Hindi Porn Story जवान रात की मदहोशियाँ - Page 2 - SexBaba
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Hindi Porn Story जवान रात की मदहोशियाँ

यह सुनकर अजय ने अपने लण्ड को औरत की बुर के दरवाजे पर ही रोक लिया । उसका लण्ड उतावला हो रहा था बुर में घुसने के लिए लेकिन उसने अपने लण्ड को रोक लिया । 

''अब आप जाइए मेरे बुर की ओर, मैं तब तक उनका लण्ड चुसती हूँ, क्योंकि उनका लण्ड मेरे बुर के छेद में घुसने को बेकरार हो गया है।'' औरत
संजय से बोलो ।।


सुनते ही संजय चला गया औरत की बुर के साथ छेडखानी करने के लिए और अजय अपने भीगे हुए लंड को लेकर चला आया औरत के पास और आते ही अजय ने अपने लण्ड को गुलाबी के होंठो पर रख दिया . 

गुलाबी ने अपनी जीब को बाहर निकाला और लंड के टोपे पर लगे प्रेंकू को चाट लिया फिर अपनी ज़ुबान को लंड की लंबाई पर चलाने लगी कुछ देर चाटने के के बाद गुलाबी ने लंड को अपने मुँह के अंदर ले लिया लौ इस तरह चुसने लगी मानो वह कोई स्वादिश्ट लोलीपोप चुस रही हो स्वाद ले ले कर ।। .

संजय गुलाबी की बुर को चुमने लगा और उसकी बुर से निकलती मादक गंध को सुघने लगा । चुमते-चुमते वह गुलाबी की जांघ में दाँतों से भी काटने लगा लेकिन जोर से नहीं हौले-हौले ।

इधर गुलाबी के हाथों के कोमल स्पर्श से मुकेश और राजु के लण्ड में भी भयानक गरमी आ गयी थी । बिल्कुल जोश में आ चुके थे मुकेश और राजु के लण्ड ।

गुलाबी की चुचियां लगातार सहलाए जाने एवं मसले जाने के लिए कारण चुचियों के निपल कड़े हो गए थे । गुलाबी की चुचियों में भी खुन तेजी से दौड़ने लगा । एक तरफ गुलाबी को शाराब का नशा था तो दूसरी तरफ चार-चार मर्दो के लण्डों से एक साथ खेलने का नशा।। | 

संजय भी गुलाबी की बुर को चाटने लगा था । गुलाबी की बुर में भी बहुत जोश आ गया था । और उसकी बुर के दोनों होंठ खुल गये थे जोश में आकर
। उसकी बुर की दीवारों से हल्का-हल्का गाढा पानी जैसा रिसने लगा जिसे बाहर निकलते ही संजय अपनी जीभ से। चाट लेता था।
 
गुलाबी की बुर के पानी का नमकीन स्वाद संजय को बड़ा प्यारा लग रहा था । बुर चाटते चाटते एक बार संजय ने गुलाबी की बुर में हौले से दांत से
काट लिया तो गुलाबी के मुंह से निकला, ईश आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओश्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह....!

'' ई का करत प्यारे शहरी बबुआ हमरी बुरिया को खाना है का '' गुलाबी अपनी चूत को संजय के मुँह पर दबाते हुए सिसकी 

इधर बुर चाटते-चाटते जब संजय को अपने लण्ड को काबू में रखना मुश्किल हो गया तो उसने गुलाबी की बुर को बिचकाया और अपने
लण्ड को बुर के छेद के पास रखकर धक्का लगाने लगा। । 

तभी मुकेश ने संजय का हाथ पकड़ा और बोला, इतना हडबड काहे करते हो बुर चोदने के लिए। अभी पुरी रात पड़ी है, जितनी मर्जी हो चोदना न, गुलाबी का बुर भागा थोड़े ही जा रहा है । चल हटो, इधर आओ । अब तुम गुलाबी की चुची पकड़ो और मैं उसका बुर चाटता हूं। हम भी जरा इसके बुर का स्वाद ले ले ।।


