Hindi Porn Story जवान रात की मदहोशियाँ - SexBaba
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Hindi Porn Story जवान रात की मदहोशियाँ

hotaks444

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जवान रात की मदहोशियाँ

दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज राज शर्मा एक और मस्त कहानी पोस्ट कर रहा हूँ . दोस्तो जैसे कि आप जानते हैंआरएसएस पर जिंदगी का एक ही फसाना है मौज लो रोज लो ना मिले तो खोज लो / जिंदगी कई बार ऐसे मौके अपने आप ले आती है जहाँ बिन माँगे दिल की मुराद पूरी हो जाती है . और कई बार हाथ में आई चूत भी चिड़िया बनकर उड़ जाती है . पर इस कहानी के किरदार चार दोस्तो को किस्मत ने एक ऐसी औरत से मिला दिया जिसने इन चारो को स्वर्ग की सैर ही करा दी . तो दोस्तो चलिए चलते है मस्ती के सफ़र पर.....

जवान रात की मदहोशियाँ
 
नीले रंग की मारूती बड़ी तेजी से भागी जा रही थी। उस मारूती में चार दोस्त बैठे हुए थे, जिनमें एक दोस्त मारूती ड्राइव कर रहा था। चारों दोस्त घुमने के लिहाज से निकले थे । वह पहाड़ी इलाका था। रास्ते उंचे-नीचे और घुमावदार थे । इसे बड़ी सावधानी से गाड़ी चलानी पड़ रही । सूरज डूबने को चला था ।


अचानक मारूती का इंजन बंद हो गया। मारूती कुछ दूर आगे चलकर रूक गई । चारों दोस्त नीचे उतर पड़े। अचानक क्या हो गया गाड़ी को ? जरा इंजन चेक करो तो लगता है क्यों कोई खराबी आ गया है । 

ठीक है अभी देखता हूँ । कहकर जो गाड़ी ड्राइव कर रहा था, उसी ने आगे बढ़कर इजन को वोनट खोला और इंजन चेक करने लगा ।

थोड़ी देर तक इंजन के कल-पुर्जे को चेक करने के बाद वह बोला इंजन में तो कोई खराबी नजर नहीं आ रही है, पता नहीं गाड़ी को क्या हो गया है जो अचानक रूक गयी । | जरा पेट्रोल चेक करो 

तो दूसरे ने कहा । अभी करता हूं कहकर । गाड़ी चलाने वाले ने टंकी का ढक्कन खोला और तेल चेक किया। तो टंकी में पेट्रोल था ही नहीं । पेट्रोल खत्म हो गया। तभी तो गाड़ी अचानक रूक गई है अब क्या होगा । कोई कार-जीप नजर आएगी। तो उससे एक दो लीटर पेट्रोल ले लेंगे तथा यह भी
पूछ लेंगे कि आगे पेट्रोल पम्प कितनी दूर पर है ?

हां यही अच्छा रहेगा ।

| चारों दोस्त गाड़ी के पास खड़े होकर किसी कार या जीप का इंतजार करने लगे । चारो दोस्त का नाम था-मुकेश, राजु, अजय और संजय । सूरज डूब चुका था और अंधेरा धीरे-धीरे चैलता जा रहा था लेकिन अब तक कार या जीप उधर से नहीं गुजरी थी और न कोई बस या टूक ही गुजरा । अब क्या होगा ? अगर कोई सहारा न मिला। तो मुकेश ने चिंतित होकर पुछा ।
 
हां यार गम्भीर समस्या हो जाएगी। । आस-पास न तो कोई बाजार है और नही कोई होटल जहां ठहरा भी जा सके । राजु बोला । 

चारों दोस्तों ने इधर-उधर नजर दौड़ानी शुरू कर दी, ताकि कोई ठहरने का जगह मिल सके रात भर के लिए। करीब डेढ़ सौ गज के फ़ासले पर चार-पांच कच्ची झोपड़िया बनी हुई थी । 

''वो देखो उधर कुछ घर है '' मुकेश बोला। 

''अरे यार वो तो छोटी छोटी झोपड़िया हैं, वहां हमलोग कैसे ठहर सकते हैं '' राजु बोला ।

''मजबुरी में सब चलता है यार । मैं उनलोगों से बातचीत करके देखता हूँ कि रात भर भी किसी तरह ठहरा जा सकता है या नहीं।'' संजय बोला ।

