hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
"मैं अभी इसी कमरे से कोकीन बरामद कर लूँगा.....और तुम्हें ये भी बताना पड़ेगा कि तुम्हें इस कमरे से कॉन निकाल दिया करता है?"
मिकेल होंठ भिंचे उसे ख़ूँख़ार निगाहों से देख रहा था.
इमरान दरवाज़े पर जमा रहा. जोसेफ के आने पर उस ने एक तरफ हट-ते हुए कहा....."इस आदमी को पकड़े रखो.....मैं कमरे की तलाशी लेता हूँ."
"मिकेल मरने मारने पर उतारू था लेकिन जोसेफ ने उसे काबू मे कर लेने मे देरी नहीं की.
इमरान कमरे की तलाशी लेने लगा. मिकेल बुरी तरह चीख रहा था.......और अगता को गालियाँ दे रहा था जो जोसेफ के साथ ही आ
गयी थी.....बाहरी गेट पर नहीं रुकी थी.
अट लास्ट इमरान ने कोकीन बरामद कर ही लिया और मिकेल से बोला..."तुम और तुम्हारे तरह दूसरे जी स्मिथ के चेले हैं......इसी के
लिए जंगल मे घूमते फिरते हैं. बताओ कि ये तुम्हें कहाँ से मिलती है?"
"तुम से मतलब....? चले जाओ यहाँ से."
अचानक अगता चीख कर कमरे के बीच आ गिरी. किसी ने उसे दरवाज़े के बाहर से धकेल दिया था.
अगले ही पल सुतरां का एक आदमी रिवॉल्वार लिए हुए दरवाज़े मे खड़ा था. उसके वॉर्निंग पर जोसेफ और इमरान ने हाथ उपर उठा लिए थे.
"ओह्ह.....तो तुम हो...." इमरान सर हिला कर बोला. "तुम ही इसे कमरे से निकाल दिया करते थे. तो फिर तुम ही मुझे मोस्सीओ सुतरां का पता भी बता ही दोगे.....क्यों?"
"तुम इन्हें कवर किए रखो समझे...." मिकेल ने नौकर से कहा "मैं अपने दिल का भडास निकालना चाहता हूँ."
"इमरान ने जोसेफ को इशारा किया कि वो चुप चाप खड़ा रहे.
"मिकेल इमरान पर टूट पड़ा. और इमरान चीखा....."अर्रे अर्रे.....इतने ज़ोर से......अब्बे गर्दन छोड़ो.....मरा....मरा....आहह.....तौबा तौबा...."
"मैं तुम्हें मार ही डालूँगा." मिकेल गुर्राया.
"मैं मार डालने से नहीं रोक रहा...." इमरान घिघियाया...."लेकिन इस तरह धमकियाँ तो ना दो कि मरने से पहले की दिल की धड़कन रुक जाए."
"मिकेल उसे पूरे कमरे मे रगड़ता फिर रहा था. जोसेफ को समझ मे नहीं आ रहा था कि बॉस को आख़िर हो क्या गया है. क्या वो ऐसा चूहा है कि मिकेल जैसा कोई भी आदमी उसे रगड़ता फिरे. वो सोच ही रहा था कि अब उसे कुच्छ करना चाहिए कि अचानक इमरान सुतरां
के नौकर से टकराया और फिर जोसेफ इतना ही देख सका की मिकेल और नौकर दोनों उपर नीचे फर्श पर ढेर हो गये.
रिवॉलव अब इमरान के हाथ मे था. अगता ने गहरी साँस ली.
"जोसेफ अब इन्हें इतना मारो कि बस ये मर ना जाएँ."
"देर ना करो.....पता नहीं पापा किस हाल मे हैं." अगता हाँफती हुई बोली.
"ये पिटे बिना नहीं बताएँगे. जोसेफ शुरू हो जाओ."
उसके बाद बस ऐसा लगा जैसे कोई जंगली भैंसा उन दोनों पर पिल पड़ा हो. वो चीखते रहे और पिट'ते रहे. कुच्छ देर बाद मिकेल हांफता हुआ बोला...."बताता हूँ...."
जोसेफ ने इस बुरी तरह उन दोनों की मरम्मत की थी कि उन मे बैठने की भी शक्ति नहीं रह गयी थी. लेकिन वो ज़ुबान तो हिला ही सकते थे.
मिकेल ने बताया कि उसे कोकीन जंगल ही से मिलती थी......और उसकी लत पादरी स्मिथ ही ने डाली थी. उस के आदमी ना केवल कोकीन की कीमत वसूल कर लेते थे बल्कि कभी कभी उन नशेडियों को उन के लिए काम भी करना पड़ता था.
