे ही उसकी पीठ पर गये मैने उसके टॉप मे अपने हाथ घुसा दिया 
ऑर उसकी नंगी पीठ पर अपने हाथ घुमाने लगा,,,,मेरे हाथ धीरे धीरे उपर उठते गये उसकी
मखमली पीठ पर ऑर फिसलते हुए उपर की तरफ उसकी ब्रा तक पहुँच गये,,,,मैने अपने हाथों से
उसकी ब्रा के हुक्स खोल दिए ऑर मेरे ऐसे करते ही उसने मेरे सर को अपने सर से दूर कर दिया जिस से
हम दोनो के लिप्स भी एक दूसरे से दूर हो गये,,,,उसने मेरी तरफ बड़े प्यार से देखा लेकिन अब उसकी
आँखों मे प्यार से कहीं ज़्यादा सेक्स का नशा झलक रहा था,,,,,उसके होंठों पर मेरा थूक लगा
हुआ था उसके होंठ ऑर भी ज़्यादा चमक रहे थे,,,उसकी आँखों मे भी सेक्स के नशे की चमक थी

उसकी साँसे भारी थी ऑर उखड़ भी रही थी उसकी हार्टबीट भी काफ़ी तेज थी,,,ब्रा के हुक्स खुलने से वो
ज़्यादा एग्ज़ाइट हो गयी थी ,,,उसने कुछ पल ऐसे ही मुझे देखा ऑर फिर से मेरे होठों पर टूट पड़ी
ऑर इस बार पहले से कहीं ज़्यादा प्यार ऑर पागलपन से मुझे किस करने लगी,,,,,,मेरे हाथ अभी तक उसके 
टॉप के अंदर थे ऑर मैं अपने हाथों से उसकी मखमली पीठ को सहला रहा था,,,उसके हाथों की
उंगलियाँ भी मेरे सर पर बालों मे अपना हुनर दिखा रही थी,,,वो बड़े प्यार से मेरे सर को सहला
रही थी,,तभी मेरे हाथ जो उसकी पीठ पर थे वो उसकी पीठ से होते हुए कमर की दोनो तरफ आ
गये ऑर मैने दोनो हाथों से उसके टॉप को उपर उठाना शुरू कर दिया,,,उसका टॉप काफ़ी उपर तक उठ 
उठ चुका था ऑर नीचे मेरा लंड भी जाग चुका था,,जो खड़ा होके कविता की चूत पर टच होने
लगा था,,,

उसका टॉप उपर उठते ही उसने एक बार फिर पीछे हटके मुझे देखा,,,,,क्या कर रहे हो सन्नी

मैने कुछ नही बोला,,,उसने फिर से बोला,,,,,,,,,,,,,सुन्नयी कययूउ तान्न्ग्ग क्कार राहही हो,,

तभी मैने पूछा,,,,,,,,,,,,तुम्हारी तबीयत कैसी है कविता,,,,,

वो शरमा गयी ऑर शरमा कर चेहरा झुका लिया,,,,उसको पता था मैं उसकी तबीयत के बारे मे क्यूँ
पूछ रहा हूँ ,,क्यूकी अगर उसकी तबीयत ठीक है तभी मैं आगे बढ़ना चाहता था,,

उसने शरमा कर चेहरा झुका लिया ऑर बोली,,,,,अब मैं बिल्कुल ठीक हूँ सन्नी ,,उसने इतना बोला ऑर
अपने दोनो हाथ हवा मे उठा लिया,,,,,मैं समझ गया इसने मुझे हरी झंडी दिखा दी है टॉप 
उतारने के लिए,,,,मैने भी कोई देर किए बिना टॉप को पकड़ा ऑर उपर उठा दिया,,,,ऐसा करते ही उसकी
ब्रा जिसके मैं हुक खोल चुका था वो भी टॉप के साथ बाहर निकल आई ऑर कविता के बूब्स मेरे
सामने नंगे हो गये,,,टॉप उतारकर मैने साइड पर रख दिया ऑर जब कविता की तरफ देखा तो उसने अपने
बूब्स पर अपने हाथ रख दिए ऑर बूब्स को कवर कर लिया,,,


अब क्यूँ शरमा रही हो कविता,,,,पहले तो हम 2 जिस्म 1 जान थे लेकिन अब तो हम दोनो का जिस्म 
भी एक हो चुका है,,,मेरा बात सुनके कविता ने अपना चेरा उपर उठा लिया ऑर अपने हाथ भी अपने
बूब्स से हटा दिए ऑर जल्दी से मेरे सर को पकड़ा ऑर अपनी गर्दन उपर उठाकर मेरे सर को अपने 
बूब्स की तरफ करके मेरे सर को अपनी गर्दन के पास रख दिया ऑर कस कर दबा दिया,,,ऐसे करते
ही मेरे लिप्स उसकी गर्दन पर टिक गये ऑर मैने उसकी गर्दन को चूमना ऑर चाटना शुरू कर दिया,

वो ज़्यादा मस्त हो गयी थी ऑर उस से ये मस्ती बर्दाश्त नही हुई तो उसने अपने जिस्म को पीछे की तरफ
कर दिया,,,मेरे दोनो हाथ उसकी पीठ पर चले गये ऑर उसको दूर जाने से रोकने लगे लेकिन तब तक
देर हो गयी थी वो मेरे से पीछे हटके झुक गयी थी,,,,मेरे हाथ उसकी पीठ पर थे ऑर वो पीठ को
बेंड करके पीछे की तरफ झुक गयी थी,उसके हाथ पीछे की तरफ घास को टच करने लगे थे ऑर
उसका सर भी पीछे की तरफ हो गया था,,,लेकिन ऐसा करने से उसका पेट मेरे सामने आ गया था,,,मैने
उसके पेट पर हल्की किस करते हुए अपने हाथों से उसको घास पर लिटाना शुरू कर दिया,,,हल्की हल्की
किस करते हुए मैं उसको घास पर लिताता चला गया ऑर जब तक वो घास पर लेट गयी तब तक मैं
उसके उपर झुकता चला गया,,,



मैं घास पर बैठा हुआ था ऑर मेरी दोनो टाँगे खुली हुई थी ऑर कविता मेरी खुली टाँगो के
बीच लेटी हुई थी,,,,उसकी दोनो टाँगे मेरी कमर की दोनो तरफ थी,,ऑर अब उसका उपर का जिस्म भी
नंगा था,,,,,,मैने उसको घास पर लेटा दिया था ऑर अब मेरे हाथ उसकी पीठ से निकालकर उसकी कमर
पर आ गये थे ऑर मैने अपने हाथों को उसकी कमर से खिसका कर उसके पेट पर रखा ऑर फिर उसके
बूब्स की तरफ बढ़ने लगा,,,मैं खुद भी उसके पेट पर झुका हुआ था ऑर मेरा सर उसके पेट से
कुछ दूरी पर ही था,,,जैसे जैसे मेरे हाथ उसके बूब्स की तरफ बढ़ने लगे थे वैसे वैसे मेरे
लिप्स उसके पेट की तरफ बढ़ने लगे थे ऑर जब मेरे हाथ उसके बूब्स तक पहुँचे मेरे लिप्स उसके
पेट पर टच हो गये थे,,,,
 
अपने हाथों पर उसके सॉफ्ट ऑर छोटे छोटे बूब्स के एहसास ऑर उसी टाइम अपने लिप्स पर उसके मखमली
पेट का एहसास,,,,एक साथ दो तरफ़ा मस्ती से मैं ऑर भी ज़्यादा मस्त हो गया ऑर कविता भी,,,मेरे लिप्स
जैसे ही उसके पेट को टच हुए उसने अपने हाथों से मेरे सर को अपने पेट पर दबा दिया ऑर मेरे
लिप्स उसकी नाभि के पास जाके डब गये,,मैने अपने लिप्स से उसके पेट पेर नाभि के पास हल्की किस की ऑर
फिर अपनी ज़ुबान को उसकी नाभि मे हल्का सा घुसा दिया ऑर चाटने लगा उसी टाइम मैने उसके बूब्स
को भी अपने हाथों मे भरके दबा दिया,,,उसके बूब्स तो सॉफ्ट थे लेकिन उनकी डुंड़िया काफ़ी हार्ड हो
चुकी थी,,,मैं उसके बूब्स को मसल्ने लगा ऑर उसके पेट पर नाभि के पास किस करता हुआ उसकी नाभि
मे ज़ुबान डालके चाटने लगा,,उसके बूब्स की डुंड़िया जो हार्ड हो चुकी थी मैं उनको भी अपनी
उंगलियों मे भरके दबाने लगा,,,,

कविता भी लेटी हुई मेरे सर को प्यार से सहला रही थी ऑर अपने पेट पर दबा रही थी,,,साथ ही साथ वो
हल्की मस्ती मे धीरे धीरे सिसकियाँ भी ले रही थी,,,मेरे हाथ उसके बूब्स पर थे ऑर मेरा सर
उसके पेट पर मैं हल्के हल्के उसके पेट पर किस करता हुआ उपर उसके बूब्स की तरफ बढ़ने लगा ऑर
उपर बढ़ते हुए मैने अपनी ज़ुबान से उसके पेट को चाटना भी शुरू कर दिया,,,,धीरे धीरे मैं
उसके पेट से होता हुआ उसके बूब्स तक पहुँच गया ऑर एक बूब्स को अपने हाथ से दबा कर अपने मूह
मे भर लिया,,उसके बूब की डुँड़ी काफ़ी हार्ड हो चुकी थी इसलिए मैने डुँड़ी को अपने लिप्स मे पकड़ा 
ऑर दबा दिया लेकिन इस से कुछ नही हुआ तो मैने उसकी डुँड़ी को अपने दाँतों मे पकड़ा ऑर हल्के
से काट दिया तो उसकी अहह निकल गयी,,,,मैने दूसरे बूब्स की डुँड़ी को भी ऐसे ही काट दिया
ऑर फिर बारी बारी दोनो बूब्स को चूस्ता ऑर दबाता गया,,,बीच बीच मे डुँड़ी का काटने भी लगा
जिस से वो हल्के दर्द से अहह करने लगती ,,,,,,,मैं उसके बूब्स चूस्ता हुआ अब उसके उपर लेट 
चुका था ,,,अब मेरा लंड भी काफ़ी हार्ड हो गया था जिसका एहसास उसको भी अपनी चूत पर होने
लगा था,,,,मस्ती मे मैने अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ते हुए आगे पीछे हिलना शुरू किया तो
उसने अपने हाथों को मेरी पीठ पर रखा ऑर मेरी टी-शर्ट को उपर उठाने लगी,,,मैने भी खुद के 
जिस्म को उसके जिस्म से उपर उठाया ताकि वो मेरी टी-शर्ट निकाल सके,,,ऑर जब मेरी टी-शर्ट निकल गयी तो
उसने मेरी पीठ पर अपने हाथ रखे ऑर मुझे उपर नीचे करने लगी,,,मेरा लंड अब पहले से कहीं
ज़्यादा रगड़ लगा रहा था उसकी चूत पर लेकिन जीन्स की पॅंट होने की वजह से वो रगड़ कुछ ज़्यादा
काम नही आ रही थी,,,लेकिन फिर भी उसको हल्की मस्ती का एहसास तो मिल ही रहा था,,,

