hotaks444
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जूली को मिल गई मूली--8
गतान्क से आगे............................................
मैं, आप की जूली, हाज़िर हूँ अपना एक और हंगामा और चुदाई का कारनामा
जो तारीफ़ मुझे मिली है और जितने मेल मुझे रोज़ मिलते हैं, उस से मैं बहुत खुश हूँ के इतने लोगों ने मेरी चुदाई को, मेरे लिखने को सराहा है. मैंने ऐसा नहीं सोचा था की मैं इतनी फेमस हो जाऊंगी के कुछ लोग मुझ से जलने लग जायेंगे. जलने वाले जलते रहें, मैं परवाह नहीं करती. मेरा मानना है के प्यार और चुदाई सब सामाजिक बंधन से ऊपर है और जब दो प्यार करने वाले, चुदाई करने वाले राज़ी हो तो किसी को तकलीफ क्यों होती है, ये तो वो ही जाने जिन को तकलीफ होती है. नजदीकी रिश्तेदार से चुदवाना या चोदना कोई गुनाह नही है. अगर ये गुनाह होता तो बहुत से घरों में ये न हो रहा होता. फर्क सिर्फ इतना है के लोग छुप छुप के करतें है और चुप रहतें है, किसी को बताते नहीं, और मैंने सब आप को बताया है. बहुत से लोग है जिनकी मेल आती और वो मुझको चोदना चाहतें है और मेरी तरफ से ना का जवाब मिलने पर तिलमिला जातें है, खैर जलने वाले जलतें रहें तिलमिलाने वाले तिल्मिलातें रहें, मुझे फर्क नहीं पड़ता.
तो अब पेश है ----------- मेरी चुदाई की दास्तान का अगला भाग -
अपने प्रेमी का इंतज़ार कर रही थी. जैसा की मैंने पिछले भाग में लिखा था की मैं अपने चोदु चाचा के साथ इटली जाने वाली थी और मेरा प्रेमी रमेश भी देल्ली जाने वाला था क्यों की वहां उस की नौकरी लग गई थी.
कुछ दिनों के लिए अलग होने से पहले हम ने एक लम्बी ड्राइव पर जाने का फैसला किया था. आप तो जानतें है की इसका मतलब क्या है.
वो बरसात का मौसम था और रुक रुक कर बरसात हो रही थी. मैंने समय देखा तो उस वक़्त दोपहर के ३.३० बजे थे. रमेश के आने में अभी भी एक घंटे की देर थी. मैं तो चुदाई के लिए इतनी बेचैन थी की एक घंटे पहले ही तैयार हो गई थी. मैं जीन और टॉप पहने हुए थी. मैंने अपने आप को आईने में देखा. भगवान ने मुझे बहुत ही सुन्दर बनाया है. मेरा बदन सेक्सी और फिगर तो मर्दों की जान लेने वाला है. मेरा नाप ३४ - २६ - ३६ है. गोल चेहरा, गोरा रंग, काले बाल और नीली आँखें. मैंने देखा है की लोग, चाहे मर्द हो या औरत, मैं जब भी बाहर जाती हूँ, मुझको ही देखतें रहतें हैं. मुझे पता है की जब भी मैं चलती हूँ, मेरी गोल गोल गांड बहुत ही प्यारे सेक्सी अंदाज़ में मटकती है और मेरी तनी हुई चूचियां तो सोने पर सुहागा है जो किसी भी मर्द को पागल बना देने के काबिल है. और सब से खास बात, मैं हमेशा ही अच्छे, मेरे सेक्सी बदन को सूट करने वाले कपडे पहनती हूँ. मैं अपना बदन ज्यादा नहीं दिखाती, पर जितना भी दिखता है, आप समझ सकतें है की क्या होता होगा. मैं मन ही मन मुस्करा देती हूँ जब मर्द लोग चुदाई की भूख अपनी आँखों में लिए और लड़कियां, औरतें जलन से मुझको देखती हैं. मैं भगवान को हमेशा बहुत बहुत धन्यवाद देती हूँ की उस ने मुझे इतना सुन्दर बनाया और मैं हमेशा अपने शरीर का ध्यान रखती हूँ. मैं रोज़ योग करती हूँ और जरूरी कसरत करती हूँ ताकि मेरा बदन हमेशा ऐसा ही रहे. बहुत से लोग, मेरे परिवार वाले भी और दोस्त लोग कहतें हैं की मैं फिल्मों में काम कर सकती हूँ पर मुझे कोई इंटेरेस्ट नहीं है फ़िल्मी हीरोइन बनने में. मैं तो अपने चाचा की और अपने प्रेमी की असली हीरोइन हूँ.