संजय अपने लण्ड को गुलाबी की बुर के पास से हटाना नही चाहता था क्योंकि उसका लण्ड गुलाबी की बुर को गाड़ देने के लिए बेताब हो रहा था, कर भी क्या सकता था मुकेश की जिद के कारण उसने अपने लण्ड को गुलाबी की बुर के पास से हटा लिया और गुलाबी की मस्त चुचियों में उलझ
गया । गुलाबी उसका लंड अपने हाथ में लेकर सहलाने लगी । जोश में आकर संजय ने बड़े जोर से गुलाबी की एक चुची को दबा दिया ।


ईश.अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हाइईईईईईईईईईईईईईईईई....। गुलाबी के मुंह से निकला और वह अजय के लण्ड को अपना मुंह से
निकालकर बोली, 

''क्यों शहरी बाबु आपका लण्ड कुछ ज्यादा ही जोश में आ गया है क्या ? ''

'' हां गुलाबी, मेरा लण्ड अब तुम्हारी बुर को चोद चोद कर वेहाल कर देना चाहता है'' संजय बोला । । 

''मेरे लण्ड काभी यही हाल है गुलाबी, उसे चुस-चुस कर आपने और भी भड़का दिया है। इच्छा होता है कि आपके मुंह में ही चोदने लगू लेकिन करू 
तुम्हारे दांत मेरे लण्ड में गढ़ेंगे । इसलिए लाचार हूं अन्यथा आपके कण्ठ में ही घुसा देता '' अजय बोला ।। 
 
''मेरे लण्ड काभी यही हाल है गुलाबी, उसे चुस-चुस कर आपने और भी भड़का दिया है। इच्छा होता है कि आपके मुंह में ही चोदने लगू लेकिन करू 
तुम्हारे दांत मेरे लण्ड में गढ़ेंगे । इसलिए लाचार हूं अन्यथा आपके कण्ठ में ही घुसा देता '' अजय बोला ।। 

तभी मुकेश बोल उठा, ''अब मेरा लण्ड भी गुलाबी की बुर को फाड़ देना चाहता हैं । बहुत मस्ती में आ गया है मेरा लण्ड । ''

'' तो तुम लोग क्या समझ रहे हो कि मेरे लण्ड में कोई दम नहीं है। मेरे लण्ड की तो इच्छा हो रहा है कि गुलाबी के पेट में ही छेद कर दे और जमकर
चोदे।'' राजु बोला ।

'' मैं समझ गई कि आप सबों का लण्ड अब मेरी बुर को चोद चोद कर फाड़ देने के लिए बेताब हो गया है और आज बुरी फँसी मैं आज खैरियत नहीं है मेरी बर की लेकिन अभी थोड़ी देर में पता चल जाएगा किं आपलोगों के लण्ड में कितनी ताकत है और मेरी बुर में कितनी ताकत है। तबतक आप
सबों के लण्ड को और थोडा गरम कर देती हूँ और साथ ही मेरा बुर भी तैयार हो रहा है चुदवाने के लिए और आप सबों के लंडों के आक्रमण का
सामना करने के लिए '' गुलाबी बोली ।


गुलाबी की बुर को चाटते-चाटते संजय चूसने लगा उसका मुँह का पुरा गीला हो गया था गुलाबी की बुर बुरी तरह से पनिया चुकी थी क्योंकि उसकी बुर पानी छोड़ने लगी थी उसकी बुर के अंदर भी बिजली का करेन्ट दौडने लगा तेज रफ्तार में ।

अब गुलाबी ने अजय के लण्ड को अपने मुंह से निकाला और राजु के लंड का मुंह में लेकर चूसने लगी . अजय के लण्ड को वह हाथ से ही हौले-हौले सहलाने लगी । गुलाबी के मुंह में जाते ही राजु के लण्ड में भी कफी तेजी से सनसनी होने लगी । | 

