hotaks444
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ख़ान भाई के जाने के बाद मैं घर के अंदर आ गया ऑर सबसे पहले अपनी चोट पर मेडिसिन लगा कर पट्टी करली
फिर लॅपटॉप पर टाइम पास करने लगा,,,,टाइम पास करते हुए बार बार मेरा ध्यान मेरे हाथ की तरफ जा रहा था जहाँ
चोट लगी हुई थी,,चोट देखकर मुझे सोनिया की याद आ गयी ऑर आज जो कुछ भी हुआ वो सब मेरे दिमाग़ मे घूमने
लगा,,,मुझे कुछ समझ नही आ रहा था लेकिन तभी मुझे सोनिया की बात याद आ गयी ,,,वो जाते हुए मुझे स्टडी करने
को बोलकर गयी थी,,,,
मैने जल्दी से लॅपटॉप बंद किया ऑर बुक लेके उपर भुआ के ड्रॉयिंग रूम मे चला गया,,,,मैने एक सोफे को उसी जगह
रखा ऑर उसपे बैठकर स्टडी करने लगा जहाँ सोनिया बैठ कर स्टडी करती थी अक्सर,,,,मैं भी वहाँ बैठ गया ऑर
ध्यान बुक की तरफ कर लिया,,,मेरी नज़रे तो बुक पर थी लेकिन मेरा ध्यान कहीं ओर था,,,,मैं सोनिया के बारे मे
सोच रहा था ,,उसके खूबसूरत हंसता हुआ चेहरा मेरी आँखों के सामने आने लगा था,,,
पंजाबी मे एक सॉंग है,,,,,,,,,,मेरा दिल नि पढ़ाई विच लगदा नि अखरा च तू दिस्दी,,,,,मेरा भी कुछ यही
हाल हो गया था आज,,,,बुक मेरी गोद मे पड़ी हुई थी ऑर नज़रे बुक की तरफ थी लेकिन ध्यान था उस पगली सोनिया
की तरफ,,,
छोटा सा मासूम चेहरा,,बड़ी बड़ी मोतियों जैसी आँखें,,,छोटे छोटे गुलाब की पंखुड़ियों जैसे लिप्स,,,ऑर एक
पतला सी नाक ,,जिस पर हमेशा गुस्सा ही रहता था,,,,,,,,,,,,,लेकिन आज तो वो गुस्से मे नही थी,,आज तो मैने थप्पड़
भी लगा दिया था उसके गाल पर वो भी ज़िंदगी मे पहली बार ऑर पहली बार मेरे पर गुस्सा करने की जगह वो हँसने
लगी थी,,,,
आज सब कुछ अजीब लगने लगा था,,,आज सोनिया मुझे वो पहले वाली सोनिया नही लग रही थी,,,,आज वो बदली बदली लगने
लगी थी मुझे,,,आज मेरे से थप्पड़ ख़ाके भी उसको गुस्सा नही आया मुझपे,,,आज वो रोते हुए भी हंस रही थी ऑर मेरे
से इतने प्यार से पेश आ रही थी,,,थप्पड़ की वजह से होंठों से खून निकल रहा था लेकिन उन्ही होंठों पर एक
मीठी मुस्कान भी थी,,आँखों मे दर्द की वजह से आँसू आ गये थे लेकिन उन्ही आँखों मे एक अजीब चमक भी
थी,,,,चहरे पर उदासी थी लेकिन उसी उदासी के बीच कहीं एक हल्की खुशी का एहसास भी हो रहा था मुझे,,,,ऑर जाते
टाइम जो कुछ वो बोलकर गयी थी जो हरकत वो करके गयी थी उस से तो मेरी सिट्टी पिटी गुल हो गयी थी,,,वो मुझे गाल पर
किस करके गयी थी,,,
ओह माइ गुडड्ड क्या ये सच था,,,,वो मुझे किस करके गयी थी,,,,नही नही ये मेरी गलतफहमी होगी,,,वो
कहाँ मुझे किस करने लगी,,,,,,,नही सच मे वो मुझे किस करके गयी थी,,,,लेकिन क्यूँ,,,,,,मैने तो उसको मारा था ऑर