खैर, मैं अपनी सुन्दरता का वर्णन ज्यादा न करके, असली कहानी पर आती हूँ.
रमेश के आने में अभी वक़्त था तो मैं टाइम पास करने के लिए अपने घर की छत पर आ गई. छत का एक भाग छप्पर बना कर कवर किया हुआ था ताकि बरसात और धूप से बच कर वहां बैठा जा सके. मैं एक कुर्सी पर बैठ गई और मैंने इधर उधर देखा. हमारा घर आस पास के सारे घरों से ऊंचा है और हमारी छत से हम दूर तक देख सकते थे. अचानक मेरी नजर पड़ोस के घर की तरफ गई. वो एक डॉक्टर का घर था. अपनी पत्नी के गुजर जाने के बाद डॉक्टर वहां अकेला रहता था. उस का लड़का विदेश में पढता था. डॉक्टर की उम्र उस समय करीब ४५/५० की होगी. वो २ बजे तक अपनी क्लिनिक में बैठता था जो की उस के घर के आगे के हिस्से में थी. एक सुन्दर और जवान औरत दिन में वहां आती थी जो की डॉक्टर के लिए खाना बनाती थी, घर का दूसरा काम करती थी. मैं हमेशा सोचती थी की वो औरत केवल डॉक्टर का घर ही नहीं संभालती थी, बल्कि डॉक्टर को भी संभालती थी. मतलब, वो औरत बिना पत्नी के डॉक्टर से जरूर ही चुदवाती होगी.
गतान्क से आगे............................................
मैं, आप की जूली, हाज़िर हूँ अपना एक और हंगामा और चुदाई का कारनामा
जो तारीफ़ मुझे मिली है और जितने मेल मुझे रोज़ मिलते हैं, उस से मैं बहुत खुश हूँ के इतने लोगों ने मेरी चुदाई को, मेरे लिखने को सराहा है. मैंने ऐसा नहीं सोचा था की मैं इतनी फेमस हो जाऊंगी के कुछ लोग मुझ से जलने लग जायेंगे. जलने वाले जलते रहें, मैं परवाह नहीं करती. मेरा मानना है के प्यार और चुदाई सब सामाजिक बंधन से ऊपर है और जब दो प्यार करने वाले, चुदाई करने वाले राज़ी हो तो किसी को तकलीफ क्यों होती है, ये तो वो ही जाने जिन को तकलीफ होती है. नजदीकी रिश्तेदार से चुदवाना या चोदना कोई गुनाह नही है. अगर ये गुनाह होता तो बहुत से घरों में ये न हो रहा होता. फर्क सिर्फ इतना है के लोग छुप छुप के करतें है और चुप रहतें है, किसी को बताते नहीं, और मैंने सब आप को बताया है. बहुत से लोग है जिनकी मेल आती और वो मुझको चोदना चाहतें है और मेरी तरफ से ना का जवाब मिलने पर तिलमिला जातें है, खैर जलने वाले जलतें रहें तिलमिलाने वाले तिल्मिलातें रहें, मुझे फर्क नहीं पड़ता.
तो अब पेश है ----------- मेरी चुदाई की दास्तान का अगला भाग -
अपने प्रेमी का इंतज़ार कर रही थी. जैसा की मैंने पिछले भाग में लिखा था की मैं अपने चोदु चाचा के साथ इटली जाने वाली थी और मेरा प्रेमी रमेश भी देल्ली जाने वाला था क्यों की वहां उस की नौकरी लग गई थी.