मैं अपने जिस्म को उपर नीचे करते हुए अपने लंड की हल्की रगड़ लगा रहा था उसकी चूत पर ऑर
उसके बूब्स को चूस रहा था ,,तभी उसने मेरे सर को पकड़ा ऑर उपर की तरफ आने का इशारा करने
लगी,,,मैने अपने सर को उसके बूब्स से उठा लिया ऑर उसके लिप्स की तरफ बढ़ गया उसने भी जल्दी से मेरे
लिप्स को अपने लिप्स मे जकड लिया ऑर चूमना शुरू कर दिया,,उसने हाथ जो वापिस मेरी पीठ पर चले
गये थे उसने उन हाथों से मेरी पीठ को सहलाते हुए अपने हाथों को मेरे पयज़ामा के अंदर की
तरफ घुसना शुरू कर दिया,,,उसकी इस हरकत से मैने भी अपने हाथ उसकी कमर की तरफ बढ़ाने
शुरू किए ऑर कुछ ही देर मे मेरे हाथ उसकी जीन्स पर थे दोनो तरफ से,,,,मैने उसकी जीन्स को
खोलने की कोशिश की लेकिन उसके उपर लेट कर ऐसा करना मुश्किल लग रहा था मुझे,,इसलिए मैने 
उसकी जीन्स कि ज़िप को खोल दिया ऑर जल्दी से मेरा हाथ उसकी ज़िप के अंदर चला गया,,,जैसे ही मेरा हाथ 
उसकी ज़िप के अंदर गया मैं खुश हो गया,,,,क्यूकी उसने जीन्स के नीचे पैंटी नही पहनी हुई थी ऑर
मेरा हाथ उसकी नंगी चूत पर लगा था जाके,,,मैने गौर किया कि उसकी चूत पर आज बाल नही '
थे शायद आज ही उसने शेव की थी चूत पर,,,,शायद ये घर से सोचकर आई थी ये सब करने के लिए
ऑर मुझे खुश करने के लिए,,,,क्यूकी आज उसकी तबीयत बिल्कुल ठीक हो गयी थी,,,,

मैने किस करते हुए अपने हाथ को उसकी ज़िप के रास्ते उसकी जीन्स मे घुसा दिया ऑर उसकी चूत के उपर
उंगली से हल्की हल्की रगड़ लगाने लगा,,,उसके हाथ भी मेरे पयज़ामा के अंदर मेरी गान्ड पर थे
ऑर वो मुझे गान्ड से पकड़ कर तेज़ी से उपर नीचे कर रही थी,,,उसको मेरे लंड की रगड़ अच्छी लग
रही थी उसकी चूत पर ऑर अब मेरी उंगली की रगड़ भी ,,,इसलिए उंगली लगते ही उसने मुझे तेज़ी से
उपर नीचे करना शुरू कर दिया था,,शायद वो चाहती थी कि मैं उसको ज़्यादा मज़ा दूं इसलिए मैने
उंगली को उसकी चूत मे घुसा दिया ऐसा करते ही उसने मेरे लिप्स पर हल्के से काट दिया ऑर फिर पागल
बन के मुझे किस करने लगी,,,दोनो हाथों से मुझे तेज़ी से उपर नीचे करने लगी,,,मैने भी अपनी
उंगली को उसकी चूत से निकाला ऑर साथ ही अपने जिस्म को थोड़ा उपर करके अपने पयज़ामे को नीचे किया
ऑर लंड को बाहर निकाला लिया क्यूकी मैं समझ गया था अब उस से बर्दाश्त नही हो रहा ऑर वैसे
मेरे से भी बर्दाश्त नही हो रहा था,,,,मैने लंड को पयज़ामे से बाहर निकाला ऑर ज़िप के रास्ते अपने 
लंड को उसकी चूत तक पहुँचा दिया ,,,,

लेकिन लंड बहुत मोटा था जो ज़िप के रास्ते ज़्यादा अंदर नही घुस रहा था लेकिन फिर भी लंड की टोपी
चूत पर टच होने लगी थी ऑर इसी एहसास से उसने ऑर भी तेज़ी से मुझे उपर नीचे करना शुरू कर
दिया,,,वो पागल हुई जा रही थी बस लंड को चूत मे घुसा लेना चाहती थी,,मैं भी जल्दी से लंड
को उसकी चूत मे घुसा देना चाहता था इसलिए मस्ती मे मेरी कमर भी उपर नीचे हिलने लगी ऑर
लंड की टोपी की हल्की रगड़ लगने लगी चूत पर जिस से मुझे मज़ा आने लगा ऑर शायद कविता को भी
लेकिन मुझे हल्का दर्द भी होने लगा हल्की जलन भी होने लगी क्यूकी ज़िप की साइड का लोहा मेरे लंड
पर रगड़ खा रहा था जिस से मुझे जलन हो रही थी,,,हल्का दर्द होने लगा था लेकिन कविता को इस
बात की टेन्षन नही थी वो तो तेज़ी से मुझे उपर नीचे करने मे लगी हुई थी,,,,,अब तो बर्दाश्त के
बाहर हो गया था,,,एक तो लंड चूत मे नही गया था उपर से ज़िप के लोहे की रगड़ से जलन होने
लगी थी,,,,


मैं जल्दी से उसके उपर से उठ गया ऑर खड़ा हो गया,,,,मैने जल्दी से अपने पयज़ामा निकाला ऑर मेरा
9 इंच से थोड़ा बड़ा लंड देखकर कविता की आँखें चमक गयी लेकिन जल्दी ही वो शरमा भी गयी ऑर
अपने फेस को दूसरी तरफ टर्न कर लिया,,,,मैं जल्दी से पयज़ामा निकाल कर वापिस घास पर बैठ गया
ऑर मैने कविता की जीन्स के बटन को खोल दिया ऑर जीन्स को थोड़ा नीचे कर दिया,,,लेकिन तभी कविता 
ने शरमा कर मेरी तरफ देखा ऑर अपनी जीन्स के पास से मेरे हाथों को पकड़ लिया ऑर मुझे जीन्स 
नही उतारने दी,,,मैं समझ गया ये शर्मा रही है,,,,,,

लेकिन तब तक उसकी जीन्स थोड़ी नीचे खिसक चुकी थी ऑर उसकी चूत नंगी हो गयी थी,,,,
 
वो आराम से लेटी हुई सिसकियाँ लेने लगी और मैं चूत को चाट-ता हुआ उसकी गान्ड मे उंगली करने लगा
,,मैने सोचा कि एक उंगली और घुसा देता हूँ गान्ड मे लेकिन मैने सोचा कि इसको अभी इतना मज़ा
नही आ रहा होगा इसलिए अभी गान्ड मे 2 उंगली डालना ठीक नही होगा इसलिए मैं उसकी चूत को
चाटने मे लगा रहा और 1 उंगली से गान्ड को चोदता रहा,,,,


कुछ देर बाद ही उसकी सिसकियाँ तेज होने लगी और उसकी चूत ने पानी बहाना शुरू कर दिया जब तक
उसकी चूत पानी बहाती रही मैने चूत से अपने मुँह को दूर नही किया और उसकी चूत का पानी पीता
गया और जब चूत से पानी बहना बंद हो गया तब भी मैं चूत को चूमता और चाट-ता रहा,,उसकी
सिसकियाँ बंद नही हुई वो भी लगातार सिसकियाँ लेती रही,,,,शायद वो फिर से वापिस मस्ती मे आ गयी 
थी और मैं भी यही चाहता था,,,,,मैं उसकी चूत को चाटने मे लगा रहा और 1 उंगली से गान्ड को
चोदता रहा,,,,


कुछ देर बाद मैं अपने लंड को हाथ मे लेके उसके चहरे के पास गया,,,,उसने शरमा कर चेहरा
घुमा लिया लेकिन फिर वापिस मुझे देखने लगी और मेरे लंड को जो मेरे हाथ मे पकड़ा हुआ था,,,
मैने उसको लंड को मुँह मे लेने का इशारा किया लेकिन उसने ना मे सर हिला दिया ,,,मैने फिर लंड
को उसके होंठों के करीब किया तो उसने मुँह खोला और सर हिला कर फिर से मुझे मना कर दिया


मैने फिर से कोशिश की तो वो बोल पड़ी,,,,,,,,,,नही सन्नी ऐसा मत करो प्ल्ज़्ज़ मुझसे नही होगा ये,
उसने ये बात शरमाते हुए बोली तो मैने भी प्यार से बोल दिया,,,,,,,,,,,,इट्स ओके कविता,,,,अगर नही
कर सकती तो कोई बात नही,,,,मैं इतना बोला और उठकर वहाँ से जाने लगा तो उसने मेरा हाथ पाकर
लिया और शरमाते हुए मेरे लंड को अपने हाथ मे पकड़ा और अपने होठों से उसपे एक किस करदी,फिर
एक के बाद एक उसने 8-10 किस करदी लंड की टोपी पर लेकिन उसने लंड को मुँह मे नही लिया,,,मैने भी
कोई ज़बरदस्ती नही की और उठकर वापिस उसकी चूत के पास चला गया और वहाँ जाके लंड पर थोड़ा
थूक लगा लिया और घुटनो के बल बैठकर लंड को उसकी चूत पर रखा और हल्का सा ज़ोर लगाया तो
लंड पहली बार मे करीब 4 इंच अंदर चला गया और उसके मुँह से अहह निकल गयी ये
अहह दर्द की नही मस्ती की थी एक राहत की थी,,,,,,मैने लंड को वापिस किया और फिर से अंदर
घुसा दिया तो इस बार लंड करीब 6-7 इंच अंदर चला गया और उसकी चूत की दीवार से टकरा गया,,,

मैं समझ गया कि इसकी चूत की गहराई इतनी ही है बस मुझे अपना 7 इंच लंड ही अंदर घुसाना 
होगा,,इस से ज़्यादा नही घुसेगा ,,,इसलिए मैं इतने लंड से उसकी चुदाई करने मे लग गया,,एक दम से 
मैने स्पीड तेज करदी थी क्यूकी उसकी चूत बहुत टाइट थी और मुझे एक दम से बहुत ज़्यादा मज़ा आया
था,,,,इसलिए एक दम से मेरी स्पीड तेज हो गयी और झटका जोरदार,,,


उसकी भी सिकियाँ निकलनी शुरू हो गयी और काफ़ी ज़ोर से चिल्ला रही थी वो,,,,मैने उसकी तरफ देखा तो
उसने अपनी आँखें बंद करली और मुँह पर हाथ रख लिया,,,क्यूकी हम लोग बाहर गार्डन मे थे,,,
मुँह पर हाथ तो रख लिया तह उसने लेकिन आवाज़ फिर भी काफ़ी तेज थी उसकी,,,जैसे टाइट चूत से मुझे
लंड पर बहुत ज़्यादा मज़ा मिल रहा था वैसे ही मोटे मूसल लंड से उसको भी अपनी चूत पर बहुत
ज़्यादा मज़ा मिल रहा था,,,,,,,,