बदले मे मेरा सर फोड़ने की जगह वो मुझे किस करके गयी थी,,,तभी मुझे वो पल याद आया जब उसके लिप्स मेरे गाल
को टच कर रहे थे,,,,उस वक़्त तो मुझे कुछ अजीब नही लगा लेकिन अब उस पल के बारे मे सोचकर ही जिस्म मे एक
लहर दौड़ गयी,,,,,रोम रोम अंगड़ाई लेने लगा ऑर मस्ती से एक अजीब खुशी होने लगी दिल को,,,,कहीं मुझे सोनिया से लव
तो नही हो गया था,,,, नही नही,,,,लव ऑर सोनिया से,,,,,,,,,,,,,,नेवेर ,,कभी नही,,,,,,,लव तो मुझे कविता से हुआ है
ऑर वो भी मुझे लव करती है,,,,कितनी मासूम है कविता भी,,,बिल्कुल सोनिया जैसी,,,,मासूम ऑर चुलबुली,,,कुछ फ़र्क
नही सोनिया ऑर कविता मे,,,,
लेकिन एक फ़र्क है,सोनिया मेरी बेहन है,,कविता नही,,,,,,,,,,,,,कविता तो मेरी गर्लफ्रेंड है,,,,,,,,
अगर मैं कविता से लव कर सकता हूँ तो सोनिया से क्यूँ नही,,,,,,मैं सोनिया को भी लव कर सकता हूँ,,,,क्यूकी
अगर मैं अपनी ही माँ सरिता ,,,अपनी भुआ गीता ,,,,अपनी बड़ी बेहन शोभा से सेक्स कर सकता हूँ ऑर अब शायद सोनिया
से भी सेक्स करना चाहता हूँ तो भला मैं सोनिया से लव क्यूँ नही कर सकता,,,क्या लव सिर्फ़ सेक्स तक ही सीमित होता है
,,,,,,,,,,नही लव सेक्स तक सीमित नही रहता,,,,,,जैसे सेक्स ऑर वासना किसी रिश्ते किसी बंधन के मोहताज़ नही वैसे ही
प्यार भी किसी हद का किसी रिश्ते का किसी बंधन का मोहताज़ नही,,,,,,,सेक्स ऑर वासना मे अँधा इंसान जब माँ ,,बेहन
और किसी दूसरी औरत मे कोई फ़र्क नही कर सकता तो प्यार ऑर मुहब्बत भी किसी रिश्ते को नही मानता,,,,ना ही किसी रिश्ते
मे फ़र्क करना जानता है,,,,
अगर सोनिया की केर करना,,,,उसकी आँखों मे आँसू नही देख सकना,,,उसको दुखी नही देख सकना,,उसको हर्ट नही कर
सकना ,,,ज़रूरत से भी ज़्यादा उसकी केर करना ,,,,,अगर ये सब प्यार है तो प्यार ही सही,,,,,,,,,,हां मुझे सोनिया से
प्यार है,,,,,हां मुझे सोनिया से प्यार है ,,,,हां मुझे सोनिया से प्यार है,,,,,,,,,,,
ये बात मैं बुक की तरफ देखता हुआ ज़ोर ज़ोर से अपने दिल मे बोलने लगा लेकिन तभी मुझे एक शोर सुनाई दिया,,,,ये
बात मैं दिल मे नही रूम मे ज़ोर ज़ोर से बोल रहा था,,ऑर मेरी उसी बात का शोर घूंज रहा था उस रूम मे,,
मुझे एक दम से बहुत ज़्यादा खुशी का एहसास हुआ,,,मैं सोनिया को प्यार करने लगा था,,,,उसके बारे मे बहुत ज़्यादा
सोचने लगा था,,,उसका वो चेहरा जिस पर मेरे थप्पड़ की वजह से खून निकल आया था लेकिन फिर भी वो मुस्कुरा रही
थी ऑर उसकी मुस्कुराहट ने उसके मूह से निकलने वाले खून से मेरा ध्यान ही हटा दिया था,,,सच मे कितनी मासूम ऑर
कितनी चुलबुली है मेरी बेहन सोनिया,,,लेकिन मैं क्यूँ उसको हर्ट करता रहता हूँ क्यूँ दर्द देता हूँ हर बात पर
उसको,,,क्यूँ तंग करता हूँ,,,,क्यूँ बार बार उसकी मर्ज़ी के बिना उसके करीब जाता हूँ,,,क्यूँ उसको रुसवा करता हूँ,,