'' ठीक है, जाकर पता लगाकर जल्दी आओ '' अजय ने कहा । 

यह सुनकर संजय बढ़ गया उन झोपड़ियां की ओर । पक्की सड़क से कच्ची सड़क निकली जो उन झोपड़ियों की ओर ही जाती थी। उसी कच्ची सड्क के सहारे संजय चल पड़ा ।।

एक झोपड़ी के नजदीक पहुंचकर संजय ने आवाज लगाई, '' कोई है '' 

'' क्या बात है ? '' कहते हुए एक जवान महिला अंदर से निकली । वह देखने में थोड़ी काली थी लेकिन उसका बदन गठा हुआ था।
और चेहरे पर जवानी की चमक थी । 

'' हमलोग दूर जा रहे थे। कि हमारी गाड़ी का पेट्रोल खत्म हो गया। क्या हमलोग रात भर यहां किसी तरह रूक सकते हैं। सुबह तक कोई न कोई व्यवस्था हो जाएगी '' संजय बोला । 

महिला ने संजय को गौर से देखा, कर कुछ सोचते हुए बोली । ''आपलोग कितने आदमी हैं ? ''

''चार आदमी ''। ।।।।।। -संजय ने जवाब दिया

'' ठीक है चले आइये । किसी तरह रात गुजर हो जाएगी ।'' वह महिला बोली । 
 
‘’गाड़ी को वहीं सड़क पर ही छोड़ दें?’’ संजय ने पूछा

‘’नहीं, गाड़ी को वहां छोड़ना ठीक नहीं होगा । किसी तरह धकेल कर यहां से आइए ।‘’ महिला बोली । 

‘’ठीक है, अभी हमलोग आते हैं। ‘’ चहक कर संजय वहां से चल पड़ा 

थोड़ी देर में चारों दोस्तों ने मारूती को धकेलते हुए मारूती को पक्की सड़क से नीचे कच्ची सड़क पर उतारा और झोपड़ी की ओर बढ़ चलें अन्धेरा छाता जा रहा था ।

झोपड़ी के नजदीक पहुंचे तो वह महिला झोपड़ी के दरवाजे पर ही खड़ी थी। चारों दोस्तों को देखते ही वह बोली ‘’आइए, आइए इस झोपड़ी में आप सबों का स्वागत है। ‘’

गाड़ी को वहीं स्थिर छोड़ चारों दोस्त झोपड़ी के अंदर प्रवेश कर गए । झोपड़ी बाहर से देखने में भले ही बदसूरत थी लेकिन अंदर में उतनी ही खूबसूरत थी। दीवार तो मिट्टी की ही थी लेकिन उस पर बड़े ही कलात्मक ढंग से चित्रकारी की गई थी जो बहुत सुंदर नजर आ रही थी।

अन्दर में एक लकड़ी की चौकी बिछी हुई थी जिस पर साधारण सा विस्तर लगा हुआ था। उसी विस्तर पर चारों दोस्त बैठ गए ।

‘’ क्या आपलोग कुछ नास्ता करना पसंद करेंगे ?’’ वह महीला नजदीक आकर पूछी । 

‘’नहीं-नहीं, अभी हमलोगों को भूख नहीं है । थोड़ी देर पहले ही तो हमलोग बाजार में नाश्ता करके चले हैं ‘’ मुकेश बोला । 

‘’तो क्या चाय चलेगी ?’’ महिला ने दुबारा पूछा

‘’हां, चाय चल सकती है,’’ मुकेश बोला । 
 
यह ‘सुनते ही वह औरत घर के अंदर चली गई । झोपड़ी के अंदर से दूसरी झोपड़ी में जाने का रास्ता था ।

गुमसुम से चारों दोस्त थोड़ी देर तक बैठ रहें कि वह औरत चाय चार ग्लास में लेकर चली आई। एक-एक ग्लास उसने सबों को पकड़ा दिया और फिर अंदर चली गई । इस बार बाहर आई तो उसके एक हाथ में लालटेन था और दूसरे हाथ में चाय का एक ग्लास । लालटेन को उसने टाँग दिया और खुद फर्श पर बैठकर चाय पीने लगी । 

‘’आप अकेले रहती है क्या ?’’ मुकेश ने पुछा ।

‘’नहीं, मैं अपने पति के साथ रहती हूँ ‘’ उस औरत ने जबाव दिया 

‘’सुबह लौटकर आएंगे ।‘’ बोली वह औरत 

‘’अकेले मैं आपने हमें मेहमान बना लिया । क्या आपको डर नहीं लगता ?’’ मुकेश ने सवाल किया। । 