इमरान ने उस से उस जगह का पता पुछा जहाँ से कोकीन मिला करती थी. और इस नतीजा पर पहुँचा कि वो उसी झरने के निकट ही
कहीं हो सकती है जहाँ मिकेल से पहली बार टकराव हुआ था.
मिकेल को वहाँ ले जाना ख़तरे से खाली नहीं था. क्योंकि सूचनाओं के अनुसार पोलीस भी जंगल मे गश्त करती रहती थी. और फिर मिकेल तो अपने पैरों से चलने के लायक भी नहीं रह गया था.
अट लास्ट उसने ये फ़ैसला किया कि जोसेफ को उन दोनों की निगरानी के लिए वहीं छोड़ दे और खुद अकेला जाए. उसे विश्वास था कि उस के साथियों को जंगल ही मे कहीं रखा गया होगा. हो सकता है की सुतरां भी बाली ही की क़ैद मे हो.
जब अगता को पता चला कि वो अकेला जाएगा तो वो भी तैयार हो गयी.
"तुम....?" इमरान मुस्कुराया. "अंधेरे मे ग़लत सलत भी देख सकती हो......इस लिए अच्छा यही होगा कि यहीं रहो. अर्रे हां क्या तुम ने सुतरां की गुमशुदगी की सूचना पोलीस को दे दी है?"
"नहीं...."
"तुम ने ग़लती की है. पोलीस को सूचना दे दो. और रिपोर्ट मे ये भी लिखवाना कि पिच्छली शाम बाली से उन का झगड़ा हुआ था. लेकिन
मेरा ज़िक्र ना आने पाए. और मिकेल की चर्चा भी ना करना."
"इस से क्या होगा?"
"दिमाग़ मे तरावट रहेगी और सपने सॉफ दिखाई देंगे." इमरान झुंजला गया.
"तो गुस्सा क्यों होते हो......मैं तुम्हारे साथ ज़रूर जाउन्गि."
"समय बर्बाद मत करो. जो कह रहा हूँ करो. जाओ रिपोर्ट दर्ज कराओ. मेरे आदमी पर भरोसा करो. वो तुम्हारा घर नहीं लूट ले जाएगा. लेकिन इस समय उसका जुग भारती जाना."
इमरान बाहर निकला. कॉंपाउंड सुनसान पड़ा हुआ था. वो इस समय भी उसी मेक-अप मे था जिस मे वो बाली के घर गया था.
जंगल मे घुसते ही वो बहुत सतर्क हो गया. वो नहीं चाहता था कि पोलीस से सामना हो. ये भी सोच रहा था कि उस के बच निकलने से बाली और साथी भी काफ़ी सावधान हो गये होंगे.
अगर सुतरां उन्हीं के हाथ पड़ा है तो संभव है कि उस ने उन्हें उसके बारे मे बता भी दिया हो. ज़ाहिर है कि बाली उस आदमी के बारे
मे ज़रूर जानना चाहता होगा जिस ने सुतरां के लिए उस से लड़ाई किया था.
वो चलता रहा. उसे विश्वास था कि जिस रास्ते पर वो चल रहा है वो उसे झरने तक ले जाएगा. अभी तक पोलीस की सीटी भी नहीं सुनाई दी थी. लेकिन वो उन की तरफ से गाफील नहीं था.
कुच्छ दूर चलता रहता फिर रुक कर आहटें लेने लगता. उसे यकीन नहीं था कि मिकेल की बताई हुई जगह ही उसकी मज़िल साबित होगी. क्योंकि मिकेल तो एक साधारण सा मोहरा था. जिसे कोकीन का आदि बना कर काम करने पर मजबूर कर दिया गया था. और ये असंभव था की वो ऐसे मामूली आदमी को अपना असली ठिकाना बताया हो.
अचानक वो चलते चलते रुक गया. वो उस नाले के निकट पहुँच चुका था जो पूरब की तरफ पादरी स्मिथ की कोठी के पिछे से गुज़रता था.
ये किसी प्रकार की आवाज़ें ही थीं जो नाले की गहराई की तरफ से आई थीं. वो बड़ी तेज़ी से ज़मीन पर गिर गया और सीने के बल रेंगता हुआ किनारे की तरफ बढ़ने लगा.
यहाँ नाले की गहराई 15 फीट रही होगी. उसे नीचे कुच्छ हिलती डुलती पर्छायी दिखाई दी जो पूरब की तरफ बढ़ रही थीं. उस ने किसी औरत को कहते सुना "अलग हटो....चल तो रही हूँ."