वो घास पर लेटी हुई थी उसकी दोनो टाँगे उसके हाथ मे थी और मैं उसकी गान्ड के पास घुटनो के
बल घास पर बैठा हुआ उसकी चूत मे लंड घुसा कर उसकी चुदाई कर रहा था,,,मस्ती मे एक
दम से मेरी स्पीड तेज हो गयी थी ,,अभी मैने लंड घुसाया ही था चूत मे ,,,,,स्पीड तेज होते ही
उसकी भी सिसकियाँ बहुत तेज हो गयी थी,,,,,वो अपने सर को घास पर पटक रही थी इधर से उधर और
ज़ोर ज़ोर से सिसकियां ले रही थी,,,,उसने अपने एक हाथ से अपने मुँह को बंद कर लिया था जिस वजह से 
उसकी एक टाँग उसके हाथ से निकल गयी थी जिसको मैने अपने हाथ मे पकड़ लिया था,,,मैं काफ़ी देर 
तक उसकी चूत मारता रहा और को सिसकियाँ लेती रही,,,कुछ देर बाद मैने अपने खाली हाथ को उसकी
गान्ड पर रखा और फिर से गान्ड मे एक उंगली घुसा दी और उंगली को अंदर बाहर करने लगा,,लेकिन
उसको इस बात से कोई फ़र्क नही पड़ा मैं समझ गया कि अब ये पूरी मस्ती मे है इसलिए मैने दूसरी
उंगली भी घुसा दी उसकी गान्ड मे और मेरे ऐसा करते ही वो एक दम से उछल गयी लेकिन उसने मुझे
रोका नही बस मेरी तरफ हँसके देखा और फिर से आँखें बंद करके सिसकियाँ लेने लगी,,,,मैने भी 
उंगलियों को उसकी छूट से निकाला और फिर अपने मुँह से तोड़ा थूक लगा दिया उंगलियों पर और फिर
से उंगलियों को घुसा दिया उसकी गान्ड मे ,,,

उंगलियाँ थूक की वजह से चिकनी हो गयी थी और चूत से निकलने वाला पानी भी गान्ड के होल पर
बहने लगा था जिस से गान्ड का होल भी चिकना हो गया था ,,मेरी दोनो उंगलियाँ एक ही बार मे 
पूरी की पूरी उतर गयी थी गान्ड मे ,,,लेकिन मुझे 2 उंगलियों को आगे पीछे करने मे दिक्कत हो
रही थी इसलिए मैं उंगलियों को ज़्यादा नही हिला रहा था बस हल्के हल्के अंदर बाहर करने मे 
लगा हुआ था,,,,मुझे उसकी गान्ड इतनी ज़्यादा टाइट लगी कि मुझसे रहा नही गया,,,मैने उसकी चूत से
लंड बाहर निकाला और गान्ड से उंगलियों को बाहर निकाल लिया फिर लंड पर थूक लगा लिया और लंड
को गान्ड के होल पर रखा और तभी एक दम से कविता थोड़ी पीछे खिसक गयी,,,,


नही सन्नी यहाँ पर नही प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़,,,,यहाँ बहुत दर्द होता है,,,,यहाँ नही,,,,,,,,

तुम घबराओ नही कविता दर्द नही होगा,,,,मैं हूँ ना,,,,

नही सन्नी यहाँ नही ,,मुझे पता है तुम मुझे बहलाने के लिए ऐसा बोल रहे हो लेकिन मुझे
पता है यहाँ बहुत दर्द होता है इसलिए यहाँ अभी नही प्लज़्ज़्ज़ कुछ टाइम रुक जाओ,,,

ओके कविता,,,,,जैसा तुम कहो,,,मैने उसकी टाँगों को पकड़ा और उसकी तरफ हँसके देखा और लंड को
वापिस उसकी चूत मे घुसा दिया,,,उसने भी मुझे हँसके देखा और उसके मुँह से फिर से अहह
निकल गयी और वो फिर से आराम से लेट गयी,,,,,,,मेरा दिल तो किया था उसकी गान्ड मारने को लेकिन उसने
मना कर दिया था इसलिए मैं भी रुक गया और वापिस चूत चोदने लगा उसकी,,,उसकी गान्ड काफ़ी टाइट 
थी लेकिन उसकी चूत भी कम टाइट नही थी,,मुझे चूत मे भी गान्ड जैसा मज़ा मिल रहा था लेकिन
मैं जानता था कि गान्ड मे इस से भी कहीं ज़्यादा मज़ा मिलेगा मुझे लेकिन फिर भी कविता के रोकने 
पर मैं रुक गया था,,,लेकिन मेरे हाथ की 2 उंगलियाँ फिर से घुस गयी थी उसकी गान्ड मे और इस बात
से उसको कोई परेशानी नही थी उसको परेशानी थी तो मेरे मूसल से ,,,क्यूकी उसको पता था कि ये बड़ा
लंड ये मूसल उसकी गान्ड मे नही जाएगा और अगर चला भी गया तो बहुत दर्द करेगा,,,,मैं भी 
उसको दर्द नही देना चाहता था इसलिए चूत पर ही लगा रहा,,,,वो भी आराम से लेट कर आँखें
बंद करके मस्ती मे सिसकियाँ लेती रही,,,,


करीब 10-15 मिनिट मैं ऐसे ही एक ही पोज़ मे उसकी चूत की चुदाई करता रहा और वो आराम से लेट
कर सिसकियाँ लेती रही ,,,,अब मेरी भी सिसकियाँ शुरू हो गयी थी,,,,,मेरा पानी निकलने वाला था इसलिए
मेरी स्पीड और भी ज़्यादा तेज हो गयी थी,,,मैं चाहता था कि वो भी मेरे साथ ही झड़े इसलिए मैने
उसकी गान्ड से उंगलियाँ निकाल ली और उन्ही उंगलियों को उसकी चूत पर रखके चूत के उपर के मास
को तेज़ी से रगड़ने लगा जिस से उसकी आँखें खुल गयी और वो मेरी तरफ देखने लगी,,,,शायद वो भी 
समझ गयी थी कि मैं झड़ने वाला हूँ इसलिए उसने मेरी तरफ देखते हुए तेज़ी से अपने हाथों से 
अपने बूब्स को सहलाना शुरू कर दिया था और तेज़ी से सिसकियाँ लेने लगी थी,,,,तभी मेरे लंड से
पानी निकल्ने लगा तो मैने जल्दी से अपने लंड को उसकी चूत से निकाल लिया और उठकर उसके पेट की
तरफ चला गया और जल्दी से अपने लंड की मूठ मारते हुए अपने स्पर्म को उसके पेट पर निकाल दिया
जैसे ही पानी निकालने लगा उसने भी अपने हाथों को अपने बूब्स से उठा लिया और मेरे स्पर्म को अपने
पेट और बूब्स पर मलने लगी,,,उसने स्पर्म को अपने पूरे पेट पर और बूब्स पर मलना शुरू कर
दिया,,जब तक लंड से पानी निकलता रहा वो लंड के स्पर्म को अपने पेट पर मल्ति गयी और जब लंड से
आखरी ड्रॉप भी निकल गयी स्पर्म की तो मैं उसके बगल मे घास पर लेट गये,,,लेकिन वो अपने हाथों 
से स्पर्म को अपने पेट पर मल्ति गयी और सिसकियाँ लेती गयी,,,,,



हम दोनो कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे फिर वो उठी और अपनी जीन्स को ठीक करके पहना और मुझे हल्की 
किस की मेरे लिप्स पर और अपना टॉप उठाकर घर के अंदर चली गयी जबकि मैं नंगा ही घास पर
लेटा रहा,,,,,,,

मैं घास पर नंगा ही लेटा हुआ था ,,करीब 15-20 मिनिट बाद मैं उठा और देखा कि कविता 
वहाँ नही थी,,,,,,मुझे याद आया वो तो अंदर चली गयी थी इसलिए मैने भी अपने कपड़े हाथ मे 
लिए और नंगा ही घर के अंदर चला गया,,,,


जैसे ही मैं अंदर घुसा मैने देखा कि कविता नाइटी पहन कर मोम के रूम से बाहर निकल
रही थी,,,,,उसने मुझे नंगे को देखा और शर्मा कर हल्के से चिल्ला कर मुँह दूसरी तरफ टर्न करके
खड़ी हो गयी,,,,,

उसने नाइटी पहनी हुई थी और वो शवर लेके आई थी शायद,,,मैं समझ गया कि मैने इसके पेट पर
अपना स्पर्म निकाला था इसलिए शायद ये नहा कर आई है,,,

चहिईीईईईईईईईईईईईई गंदे सन्नी,,,,कपड़े पहन कर अंदर नही आ सकते थे तुम,,,,


अरे इसमे शरमाने वाली क्या बात,,,,मैं सन्नी हूँ तेरा सन्नी ,,कोई और तो नही जिसको देखकर तुम
ऐसे शरमा रही हो,,,,

तभी वो गुस्से से,,,,,,,,सुन्नययययययययी,,,,,,,,

ओके बाबा सौरी,,,,वैसे तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो और मैं तुम्हारा बाय्फ्रेंड ,,,,और इस वक़्त हम दोनो घर मे अकेले
है सो हम दोनो जैसे चाहे वैसे रह सकते है इसमे परेशानी क्या है,,,,,


तुम सच मे बहुत बेशरम हो सन्नी,,,,हम दोनो अकेले है तो इसका मतलब ये नही कि बिना कपड़ो 
के घर मे घूमते रहे,,,,


अरे ये तो अच्छा आइडिया दिया तुमने,,,,,इतना बोलकर मैं उसके पास चला गया,,,,अब मैं तो नंगा ही हूँ
तुम भी अब ये नाइटी उतार दो बिना किसी परेशानी के और बिना कपड़ो के घूमो मेरे साथ इस घर मे,,

मैने ये बात हंसते हुए बोली तो वो मुझे गुस्से से देखने लगी,,,,,,बेशर्मी की हद होती है पागल
सन्नी,,,माना कि हम घर मे अकेले है लेकिन इतने भी बेशरम नही होना चाहिए हम दोनो को

अच्छा इतने नही तो और कितने बेशरम होना चाहिए हम दोनो को तुम ही बता दो,,,मैने इतना बोला
तो वो शरमा गयी,,,,

मैने पास जाके फिर से बोला,,,,,बोलो ना कितने बेशरम होना चाहिए हम दोनो को,,,

मेरे इतना बोलते ही उसने मेरे गाल पर हल्की किस करदी,,,,,,,,,,,,,,,,बस इतना ही बेशरम होना चाहिए
,,,,

किस करके वो पीछे हटने लगी तभी मैने उसको बाहों मे भर लिया,,,,छोड़ो मुझे सन्नी,,,क्यूँ
मज़ाक करते रहते हो हर टाइम,,,,