‘’डर किस बात का ? औरत होकर मर्द से क्या डरना ।‘’ बड़ी बेफ़िक्री से उस औरत ने जवाब दिया । 

‘’ और फिर आपलोग कोई चोर-उचक्के ता हैं नहीं । चलता हुआ मुसाफ़िर हैं। आपकी गाड़ी का पेटोले खत्म हो गया अन्यथा आपलोग इस झोपड़ी की ओर ताकते नहीं । यह तो इस झोपड़ी का सौभाग्य है कि आपकी गाड़ी का तेल खत्म हो गया’’ महिला बोली ।

यह सुनकर चारों दोस्त अवाक रह गए। कुछ भी जवाब नहीं दे पाए । और एक-दूसरे का मुंह देखने लगे खामोश होकर ।। | 

चाय जब खत्म हो गई तो सभी ग्लासों को समेटने के बाद वह । औरत पूछी, ‘’ रात में आप लोग क्या खाना पसंद करेंगे ? ‘’

‘’जो मिल जाए। खा लेंगे ‘’ मुकेश बोला । 

‘’जो मिल जाए नहीं, जो इच्छा हो सो बोलिए।‘’ उस औरत ने जवाब दिया

‘’इच्छा को छोड़िए ।‘’ राजू बोला

‘’छोडिए क्यों ? इच्छा हो तो सब कुछ है यहाँ "" औरत ने शरमाते हुए जवाब दिया ''

'' क्या यहां हर चीज उपलब्ध है ?'' अजय ने उस औरत की आँखों में आखे डाल कर पूछा 

''बिल्कुल उपलब्ध है और जो नहीं है वह पड़ोस के घर से ले आउंगी सुनते हैं शहरी बाबुओं को मुर्गे अधिक पसंद आते हैं'' महिला बोली । 

''मुर्गे है क्या ? '' संजय ने पूछा ।


''मुर्गे तो अपने पास ही आठ-दस हैं। शराब चाहिए तो वह भी मिल जाएगी लेकिन देशी । औरत चाहिए वह भी मिल जाएगी देशी।'' उस औरत अपना होंठ दाँतों मे दबाते हुए कहा 

तब तो रात मुर्गा मस्ती में गुजरेगी । संजय ने आंख दबाते हुए अजय से धीरे से कहा । 

चुप रह, तुम्हें तो औरत ही खाली सुझती है। अजय ने धीरे से डांटा उसे ।
 
[size=large]चुप रह, तुम्हें तो औरत ही खाली सुझती है। अजय ने धीरे से डांटा उसे ।
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थोड़ी देर में दो मुर्गे चिचयाने की आवाज आई तो सभी दोस्तों ने समझ लिया कि दो मुर्ग हलाल कर दिए गए।





करीब डेढ़ घंटा के बाद खाना तैयार हो गया तो उस औरत ने खाना लगा दिया । गाड़ी से शराब की बोतल ले आया मुकेश 



मुकेश ने उस महिला से भी शराब पीने को कहा तो तुरंत तैयार हो गई । महिला ने अपना खाना भी इनलोगों के साथ ही लगा लिया और साथ ही बैठकर खाने भी लगी और शराब भी पीने लगी। । खाना जब समाप्त हुआ तो शराब का असर सबों पर हल्का-हल्का हो चुका था। 



‘’औरत की व्यवस्था कहां हुई ?’’ मुकेश ने पूछा 



''मैं तो हूँ ही, कर दूसरी औरत की जरूरत क्या है ! '' उस औरत ने जवाब दिया



''आप अकेली हैं और हम् चार हैं ।'' संजय ने आश्चर्य के साथ बोला और उस औरत को गौर से देखने लगा। 



''तो क्या हुआ ? मैं अकेले ही आप चारों का सम्भाल लुंगी' . आप चारों को एक साथ खुश कर दूंगी । '' बड़े ही आत्म विश्वास के साथ वह महिला बोली ।


[size=large]यह सुनकर सब एक दूसरे का मुंह देखने लगे। उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था । | इस औरत की बात पर |[/size]
 
यह सुनकर सब एक दूसरे का मुंह देखने लगे। उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था । | इस औरत की बात पर |

'' क्या सचमुच आप अकेले एक साथ हम चारों को, सम्भाल लेगी ? ''मुकेश ने आश्चर्य से पूछा ।