( दोस्तो चार लण्ड और एक अकेली बुर । चारों लंड बुर पर जोरदार आक्रमण करने के लिए तैयार और बुर भी पूरी मस्ती में चुदवाने को तैयार । चार लण्ड का एक बुर का जोरदार हमला । बड़ा ही रोचक दृश्य उपस्थित हो गया है । अब क्या होगा गुलाबी की चूत का )


अब गुलाबी की भी इच्छा हो गई कि बुर की लण्डों से मुलाकात करवा ही दी जाय क्योंकि इन चारों, दोस्तों के लण्डों के अलावा गुलाबी की बुर का भी बेहाल हो गया था चुदवाने के लिए । 

'' पहले कौन चोदेगा मुझे?'' गुलाबी ने एक सवाल किया सबों से । 

''मैं चाहूंगा सबसे पहले '' राजु बोला । 

''नहीं, मैं चोदूंगा सबसे पहले '' अजय बोला ।

'' नहीं, किसी की नहीं चलेगा। सबसे पहले मैं चोदुन्गा गुलाबी के बुर को '' संजय बोला । | 

''छोड़ों यार, पहले मैं चोदूंगा'' मुकेश बोला । 
 
'' अरे रे....... आपलोग तो पहले चोदने के लिए लड़ने लगे। अरे पहले चोदिए या बाद में, इससे क्या कर्क पड़ता है। मेरा बुर भी अपनी जगह पर है और लंड भी आपलोगों का अपनी जगह पर है तो फिर काहे पहले और बाद का झूमेला । आपलोग मेरी बुर का शील तो तोड़ने नही जा रहे है कि जो पहली बार शील तोड़ेगा उसे मजा आयेगा । । मेरी बुर का शील तो बहुत पहले टूट चुका है। अब कोई कितना भी चोद ले तो मेरी बुर को कोई फ़र्क नहीं पड़ता। इसलिए आपलोग आराम से मेरी बुर को एक-एक करके जमकर चोदिए । आज की रात मेरी बुर है और आपलोगों का लंड है। जबतक आपलोगों के लंड में दम रहेगा, मेरी बुर जरूर साथ निभाएगी '' गुलाबी बोली ।। । 

'' लेकिन फिर भी सबसे पहले मैं ही चोदूंगा । आपकी बुर को।'' संजय ने कहा !

'' नहीं, सबसे पहले इनको चोदने दीजिए क्योंकि ये वेचारे शुरू से ही मेरी बुर पर आंख गड़ाए हुए हैं। मेरी बुर को चाटने की शुरूआत इन्होंने ही की थी और सबसे पहले इन्हीं के लण्ड ने मेरी बर पर आक्रमण किया था चोदने के लिए। '' अजय की ओर इशारा करती हुई बोली गुलाबी । | 

गुलाबी के निर्णय को मानने के लिए सब दोस्त मजबुर हो गए। और विजयी भाव से अपने लण्ड को लहराते हुए अजय बढ़ा गुलाबी की बुर की ओर ।

गुलाबी की बुर के नजदीक पहुंच कर अजय ने प्रेम से एक बार बुर को चुमा । चुमने के बाद अजय अपने आप को बुर चोदने की पोजीशन में लाया ।
फिर उसने एक हाथ से गुलाबी की बुर को बिचकाया ( कुछ दोस्त कनफ़्यूज हो रहे होंगे कि ये बिचकाना क्या चीज़ है तो दोस्तो यहाँ बिचकाना का मतलब है फैलाया }और बुर के छेद के ठीक पास अपने फनफनाते हुए लण्ड को रखा। अजय ने दोनों हाथ से गुलाबी की कमर को पकड़ते हुए
एक जोरार धक्का मारते हुए बुर की दीवारों को चीरता हुआ अजय का लण्ड गुलाबी की बुर के अन्दर चला गया। अजय ने फिर अपने लण्ड को थोड़ा बाहर निकाला और पुरी ताकत के साथ धक्का मारा । इस बार पूरा का पूरा लण्ड गुलाबी की बुर में समा गया ।