जैसे चकोर चाँद को देखकर उसकी तरफ उड़ता है लेकिन बीच रास्ते मे ही उसके पंख दर्द करने लगते है वो थक
जाता है ऑर वापिस ज़मीन की तरफ पलट कर आता है उसी तरह से आज मुझे सोनिया वो चाँद लग रही थी ऑर मैं वो
चकोर जो सोनिया के पास तो जाना चाहता था लेकिन डरता था,,,थक जाता था,,,ऑर अगर नही थकता ऑर नही डरता फिर उसके
करीब जाके उसको हर्ट करता,,,,,,ऑर उसको हर्ट करके भी मैं खुद ही हर्ट होता,,,,,
नही मुझे आज के बाद उसको हर्ट नही करना,,अगर मैं उस से प्यार करता हूँ तो आज के बाद मैं उस से दूर ही
रहूँगा क्यूकी प्यार का असली मतलब सेक्स ही नही होता,,,आप जिसको प्यार करते हो उसकी केर करते हो उसको हर्ट नही करते
'हो,,,,आज के बाद मैं भी उसको हर्ट नही करूँगा उसको दर्द नही दूँगा उसको रुसवा नही करूँगा,,,कुछ भी हो
जाए आज के बाद मेरी वजह से उसकी आँखों मे एक भी आँसू नही आएगा,,,,,
मैं अपनी माँ को भुआ को बड़ी बेहन को चोदता हूँ लेकिन इस सब मे उनकी भी रज़ामंदी थी लेकिन सोनिया की रज़ामंदी
नही थी,,,,ऑर उसकी रज़ामंदी के बिना मैं उसके करीब नही जाउन्गा कभी भी,,,,,
उसके जिस्म की वजह से मैं उसके दिल को हर्ट नही कर सकता कभी,,,,,,
बस यही सोच ऑर यही ख्याल रहे पूरा दिन मेरे दिमाग़ मे ,,,रात को भी मैं सो नही पाया ठीक से बस जितना हो
सका ध्यान बुक की तरफ रखा ऑर स्टडी करने की कोशिश करता रहा,,डिन्नर भी नही किया था ,,,बस परेशान ही रहा
ऑर परेशानी मे नींद भी नही आई,,,बुक लेके बैठा रहा ऑर जब थक गया तब सो गया,,,,
अगले दिन सुबह उठा तो दिल नही किया कुछ करने का ,,,,रात नींद भी बड़ी मुश्किल से आई थी,,,,बस
अजीब अजीब ख्याल आते रहे दिमाग़ मे,,,कभी रितिका के बारे मे सोचता जिसकी ग़लती से मैं शायद
करण की नज़रो मे गिर गया था,,फिर उन लोगो पर गुस्सा आने लगता जो पार्क के बाहर खड़े हुए थे
लेकिन अब तो ख़ान भाई उन लोगो को उठाकर ले गये थे,,
फिर कभी कविता का ख्याल आता जो मुझे बहुत प्यार करती है वो भी बचपन से,,,मैं भी उस से
प्यार करता हूँ लेकिन उसकी वजह से मुझे कामिनी जैसी खूबसूरत भाभी से दूर होना पड़ा है
,,,,फिर दिमाग़ मे सोनिया के ख्याल आने लगे मैं उस से प्यार करने लगा था ,,,,लेकिन उसकी वजह
से मैं कविता से दूर नही हो सकता था,,,मैं कविता से भी बहुत प्यार करता था,,,उतना ही प्यार
करता था जितना मैं सोनिया से करता था,,,लेकिन जहाँ मैं कविता को मन के साथ साथ तन से भी
हाँसिल कर चुका हूँ उस तरह मैं सोनिया को हाँसिल नही कर सका था ऑर अब करना भी नही चाहता
था क्यूकी जब कविता को हाँसिल किया था उसके जिस्म के ज़रिए तो उसकी भी रज़्ज़मंदी थी लेकिन सोनिया की