'' इसमें आपलोगों को आश्चर्य क्यों हो रहा है ? अरे मैं औरत हूँ दमदार औरत और औरत में बहुत ताकत होती है । बहुत दमखम होता है । मर्द तो एक बार खलास हुआ कि औंधे मुंह लेट जाता है। '' वह महिला बोली।

'' गजब की हिम्मत है आप में '' मुकेश बोला ।

'' आपको आश्चर्य हो रहा हैं न, लेकिन जब एक साथ में आप सबों को संतुष्ट कर दूँगी, तभी आपलोगों को यकीन आएगा ।'' वह औरत बोली । 

''लेकिन क्या आपके अगल-बगल के लोग कुछ नहीं बोलेंगे ?'' संजय ने पूछा । 

'' कौन साला बोलेगा। यहां यौन सम्बन्धों को कोई अपराध नहीं मानता। जिसकी मर्ज़ी जिसके साथ ही सम्बन्ध बना सकता है, लेकिन हां, इस मामले में यहां जबरदस्ती नहीं चलती । औरत और मर्द का होना बहुत जरूरी है, नहीं तो मार काट मच जाएगी ।'' वह औरत मौली ।।

'' वाह! तब तो बहुत उदार है आपका समाज इस मामले में । अजय ने हंसते हुए कहा । ।

''तो कर शुरू हो जाए हमलोग?'' संजय ने मुस्कुराते हुए कहा।

'' हां तो अब देर किस बात की मैं भी तो जरा देखूं कि आप शहरी बाबूओं का शरीर कितना दमदार है ।'' हंसते हुए वह औरत बोली ।

यह सुनते ही मुकेश ने लपक कर उस औरत को अपनी बाहों में ले लिया और चुमते हुए पुछा, '' आपका नाम तो अभी तक हमलोगों ने जाना ही नहीं।''


''मेरा नाम गुलाबी है । ''तब औरत बोली । 

''आप सचमुच बहुत गुलाबी है'' कहते हुए संजय उसकी चुचियों को अपने हाथ में ले लिया और हौले-हौले सहलाने लगा ।

'' पहले झोपड़ी का दरवाजा तो बंद करने दीजिए । पुरी रात है अपने पास इतना हड़बड़ी क्यों दिखाते हैं। '' गुलाबी बोली । 
 
यह सुनकर मुकेश ने गुलाबी को अपनी बाहों से मुक्त कर दिया।

गुलाबी ने उठ कर झोपड़ी के दोनों दरवाजे बंद कर दिए और पहुंच गई । चारों दोस्तों के पास । झोपड़ी के अंदर लालटेन की धीमी रोशनी फैली हुई थी।

इस बार संजय ने लपक कर गुलाबी को अपनी बाहों में ले लिया और उसके भरे हुए गालों को चुमने लगा । 

मुकेश ने उसकी एक चुची पकड़ ली और सहलाने लगा। 

अजय ने उसकी दुसरी चुची पकड़ ली और मसलने लगा । 

राजु के हिस्से में कुछ न आया तो गुलाबी की साड़ी को उपर उठा दिया और उसके चुतड़ों को ही दबाने लगा । 

सबों ने मिलकर उसे उठाया । और चौकी पर पड़े विस्तर पर लिटा दिया । संजय उसकी साड़ी को खोलने लगा। मुकेश उसके ब्लाउज के हुकों को खोलने लगा । थोड़ी ही देर में चारों दोस्तों ने मिलकर गुलाबी के शरीर पर से सारे कपड़े अलग कर दिए । बिल्कुल नंगी हो गई गुलाबी। 

''आपलोग अपने कपडे भी तो खोलिए । किं मुझे नंगा कर देने से बात थोडे ही बनेगी '' गुलाबी मुस्कुराते हुए बोली । 

यह सुनते ही चारों दोस्त अपने-अपने कपड़े धड़ाधड़ खोलने लगे ।। | कुछ ही मिन्टों में चारों दोस्त बिलकुल मारदजात हो गए। सभी के लण्ड एकदम तन गए थे । गुलाबी की बुर पर आक्रमण करने के लिए। 

गुलाबी ने चारों नगे दोस्तों की ओर एक बार गहरी नजर से देख कर उसने सभी के तने हुए लण्डों की ओर देखा । एक साथ चार लण्डों को देखते ही गुलाबी पर जवानी की मस्ती छा गई। और उसने बाएं हाथ से मुकेश का लण्ड पकड़ लिया और दाहिने हाथ से राजु का लण्ड और फिर वह दोनों के लण्ड को सहलाने लगी ।।
 