वस अब तो अजय लागातार गुलाबी की बुर पर अपने लण्ड से आक्रमण करने लगा । उसका लण्ड दनादन गुलाबी की बुर में अन्दर बाहर जाने लगा

गुलाबी अपनी बुर एक लण्ड से चुसवा भी रही थी तथा एक लण्ड को वह मुंह में रखकर चूस भी रही थी। इतना ही नहीं, उसके दोनों हाथों में एक-एक-एक लण्ड जिसे वह सहला सहला कर पुरी तरह जोश में ला रही थी। । ताकी एकलण्ड उसकी बुर में दम तोड़ दे तो दूसरा लण्ड मोर्चा संभाल ले और उसकी बुर की चुदाई जमकर हो, इतनी हो चुदाई कि मस्त हो जाए । गुलाबी की बुर इतनी गीली हो गई थी कि बड़े आराम से अजय का लम्बा सा लण्ड उसकी बुर में घुस रहा था और निकल रहा था । 
 
गुलाबी की बुर को चोदने में अजय को बड़ा मजा आ रहा था। इतनी जारे से अजय धक्के मारता था कि उसका पूरा का पुरा लण्ड धुप से गुलाबी की बुर को चीरता हुआ अंदर घुस जाता था.। अथाह थी गहराई गुलाबी की बुर की ।। । 

इस वक्त गुलाबी भी अपने को खुश किस्मत समझ रही थी। क्योंकि उसके चारों तरफ लण्ड ही लण्ड थे। एक उसकी बुर को चोद रहा था यानी कि चूत के मुँह में था एक दुसरे मुंह में था और दो उसके हाथ में ऐसा महत्वपूर्ण अवसर भी पहली बार मिला था ।इसके पहले वह एक साथ तीन मदों से
चुदवा चुकी थी, लेकिन चार मर्द से चुदवाने का अवसर पहली बार मिला था। इसलिए वह भी अपने अनुभवों की डायरी में एक ओर नया अनुभव जोड़ लेना चाहती थी ।


इन चारों दोस्तों के जीवन में भी यह पहला अवसर था जब ये चारों दोस्त मिलकर एक ही साथ एक ही औरत को चोद रहे थे। बड़ी ही दिलचस्प लग रही थी। उन्हें यह गुलाबी और उसकी बुर की चुदाई . एक ही औरत को उन चारों मित्रों ने चोदा जरूर था, लेकिन एक ही साथ नहीं बल्कि बारी बारी से ।। | 

गुलाबी की बुर को चोदते-चोदते अजय बहुत ही जोश में आ चुका था । उसने गुलाबी को कसकर पकड़ लिया था । और दनादन धक्का लगाए जा रहा था । हल्की-हल्की चकचाकच की आवाज भी आने लगी थी बुर और लण्ड के मिलन से . अजय अपनी ही धुन में अपना लंड गुलाबी की चूत में पेले जा रहा था ।। , 

अजय को दनादन गुलाबी की बुर में लण्ड पेलते देखकर मुकेश राजु और संजय के लण्डों का जोश बढ़ता ही जा रहा था । लण्डों मे इस आये ताव को रोकना तीनों के लिए बहुत कठीन हो रहा था। *. लेकिन कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था सिवाय बर्दास्त करने के अलावा।- ये लोग गुलाबी की.चुचियों पर टूट पड़े थे और चुचियों को बुरी लरह मसले जा रहे थे । .