और ये आवाज़ जुलीना फिट्ज़वॉटर के अलावा किसी की नहीं हो सकती थी.
(जारी)
मिकेल होंठ भिंचे उसे ख़ूँख़ार निगाहों से देख रहा था.
इमरान दरवाज़े पर जमा रहा. जोसेफ के आने पर उस ने एक तरफ हट-ते हुए कहा....."इस आदमी को पकड़े रखो.....मैं कमरे की तलाशी लेता हूँ."
"मिकेल मरने मारने पर उतारू था लेकिन जोसेफ ने उसे काबू मे कर लेने मे देरी नहीं की.
इमरान कमरे की तलाशी लेने लगा. मिकेल बुरी तरह चीख रहा था.......और अगता को गालियाँ दे रहा था जो जोसेफ के साथ ही आ
गयी थी.....बाहरी गेट पर नहीं रुकी थी.
अट लास्ट इमरान ने कोकीन बरामद कर ही लिया और मिकेल से बोला..."तुम और तुम्हारे तरह दूसरे जी स्मिथ के चेले हैं......इसी के
लिए जंगल मे घूमते फिरते हैं. बताओ कि ये तुम्हें कहाँ से मिलती है?"
"तुम से मतलब....? चले जाओ यहाँ से."
अचानक अगता चीख कर कमरे के बीच आ गिरी. किसी ने उसे दरवाज़े के बाहर से धकेल दिया था.
अगले ही पल सुतरां का एक आदमी रिवॉल्वार लिए हुए दरवाज़े मे खड़ा था. उसके वॉर्निंग पर जोसेफ और इमरान ने हाथ उपर उठा लिए थे.
"ओह्ह.....तो तुम हो...." इमरान सर हिला कर बोला. "तुम ही इसे कमरे से निकाल दिया करते थे. तो फिर तुम ही मुझे मोस्सीओ सुतरां का पता भी बता ही दोगे.....क्यों?"
"तुम इन्हें कवर किए रखो समझे...." मिकेल ने नौकर से कहा "मैं अपने दिल का भडास निकालना चाहता हूँ."
"इमरान ने जोसेफ को इशारा किया कि वो चुप चाप खड़ा रहे.
"मिकेल इमरान पर टूट पड़ा. और इमरान चीखा....."अर्रे अर्रे.....इतने ज़ोर से......अब्बे गर्दन छोड़ो.....मरा....मरा....आहह.....तौबा तौबा...."
"मैं तुम्हें मार ही डालूँगा." मिकेल गुर्राया.
"मैं मार डालने से नहीं रोक रहा...." इमरान घिघियाया...."लेकिन इस तरह धमकियाँ तो ना दो कि मरने से पहले की दिल की धड़कन रुक जाए."
"मिकेल उसे पूरे कमरे मे रगड़ता फिर रहा था. जोसेफ को समझ मे नहीं आ रहा था कि बॉस को आख़िर हो क्या गया है. क्या वो ऐसा चूहा है कि मिकेल जैसा कोई भी आदमी उसे रगड़ता फिरे. वो सोच ही रहा था कि अब उसे कुच्छ करना चाहिए कि अचानक इमरान सुतरां
के नौकर से टकराया और फिर जोसेफ इतना ही देख सका की मिकेल और नौकर दोनों उपर नीचे फर्श पर ढेर हो गये.
रिवॉलव अब इमरान के हाथ मे था. अगता ने गहरी साँस ली.
"जोसेफ अब इन्हें इतना मारो कि बस ये मर ना जाएँ."
"देर ना करो.....पता नहीं पापा किस हाल मे हैं." अगता हाँफती हुई बोली.
"ये पिटे बिना नहीं बताएँगे. जोसेफ शुरू हो जाओ."
उसके बाद बस ऐसा लगा जैसे कोई जंगली भैंसा उन दोनों पर पिल पड़ा हो. वो चीखते रहे और पिट'ते रहे. कुच्छ देर बाद मिकेल हांफता हुआ बोला...."बताता हूँ...."
जोसेफ ने इस बुरी तरह उन दोनों की मरम्मत की थी कि उन मे बैठने की भी शक्ति नहीं रह गयी थी. लेकिन वो ज़ुबान तो हिला ही सकते थे.
मिकेल ने बताया कि उसे कोकीन जंगल ही से मिलती थी......और उसकी लत पादरी स्मिथ ही ने डाली थी. उस के आदमी ना केवल कोकीन की कीमत वसूल कर लेते थे बल्कि कभी कभी उन नशेडियों को उन के लिए काम भी करना पड़ता था.