कुछ दिनों के लिए अलग होने से पहले हम ने एक लम्बी ड्राइव पर जाने का फैसला किया था. आप तो जानतें है की इसका मतलब क्या है.
वो बरसात का मौसम था और रुक रुक कर बरसात हो रही थी. मैंने समय देखा तो उस वक़्त दोपहर के ३.३० बजे थे. रमेश के आने में अभी भी एक घंटे की देर थी. मैं तो चुदाई के लिए इतनी बेचैन थी की एक घंटे पहले ही तैयार हो गई थी. मैं जीन और टॉप पहने हुए थी. मैंने अपने आप को आईने में देखा. भगवान ने मुझे बहुत ही सुन्दर बनाया है. मेरा बदन सेक्सी और फिगर तो मर्दों की जान लेने वाला है. मेरा नाप ३४ - २६ - ३६ है. गोल चेहरा, गोरा रंग, काले बाल और नीली आँखें. मैंने देखा है की लोग, चाहे मर्द हो या औरत, मैं जब भी बाहर जाती हूँ, मुझको ही देखतें रहतें हैं. मुझे पता है की जब भी मैं चलती हूँ, मेरी गोल गोल गांड बहुत ही प्यारे सेक्सी अंदाज़ में मटकती है और मेरी तनी हुई चूचियां तो सोने पर सुहागा है जो किसी भी मर्द को पागल बना देने के काबिल है. और सब से खास बात, मैं हमेशा ही अच्छे, मेरे सेक्सी बदन को सूट करने वाले कपडे पहनती हूँ. मैं अपना बदन ज्यादा नहीं दिखाती, पर जितना भी दिखता है, आप समझ सकतें है की क्या होता होगा. मैं मन ही मन मुस्करा देती हूँ जब मर्द लोग चुदाई की भूख अपनी आँखों में लिए और लड़कियां, औरतें जलन से मुझको देखती हैं. मैं भगवान को हमेशा बहुत बहुत धन्यवाद देती हूँ की उस ने मुझे इतना सुन्दर बनाया और मैं हमेशा अपने शरीर का ध्यान रखती हूँ. मैं रोज़ योग करती हूँ और जरूरी कसरत करती हूँ ताकि मेरा बदन हमेशा ऐसा ही रहे. बहुत से लोग, मेरे परिवार वाले भी और दोस्त लोग कहतें हैं की मैं फिल्मों में काम कर सकती हूँ पर मुझे कोई इंटेरेस्ट नहीं है फ़िल्मी हीरोइन बनने में. मैं तो अपने चाचा की और अपने प्रेमी की असली हीरोइन हूँ.
खैर, मैं अपनी सुन्दरता का वर्णन ज्यादा न करके, असली कहानी पर आती हूँ.
रमेश के आने में अभी वक़्त था तो मैं टाइम पास करने के लिए अपने घर की छत पर आ गई. छत का एक भाग छप्पर बना कर कवर किया हुआ था ताकि बरसात और धूप से बच कर वहां बैठा जा सके. मैं एक कुर्सी पर बैठ गई और मैंने इधर उधर देखा. हमारा घर आस पास के सारे घरों से ऊंचा है और हमारी छत से हम दूर तक देख सकते थे. अचानक मेरी नजर पड़ोस के घर की तरफ गई. वो एक डॉक्टर का घर था. अपनी पत्नी के गुजर जाने के बाद डॉक्टर वहां अकेला रहता था. उस का लड़का विदेश में पढता था. डॉक्टर की उम्र उस समय करीब ४५/५० की होगी. वो २ बजे तक अपनी क्लिनिक में बैठता था जो की उस के घर के आगे के हिस्से में थी. एक सुन्दर और जवान औरत दिन में वहां आती थी जो की डॉक्टर के लिए खाना बनाती थी, घर का दूसरा काम करती थी. मैं हमेशा सोचती थी की वो औरत केवल डॉक्टर का घर ही नहीं संभालती थी, बल्कि डॉक्टर को भी संभालती थी. मतलब, वो औरत बिना पत्नी के डॉक्टर से जरूर ही चुदवाती होगी.