'' लगता है अब आपके लण्ड में बहुत गरमी आ गई है।'' अजय को जोर-जोर से धक्के मारते देख गुलाबी ने मुस्कुराते हुए कहा ।

'' हां गुलाबी, मेरा लण्ड इस समय पगला गया है तुम्हारी बुर को चोदते चोदते। मेरा लण्ड फाड़ देगा तुम्हारी बुर को इस वक्त '' झुमता हुआ अजय बोला।

''अरे शहरी बाबू औरत की बुर को तो उपर वाला ही फाड़ कर भेजता है, आप क्या फाड़ेंगे । कुछ ही देर में तो आपका लण्ड दम तोड़ देगा और तब आपके लण्ड की हिम्मत ही नहीं होगी मेरी बुर में घुसने की भी! '' गुलाबी ने मुस्कुराते हुए कहा ।। |




( दोस्तो इन दोनों की तकरार को देखते हुए गुलाबी को राजशर्मा की एक कहावत याद आ रही थी कि

'' चूत चूत सब एक सी एक चूत के रंग 
इन्हें प्रेम से चोदिये चौड़ी हो या तंग 
कहि राज कविराय चूत की ऐसी तैसी
लंड गया मुरझाय चूत वैसी की वैसी '' )
 
'' अभी बहुत ताक़त है मेरे लण्ड में '' अजय ने एक जोरदार शॉट मारते हुए कहा । 

''जब तक किसी का लण्ड खलास नहीं हो जाता है। न, तबतक लगता है कि बहुत ताकत है मेरे लण्ड में । यही बात है। आपके साथ में भी और आपके लण्ड की रफ्तार बता रही है आपके लंड को खलास होने में ज्यादा देर नहीं है। और आपका लण्ड खलास हुआ कि आप गये काम से ।'' गुलाबी इस तरह बोली मानो उसे मर्दो के लण्ड का बहुत ज़्यादा अनुभव हो ।

पहले चोदने दीजिए जमकर अपनी बुर को । खलास तो हर लण्ड को अन्तः मे होना ही है। अगर लण्ड खलास न हो तो बुर की क्या दुर्गती होगी यह
कभी सोचा है आपने । कहते हुए अजय दनादन गुलाबी की बुर् पर अपने लण्ड से आक्रमण करता रहा । ।


थोड़ी ही देर के बाद अजय ने अपनी सारी ताकत लगा दी अपने लण्ड के पीछे और बड़ी तेजी से अपने लण्ड को बाहर निकाल-निकाल कर गुलाबी की बुर को चोदने लगा । चचचच पॅच पॅच फॅक फॅक फच फच की आवाज निकल रही थी चुदाई से ।। लेकिन अजय के लण्ड की यह रफ्तार टिक नहीं पाई और शीघ्र ही उसका लण्ड गरम-गरम वीर्य उगलने लगा गुलाबी की बुर में । वीर्य उगलते-उगलते अजय के लण्ड का जोश धीमा पड़ने लगा
और अन्तः में थम गया अजय का लण्ड ।। | 

'' चल हठ अजय अब तुझे क्या तेरे लण्ड का काम तमाम । अब मैं गुलाबी की बुर को चोदूंगा '' संजय ने कहा अजय से । 

अजय आहिस्ते से उठा और बगल में नीचे बैठकर आराम करने लगा और संजय लपका गुलाबी की बुर की ओर । | गुलाबी की बुर का छेद तो बिचका हुआ था ही । संजय ने तपाक से अपने को चोदने की पोजिशन में लाया और गुलाबी की पतली कमर को पकड़ कर अपना लण्ड पेल दिया गुलाबी की बुर में। 

दो-तीन बार संजय ने धीरे-धीरे गुलाबी की बुर में धक्का मारा । और संजय ने देखा कि उसका लण्ड का निशाना बिल्कुल ठीक हैं तथा उसका लण्ड सीधा उस औरत की बुर में घुसता चला जा रहा है तो उसने एक जोरदार शॉट मारा । | संजय का लण्ड सीधा औरत को बुर को चीरता हुआ पुरा का पुरा औरत की बुर में घुस गया। 

'' आपके लंड का निशाना तो बड़ा सटीक है शहरी है '' । मुस्कुराते हुए गुलाबी बोली-

'' चोदे हुए बुर में और बीचके हुये बुर में भी अगर लण्ड का निशाना सटीक अगर न बैठे तो बेकार है बुर का चोदना संजय ने हंसते हुए कहा । | 
 