मैं मज़ाक नही कर रहा कविता जी,,,मैं तो प्यार कर रहा हूँ,,,,वैसे भी अपने अपनी बेशर्मी
बता दी अब मेरी बारी है,,,,इतना बोलकर मैने उसके लिप्स को अपने लिप्स मे भर लिया और किस करने 
लगा,,,,,उसने भी मुझे किस का रेस्पॉन्स दिया और मेरे से चिपक गयी,,

कुछ देर बाद हम दोनो अलग हुए,,,सिर्फ़ लिप्स ही अलग हुए थे लेकिन अभी तक हम दोनो एक दूसरे की
बाहों मे थे,,,,,,,,,

अच्छा ये बता तूने मुझे पीछे से क्यूँ नही करने दिया,,मेरा मतलब तूने मुझे गान्ड मे मज़ा क्यूँ
नही लेने दिया,,,,

छी गंदे,,कितने डर्टी वर्ड्स यूज़ करते हो तुम पागल सन्नी,,,,,

अरे अब गान्ड को गान्ड नही बोलू तो क्या बोलू,,,,,,,,

सन्नी प्ल्ज़्ज़ ना एसससे मत बोलो ना गंदा लगता है,,,,कुछ भी बोलो बस ये गंदा वर्ड़ मत बोलो,,

अच्छा बाबा लेकिन बता ना तूने मुझे पीछे वाले होल मे मज़ा क्यूँ नही लेने दिया,,,,डरती है क्या

मैं किसी से नही डरती ,,लेकिन पहले तू बता तू पीछे से क्यूँ करना चाहता है,,,,आगे से कर लिया बहुत
है ना तेरे लिए,,,,

आगे से तो कर लिया लेकिन पीछे से ज़्यादा मज़ा आता है,,,,तू भी एक बार पीछे से कर लेगी तो कभी आगे
से करने के दिल नही करेगा तेरा ,,,,,,तू हर बार मुझे पीछे से करने को बोलेगी,,,

हां हां जानती हूँ बहुत मज़ा आता है पीछे से ,,लेकिन दर्द भी बहुत होता है,,,,उसने ये बात थोड़ी
शर्माके बोली थी,,,,


तुझे कैसे पता दर्द होता है,,,मैने मज़ाक मे पूछा तो वो ज़्यादा ही शर्मा गयी,,

कामिनी भाभी ने बताया था मुझे,,,कि तुमको पीछे से बहुत मज़ा आता है,,,और ये भी बताया था कि
पीछे से दर्द भी बहुत होता है इसलिए उन्होने मुझे अपने पीछे वाले होल को तेरे लिए तैयार करने
को बोला था,,,उन्होने कहा था कि मैं पीछे वाले होल को तेरे लिए तैयार करलूँ क्यूकी तू पीछे से
किए बिना मानेगा नही,,,,और अगर मैने पीछे वाले होल को तैयार नही किया तो तू बहुत दर्द देगा
मुझे,,,,,
 
अच्छा तो भाभी ने बताया तुझे,,,,,क्या ऐसी बातें करती है तू भाभी के साथ,,,,

हां ना करती हूँ,,,,कामिनी मेरी भाभी नही बहुत अच्छी दोस्त भी है,,,,,,उन्होने ही मुझे आज
नीचे शेव करने को भी बोला था,,,जब मैने उनको बताया कि मैं तुमसे मिलने जा रही हूँ तो
उन्होने बोला कि नीचे शेव कर्लो और हो सके तो पीछे वाले होल को भी तैयार कर लो,,,क्यूकी तुमको
पीछे से ज़्यादा मज़ा आता है,,,और वैसे मुझे भी मज़ा आएगा लेकिन तुम्हारा वो बहुत बड़ा है ना 
मेरी जान निकाल देगा वो,,,,,पीछे आराम से नही घुसेगा,,,,इतना बोलकर वो फिर से शरमा गयी,,,,


अच्छा तो इसको तैयार कैसे करोगी मेरे लिए,,,ये नही बताया क्या भाभी ने,,,,मैने फिर से मज़ाक मे
बोला


बताया था ना ,,,वही नकली वाला छोटा खिलोना है ना उस से,,,,लेकिन मुझे नही लेना उसको अपने पीछे
मुझे सिर्फ़ तुम्हारा खिलोना ही लेना है,,,,सिर्फ़ उसी का हक़ है मुझपे और किसी का नही फिर वो नकली
ही क्यूँ ना हो,,,,

खिलोना नही है वो डिल्डो है ,,,नकली लंड रब्बर वाला,,,,,,और वैसे क्यूँ नही लेना,,,,जानता हूँ 
तुमपर और तुम्हारे जिस्म पर मेरा ही हक़ है और किसी का नही लेकिन दर्द से बचने के लिए और होल
को खोलने के लिए ये ज़रूरी है कविता ,,वरना बहुत दर्द होगा तुमको इस असली वाले खिलोने को अपने
पीछे वाले होल मे लेने पर,,,,,

अच्छा बाबा ठीक है,,,,,,,,भाभी ने बोला था उस से दर्द भी नही होगा और होल भी तेरे इस बड़े खिलोने
क लिए तैयार हो जाएगा,,,,

अच्छा तो कब तैयार करना है पीछे वाले होल को बोलो,,,,

जब भी तुम बोलो,,,,उसने इतना बोला और बहुत ज़्यादा शरमा गयी,,,,

मैं तो अभी तैयार हूँ,,,बस तुम पहले सोनिया को फोन करके पूछो कि वो कब आएगी तुमको लेने


उसने भी जल्दी से मेरे से अलग होके अपनी जीन्स की पेंट से अपना फोन निकाला जो पेंट सोफे पर पड़ी हुई
थी और सोनिया को कॉल करदी,,,,

मैं समझ गया कि इसको भी आग तो लगी हुई है गान्ड मरवाने की लेकिन ये डर रही है,,और डरती भी
क्यूँ नही इसकी कुवारि और सील पॅक गान्ड की धज्जियाँ उड़ा देगा मेरा ये मूसल,,


उसने सोनिया से बात की और फोन कट कर दिया,,,


सोनिया 6 बजे आएगी सन्नी,,,,,,,,,,,,,मैने क्लॉक की तरफ देखा तो अभी 1 ही बजा था,,,,

ये तो अच्छी बात है,,फिर तो बहुत टाइम है हम लोगो के पास ,,,,तो क्या बोलती हो चले एक बार फिर से
मस्ती की सैर पर और तुम्हारी गान्ड के होल को भी तैयार कर दूँगा मैं अपने इस बड़े खिलोने के लिए

लेकिन कैसे सन्नी,,,,,वो नकली खिलोना तो कामिनी भाभी के पास है,,,

नही एक मेरे पास भी है,,,,

तुम्हारे पास ,,,,,,,,,,,उसने हैरान होके पूछा,,,,,तुम्हारे पास कैसे आया वो,,,


अरे मैने ही तो भाभी को लाके दिया था वो,,,सूरज भाई के कहने पर ,,एक ग़लती से मेरे पास ही रह 
गया मेरे बॅग मे,,,


कहाँ है वो लेके आओ उसको,,,,,उसने थोड़ा शर्माके लेकिन खुश होके बोला,,

ठीक है तुम मोम के रूम मे चलो मैं लेके आता हूँ,,,,,

वो शरमा कर मोम के रूम मे चली गयी और मैं उपर शोभा के रूम मे और नकली लंड लेके वापिस 
मोम के रूम मे आ गया,,,,जहाँ कविता नंगी होके लेट चुकी थी,,,,


उसके बाद मैने कविता की 2 बार और चुदाई की और उसकी गान्ड के होल को भी थोड़ा खुला कर दिया 
लेकिन अभी लंड नही घुसाया था मैने उसकी गान्ड मे ,,,,क्यूकी मैं चाहता था वो घर जाके भाभी
से वो नकली लंड लेके अच्छी तरह से थोड़ा और खोल ले अपनी गान्ड को,,,,वो भी इस बात के लिए मान गयी
थी,,,,लेकिन उसने भाभी से नकली लंड लेने से मना कर दिया और उसी लंड को अपने बॅग मे डाल लिया जिस
से मैं उसकी गान्ड के होल को खुला कर रहा था,,,

फिर करीब करीब 6 बजे सोनिया आ गयी थी और कविता को ले गयी थी,,,,कविता का दिल नही था घर जाने
को और मेरा भी दिल नही था उसको यहाँ से भेजने को,,लेकिन उसका जाना ज़रूरी था,,,


उसके जाने के बाद रात कब हुई पता ही नही चला ,,,,और रात कैसे कटी ये सिर्फ़ मैं ही जानता हूँ
,,पूरा दिन इतनी मस्ती की थी कविता के साथ की रात को सोना मुश्किल हो गया था मस्ती किए बिना,,इसलिए
पौर्न मूवीस देखकर मूठ मारनी पड़ी मुझे,,,,


नेक्स्ट डे लास्ट एग्ज़ॅम था,,,,एग्ज़ॅम के बाद मैं कॅंटीन की तरफ चलने लगा ,,मैने करण को भी
इशारा किया था कॅंटीन मे मिलने को लेकिन उसने मेरी तरफ देखा ही नही था,,मैं उस से पहले 
एग्ज़ॅम देके बाहर आ गया था सोचा कि जब वो बाहर आएगा तो उस से बात करूँगा,,,इसलिए मैं कॅंटीन
मे आ गया,,,,

मैं वहाँ पहुँचा तो देखा कि अमित कॅंटीन मे खड़ा हुआ था और कॅंटीन वाले को किसी बात पर
गालियाँ दे रहा था और कॅंटीन वाला रो रहा था,,,

अमित>>अबे साले दोबारा अगर पैसे माँगे तो जान ले लूँगा तेरी और कॅंटीन को भी आग लगा दूँगा
इतना बोलकर अमित ने 2-3 थप्पड़ लगा दिए कॅंटीन वाले को,,

तभी अमित के पीछे खड़े हुए लड़के का ध्यान आया मेरी तरफ और उसने अमित को बता दिया मेरे आने 
के बारे मे,,,,अमित ने पीछे मूड के मुझे देखा और गुस्से से 1 थप्पड़ और मारा कॅंटीन वाले को
और वहाँ से चला गया,,और जाते हुए फिर से अपने अंदाज़ मे बोलता हुआ गया,,,,,,याद रखा ये कॉलेज
भी मेरे बाप का है और ये कॅंटीन भी,,,,दोबारा से अगर कोई ग़लती हुई तो ना तू रहेगा और ना तेरी
ये कॅंटीन ,,,,


अमित अपने चम्चो को लेके वहाँ से चला गया,,,कॅंटीन वाला समझ गया था कि अमित ने उसको इतनी
जल्दी कैसे छोड़ दिया,,,वो तो कब्से उसको मार रहा था लेकिन मुझे देखकर अमित वहाँ से भाग
गया था,,,,इसलिए कॅंटीन वाला मेरे पास आके रोने लगा,,,,,अच्छा हुआ सन्नी भाई आप आ गये वरना वो
और भी मारता मुझे,,,,