रज़ामंदी नही थी ऑर बिना रज़ामंदी के प्यार मोहब्बत करने मे मज़ा नही आता,,,,सेक्स तो बहुत
दूर की बात है,,,,
फिर लॅपटॉप पर टाइम पास करने लगा,,,,टाइम पास करते हुए बार बार मेरा ध्यान मेरे हाथ की तरफ जा रहा था जहाँ
चोट लगी हुई थी,,चोट देखकर मुझे सोनिया की याद आ गयी ऑर आज जो कुछ भी हुआ वो सब मेरे दिमाग़ मे घूमने
लगा,,,मुझे कुछ समझ नही आ रहा था लेकिन तभी मुझे सोनिया की बात याद आ गयी ,,,वो जाते हुए मुझे स्टडी करने
को बोलकर गयी थी,,,,
मैने जल्दी से लॅपटॉप बंद किया ऑर बुक लेके उपर भुआ के ड्रॉयिंग रूम मे चला गया,,,,मैने एक सोफे को उसी जगह
रखा ऑर उसपे बैठकर स्टडी करने लगा जहाँ सोनिया बैठ कर स्टडी करती थी अक्सर,,,,मैं भी वहाँ बैठ गया ऑर
ध्यान बुक की तरफ कर लिया,,,मेरी नज़रे तो बुक पर थी लेकिन मेरा ध्यान कहीं ओर था,,,,मैं सोनिया के बारे मे
सोच रहा था ,,उसके खूबसूरत हंसता हुआ चेहरा मेरी आँखों के सामने आने लगा था,,,
पंजाबी मे एक सॉंग है,,,,,,,,,,मेरा दिल नि पढ़ाई विच लगदा नि अखरा च तू दिस्दी,,,,,मेरा भी कुछ यही
हाल हो गया था आज,,,,बुक मेरी गोद मे पड़ी हुई थी ऑर नज़रे बुक की तरफ थी लेकिन ध्यान था उस पगली सोनिया
की तरफ,,,
छोटा सा मासूम चेहरा,,बड़ी बड़ी मोतियों जैसी आँखें,,,छोटे छोटे गुलाब की पंखुड़ियों जैसे लिप्स,,,ऑर एक
पतला सी नाक ,,जिस पर हमेशा गुस्सा ही रहता था,,,,,,,,,,,,,लेकिन आज तो वो गुस्से मे नही थी,,आज तो मैने थप्पड़
भी लगा दिया था उसके गाल पर वो भी ज़िंदगी मे पहली बार ऑर पहली बार मेरे पर गुस्सा करने की जगह वो हँसने
लगी थी,,,,
आज सब कुछ अजीब लगने लगा था,,,आज सोनिया मुझे वो पहले वाली सोनिया नही लग रही थी,,,,आज वो बदली बदली लगने
लगी थी मुझे,,,आज मेरे से थप्पड़ ख़ाके भी उसको गुस्सा नही आया मुझपे,,,आज वो रोते हुए भी हंस रही थी ऑर मेरे
से इतने प्यार से पेश आ रही थी,,,थप्पड़ की वजह से होंठों से खून निकल रहा था लेकिन उन्ही होंठों पर एक
मीठी मुस्कान भी थी,,आँखों मे दर्द की वजह से आँसू आ गये थे लेकिन उन्ही आँखों मे एक अजीब चमक भी
थी,,,,चहरे पर उदासी थी लेकिन उसी उदासी के बीच कहीं एक हल्की खुशी का एहसास भी हो रहा था मुझे,,,,ऑर जाते
टाइम जो कुछ वो बोलकर गयी थी जो हरकत वो करके गयी थी उस से तो मेरी सिट्टी पिटी गुल हो गयी थी,,,वो मुझे गाल पर
किस करके गयी थी,,,
ओह माइ गुडड्ड क्या ये सच था,,,,वो मुझे किस करके गयी थी,,,,नही नही ये मेरी गलतफहमी होगी,,,वो
कहाँ मुझे किस करने लगी,,,,,,,नही सच मे वो मुझे किस करके गयी थी,,,,लेकिन क्यूँ,,,,,,मैने तो उसको मारा था ऑर
बदले मे मेरा सर फोड़ने की जगह वो मुझे किस करके गयी थी,,,तभी मुझे वो पल याद आया जब उसके लिप्स मेरे गाल