'' हां शहरी बाबू मेरी बुर में तो रास्ता आपके दोस्त ने ही बना दिया है। अब दिल खोलकर अपना लण्ड पुरी मस्ती में पेलते जाइये । सीसियाते हुए गुलाबी बोली। | 

यह सुनते ही संजय दनादन औरत की बुर में अपना लण्ड पेलने लगा। और औरत ने मुकेश के लण्ड को अपने मुंह में ले लिया और चूमने लगी । मुकेश और राजु उसकी बड़ी-बड़ी चुचियों को मसलने लगे . मुकेश की मन हो रहा था कि वह संजय की हटाकर अपने लण्ड को पेल दे औरत की
बुर में, लेकिन उसने किसी तरह अपने लण्ड को काबू में रखा । राजु का लण्ड भी धमाल मचा रहा था चूत चोदने के लिए लेकिन उसके पास भी धैर्य रखने और अपनी बारी का इंतजार करने के सिवा कोई रास्ता नहीं था ।।


सुस्त पड़ा अजय चुपचाप देख रहा था । संजय को चोदते हुये । उसका लंड अब सिकड़कर छोटा हो गया था। लग रहा था जैसे उसका लंड मर गया हो ।* अजय की चलती सांस अब धीमी होने लगी थी । मुकेश और राजु कभी उसकी चुचियों को मसलते तो कभी उसकी चुचियों में दांत से काट लेते तो कभी चुचियों में नाखुन गडा देते । इन दोनों से भी अपने लंड के जोश को रोकना बड़ा कठिन हो रहा था । | गुलाबी की बुर भी बहुत गरम हो रही थी,
लेकिन उसे अभी दो और लंड की गरमी उतारनी थी । इसलिए गुलाबी अपनी बुर को नियंत्रण में रखी हुई थी ताकि उसकी बुर मुकेश और राजु के
लंड को खलास किये बिना ही न खलास हो जाय । । । 


संजय के लंड ने भी रफ्तार पकड़ ली । गुलाबी की बुर के अन्दर का रास्ता तो बहुत ही गीला था इसलिए उसका लंड बड़े आराम से उसकी बुर में घुस
रहा था और निकल रहा था । पुरी मस्ती में संजय डाले जा रहा था गुलाबी की बुर में ।


'' क्या शहरी बाबू, मजा आ रहा है न चोदने में मेरी बुरिया को ।। '' गुलाबी पूछी संजय से ।

'' बुर चोदने में भी अगर मजा नहीं आएगा तो मजा आएगा किस काम में। किसी भी मर्द के लिए इससे ज्यादा आनन्दायक काम दुनिया में है ही नहीं ।'' संजय ने जबाव दिया । । 

'' ठीक है तो आप भी अपने लंड की ताकत को दिखला ही दीजिए मुझे भी देखना है कि आप चारों दोस्तों में से किसका लंड सबसे तगड़ा और दमदार है ?'' गुलाबी मुस्कुराते हुए बोली ।। । 

यह सुनकर संजय को ओर जोश आ गया क्योंकि उसके लंड की प्रतिष्ठा का सवाल उत्पन्न हो गया। उसने मन ही मन सोच लिया। कि किसी भी कीमत पर उसे अपने लड की प्रतिष्ठा बचानी है, ताकि गुलाबी यह न समझ ले कि संजय का लंड अन्य मित्रों के लंड की तुलना में कमजार है । इसलिए वह और जोर-जोर से गुलाबी की बुर में धक्का मारने लगा। । प्रत्येक धक्के के साथ संजय का लंड फ़चाक से गुलाबी के बुर में घुस जाता और फिर तुरंत ही बाहर भी निकल जाता । बाहर निकलते ही उसका लण्ड फिर से गुलाबी की बुर पर हमला कर देता ।। काफ़ी तेजी से संजय का लंड गुलाबी की बुर
पर हमला किये जा रहा था ।
 