पहले तो ये बचो की तरह रोना बंद करो,,,,और क्यूँ मारा अमित ने तुमको ये बताओ,,,

सन्नी भाई उसका कॅंटीन का बिल 30000 हो गया था आज जब मैने पैसे माँगे तो मुझे मारने लगा 
वो,,,अपना और अपने बाप का रौब दिखाने लगा,,,साला बड़े बाप का बेटा है फिर भी भीख माँगके
ख़ाता है,,,,


अभी तू उसके जाने के बाद उसको बुरा बोल रहा है लेकिन जब वो तुझे मार रहा था तब तेरी ज़ुबान 
क्यूँ नही चल रही थी,,,तब गूंगा क्यूँ बन गया था तू,,,,


सन्नी भाई मैं ग़रीब आदमी हूँ,,लाचार हूँ और वो बड़े बाप का बेटा है,,,अगर मैं उसको 
कुछ बुरा बोलता तो वो मेरी जान ले लता और कॅंटीन भी बंद करवा देता,,,यही कॅंटीन मेरी रोज़ी रोटी
चलती है सन्नी भाई,,,,


बस यही तो पंगा है तुम लोगो का,,,,खुद को ग़रीब और लाचार समझ लेते हो,,,लेकिन तुम लोगो को
ये नही पता कि भले ही तुम लोगो के पास पैसा नही है लेकिन फिर भी तुम लोगो के पास एक ताक़त 
ऐसी है जो इन अमीर लोगो के पास नही है,,,,,वो है तुम लोगो की एकता,,,,,,तुम लोग सब एक साथ मिल
जाओ तो तुम लोगो से बड़ी ताक़त कोई नही है,,,और फिर अमित और अमित के बाप जैसे चन्द लोग तुम्हारा
कुछ नही कर सकते,,,,अभी भी तुम लोग 5 थे,,,1 तुम और 4 कॅंटीन मे काम करने वाले,,,और
अमित के साथ तो 2 ही लड़के थे,,,,अगर तुम चाहते तो उन लोगो की हालत खराब कर सकते थे,,,वैसे
भी तुम कुछ ग़लत तो नही कर रहे थे ना,,,,अपने हक़ का पैसा ही माँग रहे थे कोई उधार
तो नही माँग रहे थे जो डर कर या सर झुका कर माँगना पड़े,,,

सन्नी भाई मैं आपकी बात समझता हूँ लेकिन मैं क्या कर सकता हूँ,,,,मेरा बाप पहले से बीमार
है,,,हॉस्पिटल मे है वो,,,,,छोटा भाई भी कल ही गया है गाँव,,मैं कहाँ इन लड़ाई झगडो मे पड़
सकता हूँ,,,,सोचा था कल से छुट्टियाँ शुरू है कॉलेज की तो मैं भी कुछ पैसे लेके गाँव चला
जाउन्गा और अपने बाप का इलाज करवा लूँगा ,,,लेकिन अमित ने तो पैसा देने तक से मना कर दिया,,अब
मैं उस से झगड़ा करूँ या अपने बाप और भाई के बारे मे सोचु,,,,,वो फिर से रोने लगा,,,

अच्छा चल अब रो मत,,,,मैं तुझे पैसे देता हूँ,,,मैं कॉलेज से बाहर गया जहाँ एटीएम
लगा हुआ था और पैसे निकलवा कर कॅंटीन वाले को दे दिए,,


ये लो पैसे और गाँव जाके अपने बाप का इलाज कर्वाओ,,,,

भाई मैं ये पैसे कैसे ले सकता हूँ आपसे,,,और आप क्यूँ दोगे मुझे पैसा,,,मुझे तो अमित से पैसा
लेना है ना,,,

अच्छा ठीक है भाई ,,,,जानता हूँ तूने अमित से पैसे लेने है लेकिन उसने मना कर दिया ना,,,अब तुझे
पैसे की ज़रूरत तो है ना इसलिए मेरे से पैसे लेले और जब अमित पैसे दे देगा तो तुम मेरे पैसे लौटा
देना,,,

मैने उसको पैसे दिए तो वो मेरे पैरो मे गिर गया,,,,,,भाई मैं आपका अहसान कैसे चुकाउन्गा और
कैसे वापिस करूँगा ये पैसे,,,,,अगर अमित ने फिर से पैसे देने से मना कर दिया तो,,,,

तू दूर की मत सोच मेरे भाई,,,,पहले गाँव जाके अपने बाप का इलाज करवा ,,बाकी सब बाद मे देख
लेंगे,,,,,

वो मेरे पैरो मे गिरकर रोने लगा,,,,फुट फुट कर रोने लगा,,,,मैने उसको उपर उठाया तो वो 
मेरे गले लग गया,,,,मैं सच मे आपका ये अहसान कभी नही भूलूंगा सन्नी भाई,,

चल बड़ा आया अहसान वाला,,वैसे तो मैं कोई अहसान नही कर रहा तेरे पर लेकिन अगर तुझे फिर भी
ये सब अहसान लगता है तो तुझे भी कभी मौका दूँगा ये अहसान चुकाने का,,,,,अब रोना बंद 
कर और अच्छी सी कॉफी पिला मुझे,,,

उसने आँखें सॉफ करते हुए ,,,,आज मैं आपको स्पेशल कॉफी पिलाउन्गा सन्नी भाई,,,,अपने हाथ
से बना कर,,वो खुश होता हुआ चला गया,,,,

वाह जी वाह,,,सन्नी थे ग्रेट,,,,दोस्तो का दोस्त और सबका भला करने वाला,,,मैने पीछे मूड के
देखा तो कविता और सोनिया मेरे पीछे खड़ी हुई थी और ये बात बोल रही थी सोनिया,,,

वो दोनो चलके मेरे पास आ गयी और मेरे टेबल पर बैठ गयी,,,,,,सोनिया तो मुस्कुरा रही थी लेकिन
कविता थोड़ा शरमा भी रही थी मेरे से,,,,,,

तुम लोग यहाँ कैसे,,,,,और कब आई,,,,

जब तुम कॅंटीन वाले का भला कर रहे थे तब आई हम दोनो,,,तू सच मे कितना अच्छा है भाई,,
लेकिन दूसरों के साथ,,,,अपनो के साथ तो तू हमेशा लड़ता-झगड़ता ही रहता है,,सोनिया ने ये बात 
थोड़ी नखरे से बोली और फिर हँसने लगी,,,साथ मे कविता भी हँसने लगी,,,

मैं समझ गया कि सोनिया क्यूँ ऐसे बोल रही थी इसलिए मैने बात पलट दी,,,,,,,अच्छा तो कविता अब
छुट्टियाँ हो गयी है कुछ दिनो की तो क्या प्लान है छुट्टीओं का,,,,


हम लोगो का प्लान तो बन गया है सन्नी तू अपनी सुना,,,,कविता ने हँसके बोला तो सोनिया भी हँसने
लगी,,,,


तुम लोगो का क्या प्लान बन गया मुझे भी तो पता चले,,,

तभी कॅंटीन वाला कॉफी लेके आ गया ,,,वो भी 3 कप,,,,

तभी सोनिया ने एक कप कॉफी उठा ली,,,,,,,क्यूँ तुमको क्यूँ बताए हम लोग की हमारा प्लान क्या है,,
सोनिया फिर से नखरे से बोली,,,

हम लोगो का कुछ प्लान है सन्नी ,,,तुम टेन्षन मत लो बाद मे बता दूँगी तुमको,.,ये बात बोली
कविता ने 

फिर हम लोग कॉफी पीने लगे और बातें करने लगे,,,,लेकिन मैं ये सोच रहा था कि अब इन लोगो 
का क्या प्लान बन गया है,,,,जो मुझे नही बता रही ये दोनो,,,,खैर मुझे क्या,,,,कम से कम सोनिया
मेरे से तो दूर ही रहेगी मेरे लिए यही काफ़ी था,,,,


कॉफी पेके मैं चला अपने रास्ते और कविता और सोनिया गयी अपने रास्ते,,,,इन सब के बीच मे करण
को मिलना तो भूल ही गया था,,,लेकिन अब मैं उसके घर भी नही जा सकता था क्यूकी वहाँ रितिका 
थी और मैं उसके पास नही जाना चाहता था,,,,मैं कारण से बाहर ही बात करना चाहता था वो भी 
अकेले मे,,,,मैने करण को फोन किया लेकिन उसका फोन ऑफ था,,,,

खैर मैं अपने घर की तरफ चल पड़ा,,,,


घर पहुँचा तो कपड़े चेंज करके आराम से लेट गया,,,,क्यूकी कल से कॉलेज की छुट्टियाँ थी कुछ दिन
की इसलिए मैं बहुत खुश था और आराम से लेट कर टीवी देखने लगा था,,,तभी कुछ देर बाद,,,,???
आराम से सोफे पर लेटा हुआ टीवी देख रहा था तभी बाहर बेल बजने की आवाज़ आई,,

साला अब कॉन आ गया आराम हराम करने,,,चैन से बैठकर टीवी भी नही देखने देते लोग,,

उठकर दरवाजे के पास गया और जैसे ही दरवाजा खोला बाहर कविता खड़ी हुई थी,,कविता
ने दरवाजा खुलते ही मुझे हेलो बोला,,,,,

मैने उसको हेलो बोलना था लेकिन तभी मेरी नज़र पड़ी गेट के पास खड़ी हुई कार पर और
कार के बाहर खड़ी हुई थी सोनिया,,,जो कार से पीठ लगा कर हम लोगो की तरफ देख रही 
थी,,,


ओये सन्नी कहाँ खो गया हेलो का जवाब तो देदे,,,कविता ने मेरे सर पर हल्का हाथ मारते
हुए बोला,,,,,

मेरा ध्यान सोनिया से पलट कर वापिस कविता की तरफ आया,,,,ओह्ह सौरी कविता हेलो ,,,हाई

तुम दोनो यहाँ क्या कर रही हो,,,,

भूल गया सन्नी मैने कॉलेज मे क्या बोला था,,,,मेरा और सोनिया का प्रोग्राम बन गया है 
छुट्टियाँ मनाने का ,,,,मैं सोच रही थी तुम भी हम लोगो के साथ चलो,,,सौरी मैं
नही हम दोनो सोच रही थी,,,इतना बोलके कविता ने सोनिया की तरफ इशारा किया,,


तभी याद आया सोनिया ने बोला था कॉलेज मे कि उन दोनो का प्लान बन गया है,,लेकिन ये 
मुझे क्यूँ साथ लेके जाना चाहती है,,और सबसे बड़ी बात सोनिया कैसे तैयार हो गयी मुझे
भी साथ लेके जाने को,,,वो तो कभी ना लेके जाती मुझे अपने साथ,,,और वैसे भी मुझे भी
नही जाना था सोनिया के साथ मैं तो जितना हो सके उस से दूर ही रहना चाहता था क्यूकी
दूर रहके ही हम दोनो की भलाई थी और अब तो मैं उसको प्यार करने लगा था और चाह कर
भी उसको हर्ट नही करना चाहता था,,,
 