इमरान ने उस से उस जगह का पता पुछा जहाँ से कोकीन मिला करती थी. और इस नतीजा पर पहुँचा कि वो उसी झरने के निकट ही
कहीं हो सकती है जहाँ मिकेल से पहली बार टकराव हुआ था.
मिकेल को वहाँ ले जाना ख़तरे से खाली नहीं था. क्योंकि सूचनाओं के अनुसार पोलीस भी जंगल मे गश्त करती रहती थी. और फिर मिकेल तो अपने पैरों से चलने के लायक भी नहीं रह गया था.
अट लास्ट उसने ये फ़ैसला किया कि जोसेफ को उन दोनों की निगरानी के लिए वहीं छोड़ दे और खुद अकेला जाए. उसे विश्वास था कि उस के साथियों को जंगल ही मे कहीं रखा गया होगा. हो सकता है की सुतरां भी बाली ही की क़ैद मे हो.
जब अगता को पता चला कि वो अकेला जाएगा तो वो भी तैयार हो गयी.
"तुम....?" इमरान मुस्कुराया. "अंधेरे मे ग़लत सलत भी देख सकती हो......इस लिए अच्छा यही होगा कि यहीं रहो. अर्रे हां क्या तुम ने सुतरां की गुमशुदगी की सूचना पोलीस को दे दी है?"
"नहीं...."
"तुम ने ग़लती की है. पोलीस को सूचना दे दो. और रिपोर्ट मे ये भी लिखवाना कि पिच्छली शाम बाली से उन का झगड़ा हुआ था. लेकिन
मेरा ज़िक्र ना आने पाए. और मिकेल की चर्चा भी ना करना."
"इस से क्या होगा?"
"दिमाग़ मे तरावट रहेगी और सपने सॉफ दिखाई देंगे." इमरान झुंजला गया.
"तो गुस्सा क्यों होते हो......मैं तुम्हारे साथ ज़रूर जाउन्गि."
"समय बर्बाद मत करो. जो कह रहा हूँ करो. जाओ रिपोर्ट दर्ज कराओ. मेरे आदमी पर भरोसा करो. वो तुम्हारा घर नहीं लूट ले जाएगा. लेकिन इस समय उसका जुग भारती जाना."
इमरान बाहर निकला. कॉंपाउंड सुनसान पड़ा हुआ था. वो इस समय भी उसी मेक-अप मे था जिस मे वो बाली के घर गया था.
जंगल मे घुसते ही वो बहुत सतर्क हो गया. वो नहीं चाहता था कि पोलीस से सामना हो. ये भी सोच रहा था कि उस के बच निकलने से बाली और साथी भी काफ़ी सावधान हो गये होंगे.
अगर सुतरां उन्हीं के हाथ पड़ा है तो संभव है कि उस ने उन्हें उसके बारे मे बता भी दिया हो. ज़ाहिर है कि बाली उस आदमी के बारे
मे ज़रूर जानना चाहता होगा जिस ने सुतरां के लिए उस से लड़ाई किया था.
वो चलता रहा. उसे विश्वास था कि जिस रास्ते पर वो चल रहा है वो उसे झरने तक ले जाएगा. अभी तक पोलीस की सीटी भी नहीं सुनाई दी थी. लेकिन वो उन की तरफ से गाफील नहीं था.
कुच्छ दूर चलता रहता फिर रुक कर आहटें लेने लगता. उसे यकीन नहीं था कि मिकेल की बताई हुई जगह ही उसकी मज़िल साबित होगी. क्योंकि मिकेल तो एक साधारण सा मोहरा था. जिसे कोकीन का आदि बना कर काम करने पर मजबूर कर दिया गया था. और ये असंभव था की वो ऐसे मामूली आदमी को अपना असली ठिकाना बताया हो.
अचानक वो चलते चलते रुक गया. वो उस नाले के निकट पहुँच चुका था जो पूरब की तरफ पादरी स्मिथ की कोठी के पिछे से गुज़रता था.
ये किसी प्रकार की आवाज़ें ही थीं जो नाले की गहराई की तरफ से आई थीं. वो बड़ी तेज़ी से ज़मीन पर गिर गया और सीने के बल रेंगता हुआ किनारे की तरफ बढ़ने लगा.
यहाँ नाले की गहराई 15 फीट रही होगी. उसे नीचे कुच्छ हिलती डुलती पर्छायी दिखाई दी जो पूरब की तरफ बढ़ रही थीं. उस ने किसी औरत को कहते सुना "अलग हटो....चल तो रही हूँ."
और ये आवाज़ जुलीना फिट्ज़वॉटर के अलावा किसी की नहीं हो सकती थी.
(जारी)