गुलाबी को भी चुदवाने में खुब मजा आ रहा था । उसका मन इसी तरह की चुदाई चाहता भी था । कमजोर चुदाई औरत की बुर को पसंद नहीं थी
इसलिए.कमजोर मर्दो की ओर औरत की नजर भी नहीं जाती थी । जितनी ताकवर औरत की बुर होती है उतना ही ताकतवर वह मर्द का लण्ड भी
खोजती है ।

तगड़ा लंड पाने की तलाश में ही गुलाबी ने अपने लिए पति चुना था । अपने पति को पति बनाने से पूर्व यह आठ-दस बार उसके लंड से चुदवाकर
देख ली थी कि उसके लण्ड में उसकी बुर को परास्त करने की क्षमता है या नहीं, क्योंकि जीवन भर का सवाल था ।।


''और चोदिए, जमकर चोदिए । दिखा दीजिए की शहरी लण्ड में भी ताकत होती है पहाड़ी बुर को पछाड़ने की। पहली बार में शहरी लंड से चुदवा रही हूं। अभी तक तो पहाडी लंड से ही पाला पड़ा। था । औरत ने बोला ।

यह सुनकर संजय को और जोश आ गया और उसने अपने लण्ड के पीछे और ताकत लगा दी ताकि गुलाबी को यह अहसास न हो कि शहरी बाबु केवल उपर से देखने में जोशीले नजर आते हैं, और उनके लण्ड में कोई ताकत होती हो नहीं। जमकर चोदना और औरत की बुर को संतुष्ट करना
संजय के लिये प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया। । 

खुब जोर-जोर से धक्के मारते हुए संजय ने पुछा गुलाबी से, '' कैसी हो रही है आपकी बुर की चुदाई । आपकी बुर के लायक चुदाई हो रही है । या नहीं।''


'' हां हां, आपका लंड तो मस्ती में चोद रहा है मेरी बुर को। और ताकत हो आपके लंड में तो दिखाइए । शायद ऐसा मौका फिर न मिले। '' औरत बोली




यह सुनकर संजय ने अपनी पूरी ताकत लगा दी अपने लंड के पीछे । अपने लंड की प्रतिष्ठा बरकरार रखने के लिए क्योंकि सवाल उसके लंड की प्रतिष्ठा का ही नहीं था ।। सभी शहरी लोगों के लंड की प्रतिष्ठा का सवाल था । वह नहीं चाहता था कि शहरी लंड की प्रतिष्ठा मिट्टी में मिल जाए । * इतनी तेजी से संजय का लंड औरत के बुर में आ जा रहा था । कि ऐसा लग रहा था कि संजय के लंड में कोई स्पींग फैट कर दिया हो जिससे उसका लंड टकटटकट औरत के बुर में घुस रहा है और निकल रहा है। | 

लंड और बुर की लड़ाई में चचचच की आवाज निकलने लगी क्योंकि औरत का बुर बहुत गीला था । पुरी मस्ती में संजय टूटे पड़ा था औरत के बुर पर । इस वक्त अगर औरत कि बुर के उपर बड़े-बड़े घने झांट न होते तो संजय और औरत की हड्डियां टकराती खूब जोर से ।। | औरत की बुर के उपर घने झांट इस वक्त गदा का काम कर रहे थे नहीं तो बुर के उपर की हड्डी और लंड के उपर को हड्डी दोनों में खुब टकराव होता । और तब संजय के लिए इतने जोर-जोर से औरत के बुर में धक्के मारना सम्भव भी नहीं होता ।।
 
संजय के इन धक्कों से औरत की बुर भी मस्त हो उठी । लंड के ऐसे ही आक्रमणों से गुलाबी की बुर पर मस्ती छाती थी । गुलाबी भी नीचे से चूतड़ उछला-उछला कर संजय की लंड के आक्रमण का जबाव देने लगी ।

बाह ! क्या चुदाई हो रही है । मुकेश बोला।। । अरे संजय ! इतना जोर से मत चोदो कि गुलाबी का बुर तहस-नहस हो जाये और हमलोगों को चोदने लायक ही नहीं रहे ।