ओये सन्नी बोला ना चलेगा हम लोगो के साथ,,,कविता ने फिर से बोला और सर पे हाथ मारा


नही मुझे नही जान तुम दोनो के साथ,,,तुम दोनो ही जाओ और एंजाय करो,,,,मैने थोड़ा गुस्से
मे बोला तो कविता थोड़ा उदास हो गयी,,,,

तभी पीछे खड़ी हुई सोनिया बोलने लगी,,,,,,मैने तुझे पहले ही बोला था कविता ये जाने
को तैयार नही होगा,,,,नखरा करेगा,,,,

इस से पहले कि मैं कुछ बोलता कविता बोल पड़ी,,,,,,तू चुप कर ना बाबा मैं बात कर
रही हूँ ना सन्नी से,,,बोल सन्नी चलेगा ना मेरे साथ,,,बोल ना सन्नी,,,,

नही कविता मुझे नही जाना,,,तुम दोनो जाओ और एंजाय करो,,,,मैं भला तुम दोनो के साथ
जाके क्या करूँगा,,,, 


सोनिया फिर से बोली,,,,,कोई फ़ायदा नही कविता तुझे बोला था मैने,,,ये नखरा ही करता 
रहेगा ,,,इस से बात करके अपना टाइम खराब मत कर वैसे भी बहुत दूर जाना है हम
लोगो ने,,,,इसको नही जाना तो रहने दे हम दोनो ही चलती है,,,


तभी कविता थोड़ा गुस्से से,,,,मैने बोला ना तुझे कि तू चुप कर्ज़ा,,,,चल तू कार मे 
बैठ जा मैं सन्नी से बार कर रही हूँ ना,,,,मैं जानती हूँ ये मेरी बात नही टाल
सकता,,,,

ठीक है करो टाइम खराब मुझे क्या,,,इतना बोलके सोनिया कार मे बैठ गयी,,,

मैं तो साला हैरान हो गया,,,,कविता ने सोनिया पर गुस्सा किया ,,,और सोनिया भी चुप-चाप
से कार मे बैठ गयी,,,,आज पहली बार हुआ था कि कविता ने सोनिया पर गुस्सा किया था और
सोनिया ने आगे से कुछ नही बोला था,,,,मुझे तो यकीन ही नही हो रहा था,,,,,

सन्नी बोल चलेगा ना हम लोगो के साथ,,,,प्ल्ज़्ज़ सन्नी,,,,मना मत करना,,,,


लेकिन कविता मैं ,,,,,,,इस से पहले की मैं कुछ बोलता कविता बीच मे बोल पड़ी,,,


कुछ बोलने से पहले मेरी बात सुन ले सन्नी,,,,,हम लोग कहीं और घूमने नही जा रही हम
लोग तो तेरे गाँव (विलेज) जा रही है,,,

मेरे गाँव,,लेकिन क्यूँ,,,

अरे बोला ना मेरी बात सुन ले पहले,,,हम लोगो का प्लान तो कुछ और था लेकिन तभी सोनिया ने
बोला कि रेखा की शादी है तो हम लोगो का प्लान बन गया तेरे गाँव जाने का,,,,


लेकिन रेखा की शादी तो कल हो चुकी है अब क्या फादा जाने का,,,,,,मैं फिर से बीच मे
बोल पड़ा क्यूकी मैं उन लोगो के साथ जाना ही नही चाहता था,,,


अरे बुद्धु पूरी बात सुन ना मेरी,,,,बीच मे क्यूँ बोल रहा है बार-बार,,,,मैं जानती हूँ
रेखा की शादी कल हो चुकी है लेकिन सोनिया ने बोला कि शादी के बाद और भी बहुत सारे
रीति-रिवाज होते है तुम लोगो मे इसलिए तेरे घरवाले 5-6 दिन वही रहने वाले है तो 
हम लोगो ने सोचा क्यूँ ना तुम्हारे गाँव चले...सभी लोग वहाँ होंगे और सबसे बड़ी बात
मैने आज तक तुम लोगो का गाँव नही देखा इसलिए हम लोगो का प्लान बन गया गाँव जाने का,
अब बोल चलेगा कि नही मुझे अपना गाँव दिखान के लिए,,,,

लेकिन कविता मैं,वो,,,,मैं अभी बोलने ही लगा कि कविता ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे 
घर के अंदर ले गयी और दरवाजा भी बंद कर दिया,,,,,और जैसे ही दरवाजा बंद हुआ वो
मेरे गले लग गयी और मुझे किस करने लगी,,,,,मैने भी उसको किस का रेस्पॉन्स दिया क्यूकी
दरवाजा बंद था ,,सोनिया को क्या पता हम लोग अंदर क्या कर रहे है,,,,

कुछ देर किस करने के बाद कविता फिर से बोली,,,,,बोल सन्नी अब चलेगा ना मेरे साथ 
मुझे अपना गाँव दिखाने,,,,वो बड़े प्यार से मुझे देख रही थी,,,,,,,,,,देख मैं सोनिया
से घर पर बात करके ही यहाँ आई थी और सोनिया को बोला था कि मैं तुझे मना लूँगी
अब मुझे मना मत कर प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़ वरना वो मेरा मज़ाक बनाएगी बार-बार,,,,और वैसे भी
मुझे हाइवे पर कार ड्राइव करने से डर लगता है,,,,,,तू चल ना साथ सन्नी,,,,प्लज़्ज़्ज़्ज़
मेरी खातिर,,,,,,,

उसने इतना सब बड़े प्यार से बोला और मैं मना नही कर पाया,,,और वैसे भी मैं गाँव जाने
की बात से बहुत खुश था,,,क्यूकी सब लोग थे वहाँ पर,,,,लेकिन मुझे डर था घर खाली
छोड़कर जाने मे,,,मुझे डर था कहीं अमित के बाप के लोग घर खाली देखकर घर मे
घुसने की कोशिश ना करे,,,,


तभी मैने कविता को बोला,,,,,,ओके बाबा मैं भी चलता हूँ तेरे साथ,,मैने अभी इतना 
बोला और कविता जल्दी से मेरे गले लग गयी और किस करने लगी,,,,

थन्क्ष्क्ष सन्नी ,,अब मैं बताती हूँ सोनिया को बाहर जाके,,,,,उसने इतना बोला और घर के बाहर
जाने लगी,,,,,सन्नी जल्दी से अपना बॅग रेडी कर्लो और बाहर आ जाओ,,,,उसने इतना बोला और
घर से बाहर चली गयी,,,,


उसके जाते ही मैने ख़ान भाई को फोन किया और सारी बात बात दी कि मैं गाँव जा रहा हूँ
और घर खाली रहेगा,,,,,ख़ान भाई ने बोल दिया कि वो कुछ लोगो की मेरे घर की निगरानी पर
लगा देंगे,,और मैं बे-फ़िक्र होके जा सकता हूँ,,,लेकिन फ़िक्र तो मुझे थी क्यूकी सोनिया भी
थी साथ मे

मैं खुद रेडी होके और अपना बॅग लेके घर से बाहर निकला और दरवाजे को लॉक लगा कर
कार की तरफ चला गया,,,,सोनिया और कविता दोनो कार मे बैठी थी,,,,लेकिन आज कविता
कार मे आगे बैठी हुई थी जबकि सोनिया पीछे वाली सीट पर,,,,मैने देखा कि पीछे वाली
सीट पर खाने पीने का बहुत समान पड़ा हुआ था,,,,,,


मैने गेट को भी लॉक किया और कार का दरवाजा खोलके ड्राइवर सीट पर बैठ गया क्यूकी 
कविता ने बोला था कार मुझे ही ड्राइव करनी है,,,

जैसे ही मैं कार मे बैठा सोनिया बोल पड़ी,,,,,अरे मान गयी कविता तुझे ,,बड़ी जल्दी 
मना लिया तूने सन्नी को,,,,मुझे नही लगा था कि ये इतनी जल्दी मान जाएगा हम लोगो के
साथ जाने के लिए,,,,,

मानता क्यूँ नही,,,,मेरा दोस्त है और मुझे पता है दोस्तो को कैसे मनाया जाता है,,कविता
ने हँसके मेरी तरफ देखा और फिर सोनिया की तरफ देखा तो दोनो हँसने लगी,,,,

मैने भी कार चलाना शुरू कर दिया,,,,,,लेकिन तभी मैने कार की सीट पर पड़े हुए
खाने के समान को देखा तो कविता बोल पड़ी,,,,,,,


सन्नी रास्ता भूल लंबा है ना इसलिए हम लोगो ने पहले ही खाने पीने का सामान कार मे रख
लिए अब कहीं रुकने की ज़रूरत नही होगी,,,,,

कविता सही बोल रही थी,,,हम लोगो को काफ़ी टाइम लगने वाला था गाँव जाने मे ,,,और वैसे
भी सर्दियाँ शुरू हो गयी थी अंधेरा जल्दी होने लगा था,,,इसलिए मैने कोई ज़्यादा बात
'नही की और अपनी मस्ती मे कार ड्राइव करने लगा जबकि सोनिया और कविता दोनो बातें करती
रही पूरा रास्ते,,,,

हम लोग बस एक बार रुके थे वो भी हाइवे पर बने हुए एक रिसोर्ट मे क्यूकी कविता और
सोनिया को वॉशरूम जाना था,,,,उसके अलावा हम कहीं नही रुके,,,,रात 11 बजे के करीब मैने
कार को चाचा जी के घर के सामने रोक दिया था,,,हाइवे पर तो ज़्यादा टाइम नही लगा लेकिन
गाँव की कच्ची और टूटी हुई रोड पर हमे बहुत मुश्किल हुई,,,,



गाँव मे लोग अक्सर जल्दी हो सो जाते है और अब तो आधी रात हो चुकी थी,,,मैने जैसे ही
कार को चाचा जी के घर के सामने रोका सोनिया जल्दी से कार से उतर गई और दरवाजे पर
नॉक करने लगी ,,कविता भी कार से उतर गयी थी जबकि मैं कार मे ही बैठा हुआ था
5-7 मिनिट नॉक करने के बाद जब चाचा जी के घर का दरवाजा नही खुला तो मैने कार
का हॉरेन बजा दिया,,,, कार का हॉरेन बजने से भी चाचा जी के घर से कोई रेस्पॉन्स नही
आया लेकिन मैने देखा कि दूर केवल के घर की लाइट्स ऑन हो गयी और तभी केवल अपने घर
से बाहर आ गया था,,,,केवल चाचा जी का बेटा था जो अपने नये घर मे रहता था ,,,


केवल घर से बाहर आया तो मैने देखा कि उसके पीछे कोई औरत भी घर से बाहर आ गयी
थी,,,


सोनिया और कविता चलके केवल के घर की तरफ जाने लगी और मैं भी कार से उतारकर उनके
पीछे चलने लगा,,,,