को टच कर रहे थे,,,,उस वक़्त तो मुझे कुछ अजीब नही लगा लेकिन अब उस पल के बारे मे सोचकर ही जिस्म मे एक
लहर दौड़ गयी,,,,,रोम रोम अंगड़ाई लेने लगा ऑर मस्ती से एक अजीब खुशी होने लगी दिल को,,,,कहीं मुझे सोनिया से लव
तो नही हो गया था,,,, नही नही,,,,लव ऑर सोनिया से,,,,,,,,,,,,,,नेवेर ,,कभी नही,,,,,,,लव तो मुझे कविता से हुआ है
ऑर वो भी मुझे लव करती है,,,,कितनी मासूम है कविता भी,,,बिल्कुल सोनिया जैसी,,,,मासूम ऑर चुलबुली,,,कुछ फ़र्क
नही सोनिया ऑर कविता मे,,,,
लेकिन एक फ़र्क है,सोनिया मेरी बेहन है,,कविता नही,,,,,,,,,,,,,कविता तो मेरी गर्लफ्रेंड है,,,,,,,,
अगर मैं कविता से लव कर सकता हूँ तो सोनिया से क्यूँ नही,,,,,,मैं सोनिया को भी लव कर सकता हूँ,,,,क्यूकी
अगर मैं अपनी ही माँ सरिता ,,,अपनी भुआ गीता ,,,,अपनी बड़ी बेहन शोभा से सेक्स कर सकता हूँ ऑर अब शायद सोनिया
से भी सेक्स करना चाहता हूँ तो भला मैं सोनिया से लव क्यूँ नही कर सकता,,,क्या लव सिर्फ़ सेक्स तक ही सीमित होता है
,,,,,,,,,,नही लव सेक्स तक सीमित नही रहता,,,,,,जैसे सेक्स ऑर वासना किसी रिश्ते किसी बंधन के मोहताज़ नही वैसे ही
प्यार भी किसी हद का किसी रिश्ते का किसी बंधन का मोहताज़ नही,,,,,,,सेक्स ऑर वासना मे अँधा इंसान जब माँ ,,बेहन
और किसी दूसरी औरत मे कोई फ़र्क नही कर सकता तो प्यार ऑर मुहब्बत भी किसी रिश्ते को नही मानता,,,,ना ही किसी रिश्ते
मे फ़र्क करना जानता है,,,,
अगर सोनिया की केर करना,,,,उसकी आँखों मे आँसू नही देख सकना,,,उसको दुखी नही देख सकना,,उसको हर्ट नही कर
सकना ,,,ज़रूरत से भी ज़्यादा उसकी केर करना ,,,,,अगर ये सब प्यार है तो प्यार ही सही,,,,,,,,,,हां मुझे सोनिया से
प्यार है,,,,,हां मुझे सोनिया से प्यार है ,,,,हां मुझे सोनिया से प्यार है,,,,,,,,,,,
ये बात मैं बुक की तरफ देखता हुआ ज़ोर ज़ोर से अपने दिल मे बोलने लगा लेकिन तभी मुझे एक शोर सुनाई दिया,,,,ये
बात मैं दिल मे नही रूम मे ज़ोर ज़ोर से बोल रहा था,,ऑर मेरी उसी बात का शोर घूंज रहा था उस रूम मे,,
मुझे एक दम से बहुत ज़्यादा खुशी का एहसास हुआ,,,मैं सोनिया को प्यार करने लगा था,,,,उसके बारे मे बहुत ज़्यादा
सोचने लगा था,,,उसका वो चेहरा जिस पर मेरे थप्पड़ की वजह से खून निकल आया था लेकिन फिर भी वो मुस्कुरा रही
थी ऑर उसकी मुस्कुराहट ने उसके मूह से निकलने वाले खून से मेरा ध्यान ही हटा दिया था,,,सच मे कितनी मासूम ऑर
कितनी चुलबुली है मेरी बेहन सोनिया,,,लेकिन मैं क्यूँ उसको हर्ट करता रहता हूँ क्यूँ दर्द देता हूँ हर बात पर
उसको,,,क्यूँ तंग करता हूँ,,,,क्यूँ बार बार उसकी मर्ज़ी के बिना उसके करीब जाता हूँ,,,क्यूँ उसको रुसवा करता हूँ,,