आखिर हमलोगों का लंड इस वक्त कहां जाएगा बुर की तलाश में। राजु ने हंसते हुए कहा ।। | 

आप दोनों चिंता मत कीजिए | इनका लंड से मेरे बुर का कुछ नहीं बिगड़ने वाला है। आप दोनों के लंड की शक्ति को भी बड़े आराम से देखेगी मेरी
बुर । बहुत ही मजबूत है मेरी बुर गुलाबी बोली ।।


इतनी तेजी से संजय का लड चोदे जा रहा था कि ऐसा लग रहा था मानो पागल हो गया है संजय का लंड ।

तुम्हारा लंड पगला गया है क्या संजय ? मुकेश पूछा । 

""हां "" संजय ने कहा ।।

""क्यों ? "" 

"" मस्त बुर को ताकत देखकर ।"" 

"" तो ठीक है अपने लंड का पागलपन उतार ही लो । ""

""बिल्कुल उतार लूंगा ।""

"" कुछ भी बाकी मत रखना ।""

"" बिल्कुल नहीं रखेंगा ।""

'' क्यों ? ""

'' ताकि औरत को बुर को अहसास हो जाये । ""

""किस बात का ? "" 

""यह कि शहरी बाबु का लंड में भी ताकत होती है ? ""

"" ठीक है चोदते जाओ कुल स्पीड से । "" 
 
"" और स्पीड बढाउं क्या ?"" 

"" अगर बढ़ा सकते हो तो बढ़ा ही दो ।। | "" 

यह सुनकर संजय ने अपने लंड की रफ्तार बढ़ा दी । उसके लंड कि रफ्तार इतनी बढ़ गई कि उससे ज्यादा बढ़ाना अब संजय के बश के बाहर की बात थी ।

""तुम जितना चोद सको, चोदो । ""

""पीछे हमलोग भी हैं शहरी लंड का परिचय पहाड़ी बुर को देने के लिये ।"" मुकेश बोला । 

""वाह शहरी बाबू वाह । "" औरत के मुंह से निकला,"" क्या रफ्तार है चोदने की । मेरा बुर तुम्हारे लंड को धन्यवाद दे रहा है मस्ती में झूमते हुये ।"" चुदाई के नश में झूमती हुई औरत बोली ।।

""मस्ती आ रही है ? ""संजय पूछा । 

""हां, मस्ती आ रहा है "" औरत ने बोला। 

""आपकी बुर को कोई कष्ट तो नहीं ?"" 

"" नहीं-नहीं कष्ट कैसा ?""

""बहुत मजा आ रहा है ?""

"" हां मजा आ रहा है पहाड़ी लंड से ज्यादा या कम । ""

""ज्यादा !"" 

"" ऐसा क्यों ? ""

""आपके लंड की रफ्तार का कारण । ""

""यह रफ्तार पहाडी लंडों में नहीं होता ।।""

""होती है लेकिन इतना नहीं। ""

""और रफ्तार बड़ा दें।""

"" अगर सम्भव हो तो बढाइये ।""

यह सुनकर संजय ने अपना लंड की रफ्तार को और बढ़ाने का प्रयास किया, लेकिन रफ्तार की सीमा खत्म हो चुकी थी इसलिए और बढ़ाना सम्भव नहीं था।

लंड और बुर का जबरदस्त मुकाबला चल रहा था जिसमें लंड की रफ्तार बहुत अधिक थी और बुर की कम । बिल्कुल मशीनी अंदाज में संजय का लंड औरत की बुर में घुस रहा था और निकल रहा था अंदर से बाहर निकलते ही तपाक से उसका लंड औरत की बुर में विलीन हो जाता है । | औरत का बुर भी बड़ा प्रसन्न हो रहा था इस शानदार चुदाई से मस्त होकर । 

अजय चुपचाप इस शानदार चुदाई को निहारे जा रहा था। क्योंकि उसकी बारी फिलहाल समाप्त हो चुका था ।।
 
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