सोनिया आगे बढ़ के केवल से मिली और फिर जाके केवल के पीछे खड़ी हुई औरत के गले लग
गयी,,,कविता ने भी केवल को हेलो बोला और सोनिया के साथ उस औरत के गले लग्के मिली

तभी वो औरत बोली,,,,,तुम सोनिया हो ना,,,सोनिया ने हां मे सर हिला दिया,,,,और ये तेरी
दोस्त कविता है,,,मैने ठीक पहचाना ना,,,,कविता ने भी सर हिला कर उसको बता दिया
कि उसने उन दोनो को ठीक पहचाना है,,,,

तभी उसने मेरी तरफ इशारा किया,,,,,और ये सन्नी है ना,,,,तुम्हारा भाई,.,,,सोनिया ने
फिर हां मे सर हिला दिया


मैने दूर से ही केवल और उस औरत को हेलो बोल दिया,,,

सोनिया उस औरत के गले लगी और सोनिया की आँखें नम हो गयी और साथ ही उस औरत की भी
,,मैने देखा कि उन दोनो को देख कर कविता की आँखें भी नम हो गयी थी,,

तभी केवल थोड़ा चिढ़के हुए,,,तुम लोगो ने दरवाजे पर खड़े होके रोना क्यूँ शुरू कर
दिया,,,

ये केवल था ही अजीब बंदा ज़्यादा बात ही नही करता था,,इसलिए तो मैं भी दूर-दूर 
से ही मिला था इसको,,,

तभी वो औरत बोली,,,,,कुछ नही जी पहली बार मिली हूँ ना इन लोगो को इसलिए आँखें
भर आई मेरी,,,,,

ये औरत शायद केवल की पत्नी थी,,,,और रिश्ते मे मेरी मामी थी ,,,,मैं आज तक इसको
पहले कभी नही मिला था लेकिन फिर भी वो कुछ जानी पहचानी लग रही थी और जिस तरह
से वो सोनिया और कविता के गले लग्के रोई थी वो केवल से तो बहुत ज़्यादा अलग नेचर की
लग रही थी मुझे,,,,

उमर मे करीब 35-38 के करीब थी,,रंग गौरा था,,जिस्म ज़्यादा नज़र नही आ रहा था 
क्यूकी सर्दी की वजह से उसने शाल ओढ़ रखी थी जिस्म पर,,,लेकिन उसका फेस बहुत क्यूट 
था मेरा ध्यान उसके क्यूट फेस से हट ही नही रहा था,,तभी मेरी नज़र गयी सोनिया की
तरफ जो मुझे बहुत गुस्से से देख रही थी,,,,



केवल फिर से बोला,,,चलो सीमा अंदर चलो रात बहुत हो गयी है,,,,रोना धोना बाद मे 
कर लेना,,,,

तभी पता चला उसका नाम सीमा था,,,
 
केवल घर के अंदर चला गया,,,,,सोनिया और कविता भी सीमा के साथ अंदर चली गयी मैने
भी कार घर के अंदर करदी और खुद भी एक रूम की तरफ चला गया,,,,

यहाँ 2 ही रूम थे ,,,,एक तो केवल का ही था,,,,दूसरे रूम मे कविता और सोनिया थी मैं
भी उसी रूम मे चला गया,,,,तभी सीमा भी उसी रूम मे आ गयी,,,,

बहुत थक गये होगे तुम लोग,,,मैं अभी चाइ लेके आती हूँ,,,इतना बोलके वो जाने ही लगी तो
सोनिया बोल पड़ी,,,,रहने दीजिए चाइ हम लोग थक गये है और रात भी बहुत हो गयी है,आप
जाके सो जाइए हम लोग भी सो जाते है,,,,

ठीक है बेटा लेकिन तुम लोग एक ही बेड पर कैसे सो सकते हो,,सीमा ने मेरी तरफ देखते
हुए बोला,,,,क्यूकी वो सोच रही थी कि मैं 2 लड़कियों के साथ एक ही बेड पर कैसे सो सकता
हूँ,,,,,

सोनिया और कविता सीमा की बात से शरमा गयी,,,कविता मेरी तरफ ही देख रही थी,,

तभी सोनिया बोल पड़ी,,,,,आप हम लोगो के साथ सो जाइए मामी जी और सन्नी को केवल मामा
के साथ सुला दीजिए,,,,



मेरी तो साली गान्ड ही फट गयी थी केवल का नाम सुनके,,,लेकिन रास्ते भर ड्राइव करके
मैं थक गया था ,,मुझे बस बेड पर लेटना था फिर चाहे किसी के साथ भी क्यूँ ना 
लेटना पड़े,,,,


हां ये ठीक है,,,,,सन्नी तुम जाओ केवल मामा के साथ सो जाओ,,,,सीमा मामी हम लोगो के
साथ सो जाएगी,,,,

मैं भी कुछ नही बोला,,,बस कार से बॅग लेके वॉशरूम मे गया और पयज़ामा टी-शर्ट पहन ली
तभी सीमा मुझे केवल के रूम मे ले गयी और केवल अजीब नज़रो से मुझे देखने लगा,,,

मैने ज़्यादा ध्यान नही दिया और चुप करके बेड पर लेट गया,,,,इतना थक गया था कि जल्दी 
ही आँख लग गयी थी,,,,

रात बहुत थका हुआ था इसलिए नींद बहुत अच्छी आई,,,,सुबह उठा तो रूम मे अकेला था 
मैं ,,केवल नही था वहाँ,,,उठकर बाथरूम गया और फ्रेश होके साथ वाले रूम मे गया तो
देखा वहाँ पर भी कोई नही था,,,,तभी मुझे उपर छत से कोई आवाज़ सुनाई दी,,कोई
बहुत ज़ोर-ज़ोर से हंस रहा था,,,,मैं भी उपर छत की तरफ चला गया,,


मैं उपर गया तो देखा कि उपर चारपाई पर एक जगह माँ और मामा दूसरी तरफ चाचा और
चाची बैठे हुए थे,,,,और उन लोगो से दूर बैठी हुई थी कविता ,,सीमा और सोनिया
जो बहुत हंस हंस कर बातें कर रही थी,,,,लेकिन बातें बहुत आराम से हो रही थी उनकी
फिर भी वो ज़ोर से हंस रही थी,,, 

मैं उपर गया तो चाची ने मुझे गले लगा लिया,,,,चाचा भी अपनी जगह से उठा और
मुझे गले लगा कर मिला,,,,,


आ गया मेरा बेटा,,,,अरे बेटा माफ़ कर्दे रात मैं और तेरी चाची उठ नही सके गेट
खोलने के लिए,,,,एक तो बूढ़ा शरीर और उपर से दवाई का असर ,,,पता ही नही चला
तुम इतनी देर गेट पर खड़े रहे,,,,


कोई बात नही चाचा जी इसमे क्या बड़ी बात है,,,,हम लोग कॉन्सा बाहर रहे,,दूसरे घर
मे चले गये थे,,,,,,अच्छा बाकी सब छोड़ो और ये बताओ आपकी तबीयत अब कैसी है चाचा
जी,,,,,,

देख ले तेरे सामने हूँ,,,,वो तुम शहर वाले क्या बोलते हो,, हां याद आया,,फिट,,बिल्कुल
फिट हूँ बेटा मैं,,,

तभी माँ भी उठके मुझे मिली और चाची जी मेरे लिए नाश्ता लेने नीचे किचन मे चली
गयी


मैं माँ और चाचा से बात कर ही रहा था कि चाची ने मेरा नाश्ता लगा दिया और माँ ने
भी मुझे नाश्ता करने को बोला,,,,

मैं नाश्ता करने के लिए चेयर पर जाके बैठ गया और सामने पड़े टेबल पर से नाश्ता करने
लगा,,,,मैं नाश्ता कर रहा था और मेरा ध्यान गया सोनिया ,,कविता और सीमा की तरफ ,,और
ख़ासकर मैं सीमा को ही देख रहा था,,,तभी फिर से मेरा ध्यान गया सोनिया की तरफ तो 
वो मुझे गुस्से से देख रही थी,,,मैने अपनी नज़रे घुमा ली माँ और बाकी लोगो की तरफ


तभी चाचा बोला,,,,,,,तुझे क्या ज़रूरत थी अपना घर रेखा के नाम करने की,,,तेरा
दिमाग़ खराब हो गया था क्या,,,ये बात चाचा जी माँ को बोल रहे थे,,,

चाचा जी रेखा की शादी हो गयी इसलिए मैने उसको तोहफे मे वो घर दे दिया तो भला क्या
ग़लती करदी मैने,,,माँ ने बड़े प्यार से जवाब दिया,,,,

तभी चाचा थोड़े गुस्से से,,,,भला इतना बड़ा घर उसको देने की क्या ज़रूरत थी कोई और
तोहफा नही दे सकती थी क्या,,,,,

इतने मे माँ भी थोड़े गुस्से मे बोल पड़ी,,,,,वो घर मेरा है और मैं जिसको चाहूं वो घर 
दे सकती हूँ उसके लिए मुझे किसी से पूछने की ज़रूरत नही और ना किसी का डर है 
मुझे,,, माँ इतने गुस्से से बोली कि चाचा ने और चाची ने अपनी नज़रे झुका ली और मामा
खुश हो गया,,,,

माँ थोड़ा ज़ोर से बोली थी इसलिए सोनिया ,,कविता और सीमा का ध्यान भी उन लोगो की तरफ
हो गया और सीमा उठी और सोनिया के साथ कविता को भी लेके नीचे की तरफ चली गयी ,,,
जब वो लोग नीचे जा रही थी तो मेरा ध्यान फिर से सीमा की तरफ गया और तभी सोनिया और
कविता भी मेरी तरफ देखने लगी,,,,इस बार सोनिया के साथ-साथ कविता भी मुझे गुस्से से
देख रही थी,,,


सोनिया का तो ठीक लेकिन कविता मुझे गुस्से से क्यूँ देख रही थी,,,,मुझे कुछ समझ नही 
आया,,,,,

इधर माँ फिर से गुस्से मे बोली,,,चाचा जी अब आप अपने घर का काम करने के लिए भी
किसी और का इंतेज़ाम कर लेना,,,क्यूकी अब ना तो रेखा ने वापिस आना है और ना ही मनोहर
ने,,,,जैसे मैने उनको अपना घर तोहफे मे दे दिया है वैसे ही अशोक ने उनको कुछ पैसे 
दे दिए है जिस से वो लोग अपनी कुछ गाएँ-भेंसे खरीद कर अपना काम शुरू करने वाले
है,,,

माँ ने इतना बोला तो मामा खुश हो गया और साथ मे चाची भी,,,जबकि चाचा गुस्से मे माँ
की तरफ देखने लगा लेकिन बोला कुछ नही,,बस चाची को अपने साथ लेके जल्दी से वहाँ
से चला गया,,,,