तभी संजय ने अपना लण्ड गुलाबी के मुंह की ओर बढिया तो गुलाबी उसके लण्ड को मुंह में लेकर चूसने लगी और गुलाबी की बुर को अजय चुमने लगा । गुलाबी की एक चुची मुकेश के हाथ में थी तो। दूसरी चूची राजु के हाथ में । दोनों प्रेम पुर्वक अपने-अपने हिस्से में आई चुचियों को सहला रही थे बीच-बीच में हौले हौले मसल भी रहे थे।


चारों मर्दों को सचमुच में एक अकेली औरत सम्भाल ली थी और चपर शॅपर कर के बड़े प्रेम से अकेली औरत पर लगे हुए थे। मस्ती चारों ओर से आ रही थी और वह औरत यानी गुलाबी तो मस्ती में थी ही । 

कोई दूसरी औरत होती तो चार-चार मर्दो के साथ एक बार चुदवाने को तैयार ही नहीं होती, क्योंकि चार मर्दो से एक साथ चुदवाना कोई आसान काम नहीं है। गुलाबी की बुर के उपर बड़े-बड़े घने झांट थे क्यूँकि गुलाबी अभी तक की उमर में कभी भी अपने झांट को सॉफ की ही नहीं थी .

अजय को गुलाबी की बुर को चाटने में बड़ा मजा आ रहा था । बुर, का नमकीन स्वाद अजय को बड़ा अच्छा लग रहा था । बुर चाटने के साथ ही वह
गुलाबी की। मोटी-मोटी जांघों को भी प्रेम से सहला रहा था सहलाते सहलाते वह कभी उसकी जांघ में चिकोटी भी काट लेता था ।

गुलाबी की दोनों चुचियाँ बहुत बड़ी-बड़ी थी एकदम बेल के समान लेकिन बहुत ही मुलायम और बहुत ही आकर्षक । इसलिए मुकेश और राजु बड़ी
मस्ती के साथ उसकी एक-एक चुची में उलझे थे। मुकेश और राजु ने अपने दोनों हाथो से गुलाबी की एक-एक चुची थाम रखी थी । 


संजय गुलाबी की कमर, पेट आदि को सहला रहा था । बड़ी चिकनी थी, गुलाबी नंगी देह और संजय के हाथ फिसल रहे थे, औरत उधर बुर चाटने में
मस्त था अजय । 
 
'' क्या आप सबों को मजा आ रहा है न ? '' मुंह में से संजय के लण्ड को निकालकर औरत बोली ।।

'' हां हां बहुत मजा आ रहा है।'' चारों दोस्तों ने एक साथ कहा । 

''हां में हां मत मिलाइए। अगर किसी को कम मजा आ रहा हो तो तुरंत कहिए । मेरे पास और भी तरीके हैं। मैं चाहती हूं आप चारों को आज पूरी तरह से संतुष्ट कर दूं और किसी को किसी तरह कि शिकायत का मौका नहीं हो '' औरत बोली ।


'' नहीं हमें कोई शिकायत नहीं है । हम तो इस बात से आश्चर्य चकित हूं कि आपने अकेले हम चारों दोस्तों से एक साथ चुदवाने की हिम्मत कैसे कर
ली। मुकेश बोला । 

''अरे शहरी बाबु मैं पहाड़ी।औरत हूं शहरी औरत की तरह सुकुमार नहीं हैं कि केवल नाज नखरे दिखाउँ और एक ही लण्ड के सामने हार मान जाउं
। हम पहडी औरतों के बुर में भी बहुत ताकत होता है, इतनी ताकत कि दस मर्दों को भी परास्त कर दे। '' औरत बोली ।

यह कहने के बाद गुलाबी ने संजय के लण्ड को अपने मुंह में ले लिया और चुसने लगी । चारों दोस्तों के लण्ड में ज्वालामुखी धधकने लगी थी। इसी बीच अजय औरत की बुर को बिचका कर अपना लण्ड घुसाने की कोशिश करने लगा। | 

''अरे रे रे, आप इतनी जल्दी अपने लण्ड को बुर में घुसाना क्यों चाह रहे हैं। मेरी बुर में आपका लण्ड एक बार घुस गया तो अन्दर से परास्त होकर ही निकलेगा। इसलिए जल्दीबाजी में मेरे बुर में लण्ड मत घुसा दीजिए क्योंकि तब तो आपके लण्ड का खेल ही। खत्म हो जायेगा.'' औरत बोली ।
 
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