जैसे चकोर चाँद को देखकर उसकी तरफ उड़ता है लेकिन बीच रास्ते मे ही उसके पंख दर्द करने लगते है वो थक
जाता है ऑर वापिस ज़मीन की तरफ पलट कर आता है उसी तरह से आज मुझे सोनिया वो चाँद लग रही थी ऑर मैं वो
चकोर जो सोनिया के पास तो जाना चाहता था लेकिन डरता था,,,थक जाता था,,,ऑर अगर नही थकता ऑर नही डरता फिर उसके
करीब जाके उसको हर्ट करता,,,,,,ऑर उसको हर्ट करके भी मैं खुद ही हर्ट होता,,,,,
नही मुझे आज के बाद उसको हर्ट नही करना,,अगर मैं उस से प्यार करता हूँ तो आज के बाद मैं उस से दूर ही
रहूँगा क्यूकी प्यार का असली मतलब सेक्स ही नही होता,,,आप जिसको प्यार करते हो उसकी केर करते हो उसको हर्ट नही करते
'हो,,,,आज के बाद मैं भी उसको हर्ट नही करूँगा उसको दर्द नही दूँगा उसको रुसवा नही करूँगा,,,कुछ भी हो
जाए आज के बाद मेरी वजह से उसकी आँखों मे एक भी आँसू नही आएगा,,,,,
मैं अपनी माँ को भुआ को बड़ी बेहन को चोदता हूँ लेकिन इस सब मे उनकी भी रज़ामंदी थी लेकिन सोनिया की रज़ामंदी
नही थी,,,,ऑर उसकी रज़ामंदी के बिना मैं उसके करीब नही जाउन्गा कभी भी,,,,,
उसके जिस्म की वजह से मैं उसके दिल को हर्ट नही कर सकता कभी,,,,,,
बस यही सोच ऑर यही ख्याल रहे पूरा दिन मेरे दिमाग़ मे ,,,रात को भी मैं सो नही पाया ठीक से बस जितना हो
सका ध्यान बुक की तरफ रखा ऑर स्टडी करने की कोशिश करता रहा,,डिन्नर भी नही किया था ,,,बस परेशान ही रहा
ऑर परेशानी मे नींद भी नही आई,,,बुक लेके बैठा रहा ऑर जब थक गया तब सो गया,,,,
अगले दिन सुबह उठा तो दिल नही किया कुछ करने का ,,,,रात नींद भी बड़ी मुश्किल से आई थी,,,,बस
अजीब अजीब ख्याल आते रहे दिमाग़ मे,,,कभी रितिका के बारे मे सोचता जिसकी ग़लती से मैं शायद
करण की नज़रो मे गिर गया था,,फिर उन लोगो पर गुस्सा आने लगता जो पार्क के बाहर खड़े हुए थे
लेकिन अब तो ख़ान भाई उन लोगो को उठाकर ले गये थे,,
फिर कभी कविता का ख्याल आता जो मुझे बहुत प्यार करती है वो भी बचपन से,,,मैं भी उस से
प्यार करता हूँ लेकिन उसकी वजह से मुझे कामिनी जैसी खूबसूरत भाभी से दूर होना पड़ा है
,,,,फिर दिमाग़ मे सोनिया के ख्याल आने लगे मैं उस से प्यार करने लगा था ,,,,लेकिन उसकी वजह
से मैं कविता से दूर नही हो सकता था,,,मैं कविता से भी बहुत प्यार करता था,,,उतना ही प्यार
करता था जितना मैं सोनिया से करता था,,,लेकिन जहाँ मैं कविता को मन के साथ साथ तन से भी
हाँसिल कर चुका हूँ उस तरह मैं सोनिया को हाँसिल नही कर सका था ऑर अब करना भी नही चाहता
था क्यूकी जब कविता को हाँसिल किया था उसके जिस्म के ज़रिए तो उसकी भी रज़्ज़मंदी थी लेकिन सोनिया की
रज़ामंदी नही थी ऑर बिना रज़ामंदी के प्यार मोहब्बत करने मे मज़ा नही आता,,,,सेक्स तो बहुत
दूर की बात है,,,,