उनके जाने के बाद भी मैने देखा कि सुरेंदर मामा के चेहरे पर एक शरारती मुस्कान थी
जबकि माँ अभी तक हल्के गुस्से मे थी,,,,,,पता नही माँ को क्या हुआ था मैने आज तक माँ
को इतने गुस्से मे चाचा जी से बात करते नही देखा था,,,,

फिर माँ ने मेरी तरफ देखा और मैं चुप-चाप नाश्ता करने लगा,,,,माँ भी नीचे चली
गयी चाचा और चाची के पीछे,,,,जबकि मामा वहीं बैठा रहा,,,,मैने भी अपना नाश्ता 
ख़तम किया जल्दी से और नीचे आ गया,,,,साथ साथ मामा भी नीचे आ गया,,,,


नीचे आके देखा की माँ नही थी,,,,सुरेंदर तो जल्दी से घर से निकल कर चाचा के घर
की तरफ चला गया और मैने भी बर्तन किचन मे रखे और सोनिया से माँ के बारे मे पूछा
तो उसने बताया कि माँ चाचा के घर गयी है,,,,मैं जाने लगा चाचा के घर तो सोनिया बोली
रूको सन्नी मैं भी साथ चलती हूँ,,,,सोनिया ने सीमा को भी बोला साथ चलने को लेकिन
सीमा थोड़ा गुस्से मे बोली,,,,,,,,

नही सोनिया मुझे नही जाना उस घटिया इंसान के घर मे,,,,,तुम भी मत जाओ सोनिया बेटी,

सोनिया वहीं रुकी रही जबकि मैं माँ की वजह से चाचा के घर की तरफ चल पड़ा,,,एक तो
माँ को आज पहली बार चाचा से गुस्से मे बात करते देखा इस बात की टेन्षन और उपर से
सीमा ने चाचा को घटिया इंसान बोला इस बात की टेन्षन होने लगी मुझे,,,,

मैं चाचा के घर मे जाने लगा तभी चाची गेट पर ही खड़ी हुई थी उन्होने मुझे अंदर
जाने से मना कर दिया,,,,,,

रहने दे सन्नी बेटा अंदर मत जा,,,,उन लोगो का आपस का मसला है उन लोगो को हल करने 
दे क्यूकी काफ़ी टाइम से ये मसला हल नही हुआ है,,,,आज ना हुआ तो कभी नही होना,,

मैं कुछ समझा नही लेकिन फिर भी चाची के रोकने पर मैं घर के बाहर ही रुका रहा
सुरेंदर भी मेरे साथ ही खड़ा हुआ था गेट पर,,,जबकि अंदर से माँ और चाचा के झगड़े
का शोर बाहर तक आ रहा था लेकिन कुछ समझ नही आ रहा था कि बात क्या हो रही है

तभी मैने देखा कि केवल की कार आके रुकी घर के सामने और केवल कार से उतर कर घर
के अंदर चला गया,,चाची ने उसको अंदर जाने से नही रोका,,,केवल अंदर गया और माँ का
हाथ पकड़ कर उनको बाहर की तरफ लेके आ रहा था,,,,


छोड़ो सरिता दीदी ऐसे आदमी के ज़्यादा मुँह नही लगते,,,अब जो हो गया सो हो गया,,गुस्सा
थूक दो,,,,अब तो बात बहुत पुरानी हो गयी है,,,,भूल जाओ दीदी और हम लोगो को भी
भूल जाने दो,,,,वैसे भी उनको अपनी ग़लती की सज़ा मिल ही रही है,,,,इतनी उमर मे
कोई सेवा करने वाला भी नही है उनके पास,,,और भला क्या सज़ा हो सकती है ऐसे आदमी
के लिए,,,


माँ कुछ बोलने लगी थी लेकिन जैसे ही माँ की नज़र मेरे पर पड़ी माँ चुप ही रही और 
केवल के साथ घर से बाहर आ गयी,,,,

अरे तुम यहाँ क्यूँ आ गये सन्नी बेटा,,,,माँ ने बाहर आते हुए पूछा,,,,,नाश्ता कर लिया था
क्या या बीच मे छोड़कर भाग आया ,,,,

नही नही मा नाश्ता कर लिया था मैने,,,,लेकिन माँ आप चाचा से झगड़ा क्यूँ कर रही
हो ,,,मैने आज तक आपको किसी से झगड़ा करते नही देखा तो चाचा से किस बात पर झगड़ा
हो रहा है आपका,,,,,


कुछ नही बेटा तू टेन्षन मत ले ये हम लोगो की आपस की बात है,,,,चल अब चलते है 
वैसे भी तेरे पापा का फोन आ गया है हम लोगो को बुला रहे है वो,,,,


कहाँ बुला रहे है माँ,,,पापा कहाँ है,,,,

पापा रेखा के शादी वाले घर पर है बेटा और बाकी सब लोग भी वहीं है,,,मैं तो बस 
मामा के साथ तुझे लेने आई थी,,,,


तभी हम लोग वहाँ से चल पड़े,,,,माँ ने चाची को भी साथ चलने को बोला लेकिन चाची
ने मना कर दिया,,,,

चलिए ना चाची जी,,,,आप रेखा की शादी पर भी नही गयी कम से कम अब जाके रेखा को
आशीर्वाद ही दे दीजिए,,,,,,,

चाची ने फिर मना कर दिया,,,,नही बेटी मैं नही जा सकती,,,तुझे तो पता है कि अगर
मैं चली गयी तो तेरे चाचा जी ने गुस्सा हो जाना है,,इतना बोलके चाची घर के अंदर
चली गयी,,,

माँ ने भी ज़्यादा फोर्स नही किया चाची को,,,,,,,फिर हम लोग केवल के घर की तरफ चल 
पड़े,,,,

माँ ने अंदर जाके सबको तैयार होने को बोला और मुझे भी,,,,

मैं फ्रेश होके तैयार हो गया और बाकी सब लोग भी तैयार हो गये,,,,

फिर मैं सोनिया और कविता अपनी कार मे,,केवल और सीमा उनकी कार मे और माँ मामा के साथ 
डॅड की कार मे वहाँ से चल पड़े,,,,,,

मैं कार ड्राइव करते हुए ये सोच रहा था कि माँ का कॉन्सा घर है यहाँ जो उन्होने रेखा
को गिफ्ट कर दिया है,,,,मैने कभी नही सुना माँ के घर के बारे मे,,और चाचा को क्या
परेशानी अगर माँ ने वो घर रेखा को दे दिया,,,और सबसे बड़ी बात इन लोगो का क्या झगड़ा
है जो काफ़ी टाइम से चल रहा है,,,,,और चाची रेखा की शादी मे क्यूँ नही गयी ,,रेखा
तो उन्ही के घर मे काम करती थी फिर भला चाचा चाची उसी की शादी मे क्यूँ नही
गये,,,,

मैं यही सब सोचता हुआ कार ड्राइव कर रहा था और थोड़ी टेन्षन मे था लेकिन तभी मेरी
टेन्षन ज़्यादा हो गयी,,,क्यूकी हम लोग रेखा के घर के सामने से गुजर रहे थे किसी ने
कार नही रोकी वहाँ पर,,,,रेखा का घर तो यहीं है फिर ये लोग कहाँ जा रहे है,,
कहीं ये लोग उसी घर पर तो नही जा रहे जो घर माँ ने रेखा को गिफ्ट किया है,,मैं
यही सब सोच रहा था कि कविता ने सॉंग प्ले कर दिए,,,मेरा ध्यान म्यूज़िक की तरफ हुआ
तो कुछ पल के लिए टेन्षन से पीछा छूट गया मेरा,,,


म्यूज़िक सुनते हुए और ड्राइव करता हुवे मैने देखा कि हम लोग काफ़ी दूर आ गये थे,,हम
लोगो को चाचा के घर से चले करीब 2 अवर्स हो गये थे,,,तभी मैने देखा कि डॅड
की कार रुक गयी और मामा और माँ कार मे से उतर गये ,,मैने सोचा ये यहाँ क्यूँ रुक गये 
इतनी ही देर मे मेरा ध्यान गया एक हवेली की तरफ जो खूब सज्जी-धजी हुई थी,,मैने
भी कार रोक दी और कार से उतर गया,,,माँ मामा केवल और सीमा चलते हुए हवेली के अंदर 
चले गये ,,कविता और सोनिया भी कार से उतर कर उनके पीछे चली गयी लेकिन मैं वहीं 
कार के पास रुका हुआ था और हवेली को देख कर थोड़ा हैरान था,,,ये हवेली किसकी है
जिसके अंदर सब लोग जा रहे है,,,,तभी माँ की आवाज़ आई,,,,रुक क्यूँ गये बेटा चलो अंदर
चलते है,,,,

मैं फिर भी वहीं रुका रहा,,इतने मे माँ करीब आई और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने 
साथ लेके चलने लगी,,,,वहाँ पर कुछ गाँव के लोग थे जो माँ को सर झुका झुका कर
प्रणाम करते हुए मालकिन मालकिन बोल रहे थे,,,मुझे कुछ समझ नही आ रहा था ये
सब क्या हो रहा है,,,,मैं माँ का हाथ पकड़ कर माँ के साथ चल रहा था,,,जैसे ही
हम लोग हवेली के अंदर गये मैं तो देख कर दंग रह गया,,,वो हवेली हम लोगो के घर से
बहुत ज़्यादा बड़ी थी,,और हवेली के बीचो बीच काफ़ी लोग बैठे हुए थे उन लोगो मे
रेखा और मनोहर भी थे,,,रेखा शादी के जोड़े मे थी और साथ ही मनोहर बैठा हुआ था
और उन्ही लोगो के पास मेरे डॅड भुआ विशाल और शोभा भी बैठे हुए थे,,,केवल सीमा 
सोनिया और कविता भी उन लोगो के पास चले गये,,,,,,कविता और सोनिया सब लोगो से मिलने लगी
वो दोनो बहुत खुश थी,,,सीमा भी उनके साथ ही थी,,,,जबकि केवल डॅड और विशाल के पास
जाके बैठ गया था,,

मैं अभी भी माँ का हाथ पकड़ कर उनके साथ चल रहा था,,,,और साथ साथ हवेली को
हर तरफ से देख रहा था,,,,तभी मैने माँ से पूछ लिया,,,,

माँ ये हवेली किसकी है,,,,,माँ ने मेरी तरफ देखा तो समझ गयी कि मैं कुछ परेशान 
हूँ ,,,,बेटा ये मेरी हवेली है और अब मैने इसको रेखा को शादी मे गिफ्ट कर दिया है,,

आपकी हवेली,,,,लेकिन अपने कभी बताया नही इसके बारे मे,,,,,,

तभी माँ बोली,,बेटा मैं जानती हूँ तू थोड़ा परेशान है लेकिन अभी मुझसे कुछ मत 
पूछना ,,,,अभी शादी के घर मे है हम लोग ,,,तुम बस एंजाय करो मैं बाद मे तुझे
सब बता दूँगी,,,,लेकिन प्लज़्ज़्ज़ तू अभी कुछ मत पूछ मेरे से,,,,
 
Back
Top